भारत की मशहूर पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी Hector Beverages Pvt Ltd, जो लोकप्रिय ब्रांड Paper Boat की निर्माता है, ने वित्त वर्ष 2025 (मार्च में समाप्त) में steady growth दिखाई। कंपनी का operating scale 16% बढ़ा और घाटा 24% घटकर ₹50 करोड़ से नीचे आ गया। 📉➡️📈
📊 Paper Boat FY25 में कैसा रहा प्रदर्शन?
Registrar of Companies (RoC) से प्राप्त वित्तीय दस्तावेज़ों के अनुसार, Paper Boat की operating revenue FY24 में ₹574.48 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹668.28 करोड़ पहुँच गई।
इसके साथ ही कंपनी को ₹14.2 करोड़ non-operating income (मुख्य रूप से बैंक जमा पर ब्याज से) भी मिली, जिससे कुल आय ₹682.44 करोड़ रही।
👉 यानी Paper Boat ने steady growth दिखाया, लेकिन अभी भी profitability तक का सफर बाकी है।
🏭 Products से आय का ब्योरा
Paper Boat के products का revenue breakup कुछ इस तरह रहा:
- Third-party manufacturers से products का कारोबार → कुल operating revenue का 66% (₹441.43 करोड़)। यह FY24 के ₹304.32 करोड़ से 45% ज्यादा है।
- खुद के manufactured products से राजस्व → कुल revenue का 33.78% (₹225.72 करोड़)। इसमें 16% की गिरावट दर्ज हुई।
👉 मतलब कंपनी का खुद का manufacturing base कमजोर पड़ा है, जबकि outsourced products से ज्यादा growth मिली है।
💰 खर्चों का हाल
कंपनी के कुल खर्च ₹716.53 करोड़ तक पहुँच गए। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा materials cost का रहा, जो 62% यानी ₹444 करोड़ था।
- Employee खर्च: ₹90.35 करोड़ (32% बढ़ा)
- Selling & Distribution: ₹58.47 करोड़
- Advertisement, travel, depreciation व अन्य खर्च: शेष हिस्सा
Unit economics की बात करें तो Paper Boat ने FY25 में ₹1 की revenue कमाने के लिए ₹1.07 खर्च किया।
📉 घाटे में सुधार
Peak XV-backed इस कंपनी ने FY25 में घाटा ₹63.5 करोड़ से घटाकर ₹48.25 करोड़ किया, यानी लगभग 24% की गिरावट।
- ROCE (Return on Capital Employed): -14%
- EBITDA Margin: -3.86%
हालांकि घाटा कम हुआ है, लेकिन sustainable profitability तक पहुँचना अभी चुनौती है।
🏦 कंपनी की financial स्थिति
मार्च 2025 तक Paper Boat के पास ₹276.17 करोड़ की current assets थीं, जिसमें से ₹42.39 करोड़ cash और bank balance शामिल है।
💡 निवेशक और फंडिंग
Startup data intelligence platform TheKredible के अनुसार, Paper Boat ने अब तक $143 मिलियन जुटाए हैं। इसके प्रमुख निवेशक हैं:
- GIC – 25% हिस्सेदारी
- Peak XV और Sofina Ventures – 18% से अधिक हिस्सेदारी
- A91 Partners
👉 यानी कंपनी के पास बड़े-बड़े investors का support है, लेकिन growth numbers investors की उम्मीदों से मेल नहीं खा रहे।
🕰️ 12 साल की कहानी
Paper Boat की शुरुआत 2012 में Neeraj Kakkar और Niraj Biyani (पूर्व Coca-Cola executives) ने की थी। उस समय उम्मीद थी कि यह कंपनी beverages industry में क्रांति लाएगी।
Paper Boat ने PR, design और packaging innovations के जरिए market में buzz बनाया। इसके nostalgic campaigns जैसे “Drinks and Memories” ने consumer attention खींचा।
लेकिन ground reality यह है कि Indian juices market उतना evolve नहीं हुआ, जितनी उम्मीद थी। Pure 100% juices अभी भी महंगे हैं और mass consumers तक नहीं पहुँच पाए। नतीजा, कई players fail हुए और Paper Boat को भी diluted products व snacks की ओर pivot करना पड़ा।
📉 Market Reality vs उम्मीदें
जहां 2012 में FMCG investors को उम्मीद थी कि beverages में 20%+ growth होगी, वहीं पिछले दशक में market ने अपनी expectations low teens growth (10-15%) तक घटा दी।
Paper Boat ने FY25 में 16% growth दिखाई, जो decent है, लेकिन घाटा अभी भी business model पर सवाल उठाता है।
साथ ही, FMCG valuations में गिरावट आने से Paper Boat के attractive acquisition या बड़े exit की उम्मीदें भी कम होती दिख रही हैं।
🎯 आगे की राह
Paper Boat के लिए आने वाले सालों में सबसे बड़ी चुनौतियाँ होंगी:
- खुद के manufacturing को revive करना 🏭
- profitability पर focus करना 💰
- product portfolio diversify करना 🍪🥤
- supply chain और cost management मजबूत करना
Experts मानते हैं कि अगर Paper Boat steady growth और घाटे में कमी जारी रखे, तो यह beverages और snacks space में एक niche, लेकिन sustainable ब्रांड बन सकता है।
🏁 निष्कर्ष
Paper Boat की FY25 रिपोर्ट एक mixed bag है।
- Revenue बढ़ा ✅
- Losses घटे ✅
- लेकिन profitability और strong growth अभी भी दूर ❌
12 साल बाद Paper Boat की कहानी हमें ये सिखाती है कि startup दुनिया में सिर्फ brand goodwill और PR काफी नहीं होता। असली success sustainable business model और market dynamics को सही तरीके से handle करने में है।
👉 Paper Boat अभी भी game में है, लेकिन investors और market दोनों इसकी long-term strategy पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
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