🚗 Garaaz ने जुटाए ₹4.55 करोड़,

Garaaz

जयपुर आधारित ऑटोमोटिव स्पेयर पार्ट्स एग्रीगेटर Garaaz ने अपने सीड फंडिंग राउंड में ₹4.55 करोड़ (लगभग $5.3 लाख) जुटाए हैं। यह निवेश भारत की प्रतिष्ठित वेंचर कैपिटल फर्म GVFL ने किया है। यह फंडिंग ऐसे समय आई है जब भारत का ऑटो आफ्टरमार्केट सेक्टर तेजी से डिजिटल हो रहा है और छोटे-बड़े वर्कशॉप्स को टेक्नोलॉजी के ज़रिए सपोर्ट की आवश्यकता है।


🛠️ क्या है Garaaz?

2019 में शलीन अग्रवाल द्वारा स्थापित, Garaaz एक SaaS-इनेबल्ड प्लेटफॉर्म है जो वर्कशॉप्स और स्पेयर पार्ट्स सप्लायर्स को जोड़ता है। यह प्लेटफॉर्म अब तक 25 से अधिक कार ब्रांड्स के 80 लाख से ज्यादा पार्ट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।

इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसका टेक-फोकस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर, जो इन्वेंटरी लुकअप, ऑर्डर मैनेजमेंट, वर्कशॉप ट्रैकिंग और एनालिटिक्स जैसे टूल्स प्रदान करता है। इससे गैराज और मैकेनिक को सामान की उपलब्धता, कीमतों की पारदर्शिता और समय पर डिलीवरी से जुड़ी समस्याओं का समाधान मिलता है।


💰 कैसे कमाता है Garaaz?

Garaaz का रेवेन्यू मॉडल बहुआयामी है। इसमें शामिल हैं:

  • SaaS सब्सक्रिप्शन फीस
  • ट्रांजैक्शन पर मार्जिन
  • लॉजिस्टिक्स और डेटा-आधारित वैल्यू एडेड सर्विसेज

इससे कंपनी को लगातार कैश फ्लो मिलता है और वह छोटे और बड़े दोनों वर्कशॉप्स को अपने नेटवर्क में जोड़ पा रही है।


📈 दो वर्षों में 3X ग्रोथ, FY24-25 में बिक्री हुई दोगुनी

Garaaz ने दावा किया है कि उसने पिछले दो वर्षों में 3 गुना ग्रोथ दर्ज की है। खास बात यह है कि वित्तीय वर्ष FY24-25 में कंपनी की बिक्री पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। यह दर्शाता है कि बाजार में उनकी टेक्नोलॉजी और सर्विस को कितनी तेजी से अपनाया जा रहा है।


🧪 नए निवेश का उपयोग कहां होगा?

Garaaz इस नई पूंजी का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में करने जा रहा है:

  • नई राज्यों में विस्तार
  • R&D (अनुसंधान और विकास) पर ज़ोर
  • टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना
  • लॉजिस्टिक्स और कस्टमर सपोर्ट नेटवर्क का स्केलेबल निर्माण

कंपनी का मकसद है देश के हर कोने में मौजूद वर्कशॉप्स तक पहुंचना और उन्हें डिजिटल समाधान के ज़रिए सशक्त बनाना।


🧩 भारतीय बाजार की जरूरत को समझता है Garaaz

भारत में हजारों छोटे और मझोले ऑटो वर्कशॉप्स हैं, जिनकी सबसे बड़ी समस्या होती है:

  • ओरिजिनल स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता
  • विश्वसनीय डिलीवरी
  • उचित और पारदर्शी कीमतें

Garaaz का टेक-समर्थित प्लेटफॉर्म इन सभी समस्याओं का समाधान एक ही जगह पर करता है। इससे न सिर्फ वर्कशॉप का एक्सपीरियंस बेहतर होता है, बल्कि ग्राहकों की संतुष्टि और वाहन रिपेयर क्वालिटी भी बेहतर होती है।


🧑‍🔧 कंपटीशन में भी Garaaz की अपनी अलग पहचान

भारत में ऑटो आफ्टरमार्केट और B2B स्पेयर पार्ट्स सेक्टर में कई स्टार्टअप्स सक्रिय हैं जैसे:

  • boodmo
  • SpareIt
  • Koovers
  • Automovill

लेकिन Garaaz की USP है उसका SaaS-आधारित स्केलेबल प्लेटफॉर्म जो वर्कशॉप ट्रैकिंग से लेकर एनालिटिक्स तक का फुल-सुइट सॉल्यूशन देता है। इसके चलते यह तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है।


🚛 लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी की मजबूती

Garaaz ने अपनी लॉजिस्टिक्स चेन को इस तरह डिज़ाइन किया है कि ग्राहक को हर ऑर्डर टाइमबाउंड डिलीवरी के साथ मिलता है। इसके साथ ही कंपनी वर्कशॉप्स की इनवेंटरी जरूरतों का डेटा भी ट्रैक करती है, जिससे समय पर पार्ट्स का स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके।


📊 ऑटो आफ्टरमार्केट में अवसरों की भरमार

भारत का ऑटो आफ्टरमार्केट सेक्टर सालाना ₹75,000 करोड़ से ज्यादा का है और इसमें तेज़ी से ग्रोथ हो रही है। EVs (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) और नए ब्रांड्स के आने से इस सेक्टर में स्पेयर पार्ट्स की मांग और बढ़ रही है। ऐसे में एक संगठित, तकनीक-आधारित प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है, और Garaaz इस मौके को पूरी तरह भुना रहा है।


🎯 भविष्य की रणनीति

Garaaz का लक्ष्य है कि अगले 2 वर्षों में वह भारत के 50 से अधिक शहरों और राज्यों में अपना नेटवर्क फैला सके। साथ ही वह अपनी तकनीक में AI और मशीन लर्निंग को भी शामिल करने की योजना बना रहा है, जिससे पार्ट्स की डिमांड और स्टॉक को प्रेडिक्ट किया जा सके।


📝 निष्कर्ष

Garaaz सिर्फ एक ऑटो पार्ट्स स्टार्टअप नहीं है, बल्कि यह भारत के लाखों वर्कशॉप्स के लिए एक भरोसेमंद तकनीकी साथी बनता जा रहा है। ₹4.55 करोड़ की फंडिंग के साथ कंपनी अब और भी तेज़ी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है – भारत का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद ऑटो स्पेयर पार्ट्स एग्रीगेटर बनने की दिशा में।

Garaaz ने यह साबित कर दिया है कि जब समस्या की सही पहचान और तकनीकी समाधान साथ मिलते हैं, तो भारत का सबसे पारंपरिक सेक्टर भी आधुनिकता की राह पर चल सकता है।

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AppsForBharat ने जुटाए ₹175 करोड़,

AppsForBharat

भारत में श्रद्धा और तकनीक के संगम का सबसे नया उदाहरण है बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप AppsForBharat, जो अपने भक्ति आधारित प्लेटफॉर्म Sri Mandir के ज़रिए लाखों श्रद्धालुओं को डिजिटल सेवा दे रहा है। अब इस स्टार्टअप ने ₹175 करोड़ (लगभग $20 मिलियन) की Series C फंडिंग जुटाई है। यह फंडिंग राउंड Susquehanna Asia Venture Capital ने लीड किया, जिसमें मौजूदा निवेशकों जैसे Nandan Nilekani की Fundamentum, Elevation Capital और Peak XV Partners ने भी भाग लिया।

यह निवेश ऐसे समय पर हुआ है जब कंपनी ने पिछले 12 महीनों में अपार वृद्धि दर्ज की है।


📱 Sri Mandir की लोकप्रियता: 4 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड्स

Sri Mandir ऐप अब तक 4 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। यह प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को भारत के 70 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों में ऑनलाइन पूजा, चढ़ावा, प्रसाद वितरण जैसी सेवाएं उपलब्ध कराता है।

पिछले एक साल में, 12 लाख से अधिक यूज़र्स ने ऐप के माध्यम से 52 लाख से अधिक पूजा-अर्चनाएं और चढ़ावे किए हैं। इनमें से लगभग 20% उपयोगकर्ता विदेशों (जैसे अमेरिका, यूके, यूएई, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड) से हैं, जो दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति की डिजिटल पहुँच कितनी वैश्विक हो चुकी है।


💸 अब तक $50 मिलियन से अधिक जुटा चुका है स्टार्टअप

सितंबर 2024 में $18 मिलियन की सीरीज़ B फंडिंग के बाद यह नया राउंड स्टार्टअप के लिए और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। अब तक कंपनी ने कुल मिलाकर $50 मिलियन (₹415 करोड़ से अधिक) की पूंजी जुटाई है।


🧭 विस्तार की योजना: अयोध्या से हरिद्वार तक

Sri Mandir अब भारत के 20 से अधिक प्रमुख तीर्थ स्थलों में विस्तार करने की योजना बना रहा है, जिनमें अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन और हरिद्वार शामिल हैं। इन शहरों में कंपनी लॉजिस्टिक्स हब, सेवा केंद्र, और स्थानीय स्टाफ की नियुक्ति करेगी ताकि प्रसाद वितरण और पूजा सेवाएं समय पर पहुंचाई जा सकें।


🔍 AI-आधारित फीचर्स: डिजिटल भक्ति को और सरल बनाएगा

AppsForBharat अब AI-आधारित तकनीक विकसित कर रहा है जो उपयोगकर्ताओं को उनके भक्ति रुचियों के आधार पर कंटेंट सजेशन देगा, पूजा विधियों की जानकारी देगा, और सवालों के उत्तर देगा। इससे यूज़र्स को धार्मिक रीति-रिवाज़ों की बेहतर समझ मिलेगी और अनुभव ज्यादा सहज होगा।


🙌 कुंभ में सेवा, लाखों तक पहुंच

महाकुंभ मेला 2025 के दौरान, Sri Mandir ने Vedashram Trust के साथ साझेदारी करके 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को डिजिटल सेवा दी। इनमें डिजिटल पूजा, प्रसाद वितरण और त्रिवेणी संगम जल की आपूर्ति जैसी सेवाएं शामिल थीं।


📈 कमाई में भी बढ़ोतरी: मंदिरों की आमदनी में 25-30% इजाफा

कंपनी का दावा है कि ऑनलाइन पूजा बुकिंग के चलते मंदिरों की आय में 25-30% तक की वृद्धि हुई है। साथ ही, प्रसाद और पूजा सामग्री की मांग बढ़ने से स्थानीय विक्रेताओं को भी रोज़गार और आय के नए स्रोत मिले हैं।


💼 कंपनी की टीम और नेतृत्व

2020 में स्थापित यह स्टार्टअप प्रशांत सचान (CEO) के नेतृत्व में काम कर रहा है। प्रशांत के साथ टीम में Pulkit Pujara (पूर्व AirBlack फाउंडर) और Ayush Chamaria (पूर्व Matrix Partners) जैसे अनुभवी सदस्य शामिल हैं।

कंपनी ने इस साल की शुरुआत में 25 कर्मचारियों के लिए ESOP बायबैक भी किया था।


📊 राजस्व में उछाल, घाटे में नियंत्रण

वित्त वर्ष 2024 में AppsForBharat ने ₹18.53 करोड़ का परिचालन राजस्व दर्ज किया, जो पिछले साल के ₹3.53 करोड़ के मुकाबले 5 गुना अधिक है। वहीं, कंपनी ने अपने घाटे को ₹44.97 करोड़ से घटाकर ₹39 करोड़ तक सीमित कर दिया है।

FY25 के वित्तीय आंकड़े अभी घोषित नहीं हुए हैं।


🏁 प्रतिस्पर्धा का परिदृश्य

वर्तमान में AppsForBharat का मुकाबला अन्य धार्मिक और भक्ति ऐप्स जैसे:

  • DevDham
  • Utsav App
  • Sutradhar
  • Ghar Mandir
  • 27 Mantra

से है। हालांकि Sri Mandir की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता और निवेश इसे आगे निकलने की स्थिति में ला रही है।


🔮 भविष्य की दिशा: श्रद्धा और तकनीक का संगम

AppsForBharat भारतीय धार्मिक अनुभव को डिजिटल रूप में परिवर्तित कर रहा है। पूजा-पाठ, चढ़ावा, भक्ति संगीत और प्रसाद जैसी सेवाएं अब मोबाइल के एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। इससे भारतीय संस्कृति की पहुंच वैश्विक स्तर पर हो रही है और मंदिरों की आय में भी स्थायीत्व और वृद्धि देखी जा रही है।


✍️ निष्कर्ष

AppsForBharat ने दिखा दिया है कि भारत की परंपराओं को आधुनिक तकनीक से जोड़कर व्यवसायिक सफलता और सांस्कृतिक प्रभाव दोनों हासिल किए जा सकते हैं। ₹175 करोड़ की नई फंडिंग के साथ कंपनी अब और बड़े स्तर पर सेवा देने के लिए तैयार है।

Sri Mandir जैसे प्लेटफॉर्म न केवल श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी हैं, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था, मंदिर प्रशासन, और धार्मिक पर्यटन को भी मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

Read more :⚡ जून 2025 में TVS बना EV बाज़ार का राजा, Ola Electric की गिरावट जारी

⚡ जून 2025 में TVS बना EV बाज़ार का राजा, Ola Electric की गिरावट जारी

ola electric

भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (E2W) बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां पहले Ola Electric इस सेगमेंट में राज कर रही थी, अब TVS Motor Company लगातार तीसरे महीने भी टॉप पोजिशन पर बनी हुई है। जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार, TVS ने 25,274 यूनिट्स की बिक्री की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 80% अधिक है। इसने कंपनी को 24% मार्केट शेयर दिलाया है।

📊 TVS ने लगातार तीसरे महीने टॉप पोजिशन हासिल की

वाहन पोर्टल से 1 जुलाई को संकलित आंकड़ों के अनुसार, TVS Motor Company अब भारत की इलेक्ट्रिक दोपहिया श्रेणी में अग्रणी बन गई है। मई 2025 में लीड लेने के बाद, जून में इसने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली।

🚀 साल दर साल बिक्री में 80% की वृद्धि

  • जून 2025: 25,274 यूनिट्स
  • मार्केट शेयर: 24%
  • स्थिति: लगातार तीसरे महीने नंबर 1

🛵 Bajaj Auto की तेज़ी बरकरार

Bajaj Auto ने भी जबरदस्त वृद्धि दिखाई और जून में 23,004 यूनिट्स बेचकर 22% मार्केट शेयर प्राप्त किया। यह पिछले साल की तुलना में 154% अधिक है।

  • मई 2025 में बिक्री: 21,940 यूनिट्स
  • जून 2025: 23,004 यूनिट्स
  • मार्केट स्थिति: दूसरा स्थान

TVS और Bajaj की बढ़त यह दिखाती है कि पारंपरिक ऑटो निर्माता अब स्टार्टअप्स को पछाड़ते हुए EV मार्केट में दबदबा बना रहे हैं।

🧯 Ola Electric की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही

एक समय भारत की EV रेस में सबसे आगे चल रही Ola Electric की स्थिति अब कमजोर होती जा रही है। कंपनी ने जून 2025 में 20,189 यूनिट्स की बिक्री की, जो जून 2024 के मुकाबले 45% कम है।

  • जून 2024 में मार्केट शेयर: 46%
  • जून 2025 में मार्केट शेयर: 19%
  • स्थिति: तीसरा स्थान

📉 शेयर बाज़ार में भी गिरावट

Ola Electric की शेयर कीमत भी लगातार गिर रही है। एक साल पहले लिस्टिंग के समय ₹76 पर लिस्ट हुआ शेयर अब ₹43 पर ट्रेड कर रहा है — यानी 43% की गिरावट

❌ Hyundai और Kia ने Ola से निकाला हाथ

Hyundai Motor और Kia Corporation ने Ola Electric में अपनी पूरी हिस्सेदारी ₹690 करोड़ में बेच दी है। यह डील ब्लॉक ट्रांजैक्शन के जरिए हुई।

⚡ Ather Energy की मजबूत वापसी

Ather Energy ने जून में 14,512 यूनिट्स की बिक्री की, जो पिछले साल के मुकाबले 133% अधिक है। कंपनी की मार्केट हिस्सेदारी 8% से बढ़कर 14% हो गई है।

  • पोजिशन: चौथा स्थान
  • शेयर बाजार में लिस्टिंग: मई 2025 में हुई

🏍️ Hero MotoCorp का प्रभाव बढ़ा

Hero MotoCorp, जो पारंपरिक बाइक्स के लिए जाना जाता है, अब EV बाजार में भी मजबूती से प्रवेश कर चुका है। जून में कंपनी ने 7,664 यूनिट्स की बिक्री की — 149% की साल-दर-साल ग्रोथ के साथ।

  • मार्केट शेयर: 7% (पिछले साल 4%)
  • स्थिति: पांचवां स्थान

📉 Ola की गिरावट बनाम TVS और Bajaj का उत्थान

इन आंकड़ों से यह साफ है कि भारत के ईवी टू-व्हीलर बाजार में बड़ा बदलाव हो रहा है। एक समय स्टार्टअप आधारित लीड में चल रही Ola Electric अब पीछे हो रही है, और वहीं TVS और Bajaj जैसे स्थापित ब्रांड अब तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

यह ट्रेंड यह दर्शाता है कि अब उपभोक्ता भरोसेमंद, सर्विस नेटवर्क से लैस, और गुणवत्ता आधारित ब्रांड को प्राथमिकता दे रहे हैं।

🔮 EV मार्केट का भविष्य: किस दिशा में जा रहा है भारत?

भारत का EV बाजार अब स्टेबल और प्रतिस्पर्धात्मक होता जा रहा है। जहां स्टार्टअप्स ने इस मार्केट को गति दी थी, वहीं अब पारंपरिक कंपनियां तकनीक, निवेश और डीलरशिप नेटवर्क के दम पर आगे निकल रही हैं।

संभावित ट्रेंड्स:

  • Ola और अन्य स्टार्टअप्स को सर्विस क्वालिटी और भरोसे में सुधार करना होगा।
  • TVS, Bajaj और Hero जैसे ब्रांड भविष्य में ज्यादा EV वेरिएंट्स ला सकते हैं।
  • ग्राहक अब परफॉर्मेंस, बैटरी लाइफ और सर्विस नेटवर्क को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं।

📌 निष्कर्ष

TVS Motor Company की जून 2025 में शीर्ष स्थान पर मौजूदगी, और Bajaj Auto की तेज़ ग्रोथ यह दिखाती है कि भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर क्षेत्र में अब पारंपरिक कंपनियां निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। दूसरी ओर, Ola Electric की गिरती बिक्री और शेयर मूल्य यह संकेत देती है कि बाज़ार में टिके रहने के लिए सिर्फ शुरुआती लीड काफी नहीं है — निरंतर इनोवेशन, गुणवत्ता और उपभोक्ता संतुष्टि की ज़रूरत है।

आने वाले महीनों में EV मार्केट में और भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।

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🚀 इस हफ्ते भारतीय स्टार्टअप्स ने जुटाए $312.69 मिलियन

भारतीय स्टार्टअप्स

भारतीय स्टार्टअप्स ईकोसिस्टम ने एक बार फिर दमदार प्रदर्शन करते हुए इस हफ्ते कुल $312.69 मिलियन (लगभग ₹2,600 करोड़) की फंडिंग जुटाई। इस फंडिंग में 9 ग्रोथ-स्टेज और 18 अर्ली-स्टेज डील्स शामिल रहीं, जबकि 3 स्टार्टअप्स ने अपनी फंडिंग डिटेल्स सार्वजनिक नहीं कीं। पिछली हफ्ते की तुलना में फंडिंग में 58% की बढ़त दर्ज की गई, जब कुल $197.71 मिलियन जुटाए गए थे।

💰 ग्रोथ-स्टेज डील्स का जोर

इस हफ्ते ग्रोथ और लेट-स्टेज फंडिंग का आंकड़ा $239.9 मिलियन रहा। इस फंडिंग कैटेगरी में सबसे बड़ी डील रही Raphe mPhibr की, जिसने जनरल कैटालिस्ट के नेतृत्व में $100 मिलियन जुटाए। यह भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी प्राइवेट फंडिंग डील है।

अन्य बड़ी डील्स में शामिल हैं:

  • Wiom: $40 मिलियन (Bertelsmann India और Accel से)
  • Battery Smart: $21 मिलियन (Series B एक्सटेंशन राउंड)
  • InCred Holdings: Nithin और Nikhil Kamath द्वारा ₹250 करोड़ का निवेश
  • अन्य स्टार्टअप्स: ShopOS, Kazam, Flipspaces और StayVista

🌱 अर्ली-स्टेज डील्स की रफ्तार

इस हफ्ते 18 अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स ने कुल मिलाकर $72.79 मिलियन की फंडिंग जुटाई। प्रमुख डील्स में शामिल हैं:

  • EKA Mobility: ₹200 करोड़ ($23.3 मिलियन) | निवेशक: ENAM Holdings
  • Sahi (स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म)
  • Fabheads (डीपटेक स्टार्टअप)
  • Rabitat (D2C ब्रांड)
  • ZILO (फैशन टेक)

इसके अलावा, Prozo, All Home, और Truliv जैसे स्टार्टअप्स ने भी फंडिंग हासिल की, लेकिन राशि का खुलासा नहीं किया।

🏙️ शहर और सेक्टर के हिसाब से ट्रेंड

शहर के अनुसार डील्स:

  • Delhi-NCR: 8 डील्स
  • Bengaluru: 7 डील्स
  • अन्य प्रमुख शहर: मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद

सेक्टर के अनुसार डील्स:

  • ई-कॉमर्स: 5 डील्स
  • फिनटेक: 4 डील्स
  • EV और डीपटेक: 3-3 डील्स
  • अन्य: Décor, PropTech, DroneTech, Telecom आदि

🔁 सीरीज वाइज फंडिंग ब्रेकअप

  • Seed राउंड: 9 डील्स
  • Series B: 7 डील्स
  • अन्य: Series A, Pre-Series A, Pre-seed

📈 हफ्तावार तुलना

इस हफ्ते की फंडिंग $312.69 मिलियन रही, जो पिछले हफ्ते की तुलना में 58% अधिक है। पिछले 8 हफ्तों का औसत फंडिंग स्तर $254.57 मिलियन और प्रति हफ्ता औसतन 23 डील्स रहा।

👨‍💼 प्रमुख नियुक्तियाँ और इस्तीफ़े

  • Loop ने Harpreet Singh Rai को President, Healthcare नियुक्त किया।
  • MyGate में Rohit Jindal बने co-founder, Pranav Shankar बने CTO
  • Masai ने 3 कर्मचारियों को co-founders में प्रमोट किया।

इस्तीफ़े:

  • Mirae Asset Venture के CEO Shish Dave ने पद छोड़ा।
  • ONDC के स्वतंत्र निदेशक Arvind Gupta ने इस्तीफा दिया।

🔄 मर्जर और अधिग्रहण

  • Incuspaze ने Trios (Pune-based coworking firm) को अधिग्रहित किया।
  • Walko Foods ने Meemee’s Ice Creams को खरीदा।
  • Zen Technologies ने TISA Aerospace में बहुमत हिस्सेदारी लेने का निर्णय लिया।

🧧 नए फंड लॉन्च

  • Amicus Capital Partners ने अपना दूसरा फंड $214 मिलियन (₹1,800 करोड़) में क्लोज किया।

💼 ESOP बायबैक

Darwinbox ने तीसरी बार ESOP बायबैक करते हुए ₹86 करोड़ ($10 मिलियन) का वितरण किया, जिससे 350 से अधिक कर्मचारियों को लाभ हुआ।

💡 नई पार्टनरशिप्स और लॉन्च

  • PhonePe-HDFC Bank: को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लॉन्च
  • Shipway: AI चैटबोट “Loca” लॉन्च
  • Skyroot Aerospace ने Axiom Space से किया समझौता
  • Eat Better ने Unicommerce के साथ साझेदारी की
  • AbhiBus ने CheckMyBus के साथ की साझेदारी

📊 इस हफ्ते की वित्तीय रिपोर्ट्स

  • Wakefit: ₹971 करोड़ राजस्व (9M FY25), ऑडिटर्स ने वित्तीय मुद्दों पर चिंता जताई
  • NPCI: FY25 में 42% मुनाफे की छलांग, ₹1,552 करोड़ का प्रॉफिट

📰 न्यूज़ फ्लैश

  • Wakefit ने ₹468 करोड़ की IPO के लिए DRHP फाइल की
  • Pine Labs ने ₹2,600 करोड़ फ्रेश इश्यू के साथ DRHP फाइल किया
  • Net1 ने Mobikwik से पूरी हिस्सेदारी निकाली
  • Meesho ने अपना US एंटिटी भारत में मर्ज कर पूरा किया “रिवर्स फ्लिप”

📌 निष्कर्ष: इस हफ्ते भारतीय स्टार्टअप जगत ने फंडिंग, नियुक्तियों, IPOs और रणनीतिक अधिग्रहणों के ज़रिए ज़ोरदार प्रदर्शन किया। आने वाले हफ्तों में और IPOs व डील्स की उम्मीद है, जिससे इंडियन स्टार्टअप ईकोसिस्टम की मजबूती और भी बढ़ेगी।

Read more :🍳 Eggoz ने उठाए ₹125 करोड़ की Series C फंडिंग,

🍳 Eggoz ने उठाए ₹125 करोड़ की Series C फंडिंग,

Eggoz

अंडों की प्रीमियम कंज़्यूमर ब्रांड Eggoz ने अपने Series C फंडिंग राउंड में ₹125 करोड़ (लगभग $14.7 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Gaja Capital ने किया है, जिसमें मौजूदा निवेशक IvyCap Ventures और Redbright Partners ने भी भागीदारी की।


🏦 फंडिंग ब्रेकअप और वैल्यूएशन

Eggoz की रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, कंपनी ने 1 इक्विटी शेयर और 15,334 Series C प्रेफरेंस शेयर ₹81,511 प्रति शेयर की कीमत पर जारी किए हैं, जिससे कुल ₹125 करोड़ जुटाए गए हैं।

  • 🟢 Gaja Capital – ₹100 करोड़
  • 🟣 IvyCap Ventures – ₹20.95 करोड़
  • 🔵 Redbright Partners – ₹4.05 करोड़

Entrackr के अनुमानों के अनुसार, इस निवेश के बाद Eggoz की वैल्यूएशन ₹480-500 करोड़ ($55-58 मिलियन) हो गई है, जो इसके पिछले राउंड की तुलना में 60% अधिक है।


🐔 Eggoz क्या करता है?

Eggoz की शुरुआत 2017 में बिहार से हुई थी, जिसकी स्थापना अभिषेक नेगी, आदित्य सिंह और उत्तम कुमार ने मिलकर की थी। कंपनी एक asset-light, किसान-आधारित मॉडल पर काम करती है, जहां से ताजे अंडे 24 घंटे के भीतर रिटेलर्स तक पहुंचाए जाते हैं।

Eggoz का फोकस केवल अंडे बेचने तक सीमित नहीं है। अब ब्रांड ने अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाते हुए ready-to-cook फूड आइटम्स जैसे:

  • 🥟 मोमोज़
  • 🍔 बर्गर पैटीज़
  • 🍗 नगेट्स

जैसे उत्पादों को बाज़ार में उतारा है, जो अंडा-आधारित हैं और शहरी ग्राहकों के स्वाद और सुविधा के अनुसार बनाए गए हैं।


🏙️ शहरों में विस्तार और पहुंच

Eggoz ने अब तक दिल्ली-NCR, बेंगलुरु, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ सहित कई नॉन-मेट्रो शहरों में भी अपनी पकड़ बनाई है।

इसका उद्देश्य भारत के मिडल क्लास और न्यू एज कंज़्यूमर्स को हाई-क्वालिटी, न्यूट्रिशस और ब्रांडेड अंडे उपलब्ध कराना है—वो भी फार्म-टू-फोर्क मॉडल के जरिए।


📊 फाइनेंशियल परफॉर्मेंस

Eggoz ने अपने FY25 के आँकड़े अभी फाइल नहीं किए हैं, लेकिन FY24 में कंपनी का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा।

  • रेवेन्यू: ₹73.1 करोड़ – 33.6% सालाना बढ़ोतरी
  • लॉस: ₹25 करोड़ – 24% की कमी

इससे पता चलता है कि कंपनी तेज़ी से ग्रोथ कर रही है, और साथ ही अपने घाटे को भी कंट्रोल कर रही है।


💰 अब तक की कुल फंडिंग

Eggoz अब तक $27 मिलियन (लगभग ₹225 करोड़ से अधिक) की कुल फंडिंग जुटा चुका है:

  • Series B – $8.8 मिलियन (नेतृत्व: IvyCap Ventures)
  • Series A – $3.5 मिलियन
  • Seed Funding – ₹3.7 करोड़

🗣️ संस्थापकों का विज़न

Eggoz के सह-संस्थापकों का मानना है कि भारत में प्रोटीन डिफिशिएंसी एक गंभीर मुद्दा है और अंडे एक किफायती, पोषण-समृद्ध समाधान हो सकते हैं।

“हमारा लक्ष्य है कि भारत में हर घर तक ब्रांडेड और ताज़ा अंडे पहुँचें। Gaja Capital के साथ इस नई फंडिंग से हम अपने टेक्नोलॉजी, आपूर्ति श्रृंखला और उत्पाद पोर्टफोलियो को और मज़बूत करेंगे,” — संस्थापक टीम।


🌱 आगे की रणनीति

फंडिंग के बाद Eggoz निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान देगा:

  1. किसानों के साथ मजबूत नेटवर्क बनाना
  2. ब्रांड विस्तार के लिए एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग
  3. रीटेल नेटवर्क को गांवों से शहरी बाजार तक फैलाना
  4. नई कैटेगरीज में प्रोडक्ट डाइवर्सिफिकेशन
  5. टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड ट्रैकिंग और क्वालिटी कंट्रोल

📉 क्या है मार्केट इम्पैक्ट?

भारत में अंडों का बाज़ार तेजी से बढ़ रहा है, और उपभोक्ता अब सिर्फ सस्ते अंडे नहीं बल्कि साफ, पौष्टिक और भरोसेमंद ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की तलाश में हैं। Eggoz जैसे स्टार्टअप इस गेप को भर रहे हैं।

इसके अलावा, Eggoz का किसान-केंद्रित मॉडल ग्रामीण भारत में रोज़गार और आय में वृद्धि का माध्यम भी बनता जा रहा है।


🔚 निष्कर्ष

Eggoz की ताज़ा ₹125 करोड़ की फंडिंग से यह स्पष्ट है कि भारत में एग बेस्ड कंज़्यूमर ब्रांड्स के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। कंपनी ने जिस तरह से फार्म-टू-किचन मॉडल, उत्पाद विविधता और मजबूत ब्रांड बिल्डिंग पर ध्यान केंद्रित किया है, वह इसे अपने सेगमेंट में एक लीडर ब्रांड बनने की दिशा में तेजी से आगे ले जा रहा है।

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Foresight ने $5.5 मिलियन सीड फंडिंग जुटाई,

Foresight

प्राइवेट मार्केट में डेटा के ज़रिए पारदर्शिता और बेहतर निर्णय को बढ़ावा देने के मिशन पर काम कर रही Foresight नामक न्यूयॉर्क स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी ने $5.5 मिलियन की सीड फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व NEA (New Enterprise Associates) ने किया, जिसमें KDX Ventures ने भी भागीदारी की।

इस निवेश के साथ, NEA की टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट टीम की पार्टनर मैडिसन फॉल्कनर अब Foresight के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होंगी।


💡 क्या करती है Foresight?

2023 में स्थापित Foresight की स्थापना एडम डिवाइन (CRO) और जेसन मिलर (CEO) ने की थी। यह कंपनी खासतौर पर प्राइवेट मार्केट इन्वेस्टर्स, लेंडर्स, और एक्वायरर्स के लिए एक ऐसी SaaS (Software-as-a-Service) प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है, जो उन्हें डेटा के आधार पर बेहतर फाइनेंशियल निर्णय लेने में मदद करती है।

Foresight का प्लेटफॉर्म एक AI-पावर्ड डेटा मेश (AI-driven Data Mesh) का उपयोग करता है, जो 50 से अधिक डेटा स्रोतों और एप्लिकेशनों से जानकारी एकत्र करता है। इसमें शामिल हैं:

  • थर्ड-पार्टी सौर्सिंग फीड्स
  • CRM (Customer Relationship Management)
  • कैप टेबल वेंडर्स
  • शेयर किए गए ड्राइव्स
  • कंपनी KPIs
  • फंड अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर

यह सभी डेटा एकीकृत डैशबोर्ड, एनालिटिक्स और फाइनेंशियल मॉडलिंग टूल्स में शामिल होकर इन्वेस्टमेंट, डिलिजेंस और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट को स्मार्ट और असरदार बनाते हैं।


🚀 फंडिंग का उपयोग कैसे होगा?

Foresight ने कहा है कि इस नए फंड का उपयोग कंपनी अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट और GTM (Go-To-Market) टीमों के विस्तार में करेगी। इसका मकसद है:

  • नए टूल्स और फीचर्स का निर्माण
  • तेज़ और सहज यूज़र एक्सपीरियंस
  • सेल्स और मार्केटिंग टीम को मज़बूती देना
  • अधिक VC और PE फर्मों तक पहुंच बनाना

🧠 किसे कर रहा है Foresight सशक्त?

Foresight का सॉफ्टवेयर venture capital (VC) और private equity (PE) जैसी संस्थाओं के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। कंपनी ने अप्रैल 2023 में अपने पहले ग्राहकों के साथ लॉन्च किया था, और तब से इसे कई बड़ी कंपनियों में डिप्लॉय किया जा चुका है:

  • Forerunner Ventures
  • Kleiner Perkins

इनके अलावा Foresight ने प्राइवेट मार्केट के कई बड़े डेटा और सर्विस प्रोवाइडर के साथ साझेदारी भी की है, ताकि यूज़र्स को एकीकृत और हाई-क्वालिटी डेटा एक्सेस मिल सके।


🌍 कहाँ है टीम?

Foresight की कोर टीम न्यूयॉर्क सिटी में आधारित है, लेकिन कंपनी की सैन फ्रांसिस्को में भी एक मज़बूत उपस्थिति है। इससे उन्हें ईस्ट कोस्ट और वेस्ट कोस्ट दोनों मार्केट्स को कवर करने का फायदा मिलता है।


🧬 क्यों है यह फंडिंग अहम?

आज की दुनिया में प्राइवेट मार्केट इन्वेस्टमेंट तेजी से बढ़ रही है। लेकिन इन क्षेत्रों में अक्सर डेटा की पारदर्शिता, विश्वसनीयता और पहुंच की कमी देखी जाती है। Foresight इस समस्या को सुलझाने के लिए आधुनिक, डेटा-सेंट्रिक समाधान पेश कर रहा है।

इसके अलावा, मौजूदा समय में जहां SaaS स्टार्टअप्स को निवेशकों का भरोसा पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है, वहीं Foresight का प्रॉफिटेबल और वैल्यू-ड्रिवन मॉडल इसे अलग बनाता है।


🗣️ संस्थापकों का बयान

कंपनी के को-फाउंडर एडम डिवाइन और जेसन मिलर ने कहा:

“हमारा उद्देश्य प्राइवेट मार्केट में डेटा के ज़रिए निर्णय को सशक्त बनाना है। UT009 जैसे उत्पादों से हम एक पूरी तरह से नए तरह का निवेश पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं, जिसमें पारदर्शिता, गति और स्मार्ट निर्णय की भूमिका सबसे अहम होगी।”


📉 भारतीय स्टार्टअप्स के लिए क्या सीख?

Foresight जैसी कंपनियाँ भारतीय SaaS और फिनटेक स्टार्टअप्स को यह दिखाती हैं कि यदि प्रॉडक्ट स्पष्ट समस्या हल करता हो और तकनीक के साथ-साथ सही समय पर डेटा का उपयोग करता हो, तो बड़े संस्थागत निवेशकों का समर्थन पाना संभव है।


🧾 निष्कर्ष

Foresight की यह $5.5 मिलियन की सीड फंडिंग एक बड़ा संकेत है कि डेटा-पावर्ड, AI-इंटीग्रेटेड SaaS मॉडल प्राइवेट मार्केट में क्रांति ला सकते हैं। कंपनी की टेक्नोलॉजी, मजबूत टीम, और निवेशकों का भरोसा इसे भविष्य में और ऊंचाई तक ले जा सकता है।

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Wakefit 9 महीनों में ₹971 करोड़ की कमाई,

Wakefit

होम और स्लीप सॉल्यूशंस ब्रांड Wakefit ने अपना Draft Red Herring Prospectus (DRHP) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास IPO (Initial Public Offering) के लिए जमा कर दिया है। इस कदम से संकेत मिलता है कि Wakefit अब सार्वजनिक निवेशकों से पूंजी जुटाने के लिए तैयार है, लेकिन इसके वित्तीय दस्तावेजों में कुछ अहम टिप्पणियां भी देखने को मिली हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है।


📊 9 महीने में ₹971 करोड़ की कमाई

FY25 की पहली तीन तिमाहियों (यानि 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2024) में Wakefit ने ₹971 करोड़ की ऑपरेटिंग रेवेन्यू दर्ज की, जो FY24 की पूरी आय ₹986 करोड़ के लगभग बराबर है। कंपनी की टॉपलाइन का 97% हिस्सा मैन्युफैक्चर किए गए प्रोडक्ट्स की बिक्री से आया, जो ₹951 करोड़ रही। अन्य रेवेन्यू ट्रे़डेड गुड्स और अन्य स्रोतों से आई, जिससे कुल आय ₹994 करोड़ तक पहुंची।


💸 खर्च और घाटा

इन 9 महीनों में कंपनी का कुल खर्च ₹1,003 करोड़ रहा, जो पिछले पूरे वित्त वर्ष FY24 में ₹1,032 करोड़ था। इसमें प्रमुख खर्च इस प्रकार थे:

  • 🔩 मटेरियल कॉस्ट: ₹433 करोड़ (कुल खर्च का 43%)
  • 👩‍💼 एम्प्लॉयी बेनिफिट्स: ₹126 करोड़
  • 📢 विज्ञापन खर्च: ₹82 करोड़
  • 🚚 डिलीवरी खर्च: ₹75 करोड़
  • 🖥️ आईटी, डिप्रीसिएशन और अन्य ओवरहेड्स

कुल मिलाकर, कंपनी ने FY25 की शुरुआती तीन तिमाहियों में ₹9 करोड़ का घाटा दर्ज किया, जो FY24 के ₹15 करोड़ के घाटे से कम है।


📈 EBITDA और ROCE

हालांकि नेट घाटा रहा, लेकिन Wakefit ने इस अवधि में ₹76 करोड़ का सकारात्मक EBITDA दर्ज किया, जो इसके 7.65% के EBITDA मार्जिन को दर्शाता है। कंपनी का ROCE (Return on Capital Employed) 1.33% रहा।

यूनिट लेवल पर देखें तो Wakefit ने हर ₹1 कमाने के लिए ₹1.03 खर्च किए। इसके पास ₹577 करोड़ के करेंट एसेट्स हैं, जिसमें से ₹19 करोड़ नकद और बैंक बैलेंस में हैं।


🚨 ऑडिटर्स की चेतावनियाँ

Wakefit के DRHP में ऑडिटर्स ने कुछ अहम मुद्दों पर चिंता जताई:

  • 📄 फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स और बैंक फाइलिंग्स के बीच मेल नहीं
  • GST सहित कुछ टैक्स पेमेंट्स में देरी या विवाद
  • आंतरिक ऑडिट सिस्टम की कमी
  • 💾 अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में अनिवार्य ऑडिट ट्रेल फीचर का अभाव
  • 💸 पिछले तीन वर्षों में लगातार कैश घाटा

हालांकि इन टिप्पणियों से वित्तीय आंकड़ों में बदलाव नहीं हुआ, लेकिन Wakefit ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी टिप्पणियाँ कंपनी की प्रतिष्ठा और निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर सकती हैं।


🧮 गैर-मानक मेट्रिक्स की बात

Wakefit ने DRHP में यह भी स्पष्ट किया है कि वह EBITDA, Adjusted EBITDA और ROCE जैसे गैर-GAAP (Generally Accepted Accounting Principles) मेट्रिक्स का उपयोग प्रदर्शन मापने के लिए करती है। कंपनी ने यह स्वीकार किया कि ये मेट्रिक्स उद्योग में मानकीकृत नहीं हैं और प्रतिस्पर्धियों से तुलना योग्य नहीं हो सकते।

इसीलिए, कंपनी ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे केवल इन वैकल्पिक मेट्रिक्स पर भरोसा न करें, बल्कि स्टैच्युटरी अकाउंटिंग नॉर्म्स के तहत ऑडिटेड फाइनेंशियल्स को प्राथमिकता दें।


🏠 Wakefit का बिज़नेस मॉडल

Wakefit की पहचान भारत के अग्रणी स्लीप और होम सॉल्यूशंस ब्रांड के रूप में है। कंपनी की रेंज में शामिल हैं:

  • ✅ मैट्रेसेज़
  • ✅ बेड्स और फर्नीचर
  • ✅ पिलो और कुशन
  • ✅ स्टडी टेबल्स, सोफा, डाइनिंग सेट आदि

कंपनी ऑनलाइन चैनल्स के ज़रिए डायरेक्ट-टू-कस्टमर (D2C) मॉडल पर काम करती है और अपनी ब्रांड वैल्यू, क्वालिटी प्रोडक्ट्स और ग्राहक अनुभव के कारण एक मजबूत यूज़र बेस बना चुकी है।


📈 IPO से क्या उम्मीद?

Wakefit का IPO भारत के D2C होम ब्रांड्स के लिए एक उदाहरण बन सकता है। अगर यह सफल रहता है, तो यह संकेत देगा कि भारत के घरेलू ब्रांड अब सिर्फ प्राइवेट फंडिंग पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि पब्लिक मार्केट से पूंजी जुटाने के लिए भी तैयार हैं।

हालांकि, ऑडिटर्स की चेतावनियों और मुनाफे में सुधार की सीमित गति को देखते हुए, निवेशकों को सतर्कता से निवेश निर्णय लेना होगा


📢 निष्कर्ष

Wakefit का IPO DRHP एक तरफ कंपनी की तेजी से बढ़ती टॉपलाइन और मुनाफे की ओर बढ़ते कदमों को दर्शाता है, तो दूसरी ओर ऑडिटर्स की चिंताएं कंपनी के गवर्नेंस और ऑडिट सिस्टम में सुधार की आवश्यकता बताती हैं।

अगर Wakefit पारदर्शिता बनाए रखे और अपने ऑडिट फ्रेमवर्क को मजबूत करे, तो यह IPO ना सिर्फ कंपनी के लिए, बल्कि पूरे D2C सेक्टर के लिए एक प्रेरक कदम हो सकता है।

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Utopia Therapeutics को मिला $1.5 मिलियन का फंड,

Utopia Therapeutics

हैदराबाद स्थित बायोटेक स्टार्टअप Utopia Therapeutics ने मोटापा और मेटाबॉलिक बीमारियों के इलाज के लिए अगली पीढ़ी की वैक्सीन विकसित करने हेतु $1.5 मिलियन (लगभग ₹12.5 करोड़) की सीड फंडिंग हासिल की है। यह निवेश अमेरिकी इन्वेस्टमेंट फर्म Whale Tank द्वारा किया गया है। इस फंडिंग का उपयोग कंपनी अपने प्रमुख वैक्सीन कैंडिडेट UT009 के प्रीक्लिनिकल विकास को तेज़ करने के लिए करेगी।


💡 क्या है Utopia Therapeutics?

Utopia Therapeutics की स्थापना वर्ष 2024 में उदय सक्सेना और गोपी कडियाला ने मिलकर की थी। यह स्टार्टअप मोटापा (Obesity) और उससे जुड़ी क्रॉनिक मेटाबॉलिक बीमारियों जैसे टाइप 2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और फैटी लिवर डिज़ीज के इलाज** के लिए इम्यूनोथेरेपी आधारित अगली पीढ़ी की वैक्सीन पर काम कर रहा है।


🧬 UT009: मोटापे के खिलाफ पहली वैक्सीन?

Utopia Therapeutics का प्रमुख उत्पाद UT009, एक इम्यूनोथेरेप्यूटिक वैक्सीन है, जिसे वज़न बढ़ने की जड़ में जाकर समाधान देने के उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है। यह वैक्सीन शरीर में लिपिड-असोसिएटेड एंटीजन को निशाना बनाकर फैट जमा होने की प्रक्रिया को धीमा या समाप्त करने में सक्षम है।

कंपनी का दावा है कि UT009 न केवल मोटापा कम करने में सहायक होगी, बल्कि मेटाबॉलिक हेल्थ सुधारने में भी मदद करेगी। यह मौजूदा दवाओं से अलग है, जो अक्सर केवल भूख कम करने या वज़न घटाने तक सीमित होती हैं।


🧪 फंडिंग का उपयोग कहां होगा?

प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, Whale Tank से प्राप्त फंड का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

  • UT009 के प्रीक्लिनिकल परीक्षणों को तेज़ करना
  • Regulatory toxicology studies की तैयारी
  • IND (Investigational New Drug) फ़ाइलिंग के लिए ज़रूरी मील के पत्थर तक पहुँचना
  • मानव परीक्षणों (Phase I clinical trials) के लिए तैयारी

🧫 नवाचार के ज़रिए समाधान

Utopia Therapeutics के सह-संस्थापकों का मानना है कि मोटापा एक वैश्विक महामारी बन चुका है और वर्तमान में उपलब्ध उपचार विकल्प सीमित हैं।

उदय सक्सेना और गोपी कडियाला ने कहा:

“मोटापा सिर्फ एक जीवनशैली की समस्या नहीं, बल्कि एक जटिल बायोलॉजिकल डिसऑर्डर है। हमारी वैक्सीन मोटापे की मूल वजहों को निशाना बनाती है, जिससे मरीजों को लंबे समय तक समाधान मिल सके। Whale Tank का यह निवेश हमें इस विज्ञान को लैब से अस्पतालों तक पहुंचाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करेगा।”


🧪 क्या है UT018 प्रोडक्ट लाइन?

UT009 के अलावा, कंपनी अपनी UT018-बेस्ड रीजेनेरेटिव प्रोडक्ट लाइन पर भी काम कर रही है, जो GRAS-क्वालिफाइड (Generally Recognized As Safe) और नॉन-फार्मास्युटिकल एप्लिकेशन्स के अंतर्गत आती है।

UT018 उत्पादों को स्केल-अप और कमर्शियलाइज़ करने की योजना भी तैयार की जा रही है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए नेचुरल और सुरक्षित समाधान पेश किए जा सकें।


🌍 मोटापे की वैश्विक चुनौती

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्वभर में हर 3 में से 1 व्यक्ति मोटापे से प्रभावित है, और भारत भी इस महामारी से अछूता नहीं है। मोटापा न केवल डायबिटीज़ और हृदय रोग जैसी बीमारियों को बढ़ावा देता है, बल्कि इससे कामकाजी जीवन और आर्थिक उत्पादकता पर भी बुरा असर पड़ता है।

ऐसे में Utopia Therapeutics जैसे स्टार्टअप्स का आगे आना, एक आशाजनक बदलाव की ओर संकेत करता है।


📈 बायोटेक सेक्टर में बढ़ती दिलचस्पी

भारत में बायोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स को लेकर निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। खासकर हेल्थकेयर और मेटाबॉलिक डिजीज जैसे सेक्टर्स में नवाचार आधारित समाधान की मांग तेजी से बढ़ रही है। Whale Tank जैसे निवेशकों का Utopia Therapeutics में निवेश करना इस बात का प्रमाण है कि नए वैज्ञानिक दृष्टिकोणों को अब बाज़ार में वास्तविक संभावनाओं के रूप में देखा जा रहा है


📌 निष्कर्ष

Utopia Therapeutics का UT009 भारत और दुनिया के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। मोटापे जैसी गंभीर बीमारी के लिए वैक्सीन आधारित उपचार अब तक केवल एक सपना था, जिसे अब वैज्ञानिक सच्चाई में बदला जा रहा है।

Whale Tank से मिली फंडिंग न केवल स्टार्टअप को आगे बढ़ने का रास्ता देगी, बल्कि भविष्य में भारत को क्रॉनिक बीमारियों के इलाज में वैश्विक लीडर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम हो सकती है।


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📱 PhonePe IPO की तैयारी में जुटी, $15 बिलियन वैल्यूएशन पर जुटा सकती है $1.5 बिलियन

phonePe

भारत की प्रमुख फिनटेक यूनिकॉर्न PhonePe जल्द ही IPO (Initial Public Offering) के लिए ड्राफ्ट पेपर्स दाखिल करने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अगस्त 2025 तक DRHP (Draft Red Herring Prospectus) दाखिल कर सकती है और इसका लक्ष्य है $1.5 बिलियन तक जुटाने का, जिसकी संभावित वैल्यूएशन $15 बिलियन आंकी जा रही है।


🧑‍💼 कंपनी का नेतृत्व और निवेशक प्रोफाइल

PhonePe की स्थापना समीर निगम के नेतृत्व में हुई थी और आज यह देश की सबसे बड़ी UPI भुगतान कंपनी बन चुकी है। दिसंबर 2023 में, PhonePe ने $1 बिलियन की फंडिंग राउंड का हिस्सा बनते हुए $100 मिलियन की पूंजी जुटाई थी, तब इसकी प्री-मनी वैल्यूएशन $12 बिलियन थी।

PhonePe के मुख्य निवेशकों में शामिल हैं:

  • Walmart (मुख्य शेयरधारक)
  • Microsoft
  • General Atlantic
  • Tiger Global
  • Ribbit Capital
  • TVS Capital
  • Tencent
  • Qatar Investment Authority

💳 भारत में सबसे बड़ा UPI खिलाड़ी

PhonePe वर्तमान में भारत में सबसे बड़ा UPI ऐप है, जो हर दिन 310 मिलियन से अधिक UPI ट्रांजेक्शन प्रोसेस करता है। कंपनी का बाजार में 46.7% से अधिक हिस्सेदारी है, जो इसे भारतीय डिजिटल भुगतान परिदृश्य में निर्विवाद नेता बनाता है।


📈 वित्तीय प्रदर्शन: FY24 की झलक

FY24 (वित्त वर्ष 2023-24) में PhonePe ने शानदार प्रदर्शन किया:

  • 📊 राजस्व (Revenue): ₹5,000 करोड़ से अधिक
  • 📉 नुकसान में कमी: FY23 की तुलना में 28.6% की गिरावट के साथ ₹1,996 करोड़ का घाटा

यह सुधार दर्शाता है कि PhonePe अपनी ग्रोथ और ऑपरेशनल एफिशिएंसी के बीच संतुलन बनाने में सफल रहा है।


🌍 ‘रिवर्स फ्लिप’: भारत वापसी की रणनीति

PhonePe ने IPO की तैयारी के तहत अक्टूबर 2022 में अपना डोमिसाइल (मुख्यालय) सिंगापुर से भारत स्थानांतरित कर लिया था। यह कदम Flipkart से अलग होकर स्वतंत्र संचालन की दिशा में एक निर्णायक पहल थी।

PhonePe उन भारतीय स्टार्टअप्स में शामिल है जिन्होंने ‘रिवर्स फ्लिप’ के ज़रिए अपनी कंपनियों को भारत में दोबारा रजिस्टर किया है। इससे पहले Razorpay, Groww, Zepto और Meesho जैसे स्टार्टअप भी यह कदम उठा चुके हैं।


🛡️ PhonePe का बिजनेस विस्तार: पेमेंट्स से परे

हालांकि PhonePe की मुख्य आय UPI और डिजिटल पेमेंट्स से आती है, कंपनी ने हाल के वर्षों में अपने बिजनेस मॉडल का विस्तार किया है:

  • 💳 क्रेडिट (लोन) सर्विसेस
  • 🛡️ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स
  • 📈 स्टॉक ब्रोकिंग और इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म

इन नई पेशकशों के ज़रिए PhonePe फिनटेक सेक्टर के व्यापक हिस्से को कवर कर रहा है और अपने रेवेन्यू के स्रोतों को विविध बना रहा है।


🧾 IPO की रणनीति और संभावित असर

PhonePe का IPO भारत के फिनटेक स्टार्टअप्स के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। $1.5 बिलियन के लक्ष्य के साथ यह 2025 का सबसे बड़ा IPO में से एक बन सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि:

  • भारत में डिज़िटल भुगतान की भारी वृद्धि ने PhonePe को जबरदस्त स्केल पर पहुंचा दिया है।
  • ✅ IPO से प्राप्त पूंजी कंपनी को क्रेडिट और इंश्योरेंस जैसी नई श्रेणियों में और तेज़ी से निवेश करने का अवसर देगी।
  • ✅ भारत सरकार की फिनटेक-सहायक नीतियों और डिजिटल इंडिया अभियान के कारण ऐसी कंपनियों को पूंजी बाजार में मजबूत समर्थन मिल रहा है।

💡 विशेषज्ञों की राय

वित्तीय जानकारों के अनुसार, PhonePe की IPO योजना दो कारणों से खास है:

  1. स्थिर उपयोगकर्ता आधार और ट्रांजेक्शन वॉल्यूम के कारण कंपनी के फंडामेंटल मजबूत हैं।
  2. डिजिटल क्रांति और UPI इकोसिस्टम में उसकी लीडरशिप, इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है।

🔍 निष्कर्ष

PhonePe का IPO सिर्फ एक और पब्लिक लिस्टिंग नहीं है, बल्कि यह भारत के फिनटेक स्टार्टअप्स की परिपक्वता और वैश्विक निवेशकों के भरोसे का प्रतीक भी है। कंपनी की तकनीकी मजबूती, विविध रेवेन्यू मॉडल और तेज़ी से बढ़ते उपयोगकर्ता आधार को देखते हुए यह पेशकश निश्चित रूप से निवेशकों की नज़रों में रहेगी।

जैसे-जैसे अगस्त 2025 नज़दीक आएगा, सभी की निगाहें इस IPO पर टिकी रहेंगी।


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Read more :🏠 PharmEasy के पूर्व को-फाउंडर्स ने लॉन्च किया ‘All Home’

🏠 PharmEasy के पूर्व को-फाउंडर्स ने लॉन्च किया ‘All Home’

PharmEasy

भारत के हेल्थटेक यूनिकॉर्न PharmEasy के तीन पूर्व को-फाउंडर्स — धर्मिल शेट्ठ, धवल शाह और हार्दिक देधिया — ने अब कंज्यूमर स्पेस में एक नई शुरुआत की है। उन्होंने मिलकर लॉन्च किया है All Home, जो एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है आर्किटेक्चरल और इंटीरियर डिज़ाइन प्रोडक्ट्स के लिए।

All Home का उद्देश्य भारत के बिखरे हुए होम इंटीरियर सेक्टर को संगठित और टेक्नोलॉजी से सशक्त बनाना है, ताकि उपभोक्ताओं को सैनिटरीवेयर, फर्नीचर, किचन, वॉर्डरोब, फर्निशिंग, लाइटिंग और हार्डवेयर जैसी तमाम ज़रूरतों का समाधान एक ही जगह पर मिल सके।


🛋️ क्या है All Home और इसका विज़न?

All Home अपने प्लेटफॉर्म के ज़रिए मजबूत और लाभदायक होम इंप्रूवमेंट ब्रांड्स को जोड़ रहा है। यह इन ब्रांड्स को टेक्नोलॉजी, डिज़ाइनर इनसाइट्स, और इंटरनेट-चालित मैन्युफैक्चरिंग व डिस्ट्रीब्यूशन में सहयोग करता है।

स्टार्टअप पहले से ही Colour Coats, House of W और Fiamarc जैसे ब्रांड्स के साथ लाइव हो चुका है, और आने वाले समय में और भी ब्रांड्स जुड़ने वाले हैं।

कंपनी का दावा है कि वह पिछले छह महीनों से स्टील्थ मोड में ऑपरेट कर रही थी, और इस दौरान ही उसने ऑपरेशनल प्रॉफिटेबिलिटी और स्केल हासिल कर लिया है।


💬 फाउंडर्स का बयान: “अब ‘मकान’ की बारी है”

तीनों को-फाउंडर्स ने एक साझा बयान में कहा:

“रोटी और कपड़ा के बाद भारत का अगला कंज्यूमर बूम ‘मकान’ में है। All Home के ज़रिए हम ऐसे ब्रांड्स बना रहे हैं जो भारत के घरों, ऑफिसों और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए भरोसेमंद समाधान पेश करें। आज के उपभोक्ता अपने रहने और काम करने की जगहों में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सही प्रोडक्ट्स और चैनल्स नहीं मिलते। All Home इसी गैप को भरने का काम करेगा।”


💰 Bessemer के नेतृत्व में $120 मिलियन वैल्यूएशन पर फंडिंग

All Home ने हाल ही में एक गोपनीय फंडिंग राउंड भी क्लोज़ किया है, जिसका नेतृत्व किया है Bessemer Venture Partners ने। यह निवेश कंपनी के $120 मिलियन से अधिक वैल्यूएशन पर हुआ है।

इस राउंड में कई जाने-माने एंजल इन्वेस्टर्स ने भी भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:

  • सिद्धार्थ शाह (PharmEasy)
  • निकेत शाह (Motilal Oswal)
  • शालिभद्र शाह (Motilal Oswal)
  • कबीर नरंग (B Capital)
  • अंकुर गुलाटी (Warburg Pincus)

हालांकि कंपनी ने फंडिंग का सटीक आंकड़ा नहीं बताया, लेकिन Economic Times की रिपोर्ट के मुताबिक यह राशि लगभग $20 मिलियन हो सकती है।


📉 PharmEasy छोड़ने के 5 महीने बाद नई शुरुआत

यह डिवेलपमेंट ऐसे समय आया है जब धर्मिल शेट्ठ, धवल शाह और हार्दिक देधिया ने PharmEasy को पूरी तरह से अलविदा कह दिया है। उन्होंने करीब 5 महीने पहले फार्मईज़ी से औपचारिक रूप से अलग होकर अपने इस नए वेंचर की नींव रखी थी।

गौरतलब है कि PharmEasy की हालत पिछले वित्तीय वर्ष यानी FY24 में खराब रही, जहां कंपनी को राजस्व में गिरावट और वैल्यूएशन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। FY25 के आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं।

अब कंपनी की कमान सिद्धार्थ शाह के पास है, जो पहले PharmEasy के को-फाउंडर्स में शामिल थे और अब CEO की भूमिका में हैं।


🏡 क्यों है All Home पर नज़र रखना ज़रूरी?

भारत में होम इम्प्रूवमेंट इंडस्ट्री तेजी से विकसित हो रही है। उपभोक्ता अब सिर्फ प्रोडक्ट नहीं, बल्कि अनुभव और डिजाइन की भी तलाश कर रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में अब तक कोई बड़ा ब्रांडेड और टेक्नोलॉजी-समर्थित समाधान नहीं था।

All Home इस गैप को भरने की दिशा में एक सशक्त और संगठित प्रयास है। यह न सिर्फ ब्रांड्स को डिजिटल रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी एक सुविधाजनक और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म प्रदान कर रहा है।


📊 इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि All Home जैसी पहल भारत के शहरी और सेमी-अर्बन इलाकों में होम रेनोवेशन और डिज़ाइन मार्केट को नया आकार दे सकती है। खासकर ऐसे समय में जब डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन और डाइरेक्ट-टू-कंज्यूमर ब्रांड्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।


🔚 निष्कर्ष

All Home केवल एक नया स्टार्टअप नहीं है, बल्कि यह भारत के ‘मकान’ फोकस्ड कंज्यूमर बूम को दिशा देने वाला अगला बड़ा ब्रांड बन सकता है। PharmEasy के अनुभवी को-फाउंडर्स द्वारा शुरू किया गया यह वेंचर अब एक संगठित, डिज़ाइन-फोकस्ड और टेक्नोलॉजी-सपोर्टेड होम इंटीरियर इकोसिस्टम बनाने की ओर अग्रसर है।

आने वाले महीनों में, All Home की ग्रोथ और नए ब्रांड पार्टनरशिप्स इस इंडस्ट्री के भविष्य को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।


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