🏢 WeWork India ला रहा है ₹3,000 करोड़ का IPO, 3 अक्टूबर से खुलेगा इश्यू

WeWork India

भारत का सबसे बड़ा मैनेज्ड ऑफिस स्पेस प्रोवाइडर, WeWork India, अपना ₹3,000 करोड़ (लगभग $340 मिलियन) का IPO 3 अक्टूबर 2025 को लॉन्च करने जा रहा है। यह इश्यू 7 अक्टूबर तक खुला रहेगा, जबकि Anchor Investors के लिए बिडिंग 1 अक्टूबर से शुरू होगी।

यह कदम कंपनी को SEBI से IPO की मंज़ूरी मिलने के लगभग ढाई महीने बाद उठाया गया है।


💰 IPO का ढांचा

कंपनी द्वारा जारी Red Herring Prospectus (RHP) के अनुसार:

  • पूरा IPO Offer for Sale (OFS) के ज़रिए होगा।
  • इसमें कुल 4.63 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे।
  • प्राइस बैंड ₹615 – ₹648 तय किया गया है।
  • अगर ऊपरी प्राइस बैंड पर इश्यू प्राइस तय होती है, तो IPO का साइज लगभग ₹3,000 करोड़ होगा।

इस OFS में:

  • Promoter Embassy Buildcon LLP लगभग 3.54 करोड़ शेयर बेचकर ₹2,294 करोड़ जुटाएगा।
  • वहीं, 1 Ariel Way Tenant (जो WeWork Global से संबद्ध है) 1.08 करोड़ शेयर बेचकर ₹706 करोड़ जुटाएगा।

📊 शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर

IPO से पहले:

  • Embassy Buildcon के पास WeWork India की 73.56% हिस्सेदारी है।
  • 1 Ariel Way Tenant की हिस्सेदारी 22.64% है।

IPO के बाद इन दोनों प्रमोटरों की हिस्सेदारी में कमी आएगी।


🏦 IPO मैनेजमेंट और रजिस्ट्रार

WeWork India के IPO को कई बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक्स मैनेज कर रहे हैं:

  • JM Financial
  • ICICI Securities
  • Jefferies
  • Kotak Mahindra Capital
  • 360 ONE

वहीं, MUFG Intime इस IPO का रजिस्ट्रार होगा।


🏢 WeWork India का बिज़नेस

WeWork India, भारत में WeWork ब्रांड का एक्सक्लूसिव लाइसेंसी है और इसकी बहुमत हिस्सेदारी रियल एस्टेट दिग्गज Embassy Group के पास है।

कंपनी के पास:

  • 68 सेंटर्स में ऑपरेशन
  • कुल 1,14,077 डेस्क्स
  • पोर्टफोलियो का 94% हिस्सा Grade A Properties में

कंपनी की मौजूदगी मुख्य रूप से बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली-NCR जैसे टियर-1 शहरों में है।


📈 वित्तीय प्रदर्शन

  • FY25 में ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹1,949 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 17% अधिक है।
  • कंपनी ने FY24 के ₹135.7 करोड़ के घाटे से उबरते हुए FY25 में ₹128 करोड़ का प्रॉफिट कमाया।

यह बदलाव निवेशकों के लिए कंपनी की वित्तीय सेहत और ग्रोथ पोटेंशियल को मज़बूत संकेत देता है।


⚖️ तुलना: WeWork India बनाम अन्य लिस्टेड प्लेयर्स

WeWork India का IPO लिस्टिंग के बाद उसे सीधे अपने को-वर्किंग स्पेस साथियों के साथ खड़ा कर देगा।

वर्तमान में प्रमुख लिस्टेड खिलाड़ी और उनके प्रदर्शन:

  • Awfis (मई 2024 में लिस्टेड): ₹569/शेयर, मार्केट कैप ₹4,073.5 करोड़
  • Indiqube: ₹228/शेयर, मार्केट कैप $544 मिलियन
  • Smartworks: ₹562.75/शेयर, मार्केट कैप $730 मिलियन

WeWork India के पास इन कंपनियों की तुलना में बड़ी स्केल और मज़बूत बैकिंग है, जिससे निवेशकों की दिलचस्पी और बढ़ सकती है।


🔎 निवेशकों के लिए क्या खास?

  1. Profitability में टर्नअराउंड – घाटे से मुनाफे में जाना बड़ा पॉजिटिव है।
  2. Strong Promoter Backing – Embassy Group जैसी मज़बूत रियल एस्टेट कंपनी का समर्थन।
  3. Premium Assets – 94% पोर्टफोलियो Grade A Properties में।
  4. High Growth Industry – भारत का फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है, खासकर स्टार्टअप्स और एंटरप्राइजेज के बीच।

🌍 आगे का रास्ता

WeWork India इस IPO से सीधे तौर पर कोई फंड नहीं जुटा रहा क्योंकि यह OFS इश्यू है। लेकिन:

  • इससे कंपनी की मार्केट विज़िबिलिटी बढ़ेगी।
  • लिक्विडिटी बढ़ेगी और इन्वेस्टर्स को एक्ज़िट का मौका मिलेगा।
  • लिस्टिंग के बाद कंपनी का मुकाबला सीधे अपने लिस्टेड पीयर्स से होगा, जिससे मार्केट बेंचमार्किंग आसान होगी।

👉 कुल मिलाकर, WeWork India का यह IPO भारत के को-वर्किंग और मैनेज्ड ऑफिस सेक्टर में एक बड़ा माइलस्टोन साबित हो सकता है। बढ़ते रेवेन्यू, प्रॉफिटेबिलिटी और मज़बूत ब्रांड पोज़िशनिंग के चलते, निवेशकों की नज़र इस इश्यू पर टिकी रहेगी।

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🍦 Hocco ने जुटाए ₹115 करोड़, Ice Cream ब्रांड की वैल्यूएशन पहुँची ₹2,000 करोड़

Hocco

प्रीमियम आइसक्रीम ब्रांड Hocco ने अपने नए फंडिंग राउंड में ₹115 करोड़ (लगभग $13 मिलियन) जुटाए हैं। यह निवेश उसके मौजूदा निवेशक Sauce.vc के नेतृत्व में हुआ है। इस ताज़ा राउंड के बाद कंपनी की वैल्यूएशन बढ़कर ₹2,000 करोड़ हो गई है।

गौर करने वाली बात यह है कि यह निवेश कंपनी के लिए महज़ तीन महीने में दूसरी बड़ी फंडिंग है। जून 2024 में Hocco ने अपनी Series A फंडिंग में ₹100 करोड़ (लगभग $12 मिलियन) जुटाए थे, तब उसकी वैल्यूएशन केवल ₹600 करोड़ थी। इसके बाद सितंबर 2024 में कंपनी ने Series B राउंड में $10 मिलियन (लगभग ₹85 करोड़) जुटाए थे। अब ताज़ा फंडिंग से यह ब्रांड भारत के तेज़ी से बढ़ते प्रीमियम आइसक्रीम सेक्टर में और भी मज़बूत खिलाड़ी बनकर उभरा है।


🚀 Hocco का विस्तार प्लान

Hocco ने कहा है कि इस फंडिंग का इस्तेमाल इन प्रमुख कामों के लिए किया जाएगा:

  • मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ाना – कंपनी का लक्ष्य है कि 2026 की गर्मियों तक वह 3 लाख लीटर प्रतिदिन आइसक्रीम उत्पादन करने लगे।
  • कोल्ड-चेन और लॉजिस्टिक्स मज़बूत करना – ताकि देशभर में प्रोडक्ट की स्मूद डिलीवरी हो सके।
  • नए प्रोडक्ट इनोवेशन पर काम – ग्राहकों को नए फ्लेवर और फॉर्मेट में विकल्प उपलब्ध कराना।
  • देश और विदेश में विस्तार – Hocco भारतीय बाज़ार के साथ चुनिंदा ग्लोबल मार्केट्स में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है।

अगर यह लक्ष्य पूरे होते हैं, तो Hocco देश के सबसे बड़े और एडवांस्ड आइसक्रीम मैन्युफैक्चरिंग सेटअप्स में से एक होगा।


🏭 ब्रांड की कहानी और प्रोडक्ट्स

Hocco की शुरुआत Chona परिवार ने की थी, जो पहले से ही आइसक्रीम इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम रहा है। कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को तीन बड़े चैनलों के ज़रिए बेचती है:

  • Retail Stores
  • Quick Commerce Platforms (जैसे Zepto, Blinkit, Swiggy Instamart)
  • Out-of-home touchpoints (जैसे ट्रैवल, होटल्स और कैफे)

ब्रांड की खासियत है कि यह नेचुरल इंग्रेडिएंट्स और यूनिक फ्लेवर्स पर ध्यान देता है। इसके प्रोडक्ट्स में अलग-अलग पैक और फॉर्मेट उपलब्ध हैं, जो मॉडर्न रिटेल और डेली कंजम्पशन के हिसाब से डिजाइन किए गए हैं।


📊 Hocco की फाइनेंशियल झलक

Hocco ने हाल ही में कहा कि उसने FY25 में ₹220 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया है। हालांकि, कंपनी ने अपने लॉसेस को लेकर कोई जानकारी नहीं दी।

  • FY24 में Hocco का रेवेन्यू ₹32.38 करोड़ था।
  • उसी साल कंपनी को लगभग ₹20.23 करोड़ का घाटा हुआ था।

इस तरह, एक ही साल में कंपनी का रेवेन्यू कई गुना बढ़ा है, जो इसके तेज़ी से बढ़ते बिज़नेस मॉडल को दर्शाता है।


🥶 मार्केट में मुकाबला

भारतीय आइसक्रीम इंडस्ट्री पहले से ही काफी कॉम्पिटिटिव है। Hocco का सीधा मुकाबला इन ब्रांड्स से है:

  • Legacy Players: Amul, Vadilal, Hindustan Unilever (Kwality Walls)
  • New-age Brands: NIC (Walko Foods), Hangyo, Go Zero, NOTO Ice Cream

इन बड़े नामों के बीच Hocco ने अपनी Premium Quality, Unique Flavours और Smart Distribution Strategy से एक अलग पहचान बनाई है।


📈 क्यों खास है Hocco की जर्नी?

Hocco की ग्रोथ स्टोरी भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक अच्छा उदाहरण है। महज़ कुछ ही सालों में कंपनी ने:

  • कई फंडिंग राउंड्स पूरे किए
  • अपनी वैल्यूएशन को ₹600 करोड़ से ₹2,000 करोड़ तक पहुँचाया
  • देशभर में मज़बूत कस्टमर बेस बनाया

कंपनी का फोकस क्वालिटी और स्केल पर है, जिससे यह आने वाले सालों में और तेज़ी से बढ़ने की संभावना रखता है।


🌍 आगे का रास्ता

Hocco का लक्ष्य सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी अपनी Premium Ice Cream Brand Identity बनाना है।
अगर कंपनी अपने Production Target (3 लाख लीटर/दिन) तक पहुँचती है, तो यह न केवल भारत की बल्कि एशिया की भी सबसे बड़ी आइसक्रीम मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में शामिल हो सकती है।


👉 कुल मिलाकर, Hocco ने साबित कर दिया है कि भारत में Premium Ice Cream Segment की डिमांड कितनी तेज़ी से बढ़ रही है। और ताज़ा फंडिंग के बाद कंपनी का फोकस सिर्फ एक चीज़ पर है – Innovation और Expansion

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🌿 Kapiva ने जुटाए $60M, Fireside Ventures का पूरा एग्ज़िट

Kapiva

आयुर्वेद वेलनेस ब्रांड Kapiva ने अपने Series D फंडिंग राउंड में $60 मिलियन (करीब ₹500 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व 360 ONE Asset और Vertex Growth ने किया, जबकि मौजूदा निवेशक Vertex Ventures Southeast Asia & India और 3one4 Capital ने भी भाग लिया।

इस राउंड में से $28 मिलियन प्राइमरी कैपिटल के रूप में आए, जबकि बाकी सेकेंडरी हिस्से में गए, जिससे शुरुआती निवेशक Fireside Ventures ने पूरी तरह एग्ज़िट किया।


💰 फंडिंग का बैकग्राउंड

Kapiva ने इस राउंड की शुरुआत सितंबर 2024 में OrbiMed Asia, Vertex Ventures और 3one4 Capital से $10 मिलियन जुटाकर की थी। अब तक कंपनी ने कुल मिलाकर $90 मिलियन से अधिक फंडिंग हासिल कर ली है।


🎯 फंडिंग का उपयोग कहाँ होगा?

कंपनी ने बताया कि यह नई राशि इन प्रमुख क्षेत्रों में खर्च की जाएगी:

  • 🔬 R&D (रिसर्च और डेवलपमेंट) पर निवेश
  • 🏭 मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को मजबूत करना
  • 📢 ब्रांड बिल्डिंग और मार्केटिंग
  • 🩺 हेल्थटेक प्लेटफॉर्म का विस्तार
  • 🧬 क्रॉनिक कंडीशन मैनेजमेंट और पर्सनलाइज्ड केयर

🏛️ Kapiva की कहानी

2015 में Ameve Sharma और Shrey Badhani द्वारा स्थापित Kapiva एक आयुर्वेदिक न्यूट्रिशन ब्रांड है। यह प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों की पेशकश करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • डायबिटीज़
  • हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)
  • लिवर हेल्थ
  • हार्मोनल बैलेंस
  • एनर्जी और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन
  • जनरल वेलनेस

कंपनी के प्रोडक्ट्स ऑनलाइन (अपनी वेबसाइट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स) के साथ-साथ 40,000 ऑफलाइन स्टोर्स पर भी उपलब्ध हैं।


📊 बिज़नेस परफॉर्मेंस

Kapiva इस समय करीब ₹550 करोड़ के ARR (Annual Revenue Run Rate) पर ऑपरेट कर रही है, जो FY25 में लगभग ₹350 करोड़ था।

  • 📈 कंपनी पिछले तीन सालों से 80%+ YoY ग्रोथ दर्ज कर रही है।
  • ⚖️ अभी यह EBITDA स्तर पर हल्की नेगेटिव है, लेकिन जल्द ही प्रॉफिटेबल होने की उम्मीद है।
  • FY24 में Kapiva का रेवेन्यू दोगुना होकर ₹228 करोड़ पहुंचा था, जबकि लॉसेज़ घटकर ₹56 करोड़ रह गए।

🛒 मार्केट प्रेज़ेंस

Kapiva की ताकत इसका ओम्नी-चैनल डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल है।

  • 🛍️ 40,000 से ज्यादा रिटेल स्टोर्स
  • 🌐 ऑनलाइन उपस्थिति: अपनी वेबसाइट, Amazon, Flipkart, Nykaa जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स
  • 🏬 तेजी से बढ़ते हुए ऑफलाइन चैनल्स

⚔️ प्रतिस्पर्धा

Kapiva का मुकाबला भारतीय आयुर्वेद और न्यूट्रिशन स्टार्टअप इकोसिस्टम के कई बड़े खिलाड़ियों से है।

  • Innovacare
  • Gynoveda
  • Wellbeing Nutrition

ये सभी कंपनियां आयुर्वेद और पर्सनलाइज्ड हेल्थकेयर स्पेस में मजबूत पकड़ बना रही हैं।


📉 Fireside Ventures का एग्ज़िट

इस फंडिंग राउंड की एक बड़ी खासियत यह रही कि Fireside Ventures, जिसने Kapiva में शुरुआती दौर में निवेश किया था, अब पूरी तरह बाहर निकल गया। यह निवेशकों के लिए एक सफल एक्ज़िट स्टोरी का उदाहरण है, जो भारतीय वेलनेस स्टार्टअप्स में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।


🌐 Kapiva का भविष्य

Kapiva के फाउंडर्स का कहना है कि कंपनी आने वाले समय में:

  • 🧪 नए आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स लॉन्च करेगी।
  • 📊 डेटा-ड्रिवन पर्सनलाइजेशन पर काम करेगी।
  • 🌍 भारत से बाहर भी ग्लोबल मार्केट्स में विस्तार की तैयारी करेगी।

🏁 निष्कर्ष

Kapiva की यह फंडिंग भारत के वेलनेस और आयुर्वेद सेक्टर के लिए एक बड़ी खबर है। जहां एक ओर लोग हेल्थ और वेलनेस प्रोडक्ट्स में ज्यादा निवेश कर रहे हैं, वहीं Kapiva जैसी कंपनियां अपने नवाचार, पर्सनलाइज्ड सॉल्यूशंस और आयुर्वेदिक ब्रांडिंग के जरिए मार्केट में मजबूत पोजीशन बना रही हैं।

👉 आने वाले महीनों में Kapiva का प्रॉफिटेबल बनना और उसका ग्लोबल विस्तार भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक और प्रेरणादायक कहानी साबित हो सकता है।

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🏗️ Infra.Market ने सीरीज G फंडिंग में जुटाए ₹731.5 करोड़, IPO की तैयारी तेज़

Infra.Market

भारत का तेजी से उभरता हुआ बिल्डिंग मटेरियल्स प्लेटफॉर्म Infra.Market एक बार फिर सुर्खियों में है। कंपनी ने अपने सीरीज G फंडिंग राउंड में ₹731.5 करोड़ (लगभग $83 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Silverline Homes ने किया है, जबकि Tiger Global, NK Squared, Accel India, Nexus Ventures और Evolvence India ने भी इसमें भाग लिया है।


💰 निवेश का ब्योरा

Infra.Market ने 34,276 सीरीज G प्रेफरेंस शेयर ₹2,13,439 प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर जारी किए।

इस राउंड में प्रमुख निवेश इस प्रकार रहे:

  • Silverline Homes (कंपनी के संस्थापक आदित्य शारदा और सौविक सेनगुप्ता की इकाई) – ₹250 करोड़
  • NK Squared (निखिल कामथ) – ₹200 करोड़
  • Tiger Global – ₹176 करोड़
  • Accel India और Evolvence India – ₹44 करोड़-44 करोड़
  • Nexus Ventures – ₹17.6 करोड़

📌 खास बात यह है कि यह निवेश फ्लैट वैल्यूएशन पर हुआ है – कंपनी की वैल्यूएशन अब भी $2.8 बिलियन है, जो इसके पिछले सीरीज F राउंड के बराबर है।


📑 IPO की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, Infra.Market जल्द ही अपना DRHP (Draft Red Herring Prospectus) फाइल करेगी।

  • संभावित IPO साइज: $600-700 मिलियन
  • टाइमलाइन: अगला महीना

इससे साफ है कि कंपनी अब पब्लिक मार्केट्स में एंट्री के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है।


🛠️ Infra.Market का बिज़नेस मॉडल

Infra.Market एक फुल-स्टैक प्लेटफॉर्म है जो निर्माण क्षेत्र (construction sector) के लिए विस्तृत प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराता है।

  1. स्ट्रक्चरल प्रोडक्ट्स – कंक्रीट, स्टील, कंस्ट्रक्शन केमिकल्स
  2. फिनिशिंग प्रोडक्ट्स – AAC ब्लॉक्स, MDF, प्लाइवुड, पाइप्स
  3. कंज़्यूमर और होम प्रोडक्ट्स – टाइल्स, सैनिटरीवेयर, पेंट्स, फैंस, मॉड्यूलर किचन, ड्यूरेबल्स

यह B2B और रिटेल दोनों सेक्टर में काम करता है और छोटे से बड़े कॉन्ट्रैक्टर्स तक को सेवा देता है।


📊 वित्तीय प्रदर्शन

Infra.Market ने FY24 में शानदार ग्रोथ दर्ज की:

  • रेवेन्यू – ₹14,530 करोड़ (23% YoY ग्रोथ)
  • प्रॉफिट – ₹378 करोड़ (2.4X बढ़त)

FY25 के आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं।

📌 प्रतिस्पर्धा की झलक:

  • OfBusiness (गुरुग्राम) – ₹19,296 करोड़
  • Zetwerk – ₹14,436 करोड़
  • Moglix – ₹4,964 करोड़

इससे साफ है कि Infra.Market इस सेक्टर में टॉप खिलाड़ियों में से एक बन चुका है।


👥 फाउंडर्स की रणनीति – हिस्सेदारी बढ़ाने का ट्रेंड

IPO से पहले फाउंडर्स द्वारा अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का ट्रेंड तेज़ हो गया है।

  • Lenskart के पेयुष बंसल ने IPO से पहले 2.5% स्टेक खरीदा, वह भी पिछली प्राइवेट वैल्यूएशन से बहुत कम दाम पर।
  • Zetwerk के अमृत आचार्य और श्रीनाथ रामकृष्णन ने ₹600 करोड़ का निवेश करके अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई।
  • Meesho के विदित आत्रेय और संजीव बर्नवाल ने ESOPs के ज़रिए स्टेक बढ़ाया।

उसी तरह, Infra.Market के संस्थापक आदित्य शारदा और सौविक सेनगुप्ता ने अपनी इकाई Silverline Homes के ज़रिए इस राउंड का नेतृत्व किया है।


🌍 Infra.Market की अहमियत

भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर में पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त बूम आया है।

  • सरकार का “हाउसिंग फॉर ऑल” मिशन,
  • स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स,
  • और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश

इन सबने बिल्डिंग मटेरियल्स प्लेटफॉर्म्स के लिए अपार अवसर पैदा किए हैं।

Infra.Market का टेक-ड्रिवेन मॉडल और सप्लाई चेन में इनोवेशन इसे प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला रहा है।


📌 मुख्य सीख

  1. फंडिंग स्ट्रेटेजी – लगातार इक्विटी और डेट फंडिंग जुटाकर कंपनी ने अपनी ग्रोथ को तेज़ किया है।
  2. फाउंडर-लेड निवेश – IPO से पहले हिस्सेदारी बढ़ाना निवेशकों के भरोसे को मज़बूत करता है।
  3. स्केलेबल बिज़नेस मॉडल – मल्टी-सेगमेंट प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के ज़रिए कंपनी ने विविधता और स्थिरता पाई है।

📝 निष्कर्ष

Infra.Market की यह नई फंडिंग केवल पूंजी जुटाने का मामला नहीं है, बल्कि यह IPO रोडमैप का अहम हिस्सा है।

👉 ₹731.5 करोड़ की सीरीज G फंडिंग, स्थिर वैल्यूएशन और मजबूत रेवेन्यू ग्रोथ यह दर्शाते हैं कि कंपनी अब वैश्विक और घरेलू निवेशकों के बीच और भी आकर्षक विकल्प बन चुकी है।

अगर कंपनी अपने FY25 के परिणामों में प्रॉफिटेबिलिटी और रेवेन्यू ग्रोथ बनाए रखती है, तो यह आने वाले IPO में निवेशकों के लिए टॉप चॉइस साबित हो सकती है।

🍲 Wow! Momo ने सीरीज D फंडिंग राउंड में जुटाए ₹75 करोड़

Wow! Momo

भारत के क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (QSR) सेक्टर में तेजी से उभरती कंपनी Wow! Momo ने अपनी फंडिंग यात्रा में एक और अहम पड़ाव पार कर लिया है। कंपनी ने अपने सीरीज D राउंड में ₹75 करोड़ (लगभग $8.5 मिलियन) जुटाए हैं। यह निवेश मुख्य रूप से 360 ONE और Kyrush Investments द्वारा किया गया है।

यह फंडिंग ऐसे समय आई है जब कंपनी ने सिर्फ़ तीन महीने पहले ही Stride Ventures से ₹85 करोड़ की डेट फंडिंग हासिल की थी। इस नई राशि के साथ Wow! Momo की कुल सीरीज D फंडिंग ₹650 करोड़ से अधिक हो गई है।


💰 निवेश का ब्योरा

कंपनी के RoC (Registrar of Companies) फाइलिंग्स के अनुसार:

  • बोर्ड ने 7,837 सीरीज D6 CCPS को ₹95,699 प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर जारी करने का फैसला किया है।
  • इस राउंड में 360 ONE ने ₹70 करोड़ और Kyrush Investments ने ₹4.99 करोड़ का निवेश किया।
  • इस निवेश के बाद कंपनी का पोस्ट-मनी वैल्यूएशन करीब $315-320 मिलियन आँका जा रहा है।

शेयरहोल्डिंग संरचना में,

  • 360 ONE Portfolio की हिस्सेदारी 2.53%
  • Kyrush Investments की हिस्सेदारी 0.18% होगी।

🚀 कंपनी इन पैसों का कहाँ करेगी इस्तेमाल?

Wow! Momo ने साफ किया है कि जुटाए गए पैसे का उपयोग इन उद्देश्यों के लिए होगा:

  1. कैपिटल एक्सपेंशन (नए स्टोर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश)
  2. वर्किंग कैपिटल रिक्वायरमेंट्स
  3. जनरल कॉरपोरेट पर्पस

कंपनी का मकसद है कि आने वाले वर्षों में अपने बिज़नेस को नई ऊँचाइयों पर ले जाया जाए।


🍜 Wow! Momo की शुरुआत और सफर

Wow! Momo की शुरुआत 2008 में दो युवा उद्यमियों सागर दरयानी और बिनोद होमागाई ने की थी।
आज कंपनी भारत के 70 शहरों में 700 से अधिक आउटलेट्स चला रही है।

कंपनी के पास कई सब-ब्रांड्स हैं:

  • Wow! Momo
  • Wow! China
  • Wow! Chicken
  • Wow! Kulfi

इन ब्रांड्स के ज़रिए कंपनी ने विविध स्वादों और कस्टमर बेस को जोड़ने में सफलता पाई है।


📈 एक्सपेंशन प्लान्स

Wow! Momo सिर्फ रेस्टोरेंट बिज़नेस तक सीमित नहीं रहना चाहती। आने वाले तीन सालों में कंपनी ने बड़े लक्ष्य तय किए हैं:

  • 1,500 स्टोर्स का विस्तार, जो 100 शहरों में होंगे।
  • FMCG बिज़नेस को ₹100 करोड़ तक स्केल करना।
  • HORECA डिवीजन (Hotels, Restaurants, Cafes) में भी मज़बूत उपस्थिति बनाना।

यह विस्तार दिखाता है कि कंपनी सिर्फ QSR नहीं बल्कि फूड इकोसिस्टम का बड़ा खिलाड़ी बनना चाहती है।


📊 वित्तीय प्रदर्शन

डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म TheKredible के अनुसार:

  • FY24 में Wow! Momo का रेवेन्यू ₹470 करोड़ रहा, जो FY23 के ₹413 करोड़ से 13% की बढ़त है।
  • हालांकि, कंपनी का घाटा FY24 में भी स्थिर रहा और यह ₹114 करोड़ पर कायम रहा।
  • FY25 के आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं।

यह साफ दिखाता है कि कंपनी की राजस्व वृद्धि जारी है, लेकिन लाभप्रदता (profitability) की चुनौती अभी भी बनी हुई है।


🌍 भारतीय QSR सेक्टर में Wow! Momo की स्थिति

भारत का QSR मार्केट लगातार बढ़ रहा है, खासकर शहरी और सेमी-शहरी क्षेत्रों में।

  • डोमिनोज़, केएफसी और मैकडॉनल्ड्स जैसे ग्लोबल ब्रांड्स के बीच Wow! Momo ने अपनी भारतीय पहचान और स्थानीय स्वाद के दम पर जगह बनाई है।
  • कंपनी का मल्टी-ब्रांड अप्रोच इसे अन्य खिलाड़ियों से अलग करता है।

📌 Wow! Momo से सीख

  1. नवाचार (Innovation) – सिर्फ मोमो बेचने से शुरुआत कर आज यह मल्टी-क्यूज़ीन ब्रांड बन चुका है।
  2. एक्सपेंशन स्ट्रेटेजी – छोटे आउटलेट्स से लेकर FMCG और HORECA में प्रवेश तक, कंपनी का विज़न बड़ा है।
  3. फंडिंग का महत्व – लगातार पूंजी जुटाकर कंपनी ने अपने विकास को तेज़ किया है।

📝 निष्कर्ष

Wow! Momo की ताज़ा फंडिंग यह साबित करती है कि भारतीय QSR ब्रांड्स में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। कंपनी का ध्यान अब तेज़ी से विस्तार, नए ब्रांड्स की ग्रोथ और FMCG सेक्टर में मजबूत पकड़ बनाने पर है।

👉 हालांकि घाटे की समस्या अभी बनी हुई है, लेकिन सस्टेन्ड रेवेन्यू ग्रोथ और निवेशकों का सपोर्ट कंपनी को आने वाले वर्षों में और भी मज़बूत बना सकता है।

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🚗 MyPickup सब्सक्रिप्शन-बेस्ड इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्टार्टअप ने बंद की सेवाएं

MyPickup

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में अक्सर नई-नई इनोवेशन देखने को मिलती हैं, लेकिन हर प्रयोग सफलता तक नहीं पहुँच पाता। ऐसा ही हुआ MyPickup के साथ, जो कि एक सब्सक्रिप्शन-बेस्ड इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्टार्टअप था। Inflection Point Ventures (IPV) के सपोर्ट से शुरू हुआ यह स्टार्टअप अब तीन साल के सफर के बाद बंद हो गया है।

कंपनी ने साफ कहा कि उसका मॉडल प्रोडक्ट-मार्केट फिट (PMF) हासिल नहीं कर पाया और लंबे समय तक टिकने के लिए जिस तरह की पेशेंट कैपिटल की ज़रूरत थी, उसकी कमी रही।


🛺 MyPickup का आइडिया: सब्सक्रिप्शन पर ई-रिक्शा

फरवरी 2023 में अभिजीत जगताप द्वारा शुरू किया गया MyPickup एक अनोखा कॉन्सेप्ट लेकर आया था।

  • ग्राहक साप्ताहिक या मासिक सब्सक्रिप्शन प्लान ले सकते थे।
  • इसमें ज़ीरो कैंसलेशन और नो सर्ज प्राइसिंग का वादा किया गया था।
  • उद्देश्य था कि रोज़मर्रा के यात्रियों को फिक्स्ड और भरोसेमंद किराए पर सुविधा मिले।

यह मॉडल पारंपरिक ऑटो-रिक्शा और कैब सेवाओं के मुकाबले किफ़ायती और भरोसेमंद विकल्प बनने का दावा करता था।


📉 क्यों नहीं चला मॉडल?

कंपनी ने अपने तीन साल के सफर में चार बार बिज़नेस मॉडल बदला, लेकिन फिर भी अपेक्षित नतीजे नहीं मिले।

  • नॉन-पीक टाइम्स में स्केलिंग की समस्या
  • ग्राहकों को वादा किया गया अनुभव पूरा न हो पाना
  • सीमित संख्या में वाहन और सब्सक्राइबर

मई 2025 तक कंपनी के पास:

  • सिर्फ़ 19 गाड़ियाँ
  • हर महीने लगभग 4,000 राइड्स
  • 100 से भी कम सब्सक्राइबर थे

हालांकि कंपनी का 80% रिटेंशन रेट काफी मज़बूत था, लेकिन यह आंकड़े बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे।


💸 फंडिंग और निवेश की चुनौतियाँ

MyPickup ने जुलाई 2024 में Inflection Point Ventures (IPV) से $179,000 (करीब ₹1.5 करोड़) की सीड फंडिंग जुटाई थी।

  • इस राशि से कंपनी ने लगभग एक साल तक संचालन जारी रखा।
  • लेकिन बड़े फंडिंग राउंड्स के लिए कंपनी को संस्थागत निवेशक (institutional investors) नहीं मिल पाए।

निवेशकों के मुताबिक, इस मॉडल में स्केलेबिलिटी और प्रॉफिटेबिलिटी की संभावनाएँ सीमित थीं। यही वजह रही कि आगे की फंडिंग नहीं हो सकी।


🌍 इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर की सच्चाई

भारत का ईवी (EV) सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। सरकार भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और नीतिगत सहायता दे रही है। फिर भी कई स्टार्टअप्स को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:

  1. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
  2. हाई ऑपरेशनल कॉस्ट
  3. ग्राहकों की सीमित स्वीकार्यता
  4. लॉन्ग-टर्म कैपिटल की अनुपलब्धता

MyPickup जैसी कंपनियाँ इन चुनौतियों से पार नहीं पा सकीं और अंततः उन्हें बंद करना पड़ा।


📌 MyPickup से सीख

MyPickup की कहानी स्टार्टअप्स के लिए कई सीख छोड़ती है:

  • सिर्फ़ आइडिया इनोवेटिव होना काफी नहीं है, बल्कि उसे बाज़ार में स्केल और टिकाऊ बनाना भी ज़रूरी है।
  • शुरुआती सफलता के बाद भी दीर्घकालिक पूंजी के बिना सर्वाइवल मुश्किल हो जाता है।
  • ग्राहक अनुभव (CX) को निरंतर बेहतर करना किसी भी सब्सक्रिप्शन मॉडल के लिए अहम है।

📈 भविष्य की राह

हालांकि MyPickup का सफर यहाँ थम गया, लेकिन इससे जुड़े अनुभव भविष्य के उद्यमियों के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं।

  • भारत में शेयरिंग और सब्सक्रिप्शन-बेस्ड मॉडल्स की मांग अभी भी बनी हुई है।
  • अगर बेहतर टेक्नोलॉजी, चार्जिंग नेटवर्क और कैपिटल सपोर्ट मिले, तो यह मॉडल फिर से सफल हो सकता है।

📝 निष्कर्ष

MyPickup का बंद होना इस बात का संकेत है कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर में इनोवेशन जितना ज़रूरी है, उतना ही आवश्यक है टिकाऊ बिज़नेस मॉडल और पर्याप्त फंडिंग।

👉 तीन साल के छोटे सफर में MyPickup ने यह साबित किया कि यात्रियों को किफ़ायती और भरोसेमंद विकल्प चाहिए, लेकिन बिना सही स्केलिंग स्ट्रेटेजी और लंबे समय तक निवेशकों का भरोसा पाए यह सफर अधूरा रह जाता है।

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💰 Finnable ने प्री-सीरीज़ C राउंड में जुटाए ₹250 करोड़,

Finnable

भारत का फिनटेक सेक्टर लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है और इसी कड़ी में डिजिटल लेंडिंग प्लेटफ़ॉर्म Finnable ने अपने प्री-सीरीज़ C राउंड में ₹250 करोड़ (लगभग $29 मिलियन) जुटाने की घोषणा की है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Matrix Partners, TVS Capital और India Nippon Electricals Limited कर रहे हैं।


📊 फंडिंग का स्ट्रक्चर

RoC (Registrar of Companies) से मिली जानकारी के अनुसार, Finnable के बोर्ड ने 3,35,238 प्रेफरेंस शेयर जारी किए हैं, जिनकी कीमत प्रति शेयर ₹3,788.35 तय की गई।

  • इस राउंड के पहले ट्रांज़ (₹127 करोड़ या $14.7 मिलियन) में:
    • Matrix Partners ने निवेश किया ₹125 करोड़
    • India Nippon Electricals ने निवेश किया ₹2 करोड़
  • बाकी की राशि जल्द ही इस राउंड को पूरा करेगी।

यह निवेश उस समय आया है जब लगभग छह महीने पहले रंजन पाई के फैमिली ऑफिस ने Finnable में ₹40 करोड़ का निवेश किया था।


💵 वैल्यूएशन और शेयरहोल्डिंग

Entrackr के अनुमान के मुताबिक, इस निवेश के बाद Finnable की वैल्यूएशन लगभग ₹1,300 करोड़ (लगभग $150 मिलियन) हो जाएगी।

नए निवेश से पहले कंपनी की कैप टेबल इस प्रकार थी:

  • MEMG Family Office LLP – 18.69%
  • Matrix Partners India – 14.53%
  • TVS Shriram Growth – 8.05%
  • को-फाउंडर और CEO नितिन गुप्ता – 24% से अधिक

नए राउंड के बाद शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर में बदलाव होगा, खासकर Matrix और TVS के निवेश से, जिससे फाउंडर्स की हिस्सेदारी में थोड़ी डायल्यूशन देखने को मिलेगी।


🏦 Finnable का सफर

Finnable की स्थापना 2016 में तीन पूर्व बैंकरों – नितिन गुप्ता, अमित अरोड़ा और विराज त्यागी – ने की थी।

  • यह कंपनी मुख्य रूप से सैलरीड प्रोफेशनल्स को पर्सनल लोन उपलब्ध कराती है।
  • कंपनी का दावा है कि अब तक उसने 2.7 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवाएं दी हैं।
  • Finnable का AUM (Assets Under Management) फिलहाल ₹3,000 करोड़ तक पहुँच चुका है।

📈 वित्तीय प्रदर्शन

कंपनी ने अभी FY25 के नतीजे दाखिल नहीं किए हैं, लेकिन FY24 में इसका प्रदर्शन इस प्रकार रहा:

  • रेवेन्यू (आय) – ₹181.7 करोड़
  • नेट लॉस (हानि) – ₹5.88 करोड़

यह दिखाता है कि कंपनी लगातार अपने बिज़नेस को स्केल कर रही है और घाटे को नियंत्रित रखने की कोशिश कर रही है।


🔑 क्यों है Finnable खास?

भारत में डिजिटल लेंडिंग सेक्टर बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है।

  • सैलरीड प्रोफेशनल्स के बीच पर्सनल लोन की बढ़ती डिमांड
  • डिजिटल KYC और पेपरलेस प्रोसेस
  • तेज़ डिस्बर्सल और ट्रांसपेरेंसी

ये सभी फैक्टर Finnable जैसी कंपनियों को एक मजबूत ग्रोथ पोज़िशन पर ला रहे हैं।

Finnable का फोकस खासतौर पर यंग प्रोफेशनल्स और मिडिल-क्लास सेगमेंट पर है, जो तेजी से डिजिटल फाइनेंसिंग सॉल्यूशंस को अपनाते हैं।


🌍 भारतीय फिनटेक सेक्टर का भविष्य

भारत में फिनटेक सेक्टर का मार्केट 2025 तक $150 बिलियन से अधिक होने का अनुमान है। डिजिटल लेंडिंग, पेमेंट्स और NBFC सेक्टर में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है।

Finnable का बढ़ता AUM, मजबूत निवेशकों का भरोसा और ग्राहकों का बढ़ता बेस इस बात का संकेत है कि कंपनी आने वाले समय में लेंडिंग स्पेस की अग्रणी खिलाड़ियों में शामिल हो सकती है।


📝 निष्कर्ष

Finnable का ₹250 करोड़ का प्री-सीरीज़ C राउंड यह साबित करता है कि निवेशकों का भरोसा अब भी भारतीय फिनटेक स्टार्टअप्स पर बना हुआ है।
👉 कंपनी अब इन फंड्स का इस्तेमाल टेक्नोलॉजी अपग्रेड, नए प्रोडक्ट डेवलपमेंट और कस्टमर बेस विस्तार के लिए करेगी।

यदि कंपनी अपनी रेवेन्यू ग्रोथ बनाए रखते हुए घाटा कम करने में सफल होती है, तो निकट भविष्य में यह एक और यूनिकॉर्न बनने की ओर बढ़ सकती है।

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📢 Martech स्टार्टअप Wondrlab को मिला नया फंडिंग बूस्ट, जुटाएगा ₹40.8 करोड़

Wondrlab

भारतीय मारटेक (MarTech) सेक्टर से बड़ी खबर सामने आई है। मुंबई स्थित Wondrlab ने चार साल बाद एक नया फंडिंग राउंड शुरू किया है, जिसमें कंपनी ने करीब ₹40.8 करोड़ (लगभग $4.6 मिलियन) जुटाने की घोषणा की है। यह राउंड Wildflower Private Trust की अगुवाई में हो रहा है, जिसमें Pi Ventures, Tanas Capital और कई अन्य मौजूदा निवेशकों की भी भागीदारी होगी।


💸 फंडिंग का विवरण

कंपनी के RoC (Registrar of Companies) फाइलिंग के अनुसार, Wondrlab के बोर्ड ने 7,744 प्रेफरेंस शेयर और 500 इक्विटी शेयर जारी करने का फैसला लिया है। प्रत्येक शेयर की कीमत ₹49,472 तय की गई है।

  • Wildflower Private Trust – ₹12.5 करोड़
  • Pi Ventures – ₹9.85 करोड़
  • Tanas Capital – ₹6.7 करोड़
  • अन्य एंजेल इन्वेस्टर्स (जिनमें Nazara के प्रमोटर्स नितीश मिटरसेन और विकास मिटरसेन भी शामिल हैं) शेष रकम निवेश करेंगे।

इसके अलावा, कंपनी ने अपने हाल ही में अधिग्रहीत फर्म BigStep Tech के को-फाउंडर्स को भी इक्विटी शेयर अलॉट करने की योजना बनाई है।


📊 पोस्ट-मनी वैल्यूएशन

Entrackr की रिपोर्ट के अनुसार, इस निवेश राउंड के बाद Wondrlab की वैल्यूएशन ₹796 करोड़ (लगभग $90 मिलियन) आंकी जा रही है।


🚀 Wondrlab का सफर और फोकस

2020 में सौरभ वर्मा, वंदना वर्मा और राकेश हिंदुजा द्वारा स्थापित, Wondrlab एक प्लेटफ़ॉर्म-फर्स्ट Martech स्टार्टअप है। इसका फोकस मुख्य रूप से:

  • टेक्नोलॉजी आधारित मार्केटिंग
  • डिजिटल एडवरटाइजिंग
  • प्रोग्रामेटिक एडवरटाइजिंग

पर है।

यह कंपनी ब्रांड्स को डेटा और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन मार्केटिंग सॉल्यूशंस प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपने कस्टमर तक ज्यादा सटीक और प्रभावी तरीके से पहुंचने में मदद मिलती है।


🏦 निवेशकों की हिस्सेदारी (Post-Allotment)

नए राउंड के बाद कंपनी की शेयरहोल्डिंग संरचना कुछ इस प्रकार होगी:

  • Pi Ventures – 11.5%
  • Tanas Capital – 7.82%
  • Wildflower Private Trust (नया निवेशक) – 1.5%
  • प्रमोटर्स (संस्थापक टीम) – 60.53%

📈 वित्तीय प्रदर्शन (FY23 बनाम FY24)

कंपनी के वित्तीय नतीजे बताते हैं कि Wondrlab तेजी से ग्रोथ की ओर बढ़ रहा है:

  • ऑपरेटिंग रेवेन्यू – FY23 में ₹63 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹189 करोड़ हो गया। यानी करीब 3 गुना उछाल
  • मुनाफा (Profit) – कंपनी का मुनाफा भी FY24 में ₹11 करोड़ तक पहुंच गया।

हालांकि, FY25 के वित्तीय आंकड़े अभी फाइल नहीं किए गए हैं।


🔑 क्यों खास है Wondrlab?

मार्केटिंग टेक्नोलॉजी (MarTech) आज के डिजिटल युग में ब्रांड्स की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है। Wondrlab का प्लेटफ़ॉर्म:

  • डेटा एनालिटिक्स और टेक का इस्तेमाल करके
  • ब्रांड्स को टारगेट ऑडियंस तक पहुँचने
  • और एड कैंपेन की प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद करता है।

कंपनी का प्लेटफ़ॉर्म-फर्स्ट एप्रोच इसे पारंपरिक मार्केटिंग एजेंसियों से अलग बनाता है।


🌍 भारतीय Martech सेक्टर में बढ़ता निवेश

भारत का MarTech बाजार अगले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ने का अनुमान है।

  • डिजिटल विज्ञापन और सोशल मीडिया मार्केटिंग में बूम
  • AI और ऑटोमेशन आधारित एडटेक टूल्स का अपनापन
  • ब्रांड्स का ROI (Return on Investment) पर फोकस

इन सभी कारणों से निवेशक इस सेक्टर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।


📝 निष्कर्ष

चार साल बाद Wondrlab का यह फंडिंग राउंड कंपनी के लिए काफी अहम है। ₹40.8 करोड़ की ताज़ा फंडिंग से कंपनी अपने प्लेटफ़ॉर्म को और मजबूत बनाने, अधिग्रहीत फर्म BigStep Tech के इंटीग्रेशन और नए क्लाइंट बेस विस्तार पर फोकस कर सकेगी।

👉 तेजी से बढ़ते राजस्व और प्रॉफिटेबिलिटी के साथ Wondrlab यह साबित कर रहा है कि भारत का Martech सेक्टर सिर्फ ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार नहीं है, बल्कि निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प भी बन चुका है।

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🚀 InCred Holdings जल्द ला रहा है IPO, जुटाएगा $460-560 मिलियन

InCred

भारतीय फिनटेक सेक्टर से एक बड़ी खबर सामने आई है। InCred Holdings जल्द ही शेयर बाजार में अपनी लिस्टिंग की तैयारी कर रहा है। कंपनी का IPO (Initial Public Offering) करीब $460-560 मिलियन का होने वाला है। इस ऑफर के तहत कंपनी करीब ₹1,500 करोड़ (लगभग $172 मिलियन) की नई इक्विटी शेयर जारी करेगी।

साथ ही, कंपनी IPO से पहले ₹300 करोड़ का प्री-IPO प्लेसमेंट भी करने की योजना बना रही है, जो कि फ्रेश इश्यू का ही हिस्सा माना जाएगा। कंपनी ने इसके लिए जल्द ही SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास अपना DRHP (Draft Red Herring Prospectus) जमा कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

IPO के बाद InCred के शेयर BSE और NSE, दोनों पर लिस्ट होंगे।


🏦 InCred का सफर और फोकस एरिया

InCred Holdings की स्थापना Bhupinder Singh ने की थी। कंपनी एक टेक-फर्स्ट NBFC (Non-Banking Financial Company) के रूप में काम करती है। इसका फोकस मुख्य रूप से:

  • कंज्यूमर लेंडिंग
  • SME (छोटे और मध्यम उद्यम) लोन
  • एजुकेशन लोन

पर है।

कंपनी का दावा है कि वह प्रोप्राइटरी रिस्क एनालिटिक्स, डेटा साइंस और डिजिटल-फर्स्ट ऑपरेशन्स का इस्तेमाल करके देशभर में रिटेल और MSME ग्राहकों को तेज और आसान क्रेडिट उपलब्ध कराती है।


🔑 InCred Group की तीन बड़ी इकाइयाँ

InCred Holdings तीन मुख्य एंटिटीज़ के तहत काम करता है:

  1. InCred Finance – NBFC, जो कंज्यूमर और MSME लोन पर फोकस करता है।
  2. InCred Capital – वेल्थ और एसेट मैनेजमेंट, M&A एडवाइजरी, कैपिटल मार्केट्स और रिसर्च पर काम करता है।
  3. InCred Money – रिटेल इन्वेस्टमेंट और मनी मैनेजमेंट पर केंद्रित है।

💰 अब तक जुटाई गई फंडिंग

InCred Finance ने अब तक कुल $370 मिलियन से ज्यादा फंडिंग जुटाई है। इसमें इसका हालिया Series D राउंड भी शामिल है, जिसमें कंपनी ने $60 मिलियन जुटाए और यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री की।

वहीं, InCred Capital ने लगभग $50 मिलियन फंडिंग हासिल की है, जो कई फैमिली ऑफिसेज़ द्वारा लीड की गई थी।


📈 वित्तीय प्रदर्शन (FY24 बनाम FY25)

InCred Finance के वित्तीय परिणाम भी तेजी से बेहतर हो रहे हैं।

  • राजस्व (Revenue): FY24 के ₹1,270 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹1,872 करोड़ हो गया। यानी 47% की सालाना वृद्धि
  • मुनाफा (Profit): FY24 के मुकाबले 18% बढ़कर FY25 में ₹374 करोड़ पहुंच गया।

यह प्रदर्शन बताता है कि कंपनी ने न केवल ग्रोथ को बनाए रखा है बल्कि प्रॉफिटेबिलिटी पर भी मजबूती से फोकस किया है।


📊 IPO क्यों अहम है?

InCred Holdings का IPO कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है:

  1. फिनटेक सेक्टर में बढ़ता विश्वास – निवेशक NBFC-टेक मॉडल में भरोसा दिखा रहे हैं।
  2. रिटेल और SME क्रेडिट की बढ़ती मांग – भारत में क्रेडिट की खपत लगातार बढ़ रही है।
  3. वैल्यूएशन और यूनिकॉर्न स्टेटस – IPO से कंपनी अपनी वैल्यूएशन को और मजबूत कर पाएगी।
  4. कैपिटल जुटाकर विस्तार – नए फंड्स कंपनी को टेक्नोलॉजी, नेटवर्क और कस्टमर बेस विस्तार में मदद करेंगे।

🌍 फिनटेक सेक्टर पर असर

भारत का फिनटेक मार्केट दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते सेक्टर्स में से है।

  • NBFCs में डिजिटल-फर्स्ट मॉडल की सफलता ने रिटेल और SME ग्राहकों के लिए क्रेडिट एक्सेस को आसान बना दिया है।
  • InCred का IPO आने वाले समय में अन्य फिनटेक यूनिकॉर्न्स और NBFC स्टार्टअप्स के लिए भी एक रेफरेंस पॉइंट बन सकता है।

📝 निष्कर्ष

InCred Holdings का IPO भारतीय फिनटेक और NBFC सेक्टर के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, बढ़ते कस्टमर बेस और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन एप्रोच ने कंपनी को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया है।

👉 IPO के जरिए जुटाए गए फंड्स कंपनी को न केवल विस्तार में मदद करेंगे बल्कि भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में उसकी स्थिति को और मजबूत करेंगे।

आने वाले महीनों में SEBI अप्रूवल और मार्केट रिस्पॉन्स पर सबकी नजर होगी।

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📰 13 साल बाद Hike का अंत: Kavin Mittal ने किया कंपनी बंद करने का ऐलान

Hike

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। Hike, जिसने कभी Hike Messenger के रूप में लाखों यूज़र्स के बीच लोकप्रियता पाई थी और बाद में Rush Gaming Platform के रूप में पिवट किया था, अब पूरी तरह से बंद हो रही है। कंपनी के संस्थापक और सीईओ Kavin Mittal ने शनिवार को निवेशकों को भेजे गए ईमेल में इसकी पुष्टि की।


🚨 भारत में RMG बैन से टूटा सपना

Kavin Mittal ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में Real Money Gaming (RMG) पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद Hike का रनवे 7 महीने से घटकर सिर्फ 4 महीने का रह गया। इसी कारण उन्होंने कंपनी को बंद करने का कठिन निर्णय लिया।
मित्तल ने लिखा:
“काफी सोच-विचार और आप सभी से बातचीत के बाद मैंने फैसला लिया है कि Hike को पूरी तरह बंद कर दिया जाए, जिसमें US ऑपरेशन्स भी शामिल होंगे।”


📱 Messenger से Gaming तक का सफर

Hike की शुरुआत 2012 में एक मैसेजिंग ऐप के रूप में हुई थी। उस समय इसे भारत का व्हाट्सएप-प्रतिस्पर्धी माना जाता था।

  • Hike Messenger ने एक समय 40 मिलियन मासिक सक्रिय यूज़र्स (MAUs) हासिल किए थे।
  • युवाओं के बीच स्टिकर-चैट और लोकल फीचर्स के कारण यह तेजी से पॉपुलर हुआ।

लेकिन व्हाट्सएप और अन्य ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स के दबदबे के चलते Hike को पिवट करना पड़ा। कंपनी ने 2020 में Rush Gaming लॉन्च किया, जो रियल-मनी गेमिंग और कैज़ुअल गेम्स पर केंद्रित था। Rush ने सिर्फ चार साल में 10 मिलियन यूज़र्स और $500 मिलियन ग्रॉस रेवेन्यू तक का सफर तय किया।


⚖️ कानूनी चुनौतियाँ और थकान

हालांकि, मित्तल के मुताबिक भारत में टैक्सेशन, रेगुलेशन और अब RMG बैन ने कंपनी को चलाना मुश्किल बना दिया।
उन्होंने कहा:
“RMG हमारा अंतिम लक्ष्य कभी नहीं था। यह केवल यूनिट इकोनॉमिक्स साबित करने और बड़े विज़न की ओर बढ़ने का एक जरिया था। लेकिन भारतीय बाजार में टैक्स और रेगुलेशन की लड़ाई ने हमें बांध दिया।”

टीम में भी लगातार थकान और अनिश्चितता बढ़ रही थी। कई बार पिवट और रेगुलेटरी दबाव ने मनोबल गिरा दिया था।


💰 बचे हुए फंड का इस्तेमाल

Hike के पास फिलहाल लगभग $4 मिलियन (करीब ₹33 करोड़) बचे हैं।

  • इसका इस्तेमाल कर्मचारियों को सेवरेंस पेमेंट और वेंडर कॉस्ट चुकाने में किया जाएगा।
  • यदि कुछ रकम बची तो उसे निवेशकों को वापस कर दिया जाएगा।

📉 गेमिंग विज़न अधूरा रह गया

मित्तल ने माना कि उनका “Gaming Nation बनाने” का सपना अभी अधूरा रह गया। उन्होंने कहा कि शायद वे इस विज़न के लिए बहुत जल्दी मैदान में उतर गए थे।

उन्होंने निवेशकों और कर्मचारियों से कहा:
“क्या यह जारी रखने लायक है? 13 साल में पहली बार मेरा जवाब है—नहीं।”


🌍 भविष्य की राह: AI और Energy सेक्टर

भविष्य की दिशा बताते हुए मित्तल ने कहा कि अब वे AI, Energy और Personal Growth जैसे नए फ्रंटियर्स पर ध्यान देंगे।
उन्होंने लिखा:
“यह अध्याय यहीं समाप्त होता है, लेकिन चढ़ाई जारी है।”


📊 Hike के सफर के बड़े माइलस्टोन्स

  1. 2012 – Hike Messenger लॉन्च हुआ
  2. 2016-17 – 40 मिलियन MAUs और भारत का पसंदीदा कंज्यूमर ब्रांड
  3. 2020 – Rush Gaming प्लेटफॉर्म लॉन्च
  4. 2021-24 – 10 मिलियन यूज़र्स और $500 मिलियन ग्रॉस रेवेन्यू
  5. 2025 – भारत में RMG बैन और अंततः कंपनी बंद

🔎 इंडस्ट्री पर असर

Hike का बंद होना भारतीय स्टार्टअप और खासकर गेमिंग सेक्टर के लिए बड़ा झटका है।

  • इससे यह साफ दिखता है कि रेगुलेटरी अनिश्चितता भारत में स्टार्टअप्स की ग्रोथ को प्रभावित कर सकती है।
  • वहीं, यह घटना AI और Frontier Tech पर बढ़ते फोकस को भी दर्शाती है।

📝 निष्कर्ष

13 साल के लंबे सफर के बाद Hike का यह अंत भारतीय टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के लिए एक मिश्रित सीख लेकर आया है। एक तरफ यह नवाचार और पिवट्स का उदाहरण है, तो दूसरी तरफ यह इस बात की याद दिलाता है कि स्टार्टअप सफलता सिर्फ यूज़र्स और रेवेन्यू पर नहीं, बल्कि नीतिगत माहौल और रेगुलेशन पर भी निर्भर करती है।

👉 अब सबकी नजर इस पर होगी कि Kavin Mittal अगला कदम AI और Energy सेक्टर में कैसे उठाते हैं।

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