💸 General Atlantic ने PhonePe में झोंका ₹5,000 करोड़!

phonePe

भारत के डिजिटल पेमेंट सेक्टर में एक और बड़ा निवेशी धमाका हुआ है!
General Atlantic ने PhonePe में करीब $600 मिलियन (₹5,000 करोड़) का निवेश किया है — और यह साल 2025 की सबसे बड़ी सेकेंडरी डील्स में से एक बन गई है। 🚀


🤝 सेकेंडरी डील का मकसद क्या था?

यह निवेश सीधे तौर पर नए फंडिंग राउंड का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसे एक सेकेंडरी ट्रांजैक्शन कहा जा रहा है।
इस डील का मुख्य उद्देश्य था —

“PhonePe के कर्मचारियों की ESOP (Employee Stock Option Plan) से जुड़ी टैक्स ज़रूरतों को पूरा करना।”

एक सूत्र ने बताया कि इस ट्रांजैक्शन में किसी भी कर्मचारी या फाउंडर को लिक्विडिटी (cash payout) नहीं दी गई। यानी यह पूरी तरह ESOP टैक्स सेटलमेंट के लिए की गई डील थी।


💼 General Atlantic की हिस्सेदारी दोगुनी!

इस निवेश के बाद General Atlantic की हिस्सेदारी PhonePe में 4.4% से बढ़कर लगभग 9% तक पहुंच गई है।
यानी अब यह अमेरिकी इन्वेस्टमेंट फर्म, जो पहले से PhonePe की पुरानी निवेशक है, अब कंपनी के टॉप शेयर्डहोल्डर्स में से एक बन गई है।

📅 याद दिला दें — मई 2023 में General Atlantic ने PhonePe में $100 मिलियन का निवेश किया था, जब कंपनी का वैल्यूएशन $12 बिलियन (₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा) था।


📊 PhonePe की धमाकेदार परफॉर्मेंस FY25 में

PhonePe ने FY25 में अपने बिज़नेस मेट्रिक्स से मार्केट को फिर से चौंका दिया —

वित्त वर्षराजस्व (Revenue)मुनाफा (PAT)
FY25₹7,115 करोड़₹630 करोड़ (Adjusted PAT)

कंपनी ने न केवल अपनी प्रॉफिटेबिलिटी में जबरदस्त सुधार दिखाया, बल्कि डिजिटल पेमेंट्स सेक्टर में अपना दबदबा और मज़बूत किया।

📈 NPCI (National Payments Corporation of India) के डेटा के मुताबिक —

  • वॉल्यूम के लिहाज से PhonePe की मार्केट शेयर है 45.64%,
  • और वैल्यू के लिहाज से 48.38% — यानी हर दूसरे डिजिटल ट्रांजैक्शन में PhonePe शामिल है! 💥

🏦 IPO की तैयारी में PhonePe 🚀

Walmart के स्वामित्व वाली यह फिनटेक दिग्गज अब पब्लिक लिस्टिंग की तैयारी में जुटी है।
सूत्रों के मुताबिक, PhonePe ने हाल ही में SEBI के साथ ₹12,000 करोड़ के IPO के लिए Confidential DRHP फाइल किया है।

💡 यह IPO एक Pure OFS (Offer for Sale) होगा — यानी कंपनी इसमें नए शेयर जारी नहीं करेगी, बल्कि मौजूदा निवेशक अपने हिस्से बेचेंगे।

इनमें शामिल होंगे:

  • 🟣 Walmart
  • 🟣 Microsoft
  • 🟣 Tiger Global

यह ऑफर इन निवेशकों के लिए आंशिक एग्ज़िट (partial exit) का मौका बनेगा।


📱 PhonePe की ग्रोथ जर्नी – Startup से Super App तक

PhonePe की शुरुआत 2016 में समीर निगम, राहुल चारी और बुरज़िन इंजीनियर ने की थी।
आज यह कंपनी सिर्फ UPI ऐप नहीं, बल्कि एक Super App बन चुकी है —
जहां यूज़र्स पैसे ट्रांसफर करने के अलावा रीचार्ज, इंश्योरेंस, गोल्ड, म्युचुअल फंड, टैक्स पेमेंट और शॉपिंग तक सब कुछ कर सकते हैं। 🛍️

💬 कंपनी के संस्थापक समीर निगम ने कई मौकों पर कहा है —

“हमारा मिशन है कि भारत का हर व्यक्ति डिजिटल पेमेंट्स का इस्तेमाल करे, चाहे वो किसी भी शहर या गाँव में क्यों न रहता हो।”


🧠 ESOP और टैक्स ट्रांजैक्शन का महत्व

PhonePe जैसी यूनिकॉर्न कंपनियों में ESOP (Employee Stock Option Plans) बड़ी भूमिका निभाते हैं।
ये कर्मचारियों को शेयरधारक बनाते हैं, जिससे उन्हें कंपनी की सफलता का प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।

हालांकि, जब ये ESOP एक्सरसाइज़ किए जाते हैं, तो कर्मचारियों पर टैक्स का बोझ पड़ता है —
👉 यही कारण है कि General Atlantic का यह सेकेंडरी निवेश कर्मचारियों को टैक्स पेमेंट में राहत देने के लिए किया गया है।

इस कदम को भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम में “एम्प्लॉयी-फ्रेंडली” कदम के रूप में देखा जा रहा है। 👏


💹 भारत के फिनटेक सेक्टर में बढ़ती हलचल

2025 का साल भारतीय फिनटेक स्टार्टअप्स के लिए रिकॉर्ड ब्रेकिंग साबित हो रहा है।
जहां एक तरफ PhonePe, Groww, Paytm और Razorpay IPO की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं Google Pay और CRED जैसे प्लेटफॉर्म मार्केट शेयर की रेस में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

इस माहौल में General Atlantic जैसे बड़े निवेशकों का भरोसा यह दिखाता है कि —
👉 भारत का फिनटेक मार्केट सिर्फ बढ़ नहीं रहा, बल्कि ग्लोबल निवेशकों के लिए एक “प्रीमियम डेस्टिनेशन” बन गया है। 🌍


🧾 निष्कर्ष: PhonePe – भरोसे से IPO की ओर! 📈

General Atlantic का यह ₹5,000 करोड़ का निवेश PhonePe के लिए सिर्फ एक और फंडिंग नहीं, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक स्टेप है —
जिससे कंपनी अपनी कर्मचारी नीति, वित्तीय स्थिति और IPO तैयारी – तीनों मोर्चों पर मजबूत बनेगी।

✅ मजबूत निवेशक बेस
✅ बढ़ता मार्केट शेयर
✅ प्रॉफिट में सुधार
✅ IPO पाइपलाइन में तैयारियाँ

PhonePe अब न सिर्फ भारत की डिजिटल पेमेंट लीडर है, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भारत की फिनटेक पावर का प्रतीक बन चुकी है। 🇮🇳

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💹 Groww का धमाकेदार IPO लॉन्च: ₹6,632 करोड़ की एंट्री से मचेगा मार्केट में तहलका! 🚀

Groww

भारत के सबसे पॉपुलर डिजिटल इन्वेस्टमेंट प्लेटफ़ॉर्म Groww अब पब्लिक हो रहा है! 📈
कंपनी ने 29 अक्टूबर 2025 को अपना Red Herring Prospectus (RHP) फाइल कर दिया है और इसका ₹6,632.3 करोड़ का IPO अब लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार है।

👉 IPO की डेट्स:
⏰ ओपन होगा – 4 नवंबर 2025
⏰ क्लोज होगा – 7 नवंबर 2025


💰 Groww IPO का साइज और डिटेल्स

Groww का ये IPO दो हिस्सों में बंटा है —

  • Fresh Issue: ₹1,060 करोड़
  • Offer for Sale (OFS): ₹5,572.3 करोड़

💸 प्रति शेयर का ऊपरी प्राइस बैंड रखा गया है ₹100, जिससे कंपनी का अनुमानित वैल्यूएशन करीब ₹61,736 करोड़ ($7 बिलियन) तक पहुंच सकता है!

इस IPO से Groww का लक्ष्य अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाना, टेक्नोलॉजी में निवेश करना और देशभर में निवेश को और आसान बनाना है।


🏦 पुराने निवेशकों की बड़ी कमाई! 💼

Groww के शुरुआती इन्वेस्टर्स इस IPO से तगड़ी कमाई करने जा रहे हैं:

  • 🟢 Peak XV Partners (Sequoia India): कंपनी में 19.87% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा शेयरहोल्डर। यह 3 करोड़ शेयर बेचकर लगभग ₹305.5 करोड़ कमाने जा रहा है, और इनका रिटर्न 5.2X तक पहुंच गया है!
  • 🟢 Ribbit Capital: सबसे बड़ा सेलर रहेगा। ये ₹1,181 करोड़ के शेयर बेचने जा रहे हैं और इन्हें मिलेगा 5.5X रिटर्न — शानदार! 💥

इस ऑफर फॉर सेल (OFS) में शुरुआती एंजेल इन्वेस्टर्स और Groww के ESOP होल्डर्स भी हिस्सा लेंगे — यानी शुरुआती टीम को भी मिलेगा बड़ा रिवॉर्ड! 🏅


📲 Groww की ग्रोथ स्टोरी – 2017 से लेकर IPO तक 📊

2017 में ललित केशरे, हर्ष जैन, नीरज सिंह और ईश्वरन बालासुब्रमण्यम ने Groww की नींव रखी थी — एक मिशन के साथ:

“भारत में निवेश को आसान, पारदर्शी और सभी के लिए सुलभ बनाना!”

आज Groww बन चुका है भारत का सबसे पॉपुलर इन्वेस्टमेंट ऐप, जहां यूज़र्स म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, ETFs, बॉन्ड्स और IPOs में कुछ क्लिक में निवेश कर सकते हैं। 📱

📈 FY25 में Groww के आंकड़े चौंकाने वाले हैं —

  • राजस्व: ₹2,835 करोड़ (65% सालाना ग्रोथ)
  • यूज़र बेस: 7.8 करोड़ से अधिक
  • एक्टिव इन्वेस्टर्स: 3 करोड़+

इन संख्याओं ने Groww को भारत का Zerodha और Upstox का असली चैलेंजर बना दिया है।


⚔️ Fintech की जंग में Groww का दबदबा

जहां Zerodha, Upstox और Angel One जैसे दिग्गज पहले से मैदान में हैं, वहीं Groww ने अपने सरल ऐप डिज़ाइन, शानदार यूज़र एक्सपीरियंस और भरोसेमंद कस्टमर सपोर्ट से यूज़र्स का दिल जीत लिया है ❤️

Groww अब सिर्फ स्टॉक ट्रेडिंग ऐप नहीं रहा — यह एक “One-Stop Investment Platform” बन चुका है, जहां हर वर्ग का निवेशक अपने पैसे को स्मार्टली ग्रो कर सकता है।


💡 IPO से जुटाए फंड का इस्तेमाल कैसे होगा?

Groww अपने IPO से जुटाई रकम का इस्तेमाल इन अहम क्षेत्रों में करेगी:

  1. 🧠 टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट इनोवेशन – ऐप को और तेज़, सुरक्षित और स्मार्ट बनाने में
  2. 🌍 नए प्रोडक्ट्स का लॉन्च – बॉन्ड्स, ETFs और इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट्स जैसे नए विकल्प
  3. 📢 ब्रांड प्रमोशन और यूज़र ग्रोथ – भारत के हर निवेशक तक Groww को पहुंचाने के लिए
  4. 🤝 स्ट्रैटेजिक एक्विजिशन – छोटे फिनटेक स्टार्टअप्स को जोड़कर Groww को और मजबूत बनाना

🔥 मार्केट में IPO का हंगामा

Groww का IPO ऐसे वक्त में आ रहा है जब भारत का स्टॉक मार्केट IPO की लहर पर सवार है। 🌊
हाल ही में Zomato, Mamaearth, Ola Electric और Awfis जैसे IPO ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, Groww का IPO ओवरसब्सक्राइब होने की पूरी संभावना है — क्योंकि कंपनी की ग्रोथ स्टोरी, ब्रांड ट्रस्ट और यूज़र बेस तीनों ही शानदार हैं।


🧾 निष्कर्ष: “Invest Kar, Groww Kar!” 📈

Groww का IPO सिर्फ एक और लिस्टिंग नहीं, बल्कि भारत के फिनटेक इकोसिस्टम के लिए एक ऐतिहासिक माइलस्टोन है।
✅ मजबूत बिज़नेस मॉडल
✅ भरोसेमंद इन्वेस्टर्स
✅ तेज़ी से बढ़ता यूज़र बेस
✅ और इनोवेशन पर लगातार फोकस

इन सबके चलते Groww अब सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि भारत के नई पीढ़ी के निवेशकों की पहचान बन चुका है। 🇮🇳

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🚚 Shiprocket ने FY25 में दिखाई मजबूत ग्रोथ,

Shiprocket

भारत की अग्रणी लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्लेटफ़ॉर्म Shiprocket ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। कंपनी ने न सिर्फ अपनी ऑपरेटिंग इनकम में 24% की सालाना वृद्धि दर्ज की है, बल्कि पहली बार EBITDA कैश पॉजिटिव ₹7 करोड़ हासिल किया है।
FY24 में कंपनी का EBITDA घाटा ₹128 करोड़ था।

कंपनी ने कहा कि यह उपलब्धि उसके कड़ी लागत अनुशासन और कोर बिजनेस से मजबूत नकदी प्रवाह का परिणाम है।


📈 FY25 में ₹1,632 करोड़ का कुल राजस्व

कंपनी के नवीनतम वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, Shiprocket का कुल राजस्व FY25 में बढ़कर ₹1,632 करोड़ हो गया, जो FY24 में ₹1,316 करोड़ था।
हालांकि पिछले साल कंपनी को ₹595 करोड़ का नेट लॉस हुआ था, जिसमें ₹244 करोड़ का एक्सेप्शनल खर्च भी शामिल था।

नई वित्तीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, FY25 में कंपनी का घाटा काफी घटकर ₹74.4 करोड़ रह गया है — यानी घाटे में करीब 87% की कमी दर्ज की गई है।


🚀 कोर बिजनेस बना मुनाफे का आधार

दिल्ली स्थित इस स्टार्टअप ने बताया कि उसका कोर बिजनेस सेगमेंट, जिसमें डोमेस्टिक शिपिंग प्लेटफ़ॉर्म और वैल्यू-ऐडेड टेक सेवाएं शामिल हैं, ने शानदार प्रदर्शन किया।

इस सेगमेंट की आय 20% बढ़कर ₹1,306 करोड़ तक पहुंच गई, जो कंपनी के कुल रेवेन्यू का लगभग 80% हिस्सा है।
इसने ₹157 करोड़ का कैश EBITDA जनरेट किया, जो सालाना आधार पर 2.2 गुना ज्यादा है।

Shiprocket के CFO तन्मय कुमार ने बताया —

“हमारा कोर बिजनेस पिछले पाँच वर्षों से लगातार EBITDA पॉजिटिव रहा है। यह एक परिपक्व और स्थिर सेगमेंट बन चुका है जो हमें टिकाऊ विकास की दिशा में मदद कर रहा है।”


🌎 उभरता हुआ बिजनेस सेगमेंट भी बढ़ा 41%

Shiprocket का उभरता हुआ सेगमेंट — जिसमें क्रॉस-बॉर्डर प्लेटफ़ॉर्म, मार्केटिंग और ओमनीचैनल सेवाएं शामिल हैं — भी तेजी से बढ़ा है।

FY25 में इस सेगमेंट की आय 41% बढ़कर ₹326 करोड़ रही, जो दो साल पहले सिर्फ 11% हिस्सेदारी से बढ़कर अब 20% तक पहुंच गई है।
कंपनी ने बताया कि इस बिजनेस में अब मार्जिन सुधार और स्केलेबिलिटी पर ध्यान दिया जा रहा है।


💼 खर्चों में सुधार और अनुशासन

कंपनी ने लागत प्रबंधन पर विशेष फोकस किया है।

  • मर्चेंट सॉल्यूशन कॉस्ट: ₹1,213 करोड़ (20% की बढ़ोतरी)
  • कर्मचारी लाभ खर्च: ₹315 करोड़ (27% की गिरावट)
    • ESOP खर्च में गिरावट: ₹192.6 करोड़ से घटकर ₹91 करोड़
  • अन्य खर्च (मार्केटिंग, सर्वर, वेयरहाउस, डिप्रिशिएशन आदि): ₹221 करोड़

FY25 में कंपनी का कुल खर्च ₹1,749 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग स्थिर है।

कंपनी के CFO तन्मय कुमार के अनुसार, “हमने कर्मचारियों की संख्या लगभग 1,300 पर बनाए रखी है और ESOP जैसी नॉन-कैश कॉस्ट को कम किया है। यह हमारे ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार का नतीजा है।”


💸 घाटा घटकर ₹74 करोड़ पर आया

Shiprocket के लिए FY25 एक टर्निंग पॉइंट रहा।
कंपनी ने अपने घाटे को ₹595 करोड़ से घटाकर ₹74.4 करोड़ तक सीमित किया।

इसमें डिसिप्लिन्ड कॉस्ट मैनेजमेंट, मजबूत कोर बिजनेस ग्रोथ और न्यूनतम नॉन-ऑपरेटिंग खर्चों की अहम भूमिका रही।

पिछले साल कंपनी के घाटे में ₹190 करोड़ के ESOP खर्च और ₹240 करोड़ के एक्सेप्शनल आइटम्स शामिल थे, जो FY25 में लगभग समाप्त हो गए।


📊 यूनिट इकॉनॉमिक्स और वित्तीय अनुपात में सुधार

FY25 में Shiprocket ने अपनी यूनिट इकॉनॉमिक्स को भी बेहतर बनाया है।
कंपनी ने ₹1.07 खर्च कर ₹1 की कमाई की, जबकि FY24 में यह अनुपात ₹1.30 था — यानी अब कंपनी अधिक कुशलता से राजस्व कमा रही है।

कंपनी का ROCE (Return on Capital Employed) -6.1% और EBITDA मार्जिन -3.68% रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि कंपनी प्रॉफिटेबिलिटी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है


🏢 Shiprocket का सफर और भविष्य की रणनीति

2017 में लॉन्च हुई Shiprocket आज भारत की प्रमुख ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक बन चुकी है।
यह 3rd-party sellers, D2C ब्रांड्स और छोटे व्यापारियों को ऑनलाइन शिपिंग, ट्रैकिंग और रिटर्न सॉल्यूशंस प्रदान करती है।

FY25 में कंपनी ने अपने प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों ऑर्डर प्रोसेस किए और भारत के लगभग हर ज़िले तक डिलीवरी नेटवर्क का विस्तार किया।

भविष्य के लिए कंपनी का फोकस होगा:

  • AI और टेक इंटीग्रेशन बढ़ाना
  • क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स को और मज़बूत करना
  • ऑमनीचैनल प्लेटफ़ॉर्म को स्केल करना
  • और प्रॉफिटेबल ग्रोथ पर ध्यान देना

🔍 निष्कर्ष

FY25 Shiprocket के लिए टर्नअराउंड ईयर साबित हुआ है।
जहाँ कंपनी ने एक ओर अपनी राजस्व वृद्धि बनाए रखी, वहीं दूसरी ओर घाटे को काफी हद तक नियंत्रित किया।

अब कंपनी का अगला लक्ष्य है — EBITDA और नेट प्रॉफिट लेवल पर पूरी तरह लाभदायक बनना, जिससे वह भारत की अग्रणी टेक-सक्षम लॉजिस्टिक्स कंपनियों में अपनी जगह और मजबूत कर सके।


📌 मुख्य बातें एक नज़र में:

  • 📈 राजस्व: ₹1,632 करोड़ (24% YoY ग्रोथ)
  • 💰 EBITDA: ₹7 करोड़ (पहली बार पॉजिटिव)
  • 📉 घाटा: ₹595 करोड़ → ₹74 करोड़
  • 👨‍💼 कर्मचारी खर्च घटकर ₹315 करोड़
  • ⚙️ कुल खर्च: ₹1,749 करोड़
  • 🚀 यूनिट इकॉनॉमिक्स में सुधार (₹1.30 → ₹1.07 प्रति ₹1 रेवेन्यू)

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🍔 Swiggy की आय में 54% की बढ़त, लेकिन घाटा बढ़कर ₹1,092 करोड़ पहुंचा

Swiggy

भारत की फूडटेक और क्विक कॉमर्स दिग्गज Swiggy ने वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में जबरदस्त रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की है। कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम 54% बढ़कर ₹5,561 करोड़ हो गई, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹3,601 करोड़ थी।

हालांकि, मजबूत टॉपलाइन ग्रोथ के बावजूद, Swiggy का घाटा 74% बढ़कर ₹1,092 करोड़ तक पहुंच गया। यह कंपनी के लिए चिंता की बात है क्योंकि खर्चों में तेजी से इज़ाफा हुआ है।


🚴‍♂️ Scootsy Logistics बना सबसे बड़ा रेवेन्यू जनरेटर

Swiggy की सहायक इकाई Scootsy Logistics ने कंपनी के कुल ऑपरेटिंग रेवेन्यू में सबसे बड़ा योगदान दिया।
Q2 FY26 में Scootsy का रेवेन्यू 76% बढ़कर ₹2,560 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी अवधि में ₹1,453 करोड़ था।

Scootsy ने इस तिमाही में Swiggy की कुल आय में 46% हिस्सा दिया, जो कंपनी के लिए एक मजबूत वृद्धि का संकेत है।


🍕 फूड डिलीवरी बिजनेस में 22% की बढ़त

Swiggy का पारंपरिक फूड डिलीवरी बिजनेस भी लगातार मजबूत हो रहा है।
कंपनी की इस सेगमेंट से आय 22% बढ़कर ₹1,923 करोड़ तक पहुंच गई, जो कुल रेवेन्यू का लगभग 35% हिस्सा रही।

Swiggy ने अपने यूज़र एक्सपीरियंस, डिलीवरी नेटवर्क और रेस्तरां पार्टनरशिप में सुधार के ज़रिए इस ग्रोथ को हासिल किया है।


⚡ Instamart ने दिखाया जबरदस्त डबल ग्रोथ

Swiggy की क्विक कॉमर्स शाखा Instamart ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।
इसका रेवेन्यू ₹490 करोड़ से दोगुना होकर ₹980 करोड़ तक पहुंच गया है।

Instamart ने पिछले एक साल में क्विक डिलीवरी सेगमेंट में अपने नेटवर्क को Tier 2 और Tier 3 शहरों तक फैलाया है, जिससे इसकी मांग में तेज़ी आई है।


💰 अन्य वर्टिकल्स से भी आय में इज़ाफा

Swiggy के अन्य बिजनेस जैसे Dine Out, Swiggy Genie, और Swiggy Mini ने भी कंपनी की कुल कमाई में योगदान दिया।
इन सभी से होने वाली नॉन-ऑपरेटिंग इनकम को मिलाकर Swiggy की कुल आय ₹5,620 करोड़ दर्ज की गई।


📊 खर्चों में 56% की बढ़त

Swiggy के कुल खर्चों में 56% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो ₹4,309 करोड़ से बढ़कर ₹6,711 करोड़ तक पहुंच गए।

  • FMCG प्रोक्योरमेंट (सप्लाई चेन के लिए प्रोडक्ट खरीद): ₹2,342 करोड़ (34.9% खर्च) — 69% की बढ़त
  • डिलीवरी एक्सपेंस: ₹1,426 करोड़ — 30% की बढ़त
  • कर्मचारी लाभ: ₹690 करोड़
  • एडवर्टाइजिंग खर्च: ₹1,039 करोड़ — 94% की भारी बढ़ोतरी
  • डिप्रिशिएशन और अमॉर्टाइजेशन: ₹304 करोड़ — 132% की बढ़ोतरी

इन बढ़ते खर्चों के चलते कंपनी का कुल घाटा भी तेजी से बढ़ा।


📉 घाटा 74% बढ़कर ₹1,092 करोड़ तक पहुंचा

Swiggy के घाटे में 74% की बढ़ोतरी हुई है।
Q2 FY25 में कंपनी का घाटा ₹626 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹1,092 करोड़ हो गया है।

हालांकि कंपनी ने कई नए वर्टिकल्स और ऑफ़र्स लॉन्च किए हैं, परंतु मार्केटिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ते खर्च ने इसके प्रॉफिटेबिलिटी को प्रभावित किया है।


📆 हाफ ईयर परफॉर्मेंस (H1 FY26)

FY26 की पहली छमाही में Swiggy का रेवेन्यू ₹10,522 करोड़ रहा, जो पिछले साल (₹6,824 करोड़) से 54% ज़्यादा है।
लेकिन घाटा भी 85% बढ़कर ₹2,289 करोड़ हो गया।

यह दर्शाता है कि कंपनी अभी ग्रोथ मोड में है, लेकिन प्रॉफिट तक पहुंचने में समय लगेगा।


💸 Rapido स्टेक सेल से ₹2,399 करोड़ की कमाई

हाल ही में Swiggy ने Rapido में अपनी हिस्सेदारी बेचकर करीब ₹2,399 करोड़ जुटाए हैं।
इस डील में Swiggy ने अपने शेयर Prosus-owned MIH Investments One B.V., Setu AIF Trust और WestBridge को बेचे।

इससे कंपनी को अपने चार साल पुराने निवेश पर 2.5x रिटर्न मिला।


📈 मार्केट वैल्यू और स्टॉक अपडेट

Q2 FY26 के अंत में Swiggy के शेयर ₹418 प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहे थे।
कंपनी की कुल मार्केट कैपिटलाइज़ेशन ₹1,04,234.44 करोड़ (लगभग $11.8 बिलियन) रही।


🍴 Zomato से तुलना

Swiggy की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी Zomato की पैरेंट कंपनी Eternal ने Q2 FY26 में ₹13,590 करोड़ का ऑपरेटिंग रेवेन्यू दर्ज किया, जो पिछले साल ₹4,799 करोड़ था — यानी 2.8x की वृद्धि।
हालांकि उसका मुनाफा घटकर ₹65 करोड़ रह गया।


🔍 निष्कर्ष

Swiggy ने इस तिमाही में मजबूत ग्रोथ दिखाई है — चाहे वह फूड डिलीवरी हो या क्विक कॉमर्स।
लेकिन बढ़ते एडवर्टाइजिंग और ऑपरेशनल खर्चों ने इसकी प्रॉफिटेबिलिटी को झटका दिया है।

अगर कंपनी अपने खर्चों को नियंत्रित कर लेती है, तो आने वाले समय में Swiggy भारतीय फूड डिलीवरी सेक्टर की सबसे बड़ी प्रॉफिटेबल कंपनियों में शामिल हो सकती है।

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💸 SaveSage ने हासिल की $1 मिलियन की फंडिंग!

SaveSage Club

भारत के तेजी से बढ़ते फिनटेक सेक्टर में एक और नया नाम सुर्खियों में है — SaveSage, जिसने अपने प्री-सीड फंडिंग राउंड में $1 मिलियन (करीब ₹8.3 करोड़) जुटाए हैं। यह निवेश इक्विटी और डेट (ऋण) के मिश्रण के रूप में हुआ है।

इस राउंड का नेतृत्व जाने-माने निवेशक भावेश गुप्ता ने किया, जबकि अन्य प्रमुख निवेशकों में एन.आर. नारायणन, ललित वाधवा, DSP फैमिली ऑफिस, वेंचर कैटेलिस्ट्स, और सुव्रत सेहगल शामिल रहे।


🚀 फंडिंग का इस्तेमाल कहाँ होगा?

SaveSage इस फंड से अपने AI इंजन को और मजबूत करने, प्रोडक्ट फीचर्स को विस्तार देने, और यूज़र बेस को तेजी से बढ़ाने की योजना बना रहा है।
कंपनी का कहना है कि आने वाले महीनों में इसका लक्ष्य अपने प्लेटफ़ॉर्म पर और ज़्यादा कार्ड मैनेजमेंट और लॉयल्टी रिवॉर्ड्स टूल्स को इंटीग्रेट करना है।


📱 क्या है SaveSage?

SaveSage एक स्मार्ट मोबाइल ऐप है जो यूज़र्स को उनके क्रेडिट कार्ड और ट्रैवल लॉयल्टी रिवॉर्ड्स को ट्रैक और मैनेज करने में मदद करता है।
कंपनी की स्थापना अक्टूबर 2024 में की गई थी, और मात्र एक साल में इसने भारत में एक मजबूत उपस्थिति बना ली है।

सितंबर 2025 तक, SaveSage के 2 लाख (200,000) से अधिक यूज़र हैं और इसका वार्षिक राजस्व रन रेट $1.1 मिलियन (लगभग ₹9 करोड़) तक पहुंच गया है।


💳 कैसे करता है SaveSage काम?

SaveSage का बिज़नेस मॉडल सीधा और यूज़र-फ्रेंडली है।
इसका मोबाइल ऐप यूज़र्स को नीचे दिए गए कामों में मदद करता है 👇

  1. 💳 क्रेडिट कार्ड मैनेजमेंट: सभी कार्ड्स को एक ही जगह ट्रैक करें — खर्च, ड्यू डेट्स और लिमिट्स सहित।
  2. 🏆 रिवॉर्ड्स ऑप्टिमाइज़ेशन: कौन-सा कार्ड कहाँ इस्तेमाल करने से ज्यादा रिवॉर्ड्स या कैशबैक मिलेगा, ऐप यह सुझाव देता है।
  3. 💰 बिल पेमेंट सर्विस: यूज़र्स सीधे ऐप के जरिए अपने कार्ड बिल्स का भुगतान कर सकते हैं।

⚔️ किससे है मुकाबला?

भारत के फिनटेक इकोसिस्टम में SaveSage का मुकाबला कुछ मजबूत नामों से है —
जैसे कि CRED, CheQ, और OneScore
हालांकि, SaveSage का फोकस थोड़ा अलग है — यह सिर्फ क्रेडिट स्कोर या पेमेंट पर नहीं, बल्कि रिवॉर्ड्स और लॉयल्टी प्रोग्राम्स के ऑप्टिमाइजेशन पर केंद्रित है।

यानी जो यूज़र्स अपने एयरलाइन माइल्स, होटल पॉइंट्स, या कार्ड रिवॉर्ड्स को सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहते हैं — उनके लिए SaveSage एक एकीकृत समाधान बन रहा है।


📊 मजबूत ग्रोथ और भरोसेमंद डेटा

SaveSage के प्लेटफ़ॉर्म पर फिलहाल:

  • 💳 10 लाख (1 million+) क्रेडिट कार्ड्स मैनेज हो रहे हैं
  • 🎟️ 4 लाख (400,000) लॉयल्टी प्रोग्राम अकाउंट्स लिंक्ड हैं
  • 💵 1 लाख (100,000+) यूज़र्स अपने क्रेडिट कार्ड बिल्स इसी ऐप से पे करते हैं

इस तेजी से बढ़ते डेटा और यूज़र बेस को देखकर निवेशक समुदाय SaveSage को भारत के अगले रिवॉर्ड टेक यूनिकॉर्न के रूप में देख रहा है।


🤖 AI इंजन से कैसे होगा बदलाव?

कंपनी का कहना है कि नया फंडिंग राउंड उसके AI इंजन को और बेहतर बनाने में मदद करेगा।
SaveSage का AI सिस्टम यूज़र्स की खर्च करने की आदतों को समझकर उन्हें स्मार्ट सुझाव देता है —
जैसे किस कार्ड से खरीदारी करने पर ज्यादा रिवॉर्ड मिलेगा या किस लॉयल्टी पॉइंट को कब इस्तेमाल करना सही रहेगा।


💬 SaveSage की टीम का कहना

कंपनी के फाउंडर्स ने कहा,

“हमारा लक्ष्य सिर्फ एक ऐप बनाना नहीं, बल्कि हर भारतीय को उनके क्रेडिट और रिवॉर्ड्स का असली फायदा दिलाना है। हम टेक्नोलॉजी के ज़रिए फाइनेंशियल लिटरसी को आसान और मज़ेदार बनाना चाहते हैं।”


🌐 भारत के फिनटेक मार्केट में बढ़ती संभावनाएँ

भारत में फिनटेक सेक्टर लगातार विस्तार कर रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में 200 मिलियन से ज्यादा क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूज़र्स हैं —
जिनमें से एक बड़ा हिस्सा अब डिजिटल ऐप्स के ज़रिए अपने खर्च और रिवॉर्ड्स मैनेज करता है।

इस बढ़ते डिजिटल ट्रेंड के बीच, SaveSage जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स लोगों के रिवॉर्ड्स और पॉइंट्स मैनेजमेंट अनुभव को और आसान बना रहे हैं।


🔮 आगे की राह

नई फंडिंग के बाद SaveSage अपनी टीम को भी विस्तार देने की योजना में है।
कंपनी अगले 6 महीनों में नए प्रोडक्ट फीचर्स, AI-पावर्ड नोटिफिकेशन सिस्टम, और ग्लोबल लॉयल्टी प्रोग्राम इंटीग्रेशन लॉन्च कर सकती है।

जैसे-जैसे भारत में डिजिटल पेमेंट और रिवॉर्ड्स कल्चर मजबूत हो रहा है,
SaveSage जैसी कंपनियाँ इस सेक्टर में नवाचार (innovation) और ग्राहक अनुभव (user experience) दोनों को नए स्तर पर ले जा रही हैं।


👉 निष्कर्ष:
SaveSage की यह $1 मिलियन की फंडिंग कंपनी के लिए एक बड़ा कदम है।
AI, रिवॉर्ड्स टेक्नोलॉजी और यूज़र ग्रोथ पर ध्यान देकर यह प्लेटफ़ॉर्म भारत के हर स्मार्ट स्पेंडर के लिए एक ऑल-इन-वन फाइनेंशियल असिस्टेंट बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 💼✨

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🍫 Oroos Confectionery को मिला ₹20 करोड़ का निवेश

Oroos Confectionery

भारत के कंज़्यूमर गुड्स सेक्टर में नई मिठास जोड़ने वाली नोएडा स्थित Oroos Confectionery Pvt. Ltd. ने अपने पहले फंडिंग राउंड में ₹20 करोड़ (लगभग $2.26 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग का नेतृत्व Fireside Ventures ने किया है, जिसमें State Bank of India (SBI) और कुछ रणनीतिक एंजेल निवेशकों (strategic angel investors) ने भी भाग लिया।


💰 Oroos को मिला बड़ा फंडिंग बूस्ट

कंपनी इस फंडिंग राशि का उपयोग ग्रेटर नोएडा में एक अत्याधुनिक, पूर्णतः ऑटोमेटेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने और टियर-II और टियर-III शहरों में अपने वितरण नेटवर्क (distribution network) के विस्तार के लिए करेगी।

Oroos का उद्देश्य है — भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती, बेहतर क्वालिटी और ब्रांडेड कन्फेक्शनरी (confectionery) उत्पाद प्रदान करना, खासकर उन छोटे शहरों और कस्बों में जहाँ ब्रांडेड मिठाई और टॉफी की पहुंच अभी भी सीमित है।


👨‍🍳 2025 में हुई शुरुआत — दो युवा उद्यमियों का सपना

Oroos Confectionery Pvt. Ltd. की स्थापना वर्ष 2025 में राजे सुनीत जैन (Raje Suneet Jain) और प्रशांत मनराल (Prashant Manral) ने मिलकर की थी।
दोनों फाउंडर्स का लक्ष्य था — ऐसा भारतीय ब्रांड तैयार करना जो “क्वालिटी + अफोर्डेबिलिटी + एक्सेसिबिलिटी” तीनों का संतुलन बनाकर बड़े पैमाने पर लोगों तक मिठास पहुंचा सके।

राजे सुनीत जैन का कहना है —

“Oroos का मकसद केवल मिठाई बेचना नहीं, बल्कि भारत के हर कोने में एक भरोसेमंद ब्रांड अनुभव पहुंचाना है — जहाँ हर बच्चा और परिवार एक भरोसेमंद टॉफी ब्रांड को पहचाने।”


🏭 ग्रेटर नोएडा में बनेगा अत्याधुनिक प्लांट

नई फंडिंग के ज़रिए Oroos अब ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में अपनी पहली ऑटोमेटेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तैयार करेगा।

यह प्लांट पूरी तरह से डिजिटल और ऑटोमेशन पर आधारित होगा —

  • जिससे उत्पादन क्षमता (production capacity) कई गुना बढ़ेगी,
  • और क्वालिटी कंट्रोल उच्चतम स्तर पर सुनिश्चित होगा।

प्लांट में चॉकलेट, टॉफी, लॉलीपॉप, और बेकरी बेस्ड मिठाई उत्पादों की पूरी रेंज बनाई जाएगी, जिन्हें भारतीय बाजार के अलग-अलग सेगमेंट्स में बेचा जाएगा।


🏬 टियर-II और टियर-III शहरों पर फोकस

कंपनी का फोकस भारत के छोटे और मझोले शहरों (tier-II और tier-III towns) पर रहेगा, जहाँ पर ब्रांडेड कन्फेक्शनरी की मांग तेजी से बढ़ रही है।

Oroos अब अपना नेटवर्क जनरल ट्रेड, मॉडर्न ट्रेड, और रीजनल रिटेल चैनल्स के ज़रिए मजबूत कर रही है।
कंपनी अगले 12 महीनों में उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में अपने वितरण का विस्तार करेगी।


📊 भारतीय कन्फेक्शनरी मार्केट की तेजी

IMARC Group की हालिया रिपोर्ट के अनुसार,

  • भारत का कन्फेक्शनरी मार्केट 2024 में ₹379 अरब (Rs 379 billion) का था,
  • जो 2033 तक ₹597 अरब (Rs 597 billion) तक पहुंचने की संभावना है।
  • इसका वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) लगभग 5.2% अनुमानित है।

दिलचस्प बात यह है कि उत्तर भारत (North India) इस मार्केट में 32.8% की हिस्सेदारी रखता है।
भविष्य की ग्रोथ टियर-II और टियर-III शहरों से आने की संभावना है, जहाँ शहरीकरण, बढ़ती आय और पैक्ड फूड्स की उपलब्धता में तेजी से इज़ाफा हो रहा है।


🍬 Oroos का लक्ष्य — भारत का अगला कन्फेक्शनरी लीडर बनना

Oroos Confectionery का मानना है कि भारतीय उपभोक्ता अब अनब्रांडेड मिठाइयों और खुली टॉफियों से हटकर ब्रांडेड और हाइजेनिकली पैक्ड प्रोडक्ट्स की ओर बढ़ रहे हैं।

इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए कंपनी अपने उत्पादों को

  • किफायती दामों,
  • स्थानीय फ्लेवर,
  • और क्वालिटी पर फोकस के साथ लॉन्च करेगी।

साथ ही, कंपनी बच्चों के लिए स्पेशल टॉफी रेंज, त्योहारों के लिए गिफ्ट पैक्स, और बेकरी-स्टाइल स्नैक आइटम्स जैसे नए कैटेगरी प्रोडक्ट्स भी लाने की तैयारी में है।


🚀 Fireside Ventures और SBI का भरोसा

Fireside Ventures, जिसने पहले boAt, Mamaearth, और Slurrp Farm जैसे D2C ब्रांड्स में निवेश किया है, ने Oroos में निवेश कर संकेत दिया है कि यह ब्रांड भारत के “नेक्स्ट-जेन FMCG स्टार्टअप्स” में से एक हो सकता है।

State Bank of India (SBI) का इसमें शामिल होना यह दिखाता है कि कंपनी की वित्तीय संरचना मजबूत है और इसका स्केलेबिलिटी मॉडल बैंकों को भी आशाजनक लग रहा है।


📦 डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग रणनीति

Oroos अब “हर गली, हर दुकान तक पहुंच” के मिशन पर काम कर रहा है।
कंपनी ने बताया कि वह

  • रीजनल डिस्ट्रीब्यूटर्स,
  • छोटे किराना नेटवर्क्स,
  • और मॉडर्न ट्रेड चैनल्स (जैसे Reliance Smart, DMart, Big Bazaar) के ज़रिए अपनी उपस्थिति बढ़ाएगी।

डिजिटल स्तर पर भी Oroos अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिसमें सोशल मीडिया कैंपेन और इंफ्लुएंसर मार्केटिंग शामिल होगी।


🧾 निष्कर्ष — भारतीय मिठास में “Oroos” का नया स्वाद

Oroos Confectionery का ₹20 करोड़ का यह शुरुआती निवेश भारतीय कन्फेक्शनरी बाजार में एक नई ऊर्जा लेकर आया है।
जहाँ बड़ी कंपनियाँ पहले से इस स्पेस में मौजूद हैं, वहीं Oroos का ध्यान क्वालिटी + सस्ती कीमत + छोटे शहरों की पहुंच पर है — जो इसे एक अलग पहचान देगा।

भारत के तेजी से बढ़ते FMCG बाजार में, Fireside Ventures और SBI का समर्थन Oroos के लिए एक मजबूत नींव साबित होगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह स्टार्टअप आने वाले वर्षों में “हर बच्चे की पसंदीदा टॉफी ब्रांड” बन पाता है या नहीं।

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👓 Lenskart IPO से पहले SBI Mutual Fund ने लगाया ₹100 करोड़ का दांव

Lenskart

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में इस समय Lenskart IPO सबसे चर्चित ऑफर में से एक बन गया है। IPO खुलने से ठीक पहले देश की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में से एक, SBI Mutual Fund ने Lenskart में बड़ा निवेश किया है।


💰 IPO से पहले SBI Mutual Fund का ₹100 करोड़ का निवेश

SBI Mutual Fund ने अपने दो फंड्स — SBI Optimal Equity Fund (AIF) और SBI Emergent Fund (AIF) — के ज़रिए Lenskart में ₹100 करोड़ का सेकेंडरी निवेश किया है।

यह निवेश 28 अक्टूबर 2025 को किया गया, जब फंड ने कंपनी की को-फाउंडर नेहा बंसल से ₹402 प्रति शेयर की दर पर 24.87 लाख शेयर (2,487,561 shares) खरीदे।

यह डील Lenskart में लगभग 0.15% की हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करती है (fully diluted basis पर)।


👩‍💼 को-फाउंडर नेहा बंसल ने बेचे शेयर

IPO से पहले, नेहा बंसल ने अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच दी है। उन्होंने कुल मिलाकर 2.24 मिलियन (22.38 लाख) शेयर ₹402 प्रति शेयर की दर से Shrikanta R. Damani (DMart के फाउंडर राधाकिशन दामानी की पत्नी) को बेचे।

यह ट्रांजेक्शन करीब ₹90 करोड़ का था, जो Lenskart के RHP फाइलिंग (25 अक्टूबर) से ठीक पहले हुआ।

इन लेनदेन के बाद नेहा बंसल की हिस्सेदारी 0.15% घटकर अब 7.46% रह गई है।


📈 Lenskart IPO की डिटेल — ₹7,178 करोड़ का इश्यू

Lenskart ने SEBI के पास दाखिल किए गए RHP (Red Herring Prospectus) में बताया है कि कंपनी कुल ₹7,178 करोड़ का IPO ला रही है।

  • ₹2,150 करोड़ का हिस्सा Fresh Issue के रूप में जुटाया जाएगा।
  • जबकि ₹5,128 करोड़ का हिस्सा Offer For Sale (OFS) के ज़रिए मौजूदा शेयरहोल्डर्स बेचेंगे।

हालांकि, SBI Mutual Fund और अन्य हालिया ट्रांजेक्शन्स के बाद OFS का साइज घटाकर ₹5,028 करोड़ कर दिया गया है।


🧠 Lenskart में कौन-कौन से बड़े निवेशक हैं?

Lenskart की शेयरहोल्डिंग में कई नामचीन ग्लोबल और इंडियन निवेशक शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • Premji Invest
  • Schroders Capital
  • Temasek Holdings
  • SoftBank Vision Fund
  • Kedaara Capital
  • Chiratae Ventures

इन निवेशकों ने शुरुआती दौर में Lenskart में निवेश किया था, और अब IPO के ज़रिए इन्हें अपने निवेश पर 4x से लेकर 17x तक के रिटर्न मिलने की उम्मीद है।


🕶️ Lenskart: भारत का आईवियर यूनिकॉर्न

2010 में Peyush Bansal, Amit Chaudhary और Neha Bansal द्वारा स्थापित Lenskart ने भारतीय रिटेल और ई-कॉमर्स सेक्टर में क्रांति ला दी है।

यह कंपनी आज भारत का सबसे बड़ा eyewear ब्रांड बन चुकी है, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनल्स के ज़रिए चश्मे, लेंस और सनग्लासेस बेचती है।

Lenskart के पास —

  • 2,500 से अधिक स्टोर्स,
  • भारत के 175 से ज़्यादा शहरों में उपस्थिति,
  • और अंतरराष्ट्रीय बाजारों जैसे सिंगापुर, UAE, और सऊदी अरब में भी मजबूत उपस्थिति है।

📊 IPO से पहले कंपनी का प्रदर्शन और ग्रोथ

Lenskart ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विस्तार किया है —

  • FY25 में कंपनी का Revenue ₹2,400 करोड़ से अधिक तक पहुंच गया।
  • कंपनी ने EBITDA प्रोफिटेबल स्थिति हासिल की है।
  • ऑनलाइन सेल्स के साथ-साथ, फ्रेंचाइज़ मॉडल ने भी कंपनी की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई है।

इसके अलावा, Lenskart ने पिछले दो वर्षों में Owndays (जापान) जैसी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण कर अपने ग्लोबल एक्सपैंशन की शुरुआत की है।


📍 SBI Mutual Fund की एंट्री का महत्व

IPO से ठीक पहले किसी बड़े संस्थागत निवेशक का निवेश हमेशा मार्केट को सकारात्मक संकेत देता है।

SBI Mutual Fund का ₹100 करोड़ का निवेश इस बात का प्रमाण है कि

  • Lenskart का बिज़नेस मॉडल मज़बूत है,
  • इसका वैल्यूएशन निवेशकों को आकर्षक लग रहा है,
  • और कंपनी की ग्रोथ स्टोरी पर संस्थागत भरोसा कायम है।

यह निवेश आने वाले IPO में खुदरा निवेशकों का भी उत्साह बढ़ा सकता है।


💸 IPO से होने वाले लाभ और संभावित रिटर्न्स

Lenskart के IPO से इसके प्रमोटर्स और शुरुआती निवेशकों को बड़ा फायदा होगा —

  • Promoters (Peyush & Neha Bansal) को करीब ₹1,000 करोड़ तक की राशि प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • वहीं, Premji Invest, Temasek, और SoftBank जैसे निवेशकों को उनके शुरुआती निवेश पर 4x–17x तक का मल्टीपल रिटर्न मिलने की संभावना है।

यह IPO भारतीय यूनिकॉर्न्स के लिए एक माइलस्टोन साबित हो सकता है, जैसा कि पहले Zomato, Nykaa, और Mamaearth के साथ देखा गया था।


🏁 निष्कर्ष — SBI के निवेश से Lenskart के IPO को नई गति

SBI Mutual Fund का Lenskart में ₹100 करोड़ का निवेश IPO से पहले कंपनी में भरोसे का एक मजबूत संकेत है।
अब जबकि Lenskart का IPO 31 अक्टूबर 2025 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने जा रहा है, मार्केट एक्सपर्ट्स इसे “most awaited IPOs of 2025” में से एक मान रहे हैं।

अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो यह IPO भारतीय पूंजी बाजार में एक और सफल स्टार्टअप लिस्टिंग की कहानी लिख सकता है।

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Boat Office

भारत का लोकप्रिय कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड boAt अब पब्लिक मार्केट में अपनी एंट्री की तैयारी में है। कंपनी ने SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के साथ अपना Updated Draft Red Herring Prospectus (UDRHP) दाखिल किया है, जिसमें उसने अपने IPO का आकार ₹2,000 करोड़ से घटाकर ₹1,500 करोड़ कर दिया है।


💰 IPO का नया स्ट्रक्चर – ₹500 करोड़ का Fresh Issue और ₹1,000 करोड़ का OFS

नए ड्राफ्ट के अनुसार, boAt के ₹1,500 करोड़ के IPO में से ₹500 करोड़ का हिस्सा नया इक्विटी इश्यू (Fresh Issue) होगा, जबकि ₹1,000 करोड़ का हिस्सा Offer for Sale (OFS) के ज़रिए मौजूदा शेयरहोल्डर्स और को-फाउंडर्स बेचेंगे।

OFS के तहत सबसे बड़ी बिक्री South Lake Investment (Warburg Pincus) करेगी, जो अपने ₹500 करोड़ के शेयर ऑफलोड करेगी। इसके अलावा, Fireside Ventures ₹150 करोड़ और Qualcomm Ventures ₹50 करोड़ के शेयर बेचेंगे।

कंपनी के को-फाउंडर्स भी OFS में हिस्सा लेंगे —

  • Sameer Mehta अपने ₹75 करोड़ के शेयर बेचेंगे।
  • वहीं Aman Gupta, जो कंपनी के CMO हैं, ₹225 करोड़ के शेयर बेचेंगे।

📊 IPO से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल

boAt अपने Fresh Issue से जुटाए ₹500 करोड़ का उपयोग तीन प्रमुख उद्देश्यों के लिए करेगी —

  1. ₹225 करोड़ – Working Capital यानी कंपनी के दिन-प्रतिदिन के ऑपरेशन्स के लिए।
  2. ₹150 करोड़ – Branding और Marketing गतिविधियों को बढ़ाने के लिए।
  3. बाकी राशि – General Corporate उद्देश्यों के लिए।

🏢 कंपनी की Ownership और प्रमुख निवेशक

boAt के मौजूदा शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर में सबसे बड़ा हिस्सा South Lake Investment Ltd (Warburg Pincus) के पास है, जिसकी हिस्सेदारी 39.35% है।

  • Sameer Mehta – 24.75%
  • Aman Gupta – 24.76%
  • Fireside Ventures – 3.28%
  • Qualcomm Ventures – 2.28%
  • Malabar Select Fund – 1.20%

इस शेयर वितरण से साफ है कि कंपनी में संस्थागत निवेशकों के साथ-साथ संस्थापक जोड़ी की भी मजबूत पकड़ बनी हुई है।


🎧 boAt की शुरुआत और बिज़नेस मॉडल

2016 में Aman Gupta और Sameer Mehta द्वारा शुरू किया गया boAt आज भारत का सबसे लोकप्रिय D2C (Direct-to-Consumer) ब्रांड बन चुका है।
कंपनी की सफलता की सबसे बड़ी वजह इसका affordable yet stylish प्रोडक्ट रेंज है —

  • Audio products (earbuds, headphones, speakers)
  • Smart wearables (smartwatches, fitness bands)
  • और मोबाइल accessories

boAt अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री Amazon, Flipkart, Myntra जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस के साथ-साथ अपनी official website और देशभर के ऑफलाइन रिटेल स्टोर्स के ज़रिए करती है।


🚀 फाइनेंशियल परफॉर्मेंस – FY25 में मुनाफे की वापसी

boAt ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में शानदार प्रदर्शन दर्ज किया है। कंपनी की Operating Revenue ₹3,073 करोड़ रही, जबकि उसने ₹61 करोड़ का नेट प्रॉफिट कमाया — जो FY24 के ₹79.6 करोड़ के नुकसान से एक बड़ा टर्नअराउंड है।

FY26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में भी कंपनी ने बेहतरीन शुरुआत की है —

  • Revenue: ₹628 करोड़
  • Net Profit: ₹21.35 करोड़

इससे साफ है कि boAt अब लगातार प्रॉफिटेबल ग्रोथ के रास्ते पर है।


📈 boAt का IPO क्यों महत्वपूर्ण है?

boAt का IPO भारतीय D2C और कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए एक बड़ा मोमेंट माना जा रहा है।

  • कंपनी का ब्रांड युवा उपभोक्ताओं के बीच बेहद मजबूत है।
  • ऑडियो और वियरेबल्स कैटेगरी में boAt का मार्केट शेयर 30% से अधिक है।
  • ब्रांड ने लगातार डिज़ाइन, टेक्नोलॉजी और वैल्यू पर ध्यान देकर अपनी पहचान बनाई है।

अगर IPO सफल रहता है, तो यह भारत के D2C ब्रांड्स को पब्लिक मार्केट में नई दिशा दे सकता है।


🧠 boAt के लिए आगे का रास्ता

कंपनी अब अपने मार्केटिंग नेटवर्क, R&D कैपेबिलिटीज और ग्लोबल एक्सपैंशन पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इसके साथ ही boAt की योजना है कि वह अपनी वियरेबल और स्मार्ट डिवाइस लाइनअप को और भी मज़बूत करे, ताकि वह Apple, Noise, Fire-Boltt जैसे प्रतिस्पर्धियों से आगे रह सके।


🏁 निष्कर्ष — IPO से पहले ही मजबूत स्थिति में boAt

boAt का IPO न केवल निवेशकों के लिए एक आकर्षक मौका है, बल्कि यह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की परिपक्वता का भी संकेत है।
Aman Gupta और Sameer Mehta की यह जोड़ी अब अपने ब्रांड को पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है।

👉 अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो boAt का IPO 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में मार्केट में आ सकता है।

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🧠 Mem0 ने जुटाए $24 मिलियन!

Mem0

AI एजेंट्स के लिए अगली पीढ़ी की मेमोरी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लेटफ़ॉर्मMem0 ने अपनी Series A फंडिंग राउंड में $24 मिलियन (लगभग ₹200 करोड़) जुटाए हैं।
यह राउंड Basis Set Ventures के नेतृत्व में हुआ, जिसमें Peak XV Partners, Kindred Ventures, GitHub Fund, और Y Combinator जैसे बड़े नामों ने भाग लिया।

कंपनी की यह फंडिंग न केवल इसके उत्पाद को स्केल करने के लिए अहम है, बल्कि यह AI दुनिया में “मेमोरी लेयर” की नई दिशा भी तय कर रही है।


💰 किसने किया निवेश और क्यों?

इस राउंड में Strategic Investors के रूप में कई टॉप टेक कंपनियों के एग्जीक्यूटिव्स शामिल रहे —
जिनमें Datadog, Supabase, PostHog, GitHub, और Weights & Biases के अधिकारी शामिल हैं।

कंपनी ने बताया कि जुटाई गई राशि का उपयोग वह तीन प्रमुख लक्ष्यों के लिए करेगी:

  1. इंजीनियरिंग टीम का विस्तार,
  2. एंटरप्राइज डिप्लॉयमेंट्स को बढ़ावा, और
  3. AI प्लेटफॉर्म्स व डेवलपर टूल्स के साथ नई पार्टनरशिप्स स्थापित करना।

डेवलपर्स के लिए Mem0 की सेवाएं इसके API और ओपन-सोर्स रिपॉज़िटरी (www.mem0.ai) पर उपलब्ध हैं।


🧩 क्या है Mem0 और कैसे करता है काम?

2023 में तारनजीत सिंह और देशराज यादव द्वारा स्थापित, Mem0 एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफ़ॉर्म है जो AI एजेंट्स को इंसानों जैसी मेमोरी क्षमता देता है।

साधारण शब्दों में कहें तो यह एक “ब्रेन लेयर” की तरह है — जो यूजर की बातचीत से जानकारी निकालता है, उसे सुरक्षित रखता है, पुराने तथ्यों से तुलना करता है, और ज़रूरत पड़ने पर सटीक संदर्भ (context) वापस देता है।

डेवलपर्स के लिए Mem0 को कुछ ही लाइनों के कोड में अपने एप्लिकेशन में जोड़ा जा सकता है।
यह सिस्टम स्वतः:

  • यूजर इंटरैक्शन से डेटा एक्सट्रैक्ट करता है,
  • कन्फ्लिक्टिंग फैक्ट्स को रिज़ॉल्व करता है,
  • कॉन्फिडेंस स्कोरिंग अप्लाई करता है, और
  • रिलेवेंट कॉन्टेक्स्ट को रिकॉल करता है।

यही टेक्नोलॉजी AI चैटबॉट्स और पर्सनल असिस्टेंट्स को लगातार स्मार्ट और “स्मरणशील” बनाती है।


🚀 रिकॉर्ड तोड़ ग्रोथ: 41,000 GitHub स्टार्स और 14 मिलियन डाउनलोड

Mem0 की लोकप्रियता डेवलपर समुदाय में तेजी से बढ़ रही है।
कंपनी के अनुसार, अब तक प्लेटफ़ॉर्म को:

  • 41,000 GitHub स्टार्स,
  • 14 मिलियन Python पैकेज डाउनलोड्स, और
  • API कॉल्स में जबरदस्त उछाल — Q1 के 35 मिलियन से Q3 2025 में 186 मिलियन कॉल्स तक — मिला है।

यह दर्शाता है कि हजारों डेवलपर टीमें — चाहे स्टार्टअप हों या एंटरप्राइज़ कंपनियाँ — अपने AI एजेंट्स में Mem0 को प्रोडक्शन लेवल पर इस्तेमाल कर रही हैं।


🧱 प्रमुख इंटीग्रेशन और पार्टनरशिप्स

Mem0 को पहले से ही कई लोकप्रिय AI फ्रेमवर्क्स ने इंटीग्रेट किया है —
जैसे CrewAI, Flowise, और Langflow

सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि Amazon Web Services (AWS) ने अपने Agent SDK के लिए Mem0 को डिफॉल्ट मेमोरी प्रोवाइडर के रूप में चुना है।

यह साझेदारी Mem0 को वैश्विक स्तर पर AI डेवलपर्स के बीच और भी प्रमुख बनाएगी।


🧠 डेवलपर्स के लिए कैसे है फायदेमंद?

AI एप्लिकेशन्स में अक्सर सबसे बड़ी चुनौती होती है — “पर्सिस्टेंट मेमोरी”
यानी, यूजर के साथ पुरानी बातचीत या डेटा को याद रखकर पर्सनलाइजेशन बनाना।

Mem0 इस समस्या को हल करता है —
अब डेवलपर्स को कस्टम डेटा पाइपलाइन या डेटाबेस सेटअप बनाने की ज़रूरत नहीं होती।
वे सीधे Mem0 API से अपने LLM ऐप्स (जैसे ChatGPT या Claude आधारित प्रोडक्ट्स) में “मेमोरी लेयर” जोड़ सकते हैं।

Mem0 खुद को AI इंफ्रास्ट्रक्चर का कोर कंपोनेंट मानता है — जैसे ऑथेंटिकेशन या डेटाबेस, वैसे ही “मेमोरी” अब हर AI सिस्टम की रीढ़ बनती जा रही है।


🌐 Mem0 की फिलॉसफी: “AI without memory is like a brain without past”

Mem0 के को-फाउंडर तारनजीत सिंह ने कहा,

“हम मानते हैं कि AI एजेंट्स तभी सच में इंसान जैसे बन सकते हैं, जब उन्हें याददाश्त मिले।
Mem0 उस कमी को पूरा कर रहा है — एक यूनिवर्सल मेमोरी लेयर बनाकर।”

उनका लक्ष्य है कि AI एप्लिकेशन्स केवल जवाब देने वाले सिस्टम न रहें, बल्कि समझने और याद रखने वाले साथी बनें।


💡 निवेशकों का विश्वास और भविष्य की दिशा

Basis Set Ventures ने कहा कि Mem0 का दृष्टिकोण पारंपरिक “डेटा स्टोरेज” से आगे बढ़कर एक “कॉन्टेक्स्ट-इंजीन” बनाने का है — जो आने वाले वर्षों में AI एजेंट्स की स्थायी बुद्धिमत्ता (Persistent Intelligence) को शक्ति देगा।

Peak XV Partners और GitHub Fund के अनुसार, ओपन-सोर्स मॉडल और API-फर्स्ट दृष्टिकोण ने Mem0 को डेवलपर कम्युनिटी में एक भरोसेमंद नाम बना दिया है।

आगे कंपनी का फोकस एंटरप्राइज-लेवल इंटीग्रेशन, डेवलपर टूल्स के साथ पार्टनरशिप, और AI डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क्स पर रहेगा।


🧩 निष्कर्ष

Mem0 सिर्फ एक मेमोरी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि AI सिस्टम्स के लिए “ब्रेन” बन रहा है।
Series A में जुटाए गए $24 मिलियन इसकी तकनीकी क्षमता और मार्केट ट्रस्ट दोनों को मजबूती देंगे।

जैसे-जैसे AI एजेंट्स हमारे रोज़मर्रा के कामों में घुलमिल रहे हैं — Mem0 जैसी कंपनियाँ यह सुनिश्चित कर रही हैं कि वे हमारी तरह सीखें, याद रखें और बेहतर निर्णय लें।

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💰 Urban Money ने बढ़ाई रफ्तार FY25 में 58% ग्रोथ के साथ Square Yards

Square Yards

भारत के प्रॉपटेक यूनिकॉर्न Square Yards की डिजिटल लेंडिंग और मॉर्टगेज डिस्ट्रीब्यूशन यूनिट Urban Money ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष में 58% साल-दर-साल (YoY) की दमदार ग्रोथ दर्ज की है, जो इसे भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक बना देती है।


📈 तीन साल में 10 गुना बढ़ा राजस्व

Urban Money का राजस्व FY25 में बढ़कर ₹714 करोड़ हो गया, जबकि FY24 में यह ₹454 करोड़ और FY23 में ₹233 करोड़ था।
सिर्फ तीन साल में कंपनी का टॉपलाइन ग्रोथ 10 गुना से ज्यादा हुआ है। यह तेजी मुख्य रूप से इसके लेंडिंग नेटवर्क के विस्तार और हाउसिंग लोन की बढ़ती डिमांड की वजह से आई है।


💳 लोन ट्रांजैक्शन वैल्यू में 59% की छलांग

Urban Money के ग्रॉस ट्रांजैक्शन वैल्यू (GTV) में भी FY25 के दौरान 59% की वृद्धि दर्ज की गई है — जो $5.7 बिलियन तक पहुंच गई, जबकि FY24 में यह $3.6 बिलियन थी।
वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने कुल 1.55 लाख लोन ट्रांजैक्शन पूरे किए, जो इसके स्केलेबल बिजनेस मॉडल और मजबूत पार्टनर नेटवर्क को दर्शाता है।


🏡 Uber-जैसा नेटवर्क मॉडल: 1.5 लाख से ज्यादा चैनल पार्टनर्स

Urban Money ने अपने पैरेंट Square Yards के विशाल रियल एस्टेट नेटवर्क का फायदा उठाया है।
कंपनी ने रियल एस्टेट एजेंट्स और फाइनेंशियल एडवाइजर्स को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़कर Uber-जैसा नेटवर्क मॉडल बनाया है। इस मॉडल से ये पार्टनर्स अब सीधे डिजिटल सिस्टम के ज़रिए होम लोन ऑरिजिनेट कर सकते हैं।

प्लेटफॉर्म के पास आज 1.5 लाख से ज्यादा चैनल पार्टनर्स हैं, जो 95 से अधिक बैंक और NBFCs से जुड़े हुए हैं।
डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, कंपनी के लगभग 87% बिजनेस का सोर्स इसके पार्टनर्स हैं, जबकि 13% ट्रांजैक्शन Urban Money खुद करती है — यह इसके टेक-लेड और एसेट-लाइट डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल को साबित करता है।


⚙️ API-इंटीग्रेशन से डिजिटल लेंडिंग में बढ़त

Urban Money ने अपने पार्टनर बैंकों के Loan Origination Systems (LOS) के साथ सीधा इंटीग्रेशन किया है।
यह सिस्टम API-आधारित KYC, इनकम और क्रेडिट स्कोर वेरिफिकेशन, और प्रत्येक बैंक की क्रेडिट पॉलिसी के अनुसार इंस्टेंट एलिजिबिलिटी चेक जैसी सुविधाएं देता है।

इससे कंपनी को तेजी से डिजिटाइज हो रहे मॉर्टगेज लेंडिंग मार्केट में एक मजबूत टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज मिला है।
हाल ही में कंपनी ने अपना रियल एस्टेट डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जो रियल-टाइम प्रॉपर्टी वैल्यूएशन और ऑटोमेटेड टाइटल वेरिफिकेशन के ज़रिए लोन अप्रूवल प्रोसेस को तेज करता है।


💼 Square Yards के लिए फाइनेंस वर्टिकल बना ग्रोथ ड्राइवर

FY25 में Square Yards की कंसॉलिडेटेड इनकम ₹1,410 करोड़ रही, जो FY24 के ₹1,001 करोड़ से 41% अधिक है।
कंपनी ने पहली बार EBITDA पॉजिटिव ₹46 करोड़ का ऑपरेशनल प्रॉफिट भी दर्ज किया।

यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि Urban Money अब Square Yards के लिए सिर्फ एक सब-ब्रांड नहीं, बल्कि एक मुख्य रेवेन्यू ड्राइवर बन चुका है।


🔄 रियल एस्टेट से प्रॉप-फिनटेक की ओर स्क्वेयर यार्ड्स का ट्रांजिशन

Square Yards ने अब अपने बिजनेस मॉडल को रियल एस्टेट ब्रोकरेज से बढ़ाकर एक फुल-स्टैक प्रॉप-फिनटेक प्लेटफॉर्म में तब्दील कर दिया है।
Urban Money की सफलता ने इस बदलाव को और मजबूती दी है।

FY26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में कंपनी का राजस्व ₹378 करोड़ तक पहुंच गया, जो 45% YoY ग्रोथ दर्शाता है।
इस अवधि में कंपनी ने ₹70 करोड़ का EBITDA प्रॉफिट भी दर्ज किया — जो इसके बिजनेस मॉडल की मजबूती को दिखाता है।


⚠️ चुनौतियाँ और आगे की राह

हालांकि Urban Money की ग्रोथ शानदार है, लेकिन कंपनी का बिजनेस अब भी रियल एस्टेट डिमांड साइकिल्स और इंटरेस्ट रेट फ्लक्चुएशन्स पर निर्भर है।
आगे की सफलता के लिए कंपनी को कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन, टेक्नोलॉजी-लेड एफिशिएंसीज़, और लेंडर पार्टनरशिप्स को गहराई देने पर ध्यान देना होगा।


🏁 निष्कर्ष

डिजिटल लेंडिंग के तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में, Square Yards की Urban Money एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरी है।
अपनी टेक्नोलॉजी, पार्टनर नेटवर्क और डेटा इंटेलिजेंस के सहारे, कंपनी आने वाले वर्षों में भारत के टॉप मॉर्टगेज डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स में अपनी जगह और मजबूत कर सकती है।

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