🚀भारतीय स्टार्टअप्स फंडिंग राउंडअप 17 स्टार्टअप्स ने जुटाए $95 मिलियन,

भारतीय स्टार्टअप्स

बीते सप्ताह भारतीय स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में 17 कंपनियों ने कुल मिलाकर लगभग $95 मिलियन (लगभग ₹790 करोड़) की फंडिंग जुटाई। इसमें 5 ग्रोथ-स्टेज और 10 अर्ली-स्टेज डील्स शामिल रहीं, जबकि 2 स्टार्टअप्स ने अपने फंडिंग आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।

💰ग्रोथ स्टेज डील्स: Smartworks और Varthana रहे आगे

इस सप्ताह ग्रोथ और लेट-स्टेज फंडिंग का कुल आंकड़ा $72.9 मिलियन रहा। प्रॉपटेक कंपनी Smartworks ने $20 मिलियन का प्री-IPO राउंड हासिल किया। शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाली NBFC Varthana ने तीन ग्लोबल निवेशकों से ₹159 करोड़ ($18.5M) जुटाए।

इसके अलावा, क्लीन-लेबल फूड ब्रांड Kehtika ने Narotam Sekhsaria Family Office और Anicut Capital के नेतृत्व में $18 मिलियन की सीरीज B फंडिंग प्राप्त की। फिनटेक Credit Wise Capital और हेल्थकेयर Avis Hospital ने भी पूंजी जुटाई।

🌱अर्ली-स्टेज डील्स: InPrime और Belong ने बटोरे निवेश

10 अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स ने मिलकर करीब $22.11 मिलियन की फंडिंग हासिल की। सबसे बड़ी डील InPrime Finserv की रही, जिसने Pravega Ventures के नेतृत्व में सीरीज A राउंड में $6 मिलियन जुटाए। इसके बाद NRI-फोकस्ड फिनटेक स्टार्टअप Belong, माइक्रोड्रामा OTT प्लेटफॉर्म Chai Bisket, होम सर्विस Clean Fanatics, डीपटेक स्टार्टअप Green Aero आदि रहे।

साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप LdotR और SaaS स्टार्टअप Monetize360 ने भी फंडिंग जुटाई, लेकिन रकम सार्वजनिक नहीं की गई।

🏙️शहर और सेक्टरवार विश्लेषण: Bengaluru सबसे आगे

शहरवार डील्स में बेंगलुरु टॉप पर रहा, जहां 6 स्टार्टअप्स को फंडिंग मिली। दिल्ली-NCR 4 डील्स के साथ दूसरे स्थान पर रहा। मुंबई, हैदराबाद और अन्य शहरों के स्टार्टअप्स ने भी डील्स कीं।

सेगमेंट की बात करें तो, फिनटेक स्टार्टअप्स इस सप्ताह टॉप पर रहे (4 डील्स)। डीपटेक और SaaS सेक्टर में 2-2 डील्स हुईं। प्रॉपटेक, फूडटेक, OTT और अन्य क्षेत्रों में भी गतिविधि दिखी।

📈सीरीज-वाइज ब्रेकअप: सीड फंडिंग में बढ़त

डील सीरीज की दृष्टि से देखें तो सीड फंडिंग सबसे आगे रही (7 डील्स)। इसके बाद सीरीज A और प्री-सीरीज A में 2-2 डील्स हुईं। इसके अलावा प्री-IPO, डेट और सीरीज B डील्स भी दर्ज हुईं।

📉साप्ताहिक ट्रेंड: फंडिंग में 67% की गिरावट

सप्ताह-दर-सप्ताह तुलना करें तो फंडिंग में 67% की गिरावट दर्ज की गई। जहां पिछली बार $290.28 मिलियन फंडिंग हुई थी, इस बार यह घटकर $95 मिलियन रह गई। पिछले 8 हफ्तों में औसतन $205.24 मिलियन फंडिंग और 21 डील्स प्रति सप्ताह रही हैं।

👥मुख्य नियुक्तियाँ

  • CoinDCX ने Amol Wanjari को हेड ऑफ इंजीनियरिंग और Sangeeth Aloysius को हेड ऑफ प्रोडक्ट नियुक्त किया।
  • Eternal (पूर्व में Zomato) ने Aditya Mangla को अपने फूड डिलीवरी बिजनेस का CEO बनाया।
  • Autodesk ने Kamolika Gupta Peres को VP – इंडिया और SAARC बनाया।

🔄विलय और अधिग्रहण (M&A)

  • Incuspaze ने VSKOUT (एक B2B CRE डेटा एनालिटिक्स SaaS) का अधिग्रहण किया।
  • Infinity Fincorp में Partners Group ने बहुमत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए SPA समझौता किया।

💼फंड लॉन्च

  • IndiGo Ventures ने अपने पहले फंड का पहला क्लोज ₹450 करोड़ पर किया।
  • IIT Madras ₹200 करोड़ का डिपटेक फोकस्ड वेंचर फंड लॉन्च कर रहा है।

🆕नई लॉन्च और पार्टनरशिप्स

  • Awfis ने फर्नीचर बिजनेस में कदम रखा।
  • Flipkart Ventures ने Leap Ahead 4.0 लॉन्च किया।
  • ClearTax ने मल्टीलैंग्वल एआई टैक्स फाइलिंग सॉल्यूशन लॉन्च किया।
  • PhysicsWallah ने YCMOU के साथ मिलकर UGC मान्यता प्राप्त ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम्स लॉन्च किए।
  • Shaadi.com ने AstroChat के जरिए स्पिरिचुअलटेक में प्रवेश किया।

💸फाइनेंशियल रिजल्ट्स

  • Redcliffe Labs की FY25 में रेवेन्यू ₹419 Cr रही; EBITDA घाटा घटकर -21% हुआ।
  • Smartworks की FY25 रेवेन्यू ₹1,374 Cr रही और घाटा ₹62 Cr रहा।

🗞️इस हफ्ते की हेडलाइंस

  • Pocket FM ने Kuku FM पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए ₹85.7 Cr का हर्जाना मांगा।
  • PhonePe और GPay ने जून में UPI ट्रांजेक्शनों में 82% हिस्सा रखा।
  • ED ने Probo पर छापा मारा और ₹284 Cr की संपत्तियाँ जब्त कीं।
  • Groww ने जून में घटते यूजरबेस के बावजूद 26.27% मार्केट शेयर के साथ टॉप स्थान बरकरार रखा।
  • Byju Raveendran को अमेरिकी अदालत ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का दोषी ठहराया।

🔚निष्कर्ष

इस सप्ताह फंडिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई लेकिन फिर भी फिनटेक, डीपटेक और SaaS जैसे क्षेत्रों में निवेशक रुचि बनाए हुए हैं। प्रमुख नियुक्तियाँ, विलय, नए फंड और प्रोडक्ट लॉन्चेस यह दर्शाते हैं कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम नई दिशाओं में आगे बढ़ रहा है।


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Read more :📈 Smallcase ने FY25 में 50% की जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की,

📈 Smallcase ने FY25 में 50% की जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की,

Smallcase

वेल्थटेक प्लेटफॉर्म Smallcase ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने ऑपरेशनल रेवेन्यू को 50% से अधिक बढ़ाया है। कंपनी का राजस्व ₹106 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष FY24 में ₹67.4 करोड़ था। यह जानकारी कंपनी के दस्तावेज़ों और सूत्रों के हवाले से मिली है।

Smallcase ने न केवल अपने रेवेन्यू में ज़बरदस्त इज़ाफा किया है, बल्कि लागत पर भी नियंत्रण रखकर अपनी EBITDA हानि को घटाकर ₹9 करोड़ तक ला दिया है। हालांकि, FY25 में कंपनी को कुल ₹34 करोड़ का नेट लॉस हुआ है।


🧩 Smallcase क्या करता है?

Smallcase एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ब्रोकरों को एक्सचेंज-ट्रेडेड प्रोडक्ट्स (ETPs) में निवेश के लिए ट्रांजैक्शन की सुविधा देता है। इसका मुख्य रेवेन्यू स्रोत इन्हीं ब्रोकरों से ट्रांजैक्शन फीस वसूलना है। इसके अलावा, यह रिसर्च सर्विसेज और अन्य सहायक सेवाओं से भी कमाई करता है।

कंपनी का दावा है कि अब तक ₹1.2 लाख करोड़ से ज्यादा की ट्रांजैक्शन वैल्यू को प्रोसेस किया जा चुका है और इसके पास 1 करोड़ से ज्यादा निवेशकों का यूज़रबेस है।


💰 FY25 के फाइनेंशियल हाइलाइट्स

मेट्रिकFY24FY25
ऑपरेशनल रेवेन्यू₹67.4 करोड़₹106 करोड़
EBITDA लॉस₹18 करोड़ (अनुमानित)₹9 करोड़
नेट लॉस₹34 करोड़₹34 करोड़
ट्रांजैक्शन वैल्यू₹90,000 करोड़+₹1.2 लाख करोड़

रेवेन्यू में उछाल के बावजूद, कंपनी ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखा जिससे इसका यूनिट इकॉनॉमिक्स पहले से बेहतर हुआ।


💸 फंडिंग और वैल्यूएशन का ग्राफ

Smallcase ने अब तक लगभग $120 मिलियन (₹1,000 करोड़ से ज्यादा) जुटाए हैं। मार्च 2025 में कंपनी ने $50 मिलियन की सीरीज़ D फंडिंग राउंड पूरी की, जिसे Elev8 Ventures ने लीड किया। इस राउंड में State Street Global Advisors, Niveshaay AIF, और Faering Capital ने भी हिस्सा लिया।

इससे पहले, 2022 में कंपनी ने $40 मिलियन जुटाए थे।

TheKredible के अनुसार, Smallcase की मौजूदा वैल्यूएशन $285-290 मिलियन (₹2,375 करोड़ लगभग) है।

🔹 मुख्य निवेशक और हिस्सेदारी:

  • Peak XV Partners – 16.2%
  • Faering Capital – 9.67%
  • Blume Ventures – 7.67%

🧠 बाजार में प्रतिस्पर्धा

वेल्थटेक सेक्टर में Smallcase को कई दूसरे स्टार्टअप्स से प्रतिस्पर्धा मिल रही है:

  • INDmoney – FY24 रेवेन्यू ₹70 करोड़
  • Wint Wealth – FY24 रेवेन्यू ₹21 करोड़
  • Scripbox, Dezerv, और अन्य – उभरते प्लेटफॉर्म्स जो निवेशकों को डायरेक्ट और स्मूथ एक्सेस देने का दावा करते हैं।

इनमें से कई प्लेटफॉर्म्स बॉन्ड्स, रियल एसेट्स, और स्मार्ट पोर्टफोलियोज़ में निवेश की सुविधा दे रहे हैं, जिससे यूज़र्स को विविध विकल्प मिलते हैं।


🚀 आगे की रणनीति

Smallcase अब अपने प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। कंपनी के फोकस क्षेत्र:

  • AI और डेटा एनालिटिक्स के ज़रिए यूज़र के व्यवहार को समझना
  • नए प्रोडक्ट ऑफरिंग्स – जैसे थीमैटिक पोर्टफोलियो, SIP आधारित निवेश
  • ब्रोकर पार्टनरशिप्स को मजबूत करना
  • रीटेल निवेशकों को एडवाइजरी सेवाएं देना

हालांकि, FY25 में घाटा अभी भी बना हुआ है, लेकिन कम होता हुआ घाटा और बढ़ता हुआ रेवेन्यू यह दिखाता है कि कंपनी एक स्थिर बिज़नेस मॉडल की दिशा में बढ़ रही है।


📝 निष्कर्ष

Smallcase ने FY25 में सुधरते वित्तीय संकेतकों के साथ अपने लिए एक मज़बूत आधार तैयार किया है। वेल्थटेक सेक्टर में जहां निवेशक अनुभव, ट्रस्ट और परफॉर्मेंस अहम भूमिका निभाते हैं, वहां Smallcase अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहा है।

जैसे-जैसे भारत में डिजिटल इन्वेस्टमेंट और रीटेल फाइनेंशियल लिटरेसी बढ़ेगी, Smallcase और जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए अवसर भी उतने ही बढ़ते जाएंगे।

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Read more :AI लर्निंग स्टार्टअप के लिए Shashank Shekhar जुटा रहे हैं $4 मिलियन की फंडिंग,

AI लर्निंग स्टार्टअप के लिए Shashank Shekhar जुटा रहे हैं $4 मिलियन की फंडिंग,

Shashank Shekhar

ShareChat के पूर्व कंटेंट हेड Shashank Shekhar एक नए AI-आधारित लर्निंग स्टार्टअप के लिए $4 मिलियन (लगभग ₹33 करोड़) की फंडिंग जुटा रहे हैं। दो विश्वसनीय सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस राउंड का नेतृत्व Peak XV Partners कर रहा है और इसके साथ ही कुछ अर्ली-स्टेज वेंचर फर्म और एंजेल इन्वेस्टर्स भी भाग ले रहे हैं।

यह स्टार्टअप अभी स्टेल्थ मोड में है यानी सार्वजनिक रूप से लॉन्च नहीं हुआ है, लेकिन इसके शुरुआती प्रोटोटाइप तैयार हो चुके हैं और इसे इस साल के अंत तक लाइव किया जा सकता है।


🔍 क्या है Shashank Shekhar का नया स्टार्टअप?

सूत्रों के मुताबिक, यह स्टार्टअप एक AI-ड्रिवन करियर-फोकस्ड लर्निंग प्लेटफॉर्म होगा, जो युवा पेशेवरों और छात्रों को टारगेट करेगा। इसका मॉडल काफी हद तक Seekho जैसे प्लेटफॉर्म से मिलता-जुलता बताया जा रहा है। आपको बता दें कि Seekho वर्तमान में $25-30 मिलियन की फंडिंग जुटाने की बातचीत में है।

“Shashank पिछले कुछ महीनों से चुपचाप इस पर काम कर रहे हैं। उनके पास शुरुआती उत्पाद तैयार हैं और टीम में AI और कंटेंट दोनों पर फोकस किया जा रहा है,” एक सूत्र ने बताया।


📚 शिक्षा में AI की भूमिका

Shashank का स्टार्टअप इस समय की सबसे बड़ी जरूरत – पर्सनलाइज्ड, स्केलेबल और इंटेलिजेंट लर्निंग पर काम कर रहा है। इसमें AI का इस्तेमाल करके यूज़र्स को उनके स्किल्स, करियर गोल्स और सीखने के तरीके के अनुसार कंटेंट सजेस्ट किया जाएगा।

यह एक तरह से edtech 2.0 की शुरुआत मानी जा सकती है, जिसमें लर्निंग का अनुभव केवल रिकॉर्डेड लेक्चर्स या लाइव क्लास से नहीं, बल्कि यूज़र बिहेवियर, डेटा और जरूरतों पर आधारित होगा।


📌 Shashank Shekhar का अनुभव

  • Shashank ने दिसंबर 2016 से मई 2018 तक ShareChat में कंटेंट हेड के तौर पर काम किया।
  • इसके बाद उन्होंने Circle Internet नामक एक हाइपरलोकल सूचना प्लेटफॉर्म की सह-स्थापना की, जिसे अगस्त 2020 में ShareChat ने अधिग्रहित कर लिया।
  • इसके बाद उन्होंने ShareChat में Content Strategy & Operations Head के रूप में काम किया और मार्च 2025 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया।

उनका अनुभव न केवल कंटेंट निर्माण में है बल्कि यूज़र बिहेवियर, वितरण, और कम्युनिटी बिल्डिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी है, जो किसी भी लर्निंग स्टार्टअप के लिए बहुत अहम होते हैं।


💸 फंडिंग राउंड की स्थिति

  • कुल फंडिंग: $4 मिलियन (₹33 करोड़ लगभग)
  • लीड इन्वेस्टर: Peak XV Partners
  • अन्य भागीदार: कुछ अर्ली-स्टेज वेंचर कैपिटल फंड और एंजेल इन्वेस्टर्स
  • पूंजी का उपयोग: AI टीम का विस्तार, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, और प्लेटफॉर्म का पहला लॉन्च

एक अन्य सूत्र ने बताया, “यह राउंड आने वाले हफ्तों में पूरा हो जाएगा। कंपनी AI और प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर जोर दे रही है और पहली रिलीज की तैयारी कर रही है।”


📱 मुकाबला किनसे?

हालांकि Seekho इस स्टार्टअप का सबसे करीबी कॉम्पिटिटर हो सकता है, लेकिन YouTube Shorts, Instagram Reels जैसे क्रिएटर-बेस्ड एजुकेशनल कंटेंट प्लेटफॉर्म भी इस सेगमेंट में इनडायरेक्ट प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

शॉर्ट वीडियो के ज़रिए लर्निंग का क्रेज भारत में तेज़ी से बढ़ा है, लेकिन एक केंद्रित, AI-ड्रिवन लर्निंग प्लेटफॉर्म में वह स्केलेबिलिटी और पर्सनलाइजेशन की ताकत हो सकती है जो इन जनरल प्लेटफॉर्म्स में नहीं होती।


🌐 आने वाला समय और चुनौतियां

  • टेक्निकल इनोवेशन: क्या स्टार्टअप AI को इस तरह इम्प्लीमेंट कर पाएगा कि यूज़र एक्सपीरियंस को बेहतर बना सके?
  • मार्केट में डिफरेंशिएशन: Seekho, Unacademy, Coursera, और YouTube जैसे दिग्गजों के बीच अपने लिए जगह बनाना आसान नहीं होगा।
  • सस्टेनेबल ग्रोथ: केवल फंडिंग से ही नहीं, स्टार्टअप को यूज़र रिटेंशन और मंथली एक्टिव यूज़र्स बढ़ाने पर भी काम करना होगा।

📝 निष्कर्ष

Shashank Shekhar के AI-आधारित लर्निंग स्टार्टअप का आगमन edtech सेक्टर में एक नई उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। उनका अनुभव, सही निवेशकों का साथ और तकनीक की समझ इस वेंचर को एक मजबूत शुरुआत दे सकती है।

हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। लेकिन यदि कंपनी AI को प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाए, तो यह भारत के युवाओं के लिए सीखने का तरीका पूरी तरह बदल सकता है।

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📦 Swiggy ने कर्मचारियों को दिया ₹150 करोड़ का ESOP बोनस,

Swiggy

भारत की प्रमुख फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी Swiggy ने अपने कर्मचारियों के लिए ₹150 करोड़ ($17.5 मिलियन) के नए ESOP (Employee Stock Option Plan) की घोषणा की है। इस कदम को कंपनी द्वारा अपने टैलेंट को बनाए रखने और उन्हें प्रोत्साहित करने के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब यह IPO और नए बिजनेस वर्टिकल्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है।


💼 क्या है ESOP योजना?

Swiggy ने ESOP 2024 योजना के तहत 38.86 लाख स्टॉक ऑप्शन ग्रांट किए हैं। NSE में दाखिल दस्तावेजों के मुताबिक, इन स्टॉक्स की मौजूदा बाजार कीमत ₹385.3 प्रति शेयर है, जिससे इस ग्रांट की कुल वैल्यू करीब ₹150 करोड़ बैठती है।

📌 ये स्टॉक ऑप्शन्स ₹1 की एक्सरसाइज़ प्राइस पर दिए गए हैं और वेस्टिंग पीरियड के बाद इन्हें फुली पेड इक्विटी शेयर में बदला जा सकता है। कर्मचारी इन्हें वेस्टिंग के बाद कभी भी एक्सरसाइज़ कर सकते हैं—बशर्ते कंपनी का लिक्विडेशन न हो।


🧑‍💻 कर्मचारियों के लिए क्या मायने रखता है ये?

यह कदम Swiggy के कर्मचारियों को कंपनी की ग्रोथ का भागीदार बनाता है। इससे न केवल नौकरी में स्थायित्व बढ़ता है, बल्कि कर्मचारियों को कंपनी के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता बनाए रखने की भी प्रेरणा मिलती है।

“हम अपने लोगों को केवल संसाधन नहीं, बल्कि ग्रोथ पार्टनर मानते हैं। ESOP ग्रांट उसी सोच की झलक है,” कंपनी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा।


🆕 नए क्षेत्रों में विस्तार

Swiggy ने हाल ही में एक नया ऐप ‘Crew’ लॉन्च किया है, जो ट्रैवल कंसीयर्ज और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट सेवाओं की पेशकश करता है। यह कंपनी की मुख्य डिलीवरी सेवाओं से हटकर एक नया प्रयोग है, जो इसके वर्टिकल डाइवर्सिफिकेशन की रणनीति को दर्शाता है।


📈 Swiggy का वित्तीय प्रदर्शन: FY25 की झलक

वित्तीय आंकड़ेतिमाहीआंकड़े
राजस्वQ4 FY25₹4,410 करोड़
वार्षिक राजस्वFY25₹15,227 करोड़
घाटाQ4 FY25₹1,081 करोड़ (95% की वृद्धि)

Swiggy की राजस्व वृद्धि जहां सराहनीय रही, वहीं घाटे में भारी उछाल भी देखा गया। यह खर्च कंपनी के लॉजिस्टिक्स, डिस्काउंट्स और नए इनोवेशन में निवेश के कारण हुआ है।


🤝 प्रतिस्पर्धा की स्थिति

Swiggy को भारत में मुख्य रूप से Zomato और Zepto जैसी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है।

  • Zomato ने Q4 FY25 में ₹39 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया।
  • Zepto ने FY24 में अपने घाटे को घटाकर ₹1,248 करोड़ कर दिया।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि Swiggy को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए न केवल ग्रोथ, बल्कि प्रॉफिटेबिलिटी पर भी ध्यान देना होगा।


📊 शेयर बाजार की स्थिति

  • Swiggy का शेयर मूल्य (11 जुलाई 2025): ₹385.3
  • कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन: ₹96,080 करोड़ (~$11.3 बिलियन)

ESOP की यह ग्रांट कंपनी के शेयरहोल्डर्स और कर्मचारियों दोनों के लिए सकारात्मक संकेत देती है कि कंपनी भविष्य को लेकर आशावादी और तैयार है।


🗓️ हाल की दूसरी ESOP गतिविधियां

यह पहली बार नहीं है जब Swiggy ने बड़ा ESOP प्लान लॉन्च किया हो। अप्रैल 2025 में, कंपनी ने अपने ESOP 2024 प्लान के तहत ₹443.4 करोड़ ($52 मिलियन) के स्टॉक ऑप्शन की घोषणा की थी।

इससे साफ है कि कंपनी अपने टैलेंट पूल को बनाए रखने और प्रोत्साहित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।


🔍 निष्कर्ष: क्या कहता है यह निर्णय?

Swiggy का ₹150 करोड़ का यह ESOP ग्रांट दर्शाता है कि कंपनी:

  • कर्मचारियों को दीर्घकालिक सफलता में भागीदार बनाना चाहती है।
  • IPO से पहले प्रतिभाओं को बनाए रखने की रणनीति अपना रही है।
  • फिनटेक और लाइफस्टाइल सॉल्यूशंस जैसे नए क्षेत्रों में निवेश कर रही है।
  • वित्तीय घाटों को संतुलित करते हुए ग्रोथ बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है।

📢 अंतिम शब्द

Swiggy आज केवल एक फूड डिलीवरी ऐप नहीं, बल्कि एक विस्तृत डिजिटल उपभोक्ता ब्रांड बनने की दिशा में बढ़ रहा है। चाहे वो ESOP ग्रांट हो या नए ऐप्स का लॉन्च, कंपनी अपने भविष्य को लेकर गंभीर और प्रतिबद्ध है।

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Read more :🪑अब फर्नीचर बनाएगा Awfis, सहूलियत के साथ मुनाफा भी बढ़ाएगा

🪑अब फर्नीचर बनाएगा Awfis, सहूलियत के साथ मुनाफा भी बढ़ाएगा

Awfis

भारत की प्रमुख को-वर्किंग स्पेस कंपनी Awfis ने अब फर्नीचर निर्माण और बिक्री के क्षेत्र में कदम रख दिया है। यह कदम कंपनी के मुख्य व्यवसाय से एक अहम विस्तार है और इसके जरिए Awfis न केवल अपने संचालन खर्चों में कटौती करेगा, बल्कि एक नया राजस्व स्रोत भी जोड़ेगा।


🏢 को-वर्किंग से मैन्युफैक्चरिंग की ओर

Awfis ने अपने Memorandum of Association (MoA) में बदलाव कर इस नए व्यवसाय को आधिकारिक रूप से जोड़ लिया है। कंपनी अब फर्नीचर और इंटीरियर सॉल्यूशंस के निर्माण, व्यापार, निर्यात-आयात, मरम्मत और अन्य संबंधित सेवाओं में सक्रिय भागीदारी करेगी।

“इस वर्टिकल इंटीग्रेशन से हम अपने केंद्रों को सेटअप करने में लगने वाली लागत को कम करेंगे और परिचालन में अधिक दक्षता लाएंगे,” कंपनी ने अपने बयान में कहा।


🛋️ क्या-क्या बनाएगा Awfis?

Awfis अब निम्नलिखित उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराएगा:

  • कार्यालय फर्नीचर (टेबल, कुर्सियां, डेस्क, स्टोरेज)
  • होम डेकोर (कर्टेन्स, ब्लाइंड्स, कारपेट, वुडवर्क)
  • ग्लास प्रोडक्ट्स और अपहोल्स्ट्री
  • सफाई, पैकिंग और मूविंग जैसी सहायक सेवाएं

कंपनी इन वस्तुओं का निर्माण, थोक, खुदरा, स्टॉकिंग, एजेंसी, और सेवा वितरण भी करेगी। इसमें लकड़ी, स्टील, प्लास्टिक, फाइबर, लेदर जैसे कई मटेरियल्स से बने फर्नीचर शामिल होंगे।


🧾 थर्ड-पार्टी क्लाइंट्स के लिए भी उपलब्ध

Awfis सिर्फ अपने को-वर्किंग सेंटर्स के लिए नहीं, बल्कि अन्य कॉर्पोरेट्स, स्टार्टअप्स और ऑफिस मालिकों को भी फर्नीचर और इंटीरियर सॉल्यूशंस ऑफर करेगा। इससे कंपनी के लिए एक नया बाजार तैयार होगा और राजस्व विविधीकरण (Revenue Diversification) भी सुनिश्चित होगा।


📊 वित्तीय प्रदर्शन: FY25 में बड़ी छलांग

Awfis का यह विस्तार उसके हालिया वित्तीय प्रदर्शन को देखते हुए काफी रणनीतिक नजर आता है:

वित्तीय अवधिराजस्व (₹ करोड़)मुनाफा (₹ करोड़)
Q4 FY242321.4
Q4 FY2534011.2
FY25 कुल1,20868

कंपनी ने वार्षिक राजस्व में 47% की बढ़ोतरी दर्ज की है, जबकि मुनाफे में 8 गुना की वृद्धि देखने को मिली है।


📈 शेयर बाजार में स्थिति

  • शेयर मूल्य: ₹644.20 (सुबह 10:41 बजे तक)
  • मार्केट कैप: ₹4,593 करोड़ (लगभग $540 मिलियन)

फर्नीचर कारोबार में प्रवेश के बाद कंपनी के वैल्यूएशन में और वृद्धि की उम्मीद की जा रही है, खासकर अगर यह नया व्यवसाय स्केलेबल साबित होता है।


🧠 रणनीति: क्यों चुना फर्नीचर कारोबार?

Awfis के लिए यह कदम केवल लागत कम करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी व्यावसायिक रणनीति है। आइए समझते हैं इसके फायदे:

1️⃣ लागत में कटौती:

केंद्रों को तैयार करने में लगने वाले फर्नीचर की लागत अब इन-हाउस निर्माण से घटेगी।

2️⃣ सप्लाई चेन कंट्रोल:

अब कंपनी को बाहरी सप्लायर्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

3️⃣ नया रेवेन्यू चैनल:

थर्ड पार्टी क्लाइंट्स को सेवाएं देकर नया बाजार मिलेगा।

4️⃣ ब्रांड विस्तार:

Awfis अब एक वर्कस्पेस सॉल्यूशन ब्रांड से बढ़कर इंटीरियर और ऑफिस इनेबलमेंट ब्रांड बन सकता है।


🛠️ इकोसिस्टम में बदलाव

यह कदम भारतीय को-वर्किंग सेक्टर में एक नया ट्रेंड सेट कर सकता है। यदि Awfis का यह वर्टिकल सफल होता है, तो अन्य कंपनियां भी फर्नीचर और इन-हाउस सप्लाई मॉडल अपनाने की कोशिश कर सकती हैं।

इसका असर छोटे और मध्यम स्तर के फर्नीचर मैन्युफैक्चरर्स पर भी पड़ेगा, जो अब बड़ी कंपनियों से सीधी प्रतिस्पर्धा में आएंगे।


🔮 भविष्य की योजनाएं

Awfis आने वाले समय में:

  • 300+ को-वर्किंग सेंटर्स खोलने की योजना पर काम कर रहा है।
  • छोटे शहरों और टियर-2, टियर-3 लोकेशंस में विस्तार करेगा।
  • फर्नीचर डिलीवरी और कस्टम सॉल्यूशंस की सुविधा दे सकता है।

✍️ निष्कर्ष

Awfis का फर्नीचर व्यवसाय में प्रवेश यह दर्शाता है कि कैसे एक आधुनिक स्टार्टअप लागत नियंत्रण, उत्पाद नियंत्रण, और नए बाजारों में अवसरों को समझते हुए अपने व्यापार को विस्तारित कर सकता है। यह कदम इसे भारत के सबसे वर्टिकली इंटीग्रेटेड को-वर्किंग ब्रांड्स में से एक बना सकता है।

“अब सिर्फ ऑफिस नहीं, ऑफिस का हर कोना बनाएगा Awfis!”


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Read more :AstroTalk $100 मिलियन की नई फंडिंग जुटाने की तैयारी में ज्योतिषीय प्लेटफॉर्म

AstroTalk $100 मिलियन की नई फंडिंग जुटाने की तैयारी में ज्योतिषीय प्लेटफॉर्म

AstroTalk

ऑनलाइन ज्योतिष प्लेटफॉर्म AstroTalk जल्द ही एक नई फंडिंग राउंड के लिए $50-100 मिलियन (लगभग ₹835 करोड़) जुटाने की बातचीत कर रहा है। यह बातचीत कंपनी द्वारा एक साल के अंतराल के बाद फिर से शुरू की गई है, और इस बार का निवेश दौर कंपनी के IPO (Initial Public Offering) से ठीक पहले होने की उम्मीद है।

सूत्रों के मुताबिक, यह फंडिंग AstroTalk को $1.3 से $1.5 बिलियन की वैल्यूएशन तक पहुंचा सकती है, जिससे यह 2025 में यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने वाले अन्य स्टार्टअप्स जैसे Jumbotail, Drools, Porter, Netradyne और Juspay की कतार में आ जाएगा।


💼 निवेश और IPO की तैयारी

तीन सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि:

“AstroTalk वर्तमान में कई निवेशकों, जिनमें इसके मौजूदा निवेशक भी शामिल हैं, से बात कर रहा है। यह फंडिंग राउंड IPO से पहले का आखिरी दौर हो सकता है।”

कंपनी कुछ महीनों में अपना DRHP (Draft Red Herring Prospectus) दाखिल करने की तैयारी में है और 2025 की पहली छमाही में सार्वजनिक लिस्टिंग की योजना बना रही है।


📈 अब तक का निवेश और ग्रोथ

  • AstroTalk ने जून 2023 में $14 मिलियन की फंडिंग जुटाई थी
  • अब तक कुल फंडिंग: $34 मिलियन
  • प्रमुख निवेशक: Left Lane और Elev8 Capital

यह नया निवेश कंपनी की पिछली $300 मिलियन वैल्यूएशन से कई गुना अधिक उछाल लेकर आएगा, जो इसके तेज़ी से बढ़ते रेवेन्यू और मुनाफे को देखते हुए तर्कसंगत भी लगता है।


💰 मजबूत वित्तीय प्रदर्शन

AstroTalk ने बीते दो वर्षों में अभूतपूर्व ग्रोथ दर्ज की है:

वित्त वर्षरेवेन्यू (₹ करोड़)मुनाफा (₹ करोड़)
FY24651100
FY251,182250+

यह सफलता विशेष रूप से डिजिटल ज्योतिष सेवाओं की बढ़ती लोकप्रियता और भारत में अध्यात्मिक सलाह की मांग को दर्शाती है।


🔍 AstroTalk क्या करता है?

AstroTalk एक ऑनलाइन ज्योतिष प्लेटफॉर्म है जहां यूजर्स इंटरनेट, कॉल या चैट के माध्यम से अनुभवी ज्योतिषियों से सलाह ले सकते हैं। प्लेटफॉर्म पर:

  • 45,000+ ज्योतिष, टैरो कार्ड रीडर, न्यूमेरोलॉजिस्ट और वास्तु विशेषज्ञ
  • सेवाएं: विवाह, करियर, स्वास्थ्य, संतान, संपत्ति जैसे विषयों पर व्यक्तिगत भविष्यवाणियां
  • यूज़र्स की सुविधा के लिए 24×7 सेवा उपलब्ध

🧘‍♂️ D2C वेलनेस बिज़नेस की शुरुआत

AstroTalk अब सिर्फ ज्योतिष तक सीमित नहीं है। हाल ही में कंपनी ने एक नया D2C (Direct to Consumer) वर्टिकल लॉन्च किया है, जिसमें शामिल हैं:

  • पुजा बुकिंग सेवाएं
  • रत्न और ज्योतिष उपाय
  • आध्यात्मिक और वेलनेस प्रोडक्ट्स

कंपनी के सह-संस्थापक Anmol Jain का कहना है कि यह नया वर्टिकल कंपनी के कुल राजस्व में 25-30% का योगदान देगा, और यह भी लाभदायक रहेगा।


📊 ऑनलाइन ज्योतिष क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा

हालांकि AstroTalk सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ता खिलाड़ी बन चुका है, लेकिन इस क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा भी है:

  • Astrosage
  • Astroyogi
  • GaneshaSpeaks
  • InstraAstro

इन प्लेटफॉर्म्स के बीच यूज़र एक्सपीरियंस, ज्योतिषियों की विश्वसनीयता, और टेक्नोलॉजी इनोवेशन ही मुख्य अंतर बनते हैं। AstroTalk की मजबूत तकनीकी टीम और UX-फोकस इसे एक मजबूत बढ़त देती है।


📌 क्या बनाता है AstroTalk को खास?

  • स्वदेशी टेक प्लेटफॉर्म: भारत में विकसित और भारत के लिए डिजाइन
  • प्रामाणिक ज्योतिषी: सख्त वेरिफिकेशन और क्वालिटी कंट्रोल
  • वर्चुअल अध्यात्म का अनुभव: यूज़र्स को घर बैठे व्यक्तिगत अनुभव

🛫 आगे की उड़ान: IPO से यूनिकॉर्न तक

AstroTalk के लिए यह नई फंडिंग और आगामी IPO:

  • भारत के टेकी अध्यात्मिक स्टार्टअप्स को एक नई पहचान देगा
  • पहला ऐसा वेंचर फंडेड प्लेटफॉर्म बन सकता है जो इस क्षेत्र में सार्वजनिक होगा
  • निवेशकों और यूज़र्स दोनों के लिए भरोसे का संकेत बनेगा

🧾 निष्कर्ष

AstroTalk की यह फंडिंग यात्रा और IPO की तैयारी भारत में अध्यात्मिक टेक्नोलॉजी (Spiritual Tech) की नई लहर को दर्शाती है। अगर यह फंडिंग और लिस्टिंग सफल होती है, तो यह दुनिया के पहले डिजिटल ज्योतिष यूनिकॉर्न के रूप में स्थापित हो सकता है।

AstroTalk न सिर्फ अध्यात्म और तकनीक का संगम है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत का सांस्कृतिक ज्ञान अब ग्लोबल स्टार्टअप लैंडस्केप में भी चमक बिखेर सकता है।


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Read more :🎯 Probo पर ED की बड़ी कार्रवाई: ₹284.5 करोड़ की संपत्ति जब्त,

🎯 Probo पर ED की बड़ी कार्रवाई: ₹284.5 करोड़ की संपत्ति जब्त,

Probo

केंद्र सरकार की प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मशहूर “opinion-trading” प्लेटफ़ॉर्म Probo के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम और जींद में छापेमारी की और ₹284.5 करोड़ की संपत्तियां जब्त कर ली हैं। यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। एजेंसी का आरोप है कि Probo ने ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के नियमों का उल्लंघन करते हुए “opinion trading” की आड़ में जुआ जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया।


📌 क्या है मामला?

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि Probo पर “binary outcome events” — यानी दो संभावित परिणामों वाले इवेंट्स — पर यूज़र्स को दांव लगाने की सुविधा दी गई थी, जो जुए के समान है। हालांकि कंपनी इसे “opinion trading” कहती रही, लेकिन ED इसे Public Gambling Act और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के उल्लंघन के रूप में देख रही है।

इस सिलसिले में ED ने गुरुग्राम, पलवल और आगरा में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर छापेमारी की, जिसमें डिजिटल सबूत और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं।


🧾 अब तक क्या-क्या सामने आया?

  • कुल ₹284.5 करोड़ की संपत्तियां और डिजिटल डेटा जब्त
  • तीन शहरों में एफआईआर: गुरुग्राम, पलवल, आगरा
  • आरोप: “opinion trading” की आड़ में सट्टा बाजार जैसा संचालन
  • कार्रवाई: Public Gambling Act, PMLA और BNS के तहत जांच

⚖️ न्यायिक लड़ाई भी जारी

Probo सिर्फ ED की जांच में ही नहीं, बल्कि हरियाणा हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका (PIL) का सामना कर रहा है। इस याचिका में मांग की गई है कि Probo जैसे ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि ये टेक स्टार्टअप की आड़ में जुए जैसे प्लेटफ़ॉर्म चला रहे हैं।

🏛️ हरियाणा सरकार की प्रतिक्रिया:

इस मामले को देखते हुए हरियाणा सरकार ने हाल ही में Prevention of Gambling Act, 2025 लागू किया है। इस कानून के तहत ऐसे सभी ऐप्स और प्लेटफॉर्म पर लगाम कसने की कोशिश की गई है जो “दांव पर खेलने” जैसे मॉडल पर आधारित हैं।

हालांकि, यह नया कानून खुद विवादों में घिर गया है, क्योंकि गेमिंग इंडस्ट्री के कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कानून बहुत व्यापक है और इसके संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठ रहे हैं।


🗣️ Probo की प्रतिक्रिया

Probo ने एक बयान जारी कर कहा:

“हम सभी हितधारकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि Probo जांच एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहा है। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता यूज़र्स की सुरक्षा और विश्वास है। हम कानूनों का पालन करते हैं और पूरी तरह से पारदर्शिता बनाए रखते हैं।”

कंपनी ने यह भी कहा कि वह इस मामले में जल्द ही आगे की जानकारी साझा करेगी और हर स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करती है।


📈 कंपनी का प्रदर्शन और फंडिंग

Probo ने अब तक कुल $28 मिलियन (लगभग ₹230 करोड़) से ज़्यादा की फंडिंग जुटाई है।

प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं:

  • Peak XV Partners (21.72%) – सबसे बड़ा बाहरी शेयरधारक
  • Elevation Capital
  • The Fundamentum Partnership

वित्तीय प्रदर्शन (FY24):

  • राजस्व: ₹86 करोड़ से बढ़कर ₹459 करोड़ (5.4 गुना वृद्धि)
  • मुनाफा: ₹92 करोड़
  • FY25 के आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं

🧠 Probo का बिज़नेस मॉडल क्या है?

Probo एक “opinion trading platform” है जहां यूज़र हां/ना वाले सवालों पर “शेयर” खरीदकर अपना मत देते हैं। जैसे: “क्या भारत अगला T20 मैच जीतेगा?”, “क्या बजट में आयकर छूट बढ़ेगी?”
यह मॉडल देखने में गेमिफाइड है लेकिन ED का कहना है कि इसमें असल में सट्टा शामिल है, क्योंकि इसमें पैसा लगाने और दांव जीतने का तत्व है।


🕹️ टेक स्टार्टअप बनाम सट्टा बहस

  • Probo जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स खुद को “टेक स्टार्टअप” कहते हैं
  • लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ जुए को वैध रूप देने की रणनीति है
  • सवाल उठता है: क्या टेक्नोलॉजी का उपयोग इस तरह के व्यापारिक मॉडल को वैध बना देता है?

📅 आगे क्या?

  • अगली सुनवाई हरियाणा हाईकोर्ट में अगस्त के अंत में निर्धारित है
  • ED की वित्तीय जांच जारी है
  • संभावित रूप से और भी फंड्स और बैंक खातों की जांच हो सकती है
  • Gaming और Tech उद्योग में नीति निर्धारण को लेकर बहस तेज हो रही है

✅ निष्कर्ष

Probo पर ED की कार्रवाई भारत में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के भविष्य को लेकर एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। जहां एक ओर सरकार टेक इनोवेशन को बढ़ावा देना चाहती है, वहीं दूसरी ओर सट्टा गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम भी उठा रही है।

आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि Probo और अन्य ऐसे प्लेटफॉर्म इस कानूनी और नियामकीय चुनौती से कैसे निपटते हैं, और भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम इस नई हकीकत के साथ कैसे तालमेल बैठाता है।


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Read more :📱 जून में UPI ट्रांजैक्शंस में मामूली गिरावट,

📱 जून में UPI ट्रांजैक्शंस में मामूली गिरावट,

UPI

भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम की रीढ़ बन चुके यूपीआई (UPI) नेटवर्क ने जून 2025 में कुल 18.4 अरब ट्रांजैक्शंस को प्रोसेस किया, जिसकी कुल वैल्यू ₹24.04 लाख करोड़ रही। यह मई 2025 के मुकाबले थोड़ी गिरावट दर्शाता है, जब रिकॉर्ड 18.68 अरब ट्रांजैक्शंस और ₹25.14 लाख करोड़ वैल्यू दर्ज की गई थी।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, भले ही ट्रांजैक्शंस की संख्या में हल्की कमी आई हो, लेकिन PhonePe और Google Pay का UPI ट्रांजैक्शंस में प्रभुत्व अभी भी अटूट बना हुआ है।


📊 टॉप पर कौन रहा?

🔹 PhonePe – नंबर 1

  • ट्रांजैक्शन वॉल्यूम: 8.55 अरब
  • वैल्यू: ₹11.99 लाख करोड़
  • मार्केट शेयर: कुल वॉल्यूम का 46.5% और वैल्यू का लगभग 50%
    PhonePe लगातार UPI की दुनिया का निर्विवाद लीडर बना हुआ है। कंपनी ने जून में लगभग हर दो में से एक ट्रांजैक्शन प्रोसेस किया।

🔹 Google Pay – दूसरा स्थान

  • ट्रांजैक्शन वॉल्यूम: 6.54 अरब
  • वैल्यू: ₹8.41 लाख करोड़
  • मार्केट शेयर: वॉल्यूम में 35.6% और वैल्यू में 35%
    Google Pay भी UPI के उपयोग में मजबूती से बना हुआ है, खासकर मिड और टियर I शहरों में।

🔹 Paytm – तीसरा स्थान

  • ट्रांजैक्शन वॉल्यूम: 1.27 अरब
  • वैल्यू: ₹1.34 लाख करोड़
  • मार्केट शेयर: वॉल्यूम का 6.9%, वैल्यू का 5.6%
    हालांकि Paytm कुछ नियामकीय चुनौतियों से जूझ रहा है, फिर भी इसकी उपस्थिति मजबूत बनी हुई है।

🌱 उभरते खिलाड़ी भी कर रहे हैं कमाल

🟢 super.money बनाम CRED

  • Super.money ने वॉल्यूम में CRED को पछाड़ा, लेकिन ट्रांजैक्शन वैल्यू में पीछे रहा।
  • Navi और FamApp जैसे नए प्लेटफॉर्म्स ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया:
    • Navi: 406 मिलियन ट्रांजैक्शन | ₹21,815 करोड़ वैल्यू
    • FamApp: 113 मिलियन ट्रांजैक्शन | ₹1,440 करोड़ वैल्यू

🟠 Amazon Pay और BHIM

  • Amazon Pay: 93 मिलियन ट्रांजैक्शन | ₹9,942 करोड़
  • BHIM: 73 मिलियन ट्रांजैक्शन | ₹11,726 करोड़
  • BHIM ऐप, जो सरकार द्वारा प्रमोटेड है, 17 महीनों के बाद फिर से टॉप 10 UPI ऐप्स में शामिल हुआ।

🏦 बैंक-समर्थित ऐप्स का योगदान

  • Axis Bank UPI ऐप्स: 24 मिलियन ट्रांजैक्शन | ₹5,231 करोड़
  • B2C UPI ट्रांजैक्शंस में Axis Bank अग्रणी रहा, जहां उसने 102 मिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए जिसकी वैल्यू ₹4,155 करोड़ रही।

🌍 भारत से बाहर भी UPI का विस्तार

UPI अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। वर्तमान में यह 8 देशों में ऑपरेशनल है:

  • भूटान, नेपाल, मॉरीशस, श्रीलंका, सिंगापुर, फ्रांस, ओमान, UAE

🗺️ आगामी विस्तार की योजनाएं:

  • Qatar, Thailand, Malaysia और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में जल्द लॉन्च की तैयारी
  • UK, ओमान, मालदीव UPI इंटीग्रेशन की शुरुआती प्रक्रिया में हैं
  • नामीबिया भी 2025 के अंत तक UPI लॉन्च करने की योजना बना रहा है

NPCI ग्लोबल पेमेंट इकोसिस्टम में भारत की भागीदारी को मज़बूत बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।


📉 ट्रेंड: क्यों घटे ट्रांजैक्शंस?

UPI ट्रांजैक्शन में आई गिरावट के संभावित कारण:

  1. महीने के अंत में छुट्टियां और वेतन नहीं आना
  2. ऑफर और कैशबैक की कमी
  3. ई-कॉमर्स या ऑनलाइन रिटेल में गिरावट

हालांकि यह एक सामान्य मासिक उतार-चढ़ाव माना जा रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि कुल मिलाकर UPI की ग्रोथ स्थिर और विश्वसनीय बनी हुई है।


📈 भविष्य की दिशा

  • रिटेल पेमेंट्स में UPI की हिस्सेदारी अब 80% से अधिक पहुंच चुकी है
  • रूरल क्षेत्रों में UPI अपनाने की दर तेजी से बढ़ रही है, खासकर फीचर फोन पर आधारित UPI Lite और Voice-based UPI विकल्पों के ज़रिए
  • सरकार और RBI भी जल्द ही क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने की प्रक्रिया को तेज करने वाले हैं, जिससे बड़ी वैल्यू के ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा मिलेगा

✅ निष्कर्ष

UPI ने डिजिटल भुगतान का चेहरा बदल दिया है। जून 2025 में आई मामूली गिरावट कोई चिंता की बात नहीं बल्कि एक सामान्य रुझान है। PhonePe और Google Pay का वर्चस्व जारी है, जबकि Paytm, Amazon Pay, BHIM और नए खिलाड़ियों की स्थिति भी मज़बूत हो रही है।

भारत से बाहर UPI के विस्तार और नई तकनीकी पहल, जैसे वॉयस पेमेंट्स, इसे आने वाले वर्षों में और भी प्रभावशाली बनाएंगे।


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Read more :🎙️ Pocket FM बनाम Kuku FM दिल्ली हाई कोर्ट में बढ़ा ऑडियो

🎙️ Pocket FM बनाम Kuku FM दिल्ली हाई कोर्ट में बढ़ा ऑडियो

Pocket FM

भारत के दो प्रमुख ऑडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स — Pocket FM और Kuku FM — के बीच चल रहा कॉपीराइट और ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा। इस हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई में दोनों पक्षों ने विस्तृत दलीलें पेश कीं, जिससे भारत में डिजिटल ऑडियो कंटेंट इंडस्ट्री में बढ़ते प्रतिस्पर्धा और कॉपीराइट नियमों पर रोशनी पड़ती है।


🧑‍⚖️ Pocket FM or Kuku FM केस की मुख्य बातें

Pocket FM ने Kuku FM की पैरेंट कंपनी Mebigo Labs पर आरोप लगाया है कि उसने जानबूझकर उसकी पांच लोकप्रिय ऑडियो सीरीज़ की कॉपी की है। इस मामले में Pocket FM ने:

  • ₹85.7 करोड़ का हर्जाना माँगा है
  • इन सीरीज़ के फॉर्मेट, टाइटल, थंबनेल और आर्टवर्क के उपयोग पर स्थायी रोक लगाने की मांग की है

📅 कोर्ट में क्या हुआ?

वर्चुअल सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने पक्ष मजबूत तरीक़े से रखे:

🔹 Pocket FM का आरोप

  • Kuku FM पिछले चार सालों से उसकी ऑडियो सीरीज़, एपिसोड का फॉर्मेट, थंबनेल डिज़ाइन और प्रेजेंटेशन को कॉपी कर रहा है
  • इससे यूज़र्स भ्रमित हो रहे हैं और Pocket FM का ट्रैफिक Kuku FM की ओर जा रहा है
  • पहले भी कुछ मामलों में कोर्ट से उन्हें राहत मिल चुकी है, जिनमें Kuku FM को कुछ कंटेंट हटाना पड़ा

🔹 Kuku FM का बचाव

  • कंपनी ने सभी आरोपों को “सामान्य और निराधार” बताया
  • कहा कि जिन पांच सीरीज़ की बात हो रही है, उनमें गहन रिसर्च और मौलिक कार्य शामिल है
  • उन्होंने कोर्ट से दो हफ्तों की मोहलत मांगी है ताकि वे विस्तृत जवाब दाखिल कर सकें

⚖️ कोर्ट का फैसला क्या रहा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की जटिलता को स्वीकार करते हुए:

  • Kuku FM को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया
  • Kuku FM को एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) प्रमाणपत्र जमा करने को कहा, जिसमें बताए जाए कि इन पांच सीरीज़ से कितना रेवेन्यू कमाया गया
  • जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, Kuku FM को इन सीरीज़ के नए एपिसोड रिलीज़ करने से रोका गया है

अगली सुनवाई की तारीख: 29 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों ने “संतुलित दृष्टिकोण” से अपनी बात रखी और इस समय किसी भी कंटेंट को हटाने या किसी पक्ष को राहत देने से इनकार किया।


🔁 पिछली कानूनी लड़ाइयों का इतिहास

यह पहला मौका नहीं है जब Pocket FM और Kuku FM कोर्ट में आमने-सामने आए हों:

  • 2022 में, दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई कानूनी मुकदमे दायर किए थे
  • दिसंबर 2022 में, एक केस सुलझा था जिसमें Pocket FM ने आरोप लगाया था कि Kuku FM ने उन किताबों की ऑडियो समरीज़ पब्लिश की जिनके एक्सक्लूसिव राइट्स Pocket FM के पास थे
  • मई 2025 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने Kuku FM के खिलाफ अंतरिम रोक लगाई थी क्योंकि उसने Pocket FM के वॉयसओवर (“आगे की कहानी के लिए, लॉग इन करें Pocket FM पर”) को हूबहू कॉपी किया था

📉 Kuku FM के खिलाफ समयबद्ध कानूनी कार्रवाई?

Kuku FM की ओर से यह भी कहा गया कि Pocket FM द्वारा इस तरह की लगातार कानूनी कार्रवाइयां निवेशकों और आम जनता के भरोसे को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से की जा रही हैं, खासकर जब कंपनी IPO की तैयारी कर रही है।

हालांकि कोर्ट ने इस बात को संज्ञान में लिया, लेकिन ध्यान वर्तमान कॉपीराइट दावों और तथ्यों पर केंद्रित रखा।


🎧 भारत की ऑडियो कंटेंट इंडस्ट्री में मुकाबला

भारत में ऑडियो स्ट्रीमिंग और पॉडकास्टिंग इंडस्ट्री लगातार तेजी से बढ़ रही है। साथ ही बढ़ रही है प्रतिस्पर्धा और कॉपीराइट से जुड़ी जटिलताएं।

प्लेटफॉर्मयूएसपीहाल की गतिविधियाँ
Pocket FMथ्रिलर, रोमांस वॉइस सीरीज़इंटरनेशनल एक्सपेंशन, निवेश जुटाना
Kuku FMबुक समरीज़, मोटिवेशनल कंटेंटIPO प्लान की तैयारी
Audible, Spotifyप्रीमियम ऑडियोबुक्स और पॉडकास्टभारत में एंटरटेनमेंट बढ़ाना

📌 निष्कर्ष

Pocket FM बनाम Kuku FM का यह मामला सिर्फ दो कंपनियों का संघर्ष नहीं, बल्कि भारतीय ऑडियो इंडस्ट्री में बौद्धिक संपदा (IPR) के भविष्य को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। जैसे-जैसे कंटेंट और टेक्नोलॉजी एक-दूसरे के करीब आते जा रहे हैं, वैसी ही कॉपीराइट सुरक्षा और कानूनी समझदारी की जरूरत बढ़ती जा रही है।

अब सभी की नजरें 29 अगस्त की अगली सुनवाई पर टिकी होंगी, जहां तय होगा कि यह विवाद किस दिशा में बढ़ेगा।


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Read more :✈️ IndiGo Ventures ने ₹450 करोड़ के पहले फंड क्लोज,

✈️ IndiGo Ventures ने ₹450 करोड़ के पहले फंड क्लोज,

IndiGo Ventures

भारत की प्रमुख एयरलाइन कंपनी IndiGo की वेंचर कैपिटल इकाई IndiGo Ventures ने अपने पहले फंड का प्रारंभिक क्लोज ₹450 करोड़ पर पूरा कर लिया है। इस फंड की स्थापना अगस्त 2024 में की गई थी, जिसके तहत SEBI से ₹600 करोड़ जुटाने की अनुमति मिली थी। अब इस क्लोज के साथ, कंपनी ने अपने पहले निवेश की भी घोषणा की है — Hyderabad आधारित Jeh Aerospace में, जिसकी रकम सार्वजनिक नहीं की गई है।


🚀 IndiGo Ventures का उद्देश्य: एयरोस्पेस में नवाचार को गति देना

IndiGo Ventures का फोकस खासकर early-stage स्टार्टअप्स में निवेश करने पर है जो एविएशन, एयरोस्पेस और इससे संबंधित क्षेत्रों में इनोवेशन ला रहे हैं। फंड Pre-Series A से Series B स्टेज के स्टार्टअप्स को लक्षित करेगा, ताकि दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग तैयार किया जा सके।

IndiGo के CEO पीटर एल्बर्स (Pieter Elbers) ने कहा:

“यह निवेश न सिर्फ भारत और अमेरिका के एयरोस्पेस संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि ‘Make-in-India’ अभियान को आगे बढ़ाएगा और भारत को वैश्विक एयरोस्पेस हब बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”


🛠️ Jeh Aerospace: भारत का उभरता एयरोस्पेस स्टार्टअप

Jeh Aerospace की स्थापना दो अनुभवी प्रोफेशनल्स — विशाल संघवी और वेंकटेश मुद्रगल्ला — द्वारा की गई थी, जो Tata-Boeing, Lockheed Martin और Sikorsky जैसी कंपनियों के साथ अनुभव रखते हैं।

🔧 Jeh Aerospace क्या करता है?

  • वैश्विक एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग को मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग और सप्लाई चेन सॉल्यूशंस प्रदान करता है।
  • AS9100 मानकों के अनुरूप flight-critical aeroengine components और precision tools का निर्माण करता है।
  • स्टार्टअप ने एक साल के भीतर:
    • 100 इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम बनाई।
    • 100,000 से अधिक एयरक्राफ्ट कंपोनेंट्स डिलीवर किए।
    • $100 मिलियन से अधिक के लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स साइन किए।

💻 फंडिंग से क्या होगा?

IndiGo Ventures द्वारा प्राप्त निवेश का उपयोग Jeh Aerospace निम्नलिखित में करेगा:

  • डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को स्केल करना
  • AI-संचालित प्रोडक्शन ऑप्टिमाइजेशन और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाना
  • इंजीनियरिंग और प्रोडक्शन टैलेंट को जोड़ना

Jeh का लक्ष्य एक आधुनिक, डिजिटल और स्केलेबल एयरोस्पेस उत्पादन इकाई बनाना है जो भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाए।


💰 पिछले निवेश और प्रगति

Jeh Aerospace ने जनवरी 2024 में भी $2.75 मिलियन की सीड फंडिंग जुटाई थी, जिसका नेतृत्व General Catalyst ने किया था। अन्य निवेशकों में शामिल थे:

  • प्रत्युष कुमार – बोइंग इंडिया के पूर्व प्रमुख
  • द्वारकानाथ श्रीनिवास – रणनीतिक सलाहकार और एंजेल निवेशक

यह फंडिंग Jeh की प्रारंभिक ग्रोथ में सहायक रही और इसने अपनी मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं का विस्तार किया।


🛫 IndiGo Ventures का रणनीतिक दृष्टिकोण

IndiGo Ventures का यह पहला निवेश यह दर्शाता है कि वह सिर्फ वित्तीय रिटर्न पर नहीं, बल्कि इंडस्ट्री-फिट इनोवेशन, मेक इन इंडिया समर्थन, और दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग पर ध्यान दे रहा है।

IndiGo न केवल एक एयरलाइन है, बल्कि अब वह खुद को एक टेक-एनेबल्ड एविएशन प्लेटफॉर्म में बदलने की दिशा में काम कर रही है। इसी उद्देश्य से उसने यह वेंचर फंड शुरू किया है।


🔍 भारत का एयरोस्पेस परिदृश्य

भारत में एयरोस्पेस सेक्टर लगातार विकास कर रहा है:

  • सरकार की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग पर विशेष जोर
  • Make in India और Atmanirbhar Bharat की नीति
  • तेजी से बढ़ती प्राइवेट और कमर्शियल एविएशन इंडस्ट्री
  • स्टार्टअप्स द्वारा ड्रोन, सैटेलाइट और डिफेंस टेक में इनोवेशन

Jeh Aerospace जैसे स्टार्टअप्स इस इकोसिस्टम का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं।


🌐 भविष्य की योजनाएं

पहलविवरण
🎯 रणनीतिएयरोस्पेस-फोकस्ड इनोवेशन और निर्माण को प्रोत्साहन देना
🚀 लक्ष्यभारत को एयरोस्पेस और एविएशन हब बनाना
💼 अगला कदमJeh जैसे और स्टार्टअप्स में निवेश कर पूरे इकोसिस्टम को मजबूती देना
🔬 फोकस क्षेत्रAI, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चेन, इंजीनियरिंग

📌 निष्कर्ष

IndiGo Ventures का यह पहला फंड क्लोज और Jeh Aerospace में निवेश भारत के एयरोस्पेस इनोवेशन क्षेत्र में एक बड़ी शुरुआत है। यह केवल एक फाइनेंशियल डील नहीं, बल्कि एक रणनीतिक पहल है जो भारत को एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक मंच पर स्थापित कर सकती है।

IndiGo के अनुभव और Jeh की टेक्निकल क्षमता का मेल आने वाले वर्षों में भारत की डिफेंस और एविएशन क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।


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