Top 27 Funded Startups: 27 सबसे ज़्यादा फंडिंग प्राप्त करने वाले स्टार्टअप्स

Top 27 Funded Startups

भारत के 27 सबसे ज़्यादा फंडिंग प्राप्त करने वाले स्टार्टअप्स

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ रहा है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भारतीय स्टार्टअप्स में गहरी रुचि दिखा रहे हैं। यहां भारत के Top 27 Funded Startups की सूची दी गई है।

Ola Cabs

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $3.8 बिलियन
  • विवरण: ओला कैब्स एक राइड-हेलिंग प्लेटफार्म है जो कैब, बाइक और अन्य वाहनों की बुकिंग की सुविधा देता है।
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OYO

  • उद्योग: यात्रा और पर्यटन
  • कुल फंडिंग: $3.2 बिलियन
  • विवरण: ओयो एक होटल चेन है जो किफायती और आरामदायक स्टे की सुविधा प्रदान करता है।
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ReNew Power

  • उद्योग: ऊर्जा
  • कुल फंडिंग: $2.8 बिलियन
  • विवरण: ReNew Power भारत की प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी है, जो सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में काम करती है।
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Snapdeal

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $1.8 बिलियन
  • विवरण: स्नैपडील एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म है जो फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उत्पादों की खरीदारी की सुविधा देता है।
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Swiggy

  • उद्योग: खाद्य और पेय
  • कुल फंडिंग: $1.6 बिलियन
  • विवरण: स्विगी एक फूड डिलीवरी प्लेटफार्म है जो रेस्त्रां से खाने की डिलीवरी की सुविधा देता है।
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BYJU’S

  • उद्योग: शिक्षा
  • कुल फंडिंग: $1.4 बिलियन
  • विवरण: बायजूस एक ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म है जो बच्चों और छात्रों को शिक्षा सेवाएं प्रदान करता है।
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BigBasket

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $1.1 बिलियन
  • विवरण: बिगबास्केट एक ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर है जो ताजे फल, सब्जियाँ और घरेलू उत्पादों की डिलीवरी करता है।
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Delhivery

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $934.6 मिलियन
  • विवरण: डेल्हिवरी एक सप्लाई चेन सर्विस कंपनी है जो लॉजिस्टिक और पार्सल डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है।
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Zomato

  • उद्योग: खाद्य और पेय
  • कुल फंडिंग: $914.6 मिलियन
  • विवरण: ज़ोमैटो एक रेस्त्रां सर्च और रिव्यू प्लेटफार्म है, जो खाने की डिलीवरी और टेबल बुकिंग सेवाएं भी देता है।
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Udaan

  • उद्योग: ई-कॉमर्स
  • कुल फंडिंग: $899.9 मिलियन
  • विवरण: उदान एक B2B मार्केटप्लेस है जो छोटे और मध्यम व्यवसायों को जोड़ता है।
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Grofers

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $597.1 मिलियन
  • विवरण: ग्रोफर्स एक ऑनलाइन सुपरमार्केट है जो रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे कि ग्रोसरी और स्वास्थ्य उत्पादों की डिलीवरी करता है।
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Policy Bazaar

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $496.6 मिलियन
  • विवरण: पॉलिसी बाजार एक बीमा एग्रीगेटर है जो विभिन्न पॉलिसियों की तुलना और चयन की सुविधा देता है।
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Lenskart

  • उद्योग: स्वास्थ्य सेवा
  • कुल फंडिंग: $459.6 मिलियन
  • विवरण: लेंसकार्ट एक आईवियर रिटेल कंपनी है जो चश्मे और ऑप्टिकल प्रोडक्ट्स की बिक्री करती है।
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Quikr

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $424.2 मिलियन
  • विवरण: क्विकर एक ऑनलाइन क्लासीफाइड और मार्केटप्लेस है जो खरीदी और बिक्री की सुविधा प्रदान करता है।
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FirstCry

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $418.4 मिलियन
  • विवरण: फर्स्टक्राई एक बेबी प्रोडक्ट्स ई-कॉमर्स प्लेटफार्म है जो खिलौने, कपड़े और अन्य शिशु उत्पाद बेचता है।
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PharmEasy

  • उद्योग: स्वास्थ्य सेवा
  • कुल फंडिंग: $328.5 मिलियन
  • विवरण: फार्मईज़ी एक ऑनलाइन फ़ार्मेसी प्लेटफार्म है जो दवाइयाँ और स्वास्थ्य उत्पादों की डिलीवरी करता है।
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InMobi

  • उद्योग: एंटरप्राइज़ सॉफ़्टवेयर
  • कुल फंडिंग: $320.6 मिलियन
  • विवरण: इनमोबी एक मोबाइल विज्ञापन प्लेटफार्म है जो विभिन्न डिजिटल मार्केटिंग सेवाएं देता है।
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Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Pine Labs

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $310.8 मिलियन
  • विवरण: पाइन लैब्स एक फिनटेक कंपनी है जो रिटेल पेमेंट और फाइनेंसिंग सेवाओं में काम करती है।
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Blackbuck

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $297 मिलियन
  • विवरण: ब्लैकबक एक लॉजिस्टिक प्लेटफार्म है जो ट्रकिंग और माल ढुलाई सेवाएं प्रदान करता है।
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Rivigo

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $257.4 मिलियन
  • विवरण: रिविगो एक टेक्नोलॉजी-आधारित लॉजिस्टिक कंपनी है जो फास्ट और सुरक्षित माल ढुलाई सेवाएं प्रदान करती है।
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CarDekho

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $247.5 मिलियन
  • विवरण: कारदेखो एक नई और पुरानी कारों के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जो कारों की तुलना, समीक्षा और खरीदने-बेचने की सुविधा प्रदान करता है।
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Lendingkart

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $242.5 मिलियन
  • विवरण: लेंडिंगकार्ट छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को तेज़ और सरल ऋण प्रदान करता है।
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Billdesk

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $241.4 मिलियन
  • विवरण: बिलडेस्क भारत में ऑनलाइन पेमेंट और बिल भुगतान सेवाओं का एक अग्रणी प्लेटफार्म है।
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ShareChat

  • उद्योग: सोशल नेटवर्क
  • कुल फंडिंग: $222.8 मिलियन
  • विवरण: शेयरचैट एक भारतीय सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म है जो यूज़र्स को क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट शेयर और कनेक्ट करने की सुविधा देता है।
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Meesho

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $215.2 मिलियन
  • विवरण: मीशो एक सोशल कॉमर्स प्लेटफार्म है, जो छोटे विक्रेताओं को उनके उत्पाद ऑनलाइन बेचने की सुविधा देता है।
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Mu Sigma

  • उद्योग: डेटा और एनालिटिक्स
  • कुल फंडिंग: $211.4 मिलियन
  • विवरण: म्यु सिग्मा एक डेटा एनालिटिक्स और निर्णय विज्ञान कंपनी है, जो विभिन्न उद्योगों को बड़े डेटा का उपयोग करके समाधान प्रदान करती है।
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Cars24

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $193.8 मिलियन
  • विवरण: कार्स24 एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहां यूज़र अपनी पुरानी कारें बेच सकते हैं।
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अन्य प्रमुख स्टार्टअप्स में Swiggy, BYJU’s, Zomato, Delhivery, और BigBasket शामिल हैं, जो खाद्य वितरण, शिक्षा, लॉजिस्टिक्स और ऑनलाइन ग्रॉसरी में काम करते हैं। यह सूची दिखाती है कि भारत में विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को भारी फंडिंग मिली है और वे तेजी से बढ़ रहे हैं।

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Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Checkout Weekly Funding Report: 07-12 Oct

Checkout Weekly Funding Report

बीते सप्ताह में भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग ₹1,100 करोड़ का फंडिंग जुटाई। इस दौरान 32 स्टार्टअप्स ने फंडिंग प्राप्त की, जिनमें 4 ग्रोथ-स्टेज डील्स और 22 अर्ली-स्टेज डील्स शामिल हैं। 6 स्टार्टअप्स ने अपने फंडिंग डिटेल्स को सार्वजनिक नहीं किया। पिछले सप्ताह 21 स्टार्टअप्स ने $92.63 मिलियन का फंडिंग हासिल किया था।

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ग्रोथ-स्टेज डील्स में Zypp Electric और Haber ने बाजी मारी

ग्रोथ-स्टेज फंडिंग के मामले में चार स्टार्टअप्स ने $55.8 मिलियन का फंड जुटाया। इनमें इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स बनाने वाली कंपनी Haber ने सबसे बड़ा फंड जुटाया, जो $38 मिलियन था। इसके अलावा, Spry Therapeutics, जो एक SaaS प्लेटफ़ॉर्म है, ने $15 मिलियन की फंडिंग जुटाई। इसके बाद एरियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म Aereo और फार्मास्युटिकल पैकेजिंग स्टार्टअप Sorich Foils ने क्रमशः $1.8 मिलियन और $1 मिलियन की फंडिंग प्राप्त की।

Zypp Electric: EV-as-a-service प्लेटफ़ॉर्म की जबरदस्त वृद्धि

2017 में स्थापित, Zypp Electric एक EV-as-a-service प्लेटफ़ॉर्म है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटरों को किराए पर देकर डिलीवरी सेवाएं प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य गिग वर्कर्स को सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल ट्रांसपोर्ट सेवाएं प्रदान करना है। कंपनी के पास फिलहाल 22,000 सक्रिय वाहन हैं, जिनमें से 15,000 दिल्ली-NCR में, 4,000 बेंगलुरु में और 1,200 मुंबई में हैं। Zypp Electric की कुल आय $293 करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी से अधिक है।

अर्ली-स्टेज डील्स में Bumtum, UrjaMobility, और अन्य

अर्ली-स्टेज फंडिंग में 22 स्टार्टअप्स ने $78.62 मिलियन की फंडिंग जुटाई। इनमें डायपर ब्रांड Bumtum ने सबसे अधिक फंडिंग प्राप्त की, उसके बाद इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप UrjaMobility, वैक्यूम और प्रोसेस सॉल्यूशंस प्रोवाइडर Economy Process Solutions, स्पेस-टेक फर्म XDLINX, और डेंटल केयर प्लेटफ़ॉर्म Dezy ने भी फंड जुटाया।

इसके अलावा, Jivi, Suraasa, Adloggs, Humm Care, A4 Hospital, और Deftouch ने भी फंडिंग प्राप्त की, लेकिन उन्होंने अपने फंडिंग विवरण का खुलासा नहीं किया।

शहर और क्षेत्र-आधारित डील्स

अगर शहरों की बात करें, तो इस सप्ताह बेंगलुरु से 11 डील्स हुईं, जिसके बाद दिल्ली-NCR, मुंबई, पुणे, और कोयंबटूर जैसे शहरों का नंबर आता है। वहीं, क्षेत्रवार स्टार्टअप्स में Healthtech स्टार्टअप्स ने 5 डील्स के साथ टॉप स्थान पर कब्जा किया। SaaS, E-commerce, Fintech, Media and Entertainment, Edtech, और Robotics स्टार्टअप्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

Weekly Funding Report: Fundingraised

इस सप्ताह स्टार्टअप फंडिंग में 45.11% की वृद्धि देखी गई। पिछले सप्ताह के मुकाबले, इस बार फंडिंग $92.63 मिलियन से बढ़कर $134.42 मिलियन हो गई। औसतन, पिछले आठ हफ्तों में स्टार्टअप्स ने हर हफ्ते लगभग $358.15 मिलियन की फंडिंग जुटाई है।

फंड लॉन्च और प्रमुख नियुक्तियां

D2C कम्युनिटी D2C Insider ने ₹25 करोड़ के Super Angels Fund की घोषणा की। इसके अलावा, LC Nueva Investment Partners ने ₹150 करोड़ का LC Nueva Momentum Fund लॉन्च किया। वहीं, Northern Arc ने ₹1,500 करोड़ का Finserv Fund लॉन्च किया।

प्रमुख नियुक्तियों में इस सप्ताह Evenflow, Oyo, और अन्य कंपनियों ने सीनियर मैनेजमेंट में कई नई भर्तियां की हैं। दूसरी ओर, Orios Venture Partners के CFO और CEO गौरव बिंदल, Zomato के स्वतंत्र निदेशक गुंजन सोनी, और Menhood के कॉम्प्लायंस अधिकारी ने इस्तीफा दिया।

अधिग्रहण और ESOP बायबैक

इस सप्ताह तीन प्रमुख अधिग्रहण हुए, जिनमें Ozonetel ने CloudConnect Communications का अधिग्रहण किया, eBikeGo ने Varcas Automobiles को खरीदा, और Exicom ने Tritium को अधिग्रहित किया।

इसके अलावा, Whatfix ने अपने कर्मचारियों और निवेशकों के लिए $58 मिलियन का ESOP कार्यक्रम शुरू किया। Winzo ने भी अपना चौथा ESOP लिक्विडेशन राउंड पूरा किया।

Indian Startups शटडाउन और छंटनी

इस सप्ताह, प्लग-एंड-प्ले प्लेटफार्म Toplyne ने अपने ऑपरेशंस को बंद करने और निवेशकों को उनकी पूंजी वापस करने की घोषणा की। इसके साथ ही, टू-व्हीलर मार्केटप्लेस BeepKart ने 60-70 कर्मचारियों की छंटनी की सूचना दी।

इस सप्ताह, कई स्टार्टअप्स ने अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की। Servify ने FY24 में ₹755 करोड़ की आय दर्ज की, जबकि Kuku FM ने ₹88 करोड़ की आय के साथ मार्केटिंग में ₹100 करोड़ खर्च किए। Pine Labs ने ₹1,384 करोड़ की आय और तीन गुना बढ़े हुए घाटे की रिपोर्ट दी।

निष्कर्ष

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में इस सप्ताह फंडिंग गतिविधियों में काफी तेजी आई। Zypp Electric और Haber जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर फंडिंग जुटाई, जिससे यह साफ होता है कि भारत में स्टार्टअप्स की बढ़ती मांग और निवेशकों का भरोसा जारी है।

Read More : Zypp Electric ने $14 मिलियन जुटाए, FY24 में कुल राजस्व 300 करोड़ रुपये से अधिक

Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Top 20 Failed स्टार्टअप्स

यहां भारत की शीर्ष 20 असफल स्टार्टअप्स का एक संक्षिप्त विवरण है, जिन्हें उनके समय में बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू किया गया था, लेकिन किसी न किसी कारण से विफल रहीं:

Top 20 Failed स्टार्टअप्स List

AskMe
एक लोकल सर्च इंजन जो सेवाओं, शॉपिंग और अन्य जरूरतों के लिए जानकारी देता था। फंडिंग की कमी और प्रबंधन विवादों के चलते 2016 में बंद हो गया।

TinyOwl
फूड डिलीवरी ऐप जिसने 2014 में बड़े जोर-शोर से शुरुआत की। लेकिन ऑपरेशनल खर्चों और खराब प्रबंधन के चलते इसे 2016 में बंद करना पड़ा।

Stayzilla
होमस्टे और बजट होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म जिसने एयरबीएनबी जैसी सेवा देने की कोशिश की। फंडिंग और कानूनी विवादों के चलते 2017 में बंद हो गया।

Dazo
पहले TapCibo के नाम से शुरू किया गया यह फूड डिलीवरी स्टार्टअप 2015 में बंद हो गया, क्योंकि यह जोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी कंपनियों से मुकाबला नहीं कर पाया।

Zeppery
फूड प्री-ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म जो 2015 में लॉन्च हुआ था। लेकिन इसे पर्याप्त ग्राहक आधार नहीं मिला और यह जल्द ही बंद हो गया।

Peppertap
एक ग्रोसरी डिलीवरी ऐप, जिसने ग्रोफर्स और बिगबास्केट जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की। लॉजिस्टिक्स की समस्याओं और ज्यादा खर्चों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Frankly.me
एक वीडियो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म जो सेलेब्रिटी और फैंस को जोड़ने का प्रयास करता था। पर्याप्त यूजर एंगेजमेंट नहीं होने के कारण 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

Tazzo
इलेक्ट्रिक बाइक रेंटल स्टार्टअप, जो 2016 में शुरू हुआ था। निवेश की कमी और खराब स्केलेबिलिटी के चलते जल्द ही इसका संचालन रुक गया।

Fashionara
एक फैशन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जिसने Myntra और Jabong जैसी कंपनियों से मुकाबला किया। लेकिन प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समस्याओं के कारण 2016 में बंद हो गया।

Shotang
यह बी2बी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस था, जो रिटेलर्स और वितरकों को जोड़ता था। लेकिन खराब बिजनेस मॉडल और संचालन की समस्याओं के चलते यह 2017 में बंद हो गया।
Yumist
फूड डिलीवरी स्टार्टअप जो ऑफिस और घर के लिए किफायती, घरेलू खाना देने की सेवा प्रदान करता था। 2017 में इसे ऑपरेशनल खर्चों और प्रतिस्पर्धा के चलते बंद करना पड़ा।

StayGlad
ऑन-डिमांड ब्यूटी और ग्रूमिंग सर्विसेज ऐप, जिसने ब्यूटीशियनों को ग्राहकों के घर भेजने का कॉन्सेप्ट पेश किया। लेकिन ज्यादा ऑपरेशनल खर्चों और मार्केट की समझ की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Finomena
यह एक फिनटेक स्टार्टअप था, जो युवा प्रोफेशनल्स को बिना क्रेडिट स्कोर के लोन देने की सुविधा प्रदान करता था। फंडिंग की कमी और खराब क्रेडिट रिकवरी के कारण 2018 में इसे बंद करना पड़ा।

Zupermeal
होम-कुक्ड फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म, जो घरों में बने खाने को ग्राहकों तक पहुंचाता था। लेकिन Swiggy और Zomato जैसी बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के कारण 2016 में बंद हो गया।

MonkeyBox
बच्चों के लिए हेल्दी लंच बॉक्स डिलीवरी स्टार्टअप था। अच्छे कॉन्सेप्ट के बावजूद यह कस्टमर बेस बढ़ाने में नाकाम रहा और 2018 में बंद हो गया।

Roder
कैब एग्रीगेटर जो छोटे शहरों में ओला और उबर जैसी सेवाओं को चुनौती देने के लिए आया था। लेकिन बड़े ब्रांड्स से प्रतिस्पर्धा और फंडिंग की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Grabhouse
बिना ब्रोकर के किराए पर घर लेने का प्लेटफॉर्म था। हालांकि आइडिया अच्छा था, लेकिन बिजनेस मॉडल और मार्केट की चुनौतियों की वजह से 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

iTiffin
हेल्दी टिफिन सेवा देने वाला यह स्टार्टअप हेल्थ कॉन्शियस लोगों को टारगेट कर रहा था। लॉजिस्टिक्स और बढ़ते खर्चों के चलते 2016 में यह बंद हो गया।

Taskbob
ऑन-डिमांड होम सर्विसेज प्लेटफॉर्म, जो घर के छोटे-मोटे कामों जैसे इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर आदि की सेवाएं देता था। बाजार में पैठ न बना पाने के कारण 2017 में इसे बंद करना पड़ा।

GoZoomo
यह एक पीयर-टू-पीयर यूज्ड कार मार्केटप्लेस था। फंडिंग की कमी और व्यवसायिक चुनौतियों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Top 20 स्टार्टअप विफलता के कारण?

स्टार्टअप की विफलता के कई कारण होते हैं, और हर स्टार्टअप का अनुभव अलग हो सकता है। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जिनकी वजह से स्टार्टअप्स असफल हो जाते हैं। आइए देखें कुछ मुख्य कारण:

1. मार्केट की मांग न समझ पाना

कई स्टार्टअप्स ऐसे प्रोडक्ट या सेवाएं पेश करते हैं जिनकी बाजार में सही मांग नहीं होती। ग्राहकों की समस्याओं को सही से पहचान न पाने के कारण उनकी पेशकश बेअसर हो जाती है।

2. पूंजी और फंडिंग की कमी

स्टार्टअप को बढ़ने और स्केल करने के लिए पर्याप्त पूंजी की जरूरत होती है। कई स्टार्टअप्स को समय पर निवेश नहीं मिल पाता, या वे तेजी से अपने पैसे खत्म कर देते हैं, जिससे उन्हें अपना संचालन बंद करना पड़ता है।

3. गलत बिजनेस मॉडल

यदि स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल सही नहीं होता या वो मुनाफे वाला नहीं होता, तो कंपनी लंबे समय तक टिक नहीं पाती। ऐसे मॉडल जो फंडिंग के बिना खुद को सस्टेन नहीं कर सकते, अक्सर असफल हो जाते हैं।

4. कड़ी प्रतिस्पर्धा

कई स्टार्टअप्स बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिनके पास अधिक संसाधन, ग्राहक आधार और मार्केट एक्सपर्टीज होती है। इससे नई कंपनियों के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल हो जाता है।

5. प्रोडक्ट का खराब निष्पादन

कई बार प्रोडक्ट या सेवा का आईडिया अच्छा होता है, लेकिन उसे सही से डिलीवर या निष्पादित नहीं किया जाता। इससे ग्राहकों की संतुष्टि नहीं होती और स्टार्टअप की छवि खराब हो जाती है।

6. कमजोर टीम

एक स्टार्टअप की सफलता उसकी टीम पर निर्भर करती है। यदि टीम में स्किल्स की कमी हो या आपस में तालमेल न हो, तो यह कंपनी के लिए विनाशकारी हो सकता है। खराब नेतृत्व या प्रबंधन भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

7. लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल समस्याएं

कई स्टार्टअप्स के पास अपने ऑपरेशंस को ठीक से मैनेज करने की क्षमता नहीं होती, जैसे डिलीवरी में देरी, खराब सप्लाई चैन, या ग्राहकों की सही सेवा न कर पाना। इससे ग्राहक असंतुष्ट हो जाते हैं।

8. मार्केटिंग और ग्राहक अधिग्रहण की रणनीति की कमी

स्टार्टअप्स के लिए ग्राहकों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। सही मार्केटिंग रणनीति न होने के कारण वे अपने टारगेट ऑडियंस तक नहीं पहुंच पाते।

9. बाजार में बदलाव

कई बार बाजार में अचानक बदलाव आते हैं—नई टेक्नोलॉजी, सरकारी नीतियां, या बदलते ट्रेंड्स—जिससे स्टार्टअप्स अपने बिजनेस मॉडल को एडजस्ट नहीं कर पाते और असफल हो जाते हैं।

10. लीगल और रेगुलेटरी चुनौतियां

कानूनी समस्याएं या सरकारी नियमों में बदलाव भी कई बार स्टार्टअप्स के लिए बड़ी चुनौती बन जाते हैं। सही कानूनी सलाह न मिलने या रेगुलेटरी बाधाओं के चलते कई स्टार्टअप्स को बंद करना पड़ता है।

इन कारणों से यह स्पष्ट है कि स्टार्टअप की सफलता केवल एक अच्छे आइडिया पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसे सही तरह से निष्पादित करना और मार्केट की मांग के अनुसार ढलना भी जरूरी होता है।

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Zypp Electric ने $14 मिलियन जुटाए, FY24 में कुल राजस्व 300 करोड़ रुपये से अधिक

Zypp Electric

गुरुग्राम स्थित बी2बी डिलीवरी और साझा मोबिलिटी स्टार्टअप Zypp Electric ने वित्तीय वर्ष 2024 के अंत में $14 मिलियन (लगभग 115 करोड़ रुपये) की धनराशि जुटाई है। यह कंपनी की तेज़ी से बढ़ती विकास दर का परिणाम है, जो त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) और फूड डिलीवरी सेक्टर के विस्तार से प्रेरित है। Zypp Electric का राजस्व FY24 में 2.6 गुना बढ़कर 300 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

Zypp Electric कंपनी के बारे में

Zypp Electric की स्थापना 2017 में आकाश गुप्ता और राशी अग्रवाल ने की थी। यह एक इलेक्ट्रिक व्हीकल-एज-ए-सर्विस (EV-as-a-service) प्लेटफ़ॉर्म है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटर रेंटल्स और डिलीवरी सेवाओं की पेशकश करता है। कंपनी विशेष रूप से गिग वर्कर्स को अपने बेड़े के माध्यम से डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है। Zypp Electric के पास वर्तमान में लगभग 22,000 सक्रिय वाहन हैं, जिनमें से 15,000 दिल्ली एनसीआर, 4,000 बेंगलुरु, और 1,200 मुंबई में चल रहे हैं।

फंडिंग का महत्व

$14 मिलियन की यह नवीनतम फंडिंग Zypp Electric की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस धनराशि का उपयोग कंपनी अपनी टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने, नए क्षेत्रों में विस्तार करने और नए वाहनों को अपने बेड़े में जोड़ने के लिए करेगी। कंपनी की योजना है कि आने वाले वर्षों में न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने EV-as-a-service मॉडल का विस्तार किया जाए।

Zypp Electric का लक्ष्य है कि वे अपने स्कूटर बेड़े को आने वाले वर्षों में और भी बड़ा बनाएं। इससे न केवल गिग वर्कर्स के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी सेवाओं की तेज़ी से होती मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

FY24 की वित्तीय स्थिति

Zypp Electric की कुल आय FY24 में 293 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो FY23 में 109 करोड़ रुपये थी। कंपनी की वृद्धि के साथ-साथ खर्चों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। कुल खर्च FY24 में 2.6 गुना बढ़कर 394 करोड़ रुपये हो गया, जबकि FY23 में यह 152 करोड़ रुपये था। कर्मचारियों के लाभ और किराए की मरम्मत पर खर्च FY24 में क्रमशः 2.1 गुना और 3.9 गुना बढ़ गया।

कंपनी के संस्थापक

Zypp Electric के संस्थापकों, आकाश गुप्ता और राशी अग्रवाल, ने यह कंपनी एक उद्देश्य के साथ शुरू की थी कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से स्थायी और किफायती डिलीवरी सेवाएं प्रदान की जा सकें। दोनों संस्थापक भारत में ईवी अपनाने को बढ़ावा देने और पर्यावरण अनुकूल समाधानों को प्रमुखता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

फंडिंग और विस्तार

Zypp Electric द्वारा जुटाई गई $14 मिलियन की फंडिंग कंपनी की भविष्य की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस नई फंडिंग का उपयोग कंपनी के विस्तार, संचालन और अधिक वाहनों के बेड़े में किया जाएगा। इसके साथ ही, कंपनी नई तकनीकों और डिलीवरी मॉडल्स को अपनाने के लिए अपने R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में निवेश करने की योजना बना रही है।

व्यय का विवरण

कंपनी ने FY24 में 394 करोड़ रुपये का कुल व्यय दर्ज किया, जिसमें से 274 करोड़ रुपये ‘अन्य खर्चों’ के रूप में सूचीबद्ध किए गए हैं। इन खर्चों में राइडर्स को भुगतान, कानूनी शुल्क, विज्ञापन और अन्य परिचालन खर्च शामिल होने की संभावना है। Zypp Electric की संचालन लागत में तेजी से वृद्धि इसके विस्तार और डिलीवरी नेटवर्क में बढ़ोतरी का संकेत देती है।

निष्कर्ष

Zypp Electric का विकास एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एक स्टार्टअप अपनी सेवाओं को विस्तार देकर और नवीन समाधानों का उपयोग करके सफलता प्राप्त कर सकता है। $14 मिलियन की फंडिंग से कंपनी को अपने ऑपरेशंस को और मजबूत करने का मौका मिलेगा। कंपनी का फोकस न केवल सस्टेनेबल डिलीवरी सेवाओं पर है, बल्कि गिग वर्कर्स और पर्यावरण दोनों के लिए दीर्घकालिक फायदे देने पर भी है।

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Millenium Babycares ने जुटाए 122 करोड़ रुपये

Millenium Babycares

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड Millenium Babycares ने हाल ही में 122 करोड़ रुपये (लगभग 14.5 मिलियन डॉलर) की फंडिंग सफलतापूर्वक जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व भारत वैल्यू फंड ने किया, जिसे पैंटोमथ कैपिटल द्वारा प्रबंधित किया जाता है। कंपनी इस पूंजी का उपयोग अपने उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और सामान्य व्यापार और निर्यात बाजारों में अपनी उपस्थिति को सुदृढ़ करने के लिए करेगी, जैसा कि कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया।

Millenium Babycares फंडिंग से विस्तार की योजनाएं

मिलेनियम बेबीकेयर्स का उद्देश्य इस फंडिंग के माध्यम से अपने मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना है ताकि वे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकें। कंपनी ने बताया कि उनकी प्राथमिकता उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर ग्राहकों की मांग को पूरा करना और नई तकनीकियों का उपयोग कर उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना है।

कंपनी की स्थापना और इतिहास

मिलेनियम बेबीकेयर्स की स्थापना 2015 में दिपेंद्र भीमसारिया और रामप्रकाश बेरिया ने की थी। दोनों ने मिलकर बेबी केयर, फेमकेयर, और एडल्ट केयर सेगमेंट्स में विशेष रूप से काम करने वाली इस कंपनी को स्थापित किया। उनकी सोच थी कि भारत में उच्च गुणवत्ता वाले बेबी डायपर्स और अन्य देखभाल उत्पादों की कमी को पूरा किया जाए, जो न केवल भारतीय बाजार की जरूरतों को पूरा कर सके, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।

उत्पाद श्रेणियां और ब्रांड्स

मिलेनियम बेबीकेयर्स तीन प्रमुख श्रेणियों में उत्पाद प्रदान करती है:

  1. बेबी केयर – ‘बमटम’ (Bumtum) ब्रांड के तहत शिशुओं के लिए पैंट-स्टाइल डायपर्स बनाती है, जो नवजात से लेकर XXXL साइज तक उपलब्ध हैं।
  2. फेमकेयर – महिलाओं के लिए ‘फ्रीमी’ (Freeme) ब्रांड के अंतर्गत सैनिटरी नैपकिन्स का निर्माण किया जाता है।
  3. एडल्ट केयर – वयस्कों के लिए ‘एलडूरो’ (Elduro) ब्रांड के अंतर्गत इनकॉन्टिनेंस (मूत्र असंयम) उत्पाद बनाती है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन उपस्थिति

मिलेनियम बेबीकेयर्स के उत्पाद न केवल कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, बल्कि प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर भी आसानी से खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा, कंपनी अब अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में निर्यात करने की योजना बना रही है और घरेलू सामान्य व्यापार (जनरल ट्रेड) के माध्यम से भी विस्तार कर रही है।

उत्पादन क्षमता और कारखाने

कंपनी के इंदौर स्थित कारखाने में प्रतिदिन 4 मिलियन बेबी डायपर्स, 500,000 सैनिटरी नैपकिन्स, और 100,000 एडल्ट डायपर्स का उत्पादन किया जा रहा है। यह उत्पादन क्षमता दर्शाती है कि कंपनी किस तेजी से बढ़ रही है और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपने उत्पादों की मांग को पूरा कर रही है।

वित्तीय प्रदर्शन और वृद्धि दर

मिलेनियम बेबीकेयर्स ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 585 करोड़ रुपये की राजस्व कमाई की है, जो 2020 से 2024 के बीच 53% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023 के अंत तक 150 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था, जो इस बात का संकेत है कि कंपनी का प्रदर्शन निरंतर बेहतर हो रहा है।

कंपनी के संस्थापक और टीम

दिपेंद्र भीमसारिया और रामप्रकाश बेरिया इस कंपनी के सह-संस्थापक हैं, जिन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच और नवाचार के माध्यम से मिलेनियम बेबीकेयर्स को स्थापित किया। उनका उद्देश्य बेबी केयर उत्पादों के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करना और भारत में बेहतरीन गुणवत्ता वाले उत्पादों की पेशकश करना है। उनकी नेतृत्व टीम में उद्योग के विशेषज्ञ शामिल हैं जो कंपनी के निरंतर विकास और विस्तार में योगदान दे रहे हैं।

फंडिंग का महत्व

भारत वैल्यू फंड के नेतृत्व में इस फंडिंग राउंड का उद्देश्य न केवल कंपनी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है, बल्कि कंपनी के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार को भी सशक्त बनाना है। कंपनी का मानना है कि इस फंडिंग से वे अपनी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार करने के साथ-साथ नए तकनीकी नवाचार भी ला सकेंगे, जो उन्हें अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे बनाए रखेगा।

मिलेनियम बेबीकेयर्स आने वाले वर्षों में अपनी मौजूदगी को और व्यापक बनाने की योजना बना रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करके भारतीय और वैश्विक बाजारों में एक मजबूत स्थिति बनाए रखें।त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, बल्कि उन्हें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करने का भी अवसर प्रदान करेगी।

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Dealshare के Co-Founder को मिली 9.5 करोड़ की Funding

Dealshare

बेंगलुरु स्थित Sourjyendu Medda, जो सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म Dealshare के सह-संस्थापक हैं, ने स्पोर्ट्सटेक की दुनिया में कदम रखा है। उनकी नई स्टार्टअप ‘स्पोर्ट्स फॉर लाइफ’ का उद्देश्य भारत में खेल पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना और खिलाड़ियों को उनकी खेल क्षमताओं को उभारने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है। इस नई पहल का लक्ष्य देश के एथलीटों को उनके प्रदर्शन में सुधार लाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त करने में मदद करना है।

फंडिंग और निवेशक

हालांकि ‘स्पोर्ट्स फॉर लाइफ’ ने अभी तक अपनी आधिकारिक लॉन्चिंग की घोषणा नहीं की है, लेकिन बेंगलुरु स्थित इस स्टार्टअप ने शुरुआती चरण की फंडिंग हासिल की है। फंडिंग राउंड का नेतृत्व व्यक्तिगत निवेशकों और प्रारंभिक चरण के वेंचर कैपिटल फर्म रूट्स वेंचर्स ने किया है।

कंपनी की पेरेंट कंपनी जाम्बवन एकेडमी के बोर्ड ने एक विशेष प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत 3,000 सीड सीसीपीएस (कमपल्सरी कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स) जारी किए गए। इसके माध्यम से कंपनी ने कुल 9.5 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है।

इस निवेश में रूट्स वेंचर्स ने 5 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जबकि एमएल टंडन एंड सन्स एचयूएफ ने 3 करोड़ रुपये और ब्लूम वेंचर्स ने 1 करोड़ रुपये का निवेश किया। शेष राशि कुनाल शाह के क्यूईडी इनोवेशन और हिमांशु अरोड़ा द्वारा दी गई।

स्पोर्ट्स फॉर लाइफ का उद्देश्य

स्पोर्ट्स फॉर लाइफ का मुख्य उद्देश्य भारत में खेलों के क्षेत्र में निवेश करना और खिलाड़ियों को उन सभी संसाधनों से लैस करना है जो उन्हें उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक हैं। यह स्टार्टअप न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, बल्कि खिलाड़ियों के कौशल विकास, प्रशिक्षण और मानसिकता निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। सौर्ज्येंदु मेड्डा के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म खिलाड़ियों को सशक्त बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाएगा, जिससे भारतीय एथलीटों को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

संस्थापक और उनकी दृष्टि

सौर्ज्येंदु मेड्डा, जो पहले डीलशेयर के सह-संस्थापक रह चुके हैं, अब खेल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए ‘स्पोर्ट्स फॉर लाइफ’ की शुरुआत कर रहे हैं। डीलशेयर के माध्यम से उन्होंने जिस तरह से भारत में ई-कॉमर्स और सोशल कॉमर्स के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया, उसी तरह से वह खेल जगत में भी अपनी नई स्टार्टअप के माध्यम से क्रांति लाने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि खेल में निवेश करके देश के एथलीटों को सशक्त बनाया जा सकता है और इससे भारत के खेल भविष्य को एक नई दिशा मिल सकती है।

कंपनी की संरचना और फंडिंग का उपयोग

स्पोर्ट्स फॉर लाइफ की पेरेंट कंपनी जाम्बवन एकेडमी के अंतर्गत आने वाली यह नई स्टार्टअप इस फंडिंग का उपयोग देशभर में खेल प्रतिभाओं की खोज, उनके प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन मुहैया कराने के लिए करेगी। कंपनी का इरादा उच्च-स्तरीय कोचिंग, फिटनेस सुविधाओं और मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेषज्ञों की टीम तैयार करना है। साथ ही, खिलाड़ियों को आवश्यक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें खेल जगत में सफलता दिलाने में मदद की जाएगी।

फिनांशल और भविष्य की योजनाएं

स्पोर्ट्स फॉर लाइफ को मिली इस फंडिंग के बाद कंपनी अपने विकास की योजनाओं पर तेजी से काम करेगी। कंपनी का उद्देश्य एथलीटों को उत्कृष्टता के लिए आवश्यक हर संसाधन देना है, जिससे वे खेल के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर सकें। इसके अलावा, कंपनी निवेश के अन्य दौरों के माध्यम से और अधिक फंड जुटाने की योजना भी बना रही है। इससे कंपनी का विस्तार और खेल जगत में उसका प्रभाव और अधिक मजबूत होगा।

रूट्स वेंचर्स की भूमिका

रूट्स वेंचर्स, जो इस फंडिंग राउंड का प्रमुख निवेशक है, ने स्पोर्ट्स फॉर लाइफ के दृष्टिकोण और उद्देश्य में अपना विश्वास व्यक्त किया है। रूट्स वेंचर्स ने पहले भी कई स्टार्टअप्स को उनके शुरुआती चरण में समर्थन दिया है और स्पोर्ट्स फॉर लाइफ को भी अपने निवेश के माध्यम से आगे बढ़ाने में मदद करेगा। रूट्स वेंचर्स के निवेश से कंपनी को एक ठोस वित्तीय आधार मिलेगा, जिससे यह अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगी।

भारतीय खेल पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

स्पोर्ट्स फॉर लाइफ की यह पहल न केवल खिलाड़ियों के लिए, बल्कि भारत के संपूर्ण खेल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है। यह स्टार्टअप युवा और उभरते खिलाड़ियों को आवश्यक संसाधन और समर्थन प्रदान करेगा, जिससे वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें। सौर्ज्येंदु मेड्डा का मानना है कि खेल में निवेश और सही दृष्टिकोण से भारत को खेल की दुनिया में एक प्रमुख स्थान दिलाया जा सकता है।

निष्कर्ष

सौर्ज्येंदु मेड्डा द्वारा स्थापित स्पोर्ट्स फॉर लाइफ भारतीय खेल पारिस्थितिकी तंत्र को नया आयाम देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 9.5 करोड़ रुपये की फंडिंग से यह स्टार्टअप खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करेगा। अपने उद्देश्य, निवेशकों के समर्थन और संस्थापक की दृढ़ दृष्टि के साथ, स्पोर्ट्स फॉर लाइफ भारतीय खेलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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OYO Hiring , 5 प्रमुख पदों पर की नियुक्तियाँ

OYO

भारत की अग्रणी हॉस्पिटैलिटी कंपनी OYO ने हाल ही में अपने नेतृत्व दल में पांच महत्वपूर्ण नियुक्तियों की घोषणा की है। कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इन नियुक्तियों को किया है। इन नियुक्तियों से OYO के वैश्विक विस्तार और ऑपरेशनल दक्षता में और सुधार की उम्मीद है।

मुख्य नियुक्तियाँ

  1. सोनल सिन्हा को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर – इंटरनेशनल नियुक्त किया गया है, जो OYO के अंतरराष्ट्रीय संचालन को और मजबूत करेंगी।
  2. रचित श्रीवास्तव को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर – ओवोकेशन होम्स (OVH), यूरोप के रूप में नियुक्त किया गया है।
  3. शशांक जैन को हेड ऑफ टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन रेवेन्यू के रूप में पदोन्नत किया गया है, जो कंपनी के तकनीकी पहलुओं और ऑनलाइन रेवेन्यू को संभालेंगे।
  4. पंखुरी सकुजा OYO के जर्मनी में स्थित लिस्टिंग व्यवसाय ट्रॉम-फेरीएन्वोनंगन और फ्लेक्स-स्पेस बिजनेस Innov8 का नेतृत्व करेंगी।
  5. आशीष बाजपाई को हेड ऑफ रेवेन्यू एंड ग्लोबल OTA का पद सौंपा गया है, जो राजस्व वृद्धि और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों के साथ संबंधों को और मजबूत करेंगे।

वैश्विक विस्तार पर जोर

OYO ने कहा है कि ये नेतृत्व नियुक्तियाँ कंपनी की नवाचार और वैश्विक विस्तार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। OYO अब विभिन्न मूल्य बिंदुओं पर होटल और वेकेशन होम्स की एक विस्तृत श्रृंखला को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे न केवल कंपनी की बाजार में पहुंच बढ़ेगी, बल्कि इसके संचालन की दक्षता भी बेहतर होगी।

OYO का उद्देश्य है कि वह नए बाजारों में अपनी उपस्थिति को बढ़ाकर और विविधता लाकर अपने वैश्विक व्यवसाय को और मजबूत करे। यह कदम कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ाने में मदद करेगा और इसके ग्राहकों को अधिक विकल्प प्रदान करेगा।

स्टार्टअप इकोसिस्टम में OYO की भूमिका

OYO ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी के अनुसार, 60 से अधिक पूर्व OYO कर्मचारी अपनी स्टार्टअप कंपनियाँ शुरू करने में सफल हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि OYO ने न केवल अपने कर्मचारियों को विकसित किया है, बल्कि उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में भी प्रोत्साहित किया है।

नया अधिग्रहण

हाल ही में OYO ने G6 हॉस्पिटैलिटी, जो मोटेल 6 और स्टूडियो 6 का संचालन करती है, का अधिग्रहण किया है। यह अधिग्रहण 525 मिलियन डॉलर के ऑल-कैश डील के माध्यम से हुआ है। इस अधिग्रहण के साथ OYO ने अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है।

वित्तीय प्रदर्शन

OYO ने वित्त वर्ष 2024 के लिए 5,389 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया है, और 230 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है। यह प्रदर्शन पिछले वर्ष के 1,286 करोड़ रुपये के घाटे से एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है। OYO की इस वित्तीय सफलता का श्रेय इसके संचालन में सुधार और व्यवसाय विस्तार को दिया जा सकता है।

संस्थापक और कंपनी की पृष्ठभूमि

OYO की स्थापना 2013 में रितेश अग्रवाल ने की थी, और तब से यह कंपनी भारत की सबसे प्रमुख हॉस्पिटैलिटी स्टार्टअप्स में से एक बन गई है। OYO अपने अभिनव बिजनेस मॉडल के कारण तेजी से विकास कर रही है, और इसके द्वारा विभिन्न बजट कैटेगरी में होटलों और वेकेशन होम्स की पेशकश की जा रही है। कंपनी ने न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है।

विस्तार योजनाएँ और रणनीति

OYO के नेतृत्व दल में किए गए ये बदलाव कंपनी की भविष्य की रणनीतियों का हिस्सा हैं। कंपनी अपने वैश्विक विस्तार की योजनाओं को और तेजी से अमल में लाना चाहती है और नए बाजारों में प्रवेश करके अपने व्यवसाय का दायरा बढ़ाना चाहती है। इसके साथ ही, OYO तकनीकी नवाचारों के माध्यम से अपने संचालन को और प्रभावी बनाने के लिए काम कर रही है।

निष्कर्ष

OYO के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जब कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ कर रही है और वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए नए कदम उठा रही है। नए नेतृत्व दल के साथ, OYO को उम्मीद है कि वह अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान कर सकेगी और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकेगी।

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Toplyne का परिचालन बंद, निवेशकों को पूंजी लौटाने का निर्णय

Toplyne

नई दिल्ली: स्टार्टअप की दुनिया में एक बड़ा कदम लेते हुए, प्लग-एंड-प्ले प्लेटफॉर्म Toplyne ने अपने परिचालन को बंद करने और निवेशकों को पूंजी लौटाने का निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले ने उद्योग में हलचल मचा दी है, क्योंकि Toplyne ने Peak XV और Tiger Global जैसे प्रमुख निवेशकों से फंडिंग हासिल की थी। इस कदम के पीछे कंपनी की अपने विकास को एक निश्चित बिंदु से आगे नहीं बढ़ा पाने की चुनौती मुख्य कारण बताई जा रही है।

विकास की चुनौतियां और निर्णय

सूत्रों के अनुसार, हालांकि Toplyne ने प्रारंभिक चरण में उल्लेखनीय सफलता पाई, लेकिन कंपनी अपने उत्पाद के विकास और विस्तार में चुनौतियों का सामना कर रही थी। एक गुमनाम सूत्र ने बताया, “भारी फंडिंग के बावजूद, स्टार्टअप एक निश्चित स्तर से आगे स्केल नहीं कर पाया, जिसके कारण संस्थापक टीम ने परिचालन बंद करने और शेष पूंजी को निवेशकों को वापस करने का कठिन निर्णय लिया।”

कंपनी का परिचय

Toplyne एक प्लग-एंड-प्ले प्लेटफॉर्म है जो प्रोडक्ट-लेड ग्रोथ वाली कंपनियों में बिक्री टीमों को फ्रीमियम उपयोगकर्ताओं के बीच रूपांतरण दर बढ़ाने में मदद करता था। यह स्टार्टअप विभिन्न कंपनियों के उत्पादों में सीधे एकीकृत होकर उपयोगकर्ताओं के डेटा से कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता था, जिससे वे संभावित लीड्स को भुगतान करने वाले ग्राहकों में बदलने में सक्षम होते थे। Toplyne की स्थापना ऋषेन कपूर, रुचिन कुलकर्णी, और रोहित खन्ना ने की थी, और यह स्टार्टअप लगभग साढ़े तीन साल से परिचालन कर रहा था।

संस्थापकों का बयान

Toplyne के सह-संस्थापक ऋषेन कपूर ने अपने LinkedIn पोस्ट में कहा, “साढ़े तीन साल तक Toplyne का निर्माण करने के बाद, हमने परिचालन बंद करने और अपने निवेशकों को पूंजी लौटाने का कठिन निर्णय लिया है। हमारी पूरी कोशिशों के बावजूद, हम उस स्केल या प्रोडक्ट-मार्केट फिट को हासिल नहीं कर सके, जिसकी हमें उम्मीद थी।” इस बयान से स्पष्ट है कि संस्थापक टीम ने स्थिति का मूल्यांकन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि कंपनी को आगे बढ़ाना अब व्यावहारिक नहीं था।

फंडिंग और निवेशक

Toplyne ने अपनी यात्रा के दौरान Peak XV और Tiger Global जैसे प्रसिद्ध निवेशकों से फंडिंग जुटाई थी। इन निवेशकों का कंपनी पर भरोसा और फंडिंग स्टार्टअप को अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सहायता करने के लिए थी। लेकिन बावजूद इसके, कंपनी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाई, जहां से यह एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय के रूप में आगे बढ़ सके। अब, निवेशकों को शेष पूंजी वापस करने का निर्णय Toplyne के निवेशकों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

व्यापार मॉडल और प्रोडक्ट मार्केट फिट की कमी

Toplyne का बिजनेस मॉडल प्रोडक्ट-लेड ग्रोथ वाली कंपनियों के लिए उपयोगकर्ता डेटा से मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने पर केंद्रित था। हालांकि, जैसा कि कपूर ने बताया, कंपनी उस बाजार में प्रवेश नहीं कर सकी जो उनके उत्पाद के लिए उपयुक्त हो। प्रोडक्ट मार्केट फिट की कमी के कारण कंपनी की वृद्धि रुक गई और उन्हें यह कठिन फैसला लेना पड़ा।

विकास के लिए प्रयास और असफलता

Toplyne ने अपने तीन सालों के सफर में कई विकासात्मक प्रयास किए। कंपनी ने अपने उत्पाद को बेहतर बनाने और इसे अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई। हालांकि, इनमें से कई प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके। कंपनी ने बाजार में जो अंतर देखा था, वह उतना बड़ा नहीं था जितना उन्होंने सोचा था। इसके चलते उनके प्रोडक्ट-मार्केट फिट में कमी रही।

कर्मचारियों और बाजार पर प्रभाव

Toplyne के बंद होने का प्रभाव केवल निवेशकों पर ही नहीं, बल्कि कंपनी के कर्मचारियों और पूरे बाजार पर भी पड़ेगा। कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी, जिन्होंने कंपनी के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अब नई नौकरियों की तलाश करेंगे। इसके अलावा, Toplyne के बंद होने से भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में भी एक संदेश जाएगा कि सही प्रोडक्ट-मार्केट फिट और विकास रणनीति न होने पर बड़ी फंडिंग भी स्टार्टअप को सफल नहीं बना सकती।

भविष्य की योजनाएं

हालांकि Toplyne के बंद होने से कंपनी का सफर समाप्त हो गया है, लेकिन इसके संस्थापक और निवेशक भविष्य में नई संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ऋषेन कपूर, रुचिन कुलकर्णी, और रोहित खन्ना ने स्टार्टअप की दुनिया में जो अनुभव और ज्ञान हासिल किया है, वह उन्हें भविष्य में नई चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा। वहीं, निवेशक भी नई संभावनाओं की तलाश करेंगे, जो भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में नई ऊर्जा और नवाचार लाएगी।

निष्कर्ष

Toplyne का बंद होना यह दर्शाता है कि स्टार्टअप की सफलता केवल फंडिंग पर निर्भर नहीं होती, बल्कि सही प्रोडक्ट-मार्केट फिट और प्रभावी स्केलिंग रणनीति पर भी आधारित होती है। तीन वर्षों के प्रयासों और चुनौतियों के बावजूद, संस्थापकों ने निवेशकों को पूंजी वापस करने का निर्णय लिया है, जो उनकी नैतिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता को दर्शाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संस्थापक और निवेशक भविष्य में किन नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करेंगे।

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Servify  की राजस्व में 23.6% की वृद्धि, घाटे में 59% की कमी

Servify

भारत की प्रमुख पोस्ट-सेल्स सर्विस फर्म, सर्विफाई (Servify), ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में अपने राजस्व में मजबूत वृद्धि दर्ज की है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) के मुकाबले FY24 में 23.6% की राजस्व वृद्धि हासिल की है। इसके साथ ही कंपनी ने अपने घाटे में 59% की कमी भी की है, जो इसके संचालन और रणनीतिक कदमों में सुधार का संकेत देती है।

राजस्व और वित्तीय प्रदर्शन

Servify के संचालन से होने वाला राजस्व FY24 में 755 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि FY23 में यह 611 करोड़ रुपये था। इस अवधि में कंपनी ने अपने घाटे को 59% तक घटा दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी न केवल अपने व्यवसाय में विस्तार कर रही है, बल्कि अपने घाटे को भी नियंत्रित करने में सफल हो रही है।

सेवा का दायरा

सर्विफाई मोबाइल डिवाइस, गैजेट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों के लिए ब्रांड-अधिकृत आफ्टर-सेल्स सपोर्ट प्रदान करती है। कंपनी का प्रमुख उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को उनके उपकरणों के खरीद बिलों को संग्रहीत करने और वारंटी के दौरान और बाद में आधिकारिक सेवाओं तक पहुंचने की सुविधा देना है। इस सुविधा ने सर्विफाई को बाजार में एक मजबूत पकड़ दिलाने में मदद की है।

प्रमुख राजस्व स्रोत

सर्विफाई के राजस्व का 87.8% हिस्सा व्हाइट-लेबल्ड प्रोटेक्शन प्लान्स से आता है, जो मोबाइल ऐप्स और वेब पोर्टल्स के माध्यम से बेचे जाते हैं। FY24 में इस श्रेणी से होने वाला राजस्व 19.2% बढ़कर 663 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसके अलावा, मोबाइल हैंडसेट और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री से होने वाली आय में भी 66% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 91 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

सेवा की विशेषताएँ

सर्विफाई ब्रांडों के साथ मिलकर उनके उपकरणों के लिए आफ्टर-सेल्स सर्विसेज प्रदान करता है। यह उपयोगकर्ताओं को उनके उपकरणों के लिए वारंटी योजनाओं, स्पेयर पार्ट्स, और मरम्मत सेवाओं तक पहुंचने की अनुमति देता है। सर्विफाई की सेवा में उपयोगकर्ताओं को अपने डिवाइस के सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जैसे खरीद बिल को डिजिटल रूप से संग्रहीत करने का विकल्प भी मिलता है, जिससे वह वारंटी और मरम्मत सेवाओं का आसानी से लाभ उठा सकते हैं।

कंपनी का विस्तार और विकास

सर्विफाई ने अपने व्हाइट-लेबल्ड प्रोटेक्शन प्लान्स और मोबाइल पार्ट्स के साथ-साथ अन्य उत्पादों की बिक्री के जरिए मजबूत वृद्धि दर्ज की है। इसके अलावा, कंपनी ने अपने घाटे में भी कमी की है, जो यह दर्शाता है कि कंपनी अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार की दिशा में कदम उठा रही है।

संस्थापक और नेतृत्व टीम

सर्विफाई की स्थापना सौरभ च्रिंगलकर ने की थी, जो वर्तमान में कंपनी के सीईओ भी हैं। सौरभ के नेतृत्व में, कंपनी ने आफ्टर-सेल्स सेवा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है और अपनी सेवाओं का विस्तार किया है। सौरभ का अनुभव और रणनीतिक दृष्टिकोण कंपनी की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

वित्तीय संरचना और भविष्य की योजनाएं

FY24 के वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, कंपनी की वित्तीय संरचना में सकारात्मक सुधार देखा गया है। घाटे में कमी और राजस्व में वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि कंपनी वित्तीय स्थिरता की ओर बढ़ रही है। कंपनी भविष्य में अपने उत्पाद और सेवा पोर्टफोलियो को और अधिक विस्तार देने की योजना बना रही है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों के क्षेत्र में।

सर्विफाई की स्थिरता

सर्विफाई का स्थिर वित्तीय प्रदर्शन और मजबूत सेवाओं का पोर्टफोलियो इसे भारतीय आफ्टर-सेल्स सेवा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाता है। इसके व्हाइट-लेबल्ड प्रोटेक्शन प्लान्स और मोबाइल पार्ट्स की बिक्री ने कंपनी को एक स्थिर वित्तीय स्थिति में ला दिया है। इसके साथ ही, कंपनी ने अपने ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे उसे बाजार में एक मजबूत प्रतिष्ठा मिली है।

निष्कर्ष

सर्विफाई ने FY24 में अपने वित्तीय प्रदर्शन में काफी सुधार किया है, जो इसके राजस्व में 23.6% की वृद्धि और घाटे में 59% की कमी से स्पष्ट होता है। कंपनी का उद्देश्य अपने आफ्टर-सेल्स सेवा पोर्टफोलियो को और विस्तार देना और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है। इसके संस्थापक सौरभ च्रिंगलकर के नेतृत्व में, कंपनी ने एक मजबूत व्यवसायिक ढांचा तैयार किया है और अपने भविष्य के लक्ष्यों की ओर मजबूती से बढ़ रही है।

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The Good Glamm Group ने Sirona Hygiene को 450 करोड़ रुपये में किया अधिग्रहित

Sirona Hygiene

सिरोना हाइजीन का परिचय
The Good Glamm Group ने हाल ही में एक बड़ी डील के तहत Sirona Hygiene का अधिग्रहण 450 करोड़ रुपये (लगभग 60 मिलियन डॉलर) में किया है। यह अधिग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह भारत में डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) सेक्टर में सबसे बड़ी नकद डील में से एक है, खासकर महिलाओं की स्वास्थ्य और स्वच्छता (फेमटेक) से जुड़े क्षेत्र में। सिरोना की स्थापना 2015 में दीप बजाज और मोहित बजाज द्वारा की गई थी। यह कंपनी महिलाओं की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नवाचारी उत्पाद बनाती है, जैसे PeeBuddy, हर्बल पीरियड पेन पैच, मेंस्ट्रुअल कप, और एंटी-चैफिंग रैश क्रीम।

संस्थापकों की भूमिका और इस्तीफे
इस अधिग्रहण के बाद, सिरोना के सह-संस्थापक दीप बजाज और मोहित बजाज ने अपने सक्रिय पदों से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले इस साल की शुरुआत में ही उन्होंने सक्रिय भूमिकाओं से हटने का निर्णय लिया था और अब वे डायरेक्टर के पद से भी इस्तीफा दे चुके हैं। यह अधिग्रहण सिरोना के कर्मचारियों के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है, क्योंकि उनके एस्क्लेटेड ESOP (कर्मचारियों के शेयर स्वामित्व योजना) वेस्टिंग के तहत पहले से आर्थिक लाभ मिला है।

अधिग्रहण की चुनौतियां और कानूनी विवाद
हालांकि इस अधिग्रहण के साथ कुछ विवाद भी जुड़े हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिरोना के सह-संस्थापकों के साथ-साथ The Moms Co और Indian Angel Network (IAN) ने The Good Glamm Group के खिलाफ कानूनी नोटिस दायर किया है। उनका आरोप है कि कंपनी ने अधिग्रहण से संबंधित अंतिम भुगतान समय पर नहीं किया। इस मामले में क्या परिणाम होगा, यह अभी देखा जाना बाकी है।

सिरोना का विकास और उत्पाद
सिरोना महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों—जैसे किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक—के लिए विशेष उत्पाद प्रदान करता है। कंपनी ने कई नवाचारी और महिलाओं की दैनिक समस्याओं का समाधान करने वाले उत्पादों को बाजार में उतारा है। इनमें सबसे प्रमुख हैं PeeBuddy, जो महिलाओं को खड़े होकर पेशाब करने की सुविधा देता है, हर्बल पीरियड पेन पैच, जो पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करते हैं, मेंस्ट्रुअल कप, पीरियड स्टेन रिमूवर्स, और सैनिटरी डिस्पोजल बैग। सिरोना के उत्पादों ने महिलाओं के स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

The Good Glamm Group के अधिग्रहण की रणनीति
The Good Glamm Group, जो कंटेंट-टू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, ने सिरोना को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करके अपने फेमटेक सेगमेंट को और मजबूत किया है। इस अधिग्रहण के साथ कंपनी का उद्देश्य महिलाओं की स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित समाधान को व्यापक बनाना है। कंपनी पहले से ही महिलाओं के लिए विभिन्न श्रेणियों में प्रोडक्ट्स और सेवाएं प्रदान कर रही है, और सिरोना के अधिग्रहण से वह अपनी पहुंच और प्रभाव को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाएं
यह अधिग्रहण The Good Glamm Group की वित्तीय ताकत को भी दर्शाता है, जो हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। सिरोना की टीम को इस अधिग्रहण से काफी वित्तीय लाभ मिला है, खासकर एस्क्लेटेड ESOP वेस्टिंग के माध्यम से। इसके साथ ही, कंपनी अब महिला-स्वास्थ्य और स्वच्छता उत्पादों में और अधिक नवाचार लाने की योजना बना रही है।

सिरोना के कर्मचारियों के लिए अवसर
अधिग्रहण के साथ सिरोना के कर्मचारियों को तेजी से आर्थिक लाभ मिला है। ESOP के तहत उन्हें अपने शेयर पहले से वेस्ट करने का अवसर मिला, जिससे उन्हें वित्तीय लाभ भी मिला। यह अधिग्रहण कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, खासकर एक ऐसे समय में जब स्टार्टअप्स में एक्सिट और वित्तीय लाभ हमेशा आसान नहीं होता।

फेमटेक में सिरोना का योगदान
सिरोना ने भारत के फेमटेक स्पेस में अपनी पहचान बनाई है। कंपनी के नवाचारी उत्पाद, जैसे PeeBuddy और हर्बल पीरियड पेन पैच, ने महिलाओं की स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े मुद्दों का समाधान करने में अहम भूमिका निभाई है। कंपनी के उत्पाद भारत में लाखों महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं, और The Good Glamm Group के साथ जुड़ने के बाद इसका प्रभाव और भी बढ़ेगा।

निष्कर्ष
इस अधिग्रहण से The Good Glamm Group को महिला स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े फेमटेक स्पेस में अपने प्रभाव को और बढ़ाने का अवसर मिलेगा। सिरोना के उत्पादों के साथ, कंपनी महिलाओं के लिए और अधिक नवाचारी समाधान लाने की दिशा में काम करेगी।

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