एचआर टेक प्लेटफॉर्म Keka ने FY24 में 62% की वृद्धि दर्ज की, लेकिन घाटा 2.8 गुना बढ़ा

Keka

एचआर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म Keka  ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) के दौरान शानदार 62% सालाना वृद्धि दर्ज की। हालांकि, इस वृद्धि की कीमत कंपनी को भारी घाटे के रूप में चुकानी पड़ी। हैदराबाद स्थित इस फर्म का घाटा पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2.8 गुना बढ़ गया


Keka  राजस्व में वृद्धि

Keka  की संचालन से होने वाली आय FY24 में ₹78 करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष (FY23) में ₹48 करोड़ थी।

  • वर्ष दर वर्ष वृद्धि: कंपनी ने राजस्व में 30 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की।
  • उपयोगकर्ता आधार: Keka के प्रोडक्ट्स और सेवाओं की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे इसका ग्राहक आधार बढ़ा है।

बढ़ा हुआ घाटा

हालांकि, राजस्व में वृद्धि के बावजूद कंपनी का घाटा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.8 गुना बढ़ गया।

  • कारण:
    1. बढ़े हुए ऑपरेशनल खर्च: कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स को अपग्रेड करने और मार्केटिंग पर अधिक निवेश किया।
    2. नए ग्राहकों को जोड़ने की लागत: Keka ने अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी निवेश किया।
    3. तकनीकी उन्नयन: नए फीचर्स और उत्पाद विकास में बड़े पैमाने पर निवेश।
  • घाटे का प्रभाव:
    • निवेशकों और साझेदारों की चिंताएं बढ़ सकती हैं।
    • नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ सकता है।

Keka का विकास और भूमिका

Keka, जो 10 साल पुरानी फर्म है, एचआर मैनेजमेंट सॉल्यूशंस में विशेषज्ञता रखती है।

  • मुख्य सेवाएं:
    • पेरोल मैनेजमेंट
    • परफॉर्मेंस ट्रैकिंग
    • टाइम और अटेंडेंस मैनेजमेंट
    • रिक्रूटमेंट प्रोसेस ऑप्टिमाइजेशन
  • ग्राहक:
    • Keka की सेवाओं का उपयोग छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों द्वारा किया जाता है।
    • कंपनी के पास भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हजारों ग्राहक हैं।

बाजार में Keka की स्थिति

भारत में एचआर टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

  • प्रतिस्पर्धा:
    • Keka का मुकाबला Darwinbox, Zoho People, और GreytHR जैसी कंपनियों से है।
    • कंपनी ने खुद को छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए एक प्रमुख समाधान प्रदाता के रूप में स्थापित किया है।
  • मार्केट शेयर:
    • Keka का मार्केट शेयर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, और यह प्रमुख एचआर टेक प्लेटफॉर्म्स में अपनी पहचान बना रहा है।

निवेश और रणनीति

Keka ने FY24 में अपने उत्पादों और सेवाओं में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया।

  1. प्रोडक्ट डेवलपमेंट:
    • उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने के लिए नए फीचर्स जोड़े।
    • एआई और मशीन लर्निंग आधारित सॉल्यूशंस में निवेश।
  2. मार्केटिंग और प्रचार:
    • नए ग्राहकों तक पहुंचने के लिए व्यापक मार्केटिंग कैंपेन।
    • ब्रांड की जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजिटल मीडिया पर फोकस।
  3. नए बाजारों में प्रवेश:
    • भारत के अलावा अन्य देशों में विस्तार की योजना।
    • स्थानीय भाषाओं और जरूरतों के अनुसार उत्पादों को अनुकूलित करना।

Keka की चुनौतियां

हालांकि, Keka के सामने कई चुनौतियां भी हैं:

  • लागत प्रबंधन: बढ़ते ऑपरेशनल खर्च को नियंत्रण में रखना।
  • प्रतिस्पर्धा का दबाव: अन्य एचआर प्लेटफॉर्म्स से बेहतर सेवा और मूल्य प्रदान करना।
  • निवेशकों की अपेक्षाएं: घाटे को नियंत्रित करते हुए निवेशकों का भरोसा बनाए रखना।
  • तकनीकी बदलाव: नई तकनीकों के साथ तालमेल बनाए रखना।

Keka का भविष्य

विशेषज्ञों का मानना है कि Keka के पास विकास और विस्तार के बड़े अवसर हैं।

  1. एचआर टेक्नोलॉजी का बढ़ता बाजार:
    • छोटे और मध्यम व्यवसायों में डिजिटल सॉल्यूशंस की मांग बढ़ रही है।
    • क्लाउड-आधारित एचआर प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता में वृद्धि।
  2. ग्लोबल एक्सपेंशन:
    • Keka अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने पैर जमाने की योजना बना सकता है।
    • स्थानीयकरण रणनीतियों के माध्यम से विदेशी ग्राहकों को जोड़ना।
  3. उन्नत तकनीक का उपयोग:
    • एआई और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग ग्राहकों के लिए बेहतर समाधान प्रदान करेगा।

विशेषज्ञों की राय

Keka की FY24 की परफॉर्मेंस पर विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है:

  • सकारात्मक पहलू:
    • राजस्व में मजबूत वृद्धि।
    • बाजार में बेहतर स्थिति।
  • चिंताएं:
    • घाटे में वृद्धि।
    • लागत प्रबंधन की आवश्यकता।

विश्लेषकों का मानना है कि Keka को अपने ऑपरेशनल खर्चों को नियंत्रित करने और लाभप्रदता हासिल करने के लिए नई रणनीतियों पर काम करना होगा।


निष्कर्ष

Keka की 62% की राजस्व वृद्धि यह दिखाती है कि कंपनी ने ग्राहकों का विश्वास जीता है और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत की है। हालांकि, घाटे में वृद्धि कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।

  • यदि Keka अपनी लागत संरचना को बेहतर बनाता है और उत्पाद नवाचार में निवेश जारी रखता है, तो यह न केवल भारतीय बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक अग्रणी एचआर प्लेटफॉर्म बन सकता है।
  • डिजिटल युग में एचआर टेक सॉल्यूशंस का भविष्य उज्ज्वल है, और Keka इस क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाने की क्षमता रखता है।

Keka के अगले कदम यह तय करेंगे कि वह एचआर टेक इंडस्ट्री में अपनी सफलता को कैसे आगे बढ़ाता है।

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ZunRoof

रूफटॉप सोलर सॉल्यूशंस में विशेषज्ञता रखने वाले स्टार्टअप ZunRoof ने हाल ही में ₹20 करोड़ (लगभग $2.3 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग में मुख्य योगदान ANBG Enterprise LLP (Godrej Family Office) और रविंद्रनाथ चड्ढा का है।


ZunRoof ₹20 करोड़ जुटाने के लिए बोर्ड का निर्णय

ZunRoof के बोर्ड ने ₹20 करोड़ जुटाने के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित किया।

  • इक्विटी शेयर: स्टार्टअप ने ₹2,638 प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर 75,960 इक्विटी शेयर आवंटित किए।
  • स्रोत: यह जानकारी कंपनी के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) के साथ दायर रेगुलेटरी फाइलिंग से प्राप्त हुई है।

Zunroof की यात्रा और विशेषज्ञता

Zunroof, एक छह साल पुराना स्टार्टअप, रूफटॉप सोलर सॉल्यूशंस के डिज़ाइन, इंस्टॉलेशन और फाइनेंसिंग में विशेषज्ञता रखता है।

  • एआई का उपयोग: कंपनी का दावा है कि वह सोलर रूफटॉप सिस्टम्स की दक्षता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करती है।
  • स्मार्ट होम सेगमेंट: 2020 से, Zunroof ने ‘स्मार्ट होम’ सेगमेंट में भी कदम रखा है और IoT-इनेबल्ड प्रोडक्ट्स की एक विस्तृत रेंज पेश की है।
  • ग्राहकों की संख्या: कंपनी ने पूरे भारत में हजारों घरों और व्यवसायों को सेवाएं दी हैं।

फंडिंग का उपयोग

कंपनी इस फंडिंग का उपयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में करेगी:

  1. प्रौद्योगिकी का विकास: सोलर सिस्टम्स और स्मार्ट होम उत्पादों के लिए AI और IoT-आधारित समाधानों में सुधार।
  2. मार्केट एक्सपेंशन: नए बाजारों में विस्तार और अधिक ग्राहकों तक पहुंच।
  3. ऑपरेशन को मजबूत बनाना: डिजाइन और इंस्टॉलेशन प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाना।
  4. सस्टेनेबिलिटी: पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और हरित ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देना।

फंडिंग का इतिहास

Zunroof ने अब तक कुल $9 मिलियन (लगभग ₹75 करोड़) की फंडिंग जुटाई है।

  • मुख्य निवेशक:
    • Godrej Family Office
    • अन्य प्रमुख निवेशक और व्यक्तित्व।

इस नई फंडिंग ने Zunroof को भारतीय सोलर सॉल्यूशंस मार्केट में अपनी स्थिति और मजबूत करने का मौका दिया है।


भारत में रूफटॉप सोलर का विकास

भारत में रूफटॉप सोलर सिस्टम का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

  • सरकारी लक्ष्य:
    • 2030 तक भारत का उद्देश्य 500 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
    • रूफटॉप सोलर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • मांग में वृद्धि:
    • सस्ते सोलर समाधानों और बढ़ती बिजली की मांग के कारण रूफटॉप सोलर सॉल्यूशंस की लोकप्रियता बढ़ रही है।
  • उपभोक्ता लाभ:
    • ऊर्जा बिल में कमी।
    • पर्यावरण के लिए अनुकूल।

Zunroof का महत्व

Zunroof, भारतीय सोलर इंडस्ट्री में अपनी अनूठी रणनीतियों के कारण तेजी से आगे बढ़ रहा है।

  1. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: AI और IoT जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग से कंपनी सोलर सिस्टम्स की दक्षता में सुधार कर रही है।
  2. स्मार्ट होम सॉल्यूशंस: Zunroof ने पारंपरिक सोलर सॉल्यूशंस से आगे बढ़कर स्मार्ट होम सेगमेंट में कदम रखा है।
  3. ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण:
    • ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज्ड सोलर और स्मार्ट होम सॉल्यूशंस।
    • इंस्टॉलेशन से लेकर सर्विसिंग तक, एंड-टू-एंड सपोर्ट।

विशेषज्ञों की राय

स्टार्टअप और ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि Zunroof की नई फंडिंग भारतीय सोलर सॉल्यूशंस मार्केट के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

  • टेक्नोलॉजी में निवेश: AI और IoT के बढ़ते उपयोग से सोलर इंडस्ट्री में क्रांति आ सकती है।
  • सस्टेनेबल सॉल्यूशंस: पर्यावरण के लिए अनुकूल समाधानों की मांग में वृद्धि होगी।
  • मार्केट पोटेंशियल: भारत जैसे तेजी से बढ़ते ऊर्जा बाजार में Zunroof की सेवाएं व्यापक स्तर पर लाभदायक हो सकती हैं।

चुनौतियां और अवसर

Zunroof के लिए जहां कई संभावनाएं हैं, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं:

  • लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: बड़े पैमाने पर ऑपरेशन्स का प्रबंधन।
  • कॉम्पिटिशन: टाटा पावर और अडानी जैसी बड़ी कंपनियों से मुकाबला।
  • फंड्स का प्रभावी उपयोग: निवेशकों की अपेक्षाओं को पूरा करना।

हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, Zunroof के पास अपनी सेवाओं और रणनीतियों के माध्यम से बाजार में एक मजबूत स्थान बनाने का अवसर है।


निष्कर्ष

Zunroof का ₹20 करोड़ जुटाना यह दिखाता है कि भारत में रूफटॉप सोलर इंडस्ट्री और स्मार्ट होम सॉल्यूशंस के लिए बड़े अवसर मौजूद हैं।

  • यह कदम न केवल कंपनी के विकास को बढ़ावा देगा बल्कि भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायक होगा।
  • अगर Zunroof अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण को बनाए रखता है, तो यह न केवल एक अग्रणी सोलर स्टार्टअप बन सकता है, बल्कि भारतीय ऊर्जा उद्योग में बदलाव का अग्रदूत भी हो सकता है।

हरित ऊर्जा और स्मार्ट होम का भविष्य Zunroof जैसे अभिनव स्टार्टअप्स के हाथों में है।

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Country Delight ने शुरू की इंस्टेंट डिलीवरी सेवा, ग्राहकों को 10-15 मिनट में मिलेगा सामान

Country delight

गुरुग्राम स्थित डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर (D2C) डेयरी और दैनिक आवश्यक वस्तुओं की ब्रांड Country Delight ने इंस्टेंट डिलीवरी स्पेस में कदम रखा है। इस नई सेवा के तहत, कंपनी ग्राहकों को 10-15 मिनट में डिलीवरी प्रदान करने की सुविधा दे रही है।


Country Delight गुरुग्राम में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

सूत्रों के अनुसार, Country Delight ने इस सेवा का पायलट प्रोजेक्ट गुरुग्राम में शुरू किया है।

  • डिलीवरी का समय: सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक।
  • उत्पाद की उपलब्धता: नियमित डिलीवरी सेवा के तहत मिलने वाले लगभग सभी उत्पाद इंस्टेंट डिलीवरी सेवा में भी उपलब्ध होंगे।

कंपनी का उद्देश्य आने वाले महीनों में इस सेवा को अन्य शहरों में विस्तारित करना है।


देशभर में कंट्री डिलाइट की उपस्थिति

कंट्री डिलाइट पहले से ही भारत के 25 से अधिक शहरों में अपनी सेवाएं दे रही है, जिनमें शामिल हैं:

  • दिल्ली NCR
  • मुंबई
  • पुणे
  • बेंगलुरु
  • चेन्नई
  • हैदराबाद
  • कोलकाता
  • जयपुर
  • नासिक
  • चंडीगढ़

इस नई सेवा के माध्यम से कंपनी अपनी ग्राहक पहुंच को और अधिक प्रभावी बनाने की कोशिश कर रही है।


कंपनी का व्यवसाय मॉडल और उत्पाद

कंट्री डिलाइट, जिसे चक्रधर गाड़े और नितिन कौशल ने स्थापित किया, डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर मॉडल पर काम करती है।

  • उत्पाद रेंज:
    • डेयरी प्रोडक्ट्स: दूध, दही, घी, मक्खन।
    • बेकरी प्रोडक्ट्स: ब्रेड, केक।
    • पोल्ट्री: अंडे, चिकन।
    • फार्म उत्पाद: ताजे फल और सब्जियां।
  • स्रोत: कंट्री डिलाइट अपने उत्पाद सीधे डेयरी फार्म्स और अन्य स्रोतों से खरीदती है।
  • ग्राहक आधार: कंपनी वर्तमान में 1.5 मिलियन ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रही है।

इंस्टेंट डिलीवरी की आवश्यकता क्यों?

भारत में बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताओं और तेजी से बढ़ते ग्रोसरी और फूड डिलीवरी सेगमेंट ने कंपनियों को तेजी से डिलीवरी सेवाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है।

  • प्रतिस्पर्धा: कंट्री डिलाइट का मुकाबला स्विगी इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट, और जियोमार्ट जैसे खिलाड़ियों से है।
  • ग्राहकों की सुविधा: आज के उपभोक्ता अपनी आवश्यकताओं को तुरंत पूरा करना चाहते हैं, और यह सेवा उन्हें समय की बचत और सुविधा प्रदान करती है।
  • विस्तार की योजना: इंस्टेंट डिलीवरी मॉडल कंट्री डिलाइट को अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान दिलाने और अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद करेगा।

कंट्री डिलाइट की रणनीतियां

इस नई सेवा को सफल बनाने के लिए कंट्री डिलाइट ने निम्नलिखित रणनीतियां अपनाई हैं:

  1. स्थानीय वेयरहाउस:
    • शहर के विभिन्न हिस्सों में छोटे वेयरहाउस स्थापित किए जा रहे हैं ताकि उत्पाद जल्दी डिलीवर किए जा सकें।
  2. टेक्नोलॉजी का उपयोग:
    • ऐप और अन्य डिजिटल टूल्स के जरिए ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान किया जा रहा है।
  3. सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन:
    • सप्लाई चेन को अधिक प्रभावी और कुशल बनाया जा रहा है।
  4. सस्ती कीमतें:
    • प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

ग्राहकों के लिए लाभ

इंस्टेंट डिलीवरी सेवा से ग्राहकों को कई फायदे होंगे:

  • तेज सेवा: आवश्यक सामान 10-15 मिनट में उनके दरवाजे पर।
  • प्रोडक्ट्स की ताजगी: डेयरी और अन्य उत्पाद सीधे स्रोत से ग्राहकों तक पहुंचते हैं।
  • सुविधा: रोजमर्रा के काम में समय की बचत।

विशेषज्ञों की राय

स्टार्टअप और रिटेल एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंट्री डिलाइट की यह पहल कंपनी के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

  • रिटेल सेक्टर: तेजी से डिलीवरी सेवाएं भारत में रिटेल और एफएमसीजी सेक्टर के भविष्य का हिस्सा हैं।
  • ग्राहक संतुष्टि: इस सेवा के जरिए कंट्री डिलाइट अपने मौजूदा ग्राहकों को और अधिक सुविधा दे पाएगी और नए ग्राहकों को आकर्षित करेगी।
  • मुनाफा बढ़ाने का अवसर: तेज डिलीवरी सेवाओं से कंपनी को अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी।

चुनौतियां और संभावनाएं

हालांकि यह सेवा बहुत संभावनाएं रखती है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं:

  1. लॉजिस्टिक्स: समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना।
  2. कॉम्पिटिटर्स का दबाव: बड़े खिलाड़ियों से मुकाबला करना।
  3. लागत प्रबंधन: इंस्टेंट डिलीवरी मॉडल के लिए सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स पर अधिक खर्च।

कंट्री डिलाइट को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों को लगातार अपडेट करना होगा।


निष्कर्ष

कंट्री डिलाइट का इंस्टेंट डिलीवरी मॉडल ग्राहकों को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को तुरंत पूरा करने का एक बेहतरीन विकल्प प्रदान करेगा।

  • यह पहल न केवल कंपनी के व्यवसाय को मजबूत करेगी बल्कि इसे भारत के तेजी से बदलते कंज्यूमर मार्केट में एक अग्रणी स्थान दिलाएगी।
  • अगर यह मॉडल सफल होता है, तो यह अन्य कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा कि वे कैसे अपनी सेवाओं को और अधिक तेज और प्रभावी बना सकते हैं।

कंट्री डिलाइट का यह कदम भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझने और पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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Fintech platform MobiKwik ने शेयर बाजार में शानदार शुरुआत की

MobiKwik

MobiKwik ने आज शेयर बाजार में अपनी शुरुआत करते हुए अपने इश्यू प्राइस 279 रुपये की तुलना में 59% प्रीमियम पर 444 रुपये पर लिस्टिंग की। यह प्रदर्शन निवेशकों की मजबूत मांग को दर्शाता है और भारतीय फिनटेक सेक्टर की बढ़ती लोकप्रियता को उजागर करता है।


MobiKwik का आईपीओ और इश्यू प्राइस

MobiKwik का आईपीओ (Initial Public Offering) निवेशकों के लिए 11 से 13 दिसंबर के बीच खुला था।

  • प्राइस बैंड: 256 रुपये से 279 रुपये प्रति शेयर
  • लॉट साइज: 53 शेयर
  • न्यूनतम निवेश: 14,045 रुपये

कंपनी का लक्ष्य इस आईपीओ के माध्यम से 572 करोड़ रुपये जुटाने का था। इसमें से अधिकांश रकम फ्रेश इश्यू के जरिए जुटाई गई।


निवेशकों की जबरदस्त रुचि

मोबिक्विक के आईपीओ में निवेशकों ने जमकर भाग लिया। 13 दिसंबर तक जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार:

  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (QIB): 34 गुना सब्सक्रिप्शन
  • नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII): 88 गुना सब्सक्रिप्शन
  • रिटेल निवेशक: 113 गुना सब्सक्रिप्शन

यह आंकड़े दिखाते हैं कि मोबिक्विक का आईपीओ हर कैटेगरी में ओवरसब्सक्राइब्ड रहा और निवेशकों ने कंपनी पर जबरदस्त भरोसा जताया।


मोबिक्विक की लिस्टिंग: फिनटेक सेक्टर का बढ़ता वर्चस्व

मोबिक्विक की लिस्टिंग भारतीय फिनटेक सेक्टर के बढ़ते महत्व को दर्शाती है।

  • इश्यू प्राइस: 279 रुपये
  • लिस्टिंग प्राइस: 444 रुपये (59% प्रीमियम)

यह लिस्टिंग फिनटेक कंपनियों के प्रति निवेशकों की रुचि को और बढ़ावा देगी। मोबिक्विक ने न केवल अपने मौजूदा व्यवसाय में मजबूती दिखाई है बल्कि अपनी भविष्य की संभावनाओं को भी बेहतर तरीके से पेश किया है।


मोबिक्विक का व्यावसायिक मॉडल

मोबिक्विक एक अग्रणी फिनटेक प्लेटफॉर्म है, जो डिजिटल पेमेंट, वॉलेट सेवाओं, और कर्ज देने के क्षेत्र में कार्य करता है।

  • डिजिटल वॉलेट: मोबिक्विक का वॉलेट भारत में सबसे प्रमुख डिजिटल पेमेंट समाधानों में से एक है।
  • क्रेडिट सेवाएं: मोबिक्विक उपयोगकर्ताओं को Buy Now, Pay Later (BNPL) जैसे क्रेडिट विकल्प प्रदान करता है।
  • पार्टनरशिप: मोबिक्विक ने कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स के साथ भागीदारी की है।

आईपीओ से जुटाई गई रकम का उपयोग

मोबिक्विक ने आईपीओ के जरिए जुटाई गई राशि का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्यों में करने की योजना बनाई है:

  1. व्यवसाय का विस्तार
    • डिजिटल पेमेंट और क्रेडिट सेवाओं में निवेश।
  2. टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन
    • बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव और सुरक्षा के लिए नई तकनीकों का विकास।
  3. ऋण चुकाना
    • कंपनी के कुछ मौजूदा ऋणों को चुकाने के लिए फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।

फिनटेक सेक्टर में मोबिक्विक का स्थान

मोबिक्विक भारतीय फिनटेक उद्योग में एक अग्रणी खिलाड़ी है।

  • कस्टमर बेस: मोबिक्विक के पास करोड़ों सक्रिय उपयोगकर्ता हैं।
  • कॉम्पिटिटर्स: मोबिक्विक का मुकाबला PhonePe, Paytm, और Google Pay जैसे खिलाड़ियों से है।

मोबिक्विक का फोकस अपने यूजर्स को आसान और सुरक्षित पेमेंट सॉल्यूशंस देने पर है, जो इसे अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाता है।


क्या कहता है विशेषज्ञों का मत?

शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि मोबिक्विक की लिस्टिंग भारतीय स्टार्टअप्स और फिनटेक कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

  • निवेशकों का भरोसा: मोबिक्विक ने अपने बिजनेस मॉडल और भविष्य की रणनीतियों से निवेशकों का भरोसा जीता है।
  • सेक्टर ग्रोथ: फिनटेक सेक्टर में निवेश की संभावनाएं बढ़ रही हैं, और मोबिक्विक जैसे प्लेटफॉर्म इस ग्रोथ को आगे बढ़ाएंगे।

मोबिक्विक की चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं

हालांकि मोबिक्विक ने मजबूत शुरुआत की है, लेकिन कंपनी के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं:

  1. प्रतिस्पर्धा: बाजार में अन्य बड़े खिलाड़ियों से मुकाबला।
  2. मार्जिन सुधार: प्रॉफिटेबिलिटी बनाए रखना।
  3. नियामक नीतियां: फिनटेक सेक्टर में तेजी से बदलती सरकारी नीतियों के साथ तालमेल।

कंपनी अपनी ग्राहक सेवाओं को बेहतर बनाने और नए प्रोडक्ट्स लाने की दिशा में काम कर रही है। मोबिक्विक का उद्देश्य न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाना है।


निष्कर्ष

मोबिक्विक की 59% प्रीमियम लिस्टिंग भारतीय फिनटेक सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सफलता दर्शाती है कि भारतीय निवेशक अब तकनीकी स्टार्टअप्स और डिजिटल फिनटेक प्लेटफॉर्म्स में जबरदस्त रुचि ले रहे हैं।

मोबिक्विक का भविष्य उज्ज्वल है, और कंपनी की रणनीतियां इसे एक सफल और स्थायी व्यवसाय बनाने में मदद करेंगी। मोबिक्विक की यह सफलता अन्य भारतीय स्टार्टअप्स को भी प्रेरित करेगी कि वे अपने विचारों को बड़े पैमाने पर अमल में लाएं और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएं।

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Aye Finance ने IPO के लिए SEBI में DRHP दाखिल किया

Aye Finance

Capital G द्वारा समर्थित माइक्रोलेंडिंग प्लेटफॉर्म Aye (पहले AYEFin) ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया।


AYEFin 1,450 करोड़ रुपये का IPO लॉन्च

AYEFin ने अपनी IPO योजना के तहत कुल 1,450 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें:

  • 885 करोड़ रुपये (लगभग 105 मिलियन डॉलर) का फ्रेश इक्विटी इश्यू शामिल है।
  • 565 करोड़ रुपये (लगभग 67 मिलियन डॉलर) का ऑफर फॉर सेल (OFS) प्रस्तावित है।

फ्रेश इश्यू से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल कंपनी के विकास, विस्तार और पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने में किया जाएगा।


ऑफर फॉर सेल (OFS) में प्रमुख निवेशकों का हिस्सा

Aye Finance के OFS में कई प्रमुख निवेशक हिस्सा लेंगे:

  1. LGT Capital:
    • यह फर्म 150 करोड़ रुपये के शेयर बेचने की योजना बना रही है।
  2. Capital G:
    • Capital G 136.8 करोड़ रुपये के शेयर का डिवेस्टमेंट करेगा।
  3. A91 Fund और Alpha Wave:
    • दोनों निवेशक 100-100 करोड़ रुपये के शेयर सेकंडरी सेल के जरिए ऑफलोड करेंगे।
  4. MAJ Invest और Jetley परिवार:
    • Harleen Kaur Jetley और Vikram Jetley के साथ मिलकर MAJ Invest 78 करोड़ रुपये के शेयर बेचेंगे।

Elevation Capital की गैर-मौजूदगी

गौर करने वाली बात यह है कि Aye Finance के सबसे बड़े शेयरधारक Elevation Capital ने इस OFS में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। इससे यह साफ होता है कि Elevation Capital अभी भी कंपनी के भविष्य पर भरोसा रखता है।


शेयर लिस्टिंग और प्रबंधन

Aye Finance के IPO के तहत जारी होने वाले इक्विटी शेयर:

  • BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध होंगे।
  • इस IPO के लीड मैनेजर के तौर पर Axis Capital, IIFL Capital, JM Financial और Nuvama Wealth Management काम कर रहे हैं।

Aye Finance की पृष्ठभूमि

Aye Finance, जो अब Aye के नाम से जानी जाती है, एक प्रमुख माइक्रोलेंडिंग प्लेटफॉर्म है। कंपनी ने छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को वित्तीय सेवाएं प्रदान करके उन्हें मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उद्देश्य:

  • छोटे व्यवसायों को व्यवसायिक ऋण प्रदान करना।
  • भारत के असंगठित क्षेत्र के कारोबारियों तक पहुंच बनाना।
  • MSME सेक्टर में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।

Aye Finance ने पूरे भारत में अपने नेटवर्क का विस्तार किया है और कई छोटे उद्यमियों को उनकी वित्तीय जरूरतें पूरी करने में मदद की है।


IPO का महत्व

Aye Finance का IPO भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कंपनी के विस्तार में मदद करेगा, बल्कि माइक्रोलेंडिंग सेक्टर के लिए एक सकारात्मक संकेत भी देगा।

विश्लेषकों का मानना है:

  1. नए निवेशकों को आकर्षित करना:
    • IPO के जरिए कंपनी को वैश्विक और घरेलू निवेशकों का समर्थन मिलेगा।
  2. MSME सेक्टर की मजबूती:
    • माइक्रोलेंडिंग के जरिए छोटे और मध्यम व्यवसायों की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी।
  3. कंपनी का विस्तार:
    • IPO से प्राप्त पूंजी का इस्तेमाल कंपनी अपने परिचालन को नए क्षेत्रों तक फैलाने में करेगी।

भारतीय माइक्रोलेंडिंग बाजार में संभावनाएं

भारत का माइक्रोलेंडिंग बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में डिजिटल लेंडिंग और फिनटेक कंपनियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है।

  • 2024 तक, भारत का MSME सेक्टर 6 करोड़ से अधिक उद्यमों के साथ GDP में 30% का योगदान दे रहा है।
  • माइक्रोलेंडिंग कंपनियों के लिए यह एक विशाल अवसर है।

Aye Finance जैसी कंपनियां इस अवसर का लाभ उठाते हुए MSMEs की पूंजीगत जरूरतों को पूरा कर सकती हैं।


आगे की राह

Aye Finance का IPO इस बात का संकेत है कि भारतीय फिनटेक और माइक्रोलेंडिंग कंपनियों में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है।

Aye Finance की योजनाएं:

  1. भौगोलिक विस्तार:
    • कंपनी छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
  2. डिजिटल लेंडिंग पर जोर:
    • टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऋण प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना।
  3. MSME सेक्टर के विकास में योगदान:
    • छोटे उद्यमियों की वित्तीय जरूरतें पूरी कर, उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाना।

निष्कर्ष

Aye Finance का IPO भारतीय फिनटेक उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। Capital G और अन्य निवेशकों का इसमें भाग लेना कंपनी की वित्तीय स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विश्वास को दर्शाता है।

SEBI के पास IPO फाइलिंग के बाद, आने वाले महीनों में निवेशकों की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें होंगी। Aye Finance का लक्ष्य न केवल पूंजी जुटाना है, बल्कि भारत के छोटे व्यवसायों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाना है।

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Cult.fit में नेतृत्व परिवर्तन Naresh Krishnaswamy बने CEO

Cult.fit

फिटनेस टेक कंपनी cult.fit ने वित्त वर्ष 2024 में महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तन का अनुभव किया। कंपनी के सह-संस्थापक नरेश कृष्णस्वामी को CEO के पद पर पदोन्नत किया गया, जबकि सह-संस्थापक मुकेश बंसल ने कार्यकारी चेयरमैन का पद संभाला।

इस बदलाव के साथ, Cult.fit ने 30% से अधिक की वृद्धि दर्ज की, लेकिन वित्तीय वर्ष 2024 के दौरान कंपनी के घाटे में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं हुआ।


राजस्व में 33.6% की वृद्धि

cult.fit की ऑपरेटिंग रेवन्यू (संचालन से होने वाली आय) में 33.6% की वृद्धि दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2023 में यह आय 694 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 927 करोड़ रुपये हो गई।

कमाई के मुख्य स्रोत:

  1. फिटनेस सब्सक्रिप्शन (Fitness Subscriptions)
    • कंपनी की कुल आय का 72.3% हिस्सा फिटनेस सब्सक्रिप्शन से आया।
    • इसमें Cultpass, Cult.fit सेंटर्स और अन्य प्लेटफॉर्म सेवाएं शामिल हैं।
    • इस श्रेणी से आय में 46.6% की वृद्धि हुई और यह 670 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
  2. स्पोर्ट्सवेयर और फिटनेस इक्विपमेंट (Sportswear and Fitness Equipment)
    • Cultsport के तहत संचालित स्पोर्ट्सवेयर और फिटनेस उपकरण बिक्री ने 257 करोड़ रुपये का योगदान दिया।

नई नेतृत्व टीम का प्रभाव

नरेश कृष्णस्वामी को CEO बनाए जाने के बाद, कंपनी ने नई रणनीतियों पर जोर दिया, जिससे स्केल और रेवन्यू में तेजी से बढ़ोतरी हुई।

नरेश कृष्णस्वामी की भूमिका:

  • कंपनी के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया।
  • फिटनेस से जुड़ी डिजिटल सेवाओं और फिजिकल सेंटर्स के संचालन को मजबूत किया।
  • स्पोर्ट्सवेयर और इक्विपमेंट सेगमेंट में नई योजनाएं पेश कीं।

मुकेश बंसल ने कार्यकारी चेयरमैन के रूप में अपनी भूमिका में रणनीतिक दिशा देने और कंपनी के दीर्घकालिक विजन को मजबूत करने पर ध्यान दिया।


Cult.fit की सेवाएं और व्यवसाय मॉडल

Cult.fit एक व्यापक फिटनेस टेक प्लेटफॉर्म है, जो कई सेवाएं प्रदान करता है:

  1. Cultpass:
    • यह सब्सक्रिप्शन आधारित सेवा है, जिसके तहत ग्राहक कंपनी के फिटनेस सेंटर्स और जिम्स का उपयोग कर सकते हैं।
    • कंपनी ने इस सेवा को और अधिक किफायती व व्यापक बनाने पर जोर दिया।
  2. Cult.fit सेंटर्स:
    • फिजिकल फिटनेस सेंटर्स कंपनी की प्रमुख सेवाओं में शामिल हैं।
    • यहां पर विभिन्न फिटनेस एक्टिविटीज जैसे जिम, योगा, ग्रुप वर्कआउट और ट्रेनिंग क्लासेस की पेशकश की जाती है।
  3. स्पोर्ट्सवेयर और इक्विपमेंट:
    • Cultsport के अंतर्गत स्पोर्ट्सवियर और फिटनेस इक्विपमेंट की बिक्री की जाती है।
    • कंपनी ने इस सेगमेंट को अपने व्यवसाय का दूसरा बड़ा राजस्व स्रोत बनाया है।
  4. डिजिटल प्लेटफॉर्म सेवाएं:
    • फिटनेस ऐप्स और ऑनलाइन ट्रेनिंग मॉड्यूल्स के जरिए होम वर्कआउट और ऑनलाइन फिटनेस क्लासेस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

घाटे में कोई बदलाव नहीं

भले ही कंपनी ने राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की, लेकिन वित्तीय वर्ष 2024 में कुल घाटा पिछले वर्ष के समान ही बना रहा।

  • इस स्थिति का मुख्य कारण कंपनी का विस्तार और विकास पर निवेश है।
  • कंपनी ने मार्केटिंग, तकनीकी अपग्रेड और नई सेवाओं के विस्तार पर खर्च बढ़ाया।

विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी के खर्चे और निवेश से भविष्य में स्थायी लाभ की संभावना बढ़ेगी।


फिटनेस बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

भारत का फिटनेस टेक बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, और Cult.fit इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक है। हालांकि, इस क्षेत्र में कई नई कंपनियां उभरकर आ रही हैं:

  1. डिजिटल फिटनेस प्लेटफॉर्म्स:
    • HealthifyMe, Fittr, और Peloton जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
  2. होम फिटनेस का बढ़ता ट्रेंड:
    • कोविड-19 के बाद, लोग होम वर्कआउट को अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं।
  3. सप्लाई चेन और लागत:
    • फिटनेस इक्विपमेंट और स्पोर्ट्सवियर की बिक्री में बढ़ोतरी के बावजूद, लागत का दबाव कंपनी के मुनाफे पर असर डालता है।

आगे की रणनीति और भविष्य की योजनाएं

Cult.fit ने अपनी लीडरशिप टीम में बदलाव के साथ नई योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।

  1. डिजिटल और फिजिकल सेवाओं का विस्तार:
    • कंपनी आने वाले महीनों में नए शहरों और कस्टमर बेस का विस्तार करेगी।
  2. स्पोर्ट्सवेयर सेगमेंट में निवेश:
    • Cultsport ब्रांड के जरिए प्रीमियम स्पोर्ट्सवियर और इक्विपमेंट की बिक्री बढ़ाई जाएगी।
  3. सस्टेनेबल ग्रोथ पर ध्यान:
    • कंपनी का फोकस लॉन्ग-टर्म प्रोफिटेबिलिटी पर रहेगा।
  4. मार्केटिंग और कस्टमर इंगेजमेंट:
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए अधिक ग्राहकों को जोड़ने और ब्रांड वैल्यू बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

निष्कर्ष

Cult.fit ने वित्त वर्ष 2024 में लीडरशिप बदलाव के साथ उल्लेखनीय 33.6% की राजस्व वृद्धि दर्ज की है। नरेश कृष्णस्वामी के नेतृत्व में कंपनी ने विस्तार की ओर कदम बढ़ाए हैं, जबकि मुकेश बंसल रणनीतिक दिशा प्रदान कर रहे हैं।

हालांकि, घाटे में कोई बदलाव न आना एक चुनौती बना हुआ है, लेकिन निवेश और विकास योजनाओं के जरिए Cult.fit आने वाले वर्षों में भारतीय फिटनेस टेक बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए तैयार है।

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Zomato की वित्तीय प्रमुख हेमल जैन ने दिया इस्तीफा,

हेमल जैन

फूडटेक कंपनी Zomato को एक और बड़ा झटका लगा है। कंपनी की ग्लोबल हेड ऑफ फाइनेंस और Hyperpure की CFO हेमल जैन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा 2024 के अंतिम तिमाही में Zomato के लिए दूसरी प्रमुख प्रस्थान की घटना है।

31 जनवरी 2025 को होगा आखिरी कार्यदिवस

Zomato ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में घोषणा की कि हेमल जैन कंपनी छोड़कर नई संभावनाओं की तलाश करेंगी। उनकी अंतिम कार्यदिवस की तारीख 31 जनवरी, 2025 तय की गई है।

Hemal Jain ने Zomato में छह से अधिक सालों तक महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उनकी देखरेख में कंपनी का वित्तीय संचालन और रणनीतिक कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़े।


Zomato में Hemal Jain की भूमिका

हेमल जैन का Zomato में सफर काफी प्रभावशाली रहा। उनकी LinkedIn प्रोफाइल के अनुसार:

  1. Zomato और Blinkit के कारोबार में उन्होंने बिजनेस फाइनेंस, FP&A (फाइनेंशियल प्लानिंग एंड एनालिसिस),
    सेंट्रल प्रोक्योरमेंट और फाइनेंस ऑपरेशंस का नेतृत्व किया।
  2. कंपनी के वित्तीय रणनीतियों को मजबूत बनाने और परिचालन को दक्ष बनाने में उनका योगदान रहा है।
  3. Hyperpure, जो Zomato की B2B सप्लाई चेन पहल है, उसमें CFO के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण फैसले लिए।

हेमल की लीडरशिप में Zomato ने अपने बिजनेस मॉडल और वित्तीय योजनाओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।


Zomato पर हालिया वित्तीय दबाव

हेमल जैन का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब Zomato को कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  1. GST विभाग का नोटिस:
    हाल ही में Zomato को 803 करोड़ रुपये (लगभग $100 मिलियन) की GST मांग का नोटिस मिला है।
    • यह नोटिस कंपनी के वित्तीय दबाव को और बढ़ा सकता है।
    • यह मामला Zomato के लिए एक प्रमुख वित्तीय संकट के रूप में देखा जा रहा है।
  2. प्रमुख अधिकारियों का प्रस्थान:
    हेमल जैन से पहले Zomato को वर्ष के अंत में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के इस्तीफे का सामना करना पड़ा।
    • इन घटनाओं से कंपनी की नेतृत्व टीम पर असर पड़ सकता है।

हेमल जैन के इस्तीफे के संभावित कारण

हालांकि Zomato या हेमल जैन की ओर से इस्तीफे के सटीक कारणों का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन कुछ संभावित कारकों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:

  1. वित्तीय दबाव और चुनौतियां:
    Zomato को हाल के महीनों में वित्तीय मांगों और बाजार दबाव का सामना करना पड़ा है। GST विभाग का नोटिस एक बड़ा कारण हो सकता है।
  2. नई संभावनाओं की तलाश:
    स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया है कि हेमल नई भूमिकाओं और अवसरों की तलाश में हैं। यह संभावना है कि उन्हें कहीं बेहतर नेतृत्व की भूमिका का ऑफर मिला हो।
  3. अंदरूनी चुनौतियां:
    कंपनी के भीतर रणनीतिक बदलाव और बढ़ते दबाव भी किसी उच्च अधिकारी के प्रस्थान का कारण हो सकते हैं।

Zomato का भविष्य और वित्तीय चुनौतियां

Zomato भारतीय फूडटेक स्पेस में एक अग्रणी कंपनी है। हालांकि, हाल के महीनों में कंपनी कई वित्तीय और नियामकीय चुनौतियों से जूझ रही है:

  1. B2B बिजनेस Hyperpure:
    Zomato का Hyperpure व्यवसाय तेजी से बढ़ा है। यह प्लेटफॉर्म रेस्टोरेंट्स और होटल्स को ताजे उत्पाद और सामग्री की आपूर्ति करता है।
    • CFO के इस्तीफे के बाद Hyperpure की आर्थिक प्रगति पर असर पड़ सकता है।
  2. टेक्नोलॉजी और फाइनेंस:
    Zomato के विकास की मुख्य धुरी इसकी तकनीकी दक्षता और मजबूत वित्तीय योजनाएं हैं। हेमल जैन जैसे अनुभवी लीडर के जाने से कंपनी को नई रणनीति अपनानी होगी।
  3. प्रतिस्पर्धा:
    Zomato को Swiggy, Amazon Food और अन्य स्थानीय फूड डिलीवरी सर्विसेज से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना है।

हेमल जैन की उपलब्धियां

हेमल जैन के कार्यकाल में Zomato ने:

  • वित्तीय योजनाओं को बेहतर किया।
  • Hyperpure के व्यवसाय को विस्तार दिया।
  • Blinkit जैसे नए वर्टिकल्स को मजबूत किया।

उनकी लीडरशिप में Zomato ने वित्तीय दबावों के बावजूद सस्टेनेबल ग्रोथ दर्ज की।


Zomato के लिए अगला कदम

Zomato को अब अपने वित्तीय नेतृत्व में एक अनुभवी व्यक्ति की नियुक्ति करनी होगी, जो वर्तमान चुनौतियों का समाधान कर सके।

  1. GST नोटिस का समाधान:
    कंपनी को नियामकीय दबावों का हल निकालना होगा।
  2. Hyperpure और Blinkit का विस्तार:
    Zomato के लिए B2B और क्विक कॉमर्स सेगमेंट में नए अवसर खोजने की जरूरत है।
  3. लीडरशिप टीम का पुनर्गठन:
    कंपनी को अपने लीडरशिप गैप को जल्द से जल्द भरना होगा।

निष्कर्ष

हेमल जैन का इस्तीफा Zomato के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। उनकी विदाई के बाद कंपनी के सामने वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और विकास योजनाओं को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने की चुनौती होगी।

Zomato के लिए यह समय नई रणनीतियों और नेतृत्व टीम को मजबूत करने का है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि Zomato कैसे अपनी चुनौतियों का सामना करता है और बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखता है।

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Ullu OTT प्लेटफॉर्म का वित्तीय प्रदर्शन: FY24 में 7% राजस्व वृद्धि, लेकिन मुनाफे में 16% गिरावट

Ullu

मुंबई स्थित ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म ULLU ने वित्तीय वर्ष 2024 में 7% की मामूली राजस्व वृद्धि दर्ज की है। हालांकि, कंपनी के मुनाफे में इसी अवधि के दौरान 16% से अधिक की गिरावट हुई।

ULLU राजस्व में वृद्धि, लेकिन लाभ में गिरावट

वित्त वर्ष 2024 में ULLU का परिचालन राजस्व 99.7 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष 2023 में 93 करोड़ रुपये था।

  • 99.9% आय Ullu के मुख्य व्यवसाय, यानी कंटेंट की बिक्री से आई।
  • कंटेंट बिक्री से राजस्व वित्त वर्ष 2023 में 92.44 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 99.5 करोड़ रुपये हो गया, यानी 7.7% की वृद्धि

हालांकि, अन्य उत्पादों की बिक्री से आय में 82.9% की गिरावट दर्ज की गई। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2024 में घटकर 12 लाख रुपये रह गया।
कंपनी ने 50 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व ब्याज आय से भी अर्जित किया, जिससे कुल राजस्व 100.18 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।


Ullu की व्यावसायिक रणनीति और कंटेंट मॉडल

Ullu एक सब्सक्रिप्शन-आधारित OTT प्लेटफॉर्म है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार की वीडियो स्ट्रीमिंग सामग्री प्रदान करता है।

  • इसका मुख्य आकर्षण सॉफ्ट पोर्न और बोल्ड कंटेंट है, जिसने इसे छोटे शहरों और कस्बों में लोकप्रिय बनाया है।
  • प्लेटफॉर्म कम कीमत में अनूठा और एंटरटेनिंग कंटेंट प्रदान करता है, जिससे इसे निम्न और मध्यम आय वर्ग के उपयोगकर्ताओं के बीच व्यापक पैठ मिली है।

Ullu की सफलता का एक बड़ा कारण इसका लो-कॉस्ट सब्सक्रिप्शन मॉडल है, जो इसे अन्य प्रीमियम OTT प्लेटफॉर्म्स से अलग करता है।


वित्त वर्ष 2024: चुनौतियां और प्रदर्शन

उत्पाद बिक्री में गिरावट:

  • वित्त वर्ष 2024 में उत्पाद बिक्री से आय में भारी गिरावट आई।
  • यह संकेत देता है कि कंपनी को अपनी गैर-कंटेंट आधारित आय धाराओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।

मुनाफे में गिरावट:

कंपनी के मुनाफे में 16% की गिरावट यह दर्शाती है कि राजस्व में वृद्धि के बावजूद, बढ़ती लागत और अन्य चुनौतियों ने लाभप्रदता को प्रभावित किया।

  • ऑपरेटिंग खर्च: कंपनी के ऑपरेटिंग खर्चों में वृद्धि हुई है, जो मुनाफे में गिरावट का प्रमुख कारण हो सकता है।
  • कंटेंट क्रिएशन और मार्केटिंग पर निवेश: Ullu को अपने दर्शकों के लिए प्रासंगिक और आकर्षक कंटेंट बनाने के लिए अधिक खर्च करना पड़ रहा है।

अतिरिक्त आय स्रोत:

ब्याज आय के जरिए 50 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व यह दर्शाता है कि कंपनी के पास नकदी प्रवाह को मजबूत बनाए रखने के लिए निवेश का विकल्प है।


OTT सेक्टर में Ullu का स्थान

भारतीय OTT उद्योग का विकास:

भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • 2024 में भारतीय OTT बाजार का आकार $3.5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
  • छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और सस्ते डेटा प्लान्स ने इस उद्योग को और बढ़ावा दिया है।

प्रतिस्पर्धा:

Ullu को भारतीय बाजार में Netflix, Amazon Prime Video, और Disney+ Hotstar जैसे बड़े नामों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
हालांकि, Ullu ने अपनी निश-पोजिशनिंग और बोल्ड कंटेंट के जरिए खुद के लिए एक अलग दर्शक वर्ग तैयार किया है।

लोकप्रियता का कारण:

  • किफायती सब्सक्रिप्शन मॉडल।
  • स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट।
  • बोल्ड और अनूठे विषयों पर आधारित शोज।

Ullu के लिए भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

विस्तार की संभावनाएं:

  1. कंटेंट विविधता में वृद्धि:
    • केवल बोल्ड और सॉफ्ट पोर्न तक सीमित न रहकर अन्य प्रकार के कंटेंट, जैसे क्राइम थ्रिलर, कॉमेडी, और परिवारिक ड्रामा, पर फोकस।
    • प्रमुख दर्शकों के साथ-साथ व्यापक दर्शक वर्ग को आकर्षित करने की रणनीति।
  2. नई आय धाराएं:
    • विज्ञापन-आधारित राजस्व मॉडल पर काम करना।
    • मर्चेंडाइज और अन्य उत्पादों की बिक्री में सुधार।
  3. ग्लोबल मार्केट में प्रवेश:
    • Ullu अपनी लोकल फ्लेवर वाली स्टोरीटेलिंग के जरिए वैश्विक दर्शकों को भी आकर्षित कर सकता है।

चुनौतियां:

  1. प्रतिस्पर्धा:
    • प्रीमियम कंटेंट प्लेटफॉर्म्स के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा।
    • बड़े प्लेटफॉर्म्स के साथ साझेदारी या उनके साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए खुद को अलग साबित करना।
  2. कंटेंट सेंसरशिप:
    • बोल्ड कंटेंट के चलते Ullu को कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  3. लाभप्रदता बनाए रखना:
    • बढ़ते खर्च और मुनाफे में गिरावट को संतुलित करना।
    • ऑपरेशनल लागत को कम करते हुए गुणवत्ता बनाए रखना।

Ullu का प्रभाव और योगदान

स्थानीय प्रतिभा को बढ़ावा:

Ullu ने भारतीय OTT उद्योग में स्थानीय निर्माताओं, निर्देशकों, और अभिनेताओं को एक मंच दिया है।

  • छोटे बजट की कहानियों और क्षेत्रीय कंटेंट को बढ़ावा।

बोल्ड कंटेंट के लिए स्वीकार्यता:

Ullu ने भारतीय दर्शकों के बीच बोल्ड और अनोखे विषयों को स्वीकार्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


निष्कर्ष:

वित्त वर्ष 2024 में Ullu का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि कंपनी ने राजस्व में मामूली वृद्धि तो की है, लेकिन लाभप्रदता बनाए रखना एक चुनौती साबित हो रहा है।

भारतीय OTT बाजार में अपनी जगह को मजबूत रखने के लिए, Ullu को अपनी कंटेंट रणनीति और वित्तीय मॉडल पर फिर से विचार करना होगा।
यदि कंपनी कंटेंट विविधता, नई आय धाराएं, और लागत नियंत्रण पर ध्यान दे, तो Ullu भारतीय OTT उद्योग में लंबे समय तक टिकने और बढ़ने में सक्षम हो सकता है।

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Cashify ने 900 करोड़ रुपये का राजस्व पार किया, घाटा 63% घटाया

Cashify

री-कॉमर्स मार्केटप्लेस Cashify ने वित्त वर्ष 2024 में अपने राजस्व में 14.4% की वृद्धि दर्ज करते हुए 900 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया। वहीं, NewQuest Capital द्वारा समर्थित इस कंपनी ने अपने घाटे को 63% तक कम करने में भी सफलता हासिल की।

Cashify के वित्तीय प्रदर्शन की प्रमुख बातें

  • वित्त वर्ष 2024 में Cashify का परिचालन राजस्व बढ़कर 935 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 817 करोड़ रुपये था।
  • कंपनी ने अपने घाटे को वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले 63% घटा लिया।
  • ये आंकड़े Registrar of Companies (RoC) के माध्यम से सामने आए हैं।

Cashify: इस्तेमाल किए गए डिवाइस का मार्केटप्लेस

Cashify एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो उपयोगकर्ताओं को पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप, को खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, कंपनी कई नामी OEMs (Original Equipment Manufacturers) जैसे:

  1. Xiaomi
  2. OnePlus
  3. Samsung

के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम्स के लिए साझेदारी करती है।

कंपनी Amazon और Flipkart जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर रीफर्बिश्ड डिवाइस ट्रेड को भी आसान बनाती है।


री-कॉमर्स मार्केट का बढ़ता दायरा

री-कॉमर्स की परिभाषा:

री-कॉमर्स का अर्थ है पुराने उत्पादों का खरीद-बिक्री और पुन: उपयोग। यह मॉडल उन उत्पादों को फिर से बाजार में लाता है, जो उपयोगकर्ता द्वारा इस्तेमाल किए जा चुके हैं लेकिन अच्छी स्थिति में हैं।

डिमांड में वृद्धि:

भारत में स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों की रीफर्बिश्ड डिवाइस की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • कम कीमत पर स्मार्टफोन की आवश्यकता।
  • पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ई-वेस्ट को कम करना।
  • टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली नई पीढ़ी का इस ओर झुकाव।

आंकड़ों पर एक नजर:

  • भारत में पुराने स्मार्टफोन्स का बाजार 2024 में $5 बिलियन के करीब पहुंचने का अनुमान है।
  • रीफर्बिश्ड डिवाइस सेक्टर में 20-25% की सालाना वृद्धि हो रही है।

Cashify के राजस्व में वृद्धि के कारण

  1. साझेदारी का विस्तार:
    • Xiaomi, OnePlus, और Samsung जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ साझेदारी।
    • Amazon और Flipkart पर रीफर्बिश्ड डिवाइस की बिक्री को बढ़ावा।
  2. ग्राहक आधार का विस्तार:
    • छोटे शहरों और कस्बों में बढ़ता उपयोग।
    • Cashify ऐप और वेबसाइट पर आसान प्रक्रियाओं ने ग्राहकों को आकर्षित किया।
  3. पर्यावरणीय जागरूकता:
    • ग्राहकों का ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग और रीयूज की ओर बढ़ता रुझान।
    • कंपनियों द्वारा सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता देना।
  4. टेक्नोलॉजी-ड्रिवन सॉल्यूशंस:
    • एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग, जिससे सही मूल्यांकन और तेज़ प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।

घाटे में कमी के पीछे की रणनीति

1. कुशल परिचालन:

  • Cashify ने अपनी लॉजिस्टिक्स और प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी बनाया।
  • लागत को कम करते हुए उच्च गुणवत्ता सेवा प्रदान की।

2. मार्केटिंग खर्च में कमी:

  • अधिक ऑर्गेनिक ग्रोथ पर फोकस।
  • पुराने ग्राहकों को बनाए रखने की रणनीति।

3. उत्पाद विविधता:

  • केवल स्मार्टफोन तक सीमित न रहते हुए लैपटॉप और अन्य उपकरणों का व्यापार बढ़ाया।

4. स्थायी विकास मॉडल:

  • फिजिकल ऑपरेशन्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच सही संतुलन।

Cashify के लिए आगे की राह

फोकस क्षेत्र:

  1. ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों में विस्तार।
  2. नए उत्पाद श्रेणियों को शामिल करना, जैसे:
    • टेबलेट
    • स्मार्टवॉच
    • अन्य गैजेट्स

तकनीकी उन्नति:

  • एआई और मशीन लर्निंग के अधिक उपयोग से प्राइसिंग और कस्टमर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाना।

सस्टेनेबिलिटी पहल:

  • ई-वेस्ट को कम करने के लिए रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग पर अधिक जोर।
  • ग्रीन ऑपरेशन्स को प्राथमिकता देना।

अंतरराष्ट्रीय विस्तार:

  • Cashify भारतीय बाजार में अपनी सफलता के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश कर सकता है।

भारतीय री-कॉमर्स क्षेत्र में Cashify का योगदान

इकोसिस्टम को बढ़ावा:

Cashify ने भारतीय री-कॉमर्स इकोसिस्टम में एक स्ट्रक्चर्ड मॉडल पेश किया है।

  • उपयोगकर्ताओं को पुराने उपकरण बेचने और खरीदने का एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म।
  • OEMs और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ स्ट्रैटेजिक साझेदारी।

नवाचार और रोजगार:

  • टेक-ड्रिवन अप्रोच के माध्यम से इनोवेशन।
  • नई नौकरियां और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में वृद्धि।

निष्कर्ष

Cashify का वित्त वर्ष 2024 का प्रदर्शन री-कॉमर्स सेक्टर में इसकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

  • राजस्व में वृद्धि और घाटे में कमी यह दर्शाती है कि कंपनी सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
  • भारत में रीफर्बिश्ड डिवाइस ट्रेड के बढ़ते बाजार के साथ, Cashify के पास अपनी सेवाओं को और विस्तार देने का सुनहरा अवसर है।
  • यदि यह कंपनी अपनी ग्राहक-केंद्रित रणनीतियों और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन पर काम जारी रखती है, तो यह न केवल भारतीय बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी री-कॉमर्स के भविष्य को परिभाषित कर सकती है।

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SanchiConnect और YourNest ने 8 स्टार्टअप्स में किए 48 करोड़ रुपये का निवेश

SanchiConnect

गहरी तकनीक (Deep-Tech) को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क SanchiConnect ने YourNest Venture Capital के साथ साझेदारी में Velocity Accelerator Program के तहत 8 परिवर्तनकारी स्टार्टअप्स में 48 करोड़ रुपये (लगभग 6 मिलियन डॉलर) का निवेश किया है। यह कार्यक्रम भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत बनाने और आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

SanchiConnect Velocity Accelerator Program: एक परिचय

SanchiConnect यह कार्यक्रम सात महीने तक चला, जिसमें 23 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 1,280 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 8 स्टार्टअप्स को उनके डिसरप्टिव इनोवेशन और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी क्षमता के आधार पर चुना गया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य:

  1. गहन तकनीकी विचारों को प्रोत्साहित करना।
  2. स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता, मेंटरशिप, और उद्योग जगत के विशेषज्ञों तक पहुंच प्रदान करना।
  3. उन्हें वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना।

चुने गए 8 स्टार्टअप्स और उनकी विशेषताएं

1. Induz

  • AI-आधारित डेटा प्रबंधन समाधान।
  • बड़े पैमाने पर एंटरप्राइज डेटा को स्वचालित और एकीकृत करने के लिए उन्नत उपकरण।

2. LeanWorx

  • क्लाउड-आधारित उत्पादकता निगरानी प्रणाली।
  • विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए तैयार।

3. Think Metal

  • कॉम्पैक्ट और लागत-प्रभावी 3D मेटल प्रिंटर।
  • 10 गुना तेज उत्पादन और आधी लागत पर मैन्युफैक्चरिंग समाधान।

4. Presage Insights

  • एडवांस्ड AI का उपयोग करके प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स।
  • उद्योगों में बेहतर निर्णय लेने के लिए समाधान प्रदान करता है।

5. Superfone

  • छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMBs) के लिए ऐप-आधारित बिजनेस फोन नंबर प्लेटफ़ॉर्म।
  • टेलीफोनी को बिजनेस सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत करता है।

6. CargoFL

  • AI-आधारित लॉजिस्टिक्स समाधान।
  • सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन और ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार।

7-8. अन्य दो स्टार्टअप्स ने भी इस सुप्रशंसनीय बैच को पूरा किया है। इनके इनोवेशन मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, हेल्थकेयर, और एंटरप्राइज सॉल्यूशंस जैसे क्षेत्रों में प्रभाव डाल रहे हैं।


स्टार्टअप्स को प्रदान किए गए लाभ

Velocity Accelerator Program न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करता है, बल्कि स्टार्टअप्स को एक व्यापक विकास मंच भी देता है।

  1. मेंटरशिप:
    • उद्योग विशेषज्ञों और अनुभवी निवेशकों से मार्गदर्शन।
  2. गो-टू-मार्केट रणनीति:
    • स्टार्टअप्स को बाजार में अपनी सेवाओं और उत्पादों को प्रभावी ढंग से पेश करने में सहायता।
  3. उद्योग तक पहुंच:
    • प्रमुख उद्योग जगत के नेताओं से नेटवर्किंग का अवसर।
  4. चुनौतियों का समाधान:
    • स्टार्टअप्स को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक उपकरण और अंतर्दृष्टि।

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पर प्रभाव

सांख्यिकीय जानकारी:

  • 2024 तक:
    • भारत में कुल 1,28,000 स्टार्टअप्स।
    • भारत, स्टार्टअप्स की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
  • 2024 में फंडिंग:
    • अब तक $10 बिलियन से अधिक की फंडिंग।
    • साल के अंत तक $15 बिलियन से अधिक फंडिंग का अनुमान।

Deep-Tech स्टार्टअप्स की भूमिका:

  • AI, मैन्युफैक्चरिंग, और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में नवाचार।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को तकनीकी उन्नति और रोजगार सृजन के माध्यम से मजबूती।
  • वैश्विक बाजार में भारतीय स्टार्टअप्स की प्रतिस्पर्धात्मकता।

YourNest और SanchiConnect की साझेदारी

  • YourNest Venture Capital:
    • YourNest ने हमेशा डिसरप्टिव और इनोवेटिव स्टार्टअप्स को समर्थन दिया है।
    • उनका फोकस स्टार्टअप्स को सस्टेनेबल और स्केलेबल सॉल्यूशंस प्रदान करने पर है।
  • SanchiConnect:
    • SanchiConnect एक प्लेटफ़ॉर्म है, जो Deep-Tech स्टार्टअप्स को विकास के लिए संसाधन और समर्थन प्रदान करता है।
    • उनकी यह पहल Velocity Accelerator Program के माध्यम से भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास कर रही है।

निष्कर्ष

SanchiConnect और YourNest के Velocity Accelerator Program ने भारतीय स्टार्टअप्स को नवाचार और तकनीकी उन्नति के लिए एक मंच प्रदान किया है।

  • फंडिंग और मेंटरशिप के माध्यम से इन 8 स्टार्टअप्स को अपनी डिसरप्टिव इनोवेशन्स को साकार करने का अवसर मिला है।
  • यह पहल भारत के Deep-Tech इकोसिस्टम को और अधिक सशक्त बनाने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का काम करेगी।

Velocity Accelerator Program जैसे प्रयास भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नवाचार और विकास के नए द्वार खोल रहे हैं, जिससे आर्थिक और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिल रहा है।

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