RBI ने हटाई Navi Finserv पर लगी पाबंदियां, अब फिर से शुरू होंगे लोन

Navi Finserv

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Navi Finservपर लगी प्रतिबंधों को हटा दिया है, जिससे अब यह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) फिर से लोन स्वीकृति और वितरण शुरू कर सकेगी। पहले ये प्रतिबंध कंपनी के नियामकीय अनुपालन और मूल्य निर्धारण नीतियों में कमियों के चलते लगाए गए थे। RBI का यह फैसला संकेत देता है कि Navi Finserv ने इन मुद्दों को समय पर सुलझा लिया है।


Navi Finserv क्यों लगाए गए थे प्रतिबंध?

अक्टूबर 2024 में, RBI ने Navi Finserv और तीन अन्य NBFCs को निर्देश दिया था कि वे नए लोन स्वीकृत न करें। यह कदम उन कंपनियों द्वारा नियामकीय दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन न करने के कारण उठाया गया था।

RBI ने कहा,
“इन मुद्दों के समाधान और कंपनी की नियामकीय अनुपालन के प्रति प्रतिबद्धता से संतुष्ट होकर, RBI ने अब तत्काल प्रभाव से इन प्रतिबंधों को हटा लिया है। यह निर्णय वित्तीय क्षेत्र में नियामकीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है।”


अन्य NBFCs पर अभी भी जारी है प्रतिबंध

Navi Finserv के साथ ही, DMI Finance, Asirvad Micro Finance, और Arohan Financial Services पर भी प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि, इन तीन NBFCs को अभी भी लोन वितरण की अनुमति नहीं दी गई है।


Navi Finserv का परिचय

Navi Finserv की स्थापना 2018 में सचिन बंसल और अंकित अग्रवाल ने की थी। यह कंपनी RBI द्वारा पंजीकृत मध्य-स्तर (middle layer) की NBFC के रूप में काम करती है। Navi Finserv व्यक्तिगत और होम लोन प्रदान करती है।

हाल ही में, Navi Finserv ने गोल्डमैन सैक्स (इंडिया) फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ $24.5 मिलियन का लोन सेक्यूरिटाइजेशन ट्रांजेक्शन पूरा किया।


कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन

Navi Finserv का वित्तीय प्रदर्शन FY24 में बेहतर रहा:

  1. संचालन से आय (Revenue from Operations):
    FY23 में ₹1,238 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹1,906 करोड़ हो गई।
  2. शुद्ध लाभ (Net Profit):
    FY24 में ₹668 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ, जिसमें इसकी सहायक कंपनी की बिक्री से हुए लाभ का बड़ा योगदान है।

RBI का कदम: एक सख्त संदेश

RBI द्वारा NBFCs पर लगाए गए प्रतिबंध यह दर्शाते हैं कि नियामकीय अनुपालन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कदम NBFCs और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपने संचालन में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है।

विशेषज्ञों का कहना है:

  • “यह फैसला Navi Finserv के लिए राहत की बात है, लेकिन यह अन्य NBFCs के लिए भी एक चेतावनी है कि नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।”

भारतीय NBFC क्षेत्र का महत्व

भारत में NBFCs का वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान है। ये संस्थाएं उन क्षेत्रों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाती हैं, जहां बैंकों की पहुंच कम होती है।

  • वित्तीय समावेशन: NBFCs का बड़ा योगदान उन लोगों को वित्तीय सेवाएं देने में है, जो पारंपरिक बैंकिंग से वंचित हैं।
  • आर्थिक विकास: ये संस्थाएं छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) के लिए वित्तीय सहायता का प्रमुख स्रोत हैं।

Navi Finserv का भविष्य

Navi Finserv पर से प्रतिबंध हटने के बाद, कंपनी अब अपने संचालन को विस्तार देने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।

  1. नई रणनीतियां: कंपनी अब सीधे ग्राहकों को जोड़ने और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को विस्तार देने पर काम कर सकती है।
  2. डिजिटल सेवाओं का उपयोग: डिजिटल तकनीक के जरिए ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सकता है।
  3. नए निवेश: गोल्डमैन सैक्स जैसे प्रमुख निवेशकों के साथ सहयोग कंपनी के लिए नए निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।

क्या सीखने को मिला?

RBI का यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता को दर्शाता है। Navi Finserv द्वारा समय पर सुधारात्मक कदम उठाना यह दर्शाता है कि नियामकीय अनुपालन से संबंधित समस्याओं को सही तरीके से हल किया जा सकता है।

यह मामला अन्य NBFCs के लिए एक सबक है कि नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना उनके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए अनिवार्य है।


निष्कर्ष

RBI द्वारा Navi Finserv पर से प्रतिबंध हटाना कंपनी के लिए एक बड़ा राहतभरा कदम है। यह निर्णय वित्तीय प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। अब Navi Finserv के पास अपने ग्राहकों की सेवा में सुधार करने और अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मौका है।

NBFC क्षेत्र के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि नियामकीय अनुपालन और पारदर्शिता से ही वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

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लाइव एआई प्लेटफॉर्म Pathway ने जुटाए $10 मिलियन

Pathway

डाटा और लाइव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर काम करने वाली कंपनी Pathway ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $10 मिलियन जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व TQ Ventures ने किया, जिसमें Kadmos और Id4 Menlo Park, California ने भी भाग लिया।

पिछले साल नवंबर में Pathway ने अपने शुरुआती सीड फंडिंग राउंड में $5 मिलियन जुटाए थे। उस राउंड का नेतृत्व Yamaha Motor Ventures ने किया था, जिसमें Verge HealthTech Fund और अन्य निवेशकों ने भी हिस्सा लिया था।


Pathway कंपनी की स्थापना और उद्देश्य

Pathway की स्थापना दो प्रमुख व्यक्तियों ने की है:

  • एड्रियन कोसोव्स्की (CSO)
  • जॉन चोरोव्स्की (CTO)

दोनों संस्थापक AI के क्षेत्र में गहरा अनुभव रखते हैं। जॉन चोरोव्स्की का पहले काम फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार विजेता और एआई के ‘गॉडफादर’ जेफ हिंटन के साथ रहा है।

Pathway का मुख्य उद्देश्य ऐसे लाइव AI सिस्टम बनाना है, जो जटिल निर्णय लेने में सक्षम हों। ये सिस्टम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को सही और अद्यतन जानकारी तक तुरंत पहुंचाने में मदद करते हैं।


फंड का उपयोग

Pathway ने बताया कि जुटाई गई राशि का उपयोग कंपनी के मिशन को अगले स्तर तक ले जाने के लिए किया जाएगा। कंपनी का फोकस है:

  1. लाइव AI सिस्टम का विकास: जो लगातार अपडेट होते डेटा के आधार पर निर्णय लेने में सक्षम हों।
  2. हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुधार: जिससे चिकित्सकों को तेजी से सही सलाह और जानकारी मिले।
  3. क्लीनिकल प्रैक्टिस गाइडेंस का विस्तार: जो लाखों स्रोतों से एकत्रित साक्ष्य-आधारित डेटा प्रदान करता है।

Pathway का AI प्लेटफॉर्म कैसे काम करता है?

Pathway का प्लेटफॉर्म लाखों साक्ष्य-आधारित स्रोतों से डेटा इकट्ठा करता है और उसे एक ऐसे डेटाबेस में बदलता है, जिसे स्वास्थ्यसेवा पेशेवर आसानी से खोज और एक्सेस कर सकते हैं।

इसकी खासियतें:

  • 70,000 से अधिक अनुशंसाएं: प्लेटफॉर्म 30,000 से अधिक क्लीनिकल टॉपिक्स पर जानकारी प्रदान करता है।
  • 370,000 चिकित्सक पंजीकृत: Pathway का दावा है कि इसके प्लेटफॉर्म पर 200 देशों के 3.7 लाख से अधिक चिकित्सक पंजीकृत हैं।
  • डायनेमिक डाटा: लाइव AI सिस्टम संरचित और असंरचित दोनों प्रकार के डेटा का उपयोग करके लगातार अपडेट होती जानकारी देता है।

हेल्थकेयर में Pathway का योगदान

Pathway का लक्ष्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को समय पर सटीक जानकारी प्रदान करना है। इसका सीधा असर:

  1. तेजी से निर्णय लेने की क्षमता: डॉक्टर और हेल्थकेयर वर्कर्स तुरंत सही इलाज और प्रक्रियाओं के बारे में जान सकते हैं।
  2. रोगी देखभाल में सुधार: अप-टू-डेट जानकारी रोगियों के लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित करती है।
  3. वैश्विक पहुंच: 200 देशों में उपयोगकर्ताओं की उपस्थिति यह दिखाती है कि Pathway हेल्थकेयर को वैश्विक स्तर पर प्रभावित कर रहा है।

Pathway का भविष्य और चुनौतियां

Pathway का ध्यान हेल्थकेयर में AI के उपयोग को और बेहतर बनाने पर है। लेकिन इस क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं:

  • डेटा सुरक्षा: हेल्थकेयर डेटा अत्यधिक संवेदनशील होता है, और इसे सुरक्षित रखना कंपनी के लिए प्राथमिकता है।
  • वैश्विक नियमों का पालन: अलग-अलग देशों में हेल्थकेयर से जुड़े नियमों का पालन करना एक चुनौती हो सकता है।
  • प्रतिस्पर्धा: हेल्थकेयर AI में कई अन्य कंपनियां भी काम कर रही हैं, जिससे Pathway को अपनी सेवाओं को अलग साबित करना होगा।

निवेशकों का नजरिया

Pathway में निवेश करने वाले निवेशकों का मानना है कि हेल्थकेयर और AI का संगम भविष्य की बड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। TQ Ventures और अन्य निवेशकों ने Pathway के AI प्लेटफॉर्म और इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले समाधानों को बेहद उपयोगी माना है।


AI और हेल्थकेयर का भविष्य

AI का उपयोग हेल्थकेयर में तेजी से बढ़ रहा है। Pathway जैसे प्लेटफॉर्म:

  1. समय की बचत करते हैं: डॉक्टरों को तेजी से जानकारी मिलती है।
  2. प्रमाणित डेटा प्रदान करते हैं: जिससे सटीक और साक्ष्य-आधारित निर्णय लिए जा सकते हैं।
  3. वैश्विक कनेक्टिविटी: तकनीक को सीमाओं से परे ले जाते हैं।

निष्कर्ष

Pathway का लाइव AI प्लेटफॉर्म हेल्थकेयर में एक नई क्रांति ला सकता है। $10 मिलियन की नई फंडिंग से कंपनी को अपने प्लेटफॉर्म को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

AI और हेल्थकेयर का यह गठजोड़ मरीजों के इलाज में सुधार लाने और डॉक्टरों की कार्यक्षमता बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाएगा। Pathway की तकनीक ने यह साबित कर दिया है कि लाइव AI भविष्य का हेल्थकेयर है।

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phonePe

डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म PhonePe ने पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म जस्पे के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने का फैसला किया है। यह निर्णय फोनपे के उस कदम का हिस्सा है जिसमें कंपनी मर्चेंट्स के साथ सीधे और व्यापक संबंध स्थापित करना चाहती है।

PhonePe सीधे इंटीग्रेशन की ओर कदम

PhonePe अब मर्चेंट्स को अपने पेमेंट गेटवे सॉल्यूशंस सीधे इंटीग्रेशन के जरिए उपलब्ध कराएगा। एक सूत्र ने कहा,

“इस कदम का उद्देश्य किसी भी तीसरे पक्ष के प्लेटफॉर्म, जैसे जस्पे, पर निर्भर होने के बजाय मर्चेंट्स के साथ सीधा संबंध स्थापित करना है।”

PhonePe ने अपने ग्राहकों को भेजे गए एक ईमेल में लिखा:

“हमने निर्णय लिया है कि अब हम अपने पेमेंट गेटवे सॉल्यूशंस सीधे इंटीग्रेशन के माध्यम से ही प्रदान करेंगे। भारत की अग्रणी डिजिटल पेमेंट कंपनी होने के नाते, फोनपे अपने मर्चेंट्स को इनोवेटिव प्रोडक्ट्स तेजी से उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें विश्वास है कि सीधे इंटीग्रेशन से हम इस कार्य को और प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।”

जस्पे का महत्व और बाजार हिस्सेदारी

जस्पे एक प्रमुख पेमेंट प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म है, जो जस्पे सेफ, हाइपरएसडीके, एक्सप्रेस चेकआउट, और यूपीआई इन ए बॉक्स जैसे प्रोडक्ट्स के जरिए ऑफलाइन पेमेंट्स को सपोर्ट करता है।

जानकारी के मुताबिक, फोनपे के पेमेंट गेटवे वॉल्यूम का लगभग 15% हिस्सा वर्तमान में जस्पे के माध्यम से प्रोसेस होता है। हालांकि, इस साझेदारी को खत्म करने का निर्णय फोनपे के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

जस्पे के अन्य प्रतिस्पर्धी

जस्पे को रेजरपे और कैशफ्री जैसे अन्य पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म से मुकाबला करना पड़ता है। हालांकि, जस्पे का प्लेटफॉर्म इन कंपनियों की तुलना में बड़ा और अधिक प्रभावी माना जाता है।

फोनपे का लक्ष्य

फोनपे का यह निर्णय कंपनी की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत देता है। फोनपे अब मर्चेंट्स को सीधे जोड़कर न केवल अपनी सेवाओं में सुधार करना चाहती है, बल्कि अपनी पकड़ भी मजबूत बनाना चाहती है।

फोनपे ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। अपने उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करने और मर्चेंट्स के लिए सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कंपनी लगातार नए कदम उठा रही है।

क्या है अगला कदम?

इस बदलाव के बाद फोनपे अपनी तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करेगा। सीधे मर्चेंट्स से जुड़ने से कंपनी को:

  • अपने उत्पादों की बेहतर निगरानी और सुधार करने में मदद मिलेगी।
  • बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का मौका मिलेगा।
  • थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म पर निर्भरता कम होगी।

पेमेंट इंडस्ट्री के लिए इसका मतलब

फोनपे और जस्पे के अलगाव का असर केवल इन दोनों कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा। यह कदम भारतीय डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

  • मर्चेंट्स का फायदा: सीधे इंटीग्रेशन से मर्चेंट्स को तेज और किफायती समाधान मिलेंगे।
  • प्रतिक्रिया: अन्य कंपनियां, जैसे रेजरपे और कैशफ्री, इस अवसर का उपयोग अपने प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने के लिए कर सकती हैं।
  • प्रतिस्पर्धा: डिजिटल पेमेंट स्पेस में प्रतिस्पर्धा और अधिक तीव्र हो सकती है।

फोनपे की नई रणनीति: मर्चेंट्स से सीधे जुड़ने का महत्व

फोनपे ने अपने प्लेटफॉर्म पर पेमेंट गेटवे सेवाओं को सीधे मर्चेंट्स से जोड़ने का फैसला किया है। यह निर्णय कंपनी की ‘थर्ड-पार्टी पर निर्भरता कम करने’ की सोच का हिस्सा है।

कंपनी का मानना है कि मर्चेंट्स के साथ सीधे और मजबूत संबंध होने से:

  1. तेजी से इनोवेशन: उत्पाद और सेवाओं को तेजी से बाजार में लाना संभव होगा।
  2. बेहतर सेवा: फोनपे को ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार अपने सॉल्यूशंस को कस्टमाइज़ करने में आसानी होगी।
  3. डेटा सुरक्षा: डेटा का नियंत्रण कंपनी के पास रहेगा, जिससे गोपनीयता और सुरक्षा बढ़ेगी।

जस्पे के लिए क्या होगा असर?

जस्पे को भारत के पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी माना जाता है। लेकिन फोनपे के इस निर्णय के बाद, जस्पे को:

  1. ग्राहक आधार में कमी: फोनपे के वॉल्यूम का 15% हिस्सा खोने से कंपनी के राजस्व पर असर पड़ेगा।
  2. नई रणनीति की आवश्यकता: जस्पे को अब अन्य ग्राहकों के साथ संबंध मजबूत करने और अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान देना होगा।

जस्पे की सेवाएं, जैसे हाइपरएसडीके और यूपीआई इन ए बॉक्स, अभी भी कई मर्चेंट्स के लिए उपयोगी हैं। यह देखना होगा कि जस्पे इस झटके से कैसे उबरती है और बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखती है।

निष्कर्ष

फोनपे का यह निर्णय कंपनी के लंबे समय के विकास और डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीधे मर्चेंट्स से जुड़ने की रणनीति न केवल ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाएगी, बल्कि फोनपे को अपनी सेवाओं को तेज और प्रभावी तरीके से डिलीवर करने में भी मदद करेगी।

हालांकि, जस्पे जैसे प्लेटफॉर्म के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में नवाचार और सुधार के नए रास्ते भी खोल सकता है।

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Vastu Housing को Prosus से $100 मिलियन का निवेश, 8.4% हिस्सेदारी हासिल

Vastu Housing

Vastu Housing का उद्देश्य और फोकस
Vastu Housing फाइनेंस, किफायती आवास वित्त क्षेत्र में एक प्रमुख नाम है, जो वंचित समुदायों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हाल ही में, कंपनी ने अमेरिकी इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (USDFC) से $50 मिलियन का ऋण प्राप्त किया था। अब, Prosus ने वास्तु हाउसिंग में $100 मिलियन का निवेश करते हुए 8.4% हिस्सेदारी (7.8% पूरी तरह से घटी हुई हिस्सेदारी) हासिल की है। Prosus, जो एक प्रमुख उपभोक्ता इंटरनेट समूह है, ने इस निवेश के साथ भारतीय आवास वित्त बाजार में अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है।

Vastu Housing आवास वित्त कंपनियों में बढ़ता निवेश
हाल के महीनों में आवास वित्त कंपनियों ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

  • ईज़ी होम फाइनेंस: हाल ही में, इस कंपनी ने $35 मिलियन का निवेश रंजन पाई के परिवार कार्यालय और अन्य निवेशकों से जुटाया।
  • बेसिक होम लोन: सितंबर में इस स्टार्टअप ने सीरीज बी फंडिंग राउंड में $10.6 मिलियन जुटाए।
  • वृद्धि होम फाइनेंस: अक्टूबर में, इस कंपनी ने नॉरवेस्ट वेंचर पार्टनर्स के नेतृत्व में $35 मिलियन का फंडिंग राउंड पूरा किया।

इन निवेशों से स्पष्ट है कि भारत के आवास वित्त बाजार में तेजी देखी जा रही है, खासकर किफायती आवास वित्त क्षेत्र में।

Prosus का Mintifi में भी निवेश
Prosus ने न केवल Vastu में, बल्कि B2B सप्लाई चेन फाइनेंसिंग फर्म Mintifi में भी निवेश किया है। इस समूह ने $80 मिलियन का निवेश करते हुए Mintifi में 10.65% हिस्सेदारी हासिल की है। यह निवेश Mintifi को $750 मिलियन के मूल्यांकन पर किया गया है।

Mintifi, छोटे और मझोले उद्योगों (SMEs) के लिए विशेष रूप से भुगतान समाधान, इनवॉइसिंग और कस्टमाइज्ड फाइनेंसिंग समाधान प्रदान करता है। यह कंपनी अंतिम मील वितरण नेटवर्क को सक्षम बनाती है और विभिन्न उद्योगों में अपनी सेवाएं देती है।

Mintifi का विकास और फंडिंग इतिहास
Mintifi ने इससे पहले भी लगभग $170 मिलियन की फंडिंग जुटाई है। मार्च 2023 में, कंपनी ने $110 मिलियन का सीरीज डी फंडिंग राउंड पूरा किया था। इस नए निवेश के साथ, Mintifi की स्थिति SME क्षेत्र में और मजबूत हो गई है।

आवास वित्त क्षेत्र की बढ़ती संभावनाएं
भारतीय आवास वित्त क्षेत्र, खासकर किफायती आवास वित्त, निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इस क्षेत्र में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं:

  1. सरकार की किफायती आवास योजनाएं: प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रमों ने किफायती आवास क्षेत्र को बढ़ावा दिया है।
  2. वित्तीय समावेशन: ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने की पहल से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा है।
  3. तेजी से बढ़ती शहरीकरण दर: भारत में शहरीकरण और आवास की बढ़ती मांग ने आवास वित्त कंपनियों के विकास को गति दी है।

Prosus की भारत में रणनीति
Prosus ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में अपनी उपस्थिति को बढ़ाया है। इसके निवेश पोर्टफोलियो में कई प्रमुख कंपनियां शामिल हैं, जैसे:

  • Swiggy: भारत का प्रमुख फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म।
  • BYJU’S: अग्रणी एडटेक स्टार्टअप।
  • Urban Company: होम सर्विसेस प्लेटफॉर्म।

वास्तु हाउसिंग और Mintifi में निवेश Prosus की भारत में रणनीति को और व्यापक बनाता है। ये निवेश न केवल वित्तीय सेवाओं बल्कि तकनीकी समाधान प्रदान करने वाले स्टार्टअप्स पर केंद्रित हैं।

आगे की राह
वास्तु हाउसिंग के लिए Prosus का निवेश कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगा। यह निवेश वास्तु को न केवल अपनी सेवाओं का विस्तार करने में बल्कि नई तकनीकों और समाधानों को अपनाने में भी सक्षम बनाएगा।

दूसरी ओर, Mintifi का निवेश SME सेक्टर में कंपनी की स्थिति को मजबूत करेगा, जिससे छोटे और मझोले व्यापारियों को वित्तीय सेवाएं उपलब्ध होंगी।

निष्कर्ष
Prosus का $100 मिलियन का निवेश और आवास वित्त क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियां इस बात का संकेत हैं कि भारतीय बाजार में किफायती आवास और SME फाइनेंसिंग से जुड़े अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि वास्तु हाउसिंग और Mintifi जैसे स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में कैसे नए मानक स्थापित करते हैं।

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Ola Electric की बादशाहत बरकरार, TVS और Bajaj ने दी टक्कर

ola electric

भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार ने नवंबर 2024 में 29% की सालाना वृद्धि दर्ज की, जिसमें कुल बिक्री 1,18,000 यूनिट्स को पार कर गई। हालांकि, अक्टूबर के मुकाबले मासिक आधार पर यह आंकड़ा 15% कम रहा। यह जानकारी वाहन डेटा के आधार पर सामने आई है।


Ola Electric का दबदबा बरकरार

Ola Electric ने नवंबर में 29,191 यूनिट्स की बिक्री के साथ बाजार में अपना नेतृत्व बनाए रखा। कंपनी ने कुल इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार का 24.54% हिस्सा अपने नाम किया।
हालांकि, भाविश अग्रवाल के नेतृत्व वाली इस कंपनी के बाजार हिस्सेदारी में पिछले छह महीनों में उतार-चढ़ाव देखा गया है।

  • अक्टूबर में बाजार हिस्सेदारी 30% थी, जो सितंबर के 27% से बढ़ी थी।
  • अगस्त में यह 32% और जुलाई में 39% रही।
  • जून में कंपनी ने अपने उच्चतम 49% बाजार हिस्सेदारी को छुआ था।

TVS और Bajaj Auto की कड़ी टक्कर

नवंबर में, TVS Motor और Bajaj Auto ने Ola Electric के करीब पहुंचते हुए मजबूत प्रदर्शन किया।

  • TVS Motor ने 28,200 यूनिट्स बेचीं, जो बाजार का 23% हिस्सा है।
  • Bajaj Auto ने 27,400 यूनिट्स की बिक्री की और 22% बाजार हिस्सेदारी हासिल की।

ये दोनों कंपनियां Ola Electric के साथ प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ी हैं और धीरे-धीरे अपने बाजार हिस्सेदारी को बढ़ा रही हैं।


Ather Energy और Hero MotoCorp का प्रदर्शन

Ather Energy ने 15,800 यूनिट्स की बिक्री के साथ चौथा स्थान हासिल किया और 11% बाजार हिस्सेदारी को नियंत्रित किया।

  • Ather Energy जल्द ही स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने की तैयारी कर रही है।

वहीं, Hero MotoCorp की इलेक्ट्रिक डिवीजन ने केवल 3,300 यूनिट्स की बिक्री दर्ज की।


Ola Electric का स्टॉक प्रदर्शन

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में Ola Electric के प्रदर्शन की तरह ही, कंपनी के स्टॉक प्राइस में भी हाल के महीनों में उतार-चढ़ाव देखा गया है।

  • नवंबर में कंपनी का शेयर मूल्य ₹72.72 पर ट्रेड कर रहा था, जो अगस्त के मध्य में ₹157.53 के अपने उच्चतम स्तर से 54% कम है।
  • हालांकि, पिछले सप्ताह कंपनी के शेयरों में 30% की तेजी देखी गई।

इस तेजी का कारण कंपनी द्वारा नए स्कूटर रेंज की घोषणा है, जिसे खासतौर पर वाणिज्यिक उपयोग जैसे ई-कॉमर्स और डिलीवरी के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस नए रेंज के जरिए कंपनी को आने वाले महीनों में अपनी बिक्री बढ़ाने की उम्मीद है।


बाजार की चुनौतियां और संभावनाएं

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में नवंबर के आंकड़े बताते हैं कि यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कंपनियों के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

  1. मासिक गिरावट: अक्टूबर की तुलना में 15% की गिरावट उद्योग की मौसमी मांग और उत्पादन चुनौतियों को दर्शाती है।
  2. प्रतिस्पर्धा: TVS, Bajaj, और Ather जैसी कंपनियों ने Ola Electric के बाजार नेतृत्व को चुनौती देना शुरू कर दिया है।
  3. नए उत्पादों की मांग: वाणिज्यिक उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए स्कूटर्स और अन्य इनोवेशन कंपनियों को बढ़त दिला सकते हैं।

निष्कर्ष

भारत का इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता का भी प्रतिबिंब है।

  • Ola Electric, TVS Motor, और Bajaj Auto जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
  • नई योजनाएं और उत्पादों के साथ, कंपनियां इस प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं।

आने वाले महीनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी कंपनी बाजार हिस्सेदारी में सबसे आगे रहती है और कौन से नए इनोवेशन इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाते हैं।

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DSLR Technologies को ₹18.96 करोड़ की प्री-सीरीज ए फंडिंग

DSLR Technologies

निवेशकों का भरोसा और बढ़ता हुआ वैल्यूएशन
डी2सी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म DSLR Technologies ने अपने मौजूदा निवेशकों Z47 (पहले Matrix Partners India) और Accel India से ₹18.96 करोड़ ($2.24 मिलियन) की प्री-सीरीज ए फंडिंग जुटाई है।

कंपनी के निदेशक मंडल ने एक विशेष प्रस्ताव पास कर 8,530 प्री-सीरीज ए क्यूम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर ₹22,224 की प्रति शेयर कीमत पर जारी करने का निर्णय लिया है। यह राशि पूंजीगत व्यय, मार्केटिंग और सामान्य कॉर्पोरेट कार्यों में निवेश की जाएगी।


DSLR Technologies और Aramya ब्रांड का परिचय
DSLR Technologies की स्थापना अंकुश गोयल ने की थी। यह कंपनी Aramya नामक डी2सी ब्रांड के तहत महिलाओं के लिए एथनिक वियर प्रदान करती है। यह ब्रांड पारंपरिक हैंड-प्रिंटेड डिजाइनों जैसे ब्लॉक प्रिंट्स, बंधनी, और अज्रक को शुद्ध कॉटन और लिनन कॉटन जैसे प्रीमियम फैब्रिक्स के साथ पेश करता है।

TheKredible के अनुसार, इस फंडिंग के बाद DSLR Technologies की वैल्यूएशन लगभग ₹381 करोड़ ($45.3 मिलियन) हो जाएगी, जो इसके पिछले सीड राउंड के $25 मिलियन से 80% अधिक है।


नए फंडिंग राउंड का असर
ताजा निवेश के बाद, Z47 (Matrix) और Accel कंपनी में 14.78% हिस्सेदारी रखेंगे। यह फंडिंग राउंड अभी जारी है, और DSLR Technologies भविष्य में और फंड जुटा सकता है। इससे कंपनी की वैल्यूएशन और कैप टेबल में और बदलाव होने की संभावना है।


पिछले फंडिंग राउंड और वित्तीय स्थिति
जयपुर स्थित यह कंपनी अपने सीड राउंड में Matrix Partners और Accel Partners से लगभग $7 मिलियन जुटा चुकी है। हालांकि, FY23 में DSLR Technologies का प्रदर्शन वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण रहा।

  • कंपनी ने FY23 में कुल ₹2.66 करोड़ का राजस्व अर्जित किया।
  • इनमें से ₹41 लाख ऑपरेटिंग रेवेन्यू से आए।
  • कंपनी को ₹10 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ।

हालांकि, FY24 के लिए कंपनी ने अभी तक अपनी वित्तीय रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।


Aramya ब्रांड की अनूठी पेशकश
Aramya ब्रांड ने पारंपरिक भारतीय डिजाइनों को आधुनिक फैब्रिक्स और स्टाइलिंग के साथ मिलाकर ग्राहकों का ध्यान खींचा है।

  • पारंपरिक प्रिंटिंग तकनीकें जैसे अज्रक, बंधनी, और ब्लॉक प्रिंटिंग
  • प्रीमियम क्वालिटी के फैब्रिक्स जैसे शुद्ध कॉटन और लिनन कॉटन
  • महिलाओं के लिए विशेष तौर पर डिज़ाइन किए गए एथनिक कपड़े।

यह ब्रांड न केवल भारतीय उपभोक्ताओं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है।


फंडिंग का उपयोग
DSLR Technologies ने यह स्पष्ट किया है कि यह ताजा फंडिंग निम्नलिखित क्षेत्रों में निवेश की जाएगी:

  1. पूंजीगत व्यय: उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए।
  2. मार्केटिंग: ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने और अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए।
  3. कॉर्पोरेट विस्तार: कंपनी के संचालन और व्यापारिक रणनीतियों को मजबूत करने के लिए।

निवेशकों की भूमिका और कंपनी का भविष्य
Z47 (Matrix) और Accel जैसे निवेशकों का बढ़ता भरोसा DSLR Technologies की दीर्घकालिक सफलता का संकेत है। इस फंडिंग के जरिए कंपनी न केवल अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को विस्तारित करेगी बल्कि नई तकनीकों और डिजाइनों को भी अपनाएगी।


चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि DSLR Technologies ने अपने ब्रांड और उत्पादों के माध्यम से बाजार में जगह बनाई है, लेकिन FY23 का वित्तीय प्रदर्शन कंपनी के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है।

  • कंपनी को राजस्व बढ़ाने और घाटे को कम करने के लिए मजबूत रणनीतियों की आवश्यकता होगी।
  • मार्केटिंग और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान देना होगा।
  • D2C क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए नवाचार और ग्राहक-केंद्रित उत्पाद विकसित करने होंगे।

निष्कर्ष
DSLR Technologies की प्री-सीरीज ए फंडिंग न केवल कंपनी के लिए बल्कि भारतीय डी2सी ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए भी एक सकारात्मक कदम है। Aramya जैसे ब्रांड पारंपरिक भारतीय कला और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन संयोजन पेश कर रहे हैं, जिससे न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ग्राहकों का ध्यान आकर्षित हो रहा है।

ताजा फंडिंग और बढ़ती वैल्यूएशन के साथ, DSLR Technologies भविष्य में अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हुए डी2सी मार्केट में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकता है।

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जर्मनी की स्नैकिंग ब्रांड KoRo ने सीरीज़ C फंडिंग में जुटाए €35 मिलियन

KoRo

जर्मनी के बर्लिन स्थित स्नैकिंग ब्रांड KoRo ने €35 मिलियन (लगभग ₹310 करोड़) की सीरीज़ C फंडिंग प्राप्त की है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Coefficient Capital ने किया, जबकि Five Seasons Ventures, HV Capital, Partech, Haub Legacy Ventures, और SevenVentures जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी भाग लिया।

KoRo फंडिंग का उपयोग

KoRo ने घोषणा की है कि यह फंडिंग कंपनी की निम्नलिखित योजनाओं को साकार करने में मदद करेगी:

  1. लाभदायक वृद्धि रणनीति को तेज करना।
  2. उत्पाद नवाचार को बढ़ावा देना।
  3. यूरोपीय बाजारों में विस्तार करना, विशेष रूप से फ्रांस, इटली, और बेनेलक्स क्षेत्रों में।

KoRo: एक परिचय

KoRo की स्थापना 2014 में कॉन्स्टैंटिनोस कैलिओस और पिरान आस्सी ने की थी।
यह ब्रांड नेचुरल फूड्स, क्लीन लेबल स्नैक्स, और फंक्शनल फूड्स की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।

  • इसके उत्पादों में नट बटर, सूखे मेवे, और स्वस्थ स्नैक्स शामिल हैं।
  • कंपनी का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता और उत्पाद नवाचार के माध्यम से “कॉन्शियस ईटर्स” के लिए बेहतर और अलग उत्पाद प्रदान करना है।

प्रबंधन टीम और विकास

2020 में फ्लोरियन श्वेंकर्ट (CEO) और 2022 में डॉ. डेनियल कुंड्ट (CFO) कंपनी की प्रबंधन टीम में शामिल हुए।

  • वर्तमान में KoRo के पास 300 से अधिक कर्मचारी हैं।
  • कंपनी के 2 मिलियन से अधिक ग्राहक यूरोप में फैले हुए हैं।
  • KoRo के उत्पाद यूरोप के प्रमुख रिटेल चेन जैसे Edeka, Rewe, और Albert Heijn के 13,000 से अधिक बिक्री स्थानों पर उपलब्ध हैं।

KoRo की उत्पाद रणनीति

प्राकृतिक और गुणवत्ता उत्पाद

KoRo अपने ग्राहकों को स्वस्थ और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद प्रदान करने पर केंद्रित है।

  • नट बटर और सूखे मेवे जैसे उत्पाद न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि पोषण से भरपूर भी हैं।
  • कंपनी के क्लीन लेबल स्नैक्स कृत्रिम रंगों और प्रिज़र्वेटिव्स से मुक्त हैं।

नवाचार और पारदर्शिता

KoRo लगातार खाद्य नवाचार की दिशा में काम कर रहा है।

  • कंपनी नए उत्पाद विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) पर निवेश कर रही है।
  • KoRo अपने उत्पादों की सप्लाई चेन पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, जिससे ग्राहकों को गुणवत्ता पर भरोसा मिलता है।

यूरोप में विस्तार

KoRo यूरोपीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रमुख क्षेत्र

  1. फ्रांस:
    • यहां स्वस्थ स्नैक्स और नेचुरल फूड्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।
  2. इटली:
    • इटली के ग्राहक पारंपरिक और प्राकृतिक उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं।
  3. बेनेलक्स क्षेत्र:
    • बेल्जियम, नीदरलैंड्स, और लक्ज़मबर्ग में KoRo अपने उत्पादों को और अधिक ग्राहकों तक पहुंचाना चाहता है।

सप्लाई चेन का विस्तार

KoRo अपने 13,000+ बिक्री स्थानों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखता है।


स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा

KoRo का ध्यान केवल उत्पाद बेचने तक सीमित नहीं है; यह एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है।

  • कंपनी सस्टेनेबल पैकेजिंग का उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
  • यह ब्रांड अपने ग्राहकों को बेहतर पोषण विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करता है।

फंडिंग का महत्व

KoRo के लिए यह फंडिंग केवल वित्तीय वृद्धि का साधन नहीं है, बल्कि इसके व्यवसाय को अगले स्तर पर ले जाने का एक बड़ा अवसर है।

मुख्य लाभ

  1. वित्तीय स्थिरता:
    • यह पूंजी कंपनी को अपने ऑपरेशन और मार्केटिंग को मजबूत करने में मदद करेगी।
  2. नवाचार में निवेश:
    • R&D में अधिक निवेश कर नए और बेहतर उत्पाद विकसित किए जा सकते हैं।
  3. वैश्विक ब्रांड बनने की राह:
    • KoRo यूरोपीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है।

KoRo की सफलता की कहानी

ग्राहकों की पसंद

KoRo के 2 मिलियन से अधिक ग्राहक इसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता के सबूत हैं।

रिटेल उपस्थिति

13,000 से अधिक स्टोर्स में KoRo का मौजूद होना इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है।

प्रबंधन की भूमिका

फ्लोरियन श्वेंकर्ट और डॉ. डेनियल कुंड्ट के नेतृत्व में कंपनी ने तेजी से विस्तार किया है।


निष्कर्ष

KoRo ने अपने उत्पादों की गुणवत्ता, नवाचार, और पारदर्शिता के जरिए यूरोपीय बाजार में अपनी एक खास जगह बनाई है।

  • सीरीज़ C फंडिंग से प्राप्त €35 मिलियन कंपनी के लिए एक नया अध्याय खोलने का अवसर है।
  • फ्रांस, इटली, और बेनेलक्स में विस्तार और R&D में निवेश KoRo को यूरोप में अग्रणी ब्रांड बना सकता है।

KoRo का ध्यान सिर्फ एक स्नैकिंग ब्रांड होने तक सीमित नहीं है; यह स्वस्थ जीवनशैली और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। आने वाले समय में KoRo का यह विजन इसे वैश्विक स्तर पर और भी बड़ी सफलता दिला सकता है।

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Agritech सेक्टर की चुनौतीपूर्ण राह: Gramophone का राजस्व 69% गिरा

Gramophone

एग्रीटेक क्षेत्र ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र साबित किया है। अब तक इस क्षेत्र से कोई भी यूनिकॉर्न स्टार्टअप उभरकर सामने नहीं आया है, और अधिकांश वेंचर-बैक्ड स्टार्टअप लाभप्रदता से कोसों दूर हैं।
हालांकि, देहात और निंजाकार्ट जैसे प्रमुख एग्रीटेक स्टार्टअप्स ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में ₹2,000 करोड़ से अधिक का ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) हासिल किया, लेकिन ग्रामोफोन के लिए यह साल कठिन साबित हुआ।

गुरुग्राम आधारित Gramophone का GMV वित्त वर्ष 2024 में 69% घटकर ₹98 करोड़ रह गया, जो FY23 में ₹316 करोड़ था।


Gramophone: एक परिचय

Gramophone की स्थापना 2016 में निशांत महात्रे और तौसीफ खान ने की थी।
यह प्लेटफॉर्म किसानों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है:

  1. फसल सुरक्षा और पोषण उत्पाद।
  2. बीज और कृषि उपकरण।
  3. फसल बिक्री की सुविधा (ग्राम व्यापार फीचर के माध्यम से)।

ग्रामोफोन का दावा है कि वह 50,000 गांवों में सेवाएं प्रदान करता है और 20 लाख से अधिक किसान और रिटेलर्स इसके नेटवर्क का हिस्सा हैं।


वित्तीय प्रदर्शन: राजस्व और व्यय

राजस्व में गिरावट

ग्रामोफोन का FY24 में ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) ₹98 करोड़ रहा, जबकि FY23 में यह ₹316 करोड़ था।

  • कंपनी के मुख्य राजस्व का स्रोत एग्री-इनपुट्स की बिक्री है।
  • राजस्व में गिरावट का प्रमुख कारण कंपनी का घटता हुआ परिचालन स्केल है।

खर्च में कमी

ग्रामोफोन के कुल खर्चों में 64% की कमी आई, जो FY23 में ₹374 करोड़ से घटकर FY24 में ₹133 करोड़ रह गए।

  • एग्री-इनपुट्स की खरीद लागत:
    • FY24 में ₹90 करोड़ (FY23 में ₹304 करोड़ से 70% कम)।
    • यह खर्च कंपनी के कुल व्यय का 68% हिस्सा है।
  • अन्य खर्च:
    • कर्मचारी लाभ, पैकेजिंग, विज्ञापन, और अन्य परिचालन लागत ने FY24 में कंपनी के खर्च को प्रभावित किया।

एग्रीटेक सेक्टर में चुनौतियां

यूनिकॉर्न की कमी

एग्रीटेक स्टार्टअप्स को अभी तक यूनिकॉर्न बनने का मौका नहीं मिला है।

  • लाभप्रदता तक पहुंचने में कठिनाई और स्थायी राजस्व मॉडल का अभाव इस क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां हैं।
  • एग्रीटेक क्षेत्र को अक्सर उच्च परिचालन लागत और निम्न मार्जिन का सामना करना पड़ता है।

ग्रामोफोन के लिए चुनौतियां

  1. कम होता परिचालन स्केल:
    • GMV में भारी गिरावट कंपनी के व्यवसाय मॉडल पर सवाल खड़ा करता है।
  2. कठिन प्रतिस्पर्धा:
    • देहात और निंजाकार्ट जैसे खिलाड़ियों की स्थिर वृद्धि ने ग्रामोफोन के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है।
  3. कृषि क्षेत्र की अस्थिरता:
    • खेती के मौसम, फसल की कीमतों, और सरकारी नीतियों में बदलाव से भी कंपनी की वृद्धि प्रभावित होती है।

कंपनी की सेवाओं का प्रभाव

ग्रामोफोन ने अब तक कई किसानों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराए हैं:

  • कृषि उत्पादों तक पहुंच:
    • ग्रामोफोन ने बीज, उर्वरक, और उपकरणों की उपलब्धता को सरल बनाया है।
  • डायरेक्ट सेलिंग प्लेटफॉर्म:
    • ग्राम व्यापार फीचर के जरिए किसानों को अपनी फसलें सीधे बेचने का मौका मिलता है, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं।

हालांकि, राजस्व में गिरावट और खर्चों में कटौती कंपनी के भविष्य के लक्ष्यों को प्रभावित कर सकती है।


भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं

कंपनी के लिए संभावित सुधार

  1. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश:
    • किसानों को सशक्त बनाने के लिए ग्रामोफोन को अपनी तकनीकी सेवाओं में सुधार करना होगा।
  2. नई साझेदारियां:
    • एग्रीटेक सेक्टर में साझेदारी करके लागत को कम और पहुंच को बढ़ाना।
  3. लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित:
    • परिचालन मॉडल को इस तरह से पुनर्गठित करना, जिससे लाभप्रदता हासिल की जा सके।

एग्रीटेक सेक्टर का भविष्य

एग्रीटेक सेक्टर में अभी भी बड़े पैमाने पर संभावनाएं हैं।

  • NABARD और भारत सरकार की योजनाएं इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
  • 2025 तक, भारतीय एग्रीटेक बाजार का आकार $24 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

निष्कर्ष

ग्रामोफोन का FY24 में राजस्व में गिरावट और खर्चों में कमी एग्रीटेक सेक्टर की चुनौतियों को उजागर करता है।

  • हालांकि, कंपनी के पास अब भी बड़े स्तर पर किसानों की मदद करने और अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने का मौका है।
  • यदि ग्रामोफोन नई रणनीतियों को अपनाता है और अपने परिचालन स्केल को पुनः प्राप्त करता है, तो वह देहात और निंजाकार्ट जैसे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकता है।

एग्रीटेक क्षेत्र के विकास के लिए स्थायी व्यवसाय मॉडल, सरकारी समर्थन, और किसानों की जरूरतों को समझना आवश्यक है। ग्रामोफोन जैसे स्टार्टअप्स के लिए यह सही समय है कि वे अपनी सेवाओं को पुनर्गठित करें और भारतीय कृषि में बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभाएं।

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Zomato ने QIP के जरिए जुटाए ₹8,500 करोड़

Zomato

Zomato Limited ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशंस प्लेसमेंट (QIP) के माध्यम से ₹8,500 करोड़ जुटाए हैं। पिछले सप्ताह, इस फंडरेज के लिए कंपनी को शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई थी।


Zomato शेयर जारी करने का विवरण

Zomato ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि इस प्रक्रिया में कुल 33,64,73,755 इक्विटी शेयर जारी किए गए।

  • प्रत्येक शेयर की कीमत ₹252.62 तय की गई, जिसमें ₹251.62 का प्रीमियम शामिल है।
  • यह इश्यू प्राइस, प्रति शेयर निर्धारित फ्लोर प्राइस ₹265.91 पर 5% की छूट दर्शाता है।

यह पूंजी Zomato की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और उसके तेजी से बढ़ते क्विक कॉमर्स सेगमेंट में विस्तार, विशेष रूप से Blinkit के जरिए नई रणनीतिक पहलों को प्रोत्साहित करेगी।


फंडरेजिंग प्रक्रिया और निवेशकों की भागीदारी

Zomato की यह QIP पेशकश 25 नवंबर को शुरू हुई और 28 नवंबर को बंद हुई।

  • Zomato की फंड रेजिंग कमेटी ने आज हुई बैठक में इस पेशकश को मंजूरी दी।
  • इस इश्यू में कई प्रमुख म्यूचुअल फंड्स ने हिस्सा लिया, जिनमें ICICI Prudential और Motilal Oswal जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
    • Motilal Oswal ने इस इश्यू में 6.92 करोड़ शेयर हासिल किए, जो कुल इश्यू साइज का 20.81% है।

Zomato का पूंजी ढांचा

इस फंडरेज के बाद Zomato की पेड-अप इक्विटी शेयर पूंजी ₹917.28 करोड़ तक पहुंच गई है।


कैसे मदद करेगी यह पूंजी?

Zomato इस पूंजी का उपयोग अपने बिजनेस विस्तार और रणनीतिक पहलों के लिए करेगा।

  1. Blinkit के माध्यम से क्विक कॉमर्स स्पेस:
    • Zomato Blinkit के जरिए ग्राहकों को तेज़ और बेहतर सेवाएं प्रदान करने की योजना बना रहा है।
    • यह फंड Blinkit की सेवाओं और वितरण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।
  2. वित्तीय मजबूती और रणनीतिक निवेश:
    • इस पूंजी के साथ Zomato की वित्तीय स्थिति और बेहतर होगी।
    • कंपनी नए बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाने और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन में निवेश करेगी।
  3. मार्जिन सुधार और ऑपरेशनल एफिशिएंसी:
    • फंड का उपयोग Zomato की लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन को कुशल बनाने में किया जाएगा।
    • कंपनी की मार्जिन प्रोफाइल सुधारने और लाभप्रदता सुनिश्चित करने पर भी जोर रहेगा।

Zomato और Blinkit की साझेदारी

Blinkit के साथ Zomato की साझेदारी भारतीय क्विक कॉमर्स मार्केट में एक महत्वपूर्ण कदम है।

  • Zomato ने 2022 में Blinkit का अधिग्रहण किया था, जिसके जरिए वह 10-20 मिनट की क्विक डिलीवरी सेवाओं में उतरा।
  • भारतीय क्विक कॉमर्स मार्केट का आकार 2025 तक $5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

Zomato के वित्तीय प्रदर्शन पर असर

हाल के वर्षों में Zomato ने अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार किया है।

  • Blinkit और अन्य नए व्यवसायों के लिए किए गए भारी निवेश के बावजूद, कंपनी ने अपने राजस्व में बढ़ोतरी और लाभप्रदता सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है।
  • इस फंडरेज के बाद, Zomato की क्षमता और भी मजबूत होगी, जिससे वह अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल सकेगा।

इश्यू की रणनीतिक महत्वता

Zomato का यह कदम भारतीय फूडटेक और क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा।

  • QIP के माध्यम से जुटाई गई यह पूंजी कंपनी को दीर्घकालिक वृद्धि के लिए तैयार करेगी।
  • Blinkit के साथ साझेदारी और नए बाजारों में प्रवेश Zomato को एक मल्टी-कैटेगरी सर्विस प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में ले जाएगा।

भारतीय फूडटेक इंडस्ट्री का परिदृश्य

भारत में फूडटेक इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है।

  • NASSCOM की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारतीय फूड डिलीवरी मार्केट का आकार $15 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
  • Zomato और Swiggy जैसी कंपनियां इस इंडस्ट्री में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
  • क्विक कॉमर्स सेगमेंट में Blinkit, Zepto और BigBasket जैसे खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है।

भविष्य की संभावनाएं

Zomato के लिए यह फंडरेज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसे निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा:

  1. ग्राहक अनुभव में सुधार:
    • डिलीवरी सेवाओं को और तेज और कुशल बनाना।
  2. मार्केट विस्तार:
    • छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाओं को पहुंचाना।
  3. नवाचार और टेक्नोलॉजी में निवेश:
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में निवेश करना।

निष्कर्ष

₹8,500 करोड़ का यह फंडरेज Zomato की रणनीतिक योजनाओं और बिजनेस विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

  • Blinkit के जरिए कंपनी भारतीय क्विक कॉमर्स मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
  • यह कदम न केवल Zomato को अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे ले जाएगा, बल्कि इसे एक मजबूत और स्थिर फूडटेक पावरहाउस बनने में भी मदद करेगा।

Zomato का यह कदम भारतीय फूडटेक इंडस्ट्री के भविष्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।

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गेमिंग कंपनी Winzo ने लगाया भेदभाव और एकाधिकार का आरोप

Winzo

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गेमिंग कंपनी WinZO की शिकायत पर गूगल के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गूगल अपने प्रभावशाली बाजार स्थिति (dominant market position) का दुरुपयोग कर गेमिंग कंपनियों के साथ भेदभाव कर रहा है और प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रहा है।

CNBC-TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, CCI के महानिदेशक (Director General) को 60 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।


क्या हैं WinZO के आरोप?

WinZO की सह-संस्थापक सौम्या सिंह राठौर ने कहा:

“गूगल प्ले स्टोर की नीति, जिसमें केवल फैंटेसी और रम्मी गेम्स को शामिल किया गया है, और विज्ञापन नीति, जिसमें केवल इन दो कैटेगरी के व्यवसायों को इंटरनेट पर विज्ञापन देने की अनुमति है, बाजार को विकृत करती है। यह नीति केवल दो चुनिंदा कैटेगरी के लिए लागू है और गूगल के एकाधिकारवादी (monopolistic) रवैये को दर्शाती है।”

राठौर ने यह भी दावा किया कि:

  • फैंटेसी गेमिंग मार्केट का 95% हिस्सा एक ही खिलाड़ी के पास है।
  • रम्मी मार्केट में तीन कंपनियां 90% हिस्सेदारी रखती हैं।
  • गूगल की इस नीति से फैंटेसी और रम्मी गेम्स के लिए मार्केटिंग और ग्राहक अधिग्रहण लागत (customer acquisition cost) केवल एक चौथाई रह गई है।
  • इसके चलते इन गेम्स के लाभांश में अन्य गेमिंग कंपनियों की तुलना में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

Winzo का गूगल के खिलाफ पिछला मामला

यह पहली बार नहीं है जब Winzo ने गूगल के खिलाफ मामला दायर किया है।

  • सितंबर 2022 में, दिल्ली स्थित इस कंपनी ने गूगल पर मुकदमा दायर किया था।
  • उस समय, Winzo ने गूगल को फैंटेसी स्पोर्ट्स और रम्मी जैसे रियल-मनी गेम्स को अपने प्लेटफॉर्म पर अनुमति देने से रोकने की मांग की थी।

Winzo: गेमिंग इंडस्ट्री में एक अग्रणी नाम

2018 में स्थापित, Winzo एक बहु-श्रेणी (multi-category) गेमिंग प्लेटफॉर्म है।

  • यह प्लेटफॉर्म 100 से अधिक गेम्स प्रदान करता है, जिसमें शामिल हैं:
    • रणनीति (strategy)
    • खेल (sports)
    • आर्केड
    • रेसिंग
    • एक्शन
    • बोर्ड गेम्स
  • कंपनी की राजस्व धाराएं (revenue streams):
    1. रियल-मनी गेम्स में उपयोग किए गए फंड पर सेवा शुल्क।
    2. डिजिटल या इन-ऐप वाउचर्स की बिक्री।

Winzo के वित्तीय प्रदर्शन:

  • FY22 में परिचालन से आय: 234 करोड़ रुपये।
  • FY23 में परिचालन से आय: 674 करोड़ रुपये।
  • FY23 में पहली बार 126 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।
  • FY24 की वार्षिक रिपोर्ट अभी दाखिल होनी बाकी है।

गेमिंग इंडस्ट्री को Winzo का समर्थन

Winzo ने हाल ही में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के साथ साझेदारी की है।
इस पहल का उद्देश्य है:

  1. भारत के गेमिंग मार्केट को मजबूत बनाना।
  2. 2,000 से अधिक स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स, और छात्रों को समर्थन देना।
  3. मेंटरशिप, वर्कशॉप्स, और हैकथॉन्स के माध्यम से नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना।

गेमिंग इंडस्ट्री में गूगल की भूमिका

गूगल, जो भारत में प्रमुख तकनीकी प्लेटफॉर्म्स में से एक है, गेमिंग इंडस्ट्री पर व्यापक प्रभाव डालता है।

  • गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध गेम्स की श्रेणियों और विज्ञापन नीतियों का सीधा प्रभाव गेमिंग कंपनियों की प्रतिस्पर्धा और राजस्व पर पड़ता है।
  • Winzo के अनुसार, गूगल की मौजूदा नीतियां इंडस्ट्री में भेदभाव और एकाधिकार को बढ़ावा देती हैं।

CCI की जांच: संभावित परिणाम

CCI की जांच से निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:

  1. गूगल की नीतियों की समीक्षा:
    • प्ले स्टोर और विज्ञापन नीतियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना।
  2. गेमिंग इंडस्ट्री के लिए समान अवसर:
    • सभी कंपनियों को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका।
  3. इनोवेशन को बढ़ावा:
    • छोटे और उभरते गेमिंग स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन।

भारत में गेमिंग इंडस्ट्री का विस्तार

भारत में गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है:

  • 2023 में भारतीय गेमिंग मार्केट का मूल्यांकन $2.6 बिलियन था।
  • 2027 तक यह आंकड़ा $8.6 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि प्रमुख प्लेटफॉर्म्स, जैसे गूगल, निष्पक्ष नीतियां अपनाएं।


निष्कर्ष

CCI की यह जांच भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

  • Winzo जैसे प्लेटफॉर्म्स, जो इंडस्ट्री में विविधता और प्रतिस्पर्धा लाने का प्रयास कर रहे हैं, इस जांच के परिणामस्वरूप राहत पा सकते हैं।
  • गूगल जैसी बड़ी कंपनियों की नीतियों में पारदर्शिता और सुधार से भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री में छोटे और मध्यम स्तर के स्टार्टअप्स के लिए नई संभावनाएं खुल सकती हैं।

गेमिंग इंडस्ट्री के भविष्य को देखते हुए यह जांच एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत को ग्लोबल गेमिंग हब बनाने में योगदान दे सकती है।

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