TBO Tek के शेयर में जबरदस्त तेजी की उम्मीद – JM Financial ने दिया ₹1,400 का टारगेट

TBO Tek

🧾 क्या है मामला?

TBO Tek एक तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी कंपनी है जो ट्रैवल बुकिंग सेक्टर में काम करती है। हाल ही में JM Financial Institutional Securities ने इस कंपनी पर अपना भरोसा दोहराया है और इसके शेयर को “Buy” रेटिंग दी है। इस रिपोर्ट में शेयर का टारगेट प्राइस ₹1,400 बताया गया है, जो कि इसके मौजूदा प्राइस ₹1,065 से 31.5% ज्यादा है।

यह रेटिंग निवेशकों को यह इशारा देती है कि आने वाले समय में TBO Tek के शेयर में अच्छी ग्रोथ देखी जा सकती है।


📚 “Buy Rating” का मतलब क्या होता है?

जब किसी ब्रोकरेज या रिसर्च फर्म द्वारा किसी कंपनी के स्टॉक को “Buy” रेटिंग दी जाती है, तो इसका मतलब होता है कि कंपनी के बिजनेस मॉडल, ग्रोथ पोटेंशियल और फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर उन्हें पूरा भरोसा है।

JM Financial की रिपोर्ट यही दिखा रही है कि आने वाले क्वार्टर्स में TBO Tek का बिजनेस काफी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, जिससे इसके शेयर की कीमत बढ़ सकती है।


💹 TBO Tek रेवेन्यू में अनुमानित ग्रोथ – Q4 FY25 में ₹464.5 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद

JM Financial के विश्लेषण के अनुसार, TBO Tek की ऑपरेशनल रेवेन्यू Q4 FY25 में ₹464.5 करोड़ हो सकती है। पिछले साल की इसी अवधि (Q4 FY24) में यह ₹369.1 करोड़ थी।

👉 यानी कंपनी को 25.8% सालाना ग्रोथ मिलने की संभावना है, जो किसी भी मिड-कैप कंपनी के लिए बेहतरीन आंकड़ा है।


🏨 Hotel और Package बुकिंग से सबसे ज्यादा कमाई

TBO Tek का रेवेन्यू ज्यादातर Hotel और Holiday Package बुकिंग्स से आता है।

JM Financial के अनुसार, इस सेगमेंट से:

  • ₹365.9 करोड़ की कमाई होगी (Q4 FY25)
  • जो पिछले क्वार्टर ₹271.8 करोड़ थी
  • यह ग्रोथ 34.6% YoY के बराबर है
  • कुल रेवेन्यू में इसका हिस्सा 78.7% है

इसके अलावा:

✈️ एयर टिकटिंग से ₹86.9 करोड़
📦 अन्य सेवाओं से ₹11.6 करोड़ की आय की उम्मीद है।


📈 Gross Profit Margin में इज़ाफा

कंपनी के मार्जिन में भी सुधार देखा जा रहा है।

FY25 की चौथी तिमाही में TBO Tek का Gross Profit Margin (GPM) बढ़कर 70.3% होने की उम्मीद है, जो Q4 FY24 में 68% था।

यह दिखाता है कि कंपनी न केवल रेवेन्यू बढ़ा रही है, बल्कि खर्चों को कंट्रोल कर मुनाफे को भी बढ़ा रही है।


💰 मुनाफा स्थिर लेकिन सकारात्मक

Profit After Tax (PAT) की बात करें तो Q4 FY25 में कंपनी का मुनाफा ₹47.2 करोड़ तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा ₹46.6 करोड़ था।

यानी सालाना ग्रोथ 1.28% की रहने की संभावना है।

हालांकि ग्रोथ मामूली है, लेकिन इसका स्थिर रहना कंपनी की फाइनेंशियल स्ट्रेंथ को दर्शाता है।


📅 पूरे वित्त वर्ष FY25 का परफॉर्मेंस

पूरा वित्त वर्ष 2024-25 भी TBO Tek के लिए काफी अच्छा रहा है:

  • 📊 कुल रेवेन्यू: ₹1,755.8 करोड़
  • 💸 कुल प्रॉफिट (PAT): ₹214.5 करोड़

यह आंकड़े कंपनी की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ और स्थिरता का प्रमाण हैं।


📉 शेयर प्राइस का उतार-चढ़ाव और मौजूदा स्थिति

TBO Tek का शेयर 8 अप्रैल 2025 को ₹1,065.5 पर बंद हुआ।
मजेदार बात यह है कि ठीक एक दिन पहले यानी 7 अप्रैल को इसने अपना 52-सप्ताह का सबसे निचला स्तर छुआ था।

इसके बावजूद, JM Financial का टारगेट ₹1,400 यह दिखाता है कि शेयर में दम है और निवेशकों को लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न मिल सकता है।


🧠 निवेशकों के लिए क्या है रणनीति?

अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और किसी ऐसे स्टॉक की तलाश में हैं जो:

✅ मजबूत बिजनेस मॉडल रखता हो
✅ टेक्नोलॉजी-बेस्ड हो
✅ तेजी से ग्रो कर रहा हो
✅ और ब्रोकरेज की पॉजिटिव रेटिंग पा चुका हो

…तो TBO Tek एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।


💬 निष्कर्ष: क्या निवेश का समय है?

TBO Tek की फाइनेंशियल ग्रोथ, ऑपरेशनल स्ट्रेंथ और इंडस्ट्री में पोजीशन इसे एक promising कंपनी बनाती है।

JM Financial जैसी बड़ी फर्म की “Buy” रेटिंग इसके प्रति भरोसे को और भी मजबूत करती है।

📌 यदि आप ऐसे शेयर में निवेश करना चाहते हैं जिसमें रिस्क कम हो और ग्रोथ की संभावना ज्यादा — तो TBO Tek पर ध्यान देना चाहिए।


🗣️ आपकी राय?

क्या आप TBO Tek के शेयर में निवेश करेंगे?
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Read more :🎮 Eloelo 5 साल में 80 मिलियन यूज़र्स, लेकिन अब तक Zero कमाई

🎮 Eloelo 5 साल में 80 मिलियन यूज़र्स, लेकिन अब तक Zero कमाई

Eloelo

भारत में डिजिटल एंटरटेनमेंट का क्रेज़ तेज़ी से बढ़ रहा है, और इसी लहर पर सवार है बेंगलुरु बेस्ड स्टार्टअप Eloelo। ये एक ऐसा अनोखा प्लेटफॉर्म है जो भारतीय पारंपरिक गेम्स जैसे तंबोला, अंताक्षरी और म्यूजिकल चेयर्स को लाइव गेमिंग फॉर्मेट में बदलकर क्रिएटर्स और फैंस को जोड़ता है।

पर सवाल ये है — जब 5 साल में भी एक पैसा रेवेन्यू नहीं आया, तो VCs इसमें करोड़ों क्यों झोंक रहे हैं? 🤔


💸Eloelo 50 मिलियन डॉलर की जबरदस्त फंडिंग

Play Ventures, Westbridge और Kalaari Capital जैसे दिग्गज निवेशकों ने Eloelo में मिलाकर अब तक $50 मिलियन (₹415 करोड़) का निवेश किया है।
हाल की एक फंडिंग राउंड में कंपनी को $13 मिलियन मिले।

👉 यह सब दर्शाता है कि Eloelo में निवेशकों को एक लंबी रेस का घोड़ा नजर आ रहा है।


📉 FY24 तक कोई ऑपरेटिंग कमाई नहीं, सिर्फ ब्याज से ₹5 करोड़

Eloelo ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) तक कोई ऑपरेटिंग रेवेन्यू दर्ज नहीं किया।
हालांकि, कंपनी को Fixed Deposit के ब्याज से ₹5 करोड़ की आमदनी ज़रूर हुई।

यानी कंपनी ने अब तक कमाई शुरू नहीं की है, फिर भी फंडिंग मिलती रही।


📣 मार्केटिंग में पैसा बहाया, यूज़र्स को जोड़े रखा

Eloelo ने FY24 में ₹104 करोड़ खर्च किए, जो FY23 के ₹45 करोड़ से 2.3 गुना ज्यादा है।

सबसे बड़ा खर्च:
🟢 Marketing & Promotions – ₹40 करोड़
🟢 FY23 में था ₹17 करोड़
🟢 कुल खर्चों का 38.5% हिस्सा सिर्फ प्रचार-प्रसार पर


👨‍💻 Team, Creators और Tech पर भी खर्च

कंपनी के अन्य बड़े खर्च इस प्रकार रहे:

  • 👩‍💼 Employees की सैलरी व बेनिफिट्स – ₹24 करोड़ (2.4X बढ़ोतरी)
  • 🎥 Content Creators को भुगतान – ₹14 करोड़
  • 💻 Technology & Product Development – ₹14 करोड़ (कुल खर्च का 13%)
  • 🏢 अन्य खर्चे (ऑफिस, सर्वर, कस्टमर सपोर्ट आदि) – ₹12 करोड़

😓 घाटा भी 2.3 गुना बढ़कर ₹99 करोड़

FY24 में Eloelo को ₹99 करोड़ का नेट लॉस हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 2.3 गुना अधिक है।

💰 हालांकि, कंपनी के पास अब भी ₹166 करोड़ के current assets हैं, जिसमें ₹149 करोड़ की कैश और बैंक बैलेंस शामिल है। यानी खर्च करने के लिए अभी भी अच्छा खासा पैसा है।


🧑‍💼 फाउंडर्स में निवेशकों को पूरा भरोसा

Eloelo की स्थापना सौरभ पांडे और अक्षय दुबे ने की थी।
दोनों मिलाकर कंपनी में 20% हिस्सेदारी रखते हैं।

निवेशकों को इन दोनों फाउंडर्स की passion, vision और charisma पर पूरा भरोसा है।


🧐 कमाई कब और कैसे शुरू होगी?

Eloelo का सबसे बड़ा चैलेंज है — Monetization यानी कमाई की शुरुआत।

📢 अगर ये Ads से कमाना चाहता है, तो ब्रांड्स के साथ डील्स जल्द करनी होंगी।
💸 अगर Paying Users चाहिए, तो features के लिए चार्ज करना ही होगा — इससे पहले कि फ्री सर्विस देना आदत बन जाए।

कंपनी के दावे के अनुसार:

  • 👥 80 मिलियन यूज़र्स
  • 🎙️ 1.5 लाख से ज़्यादा क्रिएटर्स

इतने बड़े user base के बावजूद कमाई ना होना थोड़ा चौंकाता है।


🧨 VCs का All or Nothing दांव

Eloelo उन चुनिंदा स्टार्टअप्स में है जहां VCs ने रेवेन्यू नहीं, बल्कि idea और energy पर दांव लगाया है।

“अगर ये प्लेटफॉर्म चल निकला, तो आग की तरह फैलेगा। और अगर नहीं चला, तो एक दर्दनाक अंत भी हो सकता है।”

फ़िलहाल Eloelo के burn rate से कई stakeholders को फायदा हो रहा है, लेकिन लंबी उम्र के लिए कंपनी को अब कमाई शुरू करनी ही होगी।


🔍 निष्कर्ष: अगला बड़ा धमाका या सिर्फ एक महंगा सपना?

Eloelo ने प्रोडक्ट, यूजर्स और क्रिएटर्स की बड़ी टीम तो बना ली है — अब बारी है revenue stream सेट करने की।

अगर Eloelo आने वाले महीनों में monetize करने की दिशा में ठोस कदम उठाता है, तो ये भारत का अगला “Live Entertainment Super App” बन सकता है।

वरना, यह भी उन स्टार्टअप्स की लिस्ट में शामिल हो सकता है जो बड़ी उम्मीदों के साथ आए, लेकिन बिना कमाई के गायब हो गए।


आपकी राय क्या है? क्या Eloelo भारत का अगला बड़ा सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म बन पाएगा? 💭

Read more :Ecom Express को ₹1,407 करोड़ में अधिग्रहित किया

Ecom Express को ₹1,407 करोड़ में अधिग्रहित किया

Ecom Express

भारत की लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में एक बड़ा मोड़ तब आया जब Delhivery ने हाल ही में Ecom Express को ₹1,407 करोड़ में अधिग्रहित कर लिया। हालांकि यह डील एक सामान्य अधिग्रहण की तरह लग सकती है, लेकिन आंकड़ों की गहराई से जांच करने पर यह एक डिस्ट्रेस सेल (Distress Sale) जैसी प्रतीत होती है। Ecom Express की गिरती हुई आमदनी, बढ़ते हुए नुकसान, और ग्रोथ में तीन वर्षों से ठहराव ने इसकी वैल्यूएशन पर सीधा असर डाला।


📉 Ecom Express गिरती आमदनी और बढ़ता घाटा: FY25 के शुरुआती 9 महीनों का हाल

Ecom Express ने FY25 की पहली तीन तिमाहियों (मार्च से दिसंबर 2024) में ₹1,912 करोड़ का ऑपरेशनल रेवेन्यू दर्ज किया। तुलना करें तो पूरे FY24 में कंपनी का रेवेन्यू ₹2,653 करोड़ था। इस ट्रेंड को देखते हुए FY25 के अंत तक कंपनी का टर्नओवर ₹2,500 करोड़ या उससे भी कम रह सकता है, खासकर डील के समय में लगने वाली ऊर्जा और संसाधनों को देखते हुए।

इस गिरती आमदनी के साथ-साथ कंपनी के नुकसान में तेज़ उछाल देखने को मिला। FY24 में जहां कंपनी का नेट लॉस ₹249 करोड़ था, वहीं FY25 के शुरुआती 9 महीनों में यह बढ़कर ₹398 करोड़ हो गया। हालांकि, एडजस्टेड EBITDA घाटा ₹104 करोड़ रहा, जो कि लागत नियंत्रण की कोशिशों का संकेत देता है।


📦 ऑपरेशंस का विस्तार, लेकिन ऑर्डर में गिरावट

Ecom Express ने अपने नेटवर्क का बड़ा विस्तार किया है — कंपनी भारत के 2,700 से ज्यादा शहरों और 27,000 पिन कोड्स में लॉजिस्टिक्स सेवाएं देती है। इसके पास 50,000 से अधिक कर्मचारी और 3,000 से ज्यादा सुविधाएं हैं। फिर भी, ग्रोथ की रफ्तार कम होती दिखी।

  • FY25 की पहली तीन तिमाहियों में 40.5 मिलियन डिलीवरी ऑर्डर पूरे किए गए,
  • जबकि पूरे FY24 में यह आंकड़ा 51.4 मिलियन था।

कूरियर सेवाओं से FY25 के पहले 9 महीनों में कंपनी ने ₹2,349 करोड़ और वेयरहाउसिंग से ₹260 करोड़ की कमाई की।


🧾 फंडिंग और शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर

Ecom Express ने अपने सफर में अब तक $290 मिलियन (₹2,400+ करोड़) से अधिक की फंडिंग जुटाई है। DRHP (Draft Red Herring Prospectus) के अनुसार:

  • Partners Group सबसे बड़ा शेयरहोल्डर था (49.76%)
  • इसके बाद Warburg Pincus (27.13%) और
  • British International Investment (BII) (10.03%) प्रमुख निवेशक थे।

फिर भी, इन बड़े निवेशकों के बावजूद कंपनी सतत लाभप्रदता नहीं बना सकी, जो अंततः डिस्ट्रेस वैल्यू पर बिक्री की एक वजह बनी।


🏗️ लॉजिस्टिक्स बिज़नेस की चुनौतियाँ

लॉजिस्टिक्स सेक्टर अपने आप में एक मैन-पॉवर इंटेंसिव बिज़नेस है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां:

  • स्थिरता और कर्मचारी स्थायित्व जरूरी होता है,
  • जबकि फूड डिलीवरी जैसी कंपनियाँ उच्च कर्मचारी ट्रांज़िशन के साथ भी काम कर सकती हैं।

Ecom Express की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही — जब तक मजबूत सेकेंड-टियर लीडरशिप टीम नहीं बनी थी, तब तक संस्थापक ही हर रोज़ के ऑपरेशनों में उलझे रहते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कंपनी ने एक सशक्त नेतृत्व टीम बनाई, जो कंपनी को ऑपरेशनल रूप से संभाल रही थी।


👥 संस्थापकों की भूमिका और परिपक्वता का असर

Ecom Express की स्थापना 2012 में चार पूर्व Blue Dart अधिकारियों द्वारा की गई थी। हालांकि इनमें से दो संस्थापकों का निधन हो चुका है, जबकि बचे हुए दो — मंजू धवन और के. सत्यनारायण — अब 35+ वर्षों के अनुभव के साथ परिपक्व हो चुके हैं।

संभव है कि:

  • संस्थापकों के लिए यह एक संतोषजनक निष्कर्ष रहा हो,
  • और एक साहसी उद्यमशील यात्रा का सफल अंत हो।

13 वर्षों में कंपनी ने भारत की सबसे चर्चित लॉजिस्टिक्स कंपनियों में जगह बनाई — यह एक उपलब्धि है जिसे नकारा नहीं जा सकता।


🏁 क्या Delhivery Ecom Express को नई दिशा दे पाएगी?

अब जब Ecom Express, Delhivery का हिस्सा बन चुकी है, तो सबसे बड़ा सवाल है — क्या Delhivery इसे नए मुकाम तक पहुंचा पाएगी?

Delhivery के पास पहले से ही:

  • मजबूत टेक्नोलॉजी बैकबोन है
  • बेहतर फंडिंग और निवेशकों का समर्थन है
  • और तेज़ी से विस्तार करने की क्षमता है

Ecom Express के इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्राहक नेटवर्क और मैनपावर के साथ मिलकर यह डील एक बड़ा लॉजिस्टिक्स पावरहाउस बना सकती है — बशर्ते दोनों कंपनियाँ मिलकर सिंक्रोनाइज़ेशन में काम करें।


🔍 निष्कर्ष: एक युग का अंत, दूसरे की शुरुआत

Ecom Express की यह डील लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के बदलते समीकरणों की ओर इशारा करती है। जहां एक ओर स्टार्टअप्स को तेज़ ग्रोथ और स्केलेबिलिटी की ज़रूरत होती है, वहीं दूसरी ओर स्थिरता और लागत नियंत्रण लंबे समय तक टिकने के लिए जरूरी हैं।

Ecom Express की यात्रा भले ही स्वतंत्र रूप से खत्म हुई हो, लेकिन इसके 13 वर्षों की मेहनत, नेटवर्क, और ब्रांड वैल्यू अब Delhivery के पास है — जो इसे नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती है।


📌 क्या आप मानते हैं कि Delhivery के साथ Ecom Express और बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी? अपने विचार नीचे कमेंट करें।

Read more :Sadbhav Future Tech’s को मिला ₹36 करोड़ का प्री-IPO निवेश,

Sadbhav Future Tech’s को मिला ₹36 करोड़ का प्री-IPO निवेश,

Sadbhav

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में एक महत्वपूर्ण क़दम उठाते हुए, Chanakya Opportunities Fund ने Sadbhav  Future Tech के ₹36 करोड़ (लगभग $4.19 मिलियन) के प्री-IPO फंडिंग राउंड में निवेश किया है। यह निवेश फंड की ग्रीन और क्लीन एनर्जी स्पेस में बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाता है।

यह फंडिंग ऐसे समय पर आई है जब भारत की सरकार और निजी कंपनियाँ, दोनों, सस्टेनेबल एनर्जी की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रही हैं, खासकर सोलर टेक्नोलॉजी के ज़रिए ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए।


☀️ Sadbhav  Future Tech का मिशन: हर किसान के लिए स्वच्छ ऊर्जा

Sadbhav  Future Tech, जिसकी स्थापना वर्ष 2020 में हुई थी, भारत की अग्रणी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में से एक बनकर उभर रही है। कंपनी की अगुवाई Bhupender Singh, Nilesh Jain और Saikat Roy कर रहे हैं।

Sadbhav का उद्देश्य है सोलर टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को अधिक कुशल और सुलभ बनाना। अब तक कंपनी ने:

  • 50,000 से अधिक सोलर पंप इंस्टॉल किए हैं।
  • रूफटॉप और लार्ज-स्केल सोलर सिस्टम्स की सेवाएं दी हैं।
  • अगले 10 वर्षों में 10 लाख किसानों की ज़िंदगी में बदलाव लाने का लक्ष्य रखा है।

🏞️ सरकारी योजनाओं से जुड़ाव: पीएम-कुसुम योजना का समर्थन

Sadbhav Future Tech, भारत सरकार की प्रमुख योजना — PM-KUSUM (प्रधानमंत्री कुसुम योजना) — का सक्रिय समर्थन करती है। यह योजना किसानों को डीज़ल पर निर्भरता से हटाकर सोलर एनर्जी की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।

PM-KUSUM योजना के लाभ:

  • डीज़ल खर्च में भारी कटौती
  • किसानों की आय में वृद्धि
  • पर्यावरण के प्रति योगदान

Sadbhav Future Tech इस योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र, असम, राजस्थान जैसे कई राज्यों में काम कर रही है और देश के अन्य हिस्सों में भी विस्तार की योजना बना रही है।


💸 Chanakya Opportunities Fund की रणनीति और रुचि

Chanakya Opportunities Fund ने अब तक नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में ₹18 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। Sadbhav में हालिया निवेश इसी रणनीतिक विस्तार का हिस्सा है।

फंड की रणनीतिक प्राथमिकताएँ:

  • स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा में दीर्घकालिक निवेश
  • सामाजिक प्रभाव (Social Impact) के साथ मुनाफा
  • ग्रामीण भारत में टेक्नोलॉजी आधारित समाधान

🚀 प्री-IPO निवेश: क्या Sadbhav की लिस्टिंग जल्द देखने को मिलेगी?

Sadbhav Future Tech की यह फंडिंग प्री-IPO चरण की है, जो यह संकेत देती है कि कंपनी निकट भविष्य में IPO (Initial Public Offering) लाने की तैयारी में है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत के रिन्यूएबल एनर्जी स्टार्टअप ईकोसिस्टम के लिए एक बड़ा मोमेंट हो सकता है।

फंडिंग से मिलने वाले कैपिटल का उपयोग कंपनी निम्नलिखित कार्यों में करेगी:

  • सोलर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
  • टेक्नोलॉजी में नवाचार
  • ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदगी मजबूत करना
  • अनुसंधान और विकास (R&D)

📈 क्लीन एनर्जी स्पेस में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

भारत में सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अब तेज़ी से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। बाजार में मौजूद प्रमुख खिलाड़ी जैसे:

  • Tata Power Solar
  • Adani Solar
  • Loom Solar
  • Fourth Partner Energy

Sadbhav Future Tech को इन कंपनियों के बीच खुद को एक “फार्मर-फर्स्ट, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन” ब्रांड के रूप में स्थापित करना है।

हालाँकि, कंपनी की ग्रामीण फोकस्ड अप्रोच, सरकारी साझेदारी, और कम लागत में उच्च इफिशिएंसी देने वाली टेक्नोलॉजी इसे एक अनूठा स्थान दिला सकती है।


🌱 भारत के ग्रामीण किसानों के लिए सोलर समाधान

Sadbhav Future Tech की रणनीति मुख्य रूप से भारतीय किसानों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। कंपनी का कहना है कि सोलर पंप के ज़रिए:

  • सिंचाई की लागत कम होती है
  • डीज़ल की निर्भरता घटती है
  • लंबे समय तक चलने वाली ऊर्जा मिलती है

ऐसे समाधानों की देशभर में भारी मांग है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां बिजली की पहुंच सीमित है


🔍 निष्कर्ष: टिकाऊ ऊर्जा का भविष्य और Sadbhav की भूमिका

Sadbhav Future Tech ने सिर्फ चार साल में ही जो मुकाम हासिल किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। कंपनी के मॉडल में तकनीक, प्रभाव, और प्रभावी क्रियान्वयन का बेहतरीन संतुलन देखने को मिलता है।

Chanakya Opportunities Fund का इस कंपनी में निवेश इस बात का संकेत है कि भारत की ग्रीन एनर्जी क्रांति अब और तेज़ होने वाली है।

यदि Sadbhav इसी गति से आगे बढ़ता रहा, तो यह आने वाले वर्षों में भारत के सबसे प्रभावशाली क्लीनटेक कंपनियों में से एक बन सकता है — जो न सिर्फ पर्यावरण बल्कि किसानों की आजीविका में भी बदलाव लाने की क्षमता रखती है।


📌 क्या आपको लगता है कि Sadbhav Future Tech भारत की अगली बड़ी सोलर कंपनी बन सकती है? अपने विचार नीचे ज़रूर साझा करें

Read more :Innovist ने सीरीज B फंडिंग राउंड में जुटाए ₹136 करोड़,

Innovist ने सीरीज B फंडिंग राउंड में जुटाए ₹136 करोड़,

Innovistv

पर्सनल केयर ब्रांड Bare Anatomy की पैरेंट कंपनी Innovist ने हाल ही में ₹136 करोड़ (लगभग $16 मिलियन) की सीरीज B फंडिंग जुटाई है। इस राउंड का नेतृत्व ICICI Venture ने किया, जिसमें Mirabilis Investment Trust, Niveshaay Investment, और मौजूदा निवेशक Sauce.VC ने भी भाग लिया।

कंपनी की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज़ में बताया गया कि इस फंडिंग राउंड में प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों तरह के निवेश शामिल हैं और यह फंडिंग उत्पाद विकास (Product Development), बिज़नेस विस्तार (Business Growth) और टीम के विस्तार (Team Expansion) में खर्च की जाएगी।


📊 Innovist Accel को मिला एग्जिट, नए निवेशकों की एंट्री

इस फंडिंग राउंड में शुरुआती निवेशक Accel India को एग्जिट मिल गया है, जिसने Innovist में अपने Seed Program (Atoms) के जरिए निवेश किया था।

Rohit Chawla, जो Innovist के संस्थापक और सीईओ हैं, ने कहा:

Innovist देश की सबसे तेज़ी से बढ़ती BPC (Beauty and Personal Care) कंपनियों में से एक है और हमारा लक्ष्य है कि FY25 तक ₹300 करोड़ से अधिक का रेवेन्यू हासिल करें।”


🚀 कंपनी की ग्रोथ और फाइनेंशियल स्थिति

Innovist ने अभी तक FY24 के अपने वित्तीय आंकड़े दाखिल नहीं किए हैं, लेकिन FY23 में कंपनी ने:

  • ऑपरेशनल रेवेन्यू: ₹36.53 करोड़
  • कुल घाटा: ₹16.87 करोड़

FY25 तक कंपनी तीन गुना से ज़्यादा ग्रोथ का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो इसके तेज़ी से विस्तार की रणनीति को दर्शाता है।


🧴 Innovist के ब्रांड्स और उत्पाद

Innovist, जिसे पहले Onesto Labs के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 2018 में Rohit Chawla, Sifat Khurana और Vimal Bhola ने की थी।

कंपनी फिलहाल तीन प्रमुख पर्सनल केयर ब्रांड्स को संभाल रही है:

  1. Bare Anatomy – साइंस-बेस्ड हेयर केयर और स्किन केयर ब्रांड
  2. Chemist at Play – एक्टिव इंग्रीडिएंट्स पर आधारित स्किनकेयर प्रोडक्ट्स
  3. Sunscoop – सनस्क्रीन और UV प्रोटेक्शन उत्पादों की रेंज

Innovist के प्रोडक्ट्स डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर (D2C) मॉडल के तहत ऑनलाइन बेचे जाते हैं और ये खासतौर पर विज्ञान और रिसर्च आधारित इनोवेशन पर फोकस करते हैं।


💰 अब तक कुल फंडिंग और प्रमुख निवेशक

Innovist अब तक कुल मिलाकर $26 मिलियन (लगभग ₹215 करोड़) की फंडिंग जुटा चुकी है।

पिछली प्रमुख फंडिंग्स में शामिल हैं:

  • $7 मिलियन की सीरीज A फंडिंग (नेतृत्व: Amazon Smbhav Venture Fund)
  • मौजूदा निवेशक: Sauce.VC, 72 Ventures, Accel India, Amazon Smbhav Fund

TheKredible के डेटा के अनुसार, सीरीज B राउंड से पहले Sauce.VC सबसे बड़ा बाहरी शेयरहोल्डर था, उसके बाद 72 Ventures और Accel थे।


🛍️ प्रतिस्पर्धा और बाज़ार में स्थिति

Innovist भारतीय D2C ब्यूटी ब्रांड स्पेस में कई मजबूत खिलाड़ियों से मुकाबला कर रही है, जैसे:

  • Mamaearth
  • Minimalist
  • Wow Skin Science
  • Sugar Cosmetics

इन ब्रांड्स के बीच प्रतिस्पर्धा काफ़ी तेज़ है, लेकिन Innovist ने खुद को एक साइंस-ड्रिवन और क्लीन ब्यूटी ब्रांड के रूप में स्थापित किया है, जो Gen Z और मिलेनियल्स के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है।


📦 भविष्य की योजनाएं और रोडमैप

Rohit Chawla ने बताया कि कंपनी इस फंडिंग का उपयोग निम्न क्षेत्रों में करेगी:

नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग
रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश
ऑम्नीचैनल वितरण को मजबूत बनाना (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों)
टीम का विस्तार और टेक्नोलॉजी में सुधार

इसके अलावा, कंपनी AI और डाटा एनालिटिक्स की मदद से कस्टमर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।


🌟 निष्कर्ष: ब्यूटी सेगमेंट में चमकता सितारा

Innovist ने बहुत ही कम समय में खुद को एक इनोवेटिव और हाई-ग्रोथ BPC ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। ₹136 करोड़ की ताज़ा फंडिंग और FY25 में ₹300 करोड़ के रेवेन्यू लक्ष्य के साथ, कंपनी एक मजबूत ग्रोथ ट्रैजेक्टरी पर है।

ब्यूटी और पर्सनल केयर सेगमेंट में जहां ब्रांड डिफरेंशिएशन, यूजर ट्रस्ट और प्रोडक्ट क्वालिटी सबसे अहम हैं, Innovist इन तीनों मोर्चों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

यदि कंपनी अपने प्लान के मुताबिक आगे बढ़ती है, तो यह अगली बड़ी D2C सफलता बन सकती है।


📢 आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या Innovist भारत का अगला Mamaearth बन सकता है? अपने विचार नीचे कमेंट में शेयर करें!

Read more :Juspay ने सीरीज D फंडिंग राउंड में जुटाए $60 मिलियन,

Juspay ने सीरीज D फंडिंग राउंड में जुटाए $60 मिलियन,

Juspay

पेमेंट टेक्नोलॉजी कंपनी Juspay ने अपने सीरीज D फंडिंग राउंड में $60 मिलियन (लगभग ₹500 करोड़) जुटाए हैं। इस फंडिंग का नेतृत्व Kedaara Capital ने किया, जबकि मौजूदा निवेशकों SoftBank और Accel ने भी भागीदारी निभाई।

इस राउंड में प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों तरह के निवेश शामिल हैं। Juspay ने यह फंडिंग ऐसे समय में जुटाई है जब उसे तीन वर्षों से कोई नया फंडिंग राउंड नहीं मिला था। इससे पहले दिसंबर 2021 में कंपनी ने $60 मिलियन की सीरीज C फंडिंग जुटाई थी, जिसका नेतृत्व SoftBank Vision Fund 2 ने किया था और उस समय कंपनी का मूल्यांकन $460 मिलियन था।

हालांकि इस बार के फंडिंग राउंड में Juspay की वैल्यूएशन को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में यह संभावना जताई जा रही है कि कंपनी “यूनिकॉर्न” स्टेटस (यानि $1 बिलियन से अधिक मूल्यांकन) प्राप्त कर सकती है।


💡 Juspay क्या करती है?

2012 में लॉन्च हुई Juspay एक फुल-स्टैक पेमेंट टेक प्लेटफॉर्म है, जो बड़े एंटरप्राइज़ मर्चेंट्स के लिए कई प्रकार की सेवाएं देती है:

  • Checkout orchestration
  • 3DS authentication
  • Tokenisation
  • Unified analytics
  • Real-time payment infrastructure
  • Value-added services
  • End-to-end payment acceptance

कंपनी का दावा है कि वह दैनिक 200 मिलियन से अधिक ट्रांजैक्शन को 99.999% की विश्वसनीयता के साथ प्रोसेस करती है और उसका सालाना टोटल प्रोसेस्ड वॉल्यूम $900 बिलियन से अधिक है।

Juspay भारत के अलावा अब एशिया-पैसिफिक, लैटिन अमेरिका, यूरोप, यूके और नॉर्थ अमेरिका में भी अपनी सेवाएं दे रही है, जिससे यह एक ग्लोबल पेमेंट टेक कंपनी बन गई है।


📈 कंपनी की वित्तीय परफॉर्मेंस: FY24 बनाम FY23

ऑपरेशनल रेवेन्यू

  • FY23: ₹213.39 करोड़
  • FY24: ₹319.32 करोड़
  • वृद्धि: 49.6%

कुल घाटा (Net Loss)

  • FY23: ₹105.8 करोड़
  • FY24: ₹97.54 करोड़
  • घटाव: 7.8%

कंपनी ने अपने घाटे को कम करने में सफलता पाई है, साथ ही अपनी आय में तेज़ी से वृद्धि दर्ज की है।


🔍 AI और Merchant Experience में निवेश की योजना

Juspay ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वह इस नए फंडिंग का उपयोग Artificial Intelligence (AI) में गहराई से निवेश करने के लिए करेगी, ताकि:

  • टीम की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाया जा सके
  • मर्चेंट्स को बेहतर अनुभव दिया जा सके
  • पेमेंट प्रोसेस को और अधिक सहज और स्मार्ट बनाया जा सके

AI के ज़रिए Juspay अपने ऑपरेशंस को ऑटोमेट, फ्रॉड डिटेक्शन में सुधार, और रियल टाइम एनालिटिक्स जैसी सेवाओं को बेहतर बनाएगी।


❗ हाल की चुनौतियाँ: बड़े क्लाइंट्स के साथ साझेदारी समाप्त

हालांकि Juspay को यह फंडिंग तब मिली है जब उसके सामने कई चुनौतियां भी हैं।

हाल के महीनों में Paytm, PhonePe, Cashfree और Razorpay जैसी बड़ी पेमेंट कंपनियों ने Juspay के साथ अपनी पार्टनरशिप को समाप्त कर दिया है। ये कंपनियां पहले Juspay को एक थर्ड-पार्टी ऑर्केस्ट्रेशन प्रोवाइडर के रूप में उपयोग कर रही थीं।

इससे Juspay के बिज़नेस ग्रोथ पर दबाव पड़ा है, लेकिन कंपनी का मानना है कि नए टेक्नोलॉजी और वैश्विक विस्तार के ज़रिए वह इस चुनौती से पार पा लेगी।


🌍 ग्लोबल एक्सपैंशन और भविष्य की रणनीति

Juspay अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। इसके क्लाइंट्स अब USA, UK, यूरोप, लैटिन अमेरिका और साउथ ईस्ट एशिया तक फैले हुए हैं।

➡️ कंपनी की योजना है कि आने वाले महीनों में वह AI-बेस्ड पेमेंट समाधान और मल्टी-कंट्री इंटीग्रेशन पर ज़ोर देगी।
➡️ फिनटेक सेक्टर में भरोसे और सुरक्षा के साथ Juspay खुद को ग्लोबल पेमेंट लीडर के रूप में स्थापित करना चाहती है।


🤖 Juspay का AI फोकस: क्या बदलेगा?

AI की मदद से Juspay कई इनोवेटिव फीचर्स लाने की तैयारी में है:

  • स्मार्ट रिकमेंडेशन इंजन
  • सेल्फ-लर्निंग पेमेंट फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम
  • ट्रांजैक्शनल बिहेवियर एनालिसिस
  • एआई-सपोर्टेड मर्चेंट डैशबोर्ड और रिपोर्टिंग टूल्स

ये सभी उपाय Juspay को प्रतिस्पर्धी बाजार में बढ़त दिलाने में मदद कर सकते हैं।


🧾 निष्कर्ष

Juspay की ताज़ा फंडिंग इस बात का संकेत है कि पेमेंट टेक्नोलॉजी सेक्टर में इनोवेशन और ग्रोथ की संभावनाएं अभी भी काफी ज़िंदा हैं।

➡️ जहां Juspay को कुछ प्रमुख क्लाइंट्स की साझेदारी समाप्त होने से नुकसान हुआ है, वहीं AI, इंटरनेशनल एक्सपैंशन और ऑपरेशनल सुधार की दिशा में कंपनी की रणनीति भविष्य के लिए आशाजनक दिखती है।

➡️ यदि Juspay अपने नए इनिशिएटिव्स को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर पाती है, तो वह जल्द ही “यूनिकॉर्न क्लब” में प्रवेश कर सकती है।


📢 आपका क्या मानना है? क्या Juspay भारत की अगली बड़ी फिनटेक सफलता बन सकती है? अपने विचार नीचे कमेंट में साझा करें!

Read more :McCain India 1,214 करोड़ के साथ भारत के फ्राइड स्नैक्स मार्केट में बना लीडर

McCain India 1,214 करोड़ के साथ भारत के फ्राइड स्नैक्स मार्केट में बना लीडर

McCain

भारत में स्नैक्स और फास्ट फूड की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, और इस क्षेत्र में McCain एक बड़ा नाम बनकर उभरा है। साल 1998 में भारतीय बाजार में कदम रखने के बाद, McCain India ने फ्रेंच फ्राइज और फ्रोजन फूड से लेकर कई तरह के स्नैक्स में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।

FY24 में McCain ने ₹1,214 करोड़ का ऑपरेशनल रेवेन्यू दर्ज किया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 3% की वृद्धि है। हालांकि, भारी विज्ञापन खर्च और बढ़ती मैनेजमेंट फीस के कारण कंपनी का शुद्ध लाभ 29.4% गिरकर ₹89 करोड़ रह गया।


📊 McCain India की वित्तीय स्थिति: FY24 का परफॉर्मेंस कैसा रहा?

📌 राजस्व:
₹1,214 करोड़ का ऑपरेशनल रेवेन्यू (FY23 में ₹1,172 करोड़)
₹31 करोड़ की अतिरिक्त आय (ब्याज और अन्य स्रोतों से)
कुल राजस्व: ₹1,245 करोड़ (FY23 में ₹1,189 करोड़)

📌 व्यय:
कच्चे माल की खरीद लागत: ₹493 करोड़ (कुल खर्च का 43.8%)
कर्मचारियों पर खर्च: ₹100 करोड़ (19% की वृद्धि)
विज्ञापन और मार्केटिंग खर्च: ₹88 करोड़ (63% की वृद्धि)
अन्य खर्च (ईंधन, भंडारण, श्रमिक लागत, फ्रेट): ₹1,125 करोड़ (FY23 में ₹1,020 करोड़)

📌 लाभ:
शुद्ध लाभ: ₹89 करोड़ (FY23 में ₹126 करोड़)
ROCE: 15.28%
EBITDA मार्जिन: 4.58%
प्रति रुपये कमाने के लिए खर्च: ₹0.93


🔎 McCain India की ग्रोथ को किन फैक्टर्स ने प्रभावित किया?

फ्राइड स्नैक्स की मांग बनी हुई है:
भारतीय उपभोक्ताओं में फ्रेंच फ्राइज, आलू टिक्की, नगेट्स और अन्य फ्राइड स्नैक्स की मांग लगातार बनी हुई है। McCain इस सेगमेंट में मार्केट लीडर बना हुआ है।

रिटेल और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का विस्तार:
McCain अपने प्रोडक्ट्स को सुपरमार्केट, फूड सर्विस चैनल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (Blinkit, Swiggy Instamart, Zepto) के जरिए बेचता है।

ठंडी आपूर्ति श्रृंखला (Cold Chain Logistics) में सुधार:
भारत में कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने से McCain को छोटे शहरों और ग्रामीण बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है।

विज्ञापन और मैनेजमेंट खर्चों में वृद्धि:
भारी विज्ञापन और ब्रांडिंग लागत ने McCain के लाभ को प्रभावित किया। FY24 में विज्ञापन खर्च 63% बढ़कर ₹88 करोड़ हो गया।

स्वस्थ खाने की ओर बढ़ता रुझान:
लोग अब हेल्दी ईटिंग की ओर बढ़ रहे हैं, और कम ऑयली और हेल्दी स्नैक्स का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में McCain को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।


🏆 मार्केट में McCain का मुकाबला किन कंपनियों से है?

भारतीय स्नैक्स बाजार में McCain को अब सिर्फ पारंपरिक ब्रांड्स ही नहीं, बल्कि नए स्टार्टअप्स और बड़े उद्योग समूहों से भी टक्कर मिल रही है।

1️⃣ नए स्टार्टअप्स:

Wellness-focused ब्रांड्स: अब लोग कम ऑयल वाले और हेल्दी स्नैक्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। McCain को इस बदलते ट्रेंड के अनुसार खुद को ढालना होगा।

2️⃣ FMCG दिग्गज कंपनियां:

ITC, Godrej, Tata Consumer जैसी बड़ी कंपनियां भी अब स्नैक्स सेगमेंट में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं।

➡ ITC का Bingo, Godrej का Yummiez, और Amul जैसी कंपनियां McCain को टक्कर दे रही हैं।


🚀 भविष्य की रणनीति: McCain को किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए?

प्रोडक्ट डाइवर्सिफिकेशन:
हेल्दी और लो-ऑयल विकल्प लॉन्च करने पर ध्यान देना होगा।
एयर-फ्राइड और बेक्ड स्नैक्स की कैटेगरी में एंट्री करना चाहिए।

डिजिटल और D2C (Direct-to-Consumer) पर फोकस:
➡ McCain को अपनी डिजिटल उपस्थिति और ई-कॉमर्स बिक्री को और मजबूत करना होगा।
फूड डिलीवरी ऐप्स के साथ अधिक रणनीतिक साझेदारियां करनी होंगी।

कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश:
➡ छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में मजबूत कोल्ड चेन सप्लाई से McCain अपनी पहुंच बढ़ा सकता है।

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए लागत नियंत्रण:
➡ भारी विज्ञापन खर्च को नियंत्रित करना होगा।
➡ लॉजिस्टिक्स और मैनेजमेंट कॉस्ट में कमी लाकर ऑपरेटिंग मार्जिन सुधारना होगा।


🔮 निष्कर्ष: क्या McCain अपनी ग्रोथ फिर से हासिल कर पाएगा?

McCain India ने FY24 में ₹1,214 करोड़ का राजस्व कमाया, लेकिन शुद्ध लाभ में गिरावट देखी गई। विज्ञापन और लॉजिस्टिक्स लागत ने मुनाफे पर असर डाला, लेकिन फ्राइड स्नैक्स की स्थिर मांग McCain के लिए एक बड़ा अवसर बनी हुई है।

क्या McCain को हेल्दी स्नैक्स की ओर ध्यान देना चाहिए?
क्या कंपनी अपने ऑपरेशन को और अधिक कुशल बना सकती है?

🎯 आपकी राय क्या है? क्या McCain को अपने प्रोडक्ट्स में बदलाव करना चाहिए? हमें कमेंट में बताएं! 🚀

Read more :Scapia ने Series B फंडिंग में जुटाए $40 मिलियन,

Scapia ने Series B फंडिंग में जुटाए $40 मिलियन,

Scapia

ट्रैवल फिनटेक स्टार्टअप Scapia ने Series B फंडिंग राउंड में $40 मिलियन (₹289 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Peak XV Partners ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशक Elevation Capital, Z47 और 3State Ventures ने भी भाग लिया।

📢 कंपनी इस फंडिंग का उपयोग अपनी टीम को मजबूत करने, प्रोडक्ट्स को अपग्रेड करने, AI तकनीक को अपनाने और अपनी ग्रोथ को तेज करने के लिए करेगी।


💰 Scapia निवेश और हिस्सेदारी का पूरा विवरण

📌 कंपनी के रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, अब तक Scapia ने $34 मिलियन (₹289 करोड़) की फंडिंग सुरक्षित कर ली है।
📌 बाकी की रकम जल्द ही आने की उम्मीद है।

💰 निवेश का ब्रेकडाउन:
Peak XV Partners: ₹218 करोड़ ($25.6 मिलियन)
Elevation Capital: ₹62.28 करोड़ ($7.3 मिलियन)
3State Ventures: ₹8.65 करोड़ ($1.02 मिलियन)

🔹 इस फंडिंग के साथ, कंपनी की पोस्ट-फंडिंग वैल्यूएशन ₹1,645 करोड़ ($193.5 मिलियन) तक पहुंच गई है।
🔹 हालांकि, राउंड पूरा होने के बाद वैल्यूएशन में बदलाव हो सकता है।


🛫 Scapia का बिजनेस मॉडल: कैसे कमाती है कंपनी?

Scapia एक फिनटेक-ट्रैवल स्टार्टअप है जो लाइफटाइम-फ्री क्रेडिट कार्ड के जरिए यात्रा से जुड़े रिवॉर्ड्स प्रदान करता है।

📌 कंपनी की कमाई के मुख्य स्रोत:
इंटरचेंज फीस (क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन से)
EMI पर ब्याज
ट्रैवल बुकिंग पर पार्टनर कमिशन

🎯 Scapia ने Federal Bank के साथ मिलकर एक को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया है, जो कई खासियतों के साथ आता है:
कोई जॉइनिंग या वार्षिक शुल्क नहीं
ज़ीरो फॉरेक्स मार्कअप
अनलिमिटेड फ्री डोमेस्टिक लाउंज एक्सेस
एयरपोर्ट सुविधाएं (मंथली स्पेंड के आधार पर)
सभी खरीदारी पर 10% रिवॉर्ड्स
Scapia के जरिए ट्रैवल बुकिंग पर 20% रिवॉर्ड्स

👉 यह कार्ड ट्रैवलर्स और डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए बेहद आकर्षक विकल्प बन रहा है।


🚀 Scapia की ग्रोथ और भविष्य की योजनाएं

📢 Scapia अब तक $70 मिलियन से अधिक की फंडिंग जुटा चुकी है।
📌 कंपनी ने नवंबर 2023 में Elevation Capital और 3State Ventures के नेतृत्व में $23 मिलियन की Series A फंडिंग हासिल की थी।

🔹 Scapia की विस्तार योजनाएं:
AI तकनीक को अपनाकर यूजर एक्सपीरियंस सुधारना
अधिक बैंकों और फिनटेक कंपनियों के साथ साझेदारी
नई ट्रैवल सेवाओं और रिवॉर्ड प्रोग्राम्स की पेशकश
अपने कार्ड के फीचर्स को और बेहतर बनाना


📊 ESOP पूल में विस्तार, कर्मचारियों के लिए बड़ा अवसर

📌 Scapia ने अपने कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ESOP) को भी 3,460 नए ऑप्शंस के साथ बढ़ाया है।
📌 इन नए ESOP का कुल मूल्य ₹22 करोड़ आंका गया है।
📌 अब कंपनी का कुल ESOP पूल ₹132 करोड़ ($15.5 मिलियन) हो गया है।

👉 इस कदम से कर्मचारियों को कंपनी की ग्रोथ में सीधे हिस्सेदारी मिलेगी और उन्हें बेहतर रिटर्न की संभावना होगी।


📈 निवेशकों की स्थिति: किसके पास कितनी हिस्सेदारी?

🔹 फंडिंग के बाद, Scapia में सबसे बड़ा बाहरी शेयरधारक बनकर उभरा है:
Peak XV Partners – 13.74% हिस्सेदारी
Matrix Partners – 13.68% हिस्सेदारी

👉 इससे साफ होता है कि प्रमुख निवेशकों को Scapia के फिनटेक-ट्रैवल मॉडल पर बड़ा भरोसा है।


🔮 क्या Scapia भविष्य में ट्रैवल-फिनटेक इंडस्ट्री में बड़ा खिलाड़ी बनेगा?

Scapia का अनोखा बिजनेस मॉडल इसे बाजार में अलग पहचान दिला रहा है।
ट्रैवल और फिनटेक सेक्टर दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे कंपनी को आगे बढ़ने के शानदार अवसर मिल सकते हैं।
Peak XV, Elevation Capital जैसे बड़े निवेशकों का भरोसा दिखाता है कि कंपनी में पोटेंशियल है।
AI और डिजिटल इनोवेशन से Scapia अपनी सर्विसेज को और बेहतर बना सकती है।

📢 Scapia के क्रेडिट कार्ड और ट्रैवल-रिवॉर्ड्स प्रोग्राम्स लोगों को लुभा रहे हैं। आने वाले समय में यह कंपनी भारत के टॉप फिनटेक-ट्रैवल प्लेटफॉर्म में शामिल हो सकती है।

🚀 क्या आपको Scapia का बिजनेस मॉडल पसंद आया? हमें कमेंट में बताएं! 🎯

Read more :Attero ने FY24 में 54% ग्रोथ के साथ ₹446 करोड़ का राजस्व दर्ज किया,

Attero ने FY24 में 54% ग्रोथ के साथ ₹446 करोड़ का राजस्व दर्ज किया,

Attero

इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट रीसाइक्लिंग स्टार्टअप Attero ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में 54% सालाना वृद्धि दर्ज करते हुए अपना कुल राजस्व ₹450 करोड़ के करीब पहुंचा लिया। हालांकि, इस मजबूत टॉप-लाइन ग्रोथ के बावजूद, कंपनी का शुद्ध लाभ 30% घट गया।


📊 Attero राजस्व में 54% की उछाल, लेकिन मुनाफा गिरा

📈 FY24 में Attero का कुल ऑपरेशनल राजस्व ₹446 करोड़ रहा, जो कि FY23 के ₹289 करोड़ से 54% अधिक है।

🚀 हालांकि, मुनाफे में 30% की गिरावट यह दर्शाती है कि लागत में बढ़ोतरी के कारण कंपनी को अपनी आय पर दबाव झेलना पड़ा।


♻️ Attero: भारत की अग्रणी ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग कंपनी

🔹 Attero एक पर्यावरण-केंद्रित स्टार्टअप है, जो इलेक्ट्रॉनिक कचरे और जैविक कचरे (biowaste) के रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग (upcycling) में विशेषज्ञता रखता है।
🔹 यह अपनी पेटेंटेड तकनीक का उपयोग करके पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और लिथियम-आयन बैटरियों से मूल्यवान धातुओं को निकालने का कार्य करता है।

👉 इससे ई-वेस्ट को प्रभावी तरीके से पुन: उपयोग करने और पर्यावरण पर इसके प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।


💰 राजस्व का स्रोत: 75% कमाई रीसाइक्लिंग प्रोडक्ट्स से

📌 Attero की कुल कमाई ₹446 करोड़ में से:
75% (₹333 करोड़) की आय पुनर्नवीनीकरण धातुओं और बैटरी-ग्रेड सामग्रियों की बिक्री से हुई।
25% आय ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग सेवाओं से हुई, जिसमें शामिल हैं:

  • लिथियम-आयन बैटरी प्रोसेसिंग
  • ईपीआर (EPR) अनुपालन
  • सुरक्षित डेटा नष्ट करना
  • अपशिष्ट प्रबंधन समाधान

📢 इससे यह साफ है कि Attero का मुख्य व्यवसाय मूल्यवान धातुओं और बैटरी सामग्री के पुनर्चक्रण पर आधारित है।


💸 लागत में जबरदस्त बढ़ोतरी, मुनाफे पर असर

📌 Attero के कुल खर्च में 51.6% की वृद्धि हुई, जो FY23 में ₹281 करोड़ था और FY24 में ₹426 करोड़ हो गया।

💰 मुख्य खर्च:
कच्चे माल की खरीद: ₹363 करोड़ (85% कुल खर्च) – 63.5% की बढ़ोतरी
कर्मचारी खर्च: ₹14 करोड़ – 16.7% की बढ़ोतरी
कानूनी शुल्क: ₹10 करोड़ – 66.7% की बढ़ोतरी
अन्य खर्च (जनरल और मैनपावर खर्च): ₹31 करोड़

👉 कच्चे माल की लागत में जबरदस्त वृद्धि से कंपनी के मुनाफे पर दबाव बढ़ा।

📌 Attero को आगे लागत नियंत्रण रणनीति अपनानी होगी ताकि लाभप्रदता में सुधार किया जा सके।


📈 Attero की FY24 परफॉर्मेंस की प्रमुख बातें:

🔹 राजस्व में 54% की वृद्धि (₹446 करोड़ तक पहुंचा)
🔹 शुद्ध लाभ में 30% की गिरावट
🔹 पुनर्नवीनीकरण धातु और बैटरी सामग्री से 75% कमाई
🔹 खर्च में 51.6% की बढ़ोतरी (₹426 करोड़)
🔹 कच्चे माल की लागत सबसे बड़ा खर्च (₹363 करोड़, 85% कुल खर्च)


📢 आगे की रणनीति: Attero को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा?

👉 ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा: भारत में ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और कई नई कंपनियां इसमें प्रवेश कर रही हैं।

👉 लागत नियंत्रण की जरूरत: Attero को अपने परिचालन लागत को नियंत्रण में रखना होगा ताकि मुनाफे में सुधार हो सके।

👉 सरकारी नीतियों और ईपीआर अनुपालन: भारत सरकार ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर नए नियम लागू कर रही है, जिससे Attero को अपने संचालन में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं।


🔮 निष्कर्ष: क्या Attero लंबी दौड़ का खिलाड़ी है?

📌 Attero की FY24 की परफॉर्मेंस दर्शाती है कि कंपनी ने राजस्व में जबरदस्त ग्रोथ हासिल की है।
📌 हालांकि, बढ़ती लागत और मुनाफे में गिरावट कंपनी के लिए चुनौती साबित हो सकती है।
📌 अगर Attero अपनी लागत को नियंत्रित करने और नई तकनीकों को अपनाने में सफल रहता है, तो यह भारत के ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग सेक्टर में अग्रणी बना रह सकता है।

🚀 क्या Attero आने वाले वर्षों में और अधिक ग्रोथ हासिल करेगा? आपकी राय क्या है? हमें कमेंट में बताएं! 🔥

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Zomato ने 600 कस्टमर सपोर्ट कर्मचारियों की छंटनी की,

Zomato

नई दिल्ली: भारत की प्रमुख फूड और ग्रॉसरी डिलीवरी कंपनी Zomato ने 600 से अधिक कस्टमर सपोर्ट एसोसिएट्स की छंटनी कर दी है। यह छंटनी तब की गई है जब कंपनी के मुख्य फूड डिलीवरी बिजनेस में धीमी वृद्धि देखी जा रही है और इसकी क्विक कॉमर्स यूनिट Blinkit को बढ़ते घाटों का सामना करना पड़ रहा है।

📢 यह खबर सबसे पहले Moneycontrol द्वारा रिपोर्ट की गई थी।


📉 एक साल के भीतर 600 कर्मचारियों की छंटनी, क्यों लिया Zomato ने यह फैसला?

🔹 Zomato ने एक साल पहले अपने “Zomato Associate Accelerator Program” (ZAAP) के तहत 1,500 कर्मचारियों की भर्ती की थी।
🔹 ZAAP के तहत हायर किए गए कर्मचारियों को एक साल के भीतर सेल्स, ऑपरेशंस, सपोर्ट, सप्लाई चेन और अन्य विभागों में प्रमोशन का अवसर दिया गया था।
🔹 लेकिन अब इनमें से 600 से अधिक कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया गया और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।

👉 इस छंटनी के पीछे Zomato ने कर्मचारियों के खराब प्रदर्शन और समय की पाबंदी न रखने जैसे कारण बताए हैं।

🚨 रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रभावित कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस पीरियड के नौकरी से हटा दिया गया और केवल एक महीने की सैलरी बतौर मुआवजा दी गई।


🚀 Zomato का फूड डिलीवरी बिजनेस धीमा, Blinkit पर बढ़ता घाटा

📊 Zomato के मुख्य फूड डिलीवरी बिजनेस की ग्रोथ हाल के महीनों में धीमी पड़ गई है।
📉 वहीं, Blinkit (क्विक कॉमर्स यूनिट) को भारी घाटा झेलना पड़ रहा है।
💰 Blinkit को बनाए रखने के लिए Zomato को भारी निवेश करना पड़ रहा है, जिससे कंपनी पर दबाव बढ़ रहा है।

📢 Zomato के इस फैसले को लागत में कटौती और बिजनेस को अधिक कुशल बनाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।


📌 छंटनी का असर – कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ीं!

💼 ZAAP के तहत हायर हुए कर्मचारियों को उम्मीद थी कि वे कंपनी में स्थायी नौकरी पा सकेंगे।
📢 लेकिन Zomato ने कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू न करते हुए एक झटके में 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
⚠️ बिना नोटिस पीरियड के छंटनी ने प्रभावित कर्मचारियों के लिए आर्थिक परेशानियां खड़ी कर दी हैं।

👉 सोशल मीडिया पर कई कर्मचारियों ने Zomato के इस फैसले की आलोचना की है और इसे “अनुचित” बताया है।


💰 क्या यह Zomato की लागत कम करने की रणनीति है?

📊 Zomato की हालिया रणनीति खर्चों को कम करने और प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ाने की ओर इशारा करती है।
📉 कंपनी अपने मुख्य फूड डिलीवरी बिजनेस में धीमी वृद्धि और Blinkit के बढ़ते घाटे से निपटने की कोशिश कर रही है।
🚀 Zomato का ध्यान फिलहाल अधिक कुशल बिजनेस मॉडल पर है, जिसके तहत कम लागत में अधिक आउटपुट प्राप्त किया जा सके।

🔹 हाल ही में Zomato ने अपने “10 मिनट डिलीवरी” मॉडल पर फोकस बढ़ाया है, लेकिन Blinkit के बढ़ते नुकसान के चलते इसे चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।


📈 Zomato का बाजार प्रदर्शन और निवेशकों की प्रतिक्रिया

📊 Zomato के शेयरों में पिछले कुछ महीनों में तेजी आई थी, लेकिन इस छंटनी के फैसले के बाद निवेशकों की प्रतिक्रिया मिलीजुली हो सकती है।
📉 कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि छंटनी से Zomato की लागत घटेगी, लेकिन कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार कंपनी की ब्रांड इमेज को नुकसान पहुंचा सकता है।

👉 इस फैसले के बाद निवेशकों की नजर कंपनी के आगामी तिमाही नतीजों पर होगी, जिससे यह समझा जा सकेगा कि लागत में कटौती से Zomato को कितना फायदा हुआ है।


📢 Blinkit पर Zomato का दांव – क्या यह सही साबित होगा?

Blinkit (जिसे पहले Grofers के नाम से जाना जाता था) को Zomato ने 2022 में $568 मिलियन में खरीदा था।
📉 लेकिन तब से लेकर अब तक Blinkit लगातार घाटे में चल रहा है।

📌 Zomato अब Blinkit के बिजनेस मॉडल को और अधिक लाभदायक बनाने की कोशिश कर रहा है, जिसके तहत लागत में कटौती और ऑपरेशन को सुव्यवस्थित किया जा रहा है।

🚀 कंपनी की योजना Blinkit के डिलीवरी टाइम को 10 मिनट तक लाने की है, लेकिन इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर निवेश करना पड़ रहा है।


🔎 आगे क्या? Zomato की अगली रणनीति क्या होगी?

👉 छंटनी के बाद अब Zomato अपने ऑपरेशन्स को और अधिक ऑटोमेट करने की दिशा में बढ़ सकता है।
👉 कंपनी Blinkit को और अधिक मजबूत करने के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रही है।
👉 Zomato के CEO दीपिंदर गोयल पहले ही कह चुके हैं कि कंपनी अपने लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिए फोकस्ड है।

📢 हालांकि, कर्मचारियों की छंटनी और बढ़ते घाटे की वजह से Zomato को अपनी रणनीतियों को सावधानी से लागू करना होगा।


📢 निष्कर्ष

📉 Zomato द्वारा 600 कर्मचारियों की छंटनी एक बड़ा फैसला है, जो इसके मौजूदा बिजनेस मॉडल और लागत-कटौती रणनीति को दर्शाता है।
📊 Blinkit के बढ़ते घाटे और फूड डिलीवरी बिजनेस की धीमी वृद्धि के बीच, कंपनी को अपनी भविष्य की रणनीतियों पर गहराई से विचार करना होगा।
🚀 आने वाले महीनों में Zomato के तिमाही नतीजे और निवेशकों की प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि यह छंटनी सही निर्णय था या नहीं।

🔎 क्या Zomato अपनी लागत को संभालकर Blinkit को लाभदायक बना पाएगा?
🔎 क्या छंटनी के बाद कंपनी की ब्रांड इमेज को नुकसान पहुंचेगा?

👉 इन सभी सवालों के जवाब आने वाले महीनों में साफ होंगे! 🚀

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