🏢 QRG Investment ने बेचा Awfis में अपना 82% हिस्सा, ₹141 करोड़ की बड़ी डील! 💰🔥

Awfis

भारत के तेजी से बढ़ते co-working space सेक्टर में एक बड़ी डील देखने को मिली है।
QRG Investment and Holdings Limited, जो QRG Group की NBFC इकाई है, ने co-working solutions firm Awfis में अपनी 82% हिस्सेदारी बेच दी है।

📊 National Stock Exchange (NSE) पर किए गए corporate disclosure के मुताबिक, QRG Investment ने 24,07,800 शेयर ₹585.14 प्रति शेयर की दर से बेचकर ₹140.9 करोड़ जुटाए हैं।


💼 पहले भी किया था हिस्सेदारी का आंशिक विक्रय

यह QRG का Awfis से पहला एग्ज़िट नहीं है।
इससे पहले, कंपनी ने सितंबर 2025 में 3,67,408 शेयर बेचकर ₹22 करोड़ की राशि हासिल की थी।

इस ताज़ा डील के बाद QRG ने अब तक कुल 94% हिस्सेदारी बेच दी है, यानी लगभग पूरे निवेश से बाहर निकलने का फैसला कर लिया है।

मार्च 2025 तक QRG के पास Awfis के 29,39,074 शेयर थे, जो कंपनी की कुल 4.11% हिस्सेदारी के बराबर थे।


🏦 QRG Investment कौन है?

QRG Investment and Holdings Limited, QRG Group की promoter holding arm है और एक मिड-टियर NBFC (Non-Banking Financial Company) के रूप में काम करती है।
यह कंपनी लंबे समय से strategic investments और venture deals में सक्रिय रही है।

Awfis में QRG का शुरुआती निवेश भी लंबी अवधि के पूंजी विस्तार के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन अब कंपनी ने धीरे-धीरे पूरी हिस्सेदारी से एग्ज़िट करने का फैसला लिया है।


🧾 डील के खरीदार: HSBC Mutual Fund ने दिखाया भरोसा 💼

QRG के शेयर बेचने के साथ ही, HSBC Mutual Fund ने Awfis में नई एंट्री ली है।
डिस्क्लोज़र के अनुसार, HSBC Mutual Fund ने 9,18,300 शेयर ₹585 प्रति शेयर के भाव से खरीदे हैं — यानी करीब ₹53.72 करोड़ की डील

यह कदम बताता है कि संस्थागत निवेशक Awfis की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा जता रहे हैं।


💸 Awfis में पहले भी हुआ बड़ा stake sale

इससे पहले VBAP Holdings Private Limited ने भी इस महीने की शुरुआत में Awfis में अपनी 23.6% हिस्सेदारी ₹56.8 करोड़ में बेच दी थी।

लगातार हो रही इन bulk deals से संकेत मिलता है कि Awfis का शेयर बाजार में ट्रेडिंग इंटरेस्ट तेजी से बढ़ रहा है, और कंपनी के शेयरों की मांग भी मजबूत है।


📈 Awfis की शानदार ग्रोथ: Revenue और Profit दोनों में उछाल 🚀

Awfis का बिजनेस परफॉर्मेंस निवेशकों को काफी आकर्षक लग रहा है।
कंपनी के FY26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) के वित्तीय नतीजे बेहद मजबूत रहे —

  • 🧾 Revenue from Operations: ₹335 करोड़ (FY25 Q1 के ₹258 करोड़ से 30% की बढ़ोतरी)
  • 💹 Net Profit: ₹10 करोड़ (पिछले साल ₹2.8 करोड़ से 3.5X उछाल)

यह आंकड़े दिखाते हैं कि Awfis सिर्फ रेवेन्यू ही नहीं बढ़ा रहा, बल्कि profitability के रास्ते पर भी मजबूती से आगे बढ़ रहा है।


🏢 Awfis: भारत का तेजी से बढ़ता co-working ecosystem 🌐

Awfis आज भारत में co-working revolution का चेहरा बन चुका है।
कंपनी ने पिछले कुछ सालों में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में अपना मजबूत नेटवर्क खड़ा किया है।

👉 इसकी सेवाओं में शामिल हैं —

  • Premium co-working spaces
  • Meeting & conference rooms
  • Flexible office solutions
  • Enterprise workspace design

कंपनी का उद्देश्य है affordable yet premium workspaces प्रदान करना, खासकर startups और SMEs को, ताकि वे बड़े खर्च के बिना बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर पा सकें।


💰 शेयर बाजार में Awfis का प्रदर्शन

Awfis का शेयर ₹577 प्रति शेयर (10:50 AM तक) के स्तर पर ट्रेड हो रहा था,
जिससे कंपनी का कुल मार्केट कैप ₹4,126 करोड़ ($494 मिलियन) पहुंच गया है। 📊

शेयर लिस्टिंग के बाद से कंपनी ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है, और निवेशकों का भरोसा भी मजबूत बना हुआ है।


🌱 निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?

Awfis में QRG के एग्ज़िट के बावजूद, HSBC जैसे बड़े फंड्स की एंट्री बताती है कि
लॉन्ग-टर्म ग्रोथ स्टोरी अभी बाकी है।

🏦 विशेषज्ञों के अनुसार:

“भारत का ऑफिस स्पेस सेक्टर पोस्ट-पैंडेमिक के बाद रिबाउंड कर रहा है।
Flexi-working और hybrid culture के कारण co-working solutions की डिमांड तेजी से बढ़ रही है।”

यानी आने वाले समय में Awfis जैसे प्लेयर्स के पास विकास और प्रॉफिटेबिलिटी दोनों के बड़े अवसर हैं।


🔍 आगे की राह

Awfis अपनी अगली तिमाही में और तेजी से विस्तार करने की तैयारी में है।
कंपनी का लक्ष्य है:

  • 2026 तक देशभर में 200+ लोकेशन पर ऑपरेशंस
  • कस्टमर एक्सपीरियंस में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन
  • और प्रॉफिट मार्जिन को दोगुना करना

निवेशक और विश्लेषक दोनों ही उम्मीद कर रहे हैं कि FY26 के अंत तक कंपनी ₹1,200 करोड़ वार्षिक रेवेन्यू का आंकड़ा पार कर सकती है।


🧾 निष्कर्ष

QRG Investment का Awfis से एग्ज़िट भले ही एक युग का अंत लगे, लेकिन इस डील ने कंपनी के शेयरों में नए संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ा दी है।

📊 बढ़ती रेवेन्यू ग्रोथ, मजबूत प्रॉफिट, और coworking सेक्टर में बढ़ती मांग —
इन सब कारकों से यह साफ है कि Awfis अभी अपने सर्वश्रेष्ठ ग्रोथ फेज में है।

🚀💼 Awfis अब सिर्फ एक co-working कंपनी नहीं, बल्कि भारत के नए कार्य-संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।


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Read more : StackBox का बड़ा कदम Bengaluru की लॉजिस्टिक्स टेक स्टार्टअप ने ₹23.18 करोड़ जुटाए! 

🚛 StackBox का बड़ा कदम Bengaluru की लॉजिस्टिक्स टेक स्टार्टअप ने ₹23.18 करोड़ जुटाए! 💰📦

StackBox

भारत के तेजी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स सेक्टर में एक और बड़ी डील हुई है। Bengaluru स्थित लॉजिस्टिक्स टेक स्टार्टअप StackBox ने अपने Series A फंडिंग राउंड में करीब ₹23.18 करोड़ (लगभग $2.63 मिलियन) जुटाए हैं।
इस राउंड में प्रमुख निवेशक के रूप में Enrission India Capital और White Whale Ventures ने भाग लिया है। 🚀


💸 Stackbox फंडिंग डील का पूरा विवरण

कंपनी के Registrar of Companies (RoC) में दायर रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, StackBox के बोर्ड ने 1,005 Series A Compulsory Convertible Preference Shares (CCPS) को मंजूरी दी है, जिनकी कीमत ₹2,30,713 प्रति शेयर तय की गई है।

इस फंडिंग राउंड के तहत:

  • Enrission India Capital से पहले ही ₹13.2 करोड़ मिल चुके हैं।
  • White Whale Ventures से बाकी राशि जल्द आने की उम्मीद है।

यह राउंड StackBox की अब तक की सबसे बड़ी संस्थागत फंडिंग डील मानी जा रही है। 💼


🏗️ StackBox क्या करता है?

StackBox, जिसकी स्थापना 2019 में हुई थी, एक क्लाउड-बेस्ड लॉजिस्टिक्स टेक स्टार्टअप है जो सप्लाई चेन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को ऑटोमेट और ऑप्टिमाइज करने में मदद करता है।

कंपनी के SaaS (Software-as-a-Service) प्लेटफॉर्म का उपयोग FMCG, रिटेल और ई-कॉमर्स सेक्टर में बड़ी संख्या में कंपनियां कर रही हैं।

इसके प्रमुख प्रोडक्ट्स में शामिल हैं 👇

  • 🏢 Warehouse Management System (WMS)
  • 🚚 Transport Management System (TMS)
  • 📦 Order Management System (OMS)
  • 📊 Route-to-Market (RTM) Solutions

इन सभी टूल्स का उद्देश्य है – ऑर्डर की सटीक ट्रैकिंग, लागत में कमी, और सप्लाई चेन की पूरी विज़िबिलिटी देना।


📈 StackBox की ग्रोथ स्टोरी

StackBox ने अपनी शुरुआत 2019 में की थी और कम समय में ही यह B2B लॉजिस्टिक्स टेक सेगमेंट में एक भरोसेमंद नाम बन गया।
डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म TheKredible के मुताबिक, StackBox ने अब तक $2 मिलियन से अधिक फंडिंग जुटाई है।

इसमें अगस्त 2021 में हुआ $1.2 मिलियन का सीड राउंड भी शामिल है, जिसका नेतृत्व Ecosystem Ventures ने किया था।


💹 वित्तीय प्रदर्शन (FY24)

कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में मजबूत प्रदर्शन दिखाया है।

  • StackBox का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹25.7 करोड़ रहा।
  • वहीं, कंपनी ने ₹6 करोड़ का प्रॉफिट दर्ज किया — यानी कंपनी न सिर्फ ग्रोथ कर रही है, बल्कि लाभ में भी है। 💪

FY25 के वित्तीय आंकड़े फिलहाल सामने नहीं आए हैं, लेकिन निवेशकों के अनुसार कंपनी की रेवेन्यू रन रेट दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है।


🧠 क्यों खास है StackBox का बिजनेस मॉडल?

भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर का बाजार तेजी से डिजिटल हो रहा है।
जहां पहले पारंपरिक ट्रांसपोर्ट और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर निर्भरता थी, अब कंपनियां AI, क्लाउड और डेटा एनालिटिक्स की मदद से अपनी सप्लाई चेन को स्मार्ट बना रही हैं।

StackBox का फोकस इन्हीं टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस पर है —
👉 AI-Driven Routing
👉 Real-time Shipment Tracking
👉 Predictive Inventory Planning
👉 Multi-Channel Order Management

इसी वजह से यह स्टार्टअप FMCG और ई-कॉमर्स दिग्गजों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।


💬 निवेशकों का भरोसा क्यों?

Enrission India Capital और White Whale Ventures दोनों ने StackBox के स्केलेबल मॉडल और मजबूत यूनिट इकॉनॉमिक्स को ध्यान में रखते हुए निवेश किया है।

Enrission India Capital के एक प्रतिनिधि ने कहा —

“StackBox भारतीय सप्लाई चेन सेक्टर में डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है। इसका फोकस ऑटोमेशन और एफिशिएंसी पर है, जो आने वाले वर्षों में इसे यूनिकॉर्न स्टेटस की ओर ले जा सकता है।”


🌍 भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की संभावनाएं

भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर आने वाले पांच वर्षों में $380 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
सरकार की PM GatiShakti योजना और Digital Freight Corridors जैसे कदमों से इस सेक्टर में बड़े बदलाव आ रहे हैं।

ऐसे माहौल में StackBox जैसी टेक-ड्रिवन कंपनियां सप्लाई चेन को स्मार्ट और सस्टेनेबल बना रही हैं।


🚀 आगे की राह: क्या है StackBox की अगली योजना?

नए फंड का उपयोग StackBox इन क्षेत्रों में करेगी:

  1. प्रोडक्ट डेवलपमेंट और टेक इनोवेशन
  2. AI-आधारित प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स
  3. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार (South-East Asia और Middle East)
  4. सेल्स और कस्टमर सपोर्ट टीम को बढ़ाना

कंपनी का लक्ष्य है अगले दो वर्षों में ₹100 करोड़ का रेवेन्यू पार करना और APAC रीजन की प्रमुख लॉजिस्टिक्स SaaS फर्म बनना। 🌏


🧾 निष्कर्ष

StackBox की यह नई फंडिंग भारत के लॉजिस्टिक्स टेक सेक्टर में तेज गति से हो रहे डिजिटलीकरण का स्पष्ट संकेत है।
कंपनी की तकनीकी क्षमता, प्रॉफिटेबिलिटी और निवेशकों का भरोसा बताता है कि StackBox आने वाले समय में लॉजिस्टिक्स इनोवेशन का नया चेहरा बनने को तैयार है।

🚚💡 “हर पैकेज के पीछे अब एक स्मार्ट StackBox है।”


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Read more : Tractor Junction ने तोड़ी रफ्तार की सभी सीमाएं! FY25 में 100 करोड़ पार की कमाई 

🌾 Tractor Junction ने तोड़ी रफ्तार की सभी सीमाएं! FY25 में 100 करोड़ पार की कमाई 🚜💥

Tractor Junction

भारत के ग्रामीण मार्केटप्लेस सेक्टर में अपनी मजबूत पकड़ बनाने वाले Tractor Junction ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम 1.7 गुना बढ़कर ₹106.43 करोड़ तक पहुंच गई है — यानी Tractor Junction ने पहली बार ₹100 करोड़ का माइलस्टोन पार कर लिया! 👏

पिछले वित्त वर्ष (FY24) में कंपनी ने ₹62 करोड़ की कमाई की थी, जिसका मतलब है कि FY25 में कंपनी ने करीब 70% की जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की है।


🚜 Tractor Junction क्या करता है?

Tractor Junction एक ग्रामीण वाहन मार्केटप्लेस है जो किसानों और ग्रामीण खरीदारों के लिए नए और पुराने ट्रैक्टर, फार्म इक्विपमेंट, और ग्रामीण कमर्शियल व्हीकल्स की खरीद-बिक्री को आसान बनाता है।
इसके अलावा, यह प्लेटफॉर्म फाइनेंसिंग, इंश्योरेंस, रिव्यू और प्राइस कम्पैरिजन जैसी सेवाएं भी देता है ताकि खरीदारों को ट्रांसपेरेंट डील मिल सके। 🌱


💰 FY25 में Tractor Junction की कमाई का पूरा ब्रेकडाउन

कंपनी के फाइनेंशियल रिपोर्ट (RoC फाइलिंग) के अनुसार,

  • ट्रैक्टर और इक्विपमेंट सेल्स से कुल रेवेन्यू का 80% आया, जो FY25 में ₹85.14 करोड़ रहा।
  • वहीं, सर्विसेस और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स से ₹21.29 करोड़ की कमाई हुई।

कंपनी का कहना है कि उसका फाइनेंशियल सर्विस सेगमेंट 10 गुना बढ़ा है और यूज्ड व्हीकल बिजनेस में भी 1.8x ग्रोथ हुई है।
यह सब संभव हुआ है इसके 65 COCO आउटलेट्स (Company Owned, Company Operated) के जरिए, जो राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हैं। 🌾


📈 Non-Operating Income और Total Earnings

Tractor Junction ने ₹12.44 करोड़ की Non-Operating Income भी अर्जित की — जिसमें कमीशन और फिक्स्ड डिपॉजिट इंटरेस्ट शामिल हैं।
इससे कंपनी की कुल आय (Total Income) FY25 में ₹118.8 करोड़ तक पहुंच गई।


🧾 खर्चों में भी बड़ा उछाल

जहां कमाई बढ़ी, वहीं खर्चे भी तेज़ी से बढ़े

  • मटीरियल कॉस्ट ₹80.26 करोड़ तक पहुंच गई, जो कुल खर्चों का 63% है।
  • एम्प्लॉई बेनिफिट कॉस्ट ₹22 करोड़ रही, जो 47% की वृद्धि दिखाती है।
  • एडवर्टाइजिंग, कॉन्ट्रैक्ट वेजेज़, इंश्योरेंस और RTO खर्चों में भी भारी उछाल देखने को मिला।

कुल मिलाकर, कंपनी का टोटल एक्सपेंस FY24 के ₹72.7 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹127.53 करोड़ हो गया — यानी लगभग 75% की बढ़ोतरी। 📊


😕 घाटे में बढ़ोतरी, लेकिन ग्रोथ बरकरार

भले ही Tractor Junction की रेवेन्यू तेजी से बढ़ी हो, लेकिन खर्चों में उछाल के कारण कंपनी को ₹9.08 करोड़ का घाटा (FY25) हुआ, जो पिछले साल के ₹3.67 करोड़ से 2.5 गुना ज्यादा है।
कंपनी की EBITDA Margin -18.03% और ROCE -70.3% रही।

यानी हर ₹1 कमाने के लिए कंपनी को ₹1.2 खर्च करने पड़े। 💸


🏦 कंपनी की बैलेंस शीट की झलक

मार्च 2025 तक कंपनी के करंट एसेट्स ₹70.43 करोड़ के थे, जिनमें ₹13.76 करोड़ कैश और बैंक बैलेंस शामिल है।


🌱 भविष्य की योजना: मुनाफे की ओर कदम

Tractor Junction अब FY26 में भी डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य रख रही है।
कंपनी अपने COCO आउटलेट नेटवर्क को 100 तक बढ़ाने और प्रॉफिटेबिलिटी पर अधिक ध्यान देने की योजना बना रही है।


💡 निवेश और ग्रोथ की कहानी

डेटा प्लेटफॉर्म TheKredible के अनुसार, Tractor Junction ने अब तक करीब $6 मिलियन फंडिंग जुटाई है।
इसमें अप्रैल 2022 में हुआ $5.7 मिलियन का सीड राउंड शामिल है, जिसे Info Edge Ventures और Omnivore ने को-लीड किया था।

यह निवेश कंपनी की तकनीकी क्षमता, ग्रामीण नेटवर्क, और किसानों के भरोसे को और मजबूत करने में अहम रहा है। 🌾


🧠 निष्कर्ष

Tractor Junction का ग्रोथ जर्नी दिखाती है कि कैसे भारत का ग्रामीण सेक्टर टेक्नोलॉजी के सहारे तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भले ही कंपनी को फिलहाल घाटा झेलना पड़ रहा है, लेकिन उसकी स्ट्रॉन्ग ग्रोथ ट्रेजेक्टरी, बढ़ते आउटलेट्स और फाइनेंशियल सर्विसेज सेगमेंट इसे अगले कुछ वर्षों में प्रॉफिट की दिशा में ले जा सकते हैं।

Tractor Junction अब सिर्फ ट्रैक्टर मार्केट नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण डिजिटल इकोसिस्टम की नई रफ्तार बन चुका है। 🚜💪


क्या आपको लगता है कि Tractor Junction जैसे एग्रीटेक स्टार्टअप्स भारत के किसानों की आर्थिक तस्वीर बदल सकते हैं?
अपने विचार कमेंट में बताएं! 💬👇

Read more : Ixigo में नई हलचल! निवेशक 16% हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में 

✈️ Ixigo में नई हलचल! निवेशक 16% हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में 🚀

Ixigo

ट्रैवल-टेक कंपनी Le Travenues Technology Limited (Ixigo) में एक संभावित निवेशक 16% तक की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। यह सौदा primary और secondary दोनों transactions के जरिए होने की संभावना है। कंपनी ने मंगलवार को यह जानकारी एक regulatory filing के ज़रिए साझा की। 📄💼

📢 BSE और NSE को दी गई जानकारी

Ixigo ने अपने BSE और NSE disclosure में बताया कि कंपनी को एक संभावित निवेशक की ओर से interest expression मिला है, जो या तो खुद या अपनी affiliate कंपनियों के जरिए शेयर खरीदना चाहता है।

हालांकि कंपनी ने यह भी साफ किया है कि अभी तक कोई final agreement या binding arrangement नहीं हुआ है। यानी बातचीत शुरुआती चरण में है।

👉 Filing में निवेशक के बयान के अनुसार:

“प्रस्तावित अधिग्रहण primary और secondary acquisitions के माध्यम से किया जाएगा, और कंपनी की प्रस्तावित फंडरेज़िंग तथा secondary deals के बाद हमारी कुल हिस्सेदारी 16% से अधिक नहीं होगी।”

💹 IPO के बाद बढ़ी investor interest

Ixigo में निवेशकों की रुचि इसके शानदार IPO डेब्यू के बाद काफी बढ़ गई है। जून 2024 में कंपनी ने शेयर बाज़ार में जबरदस्त शुरुआत की थी और मजबूत लिस्टिंग के बाद से ही global investors की नज़र इस पर बनी हुई है। 💥📈

हाल ही में, Global asset manager Schroder Investment Management ने भी Le Travenues Technology Limited (Ixigo) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है, जो कंपनी के प्रति बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

💰 सौदे का असर

अगर यह डील होती है, तो यह Ixigo के लिस्टिंग के बाद सबसे बड़ा secondary share transaction हो सकता है।
इस संभावित निवेश के जरिए कंपनी को fresh funds मिल सकते हैं और मौजूदा निवेशकों को liquidity का अवसर मिलेगा।

📊 फिलहाल Ixigo का शेयर ₹307.8 पर ट्रेड कर रहा है, जबकि कंपनी का कुल market capitalization ₹12,012 करोड़ (लगभग $1.36 बिलियन) है।

📈 वित्तीय प्रदर्शन में जबरदस्त ग्रोथ

Ixigo के Q1 FY26 के वित्तीय नतीजे कंपनी की मजबूत स्थिति को दिखाते हैं।

  • कंपनी की revenue from operations 72.5% बढ़कर ₹314 करोड़ पहुँच गई, जो पिछले साल के Q1 FY25 में ₹182 करोड़ थी।
  • वहीं net profit भी 27% बढ़कर ₹19 करोड़ हो गया, जो Q1 FY25 में ₹15 करोड़ था।

इस शानदार ग्रोथ से निवेशकों का भरोसा और भी बढ़ा है, और कंपनी अब tech-driven travel sector में तेजी से अपना market share बढ़ा रही है। 💼📊

🧭 Ixigo का सफर और सफलता की कहानी

2007 में स्थापित Ixigo ने भारत के ट्रैवल-टेक स्पेस में इनोवेशन और कस्टमर-केंद्रित अप्रोच के जरिए मजबूत पहचान बनाई है।
कंपनी का app अब train, flight, hotel bookings, bus travel और trip planning जैसी पूरी travel journey को simplify करता है।

📱 Ixigo का USP इसकी AI-driven recommendations, low-cost travel deals और seamless user experience है।
इसका customer base आज करोड़ों यूज़र्स तक पहुंच चुका है, जो इसे भारत के सबसे भरोसेमंद travel platforms में से एक बनाता है।

🧩 Deal के मायने

यह संभावित 16% हिस्सेदारी वाली डील Ixigo के लिए strategic signal है कि मार्केट में इसके बिज़नेस मॉडल पर मजबूत विश्वास बना हुआ है।

  • Primary acquisition से कंपनी को fresh capital मिल सकती है, जिसका इस्तेमाल growth initiatives में होगा।
  • Secondary acquisition से मौजूदा निवेशकों को आंशिक exit का मौका मिलेगा।

निवेशकों के लिए यह मौका होगा तेजी से बढ़ते travel-tech सेक्टर में एक profit-making और publicly listed player का हिस्सा बनने का। 🌍💸

📊 Market और valuation पर नजर

Ixigo की market capitalization ₹12,000 करोड़ के पार जा चुकी है।
कंपनी अब EaseMyTrip, MakeMyTrip जैसे established players के साथ compete कर रही है, लेकिन इसका tech-first और regional approach इसे unique बनाता है।

भारत में travel demand में तेजी आने और digital adoption बढ़ने से Ixigo जैसी tech-led कंपनियों के लिए growth के बड़े मौके बन रहे हैं।

🔍 Expert की राय

Market analysts का कहना है कि अगर यह 16% निवेश deal पूरी होती है, तो यह Ixigo के लिए दो बड़े फायदे लाएगी —

  1. Market credibility में मजबूती
  2. Capital inflow से tech और marketing में विस्तार

Analysts मानते हैं कि IPO के बाद company ने जिस तरह steady performance दिया है, उससे यह deal investors के confidence को और बढ़ाएगी।

🏁 निष्कर्ष

Ixigo अब सिर्फ एक travel app नहीं, बल्कि भारत के travel ecosystem का एक मजबूत tech brand बन चुका है।
संभावित 16% हिस्सेदारी वाली यह deal कंपनी के लिए एक strategic milestone हो सकती है, जिससे इसके investors और public shareholders दोनों को लाभ होगा।

📊 बढ़ती revenue, मजबूत IPO performance और बढ़ते investor trust के साथ, Ixigo आने वाले वर्षों में travel-tech सेक्टर में एक market leader बनने की ओर बढ़ रहा है।

👉 अगर यह डील फाइनल होती है, तो यह IPO के बाद का सबसे बड़ा secondary transaction होगा — और यह भारत के travel-tech sector की confidence story को एक नया chapter देगा। ✨

Read more: Paper Boat की FY25 रिपोर्ट राजस्व में 16% बढ़ोतरी, घाटा 24% घटकर ₹50 करोड़ से नीचे

🥤 Paper Boat की FY25 रिपोर्ट राजस्व में 16% बढ़ोतरी, घाटा 24% घटकर ₹50 करोड़ से नीचे

Paper Boat

भारत की मशहूर पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी Hector Beverages Pvt Ltd, जो लोकप्रिय ब्रांड Paper Boat की निर्माता है, ने वित्त वर्ष 2025 (मार्च में समाप्त) में steady growth दिखाई। कंपनी का operating scale 16% बढ़ा और घाटा 24% घटकर ₹50 करोड़ से नीचे आ गया। 📉➡️📈

📊 Paper Boat FY25 में कैसा रहा प्रदर्शन?

Registrar of Companies (RoC) से प्राप्त वित्तीय दस्तावेज़ों के अनुसार, Paper Boat की operating revenue FY24 में ₹574.48 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹668.28 करोड़ पहुँच गई।

इसके साथ ही कंपनी को ₹14.2 करोड़ non-operating income (मुख्य रूप से बैंक जमा पर ब्याज से) भी मिली, जिससे कुल आय ₹682.44 करोड़ रही।

👉 यानी Paper Boat ने steady growth दिखाया, लेकिन अभी भी profitability तक का सफर बाकी है।

🏭 Products से आय का ब्योरा

Paper Boat के products का revenue breakup कुछ इस तरह रहा:

  • Third-party manufacturers से products का कारोबार → कुल operating revenue का 66% (₹441.43 करोड़)। यह FY24 के ₹304.32 करोड़ से 45% ज्यादा है।
  • खुद के manufactured products से राजस्व → कुल revenue का 33.78% (₹225.72 करोड़)। इसमें 16% की गिरावट दर्ज हुई।

👉 मतलब कंपनी का खुद का manufacturing base कमजोर पड़ा है, जबकि outsourced products से ज्यादा growth मिली है।

💰 खर्चों का हाल

कंपनी के कुल खर्च ₹716.53 करोड़ तक पहुँच गए। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा materials cost का रहा, जो 62% यानी ₹444 करोड़ था।

  • Employee खर्च: ₹90.35 करोड़ (32% बढ़ा)
  • Selling & Distribution: ₹58.47 करोड़
  • Advertisement, travel, depreciation व अन्य खर्च: शेष हिस्सा

Unit economics की बात करें तो Paper Boat ने FY25 में ₹1 की revenue कमाने के लिए ₹1.07 खर्च किया

📉 घाटे में सुधार

Peak XV-backed इस कंपनी ने FY25 में घाटा ₹63.5 करोड़ से घटाकर ₹48.25 करोड़ किया, यानी लगभग 24% की गिरावट।

  • ROCE (Return on Capital Employed): -14%
  • EBITDA Margin: -3.86%

हालांकि घाटा कम हुआ है, लेकिन sustainable profitability तक पहुँचना अभी चुनौती है।

🏦 कंपनी की financial स्थिति

मार्च 2025 तक Paper Boat के पास ₹276.17 करोड़ की current assets थीं, जिसमें से ₹42.39 करोड़ cash और bank balance शामिल है।

💡 निवेशक और फंडिंग

Startup data intelligence platform TheKredible के अनुसार, Paper Boat ने अब तक $143 मिलियन जुटाए हैं। इसके प्रमुख निवेशक हैं:

  • GIC – 25% हिस्सेदारी
  • Peak XV और Sofina Ventures – 18% से अधिक हिस्सेदारी
  • A91 Partners

👉 यानी कंपनी के पास बड़े-बड़े investors का support है, लेकिन growth numbers investors की उम्मीदों से मेल नहीं खा रहे।

🕰️ 12 साल की कहानी

Paper Boat की शुरुआत 2012 में Neeraj Kakkar और Niraj Biyani (पूर्व Coca-Cola executives) ने की थी। उस समय उम्मीद थी कि यह कंपनी beverages industry में क्रांति लाएगी।

Paper Boat ने PR, design और packaging innovations के जरिए market में buzz बनाया। इसके nostalgic campaigns जैसे “Drinks and Memories” ने consumer attention खींचा।

लेकिन ground reality यह है कि Indian juices market उतना evolve नहीं हुआ, जितनी उम्मीद थी। Pure 100% juices अभी भी महंगे हैं और mass consumers तक नहीं पहुँच पाए। नतीजा, कई players fail हुए और Paper Boat को भी diluted products व snacks की ओर pivot करना पड़ा।

📉 Market Reality vs उम्मीदें

जहां 2012 में FMCG investors को उम्मीद थी कि beverages में 20%+ growth होगी, वहीं पिछले दशक में market ने अपनी expectations low teens growth (10-15%) तक घटा दी।

Paper Boat ने FY25 में 16% growth दिखाई, जो decent है, लेकिन घाटा अभी भी business model पर सवाल उठाता है।

साथ ही, FMCG valuations में गिरावट आने से Paper Boat के attractive acquisition या बड़े exit की उम्मीदें भी कम होती दिख रही हैं।

🎯 आगे की राह

Paper Boat के लिए आने वाले सालों में सबसे बड़ी चुनौतियाँ होंगी:

  • खुद के manufacturing को revive करना 🏭
  • profitability पर focus करना 💰
  • product portfolio diversify करना 🍪🥤
  • supply chain और cost management मजबूत करना

Experts मानते हैं कि अगर Paper Boat steady growth और घाटे में कमी जारी रखे, तो यह beverages और snacks space में एक niche, लेकिन sustainable ब्रांड बन सकता है।

🏁 निष्कर्ष

Paper Boat की FY25 रिपोर्ट एक mixed bag है।

  • Revenue बढ़ा ✅
  • Losses घटे ✅
  • लेकिन profitability और strong growth अभी भी दूर ❌

12 साल बाद Paper Boat की कहानी हमें ये सिखाती है कि startup दुनिया में सिर्फ brand goodwill और PR काफी नहीं होता। असली success sustainable business model और market dynamics को सही तरीके से handle करने में है।

👉 Paper Boat अभी भी game में है, लेकिन investors और market दोनों इसकी long-term strategy पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।

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🚀 Infra.Market का IPO: ₹5,000 करोड़ की तैयारी, SEBI को DRHP फाइल किया

Infra.Market

भारत के बिल्डिंग मटेरियल्स unicorn Infra.Market ने SEBI के पास confidential Draft Red Herring Prospectus (DRHP) फाइल किया है। इसका उद्देश्य है ₹5,000 करोड़ जुटाना और अपना पहला IPO लॉन्च करना। 💰📈

सूत्रों के अनुसार, यह इश्यू लगभग बराबर हिस्सों में fresh equity shares और existing investors के offer-for-sale (OFS) के जरिए होगा। यानी निवेशकों को मौका मिलेगा और पुराने निवेशक भी अपने हिस्से की बिक्री कर सकेंगे। 🎯

🏢 Bengaluru की कंपनी का स्मार्ट कदम

Infra.Market ने SEBI के confidential filing mechanism का फायदा उठाया है, जिसे पिछले साल लॉन्च किया गया था। इसका मतलब है कि कंपनी अपनी financial और strategic details तब तक गुप्त रख सकती है, जब तक IPO listing के करीब न पहुँच जाए। 🔒✨

इस कदम से कंपनी अपने IPO की तैयारी को शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से कर सकती है, बिना बाजार में अफवाहें फैलाए।

💸 हाल ही में जुटाई बड़ी रकम

Infra.Market ने हाल ही में Series G round में $83 मिलियन जुटाए, जिसका नेतृत्व Silverline Homes ने किया। इसमें Tiger Global, Accel, Nexus Ventures, NK Squared, और Evolvence India ने भी हिस्सा लिया।
इसके अलावा, जून में कंपनी ने Mars Growth Capital से $150 मिलियन का debt funding भी हासिल किया। 💵

Entrackr ने Infra.Market से और जानकारी के लिए संपर्क किया है, लेकिन कंपनी ने अभी तक विस्तार से विवरण साझा नहीं किया।

📊 वित्तीय प्रदर्शन

Infra.Market ने FY24 में ₹14,530 करोड़ की revenue दर्ज की, जो पिछले साल की तुलना में 23% बढ़ोतरी है। 💥
Profit भी 2.4X बढ़कर ₹378 करोड़ हो गया। FY25 के आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं।

कंपनी एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी बाजार में काम कर रही है, जहां OfBusiness, Zetwerk, और Moglix जैसी कंपनियां मौजूद हैं।

  • OfBusiness FY24: ₹19,296 करोड़
  • Zetwerk FY24: ₹14,436 करोड़
  • Moglix FY24: ₹4,964 करोड़ 🏗️📦

🔐 SEBI के confidential route का फायदा

Infra.Market ने confidential filing का रास्ता अपनाकर अपने IPO को strategic और secure बनाया। इस route का उपयोग करने वाली अन्य कंपनियों में शामिल हैं:
PhonePe, Meesho, Shadowfax, PhysicsWallah, Groww, Shiprocket, boAt, Aequs

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कंपनी market को जल्दी details नहीं दिखाती, जिससे competition और investor expectations बेहतर तरीके से manage होती हैं। 🛡️

🌟 Infra.Market का भविष्य

Infra.Market भारतीय construction और building materials के डिजिटल मार्केटप्लेस को बदलने की दिशा में काम कर रही है। कंपनी अपने platform के जरिए builders, contractors, और suppliers को सीधे जोड़ती है।

  • समय की बचत ⏱️
  • लागत में कमी 💵
  • आसान supply chain management 🚚

IPO से जुटाई जाने वाली ₹5,000 करोड़ की राशि का इस्तेमाल कंपनी growth, product development, और मार्केट expansion में करेगी। साथ ही, existing investors को OFS के जरिए exit का अवसर मिलेगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह IPO B2B construction-tech सेक्टर में एक बड़ा turning point साबित हो सकता है। 📈🚀

🏁 निष्कर्ष

Infra.Market का confidential DRHP फाइल करना और ₹5,000 करोड़ के IPO की योजना बनाना, कंपनी के ambitious growth plans और market leadership की दिशा में एक मजबूत कदम है।

  • Revenue growth: 23% बढ़ी
  • Profit: 2.4X बढ़ा
  • Competitors: OfBusiness, Zetwerk, Moglix
  • Strategic IPO planning: Confidential filing

Bengaluru बेस्ड यह unicorn अब भारत के IPO market में flagship listing बनने की राह पर है। इस IPO से न सिर्फ Infra.Market की brand value बढ़ेगी, बल्कि B2B construction-tech सेक्टर में निवेशकों की रुचि भी बढ़ेगी। 🌟💼

Infra.Market का यह IPO startup ecosystem में strategy और growth का बेहतरीन उदाहरण है, और investors इसे बड़े उत्साह के साथ देख रहे हैं।

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⚡ सितंबर में EV रेस: TVS नंबर 1 पर कायम, Ola Electric फिसलकर चौथे स्थान पर

ola electric

भारत का इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (E2W) मार्केट सितंबर में बेहद दिलचस्प रहा। जहां TVS Motor ने अपनी बादशाहत कायम रखी, वहीं पिछले महीने नंबर 2 पर पहुंची Ola Electric सीधे चौथे स्थान पर लुढ़क गई।

सरकारी पोर्टल Vahan के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में कुल 1,04,056 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की रजिस्ट्रेशन हुई, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग स्थिर रही।


🏆 TVS Motor बनी मार्केट लीडर

  • सितंबर में TVS Motor ने 22,481 रजिस्ट्रेशन कराए।
  • हालांकि कंपनी की बिक्री में 7.41% महीने-दर-महीना गिरावट रही।
  • इसके बावजूद TVS ने 21.6% मार्केट शेयर के साथ पहला स्थान बनाए रखा।

👉 यानी, गिरावट के बावजूद TVS ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई है।


🔥 Bajaj की धमाकेदार वापसी

  • अगस्त में 40% की गिरावट झेलने के बाद Bajaj Auto ने शानदार वापसी की।
  • सितंबर में Bajaj ने 19,519 यूनिट्स बेचीं।
  • इसका मतलब है 65.11% MoM ग्रोथ और 18.76% मार्केट शेयर

👉 यह वापसी बताती है कि ग्राहकों का भरोसा Bajaj ब्रांड पर बरकरार है।


⚡ Ather Energy ने मारी बाज़ी, Ola से आगे

  • Ather Energy ने सितंबर में 18,109 यूनिट्स रजिस्टर कीं।
  • मार्केट शेयर रहा 17.40%, जो Ola से अधिक है।
  • बिक्री पिछले महीने के मुकाबले लगभग फ्लैट रही।

📈 Ather Energy, जो हाल ही में Ola के बाद भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई दूसरी EV स्टार्टअप है, का शेयर सितंबर में 23% चढ़कर ₹585.2 तक पहुंचा।

  • मार्केट कैप – ₹22,279.39 करोड़ ($2.53B)

📉 Ola Electric की बड़ी गिरावट

  • सितंबर में Ola की रजिस्ट्रेशन गिरीं 13,371 यूनिट्स तक।
  • यह पिछले महीने से 30% की गिरावट है।
  • मार्केट शेयर घटकर 12.85% रह गया (अगस्त में 18.19%)।

📊 Ola Electric का शेयर फिलहाल ₹56.7 पर ट्रेड हो रहा है।

  • मार्केट कैप – ₹25,022.64 करोड़ ($2.8B) (सुबह 11:55 बजे तक)।

👉 यह साफ संकेत है कि Ola की ग्रोथ स्ट्रेटजी पर फिर से काम करने की ज़रूरत है।


🏍️ Hero MotoCorp खिसका पांचवें नंबर पर

  • सितंबर में Hero MotoCorp ने 12,736 यूनिट्स बेचीं।
  • मार्केट शेयर – 12.24%
  • महीने-दर-महीना गिरावट – 4.74%

👉 Ola की गिरावट से Hero को फायदा नहीं मिला और कंपनी एक पायदान नीचे आ गई।


🔋 Greaves और BGAUSS की मजबूती

  • Greaves Electric Mobility – 4.1% मार्केट शेयर के साथ छठे नंबर पर कायम।
  • BGAUSS – शानदार 32% MoM ग्रोथ के साथ एक स्थान ऊपर चढ़ी।

👉 यह दिखाता है कि छोटे ब्रांड्स भी EV दौड़ में तेजी पकड़ रहे हैं।


📈 नए खिलाड़ियों की एंट्री: Pure EV, River और Kinetic Green

  • Pure EV, River Mobility और Kinetic Green टॉप-10 की लिस्ट में शामिल रहे।
  • खासकर Kinetic Green ने 28.4% ग्रोथ दिखाते हुए बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की।

📊 EV मार्केट का बड़ा चित्र

  • सितंबर का EV टू-व्हीलर मार्केट कुल मिलाकर स्थिर रहा।
  • टॉप-5 कंपनियों के बीच ही लगभग 82% मार्केट शेयर रहा।
  • नए ब्रांड्स धीरे-धीरे ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन लीडरशिप रेस अभी भी TVS, Bajaj, Ather और Ola के बीच सिमटी हुई है।

🚀 IPO और मार्केट कैप का खेल

  • Ather Energy – शेयर प्राइस ₹585.2, मार्केट कैप ₹22,279.39 करोड़।
  • Ola Electric – शेयर प्राइस ₹56.7, मार्केट कैप ₹25,022.64 करोड़।

👉 निवेशकों की नजर अब EV स्टार्टअप्स के IPO मोमेंट्स और लॉन्ग-टर्म प्रॉफिटेबिलिटी पर है।


📌 निष्कर्ष

सितंबर 2025 का EV टू-व्हीलर मार्केट कई दिलचस्प ट्रेंड्स दिखाता है:

  1. TVS अभी भी नंबर 1, लेकिन गिरावट से जूझ रही है।
  2. Bajaj की शानदार वापसी ने बाजार को हिला दिया।
  3. Ather Energy ने Ola को पछाड़ा, IPO के बाद से निवेशकों का भरोसा बढ़ा।
  4. Ola Electric की गिरावट निवेशकों और ग्राहकों दोनों के लिए चिंता का विषय है।
  5. नए खिलाड़ी जैसे Kinetic Green और BGAUSS तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं।

👉 साफ है कि भारत का EV मार्केट अभी शुरुआती स्टेज में है, जहां लीडरशिप हर महीने बदल सकती है। आने वाले महीनों में यह रेस और भी रोमांचक होने वाली है।

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🔋 Battery Smart का FY25 में जबरदस्त ग्रोथ: 52% राजस्व वृद्धि, EBITDA पॉजिटिव

Battery Smart

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क Battery Smart ने भी अपने बिज़नेस ग्राफ को लगातार ऊपर उठाया है। गुरुग्राम स्थित इस स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में राजस्व में 52% की बढ़ोतरी दर्ज की है। कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY25 में बढ़कर ₹249 करोड़ पहुंच गया, जो पिछले वर्ष (FY24) में ₹164 करोड़ था।


🚀 कैसे हासिल की यह ग्रोथ?

Battery Smart का बिज़नेस मॉडल “Battery-as-a-Service (BaaS)” पर आधारित है। इस मॉडल के तहत EV ड्राइवर्स आसानी से बैटरी बदल (swap) सकते हैं, जिससे उन्हें चार्जिंग के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ता।

  • कंपनी की शुरुआत 2019 में पुल्कित खुराना और सिद्धार्थ सिक्का ने की थी।
  • आज Battery Smart का नेटवर्क 50 से ज्यादा शहरों में फैला हुआ है।
  • कंपनी के पास 1,600 से अधिक स्वैपिंग स्टेशन हैं।
  • अब तक 90 लाख से ज्यादा बैटरी स्वैप्स पूरे हो चुके हैं।
  • करीब 90,000 ड्राइवर्स इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं।

📈 फाइनेंशियल परफॉर्मेंस

  • FY25 में कंपनी की कुल आय ₹279 करोड़ रही, जो FY24 के ₹187 करोड़ की तुलना में 49% अधिक है।
    • इसमें ₹30 करोड़ की अन्य आय (other income) भी शामिल है।
  • खर्चों (expenses) में भी 53% की वृद्धि हुई और यह FY25 में ₹306 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि FY24 में यह ₹200 करोड़ था।
  • अधिक खर्च का कारण:
    • नेटवर्क का विस्तार
    • कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि
    • टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश

✅ EBITDA पॉजिटिव

कंपनी के मुताबिक, बढ़ते खर्च के बावजूद उसने हाल ही में ऑपरेटिंग ब्रेक-ईवन हासिल कर लिया है और अब EBITDA पॉजिटिव हो गई है।

  • FY25 में कंपनी ने ₹1 ऑपरेटिंग रेवेन्यू कमाने के लिए ₹1.22 खर्च किए
  • यह गैप धीरे-धीरे कम हो रहा है, जो बताता है कि कंपनी की कॉस्ट एफिशिएंसी में सुधार हो रहा है।

💰 निवेश और वैल्यूएशन

Battery Smart अब तक $192 मिलियन (लगभग ₹1,600 करोड़) जुटा चुकी है। इसके प्रमुख निवेशक हैं:

  • Tiger Global
  • Blume Ventures
  • Ecosystem Integrity Fund

इन निवेशकों का भरोसा बताता है कि कंपनी के पास लॉन्ग-टर्म ग्रोथ और मार्केट लीडर बनने की मजबूत संभावना है।


⚡ EV मार्केट में संभावनाएं

भारत में EV एडॉप्शन का सबसे बड़ा चैलेंज है – चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर। बैटरी स्वैपिंग इस समस्या का सबसे प्रभावी समाधान साबित हो रहा है।

  • खासकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर सेगमेंट में इसकी भारी डिमांड है।
  • ड्राइवर्स को लंबे समय तक बैटरी चार्ज होने का इंतज़ार नहीं करना पड़ता।
  • कुछ ही मिनटों में बैटरी बदलकर वे सफर जारी रख सकते हैं।

🏆 बैटरी स्मार्ट की पोज़िशन

  • EV बैटरी स्वैपिंग मार्केट में Battery Smart तेजी से लीडर बनता जा रहा है।
  • कंपनी के पास न सिर्फ विस्तृत नेटवर्क है, बल्कि अब वह लाभप्रदता (profitability) की दिशा में भी बढ़ रही है।
  • इसके मुकाबले अन्य स्टार्टअप्स अभी भी स्केलिंग और यूनिट इकॉनॉमिक्स को मैनेज करने की चुनौती से जूझ रहे हैं।

🔮 आगे की राह

हालांकि Battery Smart की ग्रोथ पोजिटिव है, लेकिन आने वाले सालों में कंपनी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:

  1. खर्चों पर नियंत्रण – नेटवर्क विस्तार के साथ लागत बढ़ती है।
  2. यूनिट इकॉनॉमिक्स सुधारना – लंबे समय तक टिकाऊ ग्रोथ के लिए ज़रूरी।
  3. कंपटीशन से आगे रहना – EV सेक्टर में कई नए खिलाड़ी तेजी से आ रहे हैं।

अगर कंपनी इन चुनौतियों को मैनेज कर लेती है, तो यह भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी EV बैटरी स्वैपिंग का ग्लोबल लीडर बन सकती है।


📌 निष्कर्ष

FY25 Battery Smart के लिए बेहद अहम रहा। जहां एक तरफ कंपनी ने अपनी राजस्व ग्रोथ 52% तक पहुंचाई, वहीं दूसरी तरफ EBITDA पॉजिटिविटी हासिल करके यह साबित किया कि EV बैटरी स्वैपिंग मॉडल न सिर्फ स्केलेबल है बल्कि सस्टेनेबल भी है।

भारत में EV इंडस्ट्री के तेजी से बढ़ते कदमों के साथ, Battery Smart जैसे स्टार्टअप्स इस ट्रांजिशन को और मजबूत बना रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह कंपनी EV इकोसिस्टम की रीढ़ की हड्डी (backbone) बन सकती है।


👉 आपका क्या मानना है? क्या बैटरी स्वैपिंग मॉडल भारत में EV सेक्टर का सबसे बड़ा गेम-चेंजर साबित होगा?

Read more : Unacademy ने FY25 में घटाई घाटे की रफ्तार, लेकिन रेवेन्यू में 16% गिरावट

📚 Unacademy ने FY25 में घटाई घाटे की रफ्तार, लेकिन रेवेन्यू में 16% गिरावट

Unacademy

भारत की जानी-मानी एडटेक यूनिकॉर्न Unacademy ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में अपनी कुल आय में गिरावट के बावजूद EBITDA घाटे और नेट लॉस दोनों में बड़ी कमी दर्ज की है। कंपनी ने लागत में कटौती और कुशल प्रबंधन के ज़रिए अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं।


📉 रेवेन्यू में गिरावट

Unacademy का कुल रेवेन्यू FY25 में 16% घटकर ₹826.3 करोड़ रह गया।

  • FY24 में यह आंकड़ा ₹988 करोड़ था।
  • यह लगातार दूसरा साल है जब कंपनी के रेवेन्यू में कमी दर्ज हुई है।

इस गिरावट के बावजूद कंपनी ने अपने लॉस कम करने पर ज़ोर दिया है, जिससे निवेशकों और मार्केट ऑब्जर्वर्स में कंपनी की रणनीति को लेकर भरोसा बना हुआ है।


💸 नेट लॉस और EBITDA घाटा

  • FY25 में कंपनी का नेट लॉस 31% घटकर ₹436 करोड़ रह गया।
    • FY24 में यह ₹633 करोड़ था।
  • कंपनी का EBITDA घाटा 37.6% घटकर ₹305 करोड़ रह गया।
    • FY24 में यह ₹489 करोड़ था।

इस बड़े सुधार का मुख्य कारण है कास्ट ऑप्टिमाइजेशन और ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर फोकस।


🏦 कैश रिज़र्व और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी

मार्च 2025 तक Unacademy के पास ₹1,238 करोड़ का कैश और कैश इक्विवेलेंट बैलेंस था।
कंपनी के सह-संस्थापक और CEO गौरव मुंजाल ने अप्रैल में कहा था कि:

  • कंपनी वित्तीय रूप से स्थिर है।
  • इसकी यूनिट्स जैसे Graphy और PrepLadder हर महीने पॉजिटिव कैश फ्लो जनरेट कर रही हैं।

यह संकेत देता है कि कंपनी अब सस्टेनेबल बिज़नेस मॉडल की तरफ बढ़ रही है।


👨‍💼 लीडरशिप में बदलाव

हाल ही में Unacademy ने एक अहम कदम उठाया और:

  • Graphy के को-फाउंडर सुमित जैन को Test Prep बिज़नेस का CEO नियुक्त किया।
  • यह कदम कंपनी की लीडरशिप स्ट्रक्चर को मजबूत करने और कोर वर्टिकल्स पर फोकस करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव कंपनी में फाइनेंशियल डिसिप्लिन और ग्रोथ स्ट्रेटजी को और बेहतर बनाएगा।


🔍 संदर्भ: FY24 का प्रदर्शन

तुलना के लिए, FY24 में:

  • कंपनी ने 62% तक घाटा कम किया था
  • हालांकि उस समय भी रेवेन्यू में कोई बड़ी वृद्धि देखने को नहीं मिली थी।

यानी कंपनी लगातार घाटा कम करने में सफल रही है, लेकिन रेवेन्यू ग्रोथ अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।


🏫 बिज़नेस मॉडल और चुनौतियाँ

Unacademy मुख्य रूप से ऑनलाइन टेस्ट प्रिपरेशन, कोर्सेस और स्किल-बेस्ड लर्निंग पर केंद्रित है।

  • कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी ग्रोथ तेज़ी से बढ़ी थी।
  • लेकिन महामारी के बाद एडटेक सेक्टर में मांग धीमी हुई है।

कंपनी के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है:

  1. रेवेन्यू को दोबारा ग्रोथ ट्रैक पर लाना।
  2. नए यूज़र्स जोड़ना और मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखना।
  3. लागत और नवाचार के बीच संतुलन बनाना।

⚔️ प्रतिस्पर्धा

Unacademy का मुकाबला Byju’s, Vedantu और PhysicsWallah जैसे बड़े खिलाड़ियों से है।

  • Byju’s हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से जूझ रहा है।
  • वहीं PhysicsWallah ने लो-कॉस्ट मॉडल के जरिए बाज़ार में तेज़ी से जगह बनाई है।

Unacademy को अपनी पोज़िशन मजबूत रखने के लिए लगातार प्रोडक्ट इनोवेशन और ब्रांड वैल्यू पर काम करना होगा।


🚀 आगे का रास्ता

Unacademy का रोडमैप आने वाले वर्षों के लिए इस प्रकार हो सकता है:

  • टेस्ट प्रेप बिज़नेस पर और अधिक फोकस।
  • Graphy और PrepLadder जैसी कैश-पॉजिटिव यूनिट्स का विस्तार।
  • लॉस और रेवेन्यू ग्रोथ के बीच बैलेंस बनाना।
  • नए टेक-ड्रिवन लर्निंग टूल्स और AI बेस्ड सॉल्यूशंस लाना।

👉 निष्कर्ष
भले ही Unacademy का रेवेन्यू FY25 में घटा हो, लेकिन कंपनी ने जिस तरह से लॉस और EBITDA घाटे को कम किया है, वह निवेशकों और इंडस्ट्री के लिए एक पॉजिटिव संकेत है।
मजबूत कैश पोजीशन और लीडरशिप चेंज दिखाता है कि कंपनी सस्टेनेबल और प्रॉफिटेबल मॉडल की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।

Read more : Petpooja ने जुटाए ₹137 करोड़, रेस्टोरेंट SaaS सेक्टर में AI-ऑटोमेशन पर फोकस

🍽️ Petpooja ने जुटाए ₹137 करोड़, रेस्टोरेंट SaaS सेक्टर में AI-ऑटोमेशन पर फोकस

Petpooja

अहमदाबाद स्थित Restaurant POS और मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर Petpooja ने अपने सीरीज C फंडिंग राउंड में ₹137 करोड़ (लगभग $15.5 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Dharana Capital ने किया, जबकि Helion Ventures के को-फाउंडर आशीष गुप्ता, और Urban Company के को-फाउंडर्स अभिराज सिंह भाल व वरुण खैतन ने भी इसमें हिस्सा लिया।

यह फंडिंग कंपनी के लिए खास इसलिए है क्योंकि यह निवेश चार साल बाद आया है।


💰 फंडिंग डिटेल्स

  • Dharana Capital का निवेश: ₹82 करोड़
  • आशीष गुप्ता का निवेश: ₹1 करोड़
  • बाकी निवेश की अलॉटमेंट प्रक्रिया जारी है।

Entrackr के अनुमान के मुताबिक, इस निवेश से Petpooja का वैल्यूएशन ₹910 करोड़ ($103 मिलियन) तक पहुंच गया है। यह इसकी पिछली फंडिंग के मुकाबले 3.5 गुना अधिक है।
जब बाकी निवेश की राशि डिस्बर्स होगी, तब कंपनी का पोस्ट-मनी वैल्यूएशन और बदल सकता है।


🛠️ फंडिंग का उपयोग कहां होगा?

Petpooja ने साफ किया है कि यह नया कैपिटल निम्न क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा:

  1. प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को मजबूत करने में
  2. AI-ड्रिवन ऑटोमेशन को तेज़ करने में
  3. कस्टमर सपोर्ट को और बेहतर बनाने में

यानी कंपनी आने वाले समय में टेक्नोलॉजी अपग्रेड और स्केलेबिलिटी पर फोकस करेगी।


📖 Petpooja की कहानी

  • 2011 में Petpooja ने एक B2B फूड डिलीवरी वेंचर के रूप में शुरुआत की थी।
  • बाद में इसने SaaS प्लेटफॉर्म में पिवट किया, जहां यह क्लाउड-आधारित बिलिंग और रेस्टोरेंट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर ऑफर करता है।
  • आज कंपनी के 1 लाख से अधिक क्लाइंट्स भारत, UAE और साउथ अफ्रीका में हैं।
  • यह Zomato और Swiggy पर होने वाले 25% ऑनलाइन ऑर्डर वॉल्यूम्स को प्रोसेस करती है।

📊 वित्तीय प्रदर्शन

हालांकि FY25 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन FY24 में कंपनी का प्रदर्शन इस प्रकार रहा:

  • रेवेन्यू: ₹76 करोड़ (43% साल-दर-साल वृद्धि)
  • नेट लॉस: ₹13.4 करोड़ (घाटा कम हुआ)

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि कंपनी ग्रोथ के साथ-साथ अपने घाटे को भी कंट्रोल करने में सफल रही है।


📈 निवेश का अब तक का सफर

Petpooja ने अब तक कुल ₹185 करोड़ जुटाए हैं।

  • 2021 में Aroa Ventures की अगुवाई में $4.5 मिलियन सीरीज B फंडिंग की थी।
  • मौजूदा सीरीज C राउंड के बाद Dharana Capital की कंपनी में हिस्सेदारी 18.62% होगी (फुली डायल्यूटेड बेसिस पर)।

🌍 SaaS और F&B इंडस्ट्री में Petpooja की भूमिका

भारत में रेस्टोरेंट और फूड सर्विस इंडस्ट्री तेज़ी से टेक्नोलॉजी-ड्रिवन हो रही है। छोटे-छोटे SMB रेस्टोरेंट्स और कैफे को अब ऑटोमेटेड बिलिंग, इन्वेंटरी मैनेजमेंट और ऑनलाइन ऑर्डर इंटीग्रेशन जैसी सेवाओं की ज़रूरत होती है।

Petpooja का प्लेटफॉर्म इसी समस्या का हल देता है।

  • ऑर्डर मैनेजमेंट से लेकर किचन डिस्प्ले सिस्टम तक
  • ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर्स से कनेक्टिविटी
  • और अब AI-ड्रिवन सॉल्यूशंस

यानी यह प्लेटफॉर्म SMB रेस्टोरेंट्स को बड़ी चेन जैसी तकनीकी क्षमताएं प्रदान करता है।


⚖️ मुकाबला और मार्केट पोज़िशन

Petpooja का मुकाबला POS और रेस्टोरेंट SaaS इंडस्ट्री के अन्य प्लेयर्स जैसे Posist, LimeTray और UrbanPiper से है।
लेकिन Petpooja का बड़ा क्लाइंट बेस और इंटरनेशनल मौजूदगी इसे और कंपनियों से अलग पहचान दिलाता है।


🚀 आगे का रोडमैप

Petpooja इस फंडिंग का इस्तेमाल करके:

  • AI-संचालित इनोवेशन को मार्केट में उतारेगा।
  • वैश्विक विस्तार (खासतौर पर मध्य पूर्व और अफ्रीका) पर ध्यान देगा।
  • छोटे और मध्यम रेस्टोरेंट्स को सस्ती और स्केलेबल टेक्नोलॉजी मुहैया कराएगा।

👉 निष्कर्ष:
Petpooja की यह नई फंडिंग सिर्फ कंपनी के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के फूड सर्विस SaaS सेक्टर के लिए भी बड़ा संकेत है।
रेस्टोरेंट्स की बढ़ती डिजिटल डिमांड और AI की तेजी से बढ़ती भूमिका को देखते हुए, Petpooja आने वाले समय में इंडस्ट्री का लीडर बनने की क्षमता रखता है।

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