Giva ज्वेलरी स्टार्टअप ने सीरीज बी राउंड में 255 करोड़ रुपये जुटाए

Giva

ऑम्निचैनल ज्वेलरी स्टार्टअप Giva ने अपने सीरीज बी फंडिंग राउंड में 255 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस फंडिंग का नेतृत्व प्रेमजी इनवेस्ट, एपिक कैपिटल, एडेलवाइस डिस्कवर फंड और कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन ने किया। इस फंड में से 89 करोड़ रुपये प्राइमरी कैपिटल के रूप में जुटाए गए हैं, जबकि शेष राशि सेकेंडरी कैपिटल के रूप में आई है।

Giva: कंपनी का परिचय

GIVA एक ऑम्निचैनल ज्वेलरी स्टार्टअप है, जो डिज़ाइन और क्वालिटी पर खासा ध्यान देते हुए सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से बने आभूषण बेचता है। यह स्टार्टअप ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आभूषण खरीदने की सुविधा देता है। अपने बेहतरीन डिज़ाइनों और उपभोक्ताओं के प्रति बेहतरीन सेवा के चलते गिवा ने भारतीय बाजार में काफी लोकप्रियता हासिल की है।

संस्थापक और उनकी यात्रा

GIVA की स्थापना 2019 में श्रेया मूर्ति, विनायक रंगराजन, और नंदन बालासुब्रमण्यम ने की थी। कंपनी के संस्थापकों ने अपने अनुभव और विज़न का उपयोग करते हुए गिवा को एक उभरते हुए ब्रांड में तब्दील किया। उनका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा ब्रांड बनाना था जो आधुनिक और पारंपरिक ज्वेलरी को एक साथ लाकर हर प्रकार के उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी कर सके।

फंडिंग डिटेल्स

इस फंडिंग राउंड में गिवा के पहले के निवेशकों ने भी हिस्सा लिया, जिसमें A91 पार्टनर्स और इंडिया कोटिएंट शामिल थे। यह निवेशकों की गिवा में बढ़ती विश्वसनीयता को दर्शाता है। गिवा ने पिछले साल सितंबर में सीरीज बी राउंड में फर्स्ट चेक द्वारा किए गए सीड इन्वेस्टमेंट पर 33 गुना रिटर्न हासिल किया था। इसके पहले के निवेशकों में टाइटन कैपिटल भी शामिल है, लेकिन अभी तक टाइटन कैपिटल ने अपने किसी भी हिस्से को नहीं बेचा है।

कैसे किया जाएगा फंड का उपयोग

गिवा ने इस फंड को अपने ऑपरेशन्स को बढ़ाने, उत्पादों के विकास में सुधार करने और नए बाजारों में विस्तार के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। यह निवेश कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि यह अपने ब्रांड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।

गिवा की विकास यात्रा

कंपनी ने अपने लॉन्च के बाद से तेजी से विकास किया है और वर्तमान में यह भारत में आभूषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रही है। गिवा का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को एक शानदार और सुविधाजनक शॉपिंग अनुभव प्रदान करता है। इसके साथ ही, कंपनी अपने ऑफलाइन स्टोर्स के माध्यम से भी ग्राहकों तक पहुंच बना रही है, जिससे वह एक ऑम्निचैनल ब्रांड के रूप में अपनी पहचान बना रही है।

गिवा का राजस्व और मुनाफा

गिवा की वित्तीय सेहत भी लगातार मजबूत हो रही है। कंपनी के संस्थापक और निवेशक इसका श्रेय गिवा के डिज़ाइन और गुणवत्ता की प्राथमिकता को देते हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित करता है। इस फंडिंग से कंपनी के राजस्व और मुनाफे में और वृद्धि की उम्मीद है, खासकर जब कंपनी ने अपने विस्तार की योजना बनाई है।

भारतीय आभूषण बाजार में गिवा का स्थान

भारतीय आभूषण बाजार एक बहुत बड़ा और प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र है, जिसमें गिवा जैसी कंपनियां अपनी अनूठी सेवाओं और बेहतरीन डिज़ाइनों के माध्यम से उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। गिवा का फोकस डिज़ाइन और गुणवत्ता पर है, जो इसे अन्य ब्रांड्स से अलग बनाता है। कंपनी का उद्देश्य भारतीय बाजार में अपनी पकड़ को और मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना है।

गिवा की भविष्य की योजनाएँ

गिवा के संस्थापकों का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपने ब्रांड को और अधिक लोकप्रिय बनाना और राजस्व में 10 गुना वृद्धि करना है। इस विस्तार की योजना में नए बाजारों में प्रवेश करना और अपने उत्पादों की रेंज को बढ़ाना शामिल है। कंपनी के लिए 2027 तक IPO की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे यह सार्वजनिक रूप से भी निवेशकों को आकर्षित कर सकेगी।

निष्कर्ष

गिवा का यह फंडिंग राउंड कंपनी के भविष्य की योजनाओं और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। कंपनी ने अपने डिज़ाइन और गुणवत्ता के प्रति समर्पण के साथ बाजार में एक खास जगह बनाई है। आने वाले वर्षों में, गिवा का ध्यान अपने ब्रांड को और मजबूत करने, नए बाजारों में विस्तार करने और निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न देने पर रहेगा।

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MamaEarth के चीफ प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी ऑफिसर जयंत चौहान का इस्तीफा

MamaEarth

Mamaearth की पैरेंट कंपनी होना सा कंज्यूमर लिमिटेड के चीफ प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी ऑफिसर जयंत चौहान ने व्यक्तिगत कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी ने यह जानकारी मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल की। चौहान का इस्तीफा 30 नवंबर को प्रभावी होगा, जिससे उनकी कंपनी में चार साल की सेवा समाप्त होगी।

जयंत चौहान का सफर

जयंत चौहान ने मामा अर्थ से पहले लगभग दो साल तक पॉलिसीबाजार में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर के रूप में काम किया था। मामा अर्थ में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने उत्पाद विकास और टेक्नोलॉजी में कंपनी की मजबूत उपस्थिति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चौहान के नेतृत्व में, Mamaearth ने अपनी उत्पाद रेंज को बढ़ाया और तेजी से विस्तार किया, जिससे वह भारत के सबसे तेजी से बढ़ते व्यक्तिगत और सौंदर्य देखभाल ब्रांडों में से एक बना।

कंपनी में बड़े बदलाव और इस्तीफे

यह हाल के महीनों में मामा अर्थ की पैरेंट कंपनी होना सा कंज्यूमर लिमिटेड से दूसरा प्रमुख इस्तीफा है। अगस्त में, कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ कॉमर्स, अभिषेक राज पांडे ने इस्तीफा देकर जालॉन नामक एक स्टार्टअप के सह-संस्थापक बनने का निर्णय लिया। इन इस्तीफों से कंपनी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं, जो आने वाले समय में कंपनी की दिशा पर असर डाल सकते हैं।

मामा अर्थ का व्यापारिक प्रदर्शन

मामा अर्थ ने हाल ही में अपने वित्तीय प्रदर्शन में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) की चौथी तिमाही में राजस्व में 17.6% की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि की, जो 471 करोड़ रुपये से बढ़कर 554 करोड़ रुपये तक पहुँच गई। यह मामा अर्थ के इतिहास की सबसे अधिक लाभदायक तिमाही रही, जिसमें 40 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया गया।

यह आंकड़े मामा अर्थ के बढ़ते बाजार हिस्से और लोकप्रियता को दर्शाते हैं, विशेषकर उस समय जब व्यक्तिगत और सौंदर्य देखभाल उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है।

कंपनी के वित्तीय पहलू

मामा अर्थ की वित्तीय सेहत भी काफी मजबूत नजर आ रही है। हाल ही में, कंपनी के शुरुआती निवेशक जैसे पीक XV, स्टेलारिस वेंचर्स, सोफिना वेंचर्स, और फायरसाइड वेंचर्स ने मिलकर कंपनी में 1,600 करोड़ रुपये (लगभग 190 मिलियन डॉलर) के शेयर बेचे। यह बिक्री न केवल मामा अर्थ के बढ़ते मूल्यांकन का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि निवेशकों को कंपनी के भविष्य को लेकर उच्च विश्वास है।

मामा अर्थ: एक सफल ब्रांड की कहानी

मामा अर्थ, जो अपने प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के लिए जाना जाता है, भारत के D2C (डायरेक्ट-टू-कस्टमर) क्षेत्र में एक अग्रणी नाम बन चुका है। 2016 में स्थापित होने के बाद से, कंपनी ने बाजार में तेजी से अपनी पकड़ बनाई और एक व्यापक उपभोक्ता आधार तैयार किया। इसके उत्पादों की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है, खासकर युवाओं और पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच।

कंपनी के संस्थापक और विकास यात्रा

वरुण और ग़जल अलघ द्वारा स्थापित मामा अर्थ ने अपने शुरुआती दिनों से ही अपने उत्पादों में प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल कर पर्यावरण की सुरक्षा पर जोर दिया। दोनों संस्थापकों का ध्यान विशेष रूप से माता-पिता और बच्चों के लिए हानिरहित और सुरक्षित उत्पाद बनाने पर था। लेकिन समय के साथ, कंपनी ने अपनी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार किया और एक व्यापक उपभोक्ता आधार को लक्षित किया।

कंपनी का मुख्यालय गुड़गांव में है, और वर्तमान में यह कई प्रमुख भारतीय शहरों में अपनी सेवाएँ दे रही है। साथ ही, इसका ध्यान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रवेश करने पर है।

चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ

हालांकि मामा अर्थ ने कई सफलता की कहानियाँ लिखी हैं, पर कंपनी को आगे बढ़ने के दौरान कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलते उपभोक्ता रुझान जैसी चुनौतियाँ इसके सामने हैं। इसके अलावा, कंपनी को अपनी उत्पाद श्रृंखला को और व्यापक बनाने और ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाने पर भी ध्यान देना होगा।

IPO की तैयारी और भविष्य की उम्मीदें

कंपनी के सह-संस्थापक और CEO वरुण अलघ ने पहले भी संकेत दिया है कि मामा अर्थ 2027 तक IPO लाने की योजना बना रही है। यह कदम कंपनी के लिए एक बड़ा मील का पत्थर हो सकता है और इसे सार्वजनिक बाजारों में अपनी पहचान बनाने में मदद कर सकता है।

इसके अलावा, मामा अर्थ अपने विकास को 10 गुना और मुनाफे को 6 गुना बढ़ाने की दीर्घकालिक योजना पर भी काम कर रहा है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि कंपनी इन लक्ष्यों को कैसे हासिल करती है, खासकर तब जब कई D2C कंपनियों को स्केलिंग में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष

मामा अर्थ ने भारतीय सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल क्षेत्र में अपनी मजबूत जगह बनाई है और इसके भविष्य की संभावनाएँ उज्ज्वल दिख रही हैं। हालांकि, जयंत चौहान जैसे उच्च-स्तरीय अधिकारियों का इस्तीफा कंपनी के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन इसकी मजबूत वित्तीय स्थिति और विस्तार योजनाएँ इसे आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं।

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Tractor Junction 2024 में ऑपरेटिंग रेवेन्यू 60 करोड़ रुपये के पार

Tractor Junction

ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर केंद्रित ई-कॉमर्स प्लेटफार्मTractor Junction ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। कंपनी की ऑपरेटिंग रेवेन्यू 2.3 गुना बढ़कर 62 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष (FY23) में 26.8 करोड़ रुपये थी। इसके साथ ही, कंपनी ने अपने घाटे को 51% तक कम कर लिया है, जो इसे एक सफल और तेजी से बढ़ती कंपनी के रूप में स्थापित करता है।

कंपनी का परिचय और उद्देश्यों पर प्रकाश

Tractor Junction एक ग्रामीण वाहन मार्केटप्लेस है जो नए और इस्तेमाल किए गए ट्रैक्टरों, फार्म उपकरणों, और ग्रामीण वाणिज्यिक वाहनों की खरीद, बिक्री, फाइनेंसिंग और बीमा कराने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह उपयोगकर्ताओं को कृषि उपकरणों की तुलना करने के लिए आवश्यक जानकारी और विश्वसनीय समीक्षाएँ भी उपलब्ध कराता है। कंपनी का उद्देश्य ग्रामीण भारत में कृषि उपकरणों की खरीद-फरोख्त को आसान और पारदर्शी बनाना है।

कमाई का स्रोत और बढ़त

FY24 में ट्रैक्टर बिक्री कंपनी की कुल कमाई का 73% हिस्सा रही, और इसमें तिगुनी बढ़त देखने को मिली। इसके अलावा, ट्रैक्टर से संबंधित सेवाओं से 27% राजस्व आया। कंपनी ने अपनी जमा राशि पर 5.8 करोड़ रुपये का ब्याज भी कमाया, जिससे इसका कुल आय 67.8 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि ट्रैक्टर जंक्शन न केवल अपने मुख्य व्यवसाय में वृद्धि कर रहा है, बल्कि वित्तीय प्रबंधन में भी कुशलता दिखा रहा है, जो कंपनी की समग्र आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

खर्चों का विश्लेषण

कंपनी के खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा मटीरियल कॉस्ट का था, जो कुल खर्चों का 60% रहा और 43 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह खर्च भी पिछले साल की तुलना में तिगुना हो गया है। इसके अलावा, कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभ कंपनी के कुल खर्चों का 21% हिस्सा रहे।

विज्ञापन, फाइनेंस, और किराये पर भी कंपनी ने खर्च किया, जिससे कुल व्यय FY24 में 72.8 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल यह 35 करोड़ रुपये था। यह बढ़ते खर्च कंपनी के तेजी से विस्तार और संचालन की जटिलताओं को दर्शाते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में एक मजबूत नेटवर्क बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

कंपनी के संस्थापक और टीम

ट्रैक्टर जंक्शन की स्थापना कुछ साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की बेहतर पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके संस्थापक अमित पंजाबी और उनकी टीम ने इस प्लेटफार्म को ऐसे समय में विकसित किया जब ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की मांग बढ़ रही थी।

अमित का मानना है कि ग्रामीण किसानों को सस्ती और सही जानकारी के साथ-साथ वित्तीय सहायता प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे सही उत्पाद चुन सकें और अपने व्यवसाय में सुधार कर सकें। उनके नेतृत्व में कंपनी ने ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक नेटवर्क तैयार किया है और ग्राहकों के बीच विश्वसनीयता हासिल की है।

कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन

ट्रैक्टर जंक्शन का वित्तीय प्रदर्शन FY24 में मजबूत रहा। कंपनी ने न केवल अपनी कमाई में वृद्धि की, बल्कि अपने घाटे को भी प्रभावी रूप से कम किया। FY23 में कंपनी का घाटा काफी अधिक था, लेकिन FY24 में इसे 51% तक कम कर लिया गया।

यह स्पष्ट करता है कि कंपनी अपने व्यावसायिक संचालन को संतुलित करने और मुनाफे की ओर बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। कंपनी का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपने रेवेन्यू को और बढ़ाना और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाओं का विस्तार करना है।

भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ

ट्रैक्टर जंक्शन ने अपने व्यापार मॉडल को सफलतापूर्वक स्थापित किया है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। ग्रामीण इलाकों में डिजिटल अवसंरचना की सीमाएँ, किसानों के बीच जागरूकता की कमी, और प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों का सामना करना होगा।

हालांकि, कंपनी की दीर्घकालिक योजना यह है कि वह अपनी सेवा गुणवत्ता को सुधारते हुए और अधिक ग्राहकों तक पहुंचे। इसके अलावा, कंपनी वित्तीय सेवाओं, बीमा, और कृषि उपकरणों की मरम्मत जैसी सेवाओं को भी विस्तारित करने की योजना बना रही है।

विज्ञापन और विपणन रणनीतियाँ

कंपनी की विपणन रणनीति में सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफ़ार्म, और पारंपरिक विज्ञापनों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, कंपनी किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए ऑन-ग्राउंड प्रचार और प्रदर्शनियों का भी आयोजन करती है।

विपणन और विज्ञापन पर खर्चों में बढ़ोतरी कंपनी की विकासशील उपस्थिति और ग्रामीण इलाकों में व्यापक ब्रांड पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है।

निष्कर्ष

ट्रैक्टर जंक्शन ने ग्रामीण भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है, जहाँ ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन और संचालन में सुधार इस बात का संकेत है कि यह एक मजबूत और स्थिर व्यापार मॉडल के साथ आगे बढ़ रही है।

आने वाले समय में, ट्रैक्टर जंक्शन की दीर्घकालिक योजनाएँ इसे ग्रामीण कृषि उद्योग के लिए एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी कैसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करती है।

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ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म Evenflow ने ब्रिज राउंड में जुटाए फंड्स

Evenflow

ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म Evenflow ने हाल ही में एक ब्रिज राउंड में अज्ञात राशि जुटाई है। इस राउंड का नेतृत्व सीरियल एंटरप्रेन्योर शैल पटेल और कुछ मौजूदा निवेशकों ने किया है। यह फंडिंग Evenflow के चल रहे 5 मिलियन डॉलर के सीरीज़ ए राउंड का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कंपनी की संचालन क्षमता को बढ़ाना और इसके अधिग्रहित सात भारतीय ब्रांड्स को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करना है।

Evenflow: कंपनी का परिचय और रणनीति

Evenflow एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारतीय बाज़ार में सफल होमग्रोन ब्रांड्स को अधिग्रहित करना और उन्हें तेजी से विकसित करना है। यह प्लेटफ़ॉर्म भारत और अमेरिका दोनों में काम करता है और अमेज़न, फ्लिपकार्ट, क्रेड, ज़ेप्टो, और इंस्टामार्ट जैसे मार्केटप्लेस पर अपने ब्रांड्स की 350% वृद्धि का दावा करता है।

कंपनी ने सात प्रमुख ब्रांड्स का अधिग्रहण किया है, जिनमें Xtrim, Yogarise, Rusabl, BabyPro, Trendy Homes, Cinagro, और Frenchware शामिल हैं। इन ब्रांड्स को नए बाजारों में प्रवेश दिलाने के साथ-साथ उनकी वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाना Evenflow की प्रमुख रणनीति है।

Evenflow कंपनी के संस्थापक और नई नियुक्तियाँ

Evenflow के सह-संस्थापक और सीईओ उत्सव अग्रवाल हैं, जिन्होंने कंपनी की दीर्घकालिक योजनाओं को स्पष्ट किया है। हाल ही में कंपनी ने शशांक रंजन को सह-संस्थापक के रूप में प्रमोट किया है, जो कंपनी के सप्लाई चेन, मार्केटप्लेस और डी2सी (डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर) मॉडल को मजबूत करने में मदद करेंगे। इन नियुक्तियों के साथ, कंपनी ने अपनी विकास गति को बढ़ाने के लिए रणनीतिक प्रयास किए हैं।

वित्तीय स्थिति और विकास योजनाएँ

Evenflow ने अपने मौजूदा ब्रिज राउंड में जुटाए गए फंड्स को संचालन का विस्तार और अधिग्रहित ब्रांड्स के वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। कंपनी की दीर्घकालिक योजना 2027 तक अपनी आय को 10 गुना और मुनाफे को छह गुना बढ़ाने की है।

हालांकि, इन लक्ष्यों को प्राप्त करना कंपनी के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, क्योंकि कई रोल-अप प्लेटफ़ॉर्म स्केलिंग के दौरान कठिनाइयों का सामना करते हैं। कंपनी का लक्ष्य 2027 के अंत तक एक आईपीओ (Initial Public Offering) के लिए तैयारी करना भी है, जो इसे बाजार में एक मजबूत स्थिति में स्थापित करने में मदद करेगा।

ई-कॉमर्स रोल-अप इंडस्ट्री का इतिहास

2021 में ई-कॉमर्स रोल-अप कंपनियों की मांग उच्चतम स्तर पर थी, और इस दौरान कई कंपनियाँ उभरीं। 2021 में भारत में इस क्षेत्र ने Mensa और Globalbees जैसे दो यूनिकॉर्न दिए, जबकि 10club ने 40 मिलियन डॉलर जुटाए, जो भारत के सबसे बड़े सीड राउंड्स में से एक था।

हालांकि, वैश्विक रोल-अप पोस्टरबॉय थारासियो के विफल होने और कठिन फंडिंग माहौल के कारण इस क्षेत्र में उत्साह धीरे-धीरे कम हो गया। इसके परिणामस्वरूप, इन कंपनियों के लिए निवेश में तेज गिरावट आई है। 2021 में जहां इस क्षेत्र में 540 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ था, वहीं 2022 में यह घटकर 70 मिलियन डॉलर रह गया, 2023 में 78 मिलियन डॉलर, और वर्तमान कैलेंडर वर्ष में केवल 39 मिलियन डॉलर जुटाए गए हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

ई-कॉमर्स रोल-अप कंपनियों के लिए प्रमुख चुनौती बाजार में विस्तार करते समय स्केलिंग की होती है। इस उद्योग के लिए फंडिंग में आई गिरावट से संकेत मिलता है कि निवेशक अब ज्यादा सावधानी से निवेश कर रहे हैं। हालांकि, Evenflow का मानना है कि उसकी रणनीतिक नियुक्तियाँ और वैश्विक विस्तार की योजना इसे दीर्घकालिक सफलता दिलाने में मदद करेंगी।

मार्केटप्लेस और सप्लाई चेन पर फोकस

Evenflow ने अपने सप्लाई चेन, मार्केटप्लेस और डी2सी मॉडल को मजबूत करने के लिए हाल ही में बड़े कदम उठाए हैं। यह कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाजार की प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और तेजी से विकसित होने के लिए इन क्षेत्रों में नवाचार जरूरी हो गया है।

आने वाले वर्षों की योजना

Evenflow की योजना अगले कुछ वर्षों में अपने अधिग्रहित ब्रांड्स को नए बाजारों में लॉन्च करना और उन्हें तेजी से बढ़ाना है। कंपनी का मानना है कि ये ब्रांड्स वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को मजबूती से स्थापित कर सकते हैं। इसके साथ ही, 2027 में आईपीओ की तैयारी से कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में और सुधार हो सकता है।

निष्कर्ष

Evenflow का हालिया फंड जुटाना कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इसे दीर्घकालिक विकास के लिए तैयार कर रहा है। हालाँकि ई-कॉमर्स रोल-अप इंडस्ट्री में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, Evenflow ने अपनी रणनीतियों में बदलाव और नए बाजारों में विस्तार करके अपनी स्थिति को मजबूत किया है। आने वाले वर्षों में, कंपनी का फोकस न केवल अधिग्रहित ब्रांड्स की वृद्धि पर होगा, बल्कि निवेशकों के लिए मूल्य सृजन पर भी होगा।

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Anicut Capital ने 11 मिलियन डॉलर जुटाए

Anicut Capital

Anicut Capital, एक प्रमुख वैकल्पिक निवेश फर्म, ने हाल ही में अपनी प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 के तहत 11 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह निवेश GIFT City के माध्यम से प्राप्त हुआ है, जो भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है। इस फंड के माध्यम से, कंपनी का उद्देश्य वैश्विक निवेशकों को भारतीय बाजार की ओर आकर्षित करना है, जिसमें प्रमुख निवेशक अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, और मध्य पूर्व से हैं।

Anicut Capital के माध्यम से निवेश

GIFT City (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है, जो विदेशी निवेश को भारत में आकर्षित करने के लिए विकसित किया गया है। अनिकट कैपिटल ने इस संरचना का उपयोग करते हुए डॉलर-आधारित निवेशकों से 11 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह संरचना संस्थागत निवेशकों, परिवार कार्यालयों और उच्च-नेट-वर्थ व्यक्तियों (HNIs) के लिए विशेष रूप से आकर्षक है।

कंपनी की स्थापना और फोकस

अनिकट कैपिटल की स्थापना आशित मेहता और अभिषेक नायर ने की थी। कंपनी का उद्देश्य मझोले आकार के भारतीय उद्यमों में निवेश करना है, जो पारंपरिक वित्तीय सेवाओं से वंचित रहते हैं। अनिकट कैपिटल प्राइवेट क्रेडिट, इक्विटी और जोखिम पूंजी में निवेश करता है, और यह तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में उन कंपनियों के लिए पूंजी प्रदान करता है जो विकास की अगली लहर चला रही हैं।

प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 और निवेश संरचना

अनिकट कैपिटल का प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 भारत के मध्यम आकार के उद्यमों में ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस फंड के तहत कंपनी वर्तमान में कुल 1,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है, जिसका एक हिस्सा GIFT City के माध्यम से प्राप्त 11 मिलियन डॉलर से आता है। यह संरचना भारत में निजी ऋण के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश को आसान बनाती है।

फंड का उपयोग और कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड

इस फंड के पहले वर्ष के संचालन में ही अनिकट कैपिटल ने छह कंपनियों में निवेश किया है, जिनमें Earth Rhythm, Neemans, Wheelocity, The Ayurveda Experience, Blue Tokai Coffee, और XYXX शामिल हैं। इन कंपनियों का चयन भारतीय बाजार में उनकी अनूठी स्थिति और तेजी से बढ़ने की क्षमता के आधार पर किया गया है। यह दर्शाता है कि अनिकट कैपिटल भारतीय उद्यमों में दीर्घकालिक मूल्य सृजन के लिए प्रतिबद्ध है।

SIDBI के साथ साझेदारी

सितंबर 2023 में, अनिकट कैपिटल ने Small Industries Development Bank of India (SIDBI) से 50 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया था, जो कि अनिकट इक्विटी फंड में किया गया था। SIDBI का यह निवेश भारतीय छोटे और मझोले आकार के उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन था, और अनिकट कैपिटल के निवेश दृष्टिकोण की सफलता को भी दर्शाता है।

निवेश का प्रभाव

अनिकट कैपिटल द्वारा जुटाए गए इन फंड्स का उद्देश्य उन कंपनियों में निवेश करना है जो अपने विकास के महत्वपूर्ण चरण में हैं। कंपनी ने अब तक 3,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है और कई मझोले आकार के भारतीय उद्यमों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनिकट कैपिटल का मानना है कि भारत में निजी ऋण क्षेत्र में अभी बहुत संभावनाएं हैं, और यह फंड उन कंपनियों की सहायता करेगा जो तेजी से विस्तार कर रही हैं।

निवेशकों के लिए लाभ

अनिकट कैपिटल की इस फंड संरचना का प्रमुख लाभ यह है कि यह निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने का एक सुरक्षित और संगठित तरीका प्रदान करती है। GIFT City के माध्यम से प्राप्त होने वाले डॉलर-नामित निवेशों के कारण, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भारतीय बाजार में अपने पोर्टफोलियो को विस्तार करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि और मझोले उद्यमों के विकास की क्षमता को देखते हुए, अनिकट कैपिटल के निवेशकों को आकर्षक रिटर्न की उम्मीद है।

भविष्य की योजनाएं

अनिकट कैपिटल की योजना अपने प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 के माध्यम से और अधिक कंपनियों में निवेश करने की है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हैं। कंपनी का फोकस उन कंपनियों पर है जो नवाचार और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देती हैं। भविष्य में, अनिकट कैपिटल का लक्ष्य भारतीय निजी ऋण क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करना और वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाना है।

निष्कर्ष

अनिकट कैपिटल की हालिया फंडिंग न केवल भारतीय बाजार में उनके निवेश की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे GIFT City जैसी संरचनाएं वैश्विक निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित कर रही हैं। 11 मिलियन डॉलर की यह फंडिंग अनिकट के प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 का एक हिस्सा है, जो भारतीय उद्यमों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन बन रहा है।

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Licious ने My Chicken and More का किया अधिग्रहण

Licious

भारत की प्रमुख D2C (Direct-to-Consumer) मीट और सीफूड ब्रांड Licious ने बेंगलुरु स्थित ऑफलाइन रिटेलर My Chicken and More का अधिग्रहण किया है। इस सौदे की राशि का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह कदम Licious की ओम्निचैनल (ऑनलाइन और ऑफलाइन) उपस्थिति को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। Licious पहले से ही 4 मिलियन घरों तक अपनी डिजिटल कॉमर्स सेवाएं पहुंचा चुका है, और अब My Chicken and More की 23 स्टोर्स के साथ, Licious अपनी फिजिकल रिटेल उपस्थिति को 26 बिक्री केंद्रों तक बढ़ा सकेगा।

My Chicken and More: एक तेजी से बढ़ती ब्रांड

My Chicken and More बेंगलुरु के उपभोक्ताओं के बीच अपने इन-स्टोर अनुभव के लिए जाना जाता है। 2021 से 2023 के बीच, इस ब्रांड ने अपने आउटलेट्स की संख्या 10 से बढ़ाकर 23 कर ली, और 2023 में इसका कुल राजस्व 110 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह ब्रांड सालाना 1.6 से 1.8 मिलियन ऑर्डर प्रोसेस करने का दावा करता है। कुछ स्टोर्स में मासिक फुटफॉल (ग्राहकों की संख्या) 10,000 से 12,000 तक रहती है, जो इसकी लोकप्रियता और गुणवत्ता को दर्शाता है।

Licious: ऑनलाइन से ऑफलाइन की ओर कदम

Licious की स्थापना 2015 में अभय हांजुरा और विवेक गुप्ता ने की थी। कंपनी ने मीट, सीफूड और रेडी-टू-कुक प्रोडक्ट्स के लिए भारत में 25 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। इस अधिग्रहण के जरिए, Licious का मकसद अपने डिजिटल कारोबार के साथ-साथ फिजिकल स्टोर्स के माध्यम से भी उपभोक्ताओं तक पहुंचना है। Licious के पास अब अपने उत्पादों की बिक्री के लिए दोनों प्लेटफॉर्म होंगे, जिससे यह अपने ग्राहकों को एक व्यापक और सहज अनुभव प्रदान कर सकेगा।

Liciousके वित्तीय आंकड़े और विकास की कहानी

Licious की यात्रा में वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) महत्वपूर्ण रहा। हालांकि, कंपनी को बड़े निवेश प्राप्त हुए, लेकिन इसका ऑपरेटिंग इनकम केवल 9.6% की मामूली वृद्धि के साथ 747.7 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो FY22 में 682.5 करोड़ रुपये था। वहीं, इसके नुकसान में भी वृद्धि हुई और FY23 में 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 485 करोड़ रुपये था।

Licious की फंडिंग और यूनिकॉर्न बनने की कहानी

Licious ने अक्टूबर 2021 में IIFL AMC के लेट स्टेज टेक फंड से 52 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की और उसके बाद यह कंपनी यूनिकॉर्न बन गई। उसी साल, इसे सीरीज F राउंड में 192 मिलियन डॉलर का निवेश भी प्राप्त हुआ। अब तक, Licious ने कुल 490 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जिससे यह मीट और सीफूड सेगमेंट में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन चुकी है।

इन्फिनिटी: Licious की लॉयल्टी प्रोग्राम

Licious का प्रमुख लॉयल्टी प्रोग्राम Infiniti भी कंपनी के व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस प्रोग्राम के 2 लाख साप्ताहिक सक्रिय सब्सक्राइबर्स हैं, जो कंपनी के मासिक व्यापार का 58% योगदान करते हैं। यह लॉयल्टी प्रोग्राम कंपनी के ग्राहकों को अपने साथ बनाए रखने में मदद करता है और यह उनकी ब्रांडिंग को भी मजबूत करता है।

My Chicken and More का अधिग्रहण क्यों है महत्वपूर्ण?

My Chicken and More का अधिग्रहण Licious के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह कदम कंपनी को सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भर रहने से अलग करता है। अब कंपनी के पास ऑफलाइन रिटेल नेटवर्क भी होगा, जिससे उसे और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने और अपने व्यवसाय को और विस्तारित करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, My Chicken and More के स्टोर्स में मिलने वाले इन-स्टोर अनुभव से ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सकेगी।

Licious की ओम्निचैनल रणनीति

Licious की ओम्निचैनल रणनीति से यह स्पष्ट है कि कंपनी अब सिर्फ डिजिटल तक सीमित नहीं रहना चाहती। कंपनी अब एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर अपनी सेवाओं को फिजिकल रिटेल नेटवर्क के जरिए भी बढ़ा रही है। इससे कंपनी को उन ग्राहकों तक भी पहुंचने में मदद मिलेगी, जो ऑनलाइन खरीदारी में रुचि नहीं रखते, लेकिन फिजिकल स्टोर्स से खरीदारी करना पसंद करते हैं।

भविष्य की योजनाएं

Licious का लक्ष्य अधिग्रहण के बाद अपने उत्पाद पोर्टफोलियो और वितरण नेटवर्क को और मजबूत करना है। कंपनी आने वाले समय में और अधिक शहरों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके अलावा, Licious ने अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि को हमेशा प्राथमिकता दी है, और इस अधिग्रहण से वह अपने ग्राहकों के लिए और भी बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए तत्पर है।

निष्कर्ष

Licious द्वारा My Chicken and More का अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इसे भारतीय मीट और सीफूड बाजार में और अधिक मजबूत स्थिति में लाएगा। डिजिटल और फिजिकल दोनों प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने ग्राहकों तक पहुंचकर, Licious अपनी ओम्निचैनल रणनीति के जरिए अपनी मार्केट उपस्थिति को और व्यापक बनाने के लिए तैयार है। कंपनी के संस्थापकों की दूरदर्शिता और निवेशकों का विश्वास इसे और भी ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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Perceptyne: AI-आधारित रोबोटिक्स स्टार्टअप ने जुटाए $3 मिलियन

Perceptyne

Perceptyne, एक गहरे तकनीकी (deep tech) और AI-आधारित रोबोटिक्स स्टार्टअप, ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $3 मिलियन जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Endiya Partners और Yali Capital ने किया, जिसमें Whiteboard Capital और कुछ प्रमुख एंजल निवेशकों ने भी भाग लिया। इस फंडिंग का उपयोग कंपनी अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट, कस्टमर एक्विजिशन और ग्रोथ में तेजी लाने के लिए करेगी। Perceptyne वर्तमान में ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के साथ घनिष्ठता से काम कर रही है।

Percept yne की शुरुआत और संस्थापक

Perceptyne की स्थापना तीन संस्थापकों – रवितेजा शिवुकुला, जग्गा राजू नडिंपल्ली, और मृत्युंजय नडिमिंती ने की। ये सभी संस्थापक गहरी तकनीकी पृष्ठभूमि से आते हैं और रोबोटिक्स एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। उनकी तकनीकी क्षमता और इनोवेशन के लिए दृष्टिकोण ने इस स्टार्टअप को एक मजबूत नींव प्रदान की है। उनकी सोच है कि AI और रोबोटिक्स के माध्यम से उन कार्यों को स्वचालित किया जा सके, जिन्हें अभी तक केवल मनुष्यों द्वारा किया जाता था।

Perceptyne की प्रमुख टेक्नोलॉजी

Perceptyne का मुख्य फोकस AI और रोबोटिक्स को मिलाकर एक ऐसी प्रणाली तैयार करना है, जो मानवीय कौशल और चपलता के साथ काम कर सके। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पाद जैसे PR-34D और PR-9D, जो क्रमशः ड्यूल-आर्म और सिंगल-आर्म रोबोट्स हैं, मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली लाइन जैसे कार्यों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। ये रोबोट कंप्यूटर विज़न, मल्टी-मोडल सेंसिंग और उन्नत एंड-इफेक्टर्स के साथ आते हैं, जो उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए अत्यधिक सक्षम बनाते हैं।

PR-34D और PR-9D: रोबोटिक्स में क्रांति

Perceptyne के इन फ्लैगशिप उत्पादों का डिज़ाइन विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के लिए किया गया है। इन रोबोट्स को इस प्रकार से बनाया गया है कि वे उत्पाद असेंबली और पैकेजिंग जैसे कार्यों में मानवीय दक्षता के साथ काम कर सकें। AI द्वारा संचालित होने के कारण ये रोबोट जटिल और सूक्ष्म कार्यों को भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं, जिससे मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में गति और सटीकता दोनों बढ़ती हैं।

कंपनी की योजना और भविष्य की रणनीति

फंडिंग के बाद, Perceptyne अब अपने उत्पादों को और उन्नत करने, नए ग्राहकों को जोड़ने और अपने व्यवसाय को बढ़ाने की योजना बना रहा है। कंपनी वर्तमान में ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग दिग्गजों के साथ काम कर रही है, और आने वाले समय में अन्य उद्योगों में भी अपनी पकड़ मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।

निवेशकों की भूमिका

Endiya Partners और Yali Capital जैसे प्रमुख निवेशकों का इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व करना दर्शाता है कि Perceptyne का व्यवसाय मॉडल और तकनीक निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। Whiteboard Capital और अन्य एंजल निवेशकों ने भी इस स्टार्टअप के भविष्य को लेकर अपने विश्वास को व्यक्त किया है। इस निवेश से यह स्पष्ट है कि रोबोटिक्स और AI का संयोजन आने वाले समय में और अधिक महत्वपूर्ण होने वाला है।

मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पर प्रभाव

Perceptyne के उत्पाद मैन्युफैक्चरिंग उद्योग में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। असेंबली लाइन में दक्षता और स्वचालन को बढ़ाने के साथ-साथ, ये रोबोट कंपनियों के लिए लागत को भी कम कर सकते हैं। मानव श्रम की जगह स्वचालित मशीनों का इस्तेमाल करना मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया को तेज बनाता है और उत्पादन में त्रुटियों को भी कम करता है।

AI और रोबोटिक्स का भविष्य

Perceptyne जैसे स्टार्टअप्स यह दिखा रहे हैं कि भविष्य में AI और रोबोटिक्स का मेल एक नई क्रांति ला सकता है। न केवल बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग बल्कि अन्य उद्योगों में भी इस तकनीक का विस्तार किया जा सकता है। Perceptyne की तकनीक उन क्षेत्रों में भी काम आ सकती है जहां जटिल और संवेदनशील कार्यों की आवश्यकता होती है।

कंपनी का वित्तीय पक्ष

Perceptyne ने अपने सीड राउंड में $3 मिलियन की फंडिंग जुटाई है, जो इसके विकास के शुरुआती चरण के लिए एक महत्वपूर्ण राशि है। यह फंडिंग कंपनी के लिए प्रोडक्ट डेवलपमेंट, ग्राहक जोड़ने और अपने मार्केट विस्तार को मजबूत करने में मदद करेगी। इसके संस्थापक का कहना है कि यह निवेश उन्हें अपने AI और रोबोटिक्स प्लेटफॉर्म को और अधिक उन्नत बनाने में सक्षम बनाएगा।

निष्कर्ष

Perceptyne का उदय AI और रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति का संकेत है। कंपनी का उद्देश्य उन कार्यों को स्वचालित करना है, जिन्हें अभी तक केवल मनुष्यों द्वारा ही किया जा सकता था। संस्थापकों की दूरदृष्टि और निवेशकों का समर्थन इस स्टार्टअप को भविष्य में और भी अधिक ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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UPI का नया रिकॉर्ड: सितंबर 2024 में 15 बिलियन ट्रांजैक्शन के पार

UPI

सितंबर 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया, जब कुल ट्रांजैक्शन की संख्या 15 बिलियन से अधिक हो गई। अप्रैल 2016 में लॉन्च होने के बाद से, UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस तेजी से बढ़ते पेमेंट सिस्टम ने न केवल भुगतान के तरीकों को सरल बनाया है, बल्कि इसे भारत के आर्थिक और डिजिटल परिदृश्य का एक अभिन्न हिस्सा भी बना दिया है।

PhonePe का वर्चस्व जारी

UPI ट्रांजैक्शन में PhonePe सबसे बड़ा खिलाड़ी बना हुआ है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, PhonePe ने सितंबर 2024 में 7.22 बिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए, जिनकी कुल वैल्यू ₹10,30,871 करोड़ थी। यह आंकड़ा UPI की पूरी सफलता और PhonePe की इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ को दर्शाता है।

हालांकि, PhonePe के ट्रांजैक्शन वॉल्यूम और वैल्यू में मामूली गिरावट देखी गई, जबकि Google Pay ने दोनों में वृद्धि दर्ज की। अगस्त 2024 की तुलना में PhonePe का बाजार हिस्सा 48% तक गिर गया, जो पहले 48.3% था। इसके बावजूद, यह अभी भी UPI मार्केट का सबसे बड़ा हिस्सा रखता है।

Google Pay की तेजी

Google Pay, जो इस रेस में PhonePe के बाद दूसरे स्थान पर है, ने सितंबर में 5.62 बिलियन ट्रांजैक्शन किए, जिनकी कुल वैल्यू ₹7,46,690.05 करोड़ थी। Google Pay का बाजार हिस्सा अब 37.4% है, जो अगस्त में 37.3% था। Google Pay की इस स्थिर और लगातार बढ़ती प्रगति से यह स्पष्ट है कि इसका यूजर बेस और ट्रांजैक्शन दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं।

Paytm की स्थिति स्थिर, लेकिन चुनौतीपूर्ण

Paytm ने सितंबर 2024 में अपनी स्थिति को लगभग स्थिर रखा है, जिसमें इसके ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। Paytm का बाजार हिस्सा अब 7% है, जो अगस्त में 7.21% था। हालांकि, Paytm ने बाजार में अपनी स्थिति को बनाए रखा है, लेकिन PhonePe और Google Pay के दबदबे के सामने इसे कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अन्य खिलाड़ियों की बढ़ती उपस्थिति

सितंबर 2024 में CRED और Navi जैसे नए खिलाड़ी भी अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए हैं। CRED ने 140 मिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए, जिनकी वैल्यू ₹47,982.71 करोड़ थी, जबकि Navi ने 120 मिलियन ट्रांजैक्शन के साथ ₹6,549.10 करोड़ की वैल्यू हासिल की। खास बात यह रही कि Navi ने ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में 35% की वृद्धि दर्ज की और पहली बार शीर्ष पांच UPI ऐप्स में शामिल हो गया।

इसके अलावा, Flipkart के Super.money ऐप ने भी सितंबर में 120% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की और यह 15वें स्थान पर पहुंच गया, जो BHIM ऐप से ठीक पीछे है।

P2M और P2P ट्रांजैक्शन का बंटवारा

सितंबर 2024 में कुल 15 बिलियन UPI ट्रांजैक्शन में से, पीयर-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शन ने 62% का हिस्सा बनाया, जबकि पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांजैक्शन ने शेष 38% का योगदान दिया। हालाँकि, ट्रांजैक्शन वैल्यू के मामले में, P2P ट्रांजैक्शन का हिस्सा 72.5% से अधिक था, जबकि P2M ट्रांजैक्शन का योगदान शेष हिस्से के लिए था। यह बंटवारा यह दर्शाता है कि लोग P2P ट्रांजैक्शन में बड़ी रकम ट्रांसफर करते हैं, जबकि P2M का उपयोग अधिकतर छोटे भुगतानों के लिए किया जाता है।

UPI का बढ़ता प्रभाव

UPI का यह प्रभाव न केवल बड़े शहरों में, बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। डिजिटल भुगतान के इस प्रसार ने कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में भारत के कदम को तेज कर दिया है। UPI ने आम जनता के लिए वित्तीय समावेशन को आसान बनाया है, और व्यापारियों को भी अपने लेन-देन में अधिक पारदर्शिता और सरलता प्रदान की है।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

UPI के इस निरंतर विकास के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। साइबर सुरक्षा और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि के कारण NPCI और अन्य वित्तीय संस्थाओं को मजबूत सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे। इसके अलावा, ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसे दूर करने के लिए सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर काम करना होगा।

निष्कर्ष

सितंबर 2024 में UPI का 15 बिलियन ट्रांजैक्शन का आंकड़ा पार करना, डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर है। PhonePe और Google Pay जैसी कंपनियों ने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी है, जबकि नए खिलाड़ी भी अपनी जगह बना रहे हैं। UPI का बढ़ता प्रभाव यह संकेत देता है कि आने वाले समय में भारत में डिजिटल भुगतान का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा, और यह वित्तीय समावेशन और पारदर्शिता को और अधिक मजबूत बनाएगा।

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Zypp Electric ने $14 मिलियन जुटाए, FY24 में कुल राजस्व 300 करोड़ रुपये से अधिक

Zypp Electric

गुरुग्राम स्थित बी2बी डिलीवरी और साझा मोबिलिटी स्टार्टअप Zypp Electric ने वित्तीय वर्ष 2024 के अंत में $14 मिलियन (लगभग 115 करोड़ रुपये) की धनराशि जुटाई है। यह कंपनी की तेज़ी से बढ़ती विकास दर का परिणाम है, जो त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) और फूड डिलीवरी सेक्टर के विस्तार से प्रेरित है। Zypp Electric का राजस्व FY24 में 2.6 गुना बढ़कर 300 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

Zypp Electric कंपनी के बारे में

Zypp Electric की स्थापना 2017 में आकाश गुप्ता और राशी अग्रवाल ने की थी। यह एक इलेक्ट्रिक व्हीकल-एज-ए-सर्विस (EV-as-a-service) प्लेटफ़ॉर्म है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटर रेंटल्स और डिलीवरी सेवाओं की पेशकश करता है। कंपनी विशेष रूप से गिग वर्कर्स को अपने बेड़े के माध्यम से डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है। Zypp Electric के पास वर्तमान में लगभग 22,000 सक्रिय वाहन हैं, जिनमें से 15,000 दिल्ली एनसीआर, 4,000 बेंगलुरु, और 1,200 मुंबई में चल रहे हैं।

फंडिंग का महत्व

$14 मिलियन की यह नवीनतम फंडिंग Zypp Electric की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस धनराशि का उपयोग कंपनी अपनी टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने, नए क्षेत्रों में विस्तार करने और नए वाहनों को अपने बेड़े में जोड़ने के लिए करेगी। कंपनी की योजना है कि आने वाले वर्षों में न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने EV-as-a-service मॉडल का विस्तार किया जाए।

Zypp Electric का लक्ष्य है कि वे अपने स्कूटर बेड़े को आने वाले वर्षों में और भी बड़ा बनाएं। इससे न केवल गिग वर्कर्स के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी सेवाओं की तेज़ी से होती मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

FY24 की वित्तीय स्थिति

Zypp Electric की कुल आय FY24 में 293 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो FY23 में 109 करोड़ रुपये थी। कंपनी की वृद्धि के साथ-साथ खर्चों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। कुल खर्च FY24 में 2.6 गुना बढ़कर 394 करोड़ रुपये हो गया, जबकि FY23 में यह 152 करोड़ रुपये था। कर्मचारियों के लाभ और किराए की मरम्मत पर खर्च FY24 में क्रमशः 2.1 गुना और 3.9 गुना बढ़ गया।

कंपनी के संस्थापक

Zypp Electric के संस्थापकों, आकाश गुप्ता और राशी अग्रवाल, ने यह कंपनी एक उद्देश्य के साथ शुरू की थी कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से स्थायी और किफायती डिलीवरी सेवाएं प्रदान की जा सकें। दोनों संस्थापक भारत में ईवी अपनाने को बढ़ावा देने और पर्यावरण अनुकूल समाधानों को प्रमुखता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

फंडिंग और विस्तार

Zypp Electric द्वारा जुटाई गई $14 मिलियन की फंडिंग कंपनी की भविष्य की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस नई फंडिंग का उपयोग कंपनी के विस्तार, संचालन और अधिक वाहनों के बेड़े में किया जाएगा। इसके साथ ही, कंपनी नई तकनीकों और डिलीवरी मॉडल्स को अपनाने के लिए अपने R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में निवेश करने की योजना बना रही है।

व्यय का विवरण

कंपनी ने FY24 में 394 करोड़ रुपये का कुल व्यय दर्ज किया, जिसमें से 274 करोड़ रुपये ‘अन्य खर्चों’ के रूप में सूचीबद्ध किए गए हैं। इन खर्चों में राइडर्स को भुगतान, कानूनी शुल्क, विज्ञापन और अन्य परिचालन खर्च शामिल होने की संभावना है। Zypp Electric की संचालन लागत में तेजी से वृद्धि इसके विस्तार और डिलीवरी नेटवर्क में बढ़ोतरी का संकेत देती है।

निष्कर्ष

Zypp Electric का विकास एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एक स्टार्टअप अपनी सेवाओं को विस्तार देकर और नवीन समाधानों का उपयोग करके सफलता प्राप्त कर सकता है। $14 मिलियन की फंडिंग से कंपनी को अपने ऑपरेशंस को और मजबूत करने का मौका मिलेगा। कंपनी का फोकस न केवल सस्टेनेबल डिलीवरी सेवाओं पर है, बल्कि गिग वर्कर्स और पर्यावरण दोनों के लिए दीर्घकालिक फायदे देने पर भी है।

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OYO Hiring , 5 प्रमुख पदों पर की नियुक्तियाँ

OYO

भारत की अग्रणी हॉस्पिटैलिटी कंपनी OYO ने हाल ही में अपने नेतृत्व दल में पांच महत्वपूर्ण नियुक्तियों की घोषणा की है। कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इन नियुक्तियों को किया है। इन नियुक्तियों से OYO के वैश्विक विस्तार और ऑपरेशनल दक्षता में और सुधार की उम्मीद है।

मुख्य नियुक्तियाँ

  1. सोनल सिन्हा को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर – इंटरनेशनल नियुक्त किया गया है, जो OYO के अंतरराष्ट्रीय संचालन को और मजबूत करेंगी।
  2. रचित श्रीवास्तव को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर – ओवोकेशन होम्स (OVH), यूरोप के रूप में नियुक्त किया गया है।
  3. शशांक जैन को हेड ऑफ टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन रेवेन्यू के रूप में पदोन्नत किया गया है, जो कंपनी के तकनीकी पहलुओं और ऑनलाइन रेवेन्यू को संभालेंगे।
  4. पंखुरी सकुजा OYO के जर्मनी में स्थित लिस्टिंग व्यवसाय ट्रॉम-फेरीएन्वोनंगन और फ्लेक्स-स्पेस बिजनेस Innov8 का नेतृत्व करेंगी।
  5. आशीष बाजपाई को हेड ऑफ रेवेन्यू एंड ग्लोबल OTA का पद सौंपा गया है, जो राजस्व वृद्धि और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों के साथ संबंधों को और मजबूत करेंगे।

वैश्विक विस्तार पर जोर

OYO ने कहा है कि ये नेतृत्व नियुक्तियाँ कंपनी की नवाचार और वैश्विक विस्तार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। OYO अब विभिन्न मूल्य बिंदुओं पर होटल और वेकेशन होम्स की एक विस्तृत श्रृंखला को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे न केवल कंपनी की बाजार में पहुंच बढ़ेगी, बल्कि इसके संचालन की दक्षता भी बेहतर होगी।

OYO का उद्देश्य है कि वह नए बाजारों में अपनी उपस्थिति को बढ़ाकर और विविधता लाकर अपने वैश्विक व्यवसाय को और मजबूत करे। यह कदम कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ाने में मदद करेगा और इसके ग्राहकों को अधिक विकल्प प्रदान करेगा।

स्टार्टअप इकोसिस्टम में OYO की भूमिका

OYO ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी के अनुसार, 60 से अधिक पूर्व OYO कर्मचारी अपनी स्टार्टअप कंपनियाँ शुरू करने में सफल हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि OYO ने न केवल अपने कर्मचारियों को विकसित किया है, बल्कि उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में भी प्रोत्साहित किया है।

नया अधिग्रहण

हाल ही में OYO ने G6 हॉस्पिटैलिटी, जो मोटेल 6 और स्टूडियो 6 का संचालन करती है, का अधिग्रहण किया है। यह अधिग्रहण 525 मिलियन डॉलर के ऑल-कैश डील के माध्यम से हुआ है। इस अधिग्रहण के साथ OYO ने अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है।

वित्तीय प्रदर्शन

OYO ने वित्त वर्ष 2024 के लिए 5,389 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया है, और 230 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है। यह प्रदर्शन पिछले वर्ष के 1,286 करोड़ रुपये के घाटे से एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है। OYO की इस वित्तीय सफलता का श्रेय इसके संचालन में सुधार और व्यवसाय विस्तार को दिया जा सकता है।

संस्थापक और कंपनी की पृष्ठभूमि

OYO की स्थापना 2013 में रितेश अग्रवाल ने की थी, और तब से यह कंपनी भारत की सबसे प्रमुख हॉस्पिटैलिटी स्टार्टअप्स में से एक बन गई है। OYO अपने अभिनव बिजनेस मॉडल के कारण तेजी से विकास कर रही है, और इसके द्वारा विभिन्न बजट कैटेगरी में होटलों और वेकेशन होम्स की पेशकश की जा रही है। कंपनी ने न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है।

विस्तार योजनाएँ और रणनीति

OYO के नेतृत्व दल में किए गए ये बदलाव कंपनी की भविष्य की रणनीतियों का हिस्सा हैं। कंपनी अपने वैश्विक विस्तार की योजनाओं को और तेजी से अमल में लाना चाहती है और नए बाजारों में प्रवेश करके अपने व्यवसाय का दायरा बढ़ाना चाहती है। इसके साथ ही, OYO तकनीकी नवाचारों के माध्यम से अपने संचालन को और प्रभावी बनाने के लिए काम कर रही है।

निष्कर्ष

OYO के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जब कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ कर रही है और वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए नए कदम उठा रही है। नए नेतृत्व दल के साथ, OYO को उम्मीद है कि वह अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान कर सकेगी और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकेगी।

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