कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक बार फिर बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखा है, जिससे Ola, Uber और Rapido जैसी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इन कंपनियों की अपीलों को खारिज करते हुए कहा है कि कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी, यानी यह बैन कम से कम 24 जून 2025 तक लागू रहेगा।
यह फैसला न केवल स्टार्टअप इंडस्ट्री बल्कि लाखों कम्यूटरों और बाइक राइडर्स के लिए भी चिंता का विषय है, जो रोज़ाना इन सेवाओं पर निर्भर रहते हैं।
⚖️ क्यों लगाया गया प्रतिबंध?
यह पूरा मामला 2 अप्रैल 2025 को कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश से शुरू हुआ, जिसमें कहा गया था कि:
“बाइक टैक्सी सेवाएं फिलहाल मोटर व्हीकल एक्ट के तहत विधिवत रेग्युलेट नहीं हैं, इसलिए इन्हें तब तक रोका जाए जब तक सरकार कोई स्पष्ट नियम नहीं लाती।”
इसके बाद कोर्ट ने 14 मई को इस बैन को चार और हफ्तों के लिए बढ़ा दिया था, जिससे अब यह बैन 15 जून 2025 तक प्रभावी है।
🚫 अब क्या होगा?
कोर्ट के अनुसार, यह आदेश पूरे राज्य में लागू रहेगा और:
- ✅ सोमवार, 16 जून 2025 से कोई भी बाइक टैक्सी सेवा कानूनी रूप से संचालन नहीं कर पाएगी।
- ✅ अगली सुनवाई की तारीख 24 जून 2025 तय की गई है, जहां पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
🧑⚖️ कोर्ट का तर्क: “कानूनी ढांचे के बिना संचालन नहीं हो सकता”
हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि बाइक टैक्सी सेवा के लिए न तो कोई परिभाषित लाइसेंसिंग सिस्टम है, न ही सरकारी रेग्युलेशन, इसलिए इन्हें अभी अवैध माना जा सकता है।
सरकार की ओर से भी कोर्ट को यह सूचित किया गया कि फिलहाल उनके पास कोई तात्कालिक योजना नहीं है जिससे बाइक टैक्सी को वैधता दी जा सके।
🚕 Ola, Uber, Rapido को तगड़ा झटका
देश की तीन प्रमुख राइड-हेलिंग कंपनियों Ola, Uber और Rapido ने कोर्ट में याचिका दायर कर इस बैन के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
इन कंपनियों का तर्क था कि:
- ✅ लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी इन सेवाओं पर निर्भर है।
- ✅ बाइक टैक्सी शहरी ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करने में मदद करती है।
- ✅ इससे उपभोक्ताओं को किफायती यात्रा का विकल्प मिलता है।
फिर भी कोर्ट ने यह माना कि कानून से ऊपर कोई सुविधा नहीं हो सकती।
👨🔧 राइडर्स और यूज़र्स पर असर
इस बैन का सबसे बड़ा असर पड़ेगा:
- बाइक टैक्सी ड्राइवर्स पर — जो फुल टाइम या पार्ट टाइम इन सेवाओं के ज़रिए कमाई कर रहे थे।
- कॉलेज और ऑफिस जाने वाले यात्रियों पर — जिन्हें यह सेवा सस्ती, सुविधाजनक और ट्रैफिक से बचने का ज़रिया मिलती थी।
- स्टार्टअप ईकोसिस्टम पर — जो भारत में मोबिलिटी सेक्टर को डिजिटल और सस्टेनेबल बना रहे हैं।
📈 आर्थिक नुकसान की आशंका
- 🚫 विशेषज्ञों का मानना है कि इससे हजारों ड्राइवरों की आय बंद हो सकती है।
- 🚫 कंपनियों को बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में रेवन्यू लॉस झेलना पड़ सकता है।
- 🚫 स्टार्टअप्स के इन्वेस्टर्स और फंडिंग पार्टनर्स भी अनिश्चितता में आ सकते हैं।
📣 क्या है आगे का रास्ता?
हालांकि फिलहाल कोई स्पष्ट नियम नहीं है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि:
- सरकार नई बाइक टैक्सी पॉलिसी पर विचार कर सकती है।
- अगली सुनवाई (24 जून 2025) में कुछ निर्देश सामने आ सकते हैं।
- कंपनियां लीगल रूट या रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत नए तरीके से सेवा शुरू कर सकती हैं।
📌 निष्कर्ष: सुविधाजनक सेवा, लेकिन नियमों के दायरे में
बाइक टैक्सी भारत जैसे देश में जहां ट्रैफिक, प्रदूषण और शहरी मोबिलिटी बड़ी चुनौतियाँ हैं, वहाँ यह एक क्रांतिकारी मॉडल बन सकता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसी सेवाएं कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त और रेग्युलेटेड हों।
फिलहाल, बेंगलुरु जैसे टेक सिटी में यह सेवा बंद होना कई लोगों के लिए असुविधा का कारण बनेगा। अब सबकी निगाहें 24 जून की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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✍️ रिपोर्ट: FundingRaised हिंदी टीम
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