सस्टेनेबल ट्रैवल एक्सेसरीज़ और लाइफस्टाइल ब्रांड Uppercase ने FY25 में मजबूत ग्रोथ दर्ज की है। कंपनी के रेवेन्यू में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई, लेकिन तेज़ी से बढ़ते खर्चों ने इस बढ़त का असर कमजोर कर दिया।
नतीजतन, FY25 में कंपनी के घाटे लगभग 2X बढ़ गए।
📈 रेवेन्यू में 34% की मजबूत वृद्धि
Registrar of Companies (RoC) में दाखिल वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार:
- FY24 रेवेन्यू: ₹62 करोड़
- FY25 रेवेन्यू: ₹83 करोड़
👉 वार्षिक वृद्धि: 34%
Uppercase का बिजनेस मुख्य रूप से इको-फ्रेंडली ट्रॉली, बैकपैक और डफल बैग की बिक्री पर आधारित है, जो इसके ऑपरेटिंग रेवेन्यू का 98% हिस्सा बनाते हैं।
इसके अलावा, कंपनी ने
- इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री
- और बैंक डिपॉजिट पर ब्याज
से ₹2 करोड़ का अन्य आय अर्जित की।
इस प्रकार FY25 में कुल आय ₹85 करोड़ रही।
💸 खर्चों में तेज़ उछाल — सबसे बड़ा दबाव मटेरियल और मार्केटिंग कॉस्ट से
FY25 में Uppercase के खर्चों में व्यापक वृद्धि हुई। कुल खर्च 45% बढ़कर ₹120 करोड़ हो गया, जबकि FY24 में यह ₹83 करोड़ था।
🔍 मुख्य खर्च श्रेणियाँ:
🧵 1️⃣ मटेरियल कॉस्ट – ₹45 करोड़ (+36%)
- कुल खर्च का लगभग 38%
- रॉ मटेरियल और प्रोडक्शन बढ़ने से यह लागत लगातार बढ़ रही है।
📣 2️⃣ मार्केटिंग खर्च – ₹23 करोड़ (+44%)
- कुल खर्च का 19%
- कैटेगरी में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण विज्ञापन और ब्रांडिंग पर खर्च तेज़ी से बढ़ा।
👥 3️⃣ एम्प्लॉयी बेनिफिट्स – ₹20 करोड़ (+43%)
🚚 4️⃣ सेलिंग और डिस्ट्रीब्यूशन – ₹14 करोड़ (+56%)
📦 5️⃣ लॉजिस्टिक्स और आउटवर्ड खर्च – ₹7 करोड़ (+17%)
इन सभी खर्चों के सामूहिक प्रभाव ने कंपनी की वित्तीय संरचना पर भारी दबाव डाला।
विस्तृत खर्च ब्रेकअप TheKredible पर उपलब्ध है।
📉 घाटा दोगुना — EBITDA मार्जिन और यूनिट इकोनॉमिक्स कमजोर
राजस्व बढ़ने के बावजूद बढ़ते खर्चों ने कंपनी की लाभप्रदता पर भारी चोट पहुंचाई।
❌ FY25 में घाटा: ₹35 करोड़
(FY24 के ₹17.5 करोड़ से लगभग दोगुना)
महत्वपूर्ण अनुपात:
- EBITDA Margin:
- FY25: –43.01%
- FY24: –31.10%
- ROCE:
- FY25: –63.68%
- FY24: –67.03% (हल्का सुधार)
- प्रति ₹1 रेवेन्यू खर्च
- FY25: ₹1.45
- FY24: ₹1.34
यह स्पष्ट है कि कंपनी हर ₹1 रेवेन्यू कमाने के लिए अभी भी ज़्यादा पैसा खर्च कर रही है, जो स्केलेबिलिटी पर सवाल उठाता है।
💼 एसेट्स में वृद्धि — लेकिन कैश सीमित
FY25 में Uppercase की करंट एसेट्स बढ़कर ₹92 करोड़ तक पहुँच गईं।
इनमें शामिल है:
- कैश व बैंक बैलेंस: ₹4 करोड़
- इन्वेंटरी: लगभग ₹10 करोड़
हालांकि, बढ़ते घाटे को देखते हुए यह कैश पोज़िशन कंपनी की भविष्य की जरूरतों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
💰 फंडिंग और निवेशक संरचना
TheKredible के अनुसार, Uppercase ने अब तक कुल $17.5 मिलियन की फंडिंग जुटाई है।
प्रमुख निवेशक:
- Sixth Sense Ventures — 26% हिस्सेदारी
- Volrado Ventures — 16% हिस्सेदारी
ये दोनों निवेशक Uppercase की ग्रोथ स्ट्रेटेजी को सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा बर्न रेट को देखते हुए आगे नए फंडरेज़िंग की जरूरत पड़ सकती है।
🧠 सेगमेंट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा — Uppercase के सामने बड़ी चुनौती
भारत का बैगेज और ट्रैवल एक्सेसरी बाज़ार बेहद प्रतिस्पर्धी है।
VIP, Safari, Skybags जैसे स्थापित ब्रांडों के साथ— अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भी प्रीमियम सेगमेंट पर हावी हैं।
क्यों Uppercase दबाव में है?
✅ मार्केट लगभग कमोडिटाइज़्ड हो चुका है
✅ बड़े ब्रांड भारी विज्ञापन और डिस्ट्रिब्यूशन पर खर्च कर सकते हैं
✅ Uppercase का “इको-फ्रेंडली” पोज़िशनिंग एक निच सेगमेंट में है
✅ तेज़ ग्रोथ के बावजूद प्रॉफिट मार्जिन अभी भी नेगेटिव
कंपनी को ठोस traction के लिए:
- बड़े स्तर पर ब्रांड बिल्डिंग,
- वैल्यू प्राइसिंग,
- और product differentiation
की आवश्यकता है।
🔮 भविष्य क्या कहता है?
विशेषज्ञों के अनुसार:
- Uppercase को अगले 12–18 महीनों में फिर से पूंजी जुटानी पड़ सकती है, ताकि मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में आक्रामक निवेश कर सके।
- प्रॉफिटेबिलिटी तब ही संभव है जब कंपनी स्केल हासिल करेगी और कंट्रोल्ड बर्न मॉडल अपनाएगी।
- कोई वायरल कैंपेन या मजबूत ब्रांड recall कंपनी के लिए सकारात्मक मोड़ ला सकता है।
✅ निष्कर्ष
FY25 Uppercase के लिए ग्रोथ और बर्न का मिश्रण रहा।
जहाँ रेवेन्यू में 34% की मजबूत वृद्धि दिखी, वहीं तेज़ी से बढ़ते खर्चों ने घाटे को दोगुना कर दिया।
इको-फ्रेंडली ब्रांड पोज़िशनिंग कंपनी को भीड़ में अलग खड़ा करती है, लेकिन
कंपटीशन, मार्जिन दबाव और सीमित कैश इसे अगले वित्त वर्ष में कठिन चुनौतियों की ओर ले जाता है।
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