📦 GoKwik को मिला $13 मिलियन का निवेश, वैल्यूएशन पहुंची $481 मिलियन

GoKwik

ई-कॉमर्स तकनीकी समाधान देने वाली कंपनी GoKwik ने हाल ही में अपने Series B फंडिंग राउंड के एक्सटेंडेड वर्जन में $13 मिलियन (करीब ₹111.76 करोड़) की नई फंडिंग हासिल की है। यह निवेश RTP Global के नेतृत्व में हुआ है, जिसमें Peak XV Partners, Z47 (पूर्व में Matrix Partners) और Think Investments ने भी भाग लिया।

GoKwik ने आधिकारिक रूप से निवेश की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की, लेकिन Entrackr द्वारा कंपनी की RoC (Registrar of Companies) फाइलिंग के आधार पर आंकड़े सामने आए हैं।


🧾 फंडिंग ब्रेकअप

GoKwik के बोर्ड ने 747 Series B1 CCPS (Compulsorily Convertible Preference Shares) ₹14,96,226 प्रति शेयर के भाव पर जारी करने का प्रस्ताव पास किया है। इसके ज़रिए कुल ₹111.76 करोड़ (~$13 मिलियन) जुटाए गए।

निवेश का ब्रेकअप इस प्रकार है:

  • 🟢 RTP Global: ₹42.9 करोड़ (~$5 मिलियन)
  • 🔵 Think Investments: ₹25.7 करोड़ (~$3 मिलियन)
  • 🟠 Peak XV Partners: ₹21.5 करोड़ (~$2.5 मिलियन)
  • 🟣 Z47: ₹21.5 करोड़ (~$2.5 मिलियन)

इस निवेश के बाद GoKwik का मूल्यांकन ₹4,091 करोड़ (~$481 मिलियन) पहुंच गया है, जो इसके पिछले मूल्यांकन $350 मिलियन (May 2022) से 37% अधिक है।


🧩 GoKwik क्या करता है?

2020 में स्थापित GoKwik, एक ई-कॉमर्स एनबलर है जो D2C (Direct-to-Consumer) और सोशल कॉमर्स ब्रांड्स को कस्टमर कन्वर्ज़न बढ़ाने, रिटर्न कम करने और कस्टमर एंगेजमेंट को बेहतर बनाने में मदद करता है।

इसके प्रमुख प्रोडक्ट्स में शामिल हैं:

  • KwikCheckout: रिटर्न टू ओरिजिन (RTO) प्रोटेक्शन के साथ चेकआउट सॉल्यूशन
  • KwikEngage: WhatsApp कॉमर्स आधारित एंगेजमेंट
  • KwikPass: वन-क्लिक लॉगिन सुविधा
  • Return Prime: रिटर्न मैनेजमेंट टूल

📈 अब तक का निवेश और शेयरहोल्डिंग

GoKwik ने अब तक करीब $72 मिलियन का निवेश जुटाया है। इस लेटेस्ट राउंड के बाद कंपनी की शेयरहोल्डिंग संरचना इस प्रकार है:

निवेशकहिस्सेदारी (%)
Z4716.58%
Peak XV Partners14.52%
RTP Global9.69%
Think Investments3.76%
संस्थापक (Chirag Taneja और Vivek Bajpai)35.76% (संयुक्त रूप से)

🌍 इंटरनेशनल एक्सपेंशन और अधिग्रहण

GoKwik ने 2023 में Shopify इकोसिस्टम में काम करने वाला एक ग्लोबल रिटर्न मैनेजमेंट ऐप Return Prime का अधिग्रहण किया था। इसके ज़रिए कंपनी ने UK, यूरोप और अमेरिका जैसे इंटरनेशनल मार्केट्स में अपने विस्तार की शुरुआत की।


📊 वित्तीय प्रदर्शन (FY24)

GoKwik ने FY24 (मार्च 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष) में अपनी ऑपरेटिंग रेवेन्यू को 2.5 गुना बढ़ाते हुए ₹84.9 करोड़ कर लिया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में ₹33.7 करोड़ था।

हालांकि, इसी अवधि में कंपनी का घाटा 70% बढ़कर ₹85 करोड़ हो गया। इसका मुख्य कारण है बिज़नेस स्केलिंग, मार्केटिंग खर्च और टेक डेवलपमेंट पर किया गया निवेश।


🧠 रणनीतिक महत्व

GoKwik का यह निवेश ऐसे समय में आया है जब भारत में D2C और ई-कॉमर्स सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ देखी जा रही है। लाखों छोटे और मझोले ब्रांड्स ऑनलाइन शिफ्ट हो रहे हैं, लेकिन उन्हें कन्वर्ज़न, लॉजिस्टिक्स, रिटर्न और ग्राहक अनुभव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

GoKwik इन सभी समस्याओं का “Plug-and-Play” समाधान दे रहा है, जिससे ब्रांड्स को तकनीक के जटिल ढांचे में फंसे बिना तेजी से स्केल करने का मौका मिलता है।


🧩 भविष्य की दिशा

GoKwik की योजना है कि वह अगले चरण में:

  • और ज़्यादा D2C ब्रांड्स को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़े
  • इंटरनेशनल विस्तार को बढ़ाए
  • एआई और डेटा एनालिटिक्स आधारित समाधान तैयार करे
  • लॉजिस्टिक्स और पेमेंट इंटिग्रेशन को और मजबूत करे

संभावना है कि कंपनी आने वाले वर्षों में IPO की दिशा में भी कदम बढ़ाए, जैसा कई D2C-फोकस्ड स्टार्टअप कर चुके हैं।


🔚 निष्कर्ष

GoKwik की लेटेस्ट फंडिंग राउंड इस बात का संकेत है कि निवेशकों को भारत के ई-कॉमर्स सप्लाई चेन और D2C स्पेस में बड़े अवसर नजर आ रहे हैं। एक टेक-फर्स्ट दृष्टिकोण, मजबूत प्रोडक्ट पोर्टफोलियो और संस्थापकों की स्पष्ट दृष्टि के साथ GoKwik अब $500 मिलियन क्लब के और करीब पहुंच गया है।

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💼 Darwinbox ने तीसरी बार किया ESOP बायबैक,

Darwinbox

हैदराबाद स्थित HR टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म Darwinbox ने अपने तीसरे ESOP बायबैक कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस बार कंपनी ने ₹86 करोड़ (लगभग $10 मिलियन) के शेयर वापस खरीदे हैं, जिससे 350 से अधिक कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ हुआ है। यह बायबैक कार्यक्रम Darwinbox के पिछले चार वर्षों में तीसरा ऐसा प्रयास है, जो कर्मचारियों को उनके योगदान का प्रतिफल देने के लिए शुरू किया गया था।


🌏 वैश्विक स्तर पर फैला नेटवर्क

Darwinbox का संचालन अब भारत सहित 11 देशों में फैला हुआ है, जिनमें दक्षिण पूर्व एशिया, उत्तर अमेरिका और मध्य पूर्व प्रमुख हैं। कंपनी के अनुसार, इस ESOP बायबैक से इन सभी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को लाभ मिला है।


💰 निवेश और यूनिकॉर्न स्टेटस

इस ESOP बायबैक से कुछ ही समय पहले, Darwinbox ने मार्च 2025 में Partners Group और KKR के नेतृत्व में एक बड़े $140 मिलियन के फंडिंग राउंड को पूरा किया था। Darwinbox ने अब तक कुल $255 मिलियन से अधिक की फंडिंग जुटाई है।

जनवरी 2022 में सीरीज D राउंड के दौरान Darwinbox ने $72 मिलियन जुटाए थे, जिससे वह भारत की HR SaaS यूनिकॉर्न कंपनियों में शामिल हो गई थी।


🤖 AI आधारित HR सॉल्यूशन

Darwinbox ने हाल ही में एक AI-पावर्ड प्रोडक्ट सूट लॉन्च किया है, जो टैलेंट एक्विजिशन, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, कर्मचारी जुड़ाव और प्रदर्शन मूल्यांकन जैसे प्रमुख HR कार्यों को कवर करता है। इसके अलावा, कंपनी अब AI-ड्रिवन एजेंट्स विकसित कर रही है जो HR पेशेवरों को निर्णय लेने और ऑपरेशन्स को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।

Darwinbox का दावा है कि वह 1,000 से अधिक कंपनियों में 40 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा दे रहा है।


📊 राजस्व और वित्तीय प्रदर्शन

TheKredible के अनुसार, Darwinbox ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में ₹392.95 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था, जबकि कंपनी को ₹191.82 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ। हालांकि, कंपनी के लगातार विस्तार और उत्पाद नवाचार को देखते हुए आने वाले वर्षों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।


📍 विस्तार की रणनीति

Darwinbox की मौजूदगी अब इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड तक फैल गई है। इसके अलावा, कंपनी ने सऊदी अरब, UAE और अमेरिका में भी अपने कार्यालय स्थापित किए हैं। कंपनी का मुख्य राजस्व स्रोत भारत और दक्षिण पूर्व एशिया है, जहां डिजिटल HR समाधान की मांग तेजी से बढ़ रही है।


📈 ESOP बायबैक की बढ़ती प्रवृत्ति

2025 में Darwinbox के अलावा कुछ अन्य स्टार्टअप्स जैसे कि Rapido, Univest, Deserve और Even Healthcare ने भी कुल $17 मिलियन के ESOP बायबैक, लिक्विडिटी और पेआउट कार्यक्रम लागू किए हैं। वहीं 2024 में 20 से अधिक स्टार्टअप्स ने $200 मिलियन के ESOP बायबैक किए।

2023 में ESOP बायबैक की कुल राशि $802 मिलियन थी, जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इसकी तुलना में 2021 में $440 मिलियन और 2022 में $200 मिलियन के बायबैक हुए थे।


📜 SEBI की नई ESOP नीतियां

हाल ही में, भारतीय बाजार नियामक SEBI ने स्टार्टअप्स के IPO में ESOP से जुड़ी कुछ शर्तों को आसान कर दिया है। नई नीति के तहत, अब स्टार्टअप संस्थापक DRHP दाखिल करने से एक साल पहले तक दिए गए ESOPs को बनाए रख सकते हैं और IPO के समय उपयोग भी कर सकते हैं

यह कदम उन संस्थापकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन है जो कंपनी की लिस्टिंग के दौरान स्वामित्व बनाए रखना चाहते हैं।


🗣️ संस्थापकों का नजरिया

Darwinbox के सह-संस्थापकों ने बयान में कहा:

“हमारे कर्मचारियों ने Darwinbox को एक वैश्विक HR SaaS ब्रांड बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह ESOP बायबैक हमारी उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हम उनके योगदान को न केवल मान्यता देना चाहते हैं, बल्कि उसे वित्तीय रूप से लाभदायक भी बनाना चाहते हैं।”


✅ निष्कर्ष

Darwinbox का यह तीसरा ESOP बायबैक इस बात का प्रमाण है कि कंपनी अपने कर्मचारियों की सफलता में हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहती है। इससे न केवल कर्मचारियों का विश्वास बढ़ता है, बल्कि कंपनी की ब्रांड वैल्यू और प्रतिभा को बनाए रखने की क्षमता भी मजबूत होती है।

इसके अलावा, तेजी से बदलते HR टेक्नोलॉजी परिदृश्य में Darwinbox का AI-ड्रिवन नवाचार और वैश्विक विस्तार उसे प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाए हुए है।


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🏠 Urban Company की दमदार वापसी

Urban Company

📊 38.2% की सालाना वृद्धि, ₹3,115 करोड़ का लेनदेन मूल्य और ₹28.5 करोड़ का प्री-टैक्स मुनाफा — Urban Company ने वित्त वर्ष 2025 में जबरदस्त प्रदर्शन किया है।


🧾 कंपनी की सालाना रिपोर्ट से खुलासे

होम सर्विसेज मार्केटप्लेस Urban Company ने FY25 (मार्च 2025 में समाप्त वित्त वर्ष) में शानदार प्रदर्शन करते हुए ₹1,144 करोड़ की परिचालन आय दर्ज की, जो कि FY24 की तुलना में 38.2% अधिक है। इससे भी बड़ी बात यह रही कि कंपनी ने घाटे से उबरते हुए प्री-टैक्स मुनाफा ₹28.5 करोड़ कमाया, जबकि पिछले साल ₹92.7 करोड़ का घाटा था।


🔧 6.8 मिलियन सेवाएं और 17 सुपर कैटेगरी

Urban Company ने 51 शहरों में 6.8 मिलियन ग्राहक लेन-देन पूरे किए, जो कि 17 प्रमुख श्रेणियों में फैले हुए थे। इनमें शामिल हैं:

  • स्पा और सैलून सेवाएं
  • एसी रिपेयर
  • इलेक्ट्रिकल वर्क
  • पेंटिंग व दीवार पैनलिंग
  • पेस्ट कंट्रोल
  • और अन्य घरेलू सेवाएं

कंपनी न केवल सेवाएं देती है, बल्कि अपने ब्रांडेड वॉटर प्यूरिफायर और अन्य उत्पाद भी बेचती है, जिनसे अतिरिक्त आय होती है।


💰 राजस्व का ब्योरा

Platform Services अब भी Urban Company की सबसे बड़ी कमाई का स्रोत है, जिससे कंपनी को ₹742 करोड़ (कुल आय का 64.8%) की आमदनी हुई — यह FY24 की तुलना में 32.5% अधिक है।

कस्टमर मेंबरशिप से आय में हल्की वृद्धि (7.7%) देखी गई, जो ₹98 करोड़ तक पहुंची।

🧪 वॉटर प्यूरिफायर से 300% की छलांग

Urban Company के स्वदेशी वॉटर प्यूरिफायर उत्पाद से 300% की बढ़त हुई। FY24 में ₹29 करोड़ की तुलना में FY25 में यह आय ₹116 करोड़ पहुंच गई। इसके अलावा, सर्विस प्रोफेशनल्स को बेचे गए उत्पादों से ₹188 करोड़ की आय हुई।


🌍 भारत और विदेश — दोनों बाजारों में उपस्थिति

Urban Company भारत के अलावा UAE, सिंगापुर और सऊदी अरब (KSA) में भी काम करती है। FY25 में:

  • भारत से आय: ₹997 करोड़
  • अंतरराष्ट्रीय आय: ₹147 करोड़

कंपनी ने इसके अतिरिक्त म्यूचुअल फंड से मुनाफा व ब्याज से ₹117 करोड़ भी कमाए, जिससे कुल वार्षिक आय ₹1,261 करोड़ हो गई — FY24 में यह ₹928 करोड़ थी।


💼 खर्चों पर सख्त नियंत्रण

  • कर्मचारी लाभ: FY25 में कंपनी का सबसे बड़ा खर्च बना, जो ₹350 करोड़ (28.6% खर्च) रहा। इसमें ₹72.5 करोड़ का ESOP (स्टॉक विकल्प) खर्च शामिल है।
  • विज्ञापन व प्रचार खर्च: FY24 की तुलना में स्थिर रहा — ₹207 करोड़।

बाकी खर्चों में मटेरियल, प्रोफेशनल इंसेंटिव, लॉजिस्टिक्स, पेमेंट गेटवे शुल्क, आउटसोर्सिंग आदि शामिल रहे, जिनसे कुल खर्च FY25 में बढ़कर ₹1,223 करोड़ हो गया — FY24 में यह ₹1,021 करोड़ था।


📈 लाभ और हानि: कौनसा सेगमेंट कितना मजबूत?

  • India Consumer Services: ₹113 करोड़ का मुनाफा
  • वॉटर प्यूरिफायर बिजनेस: ₹38.7 करोड़ का घाटा
  • अंतरराष्ट्रीय परिचालन: ₹33.7 करोड़ का घाटा

इस तरह कंपनी की कुल मुनाफा स्थिति सकारात्मक बनी, खासतौर पर भारतीय बाजार की मजबूत स्थिति की बदौलत।


🔍 वित्तीय संकेतक (FY25):

संकेतकआंकड़ा
कुल राजस्व₹1,261 करोड़
प्री-टैक्स लाभ₹28.5 करोड़
ROCE (रेटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड)2.46%
EBITDA मार्जिन6.68%

🔮 आगे की राह

Urban Company का यह ट्रांसफॉर्मेशन — घाटे से मुनाफे की ओर — स्टार्टअप इकॉनॉमी के लिए प्रेरणादायक है। कंपनी ने न केवल अपने राजस्व स्रोतों में विविधता लाई, बल्कि खर्चों पर नियंत्रण रखते हुए निरंतर वृद्धि भी दिखाई।

भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार, नए प्रोडक्ट इनोवेशन और टेक्नोलॉजी ड्रिवन होम सर्विस मॉडल के चलते Urban Company आने वाले वर्षों में भी घरेलू सेवा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बना रह सकता है।


📌 निष्कर्ष:
Urban Company ने FY25 में जो फाइनेंशियल बेंचमार्क सेट किए हैं, वे यह दर्शाते हैं कि प्रॉडक्ट इनोवेशन, सेवा की गुणवत्ता और खर्च प्रबंधन के दम पर किसी भी होम सर्विस स्टार्टअप को लाभदायक और स्केलेबल बनाया जा सकता है। अब सभी की निगाहें कंपनी के अगले वित्तीय वर्ष और संभवतः IPO की दिशा में बढ़ते कदमों पर रहेंगी।


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♻️ Pehle Jaisa ने जुटाए $300K

Pehle Jaisa

गुरुग्राम स्थित इनोवेटिव वेस्ट मैनेजमेंट स्टार्टअप Pehle Jaisa ने हाल ही में अपने प्री-सीरीज़ ए फंडिंग राउंड में $300,000 (लगभग ₹2.5 करोड़) की पूंजी जुटाई है। यह निवेश Pantnagar Capital और Climate Angels द्वारा सह-नेतृत्व में किया गया है।

इससे पहले, कंपनी ने एक सीड राउंड में $169,000 (लगभग ₹1.4 करोड़) जुटाए थे। अब इस नई फंडिंग से स्टार्टअप अपने डिसेंट्रलाइज़्ड रूरल वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल को भारत के गांवों में तेज़ी से फैलाने की योजना बना रहा है।


🌱 कचरा नहीं, अवसर है: गांवों में बना रही है ऑर्गेनिक क्रांति

Pehle Jaisa की स्थापना 2022 में पंकज पांडे, एहतशाम फारूक़ी, शबीह अब्बास, सुमित सुमन, वसीम अख्तर और मंतोष कुमार द्वारा की गई थी। यह स्टार्टअप गांवों में फैले कचरे को संसाधित करके ऑर्गेनिक खाद में बदलता है और उसे किसानों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराता है।

कंपनी का मुख्य उद्देश्य है:

“भारत के हर गांव को आत्मनिर्भर बनाना — जहां स्थानीय स्तर पर गैस, बिजली और खाद का उत्पादन संभव हो।”


🚜 किसानों के लिए वरदान बनी है ये ऑर्गेनिक खाद

Pehle Jaisa विशेष रूप से सोइल कंडीशनर्स और बायो-स्टिमुलेंट्स जैसे ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार करता है, जो अलग-अलग फसलों और मिट्टी के प्रकारों के अनुसार बनाए जाते हैं। कंपनी का उद्देश्य “फर्स्ट माइल” कॉस्ट (जैसे कच्चा माल लाने की लागत) को खत्म करके गुणवत्ता युक्त लेकिन कम कीमत वाली खाद बनाना है।

इसके लिए कंपनी गांवों में ही कचरा प्रसंस्करण केंद्र स्थापित कर रही है, जिससे गांवों का कचरा वहीं के किसानों के लिए उपयोगी बन जाए।


📈 आठ महीने में 500 टन से 1500 टन तक पहुँची बिक्री

कंपनी के अनुसार, लॉन्च के केवल 8 महीनों के भीतर FY24 में Pehle Jaisa ने 500 मीट्रिक टन (MT) ऑर्गेनिक खाद की बिक्री की। अगले ही साल FY25 में यह आंकड़ा 1500 MT को पार कर गया और कंपनी ने ₹2.5 करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया।

स्टार्टअप का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में यह राजस्व ₹100 करोड़ के पार ले जाया जाए।


🔄 रूरल सर्कुलर इकोनॉमी का मॉडल

Pehle Jaisa का दृष्टिकोण सिर्फ व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सस्टेनेबल और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की कल्पना करता है। इसका “सर्कुलर इकोनॉमी” मॉडल गांवों को उनके खुद के संसाधनों से सक्षम बनाता है।

यह मॉडल:

  • ✅ गांव में ही कचरे का प्रसंस्करण करता है।
  • ✅ उसी कचरे से खाद, गैस और बिजली बनाता है।
  • ✅ तैयार उत्पाद को स्थानीय किसानों को उपलब्ध कराता है।

💬 संस्थापकों की बात: “गांवों की शक्ति को पहचानने का समय आ गया है”

पंकज पांडे, सह-संस्थापक और सीईओ ने फंडिंग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“हमारे गांवों में अपार संभावनाएं हैं। अगर उन्हें सही तकनीक और मॉडल दिया जाए, तो वे खुद की ऊर्जा, खाद और संसाधनों का निर्माण कर सकते हैं। Pehle Jaisa का सपना है कि भारत के हर गांव को आत्मनिर्भर बनाएं।”


🌍 निवेशकों की रुचि: क्यों पसंद आ रहा है ये मॉडल?

Pantnagar Capital और Climate Angels जैसे निवेशक अब ऐसे स्टार्टअप्स की ओर रुख कर रहे हैं जो:

  • ♻️ क्लाइमेट फ्रेंडली हों,
  • 🧑‍🌾 ग्रामीण भारत को सशक्त करें,
  • 📊 और तेज़ी से स्केलेबल मॉडल पेश करें।

यह फंडिंग दर्शाती है कि Pehle Jaisa का मॉडल इन सभी मानकों पर खरा उतरता है।


🚀 आगे की योजना

कंपनी अब:

  1. देश के अधिक गांवों में डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स खोलने की योजना बना रही है।
  2. नई प्रकार की ऑर्गेनिक खाद पर रिसर्च कर रही है — जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर टेलर-मेड फर्टिलाइज़र।
  3. किसानों को ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता देने की योजना भी बनाई जा रही है।

📢 निष्कर्ष: गांवों से निकलेगा भारत का अगला यूनिकॉर्न?

कचरा जहाँ देश के अधिकतर हिस्सों में बोझ समझा जाता है, वहीं Pehle Jaisa उसे एक आर्थिक संसाधन बना रहा है। इसका मॉडल न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि रोज़गार, ऊर्जा और कृषि उत्पादकता के लिए भी लाभकारी है।

अगर कंपनी इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो आने वाले समय में यह न केवल एक बड़ी आर्थिक ताकत बनेगी, बल्कि ‘ग्रीन भारत’ मिशन की रीढ़ भी साबित होगी।


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✍️ रिपोर्ट: FundingRaised हिंदी टीम

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👓 Lenskart की वैल्यूएशन पहुंची $6.1 बिलियन,

Lenskart

भारत के सबसे बड़े ओमनीचैनल आईवियर ब्रांड Lenskart को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म Fidelity ने Lenskart की वैल्यूएशन को $6.1 बिलियन (लगभग ₹50,800 करोड़) तक अपडेट किया है। यह आंकड़ा Fidelity की अप्रैल 2025 की पोर्टफोलियो होल्डिंग रिपोर्ट में सामने आया है।

यह अपडेट ऐसे समय आया है जब कंपनी IPO की तैयारियों में जुटी है और इसे लेकर बाजार में खासा उत्साह भी देखा जा रहा है।


📈 नवंबर में थी $5.6 बिलियन की वैल्यूएशन

Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, Fidelity ने नवंबर 2024 में Lenskart की वैल्यूएशन $5.6 बिलियन बताई थी। लेकिन अब यह आंकड़ा $500 मिलियन बढ़कर $6.1 बिलियन पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि Lenskart के प्रदर्शन और ग्रोथ पोटेंशियल को लेकर निवेशकों का भरोसा लगातार मजबूत हो रहा है।


💰 अब तक जुटा चुका है $1 बिलियन से ज्यादा

2024 की पहली छमाही में, Lenskart ने दो प्रमुख निवेश राउंड्स में $220 मिलियन जुटाए थे:

  • $200 मिलियन सेकेंडरी राउंड के ज़रिए, जिसमें Fidelity ने भी हिस्सा लिया।
  • इसके बाद $20 मिलियन का एक और निवेश हुआ, जिसे Lenskart के CEO Peyush Bansal ने लीड किया।

इन डील्स के बाद कंपनी की वैल्यूएशन $5 बिलियन तक पहुंची थी, और अब Fidelity के मुताबिक यह आंकड़ा $6.1 बिलियन को पार कर गया है।


🚀 IPO की दिशा में तेजी से कदम

Lenskart की यह वैल्यूएशन अपडेट ऐसे समय में आई है जब कंपनी $10 बिलियन वैल्यूएशन पर $1 बिलियन का IPO लाने की योजना बना रही है।

इसके संकेत हाल ही में कंपनी द्वारा किए गए कुछ अहम बदलावों से भी मिलते हैं:

  • पिछले हफ्ते, Lenskart ने अपनी होल्डिंग एंटिटी को Private Limited से Public Limited में बदल दिया है।
  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी इस महीने के अंत तक SEBI के पास अपना DRHP (Draft Red Herring Prospectus) गोपनीय रूप से फाइल कर सकती है।
  • इससे साफ है कि Lenskart जल्द ही पब्लिक मार्केट्स में अपनी लिस्टिंग की ओर बढ़ रहा है।

📊 वित्तीय स्थिति: घाटा घटा, रेवेन्यू बढ़ा

वित्तीय वर्ष 2023–24 (FY24) में Lenskart का प्रदर्शन बेहतर रहा:

  • कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹5,427.7 करोड़ रहा, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 43% अधिक है।
  • वहीं घाटे की बात करें तो FY23 में ₹63 करोड़ का घाटा था, जो FY24 में घटकर सिर्फ ₹10 करोड़ रह गया — यानी 84% की गिरावट

FY25 के वित्तीय परिणाम अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन कंपनी की दिशा और गति दोनों ही सकारात्मक नजर आ रहे हैं।


🛰️ GeoIQ का अधिग्रहण कर सकती है कंपनी

Lenskart अब एक और रणनीतिक कदम की ओर बढ़ रही है — लोकेशन इंटेलिजेंस स्टार्टअप GeoIQ के अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रही है। GeoIQ, डेटा एनालिटिक्स और लोकेशन बेस्ड AI मॉडल्स के लिए जानी जाती है। अगर यह डील पूरी होती है, तो Lenskart अपने स्टोर एक्सपेंशन, सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन और ग्राहक टारगेटिंग में और मजबूती पा सकती है।


🔍 Lenskart का बिजनेस मॉडल

Lenskart भारत में चश्मों के बाज़ार में एक ओमनीचैनल अप्रोच पर काम करता है:

  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (वेबसाइट और ऐप)
  • ऑफलाइन स्टोर्स (1000+ से ज्यादा रिटेल स्टोर्स)
  • होम ट्रायल जैसी इनोवेटिव सेवाएं

इसके अलावा, कंपनी ने मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिलीवरी तक की पूरी चेन को टेक्नोलॉजी से जोड़ रखा है।


🌍 ग्लोबल विस्तार की योजना

Lenskart ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के बाहर भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं:

  • सिंगापुर, मिडिल ईस्ट, यूएस जैसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में विस्तार
  • वैश्विक ब्रांड Owndays का अधिग्रहण (2022)
  • अब, IPO से प्राप्त राशि का एक हिस्सा कंपनी इंटरनेशनल ग्रोथ पर भी लगा सकती है

📌 निष्कर्ष: क्या Lenskart बनेगा अगला बड़ा स्टॉक मार्केट स्टार?

Fidelity द्वारा वैल्यूएशन बढ़ाना यह दिखाता है कि Lenskart न केवल भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बल्कि वैश्विक निवेशकों के बीच भी एक विश्वसनीय और हाई-पोटेंशियल ब्रांड बन चुका है।

IPO के ज़रिए यह कंपनी ना सिर्फ पूंजी जुटाएगी, बल्कि इसे ब्रांड एवेयरनेस, ग्लोबल एक्सपेंशन, और टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड में भी मदद मिलेगी।

क्या यह IPO भारतीय निवेशकों के लिए Zomato या Nykaa जैसा मौका बन सकता है? यह तो आने वाले महीनों में ही साफ होगा।


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✍️ लेखक: FundingRaised हिंदी टीम

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💼 Paytm ने ₹215 करोड़ के ESOP ग्रांट्स किए जारी,

Paytm

भारत के प्रमुख फिनटेक प्लेटफॉर्म Paytm ने अपने कर्मचारियों को ₹215 करोड़ मूल्य के नए ESOP (Employee Stock Option Plan) ग्रांट्स देने की घोषणा की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कंपनी अपने संचालन में स्थिरता और वित्तीय मजबूती लाने की दिशा में सक्रिय है।

वहीं दूसरी ओर, Mobikwik ने भी अपने कर्मचारियों को ₹9 करोड़ मूल्य के स्टॉक विकल्प दिए हैं, जिससे फिनटेक सेक्टर में टैलेंट रिटेंशन और मोटिवेशन की रणनीति और मजबूत होती दिख रही है।


🧾 क्या है ESOP और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

ESOP (Employee Stock Option Plan) वह योजना होती है जिसके अंतर्गत कंपनी अपने कर्मचारियों को एक निश्चित मूल्य पर अपने शेयर खरीदने का अधिकार देती है। यह:

  • कर्मचारियों को कंपनी से जोड़ने में सहायक होता है
  • प्रदर्शन को बेहतर करने की प्रेरणा देता है
  • कंपनी के विकास में प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करता है

💰 Paytm ने ₹215 करोड़ के ESOP कैसे बांटे?

Paytm की पैरेंट कंपनी One97 Communications ने ESOP 2019 योजना के तहत 23.7 लाख स्टॉक विकल्प आवंटित किए हैं। एनएसई (NSE) में दी गई सूचना के अनुसार, इन शेयर विकल्पों की कुल बाजार कीमत ₹906 प्रति शेयर के हिसाब से लगभग ₹215 करोड़ बैठती है।

प्रत्येक स्टॉक ऑप्शन का एक्सरसाइज़ प्राइस ₹9 रखा गया है, यानी कर्मचारी ₹9 प्रति शेयर में यह विकल्प एक्सरसाइज़ कर सकते हैं।


🔁 कुछ विकल्प हुए लैप्स

Paytm ने यह भी खुलासा किया है कि ESOP 2019 योजना के अंतर्गत 3,46,746 विकल्प लैप्स (लुप्त) हो चुके हैं। यह आम तौर पर तब होता है जब कर्मचारी तय समय सीमा में विकल्प का उपयोग नहीं करते या कंपनी छोड़ देते हैं।


🧑‍💼 विजय शेखर शर्मा ने त्यागे ₹1,800 करोड़ के शेयर

इस ESOP घोषणा से कुछ महीने पहले ही Paytm के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने स्वेच्छा से 2.1 करोड़ शेयर (₹1,800 करोड़ मूल्य) कंपनी को लौटा दिए थे। इसका उद्देश्य कंपनी की लॉन्ग टर्म ग्रोथ और शेयरहोल्डर वैल्यू को मजबूत करना था।


🇨🇳 Ant Group ने बेची Paytm में 4% हिस्सेदारी

पिछले महीने चीन की अलीबाबा समूह से जुड़ी फाइनेंशियल इकाई Ant Group ने भी Paytm में अपनी लगभग 4% हिस्सेदारी ₹2,103 करोड़ में बेच दी। इससे यह संकेत मिला कि विदेशी निवेशक अब भारतीय फिनटेक बाजार में धीरे-धीरे अपने एक्सपोजर को घटा रहे हैं।


📉 Paytm का वित्तीय प्रदर्शन

हालिया तिमाही में Paytm के प्रदर्शन में मिश्रित परिणाम देखने को मिले:

  • Q4 FY25 में राजस्व ₹1,911 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16% कम है
  • लेकिन कंपनी का घाटा ₹23 करोड़ रह गया, जो 96% की गिरावट है — यह एक सकारात्मक संकेत है

पूरे वित्तीय वर्ष FY25 में:

  • कुल राजस्व: ₹6,900 करोड़
  • कुल घाटा: ₹663 करोड़

👨‍💻 Mobikwik ने भी दिए ESOP

Paytm की ही तरह, Mobikwik ने भी अपने कर्मचारियों को 3.27 लाख स्टॉक विकल्प आवंटित किए हैं। यह ESOP 2014 योजना के तहत हुआ है।

कंपनी के मौजूदा शेयर मूल्य ₹276 के आधार पर इन विकल्पों का कुल मूल्य ₹9 करोड़ बैठता है।


📊 Mobikwik का प्रदर्शन

Mobikwik के तिमाही और वार्षिक प्रदर्शन में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले:

  • Q4 FY25 में राजस्व: ₹268 करोड़
  • घाटा: ₹56 करोड़

पूरे FY25 में:

  • कुल राजस्व: ₹1,192 करोड़
  • घाटा: ₹121 करोड़

🧭 कंपनियों की रणनीति: टैलेंट बनाए रखने की पहल

इन दोनों कंपनियों के ESOP ग्रांट्स यह संकेत देते हैं कि भारतीय फिनटेक कंपनियां अपने कुशल कर्मचारियों को बनाए रखने और उन्हें लंबी अवधि के लिए प्रेरित करने के लिए एग्रेसिव रणनीतियां अपना रही हैं।

ESOP का उपयोग न सिर्फ कर्मचारियों को कंपनी की ग्रोथ से जोड़ता है, बल्कि उन्हें वेल्थ क्रिएशन का अवसर भी देता है।


🔍 निष्कर्ष

Paytm और Mobikwik जैसे फिनटेक लीडर्स द्वारा कर्मचारियों को दिया गया यह ESOP इंसेंटिव एक ओर जहां मानव संसाधन रणनीति को मजबूत करता है, वहीं दूसरी ओर यह बताता है कि कंपनियां अपनी आंतरिक संरचना को कितना महत्व दे रही हैं।

Paytm ने जहां ₹215 करोड़ के ESOP देकर बड़े स्तर पर कर्मचारियों को जोड़ा है, वहीं Mobikwik ने भी अपने स्केल के अनुसार टैलेंट को मान्यता दी है। यह फिनटेक सेक्टर में एक सकारात्मक संकेत है, खासकर तब जब कंपनियां IPO या मुनाफे की ओर अग्रसर हैं।


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✍️ लेखक: FundingRaised हिंदी टीम

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💼 Inflexor Ventures जल्द ही लॉन्च करेगा ₹1,250 करोड़ का नया फंड 🚀

Inflexor Ventures

हेल्थटेक, EV बैटरी और LLM जैसे हाई-टेक सेक्टर्स में करेगा निवेश

भारत की अग्रणी अर्ली-स्टेज वेंचर कैपिटल फर्म Inflexor Ventures ने अपने Fund III के तहत $150 मिलियन (लगभग ₹1,250 करोड़) जुटाने की योजना बनाई है। कंपनी वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के अंत तक इस फंड का पहला क्लोज करने की तैयारी में है।

इस फंड का उद्देश्य भारत के नवाचार और गहरे तकनीकी (deeptech) क्षेत्रों में उभरते स्टार्टअप्स को वित्तीय सहयोग प्रदान करना है।


🎯 किन सेक्टर्स पर रहेगा फोकस?

Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, Inflexor Ventures का Fund III उन क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा जो तकनीकी रूप से समृद्ध लेकिन निवेशकों की भीड़ से दूर हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • 🏥 हेल्थकेयर डिवाइसेज़
  • 🔋 इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बैटरी टेक्नोलॉजी
  • 🧠 फाउंडेशनल लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (LLMs)

इस बदलाव के जरिए कंपनी तेजी से उभरते तकनीकी सेक्टरों में शुरुआती स्तर पर निवेश कर अधिक रिटर्न सुनिश्चित करना चाहती है।


💰 25-27 स्टार्टअप्स में होगा निवेश

Inflexor Ventures का लक्ष्य है कि वह Fund III के जरिए लगभग 25 से 27 स्टार्टअप्स में निवेश करे। यह निवेश मुख्यतः pre-Series A से लेकर Series A स्टेज तक के स्टार्टअप्स में होगा।

निवेश की प्रमुख बातें:

  • 💵 प्रति स्टार्टअप औसत निवेश: $2.5 से $3 मिलियन
  • 📊 हिस्सेदारी: लगभग 15%
  • 🎯 कुल पोर्टफोलियो: फंड III के बाद कंपनी का कुल पोर्टफोलियो 50+ स्टार्टअप्स तक पहुंचने की उम्मीद है।

📦 मौजूदा पोर्टफोलियो में कौन-कौन से स्टार्टअप्स हैं?

Inflexor Ventures के मौजूदा पोर्टफोलियो में कई इनोवेटिव और तेजी से बढ़ते भारतीय स्टार्टअप्स शामिल हैं:

  • ⚙️ Atomberg – स्मार्ट होम उपकरणों का निर्माता
  • 🚀 Bellatrix Aerospace – अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप
  • 📊 CredFlow – बिजनेस कैश फ्लो मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म
  • 🌱 Bioprime Agrisolutions – एग्रीटेक और बायोटेक इनोवेशन

Fund III के जरिए ऐसे ही और उच्च तकनीकी समाधानों वाले स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।


📢 Rs 350 करोड़ का ‘Opportunities Fund’ हुआ क्लोज ✅

Inflexor ने हाल ही में एक और महत्वपूर्ण घोषणा की — उसका ₹350 करोड़ का ‘Opportunities Fund’ अब पूरी तरह से क्लोज हो चुका है।

यह फंड Parampara Capital (Inflexor का पहला फंड) के पोर्टफोलियो के अधिग्रहण के जरिए तैयार किया गया, और इसका नेतृत्व किया HDFC Asset Management Company ने।

इससे पहले दौर के निवेशकों को जल्दी लिक्विडिटी मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है, जिससे निवेशकों का भरोसा और बढ़ा है।


🧑‍💼 कौन हैं Inflexor Ventures के संस्थापक?

Inflexor Ventures की नींव तीन अनुभवी और दूरदर्शी निवेशकों ने मिलकर रखी:

  • वेंकट वल्लभनेनी (Venkat Vallabhaneni)
  • जतिन देसाई (Jatin Desai)
  • प्रतिप मजूमदार (Pratip Mazumdar)

कंपनी ने अब तक $120 मिलियन से अधिक की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) के साथ, 25 से अधिक स्टार्टअप्स में निवेश किया है।


🔍 किन क्षेत्रों में कर चुकी है अब तक निवेश?

Inflexor Ventures की अब तक की निवेश यात्रा काफी विविध रही है। इसके प्रमुख निवेश क्षेत्रों में शामिल हैं:

  • 🧠 AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता)
  • 🔐 साइबर सुरक्षा (Cybersecurity)
  • 🚀 स्पेसटेक (Space Technology)
  • 🛒 कंज़्यूमर टेक्नोलॉजी (Consumer Tech)
  • ⚙️ डीपटेक इनोवेशन

इस विविध पोर्टफोलियो से साफ है कि कंपनी दीर्घकालिक तकनीकी रुझानों को पहचानने और शुरुआती चरण में निवेश करने में माहिर है।


🔮 भारत में डीपटेक निवेश का भविष्य

भारत में deeptech और frontier tech सेक्टर तेजी से उभर रहे हैं। 5G, EV, बायोटेक, और AI जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को दीर्घकालिक पूंजी की आवश्यकता है।

ऐसे में Inflexor जैसा फंड न केवल वित्तीय सहायता देता है, बल्कि स्ट्रैटेजिक गाइडेंस और नेटवर्क सपोर्ट भी उपलब्ध कराता है।


✍️ निष्कर्ष: फोकस्ड इनोवेशन के लिए फंड III तैयार

Inflexor Ventures का नया ₹1,250 करोड़ का फंड भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक बड़ी राहत और संभावनाओं का संकेत है।

जहां ज्यादातर निवेशक भीड़ वाले कंज़्यूमर सेगमेंट्स पर फोकस कर रहे हैं, वहीं Inflexor उन क्षेत्रों में निवेश कर रहा है जहां तकनीक, रिसर्च और इनोवेशन की असली ताकत छिपी है।


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🌾Khari Foods ने जुटाए ₹3 करोड़,🚀🥗

Khari Foods

दिल्ली-स्थित क्लीन लेबल स्नैकिंग ब्रांड ‘Khari Foods ने हाल ही में ₹3 करोड़ (लगभग $350,000) की सीड फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व किया Meri Punji IMF Private Limited ने।

यह निवेश ब्रांड के उत्पाद नवाचार, मार्केटिंग, टीम विस्तार और देशभर में वितरण नेटवर्क को मजबूत करने में मदद करेगा, खासतौर पर टियर-1 और टियर-2 शहरों पर फोकस करते हुए।


👨‍🍳 कौन हैं Khari Foods के पीछे?

Khari Foods की शुरुआत 2022 में यश और सुनील बंसल ने की थी। यह ब्रांड आज के स्वास्थ्य के प्रति सजग युवाओं के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है, जो स्वाद के साथ सेहत भी चाहते हैं।

ब्रांड का फोकस है – ‘No Palm Oil, No Maida’, यानी बिना ताड़ के तेल और बिना मैदा के हेल्दी स्नैक्स।


🥣 क्या खास बनाता है Khari Foods को?

Khari Foods ऐसे यूज़र्स को टारगेट करता है जो हेल्दी, बिना केमिकल वाले, नैचुरल स्नैक्स की तलाश में रहते हैं। इसकी कुछ प्रमुख उत्पाद श्रृंखलाएं हैं:

  • 🌾 रागी क्रिस्पीज़ (Ragi Crispies)
  • 🌾 ओट्स क्रिस्पीज़ (Oats Crispies)
  • 🌽 ज्वार पफ्स (Jowar Puffs)
  • 🌴 डेट्स-बेस्ड स्नैक्स (Dates-based Snacks)

ये सभी प्रोडक्ट्स खासतौर पर 20 से 40 वर्ष की आयु वाले शहरी और अर्ध-शहरी उपभोक्ताओं के लिए बनाए गए हैं, जो स्वाद से समझौता किए बिना सेहतमंद जीवनशैली अपनाना चाहते हैं।


💸 इस फंडिंग से क्या बदलेगा?

Khari Foods के अनुसार, ₹3 करोड़ की यह नई फंडिंग कंपनी को इन प्रमुख क्षेत्रों में मदद करेगी:

🔬 R&D में निवेश – नए उत्पादों की खोज और हेल्दी सामग्री पर रिसर्च
📦 नई प्रोडक्ट कैटेगरी की लॉन्चिंग
📈 डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और मार्केटिंग को स्केल करना
👨‍💼 टीम का विस्तार
📍 टियर-1 और टियर-2 शहरों में ब्रांड उपस्थिति को मजबूत बनाना

कंपनी का कहना है कि वह अब डिजिटल और रिटेल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर अपनी पकड़ और ब्रांडिंग को तेज़ी से बढ़ाएगी।


🏭 अपने मैन्युफैक्चरिंग से बनती है खास

Khari Foods की खास बात यह है कि कंपनी:

  • 🏗️ हरियाणा में अपनी खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाती है
  • 🔄 सप्लाई चेन पर पूरा नियंत्रण रखती है

इससे यह सुनिश्चित होता है कि हर उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे और कोई भी मिलावट या केमिकल इसमें न हो।


📊 ग्रोथ का रोडमैप: FY25 में 208% ARR ग्रोथ का टारगेट

Khari Foods ने फंडिंग से पहले तक बूटस्ट्रैप तरीके से काम किया और फायदे में रही।

अब कंपनी का लक्ष्य है कि FY25 तक अपना वार्षिक रेवेन्यू रन रेट (ARR) 208% तक बढ़ाना।

इसके पीछे कारण हैं:

  • उपभोक्ताओं में हेल्दी स्नैकिंग की मांग का बढ़ना
  • टियर-2 शहरों में हेल्थ अवेयरनेस की तेज़ी से वृद्धि
  • ऑनलाइन ग्रॉसरी और हेल्थ पोर्टल्स की पहुँच में इज़ाफा

🧑‍🎓 क्या कहते हैं फाउंडर्स?

यश बंसल, को-फाउंडर, कहते हैं:
“हमने Khari Foods को इसलिए शुरू किया क्योंकि मार्केट में हेल्दी और ट्रस्टेड स्नैक्स की भारी कमी थी। हमारी प्राथमिकता गुणवत्ता है – बिना ताड़ तेल, बिना मैदा और बिना किसी मिलावट के.”

उनके अनुसार, इस फंडिंग से कंपनी अपनी टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन और प्रोडक्ट इनोवेशन को और मज़बूत बनाएगी।


🛒 कहाँ मिलते हैं Khari Foods प्रोडक्ट?

Khari Foods अपने उत्पाद डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर (D2C) मॉडल और कई ई-कॉमर्स पोर्टल्स जैसे:

  • Amazon
  • Flipkart
  • BigBasket
  • Jiomart
  • और खुद के वेबसाइट के ज़रिए बेचती है।

साथ ही, कंपनी अब ऑफलाइन किराना और हेल्थ फूड स्टोर्स में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है।


📈 हेल्दी स्नैकिंग मार्केट का भविष्य

भारत में हेल्दी स्नैकिंग इंडस्ट्री लगातार तेज़ी से बढ़ रही है।

  • अनुमान है कि 2028 तक यह बाज़ार ₹30,000 करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा।
  • कोविड के बाद लोगों में हेल्थ और न्यूट्रिशन को लेकर सजगता काफी बढ़ गई है।
  • Urban के साथ अब Semi-Urban यूज़र्स भी हेल्दी चॉइस को अपनाने लगे हैं।

ऐसे में Khari Foods जैसे ब्रांड इस स्पेस को लीड करने की पूरी क्षमता रखते हैं।


📌 निष्कर्ष

Khari Foods की ये ताज़ा फंडिंग केवल एक निवेश नहीं, बल्कि भारत के हेल्दी फूड इकोसिस्टम में भरोसे की एक नई शुरुआत है।

✅ अपने ही प्लांट में प्रोडक्शन
✅ क्लीन लेबल और नो-मैदा प्रॉडक्ट्स
✅ टियर-2 यूज़र्स पर विशेष ध्यान
✅ लगातार ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी

ऐसे में यह स्टार्टअप जल्द ही हेल्दी स्नैक्स इंडस्ट्री का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।


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👔 Snitch ने जुटाए $40 मिलियन!

Snitch

भारतीय D2C फैशन ब्रांड Snitch ने अपनी सीरीज़ B फंडिंग राउंड में $40 मिलियन (लगभग ₹333 करोड़) की बड़ी रकम जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व 360 ONE Asset ने किया, जबकि मौजूदा निवेशक IvyCap Ventures और SWC Global ने भी भाग लिया। इसके अलावा Ravi Modi Family Office और कई अन्य एंजेल निवेशकों ने भी निवेश किया है।


💰 Snitch की दूसरी बड़ी फंडिंग, दिसंबर 2023 में हुई थी सीरीज़ A

बेंगलुरु स्थित Snitch के लिए यह दूसरी बड़ी फंडिंग है। इससे पहले कंपनी ने दिसंबर 2023 में $13 मिलियन (लगभग ₹108 करोड़) की सीरीज़ A फंडिंग हासिल की थी। अब यह नया निवेश ब्रांड को भारत और इंटरनेशनल लेवल पर तेज़ी से विस्तार का मौका देगा।


🏬 55 से 100 स्टोर्स तक: रिटेल में होगा बड़ा विस्तार

Snitch इस फंडिंग का उपयोग कई बड़े स्तर के लक्ष्यों के लिए करेगी:

  • 🔹 अपने ऑफलाइन स्टोर नेटवर्क को 55 से बढ़ाकर 100+ तक ले जाना
  • 🔹 Quick commerce कैटेगरी में एंट्री
  • 🔹 इंटरनेशनल मार्केट में संभावनाओं की जांच
  • 🔹 नई अपैरल और लाइफस्टाइल कैटेगरी में विस्तार

Snitch का लक्ष्य है कि वह 2025 के अंत तक भारत में अपने रिटेल फुटप्रिंट को दोगुना करे।


👕 क्या है Snitch की खासियत?

2020 में सिद्धार्थ डुंगरवाल द्वारा स्थापित Snitch एक D2C (Direct-to-Consumer) मेंसवियर ब्रांड है, जो स्टाइलिश, ट्रेंडी और किफायती कपड़े उपलब्ध कराता है। कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को:

  • 🌐 अपनी वेबसाइट,
  • 📱 मोबाइल ऐप और
  • 🏬 तेजी से बढ़ते ऑफलाइन स्टोर्स नेटवर्क के ज़रिए बेचती है।

Snitch खासतौर पर मिलेनियल और Gen-Z ग्राहकों को टार्गेट करता है, जो किफायती दाम में फैशनेबल आउटफिट्स की तलाश में रहते हैं।


📈 120% ग्रोथ और 55+ स्टोर्स के साथ वैश्विक विस्तार की तैयारी

Snitch के फाउंडर और CEO सिद्धार्थ डुंगरवाल ने कहा:

“120% सालाना ग्रोथ, 55+ स्टोर्स और एक मजबूत लॉयल कस्टमर बेस के साथ हम अब अगली लीग में कदम रख रहे हैं। हमारा लक्ष्य है एक वर्ल्ड-क्लास ब्रांड बनाना, जिसकी जड़ें भारत में हों और जिसमें तेज़ी से फैसले लेने की क्षमता हो। अब हम ग्लोबल मार्केट की ओर बढ़ रहे हैं और पब्लिक मार्केट्स में प्रवेश की तैयारी कर रहे हैं।”

Snitch अब न केवल भारत में बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने को तैयार है।


🦈 Shark Tank India से मिली थी पहली पहचान

Snitch को Shark Tank India सीज़न 2 में जबरदस्त पहचान मिली थी। कंपनी ने वहां ₹1.5 करोड़ की फंडिंग हासिल की थी वो भी महज़ 1.5% इक्विटी के बदले।

इस डील में शामिल थे:

  • Anupam Mittal (Shaadi.com)
  • Aman Gupta (boAt)
  • Namita Thapar (Emcure)
  • Vineeta Singh (Sugar Cosmetics)
  • Peyush Bansal (Lenskart)
  • Amit Jain (CarDekho)

इस डील पर कंपनी की वैल्यूएशन ₹100 करोड़ आंकी गई थी। यह उस समय के लिए एक बड़ा माइलस्टोन था, जिसने Snitch को देशभर में पॉपुलर बना दिया।


📊 वित्तीय प्रदर्शन: FY24 में ₹241 करोड़ की रेवेन्यू और ₹4.39 करोड़ मुनाफा

वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में Snitch ने शानदार प्रदर्शन किया:

  • 🔹 रेवेन्यू: ₹241 करोड़
  • 🔹 सालाना वृद्धि: 100%
  • 🔹 मुनाफा (Net Profit): ₹4.39 करोड़

हालांकि FY25 के वार्षिक नतीजे अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं, लेकिन कंपनी की मौजूदा ग्रोथ और नए फंडिंग से संकेत मिलते हैं कि FY25 में भी कंपनी मजबूत प्रदर्शन करेगी।


🌍 इंटरनेशनल मार्केट और IPO की ओर कदम

Snitch अब केवल भारतीय बाजार तक सीमित नहीं रहना चाहता। कंपनी की योजना है:

  • 🌐 इंटरनेशनल मार्केट्स में प्रवेश करना (संभवतः मिडल ईस्ट, साउथ ईस्ट एशिया और यूरोप जैसे क्षेत्रों में)
  • 📈 IPO (Initial Public Offering) के ज़रिए पब्लिक मार्केट में लिस्ट होना

यह कदम Snitch को एक ग्लोबल मेंसवियर ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकते हैं।


📌 निष्कर्ष: भारत के फैशन स्टार्टअप्स में Snitch की मजबूत मौजूदगी

Snitch ने सिर्फ 4 वर्षों में अपने ट्रेंडी प्रोडक्ट्स, D2C मॉडल और तेज़ ग्रोथ के चलते भारतीय फैशन स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक मजबूत पहचान बनाई है। इस नई फंडिंग के साथ Snitch न केवल अपने रिटेल विस्तार को बढ़ाएगा, बल्कि इंटरनेशनल स्टेज पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार है।


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Read more :⚡Ola Electric इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में TVS का जलवा,

⚡ Ola Electric को तगड़ा झटका: FY25 की चौथी तिमाही में 62% तक गिरी रेवेन्यू, घाटा दोगुना

ola electric

भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनी Ola Electric को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (Q4 FY25) में तगड़ा झटका लगा है। कंपनी की रेवेन्यू में वर्ष दर वर्ष (YoY) 62% की गिरावट दर्ज की गई, वहीं घाटा 106% तक बढ़ गया है। यह स्थिति साफ तौर पर कंपनी के सामने बढ़ती वित्तीय चुनौतियों को दर्शाती है।


📉 रेवेन्यू में भारी गिरावट

Ola Electric की रेवेन्यू Q4 FY25 में घटकर ₹611 करोड़ रह गई, जो कि एक साल पहले इसी तिमाही यानी Q4 FY24 में ₹1,598 करोड़ थी। यह जानकारी कंपनी के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर उपलब्ध कंसोलिडेटेड वित्तीय दस्तावेज़ों से सामने आई है।

पूरे वित्त वर्ष FY25 के लिए कंपनी की कुल ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹4,514 करोड़ रही, जबकि FY24 में यह ₹5,010 करोड़ थी — यानी सालाना आधार पर 10% की गिरावट


🛵 स्कूटर बिक्री पर ही निर्भर रही आमदनी

Ola Electric की आमदनी का लगभग पूरा हिस्सा इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री से आया। वहीं, बैटरियों की बिक्री से कंपनी को मामूली आमदनी हुई, खासकर पिछली तिमाही में।

Ola जैसे बड़े ब्रांड के लिए यह एक संकेत है कि डाइवर्सिफाइड रेवेन्यू मॉडल की कमी भविष्य में और वित्तीय दबाव बढ़ा सकती है।


💸 लागत और खर्चे: बढ़ती आग

कंपनी के कुल खर्चों में मैटेरियल (सामग्री) की खरीदारी सबसे बड़ा हिस्सा रहा, जो Q4 FY25 में ₹527 करोड़ (कुल लागत का 33%) रहा।

इसके अलावा अन्य बड़े खर्चों में शामिल हैं:

  • कर्मचारी लाभ
  • विज्ञापन और मार्केटिंग
  • तकनीकी सहायता

इस सबके चलते Q4 FY25 में Ola Electric का कुल खर्च ₹1,598 करोड़ तक पहुंच गया। वहीं, पूरे वित्त वर्ष FY25 में कंपनी का कुल खर्च ₹7,185 करोड़ रहा — जो कि एक अत्यधिक “कैश बर्न” की स्थिति दर्शाता है।


📉 घाटे में जबरदस्त उछाल

बिक्री में भारी गिरावट और खर्चों में वृद्धि के चलते, Ola Electric का घाटा Q4 FY25 में ₹862 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि Q4 FY24 में यह ₹418 करोड़ था। यानी घाटे में 106% की वृद्धि हुई है।

अगर पूरे वर्ष की बात करें, तो:

  • FY25 में घाटा ₹2,276 करोड़ रहा
  • जबकि FY24 में यह ₹1,584 करोड़ था

इस तरह, कंपनी का सालाना घाटा भी 43% से अधिक बढ़ा है।


💰 Ola Electric जुटाएगी ₹1,700 करोड़ का कर्ज

इन वित्तीय चुनौतियों से निपटने के लिए, Ola Electric ने हाल ही में ₹1,700 करोड़ तक की धनराशि उधार (debt instruments के जरिए) जुटाने की योजना को मंजूरी दी है। यह कदम कंपनी के लीडर भविश अग्रवाल के नेतृत्व में लिया गया है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी अपने कैश फ्लो को संभालने और ग्रोथ को बनाए रखने के लिए कर्ज का रास्ता अपना रही है।


🏁 मार्केट में TVS और Ather से मिल रही कड़ी टक्कर

अप्रैल 2025 में TVS Motor इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में मार्केट लीडर बनकर उभरी, जबकि Ola Electric को दूसरा स्थान मिला।

दिलचस्प बात यह है कि पहली बार Ather Energy ने Ola Electric को रेवेन्यू के मामले में पीछे छोड़ दिया है।

  • Q4 FY25 में Ather की ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹676 करोड़ रही
  • जबकि Ola Electric की ₹611 करोड़ ही रही

Ather ने 6 मई 2025 को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग की है, जिससे उसकी ग्रोथ और इनवेस्टमेंट में तेजी आई है।


📊 स्टॉक प्रदर्शन और वैल्यूएशन

आज के ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति पर Ola Electric का शेयर मूल्य ₹53.20 रहा। इसके आधार पर कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹23,465 करोड़ रही।

हालांकि, इस वैल्यूएशन के मुकाबले कंपनी के घाटे और घटती रेवेन्यू के आंकड़े चिंता का विषय बन सकते हैं — खासकर उन निवेशकों के लिए जो भविष्य की स्थिरता और प्रॉफिटेबिलिटी को प्राथमिकता देते हैं।


📌 निष्कर्ष: Ola Electric के लिए चुनौतीपूर्ण मोड़

Ola Electric के लिए FY25 का चौथा क्वार्टर वित्तीय रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। बिक्री में तेज गिरावट, बढ़ते खर्च, घाटे में भारी इजाफा और बढ़ती प्रतिस्पर्धा — ये सभी संकेत देते हैं कि कंपनी को अपनी रणनीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

EV बाजार में अब केवल ब्रांड या मार्केटिंग नहीं, बल्कि स्थिर ऑपरेशनल मॉडल, डाइवर्सिफाइड रेवेन्यू और तकनीकी दक्षता ही जीत दिला सकती है।

भविष्य में, Ola Electric के IPO प्लान्स, नए प्रोडक्ट लॉन्च, और R&D निवेश यह तय करेंगे कि कंपनी इस संकट से उबर पाएगी या नहीं।


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