मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस प्लेटफॉर्म GoodLives ने जुटाए 1.1 करोड़ रुपये

GoodLives

गुडगाँव स्थित मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस प्लेटफॉर्म GoodLives ने हाल ही में 1.1 करोड़ रुपये की प्री-सीड फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग में आईआईएम लखनऊ, रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी (RNTU) और अन्य निवेशकों, जैसे अनुप्रीत सिंह, दीपक मोटवानी, अभिषेक होता और Build3 ने हिस्सा लिया।

कंपनी ने कहा कि यह फंड उनके प्लेटफॉर्म की पहुंच बढ़ाने, फीचर्स में सुधार करने, और नए बाजारों में विस्तार करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।


GoodLives का सफर और मिशन

GoodLives की स्थापना 2022 में साक्षी शाह और लॉरेंस बामनिया ने की थी। यह एक एआई-चालित मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ, प्रभावी और व्यक्तिगत बनाना है।

  • GoodLives की सेवाएँ एआई-पावर्ड DIY एक्सरसाइज और एक्सपर्ट-लीड थैरेपी का अनूठा मिश्रण पेश करती हैं।
  • यह मानसिक स्वास्थ्य और रोजमर्रा की वेलनेस के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है।

साक्षी शाह ने बताया,
“हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ सिर्फ जरूरतमंदों तक ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति तक आसानी से पहुँचे।”


एआई और विशेषज्ञता का प्रभावी मिश्रण

GoodLives ने अपने प्लेटफॉर्म में एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया है ताकि यूजर्स को उनकी ज़रूरत के अनुसार व्यक्तिगत समाधान मिल सकें।

प्लेटफॉर्म की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. एआई-पावर्ड DIY एक्सरसाइज:
    • यह उपयोगकर्ताओं को आत्मनिर्भरता के साथ अपनी मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है।
  2. विशेषज्ञों की थैरेपी:
    • पेशेवर मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी जाने वाली काउंसलिंग और थैरेपी।
  3. समग्र स्वास्थ्य समाधान:
    • व्यक्तिगत और प्रभावी सेवाएँ, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं।

कॉर्पोरेट वेलनेस पर फोकस

GoodLives का प्रमुख ध्यान बड़े और मध्यम आकार के कॉरपोरेट्स पर है।

  • यह कंपनियों के लिए टेलर्ड वेलनेस प्रोग्राम्स पेश करता है, जिससे कर्मचारियों की व्यस्तता और भलाई में सुधार हो।
  • यह कंपनियों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कंपनी का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना सिर्फ व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि संगठनों की उत्पादकता और कार्यक्षमता में भी सुधार करता है।


फंडिंग का उपयोग

कंपनी ने कहा है कि यह फंड उनके कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मदद करेगा:

  1. प्लेटफॉर्म सुधार:
    • GoodLives अपने प्लेटफॉर्म की सुविधाओं और कार्यक्षमता में सुधार करेगा।
  2. नई मार्केट एंट्री:
    • कंपनी भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी विस्तार करने की योजना बना रही है।
  3. उत्पाद विस्तार:
    • नए प्रोडक्ट्स और सेवाओं को शामिल करना, जैसे अधिक DIY एक्सरसाइज और गहराई वाली काउंसलिंग।
  4. पहुंच बढ़ाना:
    • GoodLives अधिक उपयोगकर्ताओं तक अपनी सेवाएँ पहुँचाने के लिए काम करेगा।

मानसिक स्वास्थ्य का बढ़ता महत्व

महामारी के बाद से, मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता और सेवाओं की माँग में भारी वृद्धि हुई है।

महत्वपूर्ण आँकड़े:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर 7 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है।
  • कॉर्पोरेट सेक्टर में मानसिक स्वास्थ्य पर निवेश से कर्मचारियों की उत्पादकता में 12-14% का सुधार देखा गया है।

GoodLives जैसे प्लेटफॉर्म इस बढ़ती माँग को पूरा करने और लोगों को उनके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।


प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ

भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कई नए प्लेटफॉर्म आ रहे हैं, जैसे:

  • YourDOST
  • Wysa
  • InnerHour

GoodLives को इस प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाने और ग्राहकों का विश्वास जीतने की जरूरत है।

प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. जागरूकता की कमी:
    • भारत में मानसिक स्वास्थ्य को अभी भी कई बार कलंक के रूप में देखा जाता है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच:
    • GoodLives को अपनी सेवाएँ शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी ले जानी होंगी।
  3. गुणवत्ता सुनिश्चित करना:
    • एआई आधारित समाधान पेश करते समय व्यक्तिगत अनुभव को ध्यान में रखना जरूरी है।

भविष्य की योजनाएँ

GoodLives आने वाले वर्षों में निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा:

  1. व्यापक कॉर्पोरेट साझेदारी:
    • अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी करके कर्मचारियों के वेलनेस को बढ़ावा देना।
  2. नए फीचर्स का विकास:
    • उपयोगकर्ताओं के लिए और अधिक इंटरएक्टिव और प्रभावी समाधान पेश करना।
  3. अंतरराष्ट्रीय विस्तार:
    • कंपनी भारतीय बाजार से बाहर भी अपनी सेवाएँ ले जाने की योजना बना रही है।

निष्कर्ष

GoodLives का मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

  • यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करेगा, बल्कि कॉर्पोरेट उत्पादकता में भी वृद्धि करेगा।
  • एआई और मानव विशेषज्ञता के मिश्रण से GoodLives मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और प्रभावी बना रहा है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी अपने नए फंडिंग राउंड के माध्यम से किन-किन क्षेत्रों में विस्तार करती है और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या नए आयाम स्थापित करती है।

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Flipkart का नया कदम: 10 मिनट में दवाइयों की डिलीवरी

Flipkart

भारत में ई-कॉमर्स दिग्गज Flipkart ने अब दवाइयों को 10 मिनट में डिलीवर करने की योजना बनाई है। यह कदम कंपनी के मुख्य प्रतिस्पर्धियों, जैसे Swiggy Instamart और BigBasket, को चुनौती देने के लिए उठाया गया है। Flipkart की इस रणनीति का खुलासा The Economic Times की एक रिपोर्ट में किया गया।


Flipkart स्थानीय केमिस्टों के साथ साझेदारी

Flipkart भारतीय दवा नियामकों के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए पंजीकृत स्थानीय केमिस्टों के साथ साझेदारी कर रहा है। भारत के कानून विदेशी समर्थित ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी इन्वेंटरी रखने की अनुमति नहीं देते।

  • Flipkart ने इस नियम का पालन करते हुए दवाइयों को तेज़ी से डिलीवर करने के लिए मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में स्थानीय स्टोर्स के साथ सहयोग किया है।
  • यह मॉडल Swiggy Instamart और BigBasket के मॉडल से मिलता-जुलता है, जो ई-फार्मेसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं।

Swiggy Instamart और BigBasket का मुकाबला

Flipkart का यह कदम Swiggy और BigBasket की मौजूदा सेवाओं को टक्कर देने के लिए है:

  1. Swiggy Instamart:
    • Swiggy ने PharmEasy के साथ साझेदारी करके दवाइयों को 10 मिनट में डिलीवर करना शुरू किया है।
    • यह सेवा तेजी से लोकप्रिय हो रही है और Flipkart के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
  2. BigBasket:
    • BigBasket, जो Tata Digital के तहत काम करने वाली 1mg के साथ साझेदारी कर रहा है, जल्द ही दवाइयों की तेज़ डिलीवरी शुरू कर सकता है।

क्विक कॉमर्स में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

क्विक कॉमर्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और प्रमुख खिलाड़ी अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं।

  • Zepto और Blinkit जैसे प्लेटफॉर्म पहले से ही क्विक डिलीवरी सेवाओं में अग्रणी हैं।
  • Motilal Oswal की हालिया रिपोर्ट के अनुसार:
    • Blinkit का मार्केट शेयर 46% है।
    • Zepto के पास 29% और Swiggy Instamart के पास 25% का हिस्सा है।

Flipkart की एंट्री इस स्पेस में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा सकती है।


Flipkart की रणनीति और चुनौतियाँ

Flipkart के लिए दवाइयों की डिलीवरी एक नया सेगमेंट है, लेकिन इसमें बड़ी संभावनाएँ हैं।

Flipkart की रणनीति:

  1. स्थानीय साझेदारी:
    Flipkart स्थानीय केमिस्टों और सप्लायर्स के साथ सहयोग करके तेज़ी से ग्राहकों तक दवाइयाँ पहुँचाएगा।
  2. तकनीकी आधार:
    Flipkart अपनी उन्नत लॉजिस्टिक्स और डेटा एनालिटिक्स क्षमताओं का उपयोग करके क्विक कॉमर्स में मजबूती से प्रवेश कर सकता है।
  3. विस्तृत सेवा नेटवर्क:
    कंपनी के पास पहले से ही एक व्यापक डिलीवरी नेटवर्क है, जो इसे नई सेवाएँ लॉन्च करने में मदद करेगा।

चुनौतियाँ:

  1. कानूनी और नियामक नियम:
    भारतीय दवा कानून विदेशी कंपनियों के लिए सख्त हैं। Flipkart को स्थानीय साझेदारियों में पूरी पारदर्शिता रखनी होगी।
  2. बाजार प्रतिस्पर्धा:
    Zepto और Blinkit जैसे खिलाड़ी पहले से ही इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। Flipkart को उनके खिलाफ मजबूत रणनीति बनानी होगी।
  3. ग्राहकों का विश्वास:
    दवाइयों की डिलीवरी में सटीकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना Flipkart के लिए अहम होगा।

दवा डिलीवरी: एक बढ़ता हुआ बाज़ार

भारत में ऑनलाइन दवा बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है। महामारी के बाद से, लोग दवाइयों की ऑनलाइन खरीदारी को प्राथमिकता देने लगे हैं।

बाजार के आंकड़े:

  • भारत का ई-फार्मेसी बाजार 2024 तक $1.2 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • क्विक कॉमर्स में दवाइयों की डिलीवरी एक प्रमुख ट्रेंड बन रहा है।

ग्राहकों की मांग:

  • तेज़ डिलीवरी सेवाएँ ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
  • Flipkart की 10 मिनट डिलीवरी सेवा ग्राहक अनुभव को बेहतर बना सकती है।

Flipkart के लिए संभावनाएँ

प्रतिस्पर्धात्मक लाभ:

  • Flipkart के पास पहले से ही एक मजबूत ग्राहक आधार है।
  • इसकी लॉजिस्टिक्स और तकनीकी क्षमताएँ इसे क्विक कॉमर्स में सफल बना सकती हैं।

विस्तार के अवसर:

  • Flipkart इस सेवा को मेट्रो शहरों से आगे छोटे शहरों और कस्बों तक भी ले जा सकता है।
  • क्विक डिलीवरी सेवाएँ कंपनी के राजस्व में नए आयाम जोड़ सकती हैं।

निष्कर्ष

Flipkart का 10 मिनट में दवाइयों की डिलीवरी सेवा शुरू करने का फैसला भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में एक नया अध्याय खोल सकता है।

  • Swiggy Instamart और BigBasket जैसे प्रमुख खिलाड़ियों को चुनौती देने के लिए Flipkart को अपनी डिलीवरी स्पीड, सर्विस क्वालिटी, और ग्राहक विश्वास पर ध्यान देना होगा।
  • क्विक कॉमर्स का बढ़ता बाजार Flipkart के लिए नए अवसर लेकर आ सकता है।

Flipkart का यह कदम न केवल इसे ई-फार्मेसी सेक्टर में प्रवेश दिलाएगा, बल्कि इसे भारत के तेज़ी से बढ़ते क्विक कॉमर्स स्पेस में भी एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है।

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CarDekho Group FY24 में 3.5% राजस्व गिरावट, लेकिन घाटा 40% तक कम

CarDekho

जयपुर स्थित CarDekho Group, जो CarDekho, InsuranceDekho, BikeDekho, PriceDekho और Rupyy.com जैसे प्लेटफॉर्म्स संचालित करता है, ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में 3.5% की मामूली राजस्व गिरावट दर्ज की है। हालाँकि, कंपनी ने अपने घाटे को 40% तक कम कर दिया, जो इसके वित्तीय प्रदर्शन में एक बड़ा सुधार दर्शाता है।


CarDekho राजस्व में गिरावट लेकिन स्थिर वृद्धि

CarDekho का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में घटकर 2,250 करोड़ रुपये रह गया, जो FY23 में 2,332 करोड़ रुपये था।
हालाँकि, कंपनी के मुख्य व्यवसाय खंड में स्थिर वृद्धि देखी गई:

  • ट्रांजैक्शन बिजनेस:
    यह CarDekho के कुल ऑपरेटिंग राजस्व का 41% योगदान देता है।
    • इसमें ऑटोमेकर्स के लिए प्रदर्शन-आधारित विज्ञापन, डीलर-कस्टमर कनेक्शन, और खरीदारों के लिए वित्तीय सेवाएँ शामिल हैं।
    • FY24 में इस खंड ने 16.5% की वृद्धि दर्ज की, जिससे राजस्व 930 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
  • इंश्योरेंस ब्रोकिंग (InsuranceDekho):
    यह समूह का दूसरा सबसे बड़ा राजस्व स्रोत बनकर उभरा।
    • InsuranceDekho ने FY24 में 7.8 गुना वृद्धि दर्ज की और 743 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।
    • इसने समूह के कुल राजस्व में 33% योगदान दिया।
  • अन्य राजस्व स्रोत:
    • विज्ञापन और डिजिटल मार्केटिंग: 384 करोड़ रुपये
    • पुराने वाहनों की बिक्री: 176 करोड़ रुपये
    • अन्य सहायक सेवाएँ: 17 करोड़ रुपये
    • गैर-ऑपरेटिंग आय (Other Income): 143 करोड़ रुपये
    • कुल मिलाकर, समूह का FY24 में कुल राजस्व 2,393 करोड़ रुपये रहा।

खर्चों में कटौती: सुधार की दिशा में कदम

CarDekho Group ने FY24 में अपने विज्ञापन और प्रचार खर्चों को 13.6% घटाकर 700 करोड़ रुपये किया।

  • यह कंपनी के कुल खर्चों का 26% हिस्सा था।
  • कर्मचारी लाभ खर्च: FY24 में स्थिर रहा, जो 642 करोड़ रुपये था।
    • इसमें 74 करोड़ रुपये का ESOP खर्च (गैर-नकद खर्च) शामिल है।

कंपनी की इस कटौती ने इसके घाटे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


CarDekho का व्यवसाय मॉडल

CarDekho Group का व्यवसाय मॉडल विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर आधारित है, जो इसे भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाता है:

  1. ट्रांजैक्शन बिजनेस:
    • ऑटोमेकर्स और डीलरों के लिए विज्ञापन और प्रदर्शन-आधारित सेवाएँ।
    • वित्तीय सेवाएँ, जैसे ऋण और ईएमआई विकल्प, जो खरीदारों को खरीद प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
  2. इंश्योरेंस ब्रोकिंग (InsuranceDekho):
    • वाहन बीमा पॉलिसियों की बिक्री।
    • यह खंड तेजी से बढ़ रहा है और कंपनी की मुख्य ताकत बन गया है।
  3. विज्ञापन और डिजिटल मार्केटिंग:
    • यह खंड ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ब्रांडों को अपने ग्राहकों तक पहुँचने में मदद करता है।
  4. पुराने वाहनों की बिक्री:
    • CarDekho के प्लेटफॉर्म पर उपयोग किए गए वाहनों की बिक्री से होने वाली आय।

भविष्य की रणनीतियाँ और वृद्धि की संभावनाएँ

CarDekho Group का लक्ष्य FY24 में अपनी सेवाओं का विस्तार करना और अपनी वित्तीय स्थिति को और मजबूत बनाना है।

  • इंश्योरेंस ब्रोकिंग खंड पर अधिक ध्यान केंद्रित करना, जो कंपनी के लिए सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है।
  • डिजिटल तकनीक का उपयोग करके अपने प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाना और उपयोगकर्ताओं को एक सहज अनुभव प्रदान करना।
  • विज्ञापन खर्चों को नियंत्रित रखना, जबकि बाजार में ब्रांड की स्थिति को बनाए रखना।

प्रतिस्पर्धा और बाजार में स्थान

CarDekho Group भारत के ऑटोमोटिव ई-कॉमर्स और इंश्योरेंस ब्रोकिंग क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी है।

  • कॉम्पिटिटर्स:
    • CarTrade और BikeWale जैसे प्लेटफॉर्म भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
    • Insurtech क्षेत्र में, PolicyBazaar जैसी कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा प्रदान करती हैं।
  • CarDekho ने अपने व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो और ग्राहकों के लिए व्यक्तिगत सेवाओं के माध्यम से प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाए रखी है।

निष्कर्ष

FY24 में राजस्व में 3.5% गिरावट के बावजूद, घाटे को 40% तक कम करने और कुछ खंडों में मजबूत वृद्धि ने CarDekho Group को वित्तीय स्थिरता की ओर एक बड़ा कदम उठाने में मदद की है।

  • इंश्योरेंस ब्रोकिंग और ट्रांजैक्शन बिजनेस जैसे क्षेत्रों में वृद्धि के साथ, कंपनी ने अपने व्यवसाय मॉडल की ताकत को साबित किया है।
  • FY25 में, CarDekho का लक्ष्य न केवल राजस्व बढ़ाना है, बल्कि नई सेवाओं और प्रौद्योगिकी में निवेश करके बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है।

CarDekho Group भारतीय ऑटोमोटिव और इंश्योरेंस उद्योग में नवाचार और स्थिरता के साथ एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है।

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Shadowfax FY24 में 90% घाटा कम कर वित्तीय मजबूती का प्रदर्शन

Shadowfax

भारत की अग्रणी नई पीढ़ी की लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी प्लेटफॉर्म कंपनी Shadowfax (Shadowfax) ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में अपने वित्तीय प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है। कंपनी ने 90% तक अपने घाटे को कम किया और 33% साल-दर-साल वृद्धि के साथ ऑपरेटिंग रेवेन्यू को बढ़ाया। इसके साथ ही, शैडोफैक्स ने EBITDA में 23 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है।


Shadowfax FY24 में आय और मुनाफा: मजबूत प्रदर्शन

Shadowfax का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में बढ़कर 1,884.8 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 1,415 करोड़ रुपये था।

  • गैर-ऑपरेटिंग आय से कंपनी ने 11.6 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया।
  • कुल मिलाकर, FY24 में कंपनी की आय 1,896.4 करोड़ रुपये रही।

शैडोफैक्स ने अपने प्रदर्शन में सुधार का श्रेय रिवर्स लॉजिस्टिक्स, सेम-डे डिलीवरी, और अपनी विशेष Flash सर्विस जैसे वैल्यू-एडेड सेवाओं को दिया।


सेवाओं का विस्तार: 2,500 शहरों और 18,000 पिन कोड में मौजूदगी

शैडोफैक्स, थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स (3PL) सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी की सेवाएं ई-कॉमर्स और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) फर्मों के लिए पूरे भारत में फैली हुई हैं।

  • यह कंपनी 2,500 शहरों और 18,000 पिन कोड में काम कर रही है।
  • कंपनी की आय का एकमात्र स्रोत लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी सेवाओं की बिक्री है।

अबिशेक बंसल, शैडोफैक्स के सह-संस्थापक और सीईओ, ने कहा,

“जबकि अधिकांश लॉजिस्टिक्स कंपनियां केवल एक सेवा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और B2B में परिवर्तित हो रही हैं, शैडोफैक्स ने B2C में रहना पसंद किया है। हमारी क्विक कॉमर्स सेवाएं हमें बढ़त देती हैं क्योंकि हम एकमात्र 3PL हैं जो ऐसी सेवाएं प्रदान करते हैं।”


खर्चों का विश्लेषण: परिवहन और वितरण पर प्रमुख खर्च

FY24 में शैडोफैक्स के कुल खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा परिवहन और वितरण का रहा, जो मुख्य रूप से डिलीवरी पार्टनर्स से संबंधित है।

  • परिवहन और वितरण खर्च: FY24 में यह खर्च 24.7% बढ़कर 966.2 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
  • यह खर्च कंपनी के कुल खर्चों का 50.63% है।
  • वाहनों की संचालन लागत: 35.8% की वृद्धि के साथ यह लागत 394.5 करोड़ रुपये रही।
  • खोई हुई शिपमेंट से संबंधित लागत: यह खर्च 39.7% बढ़कर 94.6 करोड़ रुपये हो गया।

B2C फोकस और क्विक कॉमर्स की बढ़त

शैडोफैक्स का B2C पर ध्यान केंद्रित करना और क्विक कॉमर्स सेवाएं प्रदान करना कंपनी को प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है।

  • क्विक कॉमर्स के तहत, कंपनी तेजी से डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है, जो ग्राहकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक हैं।
  • यह कंपनी की प्रमुख Flash सर्विस के माध्यम से पूरा किया जाता है।

अबिशेक बंसल ने बताया कि कंपनी की मल्टी-सर्विस अप्रोच और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकसित की गई सेवाओं ने FY24 में स्थिरता और मुनाफे को सुनिश्चित किया है।


कंपनी की वित्तीय रणनीतियां

शैडोफैक्स ने अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं:

  1. वैल्यू-एडेड सेवाओं पर जोर: रिवर्स लॉजिस्टिक्स, सेम-डे डिलीवरी, और क्विक कॉमर्स जैसी सेवाएं कंपनी की ग्रोथ में अहम भूमिका निभा रही हैं।
  2. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग: डिजिटल तकनीक और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में सुधार के जरिए संचालन की दक्षता बढ़ाई गई है।
  3. डिलीवरी पार्टनर्स पर निवेश: कंपनी ने अपने डिलीवरी पार्टनर्स के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया है, जिससे परिवहन और वितरण सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

प्रतिस्पर्धा और बाजार में स्थिति

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में शैडोफैक्स का प्रमुख स्थान है।

  • डेल्हीवरी, ईकॉम एक्सप्रेस, और ब्लैकबक जैसे खिलाड़ी इस क्षेत्र में पहले से सक्रिय हैं।
  • शैडोफैक्स ने B2C पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बनाया है।

क्विक कॉमर्स और मल्टी-सर्विस अप्रोच के कारण, शैडोफैक्स ने न केवल प्रतिस्पर्धा को मात दी है, बल्कि FY24 में EBITDA सकारात्मक प्रदर्शन भी किया है।


निष्कर्ष

शैडोफैक्स का FY24 में 90% घाटे को कम करना और 33% रेवेन्यू ग्रोथ इसे एक मजबूत वित्तीय प्रदर्शन वाली कंपनी के रूप में स्थापित करता है।

  • कंपनी का B2C फोकस, क्विक कॉमर्स की अनूठी पेशकश, और वैल्यू-एडेड सेवाओं ने इसे भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बनाया है।
  • FY24 के वित्तीय नतीजे यह दर्शाते हैं कि शैडोफैक्स ने न केवल अपने ऑपरेशन में सुधार किया है, बल्कि बाजार में एक स्थायी विकास पथ भी बनाया है।

आने वाले समय में, शैडोफैक्स का विस्तार और नवाचार इसे भारतीय और वैश्विक बाजारों में और मजबूत करेगा।

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Ecom Express और Smartworks को Securities and Exchange Board of India से IPO की मंजूरी

Ecom Express

लॉजिस्टिक्स फर्म Ecom Express और को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर स्मार्टवर्क्स को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने की मंजूरी मिल गई है। इन दोनों कंपनियों ने अगस्त 2024 में अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किए थे।


Ecom Express का आईपीओ: 2,600 करोड़ रुपये का फंड राइजिंग प्लान

Ecom Express, एक अग्रणी लॉजिस्टिक्स कंपनी, अपने आईपीओ के जरिए 2,600 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है।

  • इसमें 1,284.5 करोड़ रुपये का फ्रेश इक्विटी इश्यू और 1,315.5 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल है।
  • OFS के तहत, पार्टनर्स ग्रुप अपने 931 करोड़ रुपये के शेयर बेचेंगे, जबकि वारबर्ग पिंकस और BII (पहले CDC ग्रुप) क्रमशः 211 करोड़ रुपये और 137 करोड़ रुपये के शेयर बेचेंगे।

ईकॉम एक्सप्रेस ने पहले 2022 में 4,860 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे रोक दिया गया था। यह 13 साल पुरानी कंपनी अब फिर से बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है।

लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

लॉजिस्टिक्स स्पेस में पहले से ही डेल्हीवरी और ब्लैकबक जैसी कंपनियां लिस्टेड हैं। इसके अलावा, शैडोफैक्स भी अपना आईपीओ लाने की योजना बना रही है।

ईकॉम एक्सप्रेस का यह कदम दर्शाता है कि भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर में तेज़ी से विकास हो रहा है, जहां कंपनियां वित्तीय मजबूती और विस्तार के लिए पूंजी जुटा रही हैं।


स्मार्टवर्क्स का आईपीओ: 550 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू

स्मार्टवर्क्स, जो भारत में एक प्रमुख को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर है, ने 550 करोड़ रुपये के फ्रेश इक्विटी इश्यू के जरिए फंड जुटाने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, कंपनी के प्रमोटर्स 67.49 लाख इक्विटी शेयर बेचेंगे।

स्मार्टवर्क्स की मौजूदगी भारत के 13 शहरों में है, जिनमें बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली एनसीआर, मुंबई और पुणे शामिल हैं। कंपनी के पास 8 मिलियन वर्ग फुट में फैले 41 सेंटर हैं, जो इसे इस क्षेत्र का प्रमुख खिलाड़ी बनाते हैं।


को-वर्किंग स्पेस सेक्टर में बढ़ती संभावनाएं

स्मार्टवर्क्स के आईपीओ के साथ, यह क्षेत्र निवेशकों के लिए एक नया अवसर पेश कर रहा है। यह आवफिस (Awfis) के बाद लिस्टिंग के लिए तैयार होने वाली दूसरी कंपनी होगी।

इसके अलावा, अन्य प्रमुख को-वर्किंग कंपनियां जैसे वीवर्क इंडिया, सिम्प्लीवर्क, टेबल स्पेस, देवएक्स और इंडिक्यूब भी आईपीओ लाने की तैयारी में हैं।

को-वर्किंग स्पेस सेक्टर ने महामारी के बाद काफी तेजी देखी है, जहां कंपनियां छोटे और फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस को प्राथमिकता दे रही हैं। स्मार्टवर्क्स जैसे खिलाड़ियों ने इस मांग को भुनाते हुए अपने कारोबार को तेजी से बढ़ाया है।


दोनों कंपनियों की भविष्य की रणनीति

  1. ईकॉम एक्सप्रेस
    • ईकॉम एक्सप्रेस का लक्ष्य अपनी सेवा क्षमताओं को मजबूत करना और अधिक भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तार करना है।
    • कंपनी का फोकस ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स पर है, जहां वह तेजी से डिलीवरी और किफायती सेवाओं के जरिए बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
  2. स्मार्टवर्क्स
    • स्मार्टवर्क्स की योजना अपने को-वर्किंग मॉडल को और उन्नत बनाने की है।
    • कंपनी अपने मौजूदा केंद्रों को अपग्रेड करने और नए शहरों में विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

भारतीय बाजार में आईपीओ की बढ़ती लहर

भारत में हाल के वर्षों में आईपीओ बाजार ने काफी तेजी देखी है। सेबी की मंजूरी प्राप्त करने वाली ये दोनों कंपनियां एक स्पष्ट संकेत देती हैं कि निवेशक अब विविध क्षेत्रों में रुचि दिखा रहे हैं।

  • लॉजिस्टिक्स सेक्टर में जहां डेल्हीवरी और ब्लैकबक जैसी कंपनियां पहले से लिस्टेड हैं, वहीं ईकॉम एक्सप्रेस का आईपीओ इस क्षेत्र में एक और बड़ा कदम है।
  • को-वर्किंग स्पेस सेक्टर, जो अभी भी विकास के शुरुआती चरण में है, स्मार्टवर्क्स के आईपीओ के जरिए निवेशकों को एक नई संभावनाएं प्रदान कर रहा है।

निष्कर्ष

ईकॉम एक्सप्रेस और स्मार्टवर्क्स का आईपीओ भारत के लॉजिस्टिक्स और को-वर्किंग स्पेस सेक्टर में बढ़ते निवेश के रुझान को दर्शाता है।

ईकॉम एक्सप्रेस का लॉजिस्टिक्स में विस्तार और स्मार्टवर्क्स का को-वर्किंग स्पेस में अपनी उपस्थिति बढ़ाना, दोनों ही क्षेत्रों के लिए सकारात्मक संकेत हैं।

इन दोनों कंपनियों की सफलता न केवल उनकी इंडस्ट्री में नई संभावनाएं खोलेगी, बल्कि भारतीय शेयर बाजार में भी नए निवेशकों को आकर्षित करने में मदद करेगी।

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Nazara Technologies ने 196 करोड़ रुपये का निवेश किया

Nazara Technologies

भारत की अग्रणी गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स कंपनी Nazara टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने हाल ही में चार गेमिंग कंपनियों में 196 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश नजारा की वैश्विक गेमिंग और मनोरंजन प्लेटफॉर्म बनाने की रणनीति का हिस्सा है।


Nazara फंकी मंकीज प्ले में 60% हिस्सेदारी खरीदी

Nazara ने फंकी मंकीज प्ले में 43.7 करोड़ रुपये का निवेश करके कंपनी की 60% हिस्सेदारी हासिल की है। यह कदम कंपनी के भौतिक मनोरंजन (physical entertainment) क्षेत्र में विस्तार करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

फंकी मंकीज प्ले बच्चों और परिवारों के लिए इंटरैक्टिव मनोरंजन केंद्र संचालित करती है, और यह निवेश नजारा के पोर्टफोलियो में एक नई दिशा जोड़ता है।


एआई-ड्रिवन प्लेटफॉर्म LearnTube.ai में निवेश

नजारा ने LearnTube.ai में 4.2 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह एक एआई-संचालित शैक्षणिक मंच है, जिसके 20 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं। LearnTube.ai का उद्देश्य छात्रों के लिए गेमिफाइड लर्निंग एक्सपीरियंस को बेहतर बनाना है।

यह निवेश शिक्षा और गेमिंग के समन्वय को प्रोत्साहित करेगा, जिससे नजारा का ध्यान विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल नवाचारों पर केंद्रित रहेगा।


मौजूदा सब्सिडियरी कंपनियों में भी निवेश

नजारा ने अपने पोर्टफोलियो की तीन मौजूदा सब्सिडियरी कंपनियों में 148 करोड़ रुपये का निवेश किया है:

  • Nodwin Gaming: 64 करोड़ रुपये
  • Sportskeeda: 69 करोड़ रुपये
  • Datawrkz: 15 करोड़ रुपये

CEO नितीश मित्तरसैन का बयान

नजारा के सीईओ नितीश मित्तरसैन ने कहा:
“ये निवेश हमारी वैश्विक और विविधतापूर्ण गेमिंग और मनोरंजन प्लेटफॉर्म बनाने की दृष्टि के अनुरूप हैं।”


ई-स्पोर्ट्स में नजारा का दबदबा

नजारा ने ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में लगातार अधिग्रहण के माध्यम से अपना प्रभाव बनाए रखा है।

  1. Nodwin Gaming का विस्तार:
    नजारा समर्थित Nodwin Gaming ने हाल ही में Trinity Gaming को $2.8 मिलियन में अधिग्रहित किया।
  2. Datawrkz का अधिग्रहण:
    नजारा की सहायक कंपनी Datawrkz ने अक्टूबर में UK-आधारित Space & Time में 100% हिस्सेदारी हासिल की।

अन्य प्रमुख अधिग्रहण और निवेश

  1. PokerBaazi में बड़ा निवेश:
    नजारा ने PokerBaazi की पैरेंट कंपनी Moonshine Technology में 982 करोड़ रुपये का निवेश किया।
  2. स्टेन और अन्य ई-स्पोर्ट्स कंपनियां:
    नजारा ने Stan, Fusebox Games, Paper Boat Apps (Kiddopia के डेवलपर), Ultimate Teen Patti, और DeltiasGaming जैसी कंपनियों में भी हिस्सेदारी हासिल की।

पिछले महीने जुटाए 855 करोड़ रुपये

नजारा ने पिछले महीने प्रिफरेंशियल इश्यू के माध्यम से 855 करोड़ रुपये (लगभग $100 मिलियन) जुटाए। इस राशि का उपयोग कंपनी के विस्तार और अधिग्रहण रणनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।


नजारा का प्रभाव और भविष्य की योजनाएं

नजारा टेक्नोलॉजीज़ भारत में गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स क्षेत्र का अग्रणी नाम बन चुका है। कंपनी ने अपने विस्तार और अधिग्रहण रणनीति के माध्यम से न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी उपस्थिति मजबूत की है।

निवेश के मुख्य क्षेत्र:

  1. ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग:
    Nodwin Gaming और Sportskeeda जैसे ब्रांडों के माध्यम से।
  2. शैक्षिक तकनीक:
    LearnTube.ai के माध्यम से छात्रों के लिए गेमिफाइड लर्निंग।
  3. भौतिक मनोरंजन:
    फंकी मंकीज प्ले के साथ नए क्षेत्रों में विस्तार।

भविष्य की योजनाएं:

  1. नए अधिग्रहण:
    कंपनी का लक्ष्य और अधिक कंपनियों का अधिग्रहण करके अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करना है।
  2. डिजिटल नवाचार:
    एआई और अन्य तकनीकों का उपयोग करके उन्नत समाधान विकसित करना।
  3. वैश्विक विस्तार:
    अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाना।

निष्कर्ष

नजारा टेक्नोलॉजीज़ का 196 करोड़ रुपये का यह निवेश गेमिंग, ई-स्पोर्ट्स, और शैक्षणिक तकनीक में कंपनी की विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा है। फंकी मंकीज प्ले और LearnTube.ai में निवेश से यह स्पष्ट है कि नजारा डिजिटल और भौतिक दोनों क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह रणनीति नजारा को न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गेमिंग और मनोरंजन का अग्रणी ब्रांड बनाएगी।

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AdvantageClub.ai ने जुटाए $4 मिलियन,

AdvantageClub

कर्मचारी जुड़ाव मंच AdvantageClub ने अपने नवीनतम फंडिंग राउंड में $4 मिलियन जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Axilor Ventures ने किया, जिसमें AFG Ventures, प्रसन्ना सरकार, Bytez Ventures, और कुछ मौजूदा निवेशकों ने भाग लिया। इस फंडिंग के साथ, कंपनी की कुल फंडिंग $11 मिलियन हो गई है।


AdvantageClub फंड का उपयोग कहां होगा?

AdvantageClub ने बताया कि यह फंडिंग कंपनी की AI क्षमताओं को विकसित करने, नए उत्पाद जोड़ने, भौगोलिक विस्तार, और स्वास्थ्य व कल्याण कार्यक्रमों जैसे OPD प्लान, फिटनेस प्लान, स्वास्थ्य जांच, और सामाजिक व्यवहार आधारित स्वस्थ आदत निर्माण पर खर्च की जाएगी।

कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा:
“हम अपने कर्मचारी जुड़ाव और अनुभव क्षेत्र में नवीनतम उत्पाद विकसित करेंगे, जिससे कर्मचारियों की खुशी और उनकी कंपनी से जुड़ाव को और बेहतर बनाया जा सके।”


AdvantageClub का परिचय

2016 में स्थापित, AdvantageClub एक AI-संचालित कर्मचारी जुड़ाव, पुरस्कार, और वेलनेस प्लेटफ़ॉर्म है। इसे सौरभ डियोरा और स्मिति भट्ट डियोरा ने सह-स्थापित किया था। यह प्लेटफॉर्म कंपनियों को एकल मंच पर कई समाधान प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. पुरस्कार और मान्यता (Rewards & Recognition):
    कर्मचारियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित और पुरस्कृत करना।
  2. वेलनेस समाधान (Wellness Solutions):
    • OPD योजनाएं
    • वार्षिक स्वास्थ्य जांच
    • स्वास्थ्य चुनौतियां
  3. सेल्स इंसेंटिव ऑटोमेशन:
    सेल्स टीमों को उनके प्रदर्शन के आधार पर स्वचालित रूप से प्रोत्साहन प्रदान करना।
  4. लचीले लाभ (Flexible Benefits):
    कर्मचारी अपनी जरूरतों के अनुसार लाभ चुन सकते हैं।
  5. सर्वेक्षण और समुदाय:
    कंपनियों को कर्मचारियों की राय समझने और उनकी खुशी को मापने में मदद करना।

AI की नई भूमिका

AdvantageClub ने हाल ही में AI बॉट Adva लॉन्च किया है, जो कर्मचारियों के साथ जुड़ाव बढ़ाने और संगठनों को उनके कर्मचारियों के साथ नए तरीके से जुड़ने का मौका देता है।

कंपनी के सीईओ सौरभ डियोरा ने कहा:
“हम AI के क्षेत्र में अत्याधुनिक समाधान विकसित करना जारी रखेंगे। हमने पुरस्कार क्षेत्र में AI का उपयोग कर एक नई क्रांति लाई है। भविष्य में, हम प्लेटफ़ॉर्म में और भी AI आधारित उपयोग के मामलों को जोड़कर कर्मचारी जुड़ाव को बढ़ाएंगे।”


कर्मचारी जुड़ाव का महत्व

किसी भी संगठन की सफलता उसके कर्मचारियों की खुशी और उत्पादकता पर निर्भर करती है।

  1. जुड़ाव बढ़ाने के लाभ:
    • कर्मचारी संगठन से अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
    • यह कर्मचारी प्रतिधारण (retention) को बढ़ावा देता है।
    • कर्मचारी खुशी (employee happiness) में सुधार होता है।
  2. डिजिटल समाधान की आवश्यकता:
    • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से कंपनियां अपनी R&R नीतियों को आसानी से प्रबंधित कर सकती हैं।
    • वेलनेस प्रोग्राम से कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।

फंडिंग का महत्व

AdvantageClub के लिए $4 मिलियन की यह फंडिंग कई मायनों में अहम है:

  • भौगोलिक विस्तार: कंपनी अपनी सेवाओं को और अधिक देशों में ले जाने की योजना बना रही है।
  • नई तकनीक का विकास: AI और मशीन लर्निंग आधारित समाधान विकसित करना।
  • स्वास्थ्य व कल्याण पर जोर: कर्मचारियों के लिए वेलनेस प्रोग्राम को और प्रभावी बनाना।

AdvantageClub की अब तक की यात्रा

  1. कर्मचारियों के लिए प्लेटफ़ॉर्म:
    AdvantageClub ने 6 वर्षों में एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाया है, जो 70,000 से अधिक कर्मचारियों को उनकी कंपनियों से जोड़ता है।
  2. ग्राहक संतुष्टि:
    कंपनी ने 500+ कंपनियों को सेवाएं प्रदान की हैं, जिनमें कई प्रमुख नाम शामिल हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार:
    AdvantageClub के ग्राहक भारत के अलावा अन्य देशों में भी मौजूद हैं।

वर्तमान बाजार और प्रतिस्पर्धा

आज के समय में कर्मचारी जुड़ाव और वेलनेस का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। AdvantageClub जैसी कंपनियां इस बढ़ते बाजार का फायदा उठा रही हैं।

  • प्रमुख प्रतियोगी:
    • Darwinbox
    • Empuls
    • Plum Benefits

AdvantageClub की AI-आधारित रणनीति इसे अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाती है।


भविष्य की योजनाएं

AdvantageClub आने वाले वर्षों में और अधिक विकास की योजना बना रहा है:

  1. AI का गहन उपयोग:
    कर्मचारियों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझने के लिए मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग।
  2. नई सेवाओं का विकास:
    • मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
    • कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत वेलनेस योजनाएं
  3. ग्राहक आधार का विस्तार:
    वर्तमान 500+ कंपनियों से बढ़ाकर हजारों ग्राहकों तक पहुंचने का लक्ष्य।

निष्कर्ष

AdvantageClub ने $4 मिलियन जुटाकर अपनी विकास यात्रा में एक और कदम बढ़ाया है। यह फंडिंग कंपनी को अपने AI क्षमताओं को बढ़ाने, नए उत्पाद विकसित करने और कर्मचारियों के जुड़ाव को और बेहतर बनाने में मदद करेगी।

यह मंच उन कंपनियों के लिए एक आदर्श समाधान बन रहा है, जो अपने कर्मचारियों की खुशी और उत्पादकता को प्राथमिकता देती हैं। AI का उपयोग करते हुए AdvantageClub आने वाले समय में कर्मचारी जुड़ाव और वेलनेस के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने के लिए तैयार है।

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RBI ने हटाई Navi Finserv पर लगी पाबंदियां, अब फिर से शुरू होंगे लोन

Navi Finserv

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Navi Finservपर लगी प्रतिबंधों को हटा दिया है, जिससे अब यह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) फिर से लोन स्वीकृति और वितरण शुरू कर सकेगी। पहले ये प्रतिबंध कंपनी के नियामकीय अनुपालन और मूल्य निर्धारण नीतियों में कमियों के चलते लगाए गए थे। RBI का यह फैसला संकेत देता है कि Navi Finserv ने इन मुद्दों को समय पर सुलझा लिया है।


Navi Finserv क्यों लगाए गए थे प्रतिबंध?

अक्टूबर 2024 में, RBI ने Navi Finserv और तीन अन्य NBFCs को निर्देश दिया था कि वे नए लोन स्वीकृत न करें। यह कदम उन कंपनियों द्वारा नियामकीय दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन न करने के कारण उठाया गया था।

RBI ने कहा,
“इन मुद्दों के समाधान और कंपनी की नियामकीय अनुपालन के प्रति प्रतिबद्धता से संतुष्ट होकर, RBI ने अब तत्काल प्रभाव से इन प्रतिबंधों को हटा लिया है। यह निर्णय वित्तीय क्षेत्र में नियामकीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है।”


अन्य NBFCs पर अभी भी जारी है प्रतिबंध

Navi Finserv के साथ ही, DMI Finance, Asirvad Micro Finance, और Arohan Financial Services पर भी प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि, इन तीन NBFCs को अभी भी लोन वितरण की अनुमति नहीं दी गई है।


Navi Finserv का परिचय

Navi Finserv की स्थापना 2018 में सचिन बंसल और अंकित अग्रवाल ने की थी। यह कंपनी RBI द्वारा पंजीकृत मध्य-स्तर (middle layer) की NBFC के रूप में काम करती है। Navi Finserv व्यक्तिगत और होम लोन प्रदान करती है।

हाल ही में, Navi Finserv ने गोल्डमैन सैक्स (इंडिया) फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ $24.5 मिलियन का लोन सेक्यूरिटाइजेशन ट्रांजेक्शन पूरा किया।


कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन

Navi Finserv का वित्तीय प्रदर्शन FY24 में बेहतर रहा:

  1. संचालन से आय (Revenue from Operations):
    FY23 में ₹1,238 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹1,906 करोड़ हो गई।
  2. शुद्ध लाभ (Net Profit):
    FY24 में ₹668 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ, जिसमें इसकी सहायक कंपनी की बिक्री से हुए लाभ का बड़ा योगदान है।

RBI का कदम: एक सख्त संदेश

RBI द्वारा NBFCs पर लगाए गए प्रतिबंध यह दर्शाते हैं कि नियामकीय अनुपालन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कदम NBFCs और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपने संचालन में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है।

विशेषज्ञों का कहना है:

  • “यह फैसला Navi Finserv के लिए राहत की बात है, लेकिन यह अन्य NBFCs के लिए भी एक चेतावनी है कि नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।”

भारतीय NBFC क्षेत्र का महत्व

भारत में NBFCs का वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान है। ये संस्थाएं उन क्षेत्रों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाती हैं, जहां बैंकों की पहुंच कम होती है।

  • वित्तीय समावेशन: NBFCs का बड़ा योगदान उन लोगों को वित्तीय सेवाएं देने में है, जो पारंपरिक बैंकिंग से वंचित हैं।
  • आर्थिक विकास: ये संस्थाएं छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) के लिए वित्तीय सहायता का प्रमुख स्रोत हैं।

Navi Finserv का भविष्य

Navi Finserv पर से प्रतिबंध हटने के बाद, कंपनी अब अपने संचालन को विस्तार देने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।

  1. नई रणनीतियां: कंपनी अब सीधे ग्राहकों को जोड़ने और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को विस्तार देने पर काम कर सकती है।
  2. डिजिटल सेवाओं का उपयोग: डिजिटल तकनीक के जरिए ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सकता है।
  3. नए निवेश: गोल्डमैन सैक्स जैसे प्रमुख निवेशकों के साथ सहयोग कंपनी के लिए नए निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।

क्या सीखने को मिला?

RBI का यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता को दर्शाता है। Navi Finserv द्वारा समय पर सुधारात्मक कदम उठाना यह दर्शाता है कि नियामकीय अनुपालन से संबंधित समस्याओं को सही तरीके से हल किया जा सकता है।

यह मामला अन्य NBFCs के लिए एक सबक है कि नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना उनके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए अनिवार्य है।


निष्कर्ष

RBI द्वारा Navi Finserv पर से प्रतिबंध हटाना कंपनी के लिए एक बड़ा राहतभरा कदम है। यह निर्णय वित्तीय प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। अब Navi Finserv के पास अपने ग्राहकों की सेवा में सुधार करने और अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मौका है।

NBFC क्षेत्र के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि नियामकीय अनुपालन और पारदर्शिता से ही वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

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लाइव एआई प्लेटफॉर्म Pathway ने जुटाए $10 मिलियन

Pathway

डाटा और लाइव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर काम करने वाली कंपनी Pathway ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $10 मिलियन जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व TQ Ventures ने किया, जिसमें Kadmos और Id4 Menlo Park, California ने भी भाग लिया।

पिछले साल नवंबर में Pathway ने अपने शुरुआती सीड फंडिंग राउंड में $5 मिलियन जुटाए थे। उस राउंड का नेतृत्व Yamaha Motor Ventures ने किया था, जिसमें Verge HealthTech Fund और अन्य निवेशकों ने भी हिस्सा लिया था।


Pathway कंपनी की स्थापना और उद्देश्य

Pathway की स्थापना दो प्रमुख व्यक्तियों ने की है:

  • एड्रियन कोसोव्स्की (CSO)
  • जॉन चोरोव्स्की (CTO)

दोनों संस्थापक AI के क्षेत्र में गहरा अनुभव रखते हैं। जॉन चोरोव्स्की का पहले काम फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार विजेता और एआई के ‘गॉडफादर’ जेफ हिंटन के साथ रहा है।

Pathway का मुख्य उद्देश्य ऐसे लाइव AI सिस्टम बनाना है, जो जटिल निर्णय लेने में सक्षम हों। ये सिस्टम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को सही और अद्यतन जानकारी तक तुरंत पहुंचाने में मदद करते हैं।


फंड का उपयोग

Pathway ने बताया कि जुटाई गई राशि का उपयोग कंपनी के मिशन को अगले स्तर तक ले जाने के लिए किया जाएगा। कंपनी का फोकस है:

  1. लाइव AI सिस्टम का विकास: जो लगातार अपडेट होते डेटा के आधार पर निर्णय लेने में सक्षम हों।
  2. हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुधार: जिससे चिकित्सकों को तेजी से सही सलाह और जानकारी मिले।
  3. क्लीनिकल प्रैक्टिस गाइडेंस का विस्तार: जो लाखों स्रोतों से एकत्रित साक्ष्य-आधारित डेटा प्रदान करता है।

Pathway का AI प्लेटफॉर्म कैसे काम करता है?

Pathway का प्लेटफॉर्म लाखों साक्ष्य-आधारित स्रोतों से डेटा इकट्ठा करता है और उसे एक ऐसे डेटाबेस में बदलता है, जिसे स्वास्थ्यसेवा पेशेवर आसानी से खोज और एक्सेस कर सकते हैं।

इसकी खासियतें:

  • 70,000 से अधिक अनुशंसाएं: प्लेटफॉर्म 30,000 से अधिक क्लीनिकल टॉपिक्स पर जानकारी प्रदान करता है।
  • 370,000 चिकित्सक पंजीकृत: Pathway का दावा है कि इसके प्लेटफॉर्म पर 200 देशों के 3.7 लाख से अधिक चिकित्सक पंजीकृत हैं।
  • डायनेमिक डाटा: लाइव AI सिस्टम संरचित और असंरचित दोनों प्रकार के डेटा का उपयोग करके लगातार अपडेट होती जानकारी देता है।

हेल्थकेयर में Pathway का योगदान

Pathway का लक्ष्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को समय पर सटीक जानकारी प्रदान करना है। इसका सीधा असर:

  1. तेजी से निर्णय लेने की क्षमता: डॉक्टर और हेल्थकेयर वर्कर्स तुरंत सही इलाज और प्रक्रियाओं के बारे में जान सकते हैं।
  2. रोगी देखभाल में सुधार: अप-टू-डेट जानकारी रोगियों के लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित करती है।
  3. वैश्विक पहुंच: 200 देशों में उपयोगकर्ताओं की उपस्थिति यह दिखाती है कि Pathway हेल्थकेयर को वैश्विक स्तर पर प्रभावित कर रहा है।

Pathway का भविष्य और चुनौतियां

Pathway का ध्यान हेल्थकेयर में AI के उपयोग को और बेहतर बनाने पर है। लेकिन इस क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं:

  • डेटा सुरक्षा: हेल्थकेयर डेटा अत्यधिक संवेदनशील होता है, और इसे सुरक्षित रखना कंपनी के लिए प्राथमिकता है।
  • वैश्विक नियमों का पालन: अलग-अलग देशों में हेल्थकेयर से जुड़े नियमों का पालन करना एक चुनौती हो सकता है।
  • प्रतिस्पर्धा: हेल्थकेयर AI में कई अन्य कंपनियां भी काम कर रही हैं, जिससे Pathway को अपनी सेवाओं को अलग साबित करना होगा।

निवेशकों का नजरिया

Pathway में निवेश करने वाले निवेशकों का मानना है कि हेल्थकेयर और AI का संगम भविष्य की बड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। TQ Ventures और अन्य निवेशकों ने Pathway के AI प्लेटफॉर्म और इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले समाधानों को बेहद उपयोगी माना है।


AI और हेल्थकेयर का भविष्य

AI का उपयोग हेल्थकेयर में तेजी से बढ़ रहा है। Pathway जैसे प्लेटफॉर्म:

  1. समय की बचत करते हैं: डॉक्टरों को तेजी से जानकारी मिलती है।
  2. प्रमाणित डेटा प्रदान करते हैं: जिससे सटीक और साक्ष्य-आधारित निर्णय लिए जा सकते हैं।
  3. वैश्विक कनेक्टिविटी: तकनीक को सीमाओं से परे ले जाते हैं।

निष्कर्ष

Pathway का लाइव AI प्लेटफॉर्म हेल्थकेयर में एक नई क्रांति ला सकता है। $10 मिलियन की नई फंडिंग से कंपनी को अपने प्लेटफॉर्म को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

AI और हेल्थकेयर का यह गठजोड़ मरीजों के इलाज में सुधार लाने और डॉक्टरों की कार्यक्षमता बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाएगा। Pathway की तकनीक ने यह साबित कर दिया है कि लाइव AI भविष्य का हेल्थकेयर है।

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PhonePe ने Juspay के साथ साझेदारी तोड़ी, अब सीधे मर्चेंट्स से करेगा डील

phonePe

डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म PhonePe ने पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म जस्पे के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने का फैसला किया है। यह निर्णय फोनपे के उस कदम का हिस्सा है जिसमें कंपनी मर्चेंट्स के साथ सीधे और व्यापक संबंध स्थापित करना चाहती है।

PhonePe सीधे इंटीग्रेशन की ओर कदम

PhonePe अब मर्चेंट्स को अपने पेमेंट गेटवे सॉल्यूशंस सीधे इंटीग्रेशन के जरिए उपलब्ध कराएगा। एक सूत्र ने कहा,

“इस कदम का उद्देश्य किसी भी तीसरे पक्ष के प्लेटफॉर्म, जैसे जस्पे, पर निर्भर होने के बजाय मर्चेंट्स के साथ सीधा संबंध स्थापित करना है।”

PhonePe ने अपने ग्राहकों को भेजे गए एक ईमेल में लिखा:

“हमने निर्णय लिया है कि अब हम अपने पेमेंट गेटवे सॉल्यूशंस सीधे इंटीग्रेशन के माध्यम से ही प्रदान करेंगे। भारत की अग्रणी डिजिटल पेमेंट कंपनी होने के नाते, फोनपे अपने मर्चेंट्स को इनोवेटिव प्रोडक्ट्स तेजी से उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें विश्वास है कि सीधे इंटीग्रेशन से हम इस कार्य को और प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।”

जस्पे का महत्व और बाजार हिस्सेदारी

जस्पे एक प्रमुख पेमेंट प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म है, जो जस्पे सेफ, हाइपरएसडीके, एक्सप्रेस चेकआउट, और यूपीआई इन ए बॉक्स जैसे प्रोडक्ट्स के जरिए ऑफलाइन पेमेंट्स को सपोर्ट करता है।

जानकारी के मुताबिक, फोनपे के पेमेंट गेटवे वॉल्यूम का लगभग 15% हिस्सा वर्तमान में जस्पे के माध्यम से प्रोसेस होता है। हालांकि, इस साझेदारी को खत्म करने का निर्णय फोनपे के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

जस्पे के अन्य प्रतिस्पर्धी

जस्पे को रेजरपे और कैशफ्री जैसे अन्य पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म से मुकाबला करना पड़ता है। हालांकि, जस्पे का प्लेटफॉर्म इन कंपनियों की तुलना में बड़ा और अधिक प्रभावी माना जाता है।

फोनपे का लक्ष्य

फोनपे का यह निर्णय कंपनी की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत देता है। फोनपे अब मर्चेंट्स को सीधे जोड़कर न केवल अपनी सेवाओं में सुधार करना चाहती है, बल्कि अपनी पकड़ भी मजबूत बनाना चाहती है।

फोनपे ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। अपने उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करने और मर्चेंट्स के लिए सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कंपनी लगातार नए कदम उठा रही है।

क्या है अगला कदम?

इस बदलाव के बाद फोनपे अपनी तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करेगा। सीधे मर्चेंट्स से जुड़ने से कंपनी को:

  • अपने उत्पादों की बेहतर निगरानी और सुधार करने में मदद मिलेगी।
  • बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का मौका मिलेगा।
  • थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म पर निर्भरता कम होगी।

पेमेंट इंडस्ट्री के लिए इसका मतलब

फोनपे और जस्पे के अलगाव का असर केवल इन दोनों कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा। यह कदम भारतीय डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

  • मर्चेंट्स का फायदा: सीधे इंटीग्रेशन से मर्चेंट्स को तेज और किफायती समाधान मिलेंगे।
  • प्रतिक्रिया: अन्य कंपनियां, जैसे रेजरपे और कैशफ्री, इस अवसर का उपयोग अपने प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने के लिए कर सकती हैं।
  • प्रतिस्पर्धा: डिजिटल पेमेंट स्पेस में प्रतिस्पर्धा और अधिक तीव्र हो सकती है।

फोनपे की नई रणनीति: मर्चेंट्स से सीधे जुड़ने का महत्व

फोनपे ने अपने प्लेटफॉर्म पर पेमेंट गेटवे सेवाओं को सीधे मर्चेंट्स से जोड़ने का फैसला किया है। यह निर्णय कंपनी की ‘थर्ड-पार्टी पर निर्भरता कम करने’ की सोच का हिस्सा है।

कंपनी का मानना है कि मर्चेंट्स के साथ सीधे और मजबूत संबंध होने से:

  1. तेजी से इनोवेशन: उत्पाद और सेवाओं को तेजी से बाजार में लाना संभव होगा।
  2. बेहतर सेवा: फोनपे को ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार अपने सॉल्यूशंस को कस्टमाइज़ करने में आसानी होगी।
  3. डेटा सुरक्षा: डेटा का नियंत्रण कंपनी के पास रहेगा, जिससे गोपनीयता और सुरक्षा बढ़ेगी।

जस्पे के लिए क्या होगा असर?

जस्पे को भारत के पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी माना जाता है। लेकिन फोनपे के इस निर्णय के बाद, जस्पे को:

  1. ग्राहक आधार में कमी: फोनपे के वॉल्यूम का 15% हिस्सा खोने से कंपनी के राजस्व पर असर पड़ेगा।
  2. नई रणनीति की आवश्यकता: जस्पे को अब अन्य ग्राहकों के साथ संबंध मजबूत करने और अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान देना होगा।

जस्पे की सेवाएं, जैसे हाइपरएसडीके और यूपीआई इन ए बॉक्स, अभी भी कई मर्चेंट्स के लिए उपयोगी हैं। यह देखना होगा कि जस्पे इस झटके से कैसे उबरती है और बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखती है।

निष्कर्ष

फोनपे का यह निर्णय कंपनी के लंबे समय के विकास और डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीधे मर्चेंट्स से जुड़ने की रणनीति न केवल ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाएगी, बल्कि फोनपे को अपनी सेवाओं को तेज और प्रभावी तरीके से डिलीवर करने में भी मदद करेगी।

हालांकि, जस्पे जैसे प्लेटफॉर्म के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में नवाचार और सुधार के नए रास्ते भी खोल सकता है।

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