भारत की अग्रणी लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्लेटफ़ॉर्म Shiprocket ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। कंपनी ने न सिर्फ अपनी ऑपरेटिंग इनकम में 24% की सालाना वृद्धि दर्ज की है, बल्कि पहली बार EBITDA कैश पॉजिटिव ₹7 करोड़ हासिल किया है।
FY24 में कंपनी का EBITDA घाटा ₹128 करोड़ था।
कंपनी ने कहा कि यह उपलब्धि उसके कड़ी लागत अनुशासन और कोर बिजनेस से मजबूत नकदी प्रवाह का परिणाम है।
📈 FY25 में ₹1,632 करोड़ का कुल राजस्व
कंपनी के नवीनतम वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, Shiprocket का कुल राजस्व FY25 में बढ़कर ₹1,632 करोड़ हो गया, जो FY24 में ₹1,316 करोड़ था।
हालांकि पिछले साल कंपनी को ₹595 करोड़ का नेट लॉस हुआ था, जिसमें ₹244 करोड़ का एक्सेप्शनल खर्च भी शामिल था।
नई वित्तीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, FY25 में कंपनी का घाटा काफी घटकर ₹74.4 करोड़ रह गया है — यानी घाटे में करीब 87% की कमी दर्ज की गई है।
🚀 कोर बिजनेस बना मुनाफे का आधार
दिल्ली स्थित इस स्टार्टअप ने बताया कि उसका कोर बिजनेस सेगमेंट, जिसमें डोमेस्टिक शिपिंग प्लेटफ़ॉर्म और वैल्यू-ऐडेड टेक सेवाएं शामिल हैं, ने शानदार प्रदर्शन किया।
इस सेगमेंट की आय 20% बढ़कर ₹1,306 करोड़ तक पहुंच गई, जो कंपनी के कुल रेवेन्यू का लगभग 80% हिस्सा है।
इसने ₹157 करोड़ का कैश EBITDA जनरेट किया, जो सालाना आधार पर 2.2 गुना ज्यादा है।
Shiprocket के CFO तन्मय कुमार ने बताया —
“हमारा कोर बिजनेस पिछले पाँच वर्षों से लगातार EBITDA पॉजिटिव रहा है। यह एक परिपक्व और स्थिर सेगमेंट बन चुका है जो हमें टिकाऊ विकास की दिशा में मदद कर रहा है।”
🌎 उभरता हुआ बिजनेस सेगमेंट भी बढ़ा 41%
Shiprocket का उभरता हुआ सेगमेंट — जिसमें क्रॉस-बॉर्डर प्लेटफ़ॉर्म, मार्केटिंग और ओमनीचैनल सेवाएं शामिल हैं — भी तेजी से बढ़ा है।
FY25 में इस सेगमेंट की आय 41% बढ़कर ₹326 करोड़ रही, जो दो साल पहले सिर्फ 11% हिस्सेदारी से बढ़कर अब 20% तक पहुंच गई है।
कंपनी ने बताया कि इस बिजनेस में अब मार्जिन सुधार और स्केलेबिलिटी पर ध्यान दिया जा रहा है।
💼 खर्चों में सुधार और अनुशासन
कंपनी ने लागत प्रबंधन पर विशेष फोकस किया है।
- मर्चेंट सॉल्यूशन कॉस्ट: ₹1,213 करोड़ (20% की बढ़ोतरी)
- कर्मचारी लाभ खर्च: ₹315 करोड़ (27% की गिरावट)
- ESOP खर्च में गिरावट: ₹192.6 करोड़ से घटकर ₹91 करोड़
- अन्य खर्च (मार्केटिंग, सर्वर, वेयरहाउस, डिप्रिशिएशन आदि): ₹221 करोड़
FY25 में कंपनी का कुल खर्च ₹1,749 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग स्थिर है।
कंपनी के CFO तन्मय कुमार के अनुसार, “हमने कर्मचारियों की संख्या लगभग 1,300 पर बनाए रखी है और ESOP जैसी नॉन-कैश कॉस्ट को कम किया है। यह हमारे ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार का नतीजा है।”
💸 घाटा घटकर ₹74 करोड़ पर आया
Shiprocket के लिए FY25 एक टर्निंग पॉइंट रहा।
कंपनी ने अपने घाटे को ₹595 करोड़ से घटाकर ₹74.4 करोड़ तक सीमित किया।
इसमें डिसिप्लिन्ड कॉस्ट मैनेजमेंट, मजबूत कोर बिजनेस ग्रोथ और न्यूनतम नॉन-ऑपरेटिंग खर्चों की अहम भूमिका रही।
पिछले साल कंपनी के घाटे में ₹190 करोड़ के ESOP खर्च और ₹240 करोड़ के एक्सेप्शनल आइटम्स शामिल थे, जो FY25 में लगभग समाप्त हो गए।
📊 यूनिट इकॉनॉमिक्स और वित्तीय अनुपात में सुधार
FY25 में Shiprocket ने अपनी यूनिट इकॉनॉमिक्स को भी बेहतर बनाया है।
कंपनी ने ₹1.07 खर्च कर ₹1 की कमाई की, जबकि FY24 में यह अनुपात ₹1.30 था — यानी अब कंपनी अधिक कुशलता से राजस्व कमा रही है।
कंपनी का ROCE (Return on Capital Employed) -6.1% और EBITDA मार्जिन -3.68% रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि कंपनी प्रॉफिटेबिलिटी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
🏢 Shiprocket का सफर और भविष्य की रणनीति
2017 में लॉन्च हुई Shiprocket आज भारत की प्रमुख ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक बन चुकी है।
यह 3rd-party sellers, D2C ब्रांड्स और छोटे व्यापारियों को ऑनलाइन शिपिंग, ट्रैकिंग और रिटर्न सॉल्यूशंस प्रदान करती है।
FY25 में कंपनी ने अपने प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों ऑर्डर प्रोसेस किए और भारत के लगभग हर ज़िले तक डिलीवरी नेटवर्क का विस्तार किया।
भविष्य के लिए कंपनी का फोकस होगा:
- AI और टेक इंटीग्रेशन बढ़ाना
- क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स को और मज़बूत करना
- ऑमनीचैनल प्लेटफ़ॉर्म को स्केल करना
- और प्रॉफिटेबल ग्रोथ पर ध्यान देना
🔍 निष्कर्ष
FY25 Shiprocket के लिए टर्नअराउंड ईयर साबित हुआ है।
जहाँ कंपनी ने एक ओर अपनी राजस्व वृद्धि बनाए रखी, वहीं दूसरी ओर घाटे को काफी हद तक नियंत्रित किया।
अब कंपनी का अगला लक्ष्य है — EBITDA और नेट प्रॉफिट लेवल पर पूरी तरह लाभदायक बनना, जिससे वह भारत की अग्रणी टेक-सक्षम लॉजिस्टिक्स कंपनियों में अपनी जगह और मजबूत कर सके।
📌 मुख्य बातें एक नज़र में:
- 📈 राजस्व: ₹1,632 करोड़ (24% YoY ग्रोथ)
- 💰 EBITDA: ₹7 करोड़ (पहली बार पॉजिटिव)
- 📉 घाटा: ₹595 करोड़ → ₹74 करोड़
- 👨💼 कर्मचारी खर्च घटकर ₹315 करोड़
- ⚙️ कुल खर्च: ₹1,749 करोड़
- 🚀 यूनिट इकॉनॉमिक्स में सुधार (₹1.30 → ₹1.07 प्रति ₹1 रेवेन्यू)
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