एग्रीटेक क्षेत्र ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र साबित किया है। अब तक इस क्षेत्र से कोई भी यूनिकॉर्न स्टार्टअप उभरकर सामने नहीं आया है, और अधिकांश वेंचर-बैक्ड स्टार्टअप लाभप्रदता से कोसों दूर हैं।
हालांकि, देहात और निंजाकार्ट जैसे प्रमुख एग्रीटेक स्टार्टअप्स ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में ₹2,000 करोड़ से अधिक का ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) हासिल किया, लेकिन ग्रामोफोन के लिए यह साल कठिन साबित हुआ।
गुरुग्राम आधारित Gramophone का GMV वित्त वर्ष 2024 में 69% घटकर ₹98 करोड़ रह गया, जो FY23 में ₹316 करोड़ था।
Gramophone: एक परिचय
Gramophone की स्थापना 2016 में निशांत महात्रे और तौसीफ खान ने की थी।
यह प्लेटफॉर्म किसानों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है:
- फसल सुरक्षा और पोषण उत्पाद।
- बीज और कृषि उपकरण।
- फसल बिक्री की सुविधा (ग्राम व्यापार फीचर के माध्यम से)।
ग्रामोफोन का दावा है कि वह 50,000 गांवों में सेवाएं प्रदान करता है और 20 लाख से अधिक किसान और रिटेलर्स इसके नेटवर्क का हिस्सा हैं।
वित्तीय प्रदर्शन: राजस्व और व्यय
राजस्व में गिरावट
ग्रामोफोन का FY24 में ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) ₹98 करोड़ रहा, जबकि FY23 में यह ₹316 करोड़ था।
- कंपनी के मुख्य राजस्व का स्रोत एग्री-इनपुट्स की बिक्री है।
- राजस्व में गिरावट का प्रमुख कारण कंपनी का घटता हुआ परिचालन स्केल है।
खर्च में कमी
ग्रामोफोन के कुल खर्चों में 64% की कमी आई, जो FY23 में ₹374 करोड़ से घटकर FY24 में ₹133 करोड़ रह गए।
- एग्री-इनपुट्स की खरीद लागत:
- FY24 में ₹90 करोड़ (FY23 में ₹304 करोड़ से 70% कम)।
- यह खर्च कंपनी के कुल व्यय का 68% हिस्सा है।
- अन्य खर्च:
- कर्मचारी लाभ, पैकेजिंग, विज्ञापन, और अन्य परिचालन लागत ने FY24 में कंपनी के खर्च को प्रभावित किया।
एग्रीटेक सेक्टर में चुनौतियां
यूनिकॉर्न की कमी
एग्रीटेक स्टार्टअप्स को अभी तक यूनिकॉर्न बनने का मौका नहीं मिला है।
- लाभप्रदता तक पहुंचने में कठिनाई और स्थायी राजस्व मॉडल का अभाव इस क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां हैं।
- एग्रीटेक क्षेत्र को अक्सर उच्च परिचालन लागत और निम्न मार्जिन का सामना करना पड़ता है।
ग्रामोफोन के लिए चुनौतियां
- कम होता परिचालन स्केल:
- GMV में भारी गिरावट कंपनी के व्यवसाय मॉडल पर सवाल खड़ा करता है।
- कठिन प्रतिस्पर्धा:
- देहात और निंजाकार्ट जैसे खिलाड़ियों की स्थिर वृद्धि ने ग्रामोफोन के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है।
- कृषि क्षेत्र की अस्थिरता:
- खेती के मौसम, फसल की कीमतों, और सरकारी नीतियों में बदलाव से भी कंपनी की वृद्धि प्रभावित होती है।
कंपनी की सेवाओं का प्रभाव
ग्रामोफोन ने अब तक कई किसानों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराए हैं:
- कृषि उत्पादों तक पहुंच:
- ग्रामोफोन ने बीज, उर्वरक, और उपकरणों की उपलब्धता को सरल बनाया है।
- डायरेक्ट सेलिंग प्लेटफॉर्म:
- ग्राम व्यापार फीचर के जरिए किसानों को अपनी फसलें सीधे बेचने का मौका मिलता है, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं।
हालांकि, राजस्व में गिरावट और खर्चों में कटौती कंपनी के भविष्य के लक्ष्यों को प्रभावित कर सकती है।
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
कंपनी के लिए संभावित सुधार
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश:
- किसानों को सशक्त बनाने के लिए ग्रामोफोन को अपनी तकनीकी सेवाओं में सुधार करना होगा।
- नई साझेदारियां:
- एग्रीटेक सेक्टर में साझेदारी करके लागत को कम और पहुंच को बढ़ाना।
- लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित:
- परिचालन मॉडल को इस तरह से पुनर्गठित करना, जिससे लाभप्रदता हासिल की जा सके।
एग्रीटेक सेक्टर का भविष्य
एग्रीटेक सेक्टर में अभी भी बड़े पैमाने पर संभावनाएं हैं।
- NABARD और भारत सरकार की योजनाएं इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
- 2025 तक, भारतीय एग्रीटेक बाजार का आकार $24 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
ग्रामोफोन का FY24 में राजस्व में गिरावट और खर्चों में कमी एग्रीटेक सेक्टर की चुनौतियों को उजागर करता है।
- हालांकि, कंपनी के पास अब भी बड़े स्तर पर किसानों की मदद करने और अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने का मौका है।
- यदि ग्रामोफोन नई रणनीतियों को अपनाता है और अपने परिचालन स्केल को पुनः प्राप्त करता है, तो वह देहात और निंजाकार्ट जैसे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकता है।
एग्रीटेक क्षेत्र के विकास के लिए स्थायी व्यवसाय मॉडल, सरकारी समर्थन, और किसानों की जरूरतों को समझना आवश्यक है। ग्रामोफोन जैसे स्टार्टअप्स के लिए यह सही समय है कि वे अपनी सेवाओं को पुनर्गठित करें और भारतीय कृषि में बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभाएं।
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