Razorpay का सिंगापुर विस्तार: साउथईस्ट एशिया में बढ़ते डिजिटल पेमेंट मार्केट पर नजर

Razorpay

🔹 Southeast Asia में Razorpay की अगली बड़ी छलांग

भारत की अग्रणी फिनटेक कंपनी Razorpay ने सिंगापुर में अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। यह Razorpay का दूसरा साउथईस्ट एशियाई (SEA) बाजार है, जहां वह मलेशिया के बाद कदम रख रहा है।

💡 साउथईस्ट एशिया के डिजिटल पेमेंट मार्केट की ग्रोथ तेजी से बढ़ रही है। एक स्टडी के मुताबिक, यह बाजार 2030 तक $2 ट्रिलियन (₹165 लाख करोड़) से ज्यादा का हो सकता है।

🌍 सिंगापुर में Razorpay की एंट्री क्यों महत्वपूर्ण है?

सिंगापुर एक बड़ा फाइनेंशियल हब है, लेकिन वहां क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजैक्शन फीस काफी अधिक (4-6%) है। इसके अलावा, पेमेंट सिस्टम काफी फ्रैगमेंटेड (बिखरा हुआ) है।

Razorpay की खासियत:

  • AI-पावर्ड डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस 🧠💰
  • मल्टी-करंसी ट्रांजैक्शन और रियल-टाइम पेमेंट्स
  • क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजैक्शन में लागत कम करने वाले समाधान

💡 इन सेवाओं से सिंगापुर में लोकल बिज़नेस को फायदा होगा, क्योंकि वे कम लागत में ग्लोबल ट्रांजैक्शन कर पाएंगे।


🚀 Razorpay के एडवांस AI-पावर्ड टूल्स

1️⃣ Agentic-AI टूलकिट 🧠

Razorpay का Agentic-AI टूलकिट बिजनेस ट्रांजैक्शन और फाइनेंशियल ऑपरेशन्स को ऑटोमेट करता है।

2️⃣ RAY – AI-कॉन्सियर्ज 🤖

RAY, एक AI-पावर्ड डिजिटल असिस्टेंट है, जो पेमेंट, पेरोल, फ्रॉड डिटेक्शन और अन्य फाइनेंशियल ऑपरेशन्स को मैनेज करता है।

3️⃣ Magic Checkout ⚡

Magic Checkout एक वन-क्लिक पेमेंट सिस्टम है, जिससे बिज़नेस कन्वर्ज़न रेट को बढ़ा सकते हैं और ग्राहकों के लिए तेज़ और स्मूथ पेमेंट एक्सपीरियंस दे सकते हैं।

Razorpay की यह एडवांस AI टेक्नोलॉजी बिज़नेस के लिए पेमेंट प्रोसेस को आसान और सुरक्षित बनाएगी।


📌 SEA मार्केट में Razorpay की रणनीति

सिंगापुर में सफलता सुनिश्चित करने के लिए Razorpay बैंकों, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और रेगुलेटर्स के साथ कोलैबोरेशन करेगा।

🔹 Razorpay SEA Head अंगद धिन्डसा ने कहा कि “सस्ते और तेज़ इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन की ज़रूरत SEA मार्केट में तेजी से बढ़ रही है। Razorpay इस डिमांड को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

🔹 कंपनी के को-फाउंडर शशांक कुमार का कहना है कि “AI-पावर्ड सॉल्यूशंस लोकल बिज़नेस को ग्लोबल लेवल पर ग्रो करने में मदद करेंगे।”


🌎 SEA में Razorpay की ग्रोथ स्ट्रेटजी

Razorpay ने SEA में अपनी ग्रोथ को और मजबूत करने के लिए पहले ही मलेशिया में Curlec का अधिग्रहण कर लिया था।

Curlec के साथ Razorpay ने मलेशिया में शानदार परफॉर्म किया है और अब वही मॉडल सिंगापुर में अपनाने की योजना है।

🔹 SEA में Razorpay की प्रतिस्पर्धा PayPal, Stripe और स्थानीय पेमेंट गेटवे कंपनियों जैसे GrabPay और PayNow से होगी। लेकिन Razorpay की AI-पावर्ड सॉल्यूशंस और कम लागत वाली क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजैक्शन सेवा इसे एक अनोखा एडवांटेज देते हैं।


🚀 Razorpay के SEA विस्तार का भारत पर प्रभाव?

🔹 Razorpay की ग्लोबल एक्सपेंशन स्ट्रेटजी यह दर्शाती है कि भारतीय फिनटेक कंपनियां अब इंटरनेशनल लेवल पर मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
🔹 भारत में UPI पेमेंट्स और डिजिटल ट्रांजैक्शन का बढ़ता दायरा Razorpay जैसे स्टार्टअप को ग्लोबल टेक इनोवेशन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है।
🔹 SEA में Razorpay की ग्रोथ से भारत में फिनटेक कंपनियों के लिए नए बिज़नेस मॉडल और इंटरनेशनल एक्सपेंशन के अवसर खुलेंगे।


🔮 भविष्य में Razorpay की योजनाएं

💡 आने वाले महीनों में Razorpay:
✅ अन्य SEA देशों जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम में भी एंट्री कर सकता है।
Cryptocurrency और Web3 पेमेंट्स को शामिल कर सकता है।
✅ और अधिक AI-पावर्ड फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लॉन्च कर सकता है।


🔚 निष्कर्ष: Razorpay की SEA विस्तार यात्रा

📌 Razorpay का सिंगापुर में प्रवेश केवल एक शुरुआत है। कंपनी धीरे-धीरे SEA में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है और भारत के बाहर एक ग्लोबल ब्रांड बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

📌 अगर Razorpay अपनी लो-कॉस्ट, AI-पावर्ड पेमेंट टेक्नोलॉजी के साथ SEA बाजार में मजबूती से टिकता है, तो यह PayPal और Stripe जैसी दिग्गज कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकता है।

📢 आपके विचार?
💬 क्या Razorpay SEA मार्केट में PayPal और Stripe को चुनौती दे पाएगा? हमें कमेंट में बताएं! ⬇️

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MSME लेंडर Indifi Technologies ने FY24 में 60% की ग्रोथ दर्ज की,

Indifi Technologies

🚀 MSME लेंडिंग स्टार्टअप Indifi Technologies ने वित्त वर्ष 2024 (FY24) में 60% से अधिक सालाना वृद्धि दर्ज की। यह सफलता उसके पिछले शानदार वित्त वर्ष (FY23) के बाद आई है, जब कंपनी ने अपनी स्केल को दोगुना कर लिया था और लाभदायक बन गई थी।


📈 Indifi Technologies की FY24 में शानदार ग्रोथ

📊 Indifi Technologies की ऑपरेशनल रेवेन्यू FY24 में ₹317 करोड़ पहुंच गई, जो FY23 में ₹198 करोड़ थी।

📌 Indifi छोटे और मध्यम व्यवसायों (MSMEs) को लोन प्रदान करता है, विशेष रूप से उन सेक्टर्स में जहां पारंपरिक बैंकों से लोन प्राप्त करना मुश्किल होता है।

💡 इसके लोन प्रमुख रूप से ट्रैवल, होटल, ई-कॉमर्स, रेस्टोरेंट, ट्रेडिंग और रिटेल सेक्टर के छोटे व्यापारियों के लिए होते हैं।

📌 Indifi की खासियत:
1,00,000+ लोन वितरित किए
80+ वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी
400+ शहरों में कारोबार का विस्तार


💰 Indifi की कमाई के प्रमुख स्रोत

Indifi की कमाई मुख्य रूप से तीन स्रोतों से होती है:

1️⃣ लोन प्रोसेसिंग फीस – जो कंपनी उधारकर्ताओं से वसूलती है
2️⃣ लेंडर्स से सर्विस फीस – लोन डिस्बर्सल, सर्विसिंग और कलेक्शन जैसी सेवाओं के लिए
3️⃣ ब्याज और अन्य स्रोतों से कमाई – FY24 में इससे ₹24 करोड़ की कमाई हुई

📊 कुल मिलाकर, Indifi का FY24 में कुल राजस्व ₹341 करोड़ रहा, जो FY23 में ₹213 करोड़ था।


💸 Indifi की लागत और प्रमुख खर्च

Indifi ने बैंकों और NBFCs के साथ को-लेंडिंग पार्टनरशिप की है, जिसके कारण ब्याज लागत कंपनी के लिए सबसे बड़ा खर्च बन गई।

📌 ब्याज खर्च:

  • FY24 में ₹107 करोड़ (FY23 में ₹66 करोड़)
  • कुल खर्च का 32% हिस्सा

📌 कर्मचारी वेतन और लाभ:

  • FY24 में 28.6% बढ़कर ₹72 करोड़ हो गया

📌 खराब कर्ज (Bad Debt) की लागत:

  • 2.1X बढ़कर ₹45 करोड़ हो गई

📌 कुल खर्च:

  • FY24 में ₹335 करोड़ तक पहुंच गया (FY23 में ₹203 करोड़)
  • इसमें विज्ञापन, कानूनी खर्च, IT और अन्य ओवरहेड्स शामिल हैं

📉 मुनाफे में गिरावट, लेकिन स्थिर विकास

Indifi की आय भले ही तेजी से बढ़ी हो, लेकिन बढ़ती लागत और खराब कर्ज की वजह से कंपनी का मुनाफा घट गया।

📊 कंपनी का शुद्ध लाभ FY24 में ₹2.7 करोड़ रहा, जो FY23 में ₹5.1 करोड़ था।

📌 प्रति रुपये खर्च: Indifi ने हर ₹1 कमाने के लिए ₹1.06 खर्च किए

📌 कुल एसेट्स:

  • FY24 के अंत तक ₹1,169 करोड़
  • ₹232 करोड़ नकद और बैंक बैलेंस में

💡 फंडिंग और निवेशक

Indifi अब तक $80 मिलियन (₹665 करोड़) से अधिक की फंडिंग जुटा चुका है।

💰 Series E राउंड:

  • $35 मिलियन जुटाए
  • ICICI Venture के नेतृत्व में
  • मौजूदा निवेशकों की भी भागीदारी

📊 TheKredible के अनुसार, Indifi के प्रमुख निवेशक:
CDC Group (सबसे बड़ा बाहरी निवेशक)
Accel
Omidyar Network


🔍 Indifi Technologies: फाइनेंशियल ट्रेंड्स और बिजनेस मॉडल

1️⃣ Indifi की ऑपरेशनल स्ट्रेटजी

Indifi का मुख्य उद्देश्य छोटे और मध्यम व्यवसायों (MSME) को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, खासकर उन व्यापारियों को जो पारंपरिक बैंकों से लोन प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं।

Indifi की रणनीति:
पार्टनरशिप मॉडल: Indifi बैंकों और NBFCs के साथ मिलकर MSMEs को फंडिंग प्रदान करता है।
डेटा-ड्रिवन अप्रोच: कंपनी उधारकर्ताओं के लिए वैकल्पिक क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल का उपयोग करती है, जिससे पारंपरिक क्रेडिट हिस्ट्री की कमी वाले व्यापारियों को लोन मिल सके।
तेज लोन प्रोसेसिंग: डिजिटल प्लेटफॉर्म और AI-ड्रिवन अंडरराइटिंग के जरिए Indifi MSMEs को तेजी से लोन अप्रूवल और डिस्बर्सल की सुविधा देता है।

💡 Indifi का यह मॉडल MSME सेक्टर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि छोटे व्यापारियों को आसानी से बिना ज्यादा दस्तावेजी प्रक्रिया के लोन मिल जाता है।


📊 2️⃣ वित्तीय प्रदर्शन और ग्रोथ ट्रेंड्स

FY24 बनाम FY23 का तुलनात्मक विश्लेषण:

वित्तीय मेट्रिक्सFY24FY23ग्रोथ (%)
ऑपरेशनल रेवेन्यू₹317 करोड़₹198 करोड़60%+ 📈
कुल रेवेन्यू₹341 करोड़₹213 करोड़60.1% 📊
ब्याज खर्च₹107 करोड़₹66 करोड़62.1% 🔺
एम्प्लॉयी कॉस्ट₹72 करोड़₹56 करोड़28.6% 🚀
खराब कर्ज (Bad Debt)₹45 करोड़₹21 करोड़2.1X बढ़त 😬
कुल खर्च₹335 करोड़₹203 करोड़65%+ 🔼
शुद्ध लाभ (Net Profit)₹2.7 करोड़₹5.1 करोड़-47%
प्रति रुपये खर्च₹1.06₹1.03बढ़ा ❗

🔹 Revenue Growth: FY24 में Indifi ने 60% की ग्रोथ दर्ज की, जो MSME फाइनेंसिंग सेक्टर में इसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
🔹 Profitability Concern: हालांकि कंपनी का मुनाफा घटकर ₹2.7 करोड़ रह गया, जो बढ़ती ब्याज लागत और खराब कर्ज के कारण हुआ।

💰 फंडिंग और बैलेंस शीट:

  • ₹1,169 करोड़ की कुल एसेट्स
  • ₹232 करोड़ कैश और बैंक बैलेंस

🏦 3️⃣ Indifi की मार्केट पोजिशन और प्रतियोगिता

MSME लेंडिंग सेक्टर में अब कई बड़े खिलाड़ी आ चुके हैं, जिनसे Indifi को प्रतिस्पर्धा मिल रही है। कुछ प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं:

प्रतियोगीस्पेशलाइजेशनIndifi से अंतर
Lendingkartडिजिटल MSME लोनIndifi से तेज प्रोसेसिंग लेकिन महंगे लोन
NeoGrowthPOS मशीन आधारित लोनट्रेडर्स और रिटेलर्स के लिए खास
FlexiLoansशॉर्ट-टर्म लोनतेजी से बढ़ता स्टार्टअप
Rupeek, KreditBeeगोल्ड लोन और कंज्यूमर लोनMSME पर नहीं फोकस करता

Indifi का एडवांटेज:

  • फिनटेक NBFCs और बैंकों के साथ गहरी साझेदारी
  • डेटा-ड्रिवन लेंडिंग मॉडल
  • विभिन्न MSME सेगमेंट में व्यापक कवरेज

📉 चुनौतियां:

  • लोन डिफॉल्ट (Bad Debt) बढ़ने का खतरा
  • ब्याज लागत में वृद्धि
  • बैंकों और बड़े NBFCs से बढ़ती प्रतिस्पर्धा

🚀 4️⃣ भविष्य की योजनाएं और ग्रोथ पोटेंशियल

Indifi Technologies को FY25 और आगे के लिए कुछ प्रमुख रणनीतियों पर काम करना होगा:

1. डिजिटल लेंडिंग मॉडल को और मजबूत बनाना

  • AI और मशीन लर्निंग का उपयोग कर फास्ट अप्रूवल सिस्टम
  • अधिक सटीक क्रेडिट रेटिंग मॉडल

2. नए सेक्टर में विस्तार

  • मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन बिजनेस को अधिक लोन उपलब्ध कराना
  • ई-कॉमर्स और लोकल ट्रेडिंग बिजनेस के लिए स्पेशल लोन प्रोडक्ट

3. को-लेंडिंग और पार्टनरशिप का विस्तार

  • बैंकों के साथ अधिक गहरे स्तर पर साझेदारी
  • नए NBFCs और फिनटेक स्टार्टअप्स के साथ कोलैबोरेशन

4. फंडिंग और बैलेंस शीट को मजबूत करना

  • नए फंडिंग राउंड की प्लानिंग
  • लागत कटौती और बैड डेब्ट कंट्रोल पर ध्यान देना

📢 निष्कर्ष: Indifi Technologies का भविष्य क्या है?

Indifi ने MSME लेंडिंग में एक मजबूत ब्रांड बना लिया है और FY24 में शानदार ग्रोथ दिखाई है।
हालांकि, बढ़ती लागत और बढ़ते बैड डेब्ट के कारण कंपनी को अपने मुनाफे में गिरावट देखनी पड़ी।
अगर Indifi नई तकनीक, फंडिंग और पार्टनरशिप पर ध्यान देता है, तो यह MSME लेंडिंग इंडस्ट्री में बड़ी सफलता हासिल कर सकता है। 🚀

📌 क्या Indifi अगले कुछ वर्षों में Lendingkart और NeoGrowth जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा!

💬 आपका क्या सोचना है Indifi Technologies की ग्रोथ को लेकर? हमें कमेंट में बताएं! ⬇️

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Phot.AI ने $2.7 मिलियन की सीड फंडिंग जुटाई

Phot.AI

🚀 AI-पावर्ड क्रिएटिव ऑटोमेशन प्लेटफॉर्म Phot.AI ने $2.7 मिलियन (लगभग ₹22 करोड़) की सीड फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Info Edge Ventures ने किया, जिसमें Together Fund और AC Ventures ने भी भाग लिया।

📢 इस फंडिंग राउंड में 50 से अधिक एंजेल इन्वेस्टर्स ने भी निवेश किया, जिनमें Shiprocket के साहिल गोयल और अक्षय गुलाटी, Bella Vita के आकाश आनंद, Bewakoof के प्रभकिरण सिंह, Tribe Capital के विशेष खुराना और राज स्नेहिल, और Fashinza के पवन गुप्ता शामिल हैं।

👉 Phot.AI इस फंडिंग का उपयोग अपनी टीम को बढ़ाने, R&D में निवेश करने और अपने बहुप्रतीक्षित AI कोपायलट को लॉन्च करने के लिए करेगा।


📸 Phot.AI: एक इनोवेटिव AI-ड्रिवन प्लेटफॉर्म

🔍 Phot.AI की स्थापना 2023 में वीनस धुरिया, अनीश रायंचा, और अक्षित राजा द्वारा की गई थी। ये तीनों इससे पहले AppyHigh का निर्माण कर चुके हैं, जो एक ऐप पब्लिशिंग स्टूडियो है, जिसके 700 मिलियन से अधिक डाउनलोड हैं और 100 से अधिक स्टार्टअप्स में इनकी सीड इन्वेस्टमेंट है।

📌 Phot.AI मुख्य रूप से ई-कॉमर्स, ब्रांड्स और रिटेल सेक्टर के लिए क्रिएटिव डिज़ाइन और मार्केटप्लेस लिस्टिंग को ऑटोमेट करता है।

💡 इसका AI-संचालित सिस्टम लगातार यह सीखता है कि किस तरह के डिज़ाइन विभिन्न प्रोडक्ट कैटेगरीज और मार्केटप्लेस के लिए सबसे बेहतर काम करते हैं।


⚡ Phot.AI: कैसे बदलेगा यह ई-कॉमर्स की दुनिया?

📢 आज के समय में ई-कॉमर्स ब्रांड्स को लगातार नए विजुअल्स की जरूरत होती है – प्रोडक्ट लिस्टिंग, विज्ञापन, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स के लिए।

🔹 Phot.AI का AI-ड्रिवन ऑटोमेशन सॉल्यूशन
✅ मैनुअल डिजाइनिंग और लिस्टिंग के प्रयास को 80% तक कम करता है
✅ ब्रांड्स के गो-टू-मार्केट टाइम को तेज करता है
A/B टेस्टिंग की मदद से कन्वर्ज़न रेट को 40% तक बढ़ाता है
✅ Amazon, Google Ads और अन्य मार्केटप्लेस के नियमों और गाइडलाइन्स के अनुरूप डिज़ाइन तैयार करता है

📌 इससे ब्रांड्स को अधिक प्रभावी मार्केटिंग और बिक्री में बढ़त मिलेगी।


🚀 Phot.AI के प्रमुख प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी

🎨 Phot.AI ने एक AI कोर इंजन विकसित किया है, जो ऑटोमेटेड डिज़ाइन और फोटोग्राफी के लिए अत्याधुनिक फीचर्स प्रदान करता है।

25+ एडवांस्ड फोटो एडिटिंग टूल्स
एक डिज़ाइन स्टूडियो, जिसमें इंटीग्रेटेड ऐप स्टोर शामिल है
जनरेटिव AI का उपयोग करके इमेज एन्हांसमेंट और बैच प्रोसेसिंग
AI-पावर्ड फोटो एडिटिंग APIs, जो 25+ बिजनेस पहले से उपयोग कर रहे हैं

📌 Phot.AI का मुख्य उद्देश्य ब्रांड्स और ई-कॉमर्स कंपनियों को तेज़, कुशल और सटीक डिज़ाइनिंग समाधान प्रदान करना है।


📊 Phot.AI की ग्रोथ और भविष्य की संभावनाएं

📈 Phot.AI पहले ही 3 मिलियन से अधिक साइन-अप्स प्राप्त कर चुका है, वो भी अपने प्री-लॉन्च फेज़ में।
📢 इसकी मजबूत ग्राहक मांग दर्शाती है कि AI-ड्रिवन डिज़ाइन ऑटोमेशन टूल्स के लिए एक विशाल बाजार मौजूद है।

💰 इस फंडिंग से Phot.AI अपनी टेक्नोलॉजी को और एडवांस करेगा और नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लॉन्च करेगा।
🌍 कंपनी भारत और वैश्विक बाजारों में विस्तार करने की योजना बना रही है।

📌 AI और ऑटोमेशन का उपयोग करके, Phot.AI ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।


🔮 क्या Phot.AI AI-ड्रिवन डिज़ाइनिंग का भविष्य है?

🚀 AI आधारित डिज़ाइन और ऑटोमेशन टूल्स का बढ़ता उपयोग यह संकेत देता है कि Phot.AI एक गेम-चेंजर बन सकता है।

इंवेस्टर्स का विश्वास और शुरुआती यूज़र्स की मजबूत दिलचस्पी Phot.AI के उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करती है।
AI-पावर्ड फोटो एडिटिंग और ऑटोमेशन सॉल्यूशंस ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के लिए एक नई दिशा तय कर सकते हैं।

📢 अगर Phot.AI अपनी इनोवेशन रणनीति को सही तरीके से लागू करता है, तो यह AI-ड्रिवन डिज़ाइनिंग और मार्केटप्लेस लिस्टिंग का भविष्य बन सकता है! 🚀

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Gravity Holdings के लॉन्च के साथ निवेश जगत में रोहन मिश्रा की मजबूत एंट्री

Gravity Holdings

SoftBank Vision Fund के पूर्व CEO राजीव मिश्रा के बेटे रोहन मिश्रा ने Gravity Holdings नामक अपना नया निवेश फंड लॉन्च कर दिया है। Yale यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट रोहन ने इस फंड के लिए मुख्य रूप से प्रमुख भारतीय फैमिली ऑफिसेज और टेक इंडस्ट्री के दिग्गजों से पूंजी जुटाई है।

🚀 बीते कुछ महीनों में, रोहन मिश्रा ने कई स्टार्टअप फाउंडर्स और बिजनेस लीडर्स के साथ मुलाकात की है, जिससे यह साफ़ संकेत मिलता है कि वह निवेश की दुनिया में अपनी मजबूत पहचान बनाना चाहते हैं।


🎯 पहला बड़ा निवेश: SaaS यूनिकॉर्न Darwinbox में ग्रेविटी होल्डिंग्स की एंट्री

बुधवार को Gravity Holdings ने अपना पहला बड़ा निवेश किया, और वह SaaS यूनिकॉर्न में हुआ।

💡 गौर करने वाली बात यह है कि रोहन मिश्रा इससे पहले TCV (Technology Crossover Ventures) में काम कर चुके हैं—जो पहले से ही Darwinbox में निवेश कर चुका था। इस निवेश से यह साफ होता है कि रोहन एक रणनीतिक और सतत निवेश दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान दे रहे हैं।

Darwinbox क्या करता है?
✅ यह एक HR टेक स्टार्टअप है जो क्लाउड-आधारित ह्यूमन कैपिटल मैनेजमेंट (HCM) सॉल्यूशंस प्रदान करता है।
✅ इसकी सेवाओं में एम्प्लॉयी एंगेजमेंट, भर्ती, पेरोल, टैलेंट मैनेजमेंट और एनालिटिक्स शामिल हैं।
✅ इसने हाल ही में AI-पावर्ड HR प्रोडक्ट्स लॉन्च किए हैं, जिससे यह अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल रहा है।

📊 Darwinbox की मजबूत ग्रोथ और Microsoft जैसी बड़ी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है।


🌍 Gravity Holdings ग्लोबल फाइनेंस में राजीव मिश्रा की बढ़ती पकड़

💰 SoftBank के पूर्व Vision Fund हेड और Gravity Holdings के संस्थापक रोहन मिश्रा के पिता, राजीव मिश्रा, आज भी फाइनेंस की दुनिया में प्रभावशाली बने हुए हैं।

🔹 उन्होंने One Investment Management (OneIM) नामक अपनी फर्म बनाई है, जो विभिन्न बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रही है।
🔹 OneIM वर्तमान में Shapoorji Group में $3.3 बिलियन (₹27,400 करोड़) का निवेश करने की बातचीत में है।

OneIM के प्रमुख निवेशक कौन हैं?

🚀 OneIM के पास फंडिंग के लिए कुछ बेहद मजबूत और प्रभावशाली बैकर्स हैं:
शेख तहनून बिन जायद अल नाहयान का Royal Group
UAE का सॉवरेन वेल्थ फंड Mubadala Investment Co.

📌 यह स्पष्ट है कि राजीव मिश्रा का ग्लोबल फाइनेंशियल इकोसिस्टम में प्रभाव कम नहीं हुआ है। SoftBank Vision Fund छोड़ने के बाद भी, वह बड़ी डील्स करने में व्यस्त हैं।


🤔 ग्रेविटी होल्डिंग्स की रणनीति: स्टार्टअप इकोसिस्टम में नया खिलाड़ी?

अब सवाल यह उठता है कि Gravity Holdings किन स्टार्टअप्स में निवेश करेगा?

💡 रोहन मिश्रा मुख्य रूप से इन सेक्टर्स पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं:
✔️ सॉफ्टवेयर-एज़-ए-सर्विस (SaaS) – Darwinbox के निवेश से यह स्पष्ट हो जाता है।
✔️ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) – भविष्य की ग्रोथ को देखते हुए यह एक संभावित क्षेत्र हो सकता है।
✔️ फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग – भारत में डिजिटल भुगतान और फिनटेक स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं।


📉 फंडिंग विंटर के बावजूद क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?

🚨 मौजूदा समय में फंडिंग विंटर की स्थिति बनी हुई है, यानी स्टार्टअप्स के लिए पूंजी जुटाना पहले जितना आसान नहीं रहा।

❄️ लेकिन इसके बावजूद, Gravity Holdings का निवेश स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक पॉजिटिव संकेत है।

🔹 बड़े निवेशक अब भी सही स्टार्टअप्स में पूंजी लगाने को तैयार हैं, बशर्ते उनके पास एक मजबूत बिजनेस मॉडल और स्केलेबल प्रोडक्ट हो।
🔹 SaaS सेक्टर में अभी भी निवेशकों की दिलचस्पी बनी हुई है, और Darwinbox जैसी कंपनियों को इसका लाभ मिल रहा है।

📌 इसलिए, Gravity Holdings का Darwinbox में निवेश न केवल इस HR टेक स्टार्टअप के लिए बल्कि पूरे इंडस्ट्री के लिए एक सकारात्मक सिग्नल है।


🔮 निष्कर्ष: क्या रोहन मिश्रा बनेंगे निवेश की दुनिया का अगला बड़ा नाम?

रोहन मिश्रा के लिए निवेश जगत में यह एक मजबूत एंट्री है।
Gravity Holdings का पहला निवेश ही एक SaaS यूनिकॉर्न में हुआ है, जिससे उनकी समझदारी और रणनीतिक सोच का पता चलता है।
उनके पिता, राजीव मिश्रा, पहले ही बड़े फाइनेंशियल डील्स में माहिर हैं, जिससे उन्हें गाइडेंस मिल सकता है।

💡 हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में Gravity Holdings किन सेक्टर्स और स्टार्टअप्स में निवेश करता है।

🚀 अगर रोहन मिश्रा सही रणनीति अपनाते हैं, तो वह जल्द ही भारत के टॉप इन्वेस्टर्स की लिस्ट में अपनी जगह बना सकते हैं।

Read more :Darwinbox ने Partners Group और KKR ने जुटाए $140 मिलियन

Darwinbox ने Partners Group और KKR ने जुटाए $140 मिलियन

Darwinbox

Hyderabad स्थित HR टेक प्लेटफॉर्म Darwinbox ने Partners Group और KKR के नेतृत्व में $140 मिलियन (₹1,162 करोड़) का नया फंडिंग राउंड पूरा किया है। इस निवेश दौर में Gravity Holdings ने भी भाग लिया।

कंपनी इस फंडिंग का उपयोग रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में निवेश करने और अपने वैश्विक विस्तार को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए करेगी।


🚀 Darwinbox: HR टेक में ग्लोबल इनोवेशन लाने वाली कंपनी

📌 Darwinbox क्या करता है?

Darwinbox एक क्लाउड-आधारित HR टेक प्लेटफॉर्म है जो कंपनियों को भर्ती (Recruitment), पेरोल (Payroll), एम्प्लॉयी एंगेजमेंट (Employee Engagement), टैलेंट मैनेजमेंट (Talent Management), और पीपल एनालिटिक्स (People Analytics) जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।

2015 में Jayant Paleti, Rohit Chennamaneni और Chaitanya Peddi द्वारा स्थापित, Darwinbox ने बीते कुछ वर्षों में HR टेक स्पेस में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।


📈 Microsoft के साथ पार्टनरशिप और Southeast Asia में विस्तार

💡 Darwinbox ने पिछले साल Microsoft के साथ साझेदारी की थी, जिससे उसका HCM (Human Capital Management) प्लेटफॉर्म Microsoft के टूल्स के साथ इंटीग्रेट हो सके। इस साझेदारी का उद्देश्य एम्प्लॉयी एक्सपीरियंस को बेहतर बनाना था।

🌏 Darwinbox ने Southeast Asia और Middle East में तेजी से विस्तार किया है।

👉 मौजूदगी वाले देश:
इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड
सऊदी अरब (Saudi Arabia), UAE, और अमेरिका (US) में भी ऑफिस खोले

📊 Darwinbox की मुख्य आय Southeast Asia और भारत से आती है।


🤖 AI-पावर्ड HR सॉल्यूशंस में इनोवेशन

🚀 Darwinbox AI-पावर्ड HR प्रोडक्ट सुइट लॉन्च कर चुका है, जिसमें HR प्रोफेशनल्स के लिए टैलेंट एक्विजिशन (Talent Acquisition), डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और अन्य क्षेत्रों में सहायता करने वाले AI-बेस्ड एजेंट्स शामिल हैं।

✅ इस AI इंटीग्रेशन का उद्देश्य HR प्रोसेसेस को ऑटोमेट और स्मार्ट बनाना है, जिससे एम्प्लॉयी एंगेजमेंट और टैलेंट मैनेजमेंट में सुधार हो।


📊 अब तक जुटाई गई फंडिंग और यूनिकॉर्न स्टेटस

Darwinbox ने अब तक $255 मिलियन (₹2,117 करोड़) से अधिक की फंडिंग जुटाई है।

🔹 जनवरी 2022 में $72 मिलियन जुटाकर यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुआ।
🔹 ताजा $140 मिलियन राउंड से कंपनी की मार्केट वैल्यू और मजबूत होगी।

💰 इस नई फंडिंग से Darwinbox को अपने AI-पावर्ड HR सॉल्यूशंस को और अधिक एडवांस बनाने और इंटरनेशनल मार्केट में विस्तार करने में मदद मिलेगी।


📉 FY24 में बढ़ा घाटा, लेकिन राजस्व में भी उछाल

Darwinbox का वित्त वर्ष 2024 (FY24) का फाइनेंशियल परफॉर्मेंस निम्नलिखित रहा:

📊 ऑपरेटिंग रेवेन्यू: ₹392.95 करोड़
📉 कुल खर्च: ₹584.15 करोड़
नेट लॉस: ₹191.82 करोड़

⚠️ हालांकि, घाटा बढ़ा है, लेकिन यह निवेश कंपनी को भविष्य में अधिक ग्रोथ के लिए तैयार करेगा।


🛠️ Darwinbox का नेतृत्व और नई घोषणाएं

अगस्त 2024 में Darwinbox ने अपने CTO Vineet Singh को को-फाउंडर के रूप में पदोन्नत किया।
यह कंपनी की टेक्नोलॉजी स्ट्रेंथ को दर्शाता है और भविष्य में और अधिक नवाचारों की ओर इशारा करता है।


📌 निष्कर्ष: क्या Darwinbox ग्लोबल HR टेक मार्केट में बड़ा खिलाड़ी बनेगा?

Darwinbox भारतीय और अंतरराष्ट्रीय HR टेक इंडस्ट्री में तेजी से उभरता हुआ स्टार्टअप है।
Microsoft जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी और AI-पावर्ड सॉल्यूशंस इसे प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाते हैं।
$140 मिलियन की नई फंडिंग से कंपनी को इनोवेशन और ग्लोबल विस्तार में मदद मिलेगी।

💡 हालांकि, बढ़ते घाटे पर कंट्रोल और रेवेन्यू बढ़ाना Darwinbox के लिए बड़ी चुनौती बनी रहेगी। लेकिन अगर कंपनी अपनी रणनीति को सही दिशा में ले जाती है, तो यह ग्लोबल HR टेक सेक्टर में एक बड़ा नाम बन सकती है। 🚀

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M2P Fintech को FY24 में हुआ झटका, 13.4% revenue declined

M2P Fintech

फिनटेक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टार्टअप M2P Fintech को FY24 में ग्रोथ हासिल करने में संघर्ष करना पड़ा, जबकि FY23 में कंपनी का स्केल दोगुना से अधिक बढ़ा था। वित्त वर्ष 2024 (अप्रैल 2023-मार्च 2024) के दौरान कंपनी की ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 13.4% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि घाटा लगभग समान स्तर पर बना रहा।


📉M2P Fintech रेवेन्यू में गिरावट, घाटा बरकरार

M2P Fintech का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में घटकर ₹382 करोड़ रह गया, जो कि FY23 में ₹441 करोड़ था।

कंपनी API इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करती है, जिससे बिज़नेस अपने खुद के ब्रांडेड फाइनेंशियल सर्विसेज ऑफर कर सकते हैं। यह फिनटेक कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर रेगुलेटरी कंप्लायंस सुनिश्चित करता है।

🚀 M2P Fintech का संचालन 30 से अधिक देशों में फैला है, जिसमें एशिया पैसिफिक, MENA (मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका), और ओशिनिया क्षेत्र शामिल हैं।

📊 घटता निर्यात, API आधारित मॉडल से आय

हालांकि कंपनी का संचालन 30 अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैला है, लेकिन इसका निर्यात से होने वाला राजस्व मात्र ₹4.6 करोड़ रहा, जो कि FY23 में ₹19.3 करोड़ था।
⚠️ इसमें 76.2% की भारी गिरावट आई है।

M2P Fintech विभिन्न स्रोतों से रेवेन्यू उत्पन्न करता है, जिनमें शामिल हैं:
✔️ API उपयोग शुल्क
✔️ कार्ड इश्यू और मैनेजमेंट फीस
✔️ प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन फीस
✔️ बैंकिंग पार्टनरशिप से कमीशन
✔️ क्रॉस-बॉर्डर फॉरेक्स सेवाएं


💸 खर्च में कटौती के बावजूद घाटा बरकरार

1️⃣ सबसे बड़ा खर्च: कर्मचारी लाभ (47.5% कुल खर्च का हिस्सा)

FY24 में M2P Fintech का सबसे बड़ा खर्च कर्मचारी लाभ रहा, जो कि ₹251 करोड़ था, FY23 की तुलना में 33.5% अधिक।
👉 इसमें ₹36 करोड़ का नॉन-कैश ESOP खर्च शामिल था।

2️⃣ टेक्नोलॉजी और क्लाउड सर्विस पर खर्च घटाया

FY24 में कंपनी ने टेक्नोलॉजी, क्लाउड सर्विसेज और को-ब्रांडिंग पर खर्च में 56.4% की कटौती की, जिससे यह ₹160 करोड़ रह गया।

3️⃣ अन्य खर्चों में कमी

कंपनी ने कानूनी, विज्ञापन, यात्रा और अन्य खर्चों में कटौती की, जिससे कुल व्यय ₹528 करोड़ हुआ, जो कि FY23 की तुलना में 15.2% कम था।


📉 यूनिट इकोनॉमिक्स और घाटे का आकलन

FY24 में, कंपनी ने हर ₹1 कमाने के लिए ₹1.38 खर्च किया, जो कि स्टार्टअप के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

💰 कंपनी का कुल घाटा ₹134 करोड़ रहा, जो कि FY23 के बराबर ही था।
💡 हालांकि, खर्चों में कटौती से कंपनी को बड़ा घाटा झेलने से बचने में मदद मिली।


🚀 भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

✅ ग्रोथ के लिए नई रणनीतियां ज़रूरी

1️⃣ बाजारों का विस्तार: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में वृद्धि की रणनीति को मजबूत करना आवश्यक होगा।
2️⃣ नए रेवेन्यू स्रोत: API सेवाओं के अलावा, SaaS आधारित नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स पर फोकस करना होगा।
3️⃣ खर्चों को और नियंत्रित करना: ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाकर लागत घटाने की जरूरत होगी।

⚠️ M2P के लिए मुख्य चुनौतियां

✔️ बढ़ती प्रतिस्पर्धा: Razorpay, Juspay, और Zeta जैसे खिलाड़ियों से मुकाबला करना होगा।
✔️ नियमों का पालन: फिनटेक सेक्टर में बढ़ती रेगुलेटरी सख्ती के कारण नया निवेश और ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
✔️ लॉन्ग-टर्म प्रॉफिटेबिलिटी: कंपनी को अपने घाटे को कम करके प्रॉफिटेबिलिटी की ओर बढ़ना होगा।


📌 निष्कर्ष: क्या M2P Fintech की स्थिति सुधरेगी?

M2P Fintech भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक मजबूत फिनटेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता बना हुआ है।
API-बेस्ड बिजनेस मॉडल से इसे स्थिर आय मिलती है, लेकिन FY24 में इसकी ग्रोथ में गिरावट आई।
हालांकि, कंपनी ने लागत को नियंत्रण में रखकर घाटे को स्थिर किया है।

👉 अगर M2P Fintech अपनी ग्रोथ रणनीति को सही दिशा में आगे बढ़ाता है और नई तकनीकों को अपनाता है, तो यह फिनटेक सेक्टर में अपनी मजबूती बनाए रख सकता है। 🚀

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Windo ने ₹54.2 करोड़ जुटाए,

Windo

ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों को ऑनलाइन बिक्री के लिए सक्षम बनाने वाले WINDO ने अपने Series A फंडिंग राउंड में ₹54.2 करोड़ (लगभग $6.45 मिलियन) जुटाए हैं।

कंपनी के निदेशक मंडल ने एक विशेष प्रस्ताव पारित कर 4,928 Series A अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय प्रेफरेंस शेयर्स (CCPS) को ₹1,10,124 प्रति शेयर की कीमत पर जारी करने का निर्णय लिया।

🚀 WINDO किसने किया निवेश?

इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Sorin Investment Fund ने किया, जो कि KKR India के पूर्व CEO संजय नायर द्वारा स्थापित एक शुरुआती चरण की वेंचर कैपिटल फर्म है। इस फंड ने ₹27.56 करोड़ का निवेश किया।

इसके अलावा, अन्य प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं:
🔹 JAFCO Asia – ₹12.53 करोड़
🔹 Athera Ventures – ₹8.35 करोड़
🔹 Unicorn Ventures और कुछ व्यक्तिगत निवेशकों ने भी निवेश किया, जिनमें शामिल हैं:

  • साई किरण मुरली
  • सुमित जैन
  • छाया साहनी
  • श्रीकृष्णन गणेशन
  • जयंत प्रसाद पलेटी

📈 Windo का विस्तार और फंडिंग का उपयोग

कंपनी ने कहा कि यह नई फंडिंग का उपयोग ग्रोथ और विस्तार के लिए करेगी। इस फंडिंग के बाद Windo का कुल मूल्यांकन ₹245 करोड़ (लगभग $29 मिलियन) होगा।

WINDO की स्थापना राकेश वद्दादी और सिलस रेड्डी ने की थी। यह प्लेटफॉर्म इन्फ्लुएंसर्स, सोलोप्रेन्योर्स (एकल उद्यमियों) और छोटे एवं मध्यम आकार के व्यवसायों को कुछ ही मिनटों में ऑनलाइन स्टोर लॉन्च करने में मदद करता है। Windo एक आसान और यूजर-फ्रेंडली ऐप प्रदान करता है, जिसमें मार्केटिंग टूल्स, मोबाइल रिस्पॉन्सिवनेस और अन्य ई-कॉमर्स सुविधाएं शामिल हैं।


💰 Windo की पिछली फंडिंग और वित्तीय स्थिति

Windo इससे पहले भी Seed और Pre-Series A फंडिंग राउंड में कुल $2 मिलियन (लगभग ₹16.5 करोड़) जुटा चुका है।
🔹 Seed फंडिंग: जून 2021
🔹 Pre-Series A फंडिंग: जुलाई 2022

हालांकि, कंपनी अभी भी अपने रेवेन्यू मॉडल को मजबूत करने की प्रक्रिया में है।
📊 FY24 में Windo का कुल राजस्व ₹20.4 लाख था, जबकि इसे ₹2.8 करोड़ का घाटा हुआ।
📊 FY23 में यह पूरी तरह प्री-रेवेन्यू स्टेज में था।


💡 Windo कैसे बदल रहा है ई-कॉमर्स का परिदृश्य?

आज के डिजिटल युग में, छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत उद्यमियों के लिए ऑनलाइन स्टोर बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यही वजह है कि Windo का मॉडल इतना लोकप्रिय हो रहा है।

🔹 कोई भी व्यक्ति या छोटा व्यवसाय बिना कोडिंग या तकनीकी ज्ञान के आसानी से अपना ऑनलाइन स्टोर लॉन्च कर सकता है।
🔹 Windo अपने प्लेटफॉर्म पर इन्फ्लुएंसर्स और छोटे व्यवसायों के लिए विशेष मार्केटिंग टूल्स भी प्रदान करता है।
🔹 प्लेटफॉर्म पूरी तरह मोबाइल-फ्रेंडली है, जिससे सेलर्स आसानी से अपने स्टोर को मैनेज कर सकते हैं।

क्या Windo Shopify और Dukaan जैसे प्लेटफॉर्म्स को टक्कर दे सकता है?
👉 Windo का मुख्य फोकस उन माइक्रो-उद्यमियों और सोलोप्रेन्योर्स पर है, जो बिना बड़ी लागत के अपना डिजिटल स्टोर लॉन्च करना चाहते हैं। यह इसे Shopify और Dukaan से अलग बनाता है।


📊 भारतीय ई-कॉमर्स और Windo के लिए संभावनाएं

भारत में ई-कॉमर्स मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और 2025 तक यह $120 बिलियन से अधिक का हो सकता है। लेकिन इसमें मुख्य रूप से अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अन्य बड़े खिलाड़ी हावी हैं।

छोटे व्यवसायों के लिए एक अलग प्लेटफॉर्म की जरूरत थी, और यही कारण है कि Windo जैसी कंपनियां बाजार में जगह बना रही हैं।

🚀 Windo के लिए आगे की संभावनाएं:

✔️ अधिक सेलर्स को प्लेटफॉर्म पर जोड़ना
✔️ अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार करना
✔️ इन्फ्लुएंसर और सोशल कॉमर्स पर फोकस बढ़ाना
✔️ नए इनोवेटिव फीचर्स लॉन्च करना


📌 नतीजा: क्या Windo एक बड़ा गेम चेंजर बन सकता है?

✔️ Windo छोटे व्यवसायों और इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक बेहतरीन डिजिटल समाधान प्रदान कर रहा है।
✔️ इसका यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस और आसान सेटअप इसे नए उद्यमियों के लिए आकर्षक बनाता है।
✔️ फंडिंग के बाद, कंपनी के पास विस्तार और ग्रोथ के नए अवसर होंगे।

👉 अगर Windo सही रणनीति अपनाता है, तो यह भारतीय ई-कॉमर्स इकोसिस्टम में एक बड़ा बदलाव ला सकता है! 🚀🔥

Read more :A Junior VC (AJVC) ने किया ₹100 करोड़ के फंड का क्लोजर,

A Junior VC (AJVC) ने किया ₹100 करोड़ के फंड का क्लोजर,

AJVC

A Junior VC (ajvc), जिसे अविरल भटनागर ने स्थापित किया है, ने अपना पहला ₹100 करोड़ का फंड सफलतापूर्वक क्लोज़ कर लिया है। इस फंड का उद्देश्य भारत में प्री-सीड स्टार्टअप्स को सपोर्ट करना और नए इनोवेटिव बिजनेस आइडियाज को फंडिंग देना है।

💡 क्या है AJVC और इसका मकसद?

ajvc भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में प्री-सीड इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए बना है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) और कंज्यूमर टेक्नोलॉजी जैसे नए और उभरते हुए सेक्टर्स में निवेश करेगा।

AJVC की रणनीति है कि यह हर साल 12-15 प्री-सीड स्टार्टअप्स में निवेश करेगा। फंड के माध्यम से, AJVC उन नए उद्यमियों को समर्थन देगा जो अपने स्टार्टअप्स को शुरूआती स्तर पर मजबूत बनाना चाहते हैं।


🚀 AJVC का फंडिंग मॉडल और निवेश रणनीति

🔹 AJVC स्टार्टअप्स में ₹1.5 करोड़ की फंडिंग देगा और 9% इक्विटी हिस्सेदारी लेगा।
🔹 अभी तक, इस फर्म ने B2B, AI, कंज्यूमर ब्रांड्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर में नौ स्टार्टअप्स में निवेश किया है।
🔹 खास बात यह है कि इन स्टार्टअप्स में कुछ असम और झारखंड जैसे राज्यों से भी हैं, जो नए उद्यमियों के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।


📈 AJVC का सफर: वेंचर हाईवे से इंडिपेंडेंट फंड तक

अविरल भटनागर इससे पहले वेंचर हाईवे (Venture Highway) में एक इन्वेस्टर थे, जो स्टार्टअप्स में शुरुआती निवेश के लिए जाना जाता है। लेकिन जब जून 2024 में वेंचर हाईवे को सिलिकॉन वैली की इन्वेस्टमेंट फर्म General Catalyst ने अधिग्रहण किया, तो भटनागर ने अपना खुद का फंड शुरू करने का फैसला किया।

उनका मानना है कि भारत में प्री-सीड स्टार्टअप्स को सही समय पर फंडिंग नहीं मिल पाती, जिससे कई अच्छे बिजनेस आइडियाज मर जाते हैं। AJVC इसी गैप को भरने की कोशिश कर रहा है।


💰 कौन हैं AJVC के निवेशक?

AJVC का फंड मुख्य रूप से भारतीय निवेशकों और घरेलू पूंजी (domestic capital) से जुटाया गया है। इसमें शामिल हैं:

भारतीय टेक यूनिकॉर्न्स के संस्थापक
प्रमुख इन्वेस्टमेंट फर्म्स के वरिष्ठ अधिकारी
भारतीय फैमिली ऑफिसेस

इसका मतलब है कि यह फंड विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं है, बल्कि भारत में ही ग्रोथ के नए अवसर तलाश रहा है।


🌍 AJVC भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में कैसे बदलाव ला सकता है?

1️⃣ नए क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा

AJVC केवल पारंपरिक टेक हब (जैसे बेंगलुरु और गुरुग्राम) में नहीं बल्कि असम, झारखंड और अन्य छोटे राज्यों में भी निवेश कर रहा है। इससे भारत के छोटे शहरों में भी स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।

2️⃣ इनोवेटिव सेक्टर्स पर फोकस

AJVC खासतौर पर AI, SaaS और कंज्यूमर टेक में निवेश कर रहा है। ये वो सेक्टर्स हैं, जो अगले 5-10 सालों में भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाले हैं।

3️⃣ भारतीय इन्वेस्टर्स पर फोकस

कई भारतीय स्टार्टअप विदेशी निवेशकों पर निर्भर होते हैं। लेकिन AJVC भारतीय पूंजी (domestic capital) से ही स्टार्टअप्स को फंडिंग दे रहा है, जिससे भारतीय इन्वेस्टमेंट इकोसिस्टम और मजबूत होगा।


🔍 भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम और प्री-सीड फंडिंग की जरूरत

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है और लगातार बढ़ रहा है। लेकिन अधिकतर स्टार्टअप्स शुरुआती फंडिंग की कमी से जूझते हैं।

📊 भारत में प्री-सीड और सीड फंडिंग स्टेज में करीब 70% स्टार्टअप्स विफल हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें सही समय पर फंडिंग नहीं मिलती।

AJVC जैसे फंड इस अंतर को भर सकते हैं और नए स्टार्टअप्स को ग्रोथ का सही मौका दे सकते हैं।


🚀 AJVC और भारतीय स्टार्टअप्स का भविष्य

🎯 AJVC की संभावनाएं:

✔️ नए और उभरते हुए उद्यमियों को सपोर्ट कर सकता है।
✔️ AI और SaaS स्टार्टअप्स में गेम चेंजर साबित हो सकता है।
✔️ भारत के छोटे शहरों और राज्यों में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दे सकता है।

🚧 चुनौतियां:

बड़ी इन्वेस्टमेंट फर्म्स के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होगा।
प्री-सीड स्टार्टअप्स में जोखिम ज्यादा होता है, इसलिए सही निवेश रणनीति अपनानी होगी।
SaaS और AI सेक्टर में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, जिससे इंडियन स्टार्टअप्स को खुद को साबित करना होगा।


📌 नतीजा: क्या AJVC भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फायदेमंद साबित होगा?

✔️ AJVC का ₹100 करोड़ का फंड प्री-सीड स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा अवसर है।
✔️ यह छोटे शहरों और नए क्षेत्रों में निवेश कर भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को और मजबूत कर सकता है।
✔️ अगर कंपनी सही रणनीति अपनाती है, तो यह भारत में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। 🚀🔥

👉 क्या AJVC भारत के अगले यूनिकॉर्न्स को जन्म देगा? यह देखना दिलचस्प होगा!

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91Trucks को मिलेगा ₹30-35 करोड़ का नया निवेश,

91Trucks

भारत में कमर्शियल व्हीकल लिस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रहा 91trucks जल्द ही ₹30-35 करोड़ ($3.5-4 मिलियन) का नया फंडिंग राउंड जुटाने के लिए तैयार है।

सूत्रों के अनुसार, Arkam Ventures इस निवेश दौर का नेतृत्व कर रहा है, और कुछ मौजूदा निवेशकों के भी इसमें शामिल होने की संभावना है।

“डील की शर्तें लगभग तय हो चुकी हैं और आधिकारिक घोषणा जल्द ही होने की उम्मीद है,” एक सूत्र ने जानकारी दी।


🚛 91trucks: कमर्शियल व्हीकल्स के लिए ऑल-इन-वन प्लेटफॉर्म

📌 91trucks की स्थापना 2022 में अभिषेक गौतम, सिद्धार्थ शर्मा और विकास शर्मा ने की थी।
📍 यह एक गुरुग्राम स्थित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो ट्रकों, बसों और थ्री-व्हीलर्स के लिए रीव्यू, स्पेसिफिकेशन और ग्राहक रेटिंग उपलब्ध कराता है।
📍 यह प्लेटफॉर्म यूजर्स को बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे वे अपने व्यवसाय के लिए सही कमर्शियल वाहन खरीद सकें।
📍 91Trucks ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स, डीलर्स, बैंकों और NBFCs के साथ मिलकर IT सॉल्यूशंस और फाइनेंसिंग विकल्प भी प्रदान करता है।


💰 91Trucks का पिछला फंडिंग इतिहास

🔹 मई 2024: कंपनी ने Titan Capital, Atrium Angels और Sparrow Capital से सीड फंडिंग जुटाई थी।
🔹 हालांकि, 91Trucks ने इस निवेश की सार्वजनिक घोषणा नहीं की थी।
🔹 ताजा निवेश के बाद, कंपनी का वैल्यूएशन $15-20 मिलियन (₹125-165 करोड़) तक पहुंच सकता है।


📢 91Trucks के नए फंडिंग राउंड से इंडस्ट्री को क्या मिलेगा?

91Trucks का यह नया फंडिंग राउंड भारतीय कमर्शियल व्हीकल मार्केट में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को गति देगा।
यह न केवल कंपनी की वृद्धि में सहायक होगा, बल्कि ट्रक खरीदने और बेचने के पूरे तरीके को बदल सकता है। आइए, जानते हैं कि यह निवेश कैसे बाजार में नए बदलाव लाएगा।


🚀 फंडिंग से 91Trucks को कैसे फायदा होगा?

नए निवेश के बाद, 91Trucks निम्नलिखित क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है:

1️⃣ टेक्नोलॉजी और प्लेटफॉर्म अपग्रेड

✅ 91Trucks अपने प्लेटफॉर्म में AI और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई टेक्नोलॉजी जोड़ सकता है।
✅ इससे ट्रक खरीदारों और विक्रेताओं को बेहतर एक्सपीरियंस मिलेगा और उनकी जरूरत के हिसाब से बेस्ट ऑप्शन चुनना आसान होगा।

2️⃣ डीलर और OEM पार्टनरशिप बढ़ाना

✅ कंपनी ट्रक डीलर्स, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) और NBFCs के साथ मजबूत संबंध बना सकती है।
✅ इससे वाहन फाइनेंसिंग और ऑन-स्पॉट लोन अप्रूवल जैसी सुविधाएं भी बेहतर होंगी।

3️⃣ विस्तार और मार्केटिंग

✅ नए फंडिंग का इस्तेमाल कर 91Trucks नए शहरों में अपने ऑपरेशन को बढ़ा सकता है।
✅ कंपनी ज्यादा से ज्यादा ट्रांसपोर्टर्स, फ्लीट ओनर्स और छोटे व्यवसायों तक पहुंच बना सकती है।
नई मार्केटिंग रणनीतियों से ब्रांड अवेयरनेस को भी बढ़ाया जा सकता है।


📈 भारतीय कमर्शियल व्हीकल मार्केट की मौजूदा स्थिति

🚚 ट्रक और कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री क्यों बढ़ रही है?

ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के विस्तार से ट्रकों की मांग बढ़ रही है।
इलेक्ट्रिक और CNG ट्रकों की तरफ शिफ्ट – सरकार के नए नियमों और बढ़ते ईंधन खर्च के चलते लोग इलेक्ट्रिक और CNG व्हीकल्स की ओर बढ़ रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ज्यादा फोकस – कंपनियां डिजिटल सॉल्यूशंस को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे खरीदारों और विक्रेताओं के लिए प्रोसेस आसान हो।

📊 भारत का ट्रकिंग सेक्टर $150 बिलियन (₹12 लाख करोड़) से ज्यादा का है, और अगले 5 सालों में इसमें 12-15% की ग्रोथ का अनुमान है।


🔍 91Trucks की तुलना अन्य प्लेटफॉर्म्स से

91Trucks का मुकाबला भारत में मौजूद अन्य ऑटोमोबाइल-फोकस्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से होगा। आइए, इसकी तुलना कुछ प्रमुख कंपनियों से करें:

प्लेटफॉर्मफोकस एरियाबिजनेस मॉडलखासियत
91Trucksकमर्शियल वाहन (ट्रक, बस, थ्री-व्हीलर)B2B और B2Cट्रकों की खरीद, बिक्री, फाइनेंसिंग और IT समाधान
CarDekhoपैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल्सB2Cनई और पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री, लोन और बीमा
Droomऑटोमोबाइल ई-कॉमर्सB2Cइस्तेमाल की गई गाड़ियों और EVs की लिस्टिंग
OLX Autoसेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्रीC2Cयूजर-टू-यूजर सेलिंग प्लेटफॉर्म

📌 91Trucks उन बिजनेस ओनर्स और ट्रांसपोर्टर्स के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो कमर्शियल व्हीकल खरीदने या फाइनेंस करवाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अपनाना चाहते हैं।


🔮 भविष्य में क्या हो सकता है?

🎯 संभावनाएं:

✔️ भारत में नंबर 1 B2B ट्रकिंग प्लेटफॉर्म बनने का मौका
✔️ EV ट्रकिंग मार्केट में बड़ा खिलाड़ी बनने की संभावना
✔️ डेटा ड्रिवन लॉजिस्टिक्स और फाइनेंसिंग सॉल्यूशंस लाने का अवसर

🚧 चुनौतियां:

मजबूत प्रतियोगिता (CarDekho, Droom, OLX Auto)
छोटे ट्रांसपोर्टर्स को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में लाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है
EV ट्रकों और फाइनेंसिंग को लेकर नीतियों में बदलाव का असर


💡 क्या 91Trucks भारतीय ट्रकिंग इंडस्ट्री को बदल सकता है?

🔹 भारतीय लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री तेजी से डिजिटल हो रही है।
🔹 91Trucks का यह फंडिंग राउंड इस बदलाव को और तेज कर सकता है।
🔹 सही रणनीति के साथ, 91Trucks कमर्शियल व्हीकल मार्केट के लिए वही कर सकता है, जो CarDekho और OLX ने पैसेंजर कार मार्केट के लिए किया।

💰 अगर कंपनी अपनी टेक्नोलॉजी को मजबूत करती है, ज्यादा डीलर्स और पार्टनर्स जोड़ती है और मार्केटिंग पर फोकस करती है, तो यह अगले कुछ सालों में भारत का सबसे बड़ा B2B कमर्शियल व्हीकल प्लेटफॉर्म बन सकता है। 🚛🚀

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Ola Electric ने 1,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की,

ola electric

Ola Electric की 1,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी ने पूरे इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर में हलचल मचा दी है। यह सिर्फ Ola Electric के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीय EV इंडस्ट्री के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।

क्या यह EV इंडस्ट्री में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मंदी का संकेत है? या फिर यह सिर्फ ओला इलेक्ट्रिक की अपनी आंतरिक चुनौतियों का नतीजा है? आइए विस्तार से समझते हैं।


💼 Ola Electric की छंटनी: प्रमुख कारण और चुनौतियां

1️⃣ Ola Electric का बढ़ता घाटा (Rising Losses)

Ola Electric ने FY25 की तीसरी तिमाही (Q3 FY25) में ₹1,045 करोड़ का राजस्व कमाया, लेकिन इसके घाटे में 50% की बढ़ोतरी हुई और यह ₹564 करोड़ हो गया।
🚨 प्रमुख कारण:
✅ लागत बढ़ना (High Operational Costs)
✅ ग्राहकों की शिकायतें और ब्रांड की छवि पर असर (Negative Customer Sentiments)
✅ प्रतिस्पर्धा में इजाफा (Increased Competition)

2️⃣ प्रतिस्पर्धा का दबाव (Rising Competition)

Ola Electric पहले भारत में EV स्कूटर सेगमेंट की निर्विवाद लीडर थी, लेकिन अब बाजार में Bajaj, TVS, और Ather Energy जैसी कंपनियों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
📉 बाजार हिस्सेदारी (Market Share) का बदलता समीकरण:
📌 जनवरी 2025 में Ola Electric ने 24.91% बाजार हिस्सेदारी के साथ नंबर 1 स्थान फिर से हासिल किया था।
📌 फरवरी 2025 में कंपनी ने 25,000 से अधिक यूनिट्स बेचीं, जिससे बाजार में उसकी स्थिति मजबूत बनी रही।

3️⃣ ग्राहकों की बढ़ती शिकायतें और CCPA का नोटिस

  • अक्टूबर 2024 में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने Ola Electric को नोटिस जारी किया था।
  • गलत विज्ञापन (Misleading Advertisements) और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को लेकर ग्राहकों की लगातार शिकायतें सामने आई थीं।
  • इससे कंपनी की ब्रांड वैल्यू और मार्केट ट्रस्ट पर असर पड़ा।

4️⃣ छंटनी से कंपनी को क्या फायदा होगा?

🚀 Ola Electric इस छंटनी के जरिए:
परिचालन लागत (Operational Costs) में कटौती करेगी।
फंडिंग और निवेश आकर्षित करने की क्षमता में सुधार करेगी।
कंपनी की लाभप्रदता (Profitability) बढ़ाने के लिए मार्जिन सुधारने पर ध्यान देगी।


🔍 भारतीय EV बाजार की स्थिति: क्या Ola Electric अकेली है?

भारत का EV उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसमें चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।

📈 VAHAN पोर्टल के अनुसार, फरवरी 2025 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों की बिक्री:

कंपनीबिक्री (फरवरी 2025)
Ola Electric25,000+
Bajaj Auto20,006
TVS Motors17,603
Ather Energy11,129
Greaves Electric Mobility3,492

📌 Ola Electric के मुकाबले दूसरी कंपनियों की स्थिति:

Bajaj और TVS ने Ola Electric को कड़ी टक्कर दी है।
Ather Energy की भी मजबूत पकड़ बनी हुई है।
Paytm-backed BluSmart और Hero MotoCorp के Vida जैसे नए खिलाड़ी भी EV सेगमेंट में प्रवेश कर चुके हैं।

बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सरकारी नीतियों के कारण कंपनियों को परिचालन लागत और लाभप्रदता के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।


📊 Ola Electric के लिए आगे क्या?

📌 संभावित रणनीतियां:

EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश
बैटरी इनोवेशन और स्वैपेबल बैटरी मॉडल को अपनाना
नए प्रोडक्ट लॉन्च – ‘Roadster X’ और अन्य इलेक्ट्रिक मॉडल्स
ग्लोबल एक्सपैंशन और निर्यात बाजार में प्रवेश

💰 क्या Ola Electric IPO लॉन्च करेगी?

  • कंपनी ने पहले ही IPO फाइल करने की योजना बनाई थी, लेकिन वित्तीय स्थिति को देखते हुए इसमें देरी हो सकती है।
  • प्रतिस्पर्धी कंपनियां भी IPO की तैयारी में हैं, जिससे बाजार में Ola Electric को अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

🚀 निष्कर्ष: Ola Electric के लिए यह छंटनी कितना फायदेमंद साबित होगी?

📉 Ola Electric की 1,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी यह दर्शाती है कि कंपनी गंभीर वित्तीय और परिचालन दबाव का सामना कर रही है।

📌 छंटनी के प्रभाव:
🔹 अल्पकालिक रूप से, यह लागत में कटौती कर सकती है, लेकिन इससे कंपनी की ब्रांड छवि प्रभावित हो सकती है।
🔹 दीर्घकालिक रूप से, अगर कंपनी नए इनोवेशन और बैटरी टेक्नोलॉजी पर ध्यान देती है, तो यह बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।

💡 अगले कुछ महीनों में Ola Electric की रणनीतियां यह तय करेंगी कि वह EV बाजार में लीडर बनी रहेगी या नई कंपनियां उससे आगे निकल जाएंगी।

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