🌿Lifechart ने Guttify ब्रांड के लिए $3.6 लाख जुटाए,

Guttify

नई दिल्ली, अप्रैल 2025: हेल्थटेक स्टार्टअप Lifechart ने अपने गट-वेलनेस ब्रांड Guttify के लिए एक एक्सटेंडेड सीड राउंड में $3.6 लाख (करीब ₹3 करोड़) जुटाए हैं। इस निवेश का नेतृत्व Prajay Advisors ने किया है, जो Unichem Labs के फाउंडर्स प्रकाश मोदी और जयंन्द्र शाह का फैमिली ऑफिस है।

यह निवेश अक्टूबर 2024 में हुए $5 लाख सीड फंडिंग राउंड के बाद आया है, जिसे Expert Dojo, Agility Ventures, Sunn91 Ventures, सरकारी सीड योजनाओं और एंजल निवेशकों जैसे नितीश मिटरसैन (Nazara Technologies) और आहाना गौतम (Open Secret) ने सपोर्ट किया था।

इस नए फंडिंग राउंड के साथ, Lifechart की कुल फंडिंग अब $1 मिलियन से अधिक हो चुकी है।


🧪Guttify : आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का संयोजन

Lifechart की स्थापना 2022 में मुकुल शाह और मानसी शर्मा ने मिलकर की थी। इनकी ब्रांड Guttify, शहरी भारत (Tier I से लेकर Tier III शहरों) के लोगों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है।

Guttify एक “डायग्नोसिस-फर्स्ट” यानी जाँच पहले, इलाज बाद में की नीति पर काम करती है। इसका उद्देश्य है – हर भारतीय को सटीक, किफायती और पर्सनलाइज्ड गट हेल्थ समाधान उपलब्ध कराना, जो आधुनिक साइंस, टेक्नोलॉजी और आयुर्वेद का मिश्रण हो।


🏠 घर बैठे टेस्टिंग: ₹99 से शुरू होने वाले DIY किट

Guttify का पहला प्रोडक्ट, pH स्लाइवा टेस्टिंग किट, जो एसिडिटी की जांच के लिए है, पहले से ही मार्केट में उपलब्ध है। यह एक DIY (Do It Yourself) किट है जिसे उपयोगकर्ता घर बैठे इस्तेमाल कर सकते हैं।

स्टार्टअप जल्द ही ₹99 से शुरू होने वाले और भी कई किफायती टेस्टिंग किट्स लॉन्च करने जा रहा है। इन किट्स के माध्यम से यूज़र्स अपने पेट से जुड़े समस्याओं की पहचान खुद ही कर सकेंगे, जिससे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत से पहले एक स्पष्ट तस्वीर मिल सकेगी।


📊 गट हेल्थ संकट: भारत में 60% लोग प्रभावित

मार्केट रिसर्च के अनुसार, भारत में गट वेलनेस मार्केट $18 बिलियन का है, और करीब 60% भारतीय पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। फिर भी यह एक ऐसा सेक्टर है जिसे अब तक हेल्थटेक स्टार्टअप्स ने पूरी तरह से टारगेट नहीं किया।

Lifechart इसी गैप को भरने की कोशिश कर रहा है। उनका उद्देश्य है एक “फुल-स्टैक गट हेल्थ इकोसिस्टम” बनाना, जिसमें टेस्टिंग से लेकर समाधान तक सब कुछ एक प्लेटफॉर्म पर मिले।


💡 फाउंडर्स की सोच: विज्ञान और परंपरा का संगम

Guttify की को-फाउंडर मानसी शर्मा बताती हैं, “भारत में लोग पेट की समस्या को तब तक नजरअंदाज करते हैं जब तक वह बड़ी बीमारी न बन जाए। हम चाहते हैं कि लोग खुद अपने स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी लें। हमारी तकनीक, साइंस और आयुर्वेद का संयोजन उन्हें वह शक्ति देगा।”

वहीं, मुकुल शाह का मानना है कि “गट हेल्थ पूरे शरीर की सेहत की नींव है। अगर हम इसे सुलझा लें, तो जीवन की गुणवत्ता कई गुना बेहतर हो सकती है।”


🌐 टेक्नोलॉजी से जुड़ी सुविधा, आसान उपयोग

Guttify का ऐप आधारित सिस्टम यूज़र्स को न केवल किट मंगवाने, बल्कि रिपोर्ट देखने, सिफारिशें पाने और आयुर्वेदिक समाधानों तक पहुंचने में मदद करता है।

कंपनी आने वाले समय में AI-सपोर्टेड हेल्थ रेकमेंडेशन, नुट्रिशन गाइड, और कस्टमाइज्ड गट डाइट प्लान्स जैसे फीचर्स लॉन्च करने की भी योजना बना रही है।


🛒 भारत में डिजिटल हेल्थ के लिए अनोखा मॉडल

जहां ज़्यादातर हेल्थटेक स्टार्टअप केवल मेडिकल कंसल्टेशन या फार्मेसी तक सीमित हैं, Guttify ने एक न्यूट्रिशन-फर्स्ट और प्रीवेंटिव हेल्थ अप्रोच अपनाई है। इसके ज़रिए यह स्टार्टअप हेल्थकेयर सेक्टर में एक नई दिशा प्रस्तुत कर रहा है – बीमारी से पहले की रोकथाम।


💰 निवेशकों का भरोसा और भविष्य की राह

Unichem Labs के संस्थापक परिवार से मिले नए निवेश से यह साफ हो गया है कि हेल्थ और न्यूट्रिशन आधारित मॉडल पर निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है।

Prajay Advisors ने एक बयान में कहा, “भारत में गट हेल्थ एक अनदेखा संकट है। Guttify ने जिस साइंटिफिक और भारतीय दृष्टिकोण से इसका समाधान ढूंढा है, वह आने वाले समय में करोड़ों लोगों की मदद करेगा।”


🧠 निष्कर्ष

Lifechart और Guttify ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जो भारत जैसे देश में न सिर्फ पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा, बल्कि जनता को खुद के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सक्षम भी बनाएगा।

सस्ती किट्स, घरेलू जांच, और आयुर्वेद का समावेश – यह सब मिलकर Guttify को एक भरोसेमंद, विज्ञान आधारित और लोकल फ्रेंडली ब्रांड बनने की ओर ले जा रहे हैं।

यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह न केवल भारत में बल्कि अन्य विकासशील देशों में भी हेल्थटेक की दिशा बदल सकता है।

Read more :👴 GenWise ने कर्मचारियों की छंटनी की,

👴 GenWise ने कर्मचारियों की छंटनी की,

GenWise

नई दिल्ली, अप्रैल 2025: वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) के लिए एक ऑनलाइन ऐप आधारित सोशल क्लब चलाने वाली GenWise ने हाल ही में कई विभागों में कर्मचारियों की छंटनी की है। यह कदम कंपनी द्वारा लंबे समय से फंडिंग जुटाने में असफल रहने और अपेक्षित यूज़र ग्रोथ न होने के कारण उठाया गया।

GenWise ने अपनी कुल वर्कफोर्स का लगभग 20% (15-20 कर्मचारी) कम कर दिया है। छंटनी टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग, प्रोडक्ट, डिज़ाइन, बिजनेस और ऑपरेशंस जैसे विभिन्न विभागों में की गई है।


💸 फंडिंग जुटाने की कोशिशें नाकाम रहीं

सूत्रों के अनुसार, कंपनी बीते कई महीनों से नए निवेश जुटाने के लिए मौजूदा निवेशकों और नए पार्टनर्स से बातचीत कर रही थी। हालांकि, वह पिछले साल किए गए वादों और अनुमानित ग्रोथ को पूरा नहीं कर पाई, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर पड़ा।

GenWise ने जून 2023 में $3.5 मिलियन (लगभग ₹29 करोड़) की सीड फंडिंग जुटाई थी, जिसे Z47 (पूर्व में Matrix Partners India) ने लीड किया था। इस फंडिंग राउंड में DBR Ventures, Climber Capital और कुछ एंजेल इन्वेस्टर्स जैसे Kunal Shah (CRED), Suhail Sameer (पूर्व BharatPe CEO), और Achal Mittal ने भी भाग लिया था।


👨‍👩‍👧‍👦 बुजुर्गों के लिए कम्युनिटी और मेंटल हेल्थ सपोर्ट

GenWise की स्थापना BharatPe के पूर्व अधिकारियों – गीतांशु सिंगला, नेहुल मल्होत्रा और रजत जैन ने मिलकर की थी। यह एक ऐसा ऐप है जो वरिष्ठ नागरिकों को दोस्तों से जोड़ता है, उन्हें दैनिक गतिविधियों में भाग लेने और प्रशिक्षित काउंसलर्स से मानसिक और भावनात्मक सहयोग लेने का मौका देता है।

कंपनी का दावा है कि उसने अब तक 20 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की एक कम्युनिटी तैयार की है, जो कि भारत के बढ़ते बुजुर्ग वर्ग को एक डिजिटल स्पेस देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


📲 UPI लॉन्च के बाद खर्चों में उछाल

GenWise ने नवंबर 2024 में Axis Bank के साथ साझेदारी में अपने ऐप पर UPI पेमेंट्स की सुविधा शुरू की थी। उम्मीद थी कि इससे यूज़र्स की गतिविधियों और एंगेजमेंट में इज़ाफा होगा।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि UPI रोलआउट के बाद कंपनी के खर्च तेजी से बढ़ गए, लेकिन इसके बदले में अपेक्षित यूज़र ग्रोथ नहीं मिली। कंपनी का मुख्य यूज़र बेस यानी बुजुर्ग वर्ग डिजिटल पेमेंट को धीमी गति से अपना रहा है, जिससे कि मासिक एक्टिव यूज़र (MAU) में सिर्फ मामूली वृद्धि देखने को मिली।


💼 ऑपरेशनल खर्च घटाने के लिए ली गई कठोर कार्रवाई

बढ़ते खर्चों और सीमित यूज़र ग्रोथ के चलते GenWise को मजबूरन अपने संचालन व्ययों को कम करने के लिए स्टाफ कटौती जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा।

कंपनी की योजना है कि वह भविष्य में डिजिटल पेमेंट्स के अलावा बुजुर्गों के लिए अन्य फिनटेक सॉल्यूशंस भी पेश करेगी, जो उनकी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को आसान बना सकें।

GenWise ने इस विषय में भेजे गए सवालों का समाचार प्रकाशन तक कोई उत्तर नहीं दिया।


🧓 Elder-Tech सेगमेंट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा

GenWise अकेली कंपनी नहीं है जो बुजुर्गों के लिए डिजिटल सेवाएं दे रही है। इस सेगमेंट में SeniorWorld, GetSetUp, 60Plus India, ElderAid Wellness, और Goodfellows जैसी कई कंपनियां भी सक्रिय हैं। इन सभी का उद्देश्य एक ही है—भारत के बढ़ते सीनियर सिटीज़न वर्ग के लिए स्मार्ट, भरोसेमंद और इंसानियत भरी डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराना।


🧾 साल 2025 में अब तक सिर्फ 5 बड़ी छंटनी

Entrackr के आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 के पहले चार महीनों में, भारत में (Zomato और Ola Electric जैसी लिस्टेड कंपनियों को छोड़कर) सिर्फ 5 स्टार्टअप्स ने बड़े स्तर पर छंटनी की है, जिनमें कुल 550 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।

यह ट्रेंड 2023 और 2024 की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि स्टार्टअप सेक्टर में ग्रोथ की रफ्तार और निवेशकों का भरोसा अभी भी सीमित है।


🧠 निष्कर्ष

GenWise की छंटनी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूज़र ग्रोथ और फाइनेंशियल स्थिरता के बीच संतुलन बनाना किसी भी स्टार्टअप के लिए कितना अहम है। खासकर ऐसे समय में जब निवेशक ROI और स्थिरता पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखकर बनाई गई GenWise जैसी ऐप्स की जरूरत भारत जैसे देश में लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनके बिजनेस मॉडल को व्यावसायिक रूप से टिकाऊ बनाना जरूरी है।

अब देखना होगा कि GenWise अपने मौजूदा यूज़र बेस को बनाए रखते हुए नई सेवाओं के साथ बाज़ार में फिर से स्थिरता और ग्रोथ ला पाता है या नहीं।

Read more :💼 DMI Finance ने बढ़ाया ESOP पूल, कर्मचारियों को मिलेगा 306 करोड़ रुपये का स्टॉक बेनिफिट

💼 DMI Finance ने बढ़ाया ESOP पूल, कर्मचारियों को मिलेगा 306 करोड़ रुपये का स्टॉक बेनिफिट

DMI Finance

नई दिल्ली, अप्रैल 2025: भारत की अग्रणी डिजिटल लेंडिंग कंपनी DMI Finance ने अपने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा दिया है। कंपनी ने अपने मौजूदा ESOP प्लान (DMI ESOP Plan 2018 – Extended) में बड़े पैमाने पर विस्तार करते हुए 1.18 करोड़ से ज्यादा नए स्टॉक ऑप्शंस जोड़ दिए हैं।

कंपनी द्वारा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (RoC) में दायर की गई रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, इस निर्णय के बाद DMI Finance का कुल ESOP पूल बढ़कर 3.44 करोड़ ऑप्शंस का हो गया है।


📈 ESOP का मूल्य 892 करोड़ रुपये के पार

जानकारी के अनुसार, DMI Finance द्वारा जोड़े गए नए ESOPs का अनुमानित मूल्य लगभग 306.6 करोड़ रुपये (करीब $36 मिलियन) है। वहीं, पूरे ESOP पूल की वैल्यू 892 करोड़ रुपये (करीब $105 मिलियन) बताई जा रही है।

यह वैल्यूएशन कंपनी की पिछली फंडिंग राउंड पर आधारित है, जिसमें जापान के MUFG बैंक के नेतृत्व में DMI Finance ने $400 मिलियन (लगभग 3,300 करोड़ रुपये) की फंडिंग जुटाई थी। यह फंडिंग प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों तरह के ट्रांजैक्शनों से की गई थी।


👨‍💼 कंपनी में दो नए स्वतंत्र निदेशक नियुक्त

ESOP विस्तार के साथ ही, DMI Finance ने अपने बोर्ड में दो नए स्वतंत्र निदेशकों (Independent Directors) की नियुक्ति भी की है। अब Arjun Malhotra और Tammir Amr कंपनी के निदेशक मंडल का हिस्सा बन चुके हैं।

इससे कंपनी के गवर्नेंस स्ट्रक्चर को और मजबूत बनाने का संकेत मिलता है, खासकर तब जब कंपनी विस्तार और पारदर्शिता की दिशा में अग्रसर है।


🏦 क्या है DMI Finance?

DMI Finance की स्थापना 2008 में शिवाशीष चटर्जी और युवराज सिंह द्वारा की गई थी। यह एक प्रमुख डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म है, जो भारतीय ग्राहकों को पर्सनल लोन, कंजंप्शन लोन और MSME लोन प्रदान करता है।

कंपनी भारत की कई बड़ी डिजिटल कंपनियों जैसे कि Samsung, Google Pay और Airtel के साथ पार्टनरशिप में Embedded Finance सेवाएं देती है। इसके माध्यम से उपभोक्ता सीधा ऐप के माध्यम से लोन ले सकते हैं।


⚠️ RBI की रोक और उसका समाधान

अक्टूबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चार NBFCs, जिनमें DMI Finance भी शामिल थी, पर लोन मंजूरी और वितरण पर रोक लगा दी थी। यह कार्रवाई उच्च ब्याज दरें और असंतुलित इंटरेस्ट स्प्रेड जैसे कारणों से की गई थी।

हालांकि, जनवरी 2025 में RBI ने यह रोक हटा ली, जिससे कंपनी ने फिर से अपनी लोन सेवाएं शुरू कर दीं।


💰 FY24 में शानदार प्रदर्शन, 60% रेवेन्यू ग्रोथ

DMI Finance ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 60% सालाना वृद्धि के साथ ₹2,654 करोड़ का ऑपरेटिंग रेवेन्यू दर्ज किया। इसके साथ ही कंपनी ने ₹397 करोड़ का मुनाफा भी कमाया, जो इसके बिजनेस मॉडल की मजबूती को दर्शाता है।

FY25 के आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन FY24 के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि कंपनी ने RBI की रोक के बावजूद शानदार वित्तीय प्रदर्शन किया है।


🎯 क्यों महत्वपूर्ण है यह ESOP विस्तार?

ESOP यानी Employee Stock Option Plan एक ऐसा लाभ है, जिसके तहत कंपनी अपने कर्मचारियों को कंपनी के शेयर खरीदने का अवसर देती है। यह न केवल कर्मचारी को आर्थिक रूप से जोड़ता है, बल्कि कंपनी की सफलता में सीधे हिस्सेदार भी बनाता है।

DMI Finance का यह कदम इंगित करता है कि वह अपने कर्मचारियों को दीर्घकालिक रूप से साथ रखने और उन्हें मोटिवेटेड रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

ESOP का विस्तार खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा जो टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, और लेंडिंग ऑपरेशन्स जैसे क्षेत्रों में कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं।


🧠 निष्कर्ष

DMI Finance का ESOP पूल बढ़ाना एक ऐसा कदम है जो कर्मचारियों के विश्वास को मजबूत करता है और उन्हें कंपनी की ग्रोथ से जोड़ता है। साथ ही, यह इंडस्ट्री में कंपनी के सकारात्मक दृष्टिकोण और ग्रोथ अप्रोच को भी दर्शाता है।

जहां एक ओर कई NBFCs बाजार में संघर्ष कर रही हैं, वहीं DMI Finance ने RBI की चुनौती के बाद भी रिकवर करते हुए, मजबूत रेवेन्यू, मुनाफा और कर्मचारियों की भागीदारी को प्राथमिकता दी है।

अब देखना यह होगा कि ESOP विस्तार का यह फैसला कंपनी की भविष्य की प्रतिभा बनाए रखने और आकर्षित करने में कितना कारगर साबित होता है।

Read more :🚖 Evera Cabs ने BluSmart की 500 इलेक्ट्रिक टैक्सियों पर किया कब्ज़ा,

🚖 Evera Cabs ने BluSmart की 500 इलेक्ट्रिक टैक्सियों पर किया कब्ज़ा,

Evera Cabs

नई दिल्ली, अप्रैल 2025 — भारत के प्रमुख इलेक्ट्रिक कैब सेवा प्रदाताओं में से एक Evera Cabs (Prakriti Mobility) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए BluSmart द्वारा संचालित 500 इलेक्ट्रिक टैक्सियों को पुनः अधिग्रहित (repossess) करना शुरू कर दिया है। यह कदम BluSmart द्वारा प्रमुख शहरों में अपनी सेवाएं स्थगित करने के बाद उठाया गया है।

अब तक Evera ने 220 टैक्सियों को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है, जबकि बाकी 280 टैक्सियां आने वाले दिनों में उनके पास वापस आ जाएंगी। इस अधिग्रहण के साथ ही Evera देश की सबसे अग्रणी इलेक्ट्रिक टैक्सी सेवा के रूप में उभरने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, विशेषकर एयरपोर्ट मोबिलिटी सेगमेंट में।


📉 BluSmart की गिरावट, Evera के लिए अवसर

BluSmart, जिसे BP Ventures और Mayfield जैसे बड़े निवेशकों का समर्थन प्राप्त था, हाल के महीनों में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में अपनी सेवाएं स्थगित करने को मजबूर हो गई। इसके साथ ही कंपनी को अपने ड्राइवर पार्टनर्स की नाराजगी, बकाया भुगतान और नौकरी छूटने जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ा।

ऐसे मुश्किल हालातों में Evera ने मौके को भांपते हुए BluSmart की टैक्सियों को अपने नेटवर्क में शामिल करने की रणनीति बनाई है।


🚗 1,000 BluSmart टैक्सियों को टारगेट कर रहा है Evera

Evera ने प्रेस रिलीज़ में बताया कि वह BluSmart की कुल 1,000 टैक्सियों को अधिग्रहण करने की योजना पर काम कर रहा है। इस समय कंपनी का फोकस दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र, खासकर इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) पर केंद्रित है।

Evera ने बताया कि यह अधिग्रहण एक मल्टी-स्टेज स्ट्रैटेजिक प्लान का हिस्सा है, जिससे कंपनी दिल्ली-एनसीआर में एयरपोर्ट कैब सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।


✈️ एयरपोर्ट सर्विस पर फोकस

Evera Cabs एक ऑल-इलेक्ट्रिक, ऐप-आधारित टैक्सी सेवा है जो 2022 से B2B सेगमेंट में काम कर रही है। वर्तमान में कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 से अपनी सेवाएं देती है, लेकिन अब BluSmart की टैक्सियों को शामिल करने के बाद, Evera का लक्ष्य सभी टर्मिनलों पर सेवा देने का है।

यह कदम कंपनी की टर्नअराउंड टाइम सुधारने और यात्रियों को बेहतर गाड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगा।


👨‍✈️ ड्राइवर भी कर रहे हैं Evera में ट्रांजिशन

सिर्फ गाड़ियों का अधिग्रहण ही नहीं, बल्कि Evera ने BluSmart के ड्राइवरों को भी अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। अब तक लगभग 150 पूर्व BluSmart ड्राइवर Evera के लिए ट्रिप्स कंप्लीट कर चुके हैं। कंपनी का कहना है कि यह संख्या अगले चरण में और बढ़ेगी।

इस ट्रांजिशन से ना सिर्फ Evera को अनुभवी ड्राइवर मिल रहे हैं, बल्कि BluSmart के ड्राइवरों को भी नई नौकरी और आय का अवसर मिल रहा है।


🔧 क्या है Evera की रणनीति?

Evera की इस योजना के दो प्रमुख चरण हैं:

चरण 1:

  • BluSmart की टैक्सियों का अधिग्रहण
  • एयरपोर्ट ऑपरेशन को तुरंत मजबूत बनाना
  • टर्मिनल 3 से शुरू करके अन्य टर्मिनलों पर विस्तार

चरण 2:

  • सभी एयरपोर्ट टर्मिनलों पर सेवा देना
  • बेड़े में नई गाड़ियों के साथ पूरे NCR में विस्तार
  • यात्रियों के लिए बेहतर सर्विस एक्सपीरियंस देना

📊 क्या कहता है बाजार?

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर सरकारी स्तर पर भी जोर दिया जा रहा है। EV नीति, FAME स्कीम, और बैटरी स्वैपिंग पॉलिसीज़ जैसी पहलों के चलते इलेक्ट्रिक कैब सर्विसेज़ का भविष्य उज्जवल नजर आता है।

ऐसे में Evera का यह कदम उसे मार्केट लीडरशिप की ओर ले जा सकता है, खासकर तब जब BluSmart जैसी कंपनियां चुनौतियों से जूझ रही हैं।


🧠 निष्कर्ष

Evera Cabs का BluSmart की 500 इलेक्ट्रिक टैक्सियों का अधिग्रहण करना केवल एक व्यवसायिक सौदा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक विस्तार है। यह कदम दिल्ली-एनसीआर के तेजी से बढ़ते एयरपोर्ट मोबिलिटी मार्केट में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा।

जहां एक ओर BluSmart अपनी सेवाएं समेट रही है, वहीं दूसरी ओर Evera उसे मौके में बदलते हुए न सिर्फ गाड़ियों को, बल्कि ड्राइवरों और ग्राहकों को भी अपने साथ जोड़ने में लगी है।

आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या Evera इस अधिग्रहण को स्मूदली स्केल कर पाती है, और क्या यह उसे भारत की नंबर 1 इलेक्ट्रिक टैक्सी कंपनी बना पाती है।

Read more :🔋 Battery Smart की रफ्तार तेज़, राजस्व तीन गुना लेकिन घाटा भी दोगुना

🔋 Battery Smart की रफ्तार तेज़, राजस्व तीन गुना लेकिन घाटा भी दोगुना

Battery Smart

गुरुग्राम, अप्रैल 2025 — भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर सेगमेंट के लिए बैटरी-स्वैपिंग नेटवर्क संचालित करने वाली कंपनी battery smart ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की है। कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू ₹164 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष ₹56 करोड़ था — यानी 193% की छलांग

हालांकि, तेज़ी से स्केल करने की रणनीति के चलते कंपनी का घाटा भी दोगुना होकर ₹140 करोड़ हो गया, जो पिछले साल ₹61 करोड़ था।


⚙️ बिज़नेस मॉडल: बैटरी-एज़-ए-सर्विस

Battery Smart का मुख्य व्यवसाय बैटरी-स्वैपिंग नेटवर्क ऑपरेट करना है, जो खासकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहनों के लिए काम करता है। कंपनी “Battery-as-a-Service” मॉडल के तहत वाहन निर्माताओं को बैटरियों की अदला-बदली (swapping) की सुविधा देती है। यही इसका प्रमुख राजस्व स्रोत है।

FY24 में कंपनी ने ब्याज और अन्य वित्तीय स्रोतों से ₹23 करोड़ की अतिरिक्त आय अर्जित की, जिससे कुल आय ₹187 करोड़ तक पहुंच गई।


📈 Battery Smart आय में तीन गुना बढ़ोतरी

Battery Smart की वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार:

  • ऑपरेटिंग रेवेन्यू (मुख्य व्यवसाय से आय): ₹164 करोड़ (193% वृद्धि)
  • कुल आय: ₹187 करोड़ (जिसमें ₹23 करोड़ ब्याज से)
  • FY23 में ऑपरेटिंग रेवेन्यू: ₹56 करोड़

इसका मतलब है कि कंपनी ने ग्राहकों और बाजार में तेज़ी से जगह बनाई है और इसकी सर्विसेज को व्यापक स्वीकृति मिल रही है।


💸 खर्चों में ज़बरदस्त उछाल

जहां आय में भारी इजाफा हुआ, वहीं खर्चों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई। कंपनी के कुल खर्च FY24 में ₹327 करोड़ हो गए, जो पिछले वर्ष ₹125 करोड़ थे — यानी 2.6 गुना वृद्धि।

विस्तृत खर्च विश्लेषण:

  • डिप्रिसिएशन (Depreciation): ₹85 करोड़ (3.8 गुना वृद्धि)
  • फाइनेंस कॉस्ट (ब्याज खर्च): ₹45 करोड़ (3.75 गुना वृद्धि)
  • कर्मचारी लाभ व्यय (Employee Benefits): ₹41 करोड़ (95.2% वृद्धि)
  • विज्ञापन खर्च: ₹8 करोड़ (60% की गिरावट)

यह स्पष्ट है कि कंपनी ने मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश किया है, जबकि विज्ञापन में कटौती की गई है।


📉 घाटा भी हुआ दोगुना

हालांकि टॉप-लाइन (राजस्व) में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली, लेकिन बॉटम-लाइन यानी नेट लॉस भी काफी बढ़ा। FY24 में कंपनी ने ₹140 करोड़ का घाटा दर्ज किया, जो कि FY23 के ₹61 करोड़ से 2.3 गुना अधिक है।

कुछ महत्वपूर्ण संकेतक:

  • EBITDA मार्जिन: -5.35%
  • ROCE (Return on Capital Employed): -18.34%
  • प्रति ₹1 कमाई पर खर्च: ₹1.99

इसका मतलब है कि Battery Smart को हर एक रुपए की ऑपरेटिंग आय पर लगभग दो रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।


💼 संपत्ति और नकदी स्थिति

मार्च 2024 तक, कंपनी की कुल चालू संपत्ति ₹328 करोड़ थी। इसमें से:

  • नकद और बैंक बैलेंस: ₹107 करोड़

कंपनी के पास फिलहाल पर्याप्त नकदी है, जिससे निकट भविष्य में संचालन और निवेश करने की गुंजाइश बनी हुई है।


🔍 क्या कहती है रिपोर्ट?

Battery Smart की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कंपनी तेजी से अपने नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर को स्केल कर रही है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि इस विस्तार की कीमत उसे घाटे के रूप में चुकानी पड़ रही है।

जहां डिप्रिसिएशन और फाइनेंस कॉस्ट में भारी वृद्धि हुई, वहीं ऑपरेशनल खर्चों में नियंत्रण लाना अब कंपनी के लिए अगली चुनौती बन सकता है।


🔋 बैटरी स्वैपिंग बाजार में Battery Smart की स्थिति

भारत में EV (इलेक्ट्रिक वाहन) क्रांति के साथ-साथ बैटरी-स्वैपिंग मॉडल को भविष्य की एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है। Battery Smart इस सेगमेंट में अग्रणी खिलाड़ियों में से एक बनकर उभरी है।

इसके प्रमुख लाभ:

  • कम चार्जिंग समय
  • अधिक व्हीकल अपटाइम
  • लोअर फ्यूल कॉस्ट

ऐसे में कंपनी का मौजूदा घाटा दीर्घकालिक निवेश के रूप में भी देखा जा सकता है।


🔚 निष्कर्ष

Battery Smart ने FY24 में गति और विस्तार दोनों को प्राथमिकता दी, जिससे राजस्व में तेज़ ग्रोथ देखने को मिली। हालांकि इस ग्रोथ के साथ आया भारी खर्च और घाटा कंपनी के लिए अलार्मिंग संकेत हो सकता है अगर यह ट्रेंड अगले कुछ वर्षों तक जारी रहा।

लेकिन बाजार में इसकी मजबूत उपस्थिति, कैश रिज़र्व और बैटरी-एज़-ए-सर्विस की मांग को देखते हुए, Battery Smart भारत के EV इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार दिख रही है

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🚛 91Trucks को ₹42.9 करोड़ की फंडिंग, कंपनी का वैल्यूएशन 5.5 गुना बढ़ा

91Trucks

नई दिल्ली, अप्रैल 2025 — कमर्शियल वाहनों के लिए ऑनलाइन लिस्टिंग प्लेटफॉर्म 91Trucks ने अपने सीरीज़ A फंडिंग राउंड में कुल ₹42.9 करोड़ ($5 मिलियन) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व Arkam Ventures ने अपने एसोसिएट फंड Unitary Fund के ज़रिए किया। इस राउंड में Titan Capital, Sparrow Capital, और Atrium Angels जैसे इनवेस्टर्स ने भी भाग लिया।


💰 कौन-कितना निवेश लाया?

91Trucks की रेगुलेटरी फाइलिंग्स (Registrar of Companies से प्राप्त) के अनुसार, कंपनी ने सीरीज़ A राउंड में कुल 2,247 सीसीपीएस (Compulsorily Convertible Preference Shares) को ₹1,88,578 प्रति शेयर की दर से जारी किया। इस प्रक्रिया में कुल ₹42.9 करोड़ जुटाए गए।

निवेश वितरण इस प्रकार रहा:

  • Arkam Ventures – ₹25.2 करोड़ (लगभग $3 मिलियन)
  • Titan Capital – ₹15 करोड़
  • Sparrow Capital – ₹1.73 करोड़
  • Atrium Angels – ₹1 करोड़

यह जानकारी सबसे पहले Entrackr द्वारा रिपोर्ट की गई थी।


📈 फंडिंग का उपयोग कहाँ होगा?

कंपनी ने अपनी फाइलिंग्स में बताया कि इस फंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure), मार्केटिंग, और जनरल कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इससे 91Trucks को अपने प्लेटफॉर्म को और विस्तार देने, ब्रांडिंग मजबूत करने और यूज़र बेस बढ़ाने में मदद मिलेगी।


🏢 कंपनी का वैल्यूएशन कितना पहुंचा?

Entrackr के अनुमानों के अनुसार, 91Trucks का वैल्यूएशन अब ₹280 करोड़ ($33 मिलियन) तक पहुंच गया है — जो कि इसके सीड राउंड के समय ₹50.47 करोड़ था। यानी कंपनी का वैल्यूएशन करीब 5.5 गुना बढ़ा है।


🛻 91Trucks क्या करता है?

साल 2022 में लॉन्च हुई Gurugram-बेस्ड 91Trucks, एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो कमर्शियल वाहनों की जानकारी उपलब्ध कराता है। इसमें शामिल हैं:

  • नई और पुरानी ट्रक, बस, और ऑटो रिक्शा की जानकारी
  • कीमतों की तुलना (Price Comparison)
  • स्पेसिफिकेशन और फीचर्स
  • नजदीकी डीलर्स की लिस्ट

कंपनी के वेबसाइट के अनुसार, 91Trucks ने दिल्ली-एनसीआर और मेरठ में 5 ऑफलाइन स्टोर्स भी शुरू किए हैं, जहां किफायती दामों पर यूज़्ड कमर्शियल व्हीकल्स उपलब्ध हैं।


📊 निवेशकों की हिस्सेदारी

स्टार्टअप डेटा प्लेटफॉर्म TheKredible के अनुसार, सीरीज़ A राउंड के बाद 91Trucks में निवेशकों की हिस्सेदारी कुछ इस प्रकार है:

  • Arkam Ventures – 9% (सबसे बड़ा बाहरी शेयरहोल्डर)
  • Titan Capital – 5.35%
  • Sparrow Capital – 4.94%

इससे साफ है कि कंपनी के मुख्य रणनीतिक फैसलों में इन निवेशकों की अहम भूमिका रहने वाली है।


📅 वित्तीय स्थिति कैसी है?

वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 91Trucks ने ₹10.11 करोड़ का रेवेन्यू रिपोर्ट किया, जो कि पिछले वित्त वर्ष (FY23) के ₹3.95 करोड़ से करीब 2.5 गुना ज्यादा है।

हालांकि कंपनी अभी भी लाभ में नहीं है, लेकिन FY24 में इसका घाटा ₹1 करोड़ से कम रहा, जो कि एक शुरुआती स्टार्टअप के लिए मजबूत संकेत है।

कंपनी ने FY25 के आंकड़े अभी तक सार्वजनिक नहीं किए हैं।


🛣️ आगे का रास्ता

91Trucks ने कमर्शियल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक ऐसे सेगमेंट को टारगेट किया है, जहां पारंपरिक मार्केटिंग और सेल्स मॉडल अब डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की ओर बढ़ रहे हैं। 91Trucks जैसे प्लेटफॉर्म से:

  • छोटे व्यवसायियों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स को सुविधा होती है
  • उपयोगकर्ता तुलनात्मक रूप से बेहतर डील्स खोज सकते हैं
  • ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन (O2O) सेल्स मॉडल मजबूत होता है

अब जब कंपनी के पास नया फंड है, तो वह न सिर्फ अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ा पाएगी, बल्कि ग्रामीण और सेमी-अर्बन बाजारों में भी अपनी पहुंच बढ़ा सकेगी।


🔚 निष्कर्ष

91Trucks की इस लेटेस्ट फंडिंग से यह स्पष्ट है कि भारत में कमर्शियल व्हीकल सेक्टर अब टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बनने को तैयार है। Arkam Ventures और Titan Capital जैसे अनुभवी निवेशकों का साथ मिलना कंपनी के लिए एक बड़ी मान्यता है।

अब देखना यह होगा कि 91Trucks इस फंडिंग का उपयोग कैसे करता है और आने वाले महीनों में किस प्रकार के नवाचार और विस्तार लेकर आता है।

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⚡ Ola Electric पर मंडरा रहा SEBI का शिकंजा, इनसाइडर ट्रेडिंग की जांच की आशंका

ola electric

देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी Ola Electric एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की संभावित इनसाइडर ट्रेडिंग जांच। खबरों के मुताबिक, SEBI कंपनी के अनलिस्टेड शेयरों में कुछ संदिग्ध ट्रेडिंग गतिविधियों की जांच कर सकती है, जो कंपनी के आंतरिक फैसलों से पहले हुई थीं।


🕵️‍♂️ क्या है पूरा मामला?

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, Ola Electric के कुछ अनलिस्टेड शेयरों में असामान्य ट्रेडिंग पैटर्न देखने को मिले हैं। यह ट्रेडिंग कथित तौर पर कंपनी के कुछ प्रमुख आंतरिक फैसलों से ठीक पहले हुई, जिससे यह संदेह गहराया कि इनसाइडर जानकारी के आधार पर शेयरों की खरीद-बिक्री की गई हो सकती है।

SEBI इस बात की जांच कर रहा है कि क्या किसी आंतरिक व्यक्ति ने गोपनीय जानकारी का लाभ उठाकर शेयरों में ट्रेड किया है।


📝 Ola Electric ने दी सफाई

इस विवाद के बीच Ola Electric ने स्टॉक एक्सचेंज को एक आधिकारिक बयान जारी कर सफाई दी है। कंपनी ने कहा:

“जिन ट्रेड्स की बात की जा रही है, वे कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ईएसओपी्स (ESOPs) के तहत मिले शेयरों को एक्सरसाइज़ कर किए गए सामान्य लेन-देन हैं। ये ट्रेड्स ओपन मार्केट में नहीं हुए हैं।”

कंपनी का दावा है कि ये लेन-देन नियमित और पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया के तहत किए गए, जिनमें किसी तरह की अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग नहीं हुआ है।


📉 पहले भी लग चुके हैं नियमों के उल्लंघन के आरोप

यह पहली बार नहीं है जब Ola Electric पर नियामकीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है।

  • जनवरी 2025 में SEBI ने कंपनी को चेतावनी जारी की थी, जब Ola Electric ने अपने रिटेल विस्तार की घोषणा पहले सोशल मीडिया पर कर दी थी और बाद में एक्सचेंज को सूचित किया।
  • यह SEBI के LODR (Listing Obligations and Disclosure Requirements) नियमों का उल्लंघन था, क्योंकि कंपनियों को पहले शेयर बाजार को जानकारी देनी होती है।

SEBI ने Ola Electric को “चयनात्मक खुलासे” से बचने और नियमों का सख्ती से पालन करने की चेतावनी दी थी।


📊 बिक्री आंकड़ों में भी आई थी विसंगति

फरवरी 2025 में Ola Electric के बिक्री आंकड़ों पर भी सवाल खड़े हुए थे। कंपनी ने उस महीने 25,000 वाहनों की बिक्री का दावा किया था, लेकिन सरकार के VAHAN पोर्टल पर मात्र 8,600 वाहनों का पंजीकरण दर्ज था।

Ola Electric ने इस अंतर के पीछे डीलरों और रजिस्ट्रेशन वेंडर्स के साथ चल रही बातचीत को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, यह मामला भी Ola की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े करता है।


🏍️ बाज़ार हिस्सेदारी में दूसरी पोजिशन, लेकिन गिरती वित्तीय स्थिति

अप्रैल 2025 में Ola Electric ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में दूसरे स्थान पर कब्जा किया। वहीं, TVS Motor इस सेगमेंट की मार्केट लीडर बनी रही।

हालांकि, बाजार हिस्सेदारी के बावजूद कंपनी की वित्तीय स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है:

  • Q3 FY25 (अक्टूबर–दिसंबर 2024) में कंपनी की ऑपरेटिंग रिवेन्यू ₹1,296 करोड़ से घटकर ₹1,045 करोड़ रह गई — यानी 19.4% की गिरावट।
  • कंपनी का नेट लॉस (Net Loss) 50% बढ़कर ₹564 करोड़ हो गया, जो पिछली तिमाही में ₹375 करोड़ था।
  • Ola Electric के शेयर की कीमत घटकर ₹48.53 रह गई, जिससे कंपनी का अनुमानित मार्केट कैप ₹21,405 करोड़ (लगभग $2.5 बिलियन) पर आ गया।

👉 यानी घाटे का बोझ बढ़ रहा है और निवेशकों का भरोसा कम होता दिख रहा है।


📉 Ola का IPO प्लान और दबाव

Ola Electric की योजना है कि वह जल्द ही IPO (Initial Public Offering) लेकर आए, ताकि बाजार से पूंजी जुटाई जा सके। लेकिन:

  • लगातार वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट,
  • SEBI के नियम उल्लंघन,
  • और अब इनसाइडर ट्रेडिंग जांच की आशंका — ये सभी बातें कंपनी की IPO योजना पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि IPO लाने से पहले कंपनी को पारदर्शिता, नियमों के पालन और मुनाफे की स्थिरता साबित करनी होगी।


🧭 आगे क्या हो सकता है?

अगर SEBI की जांच आगे बढ़ती है और Ola Electric पर आरोप सिद्ध होते हैं, तो:

  • कंपनी को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
  • IPO प्रक्रिया पर विराम लग सकता है।
  • और सबसे बड़ी बात — कंपनी की साख और ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंच सकता है।

वहीं, अगर Ola Electric जांच में दोषमुक्त पाई जाती है, तो वह अपनी IPO योजना को पुनः आगे बढ़ा सकती है।


🧾 निष्कर्ष: पारदर्शिता और नियम पालन की अग्नि परीक्षा

Ola Electric एक महत्वाकांक्षी स्टार्टअप है जिसने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में तेजी से खुद को स्थापित किया है। लेकिन, नियमों का पालन और पारदर्शिता किसी भी कंपनी की दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक होते हैं।

SEBI की संभावित जांच Ola के लिए एक सावधानी की घंटी है। निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों का भरोसा तभी बरकरार रहेगा जब कंपनी सभी नियमों का ईमानदारी से पालन करे और अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार लाए।

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🏨 तीसरी बार टली OYO की IPO योजना, सॉफ्टबैंक की आपत्ति बनी वजह

OYO

गुरुग्राम स्थित हॉस्पिटैलिटी कंपनी OYO (ओयो) ने एक बार फिर अपनी IPO योजना को टाल दिया है। यह तीसरा मौका है जब कंपनी ने अपने शेयर बाजार में लिस्टिंग की योजना को स्थगित किया है। इस बार यह फैसला उसके सबसे बड़े निवेशक सॉफ्टबैंक (SoftBank) की आपत्तियों के बाद लिया गया है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सॉफ्टबैंक ने OYO के अक्टूबर में IPO लाने के फैसले पर आपत्ति जताई है और कंपनी से कहा है कि जब तक मुनाफे में मज़बूती न दिखे, तब तक IPO को टाल दिया जाए।


💸 क्या था OYO का नया IPO प्लान?

OYO की IPO योजना में दो प्रमुख हिस्से शामिल थे:

  • नई इक्विटी का इश्यू (Fresh Issue) – ₹7,000 करोड़
  • ऑफर फॉर सेल (OFS) – ₹1,430 करोड़

OYO इस फंड का उपयोग अपने कर्ज चुकाने, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और वैश्विक विस्तार के लिए करना चाहती थी। हालांकि, निवेशक सॉफ्टबैंक की राय है कि कंपनी को IPO लाने से पहले अपने मुनाफे को और मज़बूत दिखाना होगा


📈 कंपनी की वित्तीय स्थिति: लाभ में फिर भी IPO टला

OYO ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में शानदार प्रदर्शन किया था:

  • कंपनी का नेट प्रॉफिट ₹166 करोड़ रहा – जो कि पिछली तिमाही की तुलना में छह गुना अधिक था।
  • राजस्व (Revenue) ₹1,695 करोड़ रहा – यह पिछले वर्ष की इसी तिमाही से 31% ज्यादा है।

OYO ने पहली बार पूरे साल के लिए मुनाफा FY24 में दर्ज किया था:

  • PAT (Profit After Tax) – ₹230 करोड़
  • FY24 का राजस्व – ₹5,389 करोड़
  • FY23 का राजस्व – ₹5,464 करोड़

👉 हालांकि राजस्व में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन मुनाफे में सुधार ने कंपनी को IPO की दिशा में बढ़ने का आत्मविश्वास दिया था। बावजूद इसके, सॉफ्टबैंक IPO में देरी की मांग कर रहा है।


📉 IPO की राह में लगातार अड़चनें

OYO की IPO प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों से लगातार बाधित होती रही है:

  • 📌 2021 में कंपनी ने पहली बार अपना IPO ड्राफ्ट सेबी (SEBI) को सौंपा था।
  • जनवरी 2023 में SEBI ने उसे लौटा दिया, क्योंकि दस्तावेज़ों में पारदर्शिता और मुनाफे की स्थिरता को लेकर सवाल थे।
  • 🔁 मई 2024 में OYO ने अपना अपडेटेड ड्राफ्ट IPO दस्तावेज़ वापस ले लिया, जिसमें डॉलर बॉन्ड के ज़रिए $450 मिलियन जुटाने की योजना भी थी।

👉 अब, 2025 में तीसरी बार, IPO को फिर से स्थगित करना पड़ा है।


💬 सॉफ्टबैंक की भूमिका: सबसे बड़ा निवेशक, सबसे बड़ी आपत्ति

सॉफ्टबैंक, जो कि OYO का सबसे बड़ा निवेशक है, ने हमेशा कंपनी के रणनीतिक फैसलों में प्रभावी भूमिका निभाई है। रिपोर्ट के मुताबिक:

  • सॉफ्टबैंक को मौजूदा मार्केट कंडीशंस IPO के लिए सही नहीं लग रही हैं।
  • वे चाहते हैं कि OYO और अधिक तिमाहियों तक सुनिश्चित मुनाफा और स्थिरता दिखाए।
  • साथ ही, निवेशकों के बीच कंपनी की ब्रांड वैल्यू और स्थायित्व को लेकर संदेह कम हो।

👉 यह आपत्तियाँ OYO के वैल्यूएशन और IPO के रिस्पॉन्स को प्रभावित कर सकती थीं, इसलिए कंपनी ने IPO टालने का फैसला लिया।


🔍 इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय

स्टार्टअप फंडिंग और आईपीओ ट्रेंड्स पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि:

  • OYO जैसी कंपनियों को IPO से पहले स्थिर लाभ दिखाना ज़रूरी है।
  • टेक और हॉस्पिटैलिटी स्टार्टअप्स की वैल्यूएशन अब अधिक रियलिस्टिक हो रही है, और निवेशक जल्दबाज़ी नहीं दिखा रहे हैं।
  • मार्केट की मौजूदा अनिश्चितता, जैसे वैश्विक मंदी, अमेरिका में चुनावों का असर, और भारतीय बाजारों में मिक्स्ड रिस्पॉन्स, IPO को सफल बनाने में बाधा बन सकते हैं।

🧭 आगे का रास्ता क्या?

OYO की रणनीति अब शायद कुछ और तिमाहियों तक मुनाफा दिखाने, अपने इंटरनल मैट्रिक्स को बेहतर करने और निवेशकों का भरोसा मजबूत करने पर केंद्रित होगी।

  • 📊 कंपनी अब FY25 की चौथी तिमाही और FY26 की पहली तिमाही में प्रदर्शन दिखाने पर जोर दे सकती है।
  • 🌐 OYO ने हाल ही में कई इंटरनेशनल मार्केट्स में एंट्री की है – यह विस्तार भी कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ को प्रभावित करेगा।
  • 💼 वहीं, OYO अपने खर्चों में कटौती और टेक्नोलॉजी अपग्रेड जैसे कदम उठा रही है ताकि उसकी प्रोफिटेबिलिटी और बेहतर हो।

🔚 निष्कर्ष: IPO तो टला, लेकिन OYO की तैयारी जारी

OYO का IPO टलना भले ही कंपनी के लिए एक अस्थायी झटका हो, लेकिन इससे यह भी साफ है कि आज के निवेशक “लाभ दिखाओ, फिर लिस्ट हो” के सिद्धांत को मानते हैं।

IPO बाजार अब केवल वादों पर नहीं, ठोस वित्तीय प्रदर्शन और पारदर्शिता पर भरोसा करता है। OYO के पास अब वक्त है अपनी रणनीति को और निखारने का, ताकि अगली बार जब वह IPO लेकर आए – तो निवेशक भी पूरी तैयारी के साथ उसका स्वागत करें।

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🎮💰 WinZO की धमाकेदार कमाई FY24 में ₹1,055 करोड़ का रेवेन्यू और ₹315 करोड़ का मुनाफा

Winzo

भारत की प्रमुख गेमिंग पब्लिशर कंपनी WinZO ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में शानदार प्रदर्शन करते हुए ₹1,055 करोड़ की ऑपरेटिंग इनकम दर्ज की है, जो पिछले साल की तुलना में 70% अधिक है। यही नहीं, कंपनी का शुद्ध लाभ (PAT) भी 2.5 गुना बढ़कर ₹315 करोड़ पहुंच गया है।

कंपनी ने यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल की है जब ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी दर को अक्टूबर 2023 से 28% तक बढ़ा दिया गया, जो उद्योग के लिए एक बड़ा झटका माना गया था।


📊 प्रतियोगियों को पीछे छोड़ा

WinZO ने FY24 में अपने रेवेन्यू ग्रोथ के मामले में कई प्रमुख प्रतियोगियों को पीछे छोड़ दिया:

  • Nazara Technologies: 4% ग्रोथ
  • Zupee: 34.9% ग्रोथ
  • Mobile Premier League (MPL): 22% ग्रोथ

इन आंकड़ों से साफ है कि WinZO ने न केवल इंडस्ट्री में मजबूती से अपनी जगह बनाई है, बल्कि ग्रोथ में भी बाकी कंपनियों से कहीं आगे निकल गई है।


🚨 जीएसटी बढ़ोतरी के बावजूद ग्रोथ

1 अक्टूबर 2023 से लागू हुए 28% जीएसटी ने ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर दबाव जरूर डाला है, क्योंकि पहले यह दर काफी कम थी। यह बदलाव पूरे वित्तीय वर्ष के केवल आधे हिस्से पर लागू हुआ था, इसलिए इसका पूरा प्रभाव FY25 में देखने को मिलेगा

इसके बावजूद, WinZO ने FY24 में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई, जो कंपनी के सशक्त बिजनेस मॉडल और ऑपरेशनल एफिशिएंसी का संकेत है।


👥 25 करोड़ यूज़र्स और मजबूत नेटवर्क

WinZO की स्थापना पावन नंदा और सौम्या सिंह राठौर ने की थी। आज कंपनी के पास हैं:

  • 250 मिलियन (25 करोड़) रजिस्टर्ड यूज़र्स
  • 50 टेक डेवलपर पार्टनर्स
  • 200 कर्मचारियों की छोटी लेकिन कुशल टीम
  • 75,000+ माइक्रो-इन्फ्लुएंसर्स और गेमिंग क्रिएटर्स का नेटवर्क

कंपनी छोटे शहरों और कस्बों में क्रिएटर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रही है।


🎮 कैज़ुअल गेम्स का बड़ा पोर्टफोलियो

WinZO का गेमिंग पोर्टफोलियो भारत के लोकप्रिय कैज़ुअल गेम्स पर केंद्रित है, जैसे:

  • कैरम (Carrom)
  • लूडो (Ludo)
  • 8 बॉल पूल
  • शतरंज (Chess)

इन खेलों की लोकप्रियता भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में बहुत अधिक है, जिससे WinZO को व्यापक यूज़रबेस मिला है।


🏦 फंडिंग और निवेशक

WinZO ने अब तक $100 मिलियन (लगभग ₹830 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। इसके प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं:

  • Kalaari Capital
  • Griffin Gaming Partners
  • Courtside Ventures
  • Makers Fund

इन निवेशकों का साथ WinZO को टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग और टीम बिल्डिंग में जबरदस्त मजबूती देता है।


🔍 टेक्नोलॉजी में बढ़त: 50+ पेटेंट

WinZO सिर्फ गेमिंग तक सीमित नहीं है। कंपनी ने 50 से अधिक टेक्नोलॉजी पेटेंट्स फाइल किए हैं। यह दिखाता है कि कंपनी न सिर्फ कंज्यूमर एंगेजमेंट में, बल्कि इनोवेशन में भी अग्रणी है।


💳 फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी मजबूत

एक बेहद दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत में हर 200वां UPI ट्रांजैक्शन WinZO के माध्यम से होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि WinZO का प्लेटफॉर्म केवल गेमिंग ही नहीं, बल्कि डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में भी गहरी पैठ बना चुका है।


🧾 अकाउंटिंग ट्रांजिशन और नॉन-कैश खर्च

FY23 में WinZO ने IndAS अकाउंटिंग स्टैंडर्ड को अपनाया, जिसके चलते उन्हें अपने CCPS (Compulsorily Convertible Preference Shares) को इक्विटी की बजाय लायबिलिटी के रूप में दिखाना पड़ा। इससे FY23 में कंपनी की बैलेंस शीट पर ₹999 करोड़ का नॉन-कैश खर्च दर्ज किया गया।

हालांकि, यह एक लेखा-प्रक्रिया संबंधी तकनीकी बदलाव था और इसका कंपनी की कैश फ्लो या परिचालन प्रदर्शन पर कोई सीधा असर नहीं पड़ा


🧠 निष्कर्ष: गेमिंग उद्योग में नया लीडर?

WinZO ने FY24 में जिस तरह से तेज़ ग्रोथ, उच्च मुनाफा और यूज़र एंगेजमेंट दिखाया है, उससे यह साफ है कि कंपनी अब केवल एक गेमिंग पब्लिशर नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल एंटरटेनमेंट और फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम की एक बड़ी खिलाड़ी बनती जा रही है।

जहां GST जैसे नीति संबंधी बदलाव चुनौतियां पेश कर सकते हैं, वहीं WinZO का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि सही रणनीति, लोकल फोकस और टेक इनोवेशन के साथ भारत जैसे विविध और तेज़ी से बढ़ते बाजार में अपार संभावनाएं हैं।

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🛋️ Delhivery के CEO Sahil Barua ने Nestasia के बोर्ड में दी एंट्री,

Delhivery

भारतीय लॉजिस्टिक्स सेक्टर के प्रमुख नामों में शुमार Delhivery के संस्थापक और CEO साहिल बरुआ (Sahil Barua) ने अब होम डेकोर और लाइफस्टाइल ब्रांड Nestasia के बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल होकर एक नया अध्याय शुरू किया है।

यह कदम Swiggy के स्वतंत्र निदेशक पद से उनके हालिया इस्तीफे के तुरंत बाद आया है, जिसे उन्होंने “प्रोफेशनल कमिटमेंट्स” का हवाला देते हुए छोड़ा था।


🧑‍💼 क्या होगा साहिल बरुआ की भूमिका?

साहिल बरुआ की विशेषज्ञता खास तौर पर स्केलेबल ऑपरेशंस, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, और ओम्नीचैनल डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटेजी में मानी जाती है। Nestasia की योजना है कि वे उनके अनुभव का लाभ उठाकर अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों बाजारों में विस्तार कर सकें।

कंपनी का लक्ष्य है:

  • ऑपरेशनल स्केलेबिलिटी को मजबूत करना
  • सेल्स चैनलों में तेज़ी से ग्रोथ लाना
  • ओम्नीचैनल नेटवर्क को और सशक्त बनाना

🏠 Nestasia: एक उभरता हुआ होम डेकोर ब्रांड

Nestasia की शुरुआत 2019 में अनुराग अग्रवाल और अदिति मुरारका अग्रवाल ने की थी। ब्रांड आज भारत के तेजी से बढ़ते D2C (Direct-to-Consumer) सेगमेंट में एक मजबूत पहचान बना चुका है।

📦 उत्पाद श्रेणियाँ:

  • डाइनिंग और किचन एक्सेसरीज़
  • होम डेकोर और बाथ प्रोडक्ट्स
  • बैग्स और स्टोरेज सॉल्यूशन्स

कंपनी का दावा है कि उसके पास 7,000 से अधिक उत्पादों का कैटलॉग है और वह अब तक 5 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवा दे चुकी है।


🏬 2025 तक खोलने की योजना है 30 स्टोर

इस समय Nestasia के 7 शहरों — कोलकाता, हैदराबाद, पुणे, नोएडा, देहरादून, बेंगलुरु और चंडीगढ़ — में फिजिकल रिटेल आउटलेट्स हैं। अब कंपनी का प्लान है कि वह 2025 के अंत तक 30 ऑफलाइन स्टोर्स खोले।

इसमें Tier-1 शहरों के साथ-साथ Tier-2 और Tier-3 मार्केट्स पर भी फोकस किया जाएगा ताकि ग्राउंड लेवल पर ब्रांड की मौजूदगी और मज़बूत हो सके।


💰 सितंबर 2024 में हुआ था बड़ा फंडरेज़

सितंबर 2024 में, Nestasia ने अपने फंडिंग के अगले चरण में $8.5 मिलियन (लगभग ₹71 करोड़) जुटाए थे। यह निवेश Susquehanna Asia Venture Capital और Stellaris Venture Partners के संयुक्त नेतृत्व में हुआ था।

इस फंडिंग का उद्देश्य था:

  • नई कलेक्शन डिज़ाइन करना
  • लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन को बेहतर बनाना
  • रिटेल एक्सपेंशन और टेक्नोलॉजी अपग्रेड करना

📦 Delhivery के अनुभव का कैसे मिलेगा लाभ?

साहिल बरुआ ने Delhivery को भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियों में से एक बनाया है। उनकी विशेषज्ञता से Nestasia को निम्न क्षेत्रों में बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है:

  • फास्ट और कुशल डिलीवरी सिस्टम बनाना
  • रिटेल और ई-कॉमर्स चैनलों में बेहतर इंटीग्रेशन
  • डेटा-ड्रिवन स्केलिंग रणनीति

Nestasia, जो अभी तक एक डिजिटल-फर्स्ट ब्रांड रहा है, अब एक “फिजिटल” मॉडल (फिजिकल + डिजिटल) की ओर बढ़ रहा है, जिसमें Barua जैसे लीडर की जरूरत होती है।


📈 D2C मार्केट में मुकाबला बढ़ता जा रहा है

Nestasia को भारतीय बाज़ार में The June Shop, Chumbak, Pepperfry, और IKEA जैसे ब्रांड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। ऐसे में कंपनी को:

  • ब्रांड डिफरेंसिएशन
  • यूज़र एक्सपीरियंस
  • तेज़ लॉजिस्टिक्स पर ज़ोर देना होगा।

Barua की एंट्री इन सभी मोर्चों पर रणनीतिक मजबूती ला सकती है।


🧵 फाउंडर्स की प्रतिक्रिया

Nestasia के को-फाउंडर अनुराग अग्रवाल ने कहा,

“हम अपने बोर्ड में साहिल जैसे अनुभवी लीडर का स्वागत करते हैं। उनकी रणनीतिक सोच और संचालन में गहराई Nestasia के आगामी ग्रोथ फेज़ में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।”


🔍 निष्कर्ष: एक स्मार्ट मूव?

Sahil Barua का Nestasia के बोर्ड में शामिल होना न केवल कंपनी की ब्रांड वैल्यू बढ़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब D2C ब्रांड्स भी ऑपरेशनल दक्षता को अपनी ग्रोथ रणनीति का केंद्र बना रहे हैं।

जैसे-जैसे Nestasia अपने रिटेल एक्सपेंशन और सप्लाई चेन को स्केल कर रहा है, वैसे-वैसे ऐसे लीडर्स की ज़रूरत और अधिक महसूस होती है जिनके पास ग्राउंड लेवल से बिल्डिंग का अनुभव हो — और इस मामले में Barua एकदम फिट बैठते हैं।

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