⚡🚨 Ather Energy में Tiger Global का पूरा Exit! ओपन मार्केट में 1,204 करोड़ की ब्लॉक डील

Ather Energy

भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में इस हफ्ते एक बड़ा मोड़ देखने को मिला है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म Tiger Global ने Ather Energy में अपनी पूरी 5% हिस्सेदारी बेचकर कंपनी से पूरी तरह बाहर निकलने का फैसला कर लिया है।

यह एग्ज़िट ऐसे समय आया है जब Ather की बिक्री तेज़ी से बढ़ रही है और कंपनी अपने Q2 FY26 के वित्तीय नतीजे जारी करने वाली है — यानी बाजार के लिए यह कदम बेहद रणनीतिक माना जा रहा है।


💸 ₹1,204 करोड़ की बड़ी ओपन मार्केट डील — Tiger Global की पूरी हिस्सेदारी बिक गई

6 नवंबर 2025 को Tiger Global (Internet Fund III Pte Ltd) ने NSE और BSE पर अपनी सभी 1.93 करोड़ शेयर बेच दिए।

📍 डील का पूरा ब्रेकअप:

  • 1 करोड़ शेयर NSE पर
    • औसत कीमत: ₹623.56
  • 93 लाख शेयर BSE पर
    • औसत कीमत: ₹620.45

💰 कुल वैल्यूएशन: ₹1,204 करोड़

सितंबर 30 तक Tiger Global के पास Ather Energy में 5% हिस्सेदारी थी — और अब कंपनी में उसकी हिस्सेदारी शून्य हो गई है।


📈 कौन खरीदा Tiger Global का स्टेक? — IRAGE ने मोर्चा संभाला

Ather Energy के शेयर भारी मात्रा में बिकने के बावजूद मार्केट में डिमांड मजबूत दिखी।

सबसे बड़े खरीदार के रूप में सामने आया:

IRAGE Broking Services LLP, जिसने

  • 22 लाख शेयर खरीदे (₹137 करोड़)
  • और 2 लाख शेयर वापस बेचे (कीमत स्थिर रखने के लिए)

काशिक रूप से, यह EV सेक्टर में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।


⚡📊 Ather Energy की EV सेल्स में जबरदस्त उछाल — Ola Electric को पीछे छोड़ा

Tiger Global भले ही कंपनी से बाहर हो गया हो, लेकिन Ather Energy के बिज़नेस में ज़बरदस्त तेजी देखी जा रही है।

✅ अक्टूबर बिक्री:

  • 28,061 रजिस्ट्रेशन
  • 53% की मासिक बढ़त
  • 19.53% बाजार हिस्सा
  • Ola Electric को मार्केट कैप के मामले में पिछाड़ दिया

सितंबर में कंपनी की ग्रोथ फ्लैट थी, लेकिन अक्टूबर में तेज़ रिकवरी दिखी — जो EV डिमांड के त्योहारों में बढ़ने का संकेत है।


📅 Q2 FY26 नतीजों से पहले एक्सिट — क्या Tiger Global ने रणनीतिक कदम उठाया?

Tiger Global का अचानक एग्ज़िट इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि:

  • Ather Energy 10 नवंबर को अपने Q2 FY26 वित्तीय परिणाम जारी करने वाली है
  • Q1 FY26 आंकड़े बेहद मजबूत थे
  • EV मार्केट में प्रतिस्पर्धा तेज़ हो चुकी है (Ola, Bajaj, TVS, Hero)

ऐसे में Tiger Global का बाहर निकलना निवेशकों को संकेत देता है कि वे अपनी पोज़िशन को रिबैलेंस कर रहे हैं — ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने मई में Ola Electric में भी अपना स्टेक कम किया था


📈 Q1 FY26: Ather के नतीजे रहे शानदार — तेज़ स्केलिंग, कम नुकसान

Ather Energy ने FY26 की पहली तिमाही में जबरदस्त प्रदर्शन किया था।

🟩 Q1 FY26 मुख्य हाईलाइट्स:

  • ✅ रेवेन्यू: ₹645 करोड़
    • (79% YoY ग्रोथ; FY25 Q1 में ₹360 करोड़)
  • ✅ नेट लॉस: ₹178 करोड़
    • (FY25 Q1 के ₹183 करोड़ से 3% कम)
  • ✅ लगातार उत्पादन बढ़ रहा है
  • ✅ नए मॉडल लॉन्च का प्रभाव दिखने लगा है

कंपनी अपनी बैटरी टेक्नोलॉजी, चार्जिंग नेटवर्क और इंटर-सिटी e-scooter स्ट्रैटजी पर बड़ा निवेश कर रही है — जिससे रेवेन्यू ग्रोथ तेज़ दिख रही है।


💹 शेयर प्राइस और मार्केट कैप — Ather की स्थिति मजबूत

Tiger Global के एग्ज़िट के बावजूद Ather Energy का शेयर मजबूत बना हुआ है।

📌 मौजूदा स्टॉक स्थिति:

  • शेयर प्राइस: ₹634 (10:50 AM)
  • मार्केट कैप: ₹24,168 करोड़ ($2.7B)

दिलचस्प बात यह है कि Ather की मार्केट कैप Ola Electric से आगे निकल चुकी है — और EV निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।


🔍 Tiger Global ने क्यों बेचा? — तीन बड़ी वजहें सामने

Tiger Global भारतीय स्टार्टअप्स में शुरुआती निवेशक रहा है। लेकिन हाल के महीनों में वह अपने कई पोर्टफोलियो में हिस्सेदारी कम कर रहा है।

संभावित कारण:

1️⃣ फंड रीबैलेंसिंग और ग्लोबल स्ट्रैटेजी शिफ्ट

नए उभरते बाजारों और AI कंपनियों में Tiger Global बड़ा निवेश कर रहा है।

2️⃣ लिक्विडिटी बूस्ट

2025 में वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है — ऐसे समय में लिक्विड कैश महत्वपूर्ण होता है।

3️⃣ IPO का इंतज़ार — सही समय पर एग्ज़िट

Ather Energy आने वाले 12 महीनों में IPO के करीब माना जा रहा है।
Tiger Global संभवतः प्री-IPO वैल्यूएशन को लॉक-इन कर चुका है और आगे की पॉलिसी बदलावों से बचना चाहता है।


निष्कर्ष: Tiger Global का एग्ज़िट — लेकिन Ather Energy की दौड़ तेज़

  • Tiger Global ने ₹1,204 करोड़ का एग्ज़िट लिया
  • Ather की सेल्स में तेज़ उछाल
  • मार्केट कैप Ola Electric से ऊपर
  • Q1 FY26 में 79% रेवेन्यू ग्रोथ
  • Q2 FY26 के नतीजे जल्द आने वाले हैं

Ather Energy EV सेक्टर की सबसे तेज़ी से बढ़ती कंपनियों में बनी हुई है, और Tiger Global का एग्ज़िट कंपनी के बिज़नेस मोमेंटम को प्रभावित करता नहीं दिख रहा।

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🚀 Smartworks ने Q2 FY26 में 81% घटाया नुकसान, राजस्व में जबरदस्त वृद्धि

Smartworks

भारत के तेज़ी से बढ़ते मैनेज्ड ऑफिस स्पेस सेक्टर में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए Smartworks ने वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) के शानदार नतीजे जारी किए हैं। कंपनी ने इस तिमाही में कुल नुकसान में 81% की बड़ी गिरावट दर्ज की है, साथ ही दो अंकों की राजस्व वृद्धि भी हासिल की है।

Smartworks ने वर्ष-दर-वर्ष (YoY) आधार पर अपनी ऑपरेटिंग आय में उल्लेखनीय उछाल दिखाया है। सितंबर 2025 को समाप्त तिमाही में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 21% बढ़कर ₹425 करोड़ हो गया, जबकि Q2 FY25 में यह ₹350 करोड़ था। कंपनी ने अपने ये आँकड़े National Stock Exchange (NSE) में जमा कराए गए अनऑडिटेड कंसॉलिडेटेड वित्तीय परिणामों के साथ साझा किए।


📈 आय में लगातार वृद्धि, कुल आय पहुँची ₹441 करोड़

Smartworks की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा इसके कोर बिज़नेस —
✅ सर्विस्ड ऑफिस स्पेस
✅ डिज़ाइन
✅ डेवलपमेंट
✅ लाइसेंसिंग
✅ और फ़िट-आउट सेवाओं
से आता है।

इसके अलावा कंपनी ने इस तिमाही में ₹16 करोड़ की नॉन-ऑपरेटिंग आय भी दर्ज की, जिससे कुल आय बढ़कर ₹441 करोड़ पहुँच गई, जो पिछले साल की समान तिमाही के ₹361 करोड़ से काफी अधिक है।

📊 हाफ-ईयरली (H1 FY26) आधार पर भी मजबूत प्रदर्शन

वित्त वर्ष की पहली छमाही (H1 FY26) में Smartworks का ऑपरेटिंग राजस्व 21% बढ़कर ₹804 करोड़ हो गया, जबकि H1 FY25 में यह ₹664 करोड़ था। यह कंपनी के लिए स्थिर और निरंतर विकास का एक मजबूत संकेत है।


🧮 खर्चों पर सख़्त नियंत्रण, घाटा लगभग समाप्त

कंपनी ने न सिर्फ़ आय बढ़ाई, बल्कि खर्चों पर भी बड़ा नियंत्रण रखा।

सबसे बड़ा खर्च — डिप्रिशिएशन

  • डिप्रिशिएशन: ₹198 करोड़
  • ऑपरेटिंग खर्च: ₹122 करोड़
  • फाइनेंस कॉस्ट, कर्मचारी लाभ और मार्केटिंग खर्च जोड़कर कुल खर्च: ₹445 करोड़
    जबकि पिछले वर्ष Q2 FY25 में कुल खर्च ₹382 करोड़ था।

खर्चों पर नियंत्रण और बेहतर ऑपरेशनल एफिशिएंसी के चलते Smartworks अपने नुकसान को बेहद कम करने में सफल रही।


✅ Q2 FY26 में सिर्फ ₹3 करोड़ का घाटा, 81% की गिरावट

Smartworks ने इस तिमाही में अपना शुद्ध नुकसान घटाकर ₹16 करोड़ से सिर्फ ₹3 करोड़ कर दिया, जो कि 81% की शानदार कमी है।

📉 H1 FY26 में भी 82% घाटा कम

पहली छमाही में कंपनी का कुल घाटा ₹39 करोड़ से घटकर ₹7 करोड़ रह गया — यानी 82% की कमी
यह बताता है कि Smartworks सफलतापूर्वक प्रॉफिटेबिलिटी की दिशा में बढ़ रही है।


📊 शेयर्स में मजबूती — लिस्टिंग के बाद लगातार बढ़त

Smartworks ने इसी साल NSE पर लिस्टिंग की थी।
✅ IPO प्राइस: ₹407
✅ लिस्टिंग: ₹435 (7% प्रीमियम)
✅ आज का क्लोज़िंग प्राइस: ₹596

इस हिसाब से कंपनी का बाज़ार मूल्य (Market Cap) ₹6,818 करोड़, यानी लगभग $769 मिलियन पहुँच गया है।

लिस्टिंग के बाद से स्टॉक में लगातार पॉज़िटिव ट्रेंड देखने को मिला है, जो निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।


🆚 Smartworks vs Awfis — बाज़ार में बढ़ती टक्कर

मैनेज्ड ऑफिस स्पेस सेक्टर में Smartworks का सबसे प्रमुख प्रतियोगी Awfis है, जिसने मई 2024 में IPO लॉन्च किया था।

📌 Awfis के हालिया वित्तीय परिणाम

  • Q1 FY26 में राजस्व: ₹355 करोड़
  • शुद्ध मुनाफा: ₹10 करोड़
  • वर्तमान शेयर मूल्य: ₹595

Awfis ने अभी तक Q2 FY26 के नतीजे जारी नहीं किए हैं, इसलिए आने वाले महीनों में दोनों कंपनियों के प्रदर्शन की तुलना उद्योग के लिए दिलचस्प होगी।


🏢 भविष्य की दिशा

Smartworks ने लगातार तिमाहियों में अपनी आय बढ़ाई है और नुकसान में तीव्र कमी की है।
कंपनी:
✅ नए सेंटर जोड़ रही है
✅ प्रीमियम मैनेज्ड ऑफिस सॉल्यूशन्स पर फोकस कर रही है
✅ कॉर्पोरेट क्लाइंट बेस को तेजी से बढ़ा रही है

इन सभी प्रयासों के दम पर Smartworks आने वाले वित्तीय वर्षों में प्रॉफिटेबिलिटी हासिल करने के बेहद करीब दिखाई देती है।

Read more : Ola Electric Q2 FY26 Revenue में 47% की भारी गिरावट, घाटा बढ़ा

⚡📉 Ola Electric Q2 FY26 Revenue में 47% की भारी गिरावट, घाटा बढ़ा

ola electric

भारत के सबसे बड़े EV निर्माताओं में शामिल Ola Electric के लिए FY26 की दूसरी तिमाही अच्छे संकेत नहीं लेकर आई है। कंपनी का रेवेन्यू लगातार तीसरी तिमाही गिरा है और इस बार गिरावट बेहद तेज़ रही — 47% सालाना गिरावट। वहीं दूसरी ओर, नुकसान 23.3% YoY बढ़ा है, जो कंपनी की वित्तीय स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

FY26 Q2 के लिए Ola Electric की कंसॉलिडेटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स (Source: NSE) दिखाती हैं कि एक समय तेज़ी से बढ़ने वाला यह ब्रांड अब मजबूत दबाव में है।


📉 रेवेन्यू आधे से भी कम — Ola की सबसे बड़ी गिरावट

Q2 FY25 में Ola Electric का ऑपरेटिंग रेवेन्यू था: ₹1,214 करोड़
Q2 FY26 में यह घटकर रह गया: ₹660 करोड़

यानी एक साल में 47% की जोरदार गिरावट

सिर्फ इतना ही नहीं, यदि दूसरी आय (batteries + अन्य auto-related income) जोड़ दी जाए तो कंपनी की कुल Q2 आय:

  • FY25 Q2: ₹1,314 करोड़
  • FY26 Q2: ₹759 करोड़

यानी कुल रेवेन्यू में ₹555 करोड़ की कमी।


🛵 ई-स्कूटर अभी भी मुख्य राजस्व स्त्रोत — लेकिन मांग कमजोर!

Ola Electric का मुख्य बिज़नेस ई-स्कूटर बिक्री है। Q2 FY26 में:

  • Scooter sales = मुख्य आय
  • Battery sales = बहुत कम योगदान

पिछले साल की तुलना में स्कूटर की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई, जिसका सीधा असर कुल आय पर पड़ा।


🧩 खर्च घटा — लेकिन रेवेन्यू उससे भी तेज़ गिरा

कंपनी ने कुल खर्चों में काफी कटौती की है:

✅ ख़र्चों में प्रमुख बदलाव:

  • Procurement cost: ₹477 करोड़ (कुल खर्च का 40%)
  • Employee benefits: 60% गिरे, रह गए ₹55 करोड़
  • कुल खर्च:
    • FY25 Q2: ₹1,809 करोड़
    • FY26 Q2: ₹1,174 करोड़
      यानी 35% की कमी

खर्च घटाना एक सकारात्मक कदम है — लेकिन समस्या यह है कि रेवेन्यू इससे भी ज़्यादा गिरा, जिससे घाटा कम होने के बजाय और बढ़ गया।


📉 नुकसान बढ़ा — ₹418 करोड़ का घाटा

भारी गिरावट के बाद भी Ola Electric अपने नुकसान को पूरी तरह काबू नहीं कर सकी:

  • FY25 Q2 Loss: ₹495 करोड़
  • FY26 Q2 Loss: ₹418 करोड़

Year-on-year नुकसान में 23.3% बढ़ोतरी, हालांकि खर्च में नियंत्रण से तिमाही नुकसान थोड़ा कम दिखा।

H1 FY26 में भी स्थिति बेहतर नहीं

  • FY25 H1 Loss: ₹842 करोड़
  • FY26 H1 Loss: ₹846 करोड़

यानी आधे साल में कंपनी का घाटा लगभग flat रहा है — सुधार कहीं नहीं दिख रहा।


🎉📈 अक्टूबर में दिवाली डिमांड से थोड़ी राहत

Q2 FY26 कमजोर था, लेकिन अक्टूबर 2025 में त्योहारों की वजह से ग्रोथ देखी गई:

  • 16,034 EV रजिस्ट्रेशन
  • 20% महीने-दर-महीना ग्रोथ
  • 11.16% मार्केट शेयर

लेकिन एक साल पहले Ola Electric का मार्केट शेयर 30% के पास था — यानी मार्केट शेयर आधे से भी कम हो चुका है।

यह EV मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और नई कंपनियों के आने का संकेत है।


💸 ₹1,500 करोड़ जुटाने की तैयारी — Ola की नई रणनीति?

पिछले महीने Ola Electric ने:

✅ बोर्ड से मंजूरी हासिल की
✅ प्लान: ₹1,500 करोड़ जुटाना
✅ फॉर्म: equity + convertible securities

यह कदम दिखाता है कि Ola Electric को:

  • ऑपरेशंस सुधारने
  • कैश बर्न कम करने
  • नई तकनीक/बैटरी R&D में निवेश
  • और नेटवर्क विस्तार

के लिए नए फंड की सख्त ज़रूरत है।


🏦 शेयर बाज़ार में मिली-जुली प्रतिक्रिया

Revenue गिरने के बाद भी शेयरों में बहुत तेज़ गिरावट नहीं आई — लेकिन भरोसा कमजोर दिखा:

  • ₹49 प्रति शेयर (10:47 AM, गुरुवार)
  • मार्केट कैप: ₹21,877 करोड़ (~$2.5B)

यह Ola Electric के IPO के समय की चर्चा से काफी नीचे है, जब कंपनी को $5–6B वैल्यूएशन पर देखा जा रहा था।


🧭 EV मार्केट बदल रहा है — Ola की चुनौतियाँ बढ़ रहीं

भारत का EV दोपहिया बाज़ार इस समय बेहद प्रतिस्पर्धी है:

  • Ather
  • TVS iQube
  • Bajaj Chetak
  • Hero Vida

और नए स्टार्टअप तेज़ी से पकड़ बना रहे हैं।

Ola Electric के लिए सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं:

✅ बिक्री में गिरावट
✅ बैटरी क्वालिटी और सुरक्षा विवाद
✅ सर्विस नेटवर्क की आलोचना
✅ R&D निवेश की जरूरत
✅ मार्केट शेयर में तेज़ गिरावट


निष्कर्ष: Ola Electric के लिए FY26 ‘टर्निंग पॉइंट’ का साल

Q2 FY26 Ola Electric के लिए चेतावनी है कि कंपनी को अपनी रणनीति पर दोबारा काम करना होगा।

  • रेवेन्यू: 47% गिरा
  • कुल आय: भारी गिरावट
  • नुकसान: 418 करोड़
  • मार्केट शेयर: 30% से गिरकर 11%
  • खर्च कम किए, लेकिन मांग नहीं बढ़ी

सकारात्मक पक्ष यह है कि:

✅ खर्च नियंत्रित हो रहे हैं
✅ अक्टूबर में बिक्री सुधरी
✅ फंडरेज़िंग से राहत मिल सकती है

लेकिन यदि Ola Electric अपना EV बिज़नेस स्थिर नहीं कर पाती, तो FY26 और FY27 उसके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

Read more :🚀💼 Freshworks Q3 2025 मजबूत ग्रोथ, घटता नुकसान और FY25 के लिए दोगुना कॉन्फिडेंस!

🚀💼 Freshworks Q3 2025 मजबूत ग्रोथ, घटता नुकसान और FY25 के लिए दोगुना कॉन्फिडेंस!

Freshworks

NASDAQ-लिस्टेड SaaS कंपनी Freshworks ने 2025 की तीसरी तिमाही (Q3 CY25) में शानदार प्रदर्शन किया है। चेन्नई से जन्मी और अब कैलिफ़ोर्निया के San Mateo में हेडक्वार्टर वाली इस कंपनी ने एक बार फिर साबित किया है कि भारतीय SaaS मॉडल वैश्विक स्तर पर कितना प्रभावशाली हो चुका है।

Freshworks ने Q3 2025 में $215 मिलियन का रेवेन्यू दर्ज किया, जो 15% YoY ग्रोथ है। पिछले साल इसी तिमाही में रेवेन्यू $186.6 मिलियन था।


📈 राजस्व में स्थिर, मजबूत वृद्धि

क्वार्टर-ऑन-क्वार्टर (QoQ) तुलना में भी Freshworks की ग्रोथ साफ दिखती है।

  • Q2 CY25 रेवेन्यू: $204.7 मिलियन
  • Q3 CY25 रेवेन्यू: $215 मिलियन

यह 5% QoQ वृद्धि है — SaaS सेक्टर में यह काफी अच्छा माना जाता है, खासकर जब वैश्विक मंदी का माहौल हो।


📉 GAAP ऑपरेटिंग लॉस में 80% की गिरावट — बड़ी उपलब्धि!

Freshworks ने अपने GAAP आधार पर ऑपरेटिंग लॉस को:

  • पिछले साल Q3 के $38.9M से घटाकर
  • इस वर्ष Q3 में $7.5M कर दिया

यह 80.7% की भारी गिरावट है।
SaaS इंडस्ट्री में कई कंपनियाँ इस स्तर की लागत अनुशासन नहीं दिखा पातीं, इसलिए Freshworks का प्रदर्शन निवेशकों के लिए बड़ा संकेत है।


💰 Non-GAAP ऑपरेटिंग इनकम उछलकर $45.2M — 21% मार्जिन!

Non-GAAP आधार पर Freshworks का ऑपरेटिंग प्रॉफिट:

  • Q3 2024 में 12.8% मार्जिन
  • Q3 2025 में 21% मार्जिन

यह दर्शाता है कि कंपनी ने
✅ लागत नियंत्रित की,
✅ प्रोडक्ट दक्षता बढ़ाई,
✅ एंटरप्राइज क्लाइंट्स में पैठ गहरी की।


👥 बड़े ग्राहकों की संख्या बढ़ी — ARR $5,000+ देने वाले 24,377 ग्राहक

कंपनी के अनुसार, ऐसे ग्राहक जिनका वार्षिक आवर्ती राजस्व (ARR) $5,000 से अधिक है:

  • YoY 9% बढ़कर
  • 24,377 हो गए हैं

ये ग्राहक Freshworks के प्लैटफ़ॉर्म की उपयोगिता और sticky nature का संकेत हैं।

📌 Net Dollar Retention (NDR) = 105%
यह दिखाता है कि मौजूदा ग्राहक न सिर्फ जुड़े रह रहे हैं, बल्कि अब Freshworks पर और ज्यादा खर्च भी कर रहे हैं।


🤖✨ AI प्रोडक्ट्स बना रहे हैं Freshworks को और मजबूत

CEO Dennis Woodside के अनुसार:

“Freshworks ने ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी दोनों में हमारी अपेक्षाओं से ज्यादा प्रदर्शन किया है। एंटरप्राइजेज में AI-powered सॉफ़्टवेयर की मांग लगातार बढ़ रही है।”

Freshworks ने अपनी CRM, सपोर्ट ऑटोमेशन और ITSM प्रोडक्ट्स में AI की गहरी इंटीग्रेशन की है — जो उसे वैश्विक SaaS रेस में आगे रख रही है।


🔮 Q4 2025 और FY25 — कंपनी का आत्मविश्वास बढ़ा

Freshworks ने Q4 CY25 के लिए राजस्व अनुमान जारी किया है:

  • $217M–$220M
  • यानी 12–13% YoY ग्रोथ

इसके साथ ही कंपनी ने अपनी FY25 गाइडेंस बढ़ाकर:

  • $833M–$836M कर दी
  • जो करीब 16% वार्षिक ग्रोथ है

यह बताता है कि कंपनी को अपनी Q4 और अगले साल की मांग पर पूरा भरोसा है।


🏦 $813 मिलियन की मजबूत कैश पोजिशन — निवेशकों का भरोसा कायम

30 सितंबर 2025 तक कंपनी के पास:

  • $813.2 मिलियन
    (cash + cash equivalents + marketable securities)

यह रिज़र्व Freshworks को
✅ नई तकनीक में निवेश
✅ संभावित छोटे अधिग्रहण
✅ प्रोडक्ट विस्तार
जैसे रणनीतिक कदम उठाने में मदद करेगा।


🌎 भारतीय SaaS का वैश्विक प्रभाव — Freshworks अग्रणी

Freshworks आज उन चुनिंदा भारतीय SaaS कंपनियों में से है जिन्होंने:

  • वैश्विक स्तर पर ब्रांड बनाया
  • सार्वजनिक बाज़ार में सफल लिस्टिंग की
  • प्रॉफिटेबिलिटी की ओर ठोस प्रगति की

2025 में जब कई SaaS कंपनियाँ मंदी और घटती मांग से परेशान हैं, Freshworks ने
✅ स्थिर ग्रोथ
✅ घटता नुकसान
✅ बढ़ते मार्जिन
✅ मजबूत ग्राहक आधार

का दुर्लभ संयोजन दिखाया है।


निष्कर्ष

Freshworks का Q3 2025 प्रदर्शन यह साफ करता है कि कंपनी सिर्फ ग्रोथ ही नहीं, बल्कि लाभ कमाने की दिशा में भी सही कदम उठा रही है।

AI-driven प्रोडक्ट्स, एंटरप्राइज़ ग्राहकों की बढ़ती मांग और कंपनी की मजबूत कैश पोजिशन इसे FY26 में भी बेहतर प्रदर्शन की ओर ले जाएगी।

Freshworks वैश्विक SaaS परिदृश्य में अपनी स्थिति लगातार मजबूत कर रहा है — और यह भारत की SaaS इकोनॉमी के लिए भी गर्व की बात है।

Read more :🚛⚡ Euler Motors की ग्रोथ स्टोरी FY25 में 12% रेवेन्यू ग्रोथ, नुकसान में कमी अब EV मार्केट में ‘बड़ी छलांग’ की तैयारी!

🚛⚡ Euler Motors की ग्रोथ स्टोरी FY25 में 12% रेवेन्यू ग्रोथ, नुकसान में कमी अब EV मार्केट में ‘बड़ी छलांग’ की तैयारी!

Euler Motors

भारत का कमर्शियल इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है, और इसी दौड़ में शामिल है Euler Motors, जिसने अपने FY25 नतीजों में एक स्थिर, लेकिन महत्वपूर्ण ग्रोथ दिखाई है। मई 2025 में कंपनी ने ₹638 करोड़ की सीरीज़ D फंडिंग जुटाई थी, जिसका नेतृत्व Hero MotoCorp ने किया। हालांकि इसका प्रभाव FY26 में दिखेगा, फिर भी FY25 में कंपनी ने मजबूत रेवेन्यू ग्रोथ और नुकसान पर नियंत्रण दिखाकर उद्योग का ध्यान खींचा है।


📈 12% की रेवेन्यू ग्रोथ — मुश्किल दौर में भी टिका रहा बिज़नेस

FY25 में Euler Motors का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹192.26 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹170.82 करोड़ से 12% अधिक है।

कंपनी का मुख्य बिज़नेस है —
✅ कमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण और बिक्री
✅ बैटरी, एक्सेसरीज़ और अन्य ऑपरेटिंग इनकम

Vahan पोर्टल के अनुसार, FY25 में Euler ने लगभग 3,305 EVs बेचे।

  • इन वाहनों से कंपनी ने ₹173 करोड़ कमाए
  • बैटरी व एक्सेसरी से ₹12 करोड़
  • नॉन-ऑपरेटिंग इनकम (जैसे ब्याज) से ₹14.73 करोड़

कुल मिलाकर FY25 में Euler का टोटल रेवेन्यू ₹206 करोड़ रहा।


💸 खर्चे कंट्रोल में — फिर भी चुनौतियाँ भारी

कंपनी के खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा रहा:

🧱 1. मटेरियल कॉस्ट — 47.5%

  • FY25 में मटेरियल कॉस्ट रही ₹192 करोड़
  • FY24 की तुलना में 10% कम
  • EV उद्योग के हिसाब से यह एक बड़ी पॉजिटिव बात है

👨‍🏭 2. एम्प्लॉयी कॉस्ट — 46% बढ़कर ₹74.4 करोड़

यह वृद्धि इसलिए भी दिखती है क्योंकि कंपनी अपने ऑपरेशन, R&D और सपोर्ट टीम को विस्तार दे रही है।

🔐 3. सिक्योरिटी व मैनपावर कॉस्ट — 55% उछाल

FY25 में ₹24.44 करोड़, जो भारी वृद्धि है।

📣 4. विज्ञापन खर्च — 4.6X उछलकर ₹12.77 करोड़

मार्केट में ब्रांड पोजिशनिंग सुधारने की कोशिश साफ दिखती है।

📦 5. अन्य ओवरहेड्स

कुल ₹64.8 करोड़
जिसमें शामिल है —

  • R&D
  • ट्रैवल
  • प्रोफेशनल फीस
  • रिपेयर और मेंटेनेंस
  • सॉफ्टवेयर
  • ट्रांसपोर्टेशन

कुल मिलाकर FY25 का कुल खर्च रहा ₹404 करोड़, जो FY24 के समान स्तर पर है।


📉 नुकसान में 12% की कमी — स्थिरता की ओर बढ़ता बिज़नेस

FY25 में Euler Motors का कुल घाटा रहा ₹200 करोड़, जो FY24 से 12% कम है।

✅ रेवेन्यू बढ़ा
✅ खर्च स्थिर रहे
✅ नॉन-ऑपरेटिंग इनकम बढ़ी

इनकी वजह से नुकसान घटा और कंपनी की वित्तीय स्थिति बेहतर हुई।


📊 कंपनी की वित्तीय स्थिति (FY25)

  • ₹2.11 खर्च करके कंपनी ₹1 की ऑपरेटिंग इनकम कमा रही है
  • EBITDA मार्जिन: -92.6%
  • ROCE: -93.7%
  • करंट एसेट्स: ₹214.3 करोड़
  • कैश + बैंक बैलेंस: ₹95 करोड़

🏦 अब तक जुटाई फंडिंग — $200M+ का मजबूत बैकअप

कंपनी ने अब तक कुल $200 मिलियन से अधिक जुटाए हैं।
इसके बड़े निवेशक हैं:

  • Hero MotoCorp
  • GIC (Singapore)
  • British International Investment

Hero MotoCorp इस सेक्टर में Ather Energy का भी निवेशक है, और बाजार में चर्चा है कि Euler Motors को भी वह अगली बड़ी EV सफलता के रूप में देख रहा है।


🚧 EV ⚡ ट्रक और कार्गो सेगमेंट की राह कठिन क्यों है?

कमर्शियल EV मार्केट, टू-व्हीलर मार्केट की तरह आसान नहीं है।
कारण:

🔌 1. चार्जिंग स्टेशन की भारी कमी

EV ट्रकों को तेज़ चार्जिंग की जरूरत होती है, लेकिन देश में इसकी गति बहुत धीमी है।

💼 2. यूज़र्स का व्यवहार बदलना कठिन

कमर्शियल वाहन खरीदार लंबी रेंज, मजबूती और कम ऑपरेटिंग कॉस्ट को प्राथमिकता देते हैं।

🛠️ 3. सरकार के स्पष्ट निर्देशों की कमी

ई-रिक्शा और टू-व्हीलर की तरह कमर्शियल EV को आक्रामक सब्सिडी नहीं मिलती।

Euler Motors इन सारी चुनौतियों के बावजूद अपना उत्पाद बेहतरीन तरीके से बाजार में टिकाकर रखे हुए है — जो उसकी टेक्निकल क्षमता और फाउंडर्स की execution power दिखाता है।


🚀 Euler की आगे की रणनीति — बड़ी छलांग की तैयारी

✅ प्रोडक्शन बढ़ाना

Series D फंडिंग का बड़ा हिस्सा नए उत्पादन और टेक क्षमता पर खर्च होगा।

✅ बैटरी कॉस्ट में गिरावट का फायदा ग्राहक को देना

इससे बिक्री बढ़ेगी और कंपनी बड़े वॉल्यूम हासिल कर सकेगी।

✅ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की रिकवरी की उम्मीद

कंपनी को उम्मीद है कि EV चार्जिंग नेटवर्क जल्द फिर गति पकड़ेगा।

✅ FY26 में बड़े ग्रोथ की तैयारी

Hero MotoCorp की बैकिंग Euler के लिए भविष्य में मजबूत संकेत है।


निष्कर्ष

Euler Motors ने FY25 में स्थिर ग्रोथ दिखाई, नुकसान कम किया, और अब Series D फंडिंग के बाद FY26–FY27 में बड़ा विस्तार करने की तैयारी में है।

कमर्शियल EV सेगमेंट बहुत कठिन है, लेकिन Euler Motors सही दिशा में चलते हुए एक मजबूत और भरोसेमंद ब्रांड बनने की ओर बढ़ रही है।

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🚀 Shiprocket को मिला SEBI से IPO की मंजूरी लॉजिस्टिक्स यूनिकॉर्न अब बाजार में मचाएगा धमाल! 📦💰

Shiprocket

भारत की तेजी से बढ़ती लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्लेटफ़ॉर्म कंपनी Shiprocket ने एक बड़ा मील का पत्थर हासिल कर लिया है। कंपनी को Securities and Exchange Board of India (SEBI) से अपने Initial Public Offering (IPO) के लिए मंजूरी मिल गई है। 📜✨


🏁 SEBI से हरी झंडी मिलते ही बढ़ी IPO की तैयारी

SEBI ने Shiprocket को 31 अक्टूबर 2025 को “ऑब्ज़र्वेशन लेटर” जारी किया, जो कि IPO के लिए फाइनल अप्रूवल होता है। यानी अब कंपनी जल्द ही स्टॉक मार्केट में अपनी एंट्री करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने मई 2025 में Draft Red Herring Prospectus (DRHP) को confidential route के ज़रिए दाखिल किया था। इस गोपनीय रूट के तहत कंपनी अपनी फाइलिंग को पब्लिक किए बिना नियामक प्रक्रिया पूरी कर सकती है।


💸 ₹2,500 करोड़ का IPO — बड़ा इश्यू, बड़ा इम्पैक्ट!

Shiprocket लगभग ₹2,500 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है।
इसमें से:

  • ₹1,200–1,400 करोड़ का हिस्सा fresh issue के रूप में होगा 💰
  • बाकी हिस्सा Offer for Sale (OFS) के ज़रिए मौजूदा निवेशकों द्वारा बेचा जाएगा 📊

दिलचस्प बात यह है कि कंपनी के कुछ बड़े निवेशक जैसे Temasek, Zomato और Info Edge इस बार OFS में हिस्सा नहीं लेंगे। इसका मतलब है कि कंपनी के शुरुआती निवेशक और संस्थापक इस इश्यू के ज़रिए आंशिक हिस्सेदारी बेचेंगे।


🏦 इन्वेस्टमेंट बैंकर्स की बड़ी टीम

IPO को सफल बनाने के लिए Shiprocket ने देश की टॉप इन्वेस्टमेंट बैंकों को अपने साथ जोड़ा है:

  • Axis Capital
  • Kotak Mahindra Capital
  • JM Financial
  • BofA Securities

इनकी मदद से कंपनी अपने IPO को घरेलू और विदेशी निवेशकों के सामने आकर्षक तरीके से पेश करेगी। 🌏📈


👨‍💼 Shiprocket की कहानी — छोटे बिज़नेस का सबसे बड़ा साथी

2017 में स्थापित, Shiprocket के संस्थापक हैं —

  • साहिल गोयल (Saahil Goel)
  • गौरव कपूर (Gautam Kapoor)
  • विशेष खुराना (Vishesh Khurana)

कंपनी ई-कॉमर्स और D2C बिज़नेस के लिए एक टेक-ड्रिवन लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म है, जो

  • मल्टी-कूरियर इंटीग्रेशन,
  • रियल-टाइम ट्रैकिंग,
  • और ऑटोमेटेड शिपिंग सॉल्यूशंस
    के ज़रिए ब्रांड्स और सेलर्स को उनकी डिलीवरीज़ आसान बनाती है। 🚚💨

आज Shiprocket पर लाखों ई-कॉमर्स व्यापारी निर्भर हैं — छोटे ऑनलाइन स्टोर से लेकर बड़े D2C ब्रांड तक।


💼 अब तक का फंडिंग ट्रैक रिकॉर्ड

Shiprocket ने अब तक कुल $320 मिलियन (लगभग ₹2,600 करोड़) से ज़्यादा की फंडिंग जुटाई है और इसका वैल्यूएशन अब $1.21 बिलियन (लगभग ₹10,000 करोड़) पहुंच चुका है।

TheKredible के अनुसार, कंपनी में सबसे बड़ा बाहरी निवेशक है:

  • Bertelsmann Nederland B.V.,
    इसके बाद Tribe Capital, Zomato, Temasek, LightRock, और PayPal जैसे नामी निवेशक शामिल हैं। 💼🌍

📊 FY25 में Shiprocket की शानदार परफॉर्मेंस

वित्त वर्ष FY25 में Shiprocket ने बेहतरीन प्रदर्शन किया —

  • कंपनी की ऑपरेटिंग रेवेन्यू 24% साल-दर-साल बढ़ी 📈
  • कंपनी ने पहली बार EBITDA कैश पॉज़िटिव होकर ₹7 करोड़ का मुनाफ़ा दर्ज किया 💰
  • FY24 में ₹128 करोड़ का घाटा था, जो FY25 में घटकर सिर्फ ₹74 करोड़ रह गया 🔻

इन आंकड़ों से साफ है कि कंपनी लॉस से प्रॉफिट की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही है।


🌐 IPO से क्या मिलेगा फायदा?

Shiprocket का IPO न सिर्फ़ निवेशकों के लिए आकर्षक मौका होगा, बल्कि यह भारत के लॉजिस्टिक्स टेक सेक्टर को भी एक बड़ा बूस्ट देगा।
यह IPO देश के उन स्टार्टअप्स के लिए प्रेरणा बनेगा जो सस्टेनेबल ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी पर फोकस कर रहे हैं।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि Shiprocket की लिस्टिंग भारत के टेक और ई-कॉमर्स इकोसिस्टम को नई दिशा दे सकती है — जैसे Zomato और Nykaa ने किया था। 🌟


🧭 आगे की राह

IPO के बाद कंपनी अपनी पूंजी का इस्तेमाल करेगी —

  • टेक्नोलॉजी अपग्रेड्स 💻
  • इंटरनेशनल एक्सपेंशन 🌍
  • वर्किंग कैपिटल स्ट्रेंथनिंग 💪
    के लिए।

Shiprocket का उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में वह भारत से बाहर भी लॉजिस्टिक्स इनोवेशन का चेहरा बने


✨ निष्कर्ष

Shiprocket की SEBI मंजूरी यह साबित करती है कि भारत का लॉजिस्टिक्स टेक सेक्टर अब IPO-ready है।
जहां पहले ई-कॉमर्स कंपनियाँ ही मार्केट का चेहरा थीं, अब लॉजिस्टिक्स प्लेटफ़ॉर्म्स भी अपनी पहचान बना रहे हैं।

📦🚀 Shiprocket का IPO आने वाले महीनों में निवेशकों और मार्केट दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
अब सबकी नज़रें इस पर होंगी कि जब Shiprocket शेयर मार्केट में कदम रखेगा, तो क्या ये “Next Big Delivery” साबित होगा? 😉📈

Read more : Travel Boutique Online (TBO) ने Q2 FY26 में किया शानदार प्रदर्शन — 26% बढ़ा रेवेन्यू, प्रॉफिट में 12% की छलांग! 

🌍 Travel Boutique Online (TBO) ने Q2 FY26 में किया शानदार प्रदर्शन — 26% बढ़ा रेवेन्यू, प्रॉफिट में 12% की छलांग! 🚀

TBO

भारत के प्रमुख बिज़नेस-फोकस्ड ट्रैवल डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म Travel Boutique Online (TBO) ने अपने तिमाही परिणाम घोषित कर दिए हैं।
गुरुग्राम-आधारित यह कंपनी लगातार ग्रोथ मोमेंटम बनाए रखते हुए वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है।

कंपनी के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, TBO का रेवेन्यू साल-दर-साल 26% बढ़कर ₹567 करोड़ पर पहुंच गया है, जबकि इसका नेट प्रॉफिट 12% उछलकर ₹67.5 करोड़ तक पहुंच गया है।


💼 रेवेन्यू में 26% की वृद्धि — होटल और पैकेज बुकिंग बनी मुख्य आय स्रोत

TBO की ऑपरेटिंग इनकम Q2 FY25 के ₹450 करोड़ से बढ़कर ₹567 करोड़ रही।
यह जानकारी कंपनी के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर जारी अनऑडिटेड वित्तीय रिपोर्ट से मिली है।

सबसे खास बात यह रही कि कंपनी की कुल आय का 84% हिस्सा होटल और ट्रैवल पैकेज बुकिंग्स से आया।
यह सेगमेंट साल-दर-साल 34% की शानदार वृद्धि दर्ज करते हुए ₹357 करोड़ से बढ़कर ₹479 करोड़ तक पहुंच गया।

✈️ वहीं, एयर टिकटिंग और अन्य सर्विसेज़ से ₹78 करोड़ की कमाई हुई।
इसके अलावा, अन्य इनकम सोर्सेज़ ने लगभग ₹10 करोड़ का योगदान दिया।


💰 बढ़ते बिज़नेस के साथ खर्चों में भी बढ़ोतरी

जैसा कि उम्मीद थी, जब होटल और पैकेज बुकिंग से सबसे ज़्यादा रेवेन्यू आता है, तो उनसे जुड़ी सर्विस फीस भी सबसे बड़ी लागत बन जाती है।
इस श्रेणी में TBO ने ₹204 करोड़ खर्च किए, जो कि कुल व्यय का लगभग 40% हिस्सा है।

👥 कर्मचारियों से जुड़े खर्च (Employee Benefits) ₹108 करोड़ रहे, जो पिछले तिमाही की तुलना में मामूली वृद्धि दिखाते हैं।

कुल मिलाकर, कंपनी का कुल खर्च 28% बढ़कर ₹504 करोड़ हो गया, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह आंकड़ा ₹394 करोड़ था।


📈 प्रॉफिट में 12% की बढ़त — TBO का मुनाफ़ा ₹67.5 करोड़

भले ही खर्चों में बढ़ोतरी हुई, लेकिन मजबूत रेवेन्यू ग्रोथ ने TBO के प्रॉफिट को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
कंपनी ने Q2 FY26 में ₹67.5 करोड़ का शुद्ध लाभ (Net Profit) दर्ज किया, जो पिछले साल Q2 FY25 में ₹60 करोड़ था — यानी 12% की वृद्धि

अगर आधे वित्तीय वर्ष (H1 FY26) की बात करें, तो कंपनी का कुल प्रॉफिट 8% बढ़कर ₹130.5 करोड़ हो गया, जो पिछले साल H1 FY25 में ₹121 करोड़ था।


📊 स्टॉक परफॉर्मेंस — मार्केट कैप ₹16,261 करोड़ तक पहुंचा

शानदार तिमाही नतीजों का असर TBO Tek के शेयरों पर भी देखने को मिला।
आज (15:48 बजे तक) कंपनी का शेयर प्राइस ₹1,497 पर ट्रेड कर रहा था, जिससे कंपनी की मार्केट कैपिटलाइज़ेशन ₹16,261 करोड़ तक पहुंच गई है।

यह परफॉर्मेंस इस बात का संकेत है कि ट्रैवल सेक्टर में रिकवरी और डिजिटल ट्रांजिशन का लाभ TBO को लगातार मिल रहा है।


✈️ अंतरराष्ट्रीय विस्तार: TBO ने खरीदी US की लग्ज़री ट्रैवल कंपनी Classic Vacations

हाल ही में TBO ने अपने ग्लोबल एक्सपैंशन की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है।
कंपनी की स्टेप-डाउन सब्सिडियरी “TBO LLC” ने अमेरिकी लग्ज़री ट्रैवल कंपनी “Classic Vacations LLC” का अधिग्रहण किया है।

यह डील पूरी तरह कैश ट्रांजैक्शन (All-Cash Deal) में हुई है जिसकी कीमत $125 मिलियन (लगभग ₹1,040 करोड़) बताई जा रही है।

🛫 यह अधिग्रहण TBO को अमेरिका और यूरोप जैसे हाई-वैल्यू मार्केट्स में एंट्री दिलाने में मदद करेगा।
साथ ही, कंपनी अब लक्सरी ट्रैवल सेगमेंट में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रही है।


🧳 TBO की सफलता का फॉर्मूला — टेक्नोलॉजी + पार्टनरशिप

TBO का बिज़नेस मॉडल उसे भारत के पारंपरिक ट्रैवल सेक्टर से अलग बनाता है।
कंपनी एक B2B ट्रैवल डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म है, जो हजारों ट्रैवल एजेंट्स, होटल्स और टूर ऑपरेटर्स को एक साथ जोड़ती है।

इसके साथ-साथ, AI और क्लाउड टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कंपनी ने बुकिंग प्रोसेस को और तेज़ और यूज़र-फ्रेंडली बनाया है।

🤝 कंपनी लगातार अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल पार्टनर्स के साथ भी नई साझेदारियाँ कर रही है ताकि वह अपने नेटवर्क और इन्वेंट्री को ग्लोबली एक्सपैंड कर सके।


📉 महामारी से उभरकर अब ग्रोथ मोड में

ट्रैवल इंडस्ट्री ने कोविड-19 के दौर में जो नुकसान झेला, उससे उभरना आसान नहीं था।
लेकिन TBO ने तेज़ डिजिटल एडेप्शन और मजबूत बिज़नेस नेटवर्किंग के जरिए अपनी स्थिति को न केवल संभाला, बल्कि उसे तेज़ी से बढ़ाया भी है।

📆 FY23 के बाद से कंपनी की हर तिमाही में रेवेन्यू और प्रॉफिट दोनों में डबल-डिजिट ग्रोथ देखने को मिली है, जो इस सेक्टर के प्रति निवेशकों के भरोसे को और बढ़ाती है।


💬 इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय

विश्लेषकों का कहना है कि TBO का Q2 FY26 रिज़ल्ट्स “सस्टेनेबल ग्रोथ” का प्रतीक हैं।
भारत में डिजिटल ट्रैवल बुकिंग, बिज़नेस ट्रैवल और लग्ज़री सेगमेंट की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे TBO जैसी कंपनियों को लंबी अवधि में बड़ा फायदा मिलेगा।


🔮 आगे की राह — अंतरराष्ट्रीय मार्केट पर फोकस

TBO अब भारत से बाहर के मार्केट्स में भी तेजी से विस्तार कर रही है।
Classic Vacations की डील इसके लिए पहला बड़ा कदम है।
कंपनी आने वाले महीनों में नई टेक्नोलॉजी, कंटेंट इंटीग्रेशन और API सॉल्यूशंस पर निवेश करने की योजना बना रही है।

अगर यह रणनीति सफल रहती है, तो TBO न सिर्फ भारत, बल्कि ग्लोबल ट्रैवल टेक सेक्टर में भी अपनी पहचान बना सकती है। 🌐


✨ निष्कर्ष

TBO ने Q2 FY26 में यह साबित कर दिया है कि स्थिर वृद्धि और टेक्नोलॉजी-चालित रणनीति से ही किसी कंपनी को लंबी दौड़ में सफलता मिलती है।
26% रेवेन्यू ग्रोथ, 12% प्रॉफिट इज़ाफ़ा और अंतरराष्ट्रीय विस्तार के साथ TBO अब भारत के सबसे मजबूत ट्रैवलटेक ब्रांड्स में से एक बन चुका है।

आने वाले समय में इसका ध्यान रहेगा —
👉 AI-पावर्ड ट्रैवल टेक्नोलॉजी,
👉 ग्लोबल पार्टनर नेटवर्क, और
👉 सस्टेनेबल प्रॉफिटेबिलिटी पर।

TBO का यह प्रदर्शन भारतीय ट्रैवल सेक्टर के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है — “डिजिटल इंडिया से ग्लोबल इंडिया” तक की उड़ान ✈️✨

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🎮 Zupee ने की ऑस्ट्रेलियाई AI स्टार्टअप Nucanon की खरीद

Zupee

भारत की लोकप्रिय सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म Zupee ने अपनी गेमिंग दुनिया में बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया स्थित AI स्टार्टअप Nucanon का अधिग्रहण कर लिया है। हालांकि, डील की राशि का खुलासा नहीं किया गया है।

यह अधिग्रहण Zupee के लिए एक नई दिशा की शुरुआत है — अब कंपनी AI-पावर्ड इंटरएक्टिव स्टोरीटेलिंग वर्टिकल पर फोकस करने जा रही है, जिससे खिलाड़ियों को गेम्स के साथ-साथ रोमांचक कहानियों का अनुभव मिलेगा।


🔄 Zupee का बड़ा पिवट — RMG से हटकर अब Social & Casual Gaming की राह

कुछ समय पहले तक Zupee भारत के रियल-मनी गेमिंग (RMG) सेगमेंट में बड़ा नाम था, लेकिन सरकार द्वारा RMG प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कंपनी ने अपनी रणनीति बदल दी।

अब Zupee ने खुद को सोशल और कैज़ुअल गेमिंग की दिशा में मोड़ लिया है। साथ ही कंपनी ने अपने नए सब्सक्रिप्शन प्रोडक्ट्स जैसे Zupee Plus और शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट ब्रांड Zupee Studio के साथ भी प्रयोग शुरू किया है।

यह बदलाव कंपनी की कोशिशों को दिखाता है कि कैसे वह भारतीय गेमिंग बाजार में अपनी स्थिति को बरकरार रखते हुए, AI और इंटरएक्टिव स्टोरीटेलिंग के ज़रिए नया अनुभव देना चाहती है।


🤖 Nucanon टीम अब करेगी भारत से नेतृत्व

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, Nucanon की फाउंडिंग टीम अब Zupee के इंडिया हेडक्वार्टर्स में शिफ्ट होगी। यह टीम Zupee के नए Interactive Storytelling प्रोडक्ट्स की लीडरशिप करेगी।

इस कदम से कंपनी अपनी टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट और डिज़ाइन टीमों का विस्तार भी करने जा रही है, ताकि भारत और ग्लोबल मार्केट दोनों के लिए नए और एडवांस्ड गेमिंग एक्सपीरियंस लॉन्च किए जा सकें।


🌍 Nucanon की AI तकनीक से खिलाड़ी खुद बनाएंगे कहानी का मोड़

Zupee, Nucanon की तकनीक को अपने प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करने की योजना बना रही है।
यह AI इंजन कहानी को यूजर की पसंद और निर्णयों के आधार पर बदलने की क्षमता रखता है।

इस इंजन की कुछ खास बातें 👇

  • 🎭 कैरेक्टर्स खिलाड़ियों के पिछले इंटरैक्शन याद रखेंगे
  • 🧭 कहानी यूजर की चॉइस के हिसाब से आगे बढ़ेगी
  • 📖 हर खिलाड़ी को मिलेगा एक यूनिक स्टोरीलाइन अनुभव

इसका मतलब है कि Zupee पर गेम खेलते वक्त खिलाड़ी अब केवल जीतने के लिए नहीं, बल्कि खुद अपनी कहानी जीने के लिए लॉग इन करेंगे।


💼 2018 में हुई थी शुरुआत, अब 150 मिलियन से ज़्यादा यूज़र्स!

Zupee की स्थापना 2018 में Dilsher Malhi और Siddhant Saurabh ने की थी।
कंपनी ने बहुत कम समय में भारत के टॉप गेमिंग स्टार्टअप्स में अपनी जगह बनाई और 150 मिलियन से ज़्यादा रजिस्टर्ड यूज़र्स का दावा किया।

हालांकि, सितंबर 2024 में कंपनी को 170 कर्मचारियों (करीब 30%) की छंटनी करनी पड़ी, ताकि ऑपरेशन्स को दोबारा संगठित किया जा सके। यह कदम सरकार द्वारा RMG प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन के बाद उठाया गया था।


📈 FY24 में 35% रेवेन्यू ग्रोथ और ₹146 करोड़ का प्रॉफिट!

सिर्फ स्ट्रैटेजी ही नहीं, Zupee के फाइनेंशियल्स भी मजबूत दिख रहे हैं।

  • कंपनी का रेवेन्यू FY23 के ₹832 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹1,123 करोड़ हो गया — यानी 35% की साल-दर-साल वृद्धि।
  • सबसे बड़ी बात — Zupee ने FY24 में ₹146 करोड़ का नेट प्रॉफिट दर्ज किया।
  • कंपनी ने यह पहली बार प्रॉफिटेबिलिटी हासिल की है, जो गेमिंग सेक्टर के लिए एक पॉज़िटिव संकेत है।

हालांकि, FY25 के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं, लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि Zupee के नए प्रोडक्ट्स और AI-ड्रिवन एक्सपैंशन से इसकी ग्रोथ ट्रैजेक्टरी और तेज़ होगी।


🎨 Storytelling + Gaming = Future of Social Entertainment!

Zupee की नई रणनीति यह दिखाती है कि गेमिंग का भविष्य सिर्फ स्कोर या रिवॉर्ड तक सीमित नहीं रहने वाला।
AI और स्टोरीटेलिंग के मेल से खिलाड़ी अब ऐसे गेम्स खेल पाएंगे जहाँ कहानी उनकी अपनी पसंद से बनेगी

Zupee की कोशिश है कि वह इंटरएक्टिव स्टोरी गेम्स को भारत के साथ-साथ इंटरनेशनल मार्केट्स में भी लॉन्च करे।
अगर यह सफल रहा, तो यह भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक नया सब-सेगमेंट “AI Story Games” तैयार कर सकता है।


💬 फाउंडर Dilsher Malhi का विज़न

कंपनी के CEO और को-फाउंडर Dilsher Malhi ने कहा था कि

“हमारा मिशन है गेमिंग को सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि कहानी और भावनाओं का अनुभव बनाना। Nucanon की AI हमें यह सपना साकार करने में मदद करेगी।”

यह बयान साफ दर्शाता है कि Zupee अब सिर्फ एक गेमिंग कंपनी नहीं, बल्कि AI-पावर्ड इंटरएक्टिव एंटरटेनमेंट ब्रांड बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।


📊 निष्कर्ष: Zupee का अगला अध्याय शुरू!

Nucanon के अधिग्रहण के साथ, Zupee ने भारत के गेमिंग स्टार्टअप्स को एक नया रास्ता दिखाया है —
जहाँ AI, कहानी और गेमिंग एक साथ मिलकर खिलाड़ियों को इमर्सिव एक्सपीरियंस देंगे।

Zupee अब सिर्फ “प्ले टू विन” प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि “प्ले टू एक्सपीरियंस” दुनिया की ओर कदम बढ़ा रहा है।
अगर कंपनी इस विज़न को सही तरीके से लागू करती है, तो यह भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री के इतिहास में AI इंटीग्रेशन का गेम-चेंजर मोमेंट साबित हो सकता है। 🎯

Read more : Pine Labs IPO ₹210-₹221 प्राइस बैंड तय, ₹23,573 करोड़ वैल्यूएशन पर फिनटेक यूनिकॉर्न की बड़ी चाल!

💸 Pine Labs IPO ₹210-₹221 प्राइस बैंड तय, ₹23,573 करोड़ वैल्यूएशन पर फिनटेक यूनिकॉर्न की बड़ी चाल!

Pine Labs

भारत के टॉप फिनटेक यूनिकॉर्न्स में से एक Pine Labs आखिरकार अपने लंबे इंतज़ार वाले IPO के साथ स्टॉक मार्केट में दस्तक देने जा रहा है। कंपनी ने अपने IPO प्राइस बैंड ₹210 से ₹221 प्रति शेयर तय किया है, जिससे इसकी वैल्यूएशन करीब ₹23,573 करोड़ (लगभग $2.7 बिलियन) बनती है।

इस पब्लिक इश्यू ने जहां पहले दौर के निवेशकों के लिए शानदार एग्जिट तैयार किया है, वहीं लेट-स्टेज इन्वेस्टर्स को ज़्यादा मुनाफा देखने की उम्मीद नहीं है।


🚀 Peak XV को मिला गोल्डन एग्जिट – 39.5X का शानदार रिटर्न!

IPO एनालिसिस के मुताबिक, Peak XV Partners (पहले Sequoia Capital India) को इस लिस्टिंग से सबसे बड़ा फायदा मिलेगा — यानी करीब 39.5X का रिटर्न 🔥।
इसके अलावा, Madison India को लगभग 5.6X, और Sofina Ventures को 4.7X का शानदार मुनाफा होने की उम्मीद है।

लेकिन जिन निवेशकों ने Pine Labs में बाद के फंडिंग राउंड्स में एंट्री ली थी, उनके लिए हालात थोड़े कमज़ोर दिख रहे हैं।


📉 लेट-स्टेज इन्वेस्टर्स के लिए लिमिटेड गेन या लॉस

IPO प्राइसिंग से साफ है कि कुछ निवेशकों के लिए यह डील “कम रिटर्न” वाला सौदा साबित हो सकता है।

  • Temasek और PayPal को अपने निवेश पर 3X से कम रिटर्न मिलने का अनुमान है।
  • Mastercard को करीब 1.7X का रिटर्न मिलेगा।
  • वहीं Invesco, जिसने सबसे ऊँचे वैल्यूएशन पर निवेश किया था, को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
  • Lone Cascade की स्थिति “ब्रेक ईवन” जैसी है, यानी बस बराबरी पर पहुंचना।

💰 OFS में कौन कितना कैश आउट करेगा?

IPO के Offer for Sale (OFS) में कुछ बड़े निवेशक आंशिक रूप से अपनी हिस्सेदारी बेचकर नकदी निकालेंगे।

  • Peak XV Partners को करीब ₹508.4 करोड़ मिलेंगे
  • Actis को लगभग ₹194.7 करोड़
  • Temasek को ₹193.3 करोड़
  • PayPal को ₹150 करोड़
  • Mastercard को ₹130.9 करोड़

वहीं अन्य शेयरहोल्डर्स जैसे Invesco (₹71 करोड़), Madison India (₹66.7 करोड़), Lone Cascade (₹53 करोड़), Sofina Ventures (₹44.2 करोड़) और फाउंडर Lokvir Kapoor (₹49.1 करोड़) भी अपने कुछ शेयर बेचेंगे।


📉 $6 बिलियन से $2.7 बिलियन तक — वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट

ध्यान देने वाली बात यह है कि Pine Labs की यह वैल्यूएशन 2022 के $6 बिलियन टारगेट से लगभग आधे स्तर पर आ गई है।
यह गिरावट सिर्फ Pine Labs के लिए नहीं, बल्कि पूरे फिनटेक सेक्टर में वैल्यूएशन रीसेट को दिखाती है — जहाँ अब इन्वेस्टर्स प्रॉफिटेबिलिटी और स्टेबल कैश फ्लो को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं, न कि सिर्फ हाई ग्रोथ स्टोरी को।


🧾 IPO डिटेल्स: ₹3,900 करोड़ का पब्लिक इश्यू

Pine Labs का ₹3,900 करोड़ का IPO दो हिस्सों में बाँटा गया है:

  • ₹2,080 करोड़ का फ्रेश इश्यू
  • और ₹1,820 करोड़ का OFS (यानी शेयर सेल बाय एग्ज़िस्टिंग इन्वेस्टर्स)

कंपनी फ्रेश इश्यू से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल डेट रिपेमेंट, टेक्नोलॉजी अपग्रेड्स और इंटरनेशनल एक्सपैंशन में करेगी।


📊 कौन है सबसे बड़ा शेयरहोल्डर?

RHP (Red Herring Prospectus) के अनुसार:

  • Peak XV Partners के पास है सबसे बड़ी हिस्सेदारी – 20.25%
  • Temasek के पास 7.06%
  • PayPal के पास 5.98%
  • Actis Pine Labs Investment के पास 5.75%
  • Mastercard के पास 5.22%
  • और Alpha Wave के पास 3.37%

📈 फाइनेंशियल परफॉर्मेंस: FY25 में 28.5% ग्रोथ, FY26 में प्रॉफिटेबल!

Pine Labs ने FY25 में 28.5% साल-दर-साल ग्रोथ दर्ज की — कंपनी की रेवेन्यू ₹1,769 करोड़ से बढ़कर ₹2,274 करोड़ हो गई।
नेट लॉस भी 57% घटकर ₹145 करोड़ रह गया।

सबसे बड़ी बात — FY26 की पहली तिमाही में Pine Labs ने प्रॉफिट दर्ज किया, ₹616 करोड़ रेवेन्यू पर ₹4.7 करोड़ नेट प्रॉफिट


🏦 भारत के फिनटेक IPOs के लिए पॉज़िटिव सिग्नल

अगर Pine Labs का IPO सफल रहा 💥 तो यह भारत के अन्य फिनटेक यूनिकॉर्न्स — जैसे Razorpay, Cashfree, और Zerodha के लिए एक मजबूत संकेत साबित हो सकता है।
हालांकि, अब नए IPOs को यथार्थवादी वैल्यूएशन और सस्टेनेबल ग्रोथ पर फोकस करना होगा।


🔍 निष्कर्ष

Pine Labs का IPO भारत के स्टार्टअप ईकोसिस्टम के लिए सिर्फ एक पब्लिक इश्यू नहीं, बल्कि वैल्यूएशन और प्रॉफिटेबिलिटी के नए बैलेंस की कहानी है।
जहाँ शुरुआती निवेशकों ने जैकपॉट मारा 💰, वहीं बाद के निवेशकों के लिए यह IPO “रियलिटी चेक” साबित हो सकता है।
अब नज़रें इस पर टिकी हैं कि क्या Pine Labs का मार्केट डेब्यू, भारत की फिनटेक स्टोरी को फिर से रफ़्तार देगा या नहीं। 🚀

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☁️ ZingHR ने FY25 में हासिल की प्रॉफिटेबिलिटी: ₹150 करोड़ रेवेन्यू के साथ नुकसान से निकली कंपनी 🚀

ZingHR

क्लाउड-आधारित HRtech स्टार्टअप ZingHR ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में जबरदस्त वित्तीय सुधार दिखाया है। कंपनी ने पिछले साल हुए ₹7 करोड़ के घाटे से निकलकर ₹1 करोड़ का मुनाफा कमाया है। इसके साथ ही ZingHR अब भारतीय HR टेक्नोलॉजी सेक्टर की उन चुनिंदा कंपनियों में शामिल हो गई है, जिन्होंने स्थायी प्रॉफिटेबिलिटी हासिल की है।


💼 रेवेन्यू में 21% की ग्रोथ, ₹150 करोड़ तक पहुंची कमाई

Registrar of Companies (RoC) में दाखिल वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, FY25 में ZingHR का Revenue from Operations ₹150 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹124 करोड़ से 21% की वृद्धि दर्शाता है।
📊 यानी कंपनी ने न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि खर्चों को भी सख्ती से नियंत्रित किया — यही इसका टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

ZingHR का मुख्य राजस्व स्रोत है —

Subscription-based Software Sales, यानी कंपनियों को क्लाउड-बेस्ड HR मैनेजमेंट और हायरिंग टूल्स की सब्सक्रिप्शन सेवाएं।

यह मॉडल इसे लगातार Recurring Revenue देता है, जो HRtech सेक्टर में स्थायी ग्रोथ का संकेत है।


🧩 बिज़नेस मॉडल: HR सॉल्यूशंस से लेकर टैलेंट एक्विज़िशन तक

ZingHR आज BFSI, रिटेल, और IT जैसे सेक्टर्स में स्टाफिंग, रिक्रूटमेंट, टैलेंट एक्विज़िशन और परफॉर्मेंस मैनेजमेंट सेवाएं देती है।
इसका सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म कंपनियों को एंड-टू-एंड HR मैनेजमेंट की सुविधा देता है —

  • ऑनबोर्डिंग
  • पे-रोल प्रोसेसिंग
  • एम्प्लॉयी परफॉर्मेंस ट्रैकिंग
  • टैलेंट रिटेंशन एनालिटिक्स

कंपनी का दावा है कि इसके प्लेटफ़ॉर्म पर अब तक 1000+ एंटरप्राइज क्लाइंट्स और 1 मिलियन से अधिक यूज़र्स सक्रिय हैं।


📉 खर्चों पर नियंत्रण: Employee Cost स्थिर, Legal Fees बढ़ीं

ZingHR की रिपोर्ट के अनुसार, FY25 में कंपनी के कुल खर्च ₹150 करोड़ रहे, जो FY24 के ₹133 करोड़ से 13% की वृद्धि दिखाते हैं।

मुख्य खर्च इस प्रकार रहे —

  • 👩‍💼 Employee Benefits: ₹80 करोड़ (FY24 में ₹81 करोड़) — कुल खर्च का 53%
  • 💾 Server & Data Security Charges: ₹17 करोड़ (42% की वृद्धि)
  • ⚖️ Legal & Professional Fees: ₹17 करोड़ (लगभग दोगुनी वृद्धि)
  • 🛠️ Product Maintenance: ₹11 करोड़ (22% की वृद्धि)
  • 🏢 Rent: ₹4 करोड़ (33% की वृद्धि)

इस तरह जबकि डेटा सुरक्षा और लीगल खर्च बढ़े, ZingHR ने हायरिंग और ऑपरेशनल कॉस्ट को स्थिर रखा — जिससे उसका कुल Cost Efficiency बेहतर हुआ।


💰 FY25 में प्रॉफिट की वापसी: ₹1 करोड़ का मुनाफा

FY24 के ₹7 करोड़ के घाटे से निकलकर ZingHR ने FY25 में ₹1 करोड़ का शुद्ध मुनाफा (Net Profit) दर्ज किया है।
इस सुधार का श्रेय कंपनी की राजस्व वृद्धि और खर्च नियंत्रण रणनीति को जाता है।

मुख्य वित्तीय संकेतक —

  • ROCE (Return on Capital Employed): 1.21%
  • EBITDA Margin: 0.80%
  • Revenue per Rupee Spent: ₹1 की कमाई पर ₹1 खर्च (FY24 में ₹1.07 था)

यानि अब कंपनी हर ₹1 की कमाई के लिए सिर्फ ₹1 खर्च कर रही है — यह ऑपरेशनल एफिशिएंसी का बड़ा संकेत है।


🏦 बैलेंस शीट की मजबूती: ₹80 करोड़ की कुल संपत्ति

ZingHR की Total Assets FY25 में ₹80 करोड़ तक पहुंच गईं, जो FY24 के ₹71 करोड़ से 13% अधिक हैं।
कंपनी के Current Assets ₹58 करोड़ और Cash & Bank Balances ₹8 करोड़ रहे, जिससे यह स्पष्ट है कि कंपनी अब मजबूत Cash Flow Position में है।


💸 निवेश और शेयरहोल्डिंग: Tata Capital की 35.82% हिस्सेदारी

डेटा प्लेटफ़ॉर्म TheKredible के अनुसार, अब तक ZingHR ने कुल $14 मिलियन (लगभग ₹117 करोड़) का निवेश जुटाया है।
इसमें प्रमुख निवेशक Tata Capital है, जो कंपनी में 35.82% हिस्सेदारी रखता है।

Tata Capital का यह निवेश न केवल वित्तीय सहायता है, बल्कि यह ZingHR की मार्केट क्रेडिबिलिटी को भी मजबूत बनाता है — क्योंकि Tata Capital भारत के भरोसेमंद संस्थागत निवेशकों में से एक है।


🤝 कॉम्पिटिशन: Darwinbox बना बड़ा प्रतिद्वंद्वी

ZingHR का सबसे बड़ा मुकाबला है Hyderabad-आधारित Darwinbox से, जो भारत और अंतरराष्ट्रीय HRtech बाजार में तेजी से बढ़ रहा है।
FY25 में Darwinbox का कुल राजस्व ₹534 करोड़ रहा (FY24 में ₹334 करोड़), जिसमें से 63% आय अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आई।

हालांकि Darwinbox अभी भी घाटे में है, लेकिन उसका नेट लॉस FY24 की तुलना में 7% घटा है।
इससे साफ है कि भारतीय HRtech सेक्टर में अब प्रतिस्पर्धा ग्लोबल लेवल तक पहुंच चुकी है।


🔍 क्या बनाता है ZingHR को अलग?

  1. 100% क्लाउड-आधारित HR प्लेटफ़ॉर्म
  2. SaaS मॉडल पर आधारित स्थिर राजस्व
  3. भारतीय बिज़नेस आवश्यकताओं के अनुसार लोकलाइज्ड सॉल्यूशंस
  4. AI और ऑटोमेशन से लैस HR टूल्स
  5. कम बर्न रेट और हाई ऑपरेशनल एफिशिएंसी

इन सभी फैक्टर्स के कारण ZingHR ने न केवल घाटे से उबरने में सफलता पाई, बल्कि अपने आप को सस्टेनेबल SaaS बिजनेस के रूप में स्थापित किया है।


🌟 भविष्य की दिशा

ZingHR अब अपने अगले विकास चरण की तैयारी में है।
कंपनी का फोकस रहेगा —

  • नए AI-पावर्ड हायरिंग और टैलेंट रिटेंशन टूल्स लॉन्च करना
  • Southeast Asia और Middle East में विस्तार
  • और मिड-साइज्ड एंटरप्राइजेज को टारगेट करना, जो अब तेजी से क्लाउड HR सॉल्यूशंस अपनाने लगे हैं।

🧩 निष्कर्ष

FY25 ZingHR के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है।
₹150 करोड़ के रेवेन्यू, ₹1 करोड़ के प्रॉफिट और 21% सालाना ग्रोथ के साथ कंपनी ने यह दिखा दिया है कि सस्टेनेबल SaaS बिज़नेस मॉडल भारत में भी संभव है।

Tata Capital जैसे बड़े निवेशकों का भरोसा और Darwinbox जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा ने ZingHR को और अधिक इनोवेटिव बनने के लिए प्रेरित किया है।

💬 जैसा कि कंपनी के प्रवक्ता ने कहा —
“हमारा उद्देश्य केवल HR को डिजिटाइज़ करना नहीं, बल्कि उसे इंटेलिजेंट बनाना है।”

ZingHR अब भारतीय HRtech सेक्टर में “लॉस से प्रॉफिट की प्रेरक कहानी” बनकर उभर रही है। ✨

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