Anicut Capital ने 11 मिलियन डॉलर जुटाए

Anicut Capital

Anicut Capital, एक प्रमुख वैकल्पिक निवेश फर्म, ने हाल ही में अपनी प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 के तहत 11 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह निवेश GIFT City के माध्यम से प्राप्त हुआ है, जो भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है। इस फंड के माध्यम से, कंपनी का उद्देश्य वैश्विक निवेशकों को भारतीय बाजार की ओर आकर्षित करना है, जिसमें प्रमुख निवेशक अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, और मध्य पूर्व से हैं।

Anicut Capital के माध्यम से निवेश

GIFT City (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है, जो विदेशी निवेश को भारत में आकर्षित करने के लिए विकसित किया गया है। अनिकट कैपिटल ने इस संरचना का उपयोग करते हुए डॉलर-आधारित निवेशकों से 11 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह संरचना संस्थागत निवेशकों, परिवार कार्यालयों और उच्च-नेट-वर्थ व्यक्तियों (HNIs) के लिए विशेष रूप से आकर्षक है।

कंपनी की स्थापना और फोकस

अनिकट कैपिटल की स्थापना आशित मेहता और अभिषेक नायर ने की थी। कंपनी का उद्देश्य मझोले आकार के भारतीय उद्यमों में निवेश करना है, जो पारंपरिक वित्तीय सेवाओं से वंचित रहते हैं। अनिकट कैपिटल प्राइवेट क्रेडिट, इक्विटी और जोखिम पूंजी में निवेश करता है, और यह तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में उन कंपनियों के लिए पूंजी प्रदान करता है जो विकास की अगली लहर चला रही हैं।

प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 और निवेश संरचना

अनिकट कैपिटल का प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 भारत के मध्यम आकार के उद्यमों में ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस फंड के तहत कंपनी वर्तमान में कुल 1,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है, जिसका एक हिस्सा GIFT City के माध्यम से प्राप्त 11 मिलियन डॉलर से आता है। यह संरचना भारत में निजी ऋण के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश को आसान बनाती है।

फंड का उपयोग और कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड

इस फंड के पहले वर्ष के संचालन में ही अनिकट कैपिटल ने छह कंपनियों में निवेश किया है, जिनमें Earth Rhythm, Neemans, Wheelocity, The Ayurveda Experience, Blue Tokai Coffee, और XYXX शामिल हैं। इन कंपनियों का चयन भारतीय बाजार में उनकी अनूठी स्थिति और तेजी से बढ़ने की क्षमता के आधार पर किया गया है। यह दर्शाता है कि अनिकट कैपिटल भारतीय उद्यमों में दीर्घकालिक मूल्य सृजन के लिए प्रतिबद्ध है।

SIDBI के साथ साझेदारी

सितंबर 2023 में, अनिकट कैपिटल ने Small Industries Development Bank of India (SIDBI) से 50 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया था, जो कि अनिकट इक्विटी फंड में किया गया था। SIDBI का यह निवेश भारतीय छोटे और मझोले आकार के उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन था, और अनिकट कैपिटल के निवेश दृष्टिकोण की सफलता को भी दर्शाता है।

निवेश का प्रभाव

अनिकट कैपिटल द्वारा जुटाए गए इन फंड्स का उद्देश्य उन कंपनियों में निवेश करना है जो अपने विकास के महत्वपूर्ण चरण में हैं। कंपनी ने अब तक 3,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है और कई मझोले आकार के भारतीय उद्यमों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनिकट कैपिटल का मानना है कि भारत में निजी ऋण क्षेत्र में अभी बहुत संभावनाएं हैं, और यह फंड उन कंपनियों की सहायता करेगा जो तेजी से विस्तार कर रही हैं।

निवेशकों के लिए लाभ

अनिकट कैपिटल की इस फंड संरचना का प्रमुख लाभ यह है कि यह निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने का एक सुरक्षित और संगठित तरीका प्रदान करती है। GIFT City के माध्यम से प्राप्त होने वाले डॉलर-नामित निवेशों के कारण, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भारतीय बाजार में अपने पोर्टफोलियो को विस्तार करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि और मझोले उद्यमों के विकास की क्षमता को देखते हुए, अनिकट कैपिटल के निवेशकों को आकर्षक रिटर्न की उम्मीद है।

भविष्य की योजनाएं

अनिकट कैपिटल की योजना अपने प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 के माध्यम से और अधिक कंपनियों में निवेश करने की है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हैं। कंपनी का फोकस उन कंपनियों पर है जो नवाचार और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देती हैं। भविष्य में, अनिकट कैपिटल का लक्ष्य भारतीय निजी ऋण क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करना और वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाना है।

निष्कर्ष

अनिकट कैपिटल की हालिया फंडिंग न केवल भारतीय बाजार में उनके निवेश की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे GIFT City जैसी संरचनाएं वैश्विक निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित कर रही हैं। 11 मिलियन डॉलर की यह फंडिंग अनिकट के प्राइवेट क्रेडिट फंड 3 का एक हिस्सा है, जो भारतीय उद्यमों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन बन रहा है।

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Licious ने My Chicken and More का किया अधिग्रहण

Licious

भारत की प्रमुख D2C (Direct-to-Consumer) मीट और सीफूड ब्रांड Licious ने बेंगलुरु स्थित ऑफलाइन रिटेलर My Chicken and More का अधिग्रहण किया है। इस सौदे की राशि का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह कदम Licious की ओम्निचैनल (ऑनलाइन और ऑफलाइन) उपस्थिति को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। Licious पहले से ही 4 मिलियन घरों तक अपनी डिजिटल कॉमर्स सेवाएं पहुंचा चुका है, और अब My Chicken and More की 23 स्टोर्स के साथ, Licious अपनी फिजिकल रिटेल उपस्थिति को 26 बिक्री केंद्रों तक बढ़ा सकेगा।

My Chicken and More: एक तेजी से बढ़ती ब्रांड

My Chicken and More बेंगलुरु के उपभोक्ताओं के बीच अपने इन-स्टोर अनुभव के लिए जाना जाता है। 2021 से 2023 के बीच, इस ब्रांड ने अपने आउटलेट्स की संख्या 10 से बढ़ाकर 23 कर ली, और 2023 में इसका कुल राजस्व 110 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह ब्रांड सालाना 1.6 से 1.8 मिलियन ऑर्डर प्रोसेस करने का दावा करता है। कुछ स्टोर्स में मासिक फुटफॉल (ग्राहकों की संख्या) 10,000 से 12,000 तक रहती है, जो इसकी लोकप्रियता और गुणवत्ता को दर्शाता है।

Licious: ऑनलाइन से ऑफलाइन की ओर कदम

Licious की स्थापना 2015 में अभय हांजुरा और विवेक गुप्ता ने की थी। कंपनी ने मीट, सीफूड और रेडी-टू-कुक प्रोडक्ट्स के लिए भारत में 25 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। इस अधिग्रहण के जरिए, Licious का मकसद अपने डिजिटल कारोबार के साथ-साथ फिजिकल स्टोर्स के माध्यम से भी उपभोक्ताओं तक पहुंचना है। Licious के पास अब अपने उत्पादों की बिक्री के लिए दोनों प्लेटफॉर्म होंगे, जिससे यह अपने ग्राहकों को एक व्यापक और सहज अनुभव प्रदान कर सकेगा।

Liciousके वित्तीय आंकड़े और विकास की कहानी

Licious की यात्रा में वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) महत्वपूर्ण रहा। हालांकि, कंपनी को बड़े निवेश प्राप्त हुए, लेकिन इसका ऑपरेटिंग इनकम केवल 9.6% की मामूली वृद्धि के साथ 747.7 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो FY22 में 682.5 करोड़ रुपये था। वहीं, इसके नुकसान में भी वृद्धि हुई और FY23 में 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 485 करोड़ रुपये था।

Licious की फंडिंग और यूनिकॉर्न बनने की कहानी

Licious ने अक्टूबर 2021 में IIFL AMC के लेट स्टेज टेक फंड से 52 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की और उसके बाद यह कंपनी यूनिकॉर्न बन गई। उसी साल, इसे सीरीज F राउंड में 192 मिलियन डॉलर का निवेश भी प्राप्त हुआ। अब तक, Licious ने कुल 490 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जिससे यह मीट और सीफूड सेगमेंट में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन चुकी है।

इन्फिनिटी: Licious की लॉयल्टी प्रोग्राम

Licious का प्रमुख लॉयल्टी प्रोग्राम Infiniti भी कंपनी के व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस प्रोग्राम के 2 लाख साप्ताहिक सक्रिय सब्सक्राइबर्स हैं, जो कंपनी के मासिक व्यापार का 58% योगदान करते हैं। यह लॉयल्टी प्रोग्राम कंपनी के ग्राहकों को अपने साथ बनाए रखने में मदद करता है और यह उनकी ब्रांडिंग को भी मजबूत करता है।

My Chicken and More का अधिग्रहण क्यों है महत्वपूर्ण?

My Chicken and More का अधिग्रहण Licious के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह कदम कंपनी को सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भर रहने से अलग करता है। अब कंपनी के पास ऑफलाइन रिटेल नेटवर्क भी होगा, जिससे उसे और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने और अपने व्यवसाय को और विस्तारित करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, My Chicken and More के स्टोर्स में मिलने वाले इन-स्टोर अनुभव से ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सकेगी।

Licious की ओम्निचैनल रणनीति

Licious की ओम्निचैनल रणनीति से यह स्पष्ट है कि कंपनी अब सिर्फ डिजिटल तक सीमित नहीं रहना चाहती। कंपनी अब एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर अपनी सेवाओं को फिजिकल रिटेल नेटवर्क के जरिए भी बढ़ा रही है। इससे कंपनी को उन ग्राहकों तक भी पहुंचने में मदद मिलेगी, जो ऑनलाइन खरीदारी में रुचि नहीं रखते, लेकिन फिजिकल स्टोर्स से खरीदारी करना पसंद करते हैं।

भविष्य की योजनाएं

Licious का लक्ष्य अधिग्रहण के बाद अपने उत्पाद पोर्टफोलियो और वितरण नेटवर्क को और मजबूत करना है। कंपनी आने वाले समय में और अधिक शहरों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके अलावा, Licious ने अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि को हमेशा प्राथमिकता दी है, और इस अधिग्रहण से वह अपने ग्राहकों के लिए और भी बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए तत्पर है।

निष्कर्ष

Licious द्वारा My Chicken and More का अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इसे भारतीय मीट और सीफूड बाजार में और अधिक मजबूत स्थिति में लाएगा। डिजिटल और फिजिकल दोनों प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने ग्राहकों तक पहुंचकर, Licious अपनी ओम्निचैनल रणनीति के जरिए अपनी मार्केट उपस्थिति को और व्यापक बनाने के लिए तैयार है। कंपनी के संस्थापकों की दूरदर्शिता और निवेशकों का विश्वास इसे और भी ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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Perceptyne: AI-आधारित रोबोटिक्स स्टार्टअप ने जुटाए $3 मिलियन

Perceptyne

Perceptyne, एक गहरे तकनीकी (deep tech) और AI-आधारित रोबोटिक्स स्टार्टअप, ने अपने सीड फंडिंग राउंड में $3 मिलियन जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Endiya Partners और Yali Capital ने किया, जिसमें Whiteboard Capital और कुछ प्रमुख एंजल निवेशकों ने भी भाग लिया। इस फंडिंग का उपयोग कंपनी अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट, कस्टमर एक्विजिशन और ग्रोथ में तेजी लाने के लिए करेगी। Perceptyne वर्तमान में ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के साथ घनिष्ठता से काम कर रही है।

Percept yne की शुरुआत और संस्थापक

Perceptyne की स्थापना तीन संस्थापकों – रवितेजा शिवुकुला, जग्गा राजू नडिंपल्ली, और मृत्युंजय नडिमिंती ने की। ये सभी संस्थापक गहरी तकनीकी पृष्ठभूमि से आते हैं और रोबोटिक्स एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। उनकी तकनीकी क्षमता और इनोवेशन के लिए दृष्टिकोण ने इस स्टार्टअप को एक मजबूत नींव प्रदान की है। उनकी सोच है कि AI और रोबोटिक्स के माध्यम से उन कार्यों को स्वचालित किया जा सके, जिन्हें अभी तक केवल मनुष्यों द्वारा किया जाता था।

Perceptyne की प्रमुख टेक्नोलॉजी

Perceptyne का मुख्य फोकस AI और रोबोटिक्स को मिलाकर एक ऐसी प्रणाली तैयार करना है, जो मानवीय कौशल और चपलता के साथ काम कर सके। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पाद जैसे PR-34D और PR-9D, जो क्रमशः ड्यूल-आर्म और सिंगल-आर्म रोबोट्स हैं, मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली लाइन जैसे कार्यों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। ये रोबोट कंप्यूटर विज़न, मल्टी-मोडल सेंसिंग और उन्नत एंड-इफेक्टर्स के साथ आते हैं, जो उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए अत्यधिक सक्षम बनाते हैं।

PR-34D और PR-9D: रोबोटिक्स में क्रांति

Perceptyne के इन फ्लैगशिप उत्पादों का डिज़ाइन विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के लिए किया गया है। इन रोबोट्स को इस प्रकार से बनाया गया है कि वे उत्पाद असेंबली और पैकेजिंग जैसे कार्यों में मानवीय दक्षता के साथ काम कर सकें। AI द्वारा संचालित होने के कारण ये रोबोट जटिल और सूक्ष्म कार्यों को भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं, जिससे मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में गति और सटीकता दोनों बढ़ती हैं।

कंपनी की योजना और भविष्य की रणनीति

फंडिंग के बाद, Perceptyne अब अपने उत्पादों को और उन्नत करने, नए ग्राहकों को जोड़ने और अपने व्यवसाय को बढ़ाने की योजना बना रहा है। कंपनी वर्तमान में ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग दिग्गजों के साथ काम कर रही है, और आने वाले समय में अन्य उद्योगों में भी अपनी पकड़ मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।

निवेशकों की भूमिका

Endiya Partners और Yali Capital जैसे प्रमुख निवेशकों का इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व करना दर्शाता है कि Perceptyne का व्यवसाय मॉडल और तकनीक निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। Whiteboard Capital और अन्य एंजल निवेशकों ने भी इस स्टार्टअप के भविष्य को लेकर अपने विश्वास को व्यक्त किया है। इस निवेश से यह स्पष्ट है कि रोबोटिक्स और AI का संयोजन आने वाले समय में और अधिक महत्वपूर्ण होने वाला है।

मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पर प्रभाव

Perceptyne के उत्पाद मैन्युफैक्चरिंग उद्योग में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। असेंबली लाइन में दक्षता और स्वचालन को बढ़ाने के साथ-साथ, ये रोबोट कंपनियों के लिए लागत को भी कम कर सकते हैं। मानव श्रम की जगह स्वचालित मशीनों का इस्तेमाल करना मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया को तेज बनाता है और उत्पादन में त्रुटियों को भी कम करता है।

AI और रोबोटिक्स का भविष्य

Perceptyne जैसे स्टार्टअप्स यह दिखा रहे हैं कि भविष्य में AI और रोबोटिक्स का मेल एक नई क्रांति ला सकता है। न केवल बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग बल्कि अन्य उद्योगों में भी इस तकनीक का विस्तार किया जा सकता है। Perceptyne की तकनीक उन क्षेत्रों में भी काम आ सकती है जहां जटिल और संवेदनशील कार्यों की आवश्यकता होती है।

कंपनी का वित्तीय पक्ष

Perceptyne ने अपने सीड राउंड में $3 मिलियन की फंडिंग जुटाई है, जो इसके विकास के शुरुआती चरण के लिए एक महत्वपूर्ण राशि है। यह फंडिंग कंपनी के लिए प्रोडक्ट डेवलपमेंट, ग्राहक जोड़ने और अपने मार्केट विस्तार को मजबूत करने में मदद करेगी। इसके संस्थापक का कहना है कि यह निवेश उन्हें अपने AI और रोबोटिक्स प्लेटफॉर्म को और अधिक उन्नत बनाने में सक्षम बनाएगा।

निष्कर्ष

Perceptyne का उदय AI और रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति का संकेत है। कंपनी का उद्देश्य उन कार्यों को स्वचालित करना है, जिन्हें अभी तक केवल मनुष्यों द्वारा ही किया जा सकता था। संस्थापकों की दूरदृष्टि और निवेशकों का समर्थन इस स्टार्टअप को भविष्य में और भी अधिक ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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UPI का नया रिकॉर्ड: सितंबर 2024 में 15 बिलियन ट्रांजैक्शन के पार

UPI

सितंबर 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया, जब कुल ट्रांजैक्शन की संख्या 15 बिलियन से अधिक हो गई। अप्रैल 2016 में लॉन्च होने के बाद से, UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस तेजी से बढ़ते पेमेंट सिस्टम ने न केवल भुगतान के तरीकों को सरल बनाया है, बल्कि इसे भारत के आर्थिक और डिजिटल परिदृश्य का एक अभिन्न हिस्सा भी बना दिया है।

PhonePe का वर्चस्व जारी

UPI ट्रांजैक्शन में PhonePe सबसे बड़ा खिलाड़ी बना हुआ है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, PhonePe ने सितंबर 2024 में 7.22 बिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए, जिनकी कुल वैल्यू ₹10,30,871 करोड़ थी। यह आंकड़ा UPI की पूरी सफलता और PhonePe की इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ को दर्शाता है।

हालांकि, PhonePe के ट्रांजैक्शन वॉल्यूम और वैल्यू में मामूली गिरावट देखी गई, जबकि Google Pay ने दोनों में वृद्धि दर्ज की। अगस्त 2024 की तुलना में PhonePe का बाजार हिस्सा 48% तक गिर गया, जो पहले 48.3% था। इसके बावजूद, यह अभी भी UPI मार्केट का सबसे बड़ा हिस्सा रखता है।

Google Pay की तेजी

Google Pay, जो इस रेस में PhonePe के बाद दूसरे स्थान पर है, ने सितंबर में 5.62 बिलियन ट्रांजैक्शन किए, जिनकी कुल वैल्यू ₹7,46,690.05 करोड़ थी। Google Pay का बाजार हिस्सा अब 37.4% है, जो अगस्त में 37.3% था। Google Pay की इस स्थिर और लगातार बढ़ती प्रगति से यह स्पष्ट है कि इसका यूजर बेस और ट्रांजैक्शन दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं।

Paytm की स्थिति स्थिर, लेकिन चुनौतीपूर्ण

Paytm ने सितंबर 2024 में अपनी स्थिति को लगभग स्थिर रखा है, जिसमें इसके ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। Paytm का बाजार हिस्सा अब 7% है, जो अगस्त में 7.21% था। हालांकि, Paytm ने बाजार में अपनी स्थिति को बनाए रखा है, लेकिन PhonePe और Google Pay के दबदबे के सामने इसे कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अन्य खिलाड़ियों की बढ़ती उपस्थिति

सितंबर 2024 में CRED और Navi जैसे नए खिलाड़ी भी अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए हैं। CRED ने 140 मिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए, जिनकी वैल्यू ₹47,982.71 करोड़ थी, जबकि Navi ने 120 मिलियन ट्रांजैक्शन के साथ ₹6,549.10 करोड़ की वैल्यू हासिल की। खास बात यह रही कि Navi ने ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में 35% की वृद्धि दर्ज की और पहली बार शीर्ष पांच UPI ऐप्स में शामिल हो गया।

इसके अलावा, Flipkart के Super.money ऐप ने भी सितंबर में 120% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की और यह 15वें स्थान पर पहुंच गया, जो BHIM ऐप से ठीक पीछे है।

P2M और P2P ट्रांजैक्शन का बंटवारा

सितंबर 2024 में कुल 15 बिलियन UPI ट्रांजैक्शन में से, पीयर-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शन ने 62% का हिस्सा बनाया, जबकि पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांजैक्शन ने शेष 38% का योगदान दिया। हालाँकि, ट्रांजैक्शन वैल्यू के मामले में, P2P ट्रांजैक्शन का हिस्सा 72.5% से अधिक था, जबकि P2M ट्रांजैक्शन का योगदान शेष हिस्से के लिए था। यह बंटवारा यह दर्शाता है कि लोग P2P ट्रांजैक्शन में बड़ी रकम ट्रांसफर करते हैं, जबकि P2M का उपयोग अधिकतर छोटे भुगतानों के लिए किया जाता है।

UPI का बढ़ता प्रभाव

UPI का यह प्रभाव न केवल बड़े शहरों में, बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। डिजिटल भुगतान के इस प्रसार ने कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में भारत के कदम को तेज कर दिया है। UPI ने आम जनता के लिए वित्तीय समावेशन को आसान बनाया है, और व्यापारियों को भी अपने लेन-देन में अधिक पारदर्शिता और सरलता प्रदान की है।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

UPI के इस निरंतर विकास के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। साइबर सुरक्षा और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि के कारण NPCI और अन्य वित्तीय संस्थाओं को मजबूत सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे। इसके अलावा, ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसे दूर करने के लिए सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर काम करना होगा।

निष्कर्ष

सितंबर 2024 में UPI का 15 बिलियन ट्रांजैक्शन का आंकड़ा पार करना, डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर है। PhonePe और Google Pay जैसी कंपनियों ने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी है, जबकि नए खिलाड़ी भी अपनी जगह बना रहे हैं। UPI का बढ़ता प्रभाव यह संकेत देता है कि आने वाले समय में भारत में डिजिटल भुगतान का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा, और यह वित्तीय समावेशन और पारदर्शिता को और अधिक मजबूत बनाएगा।

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Jio Cinema Crosses 1.6 Crore Paid Subscribers- जियो सिनेमा ने 1.6 करोड़ पेड सब्सक्राइबर का माइलस्टोन पार किया

Jio cinema

Jio Cinema नेटवर्क18 ने के पेड यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी का कारण किफायती मंथली सब्सक्रिप्शन प्लान्स और कंटेंट कैटलॉग को बताया है।
कंपनी ने कहा कि डिजिटल-फर्स्ट रियलिटी शो और इंटरनेशनल कंटेंट कैटलॉग ने सब्सक्राइबर की संख्या में अहम भूमिका निभाई है।
यह विकास ऐसे समय में हो रहा है जब रिलायंस इंडस्ट्रीज, वायकॉम18 और द वॉल्ट डिज़नी कंपनी के मर्जर की प्रक्रिया जारी है।

रिलायंस का स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जियोसिनेमा ने सितंबर 2024 के अंत तक 1.6 करोड़ पेड सब्सक्राइबर का आंकड़ा पार कर लिया है।

दूसरी तिमाही (Q2) का अपडेट: नेटवर्क18 की दूसरी तिमाही (Q2) के फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (FY25) की रिपोर्ट के अनुसार, ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म ने पिछली तिमाही की तुलना में 2X वृद्धि दर्ज की है।
कंपनी ने कहा कि सब्सक्राइबर की इस वृद्धि का मुख्य कारण किफायती मंथली सब्सक्रिप्शन प्लान्स और विस्तारित कंटेंट कैटलॉग है।

सब्सक्रिप्शन प्लान्स का असर: नेटवर्क18 के BSE फाइलिंग के अनुसार, “जियोसिनेमा ने INR 29 प्रति महीने और INR 89 प्रति महीने (फैमिली प्लान) के किफायती सब्सक्रिप्शन प्लान्स की वजह से 16 मिलियन पेड सब्सक्राइबर्स का आंकड़ा पार किया और यह सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला OTT प्लेटफॉर्म बन गया।”
इस प्लानिंग के साथ, जियोसिनेमा का कंटेंट कैटलॉग भी बढ़ता जा रहा है, जिसमें डिजिटल-फर्स्ट रियलिटी शो और इंटरनेशनल कंटेंट प्रमुख हैं।

गैर-क्रिकेट खेलों में बढ़ती रुचि: पेरिस ओलंपिक्स 2024 की व्यापक कवरेज और क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में बढ़ती दिलचस्पी ने भी यूजर एंगेजमेंट को बढ़ावा दिया है।
नेटवर्क18 के अनुसार, “जियोसिनेमा पर यूजर्स का औसत एंगेजमेंट प्रतिदिन 50 मिनट से अधिक हो गया है।”
इसके साथ ही, यह OTT प्लेटफॉर्म दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में देश का सबसे तेज़ी से बढ़ता सब्सक्रिप्शन-बेस्ड प्लेटफॉर्म बन गया है।

सब्सक्रिप्शन प्लान की रणनीति: रिलायंस द्वारा संचालित इस OTT प्लेटफॉर्म ने अप्रैल 2024 में INR 29 प्रति महीने का सब्सक्रिप्शन प्लान लॉन्च किया था, जो कि इंडस्ट्री के औसत प्लान (Zee5, SonyLiv, Disney+ Hotstar के प्रीमियम प्लान्स के INR 103 प्रति महीने और Netflix प्रीमियम प्लान के INR 358) से काफी सस्ता था।

बड़ी मीडिया कंपनियों का मर्जर: यह तेजी ऐसे समय में आ रही है जब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), वायकॉम 18 और वॉल्ट डिज़नी कंपनी अपनी ऑपरेशन्स का मर्जर कर रही हैं।
यह मर्जर एक संयुक्त उद्यम (JV) के तहत $8.5 बिलियन मूल्य का होगा, जो 117 टीवी चैनल्स और 75 करोड़ दर्शकों को कवर करेगा।
इस मर्जर के अंतर्गत जियोसिनेमा और Disney+ Hotstar जैसे प्रमुख OTT प्लेटफॉर्म्स भी शामिल होंगे।

प्रमुख मीडिया सौदे: जियोसिनेमा ने अपने ऑपरेशन्स को पिछले दो सालों में काफी बढ़ाया है।
इस दौरान, कंपनी ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के स्ट्रीमिंग अधिकार हासिल किए और HBO तथा NBCUniversal जैसे अमेरिकन स्टूडियोज के साथ शो के लिए पार्टनरशिप की।
यह कदम जियोसिनेमा की स्थिति को और मज़बूत करने में मददगार साबित हुआ है।

Jio Cinema किफायती सब्सक्रिप्शन प्लान्स, विस्तारित कंटेंट लाइब्रेरी और डिजिटल-फर्स्ट कंटेंट के चलते जियोसिनेमा का ग्रोथ जारी है।
रिलायंस, वायकॉम 18 और डिज़नी का मर्जर OTT मार्केट में और भी बड़ा प्रभाव डालेगा, और जियोसिनेमा इस मर्जर के बाद एक और बड़ी सफलता की ओर अग्रसर है।

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Top 27 Funded Startups: 27 सबसे ज़्यादा फंडिंग प्राप्त करने वाले स्टार्टअप्स

Top 27 Funded Startups

भारत के 27 सबसे ज़्यादा फंडिंग प्राप्त करने वाले स्टार्टअप्स

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ रहा है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भारतीय स्टार्टअप्स में गहरी रुचि दिखा रहे हैं। यहां भारत के Top 27 Funded Startups की सूची दी गई है।

Ola Cabs

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $3.8 बिलियन
  • विवरण: ओला कैब्स एक राइड-हेलिंग प्लेटफार्म है जो कैब, बाइक और अन्य वाहनों की बुकिंग की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

OYO

  • उद्योग: यात्रा और पर्यटन
  • कुल फंडिंग: $3.2 बिलियन
  • विवरण: ओयो एक होटल चेन है जो किफायती और आरामदायक स्टे की सुविधा प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

ReNew Power

  • उद्योग: ऊर्जा
  • कुल फंडिंग: $2.8 बिलियन
  • विवरण: ReNew Power भारत की प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी है, जो सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में काम करती है।
  • वेबसाइट

Snapdeal

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $1.8 बिलियन
  • विवरण: स्नैपडील एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म है जो फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उत्पादों की खरीदारी की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

Swiggy

  • उद्योग: खाद्य और पेय
  • कुल फंडिंग: $1.6 बिलियन
  • विवरण: स्विगी एक फूड डिलीवरी प्लेटफार्म है जो रेस्त्रां से खाने की डिलीवरी की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

BYJU’S

  • उद्योग: शिक्षा
  • कुल फंडिंग: $1.4 बिलियन
  • विवरण: बायजूस एक ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म है जो बच्चों और छात्रों को शिक्षा सेवाएं प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

BigBasket

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $1.1 बिलियन
  • विवरण: बिगबास्केट एक ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर है जो ताजे फल, सब्जियाँ और घरेलू उत्पादों की डिलीवरी करता है।
  • वेबसाइट

Delhivery

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $934.6 मिलियन
  • विवरण: डेल्हिवरी एक सप्लाई चेन सर्विस कंपनी है जो लॉजिस्टिक और पार्सल डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है।
  • वेबसाइट

Zomato

  • उद्योग: खाद्य और पेय
  • कुल फंडिंग: $914.6 मिलियन
  • विवरण: ज़ोमैटो एक रेस्त्रां सर्च और रिव्यू प्लेटफार्म है, जो खाने की डिलीवरी और टेबल बुकिंग सेवाएं भी देता है।
  • वेबसाइट

Udaan

  • उद्योग: ई-कॉमर्स
  • कुल फंडिंग: $899.9 मिलियन
  • विवरण: उदान एक B2B मार्केटप्लेस है जो छोटे और मध्यम व्यवसायों को जोड़ता है।
  • वेबसाइट

Grofers

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $597.1 मिलियन
  • विवरण: ग्रोफर्स एक ऑनलाइन सुपरमार्केट है जो रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे कि ग्रोसरी और स्वास्थ्य उत्पादों की डिलीवरी करता है।
  • वेबसाइट

Policy Bazaar

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $496.6 मिलियन
  • विवरण: पॉलिसी बाजार एक बीमा एग्रीगेटर है जो विभिन्न पॉलिसियों की तुलना और चयन की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

Lenskart

  • उद्योग: स्वास्थ्य सेवा
  • कुल फंडिंग: $459.6 मिलियन
  • विवरण: लेंसकार्ट एक आईवियर रिटेल कंपनी है जो चश्मे और ऑप्टिकल प्रोडक्ट्स की बिक्री करती है।
  • वेबसाइट

Quikr

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $424.2 मिलियन
  • विवरण: क्विकर एक ऑनलाइन क्लासीफाइड और मार्केटप्लेस है जो खरीदी और बिक्री की सुविधा प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

FirstCry

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $418.4 मिलियन
  • विवरण: फर्स्टक्राई एक बेबी प्रोडक्ट्स ई-कॉमर्स प्लेटफार्म है जो खिलौने, कपड़े और अन्य शिशु उत्पाद बेचता है।
  • वेबसाइट

PharmEasy

  • उद्योग: स्वास्थ्य सेवा
  • कुल फंडिंग: $328.5 मिलियन
  • विवरण: फार्मईज़ी एक ऑनलाइन फ़ार्मेसी प्लेटफार्म है जो दवाइयाँ और स्वास्थ्य उत्पादों की डिलीवरी करता है।
  • वेबसाइट

InMobi

  • उद्योग: एंटरप्राइज़ सॉफ़्टवेयर
  • कुल फंडिंग: $320.6 मिलियन
  • विवरण: इनमोबी एक मोबाइल विज्ञापन प्लेटफार्म है जो विभिन्न डिजिटल मार्केटिंग सेवाएं देता है।
  • वेबसाइट

Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Pine Labs

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $310.8 मिलियन
  • विवरण: पाइन लैब्स एक फिनटेक कंपनी है जो रिटेल पेमेंट और फाइनेंसिंग सेवाओं में काम करती है।
  • वेबसाइट

Blackbuck

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $297 मिलियन
  • विवरण: ब्लैकबक एक लॉजिस्टिक प्लेटफार्म है जो ट्रकिंग और माल ढुलाई सेवाएं प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

Rivigo

  • उद्योग: लॉजिस्टिक्स
  • कुल फंडिंग: $257.4 मिलियन
  • विवरण: रिविगो एक टेक्नोलॉजी-आधारित लॉजिस्टिक कंपनी है जो फास्ट और सुरक्षित माल ढुलाई सेवाएं प्रदान करती है।
  • वेबसाइट

CarDekho

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $247.5 मिलियन
  • विवरण: कारदेखो एक नई और पुरानी कारों के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जो कारों की तुलना, समीक्षा और खरीदने-बेचने की सुविधा प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

Lendingkart

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $242.5 मिलियन
  • विवरण: लेंडिंगकार्ट छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को तेज़ और सरल ऋण प्रदान करता है।
  • वेबसाइट

Billdesk

  • उद्योग: वित्तीय सेवाएँ
  • कुल फंडिंग: $241.4 मिलियन
  • विवरण: बिलडेस्क भारत में ऑनलाइन पेमेंट और बिल भुगतान सेवाओं का एक अग्रणी प्लेटफार्म है।
  • वेबसाइट

ShareChat

  • उद्योग: सोशल नेटवर्क
  • कुल फंडिंग: $222.8 मिलियन
  • विवरण: शेयरचैट एक भारतीय सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म है जो यूज़र्स को क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट शेयर और कनेक्ट करने की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

Meesho

  • उद्योग: वाणिज्य
  • कुल फंडिंग: $215.2 मिलियन
  • विवरण: मीशो एक सोशल कॉमर्स प्लेटफार्म है, जो छोटे विक्रेताओं को उनके उत्पाद ऑनलाइन बेचने की सुविधा देता है।
  • वेबसाइट

Mu Sigma

  • उद्योग: डेटा और एनालिटिक्स
  • कुल फंडिंग: $211.4 मिलियन
  • विवरण: म्यु सिग्मा एक डेटा एनालिटिक्स और निर्णय विज्ञान कंपनी है, जो विभिन्न उद्योगों को बड़े डेटा का उपयोग करके समाधान प्रदान करती है।
  • वेबसाइट

Cars24

  • उद्योग: परिवहन
  • कुल फंडिंग: $193.8 मिलियन
  • विवरण: कार्स24 एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहां यूज़र अपनी पुरानी कारें बेच सकते हैं।
  • वेबसाइट

अन्य प्रमुख स्टार्टअप्स में Swiggy, BYJU’s, Zomato, Delhivery, और BigBasket शामिल हैं, जो खाद्य वितरण, शिक्षा, लॉजिस्टिक्स और ऑनलाइन ग्रॉसरी में काम करते हैं। यह सूची दिखाती है कि भारत में विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को भारी फंडिंग मिली है और वे तेजी से बढ़ रहे हैं।

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Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Top 20 Failed स्टार्टअप्स in India

Top 20 Failed स्टार्टअप्स

यहां भारत की शीर्ष 20 असफल स्टार्टअप्स का एक संक्षिप्त विवरण है, जिन्हें उनके समय में बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू किया गया था, लेकिन किसी न किसी कारण से विफल रहीं:

Top 20 Failed स्टार्टअप्स List

AskMe
एक लोकल सर्च इंजन जो सेवाओं, शॉपिंग और अन्य जरूरतों के लिए जानकारी देता था। फंडिंग की कमी और प्रबंधन विवादों के चलते 2016 में बंद हो गया।

TinyOwl
फूड डिलीवरी ऐप जिसने 2014 में बड़े जोर-शोर से शुरुआत की। लेकिन ऑपरेशनल खर्चों और खराब प्रबंधन के चलते इसे 2016 में बंद करना पड़ा।

Stayzilla
होमस्टे और बजट होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म जिसने एयरबीएनबी जैसी सेवा देने की कोशिश की। फंडिंग और कानूनी विवादों के चलते 2017 में बंद हो गया।

Dazo
पहले TapCibo के नाम से शुरू किया गया यह फूड डिलीवरी स्टार्टअप 2015 में बंद हो गया, क्योंकि यह जोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी कंपनियों से मुकाबला नहीं कर पाया।

Zeppery
फूड प्री-ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म जो 2015 में लॉन्च हुआ था। लेकिन इसे पर्याप्त ग्राहक आधार नहीं मिला और यह जल्द ही बंद हो गया।

Peppertap
एक ग्रोसरी डिलीवरी ऐप, जिसने ग्रोफर्स और बिगबास्केट जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की। लॉजिस्टिक्स की समस्याओं और ज्यादा खर्चों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Frankly.me
एक वीडियो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म जो सेलेब्रिटी और फैंस को जोड़ने का प्रयास करता था। पर्याप्त यूजर एंगेजमेंट नहीं होने के कारण 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

Tazzo
इलेक्ट्रिक बाइक रेंटल स्टार्टअप, जो 2016 में शुरू हुआ था। निवेश की कमी और खराब स्केलेबिलिटी के चलते जल्द ही इसका संचालन रुक गया।

Fashionara
एक फैशन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जिसने Myntra और Jabong जैसी कंपनियों से मुकाबला किया। लेकिन प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समस्याओं के कारण 2016 में बंद हो गया।

Shotang
यह बी2बी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस था, जो रिटेलर्स और वितरकों को जोड़ता था। लेकिन खराब बिजनेस मॉडल और संचालन की समस्याओं के चलते यह 2017 में बंद हो गया।
Yumist
फूड डिलीवरी स्टार्टअप जो ऑफिस और घर के लिए किफायती, घरेलू खाना देने की सेवा प्रदान करता था। 2017 में इसे ऑपरेशनल खर्चों और प्रतिस्पर्धा के चलते बंद करना पड़ा।

StayGlad
ऑन-डिमांड ब्यूटी और ग्रूमिंग सर्विसेज ऐप, जिसने ब्यूटीशियनों को ग्राहकों के घर भेजने का कॉन्सेप्ट पेश किया। लेकिन ज्यादा ऑपरेशनल खर्चों और मार्केट की समझ की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Finomena
यह एक फिनटेक स्टार्टअप था, जो युवा प्रोफेशनल्स को बिना क्रेडिट स्कोर के लोन देने की सुविधा प्रदान करता था। फंडिंग की कमी और खराब क्रेडिट रिकवरी के कारण 2018 में इसे बंद करना पड़ा।

Zupermeal
होम-कुक्ड फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म, जो घरों में बने खाने को ग्राहकों तक पहुंचाता था। लेकिन Swiggy और Zomato जैसी बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के कारण 2016 में बंद हो गया।

MonkeyBox
बच्चों के लिए हेल्दी लंच बॉक्स डिलीवरी स्टार्टअप था। अच्छे कॉन्सेप्ट के बावजूद यह कस्टमर बेस बढ़ाने में नाकाम रहा और 2018 में बंद हो गया।

Roder
कैब एग्रीगेटर जो छोटे शहरों में ओला और उबर जैसी सेवाओं को चुनौती देने के लिए आया था। लेकिन बड़े ब्रांड्स से प्रतिस्पर्धा और फंडिंग की कमी के चलते 2016 में बंद हो गया।

Grabhouse
बिना ब्रोकर के किराए पर घर लेने का प्लेटफॉर्म था। हालांकि आइडिया अच्छा था, लेकिन बिजनेस मॉडल और मार्केट की चुनौतियों की वजह से 2016 में इसे बंद करना पड़ा।

iTiffin
हेल्दी टिफिन सेवा देने वाला यह स्टार्टअप हेल्थ कॉन्शियस लोगों को टारगेट कर रहा था। लॉजिस्टिक्स और बढ़ते खर्चों के चलते 2016 में यह बंद हो गया।

Taskbob
ऑन-डिमांड होम सर्विसेज प्लेटफॉर्म, जो घर के छोटे-मोटे कामों जैसे इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर आदि की सेवाएं देता था। बाजार में पैठ न बना पाने के कारण 2017 में इसे बंद करना पड़ा।

GoZoomo
यह एक पीयर-टू-पीयर यूज्ड कार मार्केटप्लेस था। फंडिंग की कमी और व्यवसायिक चुनौतियों के चलते 2016 में बंद हो गया।

Top 20 स्टार्टअप विफलता के कारण?

स्टार्टअप की विफलता के कई कारण होते हैं, और हर स्टार्टअप का अनुभव अलग हो सकता है। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जिनकी वजह से स्टार्टअप्स असफल हो जाते हैं। आइए देखें कुछ मुख्य कारण:

1. मार्केट की मांग न समझ पाना

कई स्टार्टअप्स ऐसे प्रोडक्ट या सेवाएं पेश करते हैं जिनकी बाजार में सही मांग नहीं होती। ग्राहकों की समस्याओं को सही से पहचान न पाने के कारण उनकी पेशकश बेअसर हो जाती है।

2. पूंजी और फंडिंग की कमी

स्टार्टअप को बढ़ने और स्केल करने के लिए पर्याप्त पूंजी की जरूरत होती है। कई स्टार्टअप्स को समय पर निवेश नहीं मिल पाता, या वे तेजी से अपने पैसे खत्म कर देते हैं, जिससे उन्हें अपना संचालन बंद करना पड़ता है।

3. गलत बिजनेस मॉडल

यदि स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल सही नहीं होता या वो मुनाफे वाला नहीं होता, तो कंपनी लंबे समय तक टिक नहीं पाती। ऐसे मॉडल जो फंडिंग के बिना खुद को सस्टेन नहीं कर सकते, अक्सर असफल हो जाते हैं।

4. कड़ी प्रतिस्पर्धा

कई स्टार्टअप्स बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिनके पास अधिक संसाधन, ग्राहक आधार और मार्केट एक्सपर्टीज होती है। इससे नई कंपनियों के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल हो जाता है।

5. प्रोडक्ट का खराब निष्पादन

कई बार प्रोडक्ट या सेवा का आईडिया अच्छा होता है, लेकिन उसे सही से डिलीवर या निष्पादित नहीं किया जाता। इससे ग्राहकों की संतुष्टि नहीं होती और स्टार्टअप की छवि खराब हो जाती है।

6. कमजोर टीम

एक स्टार्टअप की सफलता उसकी टीम पर निर्भर करती है। यदि टीम में स्किल्स की कमी हो या आपस में तालमेल न हो, तो यह कंपनी के लिए विनाशकारी हो सकता है। खराब नेतृत्व या प्रबंधन भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

7. लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल समस्याएं

कई स्टार्टअप्स के पास अपने ऑपरेशंस को ठीक से मैनेज करने की क्षमता नहीं होती, जैसे डिलीवरी में देरी, खराब सप्लाई चैन, या ग्राहकों की सही सेवा न कर पाना। इससे ग्राहक असंतुष्ट हो जाते हैं।

8. मार्केटिंग और ग्राहक अधिग्रहण की रणनीति की कमी

स्टार्टअप्स के लिए ग्राहकों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। सही मार्केटिंग रणनीति न होने के कारण वे अपने टारगेट ऑडियंस तक नहीं पहुंच पाते।

9. बाजार में बदलाव

कई बार बाजार में अचानक बदलाव आते हैं—नई टेक्नोलॉजी, सरकारी नीतियां, या बदलते ट्रेंड्स—जिससे स्टार्टअप्स अपने बिजनेस मॉडल को एडजस्ट नहीं कर पाते और असफल हो जाते हैं।

10. लीगल और रेगुलेटरी चुनौतियां

कानूनी समस्याएं या सरकारी नियमों में बदलाव भी कई बार स्टार्टअप्स के लिए बड़ी चुनौती बन जाते हैं। सही कानूनी सलाह न मिलने या रेगुलेटरी बाधाओं के चलते कई स्टार्टअप्स को बंद करना पड़ता है।

इन कारणों से यह स्पष्ट है कि स्टार्टअप की सफलता केवल एक अच्छे आइडिया पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसे सही तरह से निष्पादित करना और मार्केट की मांग के अनुसार ढलना भी जरूरी होता है।

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Social Hardware ने जुटाए 3.2 करोड़ रुपये

Social Hardware

बेंगलुरु स्थित इनोवेशन स्टार्टअप सोशल हार्डवेयर ने अपनी सीड फंडिंग राउंड में 3.2 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Inflection Point Ventures ने किया, जिसमें Ivyleague Ventures और Soonicorn Ventures ने भी भाग लिया। इस धनराशि का उपयोग स्टार्टअप के विकास, बाजार रणनीतियों, मार्केटिंग और बिक्री टीमों के विस्तार, एक अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) सुविधा की स्थापना, इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं के विस्तार और R&D प्रयासों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा।

Social Hardware कंपनी की स्थापना और उद्देश्य

Social Hardware की स्थापना अभित कुमार, कैमरन नॉरिस, और राघवेंद्रन अरुणाचलम ने की थी। कंपनी का उद्देश्य सहायक उपकरण, बायोनिक्स, और फील्ड रोबोटिक्स का डिज़ाइन और विकास करना है। यह स्टार्टअप ख़ास तौर पर ऐसे टेली-ऑपरेटेड रोबोटिक सिस्टम बनाता है जो खतरनाक संचालन के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। सोशल हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा, और एयरोस्पेस उद्योगों में काम करती है, जहाँ इसका मकसद सुरक्षा और परिचालन क्षमता को बढ़ाना है।

टीम और स्थान

सोशल हार्डवेयर वर्तमान में 17 सदस्यीय टीम के साथ काम करती है। बेंगलुरु में इसके दो मुख्य कार्यालय हैं – एक कॉर्पोरेट ऑफिस हेब्बल में और एक R&D सुविधा राजाजीनगर में। कंपनी के पास 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए 12 यूनिट्स की उत्पादन क्षमता है, जिसे वह 2026 तक बढ़ाकर 36 यूनिट्स तक पहुँचाने की योजना बना रही है।

वित्तीय विवरण और भविष्य की योजनाएँ

सोशल हार्डवेयर की यह फंडिंग कंपनी के विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी। फंडिंग से न केवल उसकी R&D क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि कंपनी अपने मार्केटिंग और बिक्री नेटवर्क को भी मजबूत करेगी। कंपनी की योजना है कि वह अगले वित्तीय वर्षों में उत्पादन क्षमता को तीन गुना करे और इसके साथ ही अपनी वार्षिक आय को बढ़ाकर लगभग 24.76 करोड़ रुपये तक पहुँचाए।

फंडिंग मिलने के बाद, सोशल हार्डवेयर अब अपने उत्पादों और सेवाओं का विस्तार करते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रवेश की योजना बना रही है। इसके साथ ही कंपनी ने एक उन्नत R&D केंद्र स्थापित करने की भी योजना बनाई है, जिससे रोबोटिक्स और सहायक उपकरणों के क्षेत्र में नए नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा।

सहायक उपकरण और बायोनिक्स में नवाचार

सोशल हार्डवेयर के उत्पादों की सूची में प्रमुख रूप से टेली-ऑपरेटेड रोबोटिक सिस्टम शामिल हैं, जो मुश्किल और खतरनाक वातावरण में कार्य करने के लिए तैयार किए गए हैं। कंपनी के इन रोबोटिक सिस्टम का उपयोग न केवल औद्योगिक कार्यों में बल्कि रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में भी किया जा रहा है। इन प्रणालियों के माध्यम से कंपनियाँ न केवल अपने परिचालन को कुशल बना सकती हैं बल्कि सुरक्षा मानकों को भी बढ़ा सकती हैं।

उद्योग और साझेदारियाँ

सोशल हार्डवेयर की नवाचारी तकनीक और उत्पादों के कारण यह कंपनी प्रमुख उद्योगों में अपनी पहचान बना रही है। इसका उद्देश्य रोबोटिक्स तकनीक के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करना है। कंपनी ने विभिन्न साझेदारियों के माध्यम से अपने उत्पादों का विस्तार किया है और यह आने वाले समय में और भी नई साझेदारियाँ करने की योजना बना रही है।

फंडिंग से होने वाले प्रभाव

इस ताजा फंडिंग के साथ, सोशल हार्डवेयर अब अपनी विकास रणनीति को तेज़ी से लागू कर सकेगी। कंपनी की दीर्घकालिक योजनाओं में उत्पादन क्षमता का विस्तार और वैश्विक स्तर पर विस्तार शामिल हैं। इसके साथ ही, सोशल हार्डवेयर अपने ग्राहकों को और बेहतर सेवाएँ प्रदान करने के लिए अपने तकनीकी प्लेटफार्मों को भी उन्नत करने का इरादा रखती है।

निष्कर्ष

सोशल हार्डवेयर का लक्ष्य है सहायक उपकरण और रोबोटिक्स के क्षेत्र में अग्रणी बनना और इस नए फंडिंग राउंड से कंपनी को अपने लक्ष्य तक पहुँचने में काफी मदद मिलेगी। कंपनी ने जो नवाचार और तकनीकी समाधान पेश किए हैं, वे आने वाले समय में उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

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Onlygood.ai ने कार्बन प्रबंधन के लिए 4 करोड़ रुपये जुटाए

Onlygood.ai

Onlygood.ai, एक प्लेटफ़ॉर्म जो कार्बन प्रबंधन और स्थिरता रिपोर्टिंग को सरल बनाने पर केंद्रित है, ने सीड फंडिंग राउंड में 4 करोड़ रुपये (लगभग $500,000) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का सह-नेतृत्व IIT मद्रास इनक्यूबेशन सेल (IITMIC), गोयल ग्रुप, और डेमलर इंडिया कमर्शियल व्हीकल्स (DICV) ने किया। DICV ने इस फंडिंग में 1.5% इक्विटी हिस्सेदारी प्राप्त की है।

कंपनी का परिचय

Onlygood.ai की स्थापना 2022 में राजीव सिन्हा और विवेक मेहरा ने की थी। कंपनी का मुख्य उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन संकट का समाधान करना है। यह प्लेटफ़ॉर्म व्यवसायों को उनके कार्बन फुटप्रिंट को मापने, ट्रैक करने और उसे कम करने में मदद करता है, जिससे वे अधिक कुशल और स्थायी निर्णय ले सकें। Onlygood का प्रमुख उत्पाद है Decarb Navigator और Decarb X-celerator, जो कंपनियों को उनके डिकार्बोनाइजेशन यात्रा में सहयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

संस्थापकों की पृष्ठभूमि

राजीव सिन्हा और विवेक मेहरा दोनों ही पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के इस्तेमाल में गहरी रुचि रखते हैं। राजीव सिन्हा, जो एक अनुभवी इंजीनियर और टेक्नोलॉजिस्ट हैं, ने पहले भी कई तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म्स और सॉल्यूशंस विकसित किए हैं। विवेक मेहरा का अनुभव वित्तीय प्रबंधन और रणनीतिक विकास में है, जिससे कंपनी की संचालन क्षमता और आर्थिक स्थिरता को बल मिला है।

कंपनी की वित्तीय स्थिति

Onlygood.ai का मुख्य राजस्व मॉडल कंपनियों को उनके कार्बन फुटप्रिंट की निगरानी और रिपोर्टिंग में सहायता करने पर आधारित है। इस सीड फंडिंग राउंड में जुटाई गई 4 करोड़ रुपये की राशि कंपनी को अपने ऑपरेशंस को भारत और मध्य पूर्व में विस्तार करने में मदद करेगी। इसके साथ ही कंपनी 2024 में यूरोप में भी विस्तार की योजना बना रही है। इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा टीम को सशक्त बनाने, उत्पाद सुविधाओं को सुधारने और तकनीकी ढांचे को मज़बूत करने में लगाया जाएगा।

उद्योग में Onlygood.ai की भूमिका

Onlygood.ai ने 2022 में अपने बीटा प्लेटफार्म की शुरुआत की और तब से Maruti-Suzuki और DICV जैसे बड़े उद्योग खिलाड़ियों के साथ साझेदारी की है। यह प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों को BRSR, CSRD, और CBAM जैसे फ़ार्मेट में कार्बन रिपोर्टिंग के अनुपालन में मदद करता है। इसके अलावा, यह ऑटो-हुक्स फीचर्स प्रदान करता है जो कंपनियों को कानूनी अनुपालनों में सहयोग करते हैं, जिससे वे अपने स्थायित्व लक्ष्यों को अधिक आसानी से प्राप्त कर सकें।

विस्तार की योजना

Onlygood.ai अब अपने प्लेटफ़ॉर्म के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कंपनी का उद्देश्य भारत और मध्य पूर्व में अपनी सेवाओं को और बढ़ाना है, साथ ही 2024 में यूरोप के बाजार में प्रवेश करना भी शामिल है। कंपनी की योजना नई तकनीकी क्षमताओं को जोड़ने और अपनी टीम का विस्तार करने की है ताकि वह अपने ग्राहकों को और बेहतर सेवाएं प्रदान कर सके।

Onlygood.ai की अनूठी विशेषताएँ

Onlygood का Decarb Navigator प्लेटफार्म उपयोगकर्ताओं को उनके कार्बन फुटप्रिंट को ट्रैक करने और रिपोर्ट तैयार करने में मदद करता है। यह प्लेटफ़ॉर्म ऑटोमेटेड रिपोर्टिंग टूल्स, रणनीतिक मार्गदर्शन और कंप्लायंस मॉनिटरिंग फीचर्स प्रदान करता है, जिससे कंपनियां अपने कार्बन उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से कम कर सकती हैं। Decarb Navigator की खास बात यह है कि यह कंपनियों को न केवल रिपोर्टिंग में मदद करता है, बल्कि उन्हें अधिक टिकाऊ बनने के लिए जरूरी कदम भी सुझाता है।

महत्वपूर्ण साझेदारियाँ

Onlygood.ai ने कई प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जिनमें Maruti-Suzuki और DICV प्रमुख हैं। इन साझेदारियों ने कंपनी को कार्बन प्रबंधन और स्थिरता के क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत करने में मदद की है। Onlygood का प्लेटफ़ॉर्म इन कंपनियों को उनके कार्बन उत्सर्जन को मापने और कम करने में सहायता प्रदान करता है, जिससे वे अपने पर्यावरणीय लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

भविष्य की संभावनाएँ

सस्टेनेबिलिटी और कार्बन प्रबंधन की बढ़ती मांग को देखते हुए, Onlygood.ai के पास एक बड़े पैमाने पर बढ़ने की संभावनाएँ हैं। कंपनी की तकनीकी विशेषज्ञता और उसके उत्पादों की उपयोगिता ने इसे इस क्षेत्र में एक मजबूत खिलाड़ी बना दिया है। इसके उत्पाद न केवल कंपनियों को कार्बन फुटप्रिंट रिपोर्टिंग में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें स्थायित्व के दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहयोग करते हैं।

निष्कर्ष

Onlygood.ai ने कार्बन प्रबंधन और स्थिरता रिपोर्टिंग के क्षेत्र में अपनी अनूठी सेवाओं और उत्पादों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। इसके संस्थापक राजीव सिन्हा और विवेक मेहरा की दूरदर्शिता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता ने कंपनी को तेज़ी से विकास की दिशा में अग्रसर किया है। नवीनतम सीड फंडिंग से कंपनी को अपनी सेवाओं का विस्तार करने और तकनीकी ढांचे को और अधिक मजबूत करने में मदद मिलेगी।

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Haber ने सीरीज C राउंड में 317.2 करोड़ रुपये जुटाए

Haber

पुणे स्थित औद्योगिक रोबोटिक्स निर्माता Haber ने अपने सीरीज C फंडिंग राउंड में 317.2 करोड़ रुपये (लगभग $38 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Creaegis ने किया, जिसमें Accel India और BEENEXT Capital ने भी भाग लिया। तीन साल के अंतराल के बाद यह नई फंडिंग मिली है।

कंपनी की स्थापना और उद्देश्य

Haber की स्थापना 2017 में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों में मैन्युअल कार्यों को स्वचालित करना है। कंपनी का प्रमुख उत्पाद AI-संचालित औद्योगिक रोबोट है जो फैक्टरियों में नमूना संग्रह, माप, विश्लेषण और हस्तक्षेप जैसे श्रम-गहन कार्यों को स्वचालित करता है। ये रोबोट उद्योगों को रसायन, ऊर्जा और पानी की खपत कम करने में मदद करते हैं, जिससे उत्पादन की दक्षता में वृद्धि होती है।

संस्थापक और नेतृत्व

Haber की स्थापना सिद्धार्थ गरुड़ ने की थी, जो एक तकनीकी विशेषज्ञ हैं और उन्होंने औद्योगिक प्रक्रियाओं में नवाचार लाने के लिए AI और मशीन लर्निंग का उपयोग किया। कंपनी का मुख्यालय पुणे में है, और यह अपने AI-संचालित रोबोटिक्स सॉल्यूशंस के लिए तेजी से विकास कर रही है। सिद्धार्थ और उनकी टीम का मानना है कि Haber की तकनीक वैश्विक औद्योगिक चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता रखती है, खासकर उन उद्योगों में जहां उत्पादन प्रक्रिया जटिल और संसाधन-खपत वाली होती है।

निवेश और फंडिंग

इस फंडिंग राउंड में Creaegis ने 200.35 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि BEENEXT और Accel ने क्रमशः 83.5 करोड़ रुपये और 33.4 करोड़ रुपये का योगदान दिया। Haber ने अब तक कुल $65 मिलियन से अधिक फंडिंग जुटाई है, जिसमें 2021 में हुए सीरीज B राउंड में Ascent Capital के नेतृत्व में $20 मिलियन शामिल हैं। इस राउंड में Accel, Elevation, और Beenext भी निवेशक थे।

कंपनी की फंडिंग का उपयोग विस्तार, उत्पादन में वृद्धि, और अन्य पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा। इस नई फंडिंग के साथ Haber का पोस्ट-फंडिंग मूल्यांकन लगभग 1,242 करोड़ रुपये ($148 मिलियन) हो गया है।

मुख्य निवेशक और भागीदारियां

Haber में सबसे बड़ा बाहरी शेयरधारक Accel है, जो कंपनी में 18.1% हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद Creaegis और Elevation जैसे प्रमुख निवेशक हैं। इन सभी निवेशकों ने Haber की वृद्धि और औद्योगिक रोबोटिक्स में इसके तकनीकी नवाचारों के प्रति विश्वास दिखाया है।

Haber का औद्योगिक योगदान

Haber की तकनीक का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जिसमें खाद्य और पेय, कृषि, तेल और गैस उद्योग शामिल हैं। कंपनी की AI-संचालित रोबोटिक्स सॉल्यूशंस न केवल श्रम लागत को कम करते हैं, बल्कि रासायनिक उपयोग, ऊर्जा और पानी की खपत को भी नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

सिद्धार्थ गरुड़ के अनुसार, Haber की तकनीक उत्पादन की प्रक्रिया को अधिक कुशल और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहतर बनाने में सहायक है। इस तकनीक की मदद से उद्योगों को अपने संसाधनों का सही उपयोग करते हुए उत्पादन लागत कम करने का मौका मिलता है।

विस्तार और भविष्य की योजना

Haber की योजना इस फंडिंग का उपयोग अपने उत्पादों और सेवाओं का विस्तार करने में करेगी। इसके साथ ही, कंपनी अपने AI और मशीन लर्निंग के उपयोग को और उन्नत करने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। कंपनी का उद्देश्य अपने AI-आधारित रोबोटिक्स सॉल्यूशंस को और अधिक उद्योगों में लागू करना और वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को बढ़ाना है।

चुनौतियाँ और अवसर

Haber के सामने सबसे बड़ी चुनौती बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण की है। हालांकि, AI और रोबोटिक्स के क्षेत्र में इसके उन्नत सॉल्यूशंस ने इसे अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग खड़ा किया है। कंपनी के लिए अवसर विशेष रूप से उन उद्योगों में हैं, जहां पारंपरिक उत्पादन प्रक्रियाएं समय और संसाधनों की खपत अधिक करती हैं।

कंपनी का विकास और स्थिरता

Haber की प्रौद्योगिकी ने इसे उभरते हुए बाजारों में तेजी से बढ़ने में मदद की है। कंपनी ने स्थिरता और उत्पादन क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादों को डिजाइन किया है, जिससे उद्योगों को न केवल लागत कम करने में मदद मिलती है, बल्कि उनके पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

Haber की नवीन तकनीक और AI-संचालित रोबोटिक्स सॉल्यूशंस ने इसे औद्योगिक क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है। कंपनी की योजनाओं और निवेशकों के समर्थन से यह तेजी से वृद्धि कर रही है। Haber की प्रौद्योगिकी न केवल उत्पादन प्रक्रियाओं को स्वचालित करती है, बल्कि उद्योगों को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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