Healthians: सालाना 8% वृद्धि और 65% घाटा कम करने में सफलता

Healthians

गुरुग्राम स्थित डायग्नोस्टिक स्टार्टअप Healthians ने वित्त वर्ष 2023-24 में 8% की सालाना वृद्धि दर्ज की है। इसके साथ ही, WestBridge द्वारा समर्थित इस कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में कामयाबी पाई और इस दौरान EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया।


राजस्व में वृद्धि

Healthians का संचालन से होने वाला राजस्व वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर ₹243 करोड़ हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष (₹224 करोड़) से 8.48% अधिक है।

मुख्य राजस्व स्रोत:

  • पैथोलॉजिकल टेस्ट:
    • लैब टेस्टिंग सेवाओं से होने वाली आय 8.62% बढ़कर ₹240.5 करोड़ हो गई।
  • सप्लीमेंट्स की बिक्री:
    • सप्लीमेंट्स से ₹2.2 करोड़ की आय हुई।
  • गैर-ऑपरेशनल आय:
    • ब्याज आय और अन्य स्रोतों से ₹10 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई, जिससे कुल राजस्व ₹253 करोड़ तक पहुंच गया।

Healthians की सेवाएं और पहुंच

Healthians देशभर के 250 से अधिक शहरों में घर पर डायग्नोस्टिक सेवाएं प्रदान करता है। कंपनी का दावा है कि उसने अब तक 10 करोड़ से अधिक टेस्ट पूरे किए हैं।


खर्चों में कटौती की सफलता

Healthians ने FY24 में अपने कुल खर्च को कम करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए।

प्रमुख खर्च और कमी:

  • कर्मचारियों के लाभ:
    • कर्मचारियों पर खर्च कुल लागत का 40% रहा। FY24 में यह खर्च ₹136 करोड़ से घटकर ₹120 करोड़ हो गया (11.8% की कमी)।
  • विज्ञापन:
    • FY24 में विज्ञापन खर्च ₹103 करोड़ से ₹39 करोड़ तक आ गया, जो कि 62% की कमी को दर्शाता है।

कुल खर्च:

सामग्री लागत, किराया, सूचना प्रौद्योगिकी, और अन्य ओवरहेड्स को मिलाकर FY24 में कुल खर्च ₹298 करोड़ रहा।


EBITDA ब्रेकईवन और घाटा घटाने की उपलब्धि

Healthians ने FY24 में EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया। इसके अलावा, कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में सफलता प्राप्त की। यह इस बात का संकेत है कि कंपनी परिचालन दक्षता में सुधार कर रही है और वित्तीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रही है।


मार्केट में Healthians की स्थिति

डायग्नोस्टिक और हेल्थकेयर सेक्टर में Healthians ने अपनी पहचान बनाई है। घर पर टेस्टिंग सेवाएं और पैथोलॉजिकल लैब्स इसका मुख्य आधार हैं।

प्रतिस्पर्धा:

  • डिजिटल हेल्थ स्टार्टअप्स और ऑफलाइन लैब्स जैसे Dr. Lal PathLabs और Metropolis से सीधी प्रतिस्पर्धा।
  • ग्राहक आधार बढ़ाना और सेवाओं में विविधता लाना कंपनी के लिए भविष्य में महत्वपूर्ण होगा।

Healthians का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

सेवाओं का विस्तार:

  • अधिक शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच।
  • नए उत्पाद और सप्लीमेंट्स की पेशकश।

डिजिटल इनोवेशन:

  • स्वास्थ्य डेटा का डिजिटल प्रबंधन।
  • AI और मशीन लर्निंग का उपयोग।

लाभप्रदता पर ध्यान:

  • परिचालन लागत में और कमी।
  • ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाकर मार्केट शेयर बढ़ाना।

डायग्नोस्टिक सेक्टर की संभावनाएं

भारत में डायग्नोस्टिक सेवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। कोविड-19 के बाद से हेल्थकेयर में लोगों की जागरूकता बढ़ी है। ऐसे में Healthians जैसी कंपनियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है।

चुनौतियां:

  1. प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी।
  2. सेवा की गुणवत्ता बनाए रखना।
  3. लागत प्रभावी मॉडल विकसित करना।

Healthians ने FY24 में EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया। इसके अलावा, कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में सफलता प्राप्त की। यह इस बात का संकेत है कि कंपनी परिचालन दक्षता में सुधार कर रही है और वित्तीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रही है।

भविष्य

Healthians ने FY24 में राजस्व और वित्तीय प्रदर्शन में सुधार करते हुए सकारात्मक संकेत दिए हैं। 65% घाटा कम करना और EBITDA ब्रेकईवन जैसे कदम इसके विकास की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं।

भविष्य की दिशा:

Healthians के लिए सेवाओं का विस्तार, डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग, और लाभप्रदता बनाए रखना आने वाले समय में प्राथमिकता होगी। यह स्पष्ट है कि डायग्नोस्टिक सेक्टर में Healthians एक मजबूत खिलाड़ी बनकर उभर सकता है।

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Zepto को 350 मिलियन डॉलर की फंडिंग :भारत के क्विक कॉमर्स सेक्टर में मजबूत स्थिति

Zepto

मुंबई आधारित क्विक कॉमर्स कंपनी Zepto ने हाल ही में 350 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,900 करोड़) की फंडिंग हासिल की है। यह फंडिंग राउंड Motilal Oswal Private Wealth के नेतृत्व में हुआ, जिसमें कई प्रमुख निवेशकों ने भाग लिया। इस फंडिंग के साथ Zepto ने 2024 में कुल 1.35 बिलियन डॉलर और अपनी स्थापना से अब तक कुल 1.85 बिलियन डॉलर जुटा लिए हैं।


Zepto प्रमुख निवेशक

इस फंडिंग राउंड में कई हाई-प्रोफाइल निवेशकों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:

  • Raamdeo Agarwal,
  • Taparia Family Office,
  • Mankind Pharma Family Office,
  • RP Sanjiv Goenka Group,
  • Haldiram Snacks Family Office,
  • Kalyan Family Office, और
  • Mothers Recipe Family Office (Desai Brothers)

इसके अलावा, सचिन तेंदुलकर और अभिषेक बच्चन जैसे सेलिब्रिटी निवेशकों ने भी इस राउंड में हिस्सा लिया।


Zepto की मौजूदा स्थिति और उपलब्धियां

Zepto वर्तमान में भारत में क्विक कॉमर्स क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। यह 10 मिनट में 25,000 से अधिक उत्पादों की डिलीवरी करने का दावा करती है।

मुख्य आंकड़े:

  • डिलीवरी हब्स:
    • Zepto के पास पूरे भारत में 550 से अधिक डार्क स्टोर्स का नेटवर्क है।
  • दैनिक ऑर्डर्स:
    • कंपनी प्रतिदिन 7 लाख से अधिक ऑर्डर्स प्रोसेस करती है।
  • GMV (वार्षिक ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू):
    • 1 बिलियन डॉलर (₹8,300 करोड़)।
  • EBITDA पॉज़िटिविटी:
    • कंपनी का दावा है कि 75% से अधिक स्टोर्स EBITDA पॉज़िटिव हो चुके हैं।

भारतीय क्विक कॉमर्स मार्केट में Zepto की स्थिति

Motilal Oswal की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय क्विक कॉमर्स मार्केट में:

  • Blinkit 46% बाजार हिस्सेदारी के साथ अग्रणी है।
  • Zepto 29% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • Swiggy Instamart 25% हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर है।

2024 में Zepto की फंडिंग यात्रा

इससे पहले अगस्त 2024 में, Zepto ने 5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 340 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की थी। हालांकि, नवीनतम फंडिंग राउंड में कंपनी के मूल्यांकन में कोई बदलाव नहीं हुआ है।


विकास और विस्तार की योजना

Zepto अपने व्यवसाय को और मजबूत करने और अधिक डिलीवरी हब्स खोलने के लिए इस फंडिंग का उपयोग करेगी। कंपनी का उद्देश्य है:

  1. नई तकनीकों में निवेश:
    • डिलीवरी प्रक्रिया को और तेज और कुशल बनाना।
  2. नेटवर्क का विस्तार:
    • अधिक शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना।
  3. उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार:
    • उत्पाद श्रेणियों को बढ़ाना और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना।

क्विक कॉमर्स सेक्टर की चुनौतियां

हालांकि Zepto और अन्य कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं, इस क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं:

  1. लाभप्रदता:
    • क्विक कॉमर्स मॉडल में परिचालन लागत अधिक होती है, जिससे लाभ कमाना कठिन हो सकता है।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • Blinkit और Swiggy Instamart जैसे बड़े खिलाड़ी बाजार में मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं।
  3. उपभोक्ता अपेक्षाएं:
    • उपभोक्ता तेजी और सटीकता की उम्मीद करते हैं, जिसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Zepto की रणनीति और सफलता के कारक

Zepto की सफलता का मुख्य कारण है इसका 10 मिनट डिलीवरी मॉडल, जो युवा उपभोक्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय है। कंपनी ने अपने डार्क स्टोर्स नेटवर्क और AI-ड्रिवन सप्लाई चेन के माध्यम से ऑपरेशन को अधिक कुशल बनाया है।


सेलिब्रिटी निवेशकों का प्रभाव

सचिन तेंदुलकर और अभिषेक बच्चन जैसे निवेशकों की भागीदारी ने Zepto की ब्रांड वैल्यू को बढ़ाने में मदद की है। यह न केवल कंपनी को वित्तीय समर्थन देता है, बल्कि इसके मार्केटिंग अभियानों में भी योगदान करता है।


भविष्य की संभावनाएं

Zepto ने क्विक कॉमर्स क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और इसके विस्तार की संभावनाएं काफी उज्ज्वल हैं। कंपनी के पास नई तकनीकों और बड़े निवेशकों के साथ आगे बढ़ने का अवसर है।

लक्ष्य:

  1. बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना:
    • Blinkit के साथ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ना।
  2. लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित:
    • परिचालन लागत को कम करके लाभ बढ़ाना।
  3. वैश्विक विस्तार:
    • भारत से बाहर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करना।

निष्कर्ष

Zepto ने 2024 में 350 मिलियन डॉलर की फंडिंग और 5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ अपनी ताकत साबित की है। क्विक कॉमर्स क्षेत्र में इसकी वृद्धि और विस्तार की योजना दर्शाती है कि यह कंपनी इस उद्योग में एक अग्रणी खिलाड़ी बनने की पूरी क्षमता रखती है।
हालांकि, इसे लाभप्रदता और परिचालन दक्षता में सुधार के लिए लगातार काम करना होगा। Zepto का 10 मिनट डिलीवरी मॉडल और इसके पीछे का मजबूत निवेशक आधार इसे भारतीय क्विक कॉमर्स सेक्टर में एक स्थायी और प्रभावशाली स्थान दिलाने में मदद करेगा।

Read more : Glance की वित्तीय सफलता: FY24 में 89% की वृद्धि के साथ 614 करोड़ का राजस्व

Glance की वित्तीय सफलता: FY24 में 89% की वृद्धि के साथ 614 करोड़ का राजस्व

Glance

कंज्यूमर टेक्नोलॉजी कंपनी Glance ने वित्तीय वर्ष 2023 और 2024 में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपने राजस्व में 3.4 गुना वृद्धि दर्ज की है। कंपनी का राजस्व FY22 के 178 करोड़ रुपये (22 मिलियन डॉलर) से बढ़कर FY24 में 614 करोड़ रुपये (73.1 मिलियन डॉलर) हो गया है।

Glance FY24 में 89% राजस्व वृद्धि

Glance का संचालन राजस्व FY24 में 89% बढ़कर 614 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 325 करोड़ रुपये था। 2019 में लॉन्च की गई यह कंपनी, जो InMobi के इकोसिस्टम का हिस्सा है, अपने AI-पावर्ड स्मार्ट लॉक स्क्रीन प्लेटफॉर्म के लिए जानी जाती है। यह प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के स्मार्टफोन अनुभव को नया रूप देने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसके पास 300 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं का बड़ा आधार है।

Glance अपने प्लेटफॉर्म पर Roposo (शॉपर्टेनमेंट) और Nostra (गेमिंग) जैसे अन्य उपभोक्ता प्लेटफॉर्म्स को भी जोड़ता है, जिससे इसे व्यापक उपभोक्ता पहुंच मिलती है।


आमदनी के प्रमुख स्रोत

  • विज्ञापन सेवाएं:
    FY24 में विज्ञापन सेवाओं से Glance ने 336 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो कुल राजस्व का 54.7% था। यह FY23 के 248 करोड़ रुपये से 35.7% अधिक है।
  • शॉपर्टेनमेंट (कॉमर्स):
    इस सेगमेंट से 254 करोड़ रुपये का योगदान हुआ।
  • वित्तीय आय:
    वित्तीय आय (ब्याज) से कंपनी ने FY24 में 15.9 करोड़ रुपये कमाए, जिससे कुल राजस्व 640 करोड़ रुपये हो गया।

खर्चों का विश्लेषण

Glance ने FY24 में कुल 1,569 करोड़ रुपये खर्च किए, जो FY23 के 1,448 करोड़ रुपये से 8.35% अधिक था। इसके प्रमुख खर्च इस प्रकार हैं:

  1. कर्मचारी लाभ खर्च:
    • कुल खर्च का 28.28% हिस्सा।
    • FY24 में 444 करोड़ रुपये, जो FY23 के 424 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है।
    • इसमें ESOP (स्टॉक विकल्प) की लागत 71.4 करोड़ रुपये शामिल है।
  2. शिपिंग और मार्केटिंग:
    • शिपिंग पर 200 करोड़ रुपये।
    • मार्केटिंग और सेलिंग पर 436 करोड़ रुपये।
  3. इंफ्रास्ट्रक्चर लागत:
    • 201 करोड़ रुपये FY24 में।
  4. अन्य खर्च:
    • सॉफ्टवेयर, पब्लिशर, लीगल, और यात्रा जैसे खर्चों में भी बड़ी राशि खर्च हुई।

Glance की सफलता के पीछे का कारण

Glance की सफलता के पीछे उसकी अनूठी और इनोवेटिव सेवाएं हैं:

  1. AI-पावर्ड लॉक स्क्रीन:
    यह उपयोगकर्ताओं के अनुभव को व्यक्तिगत और रोचक बनाता है।
  2. व्यापक उपयोगकर्ता आधार:
    300 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ Glance की पहुंच वैश्विक स्तर पर है।
  3. विविध प्लेटफॉर्म:
    • Roposo के माध्यम से शॉपर्टेनमेंट।
    • Nostra के साथ गेमिंग अनुभव।

हालांकि Glance ने राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, लेकिन इसके कुल खर्च और बढ़ते घाटे को कम करना एक चुनौती बना हुआ है। कंपनी को लागत प्रबंधन और लाभप्रदता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

Glance के अनूठे बिजनेस मॉडल और तेजी से बढ़ते उपयोगकर्ता आधार को देखते हुए, इसके पास न केवल भारतीय बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी विकास के बड़े अवसर हैं।
Glance का FY24 का प्रदर्शन दर्शाता है कि यह कंपनी उपभोक्ता टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक मजबूत खिलाड़ी बन रही है। हालांकि, अपने खर्चों को नियंत्रित कर और लाभप्रदता हासिल कर, कंपनी आने वाले वर्षों में और भी ऊंचाइयों को छू सकती है।

कंज्यूमर टेक्नोलॉजी कंपनी Glance ने हाल के वर्षों में अपनी अनूठी सेवाओं और मजबूत प्रदर्शन से उद्योग में अपनी जगह मजबूत की है। कंपनी का संचालन राजस्व वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में 89% बढ़कर 614 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष (FY23) में 325 करोड़ रुपये था। यह वृद्धि Glance के AI-पावर्ड स्मार्ट लॉक स्क्रीन प्लेटफॉर्म और इसके विविध उपभोक्ता उत्पादों के कारण संभव हो पाई है।


Glance का विकास और विस्तार

2019 में लॉन्च की गई Glance, InMobi के इकोसिस्टम का हिस्सा है। यह अपने उपयोगकर्ताओं को उनके स्मार्टफोन अनुभव को बेहतर बनाने के लिए AI-पावर्ड लॉक स्क्रीन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। कंपनी के पास 300 मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं का विशाल आधार है।
इसके अतिरिक्त, Glance ने अपने प्लेटफॉर्म पर Roposo (शॉपर्टेनमेंट) और Nostra (गेमिंग) जैसे उत्पाद जोड़े हैं, जो इसे और अधिक उपयोगकर्ता-केंद्रित बनाते हैं।


FY24 में Glance का राजस्व

  • कुल राजस्व:
    • FY24: 614 करोड़ रुपये (89% वृद्धि)
    • FY23: 325 करोड़ रुपये
    • FY22: 178 करोड़ रुपये
  • राजस्व के प्रमुख स्रोत:
    • विज्ञापन सेवाएं:
      • FY24 में 336 करोड़ रुपये (कुल राजस्व का 54.7%)।
      • FY23 में यह 248 करोड़ रुपये थी, जिसमें 35.7% की वृद्धि दर्ज हुई।
    • शॉपर्टेनमेंट (कॉमर्स):
      • 254 करोड़ रुपये FY24 में।
    • वित्तीय आय (ब्याज):
      • 15.9 करोड़ रुपये।

FY24 में Glance के खर्चे

Glance का कुल खर्च FY24 में 1,569 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 के 1,448 करोड़ रुपये से 8.35% अधिक है।

मुख्य खर्चों का वर्गीकरण:

  1. कर्मचारी लाभ खर्च:
    • FY24 में 444 करोड़ रुपये, जो FY23 के 424 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है।
    • इसमें ESOP (स्टॉक विकल्प) की लागत 71.4 करोड़ रुपये शामिल है।
  2. शिपिंग लागत:
    • FY24 में 200 करोड़ रुपये।
  3. मार्केटिंग और सेलिंग:
    • FY24 में 436 करोड़ रुपये खर्च हुए।
  4. इंफ्रास्ट्रक्चर लागत:
    • FY24 में 201 करोड़ रुपये।
  5. अन्य खर्चे:
    • सॉफ्टवेयर, पब्लिशर, कानूनी खर्च, और यात्रा के लिए बड़ी राशि आवंटित की गई।

Glance की सफलता के मुख्य कारक

Glance की वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं:

1. अनूठा बिजनेस मॉडल:

AI-पावर्ड लॉक स्क्रीन ने स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के अनुभव को व्यक्तिगत और आकर्षक बनाया।

2. विविध उत्पाद:

  • Roposo: एक शॉपर्टेनमेंट प्लेटफॉर्म, जो खरीदारी और मनोरंजन का संयोजन करता है।
  • Nostra: एक गेमिंग प्लेटफॉर्म, जो उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करता है।

3. व्यापक उपयोगकर्ता आधार:

300 मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं के साथ, Glance ने एक मजबूत और वफादार ग्राहक आधार बनाया है।


चुनौतियां और सुधार के अवसर

हालांकि Glance का राजस्व तेजी से बढ़ रहा है, इसके खर्च भी अधिक हैं, जो लाभप्रदता के लिए चुनौती पेश करते हैं। कंपनी को इन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए:

  1. लागत प्रबंधन:
    खर्चों को नियंत्रित करना और संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग।
  2. लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित:
    विज्ञापन और शॉपर्टेनमेंट से राजस्व बढ़ाकर लाभप्रदता में सुधार।
  3. तकनीकी सुधार:
    AI और मशीन लर्निंग का और बेहतर उपयोग, ताकि उपयोगकर्ता अनुभव को और बेहतर बनाया जा सके।

भविष्य की संभावनाएं

Glance का विकास पथ दर्शाता है कि यह कंपनी कंज्यूमर टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है।

  1. वैश्विक विस्तार:
    भारत से बाहर नए बाजारों में विस्तार करना।
  2. नवाचार पर ध्यान:
    नई तकनीकों और सेवाओं का विकास।
  3. भागीदारी:
    अन्य कंपनियों और प्लेटफॉर्म्स के साथ साझेदारी करके अपने दायरे को बढ़ाना।

निष्कर्ष

Glance ने FY24 में अपने AI-पावर्ड स्मार्ट लॉक स्क्रीन प्लेटफॉर्म और विविध उत्पादों के माध्यम से उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 89% राजस्व वृद्धि और 614 करोड़ रुपये के कुल राजस्व के साथ, यह कंज्यूमर टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक मजबूत दावेदार बन गया है।
हालांकि, अपने बढ़ते खर्चों को नियंत्रित कर और लाभप्रदता पर ध्यान देकर, Glance आने वाले वर्षों में और भी ऊंचाइयों को छू सकता है। कंपनी के पास अपने नवाचार और विशाल उपयोगकर्ता आधार के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की अपार संभावनाएं हैं।

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PharmEasy ने FY24 में घाटा घटाया, लेकिन राजस्व में 15% की गिरावट

PharmEasy

API Holdings के कड़े कदमों से घाटे में कमी
PharmEasy की पैरेंट कंपनी, API Holdings ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में महत्वपूर्ण लागत-कटौती उपाय लागू किए, जिसके चलते कंपनी ने अपने घाटे को 50% से अधिक घटा दिया। हालांकि, इन कदमों के कारण कंपनी का राजस्व लगभग 15% कम हो गया।

PharmEasy राजस्व में 15% की गिरावट
PharmEasy का ऑपरेटिंग राजस्व FY24 में ₹5,664 करोड़ पर आ गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष ₹6,644 करोड़ था। यह 14.8% की गिरावट दर्शाता है। कंपनी मुख्य रूप से फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों की बिक्री और डायग्नोस्टिक सेवाओं, टेली-कंसल्टेशन, डिलीवरी और वेयरहाउसिंग जैसी सेवाओं से आय करती है।

प्रमुख राजस्व स्रोत
PharmEasy ने अपने ऑपरेटिंग राजस्व का 88% फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों की बिक्री से अर्जित किया। बाकी राजस्व डायग्नोस्टिक सेवाओं, टेली-कंसल्टिंग, डिलीवरी, वेयरहाउसिंग, और पैथोलॉजिकल टेस्ट के लिए कमीशन कमाने जैसी सेवाओं से आया।

इसके अलावा, कंपनी ने ₹94.6 करोड़ की गैर-ऑपरेटिंग आय अर्जित की। इसमें ब्याज और एसेट्स पर लाभ शामिल हैं। इस आय ने कुल राजस्व को ₹5,758 करोड़ तक पहुंचा दिया।


खर्चों में कटौती के प्रयास
PharmEasy ने अपने खर्चों में भी महत्वपूर्ण कटौती की। सामग्री की लागत कंपनी के कुल खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा रही, जो 67.3% था। यह लागत FY24 में 14.8% घटकर ₹4,880.3 करोड़ पर आ गई।

वित्तीय लागत में वृद्धि
हालांकि, वित्तीय लागत (फाइनेंस कॉस्ट) में 9.4% की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह ₹727.9 करोड़ हो गई। इसके अलावा, कंपनी ने FY24 में कर्मचारी लाभ (Employee Benefits) पर ₹699.3 करोड़ खर्च किए, जिसमें से ₹221.8 करोड़ ESOP (Employee Stock Ownership Plan) की लागत थी।


कंपनी की मौजूदा स्थिति
मुंबई स्थित PharmEasy को हाल के वर्षों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। FY24 में राजस्व की गिरावट और कड़े कदम उठाने के बावजूद, घाटे में कमी कंपनी के लिए सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि कंपनी अपने खर्चों को नियंत्रित करने और व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

PharmEasy की सेवाएं
PharmEasy न केवल उत्पाद बेचती है बल्कि डायग्नोस्टिक सेवाएं, टेली-कंसल्टेशन, और पैथोलॉजिकल टेस्ट जैसी सुविधाएं भी प्रदान करती है। ये सेवाएं कंपनी के पोर्टफोलियो को व्यापक बनाती हैं और ग्राहकों को वन-स्टॉप समाधान प्रदान करती हैं।


भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
PharmEasy की FY24 की प्रदर्शन रिपोर्ट यह दिखाती है कि कंपनी को अपने ऑपरेटिंग राजस्व को पुनः बढ़ाने के लिए ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कस्टमर रिटेंशन भी बड़ी चुनौतियां हो सकती हैं।

डिजिटल हेल्थकेयर का उभरता बाजार
भारत में डिजिटल हेल्थकेयर सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। PharmEasy के पास इस क्षेत्र में अपनी सेवाओं और टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने का अवसर है। इसके लिए कंपनी को अपने ग्राहक आधार को मजबूत करना होगा और अधिक प्रभावी मार्केटिंग रणनीतियां अपनानी होंगी।

निष्कर्ष
PharmEasy ने FY24 में घाटे में कमी लाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन राजस्व में गिरावट इसकी प्रमुख चिंता बनी हुई है। कंपनी के लिए यह समय है कि वह अपने खर्चों को नियंत्रित रखते हुए ग्राहकों को आकर्षित करने और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करे। भारत में डिजिटल हेल्थकेयर का उभरता हुआ बाजार PharmEasy के लिए आगे बढ़ने का एक बड़ा अवसर हो सकता है।

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Apple India का FY24 में शानदार प्रदर्शन राजस्व और मुनाफे में बड़ी बढ़त

Apple India

Apple India के राजस्व में 36% की बढ़त
Apple India ने अपने ऑपरेटिंग राजस्व और शुद्ध मुनाफे में लगातार वृद्धि की है, और वित्त वर्ष 2024 (FY24) में यह ट्रेंड जारी रहा। स्मार्टफोन, लैपटॉप और वॉच बनाने वाली इस दिग्गज कंपनी के भारतीय कारोबार का ऑपरेटिंग राजस्व 36% बढ़कर ₹66,727 करोड़ (लगभग $8 बिलियन) तक पहुंच गया। यह उपलब्धि कंपनी के स्थानीय बाजार में मजबूत पकड़ और प्रीमियम प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग को दर्शाती है।

मुनाफे में भी जबरदस्त इजाफा
FY24 में Apple India ने ₹2,746 करोड़ (लगभग $330 मिलियन) का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया। यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। FY23 में कंपनी का राजस्व ₹49,188 करोड़ (लगभग $6 बिलियन) था, जो FY24 में ₹66,727 करोड़ तक बढ़ा।

भारतीय बाजार में प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ी
Apple India का प्रदर्शन यह दिखाता है कि भारतीय उपभोक्ता अब प्रीमियम उत्पादों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। iPhone, iPad, MacBook, और Apple Watch जैसे प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी है। इसके साथ ही, कंपनी ने देश में अपने रिटेल स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को मजबूत करने पर भी ध्यान दिया है।

Apple के भारत में रिटेल स्टोर्स का विस्तार
FY24 में Apple ने भारत में अपने पहले रिटेल स्टोर्स लॉन्च किए, जिनमें मुंबई और दिल्ली के फ्लैगशिप स्टोर्स शामिल हैं। ये स्टोर्स न केवल बिक्री में बल्कि ब्रांड की उपस्थिति और ग्राहकों के साथ संबंध मजबूत करने में भी सहायक रहे। यह कदम Apple के भारतीय बाजार में लंबी अवधि के निवेश और विस्तार के इरादों को स्पष्ट करता है।

स्थानीय स्तर पर उत्पादन का बढ़ता प्रभाव
Apple India की सफलता का एक बड़ा कारण भारत में उत्पादन का विस्तार भी है। कंपनी ने अपने आपूर्तिकर्ताओं और पार्टनर्स के साथ मिलकर भारत में iPhones और अन्य उपकरणों का निर्माण शुरू किया है। इससे न केवल उत्पादों की लागत कम हुई है बल्कि “मेक इन इंडिया” पहल को भी बढ़ावा मिला है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री में संतुलन
Apple India ने FY24 में अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों को मजबूत किया। ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से ग्राहकों को अधिक सुविधाएं और छूट दी गईं, जबकि ऑफलाइन रिटेल स्टोर्स ने ग्राहकों को प्रोडक्ट्स का अनुभव लेने का मौका दिया।

भारत में Apple का भविष्य
Apple India का लक्ष्य आने वाले वर्षों में भारतीय बाजार में अपनी पकड़ को और मजबूत करना है। कंपनी अब भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक अनुकूल कीमतों और सुविधाओं वाले प्रोडक्ट्स लॉन्च करने पर भी विचार कर रही है। साथ ही, कंपनी की योजना स्थानीय उत्पादन क्षमता को और बढ़ाने की है ताकि भारत के तेजी से बढ़ते टेक्नोलॉजी बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाया जा सके।

निष्कर्ष
Apple India ने FY24 में राजस्व और मुनाफे के मामले में शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी का 36% की राजस्व वृद्धि और ₹2,746 करोड़ का मुनाफा यह दिखाता है कि भारतीय बाजार में Apple के प्रीमियम प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं और Apple के रणनीतिक कदमों के चलते, आने वाले वर्षों में कंपनी का प्रदर्शन और बेहतर होने की संभावना है।

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Moksha Group ने Arzooo के एसेट्स का acquires किया

Moksha Group

मुंबई स्थित The Moksha Group ने Arzooo, एक रिटेल टेक स्टार्टअप, के महत्वपूर्ण एसेट्स का अधिग्रहण किया है। यह कदम Moksha को छोटे और मझोले रिटेलर्स को अत्याधुनिक डिजिटल टूल्स और फिनटेक सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

Arzooo का संघर्ष और Moksha का अधिग्रहण

सूत्रों के मुताबिक, यह अधिग्रहण Arzooo के लिए एक डिस्ट्रेस सेल था, क्योंकि कंपनी अपने संचालन को बंद करने के कगार पर थी।

  • वित्तीय संकट और छंटनी:
    • Arzooo ने सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी की और उनके वेतन भुगतान में भी देरी की।
    • कंपनी का संचालन संकट में था, जिसके कारण उसे अपने एसेट्स बेचने पड़े।
  • Moksha का विजन:
    • Moksha Group इस अधिग्रहण के जरिए छोटे रिटेलर्स को डिजिटल तकनीक, किफायती ईएमआई विकल्प, और फिनटेक सॉल्यूशंस जैसे इनोवेटिव टूल्स प्रदान करेगा।

छोटे रिटेलर्स को मिलेगा फायदा

Moksha Group का उद्देश्य छोटे रिटेलर्स को मजबूत करना है ताकि वे एक प्रतिस्पर्धी बाजार में टिक सकें।

मुख्य लाभ:

  1. डिजिटल टूल्स:
    • छोटे रिटेलर्स को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए नए डिजिटल टूल्स मुहैया कराए जाएंगे।
  2. फिनटेक सॉल्यूशंस:
    • आसान क्रेडिट एक्सेस और किफायती ईएमआई विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे।
  3. मार्केट में मजबूती:
    • इन सॉल्यूशंस से रिटेलर्स अपने व्यवसाय को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ दे सकेंगे।

Moksha Group का नेतृत्व और अनुभव

अधिग्रहण के साथ, Moksha Group ने रीहान शेख को सह-संस्थापक और सीईओ के रूप में नियुक्त किया है।

  • रिहान शेख, एक अनुभवी ई-कॉमर्स विशेषज्ञ, Moksha के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • उनकी अगुवाई में, Moksha छोटे और मझोले रिटेलर्स के लिए टेक-ड्रिवन सॉल्यूशंस को बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बना रहा है।

Arzooo का सफर और संघर्ष

Arzooo की स्थापना खुशनुद खान और ऋषिराज राठौड़ ने की थी, जो फ्लिपकार्ट के पूर्व कर्मचारी हैं।

कंपनी का मॉडल:

Arzooo ने छोटे रिटेलर्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने और उन्हें आधुनिक तकनीक के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने का काम किया।

  • पैन-इंडिया उपस्थिति:
    • कंपनी का दावा है कि उसने 250 से अधिक शहरों में 30,000 रिटेलर्स को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़ा।
  • गॉस्टोर लॉन्च:
    • Arzooo ने हाल ही में गॉस्टोर डॉट कॉम नामक एक उपभोक्ता प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य ऑफलाइन स्टोर्स को ऑनलाइन लाना था।

संकट के कारण:

हालांकि Arzooo की शुरुआत एक महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में हुई थी, लेकिन यह कई चुनौतियों का सामना नहीं कर सका:

  1. वित्तीय संकट:
    • कंपनी अपने संचालन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त धन नहीं जुटा सकी।
  2. व्यवसाय मॉडल में खामियाँ:
    • रिटेलर्स के लिए दी जाने वाली सेवाओं में स्पष्टता और स्थिरता की कमी।
  3. प्रतिस्पर्धा:
    • बाज़ार में अन्य बड़ी कंपनियों की उपस्थिति के कारण Arzooo को टिकने में दिक्कत हुई।

Moksha Group का दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएँ

Moksha Group का फोकस उन छोटे और मझोले रिटेलर्स को मदद करना है, जो बढ़ती डिजिटल और फिनटेक सेवाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

अधिग्रहण के लाभ:

  1. डिजिटल सशक्तिकरण:
    • छोटे रिटेलर्स को डिजिटल टूल्स और फिनटेक सॉल्यूशंस के जरिए सक्षम बनाना।
  2. क्रेडिट और फाइनेंसिंग:
    • Moksha का उद्देश्य है कि छोटे रिटेलर्स को किफायती वित्तीय समाधान प्रदान किए जाएँ, जिससे वे अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें।
  3. डिलीवरी और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार:
    • अधिग्रहण से Moksha अपनी सप्लाई चेन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को और मजबूत बनाएगा।

भविष्य की योजनाएँ:

  • इनोवेशन पर फोकस:
    • नए तकनीकी समाधानों के विकास में निवेश।
  • रिटेलर्स का विस्तार:
    • अगले कुछ वर्षों में छोटे और मझोले रिटेलर्स का बड़ा नेटवर्क तैयार करना।
  • ग्राहक अनुभव को बढ़ाना:
    • रिटेलर्स और उनके ग्राहकों के बीच बेहतर अनुभव सुनिश्चित करना।

भारतीय रिटेल बाजार में प्रभाव

भारत का रिटेल बाजार तेजी से डिजिटल हो रहा है।

  • छोटे रिटेलर्स, जो परंपरागत तौर पर ऑफलाइन व्यवसाय पर निर्भर थे, अब डिजिटल तकनीक के जरिए नए ग्राहक जोड़ सकते हैं।
  • Moksha का यह अधिग्रहण इस दिशा में एक बड़ा कदम है।

बाजार में संभावनाएँ:

  1. छोटे शहरों और कस्बों में विस्तार:
    • Moksha छोटे और मझोले शहरों में डिजिटल और फिनटेक सेवाओं को पहुँचाने पर ध्यान देगा।
  2. ई-कॉमर्स का समर्थन:
    • अधिग्रहण से Moksha छोटे रिटेलर्स को ई-कॉमर्स दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा।

निष्कर्ष

Moksha Group का Arzooo के एसेट्स का अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय रिटेल उद्योग में छोटे व्यवसायों को मजबूत बनाने की दिशा में है। यह कदम छोटे रिटेलर्स को डिजिटल युग के लिए तैयार करेगा और उन्हें प्रतिस्पर्धी बाजार में टिकने में मदद करेगा।

Arzooo के संघर्ष और Moksha के विजन के बीच यह अधिग्रहण भारतीय रिटेल बाजार में बदलाव की शुरुआत का संकेत देता है। Moksha Group की योजनाएँ और नेतृत्व यह सुनिश्चित करेंगे कि छोटे व्यवसाय डिजिटल सशक्तिकरण का अधिकतम लाभ उठा सकें।

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वेल्थ मैनेजमेंट स्टार्टअप Dezerv ने ₹265 करोड़ जुटाए, राजस्व में 160% की वृद्धि

Dezerv

Dezerv, एक वेल्थ मैनेजमेंट स्टार्टअप, ने जुलाई 2024 में सीरीज बी फंडिंग राउंड में ₹265 करोड़ जुटाए। यह निवेश कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और उसके व्यवसाय मॉडल पर निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में कंपनी की आय में शानदार बढ़ोतरी हुई, लेकिन उसके घाटे में भी 95% की वृद्धि देखी गई।


वित्तीय प्रदर्शन: आय में तेज़ी, घाटे में बढ़ोतरी

आय और कुल राजस्व

Dezerv का संचालन राजस्व वित्त वर्ष 2024 में ₹26.25 करोड़ तक पहुँच गया, जो वित्त वर्ष 2023 के ₹10.20 करोड़ से 160% अधिक है।

  • गैर-संचालन आय ₹8 लाख रही, जिससे कुल आय ₹26.33 करोड़ हो गई।

घाटे का विस्तार

हालांकि कंपनी का राजस्व तेजी से बढ़ा, उसके कुल खर्चों में 108.3% की वृद्धि हुई, जो ₹100.84 करोड़ तक पहुँच गया।

  • घाटा वित्त वर्ष 2024 में लगभग दोगुना होकर ₹74.51 करोड़ हो गया।

Dezerv का बिजनेस मॉडल: उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों पर फोकस

Dezerv उन पेशेवरों और उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों (HNIs) को लक्षित करता है, जो अपने निवेश को विशेषज्ञता के साथ प्रबंधित करना चाहते हैं।

मुख्य सेवाएँ:

  1. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS):
    • विशेषज्ञ सलाह के साथ निवेश का प्रबंधन।
    • बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ।
  2. डायरेक्ट बॉन्ड्स:
    • सुरक्षित और स्थिर आय के लिए बॉन्ड में निवेश।
  3. एंजल इन्वेस्टमेंट:
    • स्टार्टअप्स में निवेश के अवसर प्रदान करना।

निवेश सीमा:

Dezerv मुख्य रूप से उन ग्राहकों को लक्षित करता है, जो ₹15 लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक का निवेश कर सकते हैं।


खर्चों का आकलन: कर्मचारी और मार्केटिंग खर्चों का दबदबा

कर्मचारी लाभ खर्च:

Dezerv के कुल खर्चों का सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के लाभ पर गया।

  • यह खर्च वित्त वर्ष 2024 में ₹63.34 करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 113.6% अधिक है।
  • कुल खर्चों में इसका हिस्सा 63% था।

मार्केटिंग पर भारी निवेश:

कंपनी ने ब्रांड बनाने और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग में तीन गुना अधिक निवेश किया।

  • वित्त वर्ष 2024 में यह खर्च ₹18.48 करोड़ रहा।

अन्य खर्च:

  • कानूनी और विविध खर्च: ₹4.13 करोड़।
  • मिश्रित खर्च: ₹14.89 करोड़।

निवेशकों का भरोसा और फंडिंग का महत्व

Dezerv की सीरीज बी फंडिंग का नेतृत्व Premji Invest ने किया, जिसने कंपनी के विकास की संभावनाओं पर भरोसा जताया।

  • ₹265 करोड़ की यह ताज़ा फंडिंग कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे इसे अपने बिजनेस मॉडल को और मज़बूत करने और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने में मदद मिलेगी।
  • इससे पहले, कंपनी ने सीरीज ए फंडिंग के तहत ₹100 करोड़ जुटाए थे।

Dezerv की रणनीति: फंडिंग का उपयोग कहाँ होगा?

कंपनी ने कहा है कि ताज़ा फंडिंग का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाएगा:

  1. तकनीकी उन्नति:
    • बेहतर डिजिटल प्लेटफॉर्म और टूल्स का विकास।
  2. टीम का विस्तार:
    • विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए नए कर्मचारियों की भर्ती।
  3. मार्केटिंग और ब्रांड बिल्डिंग:
    • उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों (HNIs) को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग में निवेश।
  4. नई सेवाओं का विस्तार:
    • निवेश उत्पादों की विविधता बढ़ाने पर ध्यान।

बाजार में Dezerv की स्थिति और प्रतिस्पर्धा

Dezerv भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में तेजी से उभर रहा है।

  • यह स्टार्टअप Groww, Upstox, और Scripbox जैसे बड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करता है।
  • Dezerv का मुख्य फोकस HNI ग्राहकों पर है, जिससे यह खुद को एक प्रीमियम सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित कर रहा है।

उद्योग में अवसर और चुनौतियाँ

अवसर:

  1. HNI निवेशकों की बढ़ती संख्या:
    भारत में उच्च आय वर्ग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे Dezerv को अधिक ग्राहक मिल सकते हैं।
  2. डिजिटल निवेश का चलन:
    निवेश में तकनीक का उपयोग ग्राहकों को आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका बन गया है।
  3. विविध सेवाएँ:
    Dezerv अपने पोर्टफोलियो में एंजल इन्वेस्टमेंट और डायरेक्ट बॉन्ड्स जैसी सेवाएँ जोड़कर खुद को प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है।

चुनौतियाँ:

  1. लागत प्रबंधन:
    बढ़ते खर्चों के कारण घाटे को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    मार्केट में अन्य खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना।
  3. ग्राहकों का विश्वास:
    HNIs को आकर्षित करना और बनाए रखना एक लंबी प्रक्रिया है।

भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण

Dezerv ने वित्त वर्ष 2024 में राजस्व में 160% की वृद्धि के साथ अपनी क्षमता साबित की है।

भविष्य की रणनीतियाँ:

  • ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए सेवाओं का विस्तार।
  • खर्चों को नियंत्रित करके लाभप्रदता हासिल करना।
  • टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के जरिए सेवाओं को बेहतर बनाना।

Dezerv भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।


निष्कर्ष

Dezerv ने कम समय में भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है। ₹265 करोड़ की फंडिंग और तेज़ी से बढ़ते राजस्व के साथ, कंपनी ने विकास की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। हालांकि घाटे को नियंत्रित करना और प्रतिस्पर्धा का सामना करना Dezerv के लिए बड़ी चुनौतियाँ होंगी।

अगर Dezerv अपनी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो यह भारतीय निवेश बाजार में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।

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Blitz 60-मिनट डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने जुटाए ₹51 करोड़,

Blitz

Blitz (पूर्व में ग्रो सिम्पली) ने अपने सीरीज ए फंडिंग दौर में ₹51 करोड़ जुटाए हैं। इस दौर का नेतृत्व आईवीकैप वेंचर्स ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशकों इंडिया क्वोटियंट और अल्टेरिया कैपिटल के साथ प्रमुख एंजल निवेशकों ने भी भाग लिया। इन निवेशकों में Zepto के रमेश बाफना, Snitch के सिद्धार्थ, बेस्टसेलर के सीईओ विनीत गौतम, और अरविंद फैशन के सीईओ अमिताभ सूरी जैसे नाम शामिल हैं।

पिछले साल जुलाई में, ब्लिट्ज ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $3 मिलियन जुटाए थे, जिसमें इंडिया क्वोटियंट, बेटर कैपिटल, फर्स्ट चेक, और टाइटन कैपिटल जैसे निवेशकों ने हिस्सा लिया था।


Blitz की योजनाएं: तेज़ और विश्वसनीय डिलीवरी पर फोकस

Blitz ने इस ताजा फंडिंग का उपयोग अपनी 60-मिनट डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और भारत के 20 प्रमुख शहरों में डार्क स्टोर नेटवर्क का विस्तार करने के लिए करने की योजना बनाई है।

डार्क स्टोर मॉडल क्या है?

डार्क स्टोर ऐसे छोटे गोदाम होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से तेज़ डिलीवरी के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मॉडल ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एक प्रभावी लॉजिस्टिक्स समाधान है, जो उपभोक्ताओं को तेज़ और भरोसेमंद डिलीवरी प्रदान करने में मदद करता है।

ब्लिट्ज का यह मॉडल स्थानीय स्टोर्स और शहरी वेयरहाउस के माध्यम से ब्रांड्स और उपभोक्ताओं को जोड़ता है। इसका उद्देश्य 60-मिनट की डिलीवरी और एक ही दिन में शिपमेंट जैसी सुविधाएं प्रदान करना है।


कंपनी की स्थापना और विकास

ब्लिट्ज की स्थापना 2020 में गौरव पियूष, मयंक वर्शनेय, और यश शर्मा ने की थी।
कंपनी का मुख्य लक्ष्य ई-कॉमर्स क्षेत्र में तेज़ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान करना है।

प्रमुख सेवाएं

  1. 60-मिनट डिलीवरी:
    उपभोक्ताओं को उनके स्थानीय स्टोर्स से उत्पादों की तुरंत डिलीवरी।
  2. सेम-डे शिपमेंट:
    शहरी वेयरहाउस से उसी दिन में उत्पादों की डिलीवरी।
  3. डार्क स्टोर इंफ्रास्ट्रक्चर:
    भारत के प्रमुख शहरों में गोदामों का नेटवर्क तैयार करना।

फंडिंग का महत्व और निवेशकों का दृष्टिकोण

आईवीकैप वेंचर्स का विश्वास

आईवीकैप वेंचर्स ने इस निवेश को लेकर कहा:
“ब्लिट्ज का डार्क स्टोर मॉडल और 60-मिनट डिलीवरी समाधान भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।”

मौजूदा निवेशकों का योगदान

  • इंडिया क्वोटियंट और अल्टेरिया कैपिटल जैसे मौजूदा निवेशकों ने एक बार फिर से ब्लिट्ज में भरोसा जताया है।
  • Zepto, Snitch, और बेस्टसेलर जैसे बड़े नामों ने भी निवेश कर कंपनी के विकास में रुचि दिखाई है।

भारत में तेज़ डिलीवरी का भविष्य

भारत में फास्ट डिलीवरी सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • उपभोक्ता अब उत्पादों की डिलीवरी के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना चाहते।
  • ई-कॉमर्स कंपनियां अपने ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिए तेजी से डिलीवरी मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रही हैं।

ब्लिट्ज का योगदान

ब्लिट्ज का लक्ष्य इस बढ़ती हुई मांग को पूरा करना और भारतीय ई-कॉमर्स सेक्टर में तेज़ और भरोसेमंद लॉजिस्टिक्स का नेतृत्व करना है।


प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां

प्रतिस्पर्धा

ब्लिट्ज को भारत में डुंजो, स्विगी इंस्टामार्ट, और अमेजन जैसे बड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

चुनौतियां

  1. लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर:
    छोटे शहरों में गोदाम और डिलीवरी नेटवर्क स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  2. कॉस्ट मैनेजमेंट:
    60-मिनट की डिलीवरी सुनिश्चित करना लागत-प्रधान हो सकता है।
  3. टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन:
    तेज़ और प्रभावी संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग आवश्यक है।

भविष्य की योजनाएं

राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार

ब्लिट्ज ने अपने डिलीवरी नेटवर्क को भारत के 20 प्रमुख शहरों तक विस्तारित करने की योजना बनाई है।

तकनीकी उन्नति

कंपनी अपने लॉजिस्टिक्स सॉफ़्टवेयर को और बेहतर बनाने पर काम कर रही है।

उपभोक्ता अनुभव पर ध्यान

ब्लिट्ज का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद डिलीवरी प्रदान करना है।


निष्कर्ष

ब्लिट्ज ने अपने अनोखे डार्क स्टोर मॉडल और 60-मिनट डिलीवरी के जरिए भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अपनी जगह बनाई है। ₹51 करोड़ की फंडिंग के साथ, कंपनी अब अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाने और बड़े पैमाने पर विस्तार करने की तैयारी में है।

भारत में बढ़ती फास्ट डिलीवरी की मांग को देखते हुए, ब्लिट्ज का यह कदम सही दिशा में है।
भविष्य में, यह स्टार्टअप ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बन सकता है।

क्या ब्लिट्ज भारत में तेज़ डिलीवरी सेवाओं के लिए नया मानक स्थापित कर पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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Billion Hearts

Mayank Bidawatka, जो कि वर्नाक्यूलर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo के सह-संस्थापक रह चुके हैं, ने अपने नए कंज्यूमर टेक स्टार्टअप Billion Hearts के लिए $4 मिलियन (करीब ₹33 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। यह फंडिंग दौर ब्लूम वेंचर्स के नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें जनरल कैटालिस्ट और अथेरा वेंचर पार्टनर्स ने भी हिस्सा लिया।


Billion Hearts स्टार्टअप का विजन और फंडिंग का उपयोग

Billion Hearts‘ का उद्देश्य एक ऐसा टेक-ड्रिवन प्रोडक्ट विकसित करना है जो वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सके। इस फंडिंग से कंपनी को अपनी तकनीक को उन्नत करने और एक ग्लोबल टीम बनाने में मदद मिलेगी।

टीम का विस्तार

स्टार्टअप का कहना है कि वह एक छोटी लेकिन प्रभावी टीम बनाने पर ध्यान देगा। फिलहाल, कंपनी के पास सीमित कर्मचारी हैं, लेकिन 2024 की शुरुआत तक यह संख्या 15 तक पहुंचाने की योजना है।

पहला प्रोडक्ट

  • ‘बिलियन हार्ट्स’ अपने पहले प्रोडक्ट का बीटा वर्जन अगले साल के शुरुआती महीनों में लॉन्च करेगा।
  • यह ऐप एंड्रॉइड और iPhone दोनों डिवाइस पर उपलब्ध होगा।
  • कंपनी ने इच्छुक यूजर्स के लिए साइन-अप प्रक्रिया शुरू कर दी है।

प्री-सीड फंडिंग में भी मिली थी सफलता

सितंबर 2024 में, ‘बिलियन हार्ट्स’ ने $2.5 लाख (~₹2 करोड़) की प्री-सीड फंडिंग जुटाई थी। इस दौर में रेडबस, ओला, इनमोबी, और मिंत्रा जैसे बड़े स्टार्टअप्स के संस्थापकों ने योगदान दिया।


Koo के बंद होने के बाद मयंक की नई शुरुआत

Koo, जो भारतीय भाषाओं में माइक्रोब्लॉगिंग की सुविधा प्रदान करता था, ने जुलाई 2024 में अपने संचालन को बंद कर दिया।

Koo के विफल होने के प्रमुख कारण:

  1. ट्रैक्शन की कमी:
    Koo को उस स्तर का उपयोगकर्ता आधार नहीं मिल सका, जिसकी उसे उम्मीद थी।
  2. फॉलो-अप इन्वेस्टमेंट की कमी:
    निवेशकों ने आगे फंडिंग देने में रुचि नहीं दिखाई।
  3. मर्जर और एक्विजिशन में असफलता:
    Koo ने अपने संचालन को बनाए रखने के लिए एक मर्जर या अधिग्रहण सौदा खोजने का प्रयास किया, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला।

मयंक का नया दृष्टिकोण

Koo के बंद होने के बावजूद, मयंक ने हार नहीं मानी और ‘बिलियन हार्ट्स’ के जरिए एक नई शुरुआत की है। उनका कहना है कि यह स्टार्टअप एक प्रौद्योगिकी-चालित प्रोडक्ट पर केंद्रित होगा, जो वैश्विक स्तर पर लोगों की जरूरतों को पूरा करेगा।


ब्लूम वेंचर्स और अन्य निवेशकों का दृष्टिकोण

ब्लूम वेंचर्स, जो भारतीय स्टार्टअप्स के शुरुआती चरणों में निवेश करने के लिए जाना जाता है, ने ‘बिलियन हार्ट्स’ में अपना विश्वास जताया है।

जनरल कैटालिस्ट और अथेरा वेंचर पार्टनर्स जैसे प्रमुख निवेशकों का शामिल होना भी इस बात का संकेत है कि यह स्टार्टअप अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट है।

ब्लूम वेंचर्स के एक प्रतिनिधि ने कहा:
“बिलियन हार्ट्स एक ऐसी संभावना है जो न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक उपभोक्ताओं को एक बेहतर अनुभव प्रदान करेगी। मयंक का नेतृत्व और उनकी टेक इनोवेशन में विशेषज्ञता इसे एक मजबूत स्टार्टअप बनाएगी।”


भारतीय कंज्यूमर टेक स्टार्टअप्स का बढ़ता प्रभाव

भारत में कंज्यूमर टेक स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल तकनीक और इंटरनेट की गहरी पैठ ने उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए नए रास्ते खोले हैं।

बिलियन हार्ट्स का स्थान

‘बिलियन हार्ट्स’ एक ऐसे सेगमेंट में प्रवेश कर रहा है, जहां नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव पर मुख्य फोकस है। कंपनी का कहना है कि वह एक ऐसा प्रोडक्ट लॉन्च करेगी जो न केवल उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि उन्हें नया अनुभव भी देगा।

चुनौतियां और अवसर

  • चुनौतियां:
    1. तेज प्रतिस्पर्धा: भारतीय और वैश्विक बाजारों में कई स्थापित खिलाड़ी पहले से मौजूद हैं।
    2. उपयोगकर्ता अधिग्रहण: नए स्टार्टअप्स के लिए उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतना कठिन हो सकता है।
  • अवसर:
    1. निवेशकों का समर्थन: मजबूत निवेशकों का साथ होना इस स्टार्टअप के लिए एक बड़ी ताकत है।
    2. तकनीकी नवाचार: एक प्रौद्योगिकी-चालित प्रोडक्ट होने के नाते, ‘बिलियन हार्ट्स’ नई संभावनाएं पैदा कर सकता है।

भविष्य की योजनाएं

‘बिलियन हार्ट्स’ का मुख्य फोकस अपनी तकनीक को बेहतर बनाने और उपयोगकर्ताओं को एक अनूठा अनुभव प्रदान करने पर होगा।

  1. वैश्विक विस्तार:
    कंपनी का उद्देश्य न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाना है।
  2. छोटी और कुशल टीम:
    बड़ी टीम बनाने के बजाय, कंपनी एक छोटे और प्रभावी टीम मॉडल पर काम करेगी।
  3. टेक्नोलॉजी इनोवेशन:
    नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके एक ऐसा उत्पाद तैयार करना, जो उपयोगकर्ताओं की समस्याओं का समाधान करे।

निष्कर्ष

मयंक बिडावटका ने ‘Koo’ के अनुभव से सीखते हुए, ‘बिलियन हार्ट्स’ के जरिए एक नई शुरुआत की है। शुरुआती फंडिंग और निवेशकों के समर्थन के साथ, यह स्टार्टअप अपनी तकनीक और उपयोगकर्ता अनुभव के जरिए बाजार में अलग पहचान बनाने की कोशिश करेगा।

भले ही चुनौतियां सामने हों, लेकिन ‘बिलियन हार्ट्स’ की रणनीति और मयंक का अनुभव इसे एक संभावित सफलता की ओर ले जा सकता है।

क्या ‘बिलियन हार्ट्स’ भारतीय टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम में नई क्रांति ला पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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Ferns N Petals: FY24 में 16% की राजस्व वृद्धि, घाटा 77% तक घटा

Ferns N Petals

भारत के अग्रणी गिफ्टिंग ब्रांड Ferns N Petals (FNP) ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपनी ऑपरेटिंग आय में 16% की वृद्धि दर्ज की, जबकि इसी अवधि में अपने घाटे को 77% तक कम करने में सफलता प्राप्त की। यह कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, खासकर वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) के फ्लैट प्रदर्शन के बाद।


FNP वित्तीय प्रदर्शन में सुधार

FY24 में Ferns N Petals (FNP) की ऑपरेटिंग आय बढ़कर ₹705.4 करोड़ हो गई, जो FY23 में ₹607.3 करोड़ थी। यह वृद्धि कंपनी की प्रोडक्ट सेल्स, डिलीवरी चार्ज, और फ्रैंचाइज़-आधारित आय में सुधार के कारण संभव हुई।

मुख्य राजस्व स्रोत

  1. केक, फूल और गिफ्टिंग सॉल्यूशंस:
    कंपनी की ऑपरेटिंग आय में 91% योगदान के साथ, केक, फूल और कस्टमाइज्ड गिफ्ट्स की बिक्री इसका मुख्य स्तंभ है। FY24 में, इन उत्पादों की बिक्री 15% बढ़कर ₹640.75 करोड़ हो गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष में ₹556.18 करोड़ थी।
  2. डिलीवरी और अन्य चार्जेस:
    डिलीवरी चार्ज से आय में 40% की वृद्धि हुई, जो FY23 में ₹32.23 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹45.12 करोड़ हो गई।
  3. फ्रैंचाइज़-आधारित आय:
    कंपनी ने फ्रैंचाइज़ी से संबंधित आय, जिसमें वन-टाइम ऑनबोर्डिंग फीस और मासिक रॉयल्टी शामिल हैं, के माध्यम से भी अच्छा प्रदर्शन किया।

कंपनी का बिजनेस मॉडल

Ferns N Petals अपने उत्पादों और सेवाओं को निम्नलिखित चैनलों के माध्यम से प्रदान करती है:

  1. वेबसाइट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म:
    कंपनी अपनी वेबसाइट और थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म (जैसे Amazon और Flipkart) के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाती है।
  2. स्टोर्स और फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क:
    भारत में 400 से अधिक स्टोर्स और 100 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान करने वाली यह कंपनी व्यापक फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क के जरिए ग्राहकों को सेवा देती है।
  3. कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग:
    फर्न्स एन पेटल्स की प्रमुख सेवाओं में कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग सॉल्यूशंस शामिल हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती हैं।

खर्चों में कमी और मुनाफे की ओर कदम

कंपनी के FY24 के प्रदर्शन का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसकी लागत संरचना में सुधार है। फर्न्स एन पेटल्स ने अपने घाटे को 77% तक घटाकर मुनाफे की ओर बढ़ने का संकेत दिया।

प्रमुख बदलाव:

  1. लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल खर्चों में कटौती:
    डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स खर्चों को नियंत्रित करने में सफलता मिली, जिससे कंपनी की कुल लागत में कमी आई।
  2. फ्रैंचाइज़ मॉडल का प्रभावी उपयोग:
    फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क से प्राप्त रॉयल्टी और अन्य शुल्कों ने ऑपरेशनल खर्चों को संतुलित करने में मदद की।
  3. डिजिटल सेल्स का योगदान:
    ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मजबूत उपस्थिति ने पारंपरिक स्टोर्स पर निर्भरता को कम किया।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विस्तार

फर्न्स एन पेटल्स न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है। कंपनी का दावा है कि वह 100 से अधिक देशों में सक्रिय है।

घरेलू बाजार:

भारत में 400 से अधिक स्टोर्स के साथ, कंपनी ने छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक भी अपनी पहुंच बनाई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार:

कंपनी की ग्लोबल सर्विस, विशेष रूप से विशेष अवसरों और त्योहारों के लिए, इसे अन्य गिफ्टिंग ब्रांड्स से अलग बनाती है।


उद्योग में फर्न्स एन पेटल्स का स्थान

फर्न्स एन पेटल्स भारतीय गिफ्टिंग इंडस्ट्री में एक प्रमुख खिलाड़ी है। कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग और फूलों की डिलीवरी के क्षेत्र में इसका योगदान इसे प्रतिस्पर्धी बाजार में अग्रणी बनाता है।

गिफ्टिंग उद्योग की संभावनाएं

भारत में गिफ्टिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर त्योहारों, शादियों और विशेष अवसरों के दौरान। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और कस्टमाइज्ड सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ, फर्न्स एन पेटल्स को अपने विस्तार के लिए बड़ा अवसर प्राप्त हो रहा है।


भविष्य की योजनाएं

कंपनी ने FY24 में अपनी सफलता के बाद, FY25 के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई हैं:

  1. डिजिटल और टेक्नोलॉजी निवेश:
    अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप को और अधिक यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए निवेश करना।
  2. स्टोर्स का विस्तार:
    नए शहरों और कस्बों में स्टोर्स खोलकर अपनी उपस्थिति को बढ़ाना।
  3. कस्टमर एक्सपीरियंस पर ध्यान:
    व्यक्तिगत गिफ्टिंग सेवाओं और तेज़ डिलीवरी पर फोकस करना।

निष्कर्ष

फर्न्स एन पेटल्स ने FY24 में अपनी आय और लागत संरचना दोनों में महत्वपूर्ण सुधार किया है। कंपनी ने न केवल राजस्व में 16% की वृद्धि दर्ज की है, बल्कि अपने घाटे को भी 77% तक कम कर लिया है।

डिजिटल गिफ्टिंग, कस्टमाइजेशन और व्यापक फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क के साथ, कंपनी भारतीय गिफ्टिंग उद्योग में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। फर्न्स एन पेटल्स का भविष्य उज्जवल दिखता है, और इसके नवाचार और विस्तार की योजनाएं इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती हैं।

क्या फर्न्स एन पेटल्स FY25 में मुनाफे का लक्ष्य हासिल कर पाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।

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