⚡ Dunzo के को-फाउंडर Kabeer Biswas ने छोड़ा Flipkart Minutes का साथ, अब BigBasket से जुड़ने की तैयारी! 🛒

Flipkart Minutes

भारत के quick commerce सेक्टर में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला है। Dunzo के co-founder और पूर्व CEO, Kabeer Biswas ने अब Flipkart में अपनी भूमिका से इस्तीफा दे दिया है। वे Flipkart में Vice President (Quick Commerce) के तौर पर Flipkart Minutes प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे थे।

Flipkart ने एक आधिकारिक बयान में पुष्टि की है कि अब इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व Kunal Gupta, जो कंपनी के एक पुराने और अनुभवी वाइस प्रेसिडेंट हैं, संभालेंगे। 🙌


🏁 एक साल से भी कम समय में Exit

Kabeer Biswas ने जनवरी 2025 में Flipkart से जुड़कर कंपनी की 10-मिनट डिलीवरी सर्विस “Flipkart Minutes” को लॉन्च और स्केल करने की जिम्मेदारी संभाली थी।
लेकिन अब उन्होंने इस पद से एक साल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया, जिससे Flipkart के new commerce push में एक और leadership change दर्ज हुआ है।

Flipkart का यह initiative कंपनी की traditional e-commerce operations से आगे बढ़ने की कोशिश का हिस्सा था, ताकि वह Blinkit, Zepto और Swiggy Instamart जैसे स्थापित quick commerce खिलाड़ियों से मुकाबला कर सके। ⚔️


🚀 अब BigBasket में नई भूमिका की चर्चा

Entrackr की रिपोर्ट के अनुसार, Biswas अब BigBasket से जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
स्रोतों के मुताबिक, BigBasket ने उन्हें एक औपचारिक offer letter भी भेजा है।

सूत्रों ने बताया,

“Discussions advanced stage में हैं और Biswas BigBasket के quick commerce vertical को लीड करेंगे। यह भूमिका कंपनी के fast delivery business को बढ़ाने पर केंद्रित होगी।”

अगर यह डील फाइनल होती है, तो यह Biswas के करियर का एक नया अध्याय साबित होगा — Dunzo से Flipkart और अब BigBasket तक की यात्रा! 🧭


🧑‍💼 कौन हैं Kabeer Biswas?

Kabeer Biswas भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक जाना-पहचाना नाम हैं।
उन्होंने 2014 में Dunzo की सह-स्थापना की थी — जो भारत की शुरुआती hyperlocal delivery कंपनियों में से एक रही है।

Dunzo ने “pick up & drop anything” मॉडल के जरिए बड़ी लोकप्रियता हासिल की और बाद में Google, Reliance Retail, Lightbox जैसे निवेशकों से भी बड़ी फंडिंग जुटाई। 🚴‍♂️

हालांकि हाल के वर्षों में Dunzo को funding crunch और operational challenges का सामना करना पड़ा, जिसके बाद Biswas ने 2023 के अंत में CEO पद से इस्तीफा दिया था।


🏢 Flipkart Minutes क्या है?

Flipkart Minutes को 2025 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था — एक 10-minute grocery and essentials delivery platform, जो Flipkart के लिए new commerce category में प्रवेश का पहला बड़ा कदम था।

कंपनी का मकसद था कि वह अपने मजबूत logistics network और customer base का उपयोग करके ultra-fast delivery बाजार में प्रवेश करे।

Kabeer Biswas के नेतृत्व में Flipkart Minutes ने Bengaluru और Hyderabad में pilot phase शुरू किया था और आगे कई अन्य शहरों में विस्तार की योजना थी।

लेकिन Biswas के अचानक इस्तीफे ने इस प्रोजेक्ट की दिशा और भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 🤔


👨‍💼 अब जिम्मेदारी Kunal Gupta के कंधों पर

Flipkart ने कहा है कि Kunal Gupta, जो कंपनी के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं, अब “Flipkart Minutes” की steering संभालेंगे।

कंपनी ने बयान में कहा —

“हम Kabeer के योगदान की सराहना करते हैं। अब Kunal Gupta इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व करेंगे ताकि बिजनेस और ऑपरेशंस सुचारू रूप से चलते रहें।”

Kunal Gupta पहले भी Flipkart के कई रणनीतिक प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे हैं और माना जा रहा है कि वे इस डिवीजन को stabilize करने पर फोकस करेंगे।


🧩 Quick Commerce Sector में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

भारत में quick commerce बाजार फिलहाल Zomato-backed Blinkit, Zepto, और Swiggy Instamart के बीच सिमटा हुआ है।
Flipkart का इसमें प्रवेश late but ambitious move माना गया था।

वहीं BigBasket भी अपनी BB Now और BB Express सेवाओं के जरिए इस सेगमेंट में तेजी से ग्रोथ कर रहा है।
अगर Biswas BigBasket से जुड़ते हैं, तो कंपनी को उनके अनुभव का बड़ा फायदा मिल सकता है — खासकर fast delivery और last-mile operations के क्षेत्र में। 🚚💨


📊 Quick Commerce का विस्तार और चुनौतियाँ

  • भारत का quick commerce बाजार 2025 तक $5 बिलियन से अधिक का होने का अनुमान है।
  • लेकिन इस सेगमेंट में unit economics, delivery cost, और supply chain optimization जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • कई स्टार्टअप्स को funding की कमी के कारण स्केल करने में दिक्कत आई है।

इस बीच, Flipkart और BigBasket जैसी बड़ी कंपनियाँ अपने मजबूत बैकएंड नेटवर्क और कैश फ्लो के दम पर इस सेक्टर को स्थायी बनाने की कोशिश में हैं। 💼


🧭 निष्कर्ष: नया मोड़, नया मौका

Kabeer Biswas का Flipkart से जाना और BigBasket में संभावित जुड़ाव भारत के quick commerce sector में power reshuffle जैसा कदम है।
Biswas का अनुभव, execution skills और Dunzo जैसी कंपनी बनाने का ट्रैक रिकॉर्ड उन्हें इस क्षेत्र में एक key player बनाता है।

अब देखना यह होगा कि क्या वह BigBasket को Blinkit और Zepto जैसी कंपनियों के मुकाबले में और मजबूत बना पाएंगे या नहीं।

📌 लेकिन एक बात तय है — Quick Commerce की रफ्तार भारत में थमने वाली नहीं है, और Kabeer Biswas जैसे दिग्गज इस रेस को और भी रोमांचक बना रहे हैं! ⚡🛍️

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Flipkart का नया कदम: 10 मिनट में दवाइयों की डिलीवरी

Flipkart

भारत में ई-कॉमर्स दिग्गज Flipkart ने अब दवाइयों को 10 मिनट में डिलीवर करने की योजना बनाई है। यह कदम कंपनी के मुख्य प्रतिस्पर्धियों, जैसे Swiggy Instamart और BigBasket, को चुनौती देने के लिए उठाया गया है। Flipkart की इस रणनीति का खुलासा The Economic Times की एक रिपोर्ट में किया गया।


Flipkart स्थानीय केमिस्टों के साथ साझेदारी

Flipkart भारतीय दवा नियामकों के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए पंजीकृत स्थानीय केमिस्टों के साथ साझेदारी कर रहा है। भारत के कानून विदेशी समर्थित ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी इन्वेंटरी रखने की अनुमति नहीं देते।

  • Flipkart ने इस नियम का पालन करते हुए दवाइयों को तेज़ी से डिलीवर करने के लिए मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में स्थानीय स्टोर्स के साथ सहयोग किया है।
  • यह मॉडल Swiggy Instamart और BigBasket के मॉडल से मिलता-जुलता है, जो ई-फार्मेसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं।

Swiggy Instamart और BigBasket का मुकाबला

Flipkart का यह कदम Swiggy और BigBasket की मौजूदा सेवाओं को टक्कर देने के लिए है:

  1. Swiggy Instamart:
    • Swiggy ने PharmEasy के साथ साझेदारी करके दवाइयों को 10 मिनट में डिलीवर करना शुरू किया है।
    • यह सेवा तेजी से लोकप्रिय हो रही है और Flipkart के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
  2. BigBasket:
    • BigBasket, जो Tata Digital के तहत काम करने वाली 1mg के साथ साझेदारी कर रहा है, जल्द ही दवाइयों की तेज़ डिलीवरी शुरू कर सकता है।

क्विक कॉमर्स में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

क्विक कॉमर्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और प्रमुख खिलाड़ी अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं।

  • Zepto और Blinkit जैसे प्लेटफॉर्म पहले से ही क्विक डिलीवरी सेवाओं में अग्रणी हैं।
  • Motilal Oswal की हालिया रिपोर्ट के अनुसार:
    • Blinkit का मार्केट शेयर 46% है।
    • Zepto के पास 29% और Swiggy Instamart के पास 25% का हिस्सा है।

Flipkart की एंट्री इस स्पेस में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा सकती है।


Flipkart की रणनीति और चुनौतियाँ

Flipkart के लिए दवाइयों की डिलीवरी एक नया सेगमेंट है, लेकिन इसमें बड़ी संभावनाएँ हैं।

Flipkart की रणनीति:

  1. स्थानीय साझेदारी:
    Flipkart स्थानीय केमिस्टों और सप्लायर्स के साथ सहयोग करके तेज़ी से ग्राहकों तक दवाइयाँ पहुँचाएगा।
  2. तकनीकी आधार:
    Flipkart अपनी उन्नत लॉजिस्टिक्स और डेटा एनालिटिक्स क्षमताओं का उपयोग करके क्विक कॉमर्स में मजबूती से प्रवेश कर सकता है।
  3. विस्तृत सेवा नेटवर्क:
    कंपनी के पास पहले से ही एक व्यापक डिलीवरी नेटवर्क है, जो इसे नई सेवाएँ लॉन्च करने में मदद करेगा।

चुनौतियाँ:

  1. कानूनी और नियामक नियम:
    भारतीय दवा कानून विदेशी कंपनियों के लिए सख्त हैं। Flipkart को स्थानीय साझेदारियों में पूरी पारदर्शिता रखनी होगी।
  2. बाजार प्रतिस्पर्धा:
    Zepto और Blinkit जैसे खिलाड़ी पहले से ही इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। Flipkart को उनके खिलाफ मजबूत रणनीति बनानी होगी।
  3. ग्राहकों का विश्वास:
    दवाइयों की डिलीवरी में सटीकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना Flipkart के लिए अहम होगा।

दवा डिलीवरी: एक बढ़ता हुआ बाज़ार

भारत में ऑनलाइन दवा बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है। महामारी के बाद से, लोग दवाइयों की ऑनलाइन खरीदारी को प्राथमिकता देने लगे हैं।

बाजार के आंकड़े:

  • भारत का ई-फार्मेसी बाजार 2024 तक $1.2 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • क्विक कॉमर्स में दवाइयों की डिलीवरी एक प्रमुख ट्रेंड बन रहा है।

ग्राहकों की मांग:

  • तेज़ डिलीवरी सेवाएँ ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
  • Flipkart की 10 मिनट डिलीवरी सेवा ग्राहक अनुभव को बेहतर बना सकती है।

Flipkart के लिए संभावनाएँ

प्रतिस्पर्धात्मक लाभ:

  • Flipkart के पास पहले से ही एक मजबूत ग्राहक आधार है।
  • इसकी लॉजिस्टिक्स और तकनीकी क्षमताएँ इसे क्विक कॉमर्स में सफल बना सकती हैं।

विस्तार के अवसर:

  • Flipkart इस सेवा को मेट्रो शहरों से आगे छोटे शहरों और कस्बों तक भी ले जा सकता है।
  • क्विक डिलीवरी सेवाएँ कंपनी के राजस्व में नए आयाम जोड़ सकती हैं।

निष्कर्ष

Flipkart का 10 मिनट में दवाइयों की डिलीवरी सेवा शुरू करने का फैसला भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में एक नया अध्याय खोल सकता है।

  • Swiggy Instamart और BigBasket जैसे प्रमुख खिलाड़ियों को चुनौती देने के लिए Flipkart को अपनी डिलीवरी स्पीड, सर्विस क्वालिटी, और ग्राहक विश्वास पर ध्यान देना होगा।
  • क्विक कॉमर्स का बढ़ता बाजार Flipkart के लिए नए अवसर लेकर आ सकता है।

Flipkart का यह कदम न केवल इसे ई-फार्मेसी सेक्टर में प्रवेश दिलाएगा, बल्कि इसे भारत के तेज़ी से बढ़ते क्विक कॉमर्स स्पेस में भी एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है।

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Google ने Flipkart में $350 मिलियन का निवेश किया, CCI से मिली मंजूरी

Flipkart

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल द्वारा वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Flipkart में $350 मिलियन (लगभग ₹2,900 करोड़) के निवेश को मंजूरी दे दी है। इस डील को मई 2024 से मंजूरी का इंतजार था।

गूगल का यह निवेश फ्लिपकार्ट के $1 बिलियन फंडिंग राउंड का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व वॉलमार्ट ने किया है। इस निवेश के साथ, फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन $36 बिलियन (लगभग ₹2.9 लाख करोड़) हो गया।


CCI से मंजूरी क्यों थी जरूरी?

CCI भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए बड़े निवेश और अधिग्रहण की जांच करता है।

  • Flipkart और गूगल दोनों ही भारतीय डिजिटल और ई-कॉमर्स स्पेस में बड़े खिलाड़ी हैं।
  • CCI ने यह सुनिश्चित किया कि यह निवेश प्रतिस्पर्धा को बाधित नहीं करेगा और भारतीय उपभोक्ताओं के हित में होगा।

Flipkart ने इस निवेश को लेकर कहा था कि इसे दोनों पक्षों की नियामक और अन्य मंजूरियों की आवश्यकता होगी।


फ्लिपकार्ट के लिए क्या मायने रखता है यह निवेश?

  1. डिजिटल इनोवेशन में मदद
    गूगल के साथ यह साझेदारी फ्लिपकार्ट को अपनी डिजिटल सेवाओं को और उन्नत बनाने में मदद करेगी।
    • AI और मशीन लर्निंग आधारित टूल्स को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में शामिल किया जा सकता है।
    • उपभोक्ताओं के लिए अधिक व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करने की क्षमता।
  2. वित्तीय मजबूती
    $1 बिलियन फंडिंग राउंड से मिली राशि फ्लिपकार्ट को अपने संचालन का विस्तार करने और प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
  3. छोटे शहरों में विस्तार
    फ्लिपकार्ट का ध्यान टियर II और टियर III शहरों में उपभोक्ताओं तक पहुंच बढ़ाने पर है।

गूगल का फ्लिपकार्ट में निवेश क्यों?

  1. भारतीय बाजार में बढ़ती मांग
    भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, और गूगल इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को मजबूत करना चाहता है।
  2. डिजिटल पेमेंट का विस्तार
    गूगल पे जैसे प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट की सेवाओं से जुड़कर डिजिटल पेमेंट को और सरल बना सकते हैं।
  3. प्रभावी डेटा साझेदारी
    फ्लिपकार्ट के साथ साझेदारी से गूगल को भारतीय उपभोक्ताओं के व्यवहार और आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

रेबल फूड्स को भी मिला निवेश का समर्थन

CCI ने रेबल फूड्स में जोंगसॉन्ग इन्वेस्टमेंट्स (सिंगापुर स्थित टेमासेक की सहायक कंपनी) द्वारा किए गए निवेश को भी मंजूरी दी है।

  • रेबल फूड्स, जिसे पहले फासोस के नाम से जाना जाता था, भारत और अन्य देशों में क्लाउड किचन चलाने वाली प्रमुख कंपनी है।
  • कंपनी ने हाल ही में $100-140 मिलियन जुटाने की योजना बनाई है।

रेबल फूड्स का प्रदर्शन और योजनाएं

वित्तीय प्रदर्शन

  • FY24 में रेबल फूड्स की ऑपरेशनल आय ₹1,420 करोड़ तक पहुंच गई।
  • इस अवधि में कंपनी का नुकसान 42% घटकर ₹378 करोड़ रह गया।
  • पिछले दो वर्षों में कंपनी ने ₹50 करोड़ का कर्ज उठाया था।

विस्तार की योजना

रेबल फूड्स ने अपने क्लाउड किचन नेटवर्क को मजबूत किया है:

  • 450+ क्लाउड किचन दुनिया भर में।
  • भारत के 75 शहरों के साथ-साथ MENA (मिडल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका), इंडोनेशिया, यूके में मौजूदगी।

कंपनी की योजना:

  1. नई निवेश रणनीति
    • ताजा इक्विटी फंडिंग का उपयोग नए ब्रांड्स और टेक्नोलॉजी में किया जाएगा।
  2. ग्राहक अनुभव में सुधार
    • फूड डिलीवरी को अधिक तेज और भरोसेमंद बनाने पर ध्यान।
  3. वैश्विक विस्तार
    • नए बाजारों में प्रवेश और विदेशी ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने की योजना।

CCI की मंजूरी का महत्व

भारतीय स्टार्टअप्स के लिए अच्छा संकेत

CCI द्वारा दी गई मंजूरी भारतीय स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है।

  • फ्लिपकार्ट और रेबल फूड्स जैसे कंपनियों को नए निवेश से अपने संचालन का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

प्रतिस्पर्धा का संरक्षण

CCI ने यह सुनिश्चित किया है कि ये निवेश भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को बाधित नहीं करेंगे।


निष्कर्ष

गूगल और रेबल फूड्स में निवेश से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय डिजिटल और ई-कॉमर्स सेक्टर में वैश्विक निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है।

  • फ्लिपकार्ट को मिला गूगल का समर्थन डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा देगा और छोटे शहरों में इसके विस्तार को गति देगा।
  • रेबल फूड्स का वैश्विक विस्तार और क्लाउड किचन मॉडल भारतीय फूडटेक उद्योग में नए आयाम जोड़ सकता है।

फ्यूचर विजन: इन दोनों कंपनियों के लिए FY25 में इन निवेशों का प्रभाव देखना दिलचस्प होगा, जो भारतीय डिजिटल और फूडटेक क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।

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