फास्ट-फूड चेन Burger Singh, जिसने भारतीय बर्गर प्रेमियों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई है, वित्त वर्ष 2024 में बड़ा आर्थिक झटका झेल रही है। कंपनी का घाटा इस दौरान छह गुना से अधिक बढ़ गया, जबकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 34% की वृद्धि हुई।
Burger Singh रेवेन्यू में बढ़त, लेकिन घाटा भी बढ़ा
Burger Singh का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में ₹77.7 करोड़ तक पहुंच गया, जो FY23 में ₹57.8 करोड़ था। 12 साल पुरानी यह कंपनी अपने ग्राहकों को बर्गर, साइड्स, डेज़र्ट्स, और ड्रिंक्स का विस्तृत मेन्यू पेश करती है। कंपनी की बिक्री का मुख्य स्रोत उसके सेल्फ-ओन्ड आउटलेट्स और फ्रैंचाइज़ स्टोर्स हैं।
रेवेन्यू के तीन मुख्य स्रोत
Burger Singh का रेवेन्यू तीन स्रोतों से आता है:
- स्वयं संचालित स्टोर्स से बिक्री: कंपनी की कुल ऑपरेटिंग आय का 48% हिस्सा अपने स्टोर्स की बिक्री से आता है। FY24 में यह रेवेन्यू ₹37.66 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 60% बढ़ा।
- फ्रैंचाइज़ सेवाओं से आय: फ्रैंचाइज़ से जुड़ी सेवाओं से ₹10.81 करोड़ की आय हुई।
- फ्रैंचाइज़ स्टोर्स को माल की बिक्री: इस माध्यम से कंपनी ने ₹28.6 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया।
खर्चों में बड़ा हिस्सा कच्चे माल का
Burger Singh के लिए कच्चे माल की खरीद सबसे बड़ी लागत बन गई, जो कंपनी के कुल खर्च का 43% हिस्सा है। FY24 में कच्चे माल की लागत ₹39.2 करोड़ रही, जो FY23 के ₹29.9 करोड़ की तुलना में 31.3% बढ़ी।
अन्य खर्चों का विश्लेषण
कंपनी के संचालन में शामिल अन्य बड़े खर्च भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें कर्मचारियों का वेतन, मार्केटिंग, और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। हालांकि, बर्गर सिंह ने अपने फ्रैंचाइज़ मॉडल पर जोर दिया है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत ने कंपनी के मुनाफे को प्रभावित किया है।
मार्केट में Burger Singh की स्थिति
भारतीय फूड मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Burger Singh ने अपने आप को एक देसी ट्विस्ट के साथ अंतरराष्ट्रीय बर्गर ब्रांड्स से अलग साबित करने की कोशिश की है। कंपनी ने अपने बर्गर्स में भारतीय मसालों और फ्लेवर्स का उपयोग किया है, जिससे यह ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।
चुनौतियां और आगे का रास्ता
हालांकि, बढ़ती लागत और बढ़ते घाटे ने कंपनी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वित्त वर्ष 2024 में बढ़ा हुआ घाटा यह बताता है कि कंपनी को अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा और आय के नए स्रोत तलाशने होंगे।
फ्रैंचाइज़ मॉडल से उम्मीदें
Burger Singh का फ्रैंचाइज़ मॉडल एक प्रमुख ताकत बना हुआ है। कंपनी ने कई नए फ्रैंचाइज़ स्टोर्स खोले हैं, जो छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हुए हैं। फ्रैंचाइज़ के जरिए कंपनी को विस्तार के साथ-साथ मुनाफा बढ़ाने की उम्मीद है।
ग्राहकों की प्राथमिकता और नवाचार
कंपनी के पास भारतीय ग्राहकों की पसंद-नापसंद को समझने की गहरी समझ है। यही कारण है कि इसके मेन्यू में लगातार नए आइटम जोड़े जा रहे हैं। आने वाले समय में कंपनी अगर अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार करती है, तो यह ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए रख सकती है।
भविष्य की रणनीति
Burger Singh को अपने खर्चों को नियंत्रित करने और आय के नए स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। कंपनी अगर डिजिटल मार्केटिंग, लॉयल्टी प्रोग्राम्स, और प्रोडक्ट इनोवेशन पर जोर देती है, तो यह आने वाले समय में अपने घाटे को कम कर सकती है।
निष्कर्ष
Burger Singh ने भारतीय फूड मार्केट में अपनी एक खास जगह बनाई है, लेकिन बढ़ते घाटे और बढ़ती लागत ने इसके विकास पर असर डाला है। अगर कंपनी अपने खर्चों का सही तरीके से प्रबंधन करती है और ग्राहकों के साथ जुड़ाव बढ़ाती है, तो यह भविष्य में एक मजबूत फास्ट-फूड ब्रांड के रूप में उभर सकती है।
Read more : Swiggy का शानदार आईपीओ डेब्यू: पहले ही दिन शेयर में उछाल