PayU ने Mindgate Solutions में लिया 43.5% रणनीतिक हिस्सा,

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डिजिटल पेमेंट और फिनटेक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी PayU ने रियल-टाइम पेमेंट्स टेक कंपनी Mindgate Solutions में 43.5% हिस्सेदारी खरीद ली है। इस रणनीतिक साझेदारी से PayU भारत में अपने रियल-टाइम पेमेंट्स बिजनेस को मजबूत करेगा और Mindgate की विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान इनोवेशन को बढ़ावा देगा।

इस डील के तहत, Mindgate Solutions के संस्थापक कंपनी में बहुसंख्यक हिस्सेदारी (Majority Ownership) बनाए रखेंगे, जबकि PayU एक महत्वपूर्ण निवेशक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।


PayU और Mindgate की साझेदारी का महत्व

PayU का यह निवेश भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम का हिस्सा बनने की दिशा में एक अहम कदम है।

  • UPI (Unified Payments Interface) जैसे इंस्टेंट पेमेंट सिस्टम, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है, भारत में डिजिटल लेनदेन को तेजी से बढ़ावा दे रहे हैं।
  • NPCI अब UPI को वैश्विक स्तर पर विस्तार देने पर ध्यान दे रहा है, और इस विस्तार में Mindgate महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
  • Mindgate भारत के अग्रणी बैंकों को रियल-टाइम पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराता है, जिससे डिजिटल भुगतान को और अधिक सुरक्षित और तेज बनाया जा सके।

P2M ट्रांजेक्शन में बढ़त

भारत में पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजेक्शन डिजिटल भुगतान का सबसे बड़ा सेगमेंट बन चुका है।

  • UPI लेनदेन में P2M ट्रांजेक्शन का हिस्सा लगभग 60% तक पहुंच गया है।
  • यह पार्टनरशिप बैंकों और व्यापारियों (Merchants) को उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों के अनुसार बेहतर डिजिटल पेमेंट विकल्प प्रदान करने में मदद करेगी।

Mindgate का मजबूत नेटवर्क और PayU का वैश्विक विस्तार

Mindgate Solutions हर महीने 8 बिलियन से अधिक ट्रांजेक्शन को प्रोसेस करता है और भारत के प्रमुख बैंकों को डिजिटल भुगतान समाधान उपलब्ध कराता है।

Mindgate का नेटवर्क अब मिडिल ईस्ट एंड नॉर्थ अफ्रीका (MENA), एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN), यूरोप और अमेरिका तक फैल रहा है।

PayU, जो पहले से ही वित्तीय प्रौद्योगिकी व्यवसाय (PayTech Business) Wibmo के माध्यम से वैश्विक स्तर पर विस्तार कर रहा है, Mindgate की विशेषज्ञता का उपयोग करके अपनी अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी और मजबूत करेगा।


PayU की IPO योजना और पिछली प्रमुख डील्स

PayU की यह डील ऐसे समय पर आई है जब कंपनी अपने IPO की योजना बना रही है

  • PayU का लक्ष्य 2025 की दूसरी छमाही में सार्वजनिक लिस्टिंग (IPO) लाना है।
  • इससे पहले, PayU ने भारतीय फिनटेक कंपनी PaySense का अधिग्रहण किया था और उसे 2020 में अपने क्रेडिट प्लेटफॉर्म LazyPay के साथ मर्ज कर दिया।
  • PayU ने फिनटेक कंपनी BillDesk को $4.7 बिलियन में खरीदने का प्रयास किया था, लेकिन कुछ शर्तें पूरी न होने की वजह से यह डील फेल हो गई।

क्या है PayU और Mindgate के लिए भविष्य की संभावनाएं?

1. भारत में डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम को बढ़ावा

  • इस साझेदारी से UPI और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों की पहुंच और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • बैंक और व्यापारी बेहतर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठा सकेंगे

2. वैश्विक स्तर पर विस्तार

  • PayU और Mindgate अब एशिया, यूरोप, अमेरिका और MENA क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने पर ध्यान देंगे
  • PayU की Wibmo PayTech प्लेटफॉर्म के साथ Mindgate की सेवाओं का एकीकरण इसे वैश्विक स्तर पर अग्रणी डिजिटल पेमेंट कंपनियों में शामिल कर सकता है।

3. IPO और निवेशकों के लिए नई संभावनाएं

  • PayU के IPO की योजना निवेशकों के लिए नए अवसर खोलेगी और डिजिटल भुगतान क्षेत्र में नए निवेश को आकर्षित करेगी

निष्कर्ष: PayU और Mindgate की साझेदारी से भारत और वैश्विक डिजिटल भुगतान क्षेत्र को मिलेगा बढ़ावा

PayU द्वारा Mindgate में 43.5% हिस्सेदारी खरीदने की यह डील भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल भुगतान बाजार में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस साझेदारी से:

PayU का भारत में डिजिटल पेमेंट सेगमेंट में दबदबा बढ़ेगा।
बैंकों और व्यापारियों को बेहतर और सुरक्षित भुगतान समाधान मिलेंगे।
UPI के वैश्विक विस्तार में Mindgate की भूमिका और अधिक मजबूत होगी।
PayU के IPO की संभावनाएं और आकर्षक बनेंगी।

भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है, और इस डील से न केवल PayU बल्कि पूरी डिजिटल फिनटेक इंडस्ट्री को अगले स्तर पर ले जाने का मौका मिलेगा। 🚀

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PayU ने टाली IPO योजना, FY26 में हो सकता है पब्लिक लिस्टिंग

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PayU, जो डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफ़ॉर्म है और Prosus के स्वामित्व में है, ने अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) की योजना को इस वित्तीय वर्ष में स्थगित कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, PayU इस साल या 2024 के दूसरे छमाही में अपने IPO की योजना बना रहा था, लेकिन अब इसे अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के बाद लाने पर विचार कर रहा है।

कंपनी की IPO योजना

PayU पिछले कुछ वर्षों से अपने IPO की योजना बना रही थी, लेकिन कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस वापस मिलने के बाद इसे टाल दिया गया। कंपनी ने अप्रैल 2024 में यह लाइसेंस फिर से प्राप्त कर लिया, जिसके बाद उसने नए व्यापारियों को ऑनबोर्ड करना शुरू कर दिया है। इससे पहले, जनवरी 2023 से अप्रैल 2024 के बीच व्यापारियों का ऑनबोर्डिंग प्रतिबंधित कर दिया गया था।

Goldman Sachs बनी प्रमुख बैंकिंग पार्टनर

सूत्रों के अनुसार, PayU ने Goldman Sachs को अपने IPO के लिए मुख्य बैंकिंग पार्टनर के रूप में चुना है। हालांकि, कंपनी ने अभी तक अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को दायर नहीं किया है, लेकिन संभावना है कि 2025 की शुरुआत में इसे दाखिल किया जाएगा। इससे पहले कंपनी अपने कॉर्पोरेट ढांचे को और मजबूत करने में व्यस्त थी ताकि सार्वजनिक लिस्टिंग की प्रक्रिया को आसानी से अंजाम दिया जा सके।

PayU की भारतीय बाजार में स्थिति

भारत में PayU ने एक मजबूत स्थिति बनाई है। कंपनी के पास तीन प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों – पेमेंट्स, क्रेडिट, और PayTech में 500,000 से अधिक व्यापारी हैं। कंपनी हर साल $60 बिलियन से अधिक का ट्रांजैक्शन वॉल्यूम जनरेट करने का दावा करती है। हालांकि, FY23 के मुकाबले FY24 में कंपनी की राजस्व वृद्धि केवल 11% रही और उसका राजस्व $444 मिलियन तक पहुंचा।

धीमी वृद्धि और वित्तीय चुनौतियाँ

कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट का मुख्य कारण RBI की पाबंदी रही, जिसके कारण नए व्यापारियों को ऑनबोर्ड नहीं किया जा सका। इसके अलावा, FY24 में कंपनी ने नुकसान झेला। यह धीमी वृद्धि और नकारात्मक मार्जिन कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं, और यह भी एक कारण है कि PayU ने अपने IPO को स्थगित कर दिया है।

RBI की पाबंदी और पुनः लाइसेंस प्राप्ति

PayU की IPO योजना को उस समय झटका लगा जब RBI ने उसकी जटिल कॉर्पोरेट संरचना के कारण भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस वापस कर दिया था। हालांकि, अप्रैल 2024 में यह लाइसेंस वापस मिलने के बाद, कंपनी ने अपनी सेवाओं को फिर से चालू कर दिया है और नए व्यापारियों को जोड़ना शुरू किया है। इस लाइसेंस की प्राप्ति के बाद कंपनी ने अपने विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है और IPO के लिए खुद को तैयार किया है।

आगे की योजना

सूत्रों के अनुसार, PayU ने अपनी IPO योजना को इस वित्तीय वर्ष से आगे बढ़ा दिया है और अब इसका लक्ष्य है कि FY26 के पहले तिमाही के बाद पब्लिक लिस्टिंग की जाए। यह कदम कंपनी को अपने वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने और राजस्व में तेजी लाने का समय देगा। कंपनी ने अपने वित्तीय ढांचे को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसका प्रदर्शन बेहतर होगा।

PayU का वैश्विक विस्तार

PayU केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी ने विभिन्न देशों में अपने पेमेंट सॉल्यूशंस का विस्तार किया है और वित्तीय सेवाओं में अपने पैर पसार रही है। PayU का फोकस उभरते बाजारों पर है, जहां डिजिटल पेमेंट्स और क्रेडिट सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। कंपनी अपनी सेवाओं को और भी अधिक व्यापारियों तक पहुंचाने की योजना बना रही है, जो इसके राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगी।

वित्तीय प्रदर्शन और चुनौतियाँ

PayU ने FY23 में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन RBI की पाबंदी और नए व्यापारियों को जोड़ने पर रोक के कारण FY24 में इसका प्रदर्शन धीमा रहा। कंपनी की राजस्व वृद्धि केवल 11% रही और इसका कुल राजस्व $444 मिलियन तक पहुंचा। इसके अलावा, कंपनी को नकारात्मक मार्जिन का भी सामना करना पड़ा, जिससे उसकी लाभप्रदता प्रभावित हुई।

निष्कर्ष

PayU की IPO योजना को स्थगित करना कंपनी के लिए एक रणनीतिक कदम है, जिससे वह अपने वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने और बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का समय हासिल कर सके। कंपनी ने Goldman Sachs जैसे प्रमुख बैंकों के साथ मिलकर अपने IPO की तैयारी शुरू कर दी है और उम्मीद है कि 2025 की शुरुआत में वह DRHP दायर करेगी। भारतीय बाजार में PayU की मजबूत स्थिति और उसके व्यापारियों का बढ़ता आधार इसे भविष्य में और भी अधिक सफलता की ओर ले जा सकता है।

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