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UPI

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने दिसंबर 2024 में 16.73 अरब लेनदेन के साथ ₹23.25 लाख करोड़ के लेनदेन का नया रिकॉर्ड बनाया। यह नवंबर की तुलना में वॉल्यूम में 8% और मूल्य में 7.88% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, साल-दर-साल (YoY) आधार पर यह वॉल्यूम में 39% और मूल्य में 28% की वृद्धि है।


UPI औसत दैनिक लेनदेन में वृद्धि

दिसंबर 2024 में यूपीआई पर औसत दैनिक लेनदेन की संख्या 540 मिलियन रही, जिसमें कुल दैनिक लेनदेन मूल्य ₹74,990 करोड़ था।

नवंबर 2024 में यह आंकड़ा 516 मिलियन औसत दैनिक लेनदेन और ₹71,840 करोड़ दैनिक लेनदेन मूल्य का था।

अक्टूबर 2024 से यह बढ़त जारी है, जब यूपीआई ने 16.58 अरब लेनदेन और ₹23.50 लाख करोड़ का कुल लेनदेन मूल्य दर्ज किया था।


यूपीआई बाजार में फोनपे की बढ़त

फोनपे (PhonePe) वर्तमान में यूपीआई बाजार में सबसे आगे है, जिसके पास ट्रांजैक्शन वॉल्यूम का 48% हिस्सा है। इसके बाद गूगल पे (Google Pay) का 37% और पेटीएम (Paytm) का 7% हिस्सा है।

थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स (TPAPs) के लिए NPCI ने वॉल्यूम कैप की अनुपालन समयसीमा को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2026 कर दिया है। इसका मतलब यह है कि फिलहाल बाजार हिस्सेदारी में बड़ा बदलाव देखने की संभावना कम है।


UPI: डिजिटल भुगतान का क्रांति लाने वाला प्लेटफॉर्म

यूपीआई ने भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह न केवल उपयोगकर्ताओं के लिए आसान और सुरक्षित है, बल्कि व्यापार और सरकारी संस्थानों के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है।

यूपीआई की प्रमुख विशेषताएं:

  1. रीयल-टाइम लेनदेन: यूपीआई उपयोगकर्ताओं को तुरंत और बिना किसी देरी के लेनदेन करने की सुविधा देता है।
  2. सुरक्षा: यूपीआई प्लेटफॉर्म मजबूत सुरक्षा मानकों का पालन करता है, जिससे उपयोगकर्ता के डेटा और धनराशि की सुरक्षा होती है।
  3. विविध उपयोग: यूपीआई का उपयोग न केवल भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, बल्कि बिल भुगतान, रिचार्ज, और निवेश जैसे कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।

यूपीआई के आंकड़ों का महत्व

दिसंबर 2024 के आंकड़े यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता और भारत के डिजिटल इकोनॉमी में इसके योगदान को दर्शाते हैं।

दिसंबर के आंकड़े:

  • कुल लेनदेन वॉल्यूम: 16.73 अरब
  • कुल लेनदेन मूल्य: ₹23.25 लाख करोड़
  • औसत दैनिक लेनदेन वॉल्यूम: 540 मिलियन
  • औसत दैनिक लेनदेन मूल्य: ₹74,990 करोड़

साल-दर-साल वृद्धि:

  • वॉल्यूम वृद्धि: 39%
  • मूल्य वृद्धि: 28%

यूपीआई की बढ़त के पीछे प्रमुख कारण

  1. सरकार की डिजिटल पेमेंट नीतियां: सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान के तहत यूपीआई को बढ़ावा दिया है, जिससे इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या में तेजी आई है।
  2. किफायती इंटरनेट और स्मार्टफोन: भारत में किफायती इंटरनेट और स्मार्टफोन की उपलब्धता ने यूपीआई को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाया है।
  3. सहज उपयोग और एकीकरण: यूपीआई का इंटरफेस सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल है, जिससे यह हर आयु वर्ग के उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ है।

चुनौतियां और आगे की राह

यूपीआई के तेजी से बढ़ने के बावजूद, कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं:

  1. साइबर सुरक्षा: यूपीआई पर बढ़ते लेनदेन के साथ ही साइबर सुरक्षा खतरों का जोखिम भी बढ़ा है।
  2. वॉल्यूम कैप लागू करना: NPCI द्वारा TPAPs के लिए वॉल्यूम कैप लागू करने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लेकिन इसके कार्यान्वयन में समय लग सकता है।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच: यूपीआई को ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक व्यापक बनाने के लिए जागरूकता और बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है।

यूपीआई का भविष्य

यूपीआई का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। NPCI के नेतृत्व में, यूपीआई को और अधिक उपयोगी और सुलभ बनाने के लिए कई नए इनोवेशन लाए जा रहे हैं।

  • अंतरराष्ट्रीय विस्तार: NPCI ने कुछ देशों में यूपीआई को लागू करने के लिए पहल की है, जो भारतीय यूजर्स को विदेश में भी यूपीआई का उपयोग करने की अनुमति देगा।
  • क्रेडिट और लोन उत्पाद: यूपीआई को क्रेडिट और माइक्रो-लोन उत्पादों के साथ एकीकृत करने की योजना है, जिससे छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को फायदा होगा।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): यूपीआई में AI तकनीक का उपयोग लेनदेन को और अधिक सुरक्षित और कुशल बनाने के लिए किया जाएगा।

निष्कर्ष

यूपीआई ने दिसंबर 2024 में लेनदेन के मामले में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया। 16.73 अरब ट्रांजैक्शन्स और ₹23.25 लाख करोड़ के लेनदेन ने इसे भारत के डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम का अभिन्न हिस्सा बना दिया है।

फोनपे, गूगल पे, और पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ, यूपीआई भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए डिजिटल भुगतान का पसंदीदा माध्यम बना हुआ है।
आने वाले वर्षों में यूपीआई का विस्तार और इसके उपयोग में वृद्धि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी।

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