Rapido ने सीरीज E फंडिंग राउंड में ₹250 करोड़ जुटाए,

Rapido

भारत की प्रमुख माइक्रो-मोबिलिटी फर्म Rapido ने सीरीज E फंडिंग राउंड में ₹250 करोड़ (~$29.7 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड में Prosus मुख्य निवेशक के रूप में शामिल हुआ है। यह निवेश उस फंडिंग के सिर्फ 7 महीने बाद आया है, जब Rapido ने WestBridge के नेतृत्व में $120 मिलियन जुटाए थे

फंडिंग ब्रेकअप: Rapido कैसे जुटाए गए ₹250 करोड़?

Rapido के बोर्ड ने एक विशेष प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत 47,743 सीरीज E प्रेफरेंस शेयर्स को ₹52,467 प्रति शेयर की कीमत पर जारी किया गया है। इस राउंड में कुल ₹250 करोड़ ($29.7 मिलियन) जुटाए गए हैं।

👉 सीरीज E राउंड में कुल निवेश – $200 मिलियन
👉 Rapido की मौजूदा वैल्यूएशन – $1.1 बिलियन (~₹8,726 करोड़)

Prosus की Rapido में हिस्सेदारी

इस नए निवेश के बाद Prosus की Rapido में हिस्सेदारी लगभग 2.9% हो जाएगी। इसके साथ ही, कंपनी की कुल वैल्यूएशन ₹8,726 करोड़ (~$1.1 बिलियन) तक पहुंच गई है, जो इसे यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की सूची में बनाए रखता है

Rapido की ग्रोथ: मजबूत राजस्व और घाटे में कमी

Rapido ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 46.3% सालाना ग्रोथ दर्ज की और कंपनी का राजस्व ₹648 करोड़ तक पहुंच गया।

👉 राजस्व (FY24) – ₹648 करोड़
👉 घाटा (FY24) – ₹371 करोड़ (45% की कमी)

कंपनी ने अपने घाटे को 45% तक कम किया, जो पहले की तुलना में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह दर्शाता है कि Rapido अपनी फाइनेंशियल हेल्थ को मजबूत कर रहा है और प्रॉफिटेबिलिटी की ओर बढ़ रहा है

Rapido: भारत की अग्रणी बाइक टैक्सी सर्विस

Rapido एक राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म है, जो मुख्य रूप से बाइक टैक्सी, ऑटो रिक्शा और डिलीवरी सेवाएं प्रदान करता है। यह भारत के 100+ शहरों में काम कर रहा है और तेजी से अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है।

Rapido की सफलता के पीछे की रणनीति

  1. बाइक टैक्सियों की लोकप्रियता – बड़े शहरों में ट्रैफिक की समस्या के कारण, बाइक टैक्सियों की डिमांड बढ़ रही है।
  2. कम लागत, ज्यादा सुविधा – Rapido की सेवाएं अन्य राइड-हेलिंग कंपनियों की तुलना में सस्ती हैं, जिससे यह आम लोगों के लिए किफायती विकल्प बनता है।
  3. डिजिटल पेमेंट और ऑफर्स – कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर डिजिटल वॉलेट और डिस्काउंट ऑफर्स के जरिए ग्राहकों को आकर्षित कर रही है।
  4. ऑटो और डिलीवरी सेगमेंट में विस्तार – Rapido सिर्फ बाइक टैक्सियों तक सीमित नहीं है; अब यह ऑटो राइड्स और डिलीवरी सर्विसेज में भी अपनी पकड़ बना रहा है।

Rapido की भविष्य की योजनाएं

👉 अधिक शहरों में विस्तार – कंपनी आने वाले समय में नए भारतीय शहरों में अपनी सेवाएं लॉन्च कर सकती है।
👉 ऑटो और डिलीवरी सेगमेंट को मजबूत करना – बाइक टैक्सियों के अलावा, Rapido ऑटो सेवाओं और हाइपरलोकल डिलीवरी पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
👉 प्रॉफिटेबिलिटी पर फोकस – घाटे को और कम करने और कंपनी को प्रॉफिटेबल बनाने के लिए नए बिजनेस मॉडल अपनाए जाएंगे।

निष्कर्ष

Rapido की ₹250 करोड़ (~$29.7 मिलियन) की ताजा फंडिंग से यह साफ है कि भारत में माइक्रो-मोबिलिटी और बाइक टैक्सी सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। Prosus जैसे बड़े निवेशकों की भागीदारी इस बात को दर्शाती है कि Rapido का भविष्य उज्ज्वल है।

अगर कंपनी अपनी मौजूदा ग्रोथ को बनाए रखती है, तो यह आने वाले वर्षों में भारत की सबसे बड़ी राइड-हेलिंग कंपनियों में शामिल हो सकती है। 🚀

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The Whole Truth ने सीरीज C फंडिंग राउंड में ₹133.3 करोड़ जुटाए,

The Whole Truth

क्लीन-लेबल हेल्थ फूड ब्रांड The Whole Truth ने ₹133.3 करोड़ (~$15.8 मिलियन) की सीरीज C फंडिंग जुटाई है। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Sofina Ventures ने किया, जिसमें Peak XV और Matrix Partners ने भी भाग लिया।

कंपनी की RoC (Registrar of Companies) फाइलिंग के अनुसार, The Whole Truth के बोर्ड ने 45,097 सीरीज C प्रेफरेंस शेयर्स को ₹29,556.5 प्रति शेयर की कीमत पर जारी करने की मंजूरी दी है।

फंडिंग ब्रेकअप: The Whole Truth कौन कितना निवेश कर रहा है?

इस निवेश राउंड में कई प्रमुख निवेशकों ने भाग लिया:

  • Sofina Ventures – ₹65.8 करोड़
  • Peak XV Partners – ₹25 करोड़
  • Matrix Partners – ₹29.5 करोड़
  • Sauce Continued Fund – ₹13 करोड़

The Whole Truth की नई वैल्यूएशन

इस नए निवेश के साथ, मुंबई स्थित The Whole Truth की कुल वैल्यूएशन ₹2,135 करोड़ (~$254 मिलियन) तक पहुंच गई है। यह पिछले सीरीज B राउंड की तुलना में 3.6 गुना अधिक वृद्धि है, जब कंपनी की वैल्यूएशन $70 मिलियन थी।

The Whole Truth में प्रमुख निवेशकों की हिस्सेदारी

नए फंडिंग राउंड के बाद कंपनी में प्रमुख निवेशकों की हिस्सेदारी इस प्रकार होगी:

  • Peak XV – 21.14%
  • Matrix Partners – 21.4%
  • Sofina Ventures – 3.08%
  • Sauce Continuity – 3.77%

फंडिंग का उपयोग: बिजनेस एक्सपेंशन और फाइनेंशियल जरूरतें

कंपनी ने इस ताजा फंडिंग को अपने वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और बिजनेस के विस्तार के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है।

The Whole Truth और संभावित अतिरिक्त फंडिंग

रिपोर्ट्स के अनुसार, The Whole Truth इस फंडिंग राउंड में कुल $25 मिलियन जुटाने की योजना बना रही थी। अभी तक कंपनी ने $15.8 मिलियन सुरक्षित कर लिए हैं और यह संभावना है कि राउंड आगे बढ़ने पर अतिरिक्त निवेश प्राप्त हो सकता है

The Whole Truth: क्या ऑफर करता है यह ब्रांड?

The Whole Truth एक क्लीन-लेबल हेल्थ फूड ब्रांड है, जो प्रोटीन बार, पीनट बटर, डार्क चॉकलेट, एनर्जी बार, इम्यूनिटी बॉल्स और म्यूसली जैसे हेल्दी प्रोडक्ट्स ऑफर करता है।

कंपनी की सेल्स स्ट्रैटेजी

  • The Whole Truth अपने ग्राहकों को सब्सक्रिप्शन मॉडल भी प्रदान करता है।
  • कंपनी का दावा है कि उसकी 80-85% सेल्स उसकी वेबसाइट से होती हैं।
  • शेष राजस्व पार्टनरशिप और अन्य चैनलों से आता है।

The Whole Truth की बढ़ती लोकप्रियता

भारत में हेल्दी और क्लीन-लेबल फूड प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। उपभोक्ता अब केमिकल-फ्री, शुगर-फ्री और प्रिजर्वेटिव-फ्री प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस ट्रेंड का फायदा उठाकर The Whole Truth ने खुद को इस सेगमेंट में एक प्रमुख ब्रांड के रूप में स्थापित किया है।

The Whole Truth की भविष्य की योजनाएं

👉 प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार – कंपनी आने वाले समय में नई हेल्दी फूड कैटेगरीज में प्रवेश कर सकती है।
👉 मार्केट एक्सपेंशन – The Whole Truth भारतीय मार्केट के अलावा अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी विस्तार करने की योजना बना सकती है।
👉 डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल को मजबूत बनाना – कंपनी अपनी वेबसाइट और डिजिटल चैनलों पर फोकस बढ़ा रही है ताकि ग्राहकों से सीधे जुड़ सके।

निष्कर्ष

The Whole Truth की ₹133.3 करोड़ (~$15.8 मिलियन) की सीरीज C फंडिंग से यह साफ है कि भारत में हेल्दी फूड और D2C ब्रांड्स का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। Sofina Ventures, Peak XV, और Matrix Partners जैसे बड़े निवेशकों की भागीदारी यह दर्शाती है कि The Whole Truth का भविष्य उज्जवल है।

अगर कंपनी अपनी मौजूदा ग्रोथ को बनाए रखती है, तो यह आने वाले वर्षों में भारत का सबसे बड़ा हेल्दी फूड ब्रांड बन सकता है। 🚀

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Awfis ने Q3 FY25 में 44% की वृद्धि दर्ज की, ₹15.1 करोड़ का लाभ हासिल किया

Awfis

भारत की प्रमुख को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर कंपनी Awfis ने चालू वित्त वर्ष (FY25) की तीसरी तिमाही (Q3) में 44% सालाना (YoY) वृद्धि दर्ज की है। दिल्ली स्थित इस स्टार्टअप का मुनाफा इसी अवधि में ₹15.1 करोड़ पर पहुंच गया।

Awfis की राजस्व (Revenue) आय Q3 FY25 में बढ़कर ₹318 करोड़ हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि (Q3 FY24) में ₹221 करोड़ थी।

Awfis की ग्रोथ और बिजनेस मॉडल

Awfis की स्थापना 2015 में हुई थी और यह स्टार्टअप्स, छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs), और बड़ी कंपनियों के लिए कस्टमाइज्ड ऑफिस स्पेस प्रदान करता है। इसके अलावा, यह फूड और बेवरेजेस, IT सपोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज जैसी एडिशनल सर्विसेज भी ऑफर करता है।

कंपनी की ग्रोथ का प्रमुख कारण भारत में हाइब्रिड और फ्लेक्सिबल वर्किंग मॉडल की बढ़ती मांग है। स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियां पारंपरिक ऑफिस लीज़ के बजाय शॉर्ट-टर्म और फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे को-वर्किंग स्पेस इंडस्ट्री तेजी से ग्रोथ कर रही है

Awfis के कुल ऑपरेटिंग रेवेन्यू का 76.7% हिस्सा को-वर्किंग स्पेस रेंटल और इससे जुड़ी सेवाओं से आया।

  • को-वर्किंग स्पेस रेंटल और संबंधित सेवाओं से कंपनी की आय Q3 FY25 में ₹244 करोड़ रही, जो कि Q3 FY24 के ₹160 करोड़ से 52.5% अधिक है।
  • कंस्ट्रक्शन, फिट-आउट प्रोजेक्ट्स, फैसिलिटी मैनेजमेंट और फूड आइटम्स की बिक्री भी कंपनी के अन्य राजस्व स्रोत रहे।

कंपनी ने चालू वित्त वर्ष (FY25) की पहली 9 महीनों में ₹868 करोड़ का कुल राजस्व अर्जित किया और इस दौरान इसका शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹56.6 करोड़ दर्ज किया गया।

Awfis के खर्चों में बढ़ोतरी

कंपनी का कुल खर्च Q3 FY25 में 36.6% बढ़कर ₹317 करोड़ हो गया, जबकि Q3 FY24 में यह ₹232 करोड़ था।

प्रमुख खर्चों की श्रेणियां:

सब-कॉन्ट्रैक्टिंग और ट्रेडेड गुड्स की खरीद – कुल खर्च का 22%
एम्प्लॉयी बेनेफिट्स (Employee Benefits)
डिप्रिसिएशन और एमॉर्टाइज़ेशन (Depreciation & Amortization)
फाइनेंस कॉस्ट्स (Finance Costs)

इन बढ़ते खर्चों के बावजूद, कंपनी की राजस्व वृद्धि और ऑपरेशनल एफिशिएंसी ने इसे लाभ में बनाए रखा है।

मुनाफे में जबरदस्त उछाल

Awfis ने Q3 FY25 में ₹15.1 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जबकि पिछले साल (Q3 FY24) में इसे ₹6.2 करोड़ का नुकसान हुआ था।

हालांकि, दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में कंपनी का शुद्ध लाभ ₹38.6 करोड़ था, जिससे Q3 में सीक्वेंशियल रूप से गिरावट देखी गई।

शेयर बाजार में प्रदर्शन

Awfis का शेयर ₹664 प्रति शेयर पर बंद हुआ, जो 3.36% की गिरावट को दर्शाता है।

वर्तमान में, कंपनी की कुल बाजार पूंजी (Market Capitalization) ₹4,702 करोड़ (~$559 मिलियन) है।

भारत में को-वर्किंग स्पेस इंडस्ट्री का विस्तार

Awfis की ग्रोथ से साफ संकेत मिलता है कि भारत में को-वर्किंग स्पेस इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है

किन कारणों से को-वर्किंग स्पेस की मांग बढ़ रही है?
📌 हाइब्रिड वर्क कल्चर का बढ़ना – कोविड-19 के बाद कई कंपनियां स्थायी रूप से हाइब्रिड वर्क मॉडल अपनाने लगी हैं।
📌 कॉर्पोरेट्स और स्टार्टअप्स का झुकाव – कई बड़ी कंपनियां और स्टार्टअप्स फिक्स्ड ऑफिस लीज़ के बजाय फ्लेक्सिबल स्पेस को चुन रहे हैं।
📌 मेट्रो और टियर-2 शहरों में विस्तार – कंपनियां दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के अलावा टियर-2 शहरों में भी को-वर्किंग स्पेस की मांग बढ़ा रही हैं।

Awfis इस बढ़ती मांग का फायदा उठाकर अपनी सेवाओं का विस्तार कर सकता है और नए शहरों में अपने सेंटर खोल सकता है।

Awfis की भविष्य की रणनीति

आने वाले समय में, Awfis अपने कारोबार को और अधिक डिजिटल और टेक-इनेबल्ड समाधान के साथ आगे बढ़ाने की योजना बना सकता है।

👉 नए शहरों में विस्तार – कंपनी आने वाले वर्षों में भारत के प्रमुख टियर-2 और टियर-3 शहरों में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकती है।
👉 कॉर्पोरेट पार्टनरशिप बढ़ाना – Awfis बड़ी कंपनियों के साथ लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स साइन कर सकता है।
👉 डिजिटल बुकिंग और ऑन-डिमांड वर्कस्पेस – कंपनी AI और ऑटोमेशन की मदद से अपने ग्राहकों को तेजी से सर्विस दे सकती है।
👉 नए रेवेन्यू मॉडल – Awfis फिट-आउट और कस्टम वर्कस्पेस डिजाइन जैसी एडिशनल सर्विसेज को बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष

Awfis ने Q3 FY25 में 44% की सालाना ग्रोथ के साथ शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी की राजस्व आय ₹318 करोड़ तक पहुंच गई और ₹15.1 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया गया।

भारत में को-वर्किंग स्पेस इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है और Awfis इस बढ़ती मांग का सबसे अधिक लाभ उठा सकता है।

अगर कंपनी अपने विस्तार और टेक्नोलॉजी-संचालित सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करती है, तो आने वाले वर्षों में यह भारत की सबसे बड़ी को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइडर बन सकती है। 🚀

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VC फर्म Triton ने लॉन्च किया अपना दूसरा फंड, ₹240 करोड़ का लक्ष्य

Triton

मुंबई स्थित वेंचर कैपिटल (VC) फर्म Triton Investment Advisors ने अपने दूसरे फंड (Fund II) का पहला क्लोज़ करने की घोषणा की है। यह फंड कुल ₹240 करोड़ ($28 मिलियन) जुटाने का लक्ष्य रखता है, जो कि इसके पहले फंड से पाँच गुना बड़ा है।

Triton का यह नया फंड मुख्य रूप से B2B टेक और टेक-इनेबल्ड सर्विसेज पर केंद्रित रहेगा। इस फंड का उद्देश्य नई टेक्नोलॉजी इनोवेशन को बढ़ावा देना और हाई-पोटेंशियल स्टार्टअप्स को सपोर्ट करना है।

Triton Investment Advisors Fund II: स्टार्टअप इकोसिस्टम को मिलेगा नया बढ़ावा

Triton Investment Advisors ने बताया कि Fund II का फोकस प्री-सीरीज़ A और सीरीज़ A राउंड में निवेश करना रहेगा। इस फंड के तहत प्रत्येक स्टार्टअप में ₹8–16 करोड़ ($1-2 मिलियन) का शुरुआती निवेश किया जाएगा।

किन सेक्टर्स में करेगा निवेश?

Triton Fund II का मुख्य फोकस B2B टेक और टेक-इनेबल्ड सर्विसेज पर रहेगा। खासतौर पर निम्नलिखित सेक्टर्स में निवेश करने की योजना है:

एंटरप्राइज़ SaaS (Enterprise SaaS) – बिजनेस सॉल्यूशंस के लिए एडवांस्ड सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट
SMB टेक – छोटे और मध्यम व्यवसायों (Small & Medium Businesses) के लिए टेक्नोलॉजी-संचालित समाधान
एजेंटिक AI (Agentic AI) – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऑटोमेशन और बिजनेस ऑपरेशंस में सुधार
डीपटेक (Deeptech) – एडवांस्ड साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन पर आधारित कंपनियां
टेक-इनेबल्ड सर्विसेज – डिजिटल और टेक्नोलॉजी ड्रिवन बिजनेस मॉडल

पहले फंड (Fund I) की सफलता और Triton की ग्रोथ

Triton ने इससे पहले Fund I के जरिए कई प्रॉमिसिंग स्टार्टअप्स में निवेश किया था। Fund I ने एंटरप्राइज़ SaaS, AI, B2B मार्केटप्लेस और मार्केटिंग सर्विसेज के क्षेत्रों में कई प्रभावशाली व्यवसायों को फंडिंग प्रदान की थी।

Fund I के तहत Triton ने Recykal, ZingHR, CamCom और Bizom जैसी कंपनियों में निवेश किया था, जो भारतीय टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव ला रही हैं।

अब, Fund I की सफलता और मजबूत रिटर्न के बाद, Triton Fund II को सफलतापूर्वक लागू करने की रणनीति पर काम कर रहा है

Triton: भारत के टेक-ड्रिवन स्टार्टअप्स का भरोसेमंद पार्टनर

Triton को टेक-इनेबल्ड इंटरप्राइजेज में गहरी विशेषज्ञता और भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की गहरी समझ के लिए जाना जाता है। कंपनी का दावा है कि अब तक किए गए सभी निवेश 100% सफलता दर (Success Rate) के साथ रहे हैं।

Triton मुख्य रूप से उन स्टार्टअप्स को बैक करता है, जिनके पास हाई-ग्रोथ पोटेंशियल है और जो B2B टेक और टेक-इनेबल्ड बिजनेस मॉडल्स पर केंद्रित हैं।

Triton Fund II से भारतीय स्टार्टअप्स को क्या मिलेगा?

Triton का यह दूसरा फंड भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर और संभावनाओं के दरवाजे खोलेगा। इस फंडिंग से स्टार्टअप्स को निम्नलिखित प्रमुख लाभ मिल सकते हैं:

💰 प्री-सीरीज़ A और सीरीज़ A फंडिंग – शुरुआती चरण में कंपनियों को आवश्यक पूंजी समर्थन
🚀 ग्रोथ एक्सेलेरेशन – स्टार्टअप्स को तेजी से विस्तार और स्केल करने का अवसर
🎯 गहरी इंडस्ट्री विशेषज्ञता – Triton के अनुभव से टेक स्टार्टअप्स को रणनीतिक मार्गदर्शन
🌎 इनोवेशन को बढ़ावा – नए और क्रांतिकारी टेक-सॉल्यूशंस को विकसित करने का मौका

Triton का मानना है कि Fund II न केवल नए स्टार्टअप्स को पूंजी प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें एक मजबूत बिजनेस मॉडल विकसित करने में भी मदद करेगा

भारत में B2B टेक स्टार्टअप्स का बढ़ता प्रभाव

भारत का B2B टेक और SaaS सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और इसमें भारी संभावनाएं हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भारत के SaaS स्टार्टअप्स ने ग्लोबल मार्केट में बड़ी पहचान बनाई है

  • भारतीय SaaS कंपनियों को हर साल अरबों डॉलर का निवेश मिल रहा है
  • B2B मार्केटप्लेस और AI स्टार्टअप्स में जबरदस्त ग्रोथ देखी जा रही है
  • इंडियन टेक स्टार्टअप्स वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं

Triton जैसे निवेशकों के मजबूत समर्थन से, भारत का B2B टेक सेक्टर और अधिक इनोवेशन और स्केलिंग के लिए तैयार है

Triton Fund II का प्रभाव और भविष्य की रणनीति

Triton का नया फंड भारत में B2B टेक और SaaS स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। कंपनी का लक्ष्य न केवल पूंजी निवेश करना है, बल्कि स्टार्टअप्स को रणनीतिक समर्थन भी प्रदान करना है

Triton की निवेश रणनीति में निम्नलिखित प्राथमिक बातें शामिल हैं:

📌 हाई-पोटेंशियल स्टार्टअप्स की पहचान – केवल उन कंपनियों में निवेश जो लॉन्ग-टर्म वैल्यू क्रिएट कर सकती हैं
📌 हैंड्स-ऑन अप्रोच – निवेश के बाद स्टार्टअप्स को बिजनेस डेवलपमेंट और ग्रोथ में सहायता
📌 B2B मार्केटप्लेस, SaaS और AI को प्राथमिकता – डेटा और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कंपनियों पर फोकस

Triton Fund II भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खोलेगा और टेक्नोलॉजी सेक्टर में महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा

निष्कर्ष

Triton Fund II भारतीय B2B टेक और टेक-इनेबल्ड स्टार्टअप्स को ग्रोथ, इनोवेशन और इंटरनेशनल स्केलिंग के लिए नई ऊर्जा देगा

₹240 करोड़ ($28 मिलियन) का यह फंड स्टार्टअप्स को शुरुआती स्टेज में महत्वपूर्ण वित्तीय और रणनीतिक सहायता प्रदान करेगा। इसके साथ ही, Triton की गहरी विशेषज्ञता और 100% सफलता दर इसे भारतीय स्टार्टअप्स के लिए सबसे भरोसेमंद निवेशकों में से एक बनाती है

आने वाले वर्षों में, Triton Fund II भारतीय B2B स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है 🚀।

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BorderPlus ने जुटाए ₹60 करोड़,

BorderPlus

नई उम्र का क्रॉस-बॉर्डर वर्कफोर्स मोबिलिटी प्लेटफॉर्म BorderPlus ने अपनी पहली संस्थागत फंडिंग (Institutional Funding) राउंड में ₹60 करोड़ ($7 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Owl Ventures ने किया, जिसमें कई बड़े उद्यमियों ने भाग लिया, जिनमें बिन्नी बंसल (Flipkart के को-फाउंडर), मिथुन सचेटी, रितेश अग्रवाल (OYO के फाउंडर), आकाश चौधरी और अपूर्व पाटनी शामिल हैं।

Border Plus का मिशन: भारतीय स्किल्ड वर्कर्स के लिए इंटरनेशनल करियर के नए दरवाजे खोलना

Border Plus इस फंडिंग का उपयोग भारतीय स्किल्ड वर्कर्स, विशेष रूप से हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और नर्सों के लिए इंटरनेशनल करियर ऑप्शंस को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए करेगा। कंपनी का उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें भाषा प्रशिक्षण, वीज़ा प्रोसेसिंग, नौकरी के अवसर, सांस्कृतिक समायोजन (Cultural Integration), स्थानीय योग्यता मान्यता (Qualification Recognition), वित्तीय सहायता और टैलेंट लीज़िंग जैसी सेवाएं शामिल हैं।

जनवरी 2024 में हुई थी BorderPlus की शुरुआत

BorderPlus की स्थापना upGrad के को-फाउंडर मयंक कुमार और OYO के पूर्व वरिष्ठ लीडर आयुष माथुर ने जनवरी 2024 में की थी। यह प्लेटफॉर्म भारत के स्किल्ड वर्कर्स को ग्लोबल करियर में नई संभावनाएं प्रदान करने के लिए एक एंड-टू-एंड समाधान उपलब्ध कराता है

कंपनी का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टैलेंट को सही अवसर दिलाना और उन्हें उन देशों में भेजना है, जहां उनकी स्किल्स की भारी मांग है। शुरुआत में, BorderPlus हेल्थकेयर सेक्टर पर फोकस कर रहा है, खासतौर पर भारतीय नर्सों को ग्लोबल लेवल पर प्लेस करने के लिए व्यापक ट्रेनिंग दे रहा है।

BorderPlus कैसे कर रहा है स्किल्ड वर्कर्स की मदद?

BorderPlus सिर्फ एक जॉब प्लेसमेंट प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि यह वर्कर्स को शुरू से लेकर इंटरनेशनल जॉब तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना रहा है। इसमें ये सेवाएं शामिल हैं:

फिनिशिंग स्कूल ट्रेनिंग – स्किल्स को इंटरनेशनल लेवल पर अपग्रेड करने के लिए विशेष ट्रेनिंग
भाषा सीखने की सुविधा – नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को इंग्लिश और अन्य जरूरी भाषाओं में दक्ष बनाने के लिए कोर्सेस
वीज़ा प्रोसेसिंग – डॉक्युमेंटेशन और अप्रूवल प्रक्रिया में मदद
रोजगार के अवसर – इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, हेल्थकेयर कंपनियों और अन्य संस्थानों में जॉब प्लेसमेंट
सांस्कृतिक अनुकूलन (Cultural Integration) – नए देश में एडजस्ट करने के लिए विशेष मार्गदर्शन
स्थानीय योग्यता मान्यता (Qualification Recognition) – विदेशी नियमों के अनुसार भारतीय डिग्री और प्रमाणपत्रों की मान्यता दिलाने में सहायता
वित्तीय सहायता और टैलेंट लीजिंग – जॉब पाने तक आर्थिक सहयोग और अन्य फाइनेंसिंग ऑप्शंस

पहली बैच की ट्रेनिंग हो चुकी है शुरू

BorderPlus ने पहले बैच की नर्सों की ट्रेनिंग पहले ही शुरू कर दी है। इन नर्सों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्लेसमेंट के लिए तैयार किया जा रहा है। इस व्यापक ट्रेनिंग प्रोग्राम में:

  • इंग्लिश लैंग्वेज ट्रेनिंग
  • वीज़ा प्रोसेसिंग और डॉक्युमेंटेशन
  • जॉब प्लेसमेंट की तैयारी
  • नई संस्कृति में ढलने की ट्रेनिंग
  • आर्थिक सहायता (फाइनेंसिंग) के विकल्प

शामिल हैं, जिससे भारतीय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स आसानी से अंतरराष्ट्रीय जॉब मार्केट में फिट हो सकें।

भारत के टैलेंट को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम

आज के समय में ग्लोबल हेल्थकेयर सेक्टर में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी कमी है, खासतौर पर नर्सिंग और अन्य हेल्थकेयर सेवाओं में। BorderPlus इस गैप को भरने का प्रयास कर रहा है और भारतीय वर्कफोर्स को उन देशों तक पहुंचाने में मदद कर रहा है, जहां उनकी जरूरत है।

भारत में हर साल लाखों नर्सिंग ग्रैजुएट्स निकलते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम को इंटरनेशनल करियर के अवसर मिल पाते हैं। इसके पीछे की वजहें हैं:

🔸 भाषा की बाधा – कई नर्सों को इंग्लिश में दक्षता नहीं होती
🔸 वीज़ा और डॉक्युमेंटेशन प्रक्रिया का जटिल होना
🔸 विदेशी अस्पतालों में भारतीय डिग्री की मान्यता न मिलना
🔸 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी पाने की जानकारी का अभाव

BorderPlus इन सभी समस्याओं को हल कर रहा है, ताकि भारतीय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स आसानी से ग्लोबल मार्केट में प्रवेश कर सकें

फंडिंग से क्या मिलेगा फायदा?

₹60 करोड़ की इस फंडिंग से BorderPlus को अपने ऑपरेशंस को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

  • हेल्थकेयर सेक्टर से आगे अन्य इंडस्ट्रीज़ में भी वर्कफोर्स मोबिलिटी लाने की योजना
  • अधिक देशों में विस्तार
  • अधिक संख्या में नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग और प्लेसमेंट की सुविधा
  • तकनीकी सुधार और डिजिटल प्लेटफॉर्म को और मजबूत बनाना

BorderPlus का भविष्य और संभावनाएं

BorderPlus का यह कदम न सिर्फ भारतीय वर्कर्स को इंटरनेशनल लेवल पर बेहतरीन अवसर दिलाएगा, बल्कि भारत के लिए भी रेमिटेंस (Remittance) और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।

BorderPlus भविष्य में:

📌 IT, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी और अन्य स्किल्ड सेक्टर्स में विस्तार कर सकता है
📌 डिजिटल टूल्स और AI का उपयोग कर प्रोसेस को और तेज़ और आसान बना सकता है
📌 ग्लोबल कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर इंटरनेशनल हायरिंग को बड़ा बना सकता है

निष्कर्ष

BorderPlus की यह फंडिंग भारतीय स्किल्ड वर्कफोर्स को ग्लोबल लेवल पर पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। खासतौर पर भारतीय नर्सों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए यह प्लेटफॉर्म करियर ग्रोथ के बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में यह दिखाता है कि क्रॉस-बॉर्डर करियर मोबिलिटी में बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं और आने वाले वर्षों में BorderPlus इस सेक्टर में बड़ा बदलाव ला सकता है। 🚀

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Fintech startup Rupeeflo को मिला $1 मिलियन का pre-seed funding

Rupeeflo

Rupeeflo भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की तैयारी में है। वर्तमान में, भारतीय प्रवासी (NRIs) भारत में निवेश करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनमें जटिल बैंकिंग प्रक्रियाएं, रेगुलेटरी बाधाएं और लंबी पेपरवर्क प्रक्रियाएं शामिल हैं। Rupeeflo इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए एक एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है, जिससे NRIs को तेज़, सरल और पारदर्शी इन्वेस्टमेंट प्रोसेस मिले।

कैसे काम करता है Rupeeflo?

Rupeeflo का प्लेटफॉर्म पूरी तरह से डिजिटल है, जिससे NRE/NRO अकाउंट खोलने से लेकर स्टॉक, म्यूचुअल फंड्स और अन्य निवेश विकल्पों तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया बेहद आसान हो जाती है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए:

  • केवल 10 मिनट में NRE/NRO अकाउंट खुलवा सकते हैं
  • इंस्टेंट UPI एक्सेस के जरिए तेज़ और आसान लेनदेन कर सकते हैं
  • बिना ज्यादा कागज़ी कार्यवाही के स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और इंडेक्स फंड्स में निवेश कर सकते हैं
  • भारत में निवेश से जुड़े सभी रेगुलेटरी नियमों को ऑटोमेटेड तरीके से मैनेज किया जाएगा

NRI निवेशकों के लिए क्यों जरूरी है यह बदलाव?

अभी तक, विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भारत में निवेश करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं:

  1. बैंकिंग प्रक्रिया का जटिल होना – NRE/NRO अकाउंट खोलने में हफ्तों का समय लग जाता था।
  2. रेगुलेटरी परेशानियां – भारत में निवेश के लिए अलग-अलग नियम और दस्तावेज़ीकरण प्रक्रियाएं होती थीं, जो बहुत मुश्किल और समय लेने वाली थीं।
  3. UPI का एक्सेस न होना – कई NRIs के पास भारतीय बैंक अकाउंट होते हुए भी वे UPI का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।
  4. सीमित इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस – NRIs के लिए भारत में स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और इंडेक्स फंड्स में निवेश करना आसान नहीं था।

Rupeeflo इन सभी समस्याओं को एक ही प्लेटफॉर्म से हल करने की योजना बना रहा है, जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए भारत में निवेश पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ हो जाएगा

फंडिंग से क्या होगा फायदा?

$1 मिलियन की इस फंडिंग से Rupeeflo को अपने प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाने और नई सुविधाएं जोड़ने का मौका मिलेगा। कंपनी मुख्य रूप से इन तीन प्रमुख चीजों पर ध्यान देगी:

  1. NRI इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म का विस्तार – Rupeeflo शुरुआत में अमेरिका और यूके से अपनी सेवाएं शुरू करेगा और धीरे-धीरे इसे अन्य देशों तक बढ़ाएगा।
  2. इंस्टेंट UPI एक्सेस – पहली बार NRIs को तेज़ और सुविधाजनक डिजिटल पेमेंट और निवेश सेवाएं मिलेंगी।
  3. ग्लोबल विस्तार – Rupeeflo जल्द ही कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, UAE और अन्य NRI हब्स में अपने ऑपरेशंस को बढ़ाने की योजना बना रहा है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम पर प्रभाव

भारत का फिनटेक सेक्टर पहले ही UPI, डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स के जरिए तेज़ी से बढ़ रहा है। Rupeeflo का यह कदम भारत के फिनटेक इकोसिस्टम को और मजबूत बनाएगा और भारतीय प्रवासियों को भी अपने देश में निवेश करने के लिए ज्यादा अवसर प्रदान करेगा

Piper Serica Angel Fund के इस निवेश से यह भी साबित होता है कि फिनटेक सेक्टर में NRIs को टारगेट करने वाले स्टार्टअप्स के लिए काफी संभावनाएं हैं

Piper Serica: निवेशकों का भरोसेमंद पार्टनर

Piper Serica भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश करने वाली एक प्रमुख एसेट मैनेजमेंट कंपनी है। यह कंपनी:

  • SEBI-रजिस्टर्ड PMS (Portfolio Management Services) संचालित करती है
  • मॉरीशस-स्थित एक ऑफशोर फंड को सलाह देती है
  • Piper Serica Angel Fund के जरिए शुरुआती स्टार्टअप्स में निवेश करती है
  • ₹1,000 करोड़ से अधिक के एसेट्स मैनेज करती है

Piper Serica का यह निवेश भारतीय फिनटेक स्पेस में NRIs के लिए एक बड़ा अवसर खोल सकता है और Rupeeflo को अपने विज़न को साकार करने में मदद करेगा।

क्या कहता है Rupeeflo का भविष्य?

Rupeeflo की यह नई फंडिंग भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री और ग्लोबल NRI इन्वेस्टमेंट मार्केट दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह स्टार्टअप:

  • अपने प्लेटफॉर्म पर नए इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस जोड़ सकता है
  • अन्य ग्लोबल मार्केट्स में विस्तार कर सकता है
  • AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके स्मार्ट इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस प्रदान कर सकता है

अगर Rupeeflo अपने प्लान को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो यह NRI इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री में गेम चेंजर साबित हो सकता है

निष्कर्ष

Rupeeflo भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में एक नई क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह स्टार्टअप न केवल विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए इन्वेस्टमेंट को आसान बनाएगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बड़ी मात्रा में विदेशी पूंजी के प्रवाह को बढ़ाएगा।

$1 मिलियन की इस फंडिंग से कंपनी को अपने प्लेटफॉर्म को और मजबूत करने, UPI इंटीग्रेशन लाने और ग्लोबल विस्तार करने में मदद मिलेगी। Piper Serica जैसे निवेशकों का सपोर्ट मिलने से Rupeeflo के भविष्य की संभावनाएं और भी मजबूत हो गई हैं।

क्या Rupeeflo भारतीय फिनटेक सेक्टर का अगला बड़ा नाम बनेगा? यह देखने के लिए हमें इसके आगे के कदमों पर नजर रखनी होगी! 🚀

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भारत में स्टार्टअप फंडिंग में 43% की गिरावट, 23 स्टार्टअप्स ने जुटाए $137 मिलियन

Last Week Indian startups

पिछले हफ्ते भारत के 23 स्टार्टअप्स ने कुल मिलाकर लगभग $137 मिलियन (~₹1,140 करोड़) की फंडिंग जुटाई। इसमें 5 ग्रोथ-स्टेज डील्स और 20 अर्ली-स्टेज डील्स शामिल हैं। इसके अलावा, 5 स्टार्टअप्स ने अपने निवेश के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए

इसके विपरीत, पिछले हफ्ते 30 स्टार्टअप्स ने लगभग $241 मिलियन (~₹2,000 करोड़) जुटाए थे। यानी इस हफ्ते स्टार्टअप फंडिंग में 43.15% की गिरावट दर्ज की गई


📌 ग्रोथ-स्टेज डील्स

इस हफ्ते ग्रोथ-स्टेज स्टार्टअप्स को कुल मिलाकर $88.5 मिलियन (~₹730 करोड़) की फंडिंग मिली।

🔹 Cashfree: डिजिटल पेमेंट कंपनी Cashfree ने $53 मिलियन जुटाए, इस दौर का नेतृत्व KRAFTON ने किया।
🔹 Shadowfax: लॉजिस्टिक्स कंपनी Shadowfax ने दो हिस्सों में $16.8 मिलियन जुटाए, निवेशक रहे Mirae Asset, Nokia Growth Partners, और Edelweiss
🔹 Apex Kidney Care: डायलिसिस सर्विस प्रोवाइडर Apex Kidney Care ने Blue Earth Capital से $9 मिलियन की फंडिंग हासिल की।
🔹 Nua: महिलाओं की वेलनेस और हाइजीन ब्रांड Nua को $4 मिलियन मिले।
🔹 Auxilo: एजुकेशन फोकस्ड NBFC Auxilo ने Motiwal Oswal से $5.7 मिलियन का डेब्ट फंडिंग जुटाई।


🚀 अर्ली-स्टेज डील्स

13 अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स ने कुल $48.43 मिलियन (~₹400 करोड़) की फंडिंग हासिल की।

🔹 TrueFoundry: AI स्टार्टअप TrueFoundry ने $19 मिलियन जुटाकर इस कैटेगरी में सबसे बड़ी डील की।
🔹 Cognida AI: एक और AI स्टार्टअप Cognida AI को फंडिंग मिली।
🔹 HairOriginals: D2C हेयर एक्सटेंशन और विग ब्रांड HairOriginals को निवेश मिला
🔹 Astra Security: साइबरसिक्योरिटी स्टार्टअप Astra Security को फंडिंग मिली
🔹 Dreamfly Innovations: बैटरी टेक स्टार्टअप Dreamfly Innovations ने निवेश जुटाया।
🔹 Fitspire: हेल्थ सप्लिमेंट ब्रांड Fitspire ने फंडिंग हासिल की।
🔹 COLUXE, Vahan AI, Sisters in Sweat सहित कुछ अन्य स्टार्टअप्स ने भी निवेश जुटाया, लेकिन उन्होंने राशि का खुलासा नहीं किया।


🏙️ शहर और सेक्टर के आधार पर फंडिंग ट्रेंड

📍 शहर:

  • बेंगलुरु (10 डील्स) ने सबसे अधिक निवेश आकर्षित किया।
  • इसके बाद दिल्ली-NCR, मुंबई, पुणे और हैदराबाद में स्टार्टअप्स को फंडिंग मिली।

📌 सेक्टर:

  • AI और हेल्थटेक स्टार्टअप्स ने टॉप किया, दोनों ने 5-5 डील्स हासिल की।
  • फिनटेक सेक्टर को 3 डील्स मिलीं।
  • लॉजिस्टिक्स, ई-कॉमर्स और SaaS स्टार्टअप्स ने भी निवेश प्राप्त किया।

📊 सीरीज के हिसाब से निवेश:

  • सीड फंडिंग (Seed Funding) सबसे आगे रही, इस कैटेगरी में 9 डील्स हुईं।
  • इसके बाद सीरीज A, प्री-सीड, सीरीज C, और सीरीज F की डील्स हुईं।

📉 वीकली फंडिंग ट्रेंड

🔻 इस हफ्ते भारतीय स्टार्टअप्स की कुल फंडिंग 43.15% गिरकर $136.93 मिलियन रह गई
📊 पिछले 8 हफ्तों का औसत फंडिंग $325.91 मिलियन रहा, जिसमें प्रति हफ्ते 25 डील्स हुईं


👥 प्रमुख नियुक्तियां और इस्तीफे

📌 नई नियुक्तियां:
🔹 Shadowfax ने Bijou Kurien, Ruchira Shukla, और Pirojshaw Sarkari को स्वतंत्र निदेशक (Independent Directors) नियुक्त किया।
🔹 Aisle (डेटिंग ऐप) ने Chandi Gaglani को हेड नियुक्त किया
🔹 Livspace ने अपने COO Ramakant Sharma को CEO बनाया, और पूर्व CEO अब बोर्ड चेयरमैन होंगे।
🔹 Delhivery ने Airtel की पूर्व CEO Vani Venkatesh को Chief Business Officer (CBO) नियुक्त किया
🔹 Namita Thapar (Emcure) और Sameer Mehta (boAt) को Delhivery के बोर्ड में जोड़ा गया

📌 इस्तीफे:
🔹 Flipkart के Chief Product & Technology Officer (CPTO) Jeyandran Venugopal ने इस्तीफा दिया
🔹 Good Glamm Group की को-फाउंडर Priyanka Gill ने Kalaari Capital से इस्तीफा देकर अपना नया ज्वेलरी ब्रांड COLUXE लॉन्च किया


💰 अधिग्रहण और फंड लॉन्च

🔹 Perfios ने CustomerXPs का अधिग्रहण किया
🔹 Adar Poonawalla के परिवार कार्यालय ने AstaGuru की 20% हिस्सेदारी खरीदी
🔹 Veefin Group ने UAE के TradeAssets को अधिग्रहित किया
🔹 Info Edge (Naukri, 99acres की पैरेंट कंपनी) ने $115 मिलियन का नया फंड लॉन्च किया


📢 नई लॉन्च और साझेदारियां

🔹 Bhavish Aggarwal ने Krutrim AI Labs लॉन्च किया ($240 मिलियन निवेश)
🔹 Ola Electric ने अपनी पहली EV बाइक “Roadster X Series” लॉन्च की
🔹 MediBuddy और जापानी कंपनी ELECOM ने IoT हेल्थ डिवाइसेस लॉन्च किए
🔹 Tata Communications और CoRover.ai ने AI सॉल्यूशन पर साझेदारी की
🔹 FlixBus और ETO Motors ने हैदराबाद-विजयवाड़ा के बीच ई-बस सर्विस शुरू की


📊 प्रमुख कंपनियों के वित्तीय नतीजे

🔻 Ola Electric: Q3 FY25 में 50% घाटा बढ़कर ₹564 करोड़ हुआ
📈 Swiggy: ₹4,000 करोड़ का रेवेन्यू दर्ज किया, InstaMart की ग्रोथ 2.1X रही।
📈 Info Edge: ₹722 करोड़ की आय, मुनाफा 2.5X बढ़ा।
📉 Pepperfry: घाटा 37.5% घटा।
📈 CaratLane: ₹1,117 करोड़ की आय, EBITDA ₹130 करोड़।
📈 Infibeam: मुनाफा 50% बढ़कर ₹64 करोड़ हुआ।


🔍 इस हफ्ते की बड़ी खबरें

📢 PhonePe ने अकाउंट एग्रीगेटर बिजनेस से एग्जिट लिया
📢 Zomato अब “Eternal Limited” के नाम से जाना जाएगा
📢 Shein भारत में रिलायंस रिटेल की साझेदारी में फिर लौटा
📢 HDFC बैंक स्टार्टअप्स को ₹20 करोड़ की सहायता देगा


🔚 निष्कर्ष

📉 भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में इस हफ्ते फंडिंग में गिरावट आई, लेकिन AI, हेल्थटेक, और फिनटेक स्टार्टअप्स ने अच्छा प्रदर्शन किया।

🚀 आने वाले महीनों में IPO और नई फंडिंग डील्स से भारतीय स्टार्टअप्स की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है!

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Urban Company ने IPO की तैयारी शुरू की,

Urban Company

भारत की प्रमुख होम सर्विसेज प्लेटफॉर्म Urban Company इस साल इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने की तैयारी कर रही है। कंपनी ने पब्लिक कंपनी में बदलकर शेयर बाजार में लिस्टिंग की दिशा में पहला बड़ा कदम उठा लिया है।

📌 Urban Company कंपनी ने नाम और स्टेटस में किया बदलाव

Urban Company के बोर्ड ने कंपनी के स्टेटस को ‘प्राइवेट’ से बदलकर ‘पब्लिक’ करने का प्रस्ताव पास किया। इसके साथ ही, कंपनी का नाम भी “Urbancalp Technologies India Private Limited” से बदलकर “Urbanclap Technologies India Limited” कर दिया गया है।

यह बदलाव IPO लाने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, क्योंकि कोई भी कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग से पहले ‘पब्लिक लिमिटेड’ बनना जरूरी होता है


💰 ₹3,000 करोड़ का IPO लाने की तैयारी

Urban Company का लक्ष्य लगभग ₹3,000 करोड़ (~$350 मिलियन) जुटाना है। इसके लिए Kotak Mahindra Bank, Goldman Sachs और Morgan Stanley को बतौर लीड मैनेजर्स नियुक्त किया गया है।

कंपनी मार्च के अंत तक ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल कर सकती है। यह दस्तावेज़ IPO लाने से पहले सेबी (SEBI) को सबमिट किया जाता है।


🔍 Prosus करेगी और निवेश, Bessemer करेगा आंशिक एग्जिट

Urban Company के IPO से पहले, Prosus अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना बना रही है

🛑 क्या है Prosus की योजना?

  • Prosus $30 मिलियन (~₹250 करोड़) का नया निवेश करने की योजना बना रही है।
  • यह निवेश सेकेंडरी डील के तहत होगा, यानी कंपनी को नई फंडिंग नहीं मिलेगी, बल्कि Bessemer Venture Partners अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर आंशिक एग्जिट करेगा।

📊 कंपनी की पिछली वैल्यूएशन और ESOP बायबैक

📌 Urban Company की वैल्यूएशन में हाल ही में कुछ उतार-चढ़ाव देखे गए हैं:

🔹 दिसंबर 2021:
➡️ कंपनी ने ESOP लिक्विडिटी प्रोग्राम पूरा किया
➡️ उस समय Urban Company की वैल्यूएशन $2.8 बिलियन थी।

🔹 2023:
➡️ Urban Company ने एक नया बायबैक प्रोग्राम लॉन्च किया
➡️ इस दौरान कंपनी की वैल्यूएशन $2.2-$2.5 बिलियन रही।

हालांकि, Urban Company की वैल्यूएशन में IPO के बाद बदलाव देखने को मिल सकता है


📈 Urban Company की ग्रोथ और मार्केट पोजीशन

👉 कौन-कौन सी सर्विस देती है कंपनी?

Urban Company होम सर्विसेज सेगमेंट में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है

🏠 प्रमुख सेवाएं:
✅ ब्यूटी और वेलनेस सर्विसेज
✅ होम क्लीनिंग और रिपेयरिंग
✅ इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, कारपेंटर जैसी सेवाएं
✅ एसी, वॉशिंग मशीन, और अन्य अप्लायंसेस की रिपेयरिंग

👉 कितने शहरों में काम कर रही है कंपनी?

Urban Company वर्तमान में भारत के 50+ शहरों में अपनी सेवाएं देती है और UAE, सिंगापुर, और ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मौजूद है।

👉 क्यों तेजी से बढ़ रही है कंपनी?

💡 Pandemic के बाद डिजिटल सर्विस बुकिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा, जिससे Urban Company जैसी ऑन-डिमांड सर्विस प्लेटफॉर्म्स को फायदा हुआ।

🚀 Urban Company की मुख्य ताकतें:
🔹 ट्रेंड और सर्टिफाइड सर्विस प्रोफेशनल्स
🔹 AI और टेक्नोलॉजी-बेस्ड बुकिंग और ऑपरेशन सिस्टम
🔹 मजबूत कस्टमर बेस और ब्रांड वैल्यू


📢 IPO क्यों ला रही है Urban Company?

🔍 IPO लाने के पीछे कंपनी के कुछ प्रमुख उद्देश्य हो सकते हैं:

कंपनी के विस्तार के लिए नया फंड जुटाना।
नए शहरों और इंटरनेशनल मार्केट्स में अपनी मौजूदगी बढ़ाना।
टेक्नोलॉजी अपग्रेड और नए सर्विस सेगमेंट में एंट्री करना।
इन्वेस्टर्स को एग्जिट का मौका देना।

📌 अगर IPO सफल होता है, तो Urban Company भारत की पहली बड़ी होम सर्विसेज कंपनी बन जाएगी जो शेयर बाजार में लिस्ट होगी।


💡 Urban Company का IPO निवेशकों के लिए कितना आकर्षक?

💹 Urban Company का IPO निवेशकों के लिए दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि:

✔️ भारत में ऑन-डिमांड होम सर्विसेज मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।
✔️ Urban Company के पास मजबूत ब्रांड वैल्यू और बड़ी ग्राहक संख्या है।
✔️ कंपनी का टेक-इनेबल्ड मॉडल इसे प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाता है।

📉 हालांकि, कुछ जोखिम भी हैं:
कंपनी अभी भी प्रॉफिटेबल नहीं है।
बाजार में नए खिलाड़ियों की एंट्री से मुकाबला बढ़ सकता है।
IPO के बाद स्टॉक प्राइस में वोलैटिलिटी रह सकती है।


🔚 निष्कर्ष

Urban Company का IPO भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा माइलस्टोन होगा।

💡 अगर कंपनी सफलतापूर्वक शेयर बाजार में लिस्ट होती है, तो यह भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक नई मिसाल कायम कर सकती है।

💰 निवेशकों के लिए भी यह एक रोमांचक अवसर हो सकता है, लेकिन इसमें जुड़े जोखिमों को समझना जरूरी होगा। 🚀

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PhonePe ने Account Aggregator बिज़नेस से किया एग्जिट

phonePe

भारत की डिजिटल पेमेंट दिग्गज PhonePe Group ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह Account Aggregator (AA) बिज़नेस से बाहर निकल रही है और अब इस सेगमेंट में अन्य अकाउंट एग्रीगेटर्स के साथ पार्टनरशिप करेगी।

कंपनी ने कहा कि वह अपना NBFC-AA लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरेंडर करेगी और अपने AA ऑपरेशन्स को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है


📌 Account Aggregator बिज़नेस से बाहर क्यों हुआ PhonePe?

👉 2023 में मिला था RBI का लाइसेंस

PhonePe को जून 2023 में RBI से Account Aggregator (AA) ऑपरेट करने का फाइनल लाइसेंस मिला था। इससे पहले, उसे 2023 की शुरुआत में इन-प्रिंसिपल अप्रूवल भी मिल चुका था।

👉 5 करोड़ यूजर्स जुड़ने के बावजूद FIP नेटवर्क नहीं बढ़ा

PhonePe ने बताया कि उसने पिछले दो सालों में लगभग 5 करोड़ भारतीयों को अपने AA प्लेटफॉर्म से जोड़ा। लेकिन कंपनी की प्राथमिकताओं में बदलाव के कारण, वह उतने Financial Information Providers (FIPs) को प्लेटफॉर्म पर नहीं जोड़ पाई, जितना उसने सोचा था।

👉 अन्य फिनटेक कंपनियों से होगी साझेदारी

अब कंपनी स्वयं इस बिज़नेस को ऑपरेट करने के बजाय अन्य Account Aggregators के साथ साझेदारी करेगी


🔍 क्या होता है Account Aggregator (AA) सिस्टम?

Account Aggregator एक फिनटेक सिस्टम है, जिसे RBI ने 2021 में लॉन्च किया था। इसके तहत, ग्राहक अपने बैंकिंग, निवेश और बीमा से जुड़े डेटा को सुरक्षित तरीके से शेयर कर सकते हैं।

📌 AA सिस्टम कैसे काम करता है?
1️⃣ यूज़र अपनी वित्तीय जानकारी को एक्सेस करने की अनुमति देता है।
2️⃣ AA प्लेटफॉर्म यह डेटा बैंकों और वित्तीय संस्थानों से इकट्ठा करता है।
3️⃣ फिनटेक कंपनियां, लोन प्रोवाइडर्स और अन्य संस्थान इसे यूज़र की सहमति से एक्सेस कर सकते हैं।

🚀 यह सिस्टम डिजिटल लोन, इन्वेस्टमेंट, और अन्य फाइनेंशियल सर्विसेज़ को तेज़ और आसान बनाता है।


📊 कौन हैं PhonePe के Payment Aggregator सेगमेंट के प्रतिस्पर्धी?

PhonePe का पेमेंट एग्रीगेटर बिज़नेस कई बड़ी कंपनियों से मुकाबला करता है, जिनमें शामिल हैं:

🔹 Paytm
🔹 Razorpay
🔹 PayU
🔹 CCAvenue
🔹 Cashfree

यह सभी कंपनियां पेमेंट प्रोसेसिंग, गेटवे सर्विसेज़ और बिज़नेस पेमेंट सॉल्यूशंस ऑफर करती हैं।


💡 PhonePe की अन्य हालिया रणनीतियां

1️⃣ Juspay से साझेदारी भी की खत्म

AA बिज़नेस से बाहर निकलने के कुछ ही दिनों बाद, PhonePe ने पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म Juspay के साथ अपनी साझेदारी को भी समाप्त कर दिया

अब कंपनी पेमेंट गेटवे सॉल्यूशंस को डायरेक्ट इंटीग्रेशन के माध्यम से ऑफर करेगी

2️⃣ बिज़नेस कोर पर फोकस

PhonePe अब अपने कोर बिज़नेस – UPI पेमेंट्स, डिजिटल बैंकिंग, और मर्चेंट पेमेंट सॉल्यूशंस पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।


📈 PhonePe के लिए आगे क्या?

PhonePe की रणनीति अब Account Aggregator बिज़नेस को छोड़कर अन्य डिजिटल फिनटेक सर्विसेज़ को मजबूत करने की है

🚀 संभावित फोकस एरिया:
UPI और पेमेंट सॉल्यूशंस को और विकसित करना।
मर्चेंट पेमेंट्स को और अधिक स्केलेबल बनाना।
इंश्योरेंस और क्रेडिट सेवाओं में विस्तार करना।
AI-आधारित फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस पर काम करना।


🔚 निष्कर्ष

PhonePe का Account Aggregator बिज़नेस से बाहर निकलना एक बड़ा निर्णय है, जो कंपनी की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

💡 हालांकि, PhonePe अभी भी भारत के सबसे बड़े डिजिटल फिनटेक ब्रांड्स में से एक बना रहेगा और अन्य क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश करेगा। 🚀

read more :Ola Electric को Q3 FY25 में बड़ा झटका, राजस्व में 19.4% की गिरावट,

Ola Electric को Q3 FY25 में बड़ा झटका, राजस्व में 19.4% की गिरावट,

ola electric

भारत की अग्रणी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता Ola Electricके लिए वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (Q3 FY25) उतार-चढ़ाव भरी रही। कंपनी के राजस्व में 19.4% की गिरावट आई, जबकि घाटा 50% तक बढ़ गया। हालाँकि, बिक्री के मामले में Ola Electric ने अब भी EV 2W बाजार में अपनी टॉप पोजिशन बनाए रखी है।


Q3 FY25 में Ola Electric का परफॉर्मेंस

📉 राजस्व में गिरावट, घाटे में बढ़ोतरी

  • Ola Electric का कुल राजस्व 👉 ₹1,296 करोड़ (Q3 FY24) से घटकर ₹1,045 करोड़ (Q3 FY25) हो गया।
  • कंपनी का घाटा 👉 ₹376 करोड़ (Q3 FY24) से बढ़कर ₹564 करोड़ (Q3 FY25) हो गया।
  • टोटल खर्च 👉 ₹1,505 करोड़ रहा, जिसमें कच्चे माल की लागत ₹851 करोड़ रही।

💡 मुख्य कारण:
✅ EV स्कूटर की बिक्री में गिरावट
✅ बैटरियों की कम बिक्री
✅ बढ़ते फिक्स्ड कॉस्ट और विज्ञापन खर्च


🔎 Ola Electric का खर्च कहां बढ़ा?

📌 प्रमुख खर्च:

1️⃣ कच्चे माल की लागत 👉 ₹851 करोड़ (कुल लागत का 56%)
2️⃣ कर्मचारियों की सैलरी और अन्य लाभ 👉 ₹320 करोड़
3️⃣ मार्केटिंग और विज्ञापन 👉 ₹180 करोड़
4️⃣ अन्य परिचालन लागत 👉 ₹154 करोड़

🚀 Ola Electric का EBITDA मार्जिन (लाभ मार्जिन) भी प्रभावित हुआ, जिससे कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में गिरावट आई।


🏆 EV 2W मार्केट में Ola Electric का दबदबा कायम

जनवरी 2025 में Ola Electric ने EV टू-व्हीलर बाजार में 24.91% मार्केट शेयर के साथ नंबर 1 पोजिशन हासिल की।

कंपनीजनवरी 2025 की बिक्री (यूनिट्स)मार्केट शेयर (%)
Ola Electric24,33024.91%
TVS Motors23,78824.38%
Bajaj Auto21,29421.80%

💡 सारांश: भले ही Ola Electric को तिमाही नुकसान झेलना पड़ा हो, लेकिन यह अब भी भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनी बनी हुई है।


📈 स्टॉक परफॉर्मेंस और वैल्यूएशन

  • Ola Electric का शेयर प्राइस 👉 ₹70 (01:57 PM तक)
  • मार्केट कैपिटलाइजेशन 👉 ₹30,902 करोड़ (~$3.67 बिलियन)

📉 तिमाही नतीजों के कारण Ola Electric के स्टॉक्स पर असर पड़ा है, लेकिन कंपनी का लंबी अवधि का परिदृश्य अब भी मजबूत बना हुआ है।


🚀 Ola Electric की आगे की रणनीति

कंपनी अपने घाटे को कम करने और बिक्री बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकती है:

नए स्कूटर मॉडल लॉन्च – ग्राहकों की नई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए ईवी लॉन्च कर सकती है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार – ज्यादा चार्जिंग स्टेशन बनाने से बिक्री में सुधार हो सकता है।
प्रोडक्शन कॉस्ट कम करना – बैटरी लागत और अन्य निर्माण खर्च घटाने की योजना पर काम हो सकता है।
बाजार में विस्तार – मिड-रेंज और लो-कॉस्ट ईवी सेगमेंट में कदम रख सकती है।
वित्तीय स्थिरता – खर्चों में कटौती करके और नए निवेशकों को जोड़कर कंपनी अपने फाइनेंशियल स्ट्रक्चर को मजबूत कर सकती है।


💡 निष्कर्ष

Ola Electric ने तिमाही में कमजोर वित्तीय प्रदर्शन किया, लेकिन EV मार्केट में अभी भी इसका दबदबा कायम है। कंपनी को बिक्री बढ़ाने और लागत घटाने पर ध्यान देना होगा, ताकि आगे के तिमाही में मुनाफा हासिल किया जा सके। 🚀

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