Sugar Cosmetics: धीमी वृद्धि और घाटे में सुधार का सफर

Sugar Cosmetics

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्यूटी ब्रांड SUGAR Cosmetics ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपने विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी देखी। जहां FY23 में कंपनी ने 90% सालाना वृद्धि दर्ज की थी, वहीं FY24 में यह वृद्धि केवल 20% रही। हालांकि, इस अवधि में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक कम करने में सफलता हासिल की।


SUGAR Cosmetics राजस्व में वृद्धि: FY24 के आंकड़े

SUGAR Cosmetics का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में 505 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 420 करोड़ रुपये था।

  • कुल राजस्व:
    • ऑपरेटिंग रेवेन्यू: 505 करोड़ रुपये।
    • ब्याज आय: 10 करोड़ रुपये।
    • कुल: 515 करोड़ रुपये
  • निर्यात से आय:
    • कंपनी ने 2.5 करोड़ रुपये का निर्यात आय अर्जित किया।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में ब्रांड ने अपनी स्थिति बनाए रखी।


खर्च और व्यय: प्रमुख चुनौतियां

विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर खर्च:

D2C ब्रांड्स के लिए विज्ञापन और प्रचार एक बड़ा खर्च होता है, और Sugar Cosmetics के लिए यह कोई अपवाद नहीं है।

  • FY24 में विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर 162 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
  • FY23 के मुकाबले यह आंकड़ा अपरिवर्तित रहा।

कच्चे माल की लागत:

  • कच्चे माल की खरीद लागत में 21.1% की वृद्धि हुई।
  • FY23 में यह लागत 114 करोड़ रुपये थी, जो FY24 में बढ़कर 138 करोड़ रुपये हो गई।

अन्य खर्च:

कंपनी के अन्य खर्चों में वृद्धि हुई, जिसमें शामिल हैं:

  • कर्मचारी लाभ,
  • किराया,
  • आईटी सेवाएं,
  • कानूनी खर्च,
  • आउटसोर्स सपोर्ट,
  • पैकेजिंग।

कुल खर्च:

FY24 में कुल खर्च 584 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 505 करोड़ रुपये था।

  • खर्च में 15.6% की वृद्धि देखी गई।

घाटे में कमी: एक सकारात्मक संकेत

कंपनी ने घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

  • FY24 में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक घटाया।
  • यह संकेत देता है कि Sugar Cosmetics अपने खर्चों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित कर रही है।

Sugar Cosmetics का व्यवसाय मॉडल

Sugar Cosmetics मुख्य रूप से कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की बिक्री से राजस्व उत्पन्न करता है।

  • मुख्य उत्पाद:
    • लिपस्टिक, आईलाइनर, फाउंडेशन, स्किनकेयर और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स।
  • बिक्री के माध्यम:
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (अपनी वेबसाइट और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे Amazon, Nykaa)।
    • ऑफलाइन स्टोर्स और रिटेल आउटलेट्स।
  • निर्यात:
    • FY24 में निर्यात से 2.5 करोड़ रुपये का योगदान रहा।

D2C ब्यूटी ब्रांड्स की चुनौतियां

Sugar Cosmetics के साथ-साथ अन्य D2C ब्यूटी ब्रांड्स को भी बाजार में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • MamaEarth, Plum, और MyGlamm जैसे ब्रांड्स की मौजूदगी से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

ग्राहक प्राथमिकताएं:

  • उपभोक्ता अब अधिक प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

बढ़ते खर्च:

  • कच्चे माल और विज्ञापन लागत में वृद्धि से मुनाफे पर असर पड़ता है।

FY25 की रणनीति: वृद्धि और लाभप्रदता का लक्ष्य

Sugar Cosmetics ने FY25 में वृद्धि और लाभप्रदता हासिल करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

नवाचार और नए उत्पाद:

  • उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार नए उत्पाद लॉन्च करने पर ध्यान दिया जाएगा।

डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार:

  • ब्रांड केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक सीमित न रहते हुए ऑफलाइन स्टोर्स पर अधिक फोकस करेगा।

लागत प्रबंधन:

  • विज्ञापन और प्रचार खर्च को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की योजना।

वैश्विक विस्तार:

  • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात और ब्रांड की मौजूदगी को बढ़ाने पर जोर।

Sugar Cosmetics का भविष्य: संभावनाएं और चुनौतियां

संभावनाएं:

  1. ब्यूटी और पर्सनल केयर बाजार का विस्तार:
    • भारतीय ब्यूटी और पर्सनल केयर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है।
  2. ऑनलाइन शॉपिंग का चलन:
    • उपभोक्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक खरीदारी कर रहे हैं, जिससे D2C ब्रांड्स को लाभ हो रहा है।

चुनौतियां:

  1. लागत में बढ़ोतरी:
    • कच्चे माल और मार्केटिंग खर्च में वृद्धि।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • अन्य ब्यूटी ब्रांड्स से बाजार हिस्सेदारी बनाए रखना।

निष्कर्ष: धीमी लेकिन स्थिर प्रगति

Sugar Cosmetics ने FY24 में धीमी वृद्धि और बढ़ते खर्चों के बावजूद अपने घाटे को कम करने में सफलता पाई।

  • कंपनी की 20% की राजस्व वृद्धि और घाटे में 11.4% की कमी संकेत देते हैं कि यह सही दिशा में कदम उठा रही है।
  • FY25 में नए उत्पादों और बेहतर लागत प्रबंधन के साथ, कंपनी भारतीय ब्यूटी इंडस्ट्री में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकती है।

Sugar Cosmetics की यात्रा अन्य D2C ब्रांड्स के लिए प्रेरणा है कि कैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में चुनौतियों का सामना करते हुए प्रगति की जा सकती है।

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mCaffeine: बिक्री में गिरावट के साथ FY24 की चुनौतीपूर्ण यात्रा

mCaffeine

mCaffeine, जो कैफीन-आधारित स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पादों में विशेषज्ञता रखता है, ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में उम्मीदों के विपरीत प्रदर्शन किया। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी तरुण शर्मा ने FY24 में बिक्री में 50% वृद्धि और FY25 में लाभप्रदता का दावा किया था। हालांकि, वित्तीय आंकड़े इन उम्मीदों से मेल नहीं खाते।


mCaffeine का परिचय

mCaffeine भारत का एक लोकप्रिय पर्सनल केयर ब्रांड है, जो कैफीन-इनफ्यूज्ड उत्पादों की विशेषता के साथ ग्राहकों को आकर्षित करता है।

  • प्रमुख उत्पाद: स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पाद।
  • बिक्री का माध्यम: ब्रांड मुख्य रूप से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और अपनी वेबसाइट के जरिए बिक्री करता है।

बिक्री में गिरावट: FY24 के आंकड़े

mCaffeine की FY24 में बिक्री के आंकड़े उम्मीदों से कम रहे।

  • ऑपरेटिंग रेवेन्यू: 6% की गिरावट के साथ 193 करोड़ रुपये
  • कुल आय: 193 करोड़ रुपये की बिक्री और 8.9 करोड़ रुपये की ब्याज आय से कुल 201.9 करोड़ रुपये

यह गिरावट कंपनी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, खासकर जब FY23 में ब्रांड ने बेहतर प्रदर्शन किया था।


प्रमुख खर्च और मुनाफे की स्थिति

mCaffeine ने FY24 में अपने खर्चों को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

प्रमुख खर्च:

  1. विज्ञापन खर्च:
    • FY24 में विज्ञापन पर 106.17 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
    • FY23 के मुकाबले इसमें 11.8% की कमी देखी गई।
  2. कर्मचारी लाभ:
    • कर्मचारियों पर खर्च 38.54 करोड़ रुपये रहा।
    • यह पिछले वर्ष की तुलना में 2.8% कम है।
  3. कच्चे माल की लागत:
    • कच्चे माल पर खर्च 12.5% बढ़कर 67.67 करोड़ रुपये हो गया।

कुल खर्च:

  • FY24 में कुल खर्च मामूली रूप से घटकर 287.33 करोड़ रुपये हो गया।
  • FY23 की तुलना में यह एक छोटा सुधार है, लेकिन बिक्री में गिरावट ने इसे संतुलित नहीं होने दिया।

बिक्री में गिरावट के कारण

1. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • भारत में पर्सनल केयर ब्रांड्स की बढ़ती संख्या ने mCaffeine की बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित किया।
  • MamaEarth और WOW Skin Science जैसे ब्रांड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

2. ग्राहक प्राथमिकताओं में बदलाव:

  • ग्राहकों का झुकाव प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों की ओर बढ़ा है।
  • mCaffeine को इस बदलते ट्रेंड से तालमेल बैठाने में कठिनाई हुई।

3. उपभोक्ता खर्च में कमी:

  • FY24 में आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण उपभोक्ताओं ने गैर-जरूरी खर्चों में कटौती की।

कैसे mCaffeine ने खर्चों को नियंत्रित किया

  1. विज्ञापन खर्च में कटौती:
    • विज्ञापन बजट को 11.8% तक कम किया गया।
    • डिजिटल और सोशल मीडिया मार्केटिंग पर फोकस बढ़ाया गया।
  2. कर्मचारियों पर खर्च घटाया:
    • कर्मचारियों की संख्या और लाभों में कटौती की गई।
  3. संचालन में सुधार:
    • कच्चे माल की लागत बढ़ने के बावजूद अन्य खर्चों को नियंत्रण में रखा गया।

FY25 में लाभप्रदता के लक्ष्य की ओर

तरुण शर्मा ने FY25 में mCaffeine के लाभप्रद बनने की उम्मीद जताई है। इसके लिए कंपनी ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है:

  • नए उत्पाद लॉन्च: ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए नए उत्पादों पर काम।
  • डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार: केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक सीमित न रहते हुए रिटेल स्टोर्स पर फोकस।
  • ब्रांडिंग में बदलाव: उपभोक्ताओं के विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए ब्रांडिंग में सुधार।

भारतीय पर्सनल केयर बाजार में mCaffeine की स्थिति

बाजार का विस्तार:

भारत का पर्सनल केयर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।

  • प्रमुख खिलाड़ी: MamaEarth, Plum, WOW Skin Science।
  • मांग में वृद्धि: स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पादों की बढ़ती डिमांड।

mCaffeine के लिए अवसर:

  • ब्रांड की कैफीन-आधारित उत्पादों की विशेषता इसे एक अनोखा स्थान प्रदान करती है।
  • सही रणनीति के साथ, कंपनी अपनी खोई हुई बाजार हिस्सेदारी को पुनः प्राप्त कर सकती है।

निष्कर्ष: चुनौतीपूर्ण लेकिन उम्मीदें बरकरार

FY24 में mCaffeine के लिए वित्तीय चुनौतियां रहीं, लेकिन कंपनी ने खर्चों को नियंत्रित करके अपने प्रदर्शन में सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं।

भविष्य की संभावनाएं:

  1. FY25 में लाभप्रदता की ओर बढ़ने के लिए रणनीतिक योजनाएं।
  2. ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नवाचार।
  3. भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना।

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Vecmocon Technologies को $10 मिलियन की फंडिंग

Vecmocon

वाहन इंटेलिजेंस कंपनी Vecmocon Technologies ने अपनी सीरीज ए फंडिंग के पहले चरण में $10 मिलियन (लगभग ₹83 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Ecosystem Integrity Fund (EIF) ने किया, जिसमें Blume Ventures और British International Investment (BII) ने भी हिस्सा लिया।


Vecmocon पिछले फंडिंग राउंड्स में भी रही मजबूत पकड़

इससे पहले, अक्टूबर 2022 में Vecmocon ने Tiger Global और Blume Ventures के नेतृत्व में $5.2 मिलियन जुटाए थे। हालांकि, इस बार के राउंड में Tiger Global ने भाग नहीं लिया। इसके अलावा, दिल्ली आधारित इस स्टार्टअप ने शुरुआती दिनों में $300k की फंडिंग प्राप्त की थी और इसे IIT दिल्ली और ISB में इनक्यूबेट किया गया था।


फंडिंग का उपयोग किसके लिए होगा?

Vecmocon इस नई फंडिंग का इस्तेमाल अपने अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षमताओं को मजबूत करने में करेगा। कंपनी का फोकस हाई-वोल्टेज सिस्टम्स, एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (ESS), 5G ऑटोमोटिव कनेक्टिविटी, और Zonal ECU कंप्लायंट आर्किटेक्चर पर है। इसके अलावा, कंपनी की योजना एक अंतरराष्ट्रीय-स्तरीय R&D इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और अपनी टीम का विस्तार करने की भी है।


Vecmocon का सफर और तकनीकी समाधान

Vecmocon Technologies की शुरुआत 2016 में IIT दिल्ली में हुई थी। इसके संस्थापक पीयूष असाटी, आदर्शकुमार बालारामन, और शिवम वानखेड़े हैं। यह स्टार्टअप इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिए एडवांस्ड कंप्यूटिंग सॉल्यूशंस प्रदान करता है।

कंपनी के प्रमुख उत्पाद:

  1. बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS)
  2. वाहन इंटेलिजेंस मॉड्यूल (VIM)
  3. EV चार्जर

कंपनी के इन उत्पादों का इस्तेमाल वर्तमान में 70,000 से अधिक वाहनों में हो रहा है।


प्रमुख ग्राहक और साझेदारियां

Vecmocon ने अपने प्रोडक्ट्स को कई बड़े नामों तक पहुंचाया है, जिनमें शामिल हैं:

  • Exide
  • BGauss
  • Battery Smart

इन साझेदारियों से कंपनी ने भारतीय EV बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है।


EV सेक्टर में Vecmocon की अहम भूमिका

इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, Vecmocon जैसी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनके तकनीकी समाधान न केवल वाहनों की दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा और स्थिरता भी सुनिश्चित करते हैं।

R&D में निवेश क्यों जरूरी है?

Vecmocon अपने प्रोडक्ट्स को और बेहतर बनाने के लिए R&D में निवेश कर रहा है।

  • हाई-वोल्टेज सिस्टम्स: EVs की बढ़ती मांग के साथ, हाई-वोल्टेज सिस्टम्स का महत्व बढ़ गया है।
  • 5G ऑटोमोटिव कनेक्टिविटी: यह EVs को स्मार्ट और कनेक्टेड बनाता है।
  • एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (ESS): बेहतर बैटरी क्षमता और दीर्घायु सुनिश्चित करता है।

फाउंडर्स का दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं

पीयूष असाटी और उनकी टीम का लक्ष्य है कि Vecmocon को भारत के EV क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाए। इस दिशा में, कंपनी ने:

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार की योजना बनाई है।
  2. EV क्षेत्र के लिए सस्टेनेबल और ट्रेसेबल प्रोडक्ट्स विकसित करने का लक्ष्य रखा है।

भारत के EV बाजार में Vecmocon की भूमिका

भारत सरकार की EV को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं और नीति समर्थन से Vecmocon जैसी कंपनियों को बड़े अवसर मिल रहे हैं।

  • बढ़ती EV मांग: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • टेक्नोलॉजी-आधारित समाधान: Vecmocon के प्रोडक्ट्स EV निर्माताओं के लिए जरूरी साबित हो रहे हैं।

क्या कहता है भविष्य?

Vecmocon Technologies का फोकस भारतीय EV बाजार को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने पर है।

  • कंपनी के उत्पादों को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा है।
  • R&D में निवेश और इनोवेशन इसे EV क्षेत्र में मजबूती प्रदान करेगा।

सफलता की कहानी

Vecmocon की यात्रा यह दर्शाती है कि कैसे एक इनक्यूबेटेड स्टार्टअप तकनीकी समाधान देकर बाजार में अपनी जगह बना सकता है।


निष्कर्ष

Vecmocon Technologies ने भारतीय EV बाजार में नई तकनीक और इनोवेशन के जरिए अपनी पहचान बनाई है। नई फंडिंग से कंपनी के विकास की गति तेज होगी और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी। EV क्षेत्र में ऐसे स्टार्टअप्स की सफलता भारत के तकनीकी भविष्य को दर्शाती है।

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Burger Singh को बड़ा झटका: वित्त वर्ष 2024 में घाटे में छह गुना से ज्यादा बढ़ोतरी

Burger

फास्ट-फूड चेन Burger Singh, जिसने भारतीय बर्गर प्रेमियों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई है, वित्त वर्ष 2024 में बड़ा आर्थिक झटका झेल रही है। कंपनी का घाटा इस दौरान छह गुना से अधिक बढ़ गया, जबकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 34% की वृद्धि हुई।

Burger Singh रेवेन्यू में बढ़त, लेकिन घाटा भी बढ़ा

Burger Singh का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में ₹77.7 करोड़ तक पहुंच गया, जो FY23 में ₹57.8 करोड़ था। 12 साल पुरानी यह कंपनी अपने ग्राहकों को बर्गर, साइड्स, डेज़र्ट्स, और ड्रिंक्स का विस्तृत मेन्यू पेश करती है। कंपनी की बिक्री का मुख्य स्रोत उसके सेल्फ-ओन्ड आउटलेट्स और फ्रैंचाइज़ स्टोर्स हैं।

रेवेन्यू के तीन मुख्य स्रोत

Burger Singh का रेवेन्यू तीन स्रोतों से आता है:

  1. स्वयं संचालित स्टोर्स से बिक्री: कंपनी की कुल ऑपरेटिंग आय का 48% हिस्सा अपने स्टोर्स की बिक्री से आता है। FY24 में यह रेवेन्यू ₹37.66 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 60% बढ़ा।
  2. फ्रैंचाइज़ सेवाओं से आय: फ्रैंचाइज़ से जुड़ी सेवाओं से ₹10.81 करोड़ की आय हुई।
  3. फ्रैंचाइज़ स्टोर्स को माल की बिक्री: इस माध्यम से कंपनी ने ₹28.6 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया।

खर्चों में बड़ा हिस्सा कच्चे माल का

Burger Singh के लिए कच्चे माल की खरीद सबसे बड़ी लागत बन गई, जो कंपनी के कुल खर्च का 43% हिस्सा है। FY24 में कच्चे माल की लागत ₹39.2 करोड़ रही, जो FY23 के ₹29.9 करोड़ की तुलना में 31.3% बढ़ी।

अन्य खर्चों का विश्लेषण

कंपनी के संचालन में शामिल अन्य बड़े खर्च भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें कर्मचारियों का वेतन, मार्केटिंग, और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। हालांकि, बर्गर सिंह ने अपने फ्रैंचाइज़ मॉडल पर जोर दिया है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत ने कंपनी के मुनाफे को प्रभावित किया है।

मार्केट में Burger Singh की स्थिति

भारतीय फूड मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Burger Singh ने अपने आप को एक देसी ट्विस्ट के साथ अंतरराष्ट्रीय बर्गर ब्रांड्स से अलग साबित करने की कोशिश की है। कंपनी ने अपने बर्गर्स में भारतीय मसालों और फ्लेवर्स का उपयोग किया है, जिससे यह ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

हालांकि, बढ़ती लागत और बढ़ते घाटे ने कंपनी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वित्त वर्ष 2024 में बढ़ा हुआ घाटा यह बताता है कि कंपनी को अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा और आय के नए स्रोत तलाशने होंगे।

फ्रैंचाइज़ मॉडल से उम्मीदें

Burger Singh का फ्रैंचाइज़ मॉडल एक प्रमुख ताकत बना हुआ है। कंपनी ने कई नए फ्रैंचाइज़ स्टोर्स खोले हैं, जो छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हुए हैं। फ्रैंचाइज़ के जरिए कंपनी को विस्तार के साथ-साथ मुनाफा बढ़ाने की उम्मीद है।

ग्राहकों की प्राथमिकता और नवाचार

कंपनी के पास भारतीय ग्राहकों की पसंद-नापसंद को समझने की गहरी समझ है। यही कारण है कि इसके मेन्यू में लगातार नए आइटम जोड़े जा रहे हैं। आने वाले समय में कंपनी अगर अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार करती है, तो यह ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए रख सकती है।

भविष्य की रणनीति

Burger Singh को अपने खर्चों को नियंत्रित करने और आय के नए स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। कंपनी अगर डिजिटल मार्केटिंग, लॉयल्टी प्रोग्राम्स, और प्रोडक्ट इनोवेशन पर जोर देती है, तो यह आने वाले समय में अपने घाटे को कम कर सकती है।

निष्कर्ष

Burger Singh ने भारतीय फूड मार्केट में अपनी एक खास जगह बनाई है, लेकिन बढ़ते घाटे और बढ़ती लागत ने इसके विकास पर असर डाला है। अगर कंपनी अपने खर्चों का सही तरीके से प्रबंधन करती है और ग्राहकों के साथ जुड़ाव बढ़ाती है, तो यह भविष्य में एक मजबूत फास्ट-फूड ब्रांड के रूप में उभर सकती है।

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VLCC ने Ustraa को खरीदा, राजस्व में मामूली गिरावट

Ustraa

मेंस ग्रूमिंग ब्रांड Ustraa को हाल ही में पर्सनल केयर ब्रांड VLCC ने शेयर स्वैप और सेकेंडरी बायआउट के ज़रिए अधिग्रहित किया। ये अधिग्रहण FY24 की पहली तिमाही में पूरा हुआ, पर VLCC के इस बड़े समूह में आने के बाद भी Ustraa को अपने राजस्व में हल्की गिरावट और घाटों में वृद्धि का सामना करना पड़ा है।

Ustraa राजस्व में आई गिरावट

Ustraa ने FY24 में 2.94% की मामूली गिरावट के साथ 94.02 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो FY23 में 96.87 करोड़ रुपये था। इस हल्की गिरावट से यह पता चलता है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका 95.08% राजस्व उत्पादों की बिक्री से आया, जो कि पिछले साल की तुलना में 5.1% कम था। इसके अलावा, कंपनी ने अन्य स्रोतों से 4.7 करोड़ रुपये का आय प्राप्त की, जिससे उसका कुल राजस्व 94.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

खर्चों में वृद्धि का दबाव

Ustraa के वित्तीय आंकड़े दर्शाते हैं कि FY24 में इसके खर्चों में 5.11% की वृद्धि हुई, जो कि FY23 में 137.57 करोड़ रुपये से बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया। खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा सामग्री लागत का रहा, जिसमें 63.16% की वृद्धि के साथ 60.4 करोड़ रुपये तक का खर्च हुआ। वहीं, कर्मचारियों के लाभ पर किए गए खर्चों में 17.5% की कमी आई और यह घटकर 20.94 करोड़ रुपये पर आ गया।

विज्ञापन खर्चों में कमी

Ustraa ने विज्ञापन खर्चों में 64.46% की महत्वपूर्ण कटौती की, जिससे यह घटकर 17.09 करोड़ रुपये पर आ गए। कंपनी ने लागत में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया, ताकि वह अपने घाटों को नियंत्रण में रख सके। हालांकि, दूसरी ओर, कमीशन खर्च में 43.82% की वृद्धि हुई और यह 10.93 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

अन्य खर्चों का आंकलन

Ustraa के खर्चों में अन्य कई प्रकार की लागत भी शामिल थीं, जिनमें से सबसे अहम मिसलेनियस (विविध) खर्च थे। कंपनी ने अपने बढ़ते खर्चों को देखते हुए इन पर काफी ध्यान दिया, जिससे कुल व्यय बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया।

Ustraa के सामने चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएं

कंपनी को अधिग्रहण के बाद भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने प्रमुख राजस्व स्रोतों में गिरावट के चलते इसे प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, VLCC के साथ साझेदारी से इसे अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने और नए ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है।

Ustraa के प्रदर्शन में गिरावट:
पुरुषों की ग्रूमिंग से जुड़े स्टार्टअप Ustraa ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में राजस्व में मामूली गिरावट दर्ज की। इसका राजस्व FY23 में ₹96.87 करोड़ था, जो FY24 में घटकर ₹94.02 करोड़ रह गया। हालांकि यह गिरावट केवल 2.94% रही, लेकिन यह इस बात का संकेत है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपने ग्राहकों को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

उत्पादों की बिक्री से आय में गिरावट:
Ustraa का कुल राजस्व का लगभग 95.08% हिस्सा इसके विभिन्न ग्रूमिंग उत्पादों की बिक्री से आता है। FY24 में इन उत्पादों की बिक्री में 5.1% की गिरावट आई। इसके अतिरिक्त, कंपनी को अन्य स्रोतों से ₹4.7 करोड़ की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई, जिससे कुल आय ₹94.27 करोड़ तक पहुँच गई।

विलय के बाद बढ़ी लागत:
VLCC के साथ अधिग्रहण के बाद, Ustraa ने अपने लागत ढांचे में कई बदलाव देखे। सबसे अधिक खर्च की श्रेणी में मटेरियल कॉस्ट रही, जो 63.16% बढ़कर ₹60.4 करोड़ हो गई। इसके साथ ही, कंपनी के विभिन्न अन्य खर्चों में भी वृद्धि देखी गई, जैसे कि कमीशन की लागत 43.82% बढ़कर ₹10.93 करोड़ हो गई।

विज्ञापन खर्च में बड़ी कटौती:
Ustraa ने FY24 में अपने विज्ञापन और मार्केटिंग बजट में बड़े स्तर पर कटौती की है। विज्ञापन खर्च में 64.46% की कमी आई, जो FY23 में ₹48.11 करोड़ से घटकर ₹17.09 करोड़ रह गई। यह कमी लागत घटाने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिससे कंपनी का ध्यान अधिक लाभप्रदता की ओर केंद्रित हुआ।

कर्मचारियों की लागत में कमी:
Ustraa ने FY24 में अपने कर्मचारी लाभ खर्चों में भी कमी की है। FY23 में यह खर्च ₹25.39 करोड़ था, जो घटकर ₹20.94 करोड़ हो गया, जो कुल खर्चों में 17.5% की कमी दर्शाता है। कंपनी ने शायद यह कदम लागत नियंत्रण के तहत उठाया हो ताकि बढ़ती लागत के बीच अपने संचालन को संतुलित रखा जा सके।

कुल व्यय में उछाल:
कंपनी के कुल खर्चों में 5.11% की बढ़ोतरी हुई, जिससे FY24 में इसका कुल व्यय ₹144.6 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह ₹137.57 करोड़ था। यह वृद्धि कई फैक्टरों का परिणाम है, जिसमें मटेरियल कॉस्ट और कमीशन की लागत शामिल है, जबकि दूसरी ओर विज्ञापन और कर्मचारी खर्च में कटौती की गई।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच चुनौतियाँ:
VLCC में विलय के बाद भी, Ustraa को अपने संचालन में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। व्यक्तिगत देखभाल और ग्रूमिंग उत्पादों के क्षेत्र में कई नए ब्रांड उभर रहे हैं, जो इस उद्योग को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। Ustraa का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कैसे अपनी रणनीति तैयार करता है और ग्राहकों के लिए किस तरह के उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करता है।

आर्थिक दृष्टिकोण:
अधिग्रहण के बाद, कंपनी का प्रदर्शन दर्शाता है कि इसे कई मोर्चों पर सुधार की आवश्यकता है। बढ़ती लागत और घटते राजस्व के बीच संतुलन बनाना Ustraa के लिए महत्वपूर्ण होगा। कंपनी के खर्चों में कटौती और राजस्व बढ़ाने की रणनीतियों पर जोर देकर ही वह अपने आर्थिक प्रदर्शन को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।

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Bengaluru स्थित स्टॉक ब्रोकर Groww के 1.25 करोड़ सक्रिय यूजर्स पार, Zerodha से बड़ी बढ़त

Groww

बेंगलुरु स्थित स्टॉक ब्रोकर Groww ने अक्टूबर महीने में अपने प्लेटफार्म पर 1.25 करोड़ (12.59 मिलियन) सक्रिय ट्रेडर्स का आंकड़ा पार कर लिया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, Groww ने सिर्फ एक महीने में लगभग 3.5 लाख नए यूजर्स जोड़े हैं।

Zerodha को पीछे छोड़ते हुए Groww का बढ़ता प्रभाव

Groww के सबसे नजदीकी प्रतिस्पर्धी Zerodha के पास पिछले महीने लगभग 80.6 लाख (8.06 मिलियन) सक्रिय निवेशक थे। Groww ने पिछले साल अक्टूबर में Zerodha को पछाड़ दिया था और तब से वह इस क्षेत्र में सबसे ऊपर बना हुआ है। NSE के डेटा के अनुसार, Groww ने पिछले साल में अपने यूजर बेस को लगभग दोगुना कर लिया है, जबकि Zerodha ने केवल 15 लाख नए यूजर्स जोड़े हैं।

Groww अन्य प्रमुख स्टॉक ब्रोकरों की स्थिति

Angel One, जो तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक ब्रोकर है, के पास 75 लाख (7.53 मिलियन) सक्रिय यूजर्स हैं और वह आने वाले महीनों में Zerodha को पीछे छोड़ सकता है। वहीं, Upstox चौथे स्थान पर है, जिसके पास पिछले महीने तक 28.52 लाख (2.85 मिलियन) यूजर्स थे। ICICI Direct 19.3 लाख (1.93 मिलियन) सक्रिय यूजर्स के साथ पांचवें स्थान पर है।

Pravin Jadhav द्वारा लॉन्च किया गया Dhan, जो अगस्त 2023 में Paytm Money को हटाकर टॉप 10 स्टॉकब्रोकर ऐप्स की सूची में शामिल हुआ, के पास अक्टूबर में 8.49 लाख (0.84 मिलियन) यूजर्स हैं।

नए प्लेटफार्म की एंट्री और बढ़ती प्रतिस्पर्धा

INDmoney और PhonePe का Share.Market भी टॉप 20 में अपनी जगह बना चुके हैं। INDmoney के पास अक्टूबर में 6.7 लाख (0.67 मिलियन) और PhonePe के Share.Market के पास 2.69 लाख (0.26 मिलियन) यूजर्स हैं।

वित्तीय प्रदर्शन में Zerodha का दबदबा

वित्तीय वर्ष 2024 में, Zerodha ने ₹8,370 करोड़ का राजस्व हासिल किया, जो इस क्षेत्र में सबसे अधिक है। इसके बाद Angel One का स्थान है, जिसने पिछले वित्त वर्ष में ₹4,272 करोड़ का राजस्व दर्ज किया। Zerodha ने ₹2,907 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि Angel One का मुनाफा ₹1,125 करोड़ रहा।

Groww ने भी FY24 में राजस्व में बड़ी छलांग लगाई और ₹3,145 करोड़ का ऑपरेशनल राजस्व दर्ज किया। हालाँकि, Groww को ₹805 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ, जिसका मुख्य कारण ₹1,340 करोड़ की एक बार की टैक्स पेमेंट थी जो भारत में अपने कार्यालय के पुन:स्थापन के लिए दी गई थी।

नए निवेशकों के साथ Groww का तेजी से विस्तार

Groww का तेजी से बढ़ता यूजर बेस भारतीय शेयर बाजार में इसके प्रभाव को दर्शाता है। कंपनी का मुख्य फोकस नए और युवा निवेशकों को शेयर मार्केट से जोड़ना है, जिससे यह एक प्रमुख डिजिटल स्टॉक ब्रोकर के रूप में उभर रही है। अक्टूबर महीने में 3.5 लाख नए यूजर्स जोड़ने का रिकॉर्ड दिखाता है कि भारतीय निवेशक अब पारंपरिक निवेश प्लेटफार्मों से डिजिटल और यूजर-फ्रेंडली विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

Angel One और Upstox भी मजबूत स्थिति में

Groww और Zerodha के बाद, Angel One और Upstox भी तेजी से अपने यूजर बेस को बढ़ा रहे हैं। Angel One के पास 75 लाख सक्रिय यूजर्स हैं और वह Zerodha को भी चुनौती दे सकता है। Upstox के पास भी 28.52 लाख यूजर्स का मजबूत आधार है, जिससे यह भारतीय शेयर बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है।

Dhan और Paytm Money का संघर्ष

Pravin Jadhav का Dhan, जिसने अगस्त में Paytm Money को पीछे छोड़ते हुए टॉप 10 में प्रवेश किया, भी तेजी से बढ़ रहा है। अक्टूबर तक इसके पास 8.49 लाख यूजर्स हो चुके हैं। Dhan का फोकस मोबाइल-फ्रेंडली इंटरफेस और ट्रांसपेरेंट फीस स्ट्रक्चर पर है, जिससे यह युवा निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है।

नए खिलाड़ी INDmoney और Share.Market की एंट्री

INDmoney और PhonePe का Share.Market हाल ही में टॉप 20 ब्रोकर ऐप्स में शामिल हुए हैं। डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवाओं में पहले से स्थापित PhonePe के नए प्लेटफार्म Share.Market का मकसद शेयर बाजार में भी अपनी जगह बनाना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए खिलाड़ी स्थापित कंपनियों के बीच अपनी जगह कैसे बनाते हैं।

वित्तीय क्षेत्र में कंपनियों के प्रदर्शन पर एक नजर

जहां Zerodha और Angel One ने वित्तीय वर्ष 2024 में शानदार मुनाफा दर्ज किया, वहीं Groww को अपने विस्तार और एक बार के टैक्स भुगतान के चलते नुकसान हुआ। Zerodha ने ₹8,370 करोड़ की राजस्व के साथ ₹2,907 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि Groww का ऑपरेशनल राजस्व ₹3,145 करोड़ तक पहुंचा, लेकिन इसे ₹805 करोड़ का घाटा सहना पड़ा।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Groww की रणनीति

Groww का फोकस यूजर एक्सपीरियंस को सरल और किफायती बनाने पर है। यह विशेष रूप से नई पीढ़ी के निवेशकों को आकर्षित करने में सफल हो रही है, जो पारंपरिक ब्रोकरों की तुलना में अधिक डिजिटल और लचीले विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा, Groww का एक बड़े यूजर बेस तक पहुंचना, इस क्षेत्र में इसकी स्थिरता और लंबी अवधि की योजनाओं को दर्शाता है।

निष्कर्ष

भारतीय स्टॉक ब्रोकरिंग उद्योग में Groww की तेजी से बढ़ती सक्रिय यूजर संख्या उसे प्रतिस्पर्धी लाभ दे रही है। इस तेजी के साथ, Groww ने Zerodha को पीछे छोड़ दिया है और अपनी पोजीशन को लगातार मजबूत कर रहा है।

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CoinSwitch की पैरेंट कंपनी PeepalCo को लगातार दूसरे साल गिरते राजस्व का सामना

CoinSwitch

CoinSwitch की पैरेंट कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में घटकर केवल ₹38 करोड़ (लगभग $4.56 मिलियन) रह गया, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष FY23 में ₹70.2 करोड़ (लगभग $8.41 मिलियन) था। यह आंकड़े PeepalCo द्वारा सिंगापुर में फाइल की गई कंसोलिडेटेड वित्तीय रिपोर्ट से प्राप्त हुए हैं। PeepalCo कंपनी दो मुख्य व्यवसाय संचालित करती है: क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग CoinSwitch के माध्यम से और इक्विटी ट्रेडिंग Lemonn के जरिये।

CoinSwitch एक वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) एक्सचेंज एग्रीगेटर के रूप में काम करता है, जो डिजिटल एसेट्स के खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता है। इसकी आय का मुख्य स्रोत यूजर्स और थर्ड-पार्टी VDA एक्सचेंजों के बीच लेनदेन की सेवा फीस से आता है। इसके साथ ही, यह एक इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज प्लेटफार्म भी संचालित करता है, जो VDA बाजार में बड़े वॉल्यूम वाले ट्रेडर्स और मार्केट मेकर्स को जोड़ने का काम करता है।

PeepalCo के वित्तीय प्रदर्शन पर नज़र डालें, तो कंपनी का अधिकांश राजस्व इन्वेस्टमेंट सेल्स, ब्याज आय, डिजिटल एसेट्स पर प्रोविज़न के रिवर्सल, और डिजिटल एसेट्स पर सामंजस्य (reconciliation) लाभ जैसी गैर-ऑपरेटिंग आय से आया। FY24 में इस गैर-ऑपरेटिंग आय की कुल राशि ₹149.13 करोड़ या $17.86 मिलियन रही।

CoinSwitch लगातार घटता ऑपरेटिंग रेवेन्यू:

PeepalCo के लिए लगातार गिरता ऑपरेटिंग रेवेन्यू एक चिंता का विषय है। FY23 में हुए बड़े झटके के बाद, FY24 में एक बार फिर इसके ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 46% की गिरावट देखी गई। PeepalCo के पास CoinSwitch और Lemonn के रूप में दो मुख्य व्यवसायिक शाखाएँ हैं, जो क्रिप्टो और इक्विटी ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, लेकिन दोनों ही बाजार की अनिश्चितताओं के चलते प्रभावित हुए हैं।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आए कई बदलाव और सरकार द्वारा किए गए नियामकीय (regulatory) हस्तक्षेपों ने इस क्षेत्र की ग्रोथ को धीमा कर दिया है। कई बार डिजिटल एसेट्स पर लगाई गई प्रतिबंधात्मक नीतियों के कारण एक्सचेंजों को ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट का सामना करना पड़ता है। इसके कारण CoinSwitch का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।

डिजिटल एसेट्स और निवेश से हुई गैर-ऑपरेटिंग आय:

हालांकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में गिरावट देखी गई, लेकिन PeepalCo की गैर-ऑपरेटिंग आय मजबूत रही। कंपनी ने डिजिटल एसेट्स के निवेश, ब्याज आय, प्रोविज़न रिवर्सल और सामंजस्य लाभ के माध्यम से ₹149.13 करोड़ ($17.86 मिलियन) की गैर-ऑपरेटिंग आय अर्जित की। यह आय कई मामलों में कंपनी के नुकसान को संतुलित करने में सहायक साबित हुई। PeepalCo के लिए यह एक संकेत है कि डिजिटल एसेट्स के मार्केट में निवेश और ब्याज आय पर ध्यान केंद्रित करने से कंपनी को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायता मिल सकती है।

भारतीय क्रिप्टो बाजार की चुनौतियाँ:

भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को लगातार सरकारी नीतियों और नियमों के बदलाव का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त रुख अपनाया है, जिसके परिणामस्वरूप CoinSwitch जैसे प्लेटफार्मों को प्रभावित होना पड़ा है। भारत में डिजिटल एसेट्स पर कराधान, बैंकिंग प्रतिबंध, और नियामकीय अस्पष्टता के चलते निवेशकों और व्यापारियों में अनिश्चितता बनी रहती है।

CoinSwitch के लिए चुनौती यह है कि वह अपनी मौजूदा ग्राहक आधार और निवेशक समुदाय के लिए वैकल्पिक आय के स्रोतों को कैसे विकसित कर सकता है। इसी के चलते कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में अपने डिजिटल एसेट्स की गैर-ऑपरेटिंग आय पर ध्यान केंद्रित किया है, जो कि लंबे समय तक आर्थिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकती है।

आगे की राह और संभावनाएँ:

भविष्य की योजनाओं को देखते हुए PeepalCo के लिए आवश्यक है कि वह अपनी ऑपरेटिंग आय को फिर से बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करे। इसके लिए कंपनी को बाजार में नए प्रोडक्ट्स और सेवाएं लानी होंगी और संभावित ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।

कंपनी को अपने ट्रेडिंग मॉडल में नवाचार लाने की जरूरत है ताकि वह मौजूदा कठिनाई भरे बाजार में भी टिक सकें। CoinSwitch को अपने मौजूदा ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के साथ-साथ उन ग्राहकों को लक्षित करना चाहिए जो डिजिटल एसेट्स में निवेश करने के इच्छुक हैं। इसके अलावा, कंपनी को अपने निवेश, ब्याज आय और सामंजस्य लाभ जैसे गैर-ऑपरेटिंग स्रोतों का भी सही ढंग से उपयोग करना होगा ताकि मुश्किल समय में वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

निष्कर्ष:

CoinSwitch की पैरेंट कंपनी PeepalCo के सामने FY23 और FY24 में लगातार घटते राजस्व का सामना करना पड़ा है। हालांकि कंपनी ने गैर-ऑपरेटिंग आय के माध्यम से अपने वित्तीय घाटे को संतुलित किया है, लेकिन दीर्घकालिक सफलता के लिए ऑपरेटिंग रेवेन्यू का फिर से स्थिर होना आवश्यक है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में मौजूद चुनौतियों और सरकारी नीतियों को देखते हुए PeepalCo को अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा।

अगर PeepalCo अपनी बाजार स्थितियों के अनुकूल रणनीतियाँ अपनाता है, तो यह उम्मीद की जा सकती है कि कंपनी भविष्य में भारतीय और वैश्विक डिजिटल एसेट्स बाजार में एक मजबूत और स्थायी उपस्थिति बना पाएगी।

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मैथ फोकस्ड एडटेक प्लेटफॉर्म Bhanzu ने जुटाए $16.5 मिलियन, US में विस्तार पर होगा फोकस

Bhanzu

हैदराबाद स्थित एडटेक स्टार्टअप Bhanzu ने अपने सीरीज B फंडिंग राउंड में $16.5 मिलियन (लगभग ₹137 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Epiq Capital और Z3 Partners ने किया है, जिसमें मौजूदा निवेशकों Lightspeed Ventures और Eight Roads ने भी भाग लिया। कंपनी ने कहा कि इस फंड का उपयोग US में विस्तार के लिए किया जाएगा। वर्तमान में Bhanzu का भारत के अलावा US, UK और मिडिल ईस्ट में भी विस्तार है।

सितंबर 2022 में, Bhanzu ने Eight Roads Ventures और अन्य निवेशकों से अपने सीरीज A राउंड में लगभग ₹119.8 करोड़ (लगभग $15 मिलियन) जुटाए थे। Entackr ने इस खबर को एक्सक्लूसिव रूप से रिपोर्ट किया था।

इस नए निवेश के साथ, Bhanzu की कुल फंडिंग $33 मिलियन से अधिक हो गई है। Bhanzu के सह-संस्थापक और CEO, नीलकंठ भानु ने बताया, “US का गणित शिक्षा बाजार बड़ी कंपनियों द्वारा शासित है, जिन्होंने अपने कोर्स में कोई खास इनोवेशन नहीं किया है और टेक्नोलॉजी को प्रभावी ढंग से अपनाया नहीं है। यह Bhanzu के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है ताकि हम US में गणित शिक्षा में क्रांति ला सकें।”

Bhanzu की स्थापना 2020 में हुई थी, और यह बच्चों को 5 से 16 वर्ष की उम्र के बीच एक्सपीरिएंशल मैथ लर्निंग कोर्स प्रदान करता है। कंपनी के अनुसार, अब तक 30,000 से अधिक छात्रों ने Bhanzu के कोर्स से ट्रेनिंग प्राप्त की है।

कंपनी का दावा है कि अपने पिछले फंडिंग राउंड के बाद से उसने 8 गुना वृद्धि दर्ज की है, सकारात्मक कैश फ्लो हासिल किया है, और जिस बाजार में यह संचालित होती है, वहां मजबूत प्रोडक्ट-मार्केट फिट पाया है।

Bhanzu ने वित्तीय वर्ष 2024 के अपने वार्षिक वित्तीय विवरण अभी तक फाइल नहीं किए हैं, लेकिन वित्तीय वर्ष 2023 में कंपनी ने अपना ऑपरेटिंग रेवेन्यू 13 गुना बढ़ाकर ₹47.33 करोड़ तक पहुंचा लिया था। हालाँकि, कंपनी के नुकसान भी इसी अवधि में लगभग 18 गुना बढ़कर ₹70.99 करोड़ तक पहुँच गए

Bhanzu के सीईओ नीलकंठ भानु ने बताया कि उनका लक्ष्य बच्चों के लिए गणित को सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि एक रोमांचक अनुभव बनाना है। उनका मानना है कि परंपरागत शिक्षा प्रणाली में जिस तरह से गणित पढ़ाया जाता है, उसमें छात्रों के अंदर इस विषय को लेकर डर पैदा होता है। Bhanzu ने अपने कोर्सेस को इस तरह डिजाइन किया है कि वे बच्चों के लिए न केवल रोचक हो, बल्कि उनकी तार्किक सोच और कॉग्निटिव एबिलिटी को भी बढ़ावा दें।

Bhanzu का US में विस्तार करना एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि वहां के गणित शिक्षा बाजार में अभी भी कई इनोवेशन की आवश्यकता है। यह बाजार बड़ी कंपनियों द्वारा शासित है, जो लंबे समय से पारंपरिक शिक्षण मॉडल पर ही निर्भर हैं। Bhanzu की योजना अपने एडवांस्ड कोर्स और टेक्नोलॉजी-आधारित शिक्षण मॉड्यूल के जरिए इस कमी को पूरा करने की है।

Bhanzu के कोर्स को विभिन्न उम्र और कौशल स्तरों के अनुसार तैयार किया गया है। इनमें बेसिक मैथ से लेकर एडवांस्ड प्रॉब्लम सॉल्विंग तक के कोर्स शामिल हैं। Bhanzu का उद्देश्य बच्चों को गणित के प्रति एक मजबूत समझ और रुचि विकसित करना है ताकि वे गणित को आसानी से समझ सकें और इसमें आगे बढ़ सकें। इसके कोर्स में बच्चों की क्रिएटिव और लॉजिकल थिंकिंग को बेहतर करने पर फोकस किया गया है।

Bhanzu के ताजे आंकड़ों के अनुसार, कंपनी ने फंडिंग के बाद से अब तक 8 गुना वृद्धि दर्ज की है। इसका मुख्य कारण इसकी तकनीकी रूप से सक्षम टीचिंग पद्धतियां हैं जो छात्रों को न केवल ऑनलाइन बल्कि ऑफलाइन भी आकर्षित करती हैं। Bhanzu के पास अपने हर मार्केट में एक मजबूत प्रोडक्ट-मार्केट फिट है, जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच इसका विश्वास बढ़ा है।

कंपनी के लिए चुनौती यह है कि वह कैसे अपने कोर्सेस को एक सस्टेनेबल मॉडल में परिवर्तित करे ताकि लंबे समय तक इसका असर बना रहे। इसके साथ ही, बढ़ते नुकसान को कम करना भी Bhanzu के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है। हालांकि, CEO नीलकंठ भानु का कहना है कि यह फेज कंपनी के विस्तार का एक हिस्सा है और आने वाले वर्षों में Bhanzu का लक्ष्य न केवल US बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी विस्तार करना है।

Bhanzu की तेजी से बढ़ती सफलता के बावजूद, भारतीय बाजार में इसे कई प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि Byju’s, Cuemath, और Vedantu, जो अलग-अलग आयु वर्गों और कौशल स्तरों के लिए विविध कोर्सेस प्रदान करते हैं। लेकिन Bhanzu का एक यूनिक सेलिंग पॉइंट इसकी गणित पर केंद्रित पद्धति है, जो इसे बाकी प्लेटफार्मों से अलग बनाती है।

नीलकंठ भानु ने कहा, “हमारी गणित शिक्षा की पद्धति छात्रों को केवल अंकगणित ही नहीं सिखाती, बल्कि उन्हें गणित की शक्ति और उसकी विविधताओं से अवगत कराती है। हमारा उद्देश्य है कि बच्चे गणित को एक कौशल के रूप में विकसित करें, जिससे वे जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी इसे उपयोग कर सकें।”

Bhanzu का मानना है कि गणित की बेहतर समझ बच्चों को न केवल परीक्षा में बल्कि रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान में भी सहायक होती है। इस प्रकार, कंपनी का ध्यान न केवल त्वरित परिणाम पर है, बल्कि दीर्घकालिक कौशल विकास पर भी है।

Bhanzu की US में विस्तार की रणनीति से यह संभावना है कि यह न केवल भारतीय एडटेक बाजार बल्कि ग्लोबल एडटेक बाजार में भी अपने लिए एक विशेष स्थान बनाएगी। Bhanzu का ध्यान अब शिक्षा को एक व्यावहारिक अनुभव बनाने पर है, ताकि गणित से बच्चे का जुड़ाव बचपन से ही मजबूत हो और वह जीवन भर लाभान्वित हो।

कुल मिलाकर, Bhanzu का यह सीरीज B फंडिंग राउंड इसके ग्लोबल विस्तार और नई संभावनाओं के दरवाजे खोलता है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि Bhanzu अपने शिक्षा मॉडल में कौन से और सुधार लाता है और कैसे वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में गणित शिक्षा में एक नई क्रांति लाने में सफल होता है।

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Amazon इंडिया ने FY24 में 25,000 करोड़ का राजस्व हासिल किया, नुकसान में 28% की कमी

Amazon

Amazon इंडिया ने FY24 में अपने मार्केटप्लेस सेवाओं के माध्यम से 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है और इसके साथ ही इसका एडजस्टेड EBITDA 588.6 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, फ्लिपकार्ट के मुकाबले इसकी टॉप-लाइन ग्रोथ (उपरी पंक्ति वृद्धि) अपेक्षाकृत धीमी रही, लेकिन राजस्व के मामले में इसने फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ दिया है।

ऑपरेशनल राजस्व में 14.5% की वृद्धि

Amazon India के ऑपरेशनल राजस्व में पिछले वर्ष के मुकाबले 14.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो FY23 में 22,198 करोड़ रुपये थी और FY24 में बढ़कर 25,406 करोड़ रुपये हो गई। इसका 82.4% राजस्व मार्केटप्लेस सेवाओं से आया, जबकि शेष राजस्व प्लेटफॉर्म सेवाओं, मार्केटिंग, और रॉयल्टी से प्राप्त हुआ। इसके अलावा, अमेज़न ने 186.8 करोड़ रुपये का गैर-ऑपरेशनल आय अर्जित किया, जिससे कुल राजस्व 25,592.8 करोड़ रुपये हो गया।

Amazon इंडिया की लागत और खर्च

Amazon इंडिया का मुख्य खर्च डिलीवरी चार्जेज रहा, जो कुल खर्च का 25.8% हिस्सा था। FY24 में यह खर्च 9.1% बढ़कर 7,487.9 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 6,863.1 करोड़ रुपये था। सेल्स प्रमोशन और कानूनी व पेशेवर शुल्क अन्य दो महत्वपूर्ण खर्च थे, जो कुल खर्च का लगभग 12% हिस्सा बनाते हैं। इन पर क्रमशः 3,586.1 करोड़ रुपये और 3,530.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

कंपनी ने कर्मचारियों के लाभों पर भी FY24 में 2,771.2 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से 682.7 करोड़ रुपये शेयर-आधारित भुगतान (ESOP) के थे। कुल मिलाकर, FY24 में अमेज़न इंडिया की कुल खर्च 6.5% बढ़कर 29,062.3 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 27,283.6 करोड़ रुपये थी।

अमेज़न के नुकसान में 28.5% की कमी

अमेज़न इंडिया ने FY24 में अपने नुकसान को 28.5% कम कर 3,469.5 करोड़ रुपये कर दिया, जो FY23 में 4,854.1 करोड़ रुपये था। इसके साथ ही, कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो भी सकारात्मक हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में -1,542.1 करोड़ रुपये था, वहीं इस वित्तीय वर्ष में यह 724.1 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।

फ्लिपकार्ट के मुकाबले टॉप-लाइन ग्रोथ में धीमापन

हालांकि अमेज़न इंडिया का राजस्व फ्लिपकार्ट से अधिक है, लेकिन टॉप-लाइन ग्रोथ में फ्लिपकार्ट ने इस वित्तीय वर्ष में बड़ी छलांग लगाई है। फ्लिपकार्ट का प्रमुख फोकस अपने मार्केटप्लेस और उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने पर रहा है, जिससे इसे अपने प्रतिस्पर्धी अमेज़न से अधिक विकास दर प्राप्त करने में मदद मिली।

अमेज़न इंडिया का भविष्य

हालांकि अमेज़न इंडिया के नुकसान में कमी आई है, लेकिन कंपनी को अभी भी भारतीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। फ्लिपकार्ट, जो कि Walmart के स्वामित्व में है, भी अपनी विस्तार योजनाओं में तेजी ला रहा है। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अमेज़न की मुख्य प्राथमिकता अपनी सेवाओं का विस्तार और लागत को नियंत्रित रखना है, ताकि कंपनी मुनाफा कमा सके और बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।

निष्कर्ष

अमेज़न इंडिया के लिए FY24 एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा है, जिसमें कंपनी ने अपने खर्च को नियंत्रित करते हुए राजस्व में वृद्धि की है। हालांकि, उसे फ्लिपकार्ट जैसे प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही है, लेकिन अपने ऑपरेशनल सुधारों और नए ग्राहक-अधिग्रहण रणनीतियों के जरिए कंपनी को उम्मीद है कि वह आने वाले वर्षों में अपने प्रदर्शन में और सुधार ला सकेगी।

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पुरुषों के sexual wellness brand Bold Care ने FY24 में कमाई बढ़ाई, लेकिन घाटे में वृद्धि

Bold Care

पुरुषों के यौन स्वास्थ्य उत्पादों का ब्रांड Bold Care ने दिसंबर पिछले वर्ष में Rs 40 करोड़ के वार्षिक राजस्व रन-रेट का दावा किया था और कंपनी ने FY24 में लगभग Rs 33 करोड़ का परिचालन राजस्व दर्ज किया। हालांकि, राजस्व वृद्धि के साथ ही कंपनी के घाटे में भी तेजी आई है, जो इसके विकास के लिए चुनौती बनकर उभर रही है।

परिचालन राजस्व में मामूली वृद्धि

Bold Care का परिचालन राजस्व पिछले वित्तीय वर्ष में 6.67% बढ़कर Rs 32.9 करोड़ हो गया, जो कि FY23 में Rs 30.90 करोड़ था। Bold Care पुरुषों के स्वास्थ्य और देखभाल के विभिन्न उत्पाद जैसे हेयर केयर, परफॉर्मेंस सप्लीमेंट्स और ओवरऑल हेल्थ सॉल्यूशन्स की पेशकश करता है। कंपनी का कारोबार मुख्य रूप से डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल पर आधारित है, जो थर्ड-पार्टी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस और अपनी वेबसाइट के माध्यम से बिक्री करता है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान तेल, स्नेहक, कंडोम और अन्य उत्पादों की बिक्री ही कंपनी की आय का मुख्य स्रोत थी।

घरेलू बाजार में मजबूत उपस्थिति, लेकिन विदेशी आय सीमित

Bold Care का लगभग सारा राजस्व भारत से आया, जबकि विदेशों में इसके संचालन ने FY24 में केवल Rs 30 लाख की आय जोड़ी। कंपनी के लिए भारतीय बाजार में उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाए रखना महत्वपूर्ण साबित हुआ है, लेकिन विदेशी बाजार में कंपनी का योगदान सीमित रहा है।

सामग्री लागत में कमी, परंतु प्रचार खर्च में वृद्धि

कंपनी के लिए सबसे बड़ा खर्च सामग्री की लागत थी, जो साल-दर-साल 10.71% घटकर FY24 में Rs 15.09 करोड़ रही। हालांकि, विज्ञापन और प्रचार खर्च में 11.09% की वृद्धि हुई और FY24 में यह Rs 14.02 करोड़ पर पहुँच गया। प्रचार पर बढ़ता खर्च यह दर्शाता है कि कंपनी अपनी ब्रांड पहचान को बढ़ाने और उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में भारी निवेश कर रही है।

कर्मचारियों के लाभ और कानूनी खर्च में वृद्धि

FY24 में Bold Care के कर्मचारियों पर लाभ खर्च 38.36% बढ़कर Rs 4.22 करोड़ हो गया। इसके साथ ही, कानूनी और पेशेवर खर्च में भी 41.35% की वृद्धि हुई है। इन खर्चों के बढ़ने के पीछे कंपनी के संचालन और कानूनी संरचना को मजबूत करने की जरूरत रही है, ताकि यह भविष्य में अधिक स्थिरता के साथ आगे बढ़ सके।

डिस्काउंट और ऑफर पर खर्च में वृद्धि

गौरतलब है कि कंपनी द्वारा दिए गए डिस्काउंट्स पर भी पिछले वित्तीय वर्ष में भारी खर्च हुआ, जिसमें 97.79% की वृद्धि हुई और यह Rs 2.69 करोड़ हो गया। यह वृद्धि कंपनी के उपभोक्ताओं को उत्पादों पर अधिक छूट देने और उनकी खरीदारी को प्रोत्साहित करने की रणनीति को दर्शाता है।

कुल खर्च और घाटे में बढ़ोतरी

FY24 में Bold Care का कुल खर्च Rs 53.9 करोड़ था, जो कंपनी के परिचालन से अर्जित राजस्व से अधिक है। बढ़े हुए खर्चों के कारण, कंपनी को अपने लाभ मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़ा है, जो इसकी वित्तीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण बनाता है।

कंपनी की भावी योजनाएँ

Bold Care अपने उत्पादों की मांग को बनाए रखने के लिए अपनी ब्रांडिंग और प्रचार पर अधिक ध्यान दे रही है। इसके साथ ही, कंपनी अपने खर्चों में संतुलन बनाते हुए नए बाजारों में विस्तार करने की दिशा में काम कर रही है। यदि कंपनी परिचालन लागतों को नियंत्रित करने में सफल होती है, तो यह अपने लाभ मार्जिन में सुधार कर सकती है और भारतीय बाजार में एक स्थायी उपस्थिति बनाए रख सकती है।

निष्कर्ष

FY24 में Bold Care ने अपनी आय में मामूली वृद्धि दर्ज की है, लेकिन बढ़ते प्रचार खर्च और अन्य खर्चों के कारण इसे घाटे का सामना करना पड़ा है। भारतीय बाजार में अपनी ब्रांड उपस्थिति को मजबूत करते हुए कंपनी को लागत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। कंपनी की रणनीति और उत्पाद नवाचार भविष्य में इसे विकास के अगले चरणों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

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