Theranautilus: nanorobotic से हेल्थकेयर में क्रांति

Theranautilus:

भारत के डीप-टेक स्टार्टअप Theranautilus (Theranautilus) ने हाल ही में $1.2 मिलियन का सीड फंडिंग राउंड पूरा किया। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व pi Ventures ने किया, जिसमें Golden Sparrow Ventures और प्रमुख एंजल निवेशकों जैसे Tracxn के सीईओ अभिषेक गोयल और Groww के सीईओ ललित केशरे ने भाग लिया।


फंडिंग का उपयोग और प्राथमिक लक्ष्य

Theranautilus अपने नैनोरबोटिक्स-आधारित मेडिकल डिवाइस को डेंटल केयर के लिए कॉमर्शियलाइज़ करने की योजना बना रहा है।

  • फंडिंग का उद्देश्य:
    • डेंटल केयर एप्लिकेशन्स के लिए नैनोरबोटिक्स तकनीक को बाजार में उतारना।
    • गो-टू-मार्केट रणनीति को विकसित करना।
    • इस तकनीक को डेंटल एप्लिकेशन्स से आगे बढ़ाकर अन्य स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में लागू करना।

कंपनी के अनुसार, यह फंडिंग उन्हें न केवल अपने मौजूदा उत्पादों को बाजार में लाने में मदद करेगी, बल्कि नई तकनीकों को विकसित करने में भी सहायक होगी।


थेरानॉटिलस की स्थापना और इसका विज़न

थेरानॉटिलस की स्थापना 2020 में अम्बरीश घोष, देबयान दासगुप्ता, और पेड्डी शानमुख श्रीनिवास ने की थी।

  • कंपनी का लक्ष्य है नैनोरबोटिक्स तकनीक के माध्यम से हेल्थकेयर समस्याओं को हल करना।
  • उनका फोकस है उन स्वास्थ्य समस्याओं पर, जिन्हें पारंपरिक तरीकों से हल करना कठिन है।

डेंटल हेल्थ में नैनोरबोट्स का उपयोग

दुनिया भर में डेंटल हाइपरसेंसिटिविटी जैसी समस्या लगभग 2 बिलियन लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या $6 बिलियन के बाजार का प्रतिनिधित्व करती है।

थेरानॉटिलस की तकनीक:

  1. नैनोरबोटिक्स समाधान:
    • कंपनी द्वारा बनाए गए नैनोरबोट्स दांतों के भीतर लक्षित स्थानों तक पहुंच सकते हैं।
    • ये बायो-कम्पैटिबल सामग्री को डिलीवर करते हैं, जिससे दांतों की मरम्मत की जाती है।
  2. लंबे समय तक राहत:
    • इन नैनोमटीरियल्स को बाहरी रूप से ट्रिगर किया जा सकता है।
    • ये क्षतिग्रस्त दांतों की मरम्मत कर बायो-मिमेटिक संरचनाएं बनाते हैं।
    • यह तकनीक दांतों की मरम्मत के लिए स्थायी समाधान प्रदान करती है।

थेरानॉटिलस के उत्पादों की संभावनाएं

डेंटल हेल्थ के अलावा अन्य क्षेत्रों में उपयोग:

डेंटल केयर के अलावा, थेरानॉटिलस की नैनोरबोटिक्स तकनीक को अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे:

  • कैंसर उपचार
  • न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
  • सर्जिकल एप्लिकेशन

सटीक और सुरक्षित समाधान:

थेरानॉटिलस की तकनीक, पारंपरिक चिकित्सा उपकरणों के मुकाबले, अधिक सटीक और कम इनवेसिव है। यह मरीजों के लिए तेजी से रिकवरी और अधिक सुरक्षित विकल्प प्रदान करती है।


नैनोरबोटिक्स: हेल्थकेयर का भविष्य

1. हेल्थकेयर के लिए नई राह

नैनोरबोट्स का उपयोग हेल्थकेयर में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

  • सर्जरी में सटीकता
  • दवाओं को लक्षित स्थान पर भेजने की क्षमता।
  • चिकित्सा उपचार में समय और लागत की बचत।

2. भारत में नैनोटेक्नोलॉजी का विकास

थेरानॉटिलस जैसी कंपनियां, भारत को नैनोटेक्नोलॉजी इनोवेशन के केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती हैं।

  • यह तकनीक न केवल भारतीय बाजार के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उपयोगी साबित होगी।

निवेशकों का बढ़ता भरोसा

pi Ventures और अन्य निवेशकों की भूमिका:

pi Ventures और अन्य निवेशकों ने थेरानॉटिलस में निवेश करके हाई-टेक हेल्थकेयर सॉल्यूशंस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

  • यह निवेश दर्शाता है कि भारतीय डीप-टेक स्टार्टअप्स में बड़े पैमाने पर विकास की संभावना है।
  • यह फंडिंग थेरानॉटिलस को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगी।

चुनौतियां और आगे की राह

1. तकनीकी जटिलता:

नैनोरबोटिक्स जैसे नए क्षेत्र में काम करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  • इनोवेशन के साथ, प्रोडक्ट को विनियामक मंजूरी प्राप्त करना भी एक बड़ा कदम होगा।

2. बाजार में प्रवेश की कठिनाई:

हालांकि तकनीक उन्नत है, लेकिन इसे डेंटल और हेल्थकेयर पेशेवरों तक पहुंचाना और उन्हें इसके लाभों के बारे में समझाना एक चुनौती हो सकती है।

3. प्रतिस्पर्धा:

वैश्विक स्तर पर, अन्य कंपनियां भी नैनो-हेल्थकेयर सॉल्यूशंस पर काम कर रही हैं।

  • थेरानॉटिलस को अपनी सटीकता और नवाचार के माध्यम से खुद को अलग साबित करना होगा।

निष्कर्ष: एक नई शुरुआत

थेरानॉटिलस ने नैनोरबोटिक्स तकनीक के माध्यम से हेल्थकेयर उद्योग में एक नई दिशा दिखाई है।

  • यह न केवल डेंटल हेल्थ में बदलाव ला सकता है, बल्कि अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी व्यापक उपयोग के लिए तैयार है।
  • फंडिंग के साथ, कंपनी को अपने उत्पादों को बाजार में लाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिलेगा।

अगर थेरानॉटिलस अपनी तकनीक को सफलतापूर्वक व्यावसायिक रूप से लागू करता है, तो यह न केवल भारतीय डीप-टेक स्पेस में अग्रणी बनेगा, बल्कि हेल्थकेयर में नैनोटेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए एक वैश्विक उदाहरण भी पेश करेगा।

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Third Wave Coffee: भारत के कॉफी बाजार में नई लहर

Third Wave Coffee

Third Wave Coffee Roasters एक प्रमुख भारतीय कॉफी चेन, ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी वित्तीय ग्रोथ के साथ उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई है। अपने संचालन को तेजी से विस्तार देते हुए, कंपनी ने FY24 में मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज की।


राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि

Third Wave Coffee Roasters ने FY24 में अपने ऑपरेटिंग राजस्व में 67% की सालाना वृद्धि दर्ज की।

  • FY23 के ₹144.4 करोड़ की तुलना में, FY24 में यह बढ़कर ₹241.3 करोड़ हो गया।
  • FY22 में केवल ₹32 करोड़ के राजस्व से यह वृद्धि, कंपनी की तेजी से बढ़ती बाजार हिस्सेदारी को दर्शाती है।

कंपनी ने अपनी पूरी आय कॉफी और उससे संबंधित उत्पादों जैसे कॉफी बैग्स, बीन्स, और कोल्ड ब्रूज की बिक्री से अर्जित की।


कैफे का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

  • अक्टूबर 2024 तक, Third Wave Coffee ने 114 कैफे स्थापित कर लिए थे।
  • कंपनी का लक्ष्य है कि FY25 के अंत तक इसे 160 कैफे तक पहुंचाया जाए।
  • 2025 से हर साल 80-100 नए कैफे खोलने की योजना है।
  • कंपनी का दावा है कि वह हर सप्ताह 10,000-15,000 किलोग्राम कॉफी बीन्स की प्रोसेसिंग कर रही है।

यह विस्तार रणनीति, न केवल भारत के प्रमुख शहरों में बल्कि छोटे शहरों तक पहुंचने की उनकी महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है।


कुल राजस्व में अन्य आय का योगदान

कंपनी ने ₹6.61 करोड़ की गैर-ऑपरेटिंग आय भी अर्जित की।

  • यह आय मुख्यतः ब्याज और परिसंपत्तियों पर लाभ से आई।
  • इसके साथ, Third Wave Coffee का कुल राजस्व FY24 में ₹247.9 करोड़ तक पहुंच गया।

खर्चों का विवरण

कंपनी ने अपने ऑपरेशन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया, जो इसके खर्चों में भी स्पष्ट है।

1. कर्मचारी लाभ

  • कर्मचारियों से संबंधित खर्च कुल व्यय का 27% था।
  • यह खर्च FY24 में 68.8% बढ़कर ₹97.26 करोड़ हो गया।

2. सामग्री लागत

  • कॉफी बीन्स और अन्य सामग्रियों की लागत FY24 में दोगुनी होकर ₹87.61 करोड़ हो गई।

3. किराया और अन्य खर्च

  • कैफे के विस्तार के साथ, किराए पर खर्च भी महत्वपूर्ण रहा।
  • FY24 में कंपनी ने किराए पर ₹81.25 करोड़ खर्च किए।

Third Wave Coffee की ग्रोथ के पीछे कारण

1. कॉफी के प्रति भारत का बढ़ता झुकाव

  • पिछले दशक में, कॉफी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • Third Wave Coffee ने इस बढ़ती मांग को पहचानकर, उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी और ग्राहकों के लिए अनूठे अनुभव प्रदान किए।

2. ओमनीचैनल रणनीति

  • कंपनी ने न केवल कैफे स्थापित किए हैं बल्कि अपने प्रोसेस्ड उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से भी बेचा है।

3. नवाचार और प्रीमियम अनुभव

  • कंपनी ने अपने उत्पादों और सेवाओं में नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है।
  • इसका उद्देश्य ग्राहकों को एक प्रीमियम और व्यक्तिगत कॉफी अनुभव प्रदान करना है।

4. निवेश का कुशल उपयोग

  • Third Wave Coffee ने अपने वेंचर कैपिटल (VC) फंड का प्रभावी उपयोग करते हुए अपने संचालन का विस्तार किया है।

भारतीय कॉफी बाजार में प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां

1. प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर

  • Third Wave Coffee को कैफे कॉफी डे (CCD), स्टारबक्स, और अन्य स्थानीय ब्रांड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
  • इस प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए कंपनी को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवा में सुधार करना होगा।

2. परिचालन लागत का दबाव

  • किराए और कर्मचारियों की लागत जैसे खर्च कंपनी के मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं।

3. छोटे शहरों में विस्तार की चुनौती

  • बड़े शहरों के मुकाबले, छोटे शहरों में ग्राहकों की संख्या और खर्च करने की क्षमता कम हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएं और रणनीतियां

1. अंतरराष्ट्रीय विस्तार

  • Third Wave Coffee भारतीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद, वैश्विक बाजार में प्रवेश कर सकती है।

2. प्रौद्योगिकी का उपयोग

  • कंपनी, डिजिटल मार्केटिंग और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान कर सकती है।

3. उत्पादों में विविधता

  • कॉफी के अलावा, कंपनी अन्य प्रीमियम पेय और स्नैक्स के साथ अपने मेन्यू को विस्तार दे सकती है।

4. ग्राहक अनुभव पर ध्यान

  • ग्राहक अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए, कंपनी को अपने कैफे डिजाइन, मेन्यू और सेवा को अद्यतन करते रहना होगा।

निष्कर्ष: Third Wave Coffee का उभरता दबदबा

Third Wave Coffee ने अपनी तेजी से बढ़ती वित्तीय वृद्धि और विस्तार योजनाओं के साथ भारतीय कॉफी बाजार में एक मजबूत स्थिति बना ली है।

  • FY24 में आय और विस्तार की गति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कंपनी लंबे समय तक बाजार में बनी रहेगी।
  • हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत प्रबंधन जैसी चुनौतियां इसके लिए प्रमुख बाधाएं हो सकती हैं।

अगर कंपनी अपनी रणनीतियों को सही तरीके से लागू करती है, तो Third Wave Coffee न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक अग्रणी ब्रांड बन सकती है।

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Biryani By Kilo (BBK) की शानदार ग्रोथ

Biryani By Kilo

पिछले दशक में भारत में बिरयानी संस्कृति ने अभूतपूर्व विकास किया है। हाइब्रिड किचन और विशेष मेन्यू ने इस लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इन्हीं में से एक प्रमुख ब्रांड है Biryani by Kilo (BBK)। FY24 में BBK ने अपनी निरंतर विकास यात्रा को जारी रखते हुए एक मजबूत वित्तीय प्रदर्शन किया है।


FY24 में Biryani by Kilo की आय में 22.9% की वृद्धि

Biryani by Kilo ने FY24 में अपने ऑपरेटिंग राजस्व में 22.9% की वृद्धि दर्ज की। यह FY23 के ₹218 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹268 करोड़ हो गया।

  • प्रमुख उत्पादों का योगदान:
    • बिरयानी, कबाब, कोरमा, और करी जैसे उत्पादों ने कुल आय का 94.76% योगदान दिया।
    • इनकी आय 23.3% बढ़कर FY24 में ₹254 करोड़ तक पहुंच गई।
  • डिलीवरी सेवाओं से आय:
    • FY24 में डिलीवरी सेवाओं से ₹14 करोड़ की आय हुई।

कुल राजस्व में अन्य स्रोतों का योगदान

BBK ने ब्याज से ₹4 करोड़ की आय अर्जित की, जिससे कंपनी का कुल राजस्व ₹272 करोड़ तक पहुंच गया।


खर्चों में वृद्धि और नियंत्रण

कंपनी के बढ़ते पैमाने के साथ, कुछ खर्चों में वृद्धि हुई, जबकि कुछ में कटौती की गई।

1. मटीरियल कॉस्ट में बढ़ोतरी

  • मटीरियल की लागत:
    • FY24 में कुल खर्च का 32% हिस्सा मटीरियल कॉस्ट का था।
    • FY23 के ₹95 करोड़ से यह खर्च 16.8% बढ़कर FY24 में ₹111 करोड़ हो गया।

2. कर्मचारियों से संबंधित खर्च में कमी

  • आश्चर्यजनक रूप से, कर्मचारी लाभ खर्च में 11.4% की गिरावट देखी गई।
    • FY23 के ₹79 करोड़ से यह FY24 में ₹70 करोड़ तक आ गया।

3. विज्ञापन खर्च में कटौती

  • मार्केटिंग और ब्रांडिंग:
    • कंपनी ने अपने विज्ञापन खर्चों में 15.2% की कटौती की।

4. अन्य खर्चों का योगदान

  • ओवरहेड खर्च (किराया, कमीशन, ट्रांसपोर्टेशन):
    • इन खर्चों के कारण कंपनी का कुल व्यय FY23 के ₹321 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹346 करोड़ हो गया।

BBK की ग्रोथ के प्रमुख कारण

1. हाइब्रिड (ओमनीचैनल) मॉडल

Biryani By Kilo का हाइब्रिड बिजनेस मॉडल (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) कंपनी की ग्रोथ का एक मुख्य कारण है।

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मजबूत उपस्थिति:
    • ऑनलाइन ऑर्डर के जरिए कंपनी ने बड़े पैमाने पर ग्राहकों को आकर्षित किया।
  • आउटलेट्स का विस्तार:
    • कंपनी के पास विभिन्न शहरों में आउटलेट्स की श्रृंखला है, जो ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करती है।

2. प्रोडक्ट क्वालिटी और विविधता

BBK अपने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और विविध मेन्यू के लिए जाना जाता है।

  • बिरयानी के साथ-साथ कबाब, कोरमा, और करी जैसे अन्य विकल्पों ने ग्राहकों का ध्यान आकर्षित किया।

3. लागत प्रबंधन और संचालन कुशलता

  • कंपनी ने अपने कर्मचारी और विज्ञापन खर्च को नियंत्रित करके अपनी लाभप्रदता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • मटीरियल लागत का प्रबंधन:
    • बढ़ती मांग के बावजूद, मटीरियल लागत को प्रभावी तरीके से प्रबंधित किया गया।

भारत में बिरयानी का बढ़ता बाजार

बिरयानी कल्चर का विकास

भारत में बिरयानी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

  • यह सिर्फ एक फूड आइटम नहीं बल्कि एक संस्कृति का हिस्सा बन गया है।
  • खासकर, हाइब्रिड किचन मॉडल और डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स ने इस वृद्धि को बढ़ावा दिया है।

उपभोक्ताओं की बदलती पसंद

  • आज के उपभोक्ता गुणवत्ता, स्वाद और सुविधा पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
  • BBK जैसे ब्रांड ने इन तीनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादों को डिजाइन किया है।

चुनौतियां और आगे की राह

1. प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर

भारत में फूड डिलीवरी और हाइब्रिड किचन सेगमेंट में कई कंपनियां उभर रही हैं।

  • BBK को अपनी प्रतिस्पर्धा से आगे रहने के लिए नवाचार और ग्राहक अनुभव पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

2. परिचालन लागत में वृद्धि

  • बढ़ते ऑपरेशन के साथ लागत का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
  • कंपनी को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके दक्षता में सुधार करना होगा।

3. वैश्विक विस्तार की संभावना

  • भारतीय बिरयानी की लोकप्रियता को देखते हुए, BBK के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार का एक बड़ा अवसर है।

निष्कर्ष: BBK का बढ़ता प्रभाव

Biryani By Kilo ने FY24 में अपने मजबूत प्रदर्शन के साथ बिरयानी कल्चर में एक नई पहचान बनाई है।

  • बढ़ती आय और कुशल लागत प्रबंधन से यह स्पष्ट है कि कंपनी अपने लंबी अवधि के विकास की ओर अग्रसर है।
  • हालांकि, बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और परिचालन लागत को देखते हुए, कंपनी को अपनी रणनीतियों को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

आने वाले वर्षों में, Biryani By Kilo न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बिरयानी के लिए एक प्रमुख ब्रांड बन सकता है।

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D2C स्लीप सॉल्यूशन कंपनियों का बढ़ता बाजार, The Sleep Company ने FY24

The Sleep Company

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) स्लीप सॉल्यूशन कंपनियां भारत में तेजी से विकास कर रही हैं। इन्हीं में से एक है Premji Invest समर्थित The Sleep Company जिसने FY24 में अपनी ऑपरेटिंग स्केल में 2.5 गुना की वृद्धि दर्ज की। पिछले पांच-छह वर्षों में इस क्षेत्र में हुई वृद्धि ने स्लीप सॉल्यूशन कंपनियों को भारतीय बाजार में मजबूत स्थिति बनाने में मदद की है।


FY24 में The Sleep Company की आय में बड़ी छलांग

The Sleep Company की ऑपरेटिंग आय FY23 के ₹127.14 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹312.33 करोड़ हो गई।

  • कंपनी विभिन्न उत्पादों जैसे कि गद्दे (mattresses), तकिए (pillows), कुशन, बेडिंग और ऑफिस चेयर की बिक्री करती है।
  • अपनी वेबसाइट के साथ-साथ, कंपनी Amazon और Flipkart जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी अपने उत्पाद बेचती है।

मैट्रेस सेगमेंट बना मुख्य कमाई का स्रोत

The Sleep Company की बढ़ती आय का मुख्य कारण उसका फ्लैगशिप मैट्रेस सेगमेंट है।

  • मैट्रेस सेगमेंट का योगदान:
    • FY24 में कुल राजस्व का 65% हिस्सा।
    • FY23 के मुकाबले इस सेगमेंट की आय में 89% की वृद्धि हुई और यह ₹203.69 करोड़ तक पहुंच गई।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि मैट्रेस कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले एकमात्र तैयार उत्पाद हैं।
  • अन्य उत्पाद (चेयर, तकिए और बेड):
    • इनकी बिक्री में 5.6 गुना वृद्धि हुई और यह ₹108.6 करोड़ तक पहुंच गई।

अन्य आय स्रोत और कुल राजस्व

कंपनी ने FY24 में ₹7.7 करोड़ की आय ब्याज से अर्जित की, जिससे कुल आय ₹320 करोड़ तक पहुंच गई।


खर्चों में बढ़ोतरी के मुख्य कारण

मटीरियल कॉस्ट

  • कुल खर्च में सबसे बड़ा योगदान:
    • FY24 में मटीरियल की लागत 2.4 गुना बढ़कर ₹144.74 करोड़ हो गई।

विज्ञापन खर्च

  • ब्रांड प्रमोशन:
    • विज्ञापन पर खर्च 89.7% बढ़कर ₹101.43 करोड़ हो गया।

कर्मचारी लाभ

  • कंपनी ने अपनी टीम को बढ़ाया, जिससे कर्मचारी लाभ खर्च 3 गुना बढ़कर ₹35.94 करोड़ हो गया।

अन्य खर्च

  • रेंट, फाइनेंस और अन्य ऑपरेशनल खर्चों ने कुल खर्च को FY23 के ₹166.7 करोड़ से FY24 में ₹378.68 करोड़ तक बढ़ा दिया।

The Sleep Company का विकास कैसे संभव हुआ?

1. D2C मॉडल का प्रभाव

D2C मॉडल कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ सीधे जुड़ने का मौका देता है।

  • ऑनलाइन बिक्री का विस्तार:
    • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी ने उत्पादों को बड़े पैमाने पर ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद की।
  • ग्राहकों की जरूरतों को समझना:
    • प्रोडक्ट डिजाइन और मार्केटिंग में उपभोक्ता फीडबैक का उपयोग।

2. विविध उत्पाद पोर्टफोलियो

  • कंपनी ने न केवल मैट्रेस बल्कि तकिए, कुशन और ऑफिस चेयर जैसे उत्पादों पर भी ध्यान केंद्रित किया।
  • यह रणनीति विभिन्न प्रकार के ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हुई।

3. मजबूत मार्केटिंग और ब्रांडिंग

  • ब्रांड जागरूकता:
    • ₹101.43 करोड़ का विज्ञापन खर्च इस बात का संकेत है कि कंपनी ने मार्केटिंग पर खासा ध्यान दिया।
  • उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता:
    • The Sleep Company ने अपने उत्पादों को प्रीमियम क्वालिटी के रूप में प्रस्तुत किया।

4. निवेश का सही उपयोग

Premji Invest जैसे बड़े निवेशकों के समर्थन ने कंपनी को तेजी से स्केल करने में मदद की।

  • R&D और मार्केटिंग में किए गए निवेश से कंपनी को अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली।

क्या कहता है The Sleep Company का भविष्य?

1. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

D2C स्लीप सॉल्यूशन सेगमेंट में कई नई कंपनियां प्रवेश कर रही हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

  • The Sleep Company को अपने उत्पादों और सेवाओं में निरंतर नवाचार करना होगा।

2. ऑफलाइन उपस्थिति का विस्तार

  • कंपनी पहले से ही 200+ रिटेल स्टोर संचालित कर रही है।
  • ऑफलाइन विस्तार से ग्राहकों तक पहुंच और मजबूत हो सकती है।

3. अंतरराष्ट्रीय विस्तार की संभावना

D2C मॉडल को ग्लोबल मार्केट में लागू करने का बड़ा अवसर है।


निष्कर्ष: The Sleep Company का बढ़ता दबदबा

The Sleep Company ने अपनी उत्कृष्ट रणनीतियों, मजबूत उत्पाद पोर्टफोलियो और D2C मॉडल के उपयोग से FY24 में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है।

  • हालांकि कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग स्केल को 2.5 गुना बढ़ाया है, लेकिन खर्चों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • अगर कंपनी अपनी लागतों को नियंत्रित करते हुए बाजार विस्तार की योजना पर काम करती है, तो यह भारत में D2C स्लीप सॉल्यूशन सेगमेंट में अग्रणी बन सकती है।

The Sleep Company का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि स्लीप सॉल्यूशन उद्योग में अभी भी बहुत संभावनाएं हैं और आने वाले वर्षों में यह उद्योग और अधिक विकसित होगा।

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UPI लेनदेन में अक्टूबर 2024 में 10% की बढ़त, डिजिटल भुगतान में तेजी

phonePe

भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने अक्टूबर 2024 में लेनदेन की संख्या में 10% महीने-दर-महीने की बढ़त दर्ज की। इस वृद्धि का श्रेय मौजूदा और नए उपयोगकर्ताओं की सक्रियता को दिया जा रहा है। डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता ने भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है।


PhonePe बना बाजार का बादशाह

डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म PhonePe ने अक्टूबर में सबसे अधिक UPI लेनदेन दर्ज किए, जिसमें कुल 7.9 अरब लेनदेन हुए, जिनकी कुल राशि ₹11,69,290 करोड़ थी।

  • PhonePe का बाजार हिस्सेदारी:
    • लेनदेन की संख्या में 47.66%।
    • कुल लेनदेन मूल्य में 49.76%।
  • हालांकि, सितंबर की तुलना में इसमें मामूली गिरावट आई है, जब यह आंकड़ा 48% और 49.95% था।

Google Pay का प्रदर्शन

Google Pay, जो UPI का दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है, ने 6.2 अरब लेनदेन दर्ज किए, जिनकी कुल राशि ₹8,49,327 करोड़ रही।

  • Google Pay की बाजार हिस्सेदारी:
    • लेनदेन संख्या और मूल्य के मामले में स्थिर बनी रही।

Paytm ने बनाए रखा तीसरा स्थान

Paytm (OCL), जो UPI क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है, ने अक्टूबर में 1.16 अरब लेनदेन किए, जिनकी कुल राशि ₹1,29,584 करोड़ थी।

  • Paytm का प्रदर्शन स्थिर रहा, और बाजार हिस्सेदारी में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।

UPI बाजार की स्थिति: तीन बड़े खिलाड़ी आगे

PhonePe, Google Pay, और Paytm तीनों ने मिलकर अक्टूबर 2024 में UPI बाजार का 90% से अधिक हिस्सा अपने कब्जे में रखा।

  • बाजार हिस्सेदारी (लेनदेन संख्या में):
    • PhonePe: 47.66%।
    • Google Pay: लगभग 37%।
    • Paytm: लगभग 7%।
  • बाजार हिस्सेदारी (लेनदेन मूल्य में):
    • PhonePe: 49.76%।
    • Google Pay: लगभग 36%।
    • Paytm: लगभग 5%।

लेनदेन में वृद्धि के कारण

नए उपयोगकर्ताओं की भागीदारी

UPI ने पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर ग्राहकों को जोड़ा है, खासकर ग्रामीण और टियर-2/3 शहरों में।

  • त्योहारों के मौसम में लोगों ने डिजिटल भुगतान को अधिक प्राथमिकता दी।
  • नए व्यापारी और व्यवसाय UPI सिस्टम में शामिल हो रहे हैं, जिससे लेनदेन में वृद्धि हो रही है।

सरलता और सुविधा

UPI का उपयोग करना बेहद आसान है और यह उपयोगकर्ताओं को कैश की चिंता से मुक्त करता है।

  • मोबाइल फोन और इंटरनेट की उपलब्धता ने इसे और भी सुलभ बना दिया है।
  • QR कोड और वॉलेट फीचर्स ने छोटे व्यवसायों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

PhonePe की मामूली गिरावट के कारण

हालांकि PhonePe ने बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी है, लेकिन इसकी हिस्सेदारी में हल्की गिरावट दर्ज की गई।

  • प्रतिस्पर्धा का असर:
    • Google Pay और Paytm जैसे खिलाड़ियों के लगातार इनोवेशन।
  • ग्राहक अनुभव:
    • ग्राहकों की प्राथमिकताओं में बदलाव और अन्य प्लेटफॉर्म्स द्वारा बेहतर ऑफर्स।

Google Pay और Paytm का स्थिर प्रदर्शन

Google Pay:

  • यह उपयोगकर्ताओं को भरोसेमंद और तेज़ सेवाएं प्रदान करता है।
  • मजबूत मार्केटिंग और विशेष सुविधाओं ने इसे ग्राहकों के बीच लोकप्रिय बनाए रखा।

Paytm:

  • Paytm का व्यापक व्यापारी नेटवर्क इसे अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाता है।
  • ऑफलाइन दुकानों और छोटे व्यवसायों में Paytm का व्यापक उपयोग होता है।

भारत में UPI का भविष्य

बढ़ते उपयोगकर्ता और लेनदेन

UPI ने अब तक 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को जोड़ा है, और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।

  • भारत सरकार और NPCI (National Payments Corporation of India) की पहल से इसे और बल मिल रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर UPI के विस्तार से भी भारतीय बाजार को लाभ होगा।

नवाचार और सुरक्षा

डिजिटल भुगतान के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय और AI-आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम इसे और सुरक्षित बना रहे हैं।

आगामी चुनौतियां

  • तकनीकी मुद्दे:
    सर्वर डाउनटाइम और लेनदेन विफलता को कम करना।
  • प्रतिस्पर्धा:
    नए प्लेटफॉर्म्स और तकनीकें बाजार में चुनौती पेश कर सकती हैं।

निष्कर्ष: UPI का प्रभाव

भारत में UPI ने वित्तीय लेनदेन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।

  • PhonePe, Google Pay, और Paytm जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • ग्राहकों और व्यापारियों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता इसे देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखती है।

अक्टूबर 2024 की इस रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि UPI का विकास जारी रहेगा, और यह आने वाले समय में और भी बड़े मील के पत्थर हासिल करेगा।

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भारत में wearable device market में गिरावट: Q3 2024 की रिपोर्ट

wearable

भारत का boAt वेयरेबल डिवाइस बाजार लगातार दूसरे तिमाही में गिरावट का सामना कर रहा है। IDC की India Monthly Wearable Device Tracker रिपोर्ट के अनुसार, Q3 2024 में इस बाजार में 20.7% की साल-दर-साल गिरावट आई, और कुल 3.8 करोड़ यूनिट्स की बिक्री हुई।


कम लॉन्च और इन्वेंट्री प्रबंधन बना कारण

रिपोर्ट बताती है कि इस गिरावट का मुख्य कारण प्रोडक्ट लॉन्च की कमी और कंपनियों द्वारा सतर्क इन्वेंट्री प्रबंधन रहा। यहां तक कि त्योहारी सीजन में भी बाजार को इसका असर झेलना पड़ा।


एवरेज सेलिंग प्राइस (ASP) में बढ़ोतरी

Q2 2019 के बाद पहली बार, वेयरेबल्स के औसत बिक्री मूल्य (ASP) में 1.3% की बढ़ोतरी हुई। Q3 2024 में यह कीमत $21.3 (लगभग ₹1750) रही।


सेगमेंट-वाइज प्रदर्शन

  • वrist bands:
    यह श्रेणी सबसे अधिक प्रभावित हुई, जिसमें 48% गिरावट आई और केवल 56,000 यूनिट्स की बिक्री हुई।
  • स्मार्टवॉच:
    स्मार्टवॉच की शिपमेंट में 44.8% गिरावट दर्ज की गई। कुल बिक्री 93 लाख यूनिट्स रही।
  • इयरवियर:
    इयरवियर श्रेणी में भी गिरावट देखी गई, जिसमें 7.5% की कमी आई और कुल 2.85 करोड़ यूनिट्स की बिक्री हुई।

ब्रांड्स का प्रदर्शन

boAt: मार्केट लीडर लेकिन गिरावट के साथ

  • boAt ने 32% मार्केट शेयर के साथ बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी।
  • हालांकि, Q3 2023 की तुलना में boAt की बिक्री में 14.5% गिरावट हुई।

Noise: स्मार्टवॉच सेगमेंट का लीडर

  • Noise ने स्मार्टवॉच श्रेणी में 27.4% मार्केट शेयर के साथ अपनी लीडरशिप कायम रखी।
  • लेकिन कंपनी की कुल बिक्री में 19.2% गिरावट दर्ज की गई।

Boult और Realme: ग्रोथ के चमकते सितारे

  • Boult ने 32.5% की ग्रोथ दर्ज की।
  • Realme ने इस अवधि में 56.5% की बढ़ोतरी की, जो इसे तेजी से उभरता हुआ ब्रांड बनाता है।

अन्य प्रमुख ब्रांड्स:

  • Boult का मार्केट शेयर 9.7% और Realme का 5.8% रहा।
  • Oppo (जिसमें OnePlus भी शामिल है) का मार्केट शेयर 5.5% दर्ज किया गया।

कैटेगरी-वाइज लीडर्स

  • TWS (True Wireless Stereo):
    boAt ने इस श्रेणी में 36.8% मार्केट शेयर के साथ बाजी मारी।
  • स्मार्टवॉच:
    Noise ने स्मार्टवॉच सेगमेंट में 27.4% मार्केट शेयर के साथ नेतृत्व किया।

मार्केट की चुनौतीपूर्ण स्थिति

त्योहारी सीजन के बावजूद, बाजार में गिरावट यह संकेत देती है कि कंपनियां अपने उत्पादों की मांग को लेकर सतर्क हैं। कम लॉन्च और अधिक कीमतें उपभोक्ताओं को खरीदारी से रोक रही हैं।


भविष्य की संभावनाएं

भारत में वेयरेबल टेक्नोलॉजी का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि Q3 2024 में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन Boult और Realme जैसे ब्रांड्स की ग्रोथ यह संकेत देती है कि नए इनोवेशन और बेहतर प्रोडक्ट्स के जरिए बाजार फिर से उभर सकता है।


भारत में वेयरेबल डिवाइस बाजार की गहराई में

भारतीय वेयरेबल डिवाइस बाजार में Q3 2024 की गिरावट, केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाजार में मौजूद कई गहन चुनौतियों की ओर इशारा करती है। IDC रिपोर्ट के अनुसार, इस समय कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स की मांग और ग्राहकों की पसंद को लेकर नए सिरे से सोचने की जरूरत है।


त्योहारी सीजन में उम्मीद से कम प्रदर्शन

त्योहारी सीजन हमेशा भारतीय बाजार के लिए एक उछाल लाने वाला समय माना जाता है। लेकिन इस बार त्योहारी सीजन के दौरान भी बिक्री में गिरावट दिखी। कंपनियों ने इन्वेंट्री मैनेजमेंट पर अधिक ध्यान दिया, और नए प्रोडक्ट लॉन्च की कमी से बाजार पर असर पड़ा।


ब्रांड्स की प्रतिस्पर्धा: कौन टिका, कौन गिरा?

boAt की पकड़ मजबूत, लेकिन चुनौतियां बरकरार

  • boAt ने 32% मार्केट शेयर के साथ अपने लीडर का स्थान बनाए रखा है।
  • हालांकि, 14.5% की गिरावट यह संकेत देती है कि boAt को प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

Noise का दबदबा कम हुआ, लेकिन पकड़ मजबूत

  • Noise, जो स्मार्टवॉच सेगमेंट में सबसे आगे है, ने 27.4% मार्केट शेयर हासिल किया।
  • इसके बावजूद, बिक्री में 19.2% गिरावट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मार्केट को नया दृष्टिकोण चाहिए।

Boult और Realme की चढ़ाई

  • Boult और Realme ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है।
  • Boult ने 32.5% की वृद्धि दर्ज की, और Realme की 56.5% ग्रोथ इसे बाजार में तेजी से उभरता हुआ खिलाड़ी बनाती है।

उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं

भारतीय उपभोक्ता अब केवल सस्ते प्रोडक्ट्स तक सीमित नहीं रहना चाहते।

  • प्रोडक्ट क्वालिटी और फीचर्स अब खरीदारी के मुख्य निर्धारक बन गए हैं।
  • ASP (औसत बिक्री मूल्य) में $21.3 तक की बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि उपभोक्ता बेहतर प्रोडक्ट्स के लिए अधिक खर्च करने को तैयार हैं।

वेयरेबल सेगमेंट में चुनौतियां और संभावनाएं

स्मार्टवॉच का भविष्य

  • स्मार्टवॉच, जो फिटनेस और हेल्थ मॉनिटरिंग में अग्रणी भूमिका निभाती है, इस गिरावट से उबरने की संभावना रखती है।
  • बेहतर फीचर्स और लंबे बैटरी बैकअप वाले स्मार्टवॉच बाजार में नए ग्राहकों को आकर्षित कर सकते हैं।

TWS (True Wireless Stereo) की मांग

  • TWS श्रेणी ने भारतीय बाजार में तेजी से अपनी जगह बनाई है।
  • boAt का 36.8% मार्केट शेयर इस बात का सबूत है कि संगीत और कॉल क्वालिटी जैसे कारक उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।

बाजार के लिए नई रणनीतियां

उत्पाद नवाचार पर जोर

  • कंपनियों को नए और अधिक उपयोगी फीचर्स के साथ प्रोडक्ट्स लॉन्च करने की आवश्यकता है।
  • फिटनेस, हेल्थ ट्रैकिंग, और हाई-परफॉर्मेंस ऑडियो जैसे फीचर्स उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकते हैं।

प्राइसिंग और वैल्यू

  • ASP में वृद्धि ने यह दिखाया है कि ग्राहक गुणवत्ता के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं।
  • कंपनियों को सस्ते और प्रीमियम प्रोडक्ट्स के बीच सही संतुलन बनाने की जरूरत है।

मार्केटिंग में बदलाव

  • ब्रांड्स को सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर उपभोक्ताओं के साथ अधिक गहराई से जुड़ने की जरूरत है।
  • ब्रांड स्टोरीटेलिंग और ग्राहकों के अनुभवों को साझा करना बिक्री बढ़ाने में मदद कर सकता है।

आने वाले समय की उम्मीदें

तकनीकी विकास का लाभ उठाना

भारत का वेयरेबल बाजार तकनीकी उन्नति और नए इनोवेशन के जरिए फिर से बढ़ सकता है।

  • AI और IoT आधारित प्रोडक्ट्स उपभोक्ताओं को अधिक आकर्षित कर सकते हैं।
  • 5G तकनीक का उपयोग करके, स्मार्टवॉच और TWS डिवाइस अधिक उन्नत सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।

बाजार का विस्तार

ग्रामीण और टियर-2/3 शहरों में ब्रांड्स के लिए बड़ा अवसर है।

  • किफायती कीमतों और स्थानीय भाषा में प्रचार-प्रसार के जरिए यह बाजार तेजी से बढ़ सकता है।

निष्कर्ष: चुनौतियों में छुपा अवसर

भारतीय वेयरेबल डिवाइस बाजार में मौजूदा गिरावट अस्थायी है।

  • उपभोक्ता की बदलती पसंद और तकनीकी इनोवेशन के साथ, यह बाजार जल्द ही फिर से उछाल मार सकता है।
  • boAt, Noise, और अन्य ब्रांड्स के लिए यह समय नई रणनीतियां बनाने और उपभोक्ताओं के साथ मजबूत संबंध बनाने का है।

भारतीय बाजार, जो हमेशा नए इनोवेशन और संभावनाओं के लिए तैयार रहता है, आने वाले समय में वेयरेबल टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी संभावनाएं रखता है।

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HealthKart ने जुटाए ₹1263 करोड़

HealthKart

गुरुग्राम स्थित HealthKart, जो एक ओमनीचैनल न्यूट्रिशन प्लेटफॉर्म है, ने हाल ही में ₹1263 करोड़ (लगभग $153 मिलियन) की फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व ChrysCapital और Motilal Oswal Alternates ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशक A91 Partners और Neo Group ने भी भाग लिया।


HealthKart की ब्रांड पावर

HealthKart अपने पोषण ब्रांड्स के लिए जाना जाता है, जिसमें MuscleBlaze, HKVitals, और Gritzo शामिल हैं। यह न केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि इसके 90 शहरों में 200 से अधिक रिटेल स्टोर्स भी हैं।


पिछली फंडिंग और अब तक का सफर

दिसंबर 2022 में, HealthKart ने Temasek और A91 Partners के नेतृत्व में ₹1135 करोड़ ($135 मिलियन) जुटाए थे। TheKredible के आंकड़ों के अनुसार, अब तक कंपनी ने कुल ₹2970 करोड़ ($360 मिलियन) की फंडिंग जुटाई है।


FY24 में ₹1000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य पार

कंपनी के प्रेस रिलीज के अनुसार, HealthKart ने FY24 में ₹1000 करोड़ का राजस्व पार किया और EBITDA स्तर पर लाभप्रदता भी हासिल की। हालांकि, FY23 में इसका राजस्व ₹832 करोड़ और घाटा ₹76 करोड़ था।


Tata 1mg से कनेक्शन

HealthKart ने 2015 में अपने जेनेरिक ड्रग सर्च बिजनेस HealthKartPlus को अलग कर दिया और इसे 1mg के रूप में रीब्रांड किया। वर्तमान में, यह व्यवसाय Tata 1mg Technologies Private Limited के तहत काम कर रहा है।


ESOP बायबैक योजना की घोषणा

इस फंडिंग के साथ, HealthKart ने अपने कर्मचारियों के लिए पहली बार ₹55 करोड़ ($6.5 मिलियन) की ESOP (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना) बायबैक योजना की घोषणा की है। इस बायबैक का लाभ मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों दोनों को मिलेगा।


ESOP बायबैक का बढ़ता ट्रेंड

TheKredible के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अब तक 20 से अधिक स्टार्टअप्स ने ESOP बायबैक, लिक्विडिटी, और पेरोल प्रोग्राम्स के जरिए कुल $200 मिलियन का वितरण किया है। HealthKart की इस योजना ने इसे इस बढ़ते ट्रेंड का हिस्सा बना दिया है।


पोषण क्षेत्र में HealthKart का बढ़ता दबदबा

HealthKart ने पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है। इसके प्रमुख ब्रांड, जैसे MuscleBlaze, फिटनेस प्रेमियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। साथ ही, बच्चों के लिए पोषण ब्रांड Gritzo और स्वास्थ्य उत्पादों के लिए HKVitals ने इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया है।


ऑमनीचैनल रणनीति का फायदा

HealthKart की ओमनीचैनल रणनीति—ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स का मिश्रण—ने इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचने और अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद की है। यह मॉडल न केवल ग्राहकों को सुविधा प्रदान करता है बल्कि बाजार में प्रतिस्पर्धा से भी आगे रखता है।


निवेशकों का विश्वास

ChrysCapital, Motilal Oswal Alternates, और A91 Partners जैसे बड़े निवेशकों का समर्थन दर्शाता है कि HealthKart की रणनीतियां और बिजनेस मॉडल भविष्य के लिए काफी आशाजनक हैं।


भविष्य की योजनाएं

HealthKart ने संकेत दिया है कि यह फंडिंग कंपनी को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को और विस्तारित करने, नए बाजारों में प्रवेश करने और अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने में मदद करेगी।


भारतीय स्वास्थ्य उद्योग में HealthKart का योगदान

पोषण और स्वास्थ्य उत्पादों के क्षेत्र में HealthKart का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। यह भारत जैसे उभरते बाजार में स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।


निष्कर्ष

HealthKart की ताजा फंडिंग और इसके राजस्व के बढ़ते आंकड़े इसे भारत के पोषण और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बनाते हैं। इसके ओमनीचैनल मॉडल, मजबूत ब्रांड पोर्टफोलियो और निवेशकों के समर्थन ने इसे तेजी से विकास करने में मदद की है। भविष्य में, HealthKart के पास अपनी स्थिति को और मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने का शानदार मौका है।

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INDmoney ने FY24 में दिखाई जबरदस्त ग्रोथ, राजस्व में 73.2% की बढ़ोतरी 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार किया

INDmoney

INDmoney, जो यूजर्स को म्यूचुअल फंड, भारतीय और विदेशी स्टॉक्स में निवेश करने का प्लेटफॉर्म देता है, ने मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 73.2% की राजस्व वृद्धि दर्ज की। कंपनी ने अपनी ऑपरेटिंग रेवेन्यू को ₹40.6 करोड़ से बढ़ाकर ₹70 करोड़ कर लिया। साथ ही, कंपनी के लॉस में केवल 12% की बढ़ोतरी हुई।

डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया सबसे ज्यादा राजस्व

INDmoney का मुख्य ऑपरेटिंग रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया, जो ₹53.6 करोड़ रहा और इसमें 56% की वृद्धि हुई। ब्रोकिंग गतिविधियों से हुई आय ₹10.7 करोड़ तक पहुंच गई, जबकि allied सेवाओं से कंपनी ने ₹6 करोड़ कमाए।

कुल आय ₹128 करोड़ हुई

गुरुग्राम स्थित इस कंपनी ने ₹57.7 करोड़ की अतिरिक्त आय अर्जित की, जो मुख्यतः ब्याज और करंट इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री से आई। मार्च 2024 तक कंपनी के पास ₹725 करोड़ के वित्तीय संसाधन थे, जिससे इस अतिरिक्त आय का बड़ा हिस्सा आया।

कर्मचारी वेतन सबसे बड़ा खर्च

INDmoney के कुल खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारी वेतन का रहा, जो ₹124.53 करोड़ तक पहुंच गया। पिछले वित्तीय वर्ष में यह ₹111.86 करोड़ था, यानी इसमें 11% की वृद्धि हुई। इसके अलावा, आईटी सेवाओं पर ₹57.18 करोड़ और मार्केटिंग पर ₹33.80 करोड़ खर्च किए गए।

टाइगर ग्लोबल का समर्थन, विस्तार की ओर अग्रसर

टाइगर ग्लोबल द्वारा समर्थित यह कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार कर चुकी है। कंपनी अपनी सेवाओं को और अधिक विस्तार देने और टेक्नोलॉजी में निवेश कर ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने की योजना बना रही है।

निवेशकों के लिए खास सुविधाएं

INDmoney अपने यूजर्स को भारतीय और विदेशी स्टॉक्स में निवेश के साथ-साथ म्यूचुअल फंड के लिए भी बेहतर अनुभव प्रदान करता है। यह प्लेटफॉर्म यूजर्स को फाइनेंशियल फैसले लेने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भविष्य की योजनाएं

कंपनी के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन और यूजर बेस में तेजी से वृद्धि ने इसे भारतीय फिनटेक क्षेत्र में मजबूत स्थान दिया है। INDmoney ने संकेत दिए हैं कि वह अगले वित्तीय वर्ष में और भी बड़े पैमाने पर अपने उत्पादों और सेवाओं को विस्तारित करेगी।

गुरुग्राम स्थित फिनटेक प्लेटफॉर्म INDmoney ने वित्तीय वर्ष 2024 में अपने ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 73.2% की बढ़ोतरी दर्ज की। FY23 के ₹40.6 करोड़ के मुकाबले FY24 में यह ₹70 करोड़ तक पहुंच गया। इस दौरान, कंपनी के लॉस में केवल 12% की वृद्धि हुई, जो इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के मुताबिक स्थिर है।

डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज से प्रमुख आय

कंपनी के ऑपरेटिंग रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया। यह ₹53.6 करोड़ रहा, जो FY23 के मुकाबले 56% अधिक है। इसके अलावा, ब्रोकिंग एक्टिविटीज से ₹10.7 करोड़ की आय हुई, जबकि allied सेवाओं से ₹6 करोड़ का योगदान रहा।

ब्याज और निवेश से अतिरिक्त आय

कंपनी ने ₹57.7 करोड़ की अतिरिक्त आय भी दर्ज की, जो मुख्यतः ब्याज और करंट इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री से अर्जित की गई। यह आय INDmoney के पास उपलब्ध ₹725 करोड़ के वित्तीय संसाधनों का नतीजा है। कुल मिलाकर कंपनी का FY24 का कुल राजस्व ₹128 करोड़ तक पहुंच गया।


कर्मचारियों और तकनीक पर ध्यान केंद्रित

कर्मचारी लाभ खर्च

कर्मचारी वेतन और लाभ कंपनी के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा रहे। FY24 में यह ₹124.53 करोड़ था, जो FY23 के ₹111.86 करोड़ से 11% अधिक है।

आईटी और मार्केटिंग खर्च

तकनीकी सेवाओं (IT) पर कंपनी ने ₹57.18 करोड़ खर्च किए। वहीं, मार्केटिंग और प्रमोशन में ₹33.80 करोड़ का निवेश किया गया। यह दिखाता है कि कंपनी ने अपने ब्रांड को बढ़ावा देने और ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने में रणनीतिक प्रयास किए।


10 मिलियन यूजर्स का मील का पत्थर

INDmoney ने अपने प्लेटफॉर्म पर 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार कर लिया है। यह मील का पत्थर कंपनी की सेवा की गुणवत्ता और ग्राहकों के विश्वास को दर्शाता है।

निवेशकों के लिए आकर्षक सुविधाएं

INDmoney अपने यूजर्स को भारतीय और विदेशी स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, और अन्य वित्तीय उत्पादों में निवेश करने का प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। कंपनी की उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएं इसे निवेशकों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के बीच लोकप्रिय बना रही हैं।


टाइगर ग्लोबल का समर्थन

INDmoney को टाइगर ग्लोबल जैसे बड़े निवेशक का समर्थन प्राप्त है, जिसने कंपनी की ग्रोथ को गति दी है। इस समर्थन से कंपनी ने अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट और विस्तार योजनाओं को मजबूती दी है।


फिनटेक क्षेत्र में बढ़त

INDmoney का प्रदर्शन इसे भारतीय फिनटेक क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। FY24 के दौरान कंपनी ने न केवल राजस्व वृद्धि हासिल की, बल्कि अपने लॉस को भी सीमित रखा।


आने वाले वित्तीय वर्ष की रणनीतियां

सेवाओं का विस्तार

कंपनी ने संकेत दिए हैं कि वह FY25 में अपनी सेवाओं को और विस्तारित करेगी। INDmoney अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में नई सेवाएं जोड़ने और ग्राहकों के लिए बेहतर अनुभव प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।

टेक्नोलॉजी में निवेश

कंपनी अपने आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने और यूजर्स को उन्नत सुविधाएं प्रदान करने के लिए निरंतर निवेश कर रही है।


D2C मॉडल की सफलता

INDmoney का D2C (डायरेक्ट-टू-कस्टमर) मॉडल इसके विकास में सहायक रहा है। कंपनी ने ग्राहकों की जरूरतों को समझकर निवेश और धन प्रबंधन को सरल और पारदर्शी बनाया है।


फिनटेक सेक्टर में मजबूत पकड़

फिनटेक इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा के बावजूद INDmoney का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। कंपनी ने न केवल राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की, बल्कि अपने उपयोगकर्ताओं का विश्वास भी बनाए रखा।


निष्कर्ष

INDmoney ने FY24 में अपनी वित्तीय स्थिरता और विकास क्षमता का प्रदर्शन किया है। कंपनी ने राजस्व में बड़ी बढ़ोतरी की है और अपने खर्चों को कुशलता से प्रबंधित किया है। 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार करना और निवेशकों का मजबूत समर्थन प्राप्त करना कंपनी की सफलता की कहानी को और मजबूत बनाता है। आगामी वित्तीय वर्ष में कंपनी के और अधिक विस्तार और नवाचार की उम्मीद है, जिससे यह भारतीय फिनटेक बाजार में एक मजबूत स्थान बनाए रखेगी।

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Matrix Geo Solutions ने जुटाए 1 मिलियन डॉलर

Matrix Geo Solutions

ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी आधारित जियोस्पेशल कंपनी Matrix Geo Solutions ने अपने प्री-IPO राउंड में करीब 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड में चित्तौड़गढ़ इंफोटेक लिमिटेड, विनय इक्विटी मार्केट्स एलएलपी, और ट्रायरॉक कैपिटल ट्रस्ट एआईएफ जैसे निवेशकों ने भाग लिया। कंपनी अब जल्द ही SME IPO के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने की योजना बना रही है।


फंडिंग का उद्देश्य: बाजार हिस्सेदारी और वृद्धि पर फोकस

Matrix Geo Solutions ने फंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से अपने विस्तार और विकास के लिए करने की योजना बनाई है।

  • ड्रोन सेवाओं का विस्तार:
    भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ते ड्रोन सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य।
  • तकनीकी अपग्रेड:
    उन्नत ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करके अधिक कुशल और लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना।

कंपनी की स्थापना और मिशन

2008 में अमित शर्मा और राहुल जैन द्वारा स्थापित, मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस का उद्देश्य ग्राहकों को ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक की मदद से योजनाबद्ध, मॉनिटरिंग और प्रबंधन में सहायता प्रदान करना है।

  • प्रमुख क्षेत्र:
    • लागत में कमी।
    • संचालन में दक्षता।
    • बेहतर निर्णय लेने में सहायता।

सेवा क्षेत्र: बहुआयामी योगदान

कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं:

  1. रेलवे और सड़क परियोजनाएं।
  2. रोपवे निर्माण।
  3. सिंचाई और कृषि।
  4. हाइड्रोपावर और सौर ऊर्जा।
  5. मेट्रो परियोजनाएं।
  6. खनन।
  7. शहरी योजना।
  8. इंस्पेक्शन और सर्विलांस।

कंपनी का दावा है कि उसके समाधान ने इन परियोजनाओं को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाया है।


ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया: नई पहल

दिल्ली स्थित मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस ने हाल ही में “ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया” लॉन्च की है।

  • उद्देश्य:
    ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी में कौशल निर्माण और बाजार की पहुंच को बढ़ावा देना।
  • लाभार्थी:
    • छात्र।
    • प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां।
    • सरकारी एजेंसियां।
  • प्रशिक्षण:
    यह अकादमी उद्योग-केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान करती है, जो व्यावहारिक अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता पर आधारित है।

ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी: भारत में बढ़ता बाजार

भारत में ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

सरकार का समर्थन:

  • सरकार द्वारा ड्रोन पॉलिसी में सुधार और “मेक इन इंडिया” अभियान ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया है।

व्यावसायिक उपयोग:

  • कृषि, निर्माण, रक्षा, और निगरानी जैसे क्षेत्रों में ड्रोन का व्यापक उपयोग हो रहा है।

भविष्य की संभावनाएं:

  • भारतीय ड्रोन बाजार का आकार अगले कुछ वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस की ताकत

तकनीकी विशेषज्ञता:

  • कंपनी उन्नत ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करती है।
  • पेटेंटेड समाधान और नवीन तकनीक पर फोकस।

ग्राहक केंद्रित समाधान:

  • कंपनी ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज़्ड सेवाएं प्रदान करती है।
  • डिसिजन मेकिंग:
    सटीक डेटा और विश्लेषण के माध्यम से ग्राहकों को बेहतर निर्णय लेने में सहायता।

वैश्विक दृष्टिकोण:

  • कंपनी का लक्ष्य भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है।

चुनौतियां और अवसर

चुनौतियां:

  1. प्रतिकूल नीतियां:
    ड्रोन टेक्नोलॉजी से जुड़े नियमों और पॉलिसी में जटिलताएं।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    घरेलू और वैश्विक बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा।
  3. तकनीकी अनुकूलता:
    उन्नत तकनीक को अपनाने के लिए उच्च निवेश की आवश्यकता।

अवसर:

  1. बढ़ती मांग:
    ड्रोन टेक्नोलॉजी की बढ़ती आवश्यकता।
  2. सरकारी परियोजनाएं:
    स्मार्ट सिटी, रेलवे और रक्षा परियोजनाओं में ड्रोन का उपयोग।
  3. नवाचार:
    नए उत्पाद और सेवाओं के माध्यम से बाजार में बढ़त।

निष्कर्ष: भविष्य की दिशा

मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस का प्री-IPO फंडिंग और SME IPO योजना एक महत्वपूर्ण कदम है।

  • ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता के साथ, कंपनी ने भारतीय और वैश्विक बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है।
  • ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया जैसी पहल से कंपनी न केवल अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है, बल्कि भविष्य की पीढ़ी को भी तैयार कर रही है।

भारतीय ड्रोन बाजार के विस्तार और सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं के चलते, मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस के पास विकास और नवाचार के अपार अवसर हैं।

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Sugar Cosmetics: धीमी वृद्धि और घाटे में सुधार का सफर

Sugar Cosmetics

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्यूटी ब्रांड SUGAR Cosmetics ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपने विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी देखी। जहां FY23 में कंपनी ने 90% सालाना वृद्धि दर्ज की थी, वहीं FY24 में यह वृद्धि केवल 20% रही। हालांकि, इस अवधि में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक कम करने में सफलता हासिल की।


SUGAR Cosmetics राजस्व में वृद्धि: FY24 के आंकड़े

SUGAR Cosmetics का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में 505 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 420 करोड़ रुपये था।

  • कुल राजस्व:
    • ऑपरेटिंग रेवेन्यू: 505 करोड़ रुपये।
    • ब्याज आय: 10 करोड़ रुपये।
    • कुल: 515 करोड़ रुपये
  • निर्यात से आय:
    • कंपनी ने 2.5 करोड़ रुपये का निर्यात आय अर्जित किया।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में ब्रांड ने अपनी स्थिति बनाए रखी।


खर्च और व्यय: प्रमुख चुनौतियां

विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर खर्च:

D2C ब्रांड्स के लिए विज्ञापन और प्रचार एक बड़ा खर्च होता है, और Sugar Cosmetics के लिए यह कोई अपवाद नहीं है।

  • FY24 में विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर 162 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
  • FY23 के मुकाबले यह आंकड़ा अपरिवर्तित रहा।

कच्चे माल की लागत:

  • कच्चे माल की खरीद लागत में 21.1% की वृद्धि हुई।
  • FY23 में यह लागत 114 करोड़ रुपये थी, जो FY24 में बढ़कर 138 करोड़ रुपये हो गई।

अन्य खर्च:

कंपनी के अन्य खर्चों में वृद्धि हुई, जिसमें शामिल हैं:

  • कर्मचारी लाभ,
  • किराया,
  • आईटी सेवाएं,
  • कानूनी खर्च,
  • आउटसोर्स सपोर्ट,
  • पैकेजिंग।

कुल खर्च:

FY24 में कुल खर्च 584 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 505 करोड़ रुपये था।

  • खर्च में 15.6% की वृद्धि देखी गई।

घाटे में कमी: एक सकारात्मक संकेत

कंपनी ने घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

  • FY24 में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक घटाया।
  • यह संकेत देता है कि Sugar Cosmetics अपने खर्चों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित कर रही है।

Sugar Cosmetics का व्यवसाय मॉडल

Sugar Cosmetics मुख्य रूप से कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की बिक्री से राजस्व उत्पन्न करता है।

  • मुख्य उत्पाद:
    • लिपस्टिक, आईलाइनर, फाउंडेशन, स्किनकेयर और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स।
  • बिक्री के माध्यम:
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (अपनी वेबसाइट और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे Amazon, Nykaa)।
    • ऑफलाइन स्टोर्स और रिटेल आउटलेट्स।
  • निर्यात:
    • FY24 में निर्यात से 2.5 करोड़ रुपये का योगदान रहा।

D2C ब्यूटी ब्रांड्स की चुनौतियां

Sugar Cosmetics के साथ-साथ अन्य D2C ब्यूटी ब्रांड्स को भी बाजार में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • MamaEarth, Plum, और MyGlamm जैसे ब्रांड्स की मौजूदगी से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

ग्राहक प्राथमिकताएं:

  • उपभोक्ता अब अधिक प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

बढ़ते खर्च:

  • कच्चे माल और विज्ञापन लागत में वृद्धि से मुनाफे पर असर पड़ता है।

FY25 की रणनीति: वृद्धि और लाभप्रदता का लक्ष्य

Sugar Cosmetics ने FY25 में वृद्धि और लाभप्रदता हासिल करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

नवाचार और नए उत्पाद:

  • उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार नए उत्पाद लॉन्च करने पर ध्यान दिया जाएगा।

डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार:

  • ब्रांड केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक सीमित न रहते हुए ऑफलाइन स्टोर्स पर अधिक फोकस करेगा।

लागत प्रबंधन:

  • विज्ञापन और प्रचार खर्च को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की योजना।

वैश्विक विस्तार:

  • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात और ब्रांड की मौजूदगी को बढ़ाने पर जोर।

Sugar Cosmetics का भविष्य: संभावनाएं और चुनौतियां

संभावनाएं:

  1. ब्यूटी और पर्सनल केयर बाजार का विस्तार:
    • भारतीय ब्यूटी और पर्सनल केयर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है।
  2. ऑनलाइन शॉपिंग का चलन:
    • उपभोक्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक खरीदारी कर रहे हैं, जिससे D2C ब्रांड्स को लाभ हो रहा है।

चुनौतियां:

  1. लागत में बढ़ोतरी:
    • कच्चे माल और मार्केटिंग खर्च में वृद्धि।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • अन्य ब्यूटी ब्रांड्स से बाजार हिस्सेदारी बनाए रखना।

निष्कर्ष: धीमी लेकिन स्थिर प्रगति

Sugar Cosmetics ने FY24 में धीमी वृद्धि और बढ़ते खर्चों के बावजूद अपने घाटे को कम करने में सफलता पाई।

  • कंपनी की 20% की राजस्व वृद्धि और घाटे में 11.4% की कमी संकेत देते हैं कि यह सही दिशा में कदम उठा रही है।
  • FY25 में नए उत्पादों और बेहतर लागत प्रबंधन के साथ, कंपनी भारतीय ब्यूटी इंडस्ट्री में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकती है।

Sugar Cosmetics की यात्रा अन्य D2C ब्रांड्स के लिए प्रेरणा है कि कैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में चुनौतियों का सामना करते हुए प्रगति की जा सकती है।

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