Treebo Hotels FY24 में ₹100 करोड़ के राजस्व को पार करने के बाद भी घाटे में वृद्धि

Treebo Hotels

Treebo Hotels, जो एक प्रीमियम-बजट होटल चेन है, ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में ₹100 करोड़ के राजस्व का मील का पत्थर पार कर लिया। हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद, कंपनी के घाटे में 17% की वृद्धि हुई, जिससे कुल संचयी घाटा ₹488 करोड़ हो गया।


Treebo Hotels ऑपरेशनल राजस्व में 22.5% की वृद्धि

Treebo Hotels का ऑपरेशनल राजस्व FY24 में ₹109 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष (FY23) में ₹89 करोड़ था।

मुख्य राजस्व स्रोत

  1. आवास सेवाएँ (लीज और प्रबंधित प्रॉपर्टीज)
    • यह श्रेणी कुल ऑपरेशनल राजस्व का 95% योगदान करती है।
    • FY24 में इनसे आय 22.3% बढ़कर ₹104 करोड़ हो गई, जो FY23 में ₹85 करोड़ थी।
  2. अन्य आय स्रोत
    • शेष आय उत्पादों की बिक्री और सब्सक्रिप्शन सेवाओं से हुई।
    • गैर-परिचालन आय से ₹7.22 करोड़ जोड़े गए, जिससे Treebo Hotels की कुल आय FY24 में ₹116 करोड़ हो गई, जो FY23 में ₹94 करोड़ थी।

खर्चों में 22% की वृद्धि

Treebo Hotels का कुल खर्च FY24 में 22% बढ़कर ₹144 करोड़ हो गया, जो FY23 में ₹118 करोड़ था।

मुख्य खर्च श्रेणियाँ

  1. कर्मचारी लाभ खर्च
    • यह Treebo Hotels का सबसे बड़ा खर्च है, जो कुल खर्च का 41% है।
    • FY24 में कर्मचारी लाभ खर्च 7% बढ़कर ₹59 करोड़ हो गया।
  2. विज्ञापन और कमीशन खर्च
    • विज्ञापन खर्च: FY24 में यह 70% बढ़कर ₹17 करोड़ हो गया।
    • कमीशन खर्च: इसमें 48% की वृद्धि हुई, जो ₹43 करोड़ पर पहुँच गया।
  3. अन्य खर्च
    • कच्चे माल की लागत, कानूनी खर्च, तकनीकी खर्च, यात्रा खर्च, और अन्य ओवरहेड्स ने कुल खर्च में वृद्धि की।

लागत-कटौती के बावजूद घाटा बढ़ा

Treebo Hotels ने FY24 में घाटे में 17% की वृद्धि दर्ज की।

कारण

  1. खर्चों में तेज वृद्धि:
    • विज्ञापन, कमीशन, और ओवरहेड्स में भारी वृद्धि।
  2. अभी भी मुनाफे की स्थिति से दूर:
    • Treebo Hotels का कुल घाटा ₹488 करोड़ तक पहुँच गया।

Treebo Hotels का ऑपरेशनल मॉडल

Treebo Hotels, बेंगलुरु स्थित एक प्रीमियम-बजट होटल चेन, का व्यवसाय मॉडल लीज पर ली गई और प्रबंधित प्रॉपर्टीज पर आधारित है।

सेवाएँ और ऑफरिंग्स

  • आवास सेवाएँ: प्रमुख राजस्व स्रोत।
  • सब्सक्रिप्शन मॉडल: ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिए।
  • डिजिटल रणनीति: टेक्नोलॉजी के जरिए होटल बुकिंग को सरल बनाना।

Treebo Hotels का FY24 प्रदर्शन: एक सारांश

श्रेणीFY23FY24परिवर्तन (%)
ऑपरेशनल राजस्व₹89 करोड़₹109 करोड़+22.5%
कुल आय₹94 करोड़₹116 करोड़+23.4%
कुल खर्च₹118 करोड़₹144 करोड़+22%
घाटा17% की वृद्धि

Treebo Hotels का भविष्य

Treebo Hotels ने FY24 में राजस्व वृद्धि के बावजूद घाटे को प्रबंधित करने में कठिनाई का सामना किया।

भविष्य की रणनीतियाँ

  1. लागत-प्रबंधन पर ध्यान
    • विज्ञापन और कमीशन खर्चों को नियंत्रित करना।
  2. राजस्व विविधीकरण
    • सब्सक्रिप्शन सेवाओं और नए आय स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करना।
  3. क्षेत्रीय विस्तार
    • नए शहरों और बाजारों में विस्तार।
  4. तकनीकी निवेश
    • डिजिटल बुकिंग और कस्टमर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाना।

चुनौतियाँ और अवसर

  • चुनौतियाँ: बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बढ़ते खर्च।
  • अवसर: बजट होटल श्रेणी में बढ़ती माँग।

Treebo Hotels: FY24 का एक निष्कर्ष

Treebo Hotels का FY24 प्रदर्शन वृद्धि और चुनौतियों का मिश्रण था।

  • सकारात्मक पहलू:
    • राजस्व में वृद्धि और ₹100 करोड़ का मील का पत्थर।
  • चिंताजनक पहलू:
    • घाटे में वृद्धि और खर्चों का उच्च स्तर।

Treebo Hotels ने FY24 में ₹100 करोड़ के राजस्व को पार करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, लेकिन घाटे में वृद्धि और खर्चों की चुनौती ने कंपनी की स्थिरता पर सवाल खड़े किए। Treebo का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि यह कैसे अपनी लागत-कटौती रणनीतियों को लागू करता है और नए आय स्रोतों से लाभ उठाता है।

क्या Treebo अगले वित्तीय वर्ष में मुनाफा कमा सकेगा?

Treebo की रणनीतिक योजनाएँ और ऑपरेशनल सुधार यह तय करेंगे कि कंपनी FY25 में लाभप्रदता हासिल कर पाती है या नहीं।

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Chaayos FY24 में 50% घाटे में कमी, राजस्व में मामूली वृद्धि

Chaayos

पिछले 18-20 महीनों में भारतीय स्टार्टअप्स, खासकर ग्रोथ और लेट-स्टेज स्टार्टअप्स, ने मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है। कैश बर्न में कमी के कारण कई कंपनियों ने अपने घाटे को कम करने में सफलता पाई है, लेकिन उनके परिचालन विस्तार पर असर पड़ा है। इसी प्रवृत्ति का पालन करते हुए, Chaayos ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में 50% से अधिक घाटे में कमी दर्ज की, हालांकि इसका ऑपरेशनल स्केल लगभग स्थिर रहा।


Chaayos राजस्व में मामूली वृद्धि

Chaayos का ऑपरेशनल राजस्व FY24 में 4.85% बढ़कर ₹248.5 करोड़ हो गया, जो FY23 में ₹237 करोड़ था।

मुख्य राजस्व स्रोत

  1. निर्मित वस्तुओं की बिक्री
    • कंपनी की 95.32% आय चाय जैसी उत्पादित वस्तुओं की बिक्री से होती है।
    • इस श्रेणी का राजस्व FY24 में 3.1% बढ़कर ₹236.87 करोड़ हो गया।
  2. विक्रय वस्तुओं की आय (स्नैक्स, चाय पत्ती)
    • इस श्रेणी में लगभग 98.52% की वृद्धि दर्ज की गई, जो ₹10.74 करोड़ रही।
  3. सेवाओं से आय
    • सेवाओं से आय में 51.89% की गिरावट आई, जो ₹0.89 करोड़ रही।

कुल आय

गैर-परिचालन स्रोतों से ₹22.7 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई, जिससे चायोस की कुल आय FY24 में ₹271.2 करोड़ हो गई।


खर्चों में कमी

चायोस ने FY24 में अपने कुल खर्चों में 11.07% की कमी की। FY23 में कुल खर्च ₹365.68 करोड़ था, जो FY24 में घटकर ₹325.21 करोड़ रह गया।

मुख्य खर्च श्रेणियाँ

  1. कर्मचारी लाभ खर्च
    • यह चायोस का सबसे बड़ा खर्च रहा, जो FY24 में 4.45% बढ़कर ₹81.15 करोड़ हो गया।
  2. कच्चे माल की लागत
    • FY24 में कच्चे माल की लागत 11% घटकर ₹76.54 करोड़ हो गई।
  3. मिश्रित खर्च
    • FY24 में ₹89.69 करोड़ रहा।
  4. कमीशन खर्च
    • कमीशन खर्च में 4.62% की गिरावट आई, जो ₹26 करोड़ रहा।
  5. अवमूल्यन खर्च (डिप्रिशिएशन)
    • यह खर्च स्थिर रहा और FY24 में ₹51.83 करोड़ दर्ज किया गया।

50% घाटे में कमी

FY24 में चायोस ने अपने कुल खर्च को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करके घाटे में 50% से अधिक की कमी की।

घाटे में कमी का कारण

  1. लागत-कटौती रणनीतियाँ
  2. कैश बर्न में कमी
  3. विक्रय वस्तुओं के राजस्व में वृद्धि

चायोस का परिचालन मॉडल

चायोस ग्राहकों को डाइन-इन, टेकअवे, और ऑनलाइन ऑर्डरिंग की सुविधा प्रदान करता है। कंपनी का व्यवसाय मॉडल चाय और स्नैक्स जैसे उत्पादों की बिक्री पर केंद्रित है।

उपस्थिति और विस्तार

  • चायोस के पास दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, और बेंगलुरु सहित 200 से अधिक आउटलेट्स हैं।
  • हालांकि FY24 में कंपनी का ऑपरेशनल स्केल स्थिर रहा, लेकिन लागत में कमी ने इसे वित्तीय रूप से अधिक स्थिर बनाया।

FY24 का प्रदर्शन: एक सारांश

श्रेणीFY23FY24परिवर्तन (%)
ऑपरेशनल राजस्व₹237 करोड़₹248.5 करोड़+4.85%
कुल आय₹259.7 करोड़₹271.2 करोड़+4.43%
कुल खर्च₹365.68 करोड़₹325.21 करोड़-11.07%
घाटा50% से अधिक कमी

चायोस का भविष्य

चायोस ने FY24 में अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर करने और घाटे को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया।

भविष्य की रणनीतियाँ

  1. व्यवसाय में विस्तार
    • नए शहरों और लोकेशन्स में आउटलेट्स खोलना।
  2. विकसित उत्पाद पोर्टफोलियो
    • नई चाय और स्नैक्स वेरायटीज़ लॉन्च करना।
  3. ऑनलाइन ऑर्डरिंग और टेक्नोलॉजी पर जोर
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म को मजबूत बनाना।

चुनौतियाँ और अवसर

  • चुनौतियाँ: प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएँ।
  • अवसर: नए क्षेत्रों में विस्तार, उत्पाद विविधीकरण।

निष्कर्ष

चायोस का FY24 में प्रदर्शन मुनाफे की ओर एक सकारात्मक कदम था।

  • राजस्व में मामूली वृद्धि के साथ, लागत में कमी ने कंपनी को घाटे से उबरने में मदद की।
  • भविष्य में, चायोस का फोकस व्यवसाय विस्तार और उत्पाद नवाचार पर होगा।

चायोस का वित्तीय प्रदर्शन यह दर्शाता है कि भारतीय स्टार्टअप्स, विशेषकर उपभोक्ता केंद्रित कंपनियाँ, कैसे मुनाफे को प्राथमिकता देकर लंबी अवधि के लिए स्थिरता हासिल कर सकती हैं।

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Snapdeal FY24 में लागत कटौती से घाटे में 88% की कमी, राजस्व में मामूली वृद्धि

Snapdeal

भारत की प्रमुख ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस Snapdeal ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में मजबूत प्रदर्शन किया। कंपनी की लागत कटौती पहल और रणनीतिक सुधारों ने उसके एडजस्टेड EBITDA घाटे को 88% तक घटा दिया। FY23 में यह घाटा 144 करोड़ रुपये था, जो FY24 में घटकर मात्र 16 करोड़ रुपये रह गया। इसके अलावा, कंपनी ने ऑपरेटिंग कैश फ्लो में भी सुधार किया।


Snapdeal राजस्व में मामूली वृद्धि

Snapdeal ने FY24 में ऑपरेटिंग राजस्व में 2.1% की वृद्धि दर्ज की। FY23 में 371.96 करोड़ रुपये के मुकाबले यह आंकड़ा FY24 में बढ़कर 379.76 करोड़ रुपये हो गया।

मुख्य राजस्व स्रोत

कंपनी का राजस्व मुख्य रूप से तीन स्रोतों से आता है:

  1. मार्केटिंग सेवाएँ
    • FY24 में, यह सबसे बड़ा राजस्व स्रोत बना, जिससे 252.55 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
    • हालांकि, FY23 की तुलना में इसमें 9.6% की गिरावट दर्ज की गई।
  2. ई-कॉमर्स इनेबलमेंट सेवाएँ
    • प्लेटफॉर्म पर वैल्यू-फोकस्ड विक्रेताओं की बढ़ती संख्या के कारण यह राजस्व 14.8% बढ़कर 103.36 करोड़ रुपये हो गया।
  3. अन्य स्रोत
    • अन्य स्रोतों से आय में 8 गुना वृद्धि हुई, जो FY24 में 23.85 करोड़ रुपये रही।

कुल खर्च में 21.4% की कमी

स्नैपडील ने FY24 में कई क्षेत्रों में लागत-कटौती रणनीतियाँ अपनाईं, जिससे कुल खर्च में महत्वपूर्ण कमी आई। FY23 में कंपनी का कुल खर्च 687.93 करोड़ रुपये था, जो FY24 में 21.4% घटकर 540.76 करोड़ रुपये रह गया।

मुख्य क्षेत्रों में लागत में कटौती

  1. कर्मचारी लाभ खर्च
    • FY24 में कर्मचारी लाभ पर खर्च 48.5% घटकर 158.4 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 307.53 करोड़ रुपये था।
  2. विज्ञापन और प्रमोशनल खर्च
    • कंपनी ने FY24 में विज्ञापन और प्रचार पर खर्च में 23.5% की कमी की, जो FY23 के 91.99 करोड़ रुपये से घटकर 70.37 करोड़ रुपये रह गया।
  3. अन्य खर्च
    • स्नैपडील ने कई अन्य श्रेणियों में भी खर्च में कमी की, जिससे कंपनी को अपने घाटे को कम करने में मदद मिली।

EBITDA घाटे में 88% की कमी

स्नैपडील के एडजस्टेड EBITDA घाटे में बड़ी गिरावट देखी गई। FY23 में यह घाटा 144 करोड़ रुपये था, जबकि FY24 में यह केवल 16 करोड़ रुपये रह गया।

कैसे संभव हुआ यह सुधार?

  • लागत-कटौती पहल
  • राजस्व के विविध स्रोतों पर ध्यान केंद्रित
  • स्मार्ट ऑपरेटिंग मॉडल

स्नैपडील का रणनीतिक फोकस

स्नैपडील ने अपनी व्यापारिक रणनीतियों को मजबूत करने और लागत-प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए।

  1. वैल्यू-फोकस्ड विक्रेताओं पर जोर
    • ई-कॉमर्स इनेबलमेंट सेवाओं में वृद्धि इस बात का संकेत है कि स्नैपडील ने विक्रेताओं के साथ बेहतर तालमेल बनाया है।
  2. लागत में सुधार और प्रबंधन
    • लागत में कटौती के उपायों ने न केवल घाटे को कम किया, बल्कि कंपनी को अधिक स्थिर वित्तीय स्थिति में पहुँचाया।
  3. अन्य आय स्रोतों का विकास
    • अन्य स्रोतों से राजस्व में 8 गुना वृद्धि यह दर्शाती है कि कंपनी अपने राजस्व स्रोतों को विविध बना रही है।

ई-कॉमर्स सेक्टर में स्नैपडील की स्थिति

भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, और स्नैपडील ने अपनी वैल्यू-फोकस्ड रणनीति से खुद को इस प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाए रखा है।

चुनौतियाँ और अवसर

  • चुनौतियाँ: फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा।
  • अवसर: छोटे और मध्यम विक्रेताओं के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करके बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करना।

भविष्य की योजनाएँ

  • स्नैपडील का फोकस भविष्य में लागत में और कमी लाने और ग्राहक अनुभव में सुधार करने पर रहेगा।
  • कंपनी वैल्यू-फोकस्ड उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को अधिक सेवाएँ प्रदान करने की योजना बना रही है।

FY24 का वित्तीय प्रदर्शन: एक सारांश

श्रेणीFY23FY24परिवर्तन (%)
ऑपरेटिंग राजस्व₹371.96 करोड़₹379.76 करोड़+2.1%
मार्केटिंग सेवाएँ राजस्व₹279.41 करोड़₹252.55 करोड़-9.6%
इनेबलमेंट राजस्व₹90.02 करोड़₹103.36 करोड़+14.8%
अन्य स्रोतों का राजस्व₹2.85 करोड़₹23.85 करोड़+736%
कुल खर्च₹687.93 करोड़₹540.76 करोड़-21.4%
EBITDA घाटा₹144 करोड़₹16 करोड़-88%

निष्कर्ष

FY24 में स्नैपडील ने अपने वित्तीय प्रदर्शन में स्थिरता और सुधार दिखाया।

  • लागत-कटौती पहल ने कंपनी को घाटा कम करने में मदद की।
  • वैल्यू-फोकस्ड रणनीति और विकासशील राजस्व स्रोतों ने स्नैपडील को एक मजबूत स्थिति में पहुँचाया।

भविष्य में, स्नैपडील की योजनाएँ इसे भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगी। कंपनी का उद्देश्य ग्राहकों और विक्रेताओं को बेहतर सेवाएँ प्रदान करते हुए वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है।

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NumberOne Academy SME उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए 3 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया

NumberOne Academy

NumberOne Academy, जो SME (छोटे और मझोले उद्योग) उद्यमियों को सक्षम बनाने के लिए एक प्लेटफॉर्म है, ने 3 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है। यह प्री-सीड फंडिंग दौर T.I.G.E.R संतोष नायर की अगुवाई में पूरा हुआ।

NumberOne Academy पहले भी जुटाई थी 1 करोड़ रुपये की फंडिंग

NumberOne Academy ने इससे पहले दिसंबर 2023 में इसी दौर के तहत 1 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने इस फंड का उपयोग अपने व्यापार पाठ्यक्रमों के विस्तार और SME समुदाय के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म बनाने में किया।

फंड का उपयोग

कंपनी ने बताया कि इस बार जुटाई गई राशि का उपयोग निम्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

  1. हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में व्यापार पाठ्यक्रमों का विस्तार।
  2. नंबरवन एकेडमी को वर्चुअल बिजनेस कोच में बदलने के लिए नई तकनीकों का विकास।
  3. SME उद्यमियों के लिए अधिक इंटरएक्टिव और व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान करना।

नंबरवन एकेडमी: एक संक्षिप्त परिचय

2022 में स्थापित, नंबरवन एकेडमी को लजेश कोलाथ और मधु भास्करन ने सह-स्थापित किया। यह प्लेटफॉर्म SME उद्यमियों को व्यवसायिक कौशल और तकनीकी क्षमताओं में निपुण बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पाठ्यक्रम और सेवाएँ

  • नंबरवन एकेडमी 25 से अधिक अनुभवी बिजनेस कोच द्वारा तैयार किए गए 60+ पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • इन पाठ्यक्रमों में वृद्धि रणनीतियाँ, बिक्री, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, वित्त, मानव संसाधन (HR), संचालन और प्रौद्योगिकी जैसे विषय शामिल हैं।
  • कंपनी ने एक AI-संचालित प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो ऑनलाइन और इन-पर्सन वर्कशॉप्स का संयोजन प्रस्तुत करता है।
  • यह हाइब्रिड शिक्षण मॉडल विभिन्न प्रकार के शिक्षार्थियों की जरूरतों को पूरा करता है।

SME उद्यमियों के लिए एक गेम-चेंजर

भारत में SME सेक्टर को सशक्त बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रशिक्षण और ज्ञान का अभाव

कई SME उद्यमियों को व्यवसाय प्रबंधन और नवीन तकनीकों का पर्याप्त ज्ञान नहीं होता। नंबरवन एकेडमी इस कमी को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।

  • यह प्लेटफॉर्म उद्यमियों को उनकी व्यापारिक रणनीतियों को बेहतर बनाने और तकनीकी कौशल विकसित करने में मदद करता है।
  • क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराकर, यह ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के व्यवसायियों तक पहुँच बना रहा है।

AI-संचालित वर्चुअल बिजनेस कोच

नंबरवन एकेडमी का आगामी लक्ष्य इसे एक वर्चुअल बिजनेस कोच में बदलना है।

यह कैसे काम करेगा?

  • AI तकनीक आधारित यह कोच उद्यमियों को उनके व्यवसाय से संबंधित व्यक्तिगत सुझाव और रणनीतियाँ प्रदान करेगा।
  • यह प्लेटफॉर्म डेटा-विश्लेषण के माध्यम से वास्तविक समय सलाह और समस्याओं का समाधान करेगा।
  • SME मालिक अपने व्यवसाय में सुधार के लिए त्वरित और सटीक सुझाव प्राप्त कर सकेंगे।

फंडिंग से प्राप्त लाभ

प्री-सीड फंडिंग से नंबरवन एकेडमी को निम्नलिखित क्षेत्रों में लाभ मिलेगा:

  1. व्यापक पाठ्यक्रम संग्रह: विभिन्न भाषाओं में और अधिक पाठ्यक्रम जोड़ना।
  2. उन्नत तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर: AI और डेटा-विश्लेषण टूल का विकास।
  3. SME समुदाय को जोड़ना: अधिक वर्कशॉप और सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन।
  4. ग्रामीण और क्षेत्रीय क्षेत्रों तक विस्तार: भारत के हर कोने में अपनी सेवाएँ पहुँचाना।

हाइब्रिड मॉडल की ताकत

नंबरवन एकेडमी का हाइब्रिड शिक्षण मॉडल इसे अन्य प्लेटफॉर्म से अलग बनाता है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म

  • SME उद्यमियों को कहीं भी, कभी भी सीखने की सुविधा।
  • व्यवसाय प्रबंधन और तकनीकी कौशल में सुधार के लिए स्वयं-निर्देशित पाठ्यक्रम

इन-पर्सन वर्कशॉप्स

  • व्यावहारिक अनुभव और विशेषज्ञों से सीधे बातचीत का मौका।
  • सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से नेटवर्किंग का अवसर।

नंबरवन एकेडमी की भूमिका

नंबरवन एकेडमी न केवल एक एडटेक प्लेटफॉर्म है, बल्कि यह SME उद्यमियों के लिए एक सशक्तिकरण मंच भी है।

  • यह प्लेटफॉर्म उद्यमियों को संपन्न और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है।
  • इसके कोर्स केवल व्यावसायिक कौशल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह नेतृत्व कौशल, मानसिकता विकास, और व्यक्तिगत विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

भारत में SME सेक्टर का भविष्य

भारत में SME सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और इसमें प्रौद्योगिकी का योगदान महत्वपूर्ण है।

  • नंबरवन एकेडमी जैसी पहलें उद्यमियों को बदलते व्यावसायिक परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद कर रही हैं।
  • डिजिटलीकरण, कौशल विकास, और स्थानीय भाषा में शिक्षा जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके, यह प्लेटफॉर्म SME क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष

नंबरवन एकेडमी ने SME उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।

  • 3 करोड़ रुपये की प्री-सीड फंडिंग से यह कंपनी अपने पाठ्यक्रमों और सेवाओं का विस्तार करने के लिए तैयार है।
  • इसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा, AI-आधारित कोचिंग, और व्यापक सामुदायिक नेटवर्क के माध्यम से भारत में SME क्षेत्र को सशक्त बनाना है।
  • भविष्य में, नंबरवन एकेडमी भारतीय SME सेक्टर के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद रखता है।

नंबरवन एकेडमी की यात्रा SME उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक और बदलावकारी साबित हो सकती है।

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Pristyn Care FY24 में राजस्व 32.7% बढ़कर 600 करोड़ रुपये पार

Pristyn Care

सर्जरी-केंद्रित हेल्थकेयर चेन Pristyn Care ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में 600 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दर्ज किया। टाइगर ग्लोबल समर्थित इस कंपनी ने अपने संचालन का विस्तार करते हुए अपने घाटे को स्थिर बनाए रखा।

Pristyn Care सर्जरी और हेल्थकेयर सेवाओं का बढ़ता दायरा

Pristyn Care का मुख्य व्यवसाय मॉडल फुल-स्टैक है, जहां कंपनी अपने क्लीनिक स्थापित करती है और सर्जरी प्रदान करने के लिए थर्ड-पार्टी अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करती है।

  • FY24 में, प्रिस्टिन केयर की संचालन से आय 32.7% बढ़कर 601 करोड़ रुपये हो गई, जो FY23 में 453 करोड़ रुपये थी।
  • कंपनी का संचालन 30 से अधिक शहरों में फैला हुआ है, जहां यह 100 से अधिक क्लीनिक संचालित करती है और 200 से अधिक पार्टनर अस्पतालों में मरीजों का इलाज करती है।

राजस्व के प्रमुख स्रोत

प्रिस्टिन केयर के राजस्व का बड़ा हिस्सा सर्जरी और हेल्थकेयर सेवाओं से आता है। FY24 में:

  • हेल्थकेयर सेवाओं की बिक्री से 57.5% (346 करोड़ रुपये) का योगदान रहा।
  • शेष राजस्व कंपनी के D2C उत्पाद (ब्रांड: beatXp) से आया, जिसमें 2.5 गुना वृद्धि के साथ 267 करोड़ रुपये का योगदान हुआ।
  • इसके अलावा, गैर-संचालन गतिविधियों (non-operating activities) से 31 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ, जिससे कुल आय 632 करोड़ रुपये हो गई। FY23 में यह 494 करोड़ रुपये थी।

D2C उत्पाद: beatXp की सफलता

प्रिस्टिन केयर का D2C ब्रांड beatXp तेजी से बढ़ रहा है और कंपनी के कुल राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

  • FY24 में, इस श्रेणी में 2.5 गुना वृद्धि हुई।
  • स्मार्ट हेल्थकेयर उत्पादों जैसे फिटनेस ट्रैकर्स, मसाज गन्स, और अन्य वेलनेस डिवाइस के कारण beatXp का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा।
  • यह वृद्धि कंपनी के मल्टी-चैनल बिक्री दृष्टिकोण और तेजी से बढ़ते हेल्थकेयर उपकरण बाजार की ओर इशारा करती है।

कंपनी की स्थिरता और चुनौतियाँ

प्रिस्टिन केयर ने FY24 में अपने संचालन का विस्तार तो किया, लेकिन घाटे को नियंत्रित रखने में सफलता पाई।

  • कंपनी ने उच्च परिचालन लागत, टेक्नोलॉजी अपग्रेड, और कर्मचारी लाभ खर्चों के बावजूद अपने घाटे को स्थिर रखा।
  • हालाँकि, प्रतिस्पर्धा बढ़ने और सर्जरी-केंद्रित बाजार में उच्च ग्राहक अधिग्रहण लागत जैसी चुनौतियाँ सामने हैं।

प्रिस्टिन केयर का बाजार में प्रभाव

हेल्थकेयर स्टार्टअप्स और अस्पताल चेन के बीच प्रिस्टिन केयर ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है:

  • फुल-स्टैक मॉडल के कारण, यह छोटे और मध्यम वर्गीय शहरों में सर्जरी और हेल्थकेयर सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करता है।
  • थर्ड-पार्टी इंफ्रास्ट्रक्चर के उपयोग से कंपनी ने किफायती और गुणवत्तापूर्ण उपचार की पेशकश की है।
  • डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके मरीजों को ऑनलाइन परामर्श और सर्जरी से पहले व बाद में देखभाल की सुविधा मिलती है।

भविष्य की योजनाएँ और रणनीतियाँ

प्रिस्टिन केयर ने FY24 में बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन FY25 में इसे और अधिक विस्तार करने की योजना है।

1. विस्तार और निवेश

  • कंपनी नए शहरों में अपने क्लीनिक खोलने और मौजूदा शहरों में अस्पताल साझेदारी बढ़ाने की योजना बना रही है।
  • हेल्थकेयर सेवाओं और D2C उत्पाद श्रेणियों में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी।

2. टेक्नोलॉजी और नवाचार

  • कंपनी AI-आधारित प्लेटफॉर्म और IoT-सक्षम हेल्थकेयर डिवाइस के क्षेत्र में निवेश करेगी।
  • स्मार्ट हेल्थ ट्रैकिंग समाधानों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

3. ग्राहक अनुभव सुधारना

  • सर्जरी प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए स्मार्ट हेल्थ ऐप और ऑनलाइन टूल विकसित किए जाएंगे।
  • ग्राहकों को उनकी चिकित्सा यात्रा के हर चरण में सहयोग प्रदान करना।

हेल्थकेयर उद्योग में प्रिस्टिन केयर का स्थान

भारतीय हेल्थकेयर उद्योग तेजी से डिजिटल और सुलभ हो रहा है, और प्रिस्टिन केयर इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

  • सर्जरी-केंद्रित मॉडल के कारण प्रिस्टिन केयर ने अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग पहचान बनाई है।
  • D2C उत्पादों और थर्ड-पार्टी साझेदारियों के बल पर कंपनी अपने बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने में सक्षम है।
  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हेल्थकेयर सेवाओं को विस्तार करने के लिए इसका मॉडल आदर्श है।

निष्कर्ष

प्रिस्टिन केयर ने FY24 में अपने वित्तीय और संचालन प्रदर्शन में उल्लेखनीय प्रगति की है।

  • राजस्व में 32.7% की वृद्धि और सर्जरी व D2C उत्पादों में तेजी से बढ़त ने कंपनी के लिए स्थिरता सुनिश्चित की है।
  • हालाँकि, कंपनी को बढ़ती प्रतिस्पर्धा और परिचालन लागत के संदर्भ में सतर्क रहने की आवश्यकता है।

भविष्य में, प्रिस्टिन केयर का लक्ष्य अपनी सेवाओं का विस्तार करना, ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाना और डिजिटल हेल्थकेयर समाधान को अपनाना है। सही रणनीति और नवाचार के साथ, प्रिस्टिन केयर भारतीय हेल्थकेयर उद्योग में अग्रणी स्थान बनाए रखने में सक्षम होगा।

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Mswipe ने वित्तीय वर्ष 2024 में वृद्धि के लिए संघर्ष किया, लेकिन घाटे में की मामूली कमी

Mswipe

B2B पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर Mswipe ने पिछले वित्तीय वर्ष में अपने परिचालन राजस्व (ऑपरेटिंग रेवेन्यू) में बहुत कम वृद्धि दर्ज की। हालांकि, कंपनी ने अपने घाटे में मामूली कमी लाने में सफलता हासिल की।


Mswipe परिचालन राजस्व में मामूली वृद्धि

  • Mswipe FY24 में ऑपरेटिंग रेवेन्यू:
    • Rs 276.9 करोड़, जो पिछले वित्तीय वर्ष FY23 में Rs 274.4 करोड़ था।
    • यह वृद्धि मात्र 1% की रही।

Mswipe एक B2B पेमेंट सॉल्यूशन कंपनी है, जो POS सॉल्यूशन (जैसे कार्ड, वॉलेट्स, मोबाइल पेमेंट ऐप्स, बैंक ऐप्स, कॉन्टैक्टलेस पेमेंट, और QR कोड पेमेंट) प्रदान करती है।


राजस्व के प्रमुख स्रोत

  1. ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग फीस:
    • यह Mswipe के कुल ऑपरेटिंग रेवेन्यू का 63.09% हिस्सा है।
    • FY24 में यह आय 7.6% बढ़कर Rs 174.7 करोड़ हो गई।
  2. सपोर्ट सर्विस फीस:
    • यह 4% बढ़कर Rs 70.1 करोड़ हो गई।
  3. साइनअप फीस:
    • इसमें 44.4% की भारी गिरावट देखी गई और यह Rs 5 करोड़ पर सिमट गई।

कुल आय (जिसमें नॉन-ऑपरेटिंग रेवेन्यू भी शामिल है) FY24 में 1.39% बढ़कर Rs 282.2 करोड़ हो गई।


खर्च का विश्लेषण

FY24 में Mswipe के कुल खर्च Rs 327.3 करोड़ रहे, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.3% की मामूली कमी दिखाते हैं।

प्रमुख खर्च विवरण:

  1. आईटी खर्च (IT Expenses):
    • सबसे बड़ा खर्च खंड, जो कुल खर्च का 50.16% है।
    • यह 5.2% बढ़कर Rs 164.2 करोड़ हो गया।
  2. कर्मचारी लाभ खर्च (Employee Benefit Costs):
    • यह 2.2% घटकर Rs 77.3 करोड़ हो गया।
  3. डिप्रिसिएशन खर्च (Depreciation Expenses):
    • यह 7.1% बढ़कर Rs 34.5 करोड़ हो गया।
  4. अन्य खर्च (Other Expenses):
    • इसमें Rs 51.3 करोड़ का योगदान रहा।

कंपनी के घाटे में मामूली सुधार

Mswipe ने FY24 में अपने कुल खर्च को नियंत्रित कर घाटे में कमी की।

  • घाटा FY24 में:
    • कंपनी ने वित्तीय प्रबंधन के जरिए घाटे को सीमित करने में सफलता पाई।

कंपनी के सामने चुनौतियां

Mswipe को बढ़ते प्रतिस्पर्धी पेमेंट सॉल्यूशन बाजार में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:

  1. राजस्व में धीमी वृद्धि:
    • ऑपरेटिंग रेवेन्यू में केवल 1% की वृद्धि।
  2. साइनअप फीस में भारी गिरावट:
    • यह कंपनी के राजस्व खंड को प्रभावित कर रहा है।
  3. खर्च नियंत्रण की आवश्यकता:
    • आईटी खर्च और डिप्रिसिएशन में बढ़ोतरी चिंता का विषय है।

सकारात्मक पहलू

  1. ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग फीस में वृद्धि:
    • इस आय में 7.6% की वृद्धि कंपनी के पेमेंट सॉल्यूशन उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को दर्शाती है।
  2. कर्मचारी लाभ खर्च में कमी:
    • यह दिखाता है कि कंपनी ने लागत प्रबंधन पर ध्यान दिया है।
  3. कुल खर्च में कमी:
    • खर्च में 0.3% की कटौती कंपनी के संचालन को स्थिरता देने का संकेत है।

भविष्य की संभावनाएं

Mswipe के लिए भविष्य में निम्नलिखित रणनीतियां मददगार हो सकती हैं:

  1. नए प्रोडक्ट और सर्विस लॉन्च:
    • कंपनी को अपने POS सॉल्यूशन में नए फीचर्स जोड़ने और QR कोड पेमेंट को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  2. ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों में विस्तार:
    • पेमेंट सॉल्यूशन के लिए छोटे और मझोले व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित करना लाभकारी हो सकता है।
  3. सपोर्ट सर्विस फीस को बढ़ाना:
    • इस क्षेत्र में 4% की वृद्धि हुई है, जिसे और बढ़ाया जा सकता है।

निष्कर्ष

Mswipe ने वित्तीय वर्ष 2024 में राजस्व वृद्धि और घाटे को कम करने की दिशा में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, कंपनी को बढ़ती प्रतिस्पर्धा और राजस्व के विविधीकरण में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भविष्य में, प्रौद्योगिकी उन्नयन, ग्रामीण बाजार में विस्तार, और किफायती समाधान जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना कंपनी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

भारतीय डिजिटल पेमेंट बाजार में अपने हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए Mswipe को एक मजबूत और नवाचारी दृष्टिकोण अपनाना होगा। अगर कंपनी ने सही रणनीति अपनाई, तो वह न केवल अपने राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती है, बल्कि भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में अग्रणी स्थान भी हासिल कर सकती है।

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Ola Electric में दो वरिष्ठ अधिकारियों ने दिया इस्तीफा

Ola Electric

इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता Ola Electric मोबिलिटी लिमिटेड ने घोषणा की है कि कंपनी के दो वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी, अंशुल खंडेलवाल (मुख्य विपणन अधिकारी) और सुवोनिल चटर्जी (मुख्य प्रौद्योगिकी और उत्पाद अधिकारी), ने तुरंत प्रभाव से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।

कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में बताया कि दोनों अधिकारियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया, जिसे औपचारिक रूप से 27 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया।


Ola Electric खंडेलवाल का बयान

अंशुल खंडेलवाल ने अपने इस्तीफे के बाद कहा:

“यह एक अविश्वसनीय यात्रा रही है, और मैं ओला के प्रेरणादायक दृष्टिकोण में योगदान देने के अवसरों के लिए आभारी हूं। मैं ओला इलेक्ट्रिक का हिस्सा होने पर गहरी गर्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहा हूं और टीम की निरंतर सफलता की कामना करता हूं।”


पिछले इस्तीफों की कड़ी में जुड़ाव

खंडेलवाल और चटर्जी का इस्तीफा ओला ग्रुप में शीर्ष-स्तरीय अधिकारियों के लगातार इस्तीफों की कड़ी में एक और अध्याय है।

  • अक्टूबर 2024 में, Ola Electric के सचिव और अनुपालन अधिकारी ने भी व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया था।

विस्तार के बीच इस्तीफा

यह विकास तब हुआ है जब ओला इलेक्ट्रिक ने 3,200 नए स्टोर खोलने की घोषणा की थी।

  • यह विस्तार मेट्रो और टियर I और II शहरों से आगे बढ़ते हुए छोटे शहरों और तहसीलों तक फैलेगा।
  • यह कदम कंपनी के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना का हिस्सा है।

वित्तीय प्रदर्शन पर असर

ओला इलेक्ट्रिक ने अपनी दूसरी तिमाही (Q2 FY25) के वित्तीय नतीजों में राजस्व और लाभ-हानि के आंकड़े जारी किए।

  • Q2 FY25 में परिचालन राजस्व:
    • 26% की गिरावट के साथ Rs 1,214 करोड़ रहा, जो Q1 FY25 में Rs 1,644 करोड़ था।
  • साल-दर-साल वृद्धि (YoY):
    • Q2 FY24 में Rs 873 करोड़ से 39% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • शुद्ध हानि (Q2 FY25):
    • Rs 495 करोड़ की शुद्ध हानि।

ओला इलेक्ट्रिक की चुनौतियां

ओला इलेक्ट्रिक के लिए वित्तीय और प्रबंधन संबंधी मुद्दे चिंता का विषय बनते जा रहे हैं:

  1. राजस्व में गिरावट:
    • Q1 से Q2 में गिरावट।
    • हालांकि, साल-दर-साल राजस्व वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है।
  2. शीर्ष प्रबंधन में अस्थिरता:
    • वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार इस्तीफे कंपनी की रणनीति और संचालन पर प्रभाव डाल सकते हैं।
  3. नुकसान में वृद्धि:
    • उच्च परिचालन लागत और प्रतिस्पर्धा के कारण शुद्ध नुकसान चिंता का विषय है।

ओला इलेक्ट्रिक का भविष्य

हालांकि, कंपनी अपने विस्तार और नवाचार के जरिए चुनौतियों का सामना कर रही है:

  1. नए स्टोर खोलना:
    • 3,200 नए स्टोर खोलने से कंपनी की बाजार पहुंच बढ़ेगी।
  2. छोटे शहरों और गांवों में फोकस:
    • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में विस्तार कंपनी के लिए नए ग्राहक आधार बना सकता है।
  3. इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट का उभरता बाजार:
    • भारत में EV सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है, और ओला इलेक्ट्रिक इस सेगमेंट में अग्रणी भूमिका निभा सकती है।

EV बाजार में प्रतिस्पर्धा

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, जहां ओला इलेक्ट्रिक को कई प्रतिस्पर्धी कंपनियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • मुख्य प्रतिस्पर्धी:
    • Ather Energy, TVS iQube, और Bajaj Chetak।
  • कीमत और टेक्नोलॉजी:
    • ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए किफायती मूल्य और उन्नत तकनीक का महत्व बढ़ गया है।

निष्कर्ष

ओला इलेक्ट्रिक ने इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में महत्वपूर्ण पहचान बनाई है। हालांकि, कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में अस्थिरता और वित्तीय दबाव उसकी दीर्घकालिक योजनाओं के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं।

फिर भी, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में विस्तार और EV मार्केट में बढ़ती संभावनाओं के कारण कंपनी के पास विकास के अवसर बने हुए हैं। आने वाले समय में ओला इलेक्ट्रिक को अपने संचालन, प्रबंधन, और वित्तीय रणनीति को स्थिर करने पर ध्यान देना होगा।

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Logistics Platform Shiprocket ने Rs 219 करोड़ की फंडिंग जुटाई

Shiprocket

लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन को सुलभ बनाने वाले प्लेटफॉर्म Shiprocket ने अपनी चल रही सीरीज E फंडिंग राउंड के विस्तार में Rs 219 करोड़ (लगभग $26 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व KDT Ventures ने किया है, जबकि MUFG बैंक, Tribe Capital, और SAI Global ने भी इसमें भाग लिया है।


Shiprocket फंडिंग का वितरण

Shiprocket के बोर्ड ने 50,461 सीरीज E3 CCPS (कंपल्सरी कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स) को Rs 43,394 प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर जारी करने का प्रस्ताव पास किया है। इस फंडिंग का विवरण इस प्रकार है:

  • KDT Ventures: Rs 124.5 करोड़
  • MUFG बैंक: Rs 49.8 करोड़
  • Tribe Capital: Rs 6.23 करोड़
  • Huddle Collective: Rs 34.7 लाख
  • SAI Global India: Rs 38 करोड़

कंपनी की वैल्यूएशन और आगे की संभावनाएं

फंडिंग के बाद, Shiprocket की पोस्ट-फंडिंग वैल्यूएशन लगभग Rs 10,195 करोड़ (लगभग $1.21 बिलियन) आंकी गई है। यह संभावना है कि यह फंडिंग एक बड़े राउंड का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में और पूंजी जुटाई जा सकती है।

Shiprocket ने अब तक कुल $320 मिलियन से अधिक फंडिंग जुटाई है। इससे पहले, कंपनी ने McKinsey के नेतृत्व में $11 मिलियन का फंड जुटाया था।


Shiprocket का परिचय और सेवाएं

Shiprocket की स्थापना साहिल गोयल, गौतम कपूर, और विशेष खुराना ने की थी। यह एक लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्लेटफॉर्म है, जो व्यवसायों को लॉजिस्टिक्स से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद करता है।

सेवाओं में शामिल हैं:

  1. कूरियर इंटीग्रेशन: व्यवसायों को अपने शिपिंग विकल्पों को कूरियर सेवाओं के साथ जोड़ने की सुविधा।
  2. रियल-टाइम ट्रैकिंग: शिपमेंट की स्थिति को लाइव ट्रैक करने का विकल्प।
  3. ऑटोमेटेड सॉल्यूशंस: शिपिंग और लॉजिस्टिक्स प्रक्रिया को ऑटोमेट करना।

Shiprocket छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMBs) को शिपिंग की प्रक्रिया को कुशल और सस्ती बनाने में मदद करता है।


Shiprocket के प्रमुख निवेशक

Shiprocket के निवेशकों की सूची प्रभावशाली है।

  • Bertelsmann Nederland B.V.: सबसे बड़े बाहरी स्टेकहोल्डर।
  • Tribe Capital: प्रमुख निवेशकों में शामिल।
  • अन्य notable निवेशक: Zomato, Temasek, LightRock, और PayPal

लॉजिस्टिक्स सेक्टर में Shiprocket का प्रभाव

लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन इंडस्ट्री में Shiprocket का एक बड़ा योगदान है।

  1. डिजिटल समाधान: Shiprocket की तकनीकी क्षमताएं इसे अन्य पारंपरिक लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं से अलग बनाती हैं।
  2. छोटे व्यवसायों का सशक्तिकरण: Shiprocket के माध्यम से SMBs के लिए ग्राहक तक सामान पहुंचाना अधिक सरल और किफायती हो गया है।
  3. विस्तृत नेटवर्क: Shiprocket ने भारत में अपने सेवा नेटवर्क का विस्तार किया है, जिससे यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से पहुंच बना सका है।

Shiprocket की विकास यात्रा

Shiprocket की स्थापना 2017 में हुई थी।

  • यह तेजी से विकसित हुआ और आज भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों में शामिल है।
  • कंपनी ने तकनीकी नवाचारों के माध्यम से अपनी सेवाओं को अपग्रेड किया है।
  • फंडिंग राउंड्स और नए साझेदारियों के माध्यम से Shiprocket ने अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है।

भविष्य की योजनाएं

Shiprocket का उद्देश्य अपने लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन समाधान को और मजबूत करना है।

  1. तकनीकी निवेश:
    • Shiprocket अपने प्लेटफॉर्म को और अधिक कुशल बनाने के लिए नई तकनीकों में निवेश करेगा।
  2. नेटवर्क विस्तार:
    • कंपनी का लक्ष्य भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी विस्तार करना है।
  3. साझेदारियों का विस्तार:
    • Shiprocket नई साझेदारियां बनाकर अपने व्यवसाय को और बढ़ाएगा।

लॉजिस्टिक्स सेक्टर का व्यापक प्रभाव

भारतीय लॉजिस्टिक्स सेक्टर में Shiprocket जैसे प्लेटफॉर्म का महत्व तेजी से बढ़ रहा है।

  • ई-कॉमर्स का विस्तार: भारत में ई-कॉमर्स का विकास लॉजिस्टिक्स सेक्टर की वृद्धि को प्रेरित कर रहा है।
  • डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन: Shiprocket जैसे प्लेटफॉर्म डिजिटल तकनीकों के उपयोग से सेक्टर को आधुनिक बना रहे हैं।
  • नए अवसर: लॉजिस्टिक्स सेक्टर में नवाचार और निवेश के कारण नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

निष्कर्ष

Shiprocket का Rs 219 करोड़ का फंडिंग राउंड और $1.21 बिलियन की वैल्यूएशन इसे भारतीय लॉजिस्टिक्स सेक्टर में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं।

  • कंपनी का फोकस तकनीकी नवाचार, सेवा विस्तार, और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने पर है।
  • भविष्य में, Shiprocket का उद्देश्य अपने नेटवर्क और सेवाओं को और अधिक विकसित करना है, जो भारतीय लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

Shiprocket की यह उपलब्धि भारतीय स्टार्टअप्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए एक प्रेरणा है।

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B2B e-commerce unicorn Zetwerk ने Rs 541 करोड़ का नया ESOP प्लान लॉन्च किया

Zetwerk

बेंगलुरु स्थित बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) ई-कॉमर्स यूनिकॉर्न Zetwerk ने अपने 2018 के कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ESOP) में Rs 541 करोड़ (लगभग $64 मिलियन) का नया स्टॉक ऑप्शन जोड़ा है। यह इस वर्ष की पहली ESOP विस्तार पहल है।


Zetwerk के ESOP विस्तार की घोषणा

Zetwerk के बोर्ड ने ESOP प्लान 2018 में संशोधन को मंजूरी दी है, जिसमें 1,25,03,900 नए स्टॉक ऑप्शन शामिल किए गए हैं। कंपनी द्वारा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ में दर्ज की गई नियामक फाइलिंग में इस विकास की पुष्टि हुई है।

  • कर्मचारियों के लिए लाभ:
    हर नया ESOP ऑप्शन इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जाएगा।
    • अनुमान के अनुसार, इन नए ESOP ऑप्शन की कुल मूल्य Rs 541 करोड़ है।

ESOP पूल में 90% का इजाफा

Zetwerk के ESOP पूल में यह बड़ा विस्तार है।

  • नए ESOP जोड़ने के बाद, कंपनी का कुल ESOP पूल अब Rs 1,145 करोड़ या $136 मिलियन तक पहुंच गया है।
  • कुल स्टॉक ऑप्शन: अब कुल 2,64,64,418 स्टॉक ऑप्शन शामिल हैं।
  • यह Zetwerk के ESOP पूल में 90% की वृद्धि को दर्शाता है।

Zetwerk की हालिया फंडिंग और वैल्यूएशन

ESOP विस्तार के ठीक बाद, Zetwerk ने हाल ही में $90 मिलियन की फंडिंग जुटाई।

  • इस फंडिंग का नेतृत्व Khosla Ventures ने किया, जिसमें The Schiehallion Fund ने भी भाग लिया।
  • फंडिंग के बाद कंपनी की वैल्यूएशन $3.1 बिलियन हो गई।

यह विकास दर्शाता है कि Zetwerk अपने कर्मचारियों और व्यवसाय के विस्तार को प्राथमिकता दे रहा है।


Zetwerk का परिचय

Zetwerk भारत के सबसे सफल B2B ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स में से एक है।

  • यह उद्योग-से-उद्योग (industrial-to-industrial) सॉल्यूशंस प्रदान करता है।
  • Zetwerk मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन को सुव्यवस्थित करता है, जिससे कंपनियों को कुशलता से उत्पादन और आपूर्ति की सुविधा मिलती है।

कर्मचारियों के लिए ESOP का महत्व

ESOP कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने और उन्हें कंपनी की विकास यात्रा का हिस्सा बनाने का एक माध्यम है।

  • आर्थिक लाभ: कर्मचारियों को कंपनी के शेयरों के मालिक होने का मौका मिलता है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है।
  • लंबी अवधि का जुड़ाव: यह कर्मचारियों को कंपनी के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है।
  • Zetwerk का दृष्टिकोण: कंपनी अपने कर्मचारियों को न केवल काम का माहौल बल्कि वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान कर रही है।

Zetwerk की विकास यात्रा

Zetwerk ने कुछ वर्षों में तेजी से विकास किया है:

  1. शुरुआत और वैल्यूएशन:
    • कंपनी की शुरुआत 2018 में हुई थी।
    • आज यह $3.1 बिलियन की यूनिकॉर्न कंपनी बन चुकी है।
  2. फंडिंग और विस्तार:
    • Zetwerk ने कई फंडिंग राउंड में निवेश प्राप्त किया है।
    • हाल ही में $90 मिलियन जुटाने के बाद, कंपनी के पास विकास के लिए और अधिक संसाधन उपलब्ध हैं।
  3. मजबूत नेटवर्क:
    • Zetwerk के पास वैश्विक स्तर पर मजबूत सप्लाई चेन और पार्टनरशिप है।

B2B ई-कॉमर्स क्षेत्र में Zetwerk का प्रभाव

Zetwerk भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है।

  • कुशल समाधान: Zetwerk ने उद्योगों के बीच माल की खरीद और आपूर्ति को आसान बनाया है।
  • डिजिटल इंटीग्रेशन: डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हुए, Zetwerk व्यवसायों के लिए कुशल उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन करता है।
  • वैश्विक विस्तार: Zetwerk का फोकस अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर है, जिससे यह भारतीय B2B ई-कॉमर्स सेक्टर का प्रतिनिधित्व करता है।

Zetwerk का भविष्य

कंपनी की वर्तमान योजनाओं और रणनीतियों को देखते हुए, इसका भविष्य उज्ज्वल दिखता है।

  1. कर्मचारी सशक्तिकरण:
    • ESOP योजनाएं कर्मचारियों को सशक्त बनाने में मदद करेंगी।
  2. वैश्विक विस्तार:
    • Zetwerk अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करेगा।
  3. तकनीकी नवाचार:
    • कंपनी नई तकनीकों को अपनाकर अपने प्लेटफॉर्म को और उन्नत बनाएगी।

निष्कर्ष

Zetwerk का Rs 541 करोड़ का नया ESOP विस्तार न केवल इसके कर्मचारियों के लिए एक बड़ा अवसर है, बल्कि यह कंपनी के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।

  • यह पहल कर्मचारियों को कंपनी के साथ अधिक गहराई से जोड़ने और उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • भारतीय B2B ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में Zetwerk की सफलता अन्य स्टार्टअप्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

आने वाले वर्षों में, Zetwerk का विकास और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने की संभावना है, जिससे यह भारतीय उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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Workspace provider IndiQube ने IPO के लिए DRHP दाखिल किया

IndiQube

बेंगलुरु: वर्कस्पेस समाधान प्रदान करने वाली अग्रणी कंपनी IndiQube ने मंगलवार को अपनी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास दाखिल की है। यह कदम कंपनी के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


IPO का विवरण

IndiQube के IPO में शामिल हैं:

  1. फ्रेश इक्विटी शेयर:
    कंपनी 750 करोड़ रुपये (लगभग $89 मिलियन) के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी करेगी।
  2. ऑफर फॉर सेल (OFS):
    कुल 100 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर OFS के तहत पेश किए जाएंगे।

OFS में संस्थापक की भागीदारी:

  • Co-founders ऋषि दास और मेघना अग्रवाल प्रत्येक अपने-अपने 50 करोड़ रुपये के शेयर बेचेंगे।
  • बाहरी शेयरधारक इस OFS में भाग नहीं ले रहे हैं, जो संस्थापकों की प्रमुख भूमिका को दर्शाता है।

IndiQube के प्रमुख शेयरधारक

DRHP के अनुसार, IndiQube के वर्तमान शेयरधारक और उनकी हिस्सेदारी इस प्रकार है:

शेयरधारकहिस्सेदारी (%)
अंशुमान दास25.32%
अरावली इन्वेस्टमेंट होल्डिंग22.07%
वेस्टब्रिज कैपिटल5.79%
केयरनेट टेक्नोलॉजीज5.15%
हायरप्रो कंसल्टिंग2.15%
संस्थापक (ऋषि दास और मेघना अग्रवाल)37.92%

यह आंकड़े संस्थापकों और अन्य बड़े निवेशकों के बीच कंपनी के नियंत्रण और भागीदारी को दर्शाते हैं।


IndiQube का IPO प्रबंधन

IndiQube के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सूचीबद्ध किए जाएंगे।

लीड मैनेजर:

IPO को ICICI सिक्योरिटीज लिमिटेड और JM फाइनेंशियल द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।


IndiQube: एक परिचय

IndiQube भारत में वर्कस्पेस समाधान प्रदान करने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक है। यह छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए लचीले और अनुकूलित ऑफिस स्पेस प्रदान करता है।

सेवाओं की प्रमुख विशेषताएं:

  1. लचीले वर्कस्पेस:
    स्टार्टअप्स और बड़े संगठनों के लिए वर्कस्पेस डिजाइन और प्रबंधन।
  2. तकनीकी समाधान:
    डिजिटल वर्कस्पेस मैनेजमेंट, IoT-इनेबल्ड ऑफिस स्पेस, और अन्य आधुनिक तकनीकी सुविधाएं।
  3. ग्राहक-केंद्रित सेवाएं:
    ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित सेवाएं, जिसमें ऑफिस डिजाइन, हाउसकीपिंग, और कैफेटेरिया प्रबंधन शामिल हैं।

बाजार में स्थिति:

IndiQube ने विभिन्न प्रमुख भारतीय शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है और वर्तमान में हाइब्रिड वर्क मॉडल की बढ़ती मांग का लाभ उठा रहा है।


IPO का उद्देश्य

IndiQube द्वारा IPO से जुटाए गए फंड का उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:

  1. बिजनेस विस्तार:
    नए शहरों और क्षेत्रों में अपनी सेवाएं शुरू करना।
  2. तकनीकी उन्नति:
    अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑफिस प्रबंधन समाधानों को और अधिक उन्नत करना।
  3. सामान्य कॉर्पोरेट आवश्यकताएं:
    संचालन और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए।

भारत में वर्कस्पेस सॉल्यूशंस का भविष्य

बढ़ती मांग:

  • हाइब्रिड वर्क मॉडल और को-वर्किंग स्पेस की बढ़ती मांग ने वर्कस्पेस सॉल्यूशंस क्षेत्र में उछाल ला दिया है।
  • छोटे और मध्यम व्यवसायों के साथ-साथ बड़ी कंपनियां भी लचीले वर्कस्पेस समाधान तलाश रही हैं।

प्रतिस्पर्धा:

IndiQube को WeWork, Awfis, और 91Springboard जैसी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

संभावनाएं:

  • भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और तकनीकी उन्नति के कारण इस बाजार में अपार संभावनाएं हैं।
  • नई कंपनियों और स्टार्टअप्स के बढ़ते निवेश से वर्कस्पेस सॉल्यूशंस का बाजार और भी मजबूत होगा।

संस्थापकों की भूमिका और भागीदारी

IndiQube के संस्थापक ऋषि दास और मेघना अग्रवाल का इस IPO में महत्वपूर्ण योगदान है।

  • उनकी भागीदारी कंपनी की स्थिरता और भविष्य की रणनीतियों पर भरोसे को दर्शाती है।
  • उनकी लीडरशिप और अनुभव ने IndiQube को भारतीय बाजार में एक प्रमुख स्थान पर स्थापित किया है।

निष्कर्ष: IPO का महत्व

IndiQube का IPO कंपनी के भविष्य की योजनाओं और बाजार विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

  • सकारात्मक पहलू:
    IPO के जरिए जुटाए गए फंड से कंपनी को अपने ऑपरेशंस और प्रौद्योगिकी में सुधार करने का अवसर मिलेगा।
  • संभावित चुनौतियां:
    बाजार में प्रतिस्पर्धा और वर्तमान आर्थिक परिस्थितियां।

IndiQube की यह पहल न केवल कंपनी के लिए बल्कि भारतीय वर्कस्पेस सॉल्यूशंस क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।

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