दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़े ऑनलाइन फ्रॉड नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है, जो कथित तौर पर वेल्थ-टेक प्लेटफॉर्म INDmoney और इसके फाउंडर आशीष कश्यप के नाम पर निवेशकों को ठग रहा था। कोर्ट ने इसे विस्तृत स्तर पर साइबर क्रैकडाउन का मामला बताते हुए डोमेन रजिस्ट्रार, ऐप स्टोर्स, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, बैंक और साइबरक्राइम यूनिट्स को मिलकर ऑपरेशन बंद करने का निर्देश दिया है।
⚖️ कोर्ट का आदेश — मिलकर बंद करें ठगी का नेटवर्क
28 जुलाई को दिए गए आदेश में जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि सभी संबंधित संस्थानों को समन्वय (coordination) से कार्रवाई करनी होगी।
- डोमेन रजिस्ट्रार को संदिग्ध वेबसाइट्स ब्लॉक करने और ओनरशिप डिटेल्स देने का आदेश।
- Google व Apple को फेक मोबाइल ऐप्स हटाने के निर्देश।
- WhatsApp और Telegram को फर्जी नंबर और ग्रुप ब्लॉक करने का आदेश।
- बैंकों को जुड़े खातों को फ्रीज करने और KYC डिटेल्स उपलब्ध कराने के निर्देश।
- नेशनल साइबर सेल और गुरुग्राम साइबर पुलिस को जांच रिपोर्ट फाइल करने का आदेश।
🕵️♂️ ठगी कैसे हुई?
यह मामला INDmoney Tech और इसकी एफिलिएट कंपनी INDstocks ने दायर किया था। शिकायत में आरोप है कि नवंबर 2024 से एक शख्स, जिसकी पहचान “अशोक कुमार” के रूप में हुई, ने नकली पहचान बनाकर लोगों को WhatsApp व Telegram ग्रुप्स, फर्जी वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप्स के जरिए ठगा।
फ्रॉड नेटवर्क की कार्यप्रणाली:
- ब्लॉक ट्रेडिंग, IPO टिप्स और शेयर मार्केट बेट्स पर हाई रिटर्न का झांसा।
- फर्जी SEBI सर्टिफिकेट और नकली डॉक्यूमेंट दिखाकर भरोसा जीतना।
- INDmoney के लोगो, ट्रेडमार्क और वेबसाइट कंटेंट की नकल कर असली जैसा दिखाना।
🌐 नेटवर्क का आकार और पहुंच
INDmoney की जांच में सामने आया कि इस ठगी नेटवर्क में शामिल थे:
- 8 फर्जी वेबसाइट्स
- 4 नकली मोबाइल ऐप्स
- दर्जनों WhatsApp व Telegram अकाउंट्स
- कई बैंक अकाउंट्स
इन सबका इस्तेमाल निवेशकों से पैसे ऐंठने के लिए किया गया।
📜 INDmoney कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
कोर्ट ने माना कि यह मामला ट्रेडमार्क उल्लंघन, पासिंग ऑफ और कॉपीराइट वायलेशन का स्पष्ट उदाहरण है।
- इन गतिविधियों से अपूर्णीय क्षति (irreparable injury) हो रही थी।
- आरोपी, उसके सहयोगी और एजेंट्स को ब्रांड इस्तेमाल करने या फर्जी प्लेटफॉर्म चलाने से रोका गया।
- Gname.com, Dominet और Dynadot को संदिग्ध डोमेन्स ब्लॉक करने और मालिक की जानकारी देने का आदेश दिया गया।
📅 अगली सुनवाई की तारीखें
- 2 सितंबर: जॉइंट रजिस्ट्रार के सामने सुनवाई।
- 17 दिसंबर: हाईकोर्ट में अगली सुनवाई।
इन तारीखों तक सभी संबंधित एजेंसियों को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करनी होगी।
💬 आशीष कश्यप की प्रतिक्रिया
कोर्ट के आदेश के बाद INDmoney के फाउंडर आशीष कश्यप ने LinkedIn पर पोस्ट किया:
“यह ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ एक मजबूत डिजिटल-फर्स्ट कदम है। यह लोगों को संगठित और तकनीकी फ्रॉड से बचाने की दिशा में अहम पहल है।”
उन्होंने लोगों से “Stay alert, stay informed, stay safe” का संदेश देते हुए साइबर सुरक्षा को गंभीरता से लेने की अपील की।
🔍 क्यों जरूरी है यह कार्रवाई?
- निवेशकों की सुरक्षा — फिनटेक सेक्टर में भरोसा बनाए रखने के लिए फर्जीवाड़ा खत्म करना जरूरी है।
- ब्रांड की प्रतिष्ठा — ऐसे मामले कंपनियों के ब्रांड इमेज को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
- साइबर कानूनों का पालन — अदालत की सख्ती से साइबरक्राइम पर नकेल कसी जा सकती है।
- डिजिटल जागरूकता — यह मामला दिखाता है कि यूजर्स को बिना जांचे-परखे निवेश से बचना चाहिए।
📢 निवेशकों के लिए चेतावनी
- किसी भी स्टॉक टिप या निवेश स्कीम को बिना सत्यापन के फॉलो न करें।
- केवल आधिकारिक वेबसाइट्स और ऐप्स से ही लेन-देन करें।
- किसी भी संदिग्ध लिंक, नंबर या ग्रुप को तुरंत साइबरक्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें।
📌 निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक कंपनी का नहीं, बल्कि पूरे फिनटेक इकोसिस्टम की विश्वसनीयता का है। दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश दिखाता है कि अगर कंपनियां और कानून मिलकर कार्रवाई करें, तो तकनीकी ठगों के नेटवर्क को खत्म किया जा सकता है।
अब सभी की निगाहें 2 सितंबर और 17 दिसंबर की सुनवाई पर होंगी, जहां इस केस में आगे की दिशा तय होगी।
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