Licious: एक सफल D2C मीट और सीफूड ब्रांड की कहानी

Licious

परिचय
Licious एक लोकप्रिय D2C (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) ब्रांड है, जो मीट और सीफूड बेचने के लिए जाना जाता है। यह ब्रांड अपने ग्राहकों को ताजे और उच्च गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स डिलीवर करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में Licious ने संतुलित वृद्धि दिखाई है, और कंपनी के राजस्व ने लगभग ₹700 करोड़ पर स्थिरता प्राप्त की है। हालांकि, कंपनी ने FY24 में 9% की गिरावट के साथ ₹685 करोड़ का राजस्व दर्ज किया, जो FY23 में ₹746 करोड़ था।

कंपनी का सफर
Licious ने भारतीय बाजार में मीट और सीफूड के क्षेत्र में नया दृष्टिकोण लाया है। इसकी शुरुआत से ही कंपनी का मुख्य ध्यान गुणवत्तापूर्ण प्रोडक्ट्स और ग्राहकों की संतुष्टि पर रहा है। इसके मोबाइल ऐप के जरिए कंपनी हर महीने 1.2 मिलियन से अधिक ग्राहकों की सेवा करती है, और इसका ऐप अब इसके व्यवसाय का 85% हिस्सा बन गया है।

संस्थापक और उनकी दृष्टि
Licious की शुरुआत अभय हांडा और विवेक गुप्ता ने 2015 में की थी। इन दोनों ने मिलकर भारत में मीट और सीफूड के बाजार में एक क्रांति लाने का सपना देखा। उनकी दृष्टि थी कि वे उपभोक्ताओं को स्वच्छ, ताजा और उच्च गुणवत्ता का मीट और सीफूड प्रदान करें, जो भारतीय बाजार में एक बड़ी कमी थी। उनकी मेहनत और नवाचारों ने Licious को आज भारत के सबसे भरोसेमंद ब्रांड्स में से एक बना दिया है।

वित्तीय स्थिति
हालांकि FY24 में कंपनी के राजस्व में 9% की गिरावट आई, लेकिन कंपनी ने अपने नुकसान को 44% तक कम करने में सफलता पाई। FY24 में Licious का नुकसान ₹294 करोड़ रहा, जबकि FY23 में यह ₹524 करोड़ था। कंपनी के इस प्रदर्शन का मुख्य कारण इसकी लागत नियंत्रण नीतियाँ रही हैं। कंपनी के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष में वह EBITDA सकारात्मक हो सकती है, जो इसके भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।

चुनौतियाँ और समाधान
FY24 में राजस्व में आई गिरावट का प्रमुख कारण वितरण चैनलों, जैसे कि Dunzo और Swiggy Meatsore, का बंद होना रहा। इसके साथ ही कंपनी का आधुनिक रिटेल और स्थानीय स्टोर्स पर ध्यान कम हो गया, जिससे भी गिरावट देखी गई। हालांकि, Licious ने इन चुनौतियों को अवसर में बदलने का प्रयास किया। कंपनी ने ग्राहकों का अनुभव बेहतर बनाने के लिए गुरुग्राम में 30 मिनट की डिलीवरी सर्विस की शुरुआत की है। यह कदम कंपनी के फुल-स्टैक D2C मॉडल की ओर बढ़ने का हिस्सा है।

Infinity प्रोग्राम की भूमिका
Licious का फ्लैगशिप प्रोग्राम ‘Infinity’ इसके कुल राजस्व का 58% योगदान देता है। यह प्रोग्राम ग्राहकों को विशेष सेवाएं और सुविधाएँ प्रदान करता है, जिससे वे कंपनी के साथ दीर्घकालिक जुड़ाव बनाए रखते हैं। इस प्रोग्राम की सफलता ने Licious के व्यवसाय में स्थिरता और वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया है।

छंटनी और भविष्य की योजनाएँ
FY24 के अंत में, Licious ने अपनी कार्यक्षमता में सुधार के उद्देश्य से लगभग 3% कर्मचारियों को (करीब 80 कर्मचारी) छंटनी का सामना करना पड़ा। कंपनी ने इस कदम को “ऑपरेशनल रीसेट” कहा, जिससे इसका ध्यान वृद्धि और प्रभावशीलता पर केंद्रित हो सके।

विस्तार और निवेश
कंपनी ने हाल ही में अपने भौतिक खुदरा विस्तार के तहत बेंगलुरु के “My Chicken and More” रिटेलर का अधिग्रहण किया है, जिससे इसके रिटेल स्टोर्स की संख्या 26 हो गई है। इस विस्तार के साथ, Licious ने ग्राहकों के लिए और भी सुविधाजनक और व्यापक पहुँच प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

निवेश और भविष्य की संभावना
अब तक, Licious ने $450 मिलियन से अधिक की फंडिंग जुटाई है। कंपनी में Mayfield India का सबसे बड़ा हिस्सा (14.69%) है, इसके बाद Vertex Ventures, 3one4 Capital, Temasek और अन्य निवेशक आते हैं। यह फंडिंग कंपनी को अपने व्यापार विस्तार और नवाचारों को और बढ़ाने में मदद करेगी।

निष्कर्ष
Licious ने भारतीय D2C बाजार में खुद को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। हालाँकि FY24 में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन कंपनी ने अपनी रणनीतियों के माध्यम से इन समस्याओं को दूर किया और आगे बढ़ने की तैयारी कर ली है। अपने उत्पादों की गुणवत्ता और ग्राहकों के अनुभव को प्राथमिकता देते हुए, Licious का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।

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Red Fort Capital भारत में SME क्रेडिट गैप को भरने की पहल

Red Fort Capital

Red Fort Capital एक इन्वेस्टमेंट-ग्रेड NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी), ने हाल ही में ₹22.6 करोड़ की डेट फंडिंग जुटाई है। इसके साथ ही, कंपनी ने अपने एसेट्स में ₹100 करोड़ का महत्वपूर्ण माइलस्टोन पार किया है। इस नवीनतम फंडिंग राउंड ने कंपनी को भारतीय छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) के लिए क्रेडिट गैप को भरने में सक्षम बनाया है।

डेट फंडिंग और इसका महत्व

Red Fort Capital ने ₹15 करोड़ एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSU) से जुटाए हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कंपनी पहले ही भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से भी फंडिंग प्राप्त कर चुकी है। इसके अलावा, कंपनी ने ₹4.1 करोड़ गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) के जरिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) से और ₹3.5 करोड़ उषा फाइनेंस से जुटाए हैं। इस विविध पूंजी संरचना ने कंपनी को SMEs के लिए अपने वित्तीय उत्पादों और सेवाओं का विस्तार करने में सक्षम बनाया है।

कंपनी का उद्देश्य और मिशन

Red Fort Capital का मुख्य उद्देश्य भारत में छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट की पहुंच को बढ़ाना है। भारतीय बाजार में SMEs के पास अक्सर पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी होती है, और कंपनी इस कमी को पूरा करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए सुरक्षित ऋण प्रदान करती है। रेड फोर्ट कैपिटल के फंडिंग विकल्प ₹1 करोड़ से लेकर ₹10 करोड़ तक के होते हैं, और कंपनी का दावा है कि वह 7 दिनों के अंदर फंडिंग प्रक्रिया को पूरा कर सकती है। यह तेजी से फंडिंग की प्रक्रिया SMEs के लिए महत्वपूर्ण है, जो अक्सर अल्पकालिक और तेज वित्तीय समर्थन की आवश्यकता होती है।

SMEs के लिए अनुकूल वित्तीय सेवाएं

रेड फोर्ट कैपिटल का बिजनेस मॉडल मुख्य रूप से उन व्यवसायों को ध्यान में रखता है जो पारंपरिक बैंकिंग चैनलों के जरिए आसानी से वित्तीय संसाधन नहीं जुटा पाते। इस NBFC ने अपने फंडिंग मॉडल को लचीला और ग्राहक-केंद्रित बनाया है ताकि भारत के निर्माण, व्यापार, और सेवा क्षेत्रों में काम करने वाले उद्यमियों को सरल और त्वरित वित्तीय सहायता मिल सके। कंपनी का मानना है कि ये फंडिंग विकल्प SMEs को उनके व्यापार में विस्तार करने और नए अवसरों का लाभ उठाने में मदद करेंगे।

कंपनी का विस्तार और रणनीति

इस फंडिंग के साथ, रेड फोर्ट कैपिटल अपने सुरक्षित बिजनेस लोन की पेशकश को देश भर में और भी व्यापक रूप से विस्तारित करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, कंपनी ने पूरे भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और अब वह अपने फंडिंग ऑप्शंस को उत्पादन, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में विस्तारित करने की दिशा में काम कर रही है। इस नई पूंजी के जरिए, कंपनी का लक्ष्य है कि वह SMEs के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर सुरक्षित और शीघ्र फंडिंग प्रदान कर सके।

रेड फोर्ट कैपिटल की सफलता का कारण

रेड फोर्ट कैपिटल की सफलता का मुख्य कारण इसका लचीला फंडिंग मॉडल और ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किए गए ऋण उत्पाद हैं। SMEs के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए उत्पाद और सेवाएं इस कंपनी को भारतीय वित्तीय बाजार में एक अनूठा स्थान दिलाती हैं। इसके अलावा, कंपनी की तेजी से फंडिंग प्रक्रिया और व्यापक नेटवर्क ने इसे उन व्यवसायों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनाया है जो बैंकिंग प्रक्रियाओं की जटिलताओं से बचना चाहते हैं।

संस्थापकों और नेतृत्व का विज़न

रेड फोर्ट कैपिटल के संस्थापक और नेतृत्व टीम का मानना है कि भारतीय SMEs देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, और उनके विकास और सफलता के लिए वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। उनका विज़न है कि रेड फोर्ट कैपिटल के जरिए वे छोटे और मध्यम उद्यमों को वह वित्तीय सहयोग प्रदान करें, जो उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। कंपनी का फोकस न केवल त्वरित ऋण प्रदान करना है, बल्कि SMEs को वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक विकास के लिए समर्थन देना भी है।

वित्तीय प्रदर्शन और भविष्य की योजनाएं

रेड फोर्ट कैपिटल ने हाल ही में ₹100 करोड़ के एसेट्स का माइलस्टोन पार किया है, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उसने भारतीय SME सेक्टर में एक मजबूत स्थान बना लिया है। इसके अलावा, कंपनी की भविष्य की योजनाओं में और अधिक फंडिंग जुटाकर अपने फंडिंग मॉडल को और बेहतर बनाना और नए क्षेत्रों में विस्तार करना शामिल है।

भारतीय वित्तीय बाजार में रेड फोर्ट कैपिटल की भूमिका

भारतीय वित्तीय बाजार में रेड फोर्ट कैपिटल की भूमिका महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह SMEs की फंडिंग की बात आती है। बैंकिंग प्रणाली के तहत SMEs के लिए फंडिंग के अवसर सीमित होते हैं, लेकिन रेड फोर्ट कैपिटल जैसी NBFCs इन व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभर रही हैं। कंपनी का उद्देश्य भारतीय उद्यमियों को एक मजबूत वित्तीय आधार प्रदान करना है ताकि वे अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकें।

निष्कर्ष

रेड फोर्ट कैपिटल ने भारतीय SMEs के लिए फंडिंग की पहुंच को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ₹22.6 करोड़ की नवीनतम फंडिंग और ₹100 करोड़ के एसेट्स का माइलस्टोन पार करना इस कंपनी के लिए एक बड़ा कदम है। कंपनी की लचीली फंडिंग प्रक्रिया और त्वरित सेवा ने इसे SMEs के लिए एक आदर्श वित्तीय साझेदार बना दिया है। आने वाले समय में, रेड फोर्ट कैपिटल का उद्देश्य अपने नेटवर्क और सेवाओं को और भी व्यापक रूप से फैलाना और भारतीय उद्यमियों के लिए और भी अधिक अवसर प्रदान करना है।

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Primus Senior Living भारत में एल्डर केयर स्टार्टअप को मिला बड़ा निवेश

Primus Senior Living

भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करने वाला एल्डर केयर स्टार्टअप Explore Vibrant Senior Living Homes at Primus. ने $20 मिलियन (लगभग ₹165 करोड़) की सीड फंडिंग जुटाई है। इस निवेश का नेतृत्व General Catalyst ने किया, जिसमें Zerodha के सह-संस्थापक Nikhil Kamath और उनकी निवेश फर्म Gruhas के सह-संस्थापक Abhijeet Pai की भी भागीदारी रही। इस निवेश दौर को 2024 के सबसे बड़े सीड फंडिंग में से एक माना जा रहा है।

भारत में सीड फंडिंग की नई ऊंचाई

Primus Senior Living के सीड फंडिंग के दौर ने भारत में बड़ी सीड फंडिंग की एक नई लहर चलाई है। 2024 में अन्य प्रमुख स्टार्टअप्स ने भी बड़े फंड जुटाए हैं, जैसे कि Avail ने $27 मिलियन जुटाए, जबकि Lyskraft और EMA जैसे अन्य उद्यमों ने भी $20 मिलियन से अधिक जुटाए। यह सभी स्टार्टअप्स भारत के तेजी से विकसित होते टेक्नोलॉजी और सेवा क्षेत्र में बड़े बदलाव ला रहे हैं।

Primus Senior Living: एक समर्पित एल्डर केयर प्लेटफ़ॉर्म

Primus Senior Living, बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप है, जो विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए हेल्थकेयर, वेलनेस, लाइफस्टाइल और सामाजिक जुड़ाव जैसी सेवाएं प्रदान करता है। Primus का उद्देश्य बुजुर्गों को उनके घरों में ही सभी आवश्यक सेवाएं मुहैया कराना है ताकि उन्हें एक आरामदायक और सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिल सके। यह प्लेटफॉर्म बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, जिसमें उनका स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता है।

इंटरजेनरेशनल समुदायों का निर्माण

Primus Senior Living बुजुर्गों के लिए केवल सेवाएं ही नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन शैली का अनुभव देने के लिए भी काम कर रहा है। यह एक ऐसा समुदाय विकसित कर रहा है जहां विभिन्न पीढ़ियों के लोग एक साथ रह सकते हैं और एक-दूसरे के साथ जुड़ सकते हैं। यह इंटरजेनरेशनल समुदाय एक ऐसा माहौल तैयार करता है जहां बुजुर्गों को समर्थन मिलता है और वे समाज से कटने के बजाय उसमें सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं।

500 घरों वाला वर्तमान समुदाय

Primus वर्तमान में 500 घरों का एक समुदाय संचालित कर रहा है, जहां वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए घर उपलब्ध हैं। यह घर बुजुर्गों को एक सुरक्षित और सहायक वातावरण में रहने का मौका देते हैं, जहां वे अपनी इच्छानुसार अतिरिक्त सेवाओं का लाभ भी उठा सकते हैं। इस मॉडल का उद्देश्य बुजुर्गों को आत्मनिर्भर बनाना और उनके जीवन को सरल और आरामदायक बनाना है।

फंडिंग से मिलेगा विस्तार

इस नए निवेश के साथ, Primus अब अपने विस्तार की योजना बना रहा है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अगले कुछ सालों में 6 प्रमुख शहरों में 3,500 घरों का निर्माण करे। इसका उद्देश्य बुजुर्गों के जीवन को और भी बेहतर बनाना है, ताकि उन्हें सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि पूरी जीवन शैली और सेवाओं का एक संपूर्ण पैकेज मिल सके। इस फंडिंग से Primus का भारतीय एल्डर केयर सेक्टर में बड़ा प्रभाव पड़ेगा और यह बुजुर्गों की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखकर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होगा।

संस्थापकों का विज़न

Primus Senior Living के संस्थापक एक बड़ा और समर्पित लक्ष्य लेकर आए हैं। वे चाहते हैं कि बुजुर्गों को समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाए और उन्हें किसी भी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े। इस विज़न के साथ, Primus बुजुर्गों की ज़िंदगी को न सिर्फ आसान बना रहा है, बल्कि उन्हें एक नई पहचान भी दे रहा है। यह स्टार्टअप सिर्फ एक हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि यह बुजुर्गों को एक नई ज़िंदगी जीने का मौका दे रहा है।

बुजुर्गों के लिए विशेष सेवाएं

Primus Senior Living द्वारा बुजुर्गों के लिए दी जा रही सेवाएं व्यापक हैं। इसमें न केवल उनके स्वास्थ्य की देखभाल शामिल है, बल्कि उनके जीवन को अधिक सामाजिक और सक्रिय बनाने के लिए वेलनेस और लाइफस्टाइल सेवाएं भी शामिल हैं। Primus का मानना है कि बुजुर्गों की देखभाल सिर्फ चिकित्सा सेवाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए।

भारतीय एल्डर केयर सेक्टर में बढ़ती मांग

भारत में बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनके लिए विशेष सेवाओं की मांग भी बढ़ रही है। Primus Senior Living ने इस अवसर को समझा और एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया जो भारतीय बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कंपनी का मानना है कि बुजुर्गों को समाज में सम्मान और सुविधा से जीने का अधिकार है, और Primus यह सुनिश्चित कर रहा है कि वे अपनी ज़िंदगी का हर पल खुशी से जी सकें।

निष्कर्ष

Primus Senior Living ने भारत में एल्डर केयर के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। $20 मिलियन की फंडिंग के साथ, यह कंपनी बुजुर्गों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। कंपनी के विस्तारित योजना और बुजुर्गों के लिए समर्पित सेवाओं के साथ, यह न केवल एक सफल व्यापार मॉडल बना रही है, बल्कि समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग के लिए जीवन को अधिक सुविधाजनक और सम्मानजनक बना रही है। Primus की यह पहल भारतीय एल्डर केयर सेक्टर को नए आयाम दे रही है, और इसका भविष्य काफी उज्जवल दिख रहा है।

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शॉर्ट वीडियो एंटरटेनमेंट स्पेस में Josh की मज़बूत पकड़ और उसके नए प्लान्स

Josh

भारत के शॉर्ट वीडियो एंटरटेनमेंट स्पेस में हाल के दिनों में कई बदलाव देखने को मिले हैं। MX TakaTak के मर्जर, Chingari के पिवोट और Mitron TV के शटडाउन के बाद, इस मार्केट में अब दो प्रमुख खिलाड़ी ही बचे हैं: ShareChat का Moj और VerSe का Josh। Moj जहां फंडिंग के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं Josh, जिसे VerSe Innovation चलाती है, बेहतर फंडिंग और रणनीतिक योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। Josh के पास लगभग 180 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जो इसे इस स्पेस में अग्रणी बनाता है।

Josh का यूज़र बेस और कंटेंट का लोकल फोकस

Josh का दावा है कि उनके पास 179 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता (MAU) और 91 मिलियन दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता (DAU) हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, Josh को खासतौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी सफलता मिली है। इसकी 80% सामग्री स्थानीय भाषाओं में देखी जाती है, जो इसके प्रमुख बाजारों जैसे भुवनेश्वर, जयपुर, पटना, और रायपुर में इसके बढ़ते उपयोग को दर्शाती है। यह भाषा आधारित रणनीति Josh को अन्य प्लेटफॉर्म्स से अलग करती है और इसका मुख्य फोकस टियर II और III शहरों पर है।

OEM साझेदारी: Josh की ग्रोथ का आधार

Josh की सफलता का एक बड़ा कारण उसकी स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ साझेदारी है। यह ऐप पहले से ही प्री-इंस्टॉल्ड मोबाइल फोन पर उपलब्ध है, जिससे इसके डाउनलोड्स में वृद्धि हुई है। Vivo, Oppo, Xiaomi, और Samsung जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ इसके सहयोग ने Josh को तेजी से लोकप्रिय बना दिया है। Josh के डाउनलोड्स में से दो-तिहाई इन्हीं साझेदारियों के जरिए आए हैं।

क्रिएटर-सेंट्रिक अप्रोच: Josh की टॉपलाइन को बढ़ाने वाली रणनीति

किसी भी शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म की सफलता उसके क्रिएटर्स पर निर्भर करती है। Josh ने 100,000 से अधिक क्रिएटर्स का एक मजबूत नेटवर्क बना रखा है और 14 प्रमुख म्यूजिक लेबल्स के साथ पार्टनरशिप की है। Josh का मासिक सक्रिय क्रिएटर बेस 34% सालाना वृद्धि के साथ 71 मिलियन तक पहुंच गया है। यह Josh के प्रभावशाली कंटेंट इकोसिस्टम को दर्शाता है। इसके अलावा, Josh ने Collab फीचर लॉन्च किया है, जो ब्रांड्स को इंफ्लुएंसर से जोड़ने में मदद करता है।

ब्रांड्स के लिए Josh की खास रणनीति

Josh ने 2023 की दूसरी छमाही में अपने प्लेटफॉर्म को ब्रांड्स के लिए खोला और मोनेटाइजेशन शुरू किया। Josh अब ब्रांड्स को वीडियो विज्ञापन, इंफ्लुएंसर-ब्रांड कोलैबोरेशन और कंटेंट-लेड IPs जैसी विभिन्न विज्ञापन सेवाएँ प्रदान कर रहा है। Josh ने 450 ब्रांड्स के साथ काम किया है, जिनमें Amazon, Myntra, Nykaa, और Xiaomi शामिल हैं। Josh के उपयोगकर्ताओं में एक-तिहाई टियर 1 शहरों से आते हैं, जबकि 68% टियर II और III शहरों से हैं। इसका मुख्य फोकस उन ब्रांड्स पर है जो क्षेत्रीय भाषाओं और टियर II बाजारों में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।

वित्तीय स्थिति और मोनेटाइजेशन का लक्ष्य

Josh ने अपने राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विभिन्न विज्ञापन मॉडल्स के माध्यम से अर्जित किया है और इस तिमाही में इसका औसत राजस्व रन रेट 300 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। Josh का लक्ष्य 2025 की पहली छमाही तक ब्रेक-ईवन हासिल करना है। इसके अलावा, Josh लाइव कॉमर्स, ब्रांड शॉपेबल कॉमर्स, लाइव ऑडियो, गिफ्टिंग और ऑडियो स्टोरीज जैसी नई फॉर्मेट्स को भी एक्सप्लोर कर रहा है ताकि यह अपने मोनेटाइजेशन रोडमैप को और मजबूत कर सके।

लाइव ऑडियो और ऑडियो स्टोरीज: Josh के मोनेटाइजेशन प्लान्स का हिस्सा

Josh ने अपने यूज़र्स के लिए एक लाइव ऑडियो फीचर भी पेश किया है, जिसमें यूज़र्स विशेष क्रिएटर्स के साथ वास्तविक समय में बातचीत कर सकते हैं। इसके लिए Josh का इन-ऐप करेंसी “जेम्स” का उपयोग होता है, जिससे क्रिएटर्स को “डायमंड्स” मिलते हैं, जिन्हें भारतीय मुद्रा में बदला जा सकता है। इसके अलावा, Josh ने ऑडियो स्टोरीज की भी शुरुआत की है, जो खासतौर पर क्षेत्रीय भाषाओं में लोकप्रिय हो रही हैं। ये स्टोरीज सब्सक्रिप्शन और माइक्रो-पेमेंट्स के माध्यम से उपलब्ध हैं।

TikTok की कमी को पूरा करने की कोशिश

Josh के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म भारत के शॉर्ट वीडियो एंटरटेनमेंट स्पेस में TikTok की कमी को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कंपनी की रणनीति यह रही है कि वह शुरू में अपने यूज़र बेस को मजबूत बनाए और 2023 के बाद मोनेटाइजेशन पर फोकस किया जाए। इसके परिणामस्वरूप, Josh अब एक मजबूत मंच के रूप में उभर कर आया है, जो ब्रांड्स के लिए नए अवसर पैदा कर रहा है।

निष्कर्ष

Josh की वर्तमान स्थिति और इसकी रणनीतियाँ इसे भारत के शॉर्ट वीडियो मार्केट में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाती हैं। अपने क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट पर फोकस, क्रिएटर इकोसिस्टम और स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ साझेदारी के साथ, Josh ने एक मज़बूत यूज़र बेस बनाया है। इसके मोनेटाइजेशन प्लान्स और नए फॉर्मेट्स इसके भविष्य को उज्जवल बनाते हैं। TikTok के भारत में बैन होने के बाद, Josh ने उस खाली जगह को भरने का भरपूर फायदा उठाया है और अब यह प्लेटफॉर्म तेजी से ग्रोथ की ओर बढ़ रहा है।

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Navi Finserv ने Goldman Sachs से $24.5 मिलियन का लोन सिक्यूरिटाइज़ेशन सौदा किया

Navi Finserv

Navi Finserv भारत की एक उभरती हुई फाइनेंस टेक कंपनी, ने हाल ही में Goldman Sachs (India) Finance Private Limited के साथ $24.5 मिलियन का लोन सिक्यूरिटाइज़ेशन ट्रांजैक्शन सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस सौदे ने Goldman Sachs को Navi Finserv के सातवें बहुराष्ट्रीय बैंक पार्टनर के रूप में जोड़ा है। इस साल की शुरुआत में, कंपनी ने J.P. Morgan के साथ $38 मिलियन का एक और सिक्यूरिटाइज़ेशन डील भी किया था।

यह लेनदेन पास-थ्रू सर्टिफिकेट्स (Pass-Through Certificates) के जरिए संरचित है, जिसे इंडिया रेटिंग्स द्वारा IND AA (SO) रेटिंग दी गई है। यह सर्टिफिकेट्स एक ऐसे लोन पूल पर आधारित हैं जो Navi Finserv द्वारा मैनेज किए गए असुरक्षित व्यक्तिगत लोन से समर्थित हैं। इस ट्रांजैक्शन के ज़रिए जुटाए गए फंड्स को कंपनी की वित्तीय सेवाओं को और अधिक सरल बनाने, ऑपरेशन्स को मजबूत करने, और बेहतर अंडरराइटिंग प्रैक्टिसेस के साथ वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ाने के उद्देश्य से उपयोग किया जाएगा।

कंपनी का इतिहास और स्थापना

Navi Finserv की स्थापना 2018 में भारत के प्रमुख उद्यमी सचिन बंसल और अंकित अग्रवाल ने की थी। सचिन बंसल फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक हैं और भारतीय स्टार्टअप जगत में एक बड़ा नाम हैं। उन्होंने ई-कॉमर्स से हटने के बाद फाइनेंस टेक्नोलॉजी और बैंकिंग सेक्टर में अपना ध्यान केंद्रित किया। Navi Finserv को एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा मध्य परत श्रेणी (Middle Layer Category) के अंतर्गत रजिस्टर किया गया है। कंपनी मुख्य रूप से व्यक्तिगत और होम लोन प्रदान करती है।

कंपनी की सेवाएँ और वित्तीय स्थिति

Navi Finserv अपने ग्राहकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पर्सनल और होम लोन की सुविधाएं प्रदान करती है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया को जितना हो सके उतना आसान और सहज बना सके। Navi Finserv अपने तेज और आसान लोन एप्लिकेशन प्रक्रिया के लिए जानी जाती है, जिससे ग्राहक आसानी से और बिना किसी बड़ी कागजी कार्रवाई के लोन प्राप्त कर सकते हैं।

2023 के पहले छमाही में, Navi ने बड़ी संख्या में व्यक्तिगत ऋण वितरित किए हैं, और कंपनी का रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है। इस नए सौदे से कंपनी को और अधिक फंड्स प्राप्त होंगे, जिससे वह अपने ऑपरेशंस को विस्तार दे सकेगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेगी।

कंपनी के मिशन और भविष्य की योजनाएं

Navi Finserv का मुख्य उद्देश्य है वित्तीय सेवाओं को हर किसी के लिए सुलभ बनाना। कंपनी का मानना है कि तकनीकी नवाचार और मजबूत अंडरराइटिंग प्रैक्टिसेस से वे वित्तीय समावेशन को व्यापक कर सकते हैं। उनकी योजना है कि वे भारत के और अधिक हिस्सों में अपनी सेवाओं का विस्तार करें और उन लोगों तक पहुंचें, जिन्हें अब तक पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में कठिनाई होती है।

कंपनी अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत लोन के साथ-साथ होम लोन, बीमा और निवेश की भी सुविधाएं प्रदान करती है। कंपनी के अनुसार, उन्होंने अब तक लाखों ग्राहकों को लोन प्रदान किया है और उनकी सेवाएं भारत भर में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

फाइनेंशियल प्लानिंग और विकास

Navi Finserv ने अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को बहुत ही समझदारी से आगे बढ़ाया है। उन्होंने न केवल अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने पर ध्यान दिया है, बल्कि उनके ऋण देने की प्रक्रिया को भी पारदर्शी और तकनीक-आधारित बनाया है। इस नए फंडिंग राउंड से कंपनी को अपनी विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, खासकर उनके नए बाजारों में प्रवेश की योजनाओं के लिए।

सिक्यूरिटाइज़ेशन डील्स की भूमिका

सिक्यूरिटाइज़ेशन डील्स कंपनी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक फंड्स जुटाने में मदद करता है, जिससे वे अपने फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को बेहतर और अधिक सुलभ बना सकते हैं। J.P. Morgan और Goldman Sachs जैसे बड़े बहुराष्ट्रीय बैंकों के साथ की गई डील्स यह दर्शाती हैं कि Navi Finserv की साख और भविष्य की योजनाओं में बड़ी वैश्विक कंपनियों का विश्वास है।

सचिन बंसल और अंकित अग्रवाल की भूमिका

Navi Finserv के सह-संस्थापक सचिन बंसल और अंकित अग्रवाल ने कंपनी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सचिन बंसल के पास फ्लिपकार्ट के साथ काम करने का गहन अनुभव है, और उन्होंने ई-कॉमर्स से बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में अपनी कुशलता का प्रदर्शन किया है। वहीं अंकित अग्रवाल की तकनीकी और फाइनेंस इंडस्ट्री में विशेषज्ञता ने कंपनी को मजबूत आधार दिया है।

भविष्य की चुनौतियाँ

भले ही Navi Finserv तेजी से बढ़ रही है, कंपनी को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है। भारतीय वित्तीय बाजार अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक है, और कई अन्य फाइनेंस टेक्नोलॉजी कंपनियाँ भी इसी क्षेत्र में काम कर रही हैं। इसके अलावा, बढ़ती हुई कर्ज लेने की मांग और डिफॉल्ट के जोखिमों को भी कंपनी को संभालना होगा।

कुल मिलाकर, Navi Finserv की रणनीतियाँ और उनकी भविष्य की योजनाएँ उन्हें भारतीय वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी बनने की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं।

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IBM ने Prescinto का किया अधिग्रहण

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दुनिया की प्रमुख इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन IBM ने हाल ही में Prescinto का अधिग्रहण किया है, जो कि एक एसेट परफॉरमेंस मैनेजमेंट (APM) सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (SaaS) प्रोवाइडर है, जो रिन्यूएबल एनर्जी के लिए अपनी सेवाएं देता है। इस अधिग्रहण से आईबीएम की क्षमता में इज़ाफा होगा, विशेषकर इसके IBM Maximo Application Suite (MAS) के साथ, जो कि एसेट लाइफसाइकल मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

Prescinto का परिचय

Prescinto एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म है जो रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्री में ऑपरेशंस को आसान बनाने के लिए एआई का इस्तेमाल करता है। यह प्लेटफ़ॉर्म उन्नत मॉनिटरिंग, एनालिटिक्स और ऑटोमेशन की सुविधा प्रदान करता है, जिससे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण जैसी तकनीकों को कुशलतापूर्वक मैनेज किया जा सके। इसके अलावा, यह वैश्विक ग्राहकों को सेवा देता है और 14 देशों में 16 गीगावाट से अधिक की ऊर्जा को मैनेज करता है।

संस्थापक और उनकी भूमिका

प्रेसींटो की स्थापना पुनीत जग्गी, अनमोल जग्गी, और संजय भसीन द्वारा की गई थी। कंपनी के संस्थापकों ने पहले भी एक और सफल कंपनी ब्लूस्मार्ट की स्थापना की थी, जो कि मोबिलिटी सेक्टर में काम करती है। पुनीत और अनमोल जग्गी का अनुभव और विजन इस कंपनी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद कर रहा है। उन्होंने अपने व्यवसायिक यात्रा में तकनीक और इनोवेशन का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, जिसका लाभ अब प्रेसींटो को हो रहा है।

फंडिंग और वित्तीय स्थिति

प्रेसींटो ने मार्च 2021 में वेंचर कैटालिस्ट्स द्वारा नेतृत्व में $3.5 मिलियन की सीड फंडिंग प्राप्त की थी। इस फंडिंग से कंपनी ने अपने उत्पादों में सुधार किया, नए ग्राहकों को जोड़ा और अपने वैश्विक विस्तार को मजबूत किया। कंपनी का मुख्य फोकस रिन्यूएबल एनर्जी और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने पर रहा है।

IBM के लिए प्रेसींटो का अधिग्रहण क्यों महत्वपूर्ण है?

आईबीएम का प्रेसींटो का अधिग्रहण उनकी Maximo Application Suite (MAS) की क्षमताओं को बढ़ाएगा। MAS पहले से ही विभिन्न इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल हो रहा है, जैसे कि पानी, प्राकृतिक गैस, तेल, न्यूक्लियर और अन्य ऊर्जा तथा यूटिलिटी इंडस्ट्रीज में। प्रेसींटो के जुड़ने से आईबीएम की मौजूदा सेवाओं में और सुधार होगा और इसे एनर्जी और क्लीन एनर्जी के प्रबंधन में बेहतर प्रदर्शन मिलेगा।

प्रेसींटो का योगदान

प्रेसींटो का एआई-पावर्ड प्लेटफ़ॉर्म रिन्यूएबल एनर्जी ऑपरेशंस को आसान बनाता है। इसकी मदद से यूज़र्स ऊर्जा उत्पन्न करने वाले उपकरणों की नियर रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर सकते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण की सुविधाओं का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए प्रेसींटो की सेवाएं बेहद उपयोगी साबित हो रही हैं।

आईबीएम का सस्टेनेबिलिटी पर फोकस

आईबीएम ने इस अधिग्रहण के माध्यम से अपने ग्राहकों की नेट-जीरो गोल्स और सस्टेनेबिलिटी पहलों को और मज़बूती दी है। आईबीएम की यह पहल दुनिया भर में उन एंटरप्राइजेस को सहायता प्रदान करेगी जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठा रहे हैं। इसके अलावा, इस अधिग्रहण से आईबीएम को रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट में एक नई दिशा मिलेगी।

प्रेसींटो का भविष्य

आईबीएम के साथ प्रेसींटो का जुड़ना दोनों कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे प्रेसींटो को आईबीएम के वैश्विक नेटवर्क और रिसोर्सेज का लाभ मिलेगा, जबकि आईबीएम को रिन्यूएबल एनर्जी और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में एक उन्नत तकनीक प्राप्त होगी। इस अधिग्रहण के बाद, प्रेसींटो को आईबीएम की बड़ी परियोजनाओं में भी काम करने का मौका मिलेगा, जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव और बढ़ेगा।

उद्योग पर प्रभाव

यह अधिग्रहण सिर्फ आईबीएम और प्रेसींटो के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे नई तकनीकें सामने आएंगी, और अन्य कंपनियां भी अपने ऑपरेशंस को बेहतर बनाने के लिए ऐसे कदम उठाने के लिए प्रेरित होंगी।

निष्कर्ष

प्रेसींटो का अधिग्रहण आईबीएम के लिए एक बड़ा कदम है, जिससे उसकी एनर्जी मैनेजमेंट क्षमताओं में वृद्धि होगी। प्रेसींटो के संस्थापकों की दूरदृष्टि और तकनीकी कौशल ने इस कंपनी को एक प्रमुख स्थान पर पहुंचाया है। भविष्य में, इस साझेदारी से दोनों कंपनियों को वैश्विक स्तर पर और अधिक सफलता मिल सकती है, जिससे वे सस्टेनेबिलिटी और क्लीन एनर्जी के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

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Giva ज्वेलरी स्टार्टअप ने सीरीज बी राउंड में 255 करोड़ रुपये जुटाए

Giva

ऑम्निचैनल ज्वेलरी स्टार्टअप Giva ने अपने सीरीज बी फंडिंग राउंड में 255 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस फंडिंग का नेतृत्व प्रेमजी इनवेस्ट, एपिक कैपिटल, एडेलवाइस डिस्कवर फंड और कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन ने किया। इस फंड में से 89 करोड़ रुपये प्राइमरी कैपिटल के रूप में जुटाए गए हैं, जबकि शेष राशि सेकेंडरी कैपिटल के रूप में आई है।

Giva: कंपनी का परिचय

GIVA एक ऑम्निचैनल ज्वेलरी स्टार्टअप है, जो डिज़ाइन और क्वालिटी पर खासा ध्यान देते हुए सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से बने आभूषण बेचता है। यह स्टार्टअप ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आभूषण खरीदने की सुविधा देता है। अपने बेहतरीन डिज़ाइनों और उपभोक्ताओं के प्रति बेहतरीन सेवा के चलते गिवा ने भारतीय बाजार में काफी लोकप्रियता हासिल की है।

संस्थापक और उनकी यात्रा

GIVA की स्थापना 2019 में श्रेया मूर्ति, विनायक रंगराजन, और नंदन बालासुब्रमण्यम ने की थी। कंपनी के संस्थापकों ने अपने अनुभव और विज़न का उपयोग करते हुए गिवा को एक उभरते हुए ब्रांड में तब्दील किया। उनका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा ब्रांड बनाना था जो आधुनिक और पारंपरिक ज्वेलरी को एक साथ लाकर हर प्रकार के उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी कर सके।

फंडिंग डिटेल्स

इस फंडिंग राउंड में गिवा के पहले के निवेशकों ने भी हिस्सा लिया, जिसमें A91 पार्टनर्स और इंडिया कोटिएंट शामिल थे। यह निवेशकों की गिवा में बढ़ती विश्वसनीयता को दर्शाता है। गिवा ने पिछले साल सितंबर में सीरीज बी राउंड में फर्स्ट चेक द्वारा किए गए सीड इन्वेस्टमेंट पर 33 गुना रिटर्न हासिल किया था। इसके पहले के निवेशकों में टाइटन कैपिटल भी शामिल है, लेकिन अभी तक टाइटन कैपिटल ने अपने किसी भी हिस्से को नहीं बेचा है।

कैसे किया जाएगा फंड का उपयोग

गिवा ने इस फंड को अपने ऑपरेशन्स को बढ़ाने, उत्पादों के विकास में सुधार करने और नए बाजारों में विस्तार के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। यह निवेश कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि यह अपने ब्रांड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।

गिवा की विकास यात्रा

कंपनी ने अपने लॉन्च के बाद से तेजी से विकास किया है और वर्तमान में यह भारत में आभूषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रही है। गिवा का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को एक शानदार और सुविधाजनक शॉपिंग अनुभव प्रदान करता है। इसके साथ ही, कंपनी अपने ऑफलाइन स्टोर्स के माध्यम से भी ग्राहकों तक पहुंच बना रही है, जिससे वह एक ऑम्निचैनल ब्रांड के रूप में अपनी पहचान बना रही है।

गिवा का राजस्व और मुनाफा

गिवा की वित्तीय सेहत भी लगातार मजबूत हो रही है। कंपनी के संस्थापक और निवेशक इसका श्रेय गिवा के डिज़ाइन और गुणवत्ता की प्राथमिकता को देते हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित करता है। इस फंडिंग से कंपनी के राजस्व और मुनाफे में और वृद्धि की उम्मीद है, खासकर जब कंपनी ने अपने विस्तार की योजना बनाई है।

भारतीय आभूषण बाजार में गिवा का स्थान

भारतीय आभूषण बाजार एक बहुत बड़ा और प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र है, जिसमें गिवा जैसी कंपनियां अपनी अनूठी सेवाओं और बेहतरीन डिज़ाइनों के माध्यम से उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। गिवा का फोकस डिज़ाइन और गुणवत्ता पर है, जो इसे अन्य ब्रांड्स से अलग बनाता है। कंपनी का उद्देश्य भारतीय बाजार में अपनी पकड़ को और मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना है।

गिवा की भविष्य की योजनाएँ

गिवा के संस्थापकों का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपने ब्रांड को और अधिक लोकप्रिय बनाना और राजस्व में 10 गुना वृद्धि करना है। इस विस्तार की योजना में नए बाजारों में प्रवेश करना और अपने उत्पादों की रेंज को बढ़ाना शामिल है। कंपनी के लिए 2027 तक IPO की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे यह सार्वजनिक रूप से भी निवेशकों को आकर्षित कर सकेगी।

निष्कर्ष

गिवा का यह फंडिंग राउंड कंपनी के भविष्य की योजनाओं और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। कंपनी ने अपने डिज़ाइन और गुणवत्ता के प्रति समर्पण के साथ बाजार में एक खास जगह बनाई है। आने वाले वर्षों में, गिवा का ध्यान अपने ब्रांड को और मजबूत करने, नए बाजारों में विस्तार करने और निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न देने पर रहेगा।

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MamaEarth के चीफ प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी ऑफिसर जयंत चौहान का इस्तीफा

MamaEarth

Mamaearth की पैरेंट कंपनी होना सा कंज्यूमर लिमिटेड के चीफ प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी ऑफिसर जयंत चौहान ने व्यक्तिगत कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी ने यह जानकारी मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल की। चौहान का इस्तीफा 30 नवंबर को प्रभावी होगा, जिससे उनकी कंपनी में चार साल की सेवा समाप्त होगी।

जयंत चौहान का सफर

जयंत चौहान ने मामा अर्थ से पहले लगभग दो साल तक पॉलिसीबाजार में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर के रूप में काम किया था। मामा अर्थ में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने उत्पाद विकास और टेक्नोलॉजी में कंपनी की मजबूत उपस्थिति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चौहान के नेतृत्व में, Mamaearth ने अपनी उत्पाद रेंज को बढ़ाया और तेजी से विस्तार किया, जिससे वह भारत के सबसे तेजी से बढ़ते व्यक्तिगत और सौंदर्य देखभाल ब्रांडों में से एक बना।

कंपनी में बड़े बदलाव और इस्तीफे

यह हाल के महीनों में मामा अर्थ की पैरेंट कंपनी होना सा कंज्यूमर लिमिटेड से दूसरा प्रमुख इस्तीफा है। अगस्त में, कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ कॉमर्स, अभिषेक राज पांडे ने इस्तीफा देकर जालॉन नामक एक स्टार्टअप के सह-संस्थापक बनने का निर्णय लिया। इन इस्तीफों से कंपनी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं, जो आने वाले समय में कंपनी की दिशा पर असर डाल सकते हैं।

मामा अर्थ का व्यापारिक प्रदर्शन

मामा अर्थ ने हाल ही में अपने वित्तीय प्रदर्शन में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) की चौथी तिमाही में राजस्व में 17.6% की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि की, जो 471 करोड़ रुपये से बढ़कर 554 करोड़ रुपये तक पहुँच गई। यह मामा अर्थ के इतिहास की सबसे अधिक लाभदायक तिमाही रही, जिसमें 40 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया गया।

यह आंकड़े मामा अर्थ के बढ़ते बाजार हिस्से और लोकप्रियता को दर्शाते हैं, विशेषकर उस समय जब व्यक्तिगत और सौंदर्य देखभाल उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है।

कंपनी के वित्तीय पहलू

मामा अर्थ की वित्तीय सेहत भी काफी मजबूत नजर आ रही है। हाल ही में, कंपनी के शुरुआती निवेशक जैसे पीक XV, स्टेलारिस वेंचर्स, सोफिना वेंचर्स, और फायरसाइड वेंचर्स ने मिलकर कंपनी में 1,600 करोड़ रुपये (लगभग 190 मिलियन डॉलर) के शेयर बेचे। यह बिक्री न केवल मामा अर्थ के बढ़ते मूल्यांकन का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि निवेशकों को कंपनी के भविष्य को लेकर उच्च विश्वास है।

मामा अर्थ: एक सफल ब्रांड की कहानी

मामा अर्थ, जो अपने प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के लिए जाना जाता है, भारत के D2C (डायरेक्ट-टू-कस्टमर) क्षेत्र में एक अग्रणी नाम बन चुका है। 2016 में स्थापित होने के बाद से, कंपनी ने बाजार में तेजी से अपनी पकड़ बनाई और एक व्यापक उपभोक्ता आधार तैयार किया। इसके उत्पादों की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है, खासकर युवाओं और पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच।

कंपनी के संस्थापक और विकास यात्रा

वरुण और ग़जल अलघ द्वारा स्थापित मामा अर्थ ने अपने शुरुआती दिनों से ही अपने उत्पादों में प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल कर पर्यावरण की सुरक्षा पर जोर दिया। दोनों संस्थापकों का ध्यान विशेष रूप से माता-पिता और बच्चों के लिए हानिरहित और सुरक्षित उत्पाद बनाने पर था। लेकिन समय के साथ, कंपनी ने अपनी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार किया और एक व्यापक उपभोक्ता आधार को लक्षित किया।

कंपनी का मुख्यालय गुड़गांव में है, और वर्तमान में यह कई प्रमुख भारतीय शहरों में अपनी सेवाएँ दे रही है। साथ ही, इसका ध्यान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रवेश करने पर है।

चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ

हालांकि मामा अर्थ ने कई सफलता की कहानियाँ लिखी हैं, पर कंपनी को आगे बढ़ने के दौरान कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलते उपभोक्ता रुझान जैसी चुनौतियाँ इसके सामने हैं। इसके अलावा, कंपनी को अपनी उत्पाद श्रृंखला को और व्यापक बनाने और ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाने पर भी ध्यान देना होगा।

IPO की तैयारी और भविष्य की उम्मीदें

कंपनी के सह-संस्थापक और CEO वरुण अलघ ने पहले भी संकेत दिया है कि मामा अर्थ 2027 तक IPO लाने की योजना बना रही है। यह कदम कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर हो सकता है और इसे सार्वजनिक बाजारों में अपनी पहचान बनाने में मदद कर सकता है।

इसके अलावा, मामा अर्थ अपने विकास को 10 गुना और मुनाफे को 6 गुना बढ़ाने की दीर्घकालिक योजना पर भी काम कर रहा है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि कंपनी इन लक्ष्यों को कैसे हासिल करती है, खासकर तब जब कई D2C कंपनियों को स्केलिंग में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष

मामा अर्थ ने भारतीय सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल क्षेत्र में अपनी मजबूत जगह बनाई है और इसके भविष्य की संभावनाएँ उज्ज्वल दिख रही हैं। हालांकि, जयंत चौहान जैसे उच्च-स्तरीय अधिकारियों का इस्तीफा कंपनी के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन इसकी मजबूत वित्तीय स्थिति और विस्तार योजनाएँ इसे आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं।

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Tractor Junction 2024 में ऑपरेटिंग रेवेन्यू 60 करोड़ रुपये के पार

Tractor Junction

ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर केंद्रित ई-कॉमर्स प्लेटफार्मTractor Junction ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। कंपनी की ऑपरेटिंग रेवेन्यू 2.3 गुना बढ़कर 62 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष (FY23) में 26.8 करोड़ रुपये थी। इसके साथ ही, कंपनी ने अपने घाटे को 51% तक कम कर लिया है, जो इसे एक सफल और तेजी से बढ़ती कंपनी के रूप में स्थापित करता है।

कंपनी का परिचय और उद्देश्यों पर प्रकाश

Tractor Junction एक ग्रामीण वाहन मार्केटप्लेस है जो नए और इस्तेमाल किए गए ट्रैक्टरों, फार्म उपकरणों, और ग्रामीण वाणिज्यिक वाहनों की खरीद, बिक्री, फाइनेंसिंग और बीमा कराने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह उपयोगकर्ताओं को कृषि उपकरणों की तुलना करने के लिए आवश्यक जानकारी और विश्वसनीय समीक्षाएँ भी उपलब्ध कराता है। कंपनी का उद्देश्य ग्रामीण भारत में कृषि उपकरणों की खरीद-फरोख्त को आसान और पारदर्शी बनाना है।

कमाई का स्रोत और बढ़त

FY24 में ट्रैक्टर बिक्री कंपनी की कुल कमाई का 73% हिस्सा रही, और इसमें तिगुनी बढ़त देखने को मिली। इसके अलावा, ट्रैक्टर से संबंधित सेवाओं से 27% राजस्व आया। कंपनी ने अपनी जमा राशि पर 5.8 करोड़ रुपये का ब्याज भी कमाया, जिससे इसका कुल आय 67.8 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि ट्रैक्टर जंक्शन न केवल अपने मुख्य व्यवसाय में वृद्धि कर रहा है, बल्कि वित्तीय प्रबंधन में भी कुशलता दिखा रहा है, जो कंपनी की समग्र आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

खर्चों का विश्लेषण

कंपनी के खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा मटीरियल कॉस्ट का था, जो कुल खर्चों का 60% रहा और 43 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह खर्च भी पिछले साल की तुलना में तिगुना हो गया है। इसके अलावा, कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभ कंपनी के कुल खर्चों का 21% हिस्सा रहे।

विज्ञापन, फाइनेंस, और किराये पर भी कंपनी ने खर्च किया, जिससे कुल व्यय FY24 में 72.8 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल यह 35 करोड़ रुपये था। यह बढ़ते खर्च कंपनी के तेजी से विस्तार और संचालन की जटिलताओं को दर्शाते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में एक मजबूत नेटवर्क बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

कंपनी के संस्थापक और टीम

ट्रैक्टर जंक्शन की स्थापना कुछ साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की बेहतर पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके संस्थापक अमित पंजाबी और उनकी टीम ने इस प्लेटफार्म को ऐसे समय में विकसित किया जब ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की मांग बढ़ रही थी।

अमित का मानना है कि ग्रामीण किसानों को सस्ती और सही जानकारी के साथ-साथ वित्तीय सहायता प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे सही उत्पाद चुन सकें और अपने व्यवसाय में सुधार कर सकें। उनके नेतृत्व में कंपनी ने ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक नेटवर्क तैयार किया है और ग्राहकों के बीच विश्वसनीयता हासिल की है।

कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन

ट्रैक्टर जंक्शन का वित्तीय प्रदर्शन FY24 में मजबूत रहा। कंपनी ने न केवल अपनी कमाई में वृद्धि की, बल्कि अपने घाटे को भी प्रभावी रूप से कम किया। FY23 में कंपनी का घाटा काफी अधिक था, लेकिन FY24 में इसे 51% तक कम कर लिया गया।

यह स्पष्ट करता है कि कंपनी अपने व्यावसायिक संचालन को संतुलित करने और मुनाफे की ओर बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। कंपनी का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपने रेवेन्यू को और बढ़ाना और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाओं का विस्तार करना है।

भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ

ट्रैक्टर जंक्शन ने अपने व्यापार मॉडल को सफलतापूर्वक स्थापित किया है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। ग्रामीण इलाकों में डिजिटल अवसंरचना की सीमाएँ, किसानों के बीच जागरूकता की कमी, और प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों का सामना करना होगा।

हालांकि, कंपनी की दीर्घकालिक योजना यह है कि वह अपनी सेवा गुणवत्ता को सुधारते हुए और अधिक ग्राहकों तक पहुंचे। इसके अलावा, कंपनी वित्तीय सेवाओं, बीमा, और कृषि उपकरणों की मरम्मत जैसी सेवाओं को भी विस्तारित करने की योजना बना रही है।

विज्ञापन और विपणन रणनीतियाँ

कंपनी की विपणन रणनीति में सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफ़ार्म, और पारंपरिक विज्ञापनों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, कंपनी किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए ऑन-ग्राउंड प्रचार और प्रदर्शनियों का भी आयोजन करती है।

विपणन और विज्ञापन पर खर्चों में बढ़ोतरी कंपनी की विकासशील उपस्थिति और ग्रामीण इलाकों में व्यापक ब्रांड पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है।

निष्कर्ष

ट्रैक्टर जंक्शन ने ग्रामीण भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है, जहाँ ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन और संचालन में सुधार इस बात का संकेत है कि यह एक मजबूत और स्थिर व्यापार मॉडल के साथ आगे बढ़ रही है।

आने वाले समय में, ट्रैक्टर जंक्शन की दीर्घकालिक योजनाएँ इसे ग्रामीण कृषि उद्योग के लिए एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी कैसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करती है।

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ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म Evenflow ने ब्रिज राउंड में जुटाए फंड्स

Evenflow

ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म Evenflow ने हाल ही में एक ब्रिज राउंड में अज्ञात राशि जुटाई है। इस राउंड का नेतृत्व सीरियल एंटरप्रेन्योर शैल पटेल और कुछ मौजूदा निवेशकों ने किया है। यह फंडिंग Evenflow के चल रहे 5 मिलियन डॉलर के सीरीज़ ए राउंड का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कंपनी की संचालन क्षमता को बढ़ाना और इसके अधिग्रहित सात भारतीय ब्रांड्स को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करना है।

Evenflow: कंपनी का परिचय और रणनीति

Evenflow एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारतीय बाज़ार में सफल होमग्रोन ब्रांड्स को अधिग्रहित करना और उन्हें तेजी से विकसित करना है। यह प्लेटफ़ॉर्म भारत और अमेरिका दोनों में काम करता है और अमेज़न, फ्लिपकार्ट, क्रेड, ज़ेप्टो, और इंस्टामार्ट जैसे मार्केटप्लेस पर अपने ब्रांड्स की 350% वृद्धि का दावा करता है।

कंपनी ने सात प्रमुख ब्रांड्स का अधिग्रहण किया है, जिनमें Xtrim, Yogarise, Rusabl, BabyPro, Trendy Homes, Cinagro, और Frenchware शामिल हैं। इन ब्रांड्स को नए बाजारों में प्रवेश दिलाने के साथ-साथ उनकी वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाना Evenflow की प्रमुख रणनीति है।

Evenflow कंपनी के संस्थापक और नई नियुक्तियाँ

Evenflow के सह-संस्थापक और सीईओ उत्सव अग्रवाल हैं, जिन्होंने कंपनी की दीर्घकालिक योजनाओं को स्पष्ट किया है। हाल ही में कंपनी ने शशांक रंजन को सह-संस्थापक के रूप में प्रमोट किया है, जो कंपनी के सप्लाई चेन, मार्केटप्लेस और डी2सी (डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर) मॉडल को मजबूत करने में मदद करेंगे। इन नियुक्तियों के साथ, कंपनी ने अपनी विकास गति को बढ़ाने के लिए रणनीतिक प्रयास किए हैं।

वित्तीय स्थिति और विकास योजनाएँ

Evenflow ने अपने मौजूदा ब्रिज राउंड में जुटाए गए फंड्स को संचालन का विस्तार और अधिग्रहित ब्रांड्स के वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। कंपनी की दीर्घकालिक योजना 2027 तक अपनी आय को 10 गुना और मुनाफे को छह गुना बढ़ाने की है।

हालांकि, इन लक्ष्यों को प्राप्त करना कंपनी के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, क्योंकि कई रोल-अप प्लेटफ़ॉर्म स्केलिंग के दौरान कठिनाइयों का सामना करते हैं। कंपनी का लक्ष्य 2027 के अंत तक एक आईपीओ (Initial Public Offering) के लिए तैयारी करना भी है, जो इसे बाजार में एक मजबूत स्थिति में स्थापित करने में मदद करेगा।

ई-कॉमर्स रोल-अप इंडस्ट्री का इतिहास

2021 में ई-कॉमर्स रोल-अप कंपनियों की मांग उच्चतम स्तर पर थी, और इस दौरान कई कंपनियाँ उभरीं। 2021 में भारत में इस क्षेत्र ने Mensa और Globalbees जैसे दो यूनिकॉर्न दिए, जबकि 10club ने 40 मिलियन डॉलर जुटाए, जो भारत के सबसे बड़े सीड राउंड्स में से एक था।

हालांकि, वैश्विक रोल-अप पोस्टरबॉय थारासियो के विफल होने और कठिन फंडिंग माहौल के कारण इस क्षेत्र में उत्साह धीरे-धीरे कम हो गया। इसके परिणामस्वरूप, इन कंपनियों के लिए निवेश में तेज गिरावट आई है। 2021 में जहां इस क्षेत्र में 540 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ था, वहीं 2022 में यह घटकर 70 मिलियन डॉलर रह गया, 2023 में 78 मिलियन डॉलर, और वर्तमान कैलेंडर वर्ष में केवल 39 मिलियन डॉलर जुटाए गए हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

ई-कॉमर्स रोल-अप कंपनियों के लिए प्रमुख चुनौती बाजार में विस्तार करते समय स्केलिंग की होती है। इस उद्योग के लिए फंडिंग में आई गिरावट से संकेत मिलता है कि निवेशक अब ज्यादा सावधानी से निवेश कर रहे हैं। हालांकि, Evenflow का मानना है कि उसकी रणनीतिक नियुक्तियाँ और वैश्विक विस्तार की योजना इसे दीर्घकालिक सफलता दिलाने में मदद करेंगी।

मार्केटप्लेस और सप्लाई चेन पर फोकस

Evenflow ने अपने सप्लाई चेन, मार्केटप्लेस और डी2सी मॉडल को मजबूत करने के लिए हाल ही में बड़े कदम उठाए हैं। यह कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाजार की प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और तेजी से विकसित होने के लिए इन क्षेत्रों में नवाचार जरूरी हो गया है।

आने वाले वर्षों की योजना

Evenflow की योजना अगले कुछ वर्षों में अपने अधिग्रहित ब्रांड्स को नए बाजारों में लॉन्च करना और उन्हें तेजी से बढ़ाना है। कंपनी का मानना है कि ये ब्रांड्स वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को मजबूती से स्थापित कर सकते हैं। इसके साथ ही, 2027 में आईपीओ की तैयारी से कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में और सुधार हो सकता है।

निष्कर्ष

Evenflow का हालिया फंड जुटाना कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इसे दीर्घकालिक विकास के लिए तैयार कर रहा है। हालाँकि ई-कॉमर्स रोल-अप इंडस्ट्री में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, Evenflow ने अपनी रणनीतियों में बदलाव और नए बाजारों में विस्तार करके अपनी स्थिति को मजबूत किया है। आने वाले वर्षों में, कंपनी का फोकस न केवल अधिग्रहित ब्रांड्स की वृद्धि पर होगा, बल्कि निवेशकों के लिए मूल्य सृजन पर भी होगा।

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