भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी दुनिया में एक नई पहचान बना रही है, और अब इस क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। CoinDCX के सह-संस्थापक नीरज खंडेलवाल ने ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों — देवकुमार थमिसेट्टी, पवन कुमार और प्रशांत एम — के साथ मिलकर Astrobase नाम की एक स्पेसटेक कंपनी लॉन्च की है। यह स्टार्टअप भारत में कम लागत वाली, हाई-पेलोड लॉन्च व्हीकल्स तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।
🌌 Astrobase: भारत के लिए अगली पीढ़ी की स्पेस लॉन्च टेक्नोलॉजी
Astrobase का उद्देश्य बढ़ती सैटेलाइट लॉन्च डिमांड को पूरा करना है, खासकर वैश्विक स्तर पर कमर्शियल और डिफेंस उपग्रहों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए। कंपनी का फोकस एक ऐसे रॉकेट सिस्टम पर है, जो न केवल भारी पेलोड ले जाने में सक्षम हो, बल्कि लॉन्च कॉस्ट को भी बहुत हद तक कम कर सके।
Astrobase एक मिथेन-ऑक्सीजन फ्यूल्ड फुल फ्लो स्टेज्ड कंबशन इंजन पर काम कर रही है, जो 3 से 10 टन तक के पेलोड को ले जाने में सक्षम होगा। कंपनी तीन तरह के लॉन्च व्हीकल्स तैयार करने की योजना पर काम कर रही है:
- फुली एक्सपेंडेबल (पूरी तरह से नष्ट हो जाने वाला)
- पार्शियली रीयूजेबल (आंशिक रूप से दोबारा इस्तेमाल योग्य)
- फुली रीयूजेबल (पूरी तरह से दोबारा इस्तेमाल योग्य)
कंपनी का लक्ष्य है कि 2034 तक लॉन्च कॉस्ट को $300 प्रति किलोग्राम तक ला दिया जाए, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत ही प्रतिस्पर्धात्मक लागत मानी जाएगी।
🏭 बेंगलुरु में मैन्युफैक्चरिंग शुरू, R&D से उत्पादन की ओर बढ़ता कदम
सूत्रों के मुताबिक, Astrobase ने बेंगलुरु के एयरोस्पेस हब में इंजन निर्माण के लिए एक फैक्ट्री भी तैयार कर ली है। इसका मतलब है कि कंपनी अब केवल अनुसंधान और विकास (R&D) से आगे बढ़कर वास्तविक उत्पादन के चरण में प्रवेश कर चुकी है।
Astrobase ने अपने ऑर्बिटल-क्लास लॉन्च सिस्टम के लिए इंजन और व्हीकल डिज़ाइन को भी अंतिम रूप दे दिया है। यह सिस्टम उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा (orbit) में भेजने के लिए तैयार किया जाएगा।
💸 ₹60 करोड़ जुटाए पहले फंडिंग राउंड में
Astrobase ने अपने पहले फंडिंग राउंड में ₹60 करोड़ (लगभग $7 मिलियन) जुटाए हैं। यह निवेश वेंचर फर्म BanyanCo के नेतृत्व में हुआ है। कंपनी की वैल्यूएशन ₹623 करोड़ (लगभग $72 मिलियन) आंकी गई है। Astrobase अब अगले फंडिंग राउंड के लिए भी तैयारी कर रही है, जिससे इसकी वैल्यूएशन में और बढ़ोतरी की संभावना है।
🌠 भारत में स्पेस टेक सेक्टर को मिल रहा है सरकारी समर्थन
पिछले कुछ वर्षों में भारत में स्पेसटेक स्टार्टअप्स की संख्या और निवेश में जबरदस्त उछाल आया है। 2024 में 13 स्पेसटेक स्टार्टअप्स ने लगभग $85 मिलियन की फंडिंग हासिल की, वहीं 2025 के पहले छह महीनों में ही 10 स्टार्टअप्स ने $15 मिलियन से ज्यादा जुटाए हैं।
भारत सरकार भी इस सेक्टर को आगे बढ़ाने में सक्रिय है। 2025 में सरकार ने IN-SPACe के माध्यम से ₹500 करोड़ ($58 मिलियन) का स्पेशल फंड लॉन्च किया, और साथ ही ₹1,000 करोड़ ($116 मिलियन) का वेंचर कैपिटल फंड भी मंज़ूर किया गया है। इन फंड्स का उद्देश्य है:
- लोकल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना
- इम्पोर्ट डिपेंडेंसी को कम करना
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाना
🌏 क्यों खास है Astrobase का मिशन?
भारत की मौजूदा स्पेस कंपनियों और ISRO की क्षमताओं के बीच एक स्पेस बना हुआ है जिसे Astrobase भरने का प्रयास कर रही है:
- यह कंपनी कम लागत में भारी पेलोड ले जाने वाली टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है।
- इसके संस्थापक ISRO के अनुभवी वैज्ञानिक हैं, जिनके पास मिशन प्लानिंग और लॉन्च ऑपरेशन का दशकों का अनुभव है।
- CoinDCX जैसे सफल वेब3 प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक नीरज खंडेलवाल की टेक्नोलॉजी और स्केलेबिलिटी में विशेषज्ञता कंपनी को आगे ले जाने में मदद करेगी।
🚀 भारत की स्पेस रेस में प्राइवेट कंपनियों की बढ़ती भागीदारी
जहां पहले भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी का जिम्मा केवल ISRO तक सीमित था, अब कई प्राइवेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं। Pixxel, Agnikul, Skyroot Aerospace जैसी कंपनियों के बाद अब Astrobase भी इस लिस्ट में शामिल हो चुकी है।
यह बताता है कि भारत में स्पेस इंडस्ट्री केवल सरकार पर निर्भर नहीं रही, बल्कि अब यह एक निजी स्टार्टअप इनोवेशन हब बनती जा रही है।
🔚 निष्कर्ष: भारत की स्पेस उड़ान अब और ऊंची
Astrobase का लॉन्च न केवल भारतीय स्पेसटेक सेक्टर के लिए एक बड़ा कदम है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्राइवेट इनोवेशन और सरकारी सहयोग मिलकर भारत को अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। टेक्नोलॉजी, अनुभव और पूंजी — इन तीनों का सही मिश्रण Astrobase को भारत की अगली बड़ी स्पेसटेक सफलता बना सकता है।
Read more:🚗 Garaaz ने जुटाए ₹4.55 करोड़,