UPI लेनदेन में अक्टूबर 2024 में 10% की बढ़त, डिजिटल भुगतान में तेजी

PhonePe

भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने अक्टूबर 2024 में लेनदेन की संख्या में 10% महीने-दर-महीने की बढ़त दर्ज की। इस वृद्धि का श्रेय मौजूदा और नए उपयोगकर्ताओं की सक्रियता को दिया जा रहा है। डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता ने भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है।


PhonePe बना बाजार का बादशाह

डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म PhonePe ने अक्टूबर में सबसे अधिक UPI लेनदेन दर्ज किए, जिसमें कुल 7.9 अरब लेनदेन हुए, जिनकी कुल राशि ₹11,69,290 करोड़ थी।

  • PhonePe का बाजार हिस्सेदारी:
    • लेनदेन की संख्या में 47.66%।
    • कुल लेनदेन मूल्य में 49.76%।
  • हालांकि, सितंबर की तुलना में इसमें मामूली गिरावट आई है, जब यह आंकड़ा 48% और 49.95% था।

Google Pay का प्रदर्शन

Google Pay, जो UPI का दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है, ने 6.2 अरब लेनदेन दर्ज किए, जिनकी कुल राशि ₹8,49,327 करोड़ रही।

  • Google Pay की बाजार हिस्सेदारी:
    • लेनदेन संख्या और मूल्य के मामले में स्थिर बनी रही।

Paytm ने बनाए रखा तीसरा स्थान

Paytm (OCL), जो UPI क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है, ने अक्टूबर में 1.16 अरब लेनदेन किए, जिनकी कुल राशि ₹1,29,584 करोड़ थी।

  • Paytm का प्रदर्शन स्थिर रहा, और बाजार हिस्सेदारी में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।

UPI बाजार की स्थिति: तीन बड़े खिलाड़ी आगे

PhonePe, Google Pay, और Paytm तीनों ने मिलकर अक्टूबर 2024 में UPI बाजार का 90% से अधिक हिस्सा अपने कब्जे में रखा।

  • बाजार हिस्सेदारी (लेनदेन संख्या में):
    • PhonePe: 47.66%।
    • Google Pay: लगभग 37%।
    • Paytm: लगभग 7%।
  • बाजार हिस्सेदारी (लेनदेन मूल्य में):
    • PhonePe: 49.76%।
    • Google Pay: लगभग 36%।
    • Paytm: लगभग 5%।

लेनदेन में वृद्धि के कारण

नए उपयोगकर्ताओं की भागीदारी

UPI ने पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर ग्राहकों को जोड़ा है, खासकर ग्रामीण और टियर-2/3 शहरों में।

  • त्योहारों के मौसम में लोगों ने डिजिटल भुगतान को अधिक प्राथमिकता दी।
  • नए व्यापारी और व्यवसाय UPI सिस्टम में शामिल हो रहे हैं, जिससे लेनदेन में वृद्धि हो रही है।

सरलता और सुविधा

UPI का उपयोग करना बेहद आसान है और यह उपयोगकर्ताओं को कैश की चिंता से मुक्त करता है।

  • मोबाइल फोन और इंटरनेट की उपलब्धता ने इसे और भी सुलभ बना दिया है।
  • QR कोड और वॉलेट फीचर्स ने छोटे व्यवसायों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

PhonePe की मामूली गिरावट के कारण

हालांकि PhonePe ने बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी है, लेकिन इसकी हिस्सेदारी में हल्की गिरावट दर्ज की गई।

  • प्रतिस्पर्धा का असर:
    • Google Pay और Paytm जैसे खिलाड़ियों के लगातार इनोवेशन।
  • ग्राहक अनुभव:
    • ग्राहकों की प्राथमिकताओं में बदलाव और अन्य प्लेटफॉर्म्स द्वारा बेहतर ऑफर्स।

Google Pay और Paytm का स्थिर प्रदर्शन

Google Pay:

  • यह उपयोगकर्ताओं को भरोसेमंद और तेज़ सेवाएं प्रदान करता है।
  • मजबूत मार्केटिंग और विशेष सुविधाओं ने इसे ग्राहकों के बीच लोकप्रिय बनाए रखा।

Paytm:

  • Paytm का व्यापक व्यापारी नेटवर्क इसे अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाता है।
  • ऑफलाइन दुकानों और छोटे व्यवसायों में Paytm का व्यापक उपयोग होता है।

भारत में UPI का भविष्य

बढ़ते उपयोगकर्ता और लेनदेन

UPI ने अब तक 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को जोड़ा है, और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।

  • भारत सरकार और NPCI (National Payments Corporation of India) की पहल से इसे और बल मिल रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर UPI के विस्तार से भी भारतीय बाजार को लाभ होगा।

नवाचार और सुरक्षा

डिजिटल भुगतान के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय और AI-आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम इसे और सुरक्षित बना रहे हैं।

आगामी चुनौतियां

  • तकनीकी मुद्दे:
    सर्वर डाउनटाइम और लेनदेन विफलता को कम करना।
  • प्रतिस्पर्धा:
    नए प्लेटफॉर्म्स और तकनीकें बाजार में चुनौती पेश कर सकती हैं।

निष्कर्ष: UPI का प्रभाव

भारत में UPI ने वित्तीय लेनदेन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।

  • PhonePe, Google Pay, और Paytm जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • ग्राहकों और व्यापारियों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता इसे देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखती है।

अक्टूबर 2024 की इस रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि UPI का विकास जारी रहेगा, और यह आने वाले समय में और भी बड़े मील के पत्थर हासिल करेगा।

Read More : भारत में wearable device market में गिरावट: Q3 2024 की रिपोर्ट

भारत में wearable device market में गिरावट: Q3 2024 की रिपोर्ट

wearable

भारत का boAt वेयरेबल डिवाइस बाजार लगातार दूसरे तिमाही में गिरावट का सामना कर रहा है। IDC की India Monthly Wearable Device Tracker रिपोर्ट के अनुसार, Q3 2024 में इस बाजार में 20.7% की साल-दर-साल गिरावट आई, और कुल 3.8 करोड़ यूनिट्स की बिक्री हुई।


कम लॉन्च और इन्वेंट्री प्रबंधन बना कारण

रिपोर्ट बताती है कि इस गिरावट का मुख्य कारण प्रोडक्ट लॉन्च की कमी और कंपनियों द्वारा सतर्क इन्वेंट्री प्रबंधन रहा। यहां तक कि त्योहारी सीजन में भी बाजार को इसका असर झेलना पड़ा।


एवरेज सेलिंग प्राइस (ASP) में बढ़ोतरी

Q2 2019 के बाद पहली बार, वेयरेबल्स के औसत बिक्री मूल्य (ASP) में 1.3% की बढ़ोतरी हुई। Q3 2024 में यह कीमत $21.3 (लगभग ₹1750) रही।


सेगमेंट-वाइज प्रदर्शन

  • वrist bands:
    यह श्रेणी सबसे अधिक प्रभावित हुई, जिसमें 48% गिरावट आई और केवल 56,000 यूनिट्स की बिक्री हुई।
  • स्मार्टवॉच:
    स्मार्टवॉच की शिपमेंट में 44.8% गिरावट दर्ज की गई। कुल बिक्री 93 लाख यूनिट्स रही।
  • इयरवियर:
    इयरवियर श्रेणी में भी गिरावट देखी गई, जिसमें 7.5% की कमी आई और कुल 2.85 करोड़ यूनिट्स की बिक्री हुई।

ब्रांड्स का प्रदर्शन

boAt: मार्केट लीडर लेकिन गिरावट के साथ

  • boAt ने 32% मार्केट शेयर के साथ बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी।
  • हालांकि, Q3 2023 की तुलना में boAt की बिक्री में 14.5% गिरावट हुई।

Noise: स्मार्टवॉच सेगमेंट का लीडर

  • Noise ने स्मार्टवॉच श्रेणी में 27.4% मार्केट शेयर के साथ अपनी लीडरशिप कायम रखी।
  • लेकिन कंपनी की कुल बिक्री में 19.2% गिरावट दर्ज की गई।

Boult और Realme: ग्रोथ के चमकते सितारे

  • Boult ने 32.5% की ग्रोथ दर्ज की।
  • Realme ने इस अवधि में 56.5% की बढ़ोतरी की, जो इसे तेजी से उभरता हुआ ब्रांड बनाता है।

अन्य प्रमुख ब्रांड्स:

  • Boult का मार्केट शेयर 9.7% और Realme का 5.8% रहा।
  • Oppo (जिसमें OnePlus भी शामिल है) का मार्केट शेयर 5.5% दर्ज किया गया।

कैटेगरी-वाइज लीडर्स

  • TWS (True Wireless Stereo):
    boAt ने इस श्रेणी में 36.8% मार्केट शेयर के साथ बाजी मारी।
  • स्मार्टवॉच:
    Noise ने स्मार्टवॉच सेगमेंट में 27.4% मार्केट शेयर के साथ नेतृत्व किया।

मार्केट की चुनौतीपूर्ण स्थिति

त्योहारी सीजन के बावजूद, बाजार में गिरावट यह संकेत देती है कि कंपनियां अपने उत्पादों की मांग को लेकर सतर्क हैं। कम लॉन्च और अधिक कीमतें उपभोक्ताओं को खरीदारी से रोक रही हैं।


भविष्य की संभावनाएं

भारत में वेयरेबल टेक्नोलॉजी का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि Q3 2024 में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन Boult और Realme जैसे ब्रांड्स की ग्रोथ यह संकेत देती है कि नए इनोवेशन और बेहतर प्रोडक्ट्स के जरिए बाजार फिर से उभर सकता है।


भारत में वेयरेबल डिवाइस बाजार की गहराई में

भारतीय वेयरेबल डिवाइस बाजार में Q3 2024 की गिरावट, केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाजार में मौजूद कई गहन चुनौतियों की ओर इशारा करती है। IDC रिपोर्ट के अनुसार, इस समय कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स की मांग और ग्राहकों की पसंद को लेकर नए सिरे से सोचने की जरूरत है।


त्योहारी सीजन में उम्मीद से कम प्रदर्शन

त्योहारी सीजन हमेशा भारतीय बाजार के लिए एक उछाल लाने वाला समय माना जाता है। लेकिन इस बार त्योहारी सीजन के दौरान भी बिक्री में गिरावट दिखी। कंपनियों ने इन्वेंट्री मैनेजमेंट पर अधिक ध्यान दिया, और नए प्रोडक्ट लॉन्च की कमी से बाजार पर असर पड़ा।


ब्रांड्स की प्रतिस्पर्धा: कौन टिका, कौन गिरा?

boAt की पकड़ मजबूत, लेकिन चुनौतियां बरकरार

  • boAt ने 32% मार्केट शेयर के साथ अपने लीडर का स्थान बनाए रखा है।
  • हालांकि, 14.5% की गिरावट यह संकेत देती है कि boAt को प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

Noise का दबदबा कम हुआ, लेकिन पकड़ मजबूत

  • Noise, जो स्मार्टवॉच सेगमेंट में सबसे आगे है, ने 27.4% मार्केट शेयर हासिल किया।
  • इसके बावजूद, बिक्री में 19.2% गिरावट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मार्केट को नया दृष्टिकोण चाहिए।

Boult और Realme की चढ़ाई

  • Boult और Realme ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है।
  • Boult ने 32.5% की वृद्धि दर्ज की, और Realme की 56.5% ग्रोथ इसे बाजार में तेजी से उभरता हुआ खिलाड़ी बनाती है।

उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं

भारतीय उपभोक्ता अब केवल सस्ते प्रोडक्ट्स तक सीमित नहीं रहना चाहते।

  • प्रोडक्ट क्वालिटी और फीचर्स अब खरीदारी के मुख्य निर्धारक बन गए हैं।
  • ASP (औसत बिक्री मूल्य) में $21.3 तक की बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि उपभोक्ता बेहतर प्रोडक्ट्स के लिए अधिक खर्च करने को तैयार हैं।

वेयरेबल सेगमेंट में चुनौतियां और संभावनाएं

स्मार्टवॉच का भविष्य

  • स्मार्टवॉच, जो फिटनेस और हेल्थ मॉनिटरिंग में अग्रणी भूमिका निभाती है, इस गिरावट से उबरने की संभावना रखती है।
  • बेहतर फीचर्स और लंबे बैटरी बैकअप वाले स्मार्टवॉच बाजार में नए ग्राहकों को आकर्षित कर सकते हैं।

TWS (True Wireless Stereo) की मांग

  • TWS श्रेणी ने भारतीय बाजार में तेजी से अपनी जगह बनाई है।
  • boAt का 36.8% मार्केट शेयर इस बात का सबूत है कि संगीत और कॉल क्वालिटी जैसे कारक उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।

बाजार के लिए नई रणनीतियां

उत्पाद नवाचार पर जोर

  • कंपनियों को नए और अधिक उपयोगी फीचर्स के साथ प्रोडक्ट्स लॉन्च करने की आवश्यकता है।
  • फिटनेस, हेल्थ ट्रैकिंग, और हाई-परफॉर्मेंस ऑडियो जैसे फीचर्स उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकते हैं।

प्राइसिंग और वैल्यू

  • ASP में वृद्धि ने यह दिखाया है कि ग्राहक गुणवत्ता के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं।
  • कंपनियों को सस्ते और प्रीमियम प्रोडक्ट्स के बीच सही संतुलन बनाने की जरूरत है।

मार्केटिंग में बदलाव

  • ब्रांड्स को सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर उपभोक्ताओं के साथ अधिक गहराई से जुड़ने की जरूरत है।
  • ब्रांड स्टोरीटेलिंग और ग्राहकों के अनुभवों को साझा करना बिक्री बढ़ाने में मदद कर सकता है।

आने वाले समय की उम्मीदें

तकनीकी विकास का लाभ उठाना

भारत का वेयरेबल बाजार तकनीकी उन्नति और नए इनोवेशन के जरिए फिर से बढ़ सकता है।

  • AI और IoT आधारित प्रोडक्ट्स उपभोक्ताओं को अधिक आकर्षित कर सकते हैं।
  • 5G तकनीक का उपयोग करके, स्मार्टवॉच और TWS डिवाइस अधिक उन्नत सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।

बाजार का विस्तार

ग्रामीण और टियर-2/3 शहरों में ब्रांड्स के लिए बड़ा अवसर है।

  • किफायती कीमतों और स्थानीय भाषा में प्रचार-प्रसार के जरिए यह बाजार तेजी से बढ़ सकता है।

निष्कर्ष: चुनौतियों में छुपा अवसर

भारतीय वेयरेबल डिवाइस बाजार में मौजूदा गिरावट अस्थायी है।

  • उपभोक्ता की बदलती पसंद और तकनीकी इनोवेशन के साथ, यह बाजार जल्द ही फिर से उछाल मार सकता है।
  • boAt, Noise, और अन्य ब्रांड्स के लिए यह समय नई रणनीतियां बनाने और उपभोक्ताओं के साथ मजबूत संबंध बनाने का है।

भारतीय बाजार, जो हमेशा नए इनोवेशन और संभावनाओं के लिए तैयार रहता है, आने वाले समय में वेयरेबल टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी संभावनाएं रखता है।

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HealthKart ने जुटाए ₹1263 करोड़

HealthKart

गुरुग्राम स्थित HealthKart, जो एक ओमनीचैनल न्यूट्रिशन प्लेटफॉर्म है, ने हाल ही में ₹1263 करोड़ (लगभग $153 मिलियन) की फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व ChrysCapital और Motilal Oswal Alternates ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशक A91 Partners और Neo Group ने भी भाग लिया।


HealthKart की ब्रांड पावर

HealthKart अपने पोषण ब्रांड्स के लिए जाना जाता है, जिसमें MuscleBlaze, HKVitals, और Gritzo शामिल हैं। यह न केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि इसके 90 शहरों में 200 से अधिक रिटेल स्टोर्स भी हैं।


पिछली फंडिंग और अब तक का सफर

दिसंबर 2022 में, HealthKart ने Temasek और A91 Partners के नेतृत्व में ₹1135 करोड़ ($135 मिलियन) जुटाए थे। TheKredible के आंकड़ों के अनुसार, अब तक कंपनी ने कुल ₹2970 करोड़ ($360 मिलियन) की फंडिंग जुटाई है।


FY24 में ₹1000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य पार

कंपनी के प्रेस रिलीज के अनुसार, HealthKart ने FY24 में ₹1000 करोड़ का राजस्व पार किया और EBITDA स्तर पर लाभप्रदता भी हासिल की। हालांकि, FY23 में इसका राजस्व ₹832 करोड़ और घाटा ₹76 करोड़ था।


Tata 1mg से कनेक्शन

HealthKart ने 2015 में अपने जेनेरिक ड्रग सर्च बिजनेस HealthKartPlus को अलग कर दिया और इसे 1mg के रूप में रीब्रांड किया। वर्तमान में, यह व्यवसाय Tata 1mg Technologies Private Limited के तहत काम कर रहा है।


ESOP बायबैक योजना की घोषणा

इस फंडिंग के साथ, HealthKart ने अपने कर्मचारियों के लिए पहली बार ₹55 करोड़ ($6.5 मिलियन) की ESOP (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना) बायबैक योजना की घोषणा की है। इस बायबैक का लाभ मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों दोनों को मिलेगा।


ESOP बायबैक का बढ़ता ट्रेंड

TheKredible के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अब तक 20 से अधिक स्टार्टअप्स ने ESOP बायबैक, लिक्विडिटी, और पेरोल प्रोग्राम्स के जरिए कुल $200 मिलियन का वितरण किया है। HealthKart की इस योजना ने इसे इस बढ़ते ट्रेंड का हिस्सा बना दिया है।


पोषण क्षेत्र में HealthKart का बढ़ता दबदबा

HealthKart ने पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है। इसके प्रमुख ब्रांड, जैसे MuscleBlaze, फिटनेस प्रेमियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। साथ ही, बच्चों के लिए पोषण ब्रांड Gritzo और स्वास्थ्य उत्पादों के लिए HKVitals ने इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया है।


ऑमनीचैनल रणनीति का फायदा

HealthKart की ओमनीचैनल रणनीति—ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स का मिश्रण—ने इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचने और अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद की है। यह मॉडल न केवल ग्राहकों को सुविधा प्रदान करता है बल्कि बाजार में प्रतिस्पर्धा से भी आगे रखता है।


निवेशकों का विश्वास

ChrysCapital, Motilal Oswal Alternates, और A91 Partners जैसे बड़े निवेशकों का समर्थन दर्शाता है कि HealthKart की रणनीतियां और बिजनेस मॉडल भविष्य के लिए काफी आशाजनक हैं।


भविष्य की योजनाएं

HealthKart ने संकेत दिया है कि यह फंडिंग कंपनी को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को और विस्तारित करने, नए बाजारों में प्रवेश करने और अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने में मदद करेगी।


भारतीय स्वास्थ्य उद्योग में HealthKart का योगदान

पोषण और स्वास्थ्य उत्पादों के क्षेत्र में HealthKart का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। यह भारत जैसे उभरते बाजार में स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।


निष्कर्ष

HealthKart की ताजा फंडिंग और इसके राजस्व के बढ़ते आंकड़े इसे भारत के पोषण और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी बनाते हैं। इसके ओमनीचैनल मॉडल, मजबूत ब्रांड पोर्टफोलियो और निवेशकों के समर्थन ने इसे तेजी से विकास करने में मदद की है। भविष्य में, HealthKart के पास अपनी स्थिति को और मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने का शानदार मौका है।

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INDmoney ने FY24 में दिखाई जबरदस्त ग्रोथ, राजस्व में 73.2% की बढ़ोतरी 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार किया

INDmoney

INDmoney, जो यूजर्स को म्यूचुअल फंड, भारतीय और विदेशी स्टॉक्स में निवेश करने का प्लेटफॉर्म देता है, ने मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 73.2% की राजस्व वृद्धि दर्ज की। कंपनी ने अपनी ऑपरेटिंग रेवेन्यू को ₹40.6 करोड़ से बढ़ाकर ₹70 करोड़ कर लिया। साथ ही, कंपनी के लॉस में केवल 12% की बढ़ोतरी हुई।

डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया सबसे ज्यादा राजस्व

INDmoney का मुख्य ऑपरेटिंग रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया, जो ₹53.6 करोड़ रहा और इसमें 56% की वृद्धि हुई। ब्रोकिंग गतिविधियों से हुई आय ₹10.7 करोड़ तक पहुंच गई, जबकि allied सेवाओं से कंपनी ने ₹6 करोड़ कमाए।

कुल आय ₹128 करोड़ हुई

गुरुग्राम स्थित इस कंपनी ने ₹57.7 करोड़ की अतिरिक्त आय अर्जित की, जो मुख्यतः ब्याज और करंट इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री से आई। मार्च 2024 तक कंपनी के पास ₹725 करोड़ के वित्तीय संसाधन थे, जिससे इस अतिरिक्त आय का बड़ा हिस्सा आया।

कर्मचारी वेतन सबसे बड़ा खर्च

INDmoney के कुल खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारी वेतन का रहा, जो ₹124.53 करोड़ तक पहुंच गया। पिछले वित्तीय वर्ष में यह ₹111.86 करोड़ था, यानी इसमें 11% की वृद्धि हुई। इसके अलावा, आईटी सेवाओं पर ₹57.18 करोड़ और मार्केटिंग पर ₹33.80 करोड़ खर्च किए गए।

टाइगर ग्लोबल का समर्थन, विस्तार की ओर अग्रसर

टाइगर ग्लोबल द्वारा समर्थित यह कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार कर चुकी है। कंपनी अपनी सेवाओं को और अधिक विस्तार देने और टेक्नोलॉजी में निवेश कर ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने की योजना बना रही है।

निवेशकों के लिए खास सुविधाएं

INDmoney अपने यूजर्स को भारतीय और विदेशी स्टॉक्स में निवेश के साथ-साथ म्यूचुअल फंड के लिए भी बेहतर अनुभव प्रदान करता है। यह प्लेटफॉर्म यूजर्स को फाइनेंशियल फैसले लेने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भविष्य की योजनाएं

कंपनी के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन और यूजर बेस में तेजी से वृद्धि ने इसे भारतीय फिनटेक क्षेत्र में मजबूत स्थान दिया है। INDmoney ने संकेत दिए हैं कि वह अगले वित्तीय वर्ष में और भी बड़े पैमाने पर अपने उत्पादों और सेवाओं को विस्तारित करेगी।

गुरुग्राम स्थित फिनटेक प्लेटफॉर्म INDmoney ने वित्तीय वर्ष 2024 में अपने ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 73.2% की बढ़ोतरी दर्ज की। FY23 के ₹40.6 करोड़ के मुकाबले FY24 में यह ₹70 करोड़ तक पहुंच गया। इस दौरान, कंपनी के लॉस में केवल 12% की वृद्धि हुई, जो इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के मुताबिक स्थिर है।

डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज से प्रमुख आय

कंपनी के ऑपरेटिंग रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं से आया। यह ₹53.6 करोड़ रहा, जो FY23 के मुकाबले 56% अधिक है। इसके अलावा, ब्रोकिंग एक्टिविटीज से ₹10.7 करोड़ की आय हुई, जबकि allied सेवाओं से ₹6 करोड़ का योगदान रहा।

ब्याज और निवेश से अतिरिक्त आय

कंपनी ने ₹57.7 करोड़ की अतिरिक्त आय भी दर्ज की, जो मुख्यतः ब्याज और करंट इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री से अर्जित की गई। यह आय INDmoney के पास उपलब्ध ₹725 करोड़ के वित्तीय संसाधनों का नतीजा है। कुल मिलाकर कंपनी का FY24 का कुल राजस्व ₹128 करोड़ तक पहुंच गया।


कर्मचारियों और तकनीक पर ध्यान केंद्रित

कर्मचारी लाभ खर्च

कर्मचारी वेतन और लाभ कंपनी के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा रहे। FY24 में यह ₹124.53 करोड़ था, जो FY23 के ₹111.86 करोड़ से 11% अधिक है।

आईटी और मार्केटिंग खर्च

तकनीकी सेवाओं (IT) पर कंपनी ने ₹57.18 करोड़ खर्च किए। वहीं, मार्केटिंग और प्रमोशन में ₹33.80 करोड़ का निवेश किया गया। यह दिखाता है कि कंपनी ने अपने ब्रांड को बढ़ावा देने और ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने में रणनीतिक प्रयास किए।


10 मिलियन यूजर्स का मील का पत्थर

INDmoney ने अपने प्लेटफॉर्म पर 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार कर लिया है। यह मील का पत्थर कंपनी की सेवा की गुणवत्ता और ग्राहकों के विश्वास को दर्शाता है।

निवेशकों के लिए आकर्षक सुविधाएं

INDmoney अपने यूजर्स को भारतीय और विदेशी स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, और अन्य वित्तीय उत्पादों में निवेश करने का प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। कंपनी की उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएं इसे निवेशकों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के बीच लोकप्रिय बना रही हैं।


टाइगर ग्लोबल का समर्थन

INDmoney को टाइगर ग्लोबल जैसे बड़े निवेशक का समर्थन प्राप्त है, जिसने कंपनी की ग्रोथ को गति दी है। इस समर्थन से कंपनी ने अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट और विस्तार योजनाओं को मजबूती दी है।


फिनटेक क्षेत्र में बढ़त

INDmoney का प्रदर्शन इसे भारतीय फिनटेक क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। FY24 के दौरान कंपनी ने न केवल राजस्व वृद्धि हासिल की, बल्कि अपने लॉस को भी सीमित रखा।


आने वाले वित्तीय वर्ष की रणनीतियां

सेवाओं का विस्तार

कंपनी ने संकेत दिए हैं कि वह FY25 में अपनी सेवाओं को और विस्तारित करेगी। INDmoney अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में नई सेवाएं जोड़ने और ग्राहकों के लिए बेहतर अनुभव प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।

टेक्नोलॉजी में निवेश

कंपनी अपने आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने और यूजर्स को उन्नत सुविधाएं प्रदान करने के लिए निरंतर निवेश कर रही है।


D2C मॉडल की सफलता

INDmoney का D2C (डायरेक्ट-टू-कस्टमर) मॉडल इसके विकास में सहायक रहा है। कंपनी ने ग्राहकों की जरूरतों को समझकर निवेश और धन प्रबंधन को सरल और पारदर्शी बनाया है।


फिनटेक सेक्टर में मजबूत पकड़

फिनटेक इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा के बावजूद INDmoney का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। कंपनी ने न केवल राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की, बल्कि अपने उपयोगकर्ताओं का विश्वास भी बनाए रखा।


निष्कर्ष

INDmoney ने FY24 में अपनी वित्तीय स्थिरता और विकास क्षमता का प्रदर्शन किया है। कंपनी ने राजस्व में बड़ी बढ़ोतरी की है और अपने खर्चों को कुशलता से प्रबंधित किया है। 10 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार करना और निवेशकों का मजबूत समर्थन प्राप्त करना कंपनी की सफलता की कहानी को और मजबूत बनाता है। आगामी वित्तीय वर्ष में कंपनी के और अधिक विस्तार और नवाचार की उम्मीद है, जिससे यह भारतीय फिनटेक बाजार में एक मजबूत स्थान बनाए रखेगी।

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Matrix Geo Solutions ने जुटाए 1 मिलियन डॉलर

Matrix Geo Solutions

ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी आधारित जियोस्पेशल कंपनी Matrix Geo Solutions ने अपने प्री-IPO राउंड में करीब 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड में चित्तौड़गढ़ इंफोटेक लिमिटेड, विनय इक्विटी मार्केट्स एलएलपी, और ट्रायरॉक कैपिटल ट्रस्ट एआईएफ जैसे निवेशकों ने भाग लिया। कंपनी अब जल्द ही SME IPO के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने की योजना बना रही है।


फंडिंग का उद्देश्य: बाजार हिस्सेदारी और वृद्धि पर फोकस

Matrix Geo Solutions ने फंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से अपने विस्तार और विकास के लिए करने की योजना बनाई है।

  • ड्रोन सेवाओं का विस्तार:
    भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ते ड्रोन सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य।
  • तकनीकी अपग्रेड:
    उन्नत ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करके अधिक कुशल और लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना।

कंपनी की स्थापना और मिशन

2008 में अमित शर्मा और राहुल जैन द्वारा स्थापित, मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस का उद्देश्य ग्राहकों को ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक की मदद से योजनाबद्ध, मॉनिटरिंग और प्रबंधन में सहायता प्रदान करना है।

  • प्रमुख क्षेत्र:
    • लागत में कमी।
    • संचालन में दक्षता।
    • बेहतर निर्णय लेने में सहायता।

सेवा क्षेत्र: बहुआयामी योगदान

कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं:

  1. रेलवे और सड़क परियोजनाएं।
  2. रोपवे निर्माण।
  3. सिंचाई और कृषि।
  4. हाइड्रोपावर और सौर ऊर्जा।
  5. मेट्रो परियोजनाएं।
  6. खनन।
  7. शहरी योजना।
  8. इंस्पेक्शन और सर्विलांस।

कंपनी का दावा है कि उसके समाधान ने इन परियोजनाओं को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाया है।


ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया: नई पहल

दिल्ली स्थित मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस ने हाल ही में “ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया” लॉन्च की है।

  • उद्देश्य:
    ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी में कौशल निर्माण और बाजार की पहुंच को बढ़ावा देना।
  • लाभार्थी:
    • छात्र।
    • प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां।
    • सरकारी एजेंसियां।
  • प्रशिक्षण:
    यह अकादमी उद्योग-केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान करती है, जो व्यावहारिक अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता पर आधारित है।

ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी: भारत में बढ़ता बाजार

भारत में ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

सरकार का समर्थन:

  • सरकार द्वारा ड्रोन पॉलिसी में सुधार और “मेक इन इंडिया” अभियान ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया है।

व्यावसायिक उपयोग:

  • कृषि, निर्माण, रक्षा, और निगरानी जैसे क्षेत्रों में ड्रोन का व्यापक उपयोग हो रहा है।

भविष्य की संभावनाएं:

  • भारतीय ड्रोन बाजार का आकार अगले कुछ वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस की ताकत

तकनीकी विशेषज्ञता:

  • कंपनी उन्नत ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करती है।
  • पेटेंटेड समाधान और नवीन तकनीक पर फोकस।

ग्राहक केंद्रित समाधान:

  • कंपनी ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज़्ड सेवाएं प्रदान करती है।
  • डिसिजन मेकिंग:
    सटीक डेटा और विश्लेषण के माध्यम से ग्राहकों को बेहतर निर्णय लेने में सहायता।

वैश्विक दृष्टिकोण:

  • कंपनी का लक्ष्य भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है।

चुनौतियां और अवसर

चुनौतियां:

  1. प्रतिकूल नीतियां:
    ड्रोन टेक्नोलॉजी से जुड़े नियमों और पॉलिसी में जटिलताएं।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    घरेलू और वैश्विक बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा।
  3. तकनीकी अनुकूलता:
    उन्नत तकनीक को अपनाने के लिए उच्च निवेश की आवश्यकता।

अवसर:

  1. बढ़ती मांग:
    ड्रोन टेक्नोलॉजी की बढ़ती आवश्यकता।
  2. सरकारी परियोजनाएं:
    स्मार्ट सिटी, रेलवे और रक्षा परियोजनाओं में ड्रोन का उपयोग।
  3. नवाचार:
    नए उत्पाद और सेवाओं के माध्यम से बाजार में बढ़त।

निष्कर्ष: भविष्य की दिशा

मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस का प्री-IPO फंडिंग और SME IPO योजना एक महत्वपूर्ण कदम है।

  • ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता के साथ, कंपनी ने भारतीय और वैश्विक बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है।
  • ड्रोन एकेडमी ऑफ इंडिया जैसी पहल से कंपनी न केवल अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है, बल्कि भविष्य की पीढ़ी को भी तैयार कर रही है।

भारतीय ड्रोन बाजार के विस्तार और सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं के चलते, मैट्रिक्स जियो सॉल्यूशंस के पास विकास और नवाचार के अपार अवसर हैं।

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Sugar Cosmetics: धीमी वृद्धि और घाटे में सुधार का सफर

Sugar Cosmetics

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्यूटी ब्रांड SUGAR Cosmetics ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपने विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी देखी। जहां FY23 में कंपनी ने 90% सालाना वृद्धि दर्ज की थी, वहीं FY24 में यह वृद्धि केवल 20% रही। हालांकि, इस अवधि में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक कम करने में सफलता हासिल की।


SUGAR Cosmetics राजस्व में वृद्धि: FY24 के आंकड़े

SUGAR Cosmetics का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में 505 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 420 करोड़ रुपये था।

  • कुल राजस्व:
    • ऑपरेटिंग रेवेन्यू: 505 करोड़ रुपये।
    • ब्याज आय: 10 करोड़ रुपये।
    • कुल: 515 करोड़ रुपये
  • निर्यात से आय:
    • कंपनी ने 2.5 करोड़ रुपये का निर्यात आय अर्जित किया।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में ब्रांड ने अपनी स्थिति बनाए रखी।


खर्च और व्यय: प्रमुख चुनौतियां

विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर खर्च:

D2C ब्रांड्स के लिए विज्ञापन और प्रचार एक बड़ा खर्च होता है, और Sugar Cosmetics के लिए यह कोई अपवाद नहीं है।

  • FY24 में विज्ञापन और बिक्री प्रचार पर 162 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
  • FY23 के मुकाबले यह आंकड़ा अपरिवर्तित रहा।

कच्चे माल की लागत:

  • कच्चे माल की खरीद लागत में 21.1% की वृद्धि हुई।
  • FY23 में यह लागत 114 करोड़ रुपये थी, जो FY24 में बढ़कर 138 करोड़ रुपये हो गई।

अन्य खर्च:

कंपनी के अन्य खर्चों में वृद्धि हुई, जिसमें शामिल हैं:

  • कर्मचारी लाभ,
  • किराया,
  • आईटी सेवाएं,
  • कानूनी खर्च,
  • आउटसोर्स सपोर्ट,
  • पैकेजिंग।

कुल खर्च:

FY24 में कुल खर्च 584 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो FY23 में 505 करोड़ रुपये था।

  • खर्च में 15.6% की वृद्धि देखी गई।

घाटे में कमी: एक सकारात्मक संकेत

कंपनी ने घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

  • FY24 में कंपनी ने अपने घाटे को 11.4% तक घटाया।
  • यह संकेत देता है कि Sugar Cosmetics अपने खर्चों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित कर रही है।

Sugar Cosmetics का व्यवसाय मॉडल

Sugar Cosmetics मुख्य रूप से कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की बिक्री से राजस्व उत्पन्न करता है।

  • मुख्य उत्पाद:
    • लिपस्टिक, आईलाइनर, फाउंडेशन, स्किनकेयर और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स।
  • बिक्री के माध्यम:
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (अपनी वेबसाइट और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे Amazon, Nykaa)।
    • ऑफलाइन स्टोर्स और रिटेल आउटलेट्स।
  • निर्यात:
    • FY24 में निर्यात से 2.5 करोड़ रुपये का योगदान रहा।

D2C ब्यूटी ब्रांड्स की चुनौतियां

Sugar Cosmetics के साथ-साथ अन्य D2C ब्यूटी ब्रांड्स को भी बाजार में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • MamaEarth, Plum, और MyGlamm जैसे ब्रांड्स की मौजूदगी से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

ग्राहक प्राथमिकताएं:

  • उपभोक्ता अब अधिक प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

बढ़ते खर्च:

  • कच्चे माल और विज्ञापन लागत में वृद्धि से मुनाफे पर असर पड़ता है।

FY25 की रणनीति: वृद्धि और लाभप्रदता का लक्ष्य

Sugar Cosmetics ने FY25 में वृद्धि और लाभप्रदता हासिल करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

नवाचार और नए उत्पाद:

  • उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार नए उत्पाद लॉन्च करने पर ध्यान दिया जाएगा।

डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार:

  • ब्रांड केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक सीमित न रहते हुए ऑफलाइन स्टोर्स पर अधिक फोकस करेगा।

लागत प्रबंधन:

  • विज्ञापन और प्रचार खर्च को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की योजना।

वैश्विक विस्तार:

  • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात और ब्रांड की मौजूदगी को बढ़ाने पर जोर।

Sugar Cosmetics का भविष्य: संभावनाएं और चुनौतियां

संभावनाएं:

  1. ब्यूटी और पर्सनल केयर बाजार का विस्तार:
    • भारतीय ब्यूटी और पर्सनल केयर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है।
  2. ऑनलाइन शॉपिंग का चलन:
    • उपभोक्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक खरीदारी कर रहे हैं, जिससे D2C ब्रांड्स को लाभ हो रहा है।

चुनौतियां:

  1. लागत में बढ़ोतरी:
    • कच्चे माल और मार्केटिंग खर्च में वृद्धि।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • अन्य ब्यूटी ब्रांड्स से बाजार हिस्सेदारी बनाए रखना।

निष्कर्ष: धीमी लेकिन स्थिर प्रगति

Sugar Cosmetics ने FY24 में धीमी वृद्धि और बढ़ते खर्चों के बावजूद अपने घाटे को कम करने में सफलता पाई।

  • कंपनी की 20% की राजस्व वृद्धि और घाटे में 11.4% की कमी संकेत देते हैं कि यह सही दिशा में कदम उठा रही है।
  • FY25 में नए उत्पादों और बेहतर लागत प्रबंधन के साथ, कंपनी भारतीय ब्यूटी इंडस्ट्री में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकती है।

Sugar Cosmetics की यात्रा अन्य D2C ब्रांड्स के लिए प्रेरणा है कि कैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में चुनौतियों का सामना करते हुए प्रगति की जा सकती है।

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mCaffeine: बिक्री में गिरावट के साथ FY24 की चुनौतीपूर्ण यात्रा

mCaffeine

mCaffeine, जो कैफीन-आधारित स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पादों में विशेषज्ञता रखता है, ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में उम्मीदों के विपरीत प्रदर्शन किया। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी तरुण शर्मा ने FY24 में बिक्री में 50% वृद्धि और FY25 में लाभप्रदता का दावा किया था। हालांकि, वित्तीय आंकड़े इन उम्मीदों से मेल नहीं खाते।


mCaffeine का परिचय

mCaffeine भारत का एक लोकप्रिय पर्सनल केयर ब्रांड है, जो कैफीन-इनफ्यूज्ड उत्पादों की विशेषता के साथ ग्राहकों को आकर्षित करता है।

  • प्रमुख उत्पाद: स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पाद।
  • बिक्री का माध्यम: ब्रांड मुख्य रूप से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और अपनी वेबसाइट के जरिए बिक्री करता है।

बिक्री में गिरावट: FY24 के आंकड़े

mCaffeine की FY24 में बिक्री के आंकड़े उम्मीदों से कम रहे।

  • ऑपरेटिंग रेवेन्यू: 6% की गिरावट के साथ 193 करोड़ रुपये
  • कुल आय: 193 करोड़ रुपये की बिक्री और 8.9 करोड़ रुपये की ब्याज आय से कुल 201.9 करोड़ रुपये

यह गिरावट कंपनी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, खासकर जब FY23 में ब्रांड ने बेहतर प्रदर्शन किया था।


प्रमुख खर्च और मुनाफे की स्थिति

mCaffeine ने FY24 में अपने खर्चों को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

प्रमुख खर्च:

  1. विज्ञापन खर्च:
    • FY24 में विज्ञापन पर 106.17 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
    • FY23 के मुकाबले इसमें 11.8% की कमी देखी गई।
  2. कर्मचारी लाभ:
    • कर्मचारियों पर खर्च 38.54 करोड़ रुपये रहा।
    • यह पिछले वर्ष की तुलना में 2.8% कम है।
  3. कच्चे माल की लागत:
    • कच्चे माल पर खर्च 12.5% बढ़कर 67.67 करोड़ रुपये हो गया।

कुल खर्च:

  • FY24 में कुल खर्च मामूली रूप से घटकर 287.33 करोड़ रुपये हो गया।
  • FY23 की तुलना में यह एक छोटा सुधार है, लेकिन बिक्री में गिरावट ने इसे संतुलित नहीं होने दिया।

बिक्री में गिरावट के कारण

1. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • भारत में पर्सनल केयर ब्रांड्स की बढ़ती संख्या ने mCaffeine की बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित किया।
  • MamaEarth और WOW Skin Science जैसे ब्रांड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

2. ग्राहक प्राथमिकताओं में बदलाव:

  • ग्राहकों का झुकाव प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों की ओर बढ़ा है।
  • mCaffeine को इस बदलते ट्रेंड से तालमेल बैठाने में कठिनाई हुई।

3. उपभोक्ता खर्च में कमी:

  • FY24 में आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण उपभोक्ताओं ने गैर-जरूरी खर्चों में कटौती की।

कैसे mCaffeine ने खर्चों को नियंत्रित किया

  1. विज्ञापन खर्च में कटौती:
    • विज्ञापन बजट को 11.8% तक कम किया गया।
    • डिजिटल और सोशल मीडिया मार्केटिंग पर फोकस बढ़ाया गया।
  2. कर्मचारियों पर खर्च घटाया:
    • कर्मचारियों की संख्या और लाभों में कटौती की गई।
  3. संचालन में सुधार:
    • कच्चे माल की लागत बढ़ने के बावजूद अन्य खर्चों को नियंत्रण में रखा गया।

FY25 में लाभप्रदता के लक्ष्य की ओर

तरुण शर्मा ने FY25 में mCaffeine के लाभप्रद बनने की उम्मीद जताई है। इसके लिए कंपनी ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है:

  • नए उत्पाद लॉन्च: ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए नए उत्पादों पर काम।
  • डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार: केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक सीमित न रहते हुए रिटेल स्टोर्स पर फोकस।
  • ब्रांडिंग में बदलाव: उपभोक्ताओं के विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए ब्रांडिंग में सुधार।

भारतीय पर्सनल केयर बाजार में mCaffeine की स्थिति

बाजार का विस्तार:

भारत का पर्सनल केयर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।

  • प्रमुख खिलाड़ी: MamaEarth, Plum, WOW Skin Science।
  • मांग में वृद्धि: स्किनकेयर और हेयरकेयर उत्पादों की बढ़ती डिमांड।

mCaffeine के लिए अवसर:

  • ब्रांड की कैफीन-आधारित उत्पादों की विशेषता इसे एक अनोखा स्थान प्रदान करती है।
  • सही रणनीति के साथ, कंपनी अपनी खोई हुई बाजार हिस्सेदारी को पुनः प्राप्त कर सकती है।

निष्कर्ष: चुनौतीपूर्ण लेकिन उम्मीदें बरकरार

FY24 में mCaffeine के लिए वित्तीय चुनौतियां रहीं, लेकिन कंपनी ने खर्चों को नियंत्रित करके अपने प्रदर्शन में सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं।

भविष्य की संभावनाएं:

  1. FY25 में लाभप्रदता की ओर बढ़ने के लिए रणनीतिक योजनाएं।
  2. ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नवाचार।
  3. भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना।

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Vecmocon Technologies को $10 मिलियन की फंडिंग

Vecmocon

वाहन इंटेलिजेंस कंपनी Vecmocon Technologies ने अपनी सीरीज ए फंडिंग के पहले चरण में $10 मिलियन (लगभग ₹83 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Ecosystem Integrity Fund (EIF) ने किया, जिसमें Blume Ventures और British International Investment (BII) ने भी हिस्सा लिया।


Vecmocon पिछले फंडिंग राउंड्स में भी रही मजबूत पकड़

इससे पहले, अक्टूबर 2022 में Vecmocon ने Tiger Global और Blume Ventures के नेतृत्व में $5.2 मिलियन जुटाए थे। हालांकि, इस बार के राउंड में Tiger Global ने भाग नहीं लिया। इसके अलावा, दिल्ली आधारित इस स्टार्टअप ने शुरुआती दिनों में $300k की फंडिंग प्राप्त की थी और इसे IIT दिल्ली और ISB में इनक्यूबेट किया गया था।


फंडिंग का उपयोग किसके लिए होगा?

Vecmocon इस नई फंडिंग का इस्तेमाल अपने अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षमताओं को मजबूत करने में करेगा। कंपनी का फोकस हाई-वोल्टेज सिस्टम्स, एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (ESS), 5G ऑटोमोटिव कनेक्टिविटी, और Zonal ECU कंप्लायंट आर्किटेक्चर पर है। इसके अलावा, कंपनी की योजना एक अंतरराष्ट्रीय-स्तरीय R&D इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और अपनी टीम का विस्तार करने की भी है।


Vecmocon का सफर और तकनीकी समाधान

Vecmocon Technologies की शुरुआत 2016 में IIT दिल्ली में हुई थी। इसके संस्थापक पीयूष असाटी, आदर्शकुमार बालारामन, और शिवम वानखेड़े हैं। यह स्टार्टअप इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिए एडवांस्ड कंप्यूटिंग सॉल्यूशंस प्रदान करता है।

कंपनी के प्रमुख उत्पाद:

  1. बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS)
  2. वाहन इंटेलिजेंस मॉड्यूल (VIM)
  3. EV चार्जर

कंपनी के इन उत्पादों का इस्तेमाल वर्तमान में 70,000 से अधिक वाहनों में हो रहा है।


प्रमुख ग्राहक और साझेदारियां

Vecmocon ने अपने प्रोडक्ट्स को कई बड़े नामों तक पहुंचाया है, जिनमें शामिल हैं:

  • Exide
  • BGauss
  • Battery Smart

इन साझेदारियों से कंपनी ने भारतीय EV बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है।


EV सेक्टर में Vecmocon की अहम भूमिका

इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, Vecmocon जैसी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनके तकनीकी समाधान न केवल वाहनों की दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा और स्थिरता भी सुनिश्चित करते हैं।

R&D में निवेश क्यों जरूरी है?

Vecmocon अपने प्रोडक्ट्स को और बेहतर बनाने के लिए R&D में निवेश कर रहा है।

  • हाई-वोल्टेज सिस्टम्स: EVs की बढ़ती मांग के साथ, हाई-वोल्टेज सिस्टम्स का महत्व बढ़ गया है।
  • 5G ऑटोमोटिव कनेक्टिविटी: यह EVs को स्मार्ट और कनेक्टेड बनाता है।
  • एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (ESS): बेहतर बैटरी क्षमता और दीर्घायु सुनिश्चित करता है।

फाउंडर्स का दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं

पीयूष असाटी और उनकी टीम का लक्ष्य है कि Vecmocon को भारत के EV क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाए। इस दिशा में, कंपनी ने:

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार की योजना बनाई है।
  2. EV क्षेत्र के लिए सस्टेनेबल और ट्रेसेबल प्रोडक्ट्स विकसित करने का लक्ष्य रखा है।

भारत के EV बाजार में Vecmocon की भूमिका

भारत सरकार की EV को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं और नीति समर्थन से Vecmocon जैसी कंपनियों को बड़े अवसर मिल रहे हैं।

  • बढ़ती EV मांग: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • टेक्नोलॉजी-आधारित समाधान: Vecmocon के प्रोडक्ट्स EV निर्माताओं के लिए जरूरी साबित हो रहे हैं।

क्या कहता है भविष्य?

Vecmocon Technologies का फोकस भारतीय EV बाजार को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने पर है।

  • कंपनी के उत्पादों को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा है।
  • R&D में निवेश और इनोवेशन इसे EV क्षेत्र में मजबूती प्रदान करेगा।

सफलता की कहानी

Vecmocon की यात्रा यह दर्शाती है कि कैसे एक इनक्यूबेटेड स्टार्टअप तकनीकी समाधान देकर बाजार में अपनी जगह बना सकता है।


निष्कर्ष

Vecmocon Technologies ने भारतीय EV बाजार में नई तकनीक और इनोवेशन के जरिए अपनी पहचान बनाई है। नई फंडिंग से कंपनी के विकास की गति तेज होगी और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी। EV क्षेत्र में ऐसे स्टार्टअप्स की सफलता भारत के तकनीकी भविष्य को दर्शाती है।

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Burger Singh को बड़ा झटका: वित्त वर्ष 2024 में घाटे में छह गुना से ज्यादा बढ़ोतरी

Burger

फास्ट-फूड चेन Burger Singh, जिसने भारतीय बर्गर प्रेमियों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई है, वित्त वर्ष 2024 में बड़ा आर्थिक झटका झेल रही है। कंपनी का घाटा इस दौरान छह गुना से अधिक बढ़ गया, जबकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 34% की वृद्धि हुई।

Burger Singh रेवेन्यू में बढ़त, लेकिन घाटा भी बढ़ा

Burger Singh का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में ₹77.7 करोड़ तक पहुंच गया, जो FY23 में ₹57.8 करोड़ था। 12 साल पुरानी यह कंपनी अपने ग्राहकों को बर्गर, साइड्स, डेज़र्ट्स, और ड्रिंक्स का विस्तृत मेन्यू पेश करती है। कंपनी की बिक्री का मुख्य स्रोत उसके सेल्फ-ओन्ड आउटलेट्स और फ्रैंचाइज़ स्टोर्स हैं।

रेवेन्यू के तीन मुख्य स्रोत

Burger Singh का रेवेन्यू तीन स्रोतों से आता है:

  1. स्वयं संचालित स्टोर्स से बिक्री: कंपनी की कुल ऑपरेटिंग आय का 48% हिस्सा अपने स्टोर्स की बिक्री से आता है। FY24 में यह रेवेन्यू ₹37.66 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 60% बढ़ा।
  2. फ्रैंचाइज़ सेवाओं से आय: फ्रैंचाइज़ से जुड़ी सेवाओं से ₹10.81 करोड़ की आय हुई।
  3. फ्रैंचाइज़ स्टोर्स को माल की बिक्री: इस माध्यम से कंपनी ने ₹28.6 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया।

खर्चों में बड़ा हिस्सा कच्चे माल का

Burger Singh के लिए कच्चे माल की खरीद सबसे बड़ी लागत बन गई, जो कंपनी के कुल खर्च का 43% हिस्सा है। FY24 में कच्चे माल की लागत ₹39.2 करोड़ रही, जो FY23 के ₹29.9 करोड़ की तुलना में 31.3% बढ़ी।

अन्य खर्चों का विश्लेषण

कंपनी के संचालन में शामिल अन्य बड़े खर्च भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें कर्मचारियों का वेतन, मार्केटिंग, और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। हालांकि, बर्गर सिंह ने अपने फ्रैंचाइज़ मॉडल पर जोर दिया है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत ने कंपनी के मुनाफे को प्रभावित किया है।

मार्केट में Burger Singh की स्थिति

भारतीय फूड मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Burger Singh ने अपने आप को एक देसी ट्विस्ट के साथ अंतरराष्ट्रीय बर्गर ब्रांड्स से अलग साबित करने की कोशिश की है। कंपनी ने अपने बर्गर्स में भारतीय मसालों और फ्लेवर्स का उपयोग किया है, जिससे यह ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

हालांकि, बढ़ती लागत और बढ़ते घाटे ने कंपनी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वित्त वर्ष 2024 में बढ़ा हुआ घाटा यह बताता है कि कंपनी को अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा और आय के नए स्रोत तलाशने होंगे।

फ्रैंचाइज़ मॉडल से उम्मीदें

Burger Singh का फ्रैंचाइज़ मॉडल एक प्रमुख ताकत बना हुआ है। कंपनी ने कई नए फ्रैंचाइज़ स्टोर्स खोले हैं, जो छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हुए हैं। फ्रैंचाइज़ के जरिए कंपनी को विस्तार के साथ-साथ मुनाफा बढ़ाने की उम्मीद है।

ग्राहकों की प्राथमिकता और नवाचार

कंपनी के पास भारतीय ग्राहकों की पसंद-नापसंद को समझने की गहरी समझ है। यही कारण है कि इसके मेन्यू में लगातार नए आइटम जोड़े जा रहे हैं। आने वाले समय में कंपनी अगर अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार करती है, तो यह ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए रख सकती है।

भविष्य की रणनीति

Burger Singh को अपने खर्चों को नियंत्रित करने और आय के नए स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। कंपनी अगर डिजिटल मार्केटिंग, लॉयल्टी प्रोग्राम्स, और प्रोडक्ट इनोवेशन पर जोर देती है, तो यह आने वाले समय में अपने घाटे को कम कर सकती है।

निष्कर्ष

Burger Singh ने भारतीय फूड मार्केट में अपनी एक खास जगह बनाई है, लेकिन बढ़ते घाटे और बढ़ती लागत ने इसके विकास पर असर डाला है। अगर कंपनी अपने खर्चों का सही तरीके से प्रबंधन करती है और ग्राहकों के साथ जुड़ाव बढ़ाती है, तो यह भविष्य में एक मजबूत फास्ट-फूड ब्रांड के रूप में उभर सकती है।

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VLCC ने Ustraa को खरीदा, राजस्व में मामूली गिरावट

Ustraa

मेंस ग्रूमिंग ब्रांड Ustraa को हाल ही में पर्सनल केयर ब्रांड VLCC ने शेयर स्वैप और सेकेंडरी बायआउट के ज़रिए अधिग्रहित किया। ये अधिग्रहण FY24 की पहली तिमाही में पूरा हुआ, पर VLCC के इस बड़े समूह में आने के बाद भी Ustraa को अपने राजस्व में हल्की गिरावट और घाटों में वृद्धि का सामना करना पड़ा है।

Ustraa राजस्व में आई गिरावट

Ustraa ने FY24 में 2.94% की मामूली गिरावट के साथ 94.02 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो FY23 में 96.87 करोड़ रुपये था। इस हल्की गिरावट से यह पता चलता है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका 95.08% राजस्व उत्पादों की बिक्री से आया, जो कि पिछले साल की तुलना में 5.1% कम था। इसके अलावा, कंपनी ने अन्य स्रोतों से 4.7 करोड़ रुपये का आय प्राप्त की, जिससे उसका कुल राजस्व 94.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

खर्चों में वृद्धि का दबाव

Ustraa के वित्तीय आंकड़े दर्शाते हैं कि FY24 में इसके खर्चों में 5.11% की वृद्धि हुई, जो कि FY23 में 137.57 करोड़ रुपये से बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया। खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा सामग्री लागत का रहा, जिसमें 63.16% की वृद्धि के साथ 60.4 करोड़ रुपये तक का खर्च हुआ। वहीं, कर्मचारियों के लाभ पर किए गए खर्चों में 17.5% की कमी आई और यह घटकर 20.94 करोड़ रुपये पर आ गया।

विज्ञापन खर्चों में कमी

Ustraa ने विज्ञापन खर्चों में 64.46% की महत्वपूर्ण कटौती की, जिससे यह घटकर 17.09 करोड़ रुपये पर आ गए। कंपनी ने लागत में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया, ताकि वह अपने घाटों को नियंत्रण में रख सके। हालांकि, दूसरी ओर, कमीशन खर्च में 43.82% की वृद्धि हुई और यह 10.93 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

अन्य खर्चों का आंकलन

Ustraa के खर्चों में अन्य कई प्रकार की लागत भी शामिल थीं, जिनमें से सबसे अहम मिसलेनियस (विविध) खर्च थे। कंपनी ने अपने बढ़ते खर्चों को देखते हुए इन पर काफी ध्यान दिया, जिससे कुल व्यय बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया।

Ustraa के सामने चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएं

कंपनी को अधिग्रहण के बाद भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने प्रमुख राजस्व स्रोतों में गिरावट के चलते इसे प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, VLCC के साथ साझेदारी से इसे अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने और नए ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है।

Ustraa के प्रदर्शन में गिरावट:
पुरुषों की ग्रूमिंग से जुड़े स्टार्टअप Ustraa ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में राजस्व में मामूली गिरावट दर्ज की। इसका राजस्व FY23 में ₹96.87 करोड़ था, जो FY24 में घटकर ₹94.02 करोड़ रह गया। हालांकि यह गिरावट केवल 2.94% रही, लेकिन यह इस बात का संकेत है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपने ग्राहकों को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

उत्पादों की बिक्री से आय में गिरावट:
Ustraa का कुल राजस्व का लगभग 95.08% हिस्सा इसके विभिन्न ग्रूमिंग उत्पादों की बिक्री से आता है। FY24 में इन उत्पादों की बिक्री में 5.1% की गिरावट आई। इसके अतिरिक्त, कंपनी को अन्य स्रोतों से ₹4.7 करोड़ की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई, जिससे कुल आय ₹94.27 करोड़ तक पहुँच गई।

विलय के बाद बढ़ी लागत:
VLCC के साथ अधिग्रहण के बाद, Ustraa ने अपने लागत ढांचे में कई बदलाव देखे। सबसे अधिक खर्च की श्रेणी में मटेरियल कॉस्ट रही, जो 63.16% बढ़कर ₹60.4 करोड़ हो गई। इसके साथ ही, कंपनी के विभिन्न अन्य खर्चों में भी वृद्धि देखी गई, जैसे कि कमीशन की लागत 43.82% बढ़कर ₹10.93 करोड़ हो गई।

विज्ञापन खर्च में बड़ी कटौती:
Ustraa ने FY24 में अपने विज्ञापन और मार्केटिंग बजट में बड़े स्तर पर कटौती की है। विज्ञापन खर्च में 64.46% की कमी आई, जो FY23 में ₹48.11 करोड़ से घटकर ₹17.09 करोड़ रह गई। यह कमी लागत घटाने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिससे कंपनी का ध्यान अधिक लाभप्रदता की ओर केंद्रित हुआ।

कर्मचारियों की लागत में कमी:
Ustraa ने FY24 में अपने कर्मचारी लाभ खर्चों में भी कमी की है। FY23 में यह खर्च ₹25.39 करोड़ था, जो घटकर ₹20.94 करोड़ हो गया, जो कुल खर्चों में 17.5% की कमी दर्शाता है। कंपनी ने शायद यह कदम लागत नियंत्रण के तहत उठाया हो ताकि बढ़ती लागत के बीच अपने संचालन को संतुलित रखा जा सके।

कुल व्यय में उछाल:
कंपनी के कुल खर्चों में 5.11% की बढ़ोतरी हुई, जिससे FY24 में इसका कुल व्यय ₹144.6 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह ₹137.57 करोड़ था। यह वृद्धि कई फैक्टरों का परिणाम है, जिसमें मटेरियल कॉस्ट और कमीशन की लागत शामिल है, जबकि दूसरी ओर विज्ञापन और कर्मचारी खर्च में कटौती की गई।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच चुनौतियाँ:
VLCC में विलय के बाद भी, Ustraa को अपने संचालन में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। व्यक्तिगत देखभाल और ग्रूमिंग उत्पादों के क्षेत्र में कई नए ब्रांड उभर रहे हैं, जो इस उद्योग को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। Ustraa का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कैसे अपनी रणनीति तैयार करता है और ग्राहकों के लिए किस तरह के उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करता है।

आर्थिक दृष्टिकोण:
अधिग्रहण के बाद, कंपनी का प्रदर्शन दर्शाता है कि इसे कई मोर्चों पर सुधार की आवश्यकता है। बढ़ती लागत और घटते राजस्व के बीच संतुलन बनाना Ustraa के लिए महत्वपूर्ण होगा। कंपनी के खर्चों में कटौती और राजस्व बढ़ाने की रणनीतियों पर जोर देकर ही वह अपने आर्थिक प्रदर्शन को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।

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