भारत की अग्रणी ई-फार्मेसी और डायग्नोस्टिक ब्रांड PharmEasy की पेरेंट कंपनी API Holdings ने वित्त वर्ष 2025 (मार्च 2025 को समाप्त) के नतीजे जारी किए। इसमें कंपनी ने भले ही राजस्व में बहुत बड़ी बढ़त दर्ज नहीं की हो, लेकिन घाटे को 38% तक कम करने में सफलता हासिल की है। यह सुधार मुख्य रूप से फाइनेंस और डिप्रिशिएशन कॉस्ट में कटौती के कारण हुआ है।
📊 राजस्व: मामूली बढ़त
कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY25 में 3.7% बढ़कर ₹5,872 करोड़ पर पहुंचा, जो पिछले साल (FY24) ₹5,664 करोड़ था।
PharmEasy का बिजनेस मॉडल दवाइयों की बिक्री, डायग्नोस्टिक टेस्ट्स और टेली-कंसल्टेशन पर आधारित है।
- फार्मा और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की बिक्री से सबसे ज्यादा आय हुई – ₹5,097.5 करोड़ (87%)।
- बाकी रेवेन्यू डायग्नोस्टिक्स, टेली-कंसल्टेशन, डिलीवरी, वेयरहाउसिंग और पैथोलॉजी टेस्ट्स की कमिशन फीस से आया।
- कंपनी को ₹108 करोड़ नॉन-ऑपरेटिंग इनकम (इंटरेस्ट और एसेट गेन) भी हुई, जिससे कुल रेवेन्यू ₹5,898 करोड़ हो गया।
💸 खर्च और कॉस्ट कटौती
FY25 में PharmEasy का कुल खर्च ₹7,208.5 करोड़ पर लगभग स्थिर रहा।
सबसे बड़ा कॉस्ट सेंटर रहा:
- मटीरियल कॉस्ट – ₹4,844 करोड़ (कुल खर्च का 67.2%)।
- कर्मचारियों पर खर्च – ₹908.4 करोड़ (30% की वृद्धि, FY24 में ₹700 करोड़)।
- डिलीवरी एसोसिएट्स के भुगतान – ₹90 करोड़।
लेकिन राहत यह रही कि—
- फाइनेंस कॉस्ट 30% घटकर ₹506 करोड़ रह गई।
- डिप्रिशिएशन और अमॉर्टाइजेशन कॉस्ट 21.7% घटकर ₹168.9 करोड़ पर आई।
इस तरह कंपनी ने अपने घाटे को नियंत्रित किया।
📉 घाटे में बड़ी गिरावट
कंपनी का घाटा FY24 के ₹2,533.5 करोड़ से घटकर FY25 में ₹1,572.3 करोड़ रह गया।
यानी 38% की कमी, जो निवेशकों के लिए राहत भरी खबर है।
PharmEasy का EBITDA (लॉस) ₹553.5 करोड़ पर रहा।
- EBITDA मार्जिन – -15.71%
- ROCE – -13.9%
- यूनिट लेवल पर कंपनी ने हर ₹1 की कमाई के लिए ₹1.23 खर्च किया।
🧪 Thyrocare ने दिखाई मजबूती
PharmEasy ने 2021 में Thyrocare में बहुमत हिस्सेदारी खरीदी थी। FY25 में Thyrocare का प्रदर्शन बेहतर रहा।
- राजस्व – ₹687.5 करोड़ (20% वृद्धि)
- मुनाफा – ₹90.75 करोड़ (30% की वृद्धि)
इससे साफ है कि डायग्नोस्टिक्स डिवीजन अभी भी ग्रोथ का मजबूत स्तंभ बना हुआ है।
👥 लीडरशिप में बदलाव
इस साल कंपनी के फाउंडर्स ने सक्रिय भूमिका से पीछे हटने का फैसला किया।
- सह-संस्थापक धर्मिल शेट, धवल शाह और हार्दिक देधिया पहले ही पीछे हट चुके थे।
- चौथे सह-संस्थापक सिद्धार्थ शाह ने भी अगस्त 2025 में कंपनी छोड़ दी।
अब API Holdings ने राहुल गुहा को नया MD और CEO नियुक्त किया है। वे Thyrocare के भी CEO हैं।
💰 फंडिंग और निवेशक
PharmEasy ने अब तक करीब $1.1 बिलियन (₹9,000 करोड़ से ज्यादा) फंडिंग जुटाई है।
इसके प्रमुख निवेशक हैं:
- Ranjan Pai की MEMG,
- Prosus,
- और Temasek।
🏥 हेल्थकेयर सेक्टर की चुनौतियाँ
हालांकि PharmEasy ने घाटा घटाया है, लेकिन हेल्थकेयर और डायग्नोस्टिक्स सेक्टर कई चुनौतियों से जूझ रहा है।
- कोविड के बाद उम्मीद की जा रही थी कि डायग्नोस्टिक्स की डिमांड स्थायी रूप से बढ़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- हेल्थकेयर इंडस्ट्री पर लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है –
- बड़े अस्पतालों में PE फंड्स की मालिकाना हिस्सेदारी महंगे इलाज का कारण बताई जाती है।
- हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की नीतियों से उपभोक्ताओं में असंतोष है।
- अनावश्यक डायग्नोस्टिक टेस्ट्स पर गुस्सा भी लगातार बढ़ रहा है।
इस माहौल में सरकार की ओर से कीमतों पर कैप,
सब्सिडी योजनाएँ,
या ऑनलाइन मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूशन पर सख्त नियम आने की संभावना बहुत अधिक है।
🔮 आगे का रास्ता
PharmEasy को अब—
- डायग्नोस्टिक्स बिजनेस में भरोसा बहाल करना,
- ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाना,
- और रेगुलेटरी बदलावों के लिए तैयार रहना होगा।
यदि कंपनी खर्च पर नियंत्रण और भरोसेमंद सेवाएँ देने में सफल होती है, तो आने वाले सालों में यह भारत की हेल्थटेक इंडस्ट्री का लीडर बनकर उभर सकती है।
✅ निष्कर्ष
PharmEasy के FY25 नतीजे दोहरी तस्वीर पेश करते हैं।
- राजस्व मामूली बढ़ा है,
- खर्च लगभग स्थिर रहा है,
- लेकिन घाटा 38% घटाना बड़ी उपलब्धि है।
साथ ही, Thyrocare की मजबूत परफॉर्मेंस और नई मैनेजमेंट टीम कंपनी के लिए सकारात्मक संकेत हैं। हालांकि हेल्थकेयर सेक्टर की चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुईं, लेकिन यदि PharmEasy सही रणनीति अपनाता है तो यह आने वाले वर्षों में ई-फार्मेसी और डायग्नोस्टिक्स स्पेस में प्रमुख खिलाड़ी बना रहेगा।
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