Equentis Wealth Advisory Services ने लॉन्च किया पहला एंजल फंड, 500 करोड़ रुपये का टारगेट

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Equentis Wealth Advisory Services ने अपना पहला कैटेगरी I अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF)एक्वेंटिस एंजल फंड लॉन्च किया है। इस फंड का उद्देश्य शुरुआती चरण के उच्च-विकास वाले भारतीय स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान करना है। 500 करोड़ रुपये (60 मिलियन डॉलर) का टारगेट कॉर्पस रखते हुए, यह फंड प्री-सीरीज A और ब्रिज-टू-सीरीज A राउंड में निवेश करेगा।


निवेश का दायरा और प्राथमिकता

  • निवेश सीमा: फंड प्रत्येक स्टार्टअप में 4-10 करोड़ रुपये (500K–1.2 मिलियन डॉलर) का निवेश करेगा।
  • प्रमुख फोकस: वे स्टार्टअप्स, जिनका टोटल एड्रेसेबल मार्केट (TAM) 8,000 करोड़ रुपये (1 बिलियन डॉलर) है और जो मजबूत विकास पथ पर हैं, इस फंड की प्राथमिकता में रहेंगे।
  • उद्योग क्षेत्र: रक्षा (डिफेंस), उपभोक्ता तकनीक (कंज्यूमर टेक), डीपटेक, लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी (लॉजिटेक), फिनटेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में कार्यरत स्टार्टअप्स को प्राथमिकता दी जाएगी।

फंड का लक्ष्य और रणनीति

18-24 महीनों में, एक्वेंटिस एंजल फंड का लक्ष्य 40-50 स्टार्टअप्स में निवेश करना है। यह फंड उन स्टार्टअप्स को सहयोग देगा जो ग्रोथ कैपिटल की आवश्यकता में हैं और अपने व्यवसाय को बड़े पैमाने पर विस्तारित करना चाहते हैं।

स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या और अवसर

  • ग्लोबल रैंकिंग: 2024 तक, भारत में 1,28,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जो इसे स्टार्टअप्स की संख्या के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बनाते हैं।
  • फंडिंग की स्थिति:
    • 2024 में भारतीय स्टार्टअप्स ने अब तक 10 बिलियन डॉलर से अधिक की फंडिंग जुटाई है।
    • यह अनुमान है कि वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 15 बिलियन डॉलर से अधिक पहुंच सकता है।
  • एंजल फंड्स की भागीदारी: कैटेगरी I AIF और वेंचर कैपिटल फंड्स (VCF) ने अकेले 1 बिलियन डॉलर से अधिक की इन्वेस्टर कमिटमेंट हासिल की है।

स्टार्टअप्स में निवेश का बढ़ता रुझान

भारतीय स्टार्टअप्स का प्रदर्शन

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विस्तार कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रों जैसे डिफेंस, एआई, फिनटेक, और कंज्यूमर टेक्नोलॉजी में इनोवेटिव आइडियाज पर काम करने वाले स्टार्टअप्स ने न केवल भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाई है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान स्थापित की है।

निवेशकों का दृष्टिकोण

निवेशकों के लिए शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स में निवेश करना अधिक आकर्षक हो रहा है। यह न केवल उच्च रिटर्न का वादा करता है, बल्कि इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने का एक प्रमुख माध्यम भी है।


एक्वेंटिस एंजल फंड: बदलाव की ओर एक कदम

उद्योगों को नई दिशा

एक्वेंटिस एंजल फंड भारत के विकासशील उद्योगों को नई दिशा देने का प्रयास कर रहा है। स्टार्टअप्स के लिए सही पूंजी और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए, यह फंड देश के आर्थिक और तकनीकी विकास में योगदान देगा।

उद्यमियों को मिलेगा समर्थन

भारत में उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यह फंड उद्यमियों को उनके विचारों को हकीकत में बदलने का अवसर प्रदान करेगा।


एंजल फंड्स का महत्व

स्टार्टअप्स की फंडिंग जरूरतें

  • शुरुआती चरण में स्टार्टअप्स को सबसे अधिक पूंजी की जरूरत होती है।
  • एंजल फंड्स उन्हें वह समर्थन प्रदान करते हैं, जिसकी मदद से वे अपने उत्पाद और सेवाओं को बेहतर बना सकते हैं।

रोजगार सृजन में योगदान

स्टार्टअप्स में निवेश का एक प्रमुख परिणाम यह भी है कि यह बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करता है।


फंड लॉन्च का व्यापक प्रभाव

नए स्टार्टअप्स के लिए अवसर

एक्वेंटिस का यह प्रयास नए स्टार्टअप्स के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस तरह के निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे, जिससे देश में तकनीकी और व्यावसायिक नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।


निष्कर्ष

एक्वेंटिस एंजल फंड का लॉन्च भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 500 करोड़ रुपये के टारगेट और विविध क्षेत्रों में निवेश की योजना के साथ, यह फंड न केवल उद्यमियों को सपोर्ट करेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में नवाचार और विकास को भी गति देगा।

उद्यमियों और निवेशकों के लिए, यह फंड एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां विचार, पूंजी और संभावनाएं एक साथ आएंगी। 2024 भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक संभावनाओं से भरा साल साबित हो रहा है, और ऐसे में एक्वेंटिस एंजल फंड का आगमन इस क्षेत्र को और मजबूती प्रदान करेगा।

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Zomato को 803 करोड़ GST Notice

Zomato Gst Notice

फूडटेक प्रमुख Zomato को केंद्रीय जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, ठाणे आयुक्तालय, महाराष्ट्र के संयुक्त आयुक्त से 803 करोड़ रुपये (लगभग 100 मिलियन डॉलर) का मांग नोटिस प्राप्त हुआ है।

गुरुवार को कंपनी को राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज से प्राप्त फाइलिंग के अनुसार, 29 अक्टूबर 2019 से 31 मार्च 2022 की अवधि के लिए 803 करोड़ रुपये की मांग आदेश जारी की गई। यह आदेश डिलीवरी शुल्क पर जीएसटी के भुगतान में चूक, ब्याज और दंड के संबंध में प्राप्त हुआ है।

मांग राशि में 401.7 करोड़ रुपये जीएसटी की मांग और 401.7 करोड़ रुपये ब्याज और दंड के रूप में शामिल हैं।

कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा, “हमें विश्वास है कि हमारे पास तथ्यों के आधार पर एक मजबूत मामला है, जिसे हमारे बाहरी कानूनी और कर सलाहकारों की राय का समर्थन प्राप्त है। कंपनी इस आदेश के खिलाफ उचित प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करेगी।”

12 दिसंबर को Zomato के शेयर 285.6 रुपये पर बंद हुए, और कंपनी का बाजार पूंजीकरण 2,75,614 करोड़ रुपये (लगभग 32.8 बिलियन डॉलर) था। इस जीएसटी मांग नोटिस का कंपनी के शेयरों पर प्रभाव पड़ सकता है।

हाल ही में, कंपनी ने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन्स प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए 1 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि जुटाई है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में ज़ोमैटो ने परिचालन राजस्व में 68.5% तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि दर्ज की, जो 2,848 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,799 करोड़ रुपये हो गई। सितंबर तिमाही में कंपनी ने शुद्ध लाभ में 4.8 गुना वृद्धि दर्ज करते हुए 176 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

इसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी स्विगी ने चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 3,601 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, लेकिन इसका शुद्ध घाटा 625 करोड़ रुपये था। हाल ही में सूचीबद्ध स्विगी के शेयर 507.6 रुपये पर बंद हुए, और इसका कुल बाजार पूंजीकरण 1,13,623 करोड़ रुपये (लगभग 13.5 बिलियन डॉलर) था।

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भाविश अग्रवाल ने अपने शेयर गिरवी रखे

भाविश अग्रवाल

भाविश अग्रवाल का नया कदम
ओला इलेक्ट्रिक के संस्थापक और प्रमोटर भाविश अग्रवाल ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप Krutrim SI Designs के लिए डेट फंडिंग जुटाने के उद्देश्य से अपने ओला इलेक्ट्रिक के शेयर गिरवी रखे हैं। यह फंडिंग डिबेंचर जारी करके जुटाई जा रही है।

भाविश अग्रवाल गिरवी रखे गए शेयरों का विवरण
ओला इलेक्ट्रिक के आंतरिक दस्तावेज़ों के अनुसार, भाविश अग्रवाल के पास ओला इलेक्ट्रिक के कुल 132.39 करोड़ शेयर हैं, जो कंपनी की 30.02% हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से 4.83 करोड़ शेयर (कंपनी के कुल इक्विटी का 1.10% और उनकी व्यक्तिगत हिस्सेदारी का 3.65%) गिरवी रखे गए हैं।

भाविश अग्रवाल ने 23 नवंबर को Axis Trustee और Krutrim Data Center Private Limited के साथ एक समझौता किया। इस समझौते के तहत Krutrim SI Designs द्वारा जारी डिबेंचर के लिए आश्वासन प्रदान किया गया।

Krutrim SI Designs की प्रगति
Krutrim SI Designs, जो एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप है, ने अब तक $75 मिलियन की फंडिंग जुटाई है और इस वर्ष यूनिकॉर्न क्लब (कंपनी का मूल्यांकन $1 बिलियन से अधिक) में शामिल हो गया है। इसके निवेशकों में Z47 (पूर्व में Matrix), Sarin Family और अन्य शामिल हैं।

ओला इलेक्ट्रिक की योजनाएं
भाविश अग्रवाल ने हाल ही में दिसंबर में 4,000 ओला इलेक्ट्रिक स्टोर्स खोलने की योजना का ऐलान किया। यह कदम कंपनी की बाजार में उपस्थिति बढ़ाने और उपभोक्ताओं तक अपनी पहुंच मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

ओला इलेक्ट्रिक का शेयर बाजार में प्रदर्शन भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कंपनी का शेयर वर्तमान में ₹91.79 पर ट्रेड कर रहा है और इसका कुल बाजार पूंजीकरण ₹40,487 करोड़ ($4.82 बिलियन) है।

ओला इलेक्ट्रिक का वित्तीय प्रदर्शन

  • Q2 FY25: कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹1,214 करोड़ रहा, जो Q1 FY25 के ₹1,644 करोड़ से 26% कम है।
  • वार्षिक वृद्धि: Q2 FY24 के ₹873 करोड़ की तुलना में, कंपनी ने 39% की सालाना वृद्धि दर्ज की।
  • शुद्ध घाटा: सितंबर तिमाही के दौरान, ओला इलेक्ट्रिक ने ₹495 करोड़ का शुद्ध घाटा पोस्ट किया।

AI और इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में तालमेल
ओला इलेक्ट्रिक और Krutrim SI Designs के बीच यह तालमेल दर्शाता है कि भाविश अग्रवाल भारतीय बाजार में AI और EV (इलेक्ट्रिक वाहन) के संयुक्त प्रयासों के जरिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। यह कदम ओला के बिजनेस मॉडल में इनोवेशन और टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन दृष्टिकोण को उजागर करता है।

AI स्टार्टअप के लिए फंडिंग की आवश्यकता
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते महत्व और प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, Krutrim SI Designs का फंड जुटाना आवश्यक था। यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने के बावजूद, स्टार्टअप को अपने प्रोजेक्ट्स और टेक्नोलॉजी के विकास के लिए अतिरिक्त पूंजी की जरूरत थी।

ओला इलेक्ट्रिक की चुनौतियां और भविष्य की राह
हालांकि ओला इलेक्ट्रिक भारतीय EV बाजार में अग्रणी है, लेकिन वित्तीय प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव और बढ़ती प्रतिस्पर्धा कंपनी के लिए चुनौतियां पेश कर रही हैं।

  • ऑपरेटिंग रेवेन्यू में गिरावट: तिमाही आधार पर गिरावट कंपनी के बिक्री और मार्केटिंग प्रयासों को पुनः मजबूत करने की आवश्यकता दर्शाती है।
  • शुद्ध घाटा: ₹495 करोड़ का घाटा कंपनी के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की मांग करता है।

दूसरी ओर, 4,000 नए स्टोर्स खोलने की योजना और नए उत्पादों के लॉन्च से कंपनी की बाजार में पकड़ मजबूत हो सकती है।

भारतीय EV बाजार में ओला का दबदबा
ओला इलेक्ट्रिक ने भारतीय EV बाजार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। कंपनी की बाजार रणनीतियां, जैसे कि अफोर्डेबल EV लॉन्च करना और तेज़ चार्जिंग नेटवर्क बनाना, उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रही हैं।

AI और EV का भविष्य
AI और EV का संयोजन अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी को परिभाषित करेगा। Krutrim SI Designs के AI समाधानों को ओला इलेक्ट्रिक के EV प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करना दोनों कंपनियों के लिए नए अवसर उत्पन्न कर सकता है।

निष्कर्ष
भाविश अग्रवाल का यह कदम उनके उद्यमशीलता दृष्टिकोण और टेक्नोलॉजी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। Krutrim SI Designs में निवेश और ओला इलेक्ट्रिक के विस्तार के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये दोनों कंपनियां भारतीय और वैश्विक बाजार में कैसे अपनी छाप छोड़ती हैं।

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HealthKart ने $153 मिलियन जुटाए, FY24 में ₹1,000 करोड़ का राजस्व पार

HealthKart

गुरुग्राम स्थित हेल्थ और न्यूट्रिशन ब्रांड HealthKart (HealthKart) ने 2024 की सबसे बड़ी फंडिंग राउंड्स में से एक में $153 मिलियन (₹1,270 करोड़) जुटाए। यह सेकेंडरी फंडिंग राउंड ChrysCapital और Motilal Oswal Alternates की अगुवाई में हुआ। फंडिंग के पीछे FY24 में कंपनी के शानदार प्रदर्शन और मुनाफे में बदलाव का मुख्य योगदान रहा।


HealthKart आर्थिक प्रदर्शन: FY24 में ₹1,000 करोड़ का राजस्व

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

  • HealthKart ने FY24 में ₹1,021 करोड़ का परिचालन राजस्व (Operational Revenue) हासिल किया।
  • कुल राजस्व ₹1,068.9 करोड़ रहा, जो FY23 के ₹851.8 करोड़ के मुकाबले 22.7% की वृद्धि है।
  • कंपनी ने ₹36 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जो FY23 के ₹164 करोड़ के नुकसान के मुकाबले बड़ा बदलाव है।

प्रमुख उत्पाद:

हेल्थकार्ट 8 न्यूट्रिशन ब्रांड्स का स्वामित्व और निर्माण करती है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. MuscleBlaze
  2. The Protein Zone
  3. TrueBasics
  4. HKVitals
  5. bGreen
  6. Nouriza
  7. Gritzo

राजस्व का स्रोत:

  • उत्पाद बिक्री: कुल राजस्व का 92.6%
    • FY24 में उत्पाद बिक्री से ₹990.3 करोड़ की आय, जो पिछले वर्ष से 22.6% अधिक है।
  • सेवाओं से आय: ₹30.6 करोड़, जिसमें 23.9% की वृद्धि
  • गैर-परिचालन राजस्व: ₹48 करोड़, जो FY23 के ₹19.4 करोड़ से 2.4 गुना अधिक है।

व्यय और लागत में संतुलन

प्रमुख खर्च:

  • सामग्री लागत: ₹494.5 करोड़, जो FY23 की तुलना में 14.9% अधिक है।
  • कर्मचारी लाभ: ₹120.6 करोड़ (ESOP लागत: ₹9.4 करोड़ सहित)।
    • इसमें 11.2% की वृद्धि
  • विज्ञापन खर्च: ₹188.8 करोड़ (FY23 के बराबर)।
  • अन्य खर्च: ₹228.3 करोड़।

कुल खर्च:

FY24 में हेल्थकार्ट के कुल खर्च मामूली 1.5% की वृद्धि के साथ ₹1,032.2 करोड़ पर रहा।


फंडिंग के उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं

फंडिंग का महत्व:

हेल्थकार्ट ने यह फंडिंग अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने, उत्पाद पोर्टफोलियो विस्तार, और मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जुटाई है।

नवाचार और विस्तार:

  • नई उत्पाद श्रृंखला: प्रोटीन सप्लीमेंट, मल्टीविटामिन्स, और हर्बल उत्पादों में नए लॉन्च।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास: ऑनलाइन मार्केटिंग और सेल्स में निवेश।
  • अंतरराष्ट्रीय विस्तार: दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व बाजारों में प्रवेश की योजना।

मार्केट ट्रेंड्स और हेल्थकार्ट की भूमिका

भारतीय न्यूट्रिशन मार्केट का विकास:

  • भारतीय हेल्थ और न्यूट्रिशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें फिटनेस और वेलनेस प्रोडक्ट्स की मांग उच्चतम स्तर पर है।
  • FY25 तक, इस सेक्टर के ₹40,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।

हेल्थकार्ट की रणनीति:

  • ब्रांड की उच्च गुणवत्ता और किफायती उत्पादों ने इसे उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाया है।
  • फिटनेस और वेलनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता को भुनाने की क्षमता।

कंपनी के लिए चुनौतियां और अवसर

चुनौतियां:

  • प्रतिस्पर्धा: बाजार में कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के बीच हेल्थकार्ट को अपनी पहचान बनाए रखनी होगी।
  • मूल्य निर्धारण दबाव: कच्चे माल की बढ़ती लागत और उपभोक्ताओं के लिए किफायती मूल्य बनाए रखना।

अवसर:

  • डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल: इस मॉडल के जरिए ब्रांड अपनी पहुंच और मुनाफे को बढ़ा सकता है।
  • टियर-2 और टियर-3 शहर: इन बाजारों में न्यूट्रिशन उत्पादों की बढ़ती मांग।

CEO का बयान

हेल्थकार्ट के CEO, सिद्धार्थ कपूर, ने कहा:

“हमारी प्राथमिकता हमारे ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाले न्यूट्रिशन उत्पाद उपलब्ध कराना है। यह फंडिंग हमें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगी। हम आने वाले वर्षों में भारतीय और वैश्विक बाजारों में अपना प्रभाव बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।”


निष्कर्ष

हेल्थकार्ट की यह उपलब्धि भारतीय न्यूट्रिशन इंडस्ट्री के विकास और संभावनाओं को दर्शाती है। अपने मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, ब्रांड वैल्यू, और भविष्य की योजनाओं के साथ, हेल्थकार्ट भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह और मजबूत करने के लिए तैयार है।

FY24 में हासिल किया गया ₹1,000 करोड़ का राजस्व और $153 मिलियन की फंडिंग न केवल हेल्थकार्ट के लिए बल्कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक प्रेरणा है।

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Swiggy का शानदार आईपीओ डेब्यू: पहले ही दिन शेयर में उछाल

Swiggy IPO

फूडटेक कंपनी Swiggy ने आज स्टॉक मार्केट में धमाकेदार एंट्री की, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 420 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट होकर 7.69% की बढ़त दर्ज की। Swiggy के आईपीओ का प्राइस बैंड 371-390 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था और इसकी कीमत 390 रुपये थी। शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद पहले ही दिन 7.69% का प्रीमियम देखने को मिला।

IPO के जरिए Swiggy ने जुटाए 4,499 करोड़ रुपये

Swiggy के आईपीओ को निवेशकों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी। IPO को 3.6 गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया, जिसमें 4,499 करोड़ रुपये की नई इश्यू और 17.51 करोड़ शेयरों की ओएफएस (ऑफर फॉर सेल) शामिल थी। ओएफएस के जरिए 6,828 करोड़ रुपये की रकम जुटाई गई।

Swiggy में निवेशकों का भारी मुनाफा

Swiggy का आईपीओ कई बड़े निवेशकों के लिए एक मजबूत निवेश साबित हुआ। Prosus, Accel, Elevation, Tencent, और SoftBank जैसे निवेशकों ने Swiggy में निवेश किया था। स्विग्गी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार, Prosus ने 9,055 करोड़ रुपये (लगभग 1.07 बिलियन डॉलर) का निवेश किया था और आईपीओ में 26,927 करोड़ रुपये (3.2 बिलियन डॉलर) का मुनाफा कमाया। इस तरह Prosus ने अपने निवेश पर 2.12 बिलियन डॉलर का लाभ हासिल किया है।

Tencent और SoftBank को भी हुआ अच्छा रिटर्न

Tencent ने Swiggy में लगभग 1,343 करोड़ रुपये का निवेश किया और आईपीओ में 3,166 करोड़ रुपये कमाए, यानी 2.35X रिटर्न मिला। इसी तरह, SoftBank और Tencent का निवेश क्रमशः 6,743 करोड़ रुपये ($800 मिलियन) और 3,165 करोड़ रुपये ($377 मिलियन) था, जो एक महत्वपूर्ण रिटर्न साबित हुआ। ये आंकड़े 390 रुपये के इश्यू प्राइस पर आधारित हैं, लेकिन स्टॉक की कीमत में बदलाव के साथ ये संख्या बदल सकती है।

Swiggy के IPO से कर्मचारियों को भी होगा बड़ा लाभ

Swiggy के IPO से कंपनी के लगभग 500 कर्मचारियों को भी बड़ा फायदा होगा। ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के माध्यम से कर्मचारियों को लगभग 9,000 करोड़ रुपये का लाभ मिलने की संभावना है। यह उनके लिए एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि साबित हो सकती है, जो उन्हें दीर्घकालिक विकास में मदद करेगी।

Swiggy का शेयर मार्केट में मजबूत प्रदर्शन

Swiggy का शेयर इस समय 445.45 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, जिससे कंपनी का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 99,745 करोड़ रुपये ($11.87 बिलियन) हो गया है। यह पिछली $10 बिलियन की वैल्यूएशन से 18.4% अधिक है, जो कंपनी ने अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस फाइलिंग के समय हासिल की थी।

CEO श्रीहर्ष माजेटी ने जताई Swiggy के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद

Swiggy के CEO श्रीहर्ष माजेटी ने कंपनी के भविष्य को लेकर आशावाद व्यक्त किया। लिस्टिंग सेरेमनी के दौरान माजेटी ने कहा, “हम अगले 3-5 वर्षों में बहुत मजबूत विकास की उम्मीद कर रहे हैं। हम अपने Instamart व्यवसाय के लिए भौगोलिक विस्तार और स्टोर नेटवर्क में वृद्धि कर रहे हैं।” कंपनी का इरादा है कि वह अपनी सेवाओं को और अधिक स्थानों तक पहुंचाए और Instamart के जरिए किराना डिलीवरी को नए स्तर तक ले जाए।

लिस्टिंग से पहले Swiggy ने जुटाए 600 मिलियन डॉलर

Swiggy की लिस्टिंग से पहले कंपनी ने कुछ बड़े एंकर निवेशकों से 600 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि जुटाई थी। इनमें BlackRock, Fidelity, SBI Mutual Fund, ICICI Prudential Mutual Fund, HSBC, Nomura, BNP Paribas, और Allianz Global जैसे प्रमुख संस्थागत निवेशक शामिल थे। इन निवेशकों का समर्थन Swiggy के मजबूत बिजनेस मॉडल और उसके विकास की संभावनाओं पर भरोसे को दर्शाता है।

प्रतिद्वंद्वी Zomato से मार्केट कैप में पीछे

Swiggy का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी Zomato है, जिसका बाजार पूंजीकरण इस समय 27.23 बिलियन डॉलर है, जो Swiggy की वर्तमान मार्केट कैप से लगभग दोगुना है। Swiggy और Zomato के बीच यह मुकाबला भारतीय फूड डिलीवरी बाजार में ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

Swiggy का आईपीओ भारत के टेक और फूड डिलीवरी सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। यह न केवल कंपनी के निवेशकों के लिए लाभदायक रहा, बल्कि कंपनी के कर्मचारियों और इसके बिजनेस विस्तार के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

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Checkout Weekly Funding Report: 07-12 Oct

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बीते सप्ताह में भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग ₹1,100 करोड़ का फंडिंग जुटाई। इस दौरान 32 स्टार्टअप्स ने फंडिंग प्राप्त की, जिनमें 4 ग्रोथ-स्टेज डील्स और 22 अर्ली-स्टेज डील्स शामिल हैं। 6 स्टार्टअप्स ने अपने फंडिंग डिटेल्स को सार्वजनिक नहीं किया। पिछले सप्ताह 21 स्टार्टअप्स ने $92.63 मिलियन का फंडिंग हासिल किया था।

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ग्रोथ-स्टेज डील्स में Zypp Electric और Haber ने बाजी मारी

ग्रोथ-स्टेज फंडिंग के मामले में चार स्टार्टअप्स ने $55.8 मिलियन का फंड जुटाया। इनमें इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स बनाने वाली कंपनी Haber ने सबसे बड़ा फंड जुटाया, जो $38 मिलियन था। इसके अलावा, Spry Therapeutics, जो एक SaaS प्लेटफ़ॉर्म है, ने $15 मिलियन की फंडिंग जुटाई। इसके बाद एरियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म Aereo और फार्मास्युटिकल पैकेजिंग स्टार्टअप Sorich Foils ने क्रमशः $1.8 मिलियन और $1 मिलियन की फंडिंग प्राप्त की।

Zypp Electric: EV-as-a-service प्लेटफ़ॉर्म की जबरदस्त वृद्धि

2017 में स्थापित, Zypp Electric एक EV-as-a-service प्लेटफ़ॉर्म है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटरों को किराए पर देकर डिलीवरी सेवाएं प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य गिग वर्कर्स को सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल ट्रांसपोर्ट सेवाएं प्रदान करना है। कंपनी के पास फिलहाल 22,000 सक्रिय वाहन हैं, जिनमें से 15,000 दिल्ली-NCR में, 4,000 बेंगलुरु में और 1,200 मुंबई में हैं। Zypp Electric की कुल आय $293 करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी से अधिक है।

अर्ली-स्टेज डील्स में Bumtum, UrjaMobility, और अन्य

अर्ली-स्टेज फंडिंग में 22 स्टार्टअप्स ने $78.62 मिलियन की फंडिंग जुटाई। इनमें डायपर ब्रांड Bumtum ने सबसे अधिक फंडिंग प्राप्त की, उसके बाद इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप UrjaMobility, वैक्यूम और प्रोसेस सॉल्यूशंस प्रोवाइडर Economy Process Solutions, स्पेस-टेक फर्म XDLINX, और डेंटल केयर प्लेटफ़ॉर्म Dezy ने भी फंड जुटाया।

इसके अलावा, Jivi, Suraasa, Adloggs, Humm Care, A4 Hospital, और Deftouch ने भी फंडिंग प्राप्त की, लेकिन उन्होंने अपने फंडिंग विवरण का खुलासा नहीं किया।

शहर और क्षेत्र-आधारित डील्स

अगर शहरों की बात करें, तो इस सप्ताह बेंगलुरु से 11 डील्स हुईं, जिसके बाद दिल्ली-NCR, मुंबई, पुणे, और कोयंबटूर जैसे शहरों का नंबर आता है। वहीं, क्षेत्रवार स्टार्टअप्स में Healthtech स्टार्टअप्स ने 5 डील्स के साथ टॉप स्थान पर कब्जा किया। SaaS, E-commerce, Fintech, Media and Entertainment, Edtech, और Robotics स्टार्टअप्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

Weekly Funding Report: Fundingraised

इस सप्ताह स्टार्टअप फंडिंग में 45.11% की वृद्धि देखी गई। पिछले सप्ताह के मुकाबले, इस बार फंडिंग $92.63 मिलियन से बढ़कर $134.42 मिलियन हो गई। औसतन, पिछले आठ हफ्तों में स्टार्टअप्स ने हर हफ्ते लगभग $358.15 मिलियन की फंडिंग जुटाई है।

फंड लॉन्च और प्रमुख नियुक्तियां

D2C कम्युनिटी D2C Insider ने ₹25 करोड़ के Super Angels Fund की घोषणा की। इसके अलावा, LC Nueva Investment Partners ने ₹150 करोड़ का LC Nueva Momentum Fund लॉन्च किया। वहीं, Northern Arc ने ₹1,500 करोड़ का Finserv Fund लॉन्च किया।

प्रमुख नियुक्तियों में इस सप्ताह Evenflow, Oyo, और अन्य कंपनियों ने सीनियर मैनेजमेंट में कई नई भर्तियां की हैं। दूसरी ओर, Orios Venture Partners के CFO और CEO गौरव बिंदल, Zomato के स्वतंत्र निदेशक गुंजन सोनी, और Menhood के कॉम्प्लायंस अधिकारी ने इस्तीफा दिया।

अधिग्रहण और ESOP बायबैक

इस सप्ताह तीन प्रमुख अधिग्रहण हुए, जिनमें Ozonetel ने CloudConnect Communications का अधिग्रहण किया, eBikeGo ने Varcas Automobiles को खरीदा, और Exicom ने Tritium को अधिग्रहित किया।

इसके अलावा, Whatfix ने अपने कर्मचारियों और निवेशकों के लिए $58 मिलियन का ESOP कार्यक्रम शुरू किया। Winzo ने भी अपना चौथा ESOP लिक्विडेशन राउंड पूरा किया।

Indian Startups शटडाउन और छंटनी

इस सप्ताह, प्लग-एंड-प्ले प्लेटफार्म Toplyne ने अपने ऑपरेशंस को बंद करने और निवेशकों को उनकी पूंजी वापस करने की घोषणा की। इसके साथ ही, टू-व्हीलर मार्केटप्लेस BeepKart ने 60-70 कर्मचारियों की छंटनी की सूचना दी।

इस सप्ताह, कई स्टार्टअप्स ने अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की। Servify ने FY24 में ₹755 करोड़ की आय दर्ज की, जबकि Kuku FM ने ₹88 करोड़ की आय के साथ मार्केटिंग में ₹100 करोड़ खर्च किए। Pine Labs ने ₹1,384 करोड़ की आय और तीन गुना बढ़े हुए घाटे की रिपोर्ट दी।

निष्कर्ष

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में इस सप्ताह फंडिंग गतिविधियों में काफी तेजी आई। Zypp Electric और Haber जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर फंडिंग जुटाई, जिससे यह साफ होता है कि भारत में स्टार्टअप्स की बढ़ती मांग और निवेशकों का भरोसा जारी है।

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Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Top 20 Failed स्टार्टअप्स

यहां भारत की शीर्ष 20 असफल स्टार्टअप्स का एक संक्षिप्त विवरण है, जिन्हें उनके समय में बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू किया गया था, लेकिन किसी न किसी कारण से विफल रहीं:

Top 20 Failed स्टार्टअप्स List

AskMe
एक लोकल सर्च इंजन जो सेवाओं, शॉपिंग और अन्य जरूरतों के लिए जानकारी देता था। फंडिंग की कमी और प्रबंधन विवादों के चलते 2016 में बंद हो गया।

TinyOwl
फूड डिलीवरी ऐप जिसने 2014 में बड़े जोर-शोर से शुरुआत की। लेकिन ऑपरेशनल खर्चों और खराब प्रबंधन के चलते इसे 2016 में बंद करना पड़ा।

Stayzilla
होमस्टे और बजट होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म जिसने एयरबीएनबी जैसी सेवा देने की कोशिश की। फंडिंग और कानूनी विवादों के चलते 2017 में बंद हो गया।

Dazo
पहले TapCibo के नाम से शुरू किया गया यह फूड डिलीवरी स्टार्टअप 2015 में बंद हो गया, क्योंकि यह जोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी कंपनियों से मुकाबला नहीं कर पाया।

Zeppery
फूड प्री-ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म जो 2015 में लॉन्च हुआ था। लेकिन इसे पर्याप्त ग्राहक आधार नहीं मिला और यह जल्द ही बंद हो गया।

Peppertap
एक ग्रोसरी डिलीवरी ऐप, जिसने ग्रोफर्स और बिगबास्केट जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की। लॉजिस्टिक्स की समस्याओं और ज्यादा खर्चों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Frankly.me
एक वीडियो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म जो सेलेब्रिटी और फैंस को जोड़ने का प्रयास करता था। पर्याप्त यूजर एंगेजमेंट नहीं होने के कारण 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

Tazzo
इलेक्ट्रिक बाइक रेंटल स्टार्टअप, जो 2016 में शुरू हुआ था। निवेश की कमी और खराब स्केलेबिलिटी के चलते जल्द ही इसका संचालन रुक गया।

Fashionara
एक फैशन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जिसने Myntra और Jabong जैसी कंपनियों से मुकाबला किया। लेकिन प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समस्याओं के कारण 2016 में बंद हो गया।

Shotang
यह बी2बी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस था, जो रिटेलर्स और वितरकों को जोड़ता था। लेकिन खराब बिजनेस मॉडल और संचालन की समस्याओं के चलते यह 2017 में बंद हो गया।
Yumist
फूड डिलीवरी स्टार्टअप जो ऑफिस और घर के लिए किफायती, घरेलू खाना देने की सेवा प्रदान करता था। 2017 में इसे ऑपरेशनल खर्चों और प्रतिस्पर्धा के चलते बंद करना पड़ा।

StayGlad
ऑन-डिमांड ब्यूटी और ग्रूमिंग सर्विसेज ऐप, जिसने ब्यूटीशियनों को ग्राहकों के घर भेजने का कॉन्सेप्ट पेश किया। लेकिन ज्यादा ऑपरेशनल खर्चों और मार्केट की समझ की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Finomena
यह एक फिनटेक स्टार्टअप था, जो युवा प्रोफेशनल्स को बिना क्रेडिट स्कोर के लोन देने की सुविधा प्रदान करता था। फंडिंग की कमी और खराब क्रेडिट रिकवरी के कारण 2018 में इसे बंद करना पड़ा।

Zupermeal
होम-कुक्ड फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म, जो घरों में बने खाने को ग्राहकों तक पहुंचाता था। लेकिन Swiggy और Zomato जैसी बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के कारण 2016 में बंद हो गया।

MonkeyBox
बच्चों के लिए हेल्दी लंच बॉक्स डिलीवरी स्टार्टअप था। अच्छे कॉन्सेप्ट के बावजूद यह कस्टमर बेस बढ़ाने में नाकाम रहा और 2018 में बंद हो गया।

Roder
कैब एग्रीगेटर जो छोटे शहरों में ओला और उबर जैसी सेवाओं को चुनौती देने के लिए आया था। लेकिन बड़े ब्रांड्स से प्रतिस्पर्धा और फंडिंग की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Grabhouse
बिना ब्रोकर के किराए पर घर लेने का प्लेटफॉर्म था। हालांकि आइडिया अच्छा था, लेकिन बिजनेस मॉडल और मार्केट की चुनौतियों की वजह से 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

iTiffin
हेल्दी टिफिन सेवा देने वाला यह स्टार्टअप हेल्थ कॉन्शियस लोगों को टारगेट कर रहा था। लॉजिस्टिक्स और बढ़ते खर्चों के चलते 2016 में यह बंद हो गया।

Taskbob
ऑन-डिमांड होम सर्विसेज प्लेटफॉर्म, जो घर के छोटे-मोटे कामों जैसे इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर आदि की सेवाएं देता था। बाजार में पैठ न बना पाने के कारण 2017 में इसे बंद करना पड़ा।

GoZoomo
यह एक पीयर-टू-पीयर यूज्ड कार मार्केटप्लेस था। फंडिंग की कमी और व्यवसायिक चुनौतियों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Top 20 स्टार्टअप विफलता के कारण?

स्टार्टअप की विफलता के कई कारण होते हैं, और हर स्टार्टअप का अनुभव अलग हो सकता है। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जिनकी वजह से स्टार्टअप्स असफल हो जाते हैं। आइए देखें कुछ मुख्य कारण:

1. मार्केट की मांग न समझ पाना

कई स्टार्टअप्स ऐसे प्रोडक्ट या सेवाएं पेश करते हैं जिनकी बाजार में सही मांग नहीं होती। ग्राहकों की समस्याओं को सही से पहचान न पाने के कारण उनकी पेशकश बेअसर हो जाती है।

2. पूंजी और फंडिंग की कमी

स्टार्टअप को बढ़ने और स्केल करने के लिए पर्याप्त पूंजी की जरूरत होती है। कई स्टार्टअप्स को समय पर निवेश नहीं मिल पाता, या वे तेजी से अपने पैसे खत्म कर देते हैं, जिससे उन्हें अपना संचालन बंद करना पड़ता है।

3. गलत बिजनेस मॉडल

यदि स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल सही नहीं होता या वो मुनाफे वाला नहीं होता, तो कंपनी लंबे समय तक टिक नहीं पाती। ऐसे मॉडल जो फंडिंग के बिना खुद को सस्टेन नहीं कर सकते, अक्सर असफल हो जाते हैं।

4. कड़ी प्रतिस्पर्धा

कई स्टार्टअप्स बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिनके पास अधिक संसाधन, ग्राहक आधार और मार्केट एक्सपर्टीज होती है। इससे नई कंपनियों के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल हो जाता है।

5. प्रोडक्ट का खराब निष्पादन

कई बार प्रोडक्ट या सेवा का आईडिया अच्छा होता है, लेकिन उसे सही से डिलीवर या निष्पादित नहीं किया जाता। इससे ग्राहकों की संतुष्टि नहीं होती और स्टार्टअप की छवि खराब हो जाती है।

6. कमजोर टीम

एक स्टार्टअप की सफलता उसकी टीम पर निर्भर करती है। यदि टीम में स्किल्स की कमी हो या आपस में तालमेल न हो, तो यह कंपनी के लिए विनाशकारी हो सकता है। खराब नेतृत्व या प्रबंधन भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

7. लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल समस्याएं

कई स्टार्टअप्स के पास अपने ऑपरेशंस को ठीक से मैनेज करने की क्षमता नहीं होती, जैसे डिलीवरी में देरी, खराब सप्लाई चैन, या ग्राहकों की सही सेवा न कर पाना। इससे ग्राहक असंतुष्ट हो जाते हैं।

8. मार्केटिंग और ग्राहक अधिग्रहण की रणनीति की कमी

स्टार्टअप्स के लिए ग्राहकों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। सही मार्केटिंग रणनीति न होने के कारण वे अपने टारगेट ऑडियंस तक नहीं पहुंच पाते।

9. बाजार में बदलाव

कई बार बाजार में अचानक बदलाव आते हैं—नई टेक्नोलॉजी, सरकारी नीतियां, या बदलते ट्रेंड्स—जिससे स्टार्टअप्स अपने बिजनेस मॉडल को एडजस्ट नहीं कर पाते और असफल हो जाते हैं।

10. लीगल और रेगुलेटरी चुनौतियां

कानूनी समस्याएं या सरकारी नियमों में बदलाव भी कई बार स्टार्टअप्स के लिए बड़ी चुनौती बन जाते हैं। सही कानूनी सलाह न मिलने या रेगुलेटरी बाधाओं के चलते कई स्टार्टअप्स को बंद करना पड़ता है।

इन कारणों से यह स्पष्ट है कि स्टार्टअप की सफलता केवल एक अच्छे आइडिया पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसे सही तरह से निष्पादित करना और मार्केट की मांग के अनुसार ढलना भी जरूरी होता है।

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पाइन लैब्स का भारतीय यूनिट: राजस्व स्थिर, लेकिन FY24 में तीन गुना बढ़े नुकसान

पाइन लैब्स

नई दिल्ली स्थित मर्चेंट कॉमर्स और पेमेंट्स प्लेटफ़ॉर्म पाइन लैब्स ने वित्तीय वर्ष 2024 में अपने राजस्व में मामूली वृद्धि दर्ज की, लेकिन इस अवधि के दौरान कंपनी के घाटे में तीन गुना वृद्धि हुई। कंपनी ने FY24 में 1,317 करोड़ रुपये का परिचालन राजस्व कमाया, जो पिछले वर्ष FY23 में 1,281 करोड़ रुपये था। हालांकि, कंपनी की आमदनी में मामूली वृद्धि के बावजूद, उसके नुकसान में भारी इजाफा देखा गया।

कंपनी का परिचालन राजस्व और मुख्य स्रोत

Pine Labs के भारतीय यूनिट का मुख्य राजस्व स्रोत ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग और सेटलमेंट रहा, जो इसके कुल परिचालन राजस्व का 61% हिस्सा बनाता है। इस श्रेणी से FY24 में कंपनी ने 805 करोड़ रुपये कमाए, जो FY23 के मुकाबले मात्र 1.5% की वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, कंपनी ने पेट्रोलियम आउटलेट्स पर प्रदान की गई डिजिटल सेवाओं से 67 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।

पाइन लैब्स अपने गिफ्टिंग समाधानों के लिए भी जाना जाता है, जो Qwikcilver, Pine Perks और Google Wallet के माध्यम से ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करता है। हालांकि, इस श्रेणी से आय में FY24 में 44.5% की भारी गिरावट आई, जिससे यह घटकर 111 करोड़ रुपये रह गई।

राजस्व में गिरावट और अन्य स्रोत

कंपनी ने डिवाइस बिक्री, प्लास्टिक कार्ड और अन्य साधनों से भी आय अर्जित की, जिससे उसका कुल राजस्व FY24 में 1,384 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि FY23 में यह आंकड़ा 1,328 करोड़ रुपये था। लेकिन इसके बावजूद, कंपनी के प्रमुख गिफ्टिंग समाधानों की आय में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा।

बढ़ते नुकसान: प्रमुख कारण

पाइन लैब्स के नुकसान में तीन गुना वृद्धि एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। कंपनी ने FY23 की तुलना में FY24 में अपने घाटे को बढ़ते हुए देखा, जो इसके परिचालन व्यय में वृद्धि और राजस्व वृद्धि में ठहराव का परिणाम हो सकता है। कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने लाभ मार्जिन में सुधार करना और खर्चों को नियंत्रण में रखना होगी।

संस्थापक और कंपनी की यात्रा

पाइन लैब्स की स्थापना 1998 में रजुल गर्ग द्वारा की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को डिजिटल पेमेंट समाधान प्रदान करना था। समय के साथ, कंपनी ने अपने उत्पादों और सेवाओं का विस्तार किया और आज यह भारत के सबसे प्रमुख मर्चेंट पेमेंट और गिफ्टिंग समाधान प्लेटफ़ॉर्म में से एक है।

वित्तीय प्रदर्शन और चुनौतियाँ

पाइन लैब्स के वित्तीय प्रदर्शन को देखें तो FY24 में कंपनी ने अपने परिचालन राजस्व में मामूली वृद्धि दर्ज की है, लेकिन इसकी लागत और अन्य वित्तीय चुनौतियों ने कंपनी के लाभ पर भारी दबाव डाला है। कंपनी को अपने खर्चों का प्रबंधन करने और नए राजस्व स्रोतों की पहचान करने की आवश्यकता है ताकि वह वित्तीय स्थिरता प्राप्त कर सके।

भविष्य की संभावनाएं

पाइन लैब्स के सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद, कंपनी के पास भविष्य में उन्नति के कई अवसर हैं। भारत में डिजिटल पेमेंट्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, और कंपनी इस उभरते बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए पाइन लैब्स को अपने मौजूदा उत्पादों और सेवाओं को और बेहतर बनाना होगा, साथ ही नए तकनीकी समाधानों को अपनाकर ग्राहकों की बदलती मांगों को पूरा करना होगा।

कंपनी के उत्पाद और सेवाएं

पाइन लैब्स न केवल पेमेंट प्रोसेसिंग समाधान प्रदान करती है, बल्कि इसके गिफ्टिंग समाधान भी काफी लोकप्रिय हैं। Qwikcilver और Pine Perks के माध्यम से, कंपनी कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत ग्राहकों को गिफ्ट कार्ड और वाउचर समाधान प्रदान करती है। कंपनी ने डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए लगातार नए उत्पाद और सेवाएं विकसित की हैं।

सकारात्मक और नकारात्मक पहलू

सकारात्मक पहलू: पाइन लैब्स के राजस्व में मामूली वृद्धि यह दर्शाती है कि कंपनी का व्यवसाय स्थिर है। इसके गिफ्टिंग समाधान और पेट्रोलियम आउटलेट्स में डिजिटल सेवाएं इसे अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग करती हैं।

नकारात्मक पहलू: कंपनी के नुकसान में भारी वृद्धि ने इसके वित्तीय स्वास्थ्य पर सवाल खड़े किए हैं। इसके अलावा, गिफ्टिंग समाधानों से आय में गिरावट से कंपनी की भविष्य की रणनीतियों पर भी असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

पाइन लैब्स, जो भारतीय मर्चेंट कॉमर्स और पेमेंट्स सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी है, को FY24 में कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, कंपनी के पास अपनी तकनीकी क्षमताओं और विविध सेवाओं के बल पर आने वाले वर्षों में वित्तीय स्थिरता और मुनाफे की ओर बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। कंपनी को खर्चों पर नियंत्रण रखते हुए नए अवसरों की तलाश करनी होगी ताकि यह प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।

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Fairwork India Ratings 2024 रिपोर्ट :ओला, उबर और पोर्टर ने गिग वर्कर्स के लिए काम करने की स्थिति में सबसे निचला स्थान पाया

Fairwork India Ratings 2024

भारतीय प्लेटफॉर्म इकोनॉमी में काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। हाल ही में जारी की गई Fairwork India Ratings 2024 के अनुसार, ओला, उबर, और लॉजिस्टिक्स कंपनी पोर्टर ने गिग वर्कर्स के लिए कार्य स्थितियों में सबसे कम अंक हासिल किए हैं। यह रिपोर्ट भारतीय गिग इकोनॉमी में श्रम मानकों की कमी और इसमें सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

According to the recently released Fairwork India Ratings 2024, Ola, Uber, and logistics company Porter have received the lowest scores in terms of working conditions for gig workers in the Indian platform economy. This report highlights the challenging situation faced by gig workers in the Indian platform economy, emphasizing the need for improvement in labor standards.

Fairwork India Ratings का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स की कार्य स्थितियों का आकलन करना है। इस रिपोर्ट में 11 प्रमुख प्लेटफॉर्म्स का मूल्यांकन किया गया, जिनमें लॉजिस्टिक्स, फूड डिलीवरी, और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी कंपनियाँ शामिल हैं। इनमें अमेजन फ्लेक्स, बिगबास्केट, ब्लूस्मार्ट, Flipkart,ओला, पोर्टर, स्विगी, उबर, अर्बन कंपनी, जेप्टो और जोमाटो जैसी कंपनियों का विश्लेषण किया गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, ओला, उबर, और पोर्टर ने गिग वर्कर्स के लिए सबसे खराब प्रदर्शन किया है, जबकि बिगबास्केट, स्विगी, अर्बन कंपनी और जोमाटो ने बेहतर अंक प्राप्त किए हैं। इन चार कंपनियों ने 6 अंक हासिल किए, जो कि Fairwork Index में सबसे अच्छा स्कोर है।

Fairwork India Team और रिपोर्ट का प्रकाशन

इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरु (IIIT-B) के Centre for IT and Public Policy (CITAPP) द्वारा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से प्रकाशित किया गया है। Fairwork India Team का नेतृत्व करते हुए, इस रिपोर्ट ने भारत के गिग वर्कर्स की वास्तविक स्थिति और उनके अधिकारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कई कंपनियों में श्रम मानकों की कमी है और उन्हें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

गिग वर्कर्स के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियाँ

गिग वर्कर्स, जोकि अस्थायी या कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित कार्य करते हैं, उनके पास अक्सर स्थायी कर्मचारियों के समान अधिकार नहीं होते। उन्हें सामान्य रूप से स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक सुरक्षा, या अन्य प्रकार की सुरक्षा नहीं मिलती, जो एक स्थायी कर्मचारी को मिलती है। खासकर ओला, उबर, और पोर्टर जैसी कंपनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए यह स्थिति और भी गंभीर है।

रिपोर्ट के अनुसार सुधार की आवश्यकता

Fairwork India की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की प्लेटफॉर्म इकोनॉमी में कार्यरत गिग वर्कर्स के लिए श्रम मानकों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि कंपनियों को गिग वर्कर्स के लिए न्यूनतम वेतन, स्वास्थ्य बीमा, और अन्य सुरक्षा उपायों की पेशकश करनी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, बिगबास्केट, स्विगी, अर्बन कंपनी, और जोमाटो ने अपने वर्कर्स के लिए बेहतर कामकाजी स्थिति प्रदान की है, जिससे इन कंपनियों को Fairwork Index में शीर्ष स्थान मिला है। इन कंपनियों ने श्रम मानकों और अधिकारों के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसके परिणामस्वरूप इन्हें उच्च अंक प्राप्त हुए।

कंपनियों की प्रतिक्रिया

हालांकि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुछ कंपनियों ने अपने गिग वर्कर्स के लिए बेहतर उपाय किए हैं, लेकिन ओला, उबर, और पोर्टर जैसे प्लेटफॉर्म्स को अपनी कार्य स्थितियों में सुधार करने की आवश्यकता है। इन कंपनियों ने अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उम्मीद है कि रिपोर्ट के बाद ये कंपनियाँ अपने गिग वर्कर्स की स्थिति सुधारने के लिए कुछ कदम उठाएंगी।

कंपनी का परिचय और संस्थापक

Ola और Uber जैसी कंपनियाँ दुनिया भर में लोकप्रिय मोबिलिटी प्लेटफॉर्म्स हैं, जो कैब सेवा प्रदान करती हैं। Ola की स्थापना 2010 में भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी ने की थी, जबकि Uber की स्थापना 2009 में Garrett Camp और Travis Kalanick ने की थी। Porter, जो कि लॉजिस्टिक्स और ऑन-डिमांड ट्रांसपोर्ट सेवा प्रदान करता है, की स्थापना 2014 में उत्पल मट्टू, प्रणय जी, वरुण बडोला और अन्य संस्थापकों द्वारा की गई थी।

ये कंपनियाँ भारतीय और वैश्विक बाजारों में बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं, लेकिन Fairwork India की रिपोर्ट के अनुसार, उनके श्रम मानकों में सुधार की बहुत आवश्यकता है।

कंपनी के वित्तीय विवरण

Ola, Uber, और Porter जैसी कंपनियों ने भारतीय बाजार में व्यापक निवेश किया है और बड़े पैमाने पर अपने कारोबार का विस्तार किया है। Ola और Uber की मोबिलिटी सेवाओं से संबंधित राजस्व में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन श्रम मानकों की अनदेखी से इन कंपनियों के संचालन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

आगे की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

Fairwork India Ratings 2024 की रिपोर्ट ने गिग वर्कर्स के लिए बेहतर कार्य स्थितियों की आवश्यकता को प्रमुखता से सामने रखा है। अगर ओला, उबर, और पोर्टर जैसी कंपनियाँ अपने श्रम मानकों में सुधार करती हैं, तो यह न केवल उनके वर्कर्स के लिए लाभकारी होगा, बल्कि उनके ब्रांड की प्रतिष्ठा और बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को भी मजबूत करेगा।

भविष्य में, इन कंपनियों को अपने गिग वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा और उनके लिए बेहतर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता होगी।

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Meet 10 unicorn With Unique Idea

India has seen a meteoric increase in the number of unicorns or privately held companies with over $1 billion valuations in the last decade. Stimulating demands can be explained by the development of entrepreneurial activity in the country, the large and largely untapped market, and a growing number of requests from investors. Below is the list consisting of the major unicorns operating in India which would help to understand the variation of the start-ups in India.

  1. Perfios
    Perfios is an established name in the fintech space which is into data aggregation and analytics. In helping the financial firms get the precise and timely insights they need, Perfios has emerged as an essential component of the nascent transformation of the financial industry. It supports top to bottom credit checking, fraud identification, and accounts management, and is an essential tool for any bank and other financial institutions.
  2. Krutrim
    Krutrim is one of the unicorns that have problem solving abilities in the area of AI. The company operates in different segments and provides AI solutions in the spheres of healthcare, finance, and retail. This means that Krutrim’s innovative technologies have provided solutions to the existing problems of organizations in improving their operational efficiency, satisfying the clients as well as encouraging innovation. The company’s seal algorithm is known for it efficiency and accuracy when dealing with large data sets making it stand out in a crowded market.
  3. InCred
    InCred is a NBFC which deals with loans and investment products for consumers and corporates. Technology is integrated in the company in an effort to streamline the loans giving process in a bid to extend the financial services to the common people. Thus a unique concept of putting customer first and being innovative have made InCred a Unicorn and a key player in the Indian financial market.
  4. Zepto
    Zepto has disrupted the Grocery delivery market in India claiming to deliver Grocery in under 10 minutes. They also pointed that the organization’s unique selling proposition is the ability to deliver groceries in less than 10 minutes, thus, meeting the increasing need of speedy services in towns. This rapid growth of Zepto along with the new customer base shows the firm’s capabilities that can make it a leader in e-commerce business.
  5. 1mg
    1mg is one of the largest digital health platforms in India where people can get online pharmacy delivery, diagnostics, and other tele consultation services. It has been a key in ensuring that health care service delivery becomes more accessible and affordable to millions of Indian populace. Due to 1mg’s innovation in its model of health care delivery, it has gained steady client base, which has played a major role in the making of the company a unicorn.
  6. Shiprocket
    Shiprocket is an e-commerce shipping & logistics solution that helps businesses of all sizes to manage their order & logistics. Shipping, tracking and returns become easier to handle with the help of platform thus facilitating sales for e-commerce companies. Mechanized and with a rich integration of connectors with numerous couriers, Shiprocket has become a popular solution for e-commerce in India.
  7. 5ire
    5ire is a sustainability innovation economy on the blockchain. The idea of the company is the use of the blockchain to the SDGs to make the process more transparent. 5ire’s systematic integration of technology together with aspects of environmental and social governance has drawn a lot of investor attention to propel the firm to unicorn status.
  8. OneCard
    OneCard is an organisation that provides a metal credit card which is available only with a mobile application and does not have joining fees. To target the customers in the digital world, the card has various features like Instant cash reward, EMI options, etc. , Smart app management. This company has created a unique approach to credit and, as their customer base proves, has become quite popular among consumers rapidly.
  9. LeadSquared
    LeadSquared is a SaaS firm specialised in offering CRM and marketing automation systems and services. It’s helps companies to organize and improve their sales processes, leads, and customers. Because of its work on sales effectiveness and the solid technology that drives it Lead Squared has already turned into a unicorn CRM market player.
  10. Purplle
    Purplle is one of the fastest growing online store that deals in beauty and personal care products from various brands. It has a simple and easy-to-use layout which adapts according to the customer’s preferences and good prices. Purplle has been following a tremendous growth path with its focus on beauty products market that is expanding in India and thus making it tougher contender in the e-commerce domain.
  11. PhysicsWallah (PW)
    PhysicsWallah (PW) is an e-learning platform that provides students studying for competitive exams with courses and study content. The affordably coupled with quality content has make the platform favorite among the students. Looking at the accomplishments of PhysicsWallah in the EdTech space can be explained by the increasing need for education in India and affordable platforms that can provide knowledge

India has seen a meteoric increase in the number of unicorns or privately held companies with over $1 billion valuations in the last decade. Stimulating demands can be explained by the development of entrepreneurial activity in the country, the large and largely untapped market, and a growing number of requests from investors. Below is the list consisting of the major unicorns operating in India which would help to understand the variation of the start-ups in India.Perfios

Summary
The Indian unicorn companies are as heterogeneous as they are in the process of constant evolution and they specifically cover the domains of fintech, e-commerce, EdTech, healthcare as well as AI. These young enterprises of India such as Perfios, Krutrim, InCred, Zepto, and 1mg are not just rewriting the business strategies but also setting new standards of innovation and consumers. Others such as Shiprocket, 5ire, OneCard, Leadsquared, Purplle, and PhysicsWallah (PW) are other emerging platforms that are expanding boundaries, and generating value in their respective sectors. Not only these unicorns are defining future of India economy they are equally contributing to the global economy.