PayU, जो डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफ़ॉर्म है और Prosus के स्वामित्व में है, ने अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) की योजना को इस वित्तीय वर्ष में स्थगित कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, PayU इस साल या 2024 के दूसरे छमाही में अपने IPO की योजना बना रहा था, लेकिन अब इसे अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के बाद लाने पर विचार कर रहा है।
कंपनी की IPO योजना
PayU पिछले कुछ वर्षों से अपने IPO की योजना बना रही थी, लेकिन कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस वापस मिलने के बाद इसे टाल दिया गया। कंपनी ने अप्रैल 2024 में यह लाइसेंस फिर से प्राप्त कर लिया, जिसके बाद उसने नए व्यापारियों को ऑनबोर्ड करना शुरू कर दिया है। इससे पहले, जनवरी 2023 से अप्रैल 2024 के बीच व्यापारियों का ऑनबोर्डिंग प्रतिबंधित कर दिया गया था।
Goldman Sachs बनी प्रमुख बैंकिंग पार्टनर
सूत्रों के अनुसार, PayU ने Goldman Sachs को अपने IPO के लिए मुख्य बैंकिंग पार्टनर के रूप में चुना है। हालांकि, कंपनी ने अभी तक अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को दायर नहीं किया है, लेकिन संभावना है कि 2025 की शुरुआत में इसे दाखिल किया जाएगा। इससे पहले कंपनी अपने कॉर्पोरेट ढांचे को और मजबूत करने में व्यस्त थी ताकि सार्वजनिक लिस्टिंग की प्रक्रिया को आसानी से अंजाम दिया जा सके।
PayU की भारतीय बाजार में स्थिति
भारत में PayU ने एक मजबूत स्थिति बनाई है। कंपनी के पास तीन प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों – पेमेंट्स, क्रेडिट, और PayTech में 500,000 से अधिक व्यापारी हैं। कंपनी हर साल $60 बिलियन से अधिक का ट्रांजैक्शन वॉल्यूम जनरेट करने का दावा करती है। हालांकि, FY23 के मुकाबले FY24 में कंपनी की राजस्व वृद्धि केवल 11% रही और उसका राजस्व $444 मिलियन तक पहुंचा।
धीमी वृद्धि और वित्तीय चुनौतियाँ
कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट का मुख्य कारण RBI की पाबंदी रही, जिसके कारण नए व्यापारियों को ऑनबोर्ड नहीं किया जा सका। इसके अलावा, FY24 में कंपनी ने नुकसान झेला। यह धीमी वृद्धि और नकारात्मक मार्जिन कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं, और यह भी एक कारण है कि PayU ने अपने IPO को स्थगित कर दिया है।
RBI की पाबंदी और पुनः लाइसेंस प्राप्ति
PayU की IPO योजना को उस समय झटका लगा जब RBI ने उसकी जटिल कॉर्पोरेट संरचना के कारण भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस वापस कर दिया था। हालांकि, अप्रैल 2024 में यह लाइसेंस वापस मिलने के बाद, कंपनी ने अपनी सेवाओं को फिर से चालू कर दिया है और नए व्यापारियों को जोड़ना शुरू किया है। इस लाइसेंस की प्राप्ति के बाद कंपनी ने अपने विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है और IPO के लिए खुद को तैयार किया है।
आगे की योजना
सूत्रों के अनुसार, PayU ने अपनी IPO योजना को इस वित्तीय वर्ष से आगे बढ़ा दिया है और अब इसका लक्ष्य है कि FY26 के पहले तिमाही के बाद पब्लिक लिस्टिंग की जाए। यह कदम कंपनी को अपने वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने और राजस्व में तेजी लाने का समय देगा। कंपनी ने अपने वित्तीय ढांचे को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसका प्रदर्शन बेहतर होगा।
PayU का वैश्विक विस्तार
PayU केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी ने विभिन्न देशों में अपने पेमेंट सॉल्यूशंस का विस्तार किया है और वित्तीय सेवाओं में अपने पैर पसार रही है। PayU का फोकस उभरते बाजारों पर है, जहां डिजिटल पेमेंट्स और क्रेडिट सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। कंपनी अपनी सेवाओं को और भी अधिक व्यापारियों तक पहुंचाने की योजना बना रही है, जो इसके राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगी।
वित्तीय प्रदर्शन और चुनौतियाँ
PayU ने FY23 में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन RBI की पाबंदी और नए व्यापारियों को जोड़ने पर रोक के कारण FY24 में इसका प्रदर्शन धीमा रहा। कंपनी की राजस्व वृद्धि केवल 11% रही और इसका कुल राजस्व $444 मिलियन तक पहुंचा। इसके अलावा, कंपनी को नकारात्मक मार्जिन का भी सामना करना पड़ा, जिससे उसकी लाभप्रदता प्रभावित हुई।
निष्कर्ष
PayU की IPO योजना को स्थगित करना कंपनी के लिए एक रणनीतिक कदम है, जिससे वह अपने वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने और बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का समय हासिल कर सके। कंपनी ने Goldman Sachs जैसे प्रमुख बैंकों के साथ मिलकर अपने IPO की तैयारी शुरू कर दी है और उम्मीद है कि 2025 की शुरुआत में वह DRHP दायर करेगी। भारतीय बाजार में PayU की मजबूत स्थिति और उसके व्यापारियों का बढ़ता आधार इसे भविष्य में और भी अधिक सफलता की ओर ले जा सकता है।
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