अपग्रेड (upGrad) के सह-संस्थापक मयंक कुमार और ओयो (OYO) के पूर्व वरिष्ठ नेता आयुष माथुर ने मिलकर एक नई पहल शुरू की है। BorderPlus नामक इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कर्स को वैश्विक नौकरी के अवसरों से जोड़ना है।
BorderPlus शुरुआत जर्मनी के हेल्थकेयर सेक्टर से
BorderPlus ने अपनी शुरुआत जर्मनी के हेल्थकेयर सेक्टर से की है। यह प्लेटफॉर्म नर्सिंग और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में ब्लू-कॉलर वर्कर्स के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। कंपनी की योजना जल्द ही अन्य उद्योगों जैसे:
- हॉस्पिटैलिटी
- रिटेल
- टीचिंग
- कंस्ट्रक्शन
- लॉजिस्टिक्स
- ट्रकिंग
में विस्तार करने की है। इसके अलावा, भविष्य में BorderPlus अन्य देशों में भी अवसर तलाशने की योजना बना रहा है।
जर्मनी और डेनमार्क में बढ़ती मांग
आयुष माथुर, जो पहले OYO यूरोप के अध्यक्ष रह चुके हैं, ने अपनी कार्यकाल के दौरान जर्मनी और डेनमार्क में श्रमिकों की कमी को नजदीक से देखा। खासतौर पर, उन्होंने हाउसकीपिंग जैसे ब्लू-कॉलर जॉब्स में बढ़ती मांग का अनुभव किया। BorderPlus इसी कमी को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर वैश्विक बाजार से जोड़ने का काम करेगा।
मयंक कुमार की नई भूमिका
अपग्रेड के प्रबंध निदेशक के तौर पर अपने सक्रिय संचालन से इस्तीफा देने के बाद, मयंक कुमार ने इस नए वेंचर पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, वह अपग्रेड के रणनीतिक निर्णयों में शामिल रहेंगे। BorderPlus के जरिए, मयंक भारतीय श्रमिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए एक संरचित कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं।
ट्रेनिंग प्रोग्राम और AI-संचालित भाषा अभ्यास
BorderPlus ने अपना पहला पायलट बैच शुरू किया है, जिसमें लगभग 10 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है। कंपनी का लक्ष्य इन बैचों को जल्दी ही बढ़ाने का है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की विशेषताएं:
- कार्यक्रम की अवधि:
- 6-9 महीनों का प्रशिक्षण।
- प्रारूप:
- ऑनलाइन, ब्लेंडेड और ऑफलाइन फॉर्मेट्स।
- अंतिम चरण:
- भाषा सीखने पर विशेष ध्यान देने के लिए पूरी तरह ऑफलाइन।
भाषा प्रशिक्षण में AI का उपयोग
BorderPlus भाषा प्रशिक्षण को प्रभावी और इंटरैक्टिव बनाने के लिए OpenAI तकनीक पर आधारित एक AI-पावर्ड कन्वर्सेशनल बॉट विकसित कर रहा है। यह बॉट उम्मीदवारों को भाषण और वार्तालाप अभ्यास में मदद करेगा, जिससे वे जर्मन या अन्य संबंधित भाषाओं को जल्दी और प्रभावी ढंग से सीख सकें।
प्रशिक्षण केंद्र और विस्तार योजना
BorderPlus का पहला प्रशिक्षण केंद्र पुणे में शुरू किया गया है। इसके बाद दूसरा केंद्र मुंबई में स्थापित किया गया। कंपनी की योजना भारत के अन्य प्रमुख शहरों में भी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की है, ताकि उम्मीदवारों को उनके अंतिम चरण के प्रशिक्षण के लिए सुविधाजनक स्थान मिल सके।
ब्लू-कॉलर वर्कर्स के लिए क्यों महत्वपूर्ण है BorderPlus?
1. वैश्विक नौकरी के अवसर:
BorderPlus भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरियों के लिए तैयार करता है, जिससे वे बेहतर वेतन और काम की शर्तों का लाभ उठा सकें।
2. स्किल डेवलपमेंट:
कार्यक्रम के जरिए श्रमिकों को न केवल तकनीकी कौशल, बल्कि भाषा और सांस्कृतिक समझ भी प्रदान की जाती है।
3. जॉब मार्केट में असमानता को दूर करना:
जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों में श्रमिकों की कमी है, और भारत में रोजगार की आवश्यकता। BorderPlus इस असमानता को दूर करने के लिए एक पुल का काम करेगा।
4. तकनीकी एडवांटेज:
AI-पावर्ड भाषा अभ्यास और एक संरचित ट्रेनिंग प्रोग्राम BorderPlus को अन्य प्लेटफॉर्म्स से अलग बनाते हैं।
आगे की राह और संभावना
BorderPlus का लक्ष्य है कि वह अन्य उद्योगों और देशों में विस्तार करे। हॉस्पिटैलिटी, लॉजिस्टिक्स, और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टरों में भी नौकरी के अवसर खोलने की योजना है। इसके अलावा, कंपनी का ध्यान भाषा और तकनीकी कौशल को प्राथमिकता देकर भारतीय श्रमिकों को ग्लोबल जॉब मार्केट के लिए प्रतिस्पर्धी बनाना है।
निष्कर्ष
BorderPlus भारतीय श्रमिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसरों का नया द्वार खोल रहा है। मयंक कुमार और आयुष माथुर की यह पहल न केवल ब्लू-कॉलर वर्कर्स को वैश्विक स्तर पर काम दिलाएगी, बल्कि उनके जीवन स्तर को भी सुधारने में मदद करेगी।
जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों में श्रमिकों की कमी को देखते हुए, BorderPlus भारतीय प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर वैश्विक बाजार में उनकी जगह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पहल से भारतीय श्रमिकों को न केवल बेहतर वेतन मिलेगा, बल्कि उन्हें नई संस्कृतियों और कौशलों का भी अनुभव होगा।
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