Biomaterials startup Ukhi ने प्री-सीड फंडिंग में जुटाए $1.2 मिलियन

Ukhi

दिल्ली स्थित Ukhi, जो कृषि अवशेषों से बायोडिग्रेडेबल जैव सामग्री (biomaterials) विकसित करने में विशेषज्ञ है, ने प्री-सीड फंडिंग राउंड में $1.2 मिलियन (लगभग ₹10 करोड़) जुटाए हैं।
इस राउंड में 100Unicorns ने मुख्य निवेशक के रूप में भाग लिया, जबकि Venture Catalysts और एंजेल निवेशक अवतार मोंगा ने भी इसमें योगदान दिया। इसके साथ ही, कंपनी को सिडबी (SIDBI) से डेट फंडिंग भी प्राप्त हुई है।


पहले का फंडिंग इतिहास

Ukhi ने इससे पहले एंजेल राउंड में $69,600 का निवेश जुटाया था। अब इस ताजा फंडिंग के जरिए कंपनी को अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।


फंडिंग का उपयोग

कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह पूंजी निम्नलिखित कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाएगी:

  1. उत्पादन क्षमता बढ़ाना
    • जैव सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल।
  2. मटीरियल रिसर्च में सुधार
    • नई और अधिक टिकाऊ सामग्री विकसित करने के लिए शोध को बढ़ावा।
  3. वैश्विक विस्तार
    • पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग समाधानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना।

Ukhi का परिचय और यात्रा

स्थापना और संस्थापक

Ukhi की स्थापना 2019 में प्रियंका चौहान, विशाल विवेक, और सुनीप कुमार त्यागी ने की थी।

  • कंपनी का मुख्य उद्देश्य कृषि अवशेषों का उपयोग करके बायोडिग्रेडेबल सामग्री विकसित करना है।
  • यह हरियाणा और उत्तराखंड में संचालित होती है।

विशेषज्ञता

Ukhi विशेष रूप से पेटेंट-लंबित तकनीक का उपयोग करती है, जो लिग्नोसेलुलोसिक कृषि अवशेषों का फायदा उठाती है।

  • यह तकनीक टिकाऊ और बड़े पैमाने पर उत्पादन योग्य सामग्री बनाने में सक्षम है।
  • कंपनी के उत्पाद पारंपरिक प्लास्टिक का एक व्यावहारिक विकल्प प्रस्तुत करते हैं।

उत्पाद और योगदान

Ukhi ने एक ऐसा बायोडिग्रेडेबल बायोमटीरियल विकसित किया है, जो टिकाऊ पैकेजिंग उत्पादों के निर्माण के लिए आधारभूत सामग्री के रूप में काम करता है।

सतत विकास के प्रति योगदान

  • प्लास्टिक प्रदूषण कम करना:
    कंपनी के उत्पाद पारंपरिक प्लास्टिक को बदलने की क्षमता रखते हैं।
  • फसल जलाने से बचाव:
    कृषि अवशेषों का उपयोग करके किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
  • सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा:
    टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करके अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।

पैकेजिंग उद्योग के लिए समाधान

Ukhi के उत्पाद न केवल पर्यावरण-अनुकूल हैं, बल्कि वे पैकेजिंग उद्योग को अधिक टिकाऊ विकल्प प्रदान करने में मदद कर रहे हैं।


बायोमटीरियल्स और पर्यावरण का महत्व

जैव सामग्री का उपयोग क्यों?

  1. बायोडिग्रेडेबल:
    • पारंपरिक प्लास्टिक के विपरीत, जैव सामग्री प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है।
  2. कृषि अवशेषों का पुनः उपयोग:
    • यह सामग्री किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करती है।
  3. ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में मदद:
    • प्लास्टिक प्रदूषण को कम करके कार्बन उत्सर्जन को घटाने में योगदान।

प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या

विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है। भारत में भी हर साल करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा होता है, जिसमें से अधिकांश लैंडफिल या समुद्र में चला जाता है।

  • जैव सामग्री जैसे उत्पाद इस समस्या का समाधान हो सकते हैं।

फंडिंग से वैश्विक विस्तार की योजना

Ukhi की योजना इस फंडिंग के जरिए अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतारने की है।

  • कंपनी वैश्विक स्तर पर टिकाऊ पैकेजिंग समाधानों की बढ़ती मांग का लाभ उठाना चाहती है।
  • इसके साथ ही, यह अपने रिसर्च और डेवलपमेंट को मजबूत करके नए बाजारों में विस्तार करेगी।

सस्टेनेबिलिटी और स्टार्टअप्स का भविष्य

भारत में टिकाऊ स्टार्टअप्स का भविष्य उज्ज्वल है।

  • सरकार की नीतियाँ और सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध जैसी पहलों ने पर्यावरण-अनुकूल समाधानों की माँग को बढ़ावा दिया है।
  • Ukhi जैसे स्टार्टअप्स इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

सर्कुलर इकोनॉमी का महत्व

Ukhi का मॉडल सर्कुलर इकोनॉमी पर आधारित है, जो संसाधनों के पुन: उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देता है। यह मॉडल पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के लिए आदर्श है।


निष्कर्ष

Ukhi ने प्री-सीड फंडिंग में $1.2 मिलियन जुटाकर यह साबित कर दिया है कि टिकाऊ समाधानों में अपार संभावनाएँ हैं।

  • कंपनी का फोकस न केवल पर्यावरण को बचाने पर है, बल्कि यह किसानों और उद्योगों को सशक्त बनाने पर भी केंद्रित है।
  • टिकाऊ पैकेजिंग, प्लास्टिक प्रदूषण में कमी और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देकर, Ukhi भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार है।

आने वाले समय में, Ukhi जैसे स्टार्टअप्स से पर्यावरण-अनुकूल नवाचारों की और भी अधिक उम्मीद की जा सकती है।

Read more : Fullerton ने संकटग्रस्त Lendingkart का किया अधिग्रहण

Fullerton ने संकटग्रस्त Lendingkart का किया अधिग्रहण,

Lendingkart

सिंगापुर की टेमासेक होल्डिंग्स की सहायक कंपनी Fullerton (Fullerton) ने हाल ही में भारतीय फिनटेक कंपनी Lendingkart का अधिग्रहण कर लिया है। यह अधिग्रहण संकटग्रस्त परिस्थितियों में किया गया, जिसके तहत कंपनी का वैल्यूएशन घटकर लगभग $100 मिलियन (लगभग ₹800 करोड़) रह गया। यह राशि कंपनी के अपने शीर्ष वैल्यूएशन $690 मिलियन के मुकाबले बहुत कम है।


Lendingkart की वित्तीय स्थिति: FY24 में प्रदर्शन

राजस्व में वृद्धि

  • FY24 में Lendingkart का ऑपरेटिंग राजस्व 36% बढ़कर ₹1,090 करोड़ हो गया, जो FY23 में ₹798 करोड़ था।
  • कंपनी का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) FY24 में 6% गिरा, जिससे कंपनी की मुनाफाखोरी पर असर पड़ा।

मुख्य राजस्व स्रोत

Lendingkart, एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है, जो छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) को वर्किंग कैपिटल और बिज़नेस लोन प्रदान करती है।

  • सह-ऋण (Co-lending):
    सह-ऋण राजस्व का मुख्य स्रोत रहा, जिसमें 88% की वृद्धि दर्ज की गई। FY24 में इससे ₹591 करोड़ की कमाई हुई, जो कुल ऑपरेटिंग राजस्व का 54% है।
  • टर्म लोन पर ब्याज:
    टर्म लोन से ब्याज आय FY24 में 2.86% घटकर ₹407.81 करोड़ रह गई।
  • कमीशन इनकम:
    कमीशन इनकम में 34 गुना की वृद्धि हुई, और यह ₹22.58 करोड़ तक पहुँच गई।
  • अन्य ऑपरेटिंग आय:
    अन्य गतिविधियों से ₹69.15 करोड़ की आय हुई।

Lendingkart का व्यवसाय मॉडल और योगदान

लोन वितरण और टारगेट सेगमेंट

Lendingkart मुख्य रूप से MSMEs को लोन उपलब्ध कराता है, जिनका औसत टिकट साइज ₹5 लाख से ₹6 लाख के बीच होता है।

  • अब तक, कंपनी ने ₹18,700 करोड़ से अधिक का ऋण 3 लाख से अधिक व्यवसायों को वितरित किया है।
  • इसकी सेवा भारत के कई टियर 2 और टियर 3 शहरों तक फैली हुई है, जिससे छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता मिलती है।

NBFC सेक्टर में स्थिति

NBFC सेक्टर में Lendingkart का स्थान प्रमुख रहा है, लेकिन हालिया समय में प्रतिस्पर्धा और ऋण वसूली की चुनौतियों ने इसकी स्थिति कमजोर कर दी।


FY24 में खर्च और घाटे का विश्लेषण

खर्च के मुख्य क्षेत्र

कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि ऋण वसूली में कमी और बढ़ते ऑपरेटिंग खर्च ने इसके मुनाफे पर असर डाला।

  • टर्म लोन पर ब्याज में गिरावट ने भी राजस्व में कमी की।
  • मार्केटिंग और कर्मचारी लाभ जैसे खर्च स्थिर रहे, लेकिन अन्य अनियंत्रित खर्चों ने घाटे को बढ़ाया।

PAT में गिरावट के कारण

FY24 में कंपनी का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) 6% कम हो गया। हालांकि, यह संख्या FY25 के अंतिम वित्तीय आंकड़ों से अधिक स्पष्ट हो सकेगी।


अधिग्रहण के पीछे का कारण

Fullerton का Lendingkart में निवेश

Fullerton ने Lendingkart का अधिग्रहण संकटग्रस्त परिस्थितियों में किया, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार खराब हो रही थी।

  • Fullerton अब Lendingkart की रणनीति और संचालन में बदलाव लाकर इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगी।
  • यह अधिग्रहण भारतीय NBFC सेक्टर में टेमासेक की बढ़ती रुचि का भी संकेत देता है।

मौजूदा स्थिति और चुनौतियाँ

Lendingkart के सामने कई चुनौतियाँ थीं, जिनमें मुख्य रूप से ऋण वसूली की धीमी दर और फंडिंग तक सीमित पहुँच शामिल हैं।

  • बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने भी कंपनी के विकास को बाधित किया।

फिनटेक सेक्टर में Lendingkart का प्रभाव

फिनटेक इनोवेशन

Lendingkart ने फिनटेक क्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग कर छोटे व्यवसायों को डिजिटल लोन प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज और सरल बनाया।

  • इसका एल्गोरिदम और डेटा एनालिटिक्स आधारित मॉडल MSMEs को त्वरित लोन स्वीकृति और वितरण में मदद करता है।
  • इससे लघु उद्योगों की वित्तीय पहुँच को बढ़ावा मिला।

चुनौतियाँ और प्रतिस्पर्धा

हालांकि, Capital Float, Razorpay, और Indifi जैसे अन्य फिनटेक खिलाड़ियों की उपस्थिति ने Lendingkart के बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित किया।


आगे का रास्ता

Fullerton की रणनीति

Fullerton के अधिग्रहण के बाद, Lendingkart के लिए निम्नलिखित कदम संभावित हो सकते हैं:

  1. पुनर्गठन:
    संचालन और ऋण वसूली प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना।
  2. डिजिटल विस्तार:
    अधिक टियर 3 और ग्रामीण बाजारों तक पहुँच बढ़ाना।
  3. नए उत्पाद:
    सह-ऋण और कस्टमाइज़्ड ऋण योजनाओं के साथ नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट लॉन्च करना।

भारतीय फिनटेक सेक्टर में योगदान

Lendingkart का पुनरुद्धार न केवल कंपनी के लिए, बल्कि भारतीय फिनटेक सेक्टर के लिए भी सकारात्मक होगा। यह छोटे व्यवसायों के लिए अधिक वित्तीय अवसर पैदा करेगा और डिजिटल वित्तीय समाधानों को बढ़ावा देगा।


निष्कर्ष

Fullerton द्वारा Lendingkart का अधिग्रहण संकट में फंसी एक प्रमुख फिनटेक कंपनी के लिए एक नया अवसर हो सकता है।
हालांकि, Lendingkart को बाजार में अपनी पुरानी स्थिति वापस पाने के लिए संचालन में सुधार, ग्राहक सेवा में नवाचार और प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए ठोस रणनीति अपनाने की आवश्यकता होगी।

भारतीय फिनटेक उद्योग में यह अधिग्रहण Lendingkart के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकता है, जिससे यह एक बार फिर से छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए वित्तीय सशक्तिकरण का प्रतीक बन सके।

Read more : Bounce FY25 में 150 करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व का लक्ष्य

Bounce FY25 में 150 करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व का लक्ष्य

Bounce

भारत की Electric Vehicle (EV) इंडस्ट्री में बेंगलुरु आधारित Bounce (Bounce) तेजी से अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है। कंपनी ने FY25 में 150 करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व दर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। यह FY23 में कंपनी के 36 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले चार गुना से अधिक वृद्धि को दर्शाता है।


Bounce FY24 में गिरावट और पुनरुत्थान की कहानी

राजस्व में गिरावट के कारण

FY24 में Bounce का राजस्व केवल 36 करोड़ रुपये तक सीमित रहा, जो FY23 में 91 करोड़ रुपये से 60.6% की गिरावट को दर्शाता है।
इस गिरावट का मुख्य कारण फेज 2 बैटरी अनुपालन नियम रहा, जिसकी वजह से कंपनी को छह महीने तक उत्पादन रोकना पड़ा। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने FY24 के पहले छह महीनों में कोई नया स्कूटर लॉन्च नहीं किया।

नुकसान का आंकड़ा

  • FY23: 91 करोड़ रुपये का राजस्व, 197 करोड़ रुपये का नुकसान।
  • FY24: 36 करोड़ रुपये का राजस्व, 44 करोड़ रुपये का नुकसान।
    हालांकि, FY24 में नुकसान में कमी आई है, जो कंपनी की लागत प्रबंधन और पुनर्गठन के प्रयासों को दर्शाता है।

FY25 में वृद्धि के संकेत

लंबी अवधि के अनुबंध

कंपनी ने विभिन्न सेक्टरों में लंबी अवधि के अनुबंध हासिल किए हैं, जिससे राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है।

EBITDA में सकारात्मक बदलाव

सितंबर 2024 में कंपनी ने पहली बार सकारात्मक EBITDA हासिल किया।
अक्टूबर 2024 में इसका औसत राजस्व रन-रेट 200 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।

वित्तीय स्थिरता की ओर बढ़ते कदम

सूत्रों के अनुसार, FY25 में बाउंस के लिए 150 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करना संभव है। यह कंपनी के लिए वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।


बाउंस का पिछला प्रदर्शन और विस्तार रणनीति

FY23 और FY24 के आंकड़े

FY23 में, बाउंस ने कुल 91 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जिसमें से 35.88 करोड़ रुपये स्कूटर की बिक्री से आए और 51 करोड़ रुपये बेलराइज़ (Belrise) के लिए कस्टम मैन्युफैक्चरिंग से।
FY24 में, उत्पादन और लॉन्च में देरी के कारण यह संख्या घटकर 36 करोड़ रुपये रह गई।

पुनर्निर्माण और विस्तार योजनाएँ

  • स्कूटर लॉन्च:
    FY24 में गिरावट के बाद, कंपनी FY25 में कई नए मॉडलों को लॉन्च करने की योजना बना रही है।
  • बैटरी अनुपालन:
    बाउंस ने फेज 2 बैटरी नियमों के तहत अपने उत्पादों को अपडेट कर लिया है।
  • संभावित पार्टनरशिप:
    कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत करने और नए मार्केट सेगमेंट में प्रवेश करने के लिए साझेदारी की संभावनाओं को तलाश रही है।

बाउंस का व्यवसाय मॉडल और विशेषताएँ

उत्पाद और सेवाएँ

बाउंस मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माण और बैटरी-स्वैपिंग टेक्नोलॉजी पर केंद्रित है।

  • इलेक्ट्रिक स्कूटर:
    कम कीमत और बेहतर बैटरी रेंज के साथ, इसके स्कूटर मुख्य रूप से शहरी उपयोगकर्ताओं को लक्षित करते हैं।
  • बैटरी-स्वैपिंग नेटवर्क:
    कंपनी ने शहरों में बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए चार्जिंग को आसान और तेज़ बनाते हैं।

कॉस्ट एफिशिएंसी और इनोवेशन

  • उत्पादन लागत को कम करने और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से, बाउंस अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध करा रहा है।

भारतीय EV बाजार में बाउंस की भूमिका

बाजार की चुनौतियाँ

  • नियमों का अनुपालन:
    बैटरी और सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करना एक बड़ी चुनौती है।
  • प्रतिस्पर्धा:
    ओला इलेक्ट्रिक, हीरो इलेक्ट्रिक, और एथर जैसी कंपनियाँ पहले से ही EV बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी हैं।

संभावनाएँ

  • सरकार की FAME II योजना और EV को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ, बाउंस जैसे स्टार्टअप्स के लिए अवसर प्रदान करती हैं।
  • शहरी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती माँग बाउंस के लिए नए बाजार खोल सकती है।

भविष्य की योजनाएँ और संभावित योगदान

स्केलेबिलिटी पर ध्यान

  • कंपनी टियर 2 और टियर 3 शहरों में अपने उत्पादों को ले जाने की योजना बना रही है।
  • बैटरी-स्वैपिंग नेटवर्क को और व्यापक बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।

सस्टेनेबिलिटी और ग्रीन एनर्जी

  • पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, बाउंस अपने उत्पादों में अधिक सस्टेनेबल सामग्रियों का उपयोग करने की योजना बना रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

  • बाउंस, EV इंडस्ट्री में रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ, देश के ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक है।

निष्कर्ष

बाउंस का FY25 में 150 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है, बल्कि भारतीय EV बाजार में इसकी बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है।
हालांकि, नियमों का पालन और प्रतिस्पर्धा जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना अभी भी इसके लिए महत्वपूर्ण रहेगा।

बाउंस की यह यात्रा भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में एक नई क्रांति का संकेत देती है।

Read more : OneCard ने ₹239.4 करोड़ ($28.5 मिलियन) की फंडिंग जुटाई

OneCard ने ₹239.4 करोड़ ($28.5 मिलियन) की फंडिंग जुटाई

OneCard

पुणे आधारित मोबाइल-फर्स्ट क्रेडिट कार्ड स्टार्टअप OneCard (OneCard) ने अपने नवीनतम फंडिंग राउंड में ₹239.4 करोड़ ($28.5 मिलियन) जुटाए हैं। इस राउंड का नेतृत्व Better Tomorrow Ventures, Peak XV Partners (पहले Sequoia Capital), और Z47 (पहले Matrix Partners) ने किया।


OneCard 2024 की पहली इक्विटी फंडिंग

महत्वपूर्ण विवरण:

  • इक्विटी राउंड: यह 2024 में OneCard का पहला इक्विटी फंडिंग राउंड है।
  • डेट फंडिंग: जनवरी 2024 में कंपनी ने डेट फंडिंग के जरिए पूंजी जुटाई थी।

कंपनी ने 72,048 क्यूमलेटिव प्रेफरेंस शेयर जारी किए हैं, जिनकी प्रति शेयर कीमत ₹33,228.3 रखी गई है। इस माध्यम से ₹239.4 करोड़ जुटाए गए हैं।


फंडिंग का वितरण

पहली किश्त:

वनकार्ड को अब तक ₹71.4 करोड़ प्राप्त हो चुके हैं:

  1. Better Tomorrow Ventures: ₹42 करोड़।
  2. Peak XV Partners: ₹8.4 करोड़।
  3. Matrix Ventures: ₹21 करोड़।

शेष राशि:

शेष ₹168 करोड़ की राशि एक या अधिक किश्तों में प्राप्त की जाएगी।


वनकार्ड की वैल्यूएशन और प्रदर्शन

वैल्यूएशन:

  • फंडिंग के बाद, वनकार्ड की पोस्ट-इन्वेस्टमेंट वैल्यूएशन लगभग ₹11,747 करोड़ ($1.4 बिलियन) हो गई है।
  • यह कंपनी को यूनिकॉर्न स्टार्टअप की श्रेणी में रखता है।

प्रदर्शन:

वनकार्ड अपने मोबाइल-फर्स्ट क्रेडिट कार्ड प्लेटफॉर्म के जरिए फाइनेंस टेक्नोलॉजी क्षेत्र में तेजी से उभरता हुआ ब्रांड बन गया है।


वनकार्ड का बिजनेस मॉडल और सेवाएं

मोबाइल-फर्स्ट प्लेटफॉर्म:

वनकार्ड अपने उपयोगकर्ताओं को डिजिटल क्रेडिट कार्ड प्रदान करता है, जो पूरी तरह से मोबाइल ऐप के माध्यम से संचालित होता है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • इंस्टेंट कार्ड जारी करना।
  • स्पेंडिंग ट्रैकिंग और एनालिटिक्स।
  • रीवार्ड पॉइंट्स और कैशबैक।
  • नो-कॉन्टैक्ट पेमेंट विकल्प।

लक्ष्य उपयोगकर्ता:

  • युवा प्रोफेशनल्स और नए क्रेडिट यूजर्स।
  • उन उपभोक्ताओं के लिए भी उपयोगी जो पारंपरिक क्रेडिट कार्ड विकल्पों से संतुष्ट नहीं हैं।

फंडिंग का उद्देश्य

वनकार्ड ने इस नई पूंजी का उपयोग अपनी सेवाओं और प्रौद्योगिकी को और मजबूत करने के लिए करने की योजना बनाई है।

प्राथमिक उपयोग:

  1. मार्केट विस्तार: भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में सेवाओं का विस्तार।
  2. तकनीकी सुधार: डिजिटल अनुभव को और सहज और सुरक्षित बनाना।
  3. विस्तारित उत्पाद पोर्टफोलियो: अधिक उपयोगकर्ता-केंद्रित फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का विकास।

भारत का फिनटेक इकोसिस्टम और OneCard की भूमिका

भारतीय फिनटेक का विकास:

  • भारत का फिनटेक उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और 2025 तक ₹6 लाख करोड़ के आंकड़े को पार करने का अनुमान है।
  • डिजिटलीकरण और मोबाइल-first सेवाओं की बढ़ती मांग ने इस सेक्टर को नई ऊंचाइयां दी हैं।

वनकार्ड की स्थिति:

  • अपने अनूठे बिजनेस मॉडल और तकनीकी नवाचार के कारण, वनकार्ड ने इस प्रतिस्पर्धी बाजार में एक मजबूत स्थान बनाया है।
  • फिनटेक स्टार्टअप्स की दौड़ में, यह कंपनी उपयोगकर्ता अनुभव और उत्पाद विविधता में अग्रणी है।

फंडिंग राउंड्स में निवेशकों की भूमिका

Better Tomorrow Ventures:

  • फिनटेक स्टार्टअप्स में निवेश के लिए जानी जाती है।
  • वनकार्ड की तकनीकी क्षमताओं और मार्केट पोटेंशियल पर भरोसा।

Peak XV Partners:

  • पहले Sequoia Capital के नाम से जानी जाती थी।
  • भारत में उभरते स्टार्टअप्स में निवेश करने का व्यापक अनुभव।

Matrix Ventures:

  • विभिन्न उद्योगों में निवेश के लिए प्रसिद्ध।
  • वनकार्ड को उनकी फंडिंग से तकनीकी और मार्केटिंग में मदद मिलने की संभावना है।

CEO का बयान

वनकार्ड के CEO, अनुराग सिन्हा, ने कहा:

“इस फंडिंग से हम अपने उपयोगकर्ताओं के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करने और फिनटेक सेक्टर में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। हमारा उद्देश्य वित्तीय सेवाओं को डिजिटल युग में सरल और सहज बनाना है।”

क्रेडिट कार्ड सेक्टर में डिजिटलीकरण की जरूरत

भारत में पारंपरिक क्रेडिट कार्ड सेवाओं की कई सीमाएँ हैं। इन्हें लेने की जटिल प्रक्रिया, उच्च ब्याज दरें, और सीमित ग्राहक सहायता के कारण उपयोगकर्ता अक्सर संतुष्ट नहीं होते।
वनकार्ड ने इन कमियों को समझते हुए एक ऐसा प्लेटफॉर्म पेश किया, जो पूरी तरह से डिजिटल और उपयोगकर्ता-केंद्रित है।


कैसे वनकार्ड अन्य फिनटेक स्टार्टअप्स से अलग है?

  1. सुविधाजनक ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया:
    वनकार्ड उपयोगकर्ताओं को कागजी कार्रवाई से बचाने के लिए पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया प्रदान करता है।
  2. डेटा-संचालित सेवाएँ:
    उपभोक्ताओं की खर्च करने की आदतों का विश्लेषण करके, यह प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत फाइनेंशियल समाधान देता है।
  3. रीवार्ड सिस्टम:
    हर खरीदारी पर आकर्षक कैशबैक और रिवॉर्ड पॉइंट्स।
  4. ग्राहक सहायता:
    24×7 चैट और कॉल सपोर्ट, जिससे उपयोगकर्ता की सभी समस्याओं का तुरंत समाधान हो सके।

भारतीय बाजार में वनकार्ड का प्रभाव

उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करना:

  • वनकार्ड ने भारत में युवाओं और टेक-सेवी उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल की है।
  • इसका मुख्य कारण है ऐप-बेस्ड सेवाएँ, जो पारंपरिक क्रेडिट कार्ड कंपनियों से तेज़ और अधिक उपयोगकर्ता-केंद्रित हैं।

बाजार हिस्सेदारी:

  • वनकार्ड ने छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी पहुँच बढ़ाई है।
  • इसके ग्राहकों में पहली बार क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वाले और युवा पेशेवरों की बड़ी संख्या है।

वनकार्ड की आगामी योजनाएँ

  1. टियर 2 और 3 शहरों में विस्तार:
    डिजिटल सेवाओं की माँग अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है। वनकार्ड ने इन छोटे शहरों में भी अपने पैर जमाने की योजना बनाई है।
  2. इनोवेटिव प्रोडक्ट्स का विकास:
    कंपनी “नो-इंटरस्ट ईएमआई कार्ड्स” और “स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड्स” जैसे नए उत्पाद लाने की योजना बना रही है।
  3. अंतरराष्ट्रीय विस्तार:
    भारत में सफलता के बाद, वनकार्ड अपनी सेवाओं को दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व के बाजारों में ले जाने की सोच रहा है।
  4. सहयोग और साझेदारी:
    वनकार्ड बैंक और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी करके अपने उपयोगकर्ताओं को विशेष ऑफर्स प्रदान करेगा।

फिनटेक इंडस्ट्री और वनकार्ड के लिए चुनौतियाँ

प्रतिस्पर्धा का बढ़ता दबाव:

भारत में कई अन्य फिनटेक स्टार्टअप, जैसे RazorpayX, Cred, और Slice, इस क्षेत्र में पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं।

ग्राहकों की सुरक्षा:

डिजिटल वित्तीय सेवाओं के साथ, डेटा सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। वनकार्ड को अपने प्लेटफॉर्म को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाए रखने के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे।

सरकारी नीतियाँ:

फिनटेक कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य नियामक निकायों के साथ तालमेल बिठाकर चलना होगा।


वनकार्ड और भारतीय अर्थव्यवस्था का योगदान

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा:

वनकार्ड उन लोगों तक वित्तीय सेवाएँ पहुँचा रहा है, जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते थे।

रोजगार का सृजन:

फिनटेक सेक्टर में बढ़ोतरी से आईटी और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में नई नौकरियों का निर्माण हुआ है।

डिजिटल इंडिया मिशन का समर्थन:

वनकार्ड जैसे स्टार्टअप्स, भारत सरकार के “डिजिटल इंडिया” और “कैशलेस इकोनॉमी” के लक्ष्यों को साकार करने में सहायक हैं।


निवेशकों का भरोसा: एक महत्वपूर्ण संकेत

वनकार्ड के नए फंडिंग राउंड में प्रमुख वेंचर कैपिटल फर्मों का शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि यह स्टार्टअप अपने बाजार में मजबूत स्थिति बनाए हुए है।
निवेशकों का भरोसा, कंपनी की स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं को उजागर करता है।

Better Tomorrow Ventures का बयान:

“वनकार्ड भारत के फिनटेक स्पेस में नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। हमारा मानना है कि यह स्टार्टअप वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा।”


वनकार्ड का भविष्य: एक सकारात्मक दृष्टिकोण

नई ऊंचाइयाँ:

फंडिंग और इनोवेशन की मदद से, वनकार्ड भारत के फिनटेक इकोसिस्टम में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है।

उपभोक्ताओं का विश्वास:

अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के माध्यम से, वनकार्ड ने लाखों ग्राहकों का विश्वास अर्जित किया है।

वित्तीय क्रांति:

वनकार्ड न केवल डिजिटल क्रेडिट कार्ड सेवाओं में बल्कि वित्तीय जागरूकता और समावेशन में भी अहम भूमिका निभा रहा है।


निष्कर्ष

वनकार्ड की ₹239.4 करोड़ की फंडिंग और ₹11,747 करोड़ की वैल्यूएशन न केवल इसके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय फिनटेक इकोसिस्टम की ताकत को भी दर्शाती है।

भारत में क्रेडिट कार्ड के डिजिटलीकरण के क्षेत्र में वनकार्ड ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह आने वाले समय में इस क्षेत्र के विकास की दिशा तय करेगी।

Read more: HealthKart ने $153 मिलियन जुटाए, FY24 में ₹1,000 करोड़ का राजस्व पार

HealthKart ने $153 मिलियन जुटाए, FY24 में ₹1,000 करोड़ का राजस्व पार

HealthKart

गुरुग्राम स्थित हेल्थ और न्यूट्रिशन ब्रांड HealthKart (HealthKart) ने 2024 की सबसे बड़ी फंडिंग राउंड्स में से एक में $153 मिलियन (₹1,270 करोड़) जुटाए। यह सेकेंडरी फंडिंग राउंड ChrysCapital और Motilal Oswal Alternates की अगुवाई में हुआ। फंडिंग के पीछे FY24 में कंपनी के शानदार प्रदर्शन और मुनाफे में बदलाव का मुख्य योगदान रहा।


HealthKart आर्थिक प्रदर्शन: FY24 में ₹1,000 करोड़ का राजस्व

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

  • HealthKart ने FY24 में ₹1,021 करोड़ का परिचालन राजस्व (Operational Revenue) हासिल किया।
  • कुल राजस्व ₹1,068.9 करोड़ रहा, जो FY23 के ₹851.8 करोड़ के मुकाबले 22.7% की वृद्धि है।
  • कंपनी ने ₹36 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जो FY23 के ₹164 करोड़ के नुकसान के मुकाबले बड़ा बदलाव है।

प्रमुख उत्पाद:

हेल्थकार्ट 8 न्यूट्रिशन ब्रांड्स का स्वामित्व और निर्माण करती है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. MuscleBlaze
  2. The Protein Zone
  3. TrueBasics
  4. HKVitals
  5. bGreen
  6. Nouriza
  7. Gritzo

राजस्व का स्रोत:

  • उत्पाद बिक्री: कुल राजस्व का 92.6%
    • FY24 में उत्पाद बिक्री से ₹990.3 करोड़ की आय, जो पिछले वर्ष से 22.6% अधिक है।
  • सेवाओं से आय: ₹30.6 करोड़, जिसमें 23.9% की वृद्धि
  • गैर-परिचालन राजस्व: ₹48 करोड़, जो FY23 के ₹19.4 करोड़ से 2.4 गुना अधिक है।

व्यय और लागत में संतुलन

प्रमुख खर्च:

  • सामग्री लागत: ₹494.5 करोड़, जो FY23 की तुलना में 14.9% अधिक है।
  • कर्मचारी लाभ: ₹120.6 करोड़ (ESOP लागत: ₹9.4 करोड़ सहित)।
    • इसमें 11.2% की वृद्धि
  • विज्ञापन खर्च: ₹188.8 करोड़ (FY23 के बराबर)।
  • अन्य खर्च: ₹228.3 करोड़।

कुल खर्च:

FY24 में हेल्थकार्ट के कुल खर्च मामूली 1.5% की वृद्धि के साथ ₹1,032.2 करोड़ पर रहा।


फंडिंग के उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं

फंडिंग का महत्व:

हेल्थकार्ट ने यह फंडिंग अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने, उत्पाद पोर्टफोलियो विस्तार, और मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जुटाई है।

नवाचार और विस्तार:

  • नई उत्पाद श्रृंखला: प्रोटीन सप्लीमेंट, मल्टीविटामिन्स, और हर्बल उत्पादों में नए लॉन्च।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास: ऑनलाइन मार्केटिंग और सेल्स में निवेश।
  • अंतरराष्ट्रीय विस्तार: दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व बाजारों में प्रवेश की योजना।

मार्केट ट्रेंड्स और हेल्थकार्ट की भूमिका

भारतीय न्यूट्रिशन मार्केट का विकास:

  • भारतीय हेल्थ और न्यूट्रिशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें फिटनेस और वेलनेस प्रोडक्ट्स की मांग उच्चतम स्तर पर है।
  • FY25 तक, इस सेक्टर के ₹40,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।

हेल्थकार्ट की रणनीति:

  • ब्रांड की उच्च गुणवत्ता और किफायती उत्पादों ने इसे उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाया है।
  • फिटनेस और वेलनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता को भुनाने की क्षमता।

कंपनी के लिए चुनौतियां और अवसर

चुनौतियां:

  • प्रतिस्पर्धा: बाजार में कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के बीच हेल्थकार्ट को अपनी पहचान बनाए रखनी होगी।
  • मूल्य निर्धारण दबाव: कच्चे माल की बढ़ती लागत और उपभोक्ताओं के लिए किफायती मूल्य बनाए रखना।

अवसर:

  • डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल: इस मॉडल के जरिए ब्रांड अपनी पहुंच और मुनाफे को बढ़ा सकता है।
  • टियर-2 और टियर-3 शहर: इन बाजारों में न्यूट्रिशन उत्पादों की बढ़ती मांग।

CEO का बयान

हेल्थकार्ट के CEO, सिद्धार्थ कपूर, ने कहा:

“हमारी प्राथमिकता हमारे ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाले न्यूट्रिशन उत्पाद उपलब्ध कराना है। यह फंडिंग हमें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगी। हम आने वाले वर्षों में भारतीय और वैश्विक बाजारों में अपना प्रभाव बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।”


निष्कर्ष

हेल्थकार्ट की यह उपलब्धि भारतीय न्यूट्रिशन इंडस्ट्री के विकास और संभावनाओं को दर्शाती है। अपने मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, ब्रांड वैल्यू, और भविष्य की योजनाओं के साथ, हेल्थकार्ट भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह और मजबूत करने के लिए तैयार है।

FY24 में हासिल किया गया ₹1,000 करोड़ का राजस्व और $153 मिलियन की फंडिंग न केवल हेल्थकार्ट के लिए बल्कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक प्रेरणा है।

Read more : Zomato को शेयरधारकों से ₹8,500 करोड़ जुटाने की मंजूरी

Zomato को शेयरधारकों से ₹8,500 करोड़ जुटाने की मंजूरी

Zomato

भारत की प्रमुख फूडटेक और क्विक कॉमर्स कंपनी Zomato ने ₹8,500 करोड़ जुटाने के लिए Qualified Institutional Placement (QIP) के माध्यम से शेयरधारकों की मंजूरी प्राप्त कर ली है। यह फंडरेज Swiggy के आगामी IPO और अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों के मुकाबले अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है।


फंडरेज की प्रक्रिया और उद्देश्य

निवेश बैंक की नियुक्ति:

Zomato ने इस नई QIP प्रक्रिया के लिए निवेश बैंक Morgan Stanley को नियुक्त किया है।

कैसे होगा फंडरेज?

  • कंपनी यह फंड योग्य संस्थागत निवेशकों (Qualified Institutional Investors) से इक्विटी शेयर जारी करके जुटाएगी।
  • इस कदम की जानकारी Zomato ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में दी।

लक्ष्य:

  • इस धनराशि का उपयोग Zomato की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और Swiggy, Zepto जैसे प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए किया जाएगा।

प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव

Swiggy की IPO तैयारी:

  • Swiggy ने अपने IPO के माध्यम से ₹4,500 करोड़ जुटाए हैं, जिससे कंपनी के पास पर्याप्त धन है।

Zepto की फंडिंग:

  • Zepto ने हाल ही में ₹3,000 करोड़ की फंडिंग जुटाई है, जिससे वह क्विक कॉमर्स स्पेस में मजबूत स्थिति में है।

Zomato का उद्देश्य:

Zomato का यह फंडरेज सीधे तौर पर अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने और वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए है, ताकि यह अपने प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ प्रभावी रूप से मुकाबला कर सके।


कर्मचारियों के लिए ESOP योजनाएं

ESOP प्लान का विस्तार:

Zomato ने कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न ESOP योजनाओं को मंजूरी दी है:

  1. Zomato Employee Stock Option Plan 2018
  2. Zomato Employee Stock Option Plan 2021
  3. Zomato Employee Stock Option Plan 2022
  4. Zomato Employee Stock Option Plan 2024

ब्याज-मुक्त ऋण:

  • कंपनी ने Foodie Bay Employees ESOP Trust को बिना ब्याज के ऋण देने की भी मंजूरी दी है, ताकि ये योजनाएं लागू की जा सकें।

कर्मचारियों के लिए लाभ:

इन योजनाओं से कर्मचारियों को कंपनी के साथ जुड़ाव और उनके प्रदर्शन में सुधार का मौका मिलेगा।


वित्तीय प्रदर्शन में सुधार

राजस्व में वृद्धि:

  • FY25 की दूसरी तिमाही (Q2) में Zomato ने ₹4,799 करोड़ की परिचालन आय दर्ज की, जो FY24 की इसी तिमाही में ₹2,848 करोड़ थी।
  • यह 68.5% की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि को दर्शाता है।

लाभ में उछाल:

  • Zomato ने Q2 FY25 में ₹176 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.8 गुना अधिक है।

मजबूत वित्तीय स्थिति:

  • कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में यह सुधार इसे बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा।

Zomato की बाजार रणनीति

क्विक कॉमर्स स्पेस पर ध्यान:

Zomato अपने फूड डिलीवरी व्यवसाय के अलावा Blinkit और अन्य क्विक कॉमर्स सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन:

  • कंपनी की रणनीति तकनीकी नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने पर आधारित है।
  • डिजिटल भुगतान और उपभोक्ता डेटा का बेहतर उपयोग Zomato को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

ग्राहक जुड़ाव:

  • Zomato का लक्ष्य ग्राहकों के साथ बेहतर जुड़ाव और उनकी जरूरतों को समझकर उन्हें कुशल सेवाएं प्रदान करना है।

भारतीय फूडटेक उद्योग में Zomato का प्रभाव

नेतृत्व की स्थिति:

Zomato भारतीय फूडटेक उद्योग में अग्रणी है और इसका विस्तार इसे बाजार में अन्य कंपनियों से आगे बनाए रखने में मदद करेगा।

प्रतिस्पर्धा में मजबूती:

  • ₹8,500 करोड़ का यह फंड Zomato को प्रतिस्पर्धा में मजबूती प्रदान करेगा।
  • Swiggy और Zepto जैसे प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबले के लिए कंपनी के पास पर्याप्त संसाधन होंगे।

निवेशकों का विश्वास:

  • फंडरेज के जरिए Zomato ने निवेशकों का विश्वास मजबूत किया है, जो कंपनी के दीर्घकालिक विकास को समर्थन देगा।

निष्कर्ष

Zomato का ₹8,500 करोड़ का फंडरेज न केवल इसकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि Swiggy और Zepto जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा में इसे बढ़त भी देगा। कंपनी की राजस्व वृद्धि और लाभप्रदता में सुधार इसके मजबूत प्रबंधन और बाजार रणनीति का प्रमाण है।

आने वाले समय में, Zomato की फोकस्ड रणनीतियां और कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं इसे फूडटेक और क्विक कॉमर्स स्पेस में और अधिक प्रभावी बनाएंगी। भारतीय फूडटेक उद्योग में Zomato का यह कदम एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

Read more : Smallcase ने FY24 में दर्ज की 2.2X वृद्धि, घाटा 74% तक कम

Smallcase ने FY24 में दर्ज की 2.2X वृद्धि, घाटा 74% तक कम

Smallcase

Amazon समर्थित smallcase  ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी आय में 2.2 गुना वृद्धि दर्ज की है। वहीं, कंपनी ने अपने घाटे को 74% तक कम करने में सफलता पाई। बेंगलुरु स्थित यह फिनटेक प्लेटफॉर्म पिछले कुछ वर्षों में निवेशकों और दलालों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है।


राजस्व में बड़ा उछाल

smallcase  की परिचालन आय FY24 में बढ़कर ₹67.4 करोड़ हो गई, जो FY23 में ₹30.6 करोड़ थी।

प्रमुख आय स्रोत

  1. लेनदेन शुल्क (Transaction Fees):
    • Smallcase का मुख्य राजस्व स्रोत दलालों से वसूला जाने वाला लेनदेन शुल्क है।
    • FY24 में इस आय ने कुल राजस्व का 85.8% हिस्सा बनाया, जो ₹57.8 करोड़ रहा।
    • यह आय पिछले साल की तुलना में 2.6 गुना अधिक है।
  2. शोध सेवा शुल्क (Research Service Fees):
    • शोध सेवाओं से कंपनी को ₹5.1 करोड़ की आय हुई।
  3. अन्य सेवाएं:
    • सहायक सेवाओं से ₹4.5 करोड़ की आय हुई।
  4. ब्याज और निवेश से आय:
    • जमा और निवेश से हुए ब्याज और लाभ ने ₹7.6 करोड़ का योगदान दिया।
    • इसने कंपनी के कुल राजस्व को ₹75 करोड़ तक पहुंचाया, जो पिछले वर्ष के ₹43 करोड़ से काफी अधिक है।

खर्चों में सुधार और नियंत्रण

कर्मचारियों पर खर्च (Employee Benefits):

  • कर्मचारी लाभ कंपनी का सबसे बड़ा खर्च था, जो कुल व्यय का 64.8% रहा।
  • FY24 में यह खर्च ₹70 करोड़ था, जो FY23 की तुलना में 15.7% कम है।
  • इसमें ₹2.9 करोड़ ESOP (गैर-नकद) खर्च भी शामिल है।

विज्ञापन और प्रचार (Advertising and Promotion):

  • विज्ञापन खर्च में उल्लेखनीय कमी आई, जो FY23 में ₹66 करोड़ था और FY24 में घटकर ₹16 करोड़ हो गया।
  • यह 75.8% की गिरावट दर्शाता है, जो कंपनी की लागत-कटौती रणनीति को दिखाता है।

अन्य खर्च:

  • प्रौद्योगिकी, कानूनी, किराया, रखरखाव, और अन्य सामान्य खर्चों ने कुल व्यय को ₹108 करोड़ तक पहुंचाया।

Smallcase का बिजनेस मॉडल और विकास

Smallcase एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ब्रोकरों के लिए एक्सचेंज-ट्रेडेड प्रोडक्ट्स (ETPs) में लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। यह मुख्य रूप से निवेशकों को स्टॉक मार्केट में पोर्टफोलियो आधारित निवेश का विकल्प देता है।

विशेषताएं:

  1. ट्रांजेक्शन आधारित राजस्व मॉडल:
    • दलालों से वसूले जाने वाले लेनदेन शुल्क पर केंद्रित।
  2. अनुसंधान और डेटा सेवाएं:
    • निवेशकों को शोध आधारित निवेश सलाह और डेटा सेवाएं प्रदान करता है।
  3. विकास में तेजी:
    • कंपनी ने निवेशकों के लिए उपयोगकर्ता अनुभव को सरल और प्रभावी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण

राजस्व की वृद्धि:

Smallcase ने FY24 में 2.2 गुना वृद्धि के साथ ₹75 करोड़ का कुल राजस्व अर्जित किया। यह प्रदर्शन भारतीय फिनटेक उद्योग में तेजी और कंपनी की मजबूत रणनीति को दर्शाता है।

खर्च नियंत्रण:

  • लागत-कटौती की प्रभावी रणनीतियों के कारण कंपनी ने अपने घाटे को 74% तक घटा लिया।
  • कर्मचारी लाभ और विज्ञापन खर्चों में कमी ने इसे संभव बनाया।

ईबीआईटीडीए (EBITDA):

FY24 में कंपनी ने खर्चों को नियंत्रित कर EBITDA घाटा कम किया, जो कि एक स्थायी विकास के संकेत हैं।


Smallcase की भविष्य की योजनाएं

नए उत्पाद और सेवाएं:

  • निवेशकों के लिए और अधिक अनुकूल सेवाओं का विकास।
  • छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के निवेशकों को शामिल करने के प्रयास।

तकनीकी विकास:

  • प्लेटफॉर्म की तकनीक को और उन्नत बनाकर उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाना।

नए साझेदारी और विस्तार:

  • अधिक ब्रोकर और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी।
  • विदेशी बाजारों में प्रवेश करने की संभावना।

Smallcase का उद्योग में प्रभाव

फिनटेक क्षेत्र में वृद्धि:

Smallcase का प्रदर्शन भारत में फिनटेक उद्योग की संभावनाओं को रेखांकित करता है। यह दिखाता है कि कैसे एक प्रभावी रणनीति और लागत नियंत्रण के माध्यम से कंपनियां विकास कर सकती हैं।

निवेशकों के लिए नया दृष्टिकोण:

Smallcase ने पारंपरिक निवेश मॉडलों को बदलते हुए पोर्टफोलियो-आधारित निवेश को बढ़ावा दिया है, जिससे निवेशकों को विविधीकरण और जोखिम प्रबंधन के नए तरीके मिले हैं।


निष्कर्ष

Smallcase ने FY24 में शानदार वित्तीय प्रदर्शन करते हुए न केवल राजस्व में वृद्धि की, बल्कि अपने घाटे को भी उल्लेखनीय रूप से कम किया। कंपनी की लागत-कटौती रणनीति और राजस्व में विविधता लाने की पहल ने इसे भारतीय फिनटेक उद्योग में एक प्रमुख स्थान दिलाया है।

आने वाले वर्षों में, Smallcase का लक्ष्य न केवल अपने प्लेटफॉर्म को उन्नत बनाना है, बल्कि निवेशकों को अधिक से अधिक लाभकारी सेवाएं प्रदान करना भी है। कंपनी की यह यात्रा भारतीय फिनटेक क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगी।

Read more :Binny Bansal ने PhonePe के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से दिया इस्तीफा

Binny Bansal ने PhonePe के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से दिया इस्तीफा

Binny Bansal

फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक Binny Bansal ने डिजिटल पेमेंट्स कंपनी PhonePe के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया है। बंसल 2016 से PhonePe के बोर्ड का हिस्सा थे, जब फ्लिपकार्ट ने इस फर्म का अधिग्रहण किया था। हालांकि, दिसंबर 2022 में PhonePe ने फ्लिपकार्ट से अपना परिचालन अलग कर लिया था।


PhonePe में हिस्सेदारी बरकरार

इस्तीफे के बावजूद बिन्नी बंसल ने PhonePe में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेची है। वह अभी भी कंपनी के सबसे बड़े व्यक्तिगत अल्पसंख्यक शेयरधारक बने हुए हैं।

इससे पहले, जनवरी 2024 में बंसल ने फ्लिपकार्ट से पूरी तरह से बाहर निकलने का फैसला किया था। उन्होंने फ्लिपकार्ट को अपने सह-संस्थापक सचिन बंसल के साथ मिलकर शुरू किया था।


PhonePe ने किया नए स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति

PhonePe ने बिन्नी बंसल के इस्तीफे के बाद Binny Bansal को स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) और अपनी ऑडिट कमेटी के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया है।

मनीष सभरवाल की भूमिका:

  • PhonePe के वित्तीय रिपोर्टिंग, आंतरिक नियंत्रण, और जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं की निगरानी में अहम भूमिका निभाएंगे।
  • कंपनी की ऑडिट कमेटी के चेयरमैन के रूप में, वह PhonePe की वित्तीय अखंडता सुनिश्चित करेंगे।

कौन हैं मनीष सभरवाल?

  • टीमलीज सर्विसेज के वाइस चेयरमैन:
    • भारत की सबसे बड़ी स्टाफिंग और मानव संसाधन कंपनी।
  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व स्वतंत्र निदेशक।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की सलाहकार समिति के सदस्य।
  • नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) के गवर्निंग बोर्ड सदस्य।

PhonePe के लिए मनीष का महत्व:

PhonePe के संस्थापक और CEO समीर निगम ने मनीष सभरवाल की नियुक्ति पर कहा:

“भारत की मैक्रो इकॉनमी को लेकर उनकी गहरी समझ और शिक्षा, रोजगार, और कौशल विकास में उनके नेतृत्व से PhonePe को बहुत फायदा मिलेगा। हमारा साझा विजन है कि भारत को 2047 तक एक विकसित देश (Viksit Bharat) के रूप में स्थापित करें।”


PhonePe: भारत की अग्रणी डिजिटल पेमेंट्स कंपनी

PhonePe भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी है। फ्लिपकार्ट से अलग होने के बाद, कंपनी ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है और वित्तीय सेवाओं, बीमा, और निवेश जैसे नए क्षेत्रों में कदम रखा है।

PhonePe की हालिया उपलब्धियां:

  • बाजार में अग्रणी स्थिति:
    • डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में PhonePe का बड़ा हिस्सा है।
  • नए उत्पादों और सेवाओं की पेशकश:
    • बीमा, म्यूचुअल फंड निवेश, और गोल्ड खरीद जैसे क्षेत्रों में विस्तार।

2047 का विजन:

PhonePe का लक्ष्य है कि वह भारत के डिजिटल और आर्थिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और इसे 2047 तक एक विकसित देश बनाने में सहयोग करे।


बिन्नी बंसल का योगदान और भविष्य की योजनाएं

PhonePe में योगदान:

बोर्ड में रहते हुए बंसल ने PhonePe के शुरुआती चरणों में रणनीतिक निर्णयों में अहम भूमिका निभाई। उनका अनुभव और विशेषज्ञता कंपनी के विकास में महत्वपूर्ण साबित हुए।

फ्लिपकार्ट से PhonePe तक की यात्रा:

  • बंसल ने फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक के रूप में भारत में ई-कॉमर्स का चेहरा बदल दिया।
  • PhonePe के साथ, उन्होंने डिजिटल पेमेंट्स और वित्तीय सेवाओं में एक नई क्रांति की शुरुआत की।

आगे की योजनाएं:

हालांकि बंसल ने PhonePe के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन वह अपनी हिस्सेदारी बनाए रखते हुए भविष्य में अपने अन्य उद्यमों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।


PhonePe और भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था का भविष्य

PhonePe जैसे प्लेटफॉर्म भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान दे रहे हैं। नई नियुक्तियां और इस्तीफे, कंपनी की संरचना और संचालन को मजबूत करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

मनीष सभरवाल की भूमिका:

उनका अनुभव और विशेषज्ञता कंपनी को अधिक वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगा। उनके साथ, PhonePe न केवल अपने वित्तीय पहलुओं को मजबूत करेगा बल्कि रणनीतिक नीतियों के जरिए नए क्षेत्रों में भी विस्तार करेगा।

बिन्नी बंसल की विरासत:

हालांकि वह अब PhonePe के बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान हमेशा कंपनी के इतिहास का एक अहम हिस्सा रहेगा।


निष्कर्ष

बिन्नी बंसल के इस्तीफे और मनीष सभरवाल की नियुक्ति के साथ, PhonePe ने अपने विकास और स्थिरता को लेकर एक नई दिशा तय की है।

PhonePe का लक्ष्य:

  1. 2047 तक ‘विकसित भारत’ के विजन में योगदान।
  2. डिजिटल सेवाओं का विस्तार और अधिक नवाचार।
  3. अपने ग्राहकों के लिए सुरक्षित और प्रभावी वित्तीय समाधान प्रदान करना।

PhonePe और भारतीय डिजिटल पेमेंट्स इकोसिस्टम के लिए यह एक नया अध्याय है, जो आने वाले वर्षों में नए अवसर और चुनौतियां लेकर आएगा।

Read more : 8i Ventures का प्री-सीड फंडिंग प्रोग्राम ‘Origami’ का दूसरा संस्करण लॉन्च

8i Ventures का प्री-सीड फंडिंग प्रोग्राम ‘Origami’ का दूसरा संस्करण लॉन्च

8i Ventures

भारत के शुरुआती चरण के वेंचर कैपिटल फंड 8i Ventures ने अपने प्री-सीड फंडिंग प्रोग्राम ‘Origami’ का दूसरा संस्करण लॉन्च किया है। यह प्रोग्राम शुरुआती चरण के फाउंडर्स को समर्थन और फंडिंग प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

मार्च 2024 में शुरू हुए इस प्रोग्राम के पहले संस्करण में, 8i Ventures ने $6 लाख (₹5 करोड़) का निवेश तीन स्टार्टअप्स में किया:

  1. Cobalt – एक SaaS प्लेटफॉर्म जो नेटिव इंटीग्रेशन के लिए समाधान प्रदान करता है।
  2. Cautio – एक फ्लीट डैशकैम और वीडियो टेलीमैटिक्स प्लेटफॉर्म।
  3. एक अन्य प्री-लॉन्च स्टार्टअप।

Origami प्रोग्राम: शुरुआती फाउंडर्स के लिए एक अवसर

तेजी से फंडिंग प्रक्रिया:

Origami प्रोग्राम की सबसे बड़ी खासियत इसकी तेज और सुगम फंडिंग प्रक्रिया है:

  • 1 सप्ताह में प्रतिक्रिया: फाउंडर्स को उनके प्रस्ताव पर सिर्फ एक सप्ताह के भीतर जवाब मिलता है।
  • 2 सप्ताह में टर्म शीट: निवेश की शर्तें तय कर दी जाती हैं।
  • 4 सप्ताह में डील क्लोजर: पूरा सौदा महज चार हफ्तों में समाप्त हो जाता है।

दूसरे संस्करण के लिए फंडिंग:

8i Ventures ने हाल ही में अपने दूसरे फंड के $50 मिलियन (₹416 करोड़) का पहला चरण पूरा किया है, जिसमें से $25 मिलियन (₹208 करोड़) जुटाए गए। इस फंड का $10 मिलियन (₹83 करोड़) विशेष रूप से Origami प्रोग्राम के लिए आवंटित किया गया है।


8i Ventures की रणनीति और फोकस

8i Ventures ऐसे फाउंडर्स की तलाश में है, जिनके पास एक स्पष्ट दृष्टिकोण और अपने ग्राहकों की समस्याओं की गहरी समझ हो। उनका उद्देश्य है:

  1. ग्राहकों की समस्याओं को समझने वाले फाउंडर्स:
    • ऐसे उद्यमी जो बाजार की जरूरतों को पहचानते हैं और उन्हें हल करने के लिए नवीन समाधान पेश कर सकते हैं।
  2. संतुलित कौशल वाले टीमें:
    • प्रौद्योगिकी, उत्पाद विकास और बिक्री जैसे क्षेत्रों में कुशल और अनुभवी टीमों को समर्थन प्रदान करना।
  3. फास्ट-ट्रैक सफलता:
    • फाउंडर्स को तेज़ी से फंडिंग और सलाह देकर उनकी अवधारणाओं को सफल व्यवसायों में बदलने में मदद करना।

पिछले संस्करण की सफलता और सीख

मार्च 2024 में लॉन्च किए गए Origami प्रोग्राम ने निवेश प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाकर फाउंडर्स के बीच भरोसे को मजबूत किया है।

पहले संस्करण के स्टार्टअप्स की झलक:

  • Cobalt:
    • SaaS-आधारित समाधान प्रदान करने वाला यह स्टार्टअप, नेटिव इंटीग्रेशन को आसान बनाता है।
    • अपने उत्पादों को जल्दी लॉन्च करके ग्राहकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त की।
  • Cautio:
    • इस प्लेटफॉर्म ने फ्लीट मैनेजमेंट को स्मार्ट और सुरक्षित बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
    • बड़े पैमाने पर अपने उत्पादों को सफलतापूर्वक तैनात किया।
  • अन्य प्री-लॉन्च स्टार्टअप:
    • इसे लॉन्च से पहले ही पर्याप्त मार्गदर्शन और फंडिंग प्रदान की गई।

8i Ventures के प्रोग्राम की प्रमुख उपलब्धियां:

  • फाउंडर्स को तेजी से निर्णय लेने और उनकी स्टार्टअप यात्रा को गति देने में मदद करना।
  • भारतीय उद्यमिता इकोसिस्टम को सशक्त बनाना।

फाउंडर्स के लिए Origami का महत्व

Origami प्रोग्राम शुरुआती फाउंडर्स के लिए एक ऐसा मंच है, जहां वे अपने विचारों को वास्तविकता में बदल सकते हैं।

मुख्य फायदे:

  1. तेजी से फंडिंग प्राप्त करें:
    • लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से बचाकर सीधे और पारदर्शी फंडिंग की सुविधा।
  2. निवेशकों के साथ साझेदारी:
    • केवल वित्तीय समर्थन ही नहीं, बल्कि प्रोडक्ट डेवेलपमेंट, मार्केटिंग और स्केलिंग में भी मदद।
  3. नेटवर्क और मार्गदर्शन:
    • अनुभवी पेशेवरों और मेंटर्स के साथ काम करने का मौका।

फाउंडर्स के विचार:

Origami प्रोग्राम में भाग लेने वाले फाउंडर्स का कहना है कि यह न केवल उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बनाता है, बल्कि उनकी व्यावसायिक यात्रा के हर चरण में आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।


भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पर प्रभाव

Origami प्रोग्राम जैसे पहल भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

स्टार्टअप्स को क्या मिलेगा:

  1. शुरुआती फंडिंग का समाधान:
    • नए और नवाचारी विचारों को शुरुआती चरण में फंडिंग प्राप्त करने में मदद।
  2. ग्रामीण और छोटे शहरों के स्टार्टअप्स को मौका:
    • छोटे शहरों और गांवों से आने वाले फाउंडर्स को मंच प्रदान करना।
  3. आर्थिक विकास:
    • अधिक स्टार्टअप्स का विकास, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।

उद्योग पर प्रभाव:

8i Ventures का Origami प्रोग्राम भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। इसके माध्यम से नए और नवाचारी व्यवसायों को एक नई दिशा मिल रही है।


निष्कर्ष

8i Ventures का Origami प्रोग्राम शुरुआती फाउंडर्स के लिए एक शानदार अवसर है, जहां वे अपने विचारों को असलियत में बदल सकते हैं। तेज और पारदर्शी फंडिंग प्रक्रिया, अनुभवी मेंटर्स का मार्गदर्शन, और एक मजबूत नेटवर्क के साथ, यह प्रोग्राम भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करता है।

Origami का दूसरा संस्करण न केवल फाउंडर्स के लिए, बल्कि पूरे भारतीय उद्यमिता क्षेत्र के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है। यह पहल भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Read more : Healthians: सालाना 8% वृद्धि और 65% घाटा कम करने में सफलता

Healthians: सालाना 8% वृद्धि और 65% घाटा कम करने में सफलता

Healthians

गुरुग्राम स्थित डायग्नोस्टिक स्टार्टअप Healthians ने वित्त वर्ष 2023-24 में 8% की सालाना वृद्धि दर्ज की है। इसके साथ ही, WestBridge द्वारा समर्थित इस कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में कामयाबी पाई और इस दौरान EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया।


राजस्व में वृद्धि

Healthians का संचालन से होने वाला राजस्व वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर ₹243 करोड़ हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष (₹224 करोड़) से 8.48% अधिक है।

मुख्य राजस्व स्रोत:

  • पैथोलॉजिकल टेस्ट:
    • लैब टेस्टिंग सेवाओं से होने वाली आय 8.62% बढ़कर ₹240.5 करोड़ हो गई।
  • सप्लीमेंट्स की बिक्री:
    • सप्लीमेंट्स से ₹2.2 करोड़ की आय हुई।
  • गैर-ऑपरेशनल आय:
    • ब्याज आय और अन्य स्रोतों से ₹10 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई, जिससे कुल राजस्व ₹253 करोड़ तक पहुंच गया।

Healthians की सेवाएं और पहुंच

Healthians देशभर के 250 से अधिक शहरों में घर पर डायग्नोस्टिक सेवाएं प्रदान करता है। कंपनी का दावा है कि उसने अब तक 10 करोड़ से अधिक टेस्ट पूरे किए हैं।


खर्चों में कटौती की सफलता

Healthians ने FY24 में अपने कुल खर्च को कम करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए।

प्रमुख खर्च और कमी:

  • कर्मचारियों के लाभ:
    • कर्मचारियों पर खर्च कुल लागत का 40% रहा। FY24 में यह खर्च ₹136 करोड़ से घटकर ₹120 करोड़ हो गया (11.8% की कमी)।
  • विज्ञापन:
    • FY24 में विज्ञापन खर्च ₹103 करोड़ से ₹39 करोड़ तक आ गया, जो कि 62% की कमी को दर्शाता है।

कुल खर्च:

सामग्री लागत, किराया, सूचना प्रौद्योगिकी, और अन्य ओवरहेड्स को मिलाकर FY24 में कुल खर्च ₹298 करोड़ रहा।


EBITDA ब्रेकईवन और घाटा घटाने की उपलब्धि

Healthians ने FY24 में EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया। इसके अलावा, कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में सफलता प्राप्त की। यह इस बात का संकेत है कि कंपनी परिचालन दक्षता में सुधार कर रही है और वित्तीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रही है।


मार्केट में Healthians की स्थिति

डायग्नोस्टिक और हेल्थकेयर सेक्टर में Healthians ने अपनी पहचान बनाई है। घर पर टेस्टिंग सेवाएं और पैथोलॉजिकल लैब्स इसका मुख्य आधार हैं।

प्रतिस्पर्धा:

  • डिजिटल हेल्थ स्टार्टअप्स और ऑफलाइन लैब्स जैसे Dr. Lal PathLabs और Metropolis से सीधी प्रतिस्पर्धा।
  • ग्राहक आधार बढ़ाना और सेवाओं में विविधता लाना कंपनी के लिए भविष्य में महत्वपूर्ण होगा।

Healthians का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

सेवाओं का विस्तार:

  • अधिक शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच।
  • नए उत्पाद और सप्लीमेंट्स की पेशकश।

डिजिटल इनोवेशन:

  • स्वास्थ्य डेटा का डिजिटल प्रबंधन।
  • AI और मशीन लर्निंग का उपयोग।

लाभप्रदता पर ध्यान:

  • परिचालन लागत में और कमी।
  • ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाकर मार्केट शेयर बढ़ाना।

डायग्नोस्टिक सेक्टर की संभावनाएं

भारत में डायग्नोस्टिक सेवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। कोविड-19 के बाद से हेल्थकेयर में लोगों की जागरूकता बढ़ी है। ऐसे में Healthians जैसी कंपनियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है।

चुनौतियां:

  1. प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी।
  2. सेवा की गुणवत्ता बनाए रखना।
  3. लागत प्रभावी मॉडल विकसित करना।

Healthians ने FY24 में EBITDA ब्रेकईवन हासिल किया। इसके अलावा, कंपनी ने अपने घाटे को 65% तक घटाने में सफलता प्राप्त की। यह इस बात का संकेत है कि कंपनी परिचालन दक्षता में सुधार कर रही है और वित्तीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रही है।

भविष्य

Healthians ने FY24 में राजस्व और वित्तीय प्रदर्शन में सुधार करते हुए सकारात्मक संकेत दिए हैं। 65% घाटा कम करना और EBITDA ब्रेकईवन जैसे कदम इसके विकास की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं।

भविष्य की दिशा:

Healthians के लिए सेवाओं का विस्तार, डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग, और लाभप्रदता बनाए रखना आने वाले समय में प्राथमिकता होगी। यह स्पष्ट है कि डायग्नोस्टिक सेक्टर में Healthians एक मजबूत खिलाड़ी बनकर उभर सकता है।

Read more : Zepto को 350 मिलियन डॉलर की फंडिंग :भारत के क्विक कॉमर्स सेक्टर में मजबूत स्थिति