फेस्टिव सीजन में Ola Electric ने बाजार हिस्सेदारी में की वापसी, अक्टूबर में बिक्री में 68% की वृद्धि

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लगातार घटती बाजार हिस्सेदारी के बाद, बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माता Ola Electric ने अक्टूबर में एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत की है। फेस्टिवल सीजन के दौरान कंपनी की बिक्री में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई, जिससे बाजार में उसकी स्थिति में सुधार हुआ है।

वहान डेटा के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक ने अक्टूबर में 41,605 यूनिट्स की बिक्री की, जो सितंबर की लगभग 24,726 यूनिट्स की बिक्री से 68% अधिक है। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी भी बढ़कर अक्टूबर में 30% हो गई, जबकि पिछले महीने यह 27% थी।

हालांकि, यह आंकड़ा पिछले कुछ महीनों की तुलना में अब भी कम है, जब ओला की बाजार हिस्सेदारी अगस्त में 32%, जुलाई में 39%, और जून में 49% थी। इस गिरावट के बावजूद, कंपनी ने फेस्टिवल सीजन का लाभ उठाते हुए अक्टूबर में अपनी स्थिति को सुधारने में सफलता पाई है।

Ola Electric दोपहिया बाजार में अक्टूबर की बिक्री

अक्टूबर 2024 में भारतीय इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में कुल 1,39,031 यूनिट्स की बिक्री हुई। ओला इलेक्ट्रिक ने 29,890 यूनिट्स के साथ बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखी, जिसके बाद टीवीएस मोटर्स ने 28,188 यूनिट्स की बिक्री की। इसके बाद बजाज ऑटो 15,984 यूनिट्स के साथ, एथर एनर्जी 7,309 यूनिट्स के साथ, और हीरो मोटोकॉर्प 7,137 यूनिट्स के साथ शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल रहे।

इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि ओला इलेक्ट्रिक ने अक्टूबर में बाजार में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए रखी है। फेस्टिव सीजन के दौरान बढ़ी हुई बिक्री से संकेत मिलता है कि ग्राहकों के बीच इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है।

ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ सीसीपीए द्वारा कार्रवाई

हाल के समय में, ओला इलेक्ट्रिक कई विवादों का सामना कर रही है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कंपनी को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक ने सीसीपीए के साथ दर्ज की गई लगभग सभी बाद-सेवा शिकायतों का समाधान कर लिया है, जैसा कि हालिया स्पष्टीकरण में बताया गया है। फिर भी, उपभोक्ता मामलों का विभाग इन शिकायतों के समाधान की पुष्टि के लिए जांच कर रहा है। कंपनी का कहना है कि वह उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इन विवादों के कारण ओला इलेक्ट्रिक को सार्वजनिक रूप से काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ और सोशल मीडिया विवाद

ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविश अग्रवाल की एक सोशल मीडिया पर हुई बातचीत भी हाल ही में चर्चा का विषय बनी। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कॉमेडियन कुनाल कामरा ने ओला इलेक्ट्रिक के उत्पादों और सेवा गुणवत्ता पर सवाल उठाए। इस पर भाविश अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी, जिससे सोशल मीडिया पर कंपनी की काफी चर्चा हुई।

ग्राहकों की शिकायतों और इस सोशल मीडिया विवाद ने कंपनी को मीडिया और जनता के बीच सुर्खियों में बनाए रखा है। ओला इलेक्ट्रिक ने अपने ग्राहकों की चिंताओं का समाधान करने का आश्वासन दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में कंपनी इन मुद्दों से कैसे निपटती है।

वित्तीय प्रदर्शन और कंपनी के स्टॉक में गिरावट

ओला इलेक्ट्रिक ने वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1 FY25) में अपने राजस्व में 2.8% की मामूली वृद्धि दर्ज की, जो कि Q4 FY24 में 1,598 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,644 करोड़ रुपये हो गया। साथ ही, कंपनी के घाटे में भी 16.6% की कमी आई और यह घटकर 347 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, कंपनी का स्टॉक अभी 80 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, जो कि अगस्त के मध्य में अपने उच्चतम स्तर 157.53 रुपये से लगभग 50% कम है।

बाजार फिलहाल Q2 के परिणामों का इंतजार कर रहा है, और निवेशकों को उम्मीद है कि ओला इलेक्ट्रिक की वित्तीय स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। ओला इलेक्ट्रिक की वित्तीय स्थिति में लगातार सुधार इसे भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद कर सकता है।

ओला इलेक्ट्रिक की चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति

ओला इलेक्ट्रिक के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें ग्राहक सेवा में सुधार, उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखना और वित्तीय प्रदर्शन को सुधारना शामिल है। कंपनी को उपभोक्ता अधिकारों और सेवा गुणवत्ता के मामले में अपने ब्रांड को मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसके अलावा, कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके उत्पाद और सेवाएँ ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरे उतरें। इसके लिए ओला इलेक्ट्रिक को अपने ग्राहक सेवा और उत्पाद गुणवत्ता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिससे ग्राहकों का विश्वास फिर से जीता जा सके।

निष्कर्ष

अक्टूबर 2024 में ओला इलेक्ट्रिक ने फेस्टिवल सीजन के दौरान अपनी बिक्री और बाजार हिस्सेदारी में सुधार दर्ज किया है, लेकिन अभी भी इसे कई चुनौतियों का सामना करना है। भारतीय इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखने के लिए कंपनी को उपभोक्ता संतुष्टि और सेवा गुणवत्ता पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।

बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि ओला इलेक्ट्रिक अपनी स्थिति को कैसे बनाए रखती है। कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और स्टॉक मूल्य में सुधार की संभावना से निवेशक उत्साहित हैं, लेकिन कंपनी को उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने और अपने ब्रांड की छवि को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

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UPI में अक्टूबर 2024 में वृद्धि, 16.58 बिलियन लेनदेन दर्ज

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भारत के Unified Payments Interface (UPI) ने सितंबर से अक्टूबर 2024 के बीच लेनदेन की संख्या और मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में यूपीआई ने कुल 16.58 बिलियन लेनदेन किए, जो सितंबर के 15.04 बिलियन से 10% अधिक है।

अक्टूबर मेंUPI लेनदेन का कुल मूल्य 14% बढ़कर 23.50 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो सितंबर में 20.64 लाख करोड़ रुपये था। यह वृद्धि पिछले साल की तुलना में 45% अधिक लेनदेन और 37% अधिक लेनदेन मूल्य के कारण हुई है, जो कि डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।

UPI दैनिक लेनदेन में भी तेजी से वृद्धि

अक्टूबर में औसत दैनिक लेनदेन की संख्या 501 मिलियन से बढ़कर 535 मिलियन हो गई, और दैनिक लेनदेन राशि भी बढ़कर 75,801 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो सितंबर में 68,800 करोड़ रुपये थी। यह वृद्धि यूपीआई के प्रति भारतीय उपभोक्ताओं की बढ़ती निर्भरता और भरोसे को प्रदर्शित करती है। दैनिक लेनदेन में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि भारत में लोग कैशलेस लेनदेन को तेजी से अपना रहे हैं और यूपीआई को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर रहे हैं।

यूपीआई मार्केट में कंपनियों की स्थिति

सितंबर 2024 में, फोनपे (PhonePe) ने यूपीआई लेनदेन में 48% हिस्सेदारी के साथ अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखी। इसके बाद 37.4% हिस्सेदारी के साथ गूगल पे (Google Pay) दूसरे स्थान पर था, और पेटीएम (Paytm) 7% हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर था। अक्टूबर के बाजार हिस्सेदारी के आंकड़े अभी प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन अनुमान है कि ये तीनों कंपनियां यूपीआई में अपनी पकड़ को बनाए रखेंगी।

हाल ही में, एनपीसीआई ने वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड, जो पेटीएम की मूल कंपनी है, को अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर नए उपयोगकर्ताओं को जोड़ने की अनुमति दी है। इस अनुमति के माध्यम से पेटीएम को अपने यूज़र बेस का विस्तार करने और यूपीआई क्षेत्र में अपनी मार्केट हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह कदम पेटीएम के लिए यूपीआई के प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर है।

एनपीसीआई द्वारा यूपीआई में महत्वपूर्ण बदलाव

एनपीसीआई ने हाल ही में यूपीआई के लेनदेन सीमा में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। कुछ प्रकार के यूपीआई भुगतानों के लिए ऊपरी सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो पहले की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, यूपीआई लाइट वॉलेट और यूपीआई 123पे (UPI 123Pay) के लिए भी सीमा बढ़ाई गई है। ये बदलाव डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किए गए हैं और भारत सरकार के 2026-27 तक प्रतिदिन 1 बिलियन लेनदेन करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार का उद्देश्य है कि देश में डिजिटल लेनदेन को एक नए स्तर पर ले जाया जाए, जिससे नकद लेनदेन की निर्भरता को कम किया जा सके। यूपीआई के इन बदलावों से उम्मीद है कि उपभोक्ता अधिक से अधिक डिजिटल भुगतानों की ओर प्रेरित होंगे, जिससे देश का कैशलेस अर्थव्यवस्था का सपना साकार हो सकेगा।

यूपीआई की वृद्धि के पीछे के कारण

भारत में यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता के कई कारण हैं। यूपीआई न केवल उपयोग में आसान है, बल्कि यह एक सुरक्षित और त्वरित भुगतान विकल्प भी प्रदान करता है। इसके अलावा, यूपीआई के माध्यम से लेनदेन शुल्क न के बराबर होता है, जिससे छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प बन गया है।

यूपीआई को भारत के सभी प्रमुख बैंक और वॉलेट कंपनियाँ सपोर्ट करती हैं, जिससे इसका उपयोग और भी आसान हो गया है। वहीं, एनपीसीआई और सरकार की ओर से किए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहनों ने भी यूपीआई को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नए बदलावों और सुविधाओं ने यूपीआई को न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकप्रिय बना दिया है।

सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन और यूपीआई का योगदान

भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के तहत यूपीआई का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। सरकार का उद्देश्य है कि देश में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जाए और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जाए। यूपीआई के माध्यम से लोग न केवल सामान खरीद सकते हैं बल्कि अपने दोस्तों और परिवार को भी तुरंत पैसे भेज सकते हैं, जिससे कैशलेस लेनदेन का एक नया चलन शुरू हुआ है।

एनपीसीआई की ओर से किए जा रहे बदलावों के साथ-साथ सरकार के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यूपीआई एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। देश में यूपीआई के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है और छोटे व्यापारियों को भी डिजिटल लेनदेन को अपनाने का अवसर मिल रहा है।

निष्कर्ष

अक्टूबर 2024 में यूपीआई में दर्ज की गई यह वृद्धि भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है। फोनपे, गूगल पे और पेटीएम जैसे प्रमुख खिलाड़ी बाजार में अपनी जगह बनाए हुए हैं, जबकि एनपीसीआई द्वारा किए जा रहे बदलावों के कारण आने वाले समय में यूपीआई का उपयोग और भी बढ़ने की उम्मीद है।

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक प्रतिदिन 1 बिलियन डिजिटल लेनदेन हो, और यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह लक्ष्य प्राप्त करना संभव प्रतीत होता है। नए लेनदेन सीमा और अन्य सुविधाओं के साथ, यूपीआई न केवल बड़े शहरों में बल्कि देश के कोने-कोने में डिजिटल भुगतान का प्रमुख माध्यम बन गया है।

यूपीआई ने भारत के कैशलेस इकोनॉमी के सपने को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय किया है, और यह भारत के डिजिटल भविष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए तैयार है।

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मुंबई स्थित Easy Home Finance ने जुटाए 210.35 करोड़ रुपये

Easy Home Finance

मुंबई स्थित होम लोन प्लेटफ़ॉर्म Easy Home Finance ने क्लेपॉन्ड कैपिटल और एसएमबीसी एशिया के नेतृत्व में 210.35 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है। यह कंपनी के लिए दो साल में पहला पूंजी निवेश है; इससे पहले सितंबर 2023 में कंपनी ने सीरीज ए राउंड में लगभग 8 मिलियन डॉलर जुटाए थे।

Easy Home Finance फंडिंग का वितरण और प्रमुख निवेशक

रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, Easy Home Finance के बोर्ड ने एक विशेष प्रस्ताव पास किया, जिसके तहत 1,27,30,960 फुली पेड इक्विटी शेयर 165.23 रुपये प्रति शेयर की दर पर जारी किए गए। इस निवेश के माध्यम से कंपनी ने कुल 210.35 करोड़ रुपये जुटाए।

फंडिंग राउंड का नेतृत्व क्लेपॉन्ड कैपिटल ने किया, जिसने 150.5 करोड़ रुपये का निवेश किया। एसएमबीसी एशिया राइजिंग फंड ने 48.75 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि एसवीएस ट्रस्ट (IV) और आर्ट कॉर्पोरेट एडवाइजर्स ने 5 करोड़ रुपये का योगदान दिया।

क्लेपॉन्ड कैपिटल, मणिपाल समूह के अध्यक्ष रंजन पई के फैमिली ऑफिस के रूप में जाना जाता है, जिसमें हेल्थिफायमी, आकाश इंस्टीट्यूट, ब्लूस्टोन, फार्मईजी और पर्पल जैसी कई अन्य स्टार्टअप्स में भी निवेश किया गया है।

ईज़ी होम फाइनेंस का होम लोन बाजार में प्रभाव

ईज़ी होम फाइनेंस का मुख्य फोकस होम लोन वितरण और इससे जुड़ी सेवाओं जैसे घर खोजने, रेनोवेशन और शिफ्टिंग असिस्टेंस पर है। कंपनी का दावा है कि उसने तृतीय-पक्ष लेंडर्स के माध्यम से 500 करोड़ रुपये से अधिक के लोन फाइनेंस किए हैं, जिससे 5,000 परिवारों को घर खरीदने में मदद मिली है। यह कंपनी का अनोखा व्यवसाय मॉडल है, जो घर के खरीदारों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

ईज़ी होम फाइनेंस का उद्देश्य केवल वित्तीय सहायता प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक समग्र अनुभव प्रदान करना भी है जिसमें घर ढूंढने से लेकर उसे रेनोवेट करने तक की मदद शामिल है। यह पहल उपभोक्ताओं को होम लोन से जुड़े कई पहलुओं में मदद करती है, जिससे उनका घर खरीदने का सपना आसान हो जाता है।

भारत के बढ़ते हाउसिंग मार्केट में ईज़ी होम फाइनेंस की स्थिति

भारत में हाउसिंग सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और इसमें होम लोन की मांग में भी वृद्धि देखी जा रही है। इस बढ़ते बाजार में ईज़ी होम फाइनेंस ने एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। कंपनी का उद्देश्य है कि वह विभिन्न आय वर्गों के ग्राहकों के लिए भी किफायती और आसान लोन विकल्प उपलब्ध कराए।

भारत में मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों के लिए घर खरीदना एक बड़ी चुनौती रही है। बैंक अक्सर जटिल प्रक्रियाओं और उच्च ब्याज दरों के कारण होम लोन देने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसी चुनौती को देखते हुए ईज़ी होम फाइनेंस ने एक सरल और उपभोक्ता-केंद्रित अप्रोच अपनाया है, जिसमें वे ग्राहकों की आर्थिक स्थिति और उनकी जरूरतों के अनुसार लोन के विकल्प पेश करते हैं।

कंपनी की भविष्य की योजनाएं और इस निवेश का महत्व

यह नया निवेश ईज़ी होम फाइनेंस को अपनी सेवाओं का विस्तार करने और अपने तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद करेगा। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने डिजिटल प्लेटफार्म को और बेहतर बनाकर होम लोन प्रोसेस को और अधिक सहज बनाए। यह निवेश कंपनी को अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने में भी सहायक होगा, जिससे अधिक से अधिक लोग होम लोन की सुविधाओं का लाभ उठा सकें।

ईज़ी होम फाइनेंस ने अपनी सेवाओं का विस्तार करते हुए टेक्नोलॉजी-ड्रिवन अप्रोच को अपनाया है, जिससे ग्राहकों को कम से कम समय में लोन मिलने में मदद मिलती है। कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक ऐसा प्लेटफार्म विकसित किया है, जो ग्राहकों को उनके प्रोफाइल और आवश्यकता के अनुसार सबसे उपयुक्त लोन विकल्प प्रदान करता है।

रंजन पई के नेतृत्व में क्लेपॉन्ड कैपिटल का योगदान

क्लेपॉन्ड कैपिटल ने ईज़ी होम फाइनेंस के लिए सबसे बड़ा निवेश किया है। रंजन पई का स्टार्टअप्स में निवेश का एक लंबा अनुभव है, और उन्होंने कई सफल कंपनियों में निवेश किया है। उनकी निवेश रणनीति उन्हें अन्य निवेशकों से अलग बनाती है, क्योंकि वे केवल वित्तीय सहायता ही नहीं, बल्कि कंपनी के विकास और विस्तार में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

रंजन पई के फैमिली ऑफिस क्लेपॉन्ड कैपिटल का निवेश केवल एक फाइनेंशियल निवेश नहीं है, बल्कि यह ईज़ी होम फाइनेंस के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन का स्रोत भी है। पई का अनुभव और उनकी टीम की विशेषज्ञता कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।

भारत में होम लोन के क्षेत्र में बढ़ते अवसर

भारत में होम लोन सेक्टर में तेजी से वृद्धि हो रही है। सरकार द्वारा अफोर्डेबल हाउसिंग पर जोर और लोगों में घर खरीदने की बढ़ती इच्छा ने इस सेक्टर में नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त किया है। ईज़ी होम फाइनेंस जैसी कंपनियां इस बढ़ते बाजार में अपनी सेवाओं के माध्यम से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

ईज़ी होम फाइनेंस का यह निवेश भारत में होम लोन के क्षेत्र में कंपनी की स्थिति को मजबूत करेगा और बाजार में अपनी पकड़ को और भी पुख्ता बनाएगा। कंपनी का उद्देश्य अपने ग्राहकों को एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करना है, जिसमें होम लोन के अलावा घर खोजने, खरीदने और शिफ्टिंग की सुविधाएं भी शामिल हैं।

निष्कर्ष

ईज़ी होम फाइनेंस का यह नया निवेश न केवल कंपनी के लिए बल्कि भारतीय होम लोन सेक्टर के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने ग्राहकों को एक सहज और आसान होम लोन प्रक्रिया प्रदान करे, जिससे वे अपने सपनों का घर खरीदने में सक्षम हो सकें। इस निवेश से ईज़ी होम फाइनेंस को अपने प्लेटफार्म को और अधिक विस्तारित करने का अवसर मिलेगा, जिससे भारत के होम लोन मार्केट में उसकी पकड़ और मजबूत होगी।

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Country delight ने 200 करोड़ रुपये का वेंचर डेट फंडिंग जुटाई,

Country delight

गुरुग्राम स्थित डेयरी और डेली एसेंशियल ब्रांड Country Delight ने हाल ही में ऑल्टरिया कैपिटल से 200 करोड़ रुपये की वेंचर डेट फंडिंग जुटाई है। कंपनी ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि यह फंड उनके विस्तार, उत्पादन क्षमता बढ़ाने और ब्रांड मार्केटिंग के प्रयासों के लिए उपयोग किया जाएगा।

कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ चक्रधर गाडे ने कहा, “जैसे-जैसे हम अपने ऑपरेशन्स का विस्तार कर रहे हैं और आईपीओ यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, हमारे लिए विभिन्न प्रकार की पूंजी का उपयोग करके वित्तीय दक्षता में सुधार करना और अगले चरण की वृद्धि के लिए खुद को तैयार करना महत्वपूर्ण है।”

गाडे और नितिन कौशल द्वारा स्थापित, कंट्री डिलाइट अपने ग्राहकों को डेयरी उत्पादों, बेकरी सामान, पोल्ट्री और ताजे फार्म उत्पादों की एक विस्तृत रेंज प्रदान करती है। कंपनी सीधे डेयरी फार्मों से उत्पादों की सोर्सिंग करती है और दिल्ली (एनसीआर), मुंबई, बेंगलुरु, जयपुर, चेन्नई और पुणे सहित 15 शहरों में 1.5 मिलियन ग्राहकों की सेवा करती है।

स्टार्टअप डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म ‘द क्रेडिबल’ के अनुसार, कंट्री डिलाइट यूनिकॉर्न बनने के करीब है, और पिछले इक्विटी राउंड में इसकी वैल्यूएशन लगभग 820 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। अब तक कंपनी ने लगभग 200 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।

‘द आर्क’ की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष FY24 में कंट्री डिलाइट ने 1,380 करोड़ रुपये का राजस्व पोस्ट किया, जबकि FY23 में कंपनी का राजस्व लगभग 900 करोड़ रुपये था, जो FY22 के 542.6 करोड़ रुपये से काफी अधिक था। D2C फर्म ने मई और अगस्त में दो किस्तों में 140 करोड़ रुपये का डेट फंडिंग भी प्राप्त किया था।

Country Delight के तेजी से बढ़ते कारोबार और फंडिंग योजनाओं पर एक नजर

Country Delight की यह हालिया फंडिंग भारतीय डेयरी और उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार में उसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। देश के बड़े शहरों में इसका विस्तार और उत्पादों की बढ़ती मांग ने कंपनी को एक मजबूत स्थिति में ला दिया है। इस वेंचर डेट फंडिंग के साथ, कंपनी न केवल अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना चाहती है, बल्कि अपने उत्पादों की गुणवत्ता और वितरण नेटवर्क को भी विस्तार देने की योजना बना रही है।

Country Delight IPO की तैयारी और वित्तीय रणनीति

चक्रधर गाडे का मानना है कि Country Delight की IPO यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके लिए वित्तीय प्रबंधन और पूंजी के विविध स्रोतों का उपयोग आवश्यक है। यह वेंचर डेट फंडिंग IPO के पहले का एक कदम है, जिससे कंपनी को वित्तीय स्थिरता मिलेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा। इस रणनीति के तहत, कंट्री डिलाइट का उद्देश्य अपने ऑपरेशन्स को बढ़ाना और लागत प्रबंधन को प्रभावी ढंग से करना है।

गाडे ने आगे कहा कि कंपनी का लक्ष्य है कि आने वाले समय में विभिन्न शहरों और छोटे कस्बों में भी अपनी पहुंच को और व्यापक बनाए। उन्होंने कहा, “हम ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी अपने ब्रांड की पहचान को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि अधिकतम उपभोक्ताओं तक अपने ताजे और गुणवत्ता वाले उत्पाद पहुंचा सकें।”

डेयरी से लेकर अन्य आवश्यक उत्पादों की रेंज में विस्तार

कंट्री डिलाइट ने अपनी शुरुआत डेयरी उत्पादों से की थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अन्य दैनिक आवश्यकताओं जैसे बेकरी, पोल्ट्री और फार्म उत्पादों को भी अपनी सूची में शामिल किया है। इस व्यापक उत्पाद रेंज ने ग्राहकों को एक भरोसेमंद विकल्प प्रदान किया है, जहाँ से वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

कंपनी के अनुसार, उनके उत्पाद सीधे फार्मों से ग्राहकों तक पहुंचते हैं, जो उपभोक्ताओं को ताजे और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद सुनिश्चित करता है। यह सीधे फार्म-टू-कस्टमर मॉडल भी कंट्री डिलाइट की प्रमुख यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) में से एक है, जिससे वह अन्य प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल रही है।

वित्तीय प्रदर्शन में निरंतर वृद्धि

कंट्री डिलाइट ने पिछले कुछ वर्षों में अपने वित्तीय प्रदर्शन में लगातार सुधार किया है। जहां FY22 में कंपनी का राजस्व 542.6 करोड़ रुपये था, वहीं FY23 में यह बढ़कर 900 करोड़ रुपये हो गया और FY24 में यह 1,380 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कंपनी के इस तेज़ी से बढ़ते राजस्व ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है और इसके यूनिकॉर्न बनने की संभावना को और भी मजबूत किया है।

स्टार्टअप डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफार्म ‘द क्रेडिबल’ की रिपोर्ट के अनुसार, कंट्री डिलाइट की वर्तमान वैल्यूएशन लगभग 820 मिलियन डॉलर है, जो यह संकेत देती है कि यह जल्द ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो सकती है। यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त करना कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर होगा और इससे उसकी बाजार की स्थिति और मजबूत होगी।

नवीनतम फंडिंग और आने वाले भविष्य की योजनाएं

ऑल्टरिया कैपिटल से प्राप्त 200 करोड़ रुपये की यह नवीनतम फंडिंग कंपनी की विस्तार योजनाओं और ब्रांड निर्माण में सहायता करेगी। कंट्री डिलाइट की योजना है कि इन फंड्स का उपयोग कर वह अपने वितरण नेटवर्क को और मजबूत करे, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद समय पर और ताजे उपलब्ध हो सकें। कंपनी ने मई और अगस्त में भी 140 करोड़ रुपये का डेट फंड प्राप्त किया था, जो उसके वित्तीय बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ बनाने में मदद करेगा।

कंपनी के सह-संस्थापक नितिन कौशल का कहना है कि कंट्री डिलाइट का फोकस न केवल बड़े शहरों में बल्कि छोटे और मझोले शहरों में भी पहुंच बनाने पर है। “हमारा लक्ष्य है कि हम देश के हर कोने में गुणवत्तापूर्ण डेयरी और फार्म उत्पादों को उपलब्ध कराएं। इस नवीनतम फंडिंग से हमें और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिलेगी,” कौशल ने कहा।

कंट्री डिलाइट की ब्रांड पहचान और उपभोक्ता विश्वास

कंट्री डिलाइट ने एक विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण ब्रांड के रूप में अपनी पहचान बनाई है। अपने फार्म-टू-टेबल मॉडल और उत्कृष्ट ग्राहक सेवा के कारण, यह ब्रांड उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो गया है। कंपनी ने समय-समय पर अपने उत्पादों में नवाचार और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे उसका ब्रांड लोयल्टी मजबूत हुआ है।

इस नई फंडिंग से कंट्री डिलाइट को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और उपभोक्ता अनुभव को और भी बेहतर करने का अवसर मिलेगा। कंपनी का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह वृद्धि और विस्तार न केवल उसे वित्तीय रूप से लाभान्वित करेगा, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करेगा।

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MyGate ने FY24 में हासिल की 35% वृद्धि और 82% घाटा कमी

MyGate

कम्युनिटी मैनेजमेंट ऐप Mygate ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में उल्लेखनीय सफलता पाई, जिसमें कंपनी ने 35% वर्ष दर वर्ष राजस्व वृद्धि दर्ज की और साथ ही अपने घाटे में भी 82% की कमी की।

राजस्व वृद्धि और नई आय

Mygate का संचालन राजस्व FY24 में बढ़कर 96.2 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 71.1 करोड़ रुपये था। कंपनी की अधिकांश आय ब्रांड विज्ञापन और उसकी SaaS (सॉफ्टवेयर ऐज ए सर्विस) उत्पाद की सदस्यता से प्राप्त होती है। इसके अलावा, MyGate ने FY24 में 12.9 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय भी अर्जित की, जिससे उसका कुल राजस्व 109.1 करोड़ रुपये हो गया।

MyGate की सेवाएं और नया स्मार्ट लॉक फीचर

MyGate ऐप का मुख्य उद्देश्य रेजिडेंट्स को उनके दैनिक सामुदायिक इंटरैक्शन और सुरक्षा को सुगम बनाना है। इस ऐप के जरिए निवासी अपने सोसाइटी गेट पर आगंतुकों के प्रवेश और निकास को मंजूरी दे सकते हैं, पड़ोसियों के साथ संवाद कर सकते हैं, घरेलू कर्मचारियों की उपस्थिति की निगरानी कर सकते हैं, और मेंटेनेंस चार्ज के भुगतान भी संभाल सकते हैं। इसके साथ ही, सितंबर 2024 में MyGate ने स्मार्ट लॉक फीचर की शुरुआत की, जिससे यूजर्स को अब कुछ उपभोक्ता उपकरणों के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म की सुविधा मिलेगी।

खर्चों में कमी

FY24 में MyGate ने अपने कुल परिचालन खर्चों को 12.8% तक घटाकर 129.5 करोड़ रुपये कर दिया, जो FY23 में 148.5 करोड़ रुपये था। इस खर्च कटौती में सबसे प्रमुख योगदान कर्मचारी लाभ खर्चों में 16.5% की कमी का रहा, जिससे ये घटकर 66.4 करोड़ रुपये हो गए। इस दौरान कंपनी ने सामग्री के उपयोग के खर्चों में भी 27.3% की गिरावट दर्ज की, जो अब 1.6 करोड़ रुपये रह गए। इसके अलावा, अन्य खर्च FY23 के 66.7 करोड़ रुपये से घटकर 61.5 करोड़ रुपये हो गए, जो कि 7.8% की कमी है।

घाटे में बड़ी कमी और भविष्य की योजनाएं

MyGate ने FY24 में अपने घाटे को 82.4% घटाकर 39.8 करोड़ रुपये कर दिया, जो कि FY23 में 226.4 करोड़ रुपये था। इस घाटे में कमी का श्रेय मुख्य रूप से ऑपरेशनल दक्षताओं और खर्च में कमी को दिया जा सकता है।

बाहरी फंडिंग के बिना 100 करोड़ का राजस्व मील का पत्थर

MyGate ने FY24 में किसी भी बाहरी फंडिंग के बिना 100 करोड़ रुपये का राजस्व मील का पत्थर पार किया। कंपनी ने इससे पहले अक्टूबर 2019 में अपने सीरीज B फंडिंग राउंड में $56 मिलियन जुटाए थे। इसके बाद तीन साल के अंतराल के बाद, नवंबर 2022 में Urban Company और बीमा फर्म Acko से $12 मिलियन का निवेश प्राप्त किया।

ESOP बायबैक प्रोग्राम और नेतृत्व में बदलाव

FY24 के अंत में MyGate ने एक कर्मचारी स्टॉक बायबैक प्रोग्राम की घोषणा की, जिससे कंपनी के 50 से अधिक कर्मचारियों को लाभ हुआ। इस पहल के तहत, कर्मचारियों को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौका दिया गया, जो उनके योगदान की सराहना का प्रतीक है। इसके अलावा, MyGate ने अपने सह-संस्थापक अभिषेक कुमार को कंपनी का नया CEO भी नियुक्त किया।

MyGate का भविष्य

MyGate की FY24 में मजबूत वित्तीय प्रगति, ब्रांड और SaaS सदस्यता से आय, और खर्च नियंत्रण ने इसे एक स्थायी व्यवसाय में बदल दिया है। अपने राजस्व और लागत प्रबंधन के साथ, कंपनी का उद्देश्य अपने समुदाय और सुरक्षा समाधान को और भी उन्नत बनाना और अधिक सुविधाएं जोड़ना है।

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Meesho का वित्तीय उछाल: FY24 में 33% राजस्व वृद्धि और 97% घाटे में कमी

Meesho

भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Meesho ने जून 2023 में लाभप्रदता का दावा किया था और अब यह कंपनी FY25 या FY26 में पूरे वित्तीय वर्ष में लाभप्रदता की ओर बढ़ रही है। सॉफ्टबैंक समर्थित इस कंपनी ने FY24 में अपने समायोजित घाटे को 97% घटाकर 53 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष FY23 में 1,569 करोड़ रुपये था।

FY24 में 33% की वृद्धि के साथ रिकॉर्ड राजस्व

FY24 में Meesho का परिचालन राजस्व 33% बढ़कर 7,615 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि FY23 में यह 5,735 करोड़ रुपये था। कंपनी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस राजस्व वृद्धि का प्रमुख कारण ऑर्डर में 36% की वृद्धि है। मीनशो की सबसे लोकप्रिय श्रेणियों में होम और किचन, ब्यूटी और पर्सनल केयर, और बेबी आवश्यकताएँ शामिल हैं। बेंगलुरु स्थित यह प्लेटफॉर्म इन श्रेणियों में लगातार विकास कर रहा है और ग्राहकों के बीच इसकी मांग बढ़ रही है।

वैल्मो लॉजिस्टिक्स से लागत में कटौती

हालांकि कंपनी ने FY24 के लिए अपने खर्चों के विशिष्ट आंकड़े साझा नहीं किए हैं, मीनशो का कहना है कि उसकी अपनी लॉजिस्टिक्स कंपनी, वैल्मो लॉजिस्टिक्स (Valmo Logistics), के माध्यम से की गई कार्यकुशलताओं और प्राकृतिक वृद्धि से उसे कुल खर्चों में कमी करने में मदद मिली है। फरवरी 2023 में लॉन्च किए गए इस नए लॉजिस्टिक्स वर्टिकल ने कंपनी की लागत घटाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसे अपने ऑर्डर प्रोसेसिंग को अधिक प्रभावी और कुशल बनाया है। इससे मीनशो की लॉजिस्टिक्स पर निर्भरता कम हुई है और इसके संचालन की दक्षता में सुधार हुआ है।

घाटे में भारी गिरावट और ESOP बायबैक कार्यक्रम

मीनशो ने FY24 में अपने साल-दर-साल घाटे में 97% की भारी कमी की, जो पिछले वित्तीय वर्ष FY23 के 1,569 करोड़ रुपये के घाटे से घटकर केवल 53 करोड़ रुपये रह गया है। हालांकि, यह आंकड़ा समायोजित है, और यह स्पष्ट नहीं है कि किन लागतों को इसमें से निकाला गया है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को दिए गए शेयर-आधारित मुआवजे को इस समायोजित आंकड़े से बाहर रखा गया था।

महत्वपूर्ण बात यह है कि मीनशो ने FY24 के अंतिम महीने में अपने सबसे बड़े ESOP बायबैक कार्यक्रम को भी सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसकी कुल कीमत $25 मिलियन थी। इस कार्यक्रम के तहत, मीनशो ने कर्मचारियों के लिए अपने शेयरों का पुनर्खरीद किया, जो कि इसके कर्मचारियों को कंपनी की वित्तीय सफलताओं का हिस्सा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

FY25 और FY26 में लाभप्रदता की दिशा में मीनशो का सफर

FY24 में राजस्व वृद्धि और घाटे में कमी की शानदार उपलब्धि के बाद, मीनशो अगले कुछ वर्षों में पूर्ण लाभप्रदता की ओर बढ़ने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। कंपनी की योजना है कि वह अपनी लोकप्रिय श्रेणियों में ऑर्डर वृद्धि जारी रखे और अपने लॉजिस्टिक्स में सुधार करे। इसके साथ ही, मीनशो अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए नए उत्पाद और सेवाएं पेश कर सकता है।

मीनशो की इस सफलता में उसकी कुशलता, लागत नियंत्रण, और विकास रणनीति का बड़ा योगदान रहा है। कंपनी अब अपने खर्चों को नियंत्रित करते हुए और ऑर्डर में वृद्धि करते हुए एक स्थिर और लाभकारी व्यवसाय मॉडल की दिशा में आगे बढ़ रही है।

लागत नियंत्रण और नई रणनीतियों से मीनशो की मजबूती

मीनशो की FY24 की रिपोर्ट में एक प्रमुख बात सामने आई है—कंपनी ने अपने परिचालन खर्चों को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें अपने लॉजिस्टिक्स को आंतरिक रूप से संभालने के लिए वैल्मो लॉजिस्टिक्स का लॉन्च भी शामिल है। मीनशो का मानना है कि अपनी लॉजिस्टिक्स सेवाओं को मजबूत करने से उसे न केवल ऑर्डर प्रोसेसिंग में तेजी लाने में मदद मिली, बल्कि इससे वितरण की लागत में भी कमी आई है।

कंपनी के मुताबिक, इसके कारण मीनशो ग्राहकों को तेजी से सेवा प्रदान कर पा रहा है और बिना अतिरिक्त लागत के उन्हें उच्च-गुणवत्ता का अनुभव दे रहा है। इससे ग्राहकों का विश्वास और बढ़ा है, जो सीधे ऑर्डर की बढ़ती संख्या में दिखाई देता है।

खुदरा ग्राहकों के बीच बढ़ता रुझान

मीनशो के प्लेटफॉर्म पर होम और किचन, ब्यूटी और पर्सनल केयर, और बेबी आवश्यकताओं जैसी श्रेणियों में भारी मांग देखी जा रही है। इन श्रेणियों में विशेष वृद्धि होने का एक बड़ा कारण मीनशो का “बजट फ्रेंडली” और “ग्राहक केंद्रित” दृष्टिकोण है। मीनशो ने छोटे और मध्यम व्यापारियों को ऑनलाइन बेचने का मंच देकर उन्हें एक व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने का मौका दिया है। यह खुदरा विक्रेताओं के लिए भी लाभकारी साबित हो रहा है, जो अब मीनशो के माध्यम से भारत के हर कोने में अपने उत्पाद बेच पा रहे हैं।

ESOP बायबैक के जरिए कर्मचारियों का विश्वास बढ़ाना

मीनशो ने FY24 के अंत में अपने $25 मिलियन के ESOP बायबैक कार्यक्रम की घोषणा की थी, जो इसके कर्मचारियों को उनकी मेहनत और योगदान का प्रतिफल देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के तहत मीनशो ने कर्मचारियों के लिए शेयर बायबैक की पेशकश की, जिससे कंपनी में उनकी हिस्सेदारी को मान्यता मिली। यह न केवल मीनशो की वित्तीय मजबूती को दिखाता है, बल्कि कर्मचारियों को भी कंपनी के प्रति अधिक जुड़ाव और प्रतिबद्धता प्रदान करता है।

FY25 और उसके बाद का रोडमैप

मीनशो की FY24 में राजस्व और लाभप्रदता में वृद्धि ने FY25 और उससे आगे के लक्ष्यों को स्पष्ट कर दिया है। कंपनी का अगला कदम लागतों को और अधिक अनुकूल बनाना है ताकि मुनाफे को बनाए रखा जा सके और उसमें वृद्धि हो सके। मीनशो ने संकेत दिया है कि वह अपनी सेवाओं को और विस्तार देने के लिए नई पहल कर सकता है, जैसे कि अपनी उत्पाद श्रेणियों में विविधता लाना, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मजबूत बनाना, और नई तकनीकों में निवेश करना।

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मीनशो अगले एक-दो वर्षों में पूरी तरह लाभप्रदता हासिल कर सकता है, जिससे भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति और प्रभाव को और बढ़ाएगा।

निष्कर्ष

FY24 में मीनशो की राजस्व वृद्धि और घाटे में कमी इस बात का सबूत है कि कंपनी ने लागत नियंत्रण और आंतरिक दक्षताओं पर खासा ध्यान दिया है। इसके लॉजिस्टिक्स वर्टिकल वैल्मो लॉजिस्टिक्स, नए ESOP बायबैक कार्यक्रम, और ग्राहक केंद्रित दृष्टिकोण ने मीनशो को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आने वाले वर्षों में मीनशो का लक्ष्य न केवल लाभप्रदता बनाए रखना है, बल्कि अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाकर ग्राहकों को एक उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करना है।

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Ninjacart ने FY24 में 74% की राजस्व वृद्धि और 20% घाटे में कमी हासिल की

Ninjacart

भारत की अग्रणी एग्रीटेक कंपनी Ninjacart ने FY24 में अपने सकल राजस्व में 74% की वृद्धि दर्ज की है। इसके साथ ही, कंपनी ने अपने घाटे को 20% तक कम करने में भी सफलता पाई है। हालांकि, यह एक समायोजित घाटा है, जिसमें तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर लागत शामिल नहीं हैं।

FY24 में राजस्व और लाभ

Ninjacart का सकल राजस्व FY23 के ₹1,153.4 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹2,002.7 करोड़ हो गया। कंपनी के अनुसार, प्रीमियम प्रोडक्ट लाइनों ने वॉल्यूम ग्रोथ और ग्रॉस मार्जिन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कंपनी की प्रगति से यह स्पष्ट होता है कि निंजाकार्ट अपने उत्पादों की गुणवत्ता और व्यापारिक रणनीति पर विशेष ध्यान दे रही है।

निंजाकार्ट का बिजनेस मॉडल और मार्केटप्लेस

निंजाकार्ट एक मार्केटप्लेस है जो किसानों, व्यापारियों और रिटेलर्स को जोड़ने का कार्य करता है। इसके बिजनेस मॉडल का उद्देश्य सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों को हल करना है। इसके लिए, निंजाकार्ट ने कुछ विशेष समाधान भी तैयार किए हैं, जैसे कि निंजा मंडी (व्यापारियों के लिए) और निंजा किसान (किसानों के लिए)। इसके अतिरिक्त, कंपनी स्थानीय व्यापारियों और रिटेलर्स के साथ भी साझेदारी करती है ताकि उनका नेटवर्क और मजबूत हो और स्थानीय व्यवसायों को समर्थन मिले।

लागत प्रबंधन और संचालन में सुधार

कंपनी ने अपने खर्चों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उनका दावा है कि कई ऑपरेशनल सुधार किए गए हैं। इनमें AI-संचालित गुणवत्ता मूल्यांकन, मूल्य निर्धारण एल्गोरिदम जैसे उपाय शामिल हैं, जिन्होंने कंपनी की सप्लाई चेन लागत को बेहतर बनाने में मदद की। निंजाकार्ट का लक्ष्य है कि वह सप्लाई चेन की लागत को अधिकतम स्तर तक वैरिएबल बना सके, जिससे लागत में स्थिरता और दक्षता आए।

FY24 में समायोजित घाटे में कमी

निंजाकार्ट ने FY24 में समायोजित घाटे को घटाकर ₹259.6 करोड़ कर दिया है, जो कि FY23 में ₹326.3 करोड़ था। यह घाटे में 20% की कमी दर्शाता है और कंपनी के लाभप्रदता हासिल करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। निंजाकार्ट ने यह भी संकेत दिया है कि वह अपने ऑपरेशनल एफिशिएंसी और कस्ट मैनेजमेंट के जरिए लाभप्रदता की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है।

निंजाकार्ट की वैश्विक विस्तार योजनाएं

भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने के अलावा, निंजाकार्ट अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस साल अप्रैल में कंपनी ने फिलीपींस स्थित Mayani में निवेश किया, जो फिलीपींस के कृषि बाजार में सक्रिय एक प्रमुख कंपनी है। निंजाकार्ट का यह कदम उनके सप्लाई चेन इकोसिस्टम के विभिन्न उपयोग मामलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की दिशा में है।

कंपनी की भविष्य की रणनीति और लक्ष्य

निंजाकार्ट का लक्ष्य भारतीय कृषि क्षेत्र में सुधार लाना और किसानों के लिए एक बेहतर सप्लाई चेन व्यवस्था उपलब्ध कराना है। इसके लिए कंपनी ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर नए-नए उत्पाद और सेवाएं लॉन्च की हैं। AI-आधारित गुणवत्ता मूल्यांकन और मूल्य निर्धारण एल्गोरिदम जैसे समाधान न केवल किसानों और व्यापारियों के लिए मूल्य वर्धित सेवाएं प्रदान करते हैं, बल्कि कंपनी की सप्लाई चेन लागत को भी नियंत्रित करते हैं।

कंपनी के अधिकारी के अनुसार, निंजाकार्ट का लक्ष्य भविष्य में अपनी सप्लाई चेन दक्षता को और बेहतर बनाना है और ग्राहकों को उत्कृष्ट सेवा देना है। कंपनी ने अपने संचालन में सुधार और बेहतर वित्तीय स्थिति की ओर बढ़ने की योजना बनाई है। इसके अलावा, निंजाकार्ट का इरादा है कि वह स्थिरता और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे।

निष्कर्ष

निंजाकार्ट का FY24 का प्रदर्शन भारतीय कृषि उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है। कंपनी की 74% राजस्व वृद्धि और घाटे में 20% की कमी यह दर्शाती है कि निंजाकार्ट अपनी वित्तीय स्थिरता और व्यापार मॉडल को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय कृषि बाजार में डिजिटलीकरण और तकनीकी विकास के साथ, निंजाकार्ट का भविष्य उज्ज्वल प्रतीत होता है।

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Swiggy ने घटाई अपने IPO की वैल्यूएशन उम्मीदें, अब $11.3-11.5 बिलियन पर नजर

Swiggy

भारत की अग्रणी फूड डिलीवरी और क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्म Swiggy ने अपने आगामी आईपीओ (IPO) के लिए वैल्यूएशन उम्मीदों में बदलाव किया है। बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने पहले अपने आईपीओ से $12-15 बिलियन वैल्यूएशन का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब इसे $11.3-11.5 बिलियन तक सीमित कर दिया है।

आईपीओ का ताजा आकार और संरचना

कंपनी की फाइलिंग के अनुसार, Swiggy ने फ्रेश इश्यू के आकार को 20% बढ़ाकर ₹4,499 करोड़ कर दिया है, जो पहले ₹3,750 करोड़ था। साथ ही, कंपनी ने अपने ऑफर फॉर सेल (OFS) के आकार को 5.5% घटाकर इसे 17,50,87,863 इक्विटी शेयर कर दिया है, जो पहले 18,52,86,265 शेयर था।

शेयर की कीमत और कुल आईपीओ साइज

सूत्रों के अनुसार, Swiggy का लक्ष्य प्रति शेयर का प्राइस बैंड ₹371-390 रखना है। इस प्राइस बैंड के ऊपरी स्तर को देखते हुए OFS का मूल्य ₹6,828.4 करोड़ बैठेगा, और कुल आईपीओ का आकार लगभग ₹11,327.4 करोड़ (लगभग $1.35 बिलियन) होगा।

बाजार में अस्थिरता और OFS के आकार का असर

Swiggy की वैल्यूएशन में कमी का एक कारण बाजार में मौजूदा अस्थिरता को माना जा रहा है। इसके अलावा, कंपनी द्वारा OFS के आकार में किए गए बदलाव ने भी नए निवेशकों को थोड़ा सतर्क कर दिया है। माना जा रहा है कि OFS के बड़े आकार की वजह से कंपनी की वैल्यूएशन में कमी आई है, क्योंकि इससे निवेशकों के बीच शेयर की मांग और आपूर्ति को लेकर कुछ चिंताएं बढ़ी हैं।

आईपीओ की संभावित तिथि

Swiggy का आईपीओ नवंबर के पहले सप्ताह में खुलने की उम्मीद है, और प्राइस बैंड की घोषणा इस महीने के अंत तक होने की संभावना है। इस आईपीओ के साथ, Swiggy भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने के साथ-साथ अपनी बाजार उपस्थिति को और मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।

Swiggy का बिजनेस मॉडल और विस्तार की योजना

Swiggy का बिजनेस मॉडल फूड डिलीवरी और क्विक-कॉमर्स सेवाओं पर केंद्रित है, जिसमें ज़ोमैटो जैसी कंपनियों से मुकाबला करने के साथ ही मार्केट में स्थिरता बनाए रखना शामिल है। Swiggy ने अपने ‘Instamart’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्विक-कॉमर्स में भी अपनी उपस्थिति दर्ज की है, जो कि उपभोक्ताओं को मिनटों में ग्रॉसरी और आवश्यक वस्तुएं प्रदान करता है।

Swiggy का यह आईपीओ कंपनी को अपनी मार्केटिंग, तकनीकी उन्नयन, और नए शहरों में विस्तार के लिए पूंजी जुटाने में मदद करेगा। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने मौजूदा ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के साथ-साथ नए ग्राहकों को भी जोड़ सके।

क्यों घटाई गई वैल्यूएशन उम्मीदें?

Swiggy ने अपने आईपीओ के लिए वैल्यूएशन को घटाने का निर्णय बाजार की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए लिया है। निवेशकों के बीच स्टार्टअप की वैल्यूएशन को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, क्योंकि कई कंपनियों की वैल्यूएशन पिछले साल के मुकाबले गिर गई है। इसीलिए Swiggy ने अपने वैल्यूएशन को यथार्थवादी रखा है ताकि नए और मौजूदा निवेशक इसमें निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।

इसके अतिरिक्त, Swiggy ने OFS के आकार को भी घटाया है ताकि यह संकेत दिया जा सके कि मौजूदा निवेशकों का कंपनी में विश्वास बरकरार है और वे अपने शेयर को कम मात्रा में बेचने के लिए तैयार हैं।

Swiggy की भविष्य की रणनीति

Swiggy की भविष्य की रणनीति मुख्य रूप से सर्विस एक्सपेंशन, क्वालिटी इंप्रूवमेंट, और टेक्नोलॉजी उन्नयन पर आधारित है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने फूड डिलीवरी और क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करे। Swiggy ने अपने प्लेटफार्म पर AI-ड्रिवन लॉजिस्टिक्स, रियल-टाइम ट्रैकिंग, और कस्टमाइज़्ड ऑफर्स जैसी तकनीकी सुविधाएं शामिल की हैं, जो कि उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करती हैं।

Swiggy का यह आईपीओ बाजार में कंपनी की स्थिति को और मजबूत करेगा और नए अवसरों के लिए उसे तैयार करेगा। कंपनी का उद्देश्य अपनी बिजनेस वैल्यू बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को उनके दरवाजे तक जल्दी और कुशल सेवा प्रदान करना है।

निष्कर्ष

Swiggy का आगामी आईपीओ भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। बाजार में अस्थिरता के बावजूद कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखा है और यह संकेत देती है कि कंपनी अपने विस्तार और सेवा सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है। Swiggy का यह आईपीओ निवेशकों को एक अवसर प्रदान करता है कि वे एक तेजी से बढ़ते स्टार्टअप के विकास में साझेदार बन सकें।

आने वाले महीनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि Swiggy के आईपीओ को निवेशकों से कैसा प्रतिसाद मिलता है, और क्या यह कंपनी को उसके भविष्य के लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक साबित होता है।

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Amazon Transportation Services ने FY24 में मामूली राजस्व वृद्धि दर्ज की, नुकसान में 6% की कमी

Amazon

Amazon  की लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी शाखा Amazon Transportation Services (ATS) ने वित्तीय वर्ष 2024 में मामूली राजस्व वृद्धि हासिल की, साथ ही कंपनी ने इसी अवधि में अपने नुकसान में 6% से अधिक की कमी दर्ज की है।

ATS का ऑपरेशनल राजस्व FY24 में 7.6% बढ़कर ₹4,888.9 करोड़ हो गया, जो FY23 में ₹4,543.3 करोड़ था। कंपनी के वित्तीय दस्तावेज़ के अनुसार, ऑपरेशनल आय के अलावा अन्य आय में 66% की वृद्धि हुई और यह FY23 में ₹34.5 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹57.3 करोड़ हो गई। इस प्रकार FY24 में कंपनी की कुल आय ₹4,946.2 करोड़ तक पहुँच गई।

ATS का व्यवसाय और ऑपरेशनल ढांचा

Amazon  Transportation Services अपने ई-कॉमर्स ऑपरेशन के लिए लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी समाधान प्रदान करती है, जिसमें ऑर्डर पिकअप, सॉर्टिंग, और लास्ट-माइल डिलीवरी जैसी सेवाएँ शामिल हैं। कंपनी, Amazon India के लिए इन सेवाओं के माध्यम से राजस्व अर्जित करती है, जो कि देश भर में Amazon के संचालन का एक प्रमुख हिस्सा है।

बढ़ते खर्च और घटती क्षतिपूर्ति लागत

कंपनी का कुल खर्च FY24 में ₹4,690.8 करोड़ तक पहुँच गया, जो कि FY23 में ₹4,310.2 करोड़ था, यानी 8.8% की वृद्धि। वहीं, क्षतिपूर्ति खर्चों में 10.2% की गिरावट दर्ज की गई, जो FY24 में ₹313.7 करोड़ रहा, जबकि FY23 में यह ₹349.4 करोड़ था। इस प्रकार, खर्चों में वृद्धि के बावजूद ATS ने अपने परिचालन में सुधार के संकेत दिए हैं।

नुकसान में कमी और वित्तीय प्रदर्शन में सुधार

हालांकि, राजस्व में मामूली वृद्धि के बावजूद ATS ने FY24 में अपने नुकसान को 6.3% तक घटाकर ₹80.3 करोड़ कर दिया, जो FY23 में ₹85.7 करोड़ था। कंपनी के मौजूदा नुकसान FY24 के अंत तक ₹469.8 करोड़ तक पहुँच गए, जो वित्तीय वर्ष के दौरान खर्चों को नियंत्रित करने के प्रयासों को दर्शाते हैं। इसके अलावा, अन्य इक्विटी घटक जैसे कि शेयर-आधारित मुआवजा रिज़र्व, पिछले वित्तीय वर्ष में 26% बढ़कर ₹490.4 करोड़ हो गया।

Amazon Transportation Services के भविष्य की योजनाएँ

ATS अपने संचालन को और अधिक कुशल बनाने के लिए तकनीकी निवेश और ऑपरेशनल सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह Amazon के लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी सेवाओं को और बेहतर बनाए, ताकि ग्राहकों को तेज़ और विश्वसनीय सेवाएँ मिल सकें।

ATS द्वारा की गई यह वृद्धि Amazon के भारत में लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के विस्तार का भी प्रमाण है। कंपनी ने इस दौरान अपने लॉजिस्टिक्स सिस्टम को मजबूत किया है, जो Amazon के भारतीय बाजार में बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होगा।

निष्कर्ष

Amazon Transportation Services ने FY24 में एक स्थिर वित्तीय प्रदर्शन दर्शाया है। कंपनी ने अपने नुकसान को नियंत्रित करने में सफलता हासिल की है और भविष्य के लिए लॉजिस्टिक्स को और अधिक कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि कंपनी ने राजस्व में अपेक्षाकृत कम वृद्धि दर्ज की, लेकिन इसके प्रॉफिट मार्जिन और खर्चों में की गई कटौती ने इसके वित्तीय प्रदर्शन को संतुलित बनाए रखा।

Amazon Transportation Services का यह प्रदर्शन दर्शाता है कि Amazon अपनी भारतीय ई-कॉमर्स बाजार की बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिए लॉजिस्टिक्स सेवाओं में अधिक निवेश और सुधार कर रहा है। इसके माध्यम से Amazon अपने ग्राहकों को एक बेहतर और तेज़ सेवा प्रदान करने के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयास में है।

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Infra.Market की रफ़्तार में जबरदस्त बढ़ोतरी, FY24 में ₹14,500 करोड़ का राजस्व पार

Infra.Market

मुम्बई स्थित कंस्ट्रक्शन मटेरियल सप्लाई स्टार्टअप Infra.Market ने पिछले कुछ वित्तीय वर्षों में तेज़ी से वृद्धि की है, और FY24 में भी यह रफ्तार बरकरार रही। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2024 में 23% की बढ़ोतरी के साथ ₹14,500 करोड़ का राजस्व पार किया, और इसके साथ ही इसका प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) भी 2.4 गुना बढ़कर ₹378 करोड़ हो गया।

FY24 में Infra.Market का राजस्व और लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि

Infra.Market के प्रेस रिलीज़ के अनुसार, कंपनी का संयुक्त सकल राजस्व (Consolidated Gross Revenue) FY23 के ₹11,847 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹14,530 करोड़ हो गया। इस वृद्धि का मुख्य कारण कंस्ट्रक्शन मटेरियल कैटेगरी में बढ़ी हुई मांग और विस्तारित मार्केट प्रेजेंस है।

कंपनी का कहना है कि यह राजस्व निर्माण सामग्री, इन्फ्रास्ट्रक्चर गुड्स और तकनीकी उपकरणों की बिक्री से आता है। हालांकि, प्रेस रिलीज़ में राजस्व और खर्चों का विस्तृत विवरण साझा नहीं किया गया है।

प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) और EBITDA मार्जिन में सुधार

Infra.Market ने FY24 में ₹378 करोड़ का PAT दर्ज किया, जो कि FY23 में ₹155 करोड़ था, यानी यह 2.4 गुना वृद्धि दर्शाता है। PAT मार्जिन भी इसी दौरान बढ़कर 2.6% हो गया, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष FY23 में यह 1.3% था।

कंपनी का EBITDA मार्जिन भी बढ़कर 7.5% हो गया, जो FY23 में 6.6% था। यह संकेत देता है कि कंपनी के ऑपरेशनल कार्यों में सुधार और लागत में कटौती के चलते लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

नई इन्वेस्टमेंट और प्राइवेट लेबल प्रोडक्ट्स का लॉन्च

Infra.Market ने FY24 के दौरान अपनी मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए बड़े निवेश किए। कंपनी ने कंक्रीट, दीवार समाधान (वॉलिंग सॉल्यूशंस), पेंट, इलेक्ट्रिकल्स, लकड़ी और टाइल्स जैसे प्राइवेट लेबल प्रोडक्ट्स लॉन्च किए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी केवल पारंपरिक निर्माण सामग्री पर ही नहीं, बल्कि नए उत्पादों और सेगमेंट्स में भी विस्तार कर रही है।

रिटेल और कंज्यूमर सेगमेंट में भी पकड़ मज़बूत

Infra.Market ने अपने B2B सेगमेंट के अलावा रिटेल और कंज्यूमर सेगमेंट में भी अपनी पकड़ बढ़ाई है। कंपनी का मानना है कि इन नए सेगमेंट्स से उसे अपने राजस्व में और अधिक वृद्धि करने का मौका मिलेगा। यह विस्तार न केवल कंपनी के बिजनेस मॉडल को विविध बनाता है बल्कि इसे एक व्यापक कंज्यूमर बेस तक पहुँचाने में भी मदद करता है।

Infra.Market का कारोबार और भारतीय निर्माण क्षेत्र पर प्रभाव

Infra.Market ने भारतीय कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। कंस्ट्रक्शन मटेरियल और इन्फ्रास्ट्रक्चर गुड्स के साथ-साथ टेक्निकल इक्विपमेंट्स में भी कंपनी की सशक्त उपस्थिति है। कंपनी का यह मॉडल न केवल भारतीय निर्माण क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि इसे और सशक्त बना रहा है।

उपभोक्ताओं के लिए एक व्यापक समाधान

Infra.Market का दृष्टिकोण उन उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करना है, जो निर्माण सामग्री की आसान उपलब्धता चाहते हैं। कंपनी की वेबसाइट और एप्लिकेशन के माध्यम से उपभोक्ता विभिन्न प्रकार के कंस्ट्रक्शन मटेरियल, इन्फ्रास्ट्रक्चर गुड्स, और टेक्निकल इक्विपमेंट्स आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं।

यह प्लेटफॉर्म एक ऐसा विकल्प प्रदान करता है जो पारंपरिक सप्लाई चैन के मुकाबले तेज़, भरोसेमंद और किफायती है। इसने छोटे और बड़े बिल्डर्स को समय और लागत में कमी लाने का एक सशक्त साधन दिया है, जिससे उनके प्रोजेक्ट्स में भी कुशलता बढ़ी है।

भविष्य की योजनाएँ और मार्केट में पकड़ मज़बूत करने के प्रयास

Infra.Market की योजना है कि आने वाले वित्तीय वर्षों में अपनी सेवाओं और उत्पादों का विस्तार और भी तेज़ी से करे। प्राइवेट लेबल उत्पादों और रिटेल सेगमेंट में अपनी पकड़ को और अधिक सशक्त बनाना कंपनी की प्राथमिकता में शामिल है।

कंपनी के सीईओ और संस्थापक का मानना है कि भविष्य में यह नए मार्केट सेगमेंट्स में और अधिक विस्तार करेगी, जिससे भारतीय कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को आधुनिक और सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

Infra.Market की FY24 की सफलता इसके मजबूत बिजनेस मॉडल और रणनीतिक विस्तार का नतीजा है। कंपनी ने न केवल राजस्व और लाभ में वृद्धि दर्ज की है, बल्कि अपने ग्राहकों को एक संपूर्ण और विस्तृत समाधान प्रदान करने में भी सफलता पाई है। नई इन्वेस्टमेंट और प्राइवेट लेबल प्रोडक्ट्स के लॉन्च के जरिए Infra.Market अपने मार्केट शेयर को और बढ़ाने की योजना बना रही है।

Infra.Market का यह कदम भारतीय निर्माण उद्योग को नए मुकाम पर ले जा सकता है, जहाँ कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े व्यवसायों को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएँ आसानी से मिल सकेंगी।

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