Osigu: सीरीज B में 25 मिलियन डॉलर की फंडिंग

Osigu

Miami, FL स्थित AI-संचालित हेल्थकेयर राजस्व साइकिल और क्लेम मैनेजमेंट प्लेटफ़ॉर्म प्रदाता Osigu ने हाल ही में सीरीज B फंडिंग राउंड में 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व IDC Ventures ने किया, जबकि Visa ने एक रणनीतिक निवेशक के रूप में भाग लिया। इस नए निवेश का उद्देश्य Osigu के पेमेंट सॉल्यूशंस को और अधिक उन्नत बनाना है, जिससे हेल्थकेयर प्रदाताओं को समय पर और सटीक भुगतान मिलने में सहायता मिल सके और उनके वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।

फंडिंग का उद्देश्य और कंपनी की रणनीति

Osigu इस फंडिंग का उपयोग अपने प्लेटफ़ॉर्म में ऐसे पेमेंट सॉल्यूशंस को जोड़ने के लिए करेगा, जो रियल-टाइम पेमेंट्स को सपोर्ट करते हैं। इस कदम का मुख्य उद्देश्य हेल्थकेयर प्रदाताओं के लिए वित्तीय तनाव को कम करना है, ताकि उन्हें समय पर और सटीक भुगतान मिल सके। इसके माध्यम से हेल्थकेयर सेक्टर में कैश फ्लो को बेहतर बनाने और प्रशासनिक खर्चों को घटाने में मदद मिलेगी।

कंपनी के संस्थापक और सीईओ, Fernando Botrán के नेतृत्व में Osigu एक डिजिटल, AI-संचालित एंड-टू-एंड राजस्व साइकिल और क्लेम मैनेजमेंट प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, जो हेल्थकेयर सेक्टर में सूचना प्रवाह को सरल और कुशल बनाता है।

हेल्थकेयर प्रदाताओं को मिलने वाले लाभ

Osigu के इस अत्याधुनिक AI-संचालित प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से हेल्थकेयर प्रदाता अब पेमेंट डेटा को एक्सेस कर सकेंगे, पेमेंट समयसीमा को समझ सकेंगे और अपने कैश फ्लो को स्वचालित प्रक्रियाओं के माध्यम से सुधार सकेंगे। साथ ही, यह प्रणाली एरर्स और प्रशासनिक खर्चों को भी कम करती है।

इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से अब हेल्थकेयर प्रदाता भुगतान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें योजना बनाने में आसानी होती है और वे अपने समय और संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकते हैं।

Osigu की अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति और विस्तार

पिछले एक दशक में Osigu ने एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है, जो मेक्सिको, सेंट्रल अमेरिका, डोमिनिकन रिपब्लिक, कोलंबिया और हाल ही में ब्राज़ील जैसे प्रमुख बाजारों में हेल्थकेयर क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ियों को जोड़ता है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से सूचना प्रवाह को सरल और तेज बनाने में Osigu सफल रहा है, जिससे पूरे लैटिन अमेरिका के हेल्थकेयर प्रदाताओं को लाभ हो रहा है।

Osigu का प्लेटफ़ॉर्म विशेषकर उन क्षेत्रों में हेल्थकेयर के बेहतर परिणाम दे रहा है, जहां कई बार पेमेंट प्रोसेसिंग और क्लेम मैनेजमेंट में देरी होती है। स्वचालित प्रक्रिया और AI-इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायता से Osigu इन देरी को कम करने में सहायता करता है और प्रदाताओं को अपने राजस्व चक्र को अधिक स्थिर रखने में मदद करता है।

निवेशकों का विश्वास और भविष्य की संभावनाएं

IDC Ventures द्वारा इस निवेश का नेतृत्व किया गया है, जबकि Visa जैसे बड़े नाम ने इसमें रणनीतिक निवेशक के रूप में भाग लिया है। Visa का यह निवेश Osigu के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह दिखाता है कि प्रमुख वित्तीय संस्थान भी Osigu की टेक्नोलॉजी और इसके बिज़नेस मॉडल को लेकर आशान्वित हैं। Osigu का लक्ष्य है कि हेल्थकेयर सेक्टर में समय पर और सटीक भुगतान के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाए और इसके लिए कंपनी अपने प्लेटफ़ॉर्म को निरंतर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कंपनी का मानना है कि हेल्थकेयर सेक्टर में वित्तीय स्थिरता और भुगतान प्रक्रिया की कुशलता में सुधार करने के लिए AI और ऑटोमेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। निवेशकों का मानना है कि Osigu का यह प्लेटफ़ॉर्म न केवल लैटिन अमेरिका बल्कि वैश्विक स्तर पर हेल्थकेयर राजस्व चक्र प्रबंधन में क्रांति ला सकता है।

स्वचालित प्रणाली के लाभ

Osigu की इस प्रणाली के तहत हेल्थकेयर प्रदाताओं को भुगतान संबंधी डेटा और भुगतान समयसीमा के बारे में बेहतर जानकारी मिलती है। इसके माध्यम से उन्हें अपने कैश फ्लो को सुधारने में मदद मिलती है, जिससे उनके राजस्व चक्र की स्थिरता बनी रहती है। AI और ऑटोमेशन के चलते एरर्स कम होते हैं और प्रशासनिक खर्चों में भी कमी आती है।

यह प्रणाली विशेष रूप से उन प्रदाताओं के लिए उपयोगी है जो बड़े पैमाने पर काम करते हैं और जिनकी आय में स्थिरता की आवश्यकता होती है। Osigu के AI और ऑटोमेशन से युक्त समाधान प्रदाताओं के लिए अपने राजस्व को समय पर प्रबंधित करने का एक आसान और प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष: Osigu का भविष्य और हेल्थकेयर में परिवर्तन की दिशा

इस नए निवेश से Osigu को न केवल लैटिन अमेरिका में, बल्कि अन्य बाजारों में भी विस्तार करने का अवसर मिलेगा। कंपनी का उद्देश्य है कि वह अधिक से अधिक हेल्थकेयर प्रदाताओं को जोड़ सके और उनकी राजस्व साइकिल और क्लेम मैनेजमेंट को सरल बना सके। AI और ऑटोमेशन के साथ, Osigu अपने प्लेटफ़ॉर्म को और अधिक कुशल बनाने की दिशा में अग्रसर है, जिससे हेल्थकेयर सेक्टर को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सके।

Osigu का यह प्रयास हेल्थकेयर में एक नई लहर ला सकता है, जहां प्रदाता न केवल अपने मरीजों पर ध्यान दे सकें, बल्कि अपने राजस्व को भी स्थिर रख सकें। Visa और IDC Ventures जैसे बड़े निवेशकों का सहयोग इस बात का प्रमाण है कि Osigu एक सकारात्मक और प्रभावशाली बदलाव ला सकता है, जो आने वाले वर्षों में हेल्थकेयर सेक्टर की दिशा को नया मोड़ देगा।

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Healthify को मिला $20 मिलियन का नया निवेश

Healthify

Healthify अपने एआई-संचालित कोचिंग मॉडल को लेकर बहुत गंभीर है और इसके लिए उसने कई नई तकनीकों में निवेश किया है। कंपनी का मानना है कि AI का उपयोग व्यक्तिगत स्वास्थ्य और फिटनेस कोचिंग में क्रांति ला सकता है। Healthify के संस्थापकों का कहना है कि वे नई तकनीकों के माध्यम से यूजर्स को एक ऐसा अनुभव देना चाहते हैं, जो न केवल उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए, बल्कि उनकी दैनिक जीवनशैली में भी सुधार करे।

कंपनी के अनुसार, एआई-संचालित न्यूट्रिशन और फिटनेस कोचिंग विशेष रूप से अमेरिका जैसे बाजारों के लिए डिज़ाइन की गई है, जहां उपयोगकर्ता कई भाषाओं, भोजन की आदतों और सांस्कृतिक प्राथमिकताओं का पालन करते हैं। इस प्रकार Healthify की सेवाएं अमेरिकी बाजार में यूजर्स की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित होंगी, जिससे इसका विस्तार आसान और प्रभावी होगा।

अमेरिकी बाजार पर फोकस

Healthify के अनुसार, अमेरिका में स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति जागरूकता में वृद्धि हो रही है और लोग एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए डिजिटल समाधानों का सहारा ले रहे हैं। इसी के मद्देनजर Healthify ने अमेरिका में अपनी सेवाएं लॉन्च करने की योजना बनाई है। कंपनी का मानना है कि इस कदम से न केवल उसकी ग्लोबल उपस्थिति बढ़ेगी बल्कि उसकी सेवाओं में विविधता भी आएगी।

Healthify का यह विस्तार केवल सेवा बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनी का उद्देश्य अपने AI मॉडल्स को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाना भी है, जिससे यूजर्स को एक संपूर्ण हेल्थ-कोचिंग अनुभव मिल सके।

कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम और B2B साझेदारी

Healthify न केवल व्यक्तिगत यूजर्स को सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि इसका एक B2B वर्टिकल भी है, जो कॉर्पोरेट वेलनेस पर केंद्रित है। कंपनी का मानना है कि स्वस्थ और सक्रिय कर्मचारियों से कंपनी की उत्पादकता में सुधार हो सकता है। इसी दिशा में Healthify ने डायग्नोस्टिक्स, इंश्योरेंस, और फार्मास्यूटिकल कंपनियों के साथ साझेदारियां की हैं।

इसका उद्देश्य कॉर्पोरेट कर्मचारियों को स्वस्थ और फिट रखने के लिए उन्हें व्यक्तिगत कोचिंग, हेल्थ चेकअप, और फिटनेस चैलेंज जैसी सेवाएं प्रदान करना है। Healthify की इस पहल को बड़ी कंपनियों से भी सराहना मिल रही है, जो अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने पर ध्यान दे रही हैं।

वित्तीय प्रदर्शन और भविष्य के लक्ष्य

वित्तीय दृष्टिकोण से Healthify का प्रदर्शन मजबूत रहा है। भारतीय संचालन ने ऑपरेशनल प्रॉफिटबिलिटी हासिल कर ली है और कंपनी को उम्मीद है कि FY25 के अंत तक वह EBITDA पॉजिटिव हो जाएगी। कंपनी ने FY23 में 229.71 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया था, हालांकि उसे 142 करोड़ रुपये का घाटा भी हुआ। कंपनी का मानना है कि नए निवेश से उसकी वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएगी।

Healthify के संस्थापक इस बात पर जोर देते हैं कि यह केवल एक स्वास्थ्य और फिटनेस प्लेटफार्म नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो लोगों को बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। कंपनी का कहना है कि उसकी सेवाएं केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखती हैं।

भविष्य में नवाचार और उत्पाद विकास

Healthify ने अपने प्लेटफार्म को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नए उत्पाद और फीचर्स पर काम करना शुरू कर दिया है। कंपनी का उद्देश्य नए और इनोवेटिव हेल्थ प्रोडक्ट्स विकसित करना है, जो यूजर्स को उनके स्वास्थ्य लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायता करेंगे। इस दिशा में Healthify नए AI-संचालित टूल्स और वियरेबल्स पर भी विचार कर रहा है, जो यूजर्स की हेल्थ और फिटनेस को ट्रैक कर सकें और उन्हें हर समय अप-टू-डेट रखें।

कंपनी ने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में वह यूजर्स को उनके व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करके एक कस्टमाइज्ड अनुभव प्रदान करने की योजना बना रही है, जो हर यूजर की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

निष्कर्ष: एक स्थिर और लंबी अवधि का दृष्टिकोण

Healthify का मानना है कि नई फंडिंग के माध्यम से वह अपने विस्तार और विकास को मजबूत कर सकेगा और एक ग्लोबल हेल्थ और फिटनेस लीडर बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा। अमेरिकी बाजार में प्रवेश के साथ ही Healthify की योजना है कि वह अधिक से अधिक यूजर्स को जोड़े और उनकी स्वास्थ्य यात्रा में सहायता करे।

यह निवेश Healthify के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उसे और अधिक स्थिर, प्रभावी और यूजर-केंद्रित बनाने में मदद करेगा। कंपनी की योजना यह सुनिश्चित करने की है कि वह न केवल वित्तीय रूप से सफल हो बल्कि अपने यूजर्स के जीवन में भी एक सकारात्मक बदलाव लाए।

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Ixigo ने Zoop में 51% हिस्सेदारी खरीदी

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ट्रैवल बुकिंग प्लेटफॉर्म ixigo ने zoop Web Services Private Limited में बहुमत हिस्सेदारी (51%) हासिल करने का निर्णय लिया है। Ixigo के निदेशक मंडल ने 24 अक्टूबर 2024 को हुई बैठक में इस अधिग्रहण को मंजूरी दी। इस डील में Ixigo द्वारा Zoop में 12.54 करोड़ रुपये की कुल रकम के बदले हिस्सेदारी खरीदी जाएगी, जिसमें एक “नॉन-कम्पीट फी” भी शामिल है।

यह अधिग्रहण तब तक पूर्ण नहीं होगा जब तक कि कुछ शर्तें पूरी नहीं हो जातीं, जिन्हें दोनों कंपनियों के बीच हुए अंतिम समझौतों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है।

अधिग्रहण की संरचना

ixigo यह अधिग्रहण दो तरीकों से करेगा: सेकेंडरी और प्राइमरी शेयर खरीद के माध्यम से। Zoop भारतीय रेलवे इकोसिस्टम में ई-कैटरिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए जानी जाती है। Ixigo इस अधिग्रहण के माध्यम से Zoop की सेवाओं को अपने प्लेटफॉर्म में शामिल करके अपने उपयोगकर्ताओं को एक समग्र और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने की योजना बना रही है। यह अधिग्रहण Ixigo के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि Q2 FY25 में कंपनी की कुल राजस्व का 53% हिस्सा ट्रेन वर्टिकल से आया है।

Zoop की सेवाएं

Zoop यात्रियों को मील बुकिंग, पीएनआर स्टेटस चेक करने और अन्य रेलवे-संबंधित सेवाएं प्रदान करता है। Zoop वर्तमान में 18 राज्यों में 192 रेलवे स्टेशनों पर अपनी सेवाएं प्रदान करता है और यह लगभग 400 सक्रिय रेस्तरांओं के साथ साझेदारी में काम करता है।

इस बहुमत हिस्सेदारी को खरीदने के अलावा, Ixigo ने भविष्य में Zoop के शेष 49% हिस्सेदारी को खरीदने का विकल्प भी हासिल किया है।

Ixigo की तीसरी बड़ी अधिग्रहण

यह Ixigo का तीसरा बड़ा अधिग्रहण है। फरवरी 2021 में, Ixigo ने ट्रेन बुकिंग ऐप Confirmtkt का 100% अधिग्रहण किया था, जबकि अगस्त 2021 में उसने बस एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म AbhiBus का अधिग्रहण किया था। ये सभी अधिग्रहण Ixigo की ट्रैवल बुकिंग इंडस्ट्री में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में बड़े कदम माने जा रहे हैं।

Ixigo के वित्तीय प्रदर्शन

Ixigo ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में 206.47 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो पिछले साल की समान अवधि (Q2 FY24) की तुलना में 26% की वृद्धि है। हालांकि, कंपनी के मुनाफे में गिरावट देखी गई, जहां Q2 FY24 में 26.70 करोड़ रुपये का मुनाफा था, वहीं Q2 FY25 में यह घटकर 13.08 करोड़ रुपये रह गया, जो 51% की गिरावट दर्शाता है। यह गिरावट कंपनी की उच्च लागत और विस्तार योजनाओं से संबंधित खर्चों को दिखाता है।

Ixigo का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

Zoop का अधिग्रहण Ixigo की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपने प्लेटफॉर्म को और व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है। Zoop की ई-कैटरिंग सेवाएं और रेलवे से संबंधित अन्य सुविधाएं Ixigo के प्लेटफॉर्म को और अधिक आकर्षक बना सकती हैं, खासकर उनके लिए जो ट्रेन यात्राएं बुक करते हैं। इसके साथ ही, इस अधिग्रहण से Ixigo को भारतीय रेल यात्री सेवा क्षेत्र में और अधिक विस्तार करने का अवसर मिलेगा।

Ixigo का यह कदम यह भी दिखाता है कि कंपनी भारतीय ट्रैवल मार्केट में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए नए और उपयोगी अधिग्रहण कर रही है, जिससे कंपनी को न केवल अधिक राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि वह बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को भी मजबूत करेगी।

Ixigo की भविष्य की संभावनाएं

Ixigo द्वारा Zoop का अधिग्रहण भारतीय ट्रैवल इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है। Zoop की सेवाओं के साथ Ixigo का प्लेटफॉर्म और भी मजबूत होगा, जो उपयोगकर्ताओं को न केवल यात्रा बुकिंग की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि यात्रा के दौरान भोजन और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगा।

Ixigo को अपने मौजूदा उपयोगकर्ता आधार को और अधिक आकर्षित करने में मदद मिलेगी, खासकर उन यात्रियों को जो लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा करते हैं और जिनके लिए यात्रा के दौरान भोजन की व्यवस्था करना एक प्रमुख चिंता का विषय होता है। Zoop की ई-कैटरिंग सेवाएं उन यात्रियों के लिए एक बड़ा फायदा साबित होंगी, जो बिना किसी परेशानी के अपनी सीट पर भोजन प्राप्त करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

Ixigo का Zoop में 51% हिस्सेदारी खरीदने का यह निर्णय न केवल कंपनी के लिए एक रणनीतिक कदम है, बल्कि भारतीय ट्रैवल बुकिंग इंडस्ट्री में भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। इस अधिग्रहण के बाद, Ixigo अपने प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को अधिक सेवाएं प्रदान कर सकेगी, जिससे उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इसके अलावा, कंपनी का यह कदम यह दर्शाता है कि Ixigo भविष्य में और भी अधिग्रहण कर सकती है, जिससे वह भारतीय ट्रैवल सेक्टर में और अधिक पकड़ बना सकेगी।

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Ixigo का राजस्व 26% बढ़कर 206.47 करोड़ रुपये पहुंचा

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ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर (OTA) ixigo ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में अपने परिचालन से होने वाले राजस्व में 26% की वृद्धि दर्ज की है, जो 206.47 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से फ्लाइट और बस बुकिंग से प्रेरित रही, जहां फ्लाइट ग्रॉस ट्रांजैक्शन वैल्यू (GTV) में सालाना आधार पर 43% की बढ़ोतरी हुई और बस GTV में 46% की वृद्धि हुई।

गुरुग्राम स्थित ixigo ने स्टॉक एक्सचेंज में अपनी फाइलिंग में बताया कि कंपनी का योगदान मार्जिन Q2 FY25 में 24% बढ़कर 91.08 करोड़ रुपये हो गया, जबकि Q2 FY24 में यह 73.67 करोड़ रुपये था। हालांकि, परिचालन से होने वाले राजस्व के प्रतिशत के रूप में योगदान मार्जिन में हल्की गिरावट दर्ज की गई, जो Q2 FY24 के 45% से घटकर Q2 FY25 में 44% रह गई।

प्रमुख राजस्व स्रोत: ट्रेन टिकटिंग

ixigo की आय का प्रमुख हिस्सा ट्रेन टिकटिंग से आता है। Q1 FY25 में कंपनी ने अपने कुल परिचालन राजस्व का 53.5% ट्रेन टिकटिंग से उत्पन्न किया, जो 110.4 करोड़ रुपये था। इसके अलावा, फ्लाइट बुकिंग सेवाओं का कंपनी की आय में 27% और बस बुकिंग का 19.3% योगदान रहा।

ऑपरेटिंग खर्चों में वृद्धि

Q2 FY25 में कंपनी के परिचालन खर्चों में भी वृद्धि हुई है, जो कंपनी के विस्तार और बाजार में अपनी पैठ को मजबूत करने के लिए किए गए निवेश को दर्शाता है। उपयोगकर्ता अधिग्रहण और बाजार में प्रवेश के लिए कंपनी ने अपने कर्मचारी खर्चों और मार्केटिंग लागतों में भी इजाफा किया।

हालांकि कंपनी के खर्चों में बढ़ोतरी हुई है, फिर भी EBITDA में जबरदस्त उछाल देखा गया है। EBITDA (अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डिप्रिशिएशन, एंड अमोर्टिजेशन) Q2 FY25 में 655% की वृद्धि के साथ 22.4 करोड़ रुपये हो गया, जबकि Q2 FY24 में यह केवल 2.96 करोड़ रुपये था। इसी तरह, समायोजित EBITDA में भी 326% की बढ़ोतरी हुई, जो Q2 FY25 में 20.99 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

कंपनी का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

Ixigo का यह वित्तीय प्रदर्शन दर्शाता है कि कंपनी की रणनीतियां उपयोगकर्ता आधार बढ़ाने और विभिन्न ट्रैवल सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए सफल रही हैं। फ्लाइट और बस बुकिंग के क्षेत्र में कंपनी की उच्च वृद्धि के साथ, Ixigo अब और अधिक सेवाओं में निवेश कर रही है ताकि इसे और बढ़ावा मिल सके। इसके साथ ही कंपनी अपने ट्रेन टिकटिंग कारोबार में भी मजबूत पकड़ बनाए हुए है, जो कि भारत में यात्रा उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग खर्चों में वृद्धि के बावजूद लाभप्रदता को बनाए रखा है, जो इसके कारोबार के स्थायित्व को दर्शाता है। Ixigo के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने लागत प्रबंधन के साथ-साथ आय बढ़ाने में भी संतुलन बनाए रखा है, जिससे भविष्य में इसके विकास की संभावनाएं उज्जवल दिख रही हैं।

मार्केट में Ixigo की स्थिति

Ixigo भारत के ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को ट्रेन, फ्लाइट और बस बुकिंग की व्यापक सेवाएं प्रदान करता है। इसके साथ ही, कंपनी का ध्यान यूजर्स को सस्ती और सुविधाजनक यात्रा विकल्प प्रदान करने पर है, जिससे वह तेजी से बढ़ते ट्रैवल सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

कंपनी के लिए चुनौती यह होगी कि वह अपने बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखते हुए और अधिक राजस्व स्रोतों की पहचान करे। इसके अलावा, कंपनी को ट्रैवल सेगमेंट में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नई तकनीकों और सेवाओं में निवेश करना होगा।

निष्कर्ष

Ixigo का Q2 FY25 का वित्तीय प्रदर्शन दर्शाता है कि कंपनी सही दिशा में कदम बढ़ा रही है। 26% की राजस्व वृद्धि और EBITDA में जबरदस्त उछाल यह दर्शाते हैं कि कंपनी ने न केवल अपने बाजार में स्थान को मजबूत किया है, बल्कि अपने उपयोगकर्ताओं के लिए उच्च मूल्य भी उत्पन्न किया है।

हालांकि कंपनी को भविष्य में अपने खर्चों और परिचालन लागतों को संतुलित करने की आवश्यकता होगी, लेकिन वर्तमान प्रदर्शन यह संकेत देता है कि Ixigo भारतीय ट्रैवल मार्केट में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार है।

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Space Startups के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड

Space Startups

भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने Space Startups क्षेत्र में सहयोग देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड स्वीकृत किया है। इस फंड का उद्देश्य पूरे भारत में लगभग 40 स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करना है, जिससे निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की प्रगति को गति मिलेगी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवीनता के अवसर बढ़ेंगे।

यह फंड केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य घरेलू अंतरिक्ष कंपनियों को बनाए रखना और उन्हें उन्नत चरणों में विकास के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम बनाना है।

केंद्र का लक्ष्य: निजी Space Startups तेजी लाना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के केंद्रीय बजट के दौरान इस फंड की घोषणा की थी। इसे अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से तैनात किया जाएगा। इस फंड का औसत वार्षिक आवंटन 150 से 250 करोड़ रुपये के बीच होगा। वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, उसके बाद अगले तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 250 करोड़ रुपये और अंतिम वर्ष में 100 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।

IN-SPACe करेगा फंड का प्रबंधन

इस फंड का प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) द्वारा किया जाएगा, जो कि भारत में निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष उद्योग में भागीदारी को बढ़ावा देने वाली एजेंसी है। IN-SPACe का मुख्य कार्य निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें सरकारी संसाधनों और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में सहायता प्रदान करना है।

निवेश सीमा: 10 करोड़ से 60 करोड़ रुपये तक

इस फंड के तहत निवेश की राशि कंपनी की स्थिति, विकास की संभावनाओं और राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षमताओं पर उसके प्रभाव के आधार पर तय की जाएगी। कंपनी के विकास के प्रारंभिक चरण के लिए 10 से 30 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जा सकता है, जबकि देर से विकास के चरणों में यह राशि 30 से 60 करोड़ रुपये तक हो सकती है। इस तरह के निवेश से स्टार्टअप्स को अपनी तकनीक विकसित करने, नए उत्पादों का परीक्षण करने और अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी जगह बनाने में मदद मिलेगी।

अंतरिक्ष स्टार्टअप्स को नई ऊर्जा

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र हाल के वर्षों में तेजी से विकसित हुआ है और निजी कंपनियों की भागीदारी ने इसमें और अधिक संभावनाओं को जन्म दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कई निजी कंपनियों को प्रोत्साहित किया है, जो नई तकनीकें और नवाचार लाने में सक्षम हैं। इस वेंचर कैपिटल फंड का उद्देश्य उन्हीं स्टार्टअप्स को पूंजी प्रदान करना है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने विचारों और उत्पादों को बाजार में लाने के लिए वित्तीय मदद की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी से न केवल देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगा।

फंड से क्या लाभ होंगे?

  1. नवाचार को प्रोत्साहन: इस फंड के माध्यम से छोटे और मध्यम आकार के स्टार्टअप्स को अपने शोध एवं विकास में निवेश करने और नए उत्पादों को विकसित करने में मदद मिलेगी।
  2. तेजी से वृद्धि: निवेश के माध्यम से स्टार्टअप्स को अपने ऑपरेशंस का विस्तार करने, नए ग्राहकों तक पहुंचने और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करने का अवसर मिलेगा।
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक लाभ: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग सिर्फ वाणिज्यिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं है; यह राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस फंड के जरिए निवेश किए गए स्टार्टअप्स राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए भी नई तकनीकें विकसित कर सकते हैं।
  4. नए रोजगार अवसर: इस फंड से स्टार्टअप्स को वित्तीय स्थिरता मिलेगी, जिससे नए रोजगार सृजित होंगे और वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में युवाओं को अवसर मिलेंगे।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का बढ़ता महत्व

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र, जिसे ISRO की प्रमुखता में स्थापित किया गया है, अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। चंद्रयान 3 और गगनयान जैसे मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है। अब, निजी कंपनियों की भागीदारी से इस क्षेत्र में और भी संभावनाएं खुल रही हैं।

केंद्र सरकार की यह पहल न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को नया आयाम देगी, बल्कि विश्व के अन्य देशों के साथ सहयोग और प्रतिस्पर्धा में भी मददगार साबित होगी।

निजी निवेश का आकर्षण

इस वेंचर कैपिटल फंड के अलावा, केंद्र सरकार को उम्मीद है कि यह निवेश अन्य निवेशकों और वित्तीय संस्थानों को भी आकर्षित करेगा, जो भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में निवेश करने में रुचि रखते हैं।

इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप्स के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें और अपनी तकनीक को वैश्विक बाजारों में लाने में सक्षम हों।

निष्कर्ष

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश के अंतरिक्ष मिशनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को और मजबूत करेगा। यह फंड न केवल स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें अपने उत्पादों और सेवाओं को बेहतर बनाने, विस्तार करने और नए बाजारों में प्रवेश करने के लिए भी प्रेरित करेगा।

इस पहल से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास की नई लहर आएगी, जिससे देश की वैश्विक स्थिति और मजबूत होगी।

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X (formerly Twitter) के लिए भारत में बड़ा संकट: वित्त वर्ष 2024 में 90% राजस्व गिरा

X (formerly Twitter)

भारत X (formerly Twitter) के सबसे बड़े बाजारों में से एक है, लेकिन एलन मस्क द्वारा इसके अधिग्रहण के बाद कंपनी को इसे मोनेटाइज करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2024 (FY24) में X इंडिया का राजस्व लगभग 90% गिरकर Rs 21.16 करोड़ रह गया, जो वित्त वर्ष 2023 (FY23) में Rs 207.70 करोड़ था। इसके साथ ही, कंपनी का मुनाफा भी 94% की भारी गिरावट का शिकार हुआ।

X इंडिया की स्टैंडअलोन वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, FY24 में कंपनी ने विभिन्न सेवाओं से मिलने वाले राजस्व में बड़ी कमी दर्ज की। मार्केटिंग सपोर्ट से मिलने वाला राजस्व 95%, रिसर्च एंड डेवलपमेंट से 85.6%, और यूजर सपोर्ट सेवाओं से 89% की गिरावट दर्ज की गई।

प्रमुख कारण: X (formerly Twitter) कर्मचारियों की भारी छंटनी

कंपनी ने इस भारी गिरावट के पीछे का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि नवंबर 2022 में हुई 90% कर्मचारियों की छंटनी इसके प्रमुख कारणों में से एक है। इन छंटनियों ने कंपनी के संचालन को गंभीर रूप से प्रभावित किया और खर्चों में भी भारी कटौती की।

कर्मचारियों के लाभों से जुड़े खर्चों में भी भारी गिरावट आई, जो FY23 में Rs 130.10 करोड़ थे, वहीं FY24 में यह सिर्फ Rs 6.20 करोड़ रह गए। इससे यह साफ हो जाता है कि कर्मचारियों की छंटनी का कंपनी के मानव संसाधन पर कितना गहरा प्रभाव पड़ा है।

अन्य खर्चों और लाभों में गिरावट

X इंडिया के अन्य खर्चों में भी कमी देखी गई। FY24 में डिप्रिसिएशन और एमॉर्टाइज़ेशन खर्च Rs 7.16 करोड़ रहा, जो FY23 में Rs 7.96 करोड़ था। इसी तरह, अन्य खर्च FY24 में Rs 5.38 करोड़ रहे, जबकि FY23 में यह Rs 30.19 करोड़ थे।

इसके बावजूद, कंपनी ने FY24 में कर-पहले मुनाफा Rs 2.42 करोड़ कमाया, जबकि FY23 में यह मुनाफा Rs 39.43 करोड़ था। टैक्स कटौती के बाद, X इंडिया का शुद्ध मुनाफा FY24 में Rs 3.18 करोड़ रहा।

X इंडिया की वित्तीय स्थिति और मौजूदा देनदारियां

FY24 में X इंडिया की नेट वर्थ में हल्की बढ़त दर्ज की गई और यह Rs 61.05 करोड़ तक पहुंच गई। हालांकि, कंपनी की मौजूदा देनदारियां FY23 के Rs 77.13 करोड़ से गिरकर FY24 में Rs 25.55 करोड़ रह गईं। इसके साथ ही, कंपनी की नकद आरक्षित राशि भी घटकर Rs 19.88 करोड़ रह गई, जो वित्त वर्ष 2023 में अधिक थी।

एलन मस्क के नेतृत्व में X का भारत में भविष्य

एलन मस्क द्वारा X का अधिग्रहण करने के बाद लागतों में की गई कटौती के चलते यह अनुमान पहले ही लगाया जा रहा था कि X इंडिया का परिचालन मुख्य रूप से अमेरिकी बाजार पर केंद्रित रहेगा और भारत जैसे देशों में इसका परिचालन सीमित हो जाएगा। और ठीक ऐसा ही हुआ है। हालांकि, इसके एकमात्र सकारात्मक पहलू के रूप में यह देखा जा सकता है कि मस्क के अधिग्रहण के बाद X इंडिया का भारत सरकार के साथ संबंध पहले की तरह तनावपूर्ण नहीं रहे हैं।

हालांकि, ब्राज़ील जैसे बाजारों में, X को न्यायपालिका के साथ गंभीर संघर्षों का सामना करना पड़ा है, लेकिन भारत में यह स्थिति मस्क के नेतृत्व में थोड़ी बेहतर रही है।

X का भारतीय बाजार में संघर्ष

X इंडिया का राजस्व इस समय भारी संकट में है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए भारत एक बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार है, लेकिन कंपनी को अपने प्लेटफार्म को मोनेटाइज करने में असफलता का सामना करना पड़ा है। राजस्व में इतनी बड़ी गिरावट से यह साफ है कि कंपनी को अपने खर्चों में कटौती के बावजूद वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में दिक्कत हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी को भारत में अपने संचालन को फिर से मजबूत करने के लिए नए रणनीतिक उपायों की आवश्यकता होगी। हालांकि, मस्क के नेतृत्व में X का मुख्य फोकस अमेरिका जैसे बड़े बाजारों पर है, जिससे भारत में इसका भविष्य अनिश्चित दिख रहा है।

X इंडिया के राजस्व में भारी गिरावट और कर्मचारियों की छंटनी ने कंपनी की स्थिति को और कमजोर कर दिया है। इसके बावजूद, कंपनी ने लागत कटौती के माध्यम से अपनी स्थिति को संभालने की कोशिश की है।

निष्कर्ष

भारत में X (ट्विटर) के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। एलन मस्क के नेतृत्व में कंपनी का मुख्य ध्यान अमेरिका और अन्य प्रमुख बाजारों पर है, जिससे भारत जैसे बाजारों में इसका प्रभाव कम होता जा रहा है। हालांकि, कंपनी ने वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन राजस्व में इतनी बड़ी गिरावट को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि X इंडिया आने वाले समय में कैसे पुनर्गठन करेगा।

भारतीय सोशल मीडिया बाजार में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है और X को इस दौड़ में बने रहने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

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NG Earsafe ने सीड फंडिंग में जुटाए 1.06 करोड़ रुपये

NG Earsafe

NG EarSafe ने इन्फ्लेक्शन पॉइंट वेंचर्स के नेतृत्व में अपने सीड फंडिंग राउंड में 1.06 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस फंडिंग का मुख्य उद्देश्य ब्रांड और श्रेणी की जागरूकता को बढ़ाना, ब्रांड की पहुंच का विस्तार करना और नए उत्पादों के विकास को गति देना है। इस रणनीतिक निवेश से एनजी ईयरसेफ की बाजार में उपस्थिति को मजबूत करने और ग्राहकों की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए नए और नवाचारी उत्पाद पेश करने की योजना है।

एनजी ईयरसेफ: सुरक्षित सुनने का अनूठा समाधान

NG EarSafe के सह-संस्थापक मीट शाह और राज शाह द्वारा स्थापित यह ब्रांड कानों के स्वास्थ्य और सुनने के आराम को प्राथमिकता देने वाला एक प्रीमियम ओपन-ईयर हेडफोन ब्रांड है। ब्रांड ईएनटी-प्रमाणित है और इसकी विशेषता एयर कंडक्शन और बोन कंडक्शन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जो ध्वनि को कंपन के माध्यम से कान के पर्दे को बायपास करते हुए सुनने योग्य बनाती है। इससे उपयोगकर्ताओं को एक सुरक्षित और आरामदायक सुनने का अनुभव मिलता है।

बोन कंडक्शन तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए भी उपयोगी होती है जिन्हें कानों से संबंधित समस्याएं होती हैं या जो लंबे समय तक हेडफोन का उपयोग करते हैं। यह तकनीक कानों पर किसी भी अतिरिक्त दबाव को कम करती है, जिससे सुनने के दौरान कोई परेशानी नहीं होती। एनजी ईयरसेफ अपने उत्पादों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित और स्वस्थ सुनने के समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

फंडिंग का उद्देश्य और ब्रांड की रणनीति

इस फंडिंग राउंड से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल मुख्य रूप से तीन उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

  1. ब्रांड और श्रेणी जागरूकता बढ़ाना: एनजी ईयरसेफ का उद्देश्य अपने ब्रांड को उपभोक्ताओं के बीच और भी मजबूत बनाना और सुरक्षित सुनने की तकनीक के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  2. ब्रांड की पहुंच का विस्तार करना: कंपनी अपने उत्पादों को और अधिक बाजारों तक पहुंचाने के लिए अपनी वितरण प्रणाली को मजबूत करने की योजना बना रही है। एनजी ईयरसेफ का लक्ष्य ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों पर अपनी उपस्थिति को और मजबूत बनाना है।
  3. नए उत्पादों का विकास: कंपनी का ध्यान नए और उन्नत उत्पादों को विकसित करने पर भी है, जो उपयोगकर्ताओं की बदलती जरूरतों को पूरा करेंगे। इस फंडिंग से एनजी ईयरसेफ इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करेगा ताकि नए उत्पादों की लाइन पेश की जा सके।

ब्रांड की प्रगति और भविष्य की योजनाएं

एनजी ईयरसेफ का दावा है कि अब तक 43,000 से अधिक हेडफोन बेचे जा चुके हैं। ब्रांड की एक मजबूत डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) उपस्थिति है और इसके उत्पाद अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, एनजी ईयरसेफ के उत्पाद भारत में 100 से अधिक रिटेल स्टोर्स में भी उपलब्ध हैं, जिनमें संगीता और फोनवाले जैसे प्रमुख रिटेलर शामिल हैं। वर्तमान में, कंपनी का वार्षिक राजस्व रन रेट (ARR) 10 करोड़ रुपये है।

एनजी ईयरसेफ को 2022 में रिटेल स्टार्टअप अवॉर्ड्स में फाइनलिस्ट के रूप में चुना गया था, और इसे 2019 में आईआईटी बॉम्बे के आयोजन ‘आकार’ में पहला पुरस्कार भी मिला था।

सुरक्षित सुनने की तकनीक पर जोर

एनजी ईयरसेफ की सफलता का एक बड़ा कारण उसकी अभिनव तकनीक है, जो हेडफोन के उपयोग के दौरान कानों को सुरक्षित रखती है। बोन कंडक्शन तकनीक विशेष रूप से कान के पर्दे के बिना ध्वनि को सुनने योग्य बनाती है। इसके जरिए ध्वनि कंपन हड्डियों के माध्यम से भेजे जाते हैं, जिससे कानों पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। यह तकनीक उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है, जो लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं या जिन्हें सुनने में परेशानी होती है।

कंपनी का मानना है कि इस तकनीक से उपयोगकर्ताओं को न केवल बेहतर सुनने का अनुभव मिलेगा, बल्कि उनके कानों की सेहत भी सुरक्षित रहेगी। एनजी ईयरसेफ का उद्देश्य कानों के स्वास्थ्य और सुविधा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सुनने के समाधानों को और भी उन्नत बनाना है।

फंडिंग के साथ नई उम्मीदें

एनजी ईयरसेफ की यह फंडिंग न केवल कंपनी के विकास को गति देगी, बल्कि नए उत्पादों के विकास में भी सहायक होगी। इस फंडिंग से कंपनी को अपने ब्रांड को और मजबूत करने, नए ग्राहकों तक पहुंचने और बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कंपनी के सह-संस्थापक मीट शाह का कहना है, “हम इस फंडिंग से न केवल अपने मौजूदा उत्पादों को बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं, बल्कि नए और इनोवेटिव उत्पादों को भी विकसित करेंगे, जो हमारे ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करेंगे।”

भविष्य की योजनाएं

फंडिंग के बाद एनजी ईयरसेफ का लक्ष्य अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करना और नए बाजारों तक पहुंचना है। कंपनी अपने ब्रांड की जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नए ग्राहकों को आकर्षित करने की भी योजना बना रही है।

एनजी ईयरसेफ का ध्यान मुख्य रूप से ग्राहकों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक सुनने के अनुभव को बेहतर बनाने पर है, और कंपनी आने वाले समय में और भी नवाचारी उत्पादों को लॉन्च करने की योजना बना रही है।

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Blinkit ने ग्राहकों के लिए EMI विकल्प पेश किया, बड़ी खरीदारी होगी आसान

Blinkit

क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म Blinkit ने अपने ग्राहकों के लिए एक नई सुविधा पेश की है। अब ग्राहक Rs 2,999 से अधिक की खरीदारी पर EMI (Equated Monthly Installments) के जरिए भुगतान कर सकते हैं। यह विकल्प सभी ऑर्डरों पर उपलब्ध होगा, सिवाय उन ऑर्डरों के जिनमें सोने और चांदी के सिक्के शामिल हैं।

ग्राहकों की सुविधा और बड़ी खरीदारी को प्रोत्साहन

EMI विकल्प Blinkit की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करना और प्लेटफॉर्म पर बड़ी खरीदारी को प्रोत्साहित करना है। आजकल, तेजी से बढ़ती क्विक कॉमर्स सेवाओं के जरिए लोग किराना, घरेलू सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में EMI विकल्प उन्हें बड़ी खरीदारी करने में सक्षम बना सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुविधा उपभोक्ताओं को समय के साथ भुगतान करने का विकल्प देकर उच्च मूल्य वाले ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे सकती है। इसके साथ ही, Blinkit की यह पहल उसके औसत ऑर्डर मूल्य को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है, जो कंपनी की विकास रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।

बैंकों के साथ साझेदारी

फिलहाल, Blinkit ने कई बैंकों के साथ साझेदारी की है, जिसमें HDFC, SBI, ICICI, Kotak Mahindra, Axis, RBL और CITI Bank शामिल हैं। ये बैंक अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड के जरिए EMI का विकल्प प्रदान करेंगे। इस साझेदारी के जरिए Blinkit ग्राहकों को सुविधाजनक भुगतान का मौका दे रहा है, जिससे वह बिना किसी वित्तीय दबाव के अपनी ज़रूरतों के मुताबिक खरीदारी कर सकते हैं।

ग्राहक वफादारी और वृद्धि पर ध्यान

EMI विकल्प पेश करना Blinkit की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य न केवल अपने ग्राहक आधार को बढ़ाना है, बल्कि उन्हें अपने प्लेटफॉर्म से जोड़े रखना भी है। क्विक कॉमर्स बाजार में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, जहां Swiggy Instamart, Zepto जैसी कंपनियां Blinkit को टक्कर दे रही हैं। ऐसे में EMI जैसे सुविधाजनक विकल्प Blinkit को न केवल ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद करेंगे, बल्कि प्लेटफॉर्म पर बार-बार आने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ाने में भी मददगार साबित होंगे।

Seller Hub की लॉन्चिंग

इसी सप्ताह Blinkit ने Seller Hub लॉन्च किया, जो ब्रांड्स को अपने उत्पादों की उपस्थिति को सीधे प्लेटफॉर्म पर प्रबंधित करने की सुविधा देता है। इस सुविधा का उपयोग 200 से अधिक ब्रांड्स पहले से ही कर रहे हैं, और यह ब्रांड्स को बिना किसी मध्यस्थ के अपनी क्विक कॉमर्स संचालन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के उपकरण प्रदान करता है।

Blinkit की बाजार में स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

Blinkit ने क्विक कॉमर्स स्पेस में एक मजबूत स्थिति बनाई है। हाल ही में, HSBC ने Blinkit की वैल्यूएशन लगभग $20.8 बिलियन आंकी, जो कि इसकी पेरेंट कंपनी Zomato की वैल्यूएशन ($9.2 बिलियन) से दो गुना अधिक है।

EMI विकल्प कंपनी के मार्जिन को बढ़ाने का एक और तरीका है, खासकर तब, जब Blinkit अपने ग्राहकों को इस सुविधा के माध्यम से अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित कर सके। क्विक कॉमर्स में मार्जिन कम होते हैं, इसलिए EMI जैसी सुविधाएं कंपनी के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने में मददगार साबित हो सकती हैं।

EMI विकल्प के फायदे और चुनौतियां

EMI सुविधा से Blinkit न केवल उच्च मूल्य के ऑर्डरों को आकर्षित करेगा, बल्कि उन ग्राहकों को भी प्लेटफॉर्म से जोड़े रखेगा, जो सुविधा और लचीलापन चाहते हैं। इसके अलावा, Blinkit ने हाल ही में अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाते हुए सोने और मोबाइल जैसी वस्तुएं भी शामिल की हैं। ऐसे में EMI विकल्प उन ग्राहकों के लिए एक स्वाभाविक प्रगति के रूप में देखा जा सकता है, जो बड़ी खरीदारी करना चाहते हैं लेकिन तुरंत भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।

हालांकि, कुछ शुरुआती चुनौतियां भी हो सकती हैं, जैसे कि EMI फीचर को लागू करने की प्रारंभिक लागत। लेकिन लंबे समय में, Blinkit के लिए इसका फायदा काफी ज्यादा हो सकता है, बशर्ते यह फीचर सफलतापूर्वक लागू हो जाए। अगर ऐसा होता है, तो यह फीचर जल्द ही बाजार में अन्य क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा भी अपनाया जा सकता है, क्योंकि प्रतिस्पर्धा हमेशा आगे रहने के लिए नए रास्ते तलाशती है।

निष्कर्ष: Blinkit की नई पहल

EMI विकल्प की शुरुआत Blinkit के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उसे ग्राहकों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाएगा, बल्कि प्लेटफॉर्म पर उच्च मूल्य वाले ऑर्डरों को भी आकर्षित करेगा। इसके अलावा, कंपनी के Seller Hub जैसी नई पहलों के साथ, Blinkit ने अपने प्लेटफॉर्म को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

क्विक कॉमर्स का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, और Blinkit अपनी अनूठी रणनीतियों के साथ इस प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में अग्रणी बने रहने की कोशिश कर रहा है। EMI विकल्प और Seller Hub जैसी सुविधाएं कंपनी को दीर्घकालिक लाभ और स्थिरता प्रदान कर सकती हैं, जिससे वह भारतीय क्विक कॉमर्स स्पेस में अपनी पकड़ और मजबूत कर सके।

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Shiprocket ने FY24 में हासिल की शानदार वृद्धि, 1,316 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया

Shiprocket

भारत की प्रमुख लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन एनेबलर कंपनी Shiprocket ने वित्तीय वर्ष 2024 में अच्छी वृद्धि दर्ज की है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी साहिल गोयल के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 21% बढ़कर 1,316 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

पिछले वर्षों की तुलना

Shiprocket ने वित्तीय वर्ष 2023 में 1,088.7 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग रेवेन्यू रिकॉर्ड किया था। हालांकि, उस समय कंपनी को 333.81 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जिसमें 63.16 करोड़ रुपये की असाधारण मदें जैसे अमॉर्टाइजेशन ऑफ इंटैन्जिबल एसेट्स और निवेश प्रावधान शामिल थे।

हालांकि, अभी भी कंपनी मुनाफे से दूर है, लेकिन गोयल का दावा है कि कंपनी ने अपने नकद EBITDA बर्न को 48% तक कम किया है। FY23 में यह बर्न 191 करोड़ रुपये था, जो FY24 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गया। यह घाटे में कमी कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई है, जिससे FY25 की पहली दो तिमाहियों में कंपनी नकद लाभप्रदता हासिल कर पाई।

ऑपरेशनल एफिशिएंसी और लागत में कमी

Shiprocket की EBITDA मार्जिन में सुधार दर्शाता है कि कंपनी ने अपने संचालन को कुशल बनाने, लागत को कम करने और मुनाफे को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है। गोयल के अनुसार, कंपनी की इन रणनीतियों ने न केवल लागतों को नियंत्रित किया, बल्कि कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद की है।

उन्होंने अपने LinkedIn पोस्ट में बताया कि, “हमारे इमर्जिंग बिज़नेस लगभग 75% की साल-दर-साल दर से बढ़ रहे हैं। इसमें Shiprocket Cross Border, Checkout, Capital, और अन्य नवाचार शामिल हैं, जो भारतीय SMBs (छोटे और मझौले व्यवसायों) के लिए नए उत्पाद और सेवाएँ तेजी से ला रहे हैं।”

Pickrr का इंटीग्रेशन और कोर प्लेटफॉर्म को मजबूती

Shiprocket की कोर प्लेटफॉर्म को और मज़बूत करने में Pickrr के घरेलू शिपिंग इंटीग्रेशन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Pickrr के इंटीग्रेशन के बाद से कंपनी की क्षमताओं में वृद्धि हुई है और यह अब अपने ग्राहकों को और भी बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो गई है।

Shiprocket: कंपनी का परिचय

Shiprocket की स्थापना साहिल गोयल, गौतम कपूर, और विशेष खुराना द्वारा की गई थी। यह कंपनी लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सॉल्यूशंस प्रदान करती है, जो खुदरा विक्रेताओं को उनकी शॉपिंग वेबसाइट्स को Shopify, Magenta और अन्य ई-कॉमर्स एनेबलर्स के साथ इंटीग्रेट करने की सुविधा देती है। Shiprocket का प्लेटफॉर्म भारत के ई-कॉमर्स बाजार का लगभग 5% सशक्त बनाता है और 1.5 लाख से अधिक सक्रिय व्यवसायों को सक्षम करता है।

Shiprocket की सेवाएं और SMBs पर फोकस

Shiprocket न केवल अपने पारंपरिक लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सेवाओं के लिए जाना जाता है, बल्कि यह छोटे और मझौले व्यवसायों (SMBs) को उनके संचालन को बढ़ाने में भी मदद करता है। कंपनी का फोकस केवल लॉजिस्टिक्स सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्रॉस-बॉर्डर शिपिंग, चेकआउट सॉल्यूशंस, और कैपिटल सॉल्यूशंस जैसी नई और नवाचारी सेवाएं भी प्रदान करती है।

Shiprocket की उभरती चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

हालांकि कंपनी ने FY24 में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई है, लेकिन Shiprocket के लिए सबसे बड़ी चुनौती मुनाफे की दिशा में बढ़ना है। कंपनी ने अपने EBITDA बर्न को कम करने और परिचालन दक्षता में सुधार करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, लेकिन मुनाफे तक पहुंचने का सफर अभी बाकी है।

फाइनेंशियल स्थिरता और बाजार विस्तार की दिशा में कंपनी के प्रयास आने वाले वित्तीय वर्षों में इसे और आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, गोयल के अनुसार, कंपनी का ध्यान नई सेवाओं और उत्पादों को विकसित करने पर भी रहेगा, जो भारतीय SMBs की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाए जा रहे हैं।

निष्कर्ष: FY25 की राह में संभावनाएं

Shiprocket ने FY24 में अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने और ऑपरेशनल दक्षता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। FY25 की पहली दो तिमाहियों में नकद लाभप्रदता हासिल करने के बाद, कंपनी आने वाले समय में और भी अधिक स्थिरता की ओर अग्रसर हो सकती है।

साहिल गोयल के नेतृत्व में Shiprocket भारतीय लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है और इसके इमर्जिंग बिज़नेस आने वाले समय में कंपनी को और अधिक सशक्त बना सकते हैं। Shiprocket की विकास यात्रा भारतीय ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स बाजार में उल्लेखनीय योगदान दे रही है, और इसका प्रभाव आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ने की संभावना है।

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Zouk ने $10 मिलियन जुटाए

Zouk

भारत की डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) बैग्स और लगेज ब्रांड Zouk ने अपने सीरीज बी फंडिंग राउंड में $10 मिलियन (लगभग 83 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Aavishkaar Group ने किया, और इसमें Stellaris Venture Partners, Titan Capital, Sharrp Ventures, और JJ Family ने भी भाग लिया। इस ताज़ा फंडिंग के बाद, Zouk का कुल फंडिंग $14.5 मिलियन हो गया है।

भविष्य की योजनाएं: ब्रांड आउटलेट्स और मार्केटिंग में निवेश

इस नए निवेश का उपयोग Zouk अपने एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट्स का विस्तार करने के लिए करेगा, और कंपनी का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में 75 से अधिक स्टोर्स खोलने का है। इसके अलावा, कंपनी अपने मार्केटिंग प्रयासों को बढ़ावा देने और सप्लाई चेन को मजबूत करने की योजना बना रही है। Zouk विभिन्न वर्टिकल्स में प्रतिभाओं की भर्ती करने के लिए भी निवेश करेगा, जिससे कंपनी का परिचालन और अधिक कुशल हो सके।

Zouk की स्थापना और इसके खास उत्पाद

2015 में दिशा सिंह और प्रदीप कृष्णकुमार द्वारा स्थापित Zouk ब्रांड अपने हैंडमेड उत्पादों के लिए जाना जाता है। यह ब्रांड लैपटॉप बैग्स, टोट हैंडबैग्स, स्लिंग बैग्स, और वॉलेट्स जैसे उत्पाद पेश करता है, जिन्हें 100% वेगन लेदर से तैयार किया जाता है। इस लेदर को पूरी तरह से भारत में ही सोर्स किया जाता है, जो ब्रांड के ‘मेड इन इंडिया’ दृष्टिकोण को दर्शाता है। अब तक, Zouk 700,000 से अधिक ग्राहकों की सेवा कर चुका है और अपने लगेज सेगमेंट में भी कदम रख रहा है। इसके तहत कंपनी बैकपैक्स और ट्रॉली बैग्स लॉन्च करने की तैयारी में है, और इस क्षेत्र में मजबूत वृद्धि की उम्मीद कर रही है।

फंडिंग और कंपनी का मूल्यांकन

Zouk की कुल फंडिंग अब $14.5 मिलियन तक पहुंच गई है। कंपनी के सूत्रों के अनुसार, Zouk का मौजूदा मूल्यांकन $50 मिलियन (लगभग 400 करोड़ रुपये) तक हो सकता है। TheKredible के डेटा के अनुसार, मुंबई स्थित इस स्टार्टअप का मूल्यांकन पिछली फंडिंग के समय $7 मिलियन के करीब था।

कंपनी में हिस्सेदारी

पिछले फंडिंग राउंड के समय, Zouk के सह-संस्थापक दिशा सिंह और प्रदीप कृष्णकुमार के पास क्रमशः 31% हिस्सेदारी थी। Stellaris सबसे बड़े बाहरी शेयरधारक थे, जिनके पास कंपनी में 19.63% हिस्सेदारी थी। Zouk की बढ़ती लोकप्रियता और उत्पादों की मांग के साथ, यह हिस्सेदारी कंपनी के विकास के साथ और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

वित्तीय स्थिति: राजस्व में वृद्धि, लेकिन घाटा भी बढ़ा

Zouk ने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 47.41 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो FY22 में 21.82 करोड़ रुपये था। हालांकि, कंपनी के घाटे में भी वृद्धि हुई है। FY23 में Zouk का घाटा 10.55 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल यह घाटा केवल 77 लाख रुपये था। कंपनी ने अभी तक FY24 के लिए अपने वित्तीय आंकड़े दर्ज नहीं किए हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आगामी वित्तीय वर्ष में कंपनी अपने घाटे को कम करने और राजस्व को बढ़ाने की दिशा में काम करेगी।

Aavishkaar Group और निवेशकों की भूमिका

इस राउंड में Zouk का नेतृत्व करने वाला Aavishkaar Group पहले भी कई स्टार्टअप्स में निवेश कर चुका है। इनमें AgroStar, Altum Credo, Ergos, GoDesi, Milk Mantra, और Newtrace जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। Aavishkaar की विशेषज्ञता और वित्तीय सहयोग से Zouk को अपनी विस्तार योजनाओं को साकार करने में मदद मिलेगी, और कंपनी भारतीय बाजार में अपनी पहचान और मजबूत करेगी।

Zouk का लक्ष्य और भविष्य की संभावनाएं

Zouk की स्थापना एक विशिष्ट उद्देश्य के साथ की गई थी—भारतीय उपभोक्ताओं के लिए स्टाइलिश, टिकाऊ और वेगन उत्पाद प्रदान करना। कंपनी ने धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई है और अब वह लगेज सेगमेंट में भी प्रवेश करने की तैयारी कर रही है। बैकपैक्स और ट्रॉली बैग्स के नए लॉन्च के साथ, Zouk का लक्ष्य अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को और विस्तारित करना है।

इसके अलावा, कंपनी का जोर अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और स्थिरता पर है। Zouk ने वेगन लेदर और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर एक अलग पहचान बनाई है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रही है। कंपनी का मानना है कि टिकाऊ उत्पाद ही भविष्य का रास्ता हैं, और यही Zouk के विकास की कुंजी भी है।

निष्कर्ष

Zouk ने अपने सीरीज बी फंडिंग राउंड में $10 मिलियन जुटाकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। कंपनी अब अपने ब्रांड आउटलेट्स के विस्तार, मार्केटिंग और सप्लाई चेन सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगी। वित्तीय दृष्टिकोण से, Zouk का राजस्व तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि घाटे में भी वृद्धि देखी गई है। कंपनी का उद्देश्य अपने प्रोडक्ट्स को और विकसित करना और भारतीय बाजार में अपनी स्थिति को और भी मजबूत बनाना है। Zouk की आगामी योजनाएं और विस्तार संभावनाएं इसे एक उभरते हुए भारतीय D2C ब्रांड के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगी।

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