🤑 इस हफ्ते 26 भारतीय स्टार्टअप्स ने जुटाए $290.28 मिलियन, Jumbotail बना नया यूनिकॉर्न!

भारतीय स्टार्टअप्स

भारतीय स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में इस हफ्ते (29 जून से 5 जुलाई 2025) फंडिंग के मोर्चे पर हल्की गिरावट देखने को मिली, लेकिन कुल 26 स्टार्टअप्स ने मिलकर करीब $290.28 मिलियन (लगभग ₹2,400 करोड़) जुटाए। इनमें से 9 ग्रोथ-स्टेज और 15 अर्ली-स्टेज डील्स रहीं, जबकि दो स्टार्टअप्स ने अपनी फंडिंग सार्वजनिक नहीं की।


📈 ग्रोथ‑स्टेज फंडिंग: $258.5 मिलियन—Jumbotail बना नया यूनिकॉर्न

इस सप्ताह ग्रोथ और लेट‑स्टेज स्टार्टअप्स ने कुल $258.5 मिलियन जुटाए। इसमें सबसे बड़ी डील रही:

  • Jumbotail (B2B मार्केटप्लेस): $120 मिलियन, जिससे यह नया यूनिकॉर्न बन गया।
  • Infra.Market: $50 मिलियन (डेट फंडिंग, Mars Growth Capital)
  • Eggoz: $20 मिलियन (सीरीज़ C, एग ब्रांड)
  • AppsForBharat (Sri Mandir devotional प्लेटफ़ॉर्म): $20 मिलियन (सीरीज़ C)
  • अन्य ग्रोथ राउंड्स: Aukera (D2C लैब‑ग्रोन डायमंड), FincFriends (NBFC), Bambrew (सस्टेनेबल पैकेजिंग), Eeki (एग्री‑टेक) और Agilitas Sports

🚀 भारतीय स्टार्टअप्स अर्ली‑स्टेज फंडिंग: $31.78 मिलियन

15 अर्ली‑स्टेज स्टार्टअप्स ने मिलकर $31.78 मिलियन की फंडिंग जुटाई। प्रमुख उदाहरण:

  • Zango AI: $4.8 मिलियन (Seed round, Nexus Venture Partners)
  • Maieutic Semiconductor: डीपतेक स्टार्टअप
  • Luma Fertility: फर्टिलिटी‑टेक
  • AjnaLens: डीपटेक (XR ग्लास)
  • Blostem: B2B FD डिस्ट्रिब्यूशन प्लेटफ़ॉर्म

कुछ स्टार्टअप्स ने राशि प्रकट नहीं की।


🏙️ शहर और सेक्टर की वितरण

शहरवार:

  • बेंगलुरु: 9 डील्स
  • दिल्ली‑NCR: 8 डील्स
  • चेन्नई, मुंबई, ठाणे: मध्यम गतिविधि

सेक्टरवार:

  • ई‑कॉमर्स, फूडटेक, डीपतेक: 4‑4 डील्स
  • AI: 3 डील्स
  • फिनटेक, बायोटेक: 2‑2 डील्स

💼 स्टेज‑वार डील्स का ब्रेकडाउन

  • Seed rounds: 10 डील्स
  • Pre‑Series A: 5 डील्स
  • अन्य: Series A, Series C, Debt funding, आदि

पिछले आठ हफ्तों में औसतन हर हफ्ते $217.64 मिलियन उठ रहे हैं, और इस हफ्ते की राशि सामान्य से थोड़ी कम है।


🧑‍💼 इस हफ्ते की बड़ी नियुक्तियाँ

  • MobiKwik ने दो महत्वपूर्ण प्रमोशन्स की:
    • Saurabh Dwivedi, CTO
    • Dhruv Wadhera, SVP (Offline Payments)
  • Pine Labs ने घोषित किया कि Sameer Kamath उसके नए CFO होंगे (IPO की तैयारी में महत्त्वपूर्ण कदम)
  • Glance ने Amit Bansal को AI एकीकृत कॉमर्स लीड के रूप में नियुक्त किया
  • Wellbeing Nutrition ने Varun Kandhari को CMO नियुक्त किया

🔄 मर्जर और अधिग्रहण

  • Zoho Corporation ने Asimov Robotics (कोच्चि) का अधिग्रहण किया, जो इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स में कार्यरत है।

🧩 नई लॉन्च और साझेदारियाँ

  • Policybazaar ने Whilter.AI के साथ भागीदारी की, ग्राहक सगाई को बढ़ाने के लिए।
  • TiE Bangalore ने Aerospace India Association के साथ साझेदारी की स्टार्टअप्स के समर्थन हेतु।

📊 इस सप्ताह के वित्तीय अपडेट

  • Curefoods: FY25 में ₹746 करोड़ का राजस्व, डेसर्ट सेगमेंट में वृद्धि
  • Vama App: FY25 में राजस्व में 2 गुना वृद्धि

📰 इस हफ्ते की प्रमुख खबरें

  • Meesho (reverse-flip complete) और Shadowfax ने गुप्त DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) फाइल किया — IPO के लिए Confidential Route का प्रयोग।
  • TVS Motor Company जून में EV दोपहिया बाजार की लीडर बनी, जबकि Ola Electric का हिस्सा घटा।
  • UPI ट्रांजैक्शन: जून में 18.40 अरब ट्रांजैक्शन (₹24.04 लाख करोड़), मई से थोड़ा गिराव।
  • Think360.ai को 2025 के AIFinTech100 में शामिल किया गया।

✅ निष्कर्ष

इस हफ्ते फंडिंग में थोड़ी गिरावट जरूर आई, लेकिन बड़े Deals जैसे Jumbotail का यूनिकॉर्न बनना, Infra.Market, Eggoz और AppsForBharat जैसी कंपनियों की फंडिंग, यह दर्शाता है कि स्टार्टअप की दुनिया अभी भी क्षमता से भरपूर है। AI, डीपतेक, फूडटेक, ई‑कॉमर्स और फिनटेक सेक्टर की गतिविधियां संकेत हैं कि निवेशक इन क्षेत्रों में गहरी दिलचस्पी बनाए हुए हैं। साथ ही, आने वाले हफ्तों में DRHP की फाइलिंग, IPO की गतिविधियाँ और AI‑सहायता प्राप्त स्टार्टअप्स पर नजर बनी रहेगी।

📊 और अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए – FundingRaised.in

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NoPaperForms

भारत की शिक्षा प्रौद्योगिकी (EdTech) स्पेस में तेजी से उभर रही SaaS कंपनी NoPaperForms, जो अब Meritto के नाम से जानी जाती है, ने अपने पब्लिक डेब्यू की दिशा में एक अहम कदम उठा लिया है। कंपनी ने हाल ही में खुद को प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदल लिया है और जल्द ही अपना IPO (Initial Public Offering) लाने की तैयारी कर रही है।


🔄 स्टेटस बदला, नाम में बदलाव

कंपनी ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (RoC) में दर्ज रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, अपने नाम को “NoPaperForms Solutions Private Limited” से बदलकर अब “NoPaperForms Solutions Limited” कर लिया है।

इसके अलावा, बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर कंपनी को पब्लिक लिमिटेड एंटिटी में परिवर्तित कर दिया है, जो शेयर बाजार में लिस्टिंग के लिए एक अनिवार्य कदम है।


💰 IPO की योजना: 500–600 करोड़ रुपये का इश्यू

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी 2025 के अंत तक लगभग ₹500 से ₹600 करोड़ मूल्य का IPO लाने की तैयारी कर रही है। इस पब्लिक इश्यू के साथ NoPaperForms की संभावित वैल्यूएशन ₹2,000 करोड़ ($235 मिलियन) आंकी गई है।

इसके लिए कंपनी ने IIFL Capital और SBI Capital को अपने इन्वेस्टमेंट बैंकर्स के तौर पर नियुक्त किया है।


🧑‍💻 कंपनी का परिचय: SaaS फोकस्ड एजुकेशन सॉल्यूशंस

NoPaperForms की स्थापना 2017 में नवीन गोयल द्वारा की गई थी। यह एक vertical SaaS और embedded payments प्लेटफ़ॉर्म है, जो खासतौर पर शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions) की जरूरतों को पूरा करता है।

🛠️ प्रमुख प्रोडक्ट्स:

  1. Meritto:
    यह एक एंड-टू-एंड स्टूडेंट रीक्रूटमेंट मैनेजमेंट सॉल्यूशन है, जो लीड जनरेशन, एप्लिकेशन मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन, एनालिटिक्स और स्टूडेंट लाइफसाइकल ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर देता है।
  2. Collexo:
    यह एक डिजिटल फीस और पेमेंट मैनेजमेंट सिस्टम है, जो संस्थानों को आसान पेमेंट प्लान्स, ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग और फाइनेंशियल एनालिटिक्स की सुविधा देता है।

📈 वित्तीय प्रदर्शन: FY24 में मुनाफे में पहुंची कंपनी

NoPaperForms ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में पहली बार मुनाफा दर्ज किया है।

  • ✅ FY23 में कंपनी को ₹15.6 करोड़ का घाटा हुआ था
  • ✅ FY24 में कंपनी को ₹4 लाख का शुद्ध लाभ हुआ
  • ✅ कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹48 करोड़ से बढ़कर ₹70 करोड़ हो गया, जो कि 45% की साल-दर-साल वृद्धि है

इस लाभप्रदता ने IPO की संभावनाओं को और मजबूत किया है।


📊 हिस्सेदारी का ब्योरा

Startup डेटा प्लेटफ़ॉर्म TheKredible के अनुसार, कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी Info Edge (Naukri.com की पैरेंट कंपनी) के पास है:

  • 🔹 Info Edge – 47.9%
  • 🔹 नवीन गोयल (संस्थापक) – 30.17%
  • 🔹 बाकी हिस्सेदारी अन्य एंजेल और वेंचर निवेशकों के पास है

📌 हाल के अन्य पब्लिक बनने वाले स्टार्टअप्स

NoPaperForms अब उन स्टार्टअप्स की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने हाल ही में पब्लिक एंटिटी का दर्जा हासिल किया है और IPO की ओर बढ़ रहे हैं:

  • Amagi
  • Milky Mist (डेयरी ब्रांड)
  • PhonePe, Pine Labs, Razorpay (फिनटेक सेक्टर)
  • Meesho (e-commerce, जिसने हाल ही में reverse flip पूरा किया है और DRHP फाइल किया है)

📍 IPO का महत्व: भारतीय SaaS सेक्टर की नई ऊंचाई

Vertical SaaS स्पेस में NoPaperForms का यह कदम इस बात का संकेत है कि भारत में सेक्टर-स्पेसिफिक SaaS कंपनियों को निवेशकों से बेहतर रिस्पॉन्स मिल रहा है। EdTech में भरोसेमंद पेमेंट और मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की जरूरत तेजी से बढ़ रही है, और Meritto इस दिशा में एक प्रभावशाली खिलाड़ी बन कर उभरा है।


🔮 आगे की रणनीति

कंपनी अब:

  • 📌 अधिक एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस के साथ पार्टनरशिप करने
  • 📌 अपने AI-सक्षम फीचर्स को और मजबूत बनाने
  • 📌 देश-विदेश में अपने पेमेंट प्लेटफॉर्म Collexo को विस्तार देने
  • 📌 पब्लिक लिस्टिंग के ज़रिए ब्रांड वैल्यू और पूंजी को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है।

✍️ निष्कर्ष:

NoPaperForms (Meritto) का पब्लिक बनने और IPO लाने का निर्णय भारतीय SaaS स्टार्टअप इकोसिस्टम के परिपक्वता और निवेशकों के भरोसे का प्रतीक है। कंपनी ने जहां एक ओर वित्तीय रूप से खुद को मजबूत किया है, वहीं दूसरी ओर टेक्नोलॉजी और यूजर एक्सपीरियंस को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को आगे बढ़ाया है

📢 यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में Meritto का IPO बाजार में कैसा प्रदर्शन करता है और क्या यह अन्य SaaS कंपनियों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन पाता है या नहीं।


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🍔 Swiggy में हलचल: Citi ने बेचे ₹12.2 करोड़ के शेयर,

Swiggy

अमेरिका की बैंकिंग दिग्गज Citigroup Inc. की ब्रोकरेज इकाई Citigroup Global Markets ने भारतीय फूड डिलीवरी यूनिकॉर्न Swiggy में अपनी कुछ हिस्सेदारी फ्रांस की बैंकिंग दिग्गज BNP Paribas Financial Markets को बेच दी है।

यह ट्रांजैक्शन ब्लॉक डील के ज़रिए हुआ, जिसमें Citi ने Swiggy के 3.2 लाख शेयर ₹381 प्रति शेयर की दर पर BNP Paribas को बेचे, जिसकी कुल वैल्यू ₹12.2 करोड़ रही।

यह डील उस समय सामने आई है जब Swiggy अपने ‘Minis’ डिजिटल स्टोरफ्रंट प्लेटफॉर्म को बंद करने की तैयारी कर रहा है।


🧾 Citi और BNP Paribas के बीच सौदा: क्या है डील की अहमियत?

  • 💼 बेचे गए शेयर: 3.2 लाख
  • 💰 प्रति शेयर कीमत: ₹381
  • 📈 कुल डील वैल्यू: ₹12.2 करोड़
  • 🏦 खरीदार: BNP Paribas Financial Markets
  • 🏛️ बिक्रीकर्ता: Citigroup Global Markets

यह सौदा भारतीय शेयर बाजार के बुल्क डील सेगमेंट में रिकॉर्ड किया गया है, जो आमतौर पर तब होता है जब एक निवेशक बड़ी मात्रा में शेयर दूसरी फर्म को ट्रांसफर करता है।


🛑 Swiggy Minis: बंद होने की ओर

Swiggy अपने ‘Minis’ प्लेटफॉर्म को 10 अगस्त 2025 तक पूरी तरह से बंद कर देगा। यह प्लेटफॉर्म पिछले एक साल से Swiggy ऐप में एक्टिव नहीं था, जिससे संकेत मिल रहे थे कि यह एक फेज़्ड शटडाउन की प्रक्रिया में था।

Minis ने यूज़र्स को छोटे विक्रेताओं से घरेलू खाने, गिफ्ट्स, बेकिंग मटेरियल्स और अन्य ‘नॉन-फूड’ प्रोडक्ट्स खरीदने की सुविधा दी थी। हालांकि, Swiggy की मुख्य प्राथमिकता अब दो क्षेत्रोंफूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स — पर केंद्रित होती जा रही है।


📊 Swiggy के ताज़ा वित्तीय आंकड़े

Swiggy ने FY25 की अंतिम तिमाही (जनवरी–मार्च) में निम्नलिखित वित्तीय प्रदर्शन दर्ज किया:

  • 💸 कुल रेवेन्यू: ₹4,410 करोड़
  • 📉 कुल घाटा: ₹1,081 करोड़
  • 🍽️ फूड डिलीवरी का योगदान: 37%
  • क्विक कॉमर्स का योगदान: शेष प्रमुख हिस्सा

Swiggy की फूड डिलीवरी सेवाएं अभी भी उसकी राजस्व की सबसे बड़ी धुरी हैं, जबकि क्विक कॉमर्स (Instamart जैसी सेवाएं) ने भी तेज़ी से ग्रोथ दर्ज की है।


💹 शेयर बाज़ार में Swiggy की स्थिति

  • 📍 वर्तमान शेयर मूल्य: ₹392.2 (11:42 AM, 4 जुलाई 2025 तक)
  • 🧮 मार्केट कैप: ₹96,030 करोड़

हालांकि Swiggy अभी भी लॉस मेकिंग कंपनी बनी हुई है, लेकिन कंपनी का वैल्यूएशन और बाजार में भरोसा कायम है। BNP Paribas जैसे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की दिलचस्पी इसी ट्रस्ट को दर्शाती है।


🧐 BNP Paribas का रणनीतिक मूव

BNP Paribas Financial Markets की ओर से Swiggy में यह निवेश दर्शाता है कि फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेगमेंट में अभी भी ग्रोथ की उम्मीद है। इस सौदे से BNP को Swiggy जैसे अग्रणी ब्रांड में हिस्सेदारी मिली, जो आने वाले IPO की तैयारी कर रहा है।

यह डील Citi की रणनीतिक एग्ज़िट को भी दर्शाती है, जो Swiggy में अपने निवेश से लाभ लेकर बाहर निकलने का संकेत हो सकता है।


🔮 Swiggy का आगे का रोडमैप

Swiggy आने वाले समय में इन पहलुओं पर फोकस कर सकता है:

  1. 📈 लाभप्रदता (Profitability) की दिशा में काम
  2. 🛒 Instamart और क्विक कॉमर्स सेगमेंट का विस्तार
  3. 📲 टेक्नोलॉजी और डिलीवरी ऑप्टिमाइज़ेशन
  4. 🧾 IPO की ओर कदम — Swiggy के IPO की अफवाहें पहले से ही चल रही हैं

हाल ही में, Swiggy ने अपने IPO के लिए DRHP दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस डील से पहले ही निवेशकों का मूड सकारात्मक दिख रहा है।


📣 निष्कर्ष

Citi द्वारा BNP Paribas को Swiggy के शेयर बेचना और Minis प्लेटफॉर्म का बंद होना, दोनों घटनाएं इस बात के संकेत हैं कि Swiggy अब अपने कोर बिज़नेस – फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स – पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहा है।

🔍 BNP Paribas का निवेश यह दिखाता है कि विदेशी निवेशक भारतीय उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों पर भरोसा बनाए हुए हैं, खासकर उन पर जो स्केलेबल और टेक-ड्रिवन हों।

💡 Swiggy जैसे यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के लिए अब लाभप्रदता की दिशा में बढ़ना और IPO की ओर सफर तय करना प्राथमिक लक्ष्य बनता जा रहा है। आने वाले महीनों में Swiggy के कदम भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए दिशा तय कर सकते हैं।

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💪FitFeast ने ₹5.5 करोड़ की फंडिंग जुटाई,

FitFeast

प्रोटीन आधारित न्यूट्रिशन ब्रांड FitFeast ने अपने सीड फंडिंग राउंड में ₹5.5 करोड़ (लगभग $642,000) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Inflection Point Ventures (IPV) ने किया, जिसमें Raghav Singhal (Swasthum Wellness), Santosh Govindaraju और Aabhas Khanna जैसे प्रतिष्ठित निवेशकों ने भी भाग लिया।

इस ताज़ा पूंजी से कंपनी D2C (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) मॉडल को मज़बूत बनाएगी, मेट्रो और टियर-I शहरों में डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क फैलाएगी, नए फ्लेवर-बेस्ड प्रोटीन प्रोडक्ट्स लॉन्च करेगी और मार्केटिंग में भी भारी निवेश करेगी।


🧑‍🍳 FitFeast: स्वाद के साथ सेहत का वादा

2021 में Aditya Poddar द्वारा स्थापित FitFeast एक न्यूट्रिशन-फर्स्ट ब्रांड है, जो भारतीय टेस्ट को ध्यान में रखते हुए हाई-प्रोटीन स्नैक्स की रेंज पेश करता है। इसके कुछ प्रमुख प्रोडक्ट्स हैं:

🍿 Protein Chips – स्वादिष्ट लेकिन हेल्दी स्नैक
🥤 Malai Kulfi Protein Shake – पारंपरिक स्वाद में फिटनेस का तड़का
🍫 Dessert-Inspired Protein Bars – मिठास भी और मसल्स भी
🥜 Flavoured Nut Butters – एनर्जी और टेस्ट दोनों से भरपूर

FitFeast का मानना है कि प्रोटीन सिर्फ बॉडीबिल्डर्स की ज़रूरत नहीं, बल्कि यह हर इंडियन डाइट का ज़रूरी हिस्सा होना चाहिए।


📦 डिजिटल विस्तार और 20,000+ पिनकोड में पहुंच

FitFeast का बिज़नेस मॉडल मुख्य रूप से Direct-to-Consumer (D2C) है। हालांकि, यह ज़ेप्टो, अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे मार्केटप्लेस और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।

  • 📍देशभर में 20,000 से ज्यादा पिनकोड में डिलीवरी
  • 🛒 ऑनलाइन बिक्री से तेज़ी से बढ़ रही मौजूदगी
  • 🧑‍💻 अब कंपनी डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया पर भी और ज़ोर दे रही है

📺 Shark Tank India से लेकर क्रिकेट पिच तक पहुंचा ब्रांड

FitFeast को व्यापक पहचान तब मिली जब यह Shark Tank India Season 4 में दिखाई दिया। वहां से मिली प्रसिद्धि ने न केवल ग्राहकों को जोड़ा, बल्कि क्रिकेटर्स Shane Watson और Axar Patel को भी आकर्षित किया, जो अब कंपनी में निवेशक और ब्रांड एंबेसडर दोनों बन चुके हैं।

🏏 शेन वॉटसन – अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और फिटनेस आइकन
🏏 अक्षर पटेल – इंडियन क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर

इन दो सितारों की मौजूदगी से ब्रांड को न सिर्फ प्रमोशन मिला है, बल्कि फिटनेस के प्रति लोगों का भरोसा भी बढ़ा है।


📈 तेज़ी से बढ़ता कारोबार और नई योजनाएं

  • 💸 मासिक राजस्व ₹50 लाख से पार
  • 🚀 पिछले 4 महीनों में 5x ग्रोथ
  • 🛍️ अब तक 1 करोड़ ग्राम से अधिक प्रोटीन की बिक्री
  • 📍मेट्रो और टियर-I शहरों में फिजिकल डिस्ट्रीब्यूशन को मज़बूत करने की योजना
  • 🧪 नए प्रोडक्ट्स और फ्लेवर वेरिएंट्स लॉन्च की तैयारी

Aditya Poddar का कहना है:

“हम FitFeast को ऐसा ब्रांड बनाना चाहते हैं जो हेल्थ और स्वाद दोनों को बैलेंस करे। हमारी कोशिश है कि प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्व को हर घर तक स्वादिष्ट रूप में पहुंचाया जा सके।”


🧠 निवेश कहां और कैसे होगा इस्तेमाल?

फंडिंग से FitFeast इन प्रमुख क्षेत्रों में निवेश करेगा:

  1. 📱 डिजिटल मार्केटिंग और कंटेंट क्रिएशन
  2. 🚚 सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स का विस्तार
  3. 🧪 नए प्रोडक्ट्स की R&D और फ्लेवर इनोवेशन
  4. 🏙️ मेट्रो और टियर-I शहरों में रिटेल चैनल की मजबूती
  5. 🤝 लीडरशिप और टीम विस्तार – अनुभव और एक्सपर्टाइज़ बढ़ाने पर ध्यान

🏋️‍♂️ प्रोटीन सेगमेंट में बढ़ती प्रतियोगिता

भारत में हेल्थ-फूड और प्रोटीन आधारित प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। FitFeast का सीधा मुकाबला इन ब्रांड्स से है:

  • MyFitness (Nut butters)
  • Max Protein (Protein Bars)
  • Yogabar
  • The Whole Truth
  • MuscleBlaze

हालांकि, FitFeast खुद को बाकी ब्रांड्स से अलग भारतीय स्वाद और मल्टी-फॉर्मेट प्रोटीन प्रोडक्ट्स के ज़रिए पोजिशन कर रहा है।


🔮 भविष्य की रणनीति: भारत से ग्लोबल तक

FitFeast की अगली योजना है:

  • 🇮🇳 भारत के टियर-II और टियर-III शहरों में भी पहुंच
  • 🌎 UAE और Southeast Asia जैसे इंटरनेशनल मार्केट्स की एक्सप्लोरेशन
  • 👩‍⚕️ न्यूट्रिशनिस्ट्स और फिटनेस एक्सपर्ट्स के साथ पार्टनरशिप
  • 📱 हेल्थ-ट्रैकिंग और डायट प्लान ऐप्स के साथ इंटीग्रेशन

🧾 निष्कर्ष

FitFeast का ₹5.5 करोड़ का सीड फंडिंग राउंड यह साबित करता है कि भारत में हेल्थ-फोकस्ड, टेस्ट-ड्रिवन ब्रांड्स की भारी डिमांड है।

क्रिकेट सितारों की मौजूदगी, डिजिटल स्केलेबिलिटी और स्वाद के साथ सेहत का अनोखा मेल FitFeast को इस भीड़ में अलग बनाता है। आने वाले समय में यह ब्रांड भारतीय फिटनेस फूड इंडस्ट्री में एक प्रमुख नाम बन सकता है।

FitFeast कहता है – अब स्वाद भी फिटनेस का हिस्सा है! 💪🍫🥜

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🧬 Luma Fertility ने जुटाए $4 मिलियन,

Luma Fertility

फर्टिलिटी-टेक स्टार्टअप Luma Fertility ने अपनी सीड फंडिंग राउंड में $4 मिलियन (लगभग ₹33 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Peak XV Partners के Surge प्रोग्राम ने किया, जिसमें Ameera Shah (Metropolis Healthcare) और Vijay Taparia (B2V Ventures) जैसे प्रसिद्ध निवेशकों ने भी भाग लिया।

यह निवेश Luma को मुंबई में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने और अगले दो वर्षों में भारत के अन्य प्रमुख शहरों तक पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा।


👩‍⚕️ Neha K. Motwani की अगुवाई में नई उम्मीद

Luma Fertility की स्थापना Neha K. Motwani ने की है, जो इससे पहले फिटनेस मार्केटप्लेस Fitternity की संस्थापक रह चुकी हैं। Fitternity को Cult.fit ने फरवरी 2021 में अधिग्रहित किया था। अब Neha एक बार फिर हेल्थटेक की दुनिया में Luma के माध्यम से नई शुरुआत कर रही हैं।


🏥 Bandra में लॉन्च हुआ Luma का टेक-सक्षम क्लिनिक

Luma Fertility ने मुंबई के Bandra में अपना पहला और प्रमुख 6,000 वर्ग फुट का टेक-सक्षम क्लिनिक शुरू किया है। यह क्लिनिक पारंपरिक IVF सेवाओं से आगे बढ़कर एक “होलीस्टिक फर्टिलिटी सेंटर” की तरह कार्य करता है, जहां निम्न सेवाएं शामिल हैं:

  • IVF और IUI उपचार
  • अंडाणु और भ्रूण फ्रीज़िंग
  • फर्टिलिटी मूल्यांकन और प्रीकंसेप्शन केयर
  • पोषण, IV थेरेपी, एक्यूपंक्चर जैसी वैकल्पिक चिकित्सा
  • घर बैठे सीमेन टेस्टिंग

📱 टेक्नोलॉजी-समर्थित IVF ऐप और AI असिस्टेंट

Luma अपने मरीज़ों के लिए एक समर्पित मोबाइल ऐप भी प्रदान करता है जिसमें:

  • Journey Tracker: हर स्टेज पर रियल-टाइम अपडेट
  • Lab Reports: तुरंत मोबाइल पर
  • LumaAI: एक 24×7 AI असिस्टेंट जो मरीज़ों को दवाइयों, शेड्यूल और मार्गदर्शन में सहायता करता है
  • Transaparency First Policy: इलाज की हर प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता
  • Dedicated Care Team: हर मरीज़ के लिए एक विशेष टीम

📉 भारत में घटती फर्टिलिटी दर और बढ़ती IVF डिमांड

एक हालिया रिसर्च के अनुसार, भारत की कुल फर्टिलिटी दर 2.1 से घटकर 1.9 हो चुकी है — जो “replacement level” से नीचे है। इसके चलते:

  • IVF साइकल्स की संख्या 2024 में 3.2 लाख से बढ़कर 2028 तक 5.5 लाख तक पहुंचने की संभावना है।
  • खासकर शहरी मिलेनियल्स और Gen-Z की लाइफस्टाइल में देरी से पैरेंटहुड की योजना आम हो गई है, जिससे egg/embryo freezing जैसी सेवाओं की मांग बढ़ रही है।

Luma इन्हीं ज़रूरतों को ध्यान में रखकर “future fertility planning” पर फोकस कर रही है।


🎯 आगे की रणनीति: मुंबई से बाहर विस्तार

निवेश के बाद Luma Fertility की योजना है कि:

  • मुंबई में अधिक क्लिनिक खोले जाएं
  • अगले 2 वर्षों में दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद जैसे शहरों में विस्तार किया जाए
  • R&D और टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर को और सशक्त बनाया जाए
  • IVF सेवाओं के साथ-साथ egg/embryo freezing को भी केंद्र में लाया जाए

🌐 कौन हैं Luma के प्रमुख निवेशक?

निवेशक का नामभूमिका
Surge (Peak XV)लीड इन्वेस्टर
Ameera ShahMetropolis Healthcare की MD
Vijay TapariaB2V Ventures

इन सभी निवेशकों का स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्र में गहरा अनुभव है, जिससे Luma को रणनीतिक मार्गदर्शन भी मिलेगा।


📊 फर्टिलिटी-टेक स्पेस में बढ़ती स्पर्धा

भारत में IVF और फर्टिलिटी क्षेत्र में पहले से ही कई बड़े खिलाड़ी मौजूद हैं, जैसे:

  • Nova IVF Fertility
  • Indira IVF
  • Cloudnine Fertility
  • Birla Fertility & IVF

हालांकि, Luma Fertility अपनी टेक्नोलॉजी-फर्स्ट अप्रोच, AI असिस्टेंट और पारदर्शिता आधारित मॉडल के कारण खुद को इस क्षेत्र में अलग पहचान दिलाने की कोशिश कर रही है।


🤝 “फर्टिलिटी” को बनाए सबके लिए सुलभ

संस्थापक Neha Motwani का मानना है कि:

“फर्टिलिटी एक व्यक्तिगत, भावनात्मक और जानकारी से भरपूर यात्रा है। हम चाहते हैं कि हर कपल को सही मार्गदर्शन, तकनीकी सहायता और व्यक्तिगत केयर मिले। Luma का मकसद IVF को सामान्य बनाना और इसके चारों ओर फैले डर को कम करना है।”


🧪 निष्कर्ष

Luma Fertility का यह $4 मिलियन का निवेश भारतीय हेल्थटेक और फर्टिलिटी सेगमेंट के लिए सकारात्मक संकेत है। यह न केवल निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय स्टार्टअप्स अब उन क्षेत्रों में भी इनोवेशन ला रहे हैं जहां अब तक पारंपरिक सोच हावी थी।

Mumbai से शुरू होकर अब Luma Fertility देशभर में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की तैयारी में है।

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🌊Cosma ने जुटाए $2.9 मिलियन 💰

Cosma

समुद्री जीवन और पर्यावरण के संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही Nice, France स्थित स्टार्टअप Cosma ने हाल ही में $2.9 मिलियन (लगभग ₹24 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। यह फंडिंग राउंड WIND और Ternel द्वारा लीड किया गया, जिसमें 50 Partners, Caisse d’Épargne Côte d’Azur, और IFREMER जैसे प्रमुख संस्थानों ने भी भाग लिया।

Cosma अब इस फंडिंग के जरिए अपने ऑपरेशन्स और वैश्विक विस्तार की योजनाओं को गति देगा।


🧠 Cosma क्या करता है?

Cosma एक “benthic monitoring startup” है—यानी यह समुद्र की गहराई (seafloor) पर मौजूद जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी करने वाला स्टार्टअप है। इसकी तकनीक का मकसद है:

  • समुद्री जीवन की मैपिंग करना
  • समुद्री जैव विविधता की तस्वीरें और डाटा तैयार करना
  • संरक्षित प्रजातियों (protected species) की पहचान करना

यह कार्य विशेष प्रकार के छोटे पानी के नीचे चलने वाले ड्रोन (underwater drones) के जरिए होता है जो समुद्र की सतह से कुछ ही ऊपर तैरते हुए कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की मैपिंग करते हैं।


🧭 कैसे काम करता है Cosma का सिस्टम?

Cosma की तकनीक तीन मुख्य हिस्सों में बंटी है:

1️⃣ अंडरवाटर ड्रोन:

छोटे आकार के स्वचालित ड्रोन समुद्र की सतह के ठीक ऊपर उड़ते हुए फोटोग्राफिक मैपिंग करते हैं। ये ड्रोन कम लागत में बड़ा क्षेत्र कवर कर सकते हैं।

2️⃣ क्लाउड-नेटीव प्लेटफ़ॉर्म:

मैपिंग के बाद, सारी जानकारी Cosma के क्लाउड-आधारित सिस्टम में जाती है। यह प्लेटफ़ॉर्म अत्याधुनिक तकनीकों से फोटो, वीडियो और डाटा को प्रोसेस करता है।

3️⃣ AI टूलबॉक्स:

Cosma के पास एक खास AI आधारित टूलकिट है जो समुद्र की सतह की 3D मॉडलिंग, प्रजातियों की पहचान, और पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी करता है।


🌍 किनके साथ काम करता है Cosma?

Cosma ने दुनिया की कुछ बड़ी संस्थाओं के साथ साझेदारी की है:

  • 🌱 WWF (World Wildlife Fund) – समुद्री जीवन के संरक्षण के लिए
  • 🔋 RWE – एक ऊर्जा कंपनी, जो समुद्री पवन ऊर्जा में काम करती है
  • 🏗️ EGIS – इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण प्लानिंग से जुड़ी कंपनी

इन ग्राहकों के साथ Cosma समुद्र के भीतर की जानकारी जुटाकर सतत विकास, ईको-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर, और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग में मदद कर रहा है।


📈 फंडिंग का इस्तेमाल कहां होगा?

Cosma के CEO Frédéric Mittaine के अनुसार, यह फंडिंग कंपनी को इन क्षेत्रों में मदद करेगी:

  • ऑपरेशन्स का विस्तार – नए बाजारों में प्रवेश, जैसे भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका।
  • रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) – AI और मशीन लर्निंग क्षमताओं को और मज़बूत करना।
  • प्रोडक्ट डेप्लॉयमेंट – अधिक ड्रोन यूनिट्स का निर्माण और समुद्री मिशनों को स्केल करना।

🔬 भारत और अन्य देशों के लिए क्या मायने रखता है Cosma?

भारत जैसे समुद्री राष्ट्र के लिए Cosma की तकनीक कई मायनों में उपयोगी हो सकती है:

  • कोस्टल इकोसिस्टम की निगरानी (जैसे सुंदरबन या अंडमान निकोबार द्वीप)
  • ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स के इकोलॉजिकल प्रभावों का आकलन
  • मत्स्य पालन क्षेत्र में संसाधनों का बेहतर प्रबंधन
  • पर्यावरणीय आपदा (जैसे ऑयल स्पिल) के प्रभाव का तुरंत विश्लेषण

अगर Cosma भारत में अपने प्रोडक्ट और सेवाएं लाता है, तो यह ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) को नई दिशा दे सकता है।


🤖 स्टार्टअप्स में तकनीक का बढ़ता रोल

Cosma जैसे स्टार्टअप्स यह दिखाते हैं कि कैसे:

  • AI और डेटा एनालिटिक्स सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समुद्र जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी काम कर रहे हैं।
  • क्लाइमेट टेक और ओशनटेक जैसी नई श्रेणियों में इनोवेशन हो रहा है।
  • दुनियाभर में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में स्टार्टअप्स अहम भूमिका निभा रहे हैं।

📅 आगे का रोडमैप

Cosma ने बताया है कि:

  • पहले 20 यूनिट्स का निर्माण हो चुका है
  • ये यूनिट्स 2025 के अंत तक भारत समेत कई देशों में तैनात किए जाएंगे
  • कंपनी दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका में साझेदारियाँ तलाश रही है
  • भारत और अमेरिका में डायरेक्ट सेल्स मॉडल, जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में व्हाइट-लेबल डील्स पर काम होगा

🔚 निष्कर्ष

Cosma एक ऐसा उदाहरण है जो यह दिखाता है कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ई-कॉमर्स तक सीमित नहीं है। पर्यावरण और समुद्री पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है।

भारत में ऐसे समाधानों की ज़रूरत और संभावनाएं दोनों मौजूद हैं। अब देखना यह है कि Cosma कब और कैसे भारतीय बाजार में प्रवेश करता है, और क्या वह भारत की ब्लू इकोनॉमी का हिस्सा बन पाता है या नहीं।

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📊 Pine Labs को मिला नया CFO

Pine Labs

डिजिटल पेमेंट्स और मर्चेंट सॉल्यूशंस देने वाली प्रमुख कंपनी Pine Labs ने अपने बहुप्रतीक्षित IPO से ठीक पहले नेतृत्व टीम में एक अहम बदलाव किया है। कंपनी ने समीर कमाथ (Sameer Kamath) को अपना नया चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) नियुक्त किया है।

यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब Pine Labs ने हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया है और ₹2,600 करोड़ का सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने की तैयारी में है।


👨‍💼 कौन हैं समीर कमाथ?

समीर कमाथ वर्तमान में मुंबई स्थित निवेश बैंक Avendus Capital में ग्रुप CFO के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने वित्तीय सेवाओं की दुनिया में दो दशक से अधिक का अनुभव प्राप्त किया है। Avendus से पहले, वे Motilal Oswal में भी ग्रुप CFO रह चुके हैं।

Pine Labs में वे मार्क माथेंज (Marc Mathenz) की जगह ले रहे हैं, जिन्होंने जून 2025 में कंपनी से विदाई ली थी—सिर्फ कुछ ही दिन पहले जब Pine Labs ने SEBI के पास अपना IPO ड्राफ्ट फाइल किया था।


🧾 IPO से पहले नेतृत्व को मजबूत करने की रणनीति

समीर कमाथ की नियुक्ति Pine Labs की IPO योजना के लिहाज से बेहद रणनीतिक मानी जा रही है। एक अनुभवी CFO कंपनी को:

  • सार्वजनिक बाजार की रिपोर्टिंग ज़िम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाने में मदद करता है।
  • निवेशकों के साथ पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाता है।
  • पूंजी संरचना और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मज़बूत करता है।

⚖️ कानूनी टीम में भी वापसी: शालिनी सक्सेना की दोबारा एंट्री

सिर्फ CFO ही नहीं, Pine Labs की कानूनी टीम में भी बड़ा बदलाव हुआ है। शालिनी सक्सेना, जो कि 2019 से 2022 के बीच Pine Labs की जनरल काउंसल (General Counsel) रही थीं, एक बार फिर इसी पद पर कंपनी से जुड़ने जा रही हैं।

सक्सेना ने 2022 में Pine Labs छोड़कर क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX में कानूनी प्रमुख का पद संभाला था। अब वे फिर से Pine Labs की कानूनी रणनीति और IPO से संबंधित compliances को लीड करेंगी।


🧠 मौजूदा लीडरशिप टीम

Pine Labs की मौजूदा कार्यकारी टीम में कई अनुभवी अधिकारी पहले से कार्यरत हैं:

  • अमरीश राउ – CEO (पूर्व PayU टॉप एक्जीक्यूटिव)
  • कुश मेहरा – Chief Business Officer
  • सुमित चोपड़ा – Chief Operating Officer
  • नवीन चांदानी – Issuing Business के Chief Business Officer

इन सभी अधिकारियों के साथ अब समीर कमाथ और शालिनी सक्सेना की वापसी Pine Labs की बोर्ड और लीडरशिप की मज़बूती को और बढ़ाएगी।


💰 IPO डिटेल्स: क्या है Pine Labs की योजना?

Pine Labs ने 27 जून 2025 को SEBI के पास अपना DRHP फाइल किया। इस प्रस्ताव में कंपनी:

  • ₹2,600 करोड़ का फ्रेश इश्यू जारी करेगी।
  • साथ ही, मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 147.8 मिलियन शेयरों का OFS (Offer for Sale) किया जाएगा।

कंपनी का लक्ष्य है कि इस IPO से उसे $4.5–5 बिलियन की वैल्यूएशन मिले। यह भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल IPO में से एक हो सकता है।


🏦 प्रमुख निवेशक

Pine Labs के मौजूदा शेयरधारकों में कई बड़े नाम शामिल हैं:

  • Peak XV Partners (पूर्व Sequoia Capital India)
  • Mastercard
  • PayPal
  • Actis

इनमें से कई निवेशकों ने कंपनी में वर्षों पहले निवेश किया था और अब OFS के ज़रिए आंशिक रूप से एग्ज़िट करना चाहते हैं।


🛍️ Pine Labs क्या करती है?

Pine Labs एक मर्चेंट पेमेंट और डिजिटल फाइनेंस पर केंद्रित टेक कंपनी है। यह व्यापारियों को:

  • POS टर्मिनल सेवाएं,
  • Buy Now Pay Later (BNPL),
  • कस्टमर लोन ऑफरिंग,
  • गिफ्ट कार्ड और वाउचर मैनेजमेंट,

जैसी सेवाएं देती है। इसका प्लेटफॉर्म भारत के साथ-साथ सिंगापुर, मलेशिया और UAE जैसे देशों में भी कार्यरत है।


📉 बीते सालों की तैयारी और रोडमैप

Pine Labs पिछले दो वर्षों से IPO की तैयारी कर रही थी। कंपनी ने पहले US में लिस्टिंग पर विचार किया था, लेकिन अब घरेलू बाजार में IPO लाने का फैसला लिया है।

यह कदम कंपनी को:

  • निवेशकों से नई पूंजी जुटाने,
  • अपने ब्रांड को और मज़बूती देने,
  • और अधिग्रहण या विस्तार योजनाओं में मदद करेगा।

🔚 निष्कर्ष

Pine Labs का समीर कमाथ को CFO बनाना और शालिनी सक्सेना की वापसी, दोनों यह दर्शाते हैं कि कंपनी अपने IPO से पहले नेतृत्व, वित्त और कानूनी ढांचे को मज़बूत करना चाहती है।

इस रणनीतिक तैयारी से यह स्पष्ट होता है कि Pine Labs सार्वजनिक कंपनी के तौर पर अपने भविष्य को लेकर गंभीर है और निवेशकों के लिए यह एक मज़बूत अवसर हो सकता है।

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💡 CIMware ने जुटाए $2.3 मिलियन

CIMware

भारत के तकनीकी स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक और गहरा नवाचार देखने को मिला है। बेंगलुरु स्थित डीप-टेक स्टार्टअप CIMware ने हाल ही में $2.3 मिलियन (लगभग ₹19 करोड़) की pre-Series A फंडिंग जुटाई है। इस निवेश का नेतृत्व Transition VC ने किया है, जो कि ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) पर केंद्रित एक वेंचर कैपिटल फर्म है।

💼 स्टार्टअप का उद्देश्य और तकनीक

CIMware, जिसकी स्थापना अनुभवी टेक्नोक्रेट राजीव गंठ ने की है, डेटा सेंटर हार्डवेयर को नई दिशा देने की ओर अग्रसर है। राजीव इससे पहले CloudSimple India के प्रमुख रह चुके हैं, जिसे बाद में Google ने अधिग्रहित कर लिया था।

CIMware ने एक क्रांतिकारी उत्पाद विकसित किया है — Composable Infrastructure Module (CIM)। यह एक स्मार्ट टॉप-ऑफ-रैक स्विच है, जो कंप्यूट, स्टोरेज और नेटवर्किंग को एक ही यूनिट में समाहित करता है। परंपरागत डेटा सेंटर सेटअप की तुलना में यह समाधान अधिक कुशल, किफायती और पर्यावरण-सम्मत है।


⚙️ CIMware के प्रमुख फ़ायदे

  1. 🔋 ऊर्जा की खपत में 80% तक की कटौती — कंपनी का दावा है कि CIM तकनीक डेटा सेंटरों की पावर यूटिलाइजेशन को बड़ी मात्रा में कम कर सकती है।
  2. 💰 कुल स्वामित्व लागत में कमी (TCO) — इंफ्रास्ट्रक्चर, मेंटेनेंस और ऑपरेशनल खर्चों में उल्लेखनीय गिरावट संभव है।
  3. 🏢 स्पेस ऑप्टिमाइजेशन — यह टेक्नोलॉजी कम जगह में ज्यादा क्षमता प्रदान करती है, जिससे डेटा सेंटर डिज़ाइन अधिक किफायती बनता है।

🏭 उत्पादन और विस्तार योजनाएं

CIMware ने अपनी पहली 20 यूनिट्स का उत्पादन शुरू कर दिया है। ये यूनिट्स 2025 के अंत तक भारत के प्रमुख डेटा सेंटरों में स्थापित की जाएंगी। इस उत्पादन के लिए कंपनी अपने हार्डवेयर निर्माण क्षमता को तेजी से बढ़ा रही है और R&D (अनुसंधान और विकास) पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।


🌐 वैश्विक विस्तार की योजना

CIMware भारत में प्रत्यक्ष बिक्री (Direct Sales) और अमेरिका में भी इसी मॉडल के तहत विस्तार की योजना बना रही है। साथ ही, यह साउथ कोरिया, यूनाइटेड किंगडम (UK), और संयुक्त राज्य अमेरिका (US) जैसे उन्नत बाजारों में साझेदारी (partnerships) के अवसर तलाश रही है।

साउथ ईस्ट एशिया के लिए कंपनी व्हाइट लेबल डील्स पर भी विचार कर रही है ताकि वहां के बाजार में बिना ब्रांड नाम के उपकरणों की आपूर्ति कर सके।


🧪 तकनीकी नवाचार और ऊर्जा संकट समाधान

आज जब दुनिया ऊर्जा संकट, डेटा सुरक्षा और क्लाउड डिप्लॉयमेंट की चुनौतियों से जूझ रही है, CIMware जैसे स्टार्टअप “ग्रीन डेटा सेंटर” को संभव बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

Transition VC, जो कि ऊर्जा संक्रमण पर फोकस करता है, ने इस निवेश को एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में देखा है जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायक हो सकता है।


💬 संस्थापक का विज़न

CIMware के संस्थापक राजीव गंठ का कहना है:

“हम सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर का भविष्य बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम न केवल ऊर्जा की बचत करें, बल्कि अगली पीढ़ी की डेटा सेवाओं के लिए आधार भी तैयार करें। भारत और वैश्विक बाजार दोनों में हमारी तकनीक की जबरदस्त संभावनाएं हैं।”


📈 भारतीय डीप-टेक स्टार्टअप स्पेस में बढ़ती हलचल

भारत में हाल के वर्षों में डीप-टेक और हार्डवेयर-फोकस्ड स्टार्टअप्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। जहां एक ओर ज़्यादातर स्टार्टअप सॉफ़्टवेयर और डिजिटल सेवाओं पर केंद्रित रहे हैं, वहीं CIMware जैसे इनोवेटर्स क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी और हाई-परफॉर्मेंस हार्डवेयर के क्षेत्र में नया रास्ता बना रहे हैं।

यह बदलाव देश के “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसे अभियानों के अनुरूप भी है।


🏁 निष्कर्ष

CIMware का उद्देश्य सिर्फ तकनीकी नवाचार करना नहीं, बल्कि डेटा सेंटर के पारंपरिक मॉडल को पुनर्परिभाषित करना है। पर्यावरणीय जिम्मेदारी, लागत की प्रभावशीलता और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का मेल इसे भारत के सबसे आशाजनक डीप-टेक स्टार्टअप्स में शुमार करता है।

भविष्य में, जैसे-जैसे डेटा की मांग बढ़ेगी, CIMware जैसे स्टार्टअप्स की भूमिका स्ट्रेटेजिक टेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेयर्स के रूप में अहम होती जाएगी।

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🇮🇳 स्टार्टअप्स की half yearly report 2025 $7 बिलियन की फंडिंग,🚀📊

half yearly report

2025 की पहली half yearly report भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग $7 बिलियन जुटाए हैं। यह फंडिंग स्तर 2024 जैसी ही स्थिरता बनाए हुए है। इस दौरान 4 डील्स $200 मिलियन से अधिक की रहीं और IPO फाइलिंग्स तथा नए फंड लॉन्च ने इनोवेशन इकोसिस्टम को मजबूती दी है।

💸 कुल फंडिंग का विवरण:

TheKredible के अनुसार जनवरी से जून 2025 के बीच कुल $6.72 बिलियन की फंडिंग हुई:

  • 148 ग्रोथ व लेट-स्टेज डील्स: $5.15 बिलियन
  • 404 अर्ली स्टेज डील्स: $1.57 बिलियन
  • 74 डील्स की राशि सार्वजनिक नहीं की गई।

🦄 यूनिकॉर्न क्लब में नए सदस्य

इस अवधि में Jumbotail, Drools, Porter, Netradyne और Juspay जैसे 5 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, सभी बेंगलुरु आधारित हैं। Tracxn की रिपोर्ट के अनुसार भारत अब अमेरिका और यूके के बाद तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप फंडिंग डेस्टिनेशन बन गया है।

📈 साल-दर-साल और महीने-दर-महीने तुलना

  • H1 2024 में भी फंडिंग $7B के करीब थी
  • H1 2023: $6B से कम
  • H1 2022: $20B (पीक)
  • जून 2025 में फंडिंग घटकर $1B से कम रह गई — यह इस साल तीसरी बार हुआ।

🏢 टॉप 10 ग्रोथ स्टेज डील्स

स्टार्टअपफंडिंग (USD)
Impetus AI$350M
Innovaccer$275M
Zolve$251M
Porter$120M+
Darwinbox$140M
Spinny$120M
Infra.Market$110M
Raphe mPhibr$100M
Jumbotail$100M
Leap Finance$98M

🌱 टॉप अर्ली स्टेज डील्स

स्टार्टअपफंडिंग (USD)
PB Healthcare$218M
Saarthi Finance$55.5M
Atomicwork$25M
EKA Mobility$23.3M
Sanlayan$22M
Lucidity$21M

🤝 मर्जर और अधिग्रहण (M&A)

  • HUL ने Minimalist को $350M में खरीदा
  • Everstone ने Wingify को $200M में अधिग्रहित किया
  • Delhivery ने Ecom Express को $166M में लिया
  • अन्य: Razorpay, InCred, Findi ने भी अधिग्रहण किए

🏙️ शहरवार फंडिंग ट्रेंड्स

शहरफंडिंग (USD)डील्स
बेंगलुरु$2.93B218
दिल्ली-NCR$1.62B166
मुंबई$880M99
चेन्नई$136M28
पुणे$180M35

🔍 सेक्टरवार ट्रेंड्स

सेक्टरफंडिंग (USD)
Fintech$1.58B
Healthtech$828M
E-commerce$684M
AI$523M
Foodtech$237M

📊 स्टेज-वाइज फंडिंग

  • Series B: $1.35B
  • Series D: $1.01B
  • Series A: $960M
  • Seed Stage: 200+ डील्स
  • Series C: $788M
  • Debt Funding: $413M

❌ छंटनी, बंद और प्रस्थापनाएं

  • VerSe, Gupshup, Zypp ने की छंटनी
  • Ola Electric और Zomato ने 1,000+ कर्मचारियों को हटाया
  • कुल छंटनी H1 2025 में ~1,000 रही — H1 2024 की तुलना में 70% कम

🔁 Q1 बनाम Q2 तुलना और ट्रेंड्स

  • IPO फाइलिंग में तेजी: Shadowfax, PhysicsWallah, boAt, Shiprocket, Pine Labs, Groww आदि
  • वर्टिकल M&A में तेजी: Razorpay ने POP, InCred ने Stocko, Findi ने BANKIT खरीदे
  • बड़े वेंचर फंड्स लॉन्च: A91 ($665M), Accel ($650M), L Catterton ($600M) आदि

🔮 निष्कर्ष:

2025 की पहली छमाही में स्टार्टअप फंडिंग ने स्थिरता दिखाई है, खासकर Fintech, Healthtech और AI जैसे क्षेत्रों में। IPO फाइलिंग्स की रफ्तार और M&A की गतिविधियां यह संकेत देती हैं कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है।

हालांकि, E-commerce और Foodtech में निवेश घट सकता है और आगे चलकर कंसॉलिडेशन देखने को मिल सकता है। Curefoods का संभावित IPO इस स्पेस की वैल्यूएशन को लेकर अहम संकेत देगा।

2025 की दूसरी छमाही में और अधिक IPOs, deeptech व agritech में संभावित फंडिंग और घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। देखते हैं आगे क्या होता है — लेकिन अब तक का सफर उम्मीद से बेहतर रहा है।

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🚀CoinDCX को-फाउंडर की साझेदारी में लॉन्च हुआ Astrobase,

Astrobase

भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी दुनिया में एक नई पहचान बना रही है, और अब इस क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। CoinDCX के सह-संस्थापक नीरज खंडेलवाल ने ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों — देवकुमार थमिसेट्टी, पवन कुमार और प्रशांत एम — के साथ मिलकर Astrobase नाम की एक स्पेसटेक कंपनी लॉन्च की है। यह स्टार्टअप भारत में कम लागत वाली, हाई-पेलोड लॉन्च व्हीकल्स तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।


🌌 Astrobase: भारत के लिए अगली पीढ़ी की स्पेस लॉन्च टेक्नोलॉजी

Astrobase का उद्देश्य बढ़ती सैटेलाइट लॉन्च डिमांड को पूरा करना है, खासकर वैश्विक स्तर पर कमर्शियल और डिफेंस उपग्रहों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए। कंपनी का फोकस एक ऐसे रॉकेट सिस्टम पर है, जो न केवल भारी पेलोड ले जाने में सक्षम हो, बल्कि लॉन्च कॉस्ट को भी बहुत हद तक कम कर सके।

Astrobase एक मिथेन-ऑक्सीजन फ्यूल्ड फुल फ्लो स्टेज्ड कंबशन इंजन पर काम कर रही है, जो 3 से 10 टन तक के पेलोड को ले जाने में सक्षम होगा। कंपनी तीन तरह के लॉन्च व्हीकल्स तैयार करने की योजना पर काम कर रही है:

  • फुली एक्सपेंडेबल (पूरी तरह से नष्ट हो जाने वाला)
  • पार्शियली रीयूजेबल (आंशिक रूप से दोबारा इस्तेमाल योग्य)
  • फुली रीयूजेबल (पूरी तरह से दोबारा इस्तेमाल योग्य)

कंपनी का लक्ष्य है कि 2034 तक लॉन्च कॉस्ट को $300 प्रति किलोग्राम तक ला दिया जाए, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत ही प्रतिस्पर्धात्मक लागत मानी जाएगी।


🏭 बेंगलुरु में मैन्युफैक्चरिंग शुरू, R&D से उत्पादन की ओर बढ़ता कदम

सूत्रों के मुताबिक, Astrobase ने बेंगलुरु के एयरोस्पेस हब में इंजन निर्माण के लिए एक फैक्ट्री भी तैयार कर ली है। इसका मतलब है कि कंपनी अब केवल अनुसंधान और विकास (R&D) से आगे बढ़कर वास्तविक उत्पादन के चरण में प्रवेश कर चुकी है।

Astrobase ने अपने ऑर्बिटल-क्लास लॉन्च सिस्टम के लिए इंजन और व्हीकल डिज़ाइन को भी अंतिम रूप दे दिया है। यह सिस्टम उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा (orbit) में भेजने के लिए तैयार किया जाएगा।


💸 ₹60 करोड़ जुटाए पहले फंडिंग राउंड में

Astrobase ने अपने पहले फंडिंग राउंड में ₹60 करोड़ (लगभग $7 मिलियन) जुटाए हैं। यह निवेश वेंचर फर्म BanyanCo के नेतृत्व में हुआ है। कंपनी की वैल्यूएशन ₹623 करोड़ (लगभग $72 मिलियन) आंकी गई है। Astrobase अब अगले फंडिंग राउंड के लिए भी तैयारी कर रही है, जिससे इसकी वैल्यूएशन में और बढ़ोतरी की संभावना है।


🌠 भारत में स्पेस टेक सेक्टर को मिल रहा है सरकारी समर्थन

पिछले कुछ वर्षों में भारत में स्पेसटेक स्टार्टअप्स की संख्या और निवेश में जबरदस्त उछाल आया है। 2024 में 13 स्पेसटेक स्टार्टअप्स ने लगभग $85 मिलियन की फंडिंग हासिल की, वहीं 2025 के पहले छह महीनों में ही 10 स्टार्टअप्स ने $15 मिलियन से ज्यादा जुटाए हैं।

भारत सरकार भी इस सेक्टर को आगे बढ़ाने में सक्रिय है। 2025 में सरकार ने IN-SPACe के माध्यम से ₹500 करोड़ ($58 मिलियन) का स्पेशल फंड लॉन्च किया, और साथ ही ₹1,000 करोड़ ($116 मिलियन) का वेंचर कैपिटल फंड भी मंज़ूर किया गया है। इन फंड्स का उद्देश्य है:

  • लोकल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना
  • इम्पोर्ट डिपेंडेंसी को कम करना
  • प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाना

🌏 क्यों खास है Astrobase का मिशन?

भारत की मौजूदा स्पेस कंपनियों और ISRO की क्षमताओं के बीच एक स्पेस बना हुआ है जिसे Astrobase भरने का प्रयास कर रही है:

  • यह कंपनी कम लागत में भारी पेलोड ले जाने वाली टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है।
  • इसके संस्थापक ISRO के अनुभवी वैज्ञानिक हैं, जिनके पास मिशन प्लानिंग और लॉन्च ऑपरेशन का दशकों का अनुभव है।
  • CoinDCX जैसे सफल वेब3 प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक नीरज खंडेलवाल की टेक्नोलॉजी और स्केलेबिलिटी में विशेषज्ञता कंपनी को आगे ले जाने में मदद करेगी।

🚀 भारत की स्पेस रेस में प्राइवेट कंपनियों की बढ़ती भागीदारी

जहां पहले भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी का जिम्मा केवल ISRO तक सीमित था, अब कई प्राइवेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं। Pixxel, Agnikul, Skyroot Aerospace जैसी कंपनियों के बाद अब Astrobase भी इस लिस्ट में शामिल हो चुकी है।

यह बताता है कि भारत में स्पेस इंडस्ट्री केवल सरकार पर निर्भर नहीं रही, बल्कि अब यह एक निजी स्टार्टअप इनोवेशन हब बनती जा रही है।


🔚 निष्कर्ष: भारत की स्पेस उड़ान अब और ऊंची

Astrobase का लॉन्च न केवल भारतीय स्पेसटेक सेक्टर के लिए एक बड़ा कदम है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्राइवेट इनोवेशन और सरकारी सहयोग मिलकर भारत को अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। टेक्नोलॉजी, अनुभव और पूंजी — इन तीनों का सही मिश्रण Astrobase को भारत की अगली बड़ी स्पेसटेक सफलता बना सकता है।

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