Burger Singh को बड़ा झटका: वित्त वर्ष 2024 में घाटे में छह गुना से ज्यादा बढ़ोतरी

Burger

फास्ट-फूड चेन Burger Singh, जिसने भारतीय बर्गर प्रेमियों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई है, वित्त वर्ष 2024 में बड़ा आर्थिक झटका झेल रही है। कंपनी का घाटा इस दौरान छह गुना से अधिक बढ़ गया, जबकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 34% की वृद्धि हुई।

Burger Singh रेवेन्यू में बढ़त, लेकिन घाटा भी बढ़ा

Burger Singh का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में ₹77.7 करोड़ तक पहुंच गया, जो FY23 में ₹57.8 करोड़ था। 12 साल पुरानी यह कंपनी अपने ग्राहकों को बर्गर, साइड्स, डेज़र्ट्स, और ड्रिंक्स का विस्तृत मेन्यू पेश करती है। कंपनी की बिक्री का मुख्य स्रोत उसके सेल्फ-ओन्ड आउटलेट्स और फ्रैंचाइज़ स्टोर्स हैं।

रेवेन्यू के तीन मुख्य स्रोत

Burger Singh का रेवेन्यू तीन स्रोतों से आता है:

  1. स्वयं संचालित स्टोर्स से बिक्री: कंपनी की कुल ऑपरेटिंग आय का 48% हिस्सा अपने स्टोर्स की बिक्री से आता है। FY24 में यह रेवेन्यू ₹37.66 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 60% बढ़ा।
  2. फ्रैंचाइज़ सेवाओं से आय: फ्रैंचाइज़ से जुड़ी सेवाओं से ₹10.81 करोड़ की आय हुई।
  3. फ्रैंचाइज़ स्टोर्स को माल की बिक्री: इस माध्यम से कंपनी ने ₹28.6 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया।

खर्चों में बड़ा हिस्सा कच्चे माल का

Burger Singh के लिए कच्चे माल की खरीद सबसे बड़ी लागत बन गई, जो कंपनी के कुल खर्च का 43% हिस्सा है। FY24 में कच्चे माल की लागत ₹39.2 करोड़ रही, जो FY23 के ₹29.9 करोड़ की तुलना में 31.3% बढ़ी।

अन्य खर्चों का विश्लेषण

कंपनी के संचालन में शामिल अन्य बड़े खर्च भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें कर्मचारियों का वेतन, मार्केटिंग, और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। हालांकि, बर्गर सिंह ने अपने फ्रैंचाइज़ मॉडल पर जोर दिया है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लागत ने कंपनी के मुनाफे को प्रभावित किया है।

मार्केट में Burger Singh की स्थिति

भारतीय फूड मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Burger Singh ने अपने आप को एक देसी ट्विस्ट के साथ अंतरराष्ट्रीय बर्गर ब्रांड्स से अलग साबित करने की कोशिश की है। कंपनी ने अपने बर्गर्स में भारतीय मसालों और फ्लेवर्स का उपयोग किया है, जिससे यह ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

हालांकि, बढ़ती लागत और बढ़ते घाटे ने कंपनी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वित्त वर्ष 2024 में बढ़ा हुआ घाटा यह बताता है कि कंपनी को अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा और आय के नए स्रोत तलाशने होंगे।

फ्रैंचाइज़ मॉडल से उम्मीदें

Burger Singh का फ्रैंचाइज़ मॉडल एक प्रमुख ताकत बना हुआ है। कंपनी ने कई नए फ्रैंचाइज़ स्टोर्स खोले हैं, जो छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हुए हैं। फ्रैंचाइज़ के जरिए कंपनी को विस्तार के साथ-साथ मुनाफा बढ़ाने की उम्मीद है।

ग्राहकों की प्राथमिकता और नवाचार

कंपनी के पास भारतीय ग्राहकों की पसंद-नापसंद को समझने की गहरी समझ है। यही कारण है कि इसके मेन्यू में लगातार नए आइटम जोड़े जा रहे हैं। आने वाले समय में कंपनी अगर अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार करती है, तो यह ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए रख सकती है।

भविष्य की रणनीति

Burger Singh को अपने खर्चों को नियंत्रित करने और आय के नए स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। कंपनी अगर डिजिटल मार्केटिंग, लॉयल्टी प्रोग्राम्स, और प्रोडक्ट इनोवेशन पर जोर देती है, तो यह आने वाले समय में अपने घाटे को कम कर सकती है।

निष्कर्ष

Burger Singh ने भारतीय फूड मार्केट में अपनी एक खास जगह बनाई है, लेकिन बढ़ते घाटे और बढ़ती लागत ने इसके विकास पर असर डाला है। अगर कंपनी अपने खर्चों का सही तरीके से प्रबंधन करती है और ग्राहकों के साथ जुड़ाव बढ़ाती है, तो यह भविष्य में एक मजबूत फास्ट-फूड ब्रांड के रूप में उभर सकती है।

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VLCC ने Ustraa को खरीदा, राजस्व में मामूली गिरावट

Ustraa

मेंस ग्रूमिंग ब्रांड Ustraa को हाल ही में पर्सनल केयर ब्रांड VLCC ने शेयर स्वैप और सेकेंडरी बायआउट के ज़रिए अधिग्रहित किया। ये अधिग्रहण FY24 की पहली तिमाही में पूरा हुआ, पर VLCC के इस बड़े समूह में आने के बाद भी Ustraa को अपने राजस्व में हल्की गिरावट और घाटों में वृद्धि का सामना करना पड़ा है।

Ustraa राजस्व में आई गिरावट

Ustraa ने FY24 में 2.94% की मामूली गिरावट के साथ 94.02 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो FY23 में 96.87 करोड़ रुपये था। इस हल्की गिरावट से यह पता चलता है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी बढ़त बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका 95.08% राजस्व उत्पादों की बिक्री से आया, जो कि पिछले साल की तुलना में 5.1% कम था। इसके अलावा, कंपनी ने अन्य स्रोतों से 4.7 करोड़ रुपये का आय प्राप्त की, जिससे उसका कुल राजस्व 94.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

खर्चों में वृद्धि का दबाव

Ustraa के वित्तीय आंकड़े दर्शाते हैं कि FY24 में इसके खर्चों में 5.11% की वृद्धि हुई, जो कि FY23 में 137.57 करोड़ रुपये से बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया। खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा सामग्री लागत का रहा, जिसमें 63.16% की वृद्धि के साथ 60.4 करोड़ रुपये तक का खर्च हुआ। वहीं, कर्मचारियों के लाभ पर किए गए खर्चों में 17.5% की कमी आई और यह घटकर 20.94 करोड़ रुपये पर आ गया।

विज्ञापन खर्चों में कमी

Ustraa ने विज्ञापन खर्चों में 64.46% की महत्वपूर्ण कटौती की, जिससे यह घटकर 17.09 करोड़ रुपये पर आ गए। कंपनी ने लागत में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया, ताकि वह अपने घाटों को नियंत्रण में रख सके। हालांकि, दूसरी ओर, कमीशन खर्च में 43.82% की वृद्धि हुई और यह 10.93 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

अन्य खर्चों का आंकलन

Ustraa के खर्चों में अन्य कई प्रकार की लागत भी शामिल थीं, जिनमें से सबसे अहम मिसलेनियस (विविध) खर्च थे। कंपनी ने अपने बढ़ते खर्चों को देखते हुए इन पर काफी ध्यान दिया, जिससे कुल व्यय बढ़कर 144.6 करोड़ रुपये हो गया।

Ustraa के सामने चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएं

कंपनी को अधिग्रहण के बाद भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने प्रमुख राजस्व स्रोतों में गिरावट के चलते इसे प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, VLCC के साथ साझेदारी से इसे अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने और नए ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है।

Ustraa के प्रदर्शन में गिरावट:
पुरुषों की ग्रूमिंग से जुड़े स्टार्टअप Ustraa ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में राजस्व में मामूली गिरावट दर्ज की। इसका राजस्व FY23 में ₹96.87 करोड़ था, जो FY24 में घटकर ₹94.02 करोड़ रह गया। हालांकि यह गिरावट केवल 2.94% रही, लेकिन यह इस बात का संकेत है कि Ustraa को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपने ग्राहकों को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

उत्पादों की बिक्री से आय में गिरावट:
Ustraa का कुल राजस्व का लगभग 95.08% हिस्सा इसके विभिन्न ग्रूमिंग उत्पादों की बिक्री से आता है। FY24 में इन उत्पादों की बिक्री में 5.1% की गिरावट आई। इसके अतिरिक्त, कंपनी को अन्य स्रोतों से ₹4.7 करोड़ की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई, जिससे कुल आय ₹94.27 करोड़ तक पहुँच गई।

विलय के बाद बढ़ी लागत:
VLCC के साथ अधिग्रहण के बाद, Ustraa ने अपने लागत ढांचे में कई बदलाव देखे। सबसे अधिक खर्च की श्रेणी में मटेरियल कॉस्ट रही, जो 63.16% बढ़कर ₹60.4 करोड़ हो गई। इसके साथ ही, कंपनी के विभिन्न अन्य खर्चों में भी वृद्धि देखी गई, जैसे कि कमीशन की लागत 43.82% बढ़कर ₹10.93 करोड़ हो गई।

विज्ञापन खर्च में बड़ी कटौती:
Ustraa ने FY24 में अपने विज्ञापन और मार्केटिंग बजट में बड़े स्तर पर कटौती की है। विज्ञापन खर्च में 64.46% की कमी आई, जो FY23 में ₹48.11 करोड़ से घटकर ₹17.09 करोड़ रह गई। यह कमी लागत घटाने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिससे कंपनी का ध्यान अधिक लाभप्रदता की ओर केंद्रित हुआ।

कर्मचारियों की लागत में कमी:
Ustraa ने FY24 में अपने कर्मचारी लाभ खर्चों में भी कमी की है। FY23 में यह खर्च ₹25.39 करोड़ था, जो घटकर ₹20.94 करोड़ हो गया, जो कुल खर्चों में 17.5% की कमी दर्शाता है। कंपनी ने शायद यह कदम लागत नियंत्रण के तहत उठाया हो ताकि बढ़ती लागत के बीच अपने संचालन को संतुलित रखा जा सके।

कुल व्यय में उछाल:
कंपनी के कुल खर्चों में 5.11% की बढ़ोतरी हुई, जिससे FY24 में इसका कुल व्यय ₹144.6 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह ₹137.57 करोड़ था। यह वृद्धि कई फैक्टरों का परिणाम है, जिसमें मटेरियल कॉस्ट और कमीशन की लागत शामिल है, जबकि दूसरी ओर विज्ञापन और कर्मचारी खर्च में कटौती की गई।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच चुनौतियाँ:
VLCC में विलय के बाद भी, Ustraa को अपने संचालन में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। व्यक्तिगत देखभाल और ग्रूमिंग उत्पादों के क्षेत्र में कई नए ब्रांड उभर रहे हैं, जो इस उद्योग को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। Ustraa का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कैसे अपनी रणनीति तैयार करता है और ग्राहकों के लिए किस तरह के उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करता है।

आर्थिक दृष्टिकोण:
अधिग्रहण के बाद, कंपनी का प्रदर्शन दर्शाता है कि इसे कई मोर्चों पर सुधार की आवश्यकता है। बढ़ती लागत और घटते राजस्व के बीच संतुलन बनाना Ustraa के लिए महत्वपूर्ण होगा। कंपनी के खर्चों में कटौती और राजस्व बढ़ाने की रणनीतियों पर जोर देकर ही वह अपने आर्थिक प्रदर्शन को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।

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Bengaluru स्थित स्टॉक ब्रोकर Groww के 1.25 करोड़ सक्रिय यूजर्स पार, Zerodha से बड़ी बढ़त

Groww

बेंगलुरु स्थित स्टॉक ब्रोकर Groww ने अक्टूबर महीने में अपने प्लेटफार्म पर 1.25 करोड़ (12.59 मिलियन) सक्रिय ट्रेडर्स का आंकड़ा पार कर लिया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, Groww ने सिर्फ एक महीने में लगभग 3.5 लाख नए यूजर्स जोड़े हैं।

Zerodha को पीछे छोड़ते हुए Groww का बढ़ता प्रभाव

Groww के सबसे नजदीकी प्रतिस्पर्धी Zerodha के पास पिछले महीने लगभग 80.6 लाख (8.06 मिलियन) सक्रिय निवेशक थे। Groww ने पिछले साल अक्टूबर में Zerodha को पछाड़ दिया था और तब से वह इस क्षेत्र में सबसे ऊपर बना हुआ है। NSE के डेटा के अनुसार, Groww ने पिछले साल में अपने यूजर बेस को लगभग दोगुना कर लिया है, जबकि Zerodha ने केवल 15 लाख नए यूजर्स जोड़े हैं।

Groww अन्य प्रमुख स्टॉक ब्रोकरों की स्थिति

Angel One, जो तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक ब्रोकर है, के पास 75 लाख (7.53 मिलियन) सक्रिय यूजर्स हैं और वह आने वाले महीनों में Zerodha को पीछे छोड़ सकता है। वहीं, Upstox चौथे स्थान पर है, जिसके पास पिछले महीने तक 28.52 लाख (2.85 मिलियन) यूजर्स थे। ICICI Direct 19.3 लाख (1.93 मिलियन) सक्रिय यूजर्स के साथ पांचवें स्थान पर है।

Pravin Jadhav द्वारा लॉन्च किया गया Dhan, जो अगस्त 2023 में Paytm Money को हटाकर टॉप 10 स्टॉकब्रोकर ऐप्स की सूची में शामिल हुआ, के पास अक्टूबर में 8.49 लाख (0.84 मिलियन) यूजर्स हैं।

नए प्लेटफार्म की एंट्री और बढ़ती प्रतिस्पर्धा

INDmoney और PhonePe का Share.Market भी टॉप 20 में अपनी जगह बना चुके हैं। INDmoney के पास अक्टूबर में 6.7 लाख (0.67 मिलियन) और PhonePe के Share.Market के पास 2.69 लाख (0.26 मिलियन) यूजर्स हैं।

वित्तीय प्रदर्शन में Zerodha का दबदबा

वित्तीय वर्ष 2024 में, Zerodha ने ₹8,370 करोड़ का राजस्व हासिल किया, जो इस क्षेत्र में सबसे अधिक है। इसके बाद Angel One का स्थान है, जिसने पिछले वित्त वर्ष में ₹4,272 करोड़ का राजस्व दर्ज किया। Zerodha ने ₹2,907 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि Angel One का मुनाफा ₹1,125 करोड़ रहा।

Groww ने भी FY24 में राजस्व में बड़ी छलांग लगाई और ₹3,145 करोड़ का ऑपरेशनल राजस्व दर्ज किया। हालाँकि, Groww को ₹805 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ, जिसका मुख्य कारण ₹1,340 करोड़ की एक बार की टैक्स पेमेंट थी जो भारत में अपने कार्यालय के पुन:स्थापन के लिए दी गई थी।

नए निवेशकों के साथ Groww का तेजी से विस्तार

Groww का तेजी से बढ़ता यूजर बेस भारतीय शेयर बाजार में इसके प्रभाव को दर्शाता है। कंपनी का मुख्य फोकस नए और युवा निवेशकों को शेयर मार्केट से जोड़ना है, जिससे यह एक प्रमुख डिजिटल स्टॉक ब्रोकर के रूप में उभर रही है। अक्टूबर महीने में 3.5 लाख नए यूजर्स जोड़ने का रिकॉर्ड दिखाता है कि भारतीय निवेशक अब पारंपरिक निवेश प्लेटफार्मों से डिजिटल और यूजर-फ्रेंडली विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

Angel One और Upstox भी मजबूत स्थिति में

Groww और Zerodha के बाद, Angel One और Upstox भी तेजी से अपने यूजर बेस को बढ़ा रहे हैं। Angel One के पास 75 लाख सक्रिय यूजर्स हैं और वह Zerodha को भी चुनौती दे सकता है। Upstox के पास भी 28.52 लाख यूजर्स का मजबूत आधार है, जिससे यह भारतीय शेयर बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है।

Dhan और Paytm Money का संघर्ष

Pravin Jadhav का Dhan, जिसने अगस्त में Paytm Money को पीछे छोड़ते हुए टॉप 10 में प्रवेश किया, भी तेजी से बढ़ रहा है। अक्टूबर तक इसके पास 8.49 लाख यूजर्स हो चुके हैं। Dhan का फोकस मोबाइल-फ्रेंडली इंटरफेस और ट्रांसपेरेंट फीस स्ट्रक्चर पर है, जिससे यह युवा निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है।

नए खिलाड़ी INDmoney और Share.Market की एंट्री

INDmoney और PhonePe का Share.Market हाल ही में टॉप 20 ब्रोकर ऐप्स में शामिल हुए हैं। डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवाओं में पहले से स्थापित PhonePe के नए प्लेटफार्म Share.Market का मकसद शेयर बाजार में भी अपनी जगह बनाना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए खिलाड़ी स्थापित कंपनियों के बीच अपनी जगह कैसे बनाते हैं।

वित्तीय क्षेत्र में कंपनियों के प्रदर्शन पर एक नजर

जहां Zerodha और Angel One ने वित्तीय वर्ष 2024 में शानदार मुनाफा दर्ज किया, वहीं Groww को अपने विस्तार और एक बार के टैक्स भुगतान के चलते नुकसान हुआ। Zerodha ने ₹8,370 करोड़ की राजस्व के साथ ₹2,907 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि Groww का ऑपरेशनल राजस्व ₹3,145 करोड़ तक पहुंचा, लेकिन इसे ₹805 करोड़ का घाटा सहना पड़ा।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच Groww की रणनीति

Groww का फोकस यूजर एक्सपीरियंस को सरल और किफायती बनाने पर है। यह विशेष रूप से नई पीढ़ी के निवेशकों को आकर्षित करने में सफल हो रही है, जो पारंपरिक ब्रोकरों की तुलना में अधिक डिजिटल और लचीले विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा, Groww का एक बड़े यूजर बेस तक पहुंचना, इस क्षेत्र में इसकी स्थिरता और लंबी अवधि की योजनाओं को दर्शाता है।

निष्कर्ष

भारतीय स्टॉक ब्रोकरिंग उद्योग में Groww की तेजी से बढ़ती सक्रिय यूजर संख्या उसे प्रतिस्पर्धी लाभ दे रही है। इस तेजी के साथ, Groww ने Zerodha को पीछे छोड़ दिया है और अपनी पोजीशन को लगातार मजबूत कर रहा है।

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CoinSwitch की पैरेंट कंपनी PeepalCo को लगातार दूसरे साल गिरते राजस्व का सामना

CoinSwitch

CoinSwitch की पैरेंट कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू FY24 में घटकर केवल ₹38 करोड़ (लगभग $4.56 मिलियन) रह गया, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष FY23 में ₹70.2 करोड़ (लगभग $8.41 मिलियन) था। यह आंकड़े PeepalCo द्वारा सिंगापुर में फाइल की गई कंसोलिडेटेड वित्तीय रिपोर्ट से प्राप्त हुए हैं। PeepalCo कंपनी दो मुख्य व्यवसाय संचालित करती है: क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग CoinSwitch के माध्यम से और इक्विटी ट्रेडिंग Lemonn के जरिये।

CoinSwitch एक वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) एक्सचेंज एग्रीगेटर के रूप में काम करता है, जो डिजिटल एसेट्स के खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता है। इसकी आय का मुख्य स्रोत यूजर्स और थर्ड-पार्टी VDA एक्सचेंजों के बीच लेनदेन की सेवा फीस से आता है। इसके साथ ही, यह एक इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज प्लेटफार्म भी संचालित करता है, जो VDA बाजार में बड़े वॉल्यूम वाले ट्रेडर्स और मार्केट मेकर्स को जोड़ने का काम करता है।

PeepalCo के वित्तीय प्रदर्शन पर नज़र डालें, तो कंपनी का अधिकांश राजस्व इन्वेस्टमेंट सेल्स, ब्याज आय, डिजिटल एसेट्स पर प्रोविज़न के रिवर्सल, और डिजिटल एसेट्स पर सामंजस्य (reconciliation) लाभ जैसी गैर-ऑपरेटिंग आय से आया। FY24 में इस गैर-ऑपरेटिंग आय की कुल राशि ₹149.13 करोड़ या $17.86 मिलियन रही।

CoinSwitch लगातार घटता ऑपरेटिंग रेवेन्यू:

PeepalCo के लिए लगातार गिरता ऑपरेटिंग रेवेन्यू एक चिंता का विषय है। FY23 में हुए बड़े झटके के बाद, FY24 में एक बार फिर इसके ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 46% की गिरावट देखी गई। PeepalCo के पास CoinSwitch और Lemonn के रूप में दो मुख्य व्यवसायिक शाखाएँ हैं, जो क्रिप्टो और इक्विटी ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, लेकिन दोनों ही बाजार की अनिश्चितताओं के चलते प्रभावित हुए हैं।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आए कई बदलाव और सरकार द्वारा किए गए नियामकीय (regulatory) हस्तक्षेपों ने इस क्षेत्र की ग्रोथ को धीमा कर दिया है। कई बार डिजिटल एसेट्स पर लगाई गई प्रतिबंधात्मक नीतियों के कारण एक्सचेंजों को ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट का सामना करना पड़ता है। इसके कारण CoinSwitch का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।

डिजिटल एसेट्स और निवेश से हुई गैर-ऑपरेटिंग आय:

हालांकि ऑपरेटिंग रेवेन्यू में गिरावट देखी गई, लेकिन PeepalCo की गैर-ऑपरेटिंग आय मजबूत रही। कंपनी ने डिजिटल एसेट्स के निवेश, ब्याज आय, प्रोविज़न रिवर्सल और सामंजस्य लाभ के माध्यम से ₹149.13 करोड़ ($17.86 मिलियन) की गैर-ऑपरेटिंग आय अर्जित की। यह आय कई मामलों में कंपनी के नुकसान को संतुलित करने में सहायक साबित हुई। PeepalCo के लिए यह एक संकेत है कि डिजिटल एसेट्स के मार्केट में निवेश और ब्याज आय पर ध्यान केंद्रित करने से कंपनी को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायता मिल सकती है।

भारतीय क्रिप्टो बाजार की चुनौतियाँ:

भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को लगातार सरकारी नीतियों और नियमों के बदलाव का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त रुख अपनाया है, जिसके परिणामस्वरूप CoinSwitch जैसे प्लेटफार्मों को प्रभावित होना पड़ा है। भारत में डिजिटल एसेट्स पर कराधान, बैंकिंग प्रतिबंध, और नियामकीय अस्पष्टता के चलते निवेशकों और व्यापारियों में अनिश्चितता बनी रहती है।

CoinSwitch के लिए चुनौती यह है कि वह अपनी मौजूदा ग्राहक आधार और निवेशक समुदाय के लिए वैकल्पिक आय के स्रोतों को कैसे विकसित कर सकता है। इसी के चलते कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में अपने डिजिटल एसेट्स की गैर-ऑपरेटिंग आय पर ध्यान केंद्रित किया है, जो कि लंबे समय तक आर्थिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकती है।

आगे की राह और संभावनाएँ:

भविष्य की योजनाओं को देखते हुए PeepalCo के लिए आवश्यक है कि वह अपनी ऑपरेटिंग आय को फिर से बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करे। इसके लिए कंपनी को बाजार में नए प्रोडक्ट्स और सेवाएं लानी होंगी और संभावित ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।

कंपनी को अपने ट्रेडिंग मॉडल में नवाचार लाने की जरूरत है ताकि वह मौजूदा कठिनाई भरे बाजार में भी टिक सकें। CoinSwitch को अपने मौजूदा ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के साथ-साथ उन ग्राहकों को लक्षित करना चाहिए जो डिजिटल एसेट्स में निवेश करने के इच्छुक हैं। इसके अलावा, कंपनी को अपने निवेश, ब्याज आय और सामंजस्य लाभ जैसे गैर-ऑपरेटिंग स्रोतों का भी सही ढंग से उपयोग करना होगा ताकि मुश्किल समय में वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

निष्कर्ष:

CoinSwitch की पैरेंट कंपनी PeepalCo के सामने FY23 और FY24 में लगातार घटते राजस्व का सामना करना पड़ा है। हालांकि कंपनी ने गैर-ऑपरेटिंग आय के माध्यम से अपने वित्तीय घाटे को संतुलित किया है, लेकिन दीर्घकालिक सफलता के लिए ऑपरेटिंग रेवेन्यू का फिर से स्थिर होना आवश्यक है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में मौजूद चुनौतियों और सरकारी नीतियों को देखते हुए PeepalCo को अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा।

अगर PeepalCo अपनी बाजार स्थितियों के अनुकूल रणनीतियाँ अपनाता है, तो यह उम्मीद की जा सकती है कि कंपनी भविष्य में भारतीय और वैश्विक डिजिटल एसेट्स बाजार में एक मजबूत और स्थायी उपस्थिति बना पाएगी।

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मैथ फोकस्ड एडटेक प्लेटफॉर्म Bhanzu ने जुटाए $16.5 मिलियन, US में विस्तार पर होगा फोकस

Bhanzu

हैदराबाद स्थित एडटेक स्टार्टअप Bhanzu ने अपने सीरीज B फंडिंग राउंड में $16.5 मिलियन (लगभग ₹137 करोड़) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Epiq Capital और Z3 Partners ने किया है, जिसमें मौजूदा निवेशकों Lightspeed Ventures और Eight Roads ने भी भाग लिया। कंपनी ने कहा कि इस फंड का उपयोग US में विस्तार के लिए किया जाएगा। वर्तमान में Bhanzu का भारत के अलावा US, UK और मिडिल ईस्ट में भी विस्तार है।

सितंबर 2022 में, Bhanzu ने Eight Roads Ventures और अन्य निवेशकों से अपने सीरीज A राउंड में लगभग ₹119.8 करोड़ (लगभग $15 मिलियन) जुटाए थे। Entackr ने इस खबर को एक्सक्लूसिव रूप से रिपोर्ट किया था।

इस नए निवेश के साथ, Bhanzu की कुल फंडिंग $33 मिलियन से अधिक हो गई है। Bhanzu के सह-संस्थापक और CEO, नीलकंठ भानु ने बताया, “US का गणित शिक्षा बाजार बड़ी कंपनियों द्वारा शासित है, जिन्होंने अपने कोर्स में कोई खास इनोवेशन नहीं किया है और टेक्नोलॉजी को प्रभावी ढंग से अपनाया नहीं है। यह Bhanzu के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है ताकि हम US में गणित शिक्षा में क्रांति ला सकें।”

Bhanzu की स्थापना 2020 में हुई थी, और यह बच्चों को 5 से 16 वर्ष की उम्र के बीच एक्सपीरिएंशल मैथ लर्निंग कोर्स प्रदान करता है। कंपनी के अनुसार, अब तक 30,000 से अधिक छात्रों ने Bhanzu के कोर्स से ट्रेनिंग प्राप्त की है।

कंपनी का दावा है कि अपने पिछले फंडिंग राउंड के बाद से उसने 8 गुना वृद्धि दर्ज की है, सकारात्मक कैश फ्लो हासिल किया है, और जिस बाजार में यह संचालित होती है, वहां मजबूत प्रोडक्ट-मार्केट फिट पाया है।

Bhanzu ने वित्तीय वर्ष 2024 के अपने वार्षिक वित्तीय विवरण अभी तक फाइल नहीं किए हैं, लेकिन वित्तीय वर्ष 2023 में कंपनी ने अपना ऑपरेटिंग रेवेन्यू 13 गुना बढ़ाकर ₹47.33 करोड़ तक पहुंचा लिया था। हालाँकि, कंपनी के नुकसान भी इसी अवधि में लगभग 18 गुना बढ़कर ₹70.99 करोड़ तक पहुँच गए

Bhanzu के सीईओ नीलकंठ भानु ने बताया कि उनका लक्ष्य बच्चों के लिए गणित को सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि एक रोमांचक अनुभव बनाना है। उनका मानना है कि परंपरागत शिक्षा प्रणाली में जिस तरह से गणित पढ़ाया जाता है, उसमें छात्रों के अंदर इस विषय को लेकर डर पैदा होता है। Bhanzu ने अपने कोर्सेस को इस तरह डिजाइन किया है कि वे बच्चों के लिए न केवल रोचक हो, बल्कि उनकी तार्किक सोच और कॉग्निटिव एबिलिटी को भी बढ़ावा दें।

Bhanzu का US में विस्तार करना एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि वहां के गणित शिक्षा बाजार में अभी भी कई इनोवेशन की आवश्यकता है। यह बाजार बड़ी कंपनियों द्वारा शासित है, जो लंबे समय से पारंपरिक शिक्षण मॉडल पर ही निर्भर हैं। Bhanzu की योजना अपने एडवांस्ड कोर्स और टेक्नोलॉजी-आधारित शिक्षण मॉड्यूल के जरिए इस कमी को पूरा करने की है।

Bhanzu के कोर्स को विभिन्न उम्र और कौशल स्तरों के अनुसार तैयार किया गया है। इनमें बेसिक मैथ से लेकर एडवांस्ड प्रॉब्लम सॉल्विंग तक के कोर्स शामिल हैं। Bhanzu का उद्देश्य बच्चों को गणित के प्रति एक मजबूत समझ और रुचि विकसित करना है ताकि वे गणित को आसानी से समझ सकें और इसमें आगे बढ़ सकें। इसके कोर्स में बच्चों की क्रिएटिव और लॉजिकल थिंकिंग को बेहतर करने पर फोकस किया गया है।

Bhanzu के ताजे आंकड़ों के अनुसार, कंपनी ने फंडिंग के बाद से अब तक 8 गुना वृद्धि दर्ज की है। इसका मुख्य कारण इसकी तकनीकी रूप से सक्षम टीचिंग पद्धतियां हैं जो छात्रों को न केवल ऑनलाइन बल्कि ऑफलाइन भी आकर्षित करती हैं। Bhanzu के पास अपने हर मार्केट में एक मजबूत प्रोडक्ट-मार्केट फिट है, जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच इसका विश्वास बढ़ा है।

कंपनी के लिए चुनौती यह है कि वह कैसे अपने कोर्सेस को एक सस्टेनेबल मॉडल में परिवर्तित करे ताकि लंबे समय तक इसका असर बना रहे। इसके साथ ही, बढ़ते नुकसान को कम करना भी Bhanzu के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है। हालांकि, CEO नीलकंठ भानु का कहना है कि यह फेज कंपनी के विस्तार का एक हिस्सा है और आने वाले वर्षों में Bhanzu का लक्ष्य न केवल US बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी विस्तार करना है।

Bhanzu की तेजी से बढ़ती सफलता के बावजूद, भारतीय बाजार में इसे कई प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि Byju’s, Cuemath, और Vedantu, जो अलग-अलग आयु वर्गों और कौशल स्तरों के लिए विविध कोर्सेस प्रदान करते हैं। लेकिन Bhanzu का एक यूनिक सेलिंग पॉइंट इसकी गणित पर केंद्रित पद्धति है, जो इसे बाकी प्लेटफार्मों से अलग बनाती है।

नीलकंठ भानु ने कहा, “हमारी गणित शिक्षा की पद्धति छात्रों को केवल अंकगणित ही नहीं सिखाती, बल्कि उन्हें गणित की शक्ति और उसकी विविधताओं से अवगत कराती है। हमारा उद्देश्य है कि बच्चे गणित को एक कौशल के रूप में विकसित करें, जिससे वे जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी इसे उपयोग कर सकें।”

Bhanzu का मानना है कि गणित की बेहतर समझ बच्चों को न केवल परीक्षा में बल्कि रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान में भी सहायक होती है। इस प्रकार, कंपनी का ध्यान न केवल त्वरित परिणाम पर है, बल्कि दीर्घकालिक कौशल विकास पर भी है।

Bhanzu की US में विस्तार की रणनीति से यह संभावना है कि यह न केवल भारतीय एडटेक बाजार बल्कि ग्लोबल एडटेक बाजार में भी अपने लिए एक विशेष स्थान बनाएगी। Bhanzu का ध्यान अब शिक्षा को एक व्यावहारिक अनुभव बनाने पर है, ताकि गणित से बच्चे का जुड़ाव बचपन से ही मजबूत हो और वह जीवन भर लाभान्वित हो।

कुल मिलाकर, Bhanzu का यह सीरीज B फंडिंग राउंड इसके ग्लोबल विस्तार और नई संभावनाओं के दरवाजे खोलता है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि Bhanzu अपने शिक्षा मॉडल में कौन से और सुधार लाता है और कैसे वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में गणित शिक्षा में एक नई क्रांति लाने में सफल होता है।

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Amazon इंडिया ने FY24 में 25,000 करोड़ का राजस्व हासिल किया, नुकसान में 28% की कमी

Amazon

Amazon इंडिया ने FY24 में अपने मार्केटप्लेस सेवाओं के माध्यम से 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है और इसके साथ ही इसका एडजस्टेड EBITDA 588.6 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, फ्लिपकार्ट के मुकाबले इसकी टॉप-लाइन ग्रोथ (उपरी पंक्ति वृद्धि) अपेक्षाकृत धीमी रही, लेकिन राजस्व के मामले में इसने फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ दिया है।

ऑपरेशनल राजस्व में 14.5% की वृद्धि

Amazon India के ऑपरेशनल राजस्व में पिछले वर्ष के मुकाबले 14.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो FY23 में 22,198 करोड़ रुपये थी और FY24 में बढ़कर 25,406 करोड़ रुपये हो गई। इसका 82.4% राजस्व मार्केटप्लेस सेवाओं से आया, जबकि शेष राजस्व प्लेटफॉर्म सेवाओं, मार्केटिंग, और रॉयल्टी से प्राप्त हुआ। इसके अलावा, अमेज़न ने 186.8 करोड़ रुपये का गैर-ऑपरेशनल आय अर्जित किया, जिससे कुल राजस्व 25,592.8 करोड़ रुपये हो गया।

Amazon इंडिया की लागत और खर्च

Amazon इंडिया का मुख्य खर्च डिलीवरी चार्जेज रहा, जो कुल खर्च का 25.8% हिस्सा था। FY24 में यह खर्च 9.1% बढ़कर 7,487.9 करोड़ रुपये हो गया, जो FY23 में 6,863.1 करोड़ रुपये था। सेल्स प्रमोशन और कानूनी व पेशेवर शुल्क अन्य दो महत्वपूर्ण खर्च थे, जो कुल खर्च का लगभग 12% हिस्सा बनाते हैं। इन पर क्रमशः 3,586.1 करोड़ रुपये और 3,530.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

कंपनी ने कर्मचारियों के लाभों पर भी FY24 में 2,771.2 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से 682.7 करोड़ रुपये शेयर-आधारित भुगतान (ESOP) के थे। कुल मिलाकर, FY24 में अमेज़न इंडिया की कुल खर्च 6.5% बढ़कर 29,062.3 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 27,283.6 करोड़ रुपये थी।

अमेज़न के नुकसान में 28.5% की कमी

अमेज़न इंडिया ने FY24 में अपने नुकसान को 28.5% कम कर 3,469.5 करोड़ रुपये कर दिया, जो FY23 में 4,854.1 करोड़ रुपये था। इसके साथ ही, कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो भी सकारात्मक हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में -1,542.1 करोड़ रुपये था, वहीं इस वित्तीय वर्ष में यह 724.1 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।

फ्लिपकार्ट के मुकाबले टॉप-लाइन ग्रोथ में धीमापन

हालांकि अमेज़न इंडिया का राजस्व फ्लिपकार्ट से अधिक है, लेकिन टॉप-लाइन ग्रोथ में फ्लिपकार्ट ने इस वित्तीय वर्ष में बड़ी छलांग लगाई है। फ्लिपकार्ट का प्रमुख फोकस अपने मार्केटप्लेस और उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने पर रहा है, जिससे इसे अपने प्रतिस्पर्धी अमेज़न से अधिक विकास दर प्राप्त करने में मदद मिली।

अमेज़न इंडिया का भविष्य

हालांकि अमेज़न इंडिया के नुकसान में कमी आई है, लेकिन कंपनी को अभी भी भारतीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। फ्लिपकार्ट, जो कि Walmart के स्वामित्व में है, भी अपनी विस्तार योजनाओं में तेजी ला रहा है। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अमेज़न की मुख्य प्राथमिकता अपनी सेवाओं का विस्तार और लागत को नियंत्रित रखना है, ताकि कंपनी मुनाफा कमा सके और बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।

निष्कर्ष

अमेज़न इंडिया के लिए FY24 एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा है, जिसमें कंपनी ने अपने खर्च को नियंत्रित करते हुए राजस्व में वृद्धि की है। हालांकि, उसे फ्लिपकार्ट जैसे प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही है, लेकिन अपने ऑपरेशनल सुधारों और नए ग्राहक-अधिग्रहण रणनीतियों के जरिए कंपनी को उम्मीद है कि वह आने वाले वर्षों में अपने प्रदर्शन में और सुधार ला सकेगी।

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पुरुषों के sexual wellness brand Bold Care ने FY24 में कमाई बढ़ाई, लेकिन घाटे में वृद्धि

Bold Care

पुरुषों के यौन स्वास्थ्य उत्पादों का ब्रांड Bold Care ने दिसंबर पिछले वर्ष में Rs 40 करोड़ के वार्षिक राजस्व रन-रेट का दावा किया था और कंपनी ने FY24 में लगभग Rs 33 करोड़ का परिचालन राजस्व दर्ज किया। हालांकि, राजस्व वृद्धि के साथ ही कंपनी के घाटे में भी तेजी आई है, जो इसके विकास के लिए चुनौती बनकर उभर रही है।

परिचालन राजस्व में मामूली वृद्धि

Bold Care का परिचालन राजस्व पिछले वित्तीय वर्ष में 6.67% बढ़कर Rs 32.9 करोड़ हो गया, जो कि FY23 में Rs 30.90 करोड़ था। Bold Care पुरुषों के स्वास्थ्य और देखभाल के विभिन्न उत्पाद जैसे हेयर केयर, परफॉर्मेंस सप्लीमेंट्स और ओवरऑल हेल्थ सॉल्यूशन्स की पेशकश करता है। कंपनी का कारोबार मुख्य रूप से डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल पर आधारित है, जो थर्ड-पार्टी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस और अपनी वेबसाइट के माध्यम से बिक्री करता है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान तेल, स्नेहक, कंडोम और अन्य उत्पादों की बिक्री ही कंपनी की आय का मुख्य स्रोत थी।

घरेलू बाजार में मजबूत उपस्थिति, लेकिन विदेशी आय सीमित

Bold Care का लगभग सारा राजस्व भारत से आया, जबकि विदेशों में इसके संचालन ने FY24 में केवल Rs 30 लाख की आय जोड़ी। कंपनी के लिए भारतीय बाजार में उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाए रखना महत्वपूर्ण साबित हुआ है, लेकिन विदेशी बाजार में कंपनी का योगदान सीमित रहा है।

सामग्री लागत में कमी, परंतु प्रचार खर्च में वृद्धि

कंपनी के लिए सबसे बड़ा खर्च सामग्री की लागत थी, जो साल-दर-साल 10.71% घटकर FY24 में Rs 15.09 करोड़ रही। हालांकि, विज्ञापन और प्रचार खर्च में 11.09% की वृद्धि हुई और FY24 में यह Rs 14.02 करोड़ पर पहुँच गया। प्रचार पर बढ़ता खर्च यह दर्शाता है कि कंपनी अपनी ब्रांड पहचान को बढ़ाने और उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में भारी निवेश कर रही है।

कर्मचारियों के लाभ और कानूनी खर्च में वृद्धि

FY24 में Bold Care के कर्मचारियों पर लाभ खर्च 38.36% बढ़कर Rs 4.22 करोड़ हो गया। इसके साथ ही, कानूनी और पेशेवर खर्च में भी 41.35% की वृद्धि हुई है। इन खर्चों के बढ़ने के पीछे कंपनी के संचालन और कानूनी संरचना को मजबूत करने की जरूरत रही है, ताकि यह भविष्य में अधिक स्थिरता के साथ आगे बढ़ सके।

डिस्काउंट और ऑफर पर खर्च में वृद्धि

गौरतलब है कि कंपनी द्वारा दिए गए डिस्काउंट्स पर भी पिछले वित्तीय वर्ष में भारी खर्च हुआ, जिसमें 97.79% की वृद्धि हुई और यह Rs 2.69 करोड़ हो गया। यह वृद्धि कंपनी के उपभोक्ताओं को उत्पादों पर अधिक छूट देने और उनकी खरीदारी को प्रोत्साहित करने की रणनीति को दर्शाता है।

कुल खर्च और घाटे में बढ़ोतरी

FY24 में Bold Care का कुल खर्च Rs 53.9 करोड़ था, जो कंपनी के परिचालन से अर्जित राजस्व से अधिक है। बढ़े हुए खर्चों के कारण, कंपनी को अपने लाभ मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़ा है, जो इसकी वित्तीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण बनाता है।

कंपनी की भावी योजनाएँ

Bold Care अपने उत्पादों की मांग को बनाए रखने के लिए अपनी ब्रांडिंग और प्रचार पर अधिक ध्यान दे रही है। इसके साथ ही, कंपनी अपने खर्चों में संतुलन बनाते हुए नए बाजारों में विस्तार करने की दिशा में काम कर रही है। यदि कंपनी परिचालन लागतों को नियंत्रित करने में सफल होती है, तो यह अपने लाभ मार्जिन में सुधार कर सकती है और भारतीय बाजार में एक स्थायी उपस्थिति बनाए रख सकती है।

निष्कर्ष

FY24 में Bold Care ने अपनी आय में मामूली वृद्धि दर्ज की है, लेकिन बढ़ते प्रचार खर्च और अन्य खर्चों के कारण इसे घाटे का सामना करना पड़ा है। भारतीय बाजार में अपनी ब्रांड उपस्थिति को मजबूत करते हुए कंपनी को लागत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। कंपनी की रणनीति और उत्पाद नवाचार भविष्य में इसे विकास के अगले चरणों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

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RENÉE Cosmetics की FY24 में राजस्व में दोगुनी बढ़त, प्रमोशन में भारी खर्च से बढ़ा घाटा

Renee Cosmetics

नई पीढ़ी की ब्यूटी ब्रांड Renee Cosmetics ने वित्त वर्ष 2024 में अपनी बिक्री को दोगुना करते हुए Rs 200 करोड़ का आंकड़ा छूने के करीब पहुँच गई है। हालाँकि, इस वृद्धि की कीमत चुकानी पड़ी है; प्रचार पर भारी खर्च के कारण कंपनी का घाटा भी 88% बढ़ गया है।

Renee Cosmetics परिचालन से आय में उल्लेखनीय वृद्धि

Renee Cosmetics का परिचालन से राजस्व FY24 में बढ़कर Rs 191.65 करोड़ हो गया, जो कि FY23 में Rs 97.15 करोड़ था। यह वृद्धि कंपनी के तेजी से बढ़ते कंज्यूमर बेस और उनकी नई उत्पाद रेंज को दर्शाता है। रेनी कॉस्मेटिक्स की स्थापना अभिनेत्री आश्का गोराडिया गोबल, बियर्डो के सह-संस्थापक प्रियंक शाह और आशुतोष वलानी ने की थी। कंपनी आई मेकअप, लिप कलर, स्किन सीरम और हाईलाइटर्स जैसी विभिन्न ब्यूटी प्रोडक्ट्स की रेंज पेश करती है। इसके अलावा, कंपनी थर्ड-पार्टी ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध है, और जून 2024 तक भारत में 650 से अधिक शॉप-इन-शॉप स्टोर्स में भी इसकी मौजूदगी है।

Renee Cosmetics कुल राजस्व में अतिरिक्त आय का योगदान

Renee Cosmetics ने वित्तीय संपत्तियों पर ब्याज और लाभ से भी Rs 8.5 करोड़ कमाए, जिससे FY24 में इसका कुल राजस्व Rs 200 करोड़ हो गया। इस अतिरिक्त आय ने परिचालन राजस्व को और मजबूत किया, जिससे कंपनी के पास अपने विभिन्न खर्चों के लिए वित्तीय सहायता मिलती है।

विज्ञापन और प्रचार पर भारी खर्च

वित्त वर्ष 2024 में, विज्ञापन और प्रचार कंपनी के सबसे बड़े खर्च बनकर सामने आए, जो कि कुल खर्च का 38.8% है। FY23 में यह लागत Rs 60.1 करोड़ थी, जो FY24 में बढ़कर Rs 102.51 करोड़ हो गई, यानी 70.6% की बढ़त। यह भारी निवेश कंपनी की ब्रांड पहचान को मजबूत करने और ग्राहक आधार को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।

सामग्री और कर्मचारियों पर खर्च में वृद्धि

वर्ष के दौरान, कच्चे माल की लागत और कर्मचारियों पर लाभ खर्च भी दोगुने से अधिक बढ़ गए। कच्चे माल की लागत FY24 में Rs 52.44 करोड़ और कर्मचारियों पर लाभ खर्च Rs 31.67 करोड़ पर पहुँच गए। कंपनी ने अपने कुल खर्च में 81.6% की वृद्धि दर्ज की, जो FY23 में Rs 145.38 करोड़ से बढ़कर FY24 में Rs 264 करोड़ हो गया।

घाटे में वृद्धि और नकदी प्रवाह में गिरावट

इन खर्चों के बढ़ने के परिणामस्वरूप, रेनी कॉस्मेटिक्स का घाटा FY24 में 88.2% बढ़कर Rs 61.45 करोड़ हो गया, जो FY23 में Rs 32.66 करोड़ था। इसके साथ ही कंपनी के ऑपरेटिंग कैश आउटफ्लो में भी 17.2% की वृद्धि हुई, जो इस अवधि में Rs 75 करोड़ पर पहुँच गया।

कंपनी का EBITDA मार्जिन और ROCE क्रमशः -28.22% और -42.38% पर रहे, जो कंपनी की परिचालन दक्षता में सुधार की जरूरत को दर्शाते हैं। यूनिट स्तर पर, रेनी कॉस्मेटिक्स ने एक रुपये का परिचालन राजस्व अर्जित करने के लिए Rs 1.38 खर्च किया।

कंपनी की भविष्य की रणनीतियाँ

हालाँकि FY24 में रेनी कॉस्मेटिक्स को बढ़े हुए प्रमोशन खर्चों के कारण घाटे का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसका व्यापक ग्राहक आधार और तेजी से बढ़ता राजस्व इसे भविष्य में स्थिरता की ओर ले जा सकता है। कंपनी का उद्देश्य अगले वित्तीय वर्षों में अपनी लागतों को संतुलित करते हुए ब्रांड की पहुंच बढ़ाना है। कंपनी की योजना उत्पाद नवाचार और ग्राहक अनुभव को बढ़ाने की है, ताकि वह अधिक ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर सके और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सके।

निष्कर्ष

रेनी कॉस्मेटिक्स ने FY24 में अपनी आय को दोगुना करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, लेकिन साथ ही उसे अपने प्रचार पर भारी खर्चों के चलते घाटे का भी सामना करना पड़ा है। इस नई पीढ़ी की ब्यूटी ब्रांड के लिए आने वाले वर्ष चुनौतियों और संभावनाओं से भरे हो सकते हैं। यदि कंपनी अपनी लागत संरचना में सुधार करती है और उत्पाद विविधता और गुणवत्ता पर ध्यान देती है, तो वह बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकती है।

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फर्नीचर किराये पर देने वाली कंपनी Furlenco की FY24 में 10% राजस्व गिरावट,

Furlenco

फर्नीचर किराये पर देने वाली सब्सक्रिप्शन-बेस्ड कंपनी Furlenco को वित्तीय वर्ष 2024 में 10% से अधिक की वार्षिक राजस्व गिरावट का सामना करना पड़ा है। हालांकि, कंपनी के घाटे में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग समान ही रहा।

परिचालन राजस्व में गिरावट

Furlenco का परिचालन राजस्व FY23 में Rs 155.78 करोड़ से घटकर FY24 में Rs 139.56 करोड़ हो गया, जो कि 10.4% की कमी दर्शाता है। आठ साल पुरानी यह कंपनी किराये पर फर्नीचर और होम डेकोर के साथ-साथ रिलोकेशन सेवाएँ भी प्रदान करती है। बीते वित्तीय वर्ष में कंपनी की आय का प्रमुख स्रोत फर्नीचर किराये और बिक्री से ही प्राप्त हुआ।

अन्य आय से आय में मामूली वृद्धि

परिचालन आय के अलावा, फर्लेंको ने वित्तीय साधनों पर ब्याज और लाभ से Rs 12.34 करोड़ भी अर्जित किए, जिससे FY24 में इसका कुल राजस्व Rs 151.9 करोड़ हो गया। हालाँकि, परिचालन राजस्व में गिरावट के बावजूद कंपनी के कुल राजस्व में यह राशि मामूली वृद्धि प्रदान करती है, जो इसे अधिक लाभदायक बनाने में सहायता करती है।

लागत और खर्च में बढ़ोतरी

Furlenco के खर्चों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी किराये की रही, जो Rs 48.83 करोड़ रही। इसके बाद कर्मचारियों को लाभ पहुँचाने पर खर्च आया, जिसमें पिछले साल के मुकाबले 8.36% की वृद्धि हुई और यह Rs 47.78 करोड़ तक पहुँच गया।

कंपनी ने अपने फर्नीचर और उपकरणों की खरीद में निवेश जारी रखा, जिससे वस्तुओं का मूल्य ह्रास (डिप्रिसिएशन) बढ़कर FY24 में Rs 34.89 करोड़ हो गया, जो FY23 में Rs 29.5 करोड़ था। फर्नीचर और उपकरणों की लगातार खरीद फर्लेंको की सेवा गुणवत्ता को बनाए रखने और नए ग्राहकों को आकर्षित करने में मददगार साबित हो रही है।

फर्लेंको का व्यवसाय मॉडल और बाजार में स्थिति

फर्लेंको का व्यवसाय मॉडल ग्राहकों को सब्सक्रिप्शन-आधारित फर्नीचर किराये की सेवाएँ प्रदान करना है, जो विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक लोकप्रिय हो रही है। इस प्रकार की सेवा उन लोगों के लिए उपयुक्त होती है, जो कुछ समय के लिए ही किसी विशेष स्थान पर रह रहे होते हैं या जो हर थोड़े समय बाद अपने घर का लुक बदलना चाहते हैं।

कंपनी ने होम डेकोर, फर्नीचर, और उपकरणों के लिए एक विस्तृत रेंज विकसित की है, जिसे ग्राहक आसानी से किराये पर ले सकते हैं और समय के अनुसार बदलाव कर सकते हैं। यह ग्राहकों को खरीद के बजाय किराये पर सामान लेने की सुविधा और लचीलापन प्रदान करता है, जो उन्हें कम लागत में एक प्रीमियम जीवनशैली का अनुभव देता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ

हालाँकि FY24 में फर्लेंको को परिचालन राजस्व में गिरावट का सामना करना पड़ा है, लेकिन कंपनी का व्यवसाय मॉडल ग्राहकों के बदलते रुझानों के साथ तालमेल में है। कंपनी का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में युवाओं और प्रोफेशनल्स के बीच किराये पर फर्नीचर लेने का ट्रेंड बढ़ रहा है, जो इसे बाजार में स्थायित्व और विस्तार के लिए नए अवसर प्रदान कर सकता है।

कंपनी के लिए चुनौतियाँ इस बात पर निर्भर करेंगी कि वह कैसे अपने खर्चों को नियंत्रित करते हुए अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकती है। फर्लेंको के लिए एक बड़ी चुनौती यह होगी कि वह अपने परिचालन आय को बढ़ाने और खर्चों में संतुलन बनाए रखने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित करे।

भविष्य की योजनाएँ

फर्लेंको भविष्य में अपनी सेवाओं में सुधार और विस्तार के लिए नई योजनाओं पर विचार कर रही है। कंपनी का फोकस डिजिटल मार्केटिंग, कस्टमर एंगेजमेंट, और उत्पाद विविधता बढ़ाने पर है, जिससे वह नए ग्राहकों को आकर्षित कर सके। साथ ही, कंपनी का लक्ष्य अपने ग्राहकों के अनुभव को और भी बेहतर बनाने का है, जिसके लिए वह नई सुविधाएँ और ऑफर लेकर आ सकती है।

कंपनी ने यह भी संकेत दिया है कि वह अपने फर्नीचर और उपकरणों की गुणवत्ता में सुधार करेगी और साथ ही ग्राहकों के लिए अनुकूल प्रोडक्ट विकल्प भी पेश करेगी।

निष्कर्ष

फर्लेंको को FY24 में परिचालन राजस्व में गिरावट का सामना करना पड़ा है, लेकिन कंपनी के मजबूत सब्सक्रिप्शन मॉडल और नई योजनाओं के साथ, यह भविष्य में उन्नति की ओर अग्रसर हो सकती है। कंपनी का उद्देश्य ग्राहकों को उनकी जरूरत के अनुसार लचीलापन और सुविधा प्रदान करना है, जो एक नई जीवनशैली की दिशा में प्रेरित करता है।

फर्नीचर किराये पर देने के बाजार में फर्लेंको के पास एक अनूठी स्थिति है, जो इसे प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

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फिनटेक कंपनी Juspay ने FY24 में राजस्व में 50% वृद्धि दर्ज की, घाटे में 10% की कमी

Juspay

पेमेंट टेक्नोलॉजी फर्म Juspay ने वित्तीय वर्ष 2024 में अपने परिचालन राजस्व में लगभग 50% की वृद्धि दर्ज की है, साथ ही कंपनी ने अपने घाटे को भी 10% तक नियंत्रित किया है। सॉफ्टबैंक द्वारा समर्थित जस्टपे, जो व्यापारियों के लिए भुगतान प्रसंस्करण (पेमेंट प्रोसेसिंग) तकनीक उपलब्ध कराती है, अपने ग्राहकों के लिए ऑफलाइन पेमेंट सॉल्यूशंस भी प्रदान कर रही है।

राजस्व में हुई बड़ी वृद्धि

Juspay का परिचालन राजस्व वित्तीय वर्ष 2023 के Rs 213.39 करोड़ से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2024 में Rs 319.32 करोड़ हो गया, जो 49.6% की वृद्धि दर्शाता है। जस्टपे विभिन्न उत्पाद जैसे Juspay सेफ, हाइपरएसडीके, एक्सप्रेस चेकआउट, और यूपीआई इन ए बॉक्स की सेवाएँ व्यापारियों को प्रदान करती है। कंपनी का मुख्य राजस्व “पेमेंट प्लेटफार्म इंटिग्रेशन” सेवाओं के माध्यम से होता है, जिसमें ये सभी उत्पाद शामिल हैं।

इंटिग्रेशन शुल्क से राजस्व में 46% की बढ़ोतरी

Juspay के पेमेंट प्लेटफार्म इंटिग्रेशन शुल्क से आय में 46% की बढ़ोतरी हुई, जो वित्तीय वर्ष 2023 में Rs 196.2 करोड़ से बढ़कर FY24 में Rs 286.5 करोड़ हो गई। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने अन्य परिचालन गतिविधियों से Rs 32.8 करोड़ भी अर्जित किए। इस प्रकार, FY24 में कंपनी का कुल राजस्व Rs 347.6 करोड़ तक पहुँच गया, जिसमें वित्तीय साधनों पर प्राप्त ब्याज और अन्य लाभ से भी Rs 28.32 करोड़ शामिल हैं।

खर्चों में वृद्धि और लागत नियंत्रण

जस्टपे के खर्चों का सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को लाभ पहुँचाने से संबंधित है, जो 41.7% बढ़कर Rs 303.36 करोड़ हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में Rs 214.04 करोड़ था। इसके अलावा, डीप्रिसिएशन और अमॉर्टाइजेशन की लागत में भी मामूली वृद्धि हुई, जो Rs 14.11 करोड़ तक पहुँच गई। अन्य खर्चों में Rs 123.76 करोड़ का व्यय शामिल था, जिसमें प्रौद्योगिकी, कानूनी खर्च और अन्य सामान्य खर्च शामिल हैं।

कंपनी का खर्च भले ही बढ़ा हो, लेकिन इसे नियंत्रित करके घाटे में 10% की कमी लाने में सफल रही है। यह फिनटेक इंडस्ट्री के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जहाँ ज्यादातर कंपनियाँ मुनाफा कमाने से पहले बड़ी पूंजी का निवेश करती हैं। जस्टपे ने अपने खर्चों में संतुलन बना कर यह सिद्ध कर दिया है कि विकास और लाभप्रदता दोनों को एक साथ हासिल किया जा सकता है।

जस्टपे की सेवाएँ और उत्पाद

जस्टपे अपने उन्नत और सुरक्षित पेमेंट सॉल्यूशंस के लिए जानी जाती है। कंपनी के प्रमुख उत्पादों में जस्टपे सेफ (सुरक्षित भुगतान विकल्प), हाइपरएसडीके (तेज़ और स्थिर एसडीके), एक्सप्रेस चेकआउट (त्वरित भुगतान प्रक्रिया), और यूपीआई इन ए बॉक्स (यूपीआई इंटिग्रेशन) शामिल हैं। इन सेवाओं के माध्यम से कंपनी व्यापारियों और ग्राहकों को निर्बाध और सुरक्षित लेन-देन की सुविधा प्रदान कर रही है।

जस्टपे के इन उत्पादों का उपयोग भारत के कई प्रमुख व्यवसायों द्वारा किया जा रहा है, जिससे यह कंपनियों को तेज और सुरक्षित भुगतान प्रसंस्करण प्रणाली का लाभ प्रदान कर रहा है। कंपनी का मानना है कि भविष्य में डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार होगा और जस्टपे की सेवाओं की माँग भी बढ़ेगी।

फिनटेक उद्योग में जस्टपे का स्थान

बेंगलुरु स्थित जस्टपे ने भारत के तेजी से विकसित हो रहे फिनटेक उद्योग में एक विशेष स्थान बनाया है। जहाँ एक ओर डिजिटल पेमेंट के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग हो रहा है, वहीं जस्टपे ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं को एक सरल और सुरक्षित विकल्प प्रदान किया है। सॉफ्टबैंक जैसी प्रतिष्ठित निवेशकों के समर्थन से जस्टपे ने न केवल अपनी सेवाओं को बेहतर बनाया है बल्कि डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस में नवाचार भी किया है।

जस्टपे के उत्पादों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कंपनी की बाजार में पकड़ मजबूत होती जा रही है। इसका प्रभाव भारत के विभिन्न शहरों और उद्योगों में देखा जा सकता है, जहाँ अधिक से अधिक व्यवसाय डिजिटल भुगतान को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

भविष्य की योजनाएँ

जस्टपे का उद्देश्य आने वाले वर्षों में अपने उत्पादों और सेवाओं को और अधिक उन्नत बनाना है। कंपनी का फोकस अधिक संख्या में व्यापारियों और छोटे व्यवसायों को डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस के प्रति जागरूक करने और उन्हें अपने पेमेंट इंटिग्रेशन सेवाओं से जोड़ने पर है। इसके साथ ही, जस्टपे ने भविष्य में विदेशी बाजारों में भी अपने उत्पादों का विस्तार करने की योजना बनाई है।

निष्कर्ष

जस्टपे ने वित्तीय वर्ष 2024 में राजस्व में प्रभावी वृद्धि और घाटे में कमी के माध्यम से अपनी स्थिति को और भी मजबूत किया है। कंपनी की प्रमुख सेवाएँ और सुरक्षित डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस भारत के फिनटेक उद्योग में इसे एक प्रतिष्ठित स्थान प्रदान कर रहे हैं।

डिजिटल इंडिया के इस युग में जस्टपे का उद्देश्य सुरक्षित, तेज, और निर्बाध भुगतान समाधान उपलब्ध कराना है, जो इसे फिनटेक इंडस्ट्री में एक अग्रणी कंपनी बनाता है।

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