समुद्री जीवन और पर्यावरण के संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही Nice, France स्थित स्टार्टअप Cosma ने हाल ही में $2.9 मिलियन (लगभग ₹24 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। यह फंडिंग राउंड WIND और Ternel द्वारा लीड किया गया, जिसमें 50 Partners, Caisse d’Épargne Côte d’Azur, और IFREMER जैसे प्रमुख संस्थानों ने भी भाग लिया।
Cosma अब इस फंडिंग के जरिए अपने ऑपरेशन्स और वैश्विक विस्तार की योजनाओं को गति देगा।
🧠 Cosma क्या करता है?
Cosma एक “benthic monitoring startup” है—यानी यह समुद्र की गहराई (seafloor) पर मौजूद जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी करने वाला स्टार्टअप है। इसकी तकनीक का मकसद है:
- समुद्री जीवन की मैपिंग करना
- समुद्री जैव विविधता की तस्वीरें और डाटा तैयार करना
- संरक्षित प्रजातियों (protected species) की पहचान करना
यह कार्य विशेष प्रकार के छोटे पानी के नीचे चलने वाले ड्रोन (underwater drones) के जरिए होता है जो समुद्र की सतह से कुछ ही ऊपर तैरते हुए कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की मैपिंग करते हैं।
🧭 कैसे काम करता है Cosma का सिस्टम?
Cosma की तकनीक तीन मुख्य हिस्सों में बंटी है:
1️⃣ अंडरवाटर ड्रोन:
छोटे आकार के स्वचालित ड्रोन समुद्र की सतह के ठीक ऊपर उड़ते हुए फोटोग्राफिक मैपिंग करते हैं। ये ड्रोन कम लागत में बड़ा क्षेत्र कवर कर सकते हैं।
2️⃣ क्लाउड-नेटीव प्लेटफ़ॉर्म:
मैपिंग के बाद, सारी जानकारी Cosma के क्लाउड-आधारित सिस्टम में जाती है। यह प्लेटफ़ॉर्म अत्याधुनिक तकनीकों से फोटो, वीडियो और डाटा को प्रोसेस करता है।
3️⃣ AI टूलबॉक्स:
Cosma के पास एक खास AI आधारित टूलकिट है जो समुद्र की सतह की 3D मॉडलिंग, प्रजातियों की पहचान, और पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी करता है।
🌍 किनके साथ काम करता है Cosma?
Cosma ने दुनिया की कुछ बड़ी संस्थाओं के साथ साझेदारी की है:
- 🌱 WWF (World Wildlife Fund) – समुद्री जीवन के संरक्षण के लिए
- 🔋 RWE – एक ऊर्जा कंपनी, जो समुद्री पवन ऊर्जा में काम करती है
- 🏗️ EGIS – इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण प्लानिंग से जुड़ी कंपनी
इन ग्राहकों के साथ Cosma समुद्र के भीतर की जानकारी जुटाकर सतत विकास, ईको-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर, और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग में मदद कर रहा है।
📈 फंडिंग का इस्तेमाल कहां होगा?
Cosma के CEO Frédéric Mittaine के अनुसार, यह फंडिंग कंपनी को इन क्षेत्रों में मदद करेगी:
- ऑपरेशन्स का विस्तार – नए बाजारों में प्रवेश, जैसे भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका।
- रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) – AI और मशीन लर्निंग क्षमताओं को और मज़बूत करना।
- प्रोडक्ट डेप्लॉयमेंट – अधिक ड्रोन यूनिट्स का निर्माण और समुद्री मिशनों को स्केल करना।
🔬 भारत और अन्य देशों के लिए क्या मायने रखता है Cosma?
भारत जैसे समुद्री राष्ट्र के लिए Cosma की तकनीक कई मायनों में उपयोगी हो सकती है:
- कोस्टल इकोसिस्टम की निगरानी (जैसे सुंदरबन या अंडमान निकोबार द्वीप)
- ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स के इकोलॉजिकल प्रभावों का आकलन
- मत्स्य पालन क्षेत्र में संसाधनों का बेहतर प्रबंधन
- पर्यावरणीय आपदा (जैसे ऑयल स्पिल) के प्रभाव का तुरंत विश्लेषण
अगर Cosma भारत में अपने प्रोडक्ट और सेवाएं लाता है, तो यह ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) को नई दिशा दे सकता है।
🤖 स्टार्टअप्स में तकनीक का बढ़ता रोल
Cosma जैसे स्टार्टअप्स यह दिखाते हैं कि कैसे:
- AI और डेटा एनालिटिक्स सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समुद्र जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी काम कर रहे हैं।
- क्लाइमेट टेक और ओशनटेक जैसी नई श्रेणियों में इनोवेशन हो रहा है।
- दुनियाभर में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में स्टार्टअप्स अहम भूमिका निभा रहे हैं।
📅 आगे का रोडमैप
Cosma ने बताया है कि:
- पहले 20 यूनिट्स का निर्माण हो चुका है
- ये यूनिट्स 2025 के अंत तक भारत समेत कई देशों में तैनात किए जाएंगे
- कंपनी दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका में साझेदारियाँ तलाश रही है
- भारत और अमेरिका में डायरेक्ट सेल्स मॉडल, जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में व्हाइट-लेबल डील्स पर काम होगा
🔚 निष्कर्ष
Cosma एक ऐसा उदाहरण है जो यह दिखाता है कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ई-कॉमर्स तक सीमित नहीं है। पर्यावरण और समुद्री पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है।
भारत में ऐसे समाधानों की ज़रूरत और संभावनाएं दोनों मौजूद हैं। अब देखना यह है कि Cosma कब और कैसे भारतीय बाजार में प्रवेश करता है, और क्या वह भारत की ब्लू इकोनॉमी का हिस्सा बन पाता है या नहीं।
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