Wow Skin Science की FY24 में आय में गिरावट, घाटे पर पाया काबू

Wow Skin Science

डायरेक्ट-टू-कस्टमर (D2C) ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड WOW Skin Science का कारोबार FY24 में भी घटता रहा। FY23 में 23% की राजस्व गिरावट के बाद, वित्त वर्ष FY24 में कंपनी का राजस्व 9.6% और कम हुआ। हालांकि, इसी अवधि में Wow Skin ने अपने घाटे को 24% से अधिक तक कम कर लिया।

ऑपरेटिंग रेवेन्यू में गिरावट

WOW Skin Science का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में 9.6% घटकर 233.49 करोड़ रुपये पर आ गया, जो FY23 में 258.11 करोड़ रुपये था। Wow Skin Science एक ओम्नीचैनल ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड है, जो अपने प्रोडक्ट्स ऑफलाइन स्टोर्स, वेबसाइट, और Amazon, Flipkart, और Nykaa जैसे मार्केटप्लेस के माध्यम से बेचता है। कंपनी के पास चार प्रमुख ब्रांड हैं: WOW Skin Science, WOW Life Science, Body Cupid, और Nature Derma

गैर-ऑपरेटिंग आय और कुल राजस्व

गैर-ऑपरेटिंग गतिविधियों से कंपनी ने FY24 में 13.28 करोड़ रुपये कमाए, जिससे इसका कुल राजस्व 246.77 करोड़ रुपये हो गया।

खर्चों का वर्गीकरण

खर्चों की बात करें तो, Wow Skin Science ने अपने मार्केटिंग खर्चों में 46% की बड़ी कटौती की, जो FY24 में घटकर 107.84 करोड़ रुपये रह गया। ये खर्च कंपनी के कुल खर्च का 28.6% हिस्सा था। सामग्री लागत कुल खर्च का 25% थी, जो FY24 में घटकर 94 करोड़ रुपये हो गई, यानी 23% की कमी। वहीं, कर्मचारी लाभों पर खर्च में 35% की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह FY24 में बढ़कर 53.5 करोड़ रुपये हो गया।

कुल खर्च में कमी और घाटे पर असर

Wow Skin Science के कुल खर्च FY23 के 486 करोड़ रुपये से घटकर FY24 में 377 करोड़ रुपये हो गए, जो कि 22.45% की गिरावट है। इस खर्च में कटौती से कंपनी ने अपने घाटे को नियंत्रण में रखा और 24% से अधिक की कमी के साथ घाटे को घटाने में सफलता पाई।

Wow Skin Science का भविष्य

Wow Skin Science का हालिया प्रदर्शन दर्शाता है कि कंपनी अपनी ऑपरेटिंग और मार्केटिंग रणनीतियों में बदलाव कर रही है। सामग्री लागत और मार्केटिंग खर्च में कटौती करने के बावजूद, कर्मचारी लाभ पर अधिक निवेश से संकेत मिलता है कि कंपनी दीर्घकालिक विकास के लिए अपनी टीम को सशक्त बना रही है।

ब्यूटी और पर्सनल केयर क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, Wow Skin Science के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने राजस्व में स्थिरता लाने और अपनी ब्रांड पहचान को और मजबूत बनाने पर ध्यान दे।

निष्कर्ष: Wow Skin Science ने FY24 में अपनी ऑपरेटिंग आय में गिरावट देखी, लेकिन कुल खर्च में कटौती करके अपने घाटे को नियंत्रित किया। आगे बढ़ते हुए, कंपनी के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वह लागत नियंत्रण के साथ अपने राजस्व और ब्रांड वैल्यू को बेहतर करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

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Cashfree की वृद्धि दर में मंदी आरबीआई के प्रतिबंध का असर

Cashfree

डिजिटल भुगतान सेवा प्रदाता Cashfree ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) के अंत तक सीमित वृद्धि दर्ज की है। इस धीमी राजस्व वृद्धि का मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक लगाए गए नए व्यापारियों को जोड़ने पर प्रतिबंध को बताया गया है, जिसने कंपनी की विकास दर पर असर डाला है।

cashfree पेमेंट्स की संचालन से होने वाली आय FY24 में 4.7% बढ़कर 642.7 करोड़ रुपये हो गई, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष में 613.8 करोड़ रुपये थी। यह आंकड़े कंपनी की वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट से प्राप्त हुए हैं, जिसे रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में दर्ज किया गया है।

cashfree कैपिटल जुटाने में कमी का प्रभाव

Cashfree पिछले 30 महीनों में कोई नई पूंजी नहीं जुटाई है। इस कारण गैर-संचालन आय, जैसे कि बैंक डिपॉजिट्स और इनकम टैक्स रिफंड्स से आय केवल 2.1 करोड़ रुपये तक सीमित रही। इन आंकड़ों के साथ, बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने कुल 444.7 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया। हालांकि, कंपनी ने FY24 के लिए राजस्व का विस्तृत विवरण नहीं दिया, लेकिन फाइलिंग से यह साफ है कि कंपनी का मुख्य राजस्व स्रोत सेवाओं की बिक्री से आया है।

हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि कैशफ्री अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा ट्रांजेक्शन-आधारित शुल्कों से अर्जित करता है। इसमें पेमेंट और डिस्बर्समेंट ट्रांजेक्शन पर प्रतिशत या फ्लैट शुल्क के रूप में शुल्क वसूलना शामिल है। इसके साथ ही, कैशफ्री अपने ग्राहकों के लिए बिजनेस पेआउट जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है।

cashfree कंपनी का खर्च और उसके घटक

cashfree के वित्तीय आंकड़ों में सबसे बड़े खर्च के रूप में सामग्री की लागत उभरकर सामने आई है, जो कि FY24 में 426.6 करोड़ रुपये पर स्थिर रही। वहीं, कर्मचारी लाभ FY24 में 23% बढ़कर 245 करोड़ रुपये तक पहुंच गए। कंपनी के अन्य खर्चों में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR), इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुपालन से जुड़े खर्च शामिल हैं।

कंपनी के कुल खर्चों में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो FY24 में 779.43 करोड़ रुपये तक पहुंच गए।

आरबीआई के प्रतिबंध का प्रभाव

दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक चले आरबीआई के प्रतिबंध ने कैशफ्री की विकास योजनाओं पर गहरा प्रभाव डाला। नए व्यापारियों को जोड़ने पर यह प्रतिबंध कंपनी के राजस्व वृद्धि में बड़ी बाधा बना। डिजिटल पेमेंट उद्योग में तेजी से बढ़ रहे प्रतिस्पर्धा के बीच, यह प्रतिबंध कंपनी के लिए एक चुनौती साबित हुआ।

कैशफ्री के लिए नए व्यापारियों को जोड़ना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उसका ग्राहक आधार और लेनदेन की मात्रा बढ़ती है, जो सीधे तौर पर राजस्व वृद्धि में सहायक होता है। हालांकि, इस प्रतिबंध के कारण कंपनी को नए व्यापारियों के माध्यम से नए राजस्व स्रोत उत्पन्न करने में कठिनाई हुई।

डिजिटल पेमेंट्स उद्योग में कैशफ्री की स्थिति

भारत में डिजिटल पेमेंट्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, और कैशफ्री इस उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। अपनी सेवाओं के जरिए यह व्यवसायों और उपभोक्ताओं को विभिन्न भुगतान और डिस्बर्समेंट सुविधाएं प्रदान करती है। इसके अलावा, यह कई प्रमुख फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी में भी काम कर रही है।

हालांकि, बाजार में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और आरबीआई के कड़े नियमों के चलते, कैशफ्री के लिए टिकाऊ विकास सुनिश्चित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। कंपनी के लिए आगे की राह में नए निवेशकों को आकर्षित करना और सेवाओं का विस्तार करना महत्वपूर्ण होगा।

भविष्य की संभावनाएं और रणनीति

आरबीआई के प्रतिबंध के हटने के बाद, कंपनी के पास नए व्यापारियों को जोड़ने और अपने ग्राहक आधार को पुनः बढ़ाने का अवसर होगा। यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, जिससे कंपनी की राजस्व वृद्धि में पुनः तेजी आ सकती है।

कैशफ्री को भविष्य में अपनी सेवाओं को और अधिक विविध बनाने पर ध्यान देना होगा ताकि यह विभिन्न प्रकार के ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। इसके साथ ही, कंपनी को डिजिटल पेमेंट उद्योग में नए ट्रेंड्स और टेक्नोलॉजी का लाभ उठाते हुए अपने प्लेटफॉर्म को और अधिक प्रभावी बनाना होगा।

कर्मचारी लाभ और लागत प्रबंधन

कैशफ्री के वित्तीय प्रदर्शन में कर्मचारी लाभों में वृद्धि एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। FY24 में कंपनी ने कर्मचारियों के लाभ पर 23% अधिक खर्च किया। यह दर्शाता है कि कंपनी अपने कर्मचारियों के वेतन और लाभ को उच्च प्राथमिकता देती है, जो उसकी प्रतिस्पर्धी शक्ति को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

हालांकि, भविष्य में लागत प्रबंधन पर ध्यान देना भी कंपनी के लिए आवश्यक होगा, ताकि यह बढ़ते खर्चों का प्रबंधन करते हुए अपनी लाभप्रदता को बनाए रख सके।

निष्कर्ष

कैशफ्री ने FY24 में मामूली वृद्धि दर्ज की, जिसका मुख्य कारण आरबीआई के प्रतिबंध को माना जा सकता है। हालांकि, कंपनी के पास अब नए व्यापारियों को जोड़ने का मौका है, जिससे भविष्य में राजस्व वृद्धि की संभावना है।

डिजिटल पेमेंट्स उद्योग में कैशफ्री की स्थिति मजबूत है, और इसके विस्तार और नवाचार के साथ भविष्य में वृद्धि की संभावनाएं मौजूद हैं। भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन और ई-कॉमर्स में बढ़ती मांग के साथ, कैशफ्री के लिए आगे कई अवसर उपलब्ध हैं, जिन्हें कंपनी को भुनाने की आवश्यकता होगी।

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चंडीगढ़ आधारित हेल्थ-टेक प्लेटफॉर्म Viraa Care को मिला $108,000 का प्री-सीड फंडिंग

Viraa Care

भारत में स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में बढ़ती जागरूकता के बीच, चंडीगढ़ आधारित हेल्थ-टेक प्लेटफॉर्म Viraa Care ने यूरोपीय एंजल इन्वेस्टर्स के समूह से $108,000 की प्री-सीड फंडिंग जुटाई है। इससे पहले, जनवरी 2024 में कंपनी ने इसी राउंड में $100,000 का निवेश हासिल किया था।

Viraa Care की सह-संस्थापिका सोनल बब्बर-भारद्वाज और मयंक भारद्वाज ने इसे 2023 में स्थापित किया। प्लेटफॉर्म का उद्देश्य नवजात और शिशुओं के पोषण के लिए ऐसी मार्गदर्शन प्रदान करना है, जो ताजगी और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पर आधारित हो। इस फंडिंग का उपयोग Viraa Care के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार और लाइव कोर्सेस के विकास के लिए किया जाएगा, जिससे माता-पिता को पोषण विशेषज्ञों से सीधे मार्गदर्शन मिल सके।

Viraa Care कस्टमाइज्ड कोर्सेस और लाइव सेशंस

Viraa Care माता-पिता के लिए ऑनलाइन कोर्सेस का एक व्यापक सेट प्रदान करता है, जिसमें शिशु पोषण, स्तनपान, बोतल से दूध पिलाना, ठोस आहार की शुरुआत, और बच्चों में पोषण से संबंधित कई पहलू शामिल हैं। इन कोर्सेस का उद्देश्य माता-पिता को ऐसे मार्गदर्शन प्रदान करना है, जो बच्चों को प्रसंस्कृत और रसायनों से भरे उत्पादों से दूर रखते हुए प्राकृतिक और ताजे खाद्य पदार्थों पर आधारित हो।

कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म पर दो प्रमुख प्रोग्राम्स पेश किए हैं – वन-ऑन-वन कंसल्टेशन और लाइव कोर्सेस। वन-ऑन-वन प्रोग्राम तीन महीने का होता है, जिसमें विशेषज्ञों के साथ व्यक्तिगत सत्रों के माध्यम से माता-पिता को विस्तृत मार्गदर्शन मिलता है। दूसरी ओर, लाइव कोर्सेस में रिकॉर्डेड लेक्चर्स के साथ लाइव इंटरएक्टिव सेशंस भी होते हैं, जिससे माता-पिता विशेषज्ञों के साथ सीधे सवाल-जवाब कर सकते हैं। हर कोर्स में सामान्यतः पाँच मॉड्यूल शामिल होते हैं।

अंतरराष्ट्रीय विस्तार की योजना

Viraa Care ने इस फंडिंग का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लिए समर्पित किया है। कंपनी का लक्ष्य है कि यह मॉडल न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी लागू हो सके, जहां माता-पिता को शिशु पोषण के क्षेत्र में विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता है। यूरोप, अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों में कदम रखते हुए, कंपनी ने वहां के माता-पिता के लिए भी अपनी सेवाएं सुलभ बनाने की योजना बनाई है।

ताजे और प्राकृतिक भोजन पर फोकस

Viraa Care का दृष्टिकोण शिशु और बच्चों के आहार में ताजे और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का महत्व समझाना है। कंपनी के अनुसार, अधिकांश पारंपरिक बेबी प्रोडक्ट्स में प्रिजर्वेटिव्स और आर्टिफिशियल एडिटिव्स होते हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं होते। Viraa Care ने अपने कोर्सेस और व्यक्तिगत मार्गदर्शन के माध्यम से माता-पिता को इनसे दूर रहने और बच्चों को प्राकृतिक आहार प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

बच्चों के लिए व्यक्तिगत देखभाल और प्रशिक्षण

Viraa Care के वन-ऑन-वन कंसल्टेशन प्रोग्राम में माता-पिता को तीन महीने तक लगातार पोषण विशेषज्ञों से सलाह मिलती है। यह प्रोग्राम उन माता-पिता के लिए खासतौर पर उपयोगी है, जो बच्चों के आहार के बारे में विशेष चिंताएं रखते हैं, जैसे कि बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत, स्तनपान के दौरान कठिनाई, या बच्चों में पोषण की कमी को दूर करना।

यह प्रोग्राम माता-पिता को व्यक्तिगत रूप से उनके बच्चे की आवश्यकताओं के अनुसार सुझाव देता है, जो हर परिवार के लिए अलग होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि माता-पिता बच्चों को सही पोषण और आवश्यक आहार देने के बारे में आत्मविश्वास महसूस करें।

लाइव कोर्सेस के माध्यम से समूह में सीखने का अवसर

Viraa Care का लाइव कोर्सेस प्रोग्राम भी बेहद लोकप्रिय हो रहा है। इसमें माता-पिता लाइव सेशंस में भाग लेकर विशेषज्ञों से सीधे सवाल-जवाब कर सकते हैं, जिससे उन्हें अन्य माता-पिता के साथ अनुभव साझा करने और सीखने का अवसर मिलता है। हर लाइव कोर्स में पाँच मुख्य मॉड्यूल होते हैं, जो पोषण के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं, जैसे कि स्तनपान, बच्चों के लिए सुरक्षित खाद्य पदार्थ, ठोस आहार, और पोषण की अच्छी आदतें।

माता-पिता के लिए व्यापक समाधान

Viraa Care का लक्ष्य बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समग्र समाधान प्रदान करना है। प्लेटफॉर्म के कोर्सेस और व्यक्तिगत मार्गदर्शन कार्यक्रम को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि माता-पिता को शिशु पोषण में किसी भी तरह की समस्याओं के लिए व्यापक मार्गदर्शन मिल सके। विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए ये कोर्स माता-पिता को सही निर्णय लेने और बच्चों को पोषण देने के प्रति आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करते हैं।

भविष्य की योजनाएं

फंडिंग के बाद, Viraa Care अपने कोर्सेस में और अधिक मॉड्यूल जोड़ने और नए विशेषज्ञों के साथ जुड़ने की योजना बना रही है। इसके अलावा, कंपनी जल्द ही अपने प्लेटफॉर्म पर आहार और पोषण प्रबंधन से संबंधित अन्य विषयों पर भी नए कोर्सेस शुरू करने वाली है। Viraa Care का यह प्रयास बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए माता-पिता को एक सहज और सुरक्षित प्लेटफॉर्म प्रदान करना है।

निष्कर्ष

Viraa Care का यह फंडिंग राउंड एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे कंपनी शिशु पोषण के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की तैयारी में है। यूरोपीय निवेशकों का समर्थन कंपनी के लिए अंतरराष्ट्रीय विस्तार का अवसर भी खोलता है। इस पहल से न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी माता-पिता को अपने बच्चों के पोषण के प्रति जागरूक बनाने में मदद मिलेगी। Viraa Care का यह दृष्टिकोण और प्रयास शिशुओं की देखभाल और पोषण के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित करने की ओर बढ़ रहा है।

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EV-as-a-Service प्लेटफार्म Hala Mobility ने जुटाए ₹51 करोड़, भारत में विस्तार की योजना

Hala Mobility

EV-as-a-Service प्लेटफार्म Hala Mobility ने हाल ही में अपने प्री-सीरीज A फंडिंग राउंड में ₹51 करोड़ (लगभग $6 मिलियन) जुटाए हैं। यह फंडिंग संस्थापकों श्रीकांत रेड्डी और स्नेहित रेड्डी, Previa Health के संस्थापक फणी रामिनेनी, रोहन बजाज सिंडिकेट के माध्यम से Invstt, सार्थी एंजेल्स, Bestvantage, और कई हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) तथा फैमिली ऑफिस के नेटवर्क से प्राप्त हुई है।

Hala Mobility EV फ्लीट विस्तार और छह शहरों में विस्तार का लक्ष्य

कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस फंड का उपयोग Hala Mobility के EV फ्लीट को बढ़ाने और भारत के छह अतिरिक्त शहरों में अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए किया जाएगा। Hala Mobility का लक्ष्य दिसंबर अगले साल तक 10,000 नए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने फ्लीट में शामिल करना है, जिससे यह शहरी परिवहन को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-सम्मत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सके।

2020 में हुई Hala Mobility की स्थापना

Hala Mobility की स्थापना 2020 में श्रीकांत रेड्डी, स्नेहित रेड्डी मेड, और आनंद पारीक द्वारा की गई थी। कंपनी का उद्देश्य EV-as-a-Service प्लेटफार्म के माध्यम से ई-कॉमर्स कंपनियों और गिग वर्कर्स को इलेक्ट्रिक वाहनों की सुविधा प्रदान करना है। कंपनी का प्लेटफार्म एक ऐप के साथ आता है, जिसमें EV, बैटरी और ड्राइवर प्रबंधन के लिए सॉफ़्टवेयर शामिल है, जो 95% अपटाइम गारंटी और चौबीसों घंटे सेवा उपलब्धता सुनिश्चित करता है।

Hala Mobility ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ भागीदारी

हैदराबाद स्थित इस स्टार्टअप ने वर्तमान में Bigbasket, Zomato, और Zepto जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ भागीदारी की है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने 13 इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माताओं और आठ बैटरी निर्माताओं के साथ साझेदारी की है। Hala Mobilityका एक सघन सेवा नेटवर्क सेटअप है, जिसे S3 स्टेशन के रूप में जाना जाता है। ये S3 स्टेशन मांग और आपूर्ति के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जो कंपनी के EV-as-a-Service मॉडल को समर्थन प्रदान करते हैं।

Hala Mobility टिकाऊ और पर्यावरण-सम्मत शहरी परिवहन का उद्देश्य

Hala Mobility का उद्देश्य है कि वह अपने प्लेटफार्म के माध्यम से शहरी परिवहन को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-सम्मत बनाए। इसके लिए वे नए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने बेड़े में शामिल कर रहे हैं और कई शहरों में अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं। कंपनी के संस्थापक मानते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग से शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण कम होगा और लोगों को एक सस्ता, सुलभ और प्रभावी परिवहन का विकल्प मिलेगा।

अगले कदम

इस फंडिंग के साथ, Hala Mobility का लक्ष्य है कि वह अपनी सेवाओं का दायरा और अधिक बढ़ा सके। कंपनी अपनी EV फ्लीट का आकार बढ़ाने के साथ-साथ अपने ऐप में नए फीचर्स जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे ग्राहकों को एक सहज अनुभव मिल सके।

EV क्षेत्र में तेजी से बढ़ते कदम

Hala Mobility का फोकस EV फ्लीट में तेज वृद्धि पर है। कंपनी ने अगले वर्ष के अंत तक 10,000 से अधिक नए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने बेड़े में जोड़ने की योजना बनाई है। Hala का EV-as-a-Service मॉडल भारत के शहरी क्षेत्रों में गिग वर्कर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए परिवहन सेवाओं में सुधार कर रहा है, जिससे इन व्यवसायों के संचालन में कुशलता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है। कंपनी का लक्ष्य शहरों में अधिक EV प्वाइंट्स, जैसे चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग केंद्र, स्थापित करना भी है, ताकि ड्राइवरों को निरंतर सेवा उपलब्ध हो सके और वे समय की बचत कर सकें।

तकनीकी नवाचार: ऐप और बैटरी प्रबंधन

Hala Mobility का प्लेटफार्म तकनीकी नवाचारों पर आधारित है, जिसमें EV और बैटरी प्रबंधन के लिए एक विशेष ऐप शामिल है। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य फ्लीट का प्रभावी प्रबंधन करना, बैटरी उपयोग की निगरानी करना और ड्राइवरों के कार्य को सुगम बनाना है। Hala का यह ऐप ग्राहकों को 24×7 सेवा उपलब्ध कराने की सुविधा देता है, साथ ही वाहन और बैटरी की स्थिति की जानकारी भी देता है। इसके जरिए कंपनी अपने फ्लीट का अपटाइम अधिकतम 95% तक सुनिश्चित करने में सक्षम हो रही है, जिससे यह अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान कर सके।

सस्टेनेबल मोबिलिटी के लिए बढ़ती मांग

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति रुचि लगातार बढ़ रही है, और Hala Mobility इस मांग को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। बढ़ते शहरीकरण, वायु प्रदूषण की समस्याओं और पर्यावरणीय समस्याओं के कारण EV सेक्टर में निवेश और उपयोग दोनों ही बढ़ रहे हैं। Hala Mobility, ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी कंपनियों के साथ मिलकर अपने प्लेटफार्म का विस्तार कर रही है, ताकि उन कंपनियों को अपने संचालन को अधिक पर्यावरण-सम्मत बनाने में मदद मिले।

ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण

Hala Mobility ने अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी है, विशेष रूप से ई-कॉमर्स और गिग इकोनॉमी से जुड़े कर्मचारियों के लिए। ये ड्राइवर अक्सर दिन में लंबे समय तक सड़क पर रहते हैं, और उनके लिए एक सुरक्षित, सुगम और पर्यावरण-सम्मत परिवहन माध्यम महत्वपूर्ण है। Hala के प्लेटफार्म में अत्याधुनिक बैटरी प्रबंधन सिस्टम और कस्टमर सपोर्ट सुविधाएं शामिल हैं, जो ड्राइवरों के लिए हर परिस्थिति में उपयोगी साबित होती हैं। इसके अलावा, Hala Mobility अपने ड्राइवरों और ग्राहकों को वास्तविक समय में वाहन की स्थिति और सेवा की उपलब्धता की जानकारी प्रदान करती है, जिससे सेवा में पारदर्शिता और भरोसे में इजाफा होता है।

सस्टेनेबल मोबिलिटी में बदलाव का प्रयास

Hala Mobility के संस्थापकों का मानना है कि भारत में सस्टेनेबल मोबिलिटी में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने की क्षमता है। कंपनी का उद्देश्य देश में प्रदूषण को कम करना और शहरी परिवहन को एक नया स्वरूप देना है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती स्वीकार्यता और सरकार द्वारा EV क्षेत्र में प्रोत्साहन नीतियों से Hala जैसे स्टार्टअप्स को बड़े स्तर पर काम करने का अवसर मिल रहा है। कंपनी का लक्ष्य भारत में EV परिवहन को अधिक किफायती और सुलभ बनाना है, ताकि लोग आसानी से इसे अपनाएं और प्रदूषण को कम करने में योगदान दें।

आगे की योजना

फंडिंग प्राप्त करने के बाद, Hala Mobility के पास EV क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ाने का अच्छा अवसर है। कंपनी ने अपनी EV फ्लीट में नए वाहनों को जोड़ने के साथ-साथ, देश के अन्य प्रमुख शहरों में विस्तार करने की योजना बनाई है। भविष्य में, Hala अन्य परिवहन साधनों जैसे इलेक्ट्रिक तिपहिया और चार-पहिया वाहनों को भी अपने प्लेटफार्म में शामिल करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, कंपनी अपने EV सॉल्यूशन को और भी बेहतर बनाने के लिए नए तकनीकी समाधान और ग्राहक-केंद्रित सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

निष्कर्ष

Hala Mobility का यह फंडिंग राउंड न केवल कंपनी के विकास के लिए बल्कि भारत में EV-as-a-Service क्षेत्र में विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। कंपनी का सस्टेनेबल मोबिलिटी के प्रति समर्पण और विभिन्न शहरों में अपनी सेवाओं का विस्तार करने का लक्ष्य इसे एक प्रमुख EV सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। Hala Mobility का यह प्रयास शहरी परिवहन को बदलने और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।

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वित्तीय वर्ष 2024 में Google India की 26% राजस्व वृद्धि

Google India

वित्तीय वर्ष 2024 में Google India ने अपनी ग्रोथ जारी रखी है, जिसमें कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 26% बढ़कर 5,500 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया है। हालांकि, टैक्स के बाद का शुद्ध लाभ केवल 6% बढ़कर 1,424 करोड़ रुपये रहा है।

Registrar of Companies (RoC) में दर्ज वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, Google India का FY24 में परिचालन से राजस्व 5,518 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 4,504 करोड़ रुपये था। इस अवधि में कंपनी की अन्य आय में 106% की वृद्धि हुई और यह 195 करोड़ रुपये से बढ़कर 403 करोड़ रुपये हो गई। इससे कंपनी की कुल आय FY23 के 4,700 करोड़ रुपये से बढ़कर FY24 में 5,921 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।

मुख्य राजस्व स्रोतों का प्रदर्शन

Google India तीन प्रमुख स्रोतों से राजस्व अर्जित करता है: विज्ञापन, आईटी-समर्थित सेवाएं, और एंटरप्राइज़ उत्पाद। इनमें से सबसे बड़ा योगदान विज्ञापन का है। FY24 में आईटी-समर्थित सेवाओं से राजस्व में 16% की वृद्धि हुई और यह 2,389 करोड़ रुपये हो गया। वहीं, विज्ञापन स्पेस की बिक्री से राजस्व में 27% की वृद्धि दर्ज की गई और यह 2,954 करोड़ रुपये हो गया।

एंटरप्राइज़ उत्पादों से राजस्व में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई, जो FY23 के 111 करोड़ रुपये से बढ़कर FY24 में 174 करोड़ रुपये हो गया, जो कि 57% की वृद्धि है। यह राजस्व का विविधीकरण Google India की डिजिटल विज्ञापन में मजबूत स्थिति को दर्शाता है, साथ ही यह एंटरप्राइज़ और आईटी सेवाओं के क्षेत्र में भी इसके विस्तार को रेखांकित करता है।

खर्चों में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2024 में कर्मचारी लाभ खर्चों में 10% की वृद्धि हुई और यह 1,989 करोड़ रुपये हो गया। वहीं, फाइनेंस लागत में मामूली 6.4% की बढ़ोतरी देखी गई और यह 142 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। कंपनी ने संपत्ति के कुशल उपयोग को ध्यान में रखते हुए अपने डिप्रिशिएशन और एमॉर्टाइजेशन खर्चों में 11.6% की कमी की, जिससे यह 314 करोड़ रुपये से घटकर 277 करोड़ रुपये हो गया।

प्रशासनिक और संचालन खर्चों में भी 31% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह 1,774 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि कंपनी अपने परिचालन में और विस्तार कर रही है और नए क्षेत्रों में निवेश कर रही है।

डिजिटल विज्ञापन में Google India की मजबूत स्थिति

Google India का राजस्व वृद्धि विशेष रूप से डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में उसकी बढ़ती मांग को दर्शाता है। साथ ही, एंटरप्राइज़ और आईटी सेवाओं में इसकी वृद्धि कंपनी की व्यवसाय रणनीति में विविधता लाने और नए क्षेत्रों में बढ़ते कदमों को दर्शाती है।

भारत में डिजिटल स्पेस में Google India की बढ़ती स्थिति उसे अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले और भी मजबूत बनाती है। कंपनी का विज्ञापन राजस्व विशेष रूप से उन व्यवसायों के लिए आकर्षक है जो डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से अपने ग्राहकों तक पहुँचने के लिए नई रणनीतियाँ अपना रहे हैं।

निष्कर्ष

Google India ने वित्तीय वर्ष 2024 में मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज की है, जिसमें उसके विभिन्न राजस्व स्रोतों में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। कंपनी ने विज्ञापन, आईटी सेवाएं और एंटरप्राइज़ उत्पादों के क्षेत्र में अपने व्यवसाय का विस्तार किया है। हालांकि, कंपनी का शुद्ध लाभ अपेक्षाकृत कम बढ़ा है, लेकिन खर्चों में नियंत्रण और नई आय स्रोतों की वजह से इसका समग्र वित्तीय प्रदर्शन स्थिर रहा है।

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वित्तीय वर्ष 2024 में Walmart India की स्थिर ग्रोथ, नुकसान में 68% की कमी

Walmart India

वित्तीय वर्ष 2024 के अंत तक Walmart India ने 4% की ग्रोथ के साथ अपनी स्थिरता बनाए रखी। कंपनी, जो “बेस्ट प्राइस” ब्रांड के तहत 28 B2B आधुनिक थोक स्टोर संचालित करती है, ने इस अवधि में अपने नुकसान को 68% तक कम किया है।

कंपनी की RoC में दर्ज वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, Walmart India का FY24 में राजस्व 5,200 करोड़ रुपये रहा, जो FY23 के 5,006 करोड़ रुपये से बढ़ा है। Walmart India का मुख्य राजस्व थोक व्यापार से आता है, जिसमें खाद्य और गैर-खाद्य दोनों उत्पादों का बड़ा योगदान है। इसके अलावा, अन्य आय, जैसे वित्तीय उपकरणों से लाभ और बैंक जमा पर ब्याज, में 37% की बढ़ोतरी हुई है, जो कि FY24 में 5.42 करोड़ रुपये थी।

Walmart India खर्चों में नियंत्रण
Walmart India का सबसे बड़ा खर्च स्टॉक-इन-ट्रेड की खरीद में हुआ, जो 5.7% बढ़कर 4,820 करोड़ रुपये हो गया। वहीं, कर्मचारियों के लाभों पर होने वाले खर्चों में थोड़ी गिरावट आई और यह 155 करोड़ रुपये रहा। डिप्रिशिएशन और एमॉर्टाइजेशन खर्च में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जो 87% घटकर 33 करोड़ रुपये पर आ गया। वित्त लागतों में मामूली बढ़त रही और यह 69.64 करोड़ रुपये थी।

कुल मिलाकर, कंपनी के खर्चों में 2.4% की कमी आई और FY24 में कुल खर्च 5,354 करोड़ रुपये रहा। खर्चों को इस प्रकार नियंत्रित करने के कारण Walmart India को अपने घाटे में कमी लाने में मदद मिली है।

Walmart India नुकसान में 68% की कमी
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान, Walmart India ने अपने राजस्व को स्थिर रखते हुए अपने नुकसान को नियंत्रित किया। अन्य आय को ध्यान में रखते हुए, कंपनी का कुल घाटा 151.91 करोड़ रुपये पर रहा।

Walmart India फ्लिपकार्ट का प्रदर्शन
Walmart के स्वामित्व में Flipkart भी आता है, जो भारत में Amazon का प्रमुख प्रतिस्पर्धी है। Flipkart की समेकित वित्तीय रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुई है, लेकिन इसके मार्केटप्लेस आर्म ने वित्तीय वर्ष 2024 में 26.4% की वृद्धि दर्ज की है और कुल व्यापार मूल्य (GMV) 70,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। इसके अलावा, Flipkart ने अपने नुकसान को भी 13.2% तक घटाया है, जो FY24 में 4,248 करोड़ रुपये पर रहा।

प्रतिस्पर्धा
Walmart India को भारतीय थोक और खुदरा बाजार में Reliance Retail और Metro Cash & Carry जैसे संगठित प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

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फेस्टिव सीजन में Ola Electric ने बाजार हिस्सेदारी में की वापसी, अक्टूबर में बिक्री में 68% की वृद्धि

ola electric

लगातार घटती बाजार हिस्सेदारी के बाद, बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माता Ola Electric ने अक्टूबर में एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत की है। फेस्टिवल सीजन के दौरान कंपनी की बिक्री में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई, जिससे बाजार में उसकी स्थिति में सुधार हुआ है।

वहान डेटा के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक ने अक्टूबर में 41,605 यूनिट्स की बिक्री की, जो सितंबर की लगभग 24,726 यूनिट्स की बिक्री से 68% अधिक है। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी भी बढ़कर अक्टूबर में 30% हो गई, जबकि पिछले महीने यह 27% थी।

हालांकि, यह आंकड़ा पिछले कुछ महीनों की तुलना में अब भी कम है, जब ओला की बाजार हिस्सेदारी अगस्त में 32%, जुलाई में 39%, और जून में 49% थी। इस गिरावट के बावजूद, कंपनी ने फेस्टिवल सीजन का लाभ उठाते हुए अक्टूबर में अपनी स्थिति को सुधारने में सफलता पाई है।

Ola Electric दोपहिया बाजार में अक्टूबर की बिक्री

अक्टूबर 2024 में भारतीय इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में कुल 1,39,031 यूनिट्स की बिक्री हुई। ओला इलेक्ट्रिक ने 29,890 यूनिट्स के साथ बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखी, जिसके बाद टीवीएस मोटर्स ने 28,188 यूनिट्स की बिक्री की। इसके बाद बजाज ऑटो 15,984 यूनिट्स के साथ, एथर एनर्जी 7,309 यूनिट्स के साथ, और हीरो मोटोकॉर्प 7,137 यूनिट्स के साथ शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल रहे।

इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि ओला इलेक्ट्रिक ने अक्टूबर में बाजार में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए रखी है। फेस्टिव सीजन के दौरान बढ़ी हुई बिक्री से संकेत मिलता है कि ग्राहकों के बीच इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है।

ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ सीसीपीए द्वारा कार्रवाई

हाल के समय में, ओला इलेक्ट्रिक कई विवादों का सामना कर रही है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कंपनी को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक ने सीसीपीए के साथ दर्ज की गई लगभग सभी बाद-सेवा शिकायतों का समाधान कर लिया है, जैसा कि हालिया स्पष्टीकरण में बताया गया है। फिर भी, उपभोक्ता मामलों का विभाग इन शिकायतों के समाधान की पुष्टि के लिए जांच कर रहा है। कंपनी का कहना है कि वह उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इन विवादों के कारण ओला इलेक्ट्रिक को सार्वजनिक रूप से काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ और सोशल मीडिया विवाद

ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविश अग्रवाल की एक सोशल मीडिया पर हुई बातचीत भी हाल ही में चर्चा का विषय बनी। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कॉमेडियन कुनाल कामरा ने ओला इलेक्ट्रिक के उत्पादों और सेवा गुणवत्ता पर सवाल उठाए। इस पर भाविश अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी, जिससे सोशल मीडिया पर कंपनी की काफी चर्चा हुई।

ग्राहकों की शिकायतों और इस सोशल मीडिया विवाद ने कंपनी को मीडिया और जनता के बीच सुर्खियों में बनाए रखा है। ओला इलेक्ट्रिक ने अपने ग्राहकों की चिंताओं का समाधान करने का आश्वासन दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में कंपनी इन मुद्दों से कैसे निपटती है।

वित्तीय प्रदर्शन और कंपनी के स्टॉक में गिरावट

ओला इलेक्ट्रिक ने वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1 FY25) में अपने राजस्व में 2.8% की मामूली वृद्धि दर्ज की, जो कि Q4 FY24 में 1,598 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,644 करोड़ रुपये हो गया। साथ ही, कंपनी के घाटे में भी 16.6% की कमी आई और यह घटकर 347 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, कंपनी का स्टॉक अभी 80 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, जो कि अगस्त के मध्य में अपने उच्चतम स्तर 157.53 रुपये से लगभग 50% कम है।

बाजार फिलहाल Q2 के परिणामों का इंतजार कर रहा है, और निवेशकों को उम्मीद है कि ओला इलेक्ट्रिक की वित्तीय स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। ओला इलेक्ट्रिक की वित्तीय स्थिति में लगातार सुधार इसे भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद कर सकता है।

ओला इलेक्ट्रिक की चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति

ओला इलेक्ट्रिक के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें ग्राहक सेवा में सुधार, उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखना और वित्तीय प्रदर्शन को सुधारना शामिल है। कंपनी को उपभोक्ता अधिकारों और सेवा गुणवत्ता के मामले में अपने ब्रांड को मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसके अलावा, कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके उत्पाद और सेवाएँ ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरे उतरें। इसके लिए ओला इलेक्ट्रिक को अपने ग्राहक सेवा और उत्पाद गुणवत्ता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिससे ग्राहकों का विश्वास फिर से जीता जा सके।

निष्कर्ष

अक्टूबर 2024 में ओला इलेक्ट्रिक ने फेस्टिवल सीजन के दौरान अपनी बिक्री और बाजार हिस्सेदारी में सुधार दर्ज किया है, लेकिन अभी भी इसे कई चुनौतियों का सामना करना है। भारतीय इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखने के लिए कंपनी को उपभोक्ता संतुष्टि और सेवा गुणवत्ता पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।

बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि ओला इलेक्ट्रिक अपनी स्थिति को कैसे बनाए रखती है। कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और स्टॉक मूल्य में सुधार की संभावना से निवेशक उत्साहित हैं, लेकिन कंपनी को उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने और अपने ब्रांड की छवि को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

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UPI में अक्टूबर 2024 में वृद्धि, 16.58 बिलियन लेनदेन दर्ज

UPI

भारत के Unified Payments Interface (UPI) ने सितंबर से अक्टूबर 2024 के बीच लेनदेन की संख्या और मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में यूपीआई ने कुल 16.58 बिलियन लेनदेन किए, जो सितंबर के 15.04 बिलियन से 10% अधिक है।

अक्टूबर मेंUPI लेनदेन का कुल मूल्य 14% बढ़कर 23.50 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो सितंबर में 20.64 लाख करोड़ रुपये था। यह वृद्धि पिछले साल की तुलना में 45% अधिक लेनदेन और 37% अधिक लेनदेन मूल्य के कारण हुई है, जो कि डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।

UPI दैनिक लेनदेन में भी तेजी से वृद्धि

अक्टूबर में औसत दैनिक लेनदेन की संख्या 501 मिलियन से बढ़कर 535 मिलियन हो गई, और दैनिक लेनदेन राशि भी बढ़कर 75,801 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो सितंबर में 68,800 करोड़ रुपये थी। यह वृद्धि यूपीआई के प्रति भारतीय उपभोक्ताओं की बढ़ती निर्भरता और भरोसे को प्रदर्शित करती है। दैनिक लेनदेन में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि भारत में लोग कैशलेस लेनदेन को तेजी से अपना रहे हैं और यूपीआई को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर रहे हैं।

यूपीआई मार्केट में कंपनियों की स्थिति

सितंबर 2024 में, फोनपे (PhonePe) ने यूपीआई लेनदेन में 48% हिस्सेदारी के साथ अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखी। इसके बाद 37.4% हिस्सेदारी के साथ गूगल पे (Google Pay) दूसरे स्थान पर था, और पेटीएम (Paytm) 7% हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर था। अक्टूबर के बाजार हिस्सेदारी के आंकड़े अभी प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन अनुमान है कि ये तीनों कंपनियां यूपीआई में अपनी पकड़ को बनाए रखेंगी।

हाल ही में, एनपीसीआई ने वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड, जो पेटीएम की मूल कंपनी है, को अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर नए उपयोगकर्ताओं को जोड़ने की अनुमति दी है। इस अनुमति के माध्यम से पेटीएम को अपने यूज़र बेस का विस्तार करने और यूपीआई क्षेत्र में अपनी मार्केट हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह कदम पेटीएम के लिए यूपीआई के प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर है।

एनपीसीआई द्वारा यूपीआई में महत्वपूर्ण बदलाव

एनपीसीआई ने हाल ही में यूपीआई के लेनदेन सीमा में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। कुछ प्रकार के यूपीआई भुगतानों के लिए ऊपरी सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो पहले की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, यूपीआई लाइट वॉलेट और यूपीआई 123पे (UPI 123Pay) के लिए भी सीमा बढ़ाई गई है। ये बदलाव डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किए गए हैं और भारत सरकार के 2026-27 तक प्रतिदिन 1 बिलियन लेनदेन करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार का उद्देश्य है कि देश में डिजिटल लेनदेन को एक नए स्तर पर ले जाया जाए, जिससे नकद लेनदेन की निर्भरता को कम किया जा सके। यूपीआई के इन बदलावों से उम्मीद है कि उपभोक्ता अधिक से अधिक डिजिटल भुगतानों की ओर प्रेरित होंगे, जिससे देश का कैशलेस अर्थव्यवस्था का सपना साकार हो सकेगा।

यूपीआई की वृद्धि के पीछे के कारण

भारत में यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता के कई कारण हैं। यूपीआई न केवल उपयोग में आसान है, बल्कि यह एक सुरक्षित और त्वरित भुगतान विकल्प भी प्रदान करता है। इसके अलावा, यूपीआई के माध्यम से लेनदेन शुल्क न के बराबर होता है, जिससे छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प बन गया है।

यूपीआई को भारत के सभी प्रमुख बैंक और वॉलेट कंपनियाँ सपोर्ट करती हैं, जिससे इसका उपयोग और भी आसान हो गया है। वहीं, एनपीसीआई और सरकार की ओर से किए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहनों ने भी यूपीआई को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नए बदलावों और सुविधाओं ने यूपीआई को न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकप्रिय बना दिया है।

सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन और यूपीआई का योगदान

भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के तहत यूपीआई का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। सरकार का उद्देश्य है कि देश में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जाए और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जाए। यूपीआई के माध्यम से लोग न केवल सामान खरीद सकते हैं बल्कि अपने दोस्तों और परिवार को भी तुरंत पैसे भेज सकते हैं, जिससे कैशलेस लेनदेन का एक नया चलन शुरू हुआ है।

एनपीसीआई की ओर से किए जा रहे बदलावों के साथ-साथ सरकार के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यूपीआई एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। देश में यूपीआई के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है और छोटे व्यापारियों को भी डिजिटल लेनदेन को अपनाने का अवसर मिल रहा है।

निष्कर्ष

अक्टूबर 2024 में यूपीआई में दर्ज की गई यह वृद्धि भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है। फोनपे, गूगल पे और पेटीएम जैसे प्रमुख खिलाड़ी बाजार में अपनी जगह बनाए हुए हैं, जबकि एनपीसीआई द्वारा किए जा रहे बदलावों के कारण आने वाले समय में यूपीआई का उपयोग और भी बढ़ने की उम्मीद है।

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक प्रतिदिन 1 बिलियन डिजिटल लेनदेन हो, और यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह लक्ष्य प्राप्त करना संभव प्रतीत होता है। नए लेनदेन सीमा और अन्य सुविधाओं के साथ, यूपीआई न केवल बड़े शहरों में बल्कि देश के कोने-कोने में डिजिटल भुगतान का प्रमुख माध्यम बन गया है।

यूपीआई ने भारत के कैशलेस इकोनॉमी के सपने को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय किया है, और यह भारत के डिजिटल भविष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए तैयार है।

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मुंबई स्थित Easy Home Finance ने जुटाए 210.35 करोड़ रुपये

Easy Home Finance

मुंबई स्थित होम लोन प्लेटफ़ॉर्म Easy Home Finance ने क्लेपॉन्ड कैपिटल और एसएमबीसी एशिया के नेतृत्व में 210.35 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है। यह कंपनी के लिए दो साल में पहला पूंजी निवेश है; इससे पहले सितंबर 2023 में कंपनी ने सीरीज ए राउंड में लगभग 8 मिलियन डॉलर जुटाए थे।

Easy Home Finance फंडिंग का वितरण और प्रमुख निवेशक

रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, Easy Home Finance के बोर्ड ने एक विशेष प्रस्ताव पास किया, जिसके तहत 1,27,30,960 फुली पेड इक्विटी शेयर 165.23 रुपये प्रति शेयर की दर पर जारी किए गए। इस निवेश के माध्यम से कंपनी ने कुल 210.35 करोड़ रुपये जुटाए।

फंडिंग राउंड का नेतृत्व क्लेपॉन्ड कैपिटल ने किया, जिसने 150.5 करोड़ रुपये का निवेश किया। एसएमबीसी एशिया राइजिंग फंड ने 48.75 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि एसवीएस ट्रस्ट (IV) और आर्ट कॉर्पोरेट एडवाइजर्स ने 5 करोड़ रुपये का योगदान दिया।

क्लेपॉन्ड कैपिटल, मणिपाल समूह के अध्यक्ष रंजन पई के फैमिली ऑफिस के रूप में जाना जाता है, जिसमें हेल्थिफायमी, आकाश इंस्टीट्यूट, ब्लूस्टोन, फार्मईजी और पर्पल जैसी कई अन्य स्टार्टअप्स में भी निवेश किया गया है।

ईज़ी होम फाइनेंस का होम लोन बाजार में प्रभाव

ईज़ी होम फाइनेंस का मुख्य फोकस होम लोन वितरण और इससे जुड़ी सेवाओं जैसे घर खोजने, रेनोवेशन और शिफ्टिंग असिस्टेंस पर है। कंपनी का दावा है कि उसने तृतीय-पक्ष लेंडर्स के माध्यम से 500 करोड़ रुपये से अधिक के लोन फाइनेंस किए हैं, जिससे 5,000 परिवारों को घर खरीदने में मदद मिली है। यह कंपनी का अनोखा व्यवसाय मॉडल है, जो घर के खरीदारों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

ईज़ी होम फाइनेंस का उद्देश्य केवल वित्तीय सहायता प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक समग्र अनुभव प्रदान करना भी है जिसमें घर ढूंढने से लेकर उसे रेनोवेट करने तक की मदद शामिल है। यह पहल उपभोक्ताओं को होम लोन से जुड़े कई पहलुओं में मदद करती है, जिससे उनका घर खरीदने का सपना आसान हो जाता है।

भारत के बढ़ते हाउसिंग मार्केट में ईज़ी होम फाइनेंस की स्थिति

भारत में हाउसिंग सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और इसमें होम लोन की मांग में भी वृद्धि देखी जा रही है। इस बढ़ते बाजार में ईज़ी होम फाइनेंस ने एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। कंपनी का उद्देश्य है कि वह विभिन्न आय वर्गों के ग्राहकों के लिए भी किफायती और आसान लोन विकल्प उपलब्ध कराए।

भारत में मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों के लिए घर खरीदना एक बड़ी चुनौती रही है। बैंक अक्सर जटिल प्रक्रियाओं और उच्च ब्याज दरों के कारण होम लोन देने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसी चुनौती को देखते हुए ईज़ी होम फाइनेंस ने एक सरल और उपभोक्ता-केंद्रित अप्रोच अपनाया है, जिसमें वे ग्राहकों की आर्थिक स्थिति और उनकी जरूरतों के अनुसार लोन के विकल्प पेश करते हैं।

कंपनी की भविष्य की योजनाएं और इस निवेश का महत्व

यह नया निवेश ईज़ी होम फाइनेंस को अपनी सेवाओं का विस्तार करने और अपने तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद करेगा। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने डिजिटल प्लेटफार्म को और बेहतर बनाकर होम लोन प्रोसेस को और अधिक सहज बनाए। यह निवेश कंपनी को अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने में भी सहायक होगा, जिससे अधिक से अधिक लोग होम लोन की सुविधाओं का लाभ उठा सकें।

ईज़ी होम फाइनेंस ने अपनी सेवाओं का विस्तार करते हुए टेक्नोलॉजी-ड्रिवन अप्रोच को अपनाया है, जिससे ग्राहकों को कम से कम समय में लोन मिलने में मदद मिलती है। कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक ऐसा प्लेटफार्म विकसित किया है, जो ग्राहकों को उनके प्रोफाइल और आवश्यकता के अनुसार सबसे उपयुक्त लोन विकल्प प्रदान करता है।

रंजन पई के नेतृत्व में क्लेपॉन्ड कैपिटल का योगदान

क्लेपॉन्ड कैपिटल ने ईज़ी होम फाइनेंस के लिए सबसे बड़ा निवेश किया है। रंजन पई का स्टार्टअप्स में निवेश का एक लंबा अनुभव है, और उन्होंने कई सफल कंपनियों में निवेश किया है। उनकी निवेश रणनीति उन्हें अन्य निवेशकों से अलग बनाती है, क्योंकि वे केवल वित्तीय सहायता ही नहीं, बल्कि कंपनी के विकास और विस्तार में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

रंजन पई के फैमिली ऑफिस क्लेपॉन्ड कैपिटल का निवेश केवल एक फाइनेंशियल निवेश नहीं है, बल्कि यह ईज़ी होम फाइनेंस के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन का स्रोत भी है। पई का अनुभव और उनकी टीम की विशेषज्ञता कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।

भारत में होम लोन के क्षेत्र में बढ़ते अवसर

भारत में होम लोन सेक्टर में तेजी से वृद्धि हो रही है। सरकार द्वारा अफोर्डेबल हाउसिंग पर जोर और लोगों में घर खरीदने की बढ़ती इच्छा ने इस सेक्टर में नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त किया है। ईज़ी होम फाइनेंस जैसी कंपनियां इस बढ़ते बाजार में अपनी सेवाओं के माध्यम से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

ईज़ी होम फाइनेंस का यह निवेश भारत में होम लोन के क्षेत्र में कंपनी की स्थिति को मजबूत करेगा और बाजार में अपनी पकड़ को और भी पुख्ता बनाएगा। कंपनी का उद्देश्य अपने ग्राहकों को एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करना है, जिसमें होम लोन के अलावा घर खोजने, खरीदने और शिफ्टिंग की सुविधाएं भी शामिल हैं।

निष्कर्ष

ईज़ी होम फाइनेंस का यह नया निवेश न केवल कंपनी के लिए बल्कि भारतीय होम लोन सेक्टर के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने ग्राहकों को एक सहज और आसान होम लोन प्रक्रिया प्रदान करे, जिससे वे अपने सपनों का घर खरीदने में सक्षम हो सकें। इस निवेश से ईज़ी होम फाइनेंस को अपने प्लेटफार्म को और अधिक विस्तारित करने का अवसर मिलेगा, जिससे भारत के होम लोन मार्केट में उसकी पकड़ और मजबूत होगी।

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Country delight ने 200 करोड़ रुपये का वेंचर डेट फंडिंग जुटाई,

Country delight

गुरुग्राम स्थित डेयरी और डेली एसेंशियल ब्रांड Country Delight ने हाल ही में ऑल्टरिया कैपिटल से 200 करोड़ रुपये की वेंचर डेट फंडिंग जुटाई है। कंपनी ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि यह फंड उनके विस्तार, उत्पादन क्षमता बढ़ाने और ब्रांड मार्केटिंग के प्रयासों के लिए उपयोग किया जाएगा।

कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ चक्रधर गाडे ने कहा, “जैसे-जैसे हम अपने ऑपरेशन्स का विस्तार कर रहे हैं और आईपीओ यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, हमारे लिए विभिन्न प्रकार की पूंजी का उपयोग करके वित्तीय दक्षता में सुधार करना और अगले चरण की वृद्धि के लिए खुद को तैयार करना महत्वपूर्ण है।”

गाडे और नितिन कौशल द्वारा स्थापित, कंट्री डिलाइट अपने ग्राहकों को डेयरी उत्पादों, बेकरी सामान, पोल्ट्री और ताजे फार्म उत्पादों की एक विस्तृत रेंज प्रदान करती है। कंपनी सीधे डेयरी फार्मों से उत्पादों की सोर्सिंग करती है और दिल्ली (एनसीआर), मुंबई, बेंगलुरु, जयपुर, चेन्नई और पुणे सहित 15 शहरों में 1.5 मिलियन ग्राहकों की सेवा करती है।

स्टार्टअप डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म ‘द क्रेडिबल’ के अनुसार, कंट्री डिलाइट यूनिकॉर्न बनने के करीब है, और पिछले इक्विटी राउंड में इसकी वैल्यूएशन लगभग 820 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। अब तक कंपनी ने लगभग 200 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।

‘द आर्क’ की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष FY24 में कंट्री डिलाइट ने 1,380 करोड़ रुपये का राजस्व पोस्ट किया, जबकि FY23 में कंपनी का राजस्व लगभग 900 करोड़ रुपये था, जो FY22 के 542.6 करोड़ रुपये से काफी अधिक था। D2C फर्म ने मई और अगस्त में दो किस्तों में 140 करोड़ रुपये का डेट फंडिंग भी प्राप्त किया था।

Country Delight के तेजी से बढ़ते कारोबार और फंडिंग योजनाओं पर एक नजर

Country Delight की यह हालिया फंडिंग भारतीय डेयरी और उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार में उसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। देश के बड़े शहरों में इसका विस्तार और उत्पादों की बढ़ती मांग ने कंपनी को एक मजबूत स्थिति में ला दिया है। इस वेंचर डेट फंडिंग के साथ, कंपनी न केवल अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना चाहती है, बल्कि अपने उत्पादों की गुणवत्ता और वितरण नेटवर्क को भी विस्तार देने की योजना बना रही है।

Country Delight IPO की तैयारी और वित्तीय रणनीति

चक्रधर गाडे का मानना है कि Country Delight की IPO यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके लिए वित्तीय प्रबंधन और पूंजी के विविध स्रोतों का उपयोग आवश्यक है। यह वेंचर डेट फंडिंग IPO के पहले का एक कदम है, जिससे कंपनी को वित्तीय स्थिरता मिलेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा। इस रणनीति के तहत, कंट्री डिलाइट का उद्देश्य अपने ऑपरेशन्स को बढ़ाना और लागत प्रबंधन को प्रभावी ढंग से करना है।

गाडे ने आगे कहा कि कंपनी का लक्ष्य है कि आने वाले समय में विभिन्न शहरों और छोटे कस्बों में भी अपनी पहुंच को और व्यापक बनाए। उन्होंने कहा, “हम ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी अपने ब्रांड की पहचान को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि अधिकतम उपभोक्ताओं तक अपने ताजे और गुणवत्ता वाले उत्पाद पहुंचा सकें।”

डेयरी से लेकर अन्य आवश्यक उत्पादों की रेंज में विस्तार

कंट्री डिलाइट ने अपनी शुरुआत डेयरी उत्पादों से की थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अन्य दैनिक आवश्यकताओं जैसे बेकरी, पोल्ट्री और फार्म उत्पादों को भी अपनी सूची में शामिल किया है। इस व्यापक उत्पाद रेंज ने ग्राहकों को एक भरोसेमंद विकल्प प्रदान किया है, जहाँ से वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

कंपनी के अनुसार, उनके उत्पाद सीधे फार्मों से ग्राहकों तक पहुंचते हैं, जो उपभोक्ताओं को ताजे और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद सुनिश्चित करता है। यह सीधे फार्म-टू-कस्टमर मॉडल भी कंट्री डिलाइट की प्रमुख यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) में से एक है, जिससे वह अन्य प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल रही है।

वित्तीय प्रदर्शन में निरंतर वृद्धि

कंट्री डिलाइट ने पिछले कुछ वर्षों में अपने वित्तीय प्रदर्शन में लगातार सुधार किया है। जहां FY22 में कंपनी का राजस्व 542.6 करोड़ रुपये था, वहीं FY23 में यह बढ़कर 900 करोड़ रुपये हो गया और FY24 में यह 1,380 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कंपनी के इस तेज़ी से बढ़ते राजस्व ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है और इसके यूनिकॉर्न बनने की संभावना को और भी मजबूत किया है।

स्टार्टअप डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफार्म ‘द क्रेडिबल’ की रिपोर्ट के अनुसार, कंट्री डिलाइट की वर्तमान वैल्यूएशन लगभग 820 मिलियन डॉलर है, जो यह संकेत देती है कि यह जल्द ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो सकती है। यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त करना कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर होगा और इससे उसकी बाजार की स्थिति और मजबूत होगी।

नवीनतम फंडिंग और आने वाले भविष्य की योजनाएं

ऑल्टरिया कैपिटल से प्राप्त 200 करोड़ रुपये की यह नवीनतम फंडिंग कंपनी की विस्तार योजनाओं और ब्रांड निर्माण में सहायता करेगी। कंट्री डिलाइट की योजना है कि इन फंड्स का उपयोग कर वह अपने वितरण नेटवर्क को और मजबूत करे, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद समय पर और ताजे उपलब्ध हो सकें। कंपनी ने मई और अगस्त में भी 140 करोड़ रुपये का डेट फंड प्राप्त किया था, जो उसके वित्तीय बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ बनाने में मदद करेगा।

कंपनी के सह-संस्थापक नितिन कौशल का कहना है कि कंट्री डिलाइट का फोकस न केवल बड़े शहरों में बल्कि छोटे और मझोले शहरों में भी पहुंच बनाने पर है। “हमारा लक्ष्य है कि हम देश के हर कोने में गुणवत्तापूर्ण डेयरी और फार्म उत्पादों को उपलब्ध कराएं। इस नवीनतम फंडिंग से हमें और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिलेगी,” कौशल ने कहा।

कंट्री डिलाइट की ब्रांड पहचान और उपभोक्ता विश्वास

कंट्री डिलाइट ने एक विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण ब्रांड के रूप में अपनी पहचान बनाई है। अपने फार्म-टू-टेबल मॉडल और उत्कृष्ट ग्राहक सेवा के कारण, यह ब्रांड उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो गया है। कंपनी ने समय-समय पर अपने उत्पादों में नवाचार और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे उसका ब्रांड लोयल्टी मजबूत हुआ है।

इस नई फंडिंग से कंट्री डिलाइट को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और उपभोक्ता अनुभव को और भी बेहतर करने का अवसर मिलेगा। कंपनी का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह वृद्धि और विस्तार न केवल उसे वित्तीय रूप से लाभान्वित करेगा, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करेगा।

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