💰 Fintech यूनिकॉर्न Yubi ने बढ़ाई रफ्तार! FY25 में 36% Revenue Growth, घाटा भी घटा 🚀

Yubi

भारत की तेजी से बढ़ती Fintech कंपनियों में से एक Yubi (पहले CredAvenue) ने FY25 में शानदार प्रदर्शन दिखाया है। कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 36% की साल-दर-साल (YoY) वृद्धि दर्ज की है और साथ ही अपनी EBITDA हानि को 55% तक कम कर दिया है। यानी कंपनी ने न सिर्फ कमाई बढ़ाई, बल्कि अपने घाटे को भी घटाया है।


📈 रेवेन्यू में 36% की छलांग

Yubi की Revenue from Operations FY25 में ₹660 करोड़ तक पहुँच गई, जो पिछले वित्त वर्ष FY24 के ₹484 करोड़ से काफी अधिक है।
यह वृद्धि कंपनी के डेब्ट मार्केटप्लेस बिजनेस में बढ़ती डिमांड और पार्टनरशिप्स का नतीजा है।

कंपनी का कहना है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर बैंकों और NBFCs के बीच बड़ी संख्या में ट्रांज़ैक्शंस हुईं, जिससे कुल रेवेन्यू में उछाल आया।


🏦 Yubi क्या करती है?

Yubi एक Debt Marketplace और Infrastructure Platform है जो एंटरप्राइजेज को बैंकों और NBFCs से जोड़ता है
इस प्लेटफॉर्म के ज़रिए कंपनियाँ

  • टर्म लोन,
  • वर्किंग कैपिटल,
  • और अन्य डेब्ट प्रोडक्ट्स के लिए फंडिंग प्राप्त कर सकती हैं।

कंपनी का मुख्य रेवेन्यू सोर्स है ट्रांज़ैक्शन फीस, जो सफल लोन क्लोजर पर मिलती है। FY25 में यह हिस्सा कुल रेवेन्यू का 48% (₹318 करोड़) रहा, जिसमें 55% की वृद्धि दर्ज की गई।


💼 अन्य इनकम सोर्स भी मजबूत

FY25 में Yubi ने कई अन्य स्रोतों से भी कमाई की —

  • Platform Services: ₹98 करोड़
  • Collection Services: ₹181 करोड़
  • Corporate Database Services: ₹66 करोड़
  • Interest Income: ₹53 करोड़

इन सबको जोड़कर कंपनी की कुल इनकम ₹713 करोड़ तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष ₹562 करोड़ थी।


💸 खर्चे और घाटे की स्थिति

Yubi के लिए सबसे बड़ा खर्च रहा Employee Benefits, जो कुल खर्च का लगभग 40% है।
FY25 में यह खर्च ₹439 करोड़ तक बढ़ गया, जिसमें ₹160 करोड़ का ESOP (Employee Stock Option) खर्च शामिल है।

इसके अलावा,

  • IT Cost: ₹103 करोड़
  • Sales & Marketing: ₹32 करोड़

कुल मिलाकर कंपनी का Total Expenditure FY25 में ₹1,116 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹939 करोड़ से ज्यादा है।

इस कारण कंपनी ने ₹416 करोड़ का नेट लॉस रिपोर्ट किया, लेकिन अगर नॉन-कैश खर्च (जैसे ESOP, डिप्रिसिएशन आदि) को हटाया जाए, तो कंपनी का Adjusted EBITDA Loss 55% घटकर ₹68.8 करोड़ रह गया।


🌍 इंटरनेशनल एक्सपैंशन में जबरदस्त ग्रोथ

Yubi अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। कंपनी का कहना है कि उसका MENA (Middle East and North Africa) बिजनेस 200% बढ़ा है।
साथ ही कंपनी अब Southeast Asia में तेजी से विस्तार कर रही है और आने वाले साल में अमेरिका (U.S.) में भी एंट्री की तैयारी में है।

कंपनी का प्लेटफ़ॉर्म हर दिन करीब 80,000 Loan Transactions प्रोसेस करता है — जो इसकी स्केलेबिलिटी और भरोसे को दर्शाता है।


🦄 Unicorn Journey और निवेशक

Yubi ने अब तक $250 मिलियन से अधिक फंडिंग जुटाई है।
इसमें उसका बड़ा राउंड था $135 मिलियन का Series B, जिसने कंपनी को Unicorn Club में पहुंचा दिया था।

Yubi के प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं —

  • Peak XV Partners (पूर्व में Sequoia India)
  • TVS Capital
  • Lightspeed
  • B Capital
  • Lightrock
  • Insight Luxembourg
  • Vivitri Capital

इन सभी निवेशकों का विश्वास इस बात को दर्शाता है कि Yubi भारतीय फिनटेक इकोसिस्टम में लंबी दौड़ का खिलाड़ी बनने की राह पर है।


🧭 आगे की रणनीति

कंपनी का फोकस अब प्रॉफिटेबिलिटी और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन स्केलिंग पर है।
Yubi आने वाले समय में अपने प्लेटफॉर्म को और अधिक ऑटोमेटेड और डेटा-सेंट्रिक बनाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि

  • लोन अप्रूवल्स तेज़ हों,
  • बैंक-एंटरप्राइज कनेक्शन बेहतर बने,
  • और क्रेडिट डिस्ट्रीब्यूशन आसान हो सके।

🏁 निष्कर्ष

FY25 Yubi के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ —
जहाँ कंपनी ने न केवल अपनी Revenue Growth 36% तक बढ़ाई, बल्कि EBITDA घाटा 55% घटाने में भी सफलता हासिल की।

यह प्रदर्शन दिखाता है कि भारतीय Fintech सेक्टर में अब प्रॉफिटेबिलिटी की दिशा में मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं।
Yubi की यह ग्रोथ स्टोरी आने वाले समय में भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री के लिए प्रेरणा साबित हो सकती है। 🚀

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🧠 Qure.ai ने FY25 में बढ़ाई रफ्तार, पर घाटे ने बढ़ाई चिंता! 💸

Qure.ai

📊 रेवेन्यू 24.5% बढ़ा, लेकिन लॉस 87% उछलकर ₹90 करोड़ पहुंचा

मुंबई स्थित AI-हेल्थटेक स्टार्टअप Qure.ai ने वित्त वर्ष 2024–25 (FY25) में अच्छी रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की, लेकिन कंपनी का घाटा लगभग दोगुना होकर ₹90 करोड़ तक पहुंच गया। यह साफ दिखाता है कि भले ही कंपनी का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा हो, पर उसके खर्चों का दबाव अब भी बना हुआ है।


💰 रेवेन्यू में 24.5% की बढ़ोतरी

कंपनी के ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 24.5% की वृद्धि हुई और यह FY24 के ₹141 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹175.5 करोड़ हो गया।
📦 Qure.ai की मुख्य आय उसके AI-ड्रिवन रेडियोलॉजी सॉल्यूशंस से आती है, जिनसे डॉक्टरों को टीबी, फेफड़ों के कैंसर, स्ट्रोक जैसी बीमारियों का निदान करने में मदद मिलती है।

इन सॉल्यूशंस की बिक्री FY25 में ₹151 करोड़ तक पहुंची, जो कुल रेवेन्यू का 86% हिस्सा रही।
बाकी रेवेन्यू हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स की बिक्री से आया।


🌍 इंटरनेशनल मार्केट बनी ताकत

Qure.ai की ग्रोथ का सबसे बड़ा इंजन रहा उसका ग्लोबल मार्केट

  • भारत के बाहर से कंपनी ने FY25 में ₹174 करोड़ की कमाई की, जो 39.6% YoY ग्रोथ दर्शाती है।
  • कुल रेवेन्यू का 99% हिस्सा ओवरसीज मार्केट्स से आया।
  • वहीं, भारतीय बाजार से आय में 80% की गिरावट आई — FY24 के मुकाबले FY25 में यह सिर्फ ₹1.3 करोड़ रही।

इससे साफ है कि Qure.ai फिलहाल भारत की तुलना में विदेशों में ज्यादा मजबूत पकड़ बना चुका है।


🧾 खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है

कंपनी के कुल खर्च FY25 में ₹279 करोड़ रहे, जो FY24 के ₹201 करोड़ से 39% अधिक हैं।
सबसे बड़ा हिस्सा Employee Benefits पर गया —

  • कर्मचारियों से जुड़ा खर्च FY25 में ₹133 करोड़ तक पहुंच गया (FY24 में ₹109 करोड़)।
  • यानी कुल खर्च का 48% हिस्सा सिर्फ वेतन और स्टाफ खर्चों पर गया।

अन्य प्रमुख खर्चों में —

  • ⚖️ Legal & Professional Fees: ₹37 करोड़
  • ☁️ Cloud Computing Charges: ₹18 करोड़ (लगभग दोगुना)
  • 🏗️ Depreciation: ₹22 करोड़ (FY24 के ₹12 करोड़ से लगभग 83% की बढ़ोतरी)

💡 कुल मिलाकर, कंपनी का खर्च उसकी आय से कहीं ज्यादा तेज़ी से बढ़ा है।


📉 घाटे में 87% की छलांग

कुल खर्च बढ़ने के कारण Qure.ai का घाटा FY25 में ₹90 करोड़ पहुंच गया, जो FY24 के ₹48 करोड़ से लगभग 87.5% ज्यादा है।

  • कंपनी का EBITDA मार्जिन -45.3% पर रहा (अब भी गहरा घाटा)।
  • ROCE -20.99%, जो बताता है कि निवेश पर रिटर्न अभी भी नकारात्मक है।

💸 कंपनी ने FY25 में हर ₹1 की ऑपरेटिंग इनकम के लिए ₹1.59 खर्च किए, यानी ग्रोथ के साथ एफिशिएंसी अब भी चुनौती बनी हुई है।


🏦 बैलेंस शीट पर स्थिति

FY25 में कंपनी के पास ₹406 करोड़ के करेंट एसेट्स थे, जिनमें शामिल हैं —

  • ₹35 करोड़ कैश और बैंक बैलेंस
  • बाकी रकम रिसीवेबल्स और अन्य एसेट्स में

यह दर्शाता है कि कंपनी के पास अगले कुछ वर्षों के लिए ऑपरेशनल स्थिरता बनाए रखने की पर्याप्त क्षमता है।


💸 निवेश और ओनरशिप स्ट्रक्चर

TheKredible के मुताबिक, Qure.ai अब तक कुल $121 मिलियन (लगभग ₹1,000 करोड़) फंडिंग जुटा चुकी है।
इसके प्रमुख निवेशक हैं —

  • Peak XV Partners (पूर्व में Sequoia India)
  • HealthQuad
  • Novo Holdings

कंपनी के संस्थापक और CEO, प्रशांत वारियर (Prashant Warier) के पास कंपनी की 3.55% हिस्सेदारी है।


🧬 Qure.ai क्या करती है?

Qure.ai का AI प्लेटफॉर्म डॉक्टरों को एक्स-रे, सीटी स्कैन और अन्य रेडियोलॉजी रिपोर्ट्स में तेज़ और सटीक विश्लेषण करने में मदद करता है।
कंपनी के प्रोडक्ट्स दुनिया भर के अस्पतालों, NGOs और सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों में इस्तेमाल हो रहे हैं।

इनके प्रमुख सॉल्यूशंस —

  • qXR: फेफड़ों की बीमारियों और टीबी के निदान में मदद
  • qER: स्ट्रोक, हेमरेज और अन्य न्यूरोलॉजिकल स्कैन के लिए
  • qQuant: कैंसर स्कैन और प्रोग्नोसिस मॉनिटरिंग में सहायक

🌐 कंपनी के क्लाइंट्स में WHO, Gates Foundation और कई अंतरराष्ट्रीय हेल्थ संस्थाएं शामिल हैं।


🧩 FundingRaised विश्लेषण

मेट्रिकFY25FY24बदलाव
ऑपरेटिंग रेवेन्यू₹175.5 करोड़₹141 करोड़🔼 +24.5%
कुल खर्च₹279 करोड़₹201 करोड़🔼 +39%
नेट लॉस₹90 करोड़₹48 करोड़🔼 +87.5%
EBITDA मार्जिन-45.3%-34.1%⚠️ गिरावट
ROCE-20.99%-14.8%⚠️ नकारात्मक

🔍 निष्कर्ष

Qure.ai का FY25 प्रदर्शन बताता है कि कंपनी की ग्लोबल मौजूदगी मजबूत है और AI-ड्रिवन हेल्थकेयर सॉल्यूशंस में इसकी पकड़ गहरी हो रही है।
लेकिन दूसरी तरफ, बढ़ते खर्च और बढ़ता घाटा कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी रोडमैप के लिए बड़ी चुनौती हैं।

💬 अगर Qure.ai को अगले स्तर पर जाना है, तो उसे अपने खर्चों को नियंत्रित कर स्केलेबल रेवेन्यू मॉडल अपनाना होगा।
AI-हेल्थ सेक्टर में प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ रही है, और ऐसे में फाइनेंशियल हेल्थ को मजबूत रखना ही सफलता की कुंजी होगी।

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💳 Innoviti Technologies ने FY25 में दिखाई रफ्तार! 🚀

Innoviti Technologies

📈 35% बढ़ी रेवेन्यू, लेकिन घाटा अब भी ₹62 करोड़

फिनटेक और पेमेंट गेटवे सेक्टर में अपनी पहचान बना चुकी Innoviti Technologies ने वित्त वर्ष 2024–25 (FY25) में आखिरकार ग्रोथ की रफ्तार पकड़ ली है। कंपनी की ऑपरेटिंग रेवेन्यू 35% बढ़कर ₹143 करोड़ पर पहुंच गई, जो पिछले वित्त वर्ष FY24 में ₹106 करोड़ थी। हालांकि, कंपनी का घाटा अब भी बड़ा है — FY25 में ₹62 करोड़ का नेट लॉस, जो पिछले साल की तुलना में 11% कम है।


💰 रेवेन्यू में उछाल, घाटे में थोड़ी कमी

Innoviti के Revenue Growth का मुख्य कारण रहा इसके पेमेंट गेटवे और पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी। कंपनी की सर्विस फीस से आय में जबरदस्त उछाल देखने को मिला —

  • सर्विस फीस FY24 के ₹84 करोड़ से बढ़कर ₹123 करोड़ तक पहुंच गई (47% ग्रोथ)।
  • कुल रेवेन्यू में इसका हिस्सा 86% रहा।
  • वहीं, बाकी 14% रेवेन्यू लीज रेंटल्स (₹19 करोड़) से आया।

अगर कंपनी की टोटल इनकम (Non-operating activities समेत) देखें तो FY25 में यह ₹144 करोड़ पर रही।


🧾 खर्चों का दबाव बरकरार

रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद Innoviti के खर्चों में भी इज़ाफा हुआ। कंपनी का कुल खर्च FY25 में ₹207 करोड़ रहा, जो पिछले साल ₹180 करोड़ था — यानी करीब 15% की बढ़ोतरी।

इन खर्चों में सबसे बड़ा योगदान रहा:

  • सबवेंशन और सर्विस फीस: कुल खर्च का 40% हिस्सा, FY25 में ₹82.5 करोड़ (FY24 में ₹44 करोड़ से 88% की वृद्धि)
  • कर्मचारी लाभ खर्च (Employee Benefits): FY25 में ₹43 करोड़, जो FY24 के ₹53 करोड़ से 19% घटा
  • डिप्रिसिएशन (Depreciation): ₹33 करोड़, जो पिछले वर्ष से 32% अधिक
  • Advertisement, Sub-contractor और Overheads: कुल ₹49 करोड़

💡 इन्वेस्टर्स के अनुसार, खर्चों पर नियंत्रण के बावजूद कंपनी को अब भी अपनी कॉस्ट स्ट्रक्चर को और हल्का करने की जरूरत है।


📉 घाटा कम हुआ लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं

Innoviti ने FY25 में नेट लॉस 11% घटाकर ₹62 करोड़ कर दिया (FY24 में ₹70 करोड़)।

  • कंपनी का EBITDA लॉस ₹26 करोड़ रहा।
  • EBITDA मार्जिन -18.2% (FY24 के -32.1% से बेहतर)।
  • वहीं, ROCE (Return on Capital Employed) -62.77% पर रहा।

कंपनी ने बताया कि घाटे में कमी का कारण ऑपरेशनल एफिशिएंसी और Employee Cost में कटौती रही।


🏦 बैलेंस शीट पर नजर

FY25 में Innoviti की कुल एसेट्स ₹128 करोड़ पर स्थिर रहीं।

  • करंट एसेट्स ₹100 करोड़, जिनमें
    • ₹41 करोड़ कैश और बैंक बैलेंस शामिल हैं।

💬 यह दर्शाता है कि कंपनी के पास आने वाले महीनों में ऑपरेशनल स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी है।


💸 निवेश और ओनरशिप स्ट्रक्चर

TheKredible के अनुसार, Innoviti अब तक कुल $158 मिलियन (लगभग ₹1,300 करोड़) फंडिंग जुटा चुकी है।

  • इसके प्रमुख निवेशक हैं Bessemer Venture Partners और FMO
  • कंपनी के फाउंडर राजीव अग्रवाल (Rajeev Agrawal) के पास 10% ओनरशिप है।

🏁 IPO की तैयारी में जुटी कंपनी

राजीव अग्रवाल ने हाल ही में बताया कि Innoviti अगले दो क्वार्टर में ऑपरेटिंग प्रॉफिटेबिलिटी हासिल करने की उम्मीद कर रही है।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कंपनी का IPO प्लानिंग स्टेज पर है और 12 महीनों के अंदर पब्लिक होने का लक्ष्य तय किया गया है।

💬 “हमारा फोकस है कि Innoviti अगले साल तक प्रॉफिट में आए और निवेशकों के लिए वैल्यू क्रिएट करे,” — राजीव अग्रवाल, फाउंडर & CEO, Innoviti Technologies


⚔️ लेकिन चुनौतियां बरकरार…

भले ही आंकड़े उम्मीद जगाते हों, लेकिन फिनटेक सेक्टर में प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं ज्यादा तीव्र हो चुकी है।
Razorpay, Pine Labs, Cashfree जैसे दिग्गज खिलाड़ी पहले से मजबूत पोजीशन में हैं। Innoviti के लिए चुनौती होगी कि वह

  • अपने मार्जिन सुधार सके,
  • और रेवेन्यू ग्रोथ को लगातार बनाए रखे

कंपनी के पास कैश रिजर्व जरूर है, लेकिन लंबी रेस की तैयारी के लिए यह पर्याप्त नहीं माना जा रहा।


📊 FundingRaised विश्लेषण

  • Revenue Growth: +35%
  • ⚠️ Loss: ₹62 करोड़ (अब भी हाई)
  • 📈 EBITDA Margin: -18.2% (सुधरा लेकिन नेगेटिव)
  • 💰 Funding: $158 मिलियन जुटाए
  • 🏁 IPO Target: अगले 12 महीनों में

🔍 निष्कर्ष

Innoviti Technologies ने FY25 में ग्रोथ की दिशा में स्पष्ट प्रगति दिखाई है — रेवेन्यू बढ़ा है, घाटा घटा है, और IPO की तैयारी जारी है।
लेकिन दो दशक पुराने इस स्टार्टअप के लिए असली चुनौती अब शुरू होती है — सस्टेनेबल प्रॉफिटेबिलिटी हासिल करना और बाजार में अपनी पोजीशन मजबूत रखना।

फिनटेक की इस रेस में अब सिर्फ सर्वाइव करना नहीं, बल्कि विन करना होगा! 🏆

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🚀 Darwinbox की तेज़ उड़ान: FY25 में 50% रेवेन्यू ग्रोथ, ग्लोबल मार्केट्स से आई नई रफ़्तार!

Darwinbox

भारत की मशहूर HR Tech Unicorn कंपनी Darwinbox ने वित्त वर्ष FY25 में शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 50% की वार्षिक वृद्धि के साथ बढ़कर ₹533.9 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष FY24 के ₹334 करोड़ से कहीं ज्यादा है।
यह ग्रोथ मुख्यतः कंपनी के अंतरराष्ट्रीय विस्तार (global expansion) और मौजूदा बाजारों में गहरी पैठ (deep market penetration) की वजह से आई है।


🌍 इंटरनेशनल मार्केट बना ग्रोथ इंजन

Darwinbox के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कंपनी की नई बिक्री (new sales) में 63% योगदान रहा।
सबसे खास बात यह रही कि ओवरसीज़ रेवेन्यू (Overseas Revenue) में 83% साल-दर-साल (YoY) की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई — यह लगातार दूसरा साल है जब Darwinbox ने विदेशों में 80% से अधिक की वृद्धि हासिल की है।

📈 कंपनी का कहना है कि अमेरिका (U.S.) में इसका बिज़नेस, जो सिर्फ दो साल पहले शुरू हुआ था, अब मजबूत पकड़ बना रहा है।
इसके साथ ही South East Asia (SEA) और Middle East & North Africa (MENA) क्षेत्रों में भी Darwinbox के सॉल्यूशंस को तेज़ी से अपनाया जा रहा है।


💼 घाटे में सुधार, कुशल प्रबंधन का असर

Darwinbox ने अपने adjusted net loss (शुद्ध घाटे) में 12% सुधार दर्ज किया है (ESOP जैसे non-cash खर्चों को छोड़कर)।
अगर कंपनी के U.S. ऑपरेशंस में किए गए निवेश को अलग किया जाए, तो Darwinbox का समायोजित घाटा 42% तक घट गया है।

इस सुधार का श्रेय कंपनी की ऑपरेशनल एफिशिएंसी, बेहतर लागत नियंत्रण और राजस्व विविधीकरण (revenue diversification) को दिया जा रहा है।


☁️ क्या करती है Darwinbox?

हैदराबाद स्थित Darwinbox एक क्लाउड-आधारित HR मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म है, जो कंपनियों को उनकी पूरी ह्यूमन रिसोर्स प्रोसेस को डिजिटल रूप से संभालने में मदद करता है।
इसके प्लेटफॉर्म पर कई ज़रूरी फीचर्स मौजूद हैं जैसे 👇

  • 👥 Recruitment & Onboarding (भर्ती प्रक्रिया और नए कर्मचारियों का ऑनबोर्डिंग)
  • 💰 Payroll Management (तनख्वाह और टैक्स प्रबंधन)
  • 📈 Employee Engagement & Talent Management
  • 🔍 Analytics & Performance Insights

कंपनी के पास अब 1,016 से अधिक एंटरप्राइज क्लाइंट्स हैं, जो इसके प्लेटफॉर्म का उपयोग वैश्विक स्तर पर कर रहे हैं।


🌏 भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया बना प्रमुख बाजार

हालांकि Darwinbox ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेज़ी से विस्तार किया है, कंपनी का सबसे बड़ा रेवेन्यू हिस्सा अभी भी भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया (SEA) से आता है।
इन दोनों क्षेत्रों में HR टेक्नोलॉजी की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि कंपनियां अब अपने कर्मचारियों के प्रबंधन के लिए AI और क्लाउड-आधारित सॉल्यूशंस अपना रही हैं।

Darwinbox की सफलता का एक बड़ा कारण इसका लोकलाइज्ड एप्रोच भी है — यानी हर क्षेत्र के अनुसार टूल्स को कस्टमाइज़ करना, जिससे क्लाइंट्स को बेहतर अनुभव मिलता है।


💸 फंडिंग की ताकत — अब तक $290 मिलियन जुटाए

Startup data platform TheKredible के अनुसार, Darwinbox ने अब तक विभिन्न राउंड्स के ज़रिए $290 मिलियन (लगभग ₹2,400 करोड़) जुटाए हैं।
इसमें मार्च 2025 में हुआ $140 मिलियन का बड़ा फंडिंग राउंड भी शामिल है, जिसका नेतृत्व Partners Group और KKR ने किया था।

इन निवेशों ने कंपनी को न केवल प्रोडक्ट डेवलपमेंट और इंटरनेशनल एक्सपैंशन के लिए पूंजी दी, बल्कि इसे भारत की तेज़ी से बढ़ती HR-Tech यूनिकॉर्न्स में भी शामिल किया।


🎁 कर्मचारियों के लिए बड़ा तोहफ़ा — ₹86 करोड़ का ESOP बायबैक और $21 मिलियन का ग्रांट

Darwinbox ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए ₹86 करोड़ ($10 मिलियन) का ESOP बायबैक प्रोग्राम पूरा किया था।
इसके बाद कंपनी ने $21 मिलियन (लगभग ₹175 करोड़) के नए ESOP ग्रांट्स भी जारी किए हैं — जो कर्मचारियों को कंपनी की ग्रोथ में हिस्सेदारी का मौका देता है।

यह कदम यह दर्शाता है कि Darwinbox अपने टैलेंट रिटेंशन और एम्प्लॉयी ओनरशिप कल्चर को लेकर बेहद गंभीर है।


🔮 आगे की राह — Global HR Tech में भारतीय झंडा बुलंद

Darwinbox अब सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर Workplace Digitalization का चेहरा बनता जा रहा है।
कंपनी का फोकस अगले कुछ वर्षों में है 👇

  • 🌍 अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करना,
  • 🤖 AI और एनालिटिक्स के जरिए HR टेक्नोलॉजी को और स्मार्ट बनाना,
  • 💼 और भारत के SME सेगमेंट के लिए affordable HR solutions लॉन्च करना।

कंपनी के सह-संस्थापक (co-founders) ने कहा कि,

“हमारा मिशन है कि हर संगठन को एक ऐसा प्लेटफॉर्म मिले जो उसके कर्मचारियों को अधिक सक्षम, खुश और प्रोडक्टिव बनाए।”


🧠 निचोड़

Darwinbox ने FY25 में यह साबित कर दिया है कि स्मार्ट प्रबंधन, डेटा-ड्रिवन रणनीति और ग्लोबल माइंडसेट के साथ भारतीय स्टार्टअप्स भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दमदार प्रदर्शन कर सकते हैं।

जहाँ एक ओर कंपनी की आय 50% बढ़ी है, वहीं घाटे में भी निरंतर सुधार देखा गया है — जो संकेत देता है कि Darwinbox अब लॉस से प्रॉफिट की राह पर है।

अगर कंपनी इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही, तो आने वाले कुछ वर्षों में Darwinbox दुनिया की अग्रणी HR-Tech कंपनियों में से एक बन सकती है। 🌟

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💰 Dezerv ने जुटाए ₹352 करोड़ Premji Invest और Accel की अगुवाई में हुआ Series C फंडिंग राउंड

Dezerv

भारत की तेजी से बढ़ती Wealth-Tech स्टार्टअप कंपनी Dezerv ने हाल ही में अपने Series C फंडिंग राउंड में ₹352 करोड़ (लगभग $40 मिलियन) जुटाने की घोषणा की है। इस राउंड का नेतृत्व Premji Invest और Accel ने संयुक्त रूप से किया, जबकि Elevation Capital और Z47 (पूर्व में Matrix Partners India) ने भी इसमें भाग लिया।


🚀 निवेश के पीछे की डिटेल्स

हालांकि कंपनी ने अपनी वैल्यूएशन और शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर का खुलासा सार्वजनिक रूप से नहीं किया,

Dezerv के बोर्ड ने Registrar of Companies (RoC) के साथ दाखिल दस्तावेज़ों में बताया कि कंपनी ने ₹82,961 प्रति शेयर की दर से 42,427 Series C CCPS जारी कर कुल ₹352 करोड़ जुटाए।

इस निवेश में —

  • 💼 Premji Invest ने ₹157.73 करोड़ ($18 मिलियन) लगाए,
  • 🚀 Accel ने ₹140.2 करोड़ ($16 मिलियन),
  • 📈 Elevation Capital ने ₹35.2 करोड़, और
  • 💡 Z47 (Matrix Partners) ने ₹1.3 करोड़ का निवेश किया।

🧾 निवेश के बाद शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर

स्टार्टअप डेटा प्लेटफॉर्म TheKredible के अनुसार, अब तक Dezerv ने कुल $100 मिलियन (लगभग ₹830 करोड़) फंडिंग हासिल की है।
नवीनतम राउंड के बाद शेयरहोल्डिंग कुछ इस प्रकार है 👇

  • 🟢 Accel — 15.95%
  • 🔵 Premji Invest — 15.91%
  • 🟣 Elevation Capital — 14.64%
  • 🟠 Z47 (Matrix Partners) — 12.96%
  • 👨‍💼 Co-founders (Vaibhav Porwal, Sandeep Jethwani, Sahil Contractor) — लगभग 30%

💼 Dezerv क्या करती है?

2021 में लॉन्च हुई Dezerv एक tech-driven portfolio management services (PMS) प्लेटफॉर्म है जो पेशेवर लोगों को स्मार्ट और एक्सपर्ट फाइनेंशियल एडवाइस प्रदान करती है।
कंपनी का उद्देश्य है —
👉 निवेशकों को direct bonds, startup angel investments और PMS/AIF portfolios तक एक्सेस देना,
👉 ताकि वे बेहतर और diversified wealth management का अनुभव ले सकें।

वर्तमान में Dezerv ₹14,000 करोड़ से अधिक की एसेट्स (PMS, AIF और Distribution) को मैनेज कर रही है — जो इसके बढ़ते भरोसे और निवेशकों की दिलचस्पी का बड़ा संकेत है।


📊 FY24 में राजस्व और घाटे का हाल

वित्त वर्ष FY24 में Dezerv का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹26.25 करोड़ तक पहुंच गया, जो FY23 के ₹10.20 करोड़ की तुलना में लगभग 2.5 गुना ज्यादा है।

हालांकि कंपनी का घाटा भी बढ़कर ₹74.53 करोड़ हो गया — जो पिछले साल के ₹38.20 करोड़ से 95% अधिक है।
इससे स्पष्ट है कि कंपनी फिलहाल अपने ग्रोथ फेज़ में निवेश और स्केलिंग पर ज्यादा फोकस कर रही है।

कंपनी ने अभी तक FY25 के वित्तीय नतीजे सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन उद्योग के जानकारों के मुताबिक, FY25 में कंपनी की Revenue Run Rate काफी बेहतर रहने की उम्मीद है।


🏆 निवेशकों का बढ़ता भरोसा

Premji Invest (जो Wipro के चेयरमैन अजीम प्रेमजी का इन्वेस्टमेंट ऑफिस है) और Accel जैसी बड़ी निवेश फर्मों का इस राउंड में हिस्सा लेना यह दर्शाता है कि भारतीय Wealth-tech सेक्टर में बड़ा पोटेंशियल है।
Dezerv का tech-first मॉडल, user-centric एप्रोच और निवेशकों को curated investment options देने की रणनीति इसे बाकी प्लेटफॉर्म्स से अलग बनाती है।


⚔️ प्रतिस्पर्धा और मार्केट पोज़िशन

Dezerv का मुकाबला अब भारत के कई बड़े Wealth-tech प्लेयर्स से है — जिनमें शामिल हैं:

  • 💹 Wint Wealth
  • 🏦 Grip Invest
  • 📊 Peak XV-backed Smallcase
  • 💰 Groww

इन सभी के बीच, Dezerv अपनी expert-led portfolio management approach के जरिए अलग पहचान बना रही है।


🔮 आगे की राह — स्मार्ट वेल्थ के नए दौर की शुरुआत

Dezerv के को-फाउंडर्स वैभव पोरवाल, संदीप जेतवानी और साहिल कॉन्ट्रैक्टर का कहना है कि कंपनी का अगला लक्ष्य है अपने यूज़र्स के लिए और भी एडवांस्ड निवेश विकल्प लाना और भारतीय Wealth-tech इकोसिस्टम को ग्लोबल लेवल पर ले जाना।

उनके अनुसार, “भारत में मिडल-क्लास प्रोफेशनल्स के लिए personalized wealth management की बहुत बड़ी ज़रूरत है — और हम टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञता के साथ उस गैप को भर रहे हैं।”


🧠 निचोड़

इस Series C फंडिंग के साथ, Dezerv ने अपने ग्रोथ गेम को अगले स्तर पर पहुंचा दिया है।
जहाँ एक ओर कंपनी का घाटा फिलहाल जारी है, वहीं दूसरी ओर इसका रेवेन्यू, निवेशकों का भरोसा और एसेट्स अंडर मैनेजमेंट लगातार बढ़ रहे हैं।

👉 अगर यह रफ्तार बनी रही, तो आने वाले 2 सालों में Dezerv भारत का अग्रणी Wealth-tech ब्रांड बन सकता है — जो लोगों के निवेश के तरीके को बदलने की ताकत रखता है। 🚀

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💳 Razorpay ने दिखाया दम! FY25 में ₹3,783 करोड़ की कमाई, लेकिन ESOP खर्चों से हुआ घाटा 📉

Razorpay

भारत के प्रमुख पेमेंट्स और बिज़नेस बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म Razorpay ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है। कंपनी की कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू 65% बढ़कर ₹3,783 करोड़ पर पहुँच गई, जो पिछले साल (FY24) में ₹2,296 करोड़ थी। 💥📈

Razorpay ने बताया कि यह ग्रोथ उसके पेमेंट गेटवे, बैंकिंग, POS (Point of Sale) और इंटरनेशनल बिज़नेस यूनिट्स में मजबूत परफॉर्मेंस के कारण हासिल हुई है।


🚀 FY25 बना Razorpay के लिए टर्निंग पॉइंट

कंपनी के सह-संस्थापक और CEO हर्षिल माथुर ने कहा —

“FY25 हमारे लिए एक महत्वपूर्ण साल रहा। हमने मज़बूत एक्ज़िक्यूशन के ज़रिए शानदार टॉप-लाइन ग्रोथ दी और साथ ही ग्रॉस मार्जिन्स में भी सुधार किया। अब ऑनलाइन पेमेंट्स बिज़नेस EBITDA-पॉज़िटिव है, जबकि हमारे नए बिज़नेस वर्टिकल्स तेज़ी से स्केल हो रहे हैं।”

कंपनी के अनुसार, उसका ग्रॉस प्रॉफिट 41% बढ़कर ₹1,277 करोड़ हो गया है, जो FY24 में ₹906 करोड़ था।
लेकिन, इतनी तेज़ ग्रोथ के बावजूद Razorpay को इस साल ESOP (Employee Stock Ownership Plan) से जुड़े खर्चों और टैक्स रीस्ट्रक्चरिंग की वजह से घाटा दर्ज करना पड़ा।


💸 ₹1,209 करोड़ के ESOP खर्च बने नुकसान की वजह

कंपनी के मुताबिक, Razorpay को FY25 में ₹1,209 करोड़ के ESOP-रिलेटेड खर्च उठाने पड़े, जिससे उसका नेट प्रॉफिट घाटे में चला गया।
यह नुकसान इसलिए भी हुआ क्योंकि कंपनी ने हाल ही में अपना मुख्यालय भारत में रीडोमिसाइल (Reverse Flip) किया है — यानी अब Razorpay पूरी तरह से भारत में रजिस्टर्ड एंटिटी बन चुकी है। 🇮🇳

CFO अर्पित चुग ने कहा कि कंपनी अब हर प्रोडक्ट लेवल पर financial discipline लागू कर रही है ताकि मुनाफ़े वाले और नए ग्रोथ वर्टिकल्स के बीच बैलेंस बना रहे।


🏦 कंपनी की मजबूत कैश पोज़िशन और भविष्य की प्लानिंग

Razorpay ने कहा कि उसकी कैश पोज़िशन मजबूत है, जिससे वह इनोवेशन और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ में निवेश जारी रख सकेगी।
आगे कंपनी का फोकस इन क्षेत्रों पर रहेगा:

  • 💻 AI-first प्रोडक्ट डेवलपमेंट
  • 💳 कोर फिनटेक स्टैक को और मजबूत बनाना
  • 🌏 इंटरनेशनल एक्सपेंशन, खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया (Malaysia, Singapore) जैसे बाजारों में

Razorpay पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में अपनी पेमेंट सेवाएं शुरू कर चुकी है और अब वह ग्लोबल पेमेंट टेक लीडर बनने की दिशा में बढ़ रही है। 🌐


👨‍💻 Razorpay की शुरुआत और सफर

Razorpay की स्थापना 2014 में IIT Roorkee के पूर्व छात्र शशांक कुमार और हर्षिल माथुर ने की थी।
उस समय भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में डिजिटल पेमेंट्स की शुरुआत ही हो रही थी।
आज Razorpay लाखों बिज़नेस को ऑनलाइन पेमेंट, पेरोल, और बैंकिंग सॉल्यूशंस उपलब्ध कराता है।

अब तक कंपनी ने $800 मिलियन से ज़्यादा फंडिंग जुटाई है, जिसमें Lightspeed, Tiger Global, Peak XV Partners और GIC जैसे दिग्गज निवेशक शामिल हैं। 💰


🔁 भारत में वापसी और IPO की तैयारी

FY25 का एक और बड़ा माइलस्टोन था Razorpay का Reverse Flip to India, यानी कंपनी ने खुद को विदेशी रजिस्टर्ड एंटिटी से बदलकर अब पूरी तरह भारतीय कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड कर लिया है।
इस कदम के बाद अप्रैल 2025 में Razorpay ने पब्लिक लिमिटेड एंटिटी का दर्जा हासिल किया।

इस कदम को IPO (Initial Public Offering) की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि Razorpay FY27 तक स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। 📊📈


💥 Razorpay का अधिग्रहण और मार्केट पोजिशनिंग

हाल ही में कंपनी ने ₹250 करोड़ ($30 मिलियन) में POP नाम की रिवॉर्ड-बेस्ड UPI ऐप को खरीदा है।
इस अधिग्रहण से Razorpay अपने पेमेंट इकोसिस्टम को और विस्तार देना चाहती है, जिससे ग्राहकों को ज्यादा वैल्यू और इनाम-आधारित अनुभव मिल सके। 🎁

साथ ही, कंपनी ने FY25 में एक क्लटर-ब्रेकिंग ब्रांड कैंपेन भी लॉन्च किया, जिसमें उसके बड़े ई-कॉमर्स क्लाइंट्स जैसे Meesho, Swiggy, और Nykaa ने खुद टेस्टिमोनियल दिए — जिसने मार्केट में Razorpay की ब्रांडिंग को और मजबूत किया। 🏆


⚔️ प्रतिस्पर्धियों के बीच सबसे आगे Razorpay

जहाँ कई पेमेंट कंपनियाँ FY25 में फ्लैट ग्रोथ दिखा रही थीं, वहीं Razorpay ने लगातार बेहतर प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया।
कंपनी का टेक्नोलॉजी-ड्रिवन अप्रोच, मजबूत क्लाइंट बेस, और नए इनोवेशन उसे भारत की सबसे भरोसेमंद फिनटेक कंपनी बना रहे हैं।

Razorpay अब उस मुकाम पर पहुँच चुकी है जहाँ वह न सिर्फ डिलीवर कर रही है बल्कि अपने बिज़नेस पोटेंशियल को पूरी तरह से क्रैक कर रही है। 🔓💪


🧩 निष्कर्ष: Razorpay — भारत की Fintech Growth की अगली कहानी

FY25 के परिणाम साफ दिखाते हैं कि Razorpay सिर्फ एक पेमेंट गेटवे नहीं, बल्कि भारत की फिनटेक क्रांति का इंजन बन चुका है।
भविष्य में अगर यह रफ्तार बरकरार रहती है, तो Razorpay IPO भारत की स्टार्टअप इंडस्ट्री के लिए एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है। 🚀🇮🇳

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🎙️ Kuku FM ने मचाया धमाल! ₹710 करोड़ की नई फंडिंग से ऑडियो कंटेंट की दुनिया में बढ़ाया जलवा

Kuku FM,

भारत के सबसे तेजी से बढ़ते ऑडियो और वीडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म Kuku FM ने एक बार फिर निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। कंपनी ने अपने Series D फंडिंग राउंड में $85 मिलियन (करीब ₹710 करोड़) जुटाए हैं। यह राउंड Granite Asia (पहले GGV Capital) के नेतृत्व में हुआ है, जिसमें primary capital के साथ-साथ secondary share sales भी शामिल रही। 🎧💰


💼 कौन-कौन से निवेशकों ने किया भरोसा?

इस राउंड में Kuku FM के मौजूदा निवेशक — Vertex Growth Fund, Krafton, IFC, Paramark, Tribe Capital India और Bitkraft — ने भी अपनी भागीदारी निभाई।
इन ताज़ा निवेशों के साथ, कंपनी का कुल फंडिंग अमाउंट अब $156 मिलियन (लगभग ₹1,300 करोड़) तक पहुँच गया है।

याद दिला दें कि अक्टूबर 2023 में Kuku FM ने $25 मिलियन की Series C फंडिंग जुटाई थी, जिसका नेतृत्व International Finance Corporation (IFC) और नंदन नीलेकणी के Fundamentum Partnership ने किया था। उस समय कंपनी की वैल्यूएशन लगभग $185 मिलियन थी। 📈


🚀 नए फंड का इस्तेमाल कहाँ होगा?

कंपनी ने बताया कि यह फंडिंग उसके अगले ग्रोथ फेज़ के लिए बेहद अहम होगी।
Kuku FM इन पैसों का इस्तेमाल इन क्षेत्रों में करने वाली है:

  • नए content creators को जोड़ने में 🎙️
  • प्लेटफ़ॉर्म की टेक्नोलॉजी को और मज़बूत बनाने में 💻
  • Bharat audience यानी छोटे शहरों और कस्बों तक पहुँच बढ़ाने में 🌆
  • और अधिक original audio & video content लॉन्च करने में 🎬

👨‍💻 2018 में शुरू हुआ था Kuku FM का सफर

Kuku FM की शुरुआत 2018 में तीन दोस्तों — लालचंद बिसू, विकास गोयल और विनोद कुमार मीणा — ने मिलकर की थी।
उनका मकसद था कि भारत में भी ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाया जाए जहाँ लोग knowledge और entertainment को सुनकर सीखें

आज Kuku FM पर आपको audiobooks, podcasts, courses, और short stories जैसे ढेरों जॉनर्स में कंटेंट मिलता है —
बिज़नेस 📊, सेल्फ-हेल्प 🌱, फाइनेंस 💸, हिस्ट्री 🏰, धर्म 🙏, फिटनेस 🏋️‍♀️ और एंटरटेनमेंट 🎭 — हर किसी के लिए कुछ न कुछ है!


🎧 कई भाषाओं में कंटेंट, पूरे भारत के लिए प्लेटफ़ॉर्म

Kuku FM सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी तक सीमित नहीं है। यह प्लेटफ़ॉर्म कई भारतीय भाषाओं में ऑडियोबुक्स और पॉडकास्ट उपलब्ध कराता है।
इससे कंपनी ने भारत के tier-2 और tier-3 शहरों के श्रोताओं के बीच गहरी पैठ बना ली है। 📻
अब कंपनी का लक्ष्य है कि भारत के हर राज्य में अपने regional creators को बढ़ावा दे, ताकि हर भाषा में quality content पहुंचाया जा सके।


📊 कमाई बढ़ी, घाटा घटा — शानदार प्रदर्शन FY24 में

TheKredible के अनुसार, Kuku FM की operational revenue FY23 के ₹41 करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹88 करोड़ पहुँच गई — यानी 2.1x की शानदार ग्रोथ! 🚀
वहीं, कंपनी ने FY24 में अपने घाटे को भी 18% तक घटाकर ₹96 करोड़ कर दिया है।
हालांकि FY25 के फाइनेंशियल रिजल्ट्स अभी दाखिल नहीं हुए हैं, लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंपनी जल्द ही profitability के करीब पहुँच सकती है। 💹


🥊 कौन हैं Kuku FM के बड़े प्रतिद्वंद्वी?

भारत का ऑडियो कंटेंट मार्केट अब बेहद हॉट बन चुका है।
Kuku FM इस समय टक्कर ले रहा है —
🎧 Pocket FM,
🎙️ Awaz,
🎤 Headfone, और
📚 Pratilipi जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स से।

हालांकि अब एक नया रुझान उभर रहा है — micro-drama content का।
इसी सेगमेंट में WinZO और Zupee जैसे real-money gaming प्लेटफ़ॉर्म्स भी उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
इससे आने वाले समय में ऑडियो एंटरटेनमेंट की दुनिया में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। ⚔️


🌟 ‘Suno, Seekho aur Badho’ — Kuku FM का विज़न

Kuku FM सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि self-growth और knowledge sharing का भी माध्यम है।
कंपनी का फोकस है कि भारत का हर युवा सिर्फ वीडियो नहीं देखे, बल्कि कहानियों और ज्ञान को सुने भी
जैसे-जैसे कंटेंट कंजम्प्शन का ट्रेंड बदल रहा है, वैसे-वैसे Kuku FM भारत को एक audio-first nation बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 🇮🇳🎧


🔚 निष्कर्ष: Kuku FM बना भारत का ‘Voice of Bharat’

नए $85 मिलियन की फंडिंग के साथ, Kuku FM ने यह साबित कर दिया है कि ऑडियो और पॉडकास्ट इंडस्ट्री का भविष्य बेहद उज्जवल है।
तेज़ी से बढ़ती रेवेन्यू, घटते घाटे, और बढ़ते श्रोताओं के साथ Kuku FM अब सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि भारत की आवाज़ बन चुका है। 🔥🎤


अगर आप भी बिज़नेस, मोटिवेशन या स्टोरीज़ सुनना पसंद करते हैं, तो Kuku FM ऐप ज़रूर ट्राय करें —
क्योंकि यहाँ हर आवाज़ में है एक नई कहानी! 🎧📱

Read more : Eternal (पूर्व में Zomato) की Q2 FY26 रिपोर्ट मुनाफे में 63% की गिरावट, लेकिन राजस्व में 2.8 गुना उछाल 

🍔 Eternal (पूर्व में Zomato) की Q2 FY26 रिपोर्ट मुनाफे में 63% की गिरावट, लेकिन राजस्व में 2.8 गुना उछाल 🚀

Eternal

भारत की जानी-मानी फूडटेक और क्विक कॉमर्स कंपनी Eternal (पहले Zomato) ने गुरुवार को अपनी Q2 FY26 (जुलाई-सितंबर 2025) की वित्तीय रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी का मुनाफा 63% घटकर ₹65 करोड़ रह गया, जबकि इसी अवधि में राजस्व लगभग तीन गुना बढ़कर ₹13,590 करोड़ तक पहुंच गया। 📉💰


📊 मुनाफे में गिरावट, लेकिन राजस्व में ज़बरदस्त उछाल

कंपनी की कंसॉलिडेटेड रिपोर्ट, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर दाखिल की गई है, के अनुसार Eternal की ऑपरेटिंग रेवेन्यू पिछले साल के ₹4,799 करोड़ से बढ़कर ₹13,590 करोड़ हो गई — यानी 2.8 गुना वृद्धि

हालांकि, अगर अन्य आय (₹352 करोड़) और ब्याज लागत (₹86 करोड़) को छोड़ दें, तो कंपनी का EBIT (Earnings Before Interest and Tax) नकारात्मक रहा — ₹137 करोड़ के घाटे के साथ। 😬


Blinkit बना Eternal की ग्रोथ का इंजन

इस बार राजस्व में आई उछाल का सबसे बड़ा श्रेय Blinkit को जाता है।
कंपनी ने बताया कि Blinkit ने अपने बिज़नेस मॉडल को पूरी तरह बदल दिया है — मार्केटप्लेस मॉडल से इन्वेंट्री-लेड मॉडल की ओर।

👉 इसका मतलब है कि अब Blinkit की आय में पूरे उत्पादों के मूल्य (Gross Merchandise Value) को शामिल किया जा रहा है, पहले की तरह सिर्फ कमीशन को नहीं।
इस बदलाव के कारण Blinkit का राजस्व 8.5 गुना बढ़ गया! ⚡


🍕 फूड डिलीवरी बिज़नेस (Zomato) से मिला 18% रेवेन्यू

Eternal की कुल आय में से 18% हिस्सा फूड डिलीवरी बिज़नेस (Zomato) से आया।

  • Zomato का राजस्व ₹2,012 करोड़ से बढ़कर ₹2,485 करोड़ हुआ — यानी 23% की वृद्धि
  • वहीं Blinkit का रेवेन्यू ₹1,156 करोड़ से बढ़कर ₹9,891 करोड़ हो गया — 8.5X उछाल
  • लेकिन Eternal का B2B सप्लाई प्लेटफॉर्म Hyperpure पिछली तिमाही की तुलना में 30.5% घटकर ₹1,023 करोड़ रह गया।

इसके अलावा, ‘Going-out’ और अन्य गैर-ऑपरेटिंग आय के ज़रिए कंपनी की कुल रेवेन्यू ₹13,942 करोड़ तक पहुंची।


📅 हाफ-ईयर प्रदर्शन: 2.3 गुना बढ़ा रेवेन्यू

FY26 के पहले छह महीनों में Eternal का कुल राजस्व ₹9,005 करोड़ से बढ़कर ₹20,757 करोड़ हो गया — यानी 2.3 गुना वृद्धि
यह दर्शाता है कि Eternal ने न सिर्फ तिमाही बल्कि हाफ-ईयर स्केल पर भी मजबूत ग्रोथ दिखाई है। 💹


💸 खर्चों में भी 2.8 गुना बढ़ोतरी

राजस्व बढ़ा तो खर्च भी तेज़ी से बढ़े।
कंपनी का कुल व्यय (Total Expenditure) ₹4,783 करोड़ से बढ़कर ₹13,813 करोड़ हो गया — यानी 2.8 गुना
मुख्य खर्चों का विवरण इस प्रकार है 👇

  • 🏗️ कच्चे माल की लागत (Cost of Material):
    ₹1,334 करोड़ से बढ़कर ₹7,742 करोड़ — यानी 5.8 गुना उछाल, जो कुल खर्च का 56% है।
  • 🛵 डिलीवरी व संबंधित खर्च:
    ₹1,400 करोड़ से बढ़कर ₹2,213 करोड़ — 58% की बढ़ोतरी
  • 👩‍💼 कर्मचारी वेतन व लाभ:
    ₹593 करोड़ से बढ़कर ₹865 करोड़ — 46% की वृद्धि
  • 📢 विज्ञापन और मार्केटिंग खर्च:
    ₹404 करोड़ से बढ़कर ₹806 करोड़ — लगभग दोगुना

कंपनी ने बताया कि Blinkit के इन्वेंट्री मॉडल के कारण कच्चे माल की लागत में भारी उछाल हुआ है, जिसने मुनाफे को प्रभावित किया।


📉 मुनाफे में 63% की गिरावट

Eternal का शुद्ध मुनाफा ₹176 करोड़ से घटकर ₹65 करोड़ रह गया — यानी 63% की गिरावट
इसका मुख्य कारण था —

  • मटेरियल कॉस्ट में उछाल,
  • डिलीवरी खर्च में बढ़ोतरी, और
  • मार्केटिंग पर बढ़ता निवेश

प्रति यूनिट आधार पर देखें तो कंपनी ने हर ₹1 कमाने के लिए ₹1.02 खर्च किए, यानी मार्जिन अब बेहद पतले हो गए हैं। 💧


🧩 Eternal का बिजनेस पोर्टफोलियो

Eternal Group कई प्रमुख बिज़नेस यूनिट्स चलाता है —

  1. Zomato (Food Marketplace) 🍔
  2. Blinkit (Quick Commerce)
  3. Hyperpure (B2B सप्लाई चेन) 🧺
  4. Going-out (Dine-out & Events) 🎉

इनमें से Blinkit अब सबसे बड़ा राजस्व स्रोत बन गया है, जिसने Eternal को फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म से एक डाइवर्सिफाइड टेक कंपनी में बदल दिया है।


📈 शेयर मार्केट में Eternal का प्रदर्शन

गुरुग्राम-आधारित Eternal का शेयर इस समय (15:14 बजे तक) ₹342.85 प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है, जिससे कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹3,32,985 करोड़ (लगभग $37.9 बिलियन) तक पहुंच गई है।
यह Eternal को भारत की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियों में से एक बना देता है। 💼📊


💬 FundingRaised की राय:

“Eternal (पूर्व में Zomato) का यह तिमाही प्रदर्शन बताता है कि कंपनी अब सिर्फ फूड डिलीवरी नहीं, बल्कि एक संपूर्ण डिजिटल कॉमर्स इकोसिस्टम बन चुकी है। हालांकि Blinkit की ग्रोथ प्रभावशाली है, लेकिन लागत नियंत्रण और Hyperpure की रिकवरी आने वाली तिमाहियों के लिए चुनौती बनी रहेगी।”


🔍 निष्कर्ष — ग्रोथ हाई, प्रॉफिट लो!

Eternal की यह रिपोर्ट साफ करती है कि कंपनी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बढ़ती लागतें उसकी प्रॉफिटेबिलिटी पर दबाव बना रही हैं।
अगर Blinkit का मॉडल आने वाले महीनों में और स्थिर हुआ, तो Eternal अपने प्रॉफिट को फिर से ट्रैक पर ला सकती है।

📌 #Eternal #Zomato #Blinkit #QuickCommerce #FundingRaisedHindi #StartupNews #FinancialResults

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🛒 Zepto ने जुटाए $450 मिलियन! IPO की तैयारी में भारतीय क्विक कॉमर्स दिग्गज 🚀

Zepto

भारत की तेज़ी से उभरती क्विक कॉमर्स कंपनी Zepto ने एक और शानदार फंडिंग राउंड के साथ बाज़ार में धमाल मचा दिया है! कंपनी ने $450 मिलियन (करीब ₹3,760 करोड़) की नई फंडिंग जुटाई है, जिसका नेतृत्व California Public Employees’ Retirement System (CalPERS) ने किया है — जो अमेरिका का एक प्रमुख पेंशन फंड है और Zepto में यह उसका पहला निवेश है। 💸


💰 Zepto को मिला नया फंडिंग बूस्ट

यह फंडिंग राउंड प्राइमरी और सेकेंडरी इन्वेस्टमेंट्स का मिश्रण था।
इस राउंड में पुराने निवेशकों ने भी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई, जिनमें शामिल हैं —

  • Avenir
  • Avra Capital
  • Lightspeed Venture Partners
  • Glade Brook Capital
  • The Stepstone Group
  • Nexus Venture Partners

Zepto की इस ताज़ा फंडिंग के बाद अब कंपनी अगले साल IPO (Initial Public Offering) लाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। 📈


🦄 $7 बिलियन वैल्यूएशन की ओर कदम

हालांकि कंपनी ने अपने ताज़ा वैल्यूएशन का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक Zepto हाल ही में $7 बिलियन के वैल्यूएशन पर निवेश जुटाने के लिए बातचीत कर रही थी।
अगर यह आंकड़ा सही साबित होता है, तो यह Zepto को भारत के सबसे महंगे कंज्यूमर टेक यूनिकॉर्न्स में शामिल कर देगा। 🇮🇳✨


👨‍💼 Zepto के CEO बोले — “ग्रोथ अब रुकने वाली नहीं”

Zepto के सह-संस्थापक और CEO आदित पालीचा (Aadit Palicha) ने कहा कि कंपनी ने पिछले कुछ क्वार्टरों में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है।

“पांच क्वार्टर पहले जहां हम रोज़ाना लगभग 5 लाख ऑर्डर पूरे कर रहे थे, वहीं अब यह संख्या 17 लाख ऑर्डर प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है। हमें भरोसा है कि आने वाले महीनों में यह रफ्तार और तेज़ होगी।”

Zepto की तेज़ डिलीवरी सर्विस और लगातार बढ़ती कवरेज ने इसे भारत की सबसे पसंदीदा क्विक कॉमर्स कंपनियों में शामिल कर दिया है। ⚡


🏦 Motilal Oswal से मिला था $48 मिलियन

इस राउंड से पहले, Zepto ने हाल ही में Motilal Oswal Alternates से ₹400 करोड़ (लगभग $48 मिलियन) की फंडिंग जुटाई थी।
यह निवेश कंपनी के IPO से पहले कैपिटल एक्सपैंशन प्लान का हिस्सा था।

Zepto अब तक कुल $2.3 बिलियन की फंडिंग जुटा चुकी है — जिसमें से $1.8 बिलियन सिर्फ पिछले डेढ़ साल (जनवरी 2024 से) में आई है।
यह निवेशक समुदाय के कंपनी पर भरोसे और उसके मजबूत बिजनेस मॉडल का सबूत है। 💪


📊 वित्तीय प्रदर्शन: FY24 और FY25 के आंकड़े

Zepto का वित्तीय प्रदर्शन भी निवेशकों के लिए आकर्षक रहा है।

  • FY24 में Zepto की राजस्व (Revenue) ₹4,454 करोड़ रही, जो FY23 के ₹2,026 करोड़ से दोगुनी है।
  • FY24 में कंपनी का घाटा मामूली रूप से घटकर ₹1,249 करोड़ रह गया, जबकि FY23 में यह ₹1,272 करोड़ था।
  • FY25 के लिए Zepto ने ₹11,110 करोड़ (लगभग $1.3 बिलियन) का टर्नओवर दर्ज किया है, हालांकि पूरी वित्तीय रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।

इन आंकड़ों से साफ है कि Zepto अब वॉल्यूम और एफिशिएंसी दोनों में सुधार कर रही है — और लॉस को कंट्रोल करते हुए ग्रोथ बनाए रख रही है। 📈💼


🏥 अब ग्रोसरी से आगे — Zepto Pharmacy की एंट्री

जहां पहले Zepto सिर्फ ग्रोसरी और फूड आइटम्स पर फोकस करती थी, अब कंपनी ने मेडिसिन डिलीवरी सेगमेंट में भी कदम रख दिया है।
Zepto ने Zepto Pharmacy नाम से नई सर्विस लॉन्च की है, जो फिलहाल चुनिंदा शहरों —
मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली NCR और हैदराबाद — में उपलब्ध है।

इस कदम के साथ Zepto अब अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसे Swiggy Instamart, Blinkit और Flipkart Minutes को सीधी टक्कर दे रही है। 💊⚡


🌍 क्विक कॉमर्स सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

भारत का क्विक कॉमर्स बाजार (Quick Commerce Market) तेजी से बढ़ रहा है और अब यह $5 बिलियन से ज्यादा का उद्योग बन चुका है।
Zepto, Blinkit और Swiggy Instamart के बीच मुकाबला बेहद कड़ा है — लेकिन Zepto की खासियत है इसका

  • डिलीवरी नेटवर्क का सटीक प्रबंधन,
  • 15 मिनट की औसत डिलीवरी टाइम, और
  • हाई ऑर्डर फ्रीक्वेंसी वाले यूज़र्स पर ध्यान

इन्हीं कारणों से Zepto ने Tier-1 और Tier-2 शहरों में मजबूत पकड़ बना ली है।


📅 IPO की तैयारी — अगला बड़ा कदम

Zepto का अगला फोकस अब पब्लिक लिस्टिंग (IPO) पर है।
साल 2026 की शुरुआत में कंपनी अपने शेयर मार्केट डेब्यू की योजना बना रही है।
सूत्रों के अनुसार, Zepto ने पहले ही इन्वेस्टमेंट बैंक्स और लीगल एडवाइज़र्स से बातचीत शुरू कर दी है ताकि वह IPO के लिए दस्तावेज़ दाखिल कर सके।

अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो Zepto भारत की पहली क्विक कॉमर्स कंपनी बन सकती है जो स्टॉक मार्केट में लिस्ट होगी। 📊✨


💬 निष्कर्ष — Zepto की रफ्तार अब थमने वाली नहीं!

Zepto ने सिर्फ चार सालों में जो ग्रोथ दिखाई है, वह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए प्रेरणादायक है।
CalPERS जैसे ग्लोबल निवेशक का विश्वास, मजबूत राजस्व ग्रोथ, और IPO की तैयारी — ये सभी संकेत बताते हैं कि Zepto अब एक ग्लोबल ब्रांड बनने की दिशा में बढ़ रही है। 🌎


🔥 FundingRaised की राय:

“Zepto सिर्फ क्विक डिलीवरी नहीं, बल्कि भारत की नई स्टार्टअप स्पीड का प्रतीक बन चुकी है — तेज़, इनोवेटिव और निवेशकों के लिए भरोसेमंद।”


📌 #Zepto #FundingNews #IPO #QuickCommerce #FundingRaisedHindi #IndianStartups

Read more : CoinDCX को मिला Coinbase का निवेश, वैल्यूएशन पहुंचा $2.45 बिलियन! 

🪙 CoinDCX को मिला Coinbase का निवेश, वैल्यूएशन पहुंचा $2.45 बिलियन! 🚀

CoinDCX

भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX ने एक बार फिर बड़ा निवेश हासिल किया है। कंपनी ने ऐलान किया है कि उसे अमेरिकी क्रिप्टो दिग्गज Coinbase से एक अघोषित निवेश (undisclosed investment) मिला है, जिससे कंपनी का पोस्ट-मनी वैल्यूएशन अब $2.45 बिलियन तक पहुंच गया है। 💰


💡 Coinbase और CoinDCX का पुराना रिश्ता

Coinbase और CoinDCX का रिश्ता नया नहीं है। Coinbase साल 2020 से ही CoinDCX में निवेशक है।
कंपनी ने बताया कि यह नया निवेश पिछले राउंड का एक्सटेंशन है।
अगर पीछे देखें तो अप्रैल 2022 में CoinDCX ने $135 मिलियन की फंडिंग जुटाई थी, जिसमें Coinbase ने भी भाग लिया था। उस समय कंपनी का वैल्यूएशन $2 बिलियन से ज्यादा था।

CoinDCX ने अगस्त 2021 में यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री की थी, जब उसने $90 मिलियन की सीरीज़ C फंडिंग हासिल की थी। 🦄


🌐 फंडिंग का उपयोग — नए प्रोडक्ट्स और इंटरनेशनल विस्तार

CoinDCX ने कहा है कि यह फंडिंग कंपनी को अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट, ऑन-चेन उपयोग मामलों (on-chain use cases) और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार में मदद करेगी।
इसके साथ ही कंपनी अपने दो अहम क्षेत्रों — कंप्लायंस (compliance) और क्रिप्टो एजुकेशन (education) पर भी निवेश जारी रखेगी।

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा,

“हम भारत और वैश्विक स्तर पर Web3 को अपनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। Coinbase जैसे रणनीतिक पार्टनर का समर्थन हमारे लिए एक बड़ा कदम है।”


🏢 CoinDCX का सफर — भारत से MENA तक

CoinDCX की स्थापना 2018 में हुई थी और आज यह भारत में 2 करोड़ से ज्यादा यूज़र्स (20 million users) को क्रिप्टो ट्रेडिंग और निवेश समाधान दे रही है।
प्लेटफ़ॉर्म पर 500 से अधिक क्रिप्टो एसेट्स और 200 ट्रेडिंग पेयर्स मौजूद हैं, जिससे यह रिटेल और इंस्टिट्यूशनल दोनों प्रकार के निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बन चुका है।

2024 में कंपनी ने MENA क्षेत्र (Middle East & North Africa) में प्रवेश किया, जब उसने BitOasis का अधिग्रहण किया। 🌍

CoinDCX DCX Group के तहत काम करती है, जिसमें दो और इकाइयाँ शामिल हैं —

  • CoinDCX Ventures, जो Web3 स्टार्टअप्स में निवेश करती है
  • Okto, जो एक Web3 वॉलेट प्लेटफॉर्म है और इसके भी 20 मिलियन से ज्यादा यूज़र्स हैं।

👥 लीडरशिप में बदलावों का दौर

साल 2025 CoinDCX के लिए सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि लीडरशिप परिवर्तन का साल भी रहा है।

  • जून 2025 में कंपनी के CTO (Chief Technology Officer) और Head of Legal ने इस्तीफा दिया।
  • सितंबर 2025 में Chief Human Resources Officer (Mudita Chauhan) और Chief Information Security Officer (Sridhar G) ने भी कंपनी छोड़ी।
  • वहीं जुलाई 2025 में कंपनी ने नई नियुक्तियाँ कीं —
    • Amol Wanjari बने Head of Engineering
    • Sangeeth Aloysius बने Head of Product

ये बदलाव कंपनी की नई रणनीति और टेक्नोलॉजिकल रिन्यूअल का संकेत देते हैं। ⚙️


🇮🇳 Coinbase की भारत में वापसी

CoinDCX में निवेश के साथ ही एक और बड़ी खबर आई है —
Coinbase ने तीन साल बाद भारत में दोबारा वापसी (relaunch) की है।
कंपनी ने 3 अक्टूबर 2025 को अपने “Early Access Program” के तहत चुनिंदा भारतीय यूज़र्स के लिए प्लेटफॉर्म को फिर से लॉन्च किया है।

Coinbase ने मार्च 2025 में भारत की Financial Intelligence Unit (FIU) में रजिस्ट्रेशन कराया था ताकि वह देश के Anti-Money Laundering (AML) नियमों का पालन कर सके।
इस कदम से यह साफ है कि Coinbase भारत को एक रणनीतिक बाजार के रूप में देख रहा है और अब धीरे-धीरे अपना यूज़र बेस बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है। 🇮🇳💼


📊 CoinDCX की वर्तमान स्थिति

CoinDCX भारत के तेजी से बढ़ते Web3 और क्रिप्टो इकोसिस्टम में अग्रणी बनी हुई है।
जहां एक तरफ नियामक (regulatory) वातावरण अब भी स्पष्ट नहीं है, वहीं CoinDCX लगातार कंप्लायंस, इनोवेशन और निवेशकों की सुरक्षा पर ध्यान दे रही है।

इस नए निवेश के साथ कंपनी अब केवल भारतीय बाजार तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि वह वैश्विक स्तर पर भारतीय क्रिप्टो टैलेंट को पहचान दिलाने की दिशा में काम कर रही है। 🌏✨


🚀 निष्कर्ष

CoinDCX और Coinbase की यह नई साझेदारी भारतीय क्रिप्टो सेक्टर के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
एक ओर Coinbase का भारत में फिर से ऑपरेशन शुरू करना एक बड़ा भरोसे का संकेत है, वहीं CoinDCX का $2.45 बिलियन वैल्यूएशन इस बात का सबूत है कि भारतीय Web3 सेक्टर अब वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा है।

💬 FundingRaised की राय:

“CoinDCX का यह कदम सिर्फ एक निवेश डील नहीं, बल्कि भारत में क्रिप्टो ट्रस्ट और इनोवेशन के नए अध्याय की शुरुआत है।”


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