BorderPlus ने जुटाए ₹60 करोड़,

BorderPlus

नई उम्र का क्रॉस-बॉर्डर वर्कफोर्स मोबिलिटी प्लेटफॉर्म BorderPlus ने अपनी पहली संस्थागत फंडिंग (Institutional Funding) राउंड में ₹60 करोड़ ($7 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Owl Ventures ने किया, जिसमें कई बड़े उद्यमियों ने भाग लिया, जिनमें बिन्नी बंसल (Flipkart के को-फाउंडर), मिथुन सचेटी, रितेश अग्रवाल (OYO के फाउंडर), आकाश चौधरी और अपूर्व पाटनी शामिल हैं।

Border Plus का मिशन: भारतीय स्किल्ड वर्कर्स के लिए इंटरनेशनल करियर के नए दरवाजे खोलना

Border Plus इस फंडिंग का उपयोग भारतीय स्किल्ड वर्कर्स, विशेष रूप से हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और नर्सों के लिए इंटरनेशनल करियर ऑप्शंस को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए करेगा। कंपनी का उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें भाषा प्रशिक्षण, वीज़ा प्रोसेसिंग, नौकरी के अवसर, सांस्कृतिक समायोजन (Cultural Integration), स्थानीय योग्यता मान्यता (Qualification Recognition), वित्तीय सहायता और टैलेंट लीज़िंग जैसी सेवाएं शामिल हैं।

जनवरी 2024 में हुई थी BorderPlus की शुरुआत

BorderPlus की स्थापना upGrad के को-फाउंडर मयंक कुमार और OYO के पूर्व वरिष्ठ लीडर आयुष माथुर ने जनवरी 2024 में की थी। यह प्लेटफॉर्म भारत के स्किल्ड वर्कर्स को ग्लोबल करियर में नई संभावनाएं प्रदान करने के लिए एक एंड-टू-एंड समाधान उपलब्ध कराता है

कंपनी का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टैलेंट को सही अवसर दिलाना और उन्हें उन देशों में भेजना है, जहां उनकी स्किल्स की भारी मांग है। शुरुआत में, BorderPlus हेल्थकेयर सेक्टर पर फोकस कर रहा है, खासतौर पर भारतीय नर्सों को ग्लोबल लेवल पर प्लेस करने के लिए व्यापक ट्रेनिंग दे रहा है।

BorderPlus कैसे कर रहा है स्किल्ड वर्कर्स की मदद?

BorderPlus सिर्फ एक जॉब प्लेसमेंट प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि यह वर्कर्स को शुरू से लेकर इंटरनेशनल जॉब तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना रहा है। इसमें ये सेवाएं शामिल हैं:

फिनिशिंग स्कूल ट्रेनिंग – स्किल्स को इंटरनेशनल लेवल पर अपग्रेड करने के लिए विशेष ट्रेनिंग
भाषा सीखने की सुविधा – नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को इंग्लिश और अन्य जरूरी भाषाओं में दक्ष बनाने के लिए कोर्सेस
वीज़ा प्रोसेसिंग – डॉक्युमेंटेशन और अप्रूवल प्रक्रिया में मदद
रोजगार के अवसर – इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, हेल्थकेयर कंपनियों और अन्य संस्थानों में जॉब प्लेसमेंट
सांस्कृतिक अनुकूलन (Cultural Integration) – नए देश में एडजस्ट करने के लिए विशेष मार्गदर्शन
स्थानीय योग्यता मान्यता (Qualification Recognition) – विदेशी नियमों के अनुसार भारतीय डिग्री और प्रमाणपत्रों की मान्यता दिलाने में सहायता
वित्तीय सहायता और टैलेंट लीजिंग – जॉब पाने तक आर्थिक सहयोग और अन्य फाइनेंसिंग ऑप्शंस

पहली बैच की ट्रेनिंग हो चुकी है शुरू

BorderPlus ने पहले बैच की नर्सों की ट्रेनिंग पहले ही शुरू कर दी है। इन नर्सों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्लेसमेंट के लिए तैयार किया जा रहा है। इस व्यापक ट्रेनिंग प्रोग्राम में:

  • इंग्लिश लैंग्वेज ट्रेनिंग
  • वीज़ा प्रोसेसिंग और डॉक्युमेंटेशन
  • जॉब प्लेसमेंट की तैयारी
  • नई संस्कृति में ढलने की ट्रेनिंग
  • आर्थिक सहायता (फाइनेंसिंग) के विकल्प

शामिल हैं, जिससे भारतीय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स आसानी से अंतरराष्ट्रीय जॉब मार्केट में फिट हो सकें।

भारत के टैलेंट को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम

आज के समय में ग्लोबल हेल्थकेयर सेक्टर में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी कमी है, खासतौर पर नर्सिंग और अन्य हेल्थकेयर सेवाओं में। BorderPlus इस गैप को भरने का प्रयास कर रहा है और भारतीय वर्कफोर्स को उन देशों तक पहुंचाने में मदद कर रहा है, जहां उनकी जरूरत है।

भारत में हर साल लाखों नर्सिंग ग्रैजुएट्स निकलते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम को इंटरनेशनल करियर के अवसर मिल पाते हैं। इसके पीछे की वजहें हैं:

🔸 भाषा की बाधा – कई नर्सों को इंग्लिश में दक्षता नहीं होती
🔸 वीज़ा और डॉक्युमेंटेशन प्रक्रिया का जटिल होना
🔸 विदेशी अस्पतालों में भारतीय डिग्री की मान्यता न मिलना
🔸 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी पाने की जानकारी का अभाव

BorderPlus इन सभी समस्याओं को हल कर रहा है, ताकि भारतीय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स आसानी से ग्लोबल मार्केट में प्रवेश कर सकें

फंडिंग से क्या मिलेगा फायदा?

₹60 करोड़ की इस फंडिंग से BorderPlus को अपने ऑपरेशंस को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

  • हेल्थकेयर सेक्टर से आगे अन्य इंडस्ट्रीज़ में भी वर्कफोर्स मोबिलिटी लाने की योजना
  • अधिक देशों में विस्तार
  • अधिक संख्या में नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग और प्लेसमेंट की सुविधा
  • तकनीकी सुधार और डिजिटल प्लेटफॉर्म को और मजबूत बनाना

BorderPlus का भविष्य और संभावनाएं

BorderPlus का यह कदम न सिर्फ भारतीय वर्कर्स को इंटरनेशनल लेवल पर बेहतरीन अवसर दिलाएगा, बल्कि भारत के लिए भी रेमिटेंस (Remittance) और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।

BorderPlus भविष्य में:

📌 IT, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी और अन्य स्किल्ड सेक्टर्स में विस्तार कर सकता है
📌 डिजिटल टूल्स और AI का उपयोग कर प्रोसेस को और तेज़ और आसान बना सकता है
📌 ग्लोबल कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर इंटरनेशनल हायरिंग को बड़ा बना सकता है

निष्कर्ष

BorderPlus की यह फंडिंग भारतीय स्किल्ड वर्कफोर्स को ग्लोबल लेवल पर पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। खासतौर पर भारतीय नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए यह प्लेटफॉर्म करियर ग्रोथ के बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में यह दिखाता है कि क्रॉस-बॉर्डर करियर मोबिलिटी में बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं और आने वाले वर्षों में BorderPlus इस सेक्टर में बड़ा बदलाव ला सकता है। 🚀

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मयंक कुमार और आयुष माथुर ने लॉन्च किया BorderPlus, ब्लू-कॉलर वर्कर्स को दिलाएंगे वैश्विक नौकरी के अवसर

अपग्रेड (upGrad) के सह-संस्थापक मयंक कुमार और ओयो (OYO) के पूर्व वरिष्ठ नेता आयुष माथुर ने मिलकर एक नई पहल शुरू की है। BorderPlus नामक इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कर्स को वैश्विक नौकरी के अवसरों से जोड़ना है।


BorderPlus शुरुआत जर्मनी के हेल्थकेयर सेक्टर से

BorderPlus ने अपनी शुरुआत जर्मनी के हेल्थकेयर सेक्टर से की है। यह प्लेटफॉर्म नर्सिंग और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में ब्लू-कॉलर वर्कर्स के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। कंपनी की योजना जल्द ही अन्य उद्योगों जैसे:

  • हॉस्पिटैलिटी
  • रिटेल
  • टीचिंग
  • कंस्ट्रक्शन
  • लॉजिस्टिक्स
  • ट्रकिंग

में विस्तार करने की है। इसके अलावा, भविष्य में BorderPlus अन्य देशों में भी अवसर तलाशने की योजना बना रहा है।


जर्मनी और डेनमार्क में बढ़ती मांग

आयुष माथुर, जो पहले OYO यूरोप के अध्यक्ष रह चुके हैं, ने अपनी कार्यकाल के दौरान जर्मनी और डेनमार्क में श्रमिकों की कमी को नजदीक से देखा। खासतौर पर, उन्होंने हाउसकीपिंग जैसे ब्लू-कॉलर जॉब्स में बढ़ती मांग का अनुभव किया। BorderPlus इसी कमी को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर वैश्विक बाजार से जोड़ने का काम करेगा।


मयंक कुमार की नई भूमिका

अपग्रेड के प्रबंध निदेशक के तौर पर अपने सक्रिय संचालन से इस्तीफा देने के बाद, मयंक कुमार ने इस नए वेंचर पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, वह अपग्रेड के रणनीतिक निर्णयों में शामिल रहेंगे। BorderPlus के जरिए, मयंक भारतीय श्रमिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए एक संरचित कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं।


ट्रेनिंग प्रोग्राम और AI-संचालित भाषा अभ्यास

BorderPlus ने अपना पहला पायलट बैच शुरू किया है, जिसमें लगभग 10 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है। कंपनी का लक्ष्य इन बैचों को जल्दी ही बढ़ाने का है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम की विशेषताएं:

  1. कार्यक्रम की अवधि:
    • 6-9 महीनों का प्रशिक्षण।
  2. प्रारूप:
    • ऑनलाइन, ब्लेंडेड और ऑफलाइन फॉर्मेट्स।
  3. अंतिम चरण:
    • भाषा सीखने पर विशेष ध्यान देने के लिए पूरी तरह ऑफलाइन।

भाषा प्रशिक्षण में AI का उपयोग

BorderPlus भाषा प्रशिक्षण को प्रभावी और इंटरैक्टिव बनाने के लिए OpenAI तकनीक पर आधारित एक AI-पावर्ड कन्वर्सेशनल बॉट विकसित कर रहा है। यह बॉट उम्मीदवारों को भाषण और वार्तालाप अभ्यास में मदद करेगा, जिससे वे जर्मन या अन्य संबंधित भाषाओं को जल्दी और प्रभावी ढंग से सीख सकें।


प्रशिक्षण केंद्र और विस्तार योजना

BorderPlus का पहला प्रशिक्षण केंद्र पुणे में शुरू किया गया है। इसके बाद दूसरा केंद्र मुंबई में स्थापित किया गया। कंपनी की योजना भारत के अन्य प्रमुख शहरों में भी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की है, ताकि उम्मीदवारों को उनके अंतिम चरण के प्रशिक्षण के लिए सुविधाजनक स्थान मिल सके।


ब्लू-कॉलर वर्कर्स के लिए क्यों महत्वपूर्ण है BorderPlus?

1. वैश्विक नौकरी के अवसर:

BorderPlus भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरियों के लिए तैयार करता है, जिससे वे बेहतर वेतन और काम की शर्तों का लाभ उठा सकें।

2. स्किल डेवलपमेंट:

कार्यक्रम के जरिए श्रमिकों को न केवल तकनीकी कौशल, बल्कि भाषा और सांस्कृतिक समझ भी प्रदान की जाती है।

3. जॉब मार्केट में असमानता को दूर करना:

जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों में श्रमिकों की कमी है, और भारत में रोजगार की आवश्यकता। BorderPlus इस असमानता को दूर करने के लिए एक पुल का काम करेगा।

4. तकनीकी एडवांटेज:

AI-पावर्ड भाषा अभ्यास और एक संरचित ट्रेनिंग प्रोग्राम BorderPlus को अन्य प्लेटफॉर्म्स से अलग बनाते हैं।


आगे की राह और संभावना

BorderPlus का लक्ष्य है कि वह अन्य उद्योगों और देशों में विस्तार करे। हॉस्पिटैलिटी, लॉजिस्टिक्स, और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टरों में भी नौकरी के अवसर खोलने की योजना है। इसके अलावा, कंपनी का ध्यान भाषा और तकनीकी कौशल को प्राथमिकता देकर भारतीय श्रमिकों को ग्लोबल जॉब मार्केट के लिए प्रतिस्पर्धी बनाना है।


निष्कर्ष

BorderPlus भारतीय श्रमिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसरों का नया द्वार खोल रहा है। मयंक कुमार और आयुष माथुर की यह पहल न केवल ब्लू-कॉलर वर्कर्स को वैश्विक स्तर पर काम दिलाएगी, बल्कि उनके जीवन स्तर को भी सुधारने में मदद करेगी।

जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों में श्रमिकों की कमी को देखते हुए, BorderPlus भारतीय प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर वैश्विक बाजार में उनकी जगह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पहल से भारतीय श्रमिकों को न केवल बेहतर वेतन मिलेगा, बल्कि उन्हें नई संस्कृतियों और कौशलों का भी अनुभव होगा।

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