Fitsol manufacturing इंडस्ट्री के लिए कार्बन न्यूट्रल समाधान

Fitsol

भारत में डिकर्बनाइजेशन प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती मांग के बीच, Fitsol ने अपनी अनोखी पेशकश के जरिए मैन्युफैक्चरिंग उद्योग में बदलाव लाने का प्रयास किया है। हाल ही में फिटसोल ने $1 मिलियन की सीड फंडिंग जुटाई है, जिसमें प्रमुख निवेशक ट्रांजिशन वीसी शामिल है।

Fitsol फंडिंग का उद्देश्य और कंपनी की योजना

इस ताजा निवेश का उपयोग Fitsol तीन प्रमुख क्षेत्रों में करेगा:

  1. एआई क्षमताओं में सुधार: कंपनी अपने एआई-संचालित प्लेटफॉर्म क्योटो को और अधिक उन्नत बनाएगी। यह प्लेटफॉर्म लाइफसाइकिल असेसमेंट और प्रोडक्ट कार्बन फुटप्रिंट के लिए उन्नत एनालिटिक्स और मॉड्यूल प्रदान करेगा।
  2. ऑपरेशंस का विस्तार: तकनीकी विशेषज्ञों, बिजनेस डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स और ग्राहक सेवा से जुड़े टैलेंट को हायर करके कंपनी अपने परिचालन का विस्तार करेगी।
  3. नेट जीरो टारगेट्स: मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायता करने के लिए नए समाधानों में निवेश करेगी।

फिटसोल का परिचय

2022 में स्थापित, फिटसोल को आनंद पाठक, अक्षय टंडन, मनोज शर्मा, सुनील बंसल, और विकास कालरा ने मिलकर शुरू किया। यह प्लेटफॉर्म मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को अपने कार्बन उत्सर्जन को मापने, रिपोर्ट करने, बेंचमार्क करने और सक्रिय रूप से कम करने में सक्षम बनाता है।

फिटसोल का प्रमुख एआई प्लेटफॉर्म, क्योटो, न केवल उत्सर्जन की निगरानी करता है, बल्कि स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र मार्केटप्लेस भी प्रदान करता है।

क्योटो: एक एआई-आधारित समाधान

क्योटो का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को उनके स्कोप 1, 2 और 3 उत्सर्जन को ट्रैक करने में मदद करना है।

  • स्कोप 1: डायरेक्ट उत्सर्जन जैसे फैक्ट्री में ईंधन जलाने से।
  • स्कोप 2: ऊर्जा उत्पादन से संबंधित कार्बन उत्सर्जन।
  • स्कोप 3: सप्लाई चेन, डिलीवरी, और अन्य अप्रत्यक्ष उत्सर्जन।

क्योटो एक डाटा-संचालित एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म है, जो कंपनियों को उनके कार्बन फुटप्रिंट का संपूर्ण आकलन प्रदान करता है। यह कंपनियों को उत्सर्जन कम करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने में भी मदद करता है।

स्थिरता मार्केटप्लेस: हरित समाधानों का एक स्टॉप डेस्टिनेशन

फिटसोल का सस्टेनेबिलिटी मार्केटप्लेस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए हरित समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है:

  • ग्रीन लॉजिस्टिक्स: पर्यावरण-अनुकूल परिवहन और शिपिंग विकल्प।
  • सस्टेनेबल पैकेजिंग: प्लास्टिक और अन्य हानिकारक सामग्रियों का विकल्प।
  • ईको-फ्रेंडली प्रोक्योरमेंट: पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल की खरीद।
  • वेस्ट मैनेजमेंट: उत्पादन प्रक्रिया से उत्पन्न कचरे का पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण।
  • कार्बन ऑफसेटिंग सेवाएं: वनीकरण और अन्य हरित परियोजनाओं के जरिए कार्बन उत्सर्जन की भरपाई।

नेट-जीरो लक्ष्यों की दिशा में कदम

फिटसोल मैन्युफैक्चरिंग उद्योग को नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। क्योटो प्लेटफॉर्म और स्थिरता मार्केटप्लेस के जरिए कंपनियां अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए स्पष्ट रणनीतियां अपना सकती हैं।

डिकर्बनाइजेशन की बढ़ती जरूरत

भारत जैसे विकासशील देश में औद्योगिक उत्पादन का पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए डिकर्बनाइजेशन तकनीकों और समाधानों की जरूरत बढ़ रही है।

  • औद्योगिक कंपनियों के लिए चुनौतियां:
    1. उत्सर्जन की पहचान और माप।
    2. लागत-प्रभावी हरित समाधान खोजना।
    3. सरकारी नियमों का अनुपालन।

फिटसोल इन सभी चुनौतियों को हल करने के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।

निवेशकों का विश्वास और भविष्य की संभावनाएं

ट्रांजिशन वीसी जैसे निवेशकों का समर्थन फिटसोल की सफलता और इसकी संभावनाओं को दर्शाता है। यह निवेश न केवल कंपनी को अपने तकनीकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा, बल्कि इसे अधिक व्यवसायों तक पहुंचने में भी सहायता करेगा।

स्थिरता के प्रति वैश्विक रुझान

डिकर्बनाइजेशन और सस्टेनेबिलिटी केवल भारत तक सीमित नहीं हैं; यह एक वैश्विक प्राथमिकता बन चुकी है। फिटसोल जैसे प्लेटफॉर्म मैन्युफैक्चरिंग उद्योग को पर्यावरणीय जिम्मेदारी अपनाने में मदद करते हैं और एक हरित भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

निष्कर्ष: एक हरित भविष्य की ओर

फिटसोल का एआई-संचालित प्लेटफॉर्म और स्थिरता मार्केटप्लेस मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।

  • कंपनियों को पर्यावरण-अनुकूल बनाना: उत्सर्जन की निगरानी और कमी के लिए उपकरण।
  • हरित समाधानों का व्यापक विकल्प: स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद।
  • एक स्थायी भविष्य की दिशा में कदम: उद्योगों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना।

फिटसोल की यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को उनकी प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने और लागत प्रभावी समाधान अपनाने में भी मदद करती है।

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