वेल्थ मैनेजमेंट स्टार्टअप Dezerv ने ₹265 करोड़ जुटाए, राजस्व में 160% की वृद्धि

Dezerv

Dezerv, एक वेल्थ मैनेजमेंट स्टार्टअप, ने जुलाई 2024 में सीरीज बी फंडिंग राउंड में ₹265 करोड़ जुटाए। यह निवेश कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और उसके व्यवसाय मॉडल पर निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में कंपनी की आय में शानदार बढ़ोतरी हुई, लेकिन उसके घाटे में भी 95% की वृद्धि देखी गई।


वित्तीय प्रदर्शन: आय में तेज़ी, घाटे में बढ़ोतरी

आय और कुल राजस्व

Dezerv का संचालन राजस्व वित्त वर्ष 2024 में ₹26.25 करोड़ तक पहुँच गया, जो वित्त वर्ष 2023 के ₹10.20 करोड़ से 160% अधिक है।

  • गैर-संचालन आय ₹8 लाख रही, जिससे कुल आय ₹26.33 करोड़ हो गई।

घाटे का विस्तार

हालांकि कंपनी का राजस्व तेजी से बढ़ा, उसके कुल खर्चों में 108.3% की वृद्धि हुई, जो ₹100.84 करोड़ तक पहुँच गया।

  • घाटा वित्त वर्ष 2024 में लगभग दोगुना होकर ₹74.51 करोड़ हो गया।

Dezerv का बिजनेस मॉडल: उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों पर फोकस

Dezerv उन पेशेवरों और उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों (HNIs) को लक्षित करता है, जो अपने निवेश को विशेषज्ञता के साथ प्रबंधित करना चाहते हैं।

मुख्य सेवाएँ:

  1. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS):
    • विशेषज्ञ सलाह के साथ निवेश का प्रबंधन।
    • बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ।
  2. डायरेक्ट बॉन्ड्स:
    • सुरक्षित और स्थिर आय के लिए बॉन्ड में निवेश।
  3. एंजल इन्वेस्टमेंट:
    • स्टार्टअप्स में निवेश के अवसर प्रदान करना।

निवेश सीमा:

Dezerv मुख्य रूप से उन ग्राहकों को लक्षित करता है, जो ₹15 लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक का निवेश कर सकते हैं।


खर्चों का आकलन: कर्मचारी और मार्केटिंग खर्चों का दबदबा

कर्मचारी लाभ खर्च:

Dezerv के कुल खर्चों का सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के लाभ पर गया।

  • यह खर्च वित्त वर्ष 2024 में ₹63.34 करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 113.6% अधिक है।
  • कुल खर्चों में इसका हिस्सा 63% था।

मार्केटिंग पर भारी निवेश:

कंपनी ने ब्रांड बनाने और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग में तीन गुना अधिक निवेश किया।

  • वित्त वर्ष 2024 में यह खर्च ₹18.48 करोड़ रहा।

अन्य खर्च:

  • कानूनी और विविध खर्च: ₹4.13 करोड़।
  • मिश्रित खर्च: ₹14.89 करोड़।

निवेशकों का भरोसा और फंडिंग का महत्व

Dezerv की सीरीज बी फंडिंग का नेतृत्व Premji Invest ने किया, जिसने कंपनी के विकास की संभावनाओं पर भरोसा जताया।

  • ₹265 करोड़ की यह ताज़ा फंडिंग कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे इसे अपने बिजनेस मॉडल को और मज़बूत करने और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने में मदद मिलेगी।
  • इससे पहले, कंपनी ने सीरीज ए फंडिंग के तहत ₹100 करोड़ जुटाए थे।

Dezerv की रणनीति: फंडिंग का उपयोग कहाँ होगा?

कंपनी ने कहा है कि ताज़ा फंडिंग का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाएगा:

  1. तकनीकी उन्नति:
    • बेहतर डिजिटल प्लेटफॉर्म और टूल्स का विकास।
  2. टीम का विस्तार:
    • विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए नए कर्मचारियों की भर्ती।
  3. मार्केटिंग और ब्रांड बिल्डिंग:
    • उच्च नेट वर्थ व्यक्तियों (HNIs) को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग में निवेश।
  4. नई सेवाओं का विस्तार:
    • निवेश उत्पादों की विविधता बढ़ाने पर ध्यान।

बाजार में Dezerv की स्थिति और प्रतिस्पर्धा

Dezerv भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में तेजी से उभर रहा है।

  • यह स्टार्टअप Groww, Upstox, और Scripbox जैसे बड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करता है।
  • Dezerv का मुख्य फोकस HNI ग्राहकों पर है, जिससे यह खुद को एक प्रीमियम सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित कर रहा है।

उद्योग में अवसर और चुनौतियाँ

अवसर:

  1. HNI निवेशकों की बढ़ती संख्या:
    भारत में उच्च आय वर्ग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे Dezerv को अधिक ग्राहक मिल सकते हैं।
  2. डिजिटल निवेश का चलन:
    निवेश में तकनीक का उपयोग ग्राहकों को आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका बन गया है।
  3. विविध सेवाएँ:
    Dezerv अपने पोर्टफोलियो में एंजल इन्वेस्टमेंट और डायरेक्ट बॉन्ड्स जैसी सेवाएँ जोड़कर खुद को प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है।

चुनौतियाँ:

  1. लागत प्रबंधन:
    बढ़ते खर्चों के कारण घाटे को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    मार्केट में अन्य खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना।
  3. ग्राहकों का विश्वास:
    HNIs को आकर्षित करना और बनाए रखना एक लंबी प्रक्रिया है।

भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण

Dezerv ने वित्त वर्ष 2024 में राजस्व में 160% की वृद्धि के साथ अपनी क्षमता साबित की है।

भविष्य की रणनीतियाँ:

  • ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए सेवाओं का विस्तार।
  • खर्चों को नियंत्रित करके लाभप्रदता हासिल करना।
  • टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के जरिए सेवाओं को बेहतर बनाना।

Dezerv भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।


निष्कर्ष

Dezerv ने कम समय में भारतीय वेल्थ मैनेजमेंट बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है। ₹265 करोड़ की फंडिंग और तेज़ी से बढ़ते राजस्व के साथ, कंपनी ने विकास की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। हालांकि घाटे को नियंत्रित करना और प्रतिस्पर्धा का सामना करना Dezerv के लिए बड़ी चुनौतियाँ होंगी।

अगर Dezerv अपनी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो यह भारतीय निवेश बाजार में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।

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Blitz 60-मिनट डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने जुटाए ₹51 करोड़,

Blitz

Blitz (पूर्व में ग्रो सिम्पली) ने अपने सीरीज ए फंडिंग दौर में ₹51 करोड़ जुटाए हैं। इस दौर का नेतृत्व आईवीकैप वेंचर्स ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशकों इंडिया क्वोटियंट और अल्टेरिया कैपिटल के साथ प्रमुख एंजल निवेशकों ने भी भाग लिया। इन निवेशकों में Zepto के रमेश बाफना, Snitch के सिद्धार्थ, बेस्टसेलर के सीईओ विनीत गौतम, और अरविंद फैशन के सीईओ अमिताभ सूरी जैसे नाम शामिल हैं।

पिछले साल जुलाई में, ब्लिट्ज ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $3 मिलियन जुटाए थे, जिसमें इंडिया क्वोटियंट, बेटर कैपिटल, फर्स्ट चेक, और टाइटन कैपिटल जैसे निवेशकों ने हिस्सा लिया था।


Blitz की योजनाएं: तेज़ और विश्वसनीय डिलीवरी पर फोकस

Blitz ने इस ताजा फंडिंग का उपयोग अपनी 60-मिनट डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और भारत के 20 प्रमुख शहरों में डार्क स्टोर नेटवर्क का विस्तार करने के लिए करने की योजना बनाई है।

डार्क स्टोर मॉडल क्या है?

डार्क स्टोर ऐसे छोटे गोदाम होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से तेज़ डिलीवरी के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मॉडल ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एक प्रभावी लॉजिस्टिक्स समाधान है, जो उपभोक्ताओं को तेज़ और भरोसेमंद डिलीवरी प्रदान करने में मदद करता है।

ब्लिट्ज का यह मॉडल स्थानीय स्टोर्स और शहरी वेयरहाउस के माध्यम से ब्रांड्स और उपभोक्ताओं को जोड़ता है। इसका उद्देश्य 60-मिनट की डिलीवरी और एक ही दिन में शिपमेंट जैसी सुविधाएं प्रदान करना है।


कंपनी की स्थापना और विकास

ब्लिट्ज की स्थापना 2020 में गौरव पियूष, मयंक वर्शनेय, और यश शर्मा ने की थी।
कंपनी का मुख्य लक्ष्य ई-कॉमर्स क्षेत्र में तेज़ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान करना है।

प्रमुख सेवाएं

  1. 60-मिनट डिलीवरी:
    उपभोक्ताओं को उनके स्थानीय स्टोर्स से उत्पादों की तुरंत डिलीवरी।
  2. सेम-डे शिपमेंट:
    शहरी वेयरहाउस से उसी दिन में उत्पादों की डिलीवरी।
  3. डार्क स्टोर इंफ्रास्ट्रक्चर:
    भारत के प्रमुख शहरों में गोदामों का नेटवर्क तैयार करना।

फंडिंग का महत्व और निवेशकों का दृष्टिकोण

आईवीकैप वेंचर्स का विश्वास

आईवीकैप वेंचर्स ने इस निवेश को लेकर कहा:
“ब्लिट्ज का डार्क स्टोर मॉडल और 60-मिनट डिलीवरी समाधान भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।”

मौजूदा निवेशकों का योगदान

  • इंडिया क्वोटियंट और अल्टेरिया कैपिटल जैसे मौजूदा निवेशकों ने एक बार फिर से ब्लिट्ज में भरोसा जताया है।
  • Zepto, Snitch, और बेस्टसेलर जैसे बड़े नामों ने भी निवेश कर कंपनी के विकास में रुचि दिखाई है।

भारत में तेज़ डिलीवरी का भविष्य

भारत में फास्ट डिलीवरी सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • उपभोक्ता अब उत्पादों की डिलीवरी के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना चाहते।
  • ई-कॉमर्स कंपनियां अपने ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिए तेजी से डिलीवरी मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रही हैं।

ब्लिट्ज का योगदान

ब्लिट्ज का लक्ष्य इस बढ़ती हुई मांग को पूरा करना और भारतीय ई-कॉमर्स सेक्टर में तेज़ और भरोसेमंद लॉजिस्टिक्स का नेतृत्व करना है।


प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां

प्रतिस्पर्धा

ब्लिट्ज को भारत में डुंजो, स्विगी इंस्टामार्ट, और अमेजन जैसे बड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

चुनौतियां

  1. लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर:
    छोटे शहरों में गोदाम और डिलीवरी नेटवर्क स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  2. कॉस्ट मैनेजमेंट:
    60-मिनट की डिलीवरी सुनिश्चित करना लागत-प्रधान हो सकता है।
  3. टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन:
    तेज़ और प्रभावी संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग आवश्यक है।

भविष्य की योजनाएं

राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार

ब्लिट्ज ने अपने डिलीवरी नेटवर्क को भारत के 20 प्रमुख शहरों तक विस्तारित करने की योजना बनाई है।

तकनीकी उन्नति

कंपनी अपने लॉजिस्टिक्स सॉफ़्टवेयर को और बेहतर बनाने पर काम कर रही है।

उपभोक्ता अनुभव पर ध्यान

ब्लिट्ज का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद डिलीवरी प्रदान करना है।


निष्कर्ष

ब्लिट्ज ने अपने अनोखे डार्क स्टोर मॉडल और 60-मिनट डिलीवरी के जरिए भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अपनी जगह बनाई है। ₹51 करोड़ की फंडिंग के साथ, कंपनी अब अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाने और बड़े पैमाने पर विस्तार करने की तैयारी में है।

भारत में बढ़ती फास्ट डिलीवरी की मांग को देखते हुए, ब्लिट्ज का यह कदम सही दिशा में है।
भविष्य में, यह स्टार्टअप ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बन सकता है।

क्या ब्लिट्ज भारत में तेज़ डिलीवरी सेवाओं के लिए नया मानक स्थापित कर पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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Mayank Bidawatka के नए स्टार्टअप Billion Hearts ने जुटाए $4 मिलियन

Billion Hearts

Mayank Bidawatka, जो कि वर्नाक्यूलर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo के सह-संस्थापक रह चुके हैं, ने अपने नए कंज्यूमर टेक स्टार्टअप Billion Hearts के लिए $4 मिलियन (करीब ₹33 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। यह फंडिंग दौर ब्लूम वेंचर्स के नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें जनरल कैटालिस्ट और अथेरा वेंचर पार्टनर्स ने भी हिस्सा लिया।


Billion Hearts स्टार्टअप का विजन और फंडिंग का उपयोग

Billion Hearts‘ का उद्देश्य एक ऐसा टेक-ड्रिवन प्रोडक्ट विकसित करना है जो वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सके। इस फंडिंग से कंपनी को अपनी तकनीक को उन्नत करने और एक ग्लोबल टीम बनाने में मदद मिलेगी।

टीम का विस्तार

स्टार्टअप का कहना है कि वह एक छोटी लेकिन प्रभावी टीम बनाने पर ध्यान देगा। फिलहाल, कंपनी के पास सीमित कर्मचारी हैं, लेकिन 2024 की शुरुआत तक यह संख्या 15 तक पहुंचाने की योजना है।

पहला प्रोडक्ट

  • ‘बिलियन हार्ट्स’ अपने पहले प्रोडक्ट का बीटा वर्जन अगले साल के शुरुआती महीनों में लॉन्च करेगा।
  • यह ऐप एंड्रॉइड और iPhone दोनों डिवाइस पर उपलब्ध होगा।
  • कंपनी ने इच्छुक यूजर्स के लिए साइन-अप प्रक्रिया शुरू कर दी है।

प्री-सीड फंडिंग में भी मिली थी सफलता

सितंबर 2024 में, ‘बिलियन हार्ट्स’ ने $2.5 लाख (~₹2 करोड़) की प्री-सीड फंडिंग जुटाई थी। इस दौर में रेडबस, ओला, इनमोबी, और मिंत्रा जैसे बड़े स्टार्टअप्स के संस्थापकों ने योगदान दिया।


Koo के बंद होने के बाद मयंक की नई शुरुआत

Koo, जो भारतीय भाषाओं में माइक्रोब्लॉगिंग की सुविधा प्रदान करता था, ने जुलाई 2024 में अपने संचालन को बंद कर दिया।

Koo के विफल होने के प्रमुख कारण:

  1. ट्रैक्शन की कमी:
    Koo को उस स्तर का उपयोगकर्ता आधार नहीं मिल सका, जिसकी उसे उम्मीद थी।
  2. फॉलो-अप इन्वेस्टमेंट की कमी:
    निवेशकों ने आगे फंडिंग देने में रुचि नहीं दिखाई।
  3. मर्जर और एक्विजिशन में असफलता:
    Koo ने अपने संचालन को बनाए रखने के लिए एक मर्जर या अधिग्रहण सौदा खोजने का प्रयास किया, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला।

मयंक का नया दृष्टिकोण

Koo के बंद होने के बावजूद, मयंक ने हार नहीं मानी और ‘बिलियन हार्ट्स’ के जरिए एक नई शुरुआत की है। उनका कहना है कि यह स्टार्टअप एक प्रौद्योगिकी-चालित प्रोडक्ट पर केंद्रित होगा, जो वैश्विक स्तर पर लोगों की जरूरतों को पूरा करेगा।


ब्लूम वेंचर्स और अन्य निवेशकों का दृष्टिकोण

ब्लूम वेंचर्स, जो भारतीय स्टार्टअप्स के शुरुआती चरणों में निवेश करने के लिए जाना जाता है, ने ‘बिलियन हार्ट्स’ में अपना विश्वास जताया है।

जनरल कैटालिस्ट और अथेरा वेंचर पार्टनर्स जैसे प्रमुख निवेशकों का शामिल होना भी इस बात का संकेत है कि यह स्टार्टअप अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट है।

ब्लूम वेंचर्स के एक प्रतिनिधि ने कहा:
“बिलियन हार्ट्स एक ऐसी संभावना है जो न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक उपभोक्ताओं को एक बेहतर अनुभव प्रदान करेगी। मयंक का नेतृत्व और उनकी टेक इनोवेशन में विशेषज्ञता इसे एक मजबूत स्टार्टअप बनाएगी।”


भारतीय कंज्यूमर टेक स्टार्टअप्स का बढ़ता प्रभाव

भारत में कंज्यूमर टेक स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल तकनीक और इंटरनेट की गहरी पैठ ने उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए नए रास्ते खोले हैं।

बिलियन हार्ट्स का स्थान

‘बिलियन हार्ट्स’ एक ऐसे सेगमेंट में प्रवेश कर रहा है, जहां नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव पर मुख्य फोकस है। कंपनी का कहना है कि वह एक ऐसा प्रोडक्ट लॉन्च करेगी जो न केवल उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि उन्हें नया अनुभव भी देगा।

चुनौतियां और अवसर

  • चुनौतियां:
    1. तेज प्रतिस्पर्धा: भारतीय और वैश्विक बाजारों में कई स्थापित खिलाड़ी पहले से मौजूद हैं।
    2. उपयोगकर्ता अधिग्रहण: नए स्टार्टअप्स के लिए उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतना कठिन हो सकता है।
  • अवसर:
    1. निवेशकों का समर्थन: मजबूत निवेशकों का साथ होना इस स्टार्टअप के लिए एक बड़ी ताकत है।
    2. तकनीकी नवाचार: एक प्रौद्योगिकी-चालित प्रोडक्ट होने के नाते, ‘बिलियन हार्ट्स’ नई संभावनाएं पैदा कर सकता है।

भविष्य की योजनाएं

‘बिलियन हार्ट्स’ का मुख्य फोकस अपनी तकनीक को बेहतर बनाने और उपयोगकर्ताओं को एक अनूठा अनुभव प्रदान करने पर होगा।

  1. वैश्विक विस्तार:
    कंपनी का उद्देश्य न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाना है।
  2. छोटी और कुशल टीम:
    बड़ी टीम बनाने के बजाय, कंपनी एक छोटे और प्रभावी टीम मॉडल पर काम करेगी।
  3. टेक्नोलॉजी इनोवेशन:
    नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके एक ऐसा उत्पाद तैयार करना, जो उपयोगकर्ताओं की समस्याओं का समाधान करे।

निष्कर्ष

मयंक बिडावटका ने ‘Koo’ के अनुभव से सीखते हुए, ‘बिलियन हार्ट्स’ के जरिए एक नई शुरुआत की है। शुरुआती फंडिंग और निवेशकों के समर्थन के साथ, यह स्टार्टअप अपनी तकनीक और उपयोगकर्ता अनुभव के जरिए बाजार में अलग पहचान बनाने की कोशिश करेगा।

भले ही चुनौतियां सामने हों, लेकिन ‘बिलियन हार्ट्स’ की रणनीति और मयंक का अनुभव इसे एक संभावित सफलता की ओर ले जा सकता है।

क्या ‘बिलियन हार्ट्स’ भारतीय टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम में नई क्रांति ला पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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Ferns N Petals: FY24 में 16% की राजस्व वृद्धि, घाटा 77% तक घटा

Ferns N Petals

भारत के अग्रणी गिफ्टिंग ब्रांड Ferns N Petals (FNP) ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपनी ऑपरेटिंग आय में 16% की वृद्धि दर्ज की, जबकि इसी अवधि में अपने घाटे को 77% तक कम करने में सफलता प्राप्त की। यह कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, खासकर वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) के फ्लैट प्रदर्शन के बाद।


FNP वित्तीय प्रदर्शन में सुधार

FY24 में Ferns N Petals (FNP) की ऑपरेटिंग आय बढ़कर ₹705.4 करोड़ हो गई, जो FY23 में ₹607.3 करोड़ थी। यह वृद्धि कंपनी की प्रोडक्ट सेल्स, डिलीवरी चार्ज, और फ्रैंचाइज़-आधारित आय में सुधार के कारण संभव हुई।

मुख्य राजस्व स्रोत

  1. केक, फूल और गिफ्टिंग सॉल्यूशंस:
    कंपनी की ऑपरेटिंग आय में 91% योगदान के साथ, केक, फूल और कस्टमाइज्ड गिफ्ट्स की बिक्री इसका मुख्य स्तंभ है। FY24 में, इन उत्पादों की बिक्री 15% बढ़कर ₹640.75 करोड़ हो गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष में ₹556.18 करोड़ थी।
  2. डिलीवरी और अन्य चार्जेस:
    डिलीवरी चार्ज से आय में 40% की वृद्धि हुई, जो FY23 में ₹32.23 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹45.12 करोड़ हो गई।
  3. फ्रैंचाइज़-आधारित आय:
    कंपनी ने फ्रैंचाइज़ी से संबंधित आय, जिसमें वन-टाइम ऑनबोर्डिंग फीस और मासिक रॉयल्टी शामिल हैं, के माध्यम से भी अच्छा प्रदर्शन किया।

कंपनी का बिजनेस मॉडल

Ferns N Petals अपने उत्पादों और सेवाओं को निम्नलिखित चैनलों के माध्यम से प्रदान करती है:

  1. वेबसाइट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म:
    कंपनी अपनी वेबसाइट और थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म (जैसे Amazon और Flipkart) के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाती है।
  2. स्टोर्स और फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क:
    भारत में 400 से अधिक स्टोर्स और 100 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान करने वाली यह कंपनी व्यापक फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क के जरिए ग्राहकों को सेवा देती है।
  3. कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग:
    फर्न्स एन पेटल्स की प्रमुख सेवाओं में कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग सॉल्यूशंस शामिल हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती हैं।

खर्चों में कमी और मुनाफे की ओर कदम

कंपनी के FY24 के प्रदर्शन का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसकी लागत संरचना में सुधार है। फर्न्स एन पेटल्स ने अपने घाटे को 77% तक घटाकर मुनाफे की ओर बढ़ने का संकेत दिया।

प्रमुख बदलाव:

  1. लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल खर्चों में कटौती:
    डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स खर्चों को नियंत्रित करने में सफलता मिली, जिससे कंपनी की कुल लागत में कमी आई।
  2. फ्रैंचाइज़ मॉडल का प्रभावी उपयोग:
    फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क से प्राप्त रॉयल्टी और अन्य शुल्कों ने ऑपरेशनल खर्चों को संतुलित करने में मदद की।
  3. डिजिटल सेल्स का योगदान:
    ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मजबूत उपस्थिति ने पारंपरिक स्टोर्स पर निर्भरता को कम किया।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विस्तार

फर्न्स एन पेटल्स न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है। कंपनी का दावा है कि वह 100 से अधिक देशों में सक्रिय है।

घरेलू बाजार:

भारत में 400 से अधिक स्टोर्स के साथ, कंपनी ने छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक भी अपनी पहुंच बनाई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार:

कंपनी की ग्लोबल सर्विस, विशेष रूप से विशेष अवसरों और त्योहारों के लिए, इसे अन्य गिफ्टिंग ब्रांड्स से अलग बनाती है।


उद्योग में फर्न्स एन पेटल्स का स्थान

फर्न्स एन पेटल्स भारतीय गिफ्टिंग इंडस्ट्री में एक प्रमुख खिलाड़ी है। कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग और फूलों की डिलीवरी के क्षेत्र में इसका योगदान इसे प्रतिस्पर्धी बाजार में अग्रणी बनाता है।

गिफ्टिंग उद्योग की संभावनाएं

भारत में गिफ्टिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर त्योहारों, शादियों और विशेष अवसरों के दौरान। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और कस्टमाइज्ड सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ, फर्न्स एन पेटल्स को अपने विस्तार के लिए बड़ा अवसर प्राप्त हो रहा है।


भविष्य की योजनाएं

कंपनी ने FY24 में अपनी सफलता के बाद, FY25 के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई हैं:

  1. डिजिटल और टेक्नोलॉजी निवेश:
    अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप को और अधिक यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए निवेश करना।
  2. स्टोर्स का विस्तार:
    नए शहरों और कस्बों में स्टोर्स खोलकर अपनी उपस्थिति को बढ़ाना।
  3. कस्टमर एक्सपीरियंस पर ध्यान:
    व्यक्तिगत गिफ्टिंग सेवाओं और तेज़ डिलीवरी पर फोकस करना।

निष्कर्ष

फर्न्स एन पेटल्स ने FY24 में अपनी आय और लागत संरचना दोनों में महत्वपूर्ण सुधार किया है। कंपनी ने न केवल राजस्व में 16% की वृद्धि दर्ज की है, बल्कि अपने घाटे को भी 77% तक कम कर लिया है।

डिजिटल गिफ्टिंग, कस्टमाइजेशन और व्यापक फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क के साथ, कंपनी भारतीय गिफ्टिंग उद्योग में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। फर्न्स एन पेटल्स का भविष्य उज्जवल दिखता है, और इसके नवाचार और विस्तार की योजनाएं इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती हैं।

क्या फर्न्स एन पेटल्स FY25 में मुनाफे का लक्ष्य हासिल कर पाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।

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फिनटेक स्टार्टअप PeLocal ने सीड फंडिंग में जुटाए $2 मिलियन

PeLocal

भारतीय फिनटेक क्षेत्र में तेजी से उभर रहे चेन्नई स्थित स्टार्टअप PeLocal ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $2 मिलियन जुटाए हैं। इस फंडिंग का नेतृत्व यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स ने किया, जबकि पहले इसी राउंड में फ्यूचर मॉन्क इन्वेस्टमेंट्स और अन्य निवेशकों से $1.06 मिलियन जुटाए जा चुके थे।

PeLocal ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह राशि प्लेटफॉर्म के विस्तार, सुधार और बड़े प्रोजेक्ट्स को तेजी से लागू करने के लिए गो-टू-मार्केट रणनीतियों को मजबूत बनाने में उपयोग की जाएगी।


PeLocal: WhatsApp आधारित पेमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर

2021 में विवेकानंद त्रिपाठी द्वारा लॉन्च किया गया PeLocal एक पेमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर है, जो WhatsApp के माध्यम से डिजिटल लेन-देन को आसान और सुरक्षित बनाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच सुरक्षित और सुगम डिजिटल भुगतान का पुल बनाना है।

PeLocal के प्रमुख क्लाइंट्स में दिल्ली मेट्रो, इंद्रप्रस्थ गैस, महानगर गैस, और कई इंश्योरेंस प्रोवाइडर शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म ट्रांजिट टिकटिंग, यूटिलिटी पेमेंट्स और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे क्षेत्रों में सेवाएं देता है।


WhatsApp पर आधारित डिजिटल लेन-देन में नेतृत्व

PeLocal का मुख्य फोकस WhatsApp का उपयोग करके डिजिटल भुगतान को आसान और सुरक्षित बनाना है। कंपनी का मानना है कि WhatsApp जैसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले संचार चैनलों को leveraging कर, उपभोक्ताओं के लिए ग्राहक-केंद्रित सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।

उपभोक्ता और व्यापारी के बीच पुल

PeLocal ‘वोकल फॉर लोकल’ के विचार को आगे बढ़ाते हुए, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के बीच डिजिटल लेन-देन की प्रक्रिया को सहज और सुरक्षित बनाता है। कंपनी का उद्देश्य है कि वह न केवल बड़े स्तर पर अपने प्लेटफॉर्म का विस्तार करे, बल्कि स्थानीय स्तर पर व्यापारियों को भी डिजिटल परिवर्तन में मदद करे।


PeLocal की तकनीकी विशेषताएं

PeLocal अपने ग्राहकों को एक एंड-टू-एंड सुरक्षित सॉल्यूशन प्रदान करता है। कंपनी की तकनीक और सेवाएं निम्नलिखित क्षेत्रों में फायदेमंद हैं:

  1. ट्रांजिट टिकटिंग – यातायात सेवाओं में डिजिटल भुगतान के जरिए सुगम यात्रा अनुभव।
  2. यूटिलिटी पेमेंट्स – बिजली, पानी और गैस जैसी उपयोगिता सेवाओं के बिल का भुगतान।
  3. फाइनेंशियल सर्विसेज – बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए डिजिटल समाधान।

PeLocal का यह कदम सरकारी और निजी क्षेत्रों दोनों में सुरक्षित और प्रभावी डिजिटल समाधान प्रदान करने के लिए अग्रसर है।


फंडिंग का उपयोग

PeLocal ने कहा है कि वह ताजा फंडिंग का उपयोग तीन प्रमुख उद्देश्यों के लिए करेगा:

  1. प्लेटफॉर्म का विस्तार – नई सेवाओं और तकनीकी सुधार के जरिए ग्राहकों का अनुभव बेहतर बनाना।
  2. गो-टू-मार्केट रणनीति – बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बाजार में तेजी से पैठ बनाना।
  3. संचार चैनल को मजबूत बनाना – WhatsApp जैसे संचार माध्यमों के जरिए भुगतान सेवाओं को और प्रभावी बनाना।

PeLocal का भविष्य और भारतीय फिनटेक बाजार

भारतीय फिनटेक बाजार में PeLocal का भविष्य उज्जवल दिखता है। डिजिटल भुगतान क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, PeLocal जैसे अभिनव स्टार्टअप्स उपभोक्ताओं के लिए क्रांतिकारी समाधान ला रहे हैं।

भारतीय डिजिटल भुगतान बाजार

भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है। UPI और अन्य डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स की वजह से छोटे और बड़े व्यापारियों ने भी डिजिटल लेन-देन को अपनाया है। PeLocal जैसे स्टार्टअप इस विकास का लाभ उठाकर अपनी जगह मजबूत कर रहे हैं।


संस्थापक का दृष्टिकोण

PeLocal के संस्थापक विवेकानंद त्रिपाठी का मानना है कि भारत में डिजिटल लेन-देन का भविष्य WhatsApp जैसे संचार चैनलों के इर्द-गिर्द है। उनका कहना है कि PeLocal का उद्देश्य उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए एक सहज, सुरक्षित और कुशल पेमेंट अनुभव प्रदान करना है।

स्थानीय व्यापारियों का समर्थन

PeLocal का ‘वोकल फॉर लोकल’ दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय व्यापारियों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपनी भागीदारी बढ़ाने का मौका मिले।


PeLocal की योजनाएं

PeLocal भविष्य में निम्नलिखित क्षेत्रों में अपने प्रयासों को बढ़ाने की योजना बना रहा है:

  1. नए बाजारों में विस्तार – देश के अन्य शहरों और राज्यों में अपनी सेवाओं को लॉन्च करना।
  2. टेक्नोलॉजी में निवेश – उन्नत तकनीकों के जरिए लेन-देन प्रक्रिया को और बेहतर बनाना।
  3. ब्रांडिंग और मार्केटिंग – अपने ब्रांड को मजबूत करने के लिए मार्केटिंग अभियानों पर ध्यान देना।

निष्कर्ष

PeLocal ने अपने अभिनव दृष्टिकोण और WhatsApp-आधारित पेमेंट सॉल्यूशन के जरिए भारतीय डिजिटल भुगतान बाजार में एक मजबूत स्थान बनाया है। ताजा फंडिंग न केवल कंपनी के विकास को गति देगी, बल्कि इसे बड़े प्रोजेक्ट्स और तकनीकी सुधार के लिए भी सक्षम बनाएगी।

PeLocal का यह कदम भारतीय उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

क्या PeLocal भारतीय डिजिटल भुगतान बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन पाएगा? आने वाला समय ही इस सवाल का जवाब देगा, लेकिन वर्तमान में यह कंपनी सही दिशा में अग्रसर है।

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Proost: भारत की देसी बीयर ब्रांड ने सीरीज-A फंडिंग में जुटाए ₹30 करोड़

Proost

भारतीय बीयर बाजार में अपनी अलग पहचान बनाने वाली देसी बीयर ब्रांड Proost ने अपनी सीरीज-A फंडिंग राउंड में ₹30 करोड़ जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व चाइम्स ग्रुप और श्रीनिवासन नमला ने किया, जबकि हैदराबाद एंजल्स, द चेन्नई एंजल्स, और अन्य हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) ने भी इसमें हिस्सा लिया।

दिल्ली स्थित प्रूस्ट, जिसे 2017 में तरुण भार्गव और विजय पी. शर्मा ने सह-स्थापित किया था, ने इससे पहले अक्टूबर 2023 में अपनी प्री-सीरीज A फंडिंग राउंड में ₹25 करोड़ (लगभग $3 मिलियन) जुटाए थे।


Proost नए फंड का उपयोग

Proost एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि नई फंडिंग का उपयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाएगा:

  1. सप्लाई चेन को मजबूत बनाना – बेहतर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित कर तेजी से बाजार में उत्पाद पहुंचाना।
  2. नए बाजारों में विस्तार – अधिक से अधिक राज्यों और शहरों में अपने उत्पादों को पहुंचाना।
  3. प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार – नई और इनोवेटिव बीयर वेरायटी को लॉन्च करना।
  4. ब्रांड-बिल्डिंग गतिविधियों में निवेश – मार्केटिंग और विज्ञापन अभियानों के जरिए ब्रांड की पहुंच बढ़ाना।

प्रूस्ट का सफर और ब्रांड की खासियत

प्रूस्ट भारतीय बीयर बाजार में एक उभरता हुआ ब्रांड है, जिसका उद्देश्य इस उद्योग में क्रांति लाना है। यह ब्रांड अपने उच्च गुणवत्ता वाले, कम कड़वाहट और ज्यादा पीने योग्य (high drinkability) बीयर के लिए जाना जाता है।

स्थानीय संसाधनों पर ध्यान

प्रूस्ट 99% कच्चे माल को स्थानीय रूप से स्रोत करता है। यह इसे न केवल पर्यावरण के अनुकूल बनाता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। ब्रांड का उद्देश्य उपभोक्ताओं को प्रीमियम और रिफ्रेशिंग अनुभव प्रदान करना है, जो इसे अन्य बीयर ब्रांड्स से अलग बनाता है।

प्रूस्ट के लोकप्रिय उत्पाद

प्रूस्ट का प्रोडक्ट पोर्टफोलियो विभिन्न वेरायटी के बीयर को कवर करता है, जो अलग-अलग उपभोक्ताओं के स्वाद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।


भारतीय बीयर बाजार में प्रूस्ट की जगह

भारतीय बीयर उद्योग, जो तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, में प्रूस्ट ने अपने प्रीमियम प्रोडक्ट्स और नवाचार के माध्यम से एक विशेष जगह बनाई है। ब्रांड का फोकस युवा उपभोक्ताओं और उन लोगों पर है, जो बीयर में नई वेरायटी और बेहतर अनुभव की तलाश में हैं।

मार्केट ट्रेंड्स और प्रतिस्पर्धा

भारत में बीयर बाजार का आकार लगातार बढ़ रहा है, जहां कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रांड्स सक्रिय हैं। प्रूस्ट जैसी देसी ब्रांड्स इस प्रतिस्पर्धा में अपनी अलग पहचान बना रही हैं, जो ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान के तहत भी उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो रही हैं।


स्थापना और संस्थापक

तरुण भार्गव और विजय पी. शर्मा ने 2017 में प्रूस्ट की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य एक ऐसी बीयर ब्रांड तैयार करना था, जो भारतीय उपभोक्ताओं के स्वाद और गुणवत्ता की उम्मीदों पर खरी उतरे।

संस्थापकों की दृष्टि

तरुण और विजय का मानना है कि भारतीय बीयर बाजार में बहुत संभावनाएं हैं। उनकी रणनीति प्रीमियम प्रोडक्ट्स के साथ-साथ बाजार के हर सेगमेंट में विस्तार करने की है।


फंडिंग का महत्व

फंडिंग के जरिए प्रूस्ट अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा और नए बाजारों में अपनी पैठ बनाएगा। यह न केवल ब्रांड की विकास दर को बढ़ाएगा, बल्कि उपभोक्ताओं को और बेहतर विकल्प प्रदान करने में मदद करेगा।

मार्केट एक्सपैंशन प्लान

प्रूस्ट का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में भारतीय बीयर बाजार के प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल होना है। नई फंडिंग कंपनी को अपने विस्तार और ब्रांडिंग के लिए जरूरी संसाधन प्रदान करेगी।


प्रूस्ट का भविष्य

प्रूस्ट ने अपने मजबूत सप्लाई चेन, स्थानीय कच्चे माल, और गुणवत्ता केंद्रित दृष्टिकोण के साथ भारतीय बीयर बाजार में तेजी से पहचान बनाई है।

नए बाजार और उत्पाद

  1. नए राज्यों में विस्तार – ब्रांड अधिक से अधिक राज्यों और शहरों में अपने उत्पादों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
  2. नए फ्लेवर्स और वेरायटी – ब्रांड लगातार उपभोक्ताओं की मांग और पसंद के अनुसार नई वेरायटी पेश करने पर काम कर रहा है।
  3. अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश – भविष्य में प्रूस्ट अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाने की योजना बना सकता है।

निष्कर्ष

प्रूस्ट जैसी कंपनियां न केवल भारतीय उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय प्रोडक्ट्स प्रदान कर रही हैं, बल्कि स्थानीय उद्योग को भी बढ़ावा दे रही हैं। नई फंडिंग के साथ प्रूस्ट का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है और यह भारतीय बीयर उद्योग में अपनी मजबूत पहचान बनाने की ओर अग्रसर है।

क्या प्रूस्ट भारतीय बीयर बाजार में अपनी जगह बना पाएगा? यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इसके वर्तमान कदम इसे सफलता की दिशा में मजबूती से ले जा रहे हैं।

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Theranautilus: nanorobotic से हेल्थकेयर में क्रांति

Theranautilus:

भारत के डीप-टेक स्टार्टअप Theranautilus (Theranautilus) ने हाल ही में $1.2 मिलियन का सीड फंडिंग राउंड पूरा किया। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व pi Ventures ने किया, जिसमें Golden Sparrow Ventures और प्रमुख एंजल निवेशकों जैसे Tracxn के सीईओ अभिषेक गोयल और Groww के सीईओ ललित केशरे ने भाग लिया।


फंडिंग का उपयोग और प्राथमिक लक्ष्य

Theranautilus अपने नैनोरबोटिक्स-आधारित मेडिकल डिवाइस को डेंटल केयर के लिए कॉमर्शियलाइज़ करने की योजना बना रहा है।

  • फंडिंग का उद्देश्य:
    • डेंटल केयर एप्लिकेशन्स के लिए नैनोरबोटिक्स तकनीक को बाजार में उतारना।
    • गो-टू-मार्केट रणनीति को विकसित करना।
    • इस तकनीक को डेंटल एप्लिकेशन्स से आगे बढ़ाकर अन्य स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में लागू करना।

कंपनी के अनुसार, यह फंडिंग उन्हें न केवल अपने मौजूदा उत्पादों को बाजार में लाने में मदद करेगी, बल्कि नई तकनीकों को विकसित करने में भी सहायक होगी।


थेरानॉटिलस की स्थापना और इसका विज़न

थेरानॉटिलस की स्थापना 2020 में अम्बरीश घोष, देबयान दासगुप्ता, और पेड्डी शानमुख श्रीनिवास ने की थी।

  • कंपनी का लक्ष्य है नैनोरबोटिक्स तकनीक के माध्यम से हेल्थकेयर समस्याओं को हल करना।
  • उनका फोकस है उन स्वास्थ्य समस्याओं पर, जिन्हें पारंपरिक तरीकों से हल करना कठिन है।

डेंटल हेल्थ में नैनोरबोट्स का उपयोग

दुनिया भर में डेंटल हाइपरसेंसिटिविटी जैसी समस्या लगभग 2 बिलियन लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या $6 बिलियन के बाजार का प्रतिनिधित्व करती है।

थेरानॉटिलस की तकनीक:

  1. नैनोरबोटिक्स समाधान:
    • कंपनी द्वारा बनाए गए नैनोरबोट्स दांतों के भीतर लक्षित स्थानों तक पहुंच सकते हैं।
    • ये बायो-कम्पैटिबल सामग्री को डिलीवर करते हैं, जिससे दांतों की मरम्मत की जाती है।
  2. लंबे समय तक राहत:
    • इन नैनोमटीरियल्स को बाहरी रूप से ट्रिगर किया जा सकता है।
    • ये क्षतिग्रस्त दांतों की मरम्मत कर बायो-मिमेटिक संरचनाएं बनाते हैं।
    • यह तकनीक दांतों की मरम्मत के लिए स्थायी समाधान प्रदान करती है।

थेरानॉटिलस के उत्पादों की संभावनाएं

डेंटल हेल्थ के अलावा अन्य क्षेत्रों में उपयोग:

डेंटल केयर के अलावा, थेरानॉटिलस की नैनोरबोटिक्स तकनीक को अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे:

  • कैंसर उपचार
  • न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
  • सर्जिकल एप्लिकेशन

सटीक और सुरक्षित समाधान:

थेरानॉटिलस की तकनीक, पारंपरिक चिकित्सा उपकरणों के मुकाबले, अधिक सटीक और कम इनवेसिव है। यह मरीजों के लिए तेजी से रिकवरी और अधिक सुरक्षित विकल्प प्रदान करती है।


नैनोरबोटिक्स: हेल्थकेयर का भविष्य

1. हेल्थकेयर के लिए नई राह

नैनोरबोट्स का उपयोग हेल्थकेयर में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

  • सर्जरी में सटीकता
  • दवाओं को लक्षित स्थान पर भेजने की क्षमता।
  • चिकित्सा उपचार में समय और लागत की बचत।

2. भारत में नैनोटेक्नोलॉजी का विकास

थेरानॉटिलस जैसी कंपनियां, भारत को नैनोटेक्नोलॉजी इनोवेशन के केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती हैं।

  • यह तकनीक न केवल भारतीय बाजार के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उपयोगी साबित होगी।

निवेशकों का बढ़ता भरोसा

pi Ventures और अन्य निवेशकों की भूमिका:

pi Ventures और अन्य निवेशकों ने थेरानॉटिलस में निवेश करके हाई-टेक हेल्थकेयर सॉल्यूशंस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

  • यह निवेश दर्शाता है कि भारतीय डीप-टेक स्टार्टअप्स में बड़े पैमाने पर विकास की संभावना है।
  • यह फंडिंग थेरानॉटिलस को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगी।

चुनौतियां और आगे की राह

1. तकनीकी जटिलता:

नैनोरबोटिक्स जैसे नए क्षेत्र में काम करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  • इनोवेशन के साथ, प्रोडक्ट को विनियामक मंजूरी प्राप्त करना भी एक बड़ा कदम होगा।

2. बाजार में प्रवेश की कठिनाई:

हालांकि तकनीक उन्नत है, लेकिन इसे डेंटल और हेल्थकेयर पेशेवरों तक पहुंचाना और उन्हें इसके लाभों के बारे में समझाना एक चुनौती हो सकती है।

3. प्रतिस्पर्धा:

वैश्विक स्तर पर, अन्य कंपनियां भी नैनो-हेल्थकेयर सॉल्यूशंस पर काम कर रही हैं।

  • थेरानॉटिलस को अपनी सटीकता और नवाचार के माध्यम से खुद को अलग साबित करना होगा।

निष्कर्ष: एक नई शुरुआत

थेरानॉटिलस ने नैनोरबोटिक्स तकनीक के माध्यम से हेल्थकेयर उद्योग में एक नई दिशा दिखाई है।

  • यह न केवल डेंटल हेल्थ में बदलाव ला सकता है, बल्कि अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी व्यापक उपयोग के लिए तैयार है।
  • फंडिंग के साथ, कंपनी को अपने उत्पादों को बाजार में लाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिलेगा।

अगर थेरानॉटिलस अपनी तकनीक को सफलतापूर्वक व्यावसायिक रूप से लागू करता है, तो यह न केवल भारतीय डीप-टेक स्पेस में अग्रणी बनेगा, बल्कि हेल्थकेयर में नैनोटेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए एक वैश्विक उदाहरण भी पेश करेगा।

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Third Wave Coffee: भारत के कॉफी बाजार में नई लहर

Third Wave Coffee

Third Wave Coffee Roasters एक प्रमुख भारतीय कॉफी चेन, ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी वित्तीय ग्रोथ के साथ उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई है। अपने संचालन को तेजी से विस्तार देते हुए, कंपनी ने FY24 में मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज की।


राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि

Third Wave Coffee Roasters ने FY24 में अपने ऑपरेटिंग राजस्व में 67% की सालाना वृद्धि दर्ज की।

  • FY23 के ₹144.4 करोड़ की तुलना में, FY24 में यह बढ़कर ₹241.3 करोड़ हो गया।
  • FY22 में केवल ₹32 करोड़ के राजस्व से यह वृद्धि, कंपनी की तेजी से बढ़ती बाजार हिस्सेदारी को दर्शाती है।

कंपनी ने अपनी पूरी आय कॉफी और उससे संबंधित उत्पादों जैसे कॉफी बैग्स, बीन्स, और कोल्ड ब्रूज की बिक्री से अर्जित की।


कैफे का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

  • अक्टूबर 2024 तक, Third Wave Coffee ने 114 कैफे स्थापित कर लिए थे।
  • कंपनी का लक्ष्य है कि FY25 के अंत तक इसे 160 कैफे तक पहुंचाया जाए।
  • 2025 से हर साल 80-100 नए कैफे खोलने की योजना है।
  • कंपनी का दावा है कि वह हर सप्ताह 10,000-15,000 किलोग्राम कॉफी बीन्स की प्रोसेसिंग कर रही है।

यह विस्तार रणनीति, न केवल भारत के प्रमुख शहरों में बल्कि छोटे शहरों तक पहुंचने की उनकी महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है।


कुल राजस्व में अन्य आय का योगदान

कंपनी ने ₹6.61 करोड़ की गैर-ऑपरेटिंग आय भी अर्जित की।

  • यह आय मुख्यतः ब्याज और परिसंपत्तियों पर लाभ से आई।
  • इसके साथ, Third Wave Coffee का कुल राजस्व FY24 में ₹247.9 करोड़ तक पहुंच गया।

खर्चों का विवरण

कंपनी ने अपने ऑपरेशन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया, जो इसके खर्चों में भी स्पष्ट है।

1. कर्मचारी लाभ

  • कर्मचारियों से संबंधित खर्च कुल व्यय का 27% था।
  • यह खर्च FY24 में 68.8% बढ़कर ₹97.26 करोड़ हो गया।

2. सामग्री लागत

  • कॉफी बीन्स और अन्य सामग्रियों की लागत FY24 में दोगुनी होकर ₹87.61 करोड़ हो गई।

3. किराया और अन्य खर्च

  • कैफे के विस्तार के साथ, किराए पर खर्च भी महत्वपूर्ण रहा।
  • FY24 में कंपनी ने किराए पर ₹81.25 करोड़ खर्च किए।

Third Wave Coffee की ग्रोथ के पीछे कारण

1. कॉफी के प्रति भारत का बढ़ता झुकाव

  • पिछले दशक में, कॉफी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • Third Wave Coffee ने इस बढ़ती मांग को पहचानकर, उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी और ग्राहकों के लिए अनूठे अनुभव प्रदान किए।

2. ओमनीचैनल रणनीति

  • कंपनी ने न केवल कैफे स्थापित किए हैं बल्कि अपने प्रोसेस्ड उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से भी बेचा है।

3. नवाचार और प्रीमियम अनुभव

  • कंपनी ने अपने उत्पादों और सेवाओं में नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है।
  • इसका उद्देश्य ग्राहकों को एक प्रीमियम और व्यक्तिगत कॉफी अनुभव प्रदान करना है।

4. निवेश का कुशल उपयोग

  • Third Wave Coffee ने अपने वेंचर कैपिटल (VC) फंड का प्रभावी उपयोग करते हुए अपने संचालन का विस्तार किया है।

भारतीय कॉफी बाजार में प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां

1. प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर

  • Third Wave Coffee को कैफे कॉफी डे (CCD), स्टारबक्स, और अन्य स्थानीय ब्रांड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
  • इस प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए कंपनी को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवा में सुधार करना होगा।

2. परिचालन लागत का दबाव

  • किराए और कर्मचारियों की लागत जैसे खर्च कंपनी के मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं।

3. छोटे शहरों में विस्तार की चुनौती

  • बड़े शहरों के मुकाबले, छोटे शहरों में ग्राहकों की संख्या और खर्च करने की क्षमता कम हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएं और रणनीतियां

1. अंतरराष्ट्रीय विस्तार

  • Third Wave Coffee भारतीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद, वैश्विक बाजार में प्रवेश कर सकती है।

2. प्रौद्योगिकी का उपयोग

  • कंपनी, डिजिटल मार्केटिंग और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान कर सकती है।

3. उत्पादों में विविधता

  • कॉफी के अलावा, कंपनी अन्य प्रीमियम पेय और स्नैक्स के साथ अपने मेन्यू को विस्तार दे सकती है।

4. ग्राहक अनुभव पर ध्यान

  • ग्राहक अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए, कंपनी को अपने कैफे डिजाइन, मेन्यू और सेवा को अद्यतन करते रहना होगा।

निष्कर्ष: Third Wave Coffee का उभरता दबदबा

Third Wave Coffee ने अपनी तेजी से बढ़ती वित्तीय वृद्धि और विस्तार योजनाओं के साथ भारतीय कॉफी बाजार में एक मजबूत स्थिति बना ली है।

  • FY24 में आय और विस्तार की गति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कंपनी लंबे समय तक बाजार में बनी रहेगी।
  • हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत प्रबंधन जैसी चुनौतियां इसके लिए प्रमुख बाधाएं हो सकती हैं।

अगर कंपनी अपनी रणनीतियों को सही तरीके से लागू करती है, तो Third Wave Coffee न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक अग्रणी ब्रांड बन सकती है।

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Biryani By Kilo (BBK) की शानदार ग्रोथ

Biryani By Kilo

पिछले दशक में भारत में बिरयानी संस्कृति ने अभूतपूर्व विकास किया है। हाइब्रिड किचन और विशेष मेन्यू ने इस लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इन्हीं में से एक प्रमुख ब्रांड है Biryani by Kilo (BBK)। FY24 में BBK ने अपनी निरंतर विकास यात्रा को जारी रखते हुए एक मजबूत वित्तीय प्रदर्शन किया है।


FY24 में Biryani by Kilo की आय में 22.9% की वृद्धि

Biryani by Kilo ने FY24 में अपने ऑपरेटिंग राजस्व में 22.9% की वृद्धि दर्ज की। यह FY23 के ₹218 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹268 करोड़ हो गया।

  • प्रमुख उत्पादों का योगदान:
    • बिरयानी, कबाब, कोरमा, और करी जैसे उत्पादों ने कुल आय का 94.76% योगदान दिया।
    • इनकी आय 23.3% बढ़कर FY24 में ₹254 करोड़ तक पहुंच गई।
  • डिलीवरी सेवाओं से आय:
    • FY24 में डिलीवरी सेवाओं से ₹14 करोड़ की आय हुई।

कुल राजस्व में अन्य स्रोतों का योगदान

BBK ने ब्याज से ₹4 करोड़ की आय अर्जित की, जिससे कंपनी का कुल राजस्व ₹272 करोड़ तक पहुंच गया।


खर्चों में वृद्धि और नियंत्रण

कंपनी के बढ़ते पैमाने के साथ, कुछ खर्चों में वृद्धि हुई, जबकि कुछ में कटौती की गई।

1. मटीरियल कॉस्ट में बढ़ोतरी

  • मटीरियल की लागत:
    • FY24 में कुल खर्च का 32% हिस्सा मटीरियल कॉस्ट का था।
    • FY23 के ₹95 करोड़ से यह खर्च 16.8% बढ़कर FY24 में ₹111 करोड़ हो गया।

2. कर्मचारियों से संबंधित खर्च में कमी

  • आश्चर्यजनक रूप से, कर्मचारी लाभ खर्च में 11.4% की गिरावट देखी गई।
    • FY23 के ₹79 करोड़ से यह FY24 में ₹70 करोड़ तक आ गया।

3. विज्ञापन खर्च में कटौती

  • मार्केटिंग और ब्रांडिंग:
    • कंपनी ने अपने विज्ञापन खर्चों में 15.2% की कटौती की।

4. अन्य खर्चों का योगदान

  • ओवरहेड खर्च (किराया, कमीशन, ट्रांसपोर्टेशन):
    • इन खर्चों के कारण कंपनी का कुल व्यय FY23 के ₹321 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹346 करोड़ हो गया।

BBK की ग्रोथ के प्रमुख कारण

1. हाइब्रिड (ओमनीचैनल) मॉडल

Biryani By Kilo का हाइब्रिड बिजनेस मॉडल (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) कंपनी की ग्रोथ का एक मुख्य कारण है।

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मजबूत उपस्थिति:
    • ऑनलाइन ऑर्डर के जरिए कंपनी ने बड़े पैमाने पर ग्राहकों को आकर्षित किया।
  • आउटलेट्स का विस्तार:
    • कंपनी के पास विभिन्न शहरों में आउटलेट्स की श्रृंखला है, जो ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करती है।

2. प्रोडक्ट क्वालिटी और विविधता

BBK अपने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और विविध मेन्यू के लिए जाना जाता है।

  • बिरयानी के साथ-साथ कबाब, कोरमा, और करी जैसे अन्य विकल्पों ने ग्राहकों का ध्यान आकर्षित किया।

3. लागत प्रबंधन और संचालन कुशलता

  • कंपनी ने अपने कर्मचारी और विज्ञापन खर्च को नियंत्रित करके अपनी लाभप्रदता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • मटीरियल लागत का प्रबंधन:
    • बढ़ती मांग के बावजूद, मटीरियल लागत को प्रभावी तरीके से प्रबंधित किया गया।

भारत में बिरयानी का बढ़ता बाजार

बिरयानी कल्चर का विकास

भारत में बिरयानी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

  • यह सिर्फ एक फूड आइटम नहीं बल्कि एक संस्कृति का हिस्सा बन गया है।
  • खासकर, हाइब्रिड किचन मॉडल और डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स ने इस वृद्धि को बढ़ावा दिया है।

उपभोक्ताओं की बदलती पसंद

  • आज के उपभोक्ता गुणवत्ता, स्वाद और सुविधा पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
  • BBK जैसे ब्रांड ने इन तीनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादों को डिजाइन किया है।

चुनौतियां और आगे की राह

1. प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर

भारत में फूड डिलीवरी और हाइब्रिड किचन सेगमेंट में कई कंपनियां उभर रही हैं।

  • BBK को अपनी प्रतिस्पर्धा से आगे रहने के लिए नवाचार और ग्राहक अनुभव पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

2. परिचालन लागत में वृद्धि

  • बढ़ते ऑपरेशन के साथ लागत का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
  • कंपनी को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके दक्षता में सुधार करना होगा।

3. वैश्विक विस्तार की संभावना

  • भारतीय बिरयानी की लोकप्रियता को देखते हुए, BBK के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार का एक बड़ा अवसर है।

निष्कर्ष: BBK का बढ़ता प्रभाव

Biryani By Kilo ने FY24 में अपने मजबूत प्रदर्शन के साथ बिरयानी कल्चर में एक नई पहचान बनाई है।

  • बढ़ती आय और कुशल लागत प्रबंधन से यह स्पष्ट है कि कंपनी अपने लंबी अवधि के विकास की ओर अग्रसर है।
  • हालांकि, बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और परिचालन लागत को देखते हुए, कंपनी को अपनी रणनीतियों को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

आने वाले वर्षों में, Biryani By Kilo न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बिरयानी के लिए एक प्रमुख ब्रांड बन सकता है।

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D2C स्लीप सॉल्यूशन कंपनियों का बढ़ता बाजार, The Sleep Company ने FY24

The Sleep Company

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) स्लीप सॉल्यूशन कंपनियां भारत में तेजी से विकास कर रही हैं। इन्हीं में से एक है Premji Invest समर्थित The Sleep Company जिसने FY24 में अपनी ऑपरेटिंग स्केल में 2.5 गुना की वृद्धि दर्ज की। पिछले पांच-छह वर्षों में इस क्षेत्र में हुई वृद्धि ने स्लीप सॉल्यूशन कंपनियों को भारतीय बाजार में मजबूत स्थिति बनाने में मदद की है।


FY24 में The Sleep Company की आय में बड़ी छलांग

The Sleep Company की ऑपरेटिंग आय FY23 के ₹127.14 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹312.33 करोड़ हो गई।

  • कंपनी विभिन्न उत्पादों जैसे कि गद्दे (mattresses), तकिए (pillows), कुशन, बेडिंग और ऑफिस चेयर की बिक्री करती है।
  • अपनी वेबसाइट के साथ-साथ, कंपनी Amazon और Flipkart जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी अपने उत्पाद बेचती है।

मैट्रेस सेगमेंट बना मुख्य कमाई का स्रोत

The Sleep Company की बढ़ती आय का मुख्य कारण उसका फ्लैगशिप मैट्रेस सेगमेंट है।

  • मैट्रेस सेगमेंट का योगदान:
    • FY24 में कुल राजस्व का 65% हिस्सा।
    • FY23 के मुकाबले इस सेगमेंट की आय में 89% की वृद्धि हुई और यह ₹203.69 करोड़ तक पहुंच गई।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि मैट्रेस कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले एकमात्र तैयार उत्पाद हैं।
  • अन्य उत्पाद (चेयर, तकिए और बेड):
    • इनकी बिक्री में 5.6 गुना वृद्धि हुई और यह ₹108.6 करोड़ तक पहुंच गई।

अन्य आय स्रोत और कुल राजस्व

कंपनी ने FY24 में ₹7.7 करोड़ की आय ब्याज से अर्जित की, जिससे कुल आय ₹320 करोड़ तक पहुंच गई।


खर्चों में बढ़ोतरी के मुख्य कारण

मटीरियल कॉस्ट

  • कुल खर्च में सबसे बड़ा योगदान:
    • FY24 में मटीरियल की लागत 2.4 गुना बढ़कर ₹144.74 करोड़ हो गई।

विज्ञापन खर्च

  • ब्रांड प्रमोशन:
    • विज्ञापन पर खर्च 89.7% बढ़कर ₹101.43 करोड़ हो गया।

कर्मचारी लाभ

  • कंपनी ने अपनी टीम को बढ़ाया, जिससे कर्मचारी लाभ खर्च 3 गुना बढ़कर ₹35.94 करोड़ हो गया।

अन्य खर्च

  • रेंट, फाइनेंस और अन्य ऑपरेशनल खर्चों ने कुल खर्च को FY23 के ₹166.7 करोड़ से FY24 में ₹378.68 करोड़ तक बढ़ा दिया।

The Sleep Company का विकास कैसे संभव हुआ?

1. D2C मॉडल का प्रभाव

D2C मॉडल कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ सीधे जुड़ने का मौका देता है।

  • ऑनलाइन बिक्री का विस्तार:
    • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी ने उत्पादों को बड़े पैमाने पर ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद की।
  • ग्राहकों की जरूरतों को समझना:
    • प्रोडक्ट डिजाइन और मार्केटिंग में उपभोक्ता फीडबैक का उपयोग।

2. विविध उत्पाद पोर्टफोलियो

  • कंपनी ने न केवल मैट्रेस बल्कि तकिए, कुशन और ऑफिस चेयर जैसे उत्पादों पर भी ध्यान केंद्रित किया।
  • यह रणनीति विभिन्न प्रकार के ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हुई।

3. मजबूत मार्केटिंग और ब्रांडिंग

  • ब्रांड जागरूकता:
    • ₹101.43 करोड़ का विज्ञापन खर्च इस बात का संकेत है कि कंपनी ने मार्केटिंग पर खासा ध्यान दिया।
  • उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता:
    • The Sleep Company ने अपने उत्पादों को प्रीमियम क्वालिटी के रूप में प्रस्तुत किया।

4. निवेश का सही उपयोग

Premji Invest जैसे बड़े निवेशकों के समर्थन ने कंपनी को तेजी से स्केल करने में मदद की।

  • R&D और मार्केटिंग में किए गए निवेश से कंपनी को अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली।

क्या कहता है The Sleep Company का भविष्य?

1. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

D2C स्लीप सॉल्यूशन सेगमेंट में कई नई कंपनियां प्रवेश कर रही हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

  • The Sleep Company को अपने उत्पादों और सेवाओं में निरंतर नवाचार करना होगा।

2. ऑफलाइन उपस्थिति का विस्तार

  • कंपनी पहले से ही 200+ रिटेल स्टोर संचालित कर रही है।
  • ऑफलाइन विस्तार से ग्राहकों तक पहुंच और मजबूत हो सकती है।

3. अंतरराष्ट्रीय विस्तार की संभावना

D2C मॉडल को ग्लोबल मार्केट में लागू करने का बड़ा अवसर है।


निष्कर्ष: The Sleep Company का बढ़ता दबदबा

The Sleep Company ने अपनी उत्कृष्ट रणनीतियों, मजबूत उत्पाद पोर्टफोलियो और D2C मॉडल के उपयोग से FY24 में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है।

  • हालांकि कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग स्केल को 2.5 गुना बढ़ाया है, लेकिन खर्चों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • अगर कंपनी अपनी लागतों को नियंत्रित करते हुए बाजार विस्तार की योजना पर काम करती है, तो यह भारत में D2C स्लीप सॉल्यूशन सेगमेंट में अग्रणी बन सकती है।

The Sleep Company का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि स्लीप सॉल्यूशन उद्योग में अभी भी बहुत संभावनाएं हैं और आने वाले वर्षों में यह उद्योग और अधिक विकसित होगा।

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